Garam Kamsin Jawani
मेरा नाम धर्मेश है, मैं एक स्टेडियम में स्विमिंग कोच हूँ, मेरा काम लड़कियों को स्विमिंग का प्रशिक्षण देना था। आप सब ये बात तो जानते ही होंगे कि स्विमिंग कोच होना मतलब कि चूत के बहुत नजदीक होना। स्विमिंग करने के लिए जैसे जैसे लड़कियां टीम को ज्वाईन कर रहीं थीं, वैसे वैसे मेरी चूत प्राप्ति की संभावना बढती जा रही थी। Garam Kamsin Jawani
सेक्सी जवानी लड़कियां कोई, सूट में कोई जीन्स में और कोई साड़ी में आतीं। सबको तैरना सीखना था, पता है ना घर में बैठे बैठे खाकर और रील्स देख कर मोटी होने के अलावा कोई काम नहीं रह गया है इन लड़कियों को और इसलिए मैंने उनको तैरने का प्रशिक्षण देकर साइज में लाने का काम लिया था।
स्विमिंग एक अच्छा व्यायाम है पर चुदाई से बेहतर व्यायाम कुछ नहीं है। इसलिए मैने इनमें से कुछ को या कम से कम सबसे बेहतर एक लौंडिया को चोदने का प्लान बनाया था। मैने इन सबको पूरी गर्मी तैरने का प्रशिक्षण देकर इनमें से एक को जो बेहतर तैराक निकलती, उसे तैरने के लिए नेशनल लेवल के काम्पिटिशन के लिए तैयार करना था।
इससे मेरे स्टेडियम का नाम होता और मेरा भी। पर इससे पहले मुझे चूत का इंतजाम करना था और जाहिर है कि वही लड़की इस काम्पिटीशन में नम्बर वन चुनी जानी थी जो सबसे सुंदर हो और चूत देने के लिए हर पल तैयार रहे। इस वजह से मैने अमीषा को चुना। जो सबसे सेक्सी लड़की थी उस पूरी टीम की सबसे माडर्न थी और सब्से फ्रैंक भी।
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पूल में मुझसे अपने चूंचे तो वो वैसे ही दबवा चुकी थी और अपने चयन के लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार थी। बस मैने ये मौका चूकने का सवाल ही नहीं था। एक दिन मैने उसे डिनर पर बुलाया और सेलेक्शन की सारी शर्तें बता दीं। बस उसने हां कही और मेरे चूत मारने का इंतजाम हो गया।
जैसा कि पहले ही बताया मैने कि उस लड़की को अपने चयन के लिए कुछ भी करने में कोई गुरेज न था, इसलिए मैने उसको चुना। कम्पटीशन के लिए उसे मुम्बई ले जाना था। स्पोर्ट्स अकेडमी ने फाइव स्टार होटल में रुकने का एक हफ्ते का इंतजाम किया था और इसलिए मैने उसका और अपना कमरा बुक करवा लिया था।
दोनों बाजू के कमरे थे और इसलिए हमें मिलने जुलने में कोई कमी न थी। वैसे स्विमिंग पूल का कम्प्टीशन था तो उसको जरा सी ट्रेनिंग देनी ही थी और मैने इसलिए उसको तरणताल में ले जाकर चोदने का प्लान बनाया था। वो रेडी थी और उसको चूत मरवानी थी.
इसलिए मैने उसको स्विमिंग पूल में बुलाया, ट्रेनिंग के लिए। फरवरी के महीने में हल्की ठंड थी और मैने ट्रेनिंग के लिए जो भी समय चुना उस समय पर कोई भी पूल में नहीं जाता। इसलिए मैने उसको उसी समय बुलाया जब पूल खाली था। उसकी चूत में भी खुजली मच ही रही थी।
अब मैने उसको बुलाके पूल में उतरने को कहा। वो कांप रही थी ठंड के मारे पर मैं तो ट्रेनिंग के नाम पर उसे नंगा देखना चाहता था। आज पहली बार उसकी चूत् को मारने का मौका मिलने वाला था और इसलिए मैने उसे बुला कर चोदने के लिए अपनी बुद्धि लगायी थी।
वो आई तो जींस में थी पर जैसे जैसे उसने अपना टाप उतारा, उसके ब्रा को देख कर मेरा मन कलुषित होने लगा। मेरी कामवासना जाग उठी। मैने उसे चोदने के लिए मन बना लिया था। उसकी चूंचियां एकदम नुकीली थीं और पैड वाले ब्रा में और भी सेक्सी दिख रहीं थीं।
इस प्रकार से मैने उसको सेड्यूस करने के लिए अपने कपड़े उतारने का निर्देश दिया और उसने बे हिचक स्विम सूट् पहन लिया। ये ब्रांडेड स्विम सूट मैने उसको स्पेशली आज के लिए गिफ्ट किया था। जैसे ही उसने अपने कपड़े उतारकर वो स्विम सूट पहना, उसकी झांटें और साईड आर्म्स के बाल मुझे दिखाई दे गये।
साली चुदवासी रंडी बाल भी नहीं बनाके आई थी। मैने कहा कि ये बाल तैरने में दिक्कत करेंगे और पानी का बहाव तुमको धीमा कर देगा तो उसको मुस्कराने के अलावा कोई और जवाब न सूझा। उसने अपनी पैंटी तिरक्षी करके मुझे चूत का उभार दिखाया और कहा सर दिक्कत तो इस उभार से भी है।
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फिर उसने अपनी चूंचियां दोनों हाथो से दबाते हुए कहा। इतनी बड़ी चूंचियां भी तो तैरने में दिक्कत करती हैं। इसलिए अपनी जवानी को कहां लेकर जाउं कोच साहब और उसने आंख मार दी। मैं समझ गया था कि उसकी चूत में खुजली मच रही थी। इसलिए मैने उसे अब एक्शन में आने को कहा।
मैने उसे निर्देश दिये कि अब पानी में उतर कर कुछ कलाबाजियां दिखाओ और मुझे यह देखने दो कि तुम कितना अच्छा करने वाली हो लेकिन वो भी साली हराम की लौँडिया, उसने अपने को काम से ज्यादा सेक्स के प्रति समर्पित कर रखा था और इसलिए उसने आंख मारने और मुस्कराने के अलावा कुछ न किया।
मैने जब ज्यादा जोर दिया तो उसने अपने ब्रा के किनारे ढीले करने शुरु किये। वो जानती थी कि मेरी कमजोरी क्या है और मैं किन चीजों पर मर मिटाता हूं। उसकी ब्रा के किनारे ढीले होते ही उसके चूंचे को गोले दृष्टिगोचर होने लगे जिन्होंने मुझे बेचैन करना शुरु कर दिया था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
इसलिए मैने अपना लंड अपने पैंट में सेट किया और उसके हुस्न का चछु चोदन करना जारी रखा। मुझे मजा तो बे इंतहा आ रहा था पर मैं उसकी चूत मारने के इंतजार में जयादा था,इस फालतू के ट्रेनिंग सेसन का कोई मतलब नहीं था। इस सारी कवायद का मतलब तो सिर्फ इस जलपरी की गरम गरम जवानी को जल से भिगोने के बाद चोदने से था।
मेरी प्लानिंग एकदम फिट जा रही थी और इस लौंडिया की चुदने की इच्छा भी कुछ ज्यादा ही थी। वो चुदास रही थी। जैसे जैसे वो अपने कपड़े को ढीला कर रही थी, सच तो ये है कि मेरी लंगोट भी ढीली हो रही थी। मेरा पाजामा तंग रहता है पर लंगोट ढिली ही रहती है क्योंकि मेरा कैरेक्टर ढीला है।
इसलिए मैने उस चुदासी जलपरी को चोदने के लिए जल में उतरने को कहा, मैं जानता था कि जैसे वो पानी में उतरेगी, इस स्विमिंग सूट के गीला होकर उसके अंदरुनी अंगों से चिपकने के चलते मुझे उसका बेहतर शेप दिखाई दे सकेगा। वो पानी के अंदर मचल रही थी।
मैं पानी के उपर चेयर पर बैठा उसके हुस्न का आनंद ले रहा था। उसने पानी में जाते ही गजब कर दिया। अपने ब्रा का एक हिस्सा खोल दिया। उसका दायां चूंचा बाहर निकल कर झांकने लगा। इस गोल गोल चूंचे को देख कर मेरा सर गोल गोल घूमने लगा।
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मैं आउट आफ कंट्रोल होने जा रहा था कि मेरा मन किया मैं इस पानी में कूद कर इस रंडी को अभी चोद दूं पर थोड़ा कंट्रोल करना पड़ा। अभी उसे पूरा नंगा देखना था। उसने अपने इस नंगे चूंचे के काले निप्पल्स पर उंगलियां नचाते हुए मुझे चूसने की दावत दी।
मेरी नजर तो उसकी चूत पर थी। मैने उसके निप्पल्स को देखा जो किसी काले काले अंगूर की तरह रसीले और सेक्सी दिख रहे थे। मैं इनको चूसने की तमन्ना लिये अपनी कामवासना को दबा रहा था और वो लगातार पानी के अंदर भीगे बदन अपने हुस्न के जलवे बिखेर रही थी। हर पल मेरी धड़कने बढतीं जा रहीं थीं और वो जल्वा-गर होती जा रही थी।
मैने ज्यादा देर करने के बजाय उसको जल्दी से अपने हुस्न का पुरकस दीदार करने को कहा। उसने अपना बायां चूंचा दिखाने के लिए अपनी ब्रा की डोर ढीली कर दी। अब उसका हुस्न बेहतर दिख रहा था। नंगे चूंचे उत्तान गर्वान्वित खड़े थे और उसकी मासूमियत मुझे चोदने का निमंत्रण दे रही थी।
बस किसी तरह से अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए मैं पानी के ठंडे पन से बचने के लिए किनारे से ही मजा लेने के पक्ष में था। वो हसीन अपनी जवानी को दिखाए जा रही थी। अब उसने दोनों चूंचों को अपने दोनों हाथों मे लेते हुए रगड़ते हुए मलना शुरु किया जिससे कि उसकी सांसें लगातार तेज होती गयीं बढती सांसों की धौंकनी से पता चल रहा था कि वो चुदने के लिए कुछ भी करने जा रही है।
सो मैने उसको कहा कि जरा अपने निप्पल मले। उसने अपने काले काले अंगूर सरीखे निप्पलों को कठोरता से मलना शुरु किया। अब उसे रहा नहीं जा रहा था। वो स्विमिंग पूल के किनारे रेलिंग पर आकर खड़ी हो गयी। आधा बदन पानी में आधा बदन पानी के उपर।
मैं कुर्सी लगाकर उसके पास बैठ गया मुझसे बातें करते हुए उसने सेक्सी चैट जारी रखी। मैने उसे कहा कि अपनी पैंटी उतारो जिससे कि मैं तुम्हें चोद सकूं। वो अपनी पैंटी खोल दी। उसकी झांटों से भरी चूत मुझे दिख रही थी। पारदर्शी पानी में झलकती उसकी चूत मुझे चोदने का निमंत्रण देती प्रतीत हुई.
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और मैने उसको अपनी चूत के अंदर मेरे लंड के जाने का अनुभव करने का आदेश दिया। उसने आह्ह्ह!! फक मी!! सर!! प्लीज सक माय ऐस्स करते हुए अपनी गांड पानी के अंदर हिलानी शुरु कर दी थी। वो दीवानी हो चुकी थी। उसे रहा नहीं गया तो उसने अपनी चूत में उंगली करते हुए सिस्कारियां लेनी शुरु कर दीं और मुझे अपना लंड हाथ में लेकर उसके सुपाड़े को रगड़ना पड़ा।
वो पागल की तरह से अपनी चूत को धकिया रही थी और मैं शांति से उसे ये सब करते देख कर कामोत्तेजक प्रदर्शन का मजा ले रहा था। मुझे अब उसकी गांड में दिलचस्पी थी। उसकी सुडौल गांड पानी के उपर से ज्यादा ही सुडौल नजर आ रही थी और मैने उसकी गांड को चोदने के बारे में सोचना शुरु किया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
चूत की मतवाली वो दीवानी रंडी की तरह अपने गांड को मसलने लगी। उसको जाहिर है कि गांड मराने का भी बहुत शौक था। वो घाट घाट का पानी पिये हुई थी और उसको कोई भी गुरेज अपनी चूत मराने में नहीं था चाहे वो कोच हो या आर्गेनाइजर्स मैं जानता था कि इसका कैरियर स्विमिंग में नहीं है पर फिर भी अपनी कामवासना की पूर्ति के लिए मैने उसको एक ब्रेक देना ही था।
इसलिए मैंने उसको मुम्बई काम्पिटीशन में भाग लेने के लिए चुना था। इस बार मैने उसे पानी से बाहर निकलने को कहा। वो चेयर के सामने आकर मेरे पैंट के अंदर से लंड खींच के निकाल ली। वो पहले से खडा था किसी कटोर पत्थर शिला की तरह। मैने उसकी चूत को चोदने के लिए पहले से ही इसे खड़ा कर रखा था।
बिना हत्थे वाली कुर्सी थी इसलिए उसको सामने से उसपर बैठने में थोड़ी भी दिक्कत नहीं हुई और वो अपनी गिली चूत लेकर मेरे लंड पर बैठ गयी। उसकी गीली चूत में मेरा मोटा लंड सर्र से समाता चला गया. और वो मेरे कंधे को पकड़ कर उपर नीचे बैठने उठने लगी।
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इस तरह मैं नीचे था और वो मेरे उपर थी। तरणताल की जलपरी की चूत मेरे लंड के उपर अटखेलियां खेल रही थी और वो हरपल नये नये एंगल बना के मेरे लंड की सवारी कर रही थी। इस तरह उसके चूत के हर कोने में लंड की धमक सुनाई दे रही थी। वो हर पल अपनी स्पीड बढाती चली गयी और मैं अपने लंड के कठोरता को बढाता चला गया। मैने साथ साथ उसके चूंचों को पकड़ कर मसलना जारी रखा और वो इसका आनंद उठाती रही। फिर मैने उसे किस किया और एक जूनूनी किस करते हुए उसके निप्पलों पर दांतों कि निशान बना दिये।
यह था उसका मोहर और सील बंद नम्बर वन होने का निशान जिसे वो हमेशा नहीं भूल सकती। उसकी चुदाई मैंने फिर होटल के कमरे में ले जाकर वाइन पिलाने के बाद्द दमदार तरीके से की। रात भर चुदाई के बाद मैने सुबह उसे काम्प्टिश्न में भेज दिया जहां उसने अपने जलवे से प्रायोजकों को प्रसन्न किया और माडलिंग का असाइनमेंट पा गयी। आज भी वो उल्लू और ऑल्ट बालाजी जैसे ओटीटी की फिल्मों की हिट हीरोईन है और मैं कोच का कोच। फिर भी चूत की आमद होती रहती है।
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