Paki Tight Pink Pussy
मेरा नाम फवाद अली है. मेरी उमर 22 साल है और में इस्लामाबाद में रहता हूँ. जो वाक़िया आज आप को सुनाने जा रहा हूँ बिल्कुल सच्चा है और आज से 6 साल पहले पेश आया था. मेरे घर में माँ बाप के अलावा एक बहन और एक भाई हैं. मै सब से बड़ा हूँ. ये 2018 की बात है जब में दसवीं जमात में पढ़ता था. Paki Tight Pink Pussy
मै उन दिनों अपनी खाला जिन का नाम मह्नूर है को बहुत पसंद करता था. खाला मह्नूर मेरी अम्मी से दो साल छोटी थीं और उनकी उमर उस वक़्त क़रीबन 36 बरस थी. वो शादीशुदा थीं और उनके दो बेटे थे. उनका बड़ा बेटा राशिद तक़रीबन मेरा हम- उम्र ही था और हम दोनो अच्छे दोस्त थे.
खाला मह्नूर के शौहर रज्जाक हूसेन की इस्लामाबाद की एक मशहूर मार्केट में जूतों की दुकान थी. खाला मह्नूर बड़ी खूबसूरत और दिलकश औरत थीं. तीखे नैन नक़्श और दूध की तरह सफ़ेद रंग. उनके लंबे और घने बाल हल्के ब्राउन रंग के और आँखें भी हल्की ब्राउन थीं.
उनका क़द दरमियाना था और बदन बड़ा गुन्दाज़ और सेहतमंद था. कंधे चौड़े और फारबा थे. मम्मे बहुत मोटे और गोल थे जिन का साइज़ 40/42 इंच से तो किसी तरह भी कम नही होगा और गांड़ गोल, चौड़ी, मोटी और गोश्त से भरपूर थी. गर्मियों के मौसम में जब खाला मह्नूर पतले कपड़े पहनतीं तो उनका गोरा, सेहतमंद और गदराया हुआ बदन कपड़ों से झाँकता रहता था.
में गर्मियों में उनके घर बहुत ज़ियादा जाया करता था ताके उनके मोटे मम्मों और भारी भरकम चूतड़ों का नज़ारा कर सकूँ. खाला होने के नाते वो मेरे सामने दुपट्टा ओढ़ने का तकलूफ नही करती थीं इस लिये मुझे उनके मम्मे और गांड़ देखने का खूब मोक़ा मिलता था. कभी कभी उन्हे ब्रा के बगैर भी देखने का इतिफ़ाक़ हो जाता था.
पतली क़मीज़ में उनके भारी मम्मे बड़ी क़यामत ढाते थे. काम काज करते वक़्त उनके मोटे ताज़े मम्मे अपनी तमाम तर गोलाइयों समैट मुझे साफ़ नज़र आते थे. उनके मम्मों के निप्पल भी मोटे और बड़े थे और अगर उन्होने ब्रा ना पहना होता तो क़मीज़ के ऊपर से बाहर निकले हुए साफ़ दिखाई देते थे.
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ऐसे मोक़ों पर में आगे से और साइड से उनके मोम्मों का अच्छी तरह जाइज़ा लेटा रहता था. साइड से खाला मह्नूर के मम्मों के निप्पल और भी लंबे नज़र आते थे. यों समझिये के मैंने तक़रीबन उनके मम्मे नंगे देख ही लिये थे. मम्मों की मुनासबत से उनके चूतड़ भी बहुत मोटे और चौड़े थे.
अक्सर जब वो नीचे झुक कर कुछ उठातीं तो उनकी क़मीज़ उनके चूतरों के बीच वाली दर्ज़ में फँस जाती और जब चलतीं तो दोनो गोल और जानदार चूतड़ अलहदा अलहदा हिलते नज़र आते. उस वक़्त मेरे जैसे कम-उमर और सेक्स से ना-वाक़िफ़ लड़के के लिये इस क़िसम की सेहतमंद और शानदार गांड़ का नज़ारा पागल कर देने वाला होता था.
खाला मह्नूर के बदन को इतने क़रीब से देखने के बाद मेरे दिल में उनके बदन को हाथ लगाने का खन्नास समा गया. मेरी उमर भी ऐसी थी के सेक्स ने मुझे पागल किया हुआ था. रफ़्ता रफ़्ता खाला मह्नूर के बदन को छूने का शोक़् उनकी चूत मारने की खाहिश में बदल गया.
जब उन्हे हाथ लगाने में मुझे कोई ख़ास कामयाबी ना मिल सकी तो मेरा पागल-पन और बढ़ गया और में सुबह शाम उन्हे चोदने के सपने देखने लगा. इस सिलसिले में कुछ करने की मुझ में हिम्मत नही थी और में महज़ खाबों में ही उनकी चूत के अंदर घस्से मार मार कर उस का कचूमर निकाला करता था. फिर एक ऐसा वाक़िया पेश आया जिस के बारे में मैंने कभी सोचा भी नही था.
मेरी बड़ी खाला के बेटे इमरान की शादी करांची में हमारे रिश्त्यदारों में होना तय हुई. बारात ने इस्लामाबाद से करांची जाना था. खालू ने जो फौज से रिटाइर हुए थे करांची के आर्मी मेस में खानदान के ख़ास ख़ास लोगों को ठहराने का बंदोबस्त किया था. बाक़ी लोगों ने होटेलों में क़याम करना था. हम ने 2 बस और 2 वैन किराए पर ली थीं.
बस को शादी की मुनासबत से बहुत अच्छी तरह सजाया गया था. बस के अंदर लड़कियों का सारे रास्ते शादी के गीत गाने का प्रोग्राम था जिस की वजह से खानदान के सभी बचे और नोजवान बसों में ही बैठे थे. मैंने देख लिया था के खाला मह्नूर एक वैन में बैठ रही थीं. मेरे लिये ये अच्छा मोक़ा था.
में भी अम्मी को बता कर उसी वैन में सवार हो गया ताके खाला मह्नूर के क़रीब रह सकूँ. उनके शौहर माल खरीदने दुबई गए हुए थे लहाज़ा वो अकेली ही थीं. उनके दोनो बेटे उनके माना करने के बावजूद अपनी माँ को छोड़ कर हल्ला गुल्ला करने बस में ही बैठे थे. वैन भारी हुई थी और खाला मह्नूर सब से पिछली सीट पर खिड़की के साथ बैठी थीं.
जब में हिस्से में दाखिल हुआ तो मेरी कोशिश थी के किसी तरह खाला मह्नूर के साथ बैठ सकूँ. वैन के अंदर आ कर मैंने उनकी तरफ देखा. मै उन से काफ़ी क़रीब था और मेरा उनके घर भी बहुत आना जाना था इस लिये उन्होने मुझे देख कर अपने साथ बैठने का इशारा किया. मै फॉरन ही जगह बनाता हुआ उनके साथ चिपक कर बैठ गया.
खाला मह्नूर शादी के लिये खूब बन संवर कर घर से निकली थीं. उन्होने सब्ज़ रंग के रेशमी कपड़े पहन रखे थे जिन में उनका गोरा गदराया हुआ बदन दावत-ए-नज़ारा दे रहा था. बैठे हुए भी उनके मोटे मम्मों के उभार अपनी पूरी आब-ओ-ताब के साथ नज़र आ रहे थे. कुछ देर में हम इस्लामाबाद शहर से निकल कर मोटरवे पर चढ़े और अपनी मंज़िल की तरफ रवाना हो गए.
मै खाला मह्नूर के साथ खूब चिपक कर बैठा था. मेरी रान उनकी रान के साथ लगी हुई थी जब के मेरा बाज़ू उनके बाज़ू से चिपका हुआ था. उन्होने आधी आस्तीनो वाली क़मीज़ पहन रखी थी और उनके गोरे सिडोल बाज़ू नंगे नज़र आ रहे थे. खाला मह्नूर के नरम गरम बदन को महसूस करते ही मेरा लंड खड़ा हो गया.
मैंने फॉरन अपने हाथ आगे रख कर अपने तने हुए लंड को छुपा लिया. खाला मह्नूर ने कहा के में राशिद को समझाऊं के मेट्रिक के इम्तिहान की तय्यारी दिल लगा कर करे क्योंके दिन थोड़े रह गए हैं. मैंने उनकी तवजो हासिल करने लिये उन्हे बताया के राशिद एक लड़की के इश्क़ में मुब्तला है और इसी वजह से पढने में दिलचस्पी नही लेटा.
वो बहुत सीख-पा हुईं और कहा के में उस की हरकतें उनके ईलम में लाऊँ. इस तरह में ना सिरफ़ उनका राज़दार बन गया बल्के उनके साथ मर्द और औरत के ता’अलुक़ात पर भी बात करने लगा. वो बहुत दिलचस्पी से मेरी बातें सुनती रहीं. उन्होने मुँह बना कर कहा के आज कल की लड़कियों को वक़्त से पहले शलवार उतारने का शोक़् होता है. ये ऐसी कुतिया हैं जिन को गर्मी चढ़ी हो.
ये बातें मुझे गरम कर रही थीं. मैंने बातों बातों में बिल्कुल क़ुदरती अंदाज़ में उनकी मोटी रान के ऊपर हाथ रख दिया. उन्होने क़िस्सी क़िसम का कोई रद्द-ए-अमल ज़ाहिर नही किया और में उनके बदन का मज़ा लेटा रहा. बिल-आख़िर साढ़े चार घंटे बाद हम करांची पुहँच गए.
मै खाला मह्नूर के साथ ही रहा. अम्मी, नानी जान और और कुछ और लोग मेस में चले गए. खाला मह्नूर के दोनो बेटे भी मेस में ही रहना चाहते थे. मैंने खाला मह्नूर से कहा के कियों ना हम होटेल में रहें. कमरे में और लोग भी नही हूँ गे, बाथरूम इस्तेमाल करने का मसला भी नही होगा और अगले दिन बारात के लिये तय्यारी भी आसानी से हो जायेगी.
खाला मह्नूर को ये बात पसंद आई. उन्होने अपने बेटों को कुछ हिदायात दीं और मेरे साथ मुर्री रोड पर वाक़िया एक होटल में आ गईं जहाँ खानदान के कुछ और लोग भी ठहर रहे थे. मैंने अम्मी को बता दिया था के खाला मह्नूर अकेली हैं में उनके साथ ही ठहर जाऊं गा. उन्होने बा-खुशी इजाज़त दे दी.
होटल दरमियाना सा था. कमरे छोटे मगर साफ़ सुथरे थे. उस में 2 बेड थे. खाला मह्नूर काफ़ी तक चुकी थीं. उनके बदन में दर्द भी हो रहा था. फिर हम ने कपडे तब्दील किये. खाला मह्नूर ने घर वाला पतली सी लॉन का जोड़ा पहन लिया जिस में से हमेशा की तरह उनका गोरा बदन नज़र आ रहा था.
कपड़े बदलने के बावजूद उन्होने अपना ब्रा नही उतारा था. मुझे थोड़ी मायूसी हुई क्योंके बगैर ब्रा के में उनके मम्मों को ज़ियादा बेहतर तरीक़े से देख सकता था. खैर खाला मह्नूर को अपने साथ एक कमरे में बिल्कुल तन्हा पा कर मेरे दिल में उन्हे चोदने की खाहिश ने फिर सर उठाया. लेकिन में ये कैसे करता? वो भला मुझे कहाँ अपनी चूत लेने देतीं. मै दिमाग लड़ाने लगा.
मैंने कुछ अरसे पहले एक फिल्म देखी थी जिस में एक आदमी एक औरत को शराब पीला कर चोद देता है. शराब की वजह से वो औरत नशे में होती है और उस आदमी से चुदवा लेतीं है. मगर में वहाँ शराब कहाँ से लता. फिर मैंने सोचा शायद होटेल का कोई मुलाज़िम मेरी मदद कर सके. मुझे दर भी लग रहा था लेकिन इस मोक़े से फायदा भी उठाना चाहता था.
बहरहाल में किसी बहाने से बाहर निकला तो 40/45 साल का एक काला सा आदमी जो होटेल का मुलाज़िम ही था मिल गया. वो बहुत छोटे क़द का और बदसूरत था. छोटी छोटी आँखें और अजीब सा फैला हुआ चौड़ा नाक. थोड़ी पर दाढ़ी के चन्द बाल थे और मूंछें भी बहुत छिडड़ी और हल्की थीं. वो हर तरह से एक गलीज़ शख्स लगता था.
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में उस के साथ सीढियां उतर कर नीचे आया और उससे बताया के मुझे शराब की बोतल कहाँ मिल सके गी. उस ने पहले तो मुझे गौर से देखा और फिर कहने लगा के कौन सी शराब चाहिये. मुझे किसी ख़ास शराब का नाम नही आता था इस लिये मैंने कहा के कोई भी चल जाएगी. हम लोग शादी पर आए हैं ज़रा मोज मस्ती करना चाहते हैं.
उसने शायद मुझे और खाला मह्नूर को कमरे में जाते देखा था. कहने लगा के तुम तो अपनी माँ के साथ हो कमरे में शराब कैसे पियोगे. मै ये सुन कर घबरा गया मगर खुद को संभालते हुए उससे बताया के में अपनी खाला के साथ हूँ और उनके सो जाने के बाद पीना चाहता हूँ. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उस ने मुझ से 1600 रुपय लिये और कहा के आधे घंटे तक शराब ले आए गा में उस का इंतिज़ार करूँ. उस ने अपना नाम वसीम बताया. में कमरे में वापस आ गया. मेरा दिल धक धक कर रहा था. मै दर रहा था के वसीम कहीं पैसे ले कर भाग ही ना जाए मगर वो आध घंटे से पहले ही शराब की बोतल ले आया.
बोतल के ऊपर वोड्का लिखा हुआ था और उस में पानी जैसी रंग की शराब थी. मुझे ईलम नही के वो वाक़ई वोड्का थी या किसी देसी शराब को वोड्का की बोतल में डाला गया था. खैर मैंने बोतल ले कर फॉरन अपने नैयफ़े में छुपा ली. उस ने कहा के बाथरूम के तौलिये चेक करने हैं.
मै उससे ले कर कमरे के अंदर आ गया. उस ने बाथरूम जाते हुए खाला मह्नूर को अजीब सी नज़रों से देखा. मै समझ नही पाया के उस की आखों में किया था. वो कुछ देर बाद चला गया. मैंने अपने और खाला मह्नूर के लिये 7-up की बोतलें मँगवाईं जो वसीम ही ले कर आया.
इस दफ़ा भी उस ने मुझे और खाला मह्नूर को बड़े गौर से देखा. उस के जाने के बाद में उठ कर कोने में पड़ी हुई मेज़ तक आया और खाला मह्नूर की तरफ पीठ कर के उनकी बोतल में से तीन चोथाई सेवेन उप ग्लास में डाली और उस की जगह वोड्का डाल दी.
मैंने वो बोतल उनको दे दी. उन्होने बोतल से चन्द घूँट लिये और बुरा सा मुँह बना कर कहा के ये तो बड़ी कड़वी है बिल्कुल दवाई की तरह. ये पीने वाली नही. मेरा दिल बैठ गया के कहीं वो पीने से इनकार ही ना कर दें. मैंने कहा के उन्हे बोतल पी लानी चाहिये क्योंके इस से उनका दिल अच्छा हो जाएगा. वो इनकार करती रहीं मगर मेरे इसरार पर आख़िर पी ली.
रात के कोई साढ़े बारह बजे का वक़्त होगा. खाला मह्नूर की हालत बदलने लगी थी. उनका चेहरा थोड़ा सा लाल हो गया था और आँखें भारी होने लगी थीं. वो मेरी बातों को ठीक से समझ नही पा रही थीं और बगैर सोचे समझे बोलने लगती थीं. उनकी आवाज़ में हल्की सी लरज़िश भी आ गई थी.
वो वाज़ेह तौर पर अपने ऊपर कंट्रोल खोती जा रही थीं. कभी वो खामोश हो जातीं और कभी अचानक बिला वजह बोलने लगतीं. नशा उन पर असर कर रहा था. उन्होने ज़िंदगी में पहली दफ़ा शराब पी थी इस लिये उस का असर भी ज़ियादा हुआ था. उन्होने कहा के अब वो सोना चाहती हैं.
वो एक कुर्सी पर बैठी हुई थीं. जब उठने लगीं तो लररखड़ा गईं. मैंने फॉरन आगे बढ़ कर उन्हे बाज़ून से पकड़ लिया. उनके गोरे, मोटे और नरम बाज़ू पहली दफ़ा मेरे हाथों में आये थे. में उस वक़्त बहुत घबराया हुआ था मगर फिर भी उनके बदन के लांस से मेरा लंड खड़ा हो गया.
मै उन्हे ले कर बेड की तरफ चल पारा. मैंने उनका दुपट्टा उनके गले से उतार दिया और उन से चिपक गया. फिर मैंने अपना एक हाथ उनके मोटे चूतड़ों से ज़रा ऊपर रख दिया और उन्हे बेड तक ले आया. मेरी उंगलियों को उनके तवाना चूतड़ों की आगे पीछे हरकत महसूस हो रही थी.
मेरे सबर का पैमाना लब्राइज़ हो रहा था. मैंने अचानक अपना हाथ उनके मोटे और उभरे हुए चूतड़ के दरमियाँ में रख कर उससे आहिस्ता से टटोला. उन्होने कुछ नही कहा. इस पर मैंने उनके एक भारी चूतड़ को थोड़ा सा दबाया. बड़ी मज़बूत और ताक़तवर गांड़ थी खाला मह्नूर की.
उन्होने अपने चूतड़ पर मेरे हाथ का दबाव महसूस किया तो मेरे हाथ को जो उनके चूतड़ के ऊपर था पकड़ कर अपनी कमर की तरफ ले आईं लेकिन कहा कुछ नही. उन्हे बेड पर बिठाने के बाद मैंने उन से कहा के वो बहुत तक गई हैं इसी लिये तबीयत खराब हो रही है में उनके कपड़े बदल देता हूँ ताके वो आराम से सो सकैं.
उनके मुँह से अजीब सी भारी आवाज़ निकली. शायद वो समझ ही नही सकी थीं के में किया कह रहा हूँ. मैंने उनकी क़मीज़ पेट और कमर पर से ऊपर उठाई और उनका एक बाज़ू उठा कर उससे बड़ी मुश्किल से क़मीज़ की आस्तीन में से निकाल लिया. अब उनका एक मोटा और सूजा हुआ मम्मा सफ़ेद रंग के ब्रा में बंद मेरी आँखों के सामने था.
उनका दूसरा मम्मा अब भी क़मीज़ के नीचे ही छुपा हुआ था. मैंने उनके मम्मे के नीचे हाथ डाल कर ब्रा के ऊपर से ही उससे पकड़ लिया. खाला मह्नूर का मम्मा भारी भरकम था और उससे हाथ लगा कर मुझे अजीब तरह का मज़ा आ रहा था. फिर मैंने दूसरे बाज़ू से भी क़मीज़ निकाल कर उन्हे ऊपर से बिल्कुल नंगा कर दिया.
उनके दोनो मम्मे ब्रा में मेरे सामने आ गए. मैंने जल्दी से पीछे आ कर उनके ब्रा का हुक खोला और उससे उनके बदन से अलग कर के उनके मम्मों को बिल्कुल नंगा कर दिया. ये मेरी ज़िंदगी का सब से हसीन लम्हा था. मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. खाला मह्नूर के मम्मे बे-पनाह मोटे, गोल और बाहर निकले हुए थे.
उनके दोनो मम्मों के ऊपर और साइड में ब्रा की वजह से हल्की लकीरें पड़ी हुई थीं. सुर्खी मा’आइल गुलाबी रंग के खूबसूरत निप्पल बड़े बड़े और बाहर निकले हुए थे. निपल्स के साथ वाला हिस्सा काफ़ी बड़ा और बिल्कुल गोल था जिस पर छोटे छोटे दाने उभरे हुए थे. मैंने उनका एक मम्मा हाथ में ले कर दबाया तो उस का निप्पल मेरी हतैली में धँस कर दब गया.
उन्होने मेरा हाथ अपने मम्मे से डोर किया और दोनो मम्मों के दरमियाँ में हाथ रख कर अजीब अंदाज़ से हंस पड़ीं. शायद नशे ने उनकी सोचने समझने की सलाहियत पर असर डाला था. मैंने अब उनके दूसरे मम्मे को हाथ में लिया और उस के मुख्तलीफ़ हिस्सों को आहिस्ता आहिस्ता दबाता रहा.
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मैंने ज़िंदगी में कभी किसी औरत के मम्मों को हाथ नही लगाया था. खाला मह्नूर के मम्मे अब मेरे हाथ में थे और मेरी जेहनी कैफियत बड़ी अजीब थी. मेरे दिल में खौफ भी था और ज़बरदस्त खुशी भी के खाला मह्नूर मेरे सामने अपने मम्मे नंगे किये बैठी थीं और में उनके मम्मों से खेल रहा था.
उन्होने उंगली उठा कर हिलाई के में ऐसा ना करूँ. उनका हाथ ऊपर की तरफ आया तो शलवार में अकड़े हुए मेरे लंड से टकराया लेकिन शायद उन्हे एहसास नही हुआ के में उनकी चूत में अपना लंड डालने को बेताब था. मै उसी तरह खाला मह्नूर के मम्मों को हाथों में ले कर उनका लुत्फ़ उठाता रहा.
अचानक कमरे का दरवाज़ा जो मैंने लॉक किया था एक हल्की सी आवाज़ के साथ खुला और वसीम अंदर आ गया. वसीम ने फॉरन दरवाज़ा लॉक कर दिया. उस के हाथ में मोबाइल फोन था जिस से उस ने मेरी और खाला मह्नूर की उसी हालत में तस्वीर बना ली. ये सब पलक झपकते हो गया.
मै फॉरन खाला मह्नूर के पास से हट गया और उनकी क़मीज़ उठा कर उनके कंधों पर डाल दी ताके उनके मम्मे छुप जायें. वसीम के बदनुमा चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट थी. उस ने अपनी जेब से 6/7 इंच लंबा चाक़ू निकाल लिया मगर उससे खोला नही. खौफ से मेरी टांगें काँपने लगीं. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वसीम ने कहा के वो जानता था मुझे शराब क्यों चाहिये थी मगर में फ़िक्र ना करूँ वो किसी से कुछ नही कहे गा. उससे सिर्फ़ अपना हिस्सा चाहिये. हन अगर हम ने उस की बात ना मानी तो वो होटेल मॅनेजर को बताय गा जो पोलीस को खबर करे गा और आगे फिर जो होगा हम सोच सकते हैं.
उस ने कहा के शराब पीना भी जुर्म है और अपनी खाला को चोदना तो उस भी बड़ा जुर्म है. मुझ से कोई जवाब ना बन पड़ा. खाला मह्नूर नशे में थीं मगर अब खौफ उनके नशे पर हावी हो रहा था और वो हालात को समझ रही थीं. मेरा दिल भी सीने में ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था.
मुझे सिर्फ़ पोलीस के आने का खौफ ही नही था. होटेल में खानदान के और लोग भी ठहरे हुए थे और अगर उन्हे पता चलता के में खाला मह्नूर को शराब पीला कर चोदना चाहता था तो किया होता? खाला मह्नूर की कितनी बदनामी होती. खालू रज्जाक किया सोचते? उनका बेटा राशिद मेरा दोस्त था. उस पर किया गुज़रती अगर उससे पता चलता के में उस की माँ की चूत मारना चाहता था?
मेरे अब्बू ने सुबह करांची पुहँचना था. उन्हे पता चलता तो किया बनता? बड़ी खाला के बेटे की शादी अलग खराब होती. मेरा दिल डूबने लगा. खाला मह्नूर ने हल्की सी लड़खड़ाई हुई आवाज़ में कुछ कहा. वसीम उनकी तरफ मुड़ा और उन्हे मुखातिब कर के बड़ी बे-बाकी से बोला के अगर वो उससे अपनी चूत मारने दें तो कोई मसला नही होगा लेकिन अगर उन्होने इनकार किया तो पोलीस ज़रूर आएगी.
खाला मह्नूर चुप रहीं मगर उनके चेहरे का रंग ज़र्द पड़ गया. उन्होने अपनी क़मीज़ अपने नंगे ऊपरी बदन पर डाली हुई थी. वसीम ने मुझ से पूछा के किया मैंने पहले कभी किसी औरत को चोदा है. मैंने कहा नही. वो बोला के औरत नशे में हो तो उससे चोदने का मज़ा नही आता.
वो खाला मह्नूर के लिये तेज़ कॉफी ले कर आता है जिससे पी कर उनका नशा कम हो जाएगा और चूत मरवाते हुए वो मज़ा दें गी भी और लेंगीं भी. उस ने अपना मोबाइल जेब में डाला और तेज़ तेज़ क़दम उठाता हुआ कमरे से निकल गया. खाला मह्नूर ने उस के जाते ही अपनी क़मीज़ ब्रा के बगैर ही पहन ली.
जब उन्होने क़मीज़ पहनने के लिये अपने हाथों को हरकत दी तो उनके मोटे मोटे मम्मे बुरी तरह हिलने लगे. लेकिन इन हालात में मेरे सर से उन्हे चोदने का भूत उतार चुका था और उनके हिलते हुए नंगे मम्मों को देख कर भी मुझे कुछ महसूस नही हुआ. उनके नशे पर भी खौफ घालिब आ रहा था.
उन्होने कहा के फवाद तुम ने ये किया कर दिया? अब किया होगा? ये कमीना तो मुझे बे-आबरू करना चाहता है. उनकी परैशानी बजा थी. अगर हम वसीम को रोकते तो वो हमें जान से भी मार सकता था या कोई और नुक़सान पुहँचा सकता था. अगर हम होटेल में मोजूद अपने रिश्त्यदारों को खबर करते तो हुमारे लिये ही मुसीबत बनती क्योंके वसीम के फोन में हुमारी तस्वीर थी.
मैंने खाला मह्नूर से अपनी हरकत की माफी माँगी. वो कुछ ना बोलीं. कुछ देर में वसीम एक बरे से मग में कॉफी ले आया जो खाला मह्नूर ने पी ली. उनका नशा कॉफी से वाक़ई कम हो गया और वो बड़ी हद तक नॉर्मल नज़र आने लगीं. वसीम ने मुझे कहा के में आज तुम्हे भी मज़े कराओंगा क्योंके तुम अपनी खाला पर गरम हो. वैसे तुम्हारी खाला है नंबर वन माल. इस कुतिया का नाम किया है?
मुझे उस की बकवास सुन कर गुस्सा तो आया मगर किया करता. मैंने कहा – मह्नूर. उस ने होठों पर ज़बान फेर कर खाला मह्नूर की तरफ देखा. वो अपना ब्रा उठा कर बाथरूम चली गईं. जब वापस आईं तो उन्होने अपना ब्रा पहन रखा था. उनके आते ही वसीम ने अपने कपड़े उतारे और अलिफ नंगा हो गया.
उस का क़द बहुत छोटा था मगर जिसम बड़ा घुटा हुआ और मज़बूत था. उस का लंड इन्तहाई मोटा था जो उस वक़्त भी आधा खड़ा हुआ निसफ दायरे की तरह उस के टट्टों पर झुका हुआ था. उस के लंड का सर छ्होटा था मगर पीछे की तरफ इन्तहाई मोटा हो जाता था.
उस की झांतों के बाल घने थे और उन के अलावा उस के जिसम पर कहीं बाल नही थे. टटटे बहुत मोटे मोटे थे जिन की वजह से उस का लंड और भी बड़ा लगता था. खाला मह्नूर वसीम के लंड को देख कर हैरान रह गईं. वो एक घरैलू औरत थीं और उन्होने इतनो मोटा लंड पहले कभी नही देखा था. मुझे यक़ीन था के अपने शौहर के अलावा उन्हे कभी किसी ने नही चोदा था.
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वसीम ने जान लिया के खाला मह्नूर उस के लंड को हैरत से देख रही हैं. उस ने अपना लंड हाथ में ले कर उससे ऊपर नीचे हरकत दी और मुस्कुरा कर खाला मह्नूर से पूछा के किया उन्हे उस का लंड पसंद आया? वो खामोश रहीं. वो फिर बोला के अब ये लंड तेरी फुद्दी मारेगा और तुझे बहुत मज़ा देगा.
खाला मह्नूर ने जल्दी से अपनी नज़रें झुका लीं. वसीम ने अपना फोन और चाक़ू बेड के साथ पड़ी हुई छोटी सी मेज़ पर रखे और मुझे भी कपड़े उतारने को कहा. मै खौफ के आलम में सेक्स का कैसे सोच सकता था. मैंने इनकार कर दिया. वो खाला मह्नूर के पास गया और उनका हाथ पकड़ कर उन्हे बेड से उठाने लगा.
उन्होने अपना हाथ छुड़ाना चाहा तो वसीम उन्हे गलीज़ गालियाँ देने लगा. कहने लगा तेरी चूत मारूं कुतिया अब शरीफ बनती है. तारे फुडे में लंड दूँ हरामजादी, कंजड़ी, बहनचोद. तेरी बहन को चोदुं अभी कुछ देर पहले तू अपने भानजे से चुदवा रही थी और अब नायक बन रही है.
इस बे-इज़्ज़ती पर खाला मह्नूर का चेहरा लाल हो गया और आँखों में बे-साख्ता आँसू आ गए. मै भी अंदर से हिल कर रह गया. उस वक़्त मुझे एहसास हुआ के में नादानी में किया गज़ब कर बैठा था. वसीम ने खाला मह्नूर को खड़ा किया और उन से लिपट गया. उस का क़द खाला मह्नूर से 2 इंच छोटा तो ज़रूर होगा.
वो उनके दिलकश चेहरे को चपड़ चपड़ चूमने लगा. उस का लंड अब पूरी तरह खड़ा हुआ था और खाला मह्नूर की चूत से नीचे उनकी रानों में घुस रहा था. मै जो थोड़ी देर पहले तक खाला मह्नूर को चोदने के लिये बे-ताब था अब खौफ और पशहाईमानी की वजह से सूब कुछ भूल चुका था. मुझे अपना दिल पसलियों में धक धक करता महसूस हो रहा था.
वसीम ने खाला मह्नूर के होठों को मुँह में ले कर चूसा तो उन्होने अपना मुँह कुछ ऐसे दूसरी तरफ फेरा जैसे उन्हे घिन आ रही हो. इस पर वसीम ने उनकी शलवार के ऊपर से ही उनकी चूत को हाथ में पकड़ लिया और कहा बाज़ आ जा तेरी फुद्दी मारूं. कुतिया अगर मुझे रोका तो तेरी इस मोटी फुद्दी के बाल नोच लूंगा.
खाला मह्नूर तक़लीफ़ में थीं जिस का मतलब था के वसीम ने वाक़ई उनकी चूत के बाल अपनी मुट्ठी में पकड़ रखे थे. उन्होने फॉरन अपना चेहरा उस की तरफ कर लिया. वसीम ने दोबारा अपने होंठ उनके होठों पर जमा दिये. उस का काला बदसूरत चेहरा खाला मह्नूर के गोरे हसीन चेहरे के साथ चिपका हुआ अजीब लग रहा था.
वसीम उनका मुँह चूमते हुए कपड़ों के ऊपर से ही उनके मोटे मम्मों को मसलने लगा. कुछ देर बाद उस ने मेरी तरफ देखा और कहा के इधर आ चूतिया मादरचोद अपनी खाला की क़मीज़ उतार और इस की बाड़ी खोल. वो ब्रा को बाड़ी कह रहा था. मैंने फिर इनकार कर दिया.
सिर्फ़ एक घंटा पहले में खाला मह्नूर के मम्मों की एक झलक देखने के लिये बे-ताब था मगर अब बिल्कुल ठंडा पड़ चुका था. मेरे इनकार पर वसीम खाला मह्नूर को छोड़ कर मेरी तरफ आया. क़रीब आ कर उस ने अचानक एक ज़ोरदार थप्पड़ मेरे मुँह पर रसीद कर दिया. मै इस के लिये तय्यार नही था.
मेरा सर घूम गया. उस ने एक और तमाचा मेरे मुँह पर लगाया. मेरा निचला होंठ थोड़ा सा फॅट गया और मुझे अपनी ज़बान पर खून का ज़ा’इक़ा महसूस हुआ. खाला मह्नूर घबरा गईं और वसीम से कहा के इससे मत मारो बस जो करना है करो और यहाँ से चले जाओ. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वसीम गुस्से में उनकी जानिब पलटा और कहा चुप तेरी बहन की चूत मारूं रंडी. अभी तो मुझे तेरी फुद्दी का पानी निकालना है. फिर मुझे देख कर कहने लगा तेरी माँ की चूत में लंड दूँ तू अब नायक बन रहा है. मै तेरी हरकतें देख चुका हूँ. तेरी माँ को अपने लंड पर बिताऊँ वो भी तेरी इस गश्ती खाला ही की तरह फिट माल होगी. चल बता किया नाम है तेरी माँ का? में चुप रहा तो उस ने एक घूँसा मेरी गर्दन पर मारा.
इस पर खाला मह्नूर बोलीं के इस की माँ का नाम यासमीन है. वसीम ने कहा के में इस की माँ को भी चोदुंगा. मैंने बे-बसी से उस की तरफ देखा तो कहने लगा के तेरी माँ यासमीन की चूत में भी ज़रूर अपनी मनी डालूँगा कुतिया के बच्चे. उस की वो फुद्दी जिस से तू निकला है तारे सामने ही मेरा ये मोटा लंड लेगी. चल जो कह रहा हूँ वो कर वरना मार मार कर हड्डियाँ तोड़ दूँगा. तेरी यासमीन का फुड़दा मारूं.
मुझे बाद में एहसास हुआ के वसीम गाली गलोच और मार पीट से मुझे और खाला मह्नूर को डरा रहा था ताके हम उस की हर बात मान लें. ये नफ्सीयाती हर्बा बड़ा कामयाब भी था क्योंके हम दोनो वाक़ई डर गए थे. उस ने फिर मुझे कपड़े उतारने को कहा. मै इल्तिज़ा-आमीज़ लहजे में बोला के मेरा दिल नही है में सेक्स नही करना चाहता.
लेकिन वो बा-ज़िद रहा के में वोही करूँ जो वो कह रहा है. मुझे डर था के कहीं वो फिर मेरी और खाला मह्नूर की और नंगी तस्वीरें ना ले ले. वो खाला मह्नूर को ले कर बेड पर चढ़ गया और उनके होठों के बोसे लेने लगा. वो भूकों की तरह उनका गदराये हुए बदन को अपने हाथों में ले ले कर टटोल रहा था.
उस ने मुझे घूर कर देखा और अपनी तरफ बुलाया. मै बेड पर चढ़ कर खाला मह्नूर के पीछे आया तो वो सीधी हो कर बैठ गईं. मैंने उनकी क़मीज़ को दोनो तरफ से ऊपर उठा कर सर से उतार दिया. उनके लंबे बाल उनकी गोरी कमर पर पड़े थे जिन के नीचे उनके ब्रा का हुक था. मैंने उनके बाल कमर पर से हटा कर ब्रा का हुक खोला और उससे उनके मम्मों से अलग कर दिया.
वसीम ने फिर कहा के में कपड़े उतारून. मैंने जवाब दिया के में सेक्स नही कर पाऊंगा वो मेहरबानी कर के मुझे कुछ ना कहे. वो ज़ोर से हंसा और कहा जा मादरचोद नमार्द तू भला किया किसी औरत को चोदेगा. चल जा वहाँ बैठ और देख में तेरी खाला को कैसे चोदता हूँ. मै सख़्त शर्मिंदगी के आलम में बेड से उतरा और सामने पड़ी हुई एक कुर्सी पर जा बैठा.
वसीम खाला मह्नूर के मोटे मोटे नंगे मम्मों पर टूट पड़ा. उस ने उनका एक मम्मा हाथ में पकड़ कर मुँह में लिया और उससे ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. कमरे में लपर लपर की आवाजें गूंजने लगीं. खाला मह्नूर होंठ भींच कर नाक से तेज़ तेज़ साँस लेने लगीं. उनका चेहरा सुर्ख हो गया. मम्मे चुसवाने से वो गरम हो गई थीं.
उनके भारी मम्मे चूसते चूसते वसीम की साँस भी उखड़ गई मगर वो उनके मम्मों से चिपका ही रहा उन्हे चूसने के दोरान उन्हे मसलता रहा. उस ने खाला मह्नूर को कहा के वो उस के लंड पर हाथ फेरें. उन्होने उस का लंड हाथ में लिया और अपने मम्मे चुस्वाते हुए उस पर हाथ फेरने लगीं. उनकी हालत अब और ज़ियादा खराब हो गई थी. मै ये सब कुछ देख रहा था.
वसीम ने कहला मह्नूर के दोनो मम्मों को चूस चूस कर बिल्कुल गीला कर दिया था. फिर उस ने खाला मह्नूर को शलवार उतारने को कहा. उन्होने अपनी शलवार का नाड़ा खोला और उसे उतार दिया. मुझे उनकी चूत नज़र आई जिस पर हल्के सियाह बाल थे. वसीम ने उनकी नंगी चूत पर अपना हाथ फेरा.
कई दफ़ा उनकी चूत को सहलाने के बाद उस ने उन्हे बेड की तरफ धकेल दिया. जब वो बेड पर लेट गईं तो वसीम उन से फिर लिपट गया और उनके पूरे बदन पर हाथ फेरने लगा. उस ने उनकी कमर, चूतड़ों, पेट और रानों को मुठियों में भर भर कर टटोला. फिर उनकी मज़बूत टांगें खोल कर उनकी चूत पर अपना मुँह रख दिया.
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मैंने देखा के वो अपनी ज़बान खाला मह्नूर की चूत पर फेर रहा था. उस ने दोनो हाथ नीचे कर के उनके चूतड़ों को पकड़ लिया और उनकी चूत चाटने लगा. खाला मह्नूर क़ाबू से बाहर हो रही थीं और उनके मोटे चूतड़ बार बार अकड़ जाते थे. वो वसीम के जिसम को हाथ नही लगाना चाहती थीं इसलिये उन्होने अपने हाथ सर से पीछे बेड पर रखे हुए थे.
वसीम ने उनकी चूत से मुँह उठाया और कहा के तेरा भोसड़ा मारूं अभी ना खलास हो जाना मेरा लंड अपनी चूत में ले कर खलास होना. खाला मह्नूर शर्मिंदा सी हो गईं. वो ये छुपाना चाहती थीं के अपनी चूत पर वसीम की फिरती हुई ज़बान उन्हे मज़ा दे रही थी. मगर वो इंसान थीं और मज़ा तो उन्हे बहरहाल आ रहा था.
इसी तरह कुछ देर उनकी चूत चाटने के बाद वसीम सीधा लेट गया और खाला मह्नूर से कहा के वो उस का लंड चूसें. उस का मोटा लंड किसी डंडे की तरह सीधा खड़ा हुआ था. खाला मह्नूर ने कहा के वो लंड चूसना नही जानतीं. वसीम हंस कर बोला के ये कौन सा मुश्किल काम है तुझ जैसी औरतें तो होती ही चुदवाने के लिये हैं. तुझे तो कोई मसला नही होना चाहिये लंड चूसने में.
उसने उनके हाथ की बड़ी उंगली अपने मुँह में डाली और उससे चूस कर उन्हे लंड चूसने का तरीक़ा बताया. फिर अपना लंड उनके मुँह की तरफ बढ़ा दिया. खाला मह्नूर ने झुक कर उस का लंड अपने मुँह में ले लिया और उससे चूसने लगीं. उन्हे इतने मोटे लंड को मुँह के अंदर कर के चूसने में दुश्वारी हो रही थी.
उनके दाँत वसीम के लंड को चुभ रहे थे जिस पर उस ने उन्हे कहा वो उस के लंड पर ज़बान फेरें दाँत ना मारें. वो उस का लंड चूसती रहीं. लेकिन जब दोबारा खाला मह्नूर ने उस के लंड को दाँत लगये तो उस ने नीचे से उनका एक मम्मा हाथ में पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया. खाला मह्नूर ने तेज़ सिसकी ली.
वसीम ने कहा के अगर तू मेरे लंड को दुखायेगी तो में तेरे मम्मे को दुखाओंगा. इस के बाद हैरत-अंगैज़ तौर पर खाला मह्नूर वसीम का लंड बड़ी एहतियात और सलीक़े से चूसने लगीं. वसीम ने अपनी टांगें फैला दीं और वो उस के लंड को हाथ में ले कर चूसती रहीं. मुझे उनके मोटे सेहतमंद मम्मे दिखाई दे रहे थे जिन्हे वसीम मुसलसल मसल रहा था.
देर तक यही सिलसिला चलता रहा. फिर वसीम ने खाला मह्नूर को कमर के बल लिटा दिया और खुद ऊपर आ कर अपना लंड हाथ में ले कर उनकी मोटी चूत के अंदर डालने लगा. मेरे दिल की धडकनें तेज़ हो गई. जब वसीम के लंड का अगला हिस्सा खाला मह्नूर की चूत में घुसा तो उनके मुँह से एक तेज़ सिसकारी निकली.
वसीम ने कहा के तेरी चूत तो बड़ी टाइट है बेहेंचोद और उनके होठों पर अपना मुँह रख दिया. कुछ लम्हो तक वो इसी हालत में अपने जिसम की बॅलेन्स करता रहा रहा और फिर अचानक उनकी चूत में पूरी ताक़त से घस्सा मारा. उस का अकड़ा और फूला हुआ लंड खाला मह्नूर की चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया.
खाला मह्नूर ने ज़ोर से आऐईई… कहा और उनका पूरा बदन ज़ोर से लरज़ कर रह गया. अब उस ने फॉरन ही तावातूर के साथ उनकी चूत में घस्से मारने शुरू किये. कुछ ही देर बाद वो खाला मह्नूर को बड़ी महारत से चोदने लगा. उस के मोटे लंड ने खाला मह्नूर की चूत को फैला दिया था और जब भी घस्सों के दोरान वो अपना लंड उनके अंदर करता तो उनकी चूत जैसे चिर जाती.
हर घस्से के साथ वसीम के भारी टट्टे उनकी गांड़ के सुराख से टकराते. खाला मह्नूर की टांगें वसीम की कमर के दोनो तरफ थीं और उनके पांव मेरी जानिब थे. उनकी चूत से पानी निकल रहा था और उस के आस पास का सारा हिस्सा अच्छा ख़ासा गीला हो चुका था. चूत देते हुए उन के मुँह से मुसलसल ऊऊऊं… ऊओनह… ऊऊन्न्नह की आवाजें निकल रही थीं.
उनकी आँखें बंद थीं. खाला मह्नूर की चूत में बड़े ज़ोरदार और ताबड़ तोड़ घस्से मारते हुए वसीम ने अपने दोनो हाथों में उनके हिलते हुए मम्मे दबोच लिये और अपने घस्सों की रफ़्तार और भी बढ़ा दी. खाला मह्नूर ने अपनी आँखें खोल कर वसीम की तरफ अजीब तरह की हैरानगी से देखा. उनका मुँह लाल सुर्ख हो रहा था.
अचानक खाला मह्नूर ने अच्छी ख़ासी तेज़ आवाज़ में आऊओ… आअहह… आऊ…. आआहह… आऊ… आआहह की करना शुरू कर दिया. लगता था जैसे वो अपने आप को ऐसा करने से रोक ना पा रही थीं. वो अपने भारी चूतड़ों को ऊपर उठा कर वसीम के घस्सों का जवाब देने लगी थीं और उनके मोटे ताज़े चूतड़ों की हरकत में तेज़ी आती जा रही थी.
वसीम समझ गया के खाला मह्नूर खलास होने वाली हैं. वो उन्हे चोदते हुए कहता रहा के चल अब निकाल अपनी चूत का पानी मेरी जान शाबाश निकाल… हाँ हाँ… चल मेरी कुतिया खलास हो जा… तेरा फुदा मारूं… ये ले… ये ले. कोई एक मिनिट बाद खाला मह्नूर के बदन को ज़बरदस्त झटके लगने लगे और वो खलास हो गईं.
मुझे नीचे से उनकी चूत में घुसा हुआ वसीम का लंड दिखाई दे रहा था. जब वो छूटने लगीं तो उनकी चूत से और ज़ियादा गाढ़ा पानी निकला जो उनकी गांड़ के सुराख ती तरफ बहने लगा. खाला मह्नूर ने अपना मुँह सख्ती से बंद कर लिया और उनका बदन ऐंठ गया. मै समझ गया के खलास हो कर उन्हे बहुत मज़ा आया था.
खाला मह्नूर के खलास हो जाने के बाद भी वसीम इसी तरह उनकी चूत में घस्से मारता रहा. अभी कुछ ही देर गुज़री थी के खाला मह्नूर ने बेड की चादर को अपनी दोनो मुठियों में पकड़ लिया और फिर निहायत तेज़ी से अपने चूतड़ों को ऊपर नीचे हरकत देने लगीं.
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ये देख कर वसीम ने उनकी चूत में अपने घस्सों की रफ़्तार कम कर दी. जब उस ने घस्से मारना तक़रीबन रोक ही दिये तो खाला मह्नूर खुद नीचे से काफ़ी ज़ोरदार घस्से मारने लगीं. वो एक बार फिर खलास हो रही थीं और चाहती थीं के वसीम उनकी चूत में घस्से मारना बंद ना करे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वो बिल्कुल पागलों की तरह वसीम के लंड पर अपनी चूत को आगे पीछे कर रही थीं. वसीम ने अब उनका मम्मा हाथ में ले लिया. उन्होने अपना एक हाथ वसीम के उसी हाथ पर रखा जिस में उनका मम्मा दबा हुआ था और दूसरा हाथ अपने पेट पर ले आईं. फिर उनके बदन ने तीन चार झटके लिये और वो दोबारा खलास होने लगीं.
चंद सेकेंड तक वो इसी हालत में रहीं. वसीम ने उनके मम्मे पर ज़बान फेरी और पूछा के किया उन्हे चुदने का मज़ा आया. खाला मह्नूर की साँसें बे-रब्त और उखड़ी हुई थीं. वो चुप रहीं. वसीम ने एक झटके से अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाल लिया.
मैंने देखा के खाला मह्नूर की चूत से निकालने वाला गाढ़ा पानी उस के सारे लंड पर लगा हुआ था और वो रोशनी में चमक रहा था. फिर वो बेड पर लेट गया और खाला मह्नूर को अपने लंड के ऊपर बैठने को कहा. खाला मह्नूर अपने मोटे मम्मे हिलाते हुए बेड से उतर गईं.
उन्होने वसीम के लंड को हाथ में पकड़ा और उस पर बैठने लगीं तो उनकी नज़रें मुझ से मिलीं. मैंने महसूस किया के ये नज़रें पहली वाली खाला मह्नूर की नही थीं. आज के वहशत-नाक तजरबे ने मेरे और उनके दरमियाँ एक नया ता’अलूक़ कायम कर दिया था. शायद अब हम भी पहले वाले खाला भानजे नही बन सकते थे.
खैर खाला मह्नूर ने वसीम के लंड पर अपनी फुद्दी रख दी और उस का लंड अपने अंदर ले लिया. उस ने खाला मह्नूर को कमर से पकड़ कर अपने ऊपर झुकाया और अपनी मज़बूत रानों को उठा उठा कर उनकी फुद्दी में घस्से मारने लगा. खाला मह्नूर की मोटी और चौड़ी गांड़ अब मेरी तरफ थी.
वसीम की रानें बड़ी वर्ज़िशी और ताक़तवर थीं और वो खाला मह्नूर की चूत में नीचे से भरपूर घस्से मार रहा था. फिर उस ने उनके मोटे और भारी चूतड़ों को दोनो हाथों से गिरफ्त में ले लिया और उन्हे पूरी तरह क़ाबू कर के चोदने लगा. उस के हलक़ से अजीब आवाजें निकल रही थीं. खाला मह्नूर बड़ी खूबसूरत औरत थीं.
मुझे यक़ीन था के वसीम जैसे आदमी ने कभी उन जैसी किसी औरत को नही चोदा होगा. उस के चेहरे के नाक़ूश बिगड़ गए थे. वो अब शायद छूटने वाला था. उस ने खाला मह्नूर को अपने लंड से नीचे उतारा और दोबारा उन्हे कमर के बाल लिटा कर उनकी चूत में अपना लंड घुसा दिया.
अब उस के घस्से बहुत तेज़ थे और वो बड़ी बे-रहमी से उनकी चूत ले रहा था. हर घस्से के साथ उस के चूतड़ों के पाट अकड़ते और फैलते थे. उस ने खाला मह्नूर के मम्मों में अपना मुँह दे दिया और उस का लंड तेज़ी से उनकी चूत के अंदर बाहर होने लगा. कोई एक मिनिट के बाद वसीम किसी पागल भैंसे की तरह डकराने लगा और उस ने खाला मह्नूर की चूत में खलास होना शुरू कर दिया.
इस दफ़ा खाला मह्नूर उस के घस्सों का जवाब नही दे रही थीं मगर जब उस की मनी उनकी चूत के अंदर जाने लगी तो शायद वो खुद पर कंट्रोल ना रख सकीं और फिर उस का साथ देनें लगीं. वसीम ने अपनी सारी मनी उनकी चूत के अंदर छोड़ दी. मुझे उनके चूतड़ों की हरकत से लगा के खाला मह्नूर भी एक दफ़ा फिर खलास हुई थीं.
थोड़ी देर बाद वो खाला मह्नूर के ऊपर से हटा और बेड से उतार आया. खाला मह्नूर ने जल्दी से अपने कपड़े उठाये और बाथरूम की जानिब चल पड़ीं. उनका ब्रेसियर वहीं बेड पर रह गया. वसीम ने उनका ब्रा उठाया और उस से अपने लंड को जिस पर खाला मह्नूर की चूत का पानी और उस की अपनी मनी लगी हुई थी साफ़ किया.
फिर ब्रा उनकी तरफ फैंक दिया लेकिन वो रुकी नहीं और बाथरूम में चली गईं. मेरा खून खोल गया. वसीम भी कपड़े पहन’ने लगा. कुछ देर बाद खाला मह्नूर ने बाथरूम से बाहर आ कर अपना ब्रा एक चुटकी में उठा कर साइड पर रख दिया. वसीम ने हंस कर उन से कहा के अभी तो तुम्हारी चूत ने मेरे लंड की सारी मनी पी है और अब तुम नखरे कर रही हो.
फिर मेरी तरफ देख कर कहने लगा के यार तुम्हारी खाला को चोद कर बड़ा मज़ा आया. तुम ठीक इस कुतिया पर गरम थे क्योंके ये तो माल ही चोदने वाला है. अब बताओ के तुम लोग कब तक यहाँ हो? में बेवकूफों की तरह खड़ा उस की बातें सुन रहा था. लेकिन मेरे ज़हन में चूँके खाला मह्नूर की ज़बरदस्त चुदाई और उनकी बे-इज़ती के मंज़र घूम रहे थे इस लिये में उससे फॉरन कोई जवाब नही दे सका.
इस पर वो बोला के मुँह से कुछ फूटो ना गांडू तुम्हारी माँ को चोदुं चूतियों की तरह चुप क्यों खड़े हो. मैंने कहा हम कल वापस चले जायेंगे. वो बोला के में तुम्हारी माँ यासमीन से मिलना चाहता हूँ कैसे मिलवओ गे? उस की तो गांड़ भी मार कर दिखाओं गा तुम्हे. मज़े करवा सकता हूँ तुम्हे अगर तुम अपनी माँ के दल्ले बनना क़बूल करो.
में पिछले 2 घंटे से ज़िल्लत बर्दाश्त कर रहा था. वसीम की मार पीट, गालियों और तंज़िया बातों ने मुझे इंताहै मुश्ता’इल कर दिया था. मेरे सामने उस ने खाला मह्नूर की चूत ज़बरदस्ती ली थी और अब अम्मी को चोदने की बात कर रहा था. उन के बारे में उस का ये जुमला सुन कर में होश-ओ-हवास खो बैठा और मेरे खौफ पर गुस्सा घालिब आ गया.
मैंने आओ देखा ना ताओ सामने मेज़ पर पारा हुआ शीशे का जग उठाया और पूरी ताक़त से उस के मनहूस सर पर दे मारा. जग का निचला मोटा हिस्सा वसीम के सर से टकराया और धाब की तेज़ आवाज़ निकली. खाला मह्नूर के मुँह से हल्की सी चीख निकल गई. वसीम किसी मुर्दा छिपकली की तरह फ़रश पर गिरा और उस के सर से खून बहने लगा.
मैंने फॉरन उस का मोबाइल फोन और चाक़ू उठाये और फिर उस के मुँह पर एक ज़ोरदार लात रसीद की. वसीम के मुँह से गूं गूं की आवाज़ बरामद हुई और उस ने अपना सर अपने सीने पर झुका लिया. मैंने चाक़ू खोला तो खाला मह्नूर ने मुझे रोक दिया और कहा के इस कुत्ते को यहाँ से दफ़ा हो जाने दो.
उन्होने वसीम से कहा के वो चला जाए वरना में उसे मार डालूंगा. वो मुझ से कहीं ज़ियादा ताक़तवर था लेकिन शायद सर की चोट ने उससे हवास-बाख्ता कर दिया था. मेरे हाथ में चाक़ू और आँखों में खून उतरा देख कर उस ने इसी में आफियत जानी के वहाँ से चला जाए.
वो करहता हुआ उठा और अपने सर के ज़ख़्म पर हाथ रख कर कमरे से निकल गया. मैंने उस के मोबाइल से अपनी और खाला मह्नूर की तस्वीर डिलीट की और फिर उस की सिम निकाल ली. अब वो हरामी हमें ब्लॅकमेल नही कर सकता था. मुझे अफ़सोस हुआ के मैंने खाला मह्नूर के चुदने से पहले ही ये हिम्मत क्यों ना कर की. लेकिन वो खुश थीं.
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उन्होने मुझे शाबाश दी और कहा के मैंने बड़ी बहादुरी दिखाई. मैंने कहा के ये सब कुछ मेरी वजह से ही हुआ है जिस के लिये में बहुत शर्मिंदा हूँ. वो कहने लगीं के बस अब किसी को इस बात का पता ना चले और जो हुआ वो सिर्फ़ हम दोनो तक ही रहना चाहिये. मैंने कहा में पागल तो नही हूँ जो किसी को कुछ बताओंगा. उन्होने जल्दी जल्दी कमरे के क़ालीन पर गिरा हुआ वसीम का खून अच्छी तरह धो कर साफ़ कर दिया और दोबारा बाथरूम में चली गईं. मै हैरान था के मैंने उनके साथ इतनी बुरी हरकत की जिस का नतीजा बड़ा खौफनाक निकला था मगर उन्होने मुझे कुछ नही कहा.
मैंने बाहर निकल कर इधर उधर नज़र दौड़ाई लेकिन वसीम का कोई पता नही था. मै वापस कमरे में आ गया. जब खाला मह्नूर बाथरूम से निकल आईं तो हम सोने के लिये लेट गए. सुबह मैंने होटेल के रिसेप्शनिस्ट से पूछा के मुझ से रात को होटेल का एक छोटे से क़द का मुलाज़िम दवा लाने के लिये पैसे ले गया था मगर वापस नही आया. उस ने मेज़रात की और बताया के उस का नाम वसीम था और वो रात को काम छोड़ कर भाग गया. था तो वो पिंडी का मगर सारी उमर कराची में रहा था. शायद वहीं चला गया हो. मैंने सुख का साँस लिया.