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देवर की सेक्सी ख्वाहिशें पूरी की भाभी ने 2

जुलाई 27, 2024 by hamari

Bhabhi Hot Bur

नमस्कार दोस्तों, मैं पंकज आप सभी का फिर से स्वागत करता हूँ. दोस्तों आपने मेरी कहानी का पिछला भाग देवर की सेक्सी ख्वाहिशें पूरी की भाभी ने 1 पढ़ा होगा. जिसमे आपने पढ़ा की कैसे मैं अपनी भाभी के हुस्न का दीवाना बन गया था, और भाभी के साथ सेक्स चैट करने लगा, और भाभी ने भी मेरी जरुरत समझते हुए मुझे अपने चुदाई का लाइव शो दिखाया था. और हम एक जगह कार से जा रहे थे, अब आगे- Bhabhi Hot Bur

हमारा रास्ता कुछ १ घंटे का था, चुपचाप बैठे थे की मैंने पूछा…

मैं: क्या तेरा शादी से पहले कोई चक्कर था क्या?

भाभी: क्यों? क्या बकवास करते हो? ऐसा क्यों सोचते हो? में थोड़ी घुलमिल क्या गई तुम तो बस मेरे केरेक्टर पर सोचने लगे?

मैं: अरे अरे आप तो गुस्सा हो गई…

(इतना गुस्सा तो भाभी पहले पहले जब घूरता था तब भी नहीं हुआ था, ये प्रमाण था के भाभी का कोई राज़ नहीं है.)

भाभी: नहीं में बिलकुल ऐसी नहीं हूँ… (वो रोने लगती है) आज कल के नौजवानो का यही प्रॉब्लम है, लड़की मोर्डन ही दिखनी चाहिए, जैसे मोर्डन बने के उसके केरेक्टर पर सवाल… जब देखने में मजा आने लगे तो बस एक ही बात के कुछ् तो गुल खिला रही है…

मैं: अरे अरे आई एम् सॉरी भाभी… में बिलकुल आपको दुखी नहीं करना चाहता…

भाभी: तू मुझे घूरता था तो मुझे बिलकुल पसंद नहीं था… मैंने तेरे भैया को भी बता दिया था… पर फिर मैं आज़ाद खयालो की लड़की हूँ… मैंने देखा के तेरे भैया भी मेरी कज़िन सिस्टर्स के साथ कभी कबार मजाक मस्ती कर लेते है… उनका भी मन साफ़ है… पर कहते है न साली आधी घरवाली… तेरे भैया भी कभी मुझे धोका नहीं दिया या नहीं देंगे वो विश्वास है मुझे…

पर तब मैंने ये सोचा के चलो ठीक है… साली आधी घरवाली… तो देवर भी आधा घरवाला… तो मैंने थोड़ी छूट ले ली… हालांकि ये बात अलग है.. की मैं थोड़ी और फ्रैंक हो गई… हमारे हसीं अंगत पले मैंने तुजसे शेयर किए… अब तो मुझे उसमे भी अपराध भाव नजर आ रहा है… की मैंने गलत किया….

मैं: अरे भाभी बस… बस प्लीज़… मैं तो बस अरे आप कहो वो माफ़ी मांगने के लिए तैयार हूँ… तू गर्लफ्रेंड है मेरी… मैं तुजे दुखी नहिं देखना चाहती… प्लीज़ प्लीज़ मत रोइए… वैसे १० आउट ऑफ़ १० ज़रूर थी आप… (मैंने बात बदल ने की कोशिश की.)

भाभी: (थोडा गुस्सा शांत तो हुआ पर थोडा शरमाई) पर तूने तो फिर भी गलती निकाली… हुह…

मैं: अरे एक ही तो गलती निकाली थी वो के टॉवल पहन के आना था…

भाभी: नहीं… गोटे मुह में लेना?

मैं: हा हा हा हा… वो तो सब सजेशन थे…

भाभी: ह्म्म्म्म, तू कभी अपने भाई को बोलेगा नहीं न?

मैं: भाभी तू मेरा पहला प्यार है.. मैं तुजसे प्यार करता हूँ… मैं कैसे और क्यों किसी को बताऊ? क्योकि ये सब बंध हो जायेगा मेरा… मैं भला अपने पैर पे कुल्हाड़ी क्यों मारूँ?

भाभी: ह्म्म्म… प्यार?

मैं: हा प्यार… मैं प्यार कर बैठा हूँ तुज से… हम दोनों एक उम्र के ही तो है… तू खूबसूरत भी है और सर्वगुण संपन्न भी है… और कल के बाद तो मेरी इच्छाए और बढ़ गई है…

भाभी: स्टॉप… यही पर स्टॉप हो जाओ… आगे की मत सोचना… ओके? (वो शरमाई)

मैं: तो शरम क्यों आ रही है…? क्या मैं नौजवान नहीं हूँ? खूबसूरत नहीं हूँ?

भाभी: पंकज, प्लीज़ स्टॉप…

मैं: क्यों? क्या प्रॉब्लम है… मैं अपने दिल की बात बता रहा हूँ…

भाभी: मुझसे बरदास्त नहीं होता…

मैं: क्यों?

भाभी: पंकज प्लीज़ ये सब गलत है…

मैं: प्रतिभा कुछ भी गलत नहीं है… हम दोनों जवान है… ये सब स्वाभाविक है…

भाभी: मैं तेरे भैया को धोका दे पाउ उतनी मोर्डन नहीं हूँ… तू प्लीज़ बाते चेंज कर…

मैं: भैया को कहा धोका देना है इसमें? धोका वो है जिसमे पकड़े जाओ…

भाभी: तो तू नहीं मानेगा, बाते बंध कर वरना मुझसे वो बाते निकल जायेगी जो मैं दबा रखी है…

मैं: तो में तेरा बॉयफ्रेंड हूँ… मुझे तो तू बोल ही सकती है… प्लीज़ बताना… मेरा हक्क है जानने की…

भाभी: प्लीज़… पंकज प्लीज़…

मैं: बोल प्लीज़ वरना मैं गाडी रोक दूंगा…

भाभी: प्लीज़ पंकज हाथ जोड़ती हूँ… मैं… प्लीज़ ये… आई लव यु….

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(मैं ये जान गया था… कैसे? याद है? ब्रा पेंटी भाभी की? वो मैंने वही छोड़ दिया था? आज सुबह मुझे वो हाथ लगी थी पर उसमे मेरे वीर्य के दाग अभी भी थे… वो संभाल के रख्खे थे, धोये नहीं थे.)

सन्नाटा तो गाड़ी मैं छा गया था… कोई एक भी कुछ बोल नहीं रहा था…

भाभी: प्लीज़ मुझे गलत मत समजना… मैं बहक गई थी… मैं गर्ल्स स्कुल में ही पड़ी हूँ… लडको के साथ मैं उस टाइम पर भी एक डिस्टन्स बनाये रख्खी थी… पर जब शादी के बाद तेरे भैया मिले, क्या सुख होता है वो जाना… पर धीरे धीरे पूरा दिन तेरे साथ रहने लगी…

अकेले होते थे… तू मुझे तिरछी नज़र से देखता था… फ्लर्टिंग क्या होता है जाना… मेरी तारीफ करना, मेरे आगे पीछे घूमना… वो अच्छा लगने लगा था… भैया को कंप्लेंट इसलिए की थी ताके मैं अपने आप पर नजर रख सकु और कुछ गलत न कर जाउ… पर वही हुआ जो मुझे डर था… मैं… और…

मैंने उसे पूरा बोलने दिया… रोका नहीं… पर अब शायद पुरे ५ मिनिट तक कोई नहीं बोला…

भाभी: मुझे गलत मत समजना पंकज… पर…

मैं: भाभी मैं भी मोर्डन ही हूँ… मैं भी इसी दौर से गुज़र रहा हूँ… मुझे भी तो कोई अपना चाहिए… जो मुझे अपना माने… माँ के बाद आप ही थे… मैं भी जब आपके आसपास घूमता था.. आपकी खुशबु मुझे।मदहोश कर देती थी… माँ मानने की कोशिश करता था… पर आप की खूबसूरती आपकी घर के प्रति निष्ठा के कारन मैं अपने आप से हार गया… और प्यार कर बैठा… तो नार्मल है… मुझे नहीं लगता के कुछ गलत है…

काफी कुछ गंभीर बाते हो गई… हम अब और करीब आ गए थे… हम एक दूसरे को प्यार कर रहे थे… ये हम दोनों जानते थे…

मैं: तो आज से हम सिर्फ गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड नहीं पर एक लवर्स की तरह रहेंगे… हैन?

भाभी: (शरम के मारे पानी पानी हो गई) पर…

मैं: अरे पर पर कुछ नहीं… छोडो सब… मेरी लवर हो बोलो क्या क्या ख्वाहिशे है… पूरी किये देता हूँ…

भाभी: तेरे भैया को पता चला तो?

मैं: ह्म्म्म्म कौन बताएगा? आप?

भाभी: ह्म्म्म वो भी तो है….. पंकज कुछ गलत नहीं हो रहा है न?

मैं: बार बार क्यों पूछ रही हो? गलत अभी तक कुछ हुआ तो भी नहीं… कुछ गलत करने का इरादा है क्या?

हम दोनों हस पड़े और अब हम रिश्तेदार के घर के करीब पहोच गए थे… हम पहोंचे और मैं भाभी को घर के बहार ही छोड़ के पार्किंग ढूंढ रहा था… के भाभी मेरे पीछे पीछे आई, गाडी का दरवाजा खोला और बोली…

भाभी: पता नहीं क्यों… मैं तेरे भाई से प्यार करती जरूर हूँ… पर वो प्यार उनके प्यार से जन्मा था… पर ये प्यार मैं तुजे करती हूँ… आई लव यु…

मैं: आई लव यू टू प्रतिभा… अब जाओ बाद में बाते करेंगे….

मैं पार्किंग करते समय सोच रहा था… के भाभी का पहला प्यार मैं हूँ… ये गर्व की बात है.. अगर भैया से प्यार बाद में हुआ था फिर भी उसे सब मिला… तो मेरे लिए भाभी क्या क्या नहीं करेंगी? और क्या क्या मिल सकता है??? मेरा दिल और दिमाग के साथ साथ लंड भी उछलने लगा था…

उस दिन वो प्रसंग में भाभी ने मेरा खूब खयाल रख्खा… मेरी और उनकी नज़रे काफी बार मिली थी एकदूसरे से… और आँखों आँखों से बाते करने लगे थे… मेसेज मैं एकदूसरे से प्यारी प्यारी बाते कर रहे थे, मैं भाभी को चेलेंज कर रहा था… उसे उकसा रहा था… कुछ अंश बताता हूँ…

मैं: तू कुछ भी कर ले… गलत हो के ही रहेगा… हा हा हा हा…

भाभी: मैं होने नहीं दूंगी… मैं भी देखती हूँ…

मैं: अपने पहले ही प्यार को यूँ कुछ नहीं देगी?

भाभी: पंकज प्लीज़… मैं और कुछ नहीं दूँगी… इमोशनल ब्लैकमेल मत कर…

मैं: चल अब पल्लू गिरा के थोडा मज़ा तो दिला…

भाभी: बेशरम… तू पागल है क्या?

मैं: क्यों तू तो मोर्डन है… मुझे प्यार भी करती है… तो इतना नहीं कर सकती अपने प्यार के लिये?

भाभी: यहाँ सब देख लेंगे बाकी तूने मुझे नंगा देख ही लिया है… और कुछ भी देख लिया है…

मैं: क्या?

भाभी: सेक्स करते…

मैं: चुदते…

भाभी: पंकज प्लीज़… बिहेव…

मैं: लवर है मेरी तू… तुजसे कैसे बिहेव करू? तुजसे बिहेव? हा हा हा…

भाभी: नाव शट अप…

मैं: तू कुछ दिखाने वाली थी…

भाभी: यहाँ सब देख लेंगे… गाडी में…

मैं: गाडी में तो मैं और कुछ भी करूँगा… अभी पल्लू गिरा… ये नार्मल है गिर सकता है…

भाभी फटाक से खड़े हुए और कुछ इस तरह से नज़ारा देखने को मिला… काश हम दो ही होते इस भरी महफ़िल में… और तुरंत ही अपना पल्लू ठीक करके जाने कुछ उसका भी ध्यान नहीं है ऐसा दिखाके अपने काम पर लग गई… वो भी मज़ाक करने में कम नहीं थी… आखिर पहला प्यार था मैं उनका… ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

भाभी: देवर जी लगता है, के तुम्हे बाथरूम चले जाना चाइए…

मैं: अरे अब तो ये ठंडा कही और जाके ही हो सकता है… बाथरूम पर वेस्ट नहीं करना चाहता… कितना कीमती है पता है…

भाभी: हा मेरे लिए तो है… मैंने तो संभाल के रखा है… अभी तक…

मैं: क्या?

भाभी: वही जो मैंने तुजे गिफ्ट किया था… और तूने रिटर्न गिफ्ट दिया था…

मैं: पर वो वही वेस्ट हो गया… कही और जाना था…

भाभी: वो तो तुजे नहीं मिलेगा… बाते तक ही सिमित रख…

मैं: चलो द्वखते है… कितना समय आप अपने आप को रोक पाते हो… वैसे आपके पहले प्यार के लंड की साइज़ १०” है… ३ इंच मोटा भी…

भाभी: हाय दय्या… इतना?

मैं: हा… नसीब वाली हो…

भाभी: नहीं नहीं… पर वो सब कुछ नहीं… मैं सिर्फ प्यार करती हूँ… ये जिस्मानी नहीं…

मैं: जिस्म अगर नहीं मिलेगे तो प्यार कहा से रहेगा… मानो या ना मानो पर प्यार बरक़रार रखने के लिए जिस्म एक होना जरुरी है… भैया को मना कर के देखो… फिर देखो कितना प्यार करते है…

भाभी: तुजे जितना मुश्किल है…

मैं: आपका पहला प्यार हु… ऐसा वैसा थोड़ी होगा?

भाभी: चल अब ज्यादा फोन पर लगे रहेंगे और दोनों… तो फिर किसी को शक हो जायेगा… गाडी में बाते करेंगे…

मैं: ठीक है डार्लिंग…

भाभी: हा हा हा… बाय.

जैसे तैसे एक दूसरे को तके हुए हमने अपने आप को संभाले वो प्रसंग पूरा किया… दोनों के मन में कार मैं क्या होगा वो अजीब सी और अलग सी फिलिंग्स थी… भाभी का तो ये जैसे भी हो दूसरी बार का था… पर मेरे लिए तो जो भी था पहेली बार था… एक औरत आज मुझे प्यार कर रही थी, वो समाज के बंधनो से जकड़ी हुई थी… क्या अजीब बंधन था… और क्या बंधन होने जा रहा था…

अनजान मैं एक अजीब सी फिलिंग मन में भर के पार्किंग की और गाडी लेने चला गया… मेरी साँसे और धक् धक् कर रही थी… शायद भाभी का वहा मेरी राह देखे वही होना चाहिए… मैं मन ही मन मान रहा था… मैं गाडी पार्किंग से लेकर जैसे ही दरवाजे पर आया भाभी ने खोला ही होगा के भैया का फोन आया मुज पर…

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भैया: अरे छोटे… तेरी भाभी किधर है…

मैं: यही है क्यों? हम निकल ही रहे है… १ घंटे में पहोच जायेगे… (मेरा मन टूट रहा था)

भैया: ठीक है जल्दी आना… मैं घर पे इंतज़ार कर रहा हूँ…

मैं: ओके भैया…

फोन रखा तब तक भाभी गाडी में बैठ चुकी थी और हमे सुन रही थी…

भाभी: शीट… तेरे भैया के ६ मिसकॉल है…

मैं: ह्म्म्म तभी तो मुझे कोल आया…

भाभी: तो चलो जल्दी घर अब…

मैं: हम्म चलते है… पर तूने फोन कैप नहीं उठाया?

भाभी: अरे तू मेसेज पे मेसेज करे जा रहा था तो मैंने साइलेंट किया था…

मैं: ह्म्म्म चले?

भाभी: (धीमी आवाज़ से) पहोचना ही पड़ेगा ना..?

मैं: पंचर भी तो पड़ सकता है…

भाभी: ह्म्म्म पर वो सब मेइन हाइवे पर ही हो सकता है न?

हम दोनों एकदूसरे को वासना भरी आँखों से देख रहे थे… आँखे पलकाये बिना देखे जा रहे थे…

भाभी: यहाँ से जब तक चलोगे नहीं पंचर भी कैसे पड़ेगा?

मैं: हा हा हा सही बात है….

मैंने गाडी स्टार्ट की, मेरा दिल ज़ोरो से धड़क रहा था… गाड़ी हाइवे पर सिर्फ १० मिनिट में पहोच जाती है… पर मेरे लिए १० घंटे समान हो रहा था… वहा मैं रुकना चाहता था… पर मेरे हाथ रुक नहीं रहे थे… मैं भाभी की और देखने की कोशिश कर तो रहा था…

पर… जो चाहिए था वो मुझे मिलने वाला था शायद, उसके लिए मैं इतना एक्साइट हो रहा था के कुछ समज नहीं आ रहा था… क्या करूँ? रूकू? या कल कॉलेज में और एक बंक मार के पूरा दिन घर पे रहूँ? मैं ये पहला मिलन यादगार बनाना चाहता था… हर कोई चाहेगा… मैं भी चाहता था… क्या करू…?

भाभी: पंकज?

मैं: हम? कल घर पे? मेरी फटी पड़ी है…

हम दोनों हँसने लगे…

भाभी: जैसी इच्छा, वरना यहाँ इन सुमसाम वीराने में कोई है नहीं…

मैं: आर यू स्योर?

भाभी: तुजे क्या पसंद है…?

मेरा हाथ गाड़ी के गियर पर था… भाभी ने हलके से छुआ और मेरी इच्छा पूछी थी… मेरी धड़कने जवाब दे रही थी… मैं भाभी के ठन्डे हाथ को महसूस कर रहा था… मेरा पेंट भी…. करू ना करू सोचते हुए मैंने अचानक से गाडी को ब्रेक मारी, और रुक दी… मैंने भाभी की और देखा उसने मेरे सामने… उसकी नज़रे जुकी…

और मैंने भाभी के हाथ को पकडे उसको सहलाने लगा… दबा ने लगे… भाभी ने खुद से साड़ी का पल्लू गिरा दिया… मुझे साडी का पल्लू हटते ही… क्लिविज के दर्शन हुए… मैं मस्ती में था… भाभी भी… मुझे समज ही नहीं आ रहा था के कल तक जो भाभी नंगी दिख रही थी, आज वो मेरे पास है…

मैं बस हाथ को पकडे रख्खा था… भाभी मेरा अब तक पूरा साथ दे रही थी… पल्लू गिरने से जो मम्मे का भाग था वो साँसों के कारन फूलता तो बहार आते साफ़ दिख रहा था… अब दोनों में से किसीको गलत नहीं लग रहा था… धीमे धीमे मैंने भाभी का हाथ छोड़ा और भाभी की बाहो पर ऊपर हाथ चलाना स्टार्ट किया…

भाभी के हाथो पर जहा ब्लाउज़ स्टार्ट होता है वह जगह तक मैं अपना हाथ ऊपर निचे रगड़ ने लगा.. भाभी की वासना जागती रही और मैं मखमल के चादर पर जैसे अपना हाथ चला रहा हूँ वैसा लग रहा था… पूरा अँधेरा था रस्ते पर, उर हलकी हलकी दूर दूर रही लाइट्स कुछ मज़ा दे रही थी…

भाभी वो लाइट्स में भी बहोत खूबसूरत दिख रही थी… मैंने वासना से भाभी को पहली बार नहीं छुआ था पर हा… एक अधिकार से जरूर पहेली बार छुआ था… मैं ये अँधेरे को और महसूस करना चाहता था… मैं ये भी तो चाहता था के कुछ भाभी भी करे… ऐसे ही पड़ी न रहे…

और इतने में ही एक ट्रक वह जगह से निकला और उनकी लाइट्स हम पर पड़ी… हमने अपने आप को ठीक किया पर ट्रक तो वहा से चला गया… ये डर भी मीठा लगा… हम दोनों एक दूसरे को देख के हँसने लगे और भाभी ने अपनी बाहे फैला कर मुझे गले लगाने के लिए न्योता दिया हँसते हुए…

जो मैंने हस्ते हुए स्वीकार कर के उसके हाथो पर अपनी उंगलिया को चलाते हुए आगे बढ़ कर स्वीकार किया… और उसे गले लगा लिया… बिच में गियर बॉक्स था जो मुझे अच्छे से गले लगने में ग्रहण दे रहा था… मैंने गले लगा के भाभी की धड़कनो को महसूस किया, उसके मम्मे जो मेरी छाती पर दस्तक दे रहे थे वो अजीब महसूस हुआ… ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

और मेरे हाथ भाभी की पीठ पर ब्लाउज़ पर घूमते घूमते निचे जा रहे थे की मैंने उसको अपनी और ठीक से खीचा, वो एक और तो हुई पर परेशानी तो उसे भी हो रही थी… और मैंने उनकी और देखा… वो निचे जुकी आँखों से मुस्कुरा रही थी और उसका चहेरा ऊपर करके कुछ भी और नहीं सोचा, अपने आप को रोक नहीं पाया और भाभी के गुलाबी होठो पर मेरे होठ रख दिये…

ये मेरा पहला अनुभव था चुम्बन का… कितना मधुर और स्वादिस्ट लग रहा था… मैंने भाभी के सर को और जोर देकर उसे जोर जोर से किस किये जा रहा था, मुझमे पागलपन बढ़ते ही जा रहा था… मैं अपने आपको रोकने में असमर्थ था… और अचानक भाभी के हाथ मुझे अपनी और खिचे जा रहे थे…

मुझमे उस पर चढ़ने को आमंत्रण दे रहे थे…. मैं उसे गाल पर, होठ पर, माथे पर, गले पर किस किये जा रहा था… वो मुझे खीच रही थी… पर गाड़ी में बहुत छोटी जगह थी… तो मैं खुद से कुछ अच्छे से कर नहीं पा रहा था… गले पर किस कर के जैसे मैं निचे और गया के भाभी ने मुझे रोक दिया… “ज़रा सबर करो राजा” कहके उसने मेरे हाथ को उसके मम्मे पर टिका दिए…

भाभी: इसे फिल करो पंकज… सहलाओ इसे कैसा लग रहा है…

मैं आखे बंध करके सहलाये जा रहा था… ब्लाउज़ के ऊपर तो वे कड़क नज़र आ रहे थे… पर उठी हुई निप्पल मुझे और दीवाना कर रही थी… मैंने थोडा दबाया तो भाभी ने “आह…” करके स्वागत किया…

मैं: उतारू क्या?

भाभी: (मेरा हाथ दूर करते हुए) यहाँ? बिलकुल नहीं… यहाँ कोई भी आ सकता है, और कुछ भी हो सकता है… सुमसान इलाका है… थोड़े पल के मज़े ख़राब हो जायेगे ज़िन्दगी भर… चलो गाडी स्टार्ट करो… घर चले जाते है…

बात भाभी की थी तो बिलकुल आसान और समझने के लायक… पर मेरे गले वो थोड़ी उतरेगी? मेरा लंड जो कड़क हो चूका था उसका हिसाब तो करना पड़ेगा ना… पहेली बार जब किस करके भाभी को मैं भीच रहा था तब… मेरा ऑलमोस्ट हो जाने वाला था…

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पर मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोक के रखा… तो आप समज ही सकते है की मेरा क्या हाल हो रहा होगा? पर भाभी की बात मुझे सही तो लगी… मम्मे एक बार भले ऊपर से ही दबा लो तो फिर जो सुख मिलता है वो कुछ अलग ही होता है… इसीलिए भैया घर पर आते ही सबसे पहले भाभी के मम्मे जरूर दबाते है.. जैसे पहले मैंने बताया था…

भाभी के बाल बिखर गए थे वो उसने बंधना चाह रहे थे की मैंने रोके, क्योकि खुले बाल में क्या गज़ब ढा रही थी वो… मैं और वो एकदूसरे तो तके जा रहे थे.. पर किसी के आ जाने का डर भी था… आसपास खेत थे कोई जानवर भी आ सकते है…

मैं: अब क्या करे?

भाभी: चलो घर ही चलते है… तेरे भैया को देती हूँ… उससे मेरा काम तो हो जायेगा… हा हा हा…

मैं: याद रहे कल तू घर ही है…

भाभी: हा। अभी पता चल गया के कितना आता है तुजे… सब सिखाना पड़ेगा तुजे…

मैं: पर एक बार सिख गया तो फिर खैर नहीं तेरी…

भाभी: हा हा… अभी तो सबर करो तुम…

मैंने गाडी चला दी… मैं और भाभी का ये पहला था… भाभी भी पहली बार बहार आई थी… उसे भी भैया को ऐसे राह तके रहने देना पसंद नहीं था। रस्ते भर हम एकदूसरे को छूते रहे… मैं अब भाभी के मम्मो को मसल था पूरी ताकत से और वो भी हक़ से… मैंने बहोत मज़े किये रस्ते भर….

घर पहोचते ही हम लोग गाड़ी से बहार निकले लिफ्ट में गए… हम रहते तो थे पहले माले पर, पर हम हमारे दसवे माले तक गए और पूरी लिफ्ट एकदूसरे को एकदूजे में समां ने के लिए किस करते रहे… मैंने भाभी को खड़े खड़े दबा दिया था… भाभी ने मेरा ख्याल रखा और मेरा लंड पहली बार अपने हाथो से दबा दिया और मुझे जड़ने के लिए साथ दिया…

मैं अपने आप को रोक ही नहीं पाया और भाभी के हाथो की ताकत पर मैं दसवे माले से जब पहले माले तक पहोचा तब तक जड़ गया… तब मुझसे भाभी का मम्मा और जोरो से दब गया… और भाभी चिल्ला पड़ी… और हम दोनों हँसने लगे… और मेरे चहेरे पर ख़ुशी छा गई…

मेरा पेंट गिला हो गया था अंदर से तो मैंने अपना शर्ट बहार निकाल लिया और ढकने की खोटी कोशिश करी… और जब भाई ने डोरबेल बजाया… मुझे सुसु आई है करके मैं जल्द ही अपने बाथरूम में चला गया… और फ्रेश होकर ही बाहर आया… हम सबने प्रसंग के बारे में थोड़ी बात की और फिर सब अपने अपने रूम में जाके सो गये…

मैं उस रात को देखने नहीं गया… क्योकि मैं कल वो खुद करने वाला था भाभी के साथ…. मुझे नींद काफी देर तक नहीं आयी क्योकि मैं उत्तेजना में अपना भान भूल चूका था… और तभी भाभी का मेसेज आया… “सो जाना… गुड नाईट… स्वीट ड्रीम… एंड हा आई लव यु”… रिप्लाय मत करना….

तकरीबन २ बजे थे… मतलब भाई २ बजे तक भाभी को चुद रहे थे… या फिर उसकी जब नींद खुली मुजे याद किया… मैं तो पहला वाला ऑप्शन नहीं मानुगा… क्यों मानु के मेरा प्यार किसी और के निचे देर तक घिसा जा रहा था… और दर्द ना बढे इसलिए पुछुगा भी नहीं…

एक तरफ प्यार था और एक तरफ हकीकत भी… ऐसा खयालातों के बिच कब नींद में चला गया पता नहीं चला… सुबह आँख खुली बड़ी देर के बाद… करीबन १० बज चुके थे… भैया तो ९:४५ को चले जाते है… और में एकदम चोक के खड़ा हुआ… भाभी कहा है? और भैया गये के नहीं? मैं जल्दी से उठा और घर में ढूंढ ने लगा…

मैं: भाभी? ओ भैया? कहा हो आप सब लोग?

किसीका जवाब नहीं आया… मैं किचन गया.. फ्रिज पर कुछ चिपकाया पड़ा था कागज, और उसमे कुछ् लिखा था…

“मेरे प्यारे देवर जी पता था मुझे ढूंढोगे… और ये भी पता था के किचन तक जरूर आओगे… तो आप को बता दू के जाओ पहले मुह धोके आओ और नहाना भी खत्म कर ही देना… बाद में मिलते है.. तुम्हारी प्यारी और सेक्सी भाभी”

मैं चला अब नहाने… मुह भी धोना बाकी था… भाभी मुझे कितना जानती थी… जैसे ही बाथरूम में पहोचा.. अंदर आईने में एक और चिठ्ठी थी… मैं ब्रश कर रहा था…

“हा हा हा… पहले ब्रश तो अच्छे से कर लो, मुझे पता था के तू पहले पढ़ेगा… चल तेरी मर्जी… अच्छे से मुह धो के… अच्छे से नहा लेना… और फिर मेरे रूम मैं आ जाना…”

अरे वाह… अब तो मैं और बरदास्त कर नही पा सकता था… जैसे ही मैंने मेरे बाथरूम का दरवाजे को खोलने चाहा… वहा लिखा था…

“पता है की तू नहीं ही मानेगा… जाओ नहाओ पहले…”

अरे भाभी… ठीक है चलो नहा लेता हूँ… और क्या… मैंने जैसे तैसे नहाना खत्म किया… मेरा लौड़ा खड़ा हो चूका था… पर अगर मैं उनको छूता तो फिर मुठ मार के ही मानता… मैंने जल्दी से नहा लिया और फिर.. धीरे से बहार कपडे पहने और भाभी के रूम की तरफ जाने लगा..

दरवाजा धीरे से खोला तो अंदर कुछ दिखाई नहीं दिया… मैं थोडा निराश जरूर हुआ… पर अब मुझे अगला सुराग ढूँढना है… अभी तक वही हुआ था… मैं धीमे धीमे रूम में घुसा और सब जगह ढूंढने लगा… पहले आईने पर गया… कुछ नहीं दिखाई दिया… फिर पलंग पर देखा… और फिर अलमारी की और ध्यान गया… वहा लिखा था कुछ् छोटे टुकड़े पर…

“इंतज़ार की घड़िया खत्म करनी है तो आईने वाले कपबर्ड को खोलो.”

क्या भाभी कपबर्ड मैं है? क्यों? ऐसा क्या है… मैं धीमे पगले आगे बढ़ा उसकी और… धीरे धीरे मैंने वो कपबोर्ड खोला… और भाभी… मुझे कुछ् ऐसी मिली…

वाह क्या नज़ारा था… मैं वहीँ कपबर्ड मैं घुस गया और अपने बदन को उनसे मिलाने की कोशिश करने लगा… मैं भाभी को चूमे जा रहा था… भाभी मुझे पूरा साथ दे रही थी…

भाभी: आह… धीमे… पूरा दिन पड़ा है… और कितना सोते हो तुम? आउच… नहीं मत खीचना… अभी अनरेप नहीं होना मुझे रुको… छोडो चलो बाहर निकलो…

मैं चुपचाप बाहर निकला उनके पीछे पीछे… अरे पीछे से तो वो पूरी नंगी ही थी। गांड की दरार में फसी तंगी लिंगरी की डोरी… मुझे तो ये सोच भी नहीं आई के भाभी ने ये कब खरीद कर ली? पर मेरा तो काम बन रहा था… भाभी पलंग पर जाके बैठ गई… मेरी जबरदस्ती में भाभी का मेरे साइड वाला लेफ्ट मम्मे की निप्पल बाहर आ गया था… और राईट वाला पूरा मम्मा दिख रहा था… भाभी ने एक कातिल स्माइल दिया और… धीरे से दोनों ही मम्मे को एक एक करके अंदर वापस ढक दिया…

भाभी: भारी उतावले हो तुम… चलो आओ… बैठो यहाँ पर…

मैं चुप चाप आके बैठ गया…

भाभी: देखो शांत रहो वर्ना यही सब में ठंडे हो जाओगे.. शांति…

मैं: भाभी… (ऐसे करके मैंने लिंगरी के बो को खोलने की कोशिश कर ही रहा था के भाभी ने फिर रोका)

भाभी: एक चपत लगाउंगी.. बोलाना सब्र करो…

मैं: पर…

भाभी: (थोडा गुस्सा हुई) हा कर ले जो करना है… धनाधन पेल के चला जा…

मैं: अरे नहीं नहीं.. वो आपका निप्पल अभी भी थोडा बाहर है…

भाभी: (थोडा इठलाके) हां तो? (और उसे भी अंदर ढक दिया)

मैं: अब?

भाभी: पहले कभी कुछ किया है किसीके साथ?

मैं: नहीं वर्जिन हूँ

भाभी: चलो तो फिर मजा आएगा…

भाभी खड़ी हुई, और पीठ को मेरी तरफ की और हल्की सी गर्दन घुमाके मेरी और देखा.. मैं पगला गया… मैंने लण्ड पर हाथ रखा, बाहर से ही सहला रहा था…

भाभी: वो मेरा है.. उसे तो छूना भी मत।

मैं: हा ठीक है पर और कितना तड़पाएगी?

भाभी: हा हा हा सब्र करो… बहोत मीठा फल मिलेगा…

मैं: ह्म्म्म.

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भाभी ये सब बाते गर्दन घुमाए कर रही थी… और फिर धीरे से मेरी और घुमी… मैं उसके पुरे बदन को नजदीक से देख रहा था… पर छु नहीं सकता था… अब तो पेंट में ही हो जायेगा लग रहा था… भाभी और करीब आई और बोली… ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

भाभी: मुझे एकदम नजिक से देखने के लिए, और वो भी नंगी सिर्फ ये एक डोरी खींचनी है… मैं तेरे सामने नंगी हो जाऊंगी…

अब मुझसे बरदास्त नहीं हो रहा था, तो मैंने बस खीच ही लिया… भाभी ‘अरे रुको’ बोली पर तब तक भाभी मेरे सामने नंगी हो गई ही… दोनों मम्मे बहार थे… पर चूत फिर भी ढकी हुई थी… भाभी ने लिंगरी को थाम।लिया था…

भाभी: हा हा हा… जरा भी सब्र नहीं है…

और मैंने भाभी को लिंगरी को चूत से हटा ने के लिए लिंगरी खिची तो भाभी भी करीब आई…

भाभी: आज मैं तेरी हो जाउंगी…

इस समर्पण की भावना के साथ भाभी ने लिंगरी छोड़ दी… और भाभी पूरी नंगी हो गई… पर शर्मा गई तो पीछे मुड़ गई… और इस तरह से मुझे देखने लगी… मैं जगह पे खड़ा हुआ और भाभी की गांड की दरार से लेकर मेरी ऊँगली घुमाने लगा… और उनके पेट के हिस्से पर मैंने अपने दोनों हाथ रख्खे…

गांड को सहलाया और धीरे से जब उनकी गोरी चिट्टी पीठ को चूमने गया के… भाभी तुरंत घूम के, मुझे गले लग गई… और ‘ओ पंकज’ इतना ही बोली… ये उनका समर्पण था, मैं उनके मुह को थोडा दूर करके होठो पर किस करने लगा… और अपने हाथ को उनके पीछे वाले हिस्से को बराबर सहलाता गया..

किस करने के टाइम पर गांड सहलाना कितना अच्छा लग रहा था… मैं होश मैं कूल्हे पर चुटिया भी भर लेता था… मैं पुरे कपडे में थी और वो मेरी बाहो मैं… आज मैं उनके गोर बदन का मालिक था… आज मैं जो चाहूँगा वो उनके बदन से खेलूंगा…

भाभी: (मेरा कब का चल रहा किस को तोड़कर) आगे भी तो बढ़ना है ना?

मैं: आज तो तुजे मस्त रगड़ना है… तेरे हर एक कोने से वाकेफ होना है…

भाभी ये सुनते सुनते बेड पर बैठी… और लेट गई… मुझे उनपर चढ़ने का निमंत्रण देने लगी… मैंने कपड़े अभी तक नहीं निकाले थे और भाभी मना ही कर रही थी… मैंने धीरे से अपने बदन को पहेली बार किसी औरत के बदन पर रखने जा रहा था… मुझे इस वखत भाभी की चूत भी याद नहीं आ रही थी… मैं जब उनके ऊपर पड़ा तो जाने रुई के गद्दे पर पड़ा… हमने वापस किस का दौर जारी रख्खा, धीरे धीरे गर्दन से होते हुए मैं निच्चे स्तन तक पहुचा…

मैं: भाभी ३४ के भी बहोत बड़े होते है…

भाभी: भी माने?

मैं: माने ३६ बेस्ट होते है ना…

भाभी: वो देख लेना १ साल में ३६ के हो जाने है देख लेना…

मैं: तो लग जाउ?

भाभी: क्या?

मैं: ३६ के करने में?

हम दोनों हस पड़े… मैं भाभी के ऊपर था और भाभी मेरे निचे… मेरी छाती पर वो स्तन और निप्पल छु रहे थे.. मेरा हाथ उसे छूने जा रहा था.. पर भाभी वहा पहोचने ना देकर तड़पा रही थी…

भाभी: सुन…

मैं: हम?

भाभी: आज तू पहली बार कर रहा है.. जो भी करना है… शिद्धत से करना… तेरा पहला अनुभव् याद रह जाना चाहिए… समजे? और हां… (मेरे हाथ को वापस रोक लिया… हाथ भी नही छुआ था स्तन को) आज मेरे चहेरे पर कोई भी भाव हो… सिर्फ अपना ख्याल रखना… मुझे क्या फिल होता है… वो मत सोचना… (मैं वापस छूने जा रहा था के…) सुन सिर्फ हाथ नहीं मुह भी चलाना… (अब ये लास्ट होगा समज कर वापस छूने जा रहा था) और एक बात सुन?

मैं: क्या है भाभी? भैया के आने तक सलाह सूचना देते रहोगे?

भाभी: हा हा हा हा… चल तुजे जो मर्जी हो करना… कोई भी कमी तेरे मन में होवो बाकी रहनी चाहिए नहीं… चल होजा शुरू…

भाभी का हुक्म मिलते ही मैंने भाभी के दोनों मम्मो को हाथ में ले लिया… और फिर जोरो से दबाने लगा… भाभी कहर ने लगी पर कुछ बोल नहीं रही थी… ऐसे मस्त नरम नरम मम्मे मैं तो खूब मसल रहा था… और भाभी एकदम सेक्सी आवाज में बोल रही थी… आज ही ३६ के हो जाने वाले है… मैं मम्मे को निचे दबाता तो निप्पल खड़े हो के बहार आते और मैं इस तरह से निप्पल को काट रहा था…

निप्पल पर मैं अपने दाढ़ी का हिस्सा रख के निप्पल को रगड़ रहा था… भाभी आह… आउच करे जा रही थी… और मैंने दो बूब्स के बिच में दोनों निप्पल पर और फिर आजूबाजू खूब चूस चूस के १५ मिनिट के बाद खेलना बंध किया और वापस भाभी को होठो पर किस किया… एक नंगी औरत मेरे निचे थी ये बात का मूज़े अभिमान था…

भाभी: थक गए?

मैं: तुजे दुखेगा…

भाभी: मैंने पहले ही बोला आज मैं कुछ नहीं कहूँगी…

मैं: एक दो है ऐसे मुझे मेरे खुद के लव बाइट देने है..

भाभी: हां तो दे दे…

मैंने भाभी के निप्पल को उंगलिओ के बिच से खीच कर बिलकुल निचे जैसे ही…

ऐसे खीच कर निप्पल के ऊपर के भाग पर हल्का सा किस किया.. दूसरे मम्मे को भी मैंने ऐसा ही किया… निप्पल से निचे वाले मम्मे के हिस्से में स्तन जहा पूरा होता है वहा लेफ्ट मम्मे को पहले मैंने अपने दातो से काटा, ये थोडा ज़ोर से किया ता के मेरे अगले दांत की छाप बैठ जाए..

मैंने उत्साह मैं और भीच के रखा… और जब छोड़ा तो मेरे दांत के निशान वह जगह थे.. मुझे गर्व महसूस हुआ… फिर तो मैंने निप्पल को छोड़ कर आजूबाजू सब जगह ऐसे दांतो के निशान दोनों मम्मो पर छापना शुरू किया… मुझे खैलने में मज़ा आ रहा था…

भाभी को दुःख भी रहा था… मैंने निप्पल पर कुछ नहीं किया क्योंकी मैं जनता था के निप्पल सब से सेंसिटिव होता है, पर फिर भी मैंने जैसे कैरम से खलते वखत स्ट्राइकर से मारते है बिल्कुल वैसे ही दोनों निप्पल पर एकसाथ जोर से मार के मेरी वासना का लेवल और दिखा दिया.. भाभी का चहेरे पर आंसू भी नज़र आये…

मैं: भाभी रुक जाउ?

भाभी: शशशश… आज कुछ मत बोल… और हा… सिर्फ दातो के निशान बैठाने से लव बाइट नहीं मिलेगा… तुजे और भींचना पड़ेगा… ये तो शाम तक निकल जायेंगे।

मैं: मैं तो कर दू पर रात को भैया को जवाब आपको देना है..

भाभी: ह्म्म्म ठीक है चल आज ये तेरा उधार रहा मुज पर…

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मैं धीरे धीरे और निचे खिसक के पेट की और आया वह जगह पर भी मैंने अपने दातो से काटना चालू रख्खा.. वहा भी मैंने दातो की छाप छोड़ी और नाभि की चमड़ी को भी दातो से खीचा… अब मैं हर मर्द की फेवरिट जगह पर था… चूत पे.. वाह दोनों तरफ फूली हुई और बिच में एक मस्त दरार जो स्वर्ग का दरवाज़ा है, मैंने हल्के से अपनी उंगलिओ से खोला… वाह क्या नज़ारा था…

उसमे देखा के पानी की धारा बह रही थी… मैंने उसे अपने दूसरे हाथ से पोछा पर फिर अंदर से धारा बही… स्त्री की उत्तेजना दिख रही थी… मैं नजदीक गया क्या नमकीन सी खुशबु थी और धीरे से जीभ से छुआ… थोडा नमकीन लगा… पर फिर मैंने वहा अपने दांत जीभ और होठ से भाभी की चूत को चोदना चालू किया…

कभी दातो से चूत के बाहर के पडदे को खिचता कभी जीभ अंदर तक घुसाता… कभी ऊँगली करता, कभी दो ऊँगली… यहाँ कितना मुलायम था भाग… मैंने सपने में भी नहीं सोचा था के ये भाग इतना सिल्की होता है… अंदर का भाग तो चमड़ी ही है… पर इतना गरम होता है? अंदर हाथ डालो तो जैसे भट्ठी हो, जिसमे पानी निकलता है… मानो के लड़की पिघल रही है…

मैंने करीब १० मिनिट तक उसे खूब चूसा और ऊँगली भी की काटा भी सही भाभी की जांघो को और फिर भाभी अकड़ ने लगी और वो जड़ने लगी… मुझे वो सब खारा खारा चिकना चिकना था, पर मुझे अच्छा लगा… मैं चाटे रहा… भाभी के मुख पर लाली छायी हुई थी.. मैं अभी भी भाभी के चूत से खेल रहा था… पर अब भाभी ने मुझे रोक के बोला… चल अब मेरी बारी….

भाभी अब पलंग से उठी, पर मैंने भाभी को रोका…

मैं: अभी तो मेरा आधा काम हुआ है, तेरी बारी बाद में…

भाभी: क्यों ? क्या हुआ?

मैं: अभी तुजे मैं पीछे से एक्स्प्लोर करूँगा… तुजे चोदु उससे पहले तुज में क्या क्या है… और कौनसा हिस्सा मेरा फेवरिट बना रहेगा… वो मैं पहले से देख लेना चाहता हूँ…

भाभी: हा हा हा हा… तो अब क्या करू उलटी घुमु?

मैं: हा…

मैं उनकी मदहोश काया देखकर क्या कर रहा था… मुझे समज नहीं आ रहा था… मैं अब उनकी ऊपर चढ़ के उसके पिढ़ पर अपने हाथ घुमा रहा था… दोनों मम्मो को मैंने खीच के बहार की और कर दिया… मम्मो के साथ मैं जो भी खिलवाड़ करता उनके निप्पल को खीच कर ही करता था… मैंने उसपर अपना वजन डाल के सो गया और उनके गर्दन से लेकर हर जगह किस करते हुए, अपने दातो से काटते हुए…

पीठ पर मैंने करीबन ५-६ बार दातो के निशान दिए… और अब मैं पहोचा दूसरे जन्नत के द्वार पे… मैं उनके कूल्हे को छुआ… उसे किस किया… और फिर जैसे गद्दे हो नरम नरम वैसे दबाया तो मज़ा आया… मैंने दो कुल्हो के बिच की दरार को थोडा स्प्रेड किया पर मुझे भाभी सोई हुई थी तो अच्छे से मज़ा नहीं आ रहा था… तो भाभी ने अपने आपको कुछ ऐसे एडजस्ट किया…

भाभी: ये तेरा दूसरा जन्नत का द्वार है.. (इतना सेक्सी अंदाज मैं बोला के मैं रह नहीं पाया.)

और मैं उनके कुल्हो पर अपनी किस बरसाने लगता हूँ… मई मस्त कुल्हो पर अपने दांत से, या हाथ से चूंटी भरता रहा.. गांड के होल में मैं चाटना थोडा रुक गया, पर मैं अब कोई भी चीज़ छोड़ना नहीं चाहता था… मैं अपनी जीभ गांड पर थोड़ी घुमाई और फिर उस पर अचानक ही टूट पड़ा… ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

जीभ को मैंने अंदर डाल ने की कोशिश की, अजीब लग तो रहा था पर मैंने नहीं छोड़ा… मैंने देखा के गांड और चूत के होल के बिच ज्यादा अंतर नहीं था.. मैंने बिच वाले हिस्से को चूमा, और वहा बहोत बार चूस… भाभी के आह की आवाज़ से पता चल गया के ये भाभी के लिए पहली बार था..

भाभी: तूने कुछ् ऐसा किया जो पहली बार हुआ है मेरी साथ… मज़ा आया… तो आज मैं भी कुछ ऐसा करुँगी जो मेरी तरफ से किसी मर्द को दिया हुआ पहला सुख होगा…

मैं: और वो क्या भला?

भाभी: पता चल जाएगा… अभी तो मेरे कूल्हे को चमाट मार मार के लाल कर सकता है अगर चाहे तो…

मैं: कितनी जोर से मारू?

भाभी: तेरी इच्छा… मैंने पहले ही बोला था के आज तू मेरी परवाह नहीं करेगा…

मैं: तो आजा मेरी गोदी मैं…

मैं सोफे पर बैठा और भाभी मेरी गोदी में आ गई। मैंने एक जोर से चपत लगाई… भाभी एकदम सेक्सी अदा में आह किया… मैंने और ज़ोर से दूसरे कूल्हे को मार के देखा… भाभी ने और सेक्सी और बड़ी आवाज़ में आ….ह किया… मुझे और जुस्सा मिला और में दे धना धन मारने लगा… उसके बालो को खीच के मारे जा रहा था…

मुझे तो बहोत अच्छा लग रहा था… मस्त ५-६ मिनिट मार मार के मैंने भाभी की गांड सुजा दिया था… यहाँ मेरे दातो के निशान नहीं पर हाथो के निशान थे… मैं ऐसा बदन पाकर धन्य हो चुका था… क्या नेचर है भाभी का… पूरा समर्पण अपने प्रेम के प्रति… अपने बदन को पूरा मुझे सोप दिया था…

मैं: चल आजा तेरी बारी…

भाभी: मन भर गया?

मैं: मन तो नहीं भरा, पर अब कुछ आगे भी तो बढ़ना है… वर्ना मैं तो पूरा दिन निकाल लू इस बदन के हुस्न से खेल के…

भाभी: हा तो खेल ले जी भर के… कल कर लेना…

मैं: नहीं… अब तेरी बारी… अब तेरा बदन जब मुज पे घूमेगा तब भी एक नया अनुभव ही है… मैंने तेरा जीभ होठ का अनुभव अपने बदन पर लेना चाहता हूँ…

ये सब बातो के दौरान मैं और भाभी खड़े हो गए… भाभी मेरे बदन पे कपडे पे अपना नंगा बदन चिपका रही थी और मुझसे बाते करते हुए शर्ट के बटन को खोल रही थी… २-३ खोल के अंदर हाथ डाले मेरी और देखती रही…

भाभी: तो तेरा लंड १०” का है…

मैं: हा तो?

भाभी: नापा था क्या?

मैं: हा, स्केल लेके नापा था क्यों?

भाभी: तो आज मजा आएगा…

मैं: हम्म्म… आउच.

भाभी ने मेरे निप्पल ऊँगली से खीच लिया था। अब मुझे भी यह सब सहन करना था?

मैं: देख भाभी तू वही करना जो मुझे पसंद आये… वो मत करना जो तुजे पसंद आये… आज तूने खुद को मुझे सोपा है… आज तेरा बदन मेरा है… तो मैं तेरे बदन से खेलूंगा… तू नहीं.

ऐसा करके एक जोर से चपत मैंने उनके स्तन पर मारे एक पनिशमेंट के दौर पर…

भाभी: आह… आउच… ये क्या था?

मैं: पनिशमेंट

भाभी: ओह.. तो आप मुझे पनिश करेंगे मैंने ऐसी वैसी हरकत की तो… जो आपको पसंद न आये…

मैं: सही फरमाया…

भाभी: तो ठीक है ये लो…

उसने मेरे दूसरे निप्पल को भी खीच दिया… मैं मारने जा ही रहा था के…

भाभी: ये मम्मे पर मार इनको बुरा लगा…

लड़कियो की एक आदत कही पढ़ी थी… अगर एक मम्मे पर आप थोडा ध्यान दोगे तो दूसरे का वो खुद इन्विटेशन दे देगी… जो यहा भी हुआ… जब मैं मम्मे चूस रहा था तब मैंने तो दोनों मम्मे को एकसाथ न्याय दिया था तो वो तब नहीं दिखाई दिया पर एक चपत एक मम्मे और दूसरा स्तन खाली पड़ा के मुझे न्योता मिला… मैंने जरा भी देर न करते हुए वहा एक चिमटी काटी, चपत नहीं मारी… मैंने जो पढ़ा वो सच है की नहीं वो जानना चाहता था…

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भाभी: प्लीज़ एक चिमटी इधर काटो और यहाँ एक चपत लगाओ प्लीज़?

मैं ये अब लम्बा नहीं खीचना चाहता था… क्योकि ये सब में टाइम १.५ घंटे जितना निकल गया था… भैया के आने में अभी ८-९ घंटे थे पर मैं और भी कुछ करना चाहता था… मैंने दूसरे पे एक चपत मारी और एक पर चिमटी काटी… वो खुश हो गई…

वैसे ही ये दोनों स्तन लाल हो गए थे पर वो खुश थी… मेरा ट्रैक पैंट को ख़ुशी ख़ुशी निकाल के मेरे शर्ट को मेरे कंधे से बाहर निकाल ने लगी… मैंने अपना ट्रैक पेंट पैर ऊपर करके अलग किया और अब मैं सिर्फ निक्कर में था, वो तो पहले ही नंगी थी… उसने मेरे निक्कर को बहार से सहलाया…

भाभी: अरे बाप रे काफी बड़ा है…

मैं: अब तेरा है…

भाभी: मैं पूरा मेरे मुह मैं नहीं ले पाउंगी…

मैं: नहीं मैं तेरे हर एक होल में पूरा अंदर घुसूँगा… अंदर तक लेना ही पड़ेगा…

भाभी: अरे १०” मतलब कुछ हो गया तो मेरे गले को? तेरे भैया का ८” इंच है… वो बड़ी मुश्किल से ले पाती हूँ…

मैं: भाभी तेरा जो ये हुस्न है ना… उसके लिए ये १०” भाई कम पड़े… चल पहले दीदार तो कर… अभी तो मैं तेरे मुह में ही जडुगा…

भाभी: ये मेरा वादा है की मैं तेरे वीर्य की बून्द बून्द पि जाउंगी… पर इतना अंदर मत निकालना प्लीज़…

मैं: क्यों? कहा गया तेरा वादा?

भाभी: (मेरी बात काटते हुए) हा…. हा… तुजे मेरी परवाह नहीं करनी है… ठीक है, मेरे पहले प्यार का पहला अनुभव है… उसे जो पसंद हो वही होगा…

भाभी ने मेरी निक्कर निकाली… और साँप जैसा मोटा लंड…

भाभी: ह्म्म्म्म तो ये जनाब है… जिसको खुश करना है मेरे पुरे बदन को…

मैं: जी हा… चलो अब घुटने टेको इसके आगे… एक औरत का कर्तव्य निभाओ…

भाभी: ओके… वैसे भी अब तू है तब तक मैं अपना वीर्य तेरे मुह, चूत या गांड में ही निकलूंगा, वेस्ट तो करूँगा ही नहीँ… और हां कंडोम कभी नहीं पहनूंगा…

भाभी: बाद का बाद में… आज तो तू लाता तो भी मैं तुजे नहीं पहनने देती… पहली बार कोई कंडोम थोड़ी पहनता है?

मेरी निक्कर पूरी तरह से निकाल के मेरे लण्ड को हाथ में लिया… ठण्डी ठण्डी मुलायम हाथ वाली मुठ्ठी में मेरा लण्ड, आज तक का सबसे सुखद अनुभव… लगा अभी जड़ ना जाउ… पर काबू किया… भाभी ने अपने मुलायम होठो से मेरे लण्ड से दोस्ती करनी शुरू की… मैं थोडा उकसाया हुआ भाभी के मुह में धसने की कोशिश कर रहा था….

भाभी: अरे सबर करो… मुह में लेना है पर दोस्ती तो करने दो…

भाभी मुझे परेशान कर रहे थे… पर उसने जैसे ही अपना मुह खोला के मैंने जट से गीले मुह मैं अपना टोपा घुस दिया… उसने स्वागत किया इस हमले का… शायद पता ही था के मैं अब ये करूँगा… मैं पहले ही बारी में अपना पूरा लंड घुसाने लगा…

उसे पता था के मानने वाला नहीं हूँ तो उसने भी अपने गले में जगह बनाना शुरू किया और धीरे धीरे लण्ड को मुह में उतार ने लगी… ८ इंच तक तो वैसे भी उसे कोई तकलीफ नहीं होती थी… पर अब का काम भारी था… उसने जल्दी से बहार निकाला और बोली…

भाभी: देख मैं ट्राई कर रही हूँ… पर तू मेरा मुह थोडा चोद तो तुजे धीरे धीरे जगह मिलती जायेगी और तू अंदर पूरा डाल पाएगा… मैं अपना सर जब ऊँचा करू तब तू अंदर थोडा प्रेस करना लण्ड को ठीक है?

मैं: हां भाभी…

साला मुह में इतनी तकलीफ हो रही है तो चूत में क्या होगा… अरे गांड तो और भी भारी पड़ेगी…? भाभी इतना ही मुह में ले पा रही थी… पर हर एकाद मिनिट के बाद मेरे लण्ड के आसपास जीभ घुमाती… मुझे अंदर बहुत गिला गिला महसूस करवाती और फिर अपना सर थोडा ऊँचा करती के मैं लण्ड को इशारा मिलते ही धस देता…

३-४ मिनिट में मेरे लण्ड ने उनके मुह से दोस्ती कर ली थी और मेरा पूरा लण्ड अब अंदर बाहर हो रहा था… अब मेने उनके बालो को पकड़े और निचे खीचा ता के और अंदर घुसा दू… अब मेरा लण्ड खत्म हो गया था वहा तक तो घुसा दिया पर फिर भी भाभी के गले से निकलता लण्ड दिखने के लिए बालो को खीच के देखता था..

१० मिनिट में मैंने एक बार भी लण्ड बहार नहीं निकाला… और बस मुह को चोदे जा रहा था… भाभी के मुह से “उम्म्म्म्म….. उम्म्म्म्म…” जितना हो सके उतना जोरो से कर रही थी… ता के गले के कम्पन से मेरे लण्ड को और मज़ा आये… मेरा होने वाला था के भाभी ने लण्ड बाहर निकाला और सजेशन दिया…

भाभी: तेरा अब होने को है… तू चाहे तो उस वख्त मेरे मम्मो से खेल सकता है… जब तू वीर्य निकाले मेरे मम्मो को भींचने में मज़ा आएगा…

मैं: तू ने मुह से निकाला ही क्यों?

बोलते ही मैंने उसके गाल पर एक जड़ दिया… उसने मुह खोला के तुरंत मैंने सीधा अंदर तक धड़ दिया… भाभी थोडा अंदर लेने में नखरे कर रही थी… मेरा कभी भी होने वाला था… मैंने जट से भाभी की नाक दबाई और… मेरा पूरा अंदर चला गया…

मैंने इसी पोजीशन को १०- १५ सेकेण्ड होल्ड किया और मेरा वीर्य उबाल ने लगा… भाभी जटपटाने लगी पर मैं जब तक वीर्य खली ना होवे तब तक कैसे छोड़ सकता था… ये मेरा पहला वीर्यदान किसी होल में था… जब सब खली हुआ.. भाभी का मुह भर गया था..

कुछ बहार था वो उसने ऊँगली से वापस मुह में लेके चाट के साफ़ किया मैं थक के पलंग पर पड गया पर भाभी ने हांफते हांफते भी अपना काम पूरा किया और मेरा लण्ड पूरा साफ़ करके एकदम कोरा कर दिया… और मेरे पास आके मेरा हाथ बाहर निकाल के मेरी छाती पर अपना सर रखके सो गई… मुझे ऊपर देखा… मैं उनको ही देख रहा था…

भाभी: कैसा रहा…

मैं: मस्त… तू चीज़ ही ऐसी है कमाल की… बोलाना १२” का भी होता तो तेरे लिए कम पड़ता…

हम दोनों हँसने लगे…

मैं: पूरा पि गई मेरा वीर्य?

भाभी: अब तो तूने एक बार बोल दिया के वेस्ट नहीं जाना चाहिए मतलब अब फर्श पे पड़ा भी चाट लुंगी… और निक्कर पर चिपका हुआ भी खा जाउंगी… पर वेस्ट नहीं जाने दूंगी…

भाभी मेरे छाती पर अपनी ऊँगली घुमा रही थी…. मैं उनको अपनी बाहो में लिए… उनकी बाह को सहला रहा था… मेरी छाती पे अपना और मेरे नाम लिख रही थी…

भाभी: पंकज मज़ा आया?

मैं: बहोत…

भाभी: अब मुठ नहीं मारेगा ना कभी?

मैं: सबसे ज्यादा जरूरत मुझे तेरी रात को होगी और उसी टाइम पर तू नहीं होगी… तो मैं क्या करू?

भाभी: पूरा दिन तो मैं तेरे साथ होउंगी तो फिर भी?

मैं: हां तो मुझे रात से पहले पूरी तरह संतुष्ट कर देगी तो फिर मुज़े मुठ मारने की आवश्यकता नहीं होगी….

भाभी: ह्म्म्म तो फिर ठीक है… दिन भर मैं तुजे नहीं रोकूँगी.. बस? पर अकेले अकेले अब कुछ नहीं… प्रोमिस?

मैं: प्रोमिस.

भाभी अब मुज पे अपना हक जता रही थी… मुझे अच्छा लगा पर बिस्तर पर तो मर्द की हुकूमत चलनी चाहिए… तो मैंने अपना हुकुम छोड़ा….

मैं: चल अब इस सोए हुए लण्ड को जगाना पड़ेगा… तेरी चूत में समाना चाहता है… और वही खाली होना… वैसे तू दवाई लेती ही होगी ना? माँ न बनने की?

भाभी: हा हा हा… तू वो मत सोच… वो मुझपे छोड़ दे…

भाभी ने हल्के से मेरे लंड को हाथ में लिया और धीरे से मुठिया ने लगी… उंगलिओ के स्पर्श से उसने अंगड़ाई ली पर टाइम लग रहा था… पर मेरी उत्तेजना के कारन ये जल्दी हो रहा था…

मैं: मुह में ले… ऐसे नहीं खड़ा होगा…

और भाभी ने मुँह में ले के उसे उकसाना चालू किया… धीरे धीरे कुछ ३-४ मिनिट में ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया… इतना जल्दी वैसे कभी नहीं होता था पर आज तो बात ही कुछ अलग थी… भाभी के हाथ बूब्स और मुह का कमाल था… ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मेरा लण्ड जल्दी खड़ा होय इसलिए भाभी ने अपने मम्मे पर मेरा हाथ रख दिया… मम्मे पर जैसे जैसे हाथ चलते गए यहाँ लण्ड और कड़क बनता चला गया… मैं दोनों मम्मो को बारी बारी भींचता निप्पल्स को खिचता और उत्तेजना का असर मेरे लण्ड पर पड़ता। अब भाभी बोली…

भाभी: वापस हो जाए उससे पहले अब तू मुझे अपनी बना ले (और हस पड़ी).

मैं: चल आजा तुज में चढ़ा जाए अब… सबर नहीं होता… तू मेरी भी होने वाली है अब….

भाभी: हा आजा पंकज मुझे अपनी बना ले…

भाभी सीधी सो गई और अपने पैरो को फैला दिया… चूत खुली हुई मेरी सामने… मैंने अपने लण्ड को मेरे थूक से गिला किया… तो भाभी ने भी अपना थूक अपनी चूत पे लगाया… और फिर वो होने जाने वाला था के जो पहले कभी नहीं हुआ था…

मेरा लंड और भाभी के चूत के बिच का अंतर कुछ २ इंच था… मैं धीरे धीरे चूत के द्वार पर रख्खा… मेरी धड़कन कुछ ऐसी रफ़्तार से भाग रही थी के मैं खुद उसे महसूस कर रहा था… मैंने चूत पे अपना टोपा लगाया और हल्का सा धक्का मारा…

भाभी: आ……. ह पंकज…. थोडा धीरे करना…

मैं: भाभी मैं जोर से करना चाहता हूँ… एकदम रफ…

भाभी: उम्म्म्म्म्म्म्म… पर पहले तुजे धीरे ही करना पड़ेगा वरना तू तेरे लण्ड को भी घायल कर देगा… तू धीरे धीरे अंदर बहार कर के पहले चूत में अपने लण्ड की जगह बना… ठीक है बुध्धू राम?

मैं: ठीक है….

पर मैं था बिलकुल अनाड़ी… पहली बार हो रहे इस अनुभव मैं कमिया तो होगी ही… मेरा लण्ड भाभी की चिकनी चूत में फिसल रहा था… धीरे का मतलब धीरे धीरे नहीं था जहा धक्का लगाना पड़ता है, वहा तो प्रेशर लगाना ही पड़ता है… भाभी ने समजाया… एक और बार मैंने चूत के द्वार पर लण्ड रख के थोडा धक्का मारा और इस बार थोडा प्रेशर भी दिया… और फटक से मेरा टोपा भाभी की चूत मैं घुस गया…

भाभी: आ…..ह्ह्ह्हह्ह… ह्म्म्म्म… ओइ…. हम्म्म्म्म अब तू वर्जिन नहीं रहा… तू अब… जवान मर्द बन गया है… और मैं तेरी पहली औरत… बस अब धीरे धीरे हल्का अंदर बहार अंदर बहार कर… मेरी चूत तुजे खुद रास्ता दे देगी… अब तू आजा मेरे ऊपर… ताकी तू अच्छे से प्रेशर दे के लण्ड को घुसा सके…

मैं भाभी के ऊपर अब फ़ैल गया… मेरा लण्ड थोडा बहार निकालता और थोडा ज्यादा अंदर घुसेड़ता… बहार निकालने के टाइम पर अगर ज्यादा निकलता हुआ भाभी को अहसास होता तो भाभी मुझे रोकती के कही पूरा बहार ना निकल जाए… मैं उत्तेजना में कुछ ज्यादा बहने लगा तो मेरा लण्ड चूत में थोडा ढीला पड़ा… तो मैंने और प्रेशर किया… तो भाभी ने मुझे रोक दिया….

भाभी: श…. श… पंकज होता है… सिर्फ उसे जगह पर ध्यान मत दो… औरत के पास और कुछ भी होता है… लंड अपना काम खुद करेगा… तू मुझे एक्सप्लोर कर, ये टाइम पर तू मजे किस कर सकता है… मेरे गर्दन को चूम सकता है… मेरी चुचियो के साथ खेल सकता है… मुझे तू जैसे चाहे वैसे यूज़ कर… लंड को अपना रास्ता खुद मिल जाएगा…

मैं समझ गया… मैंने भाभी के स्तन को छुआ… उसे अब एक्सप्लोर करने लगा… धीरे धीरे लण्ड ने चूत में अपनी पकड़ खुद बना ली… वापस से चूत में मेरा लंड टाइट था… और मैंने थोडा और धक्का मार के चूत में मेरा लण्ड ७ इंच तक उतार दिया था… अब थोड़ी देर में मेरा लण्ड भाभी के लिए भारी पड़ने वाला था… एक तो मोटाई में भी मोटा था भैया से और लंबाई में भी… तो अब उसे भी तकलीफ पड़ने वाली थी…

भाभी: शायद अब अंदर नहीं जायेगा…

मैं: ऐसा क्या?

भाभी: हां तू मार धक्का तुजे मिल रही है जगह?

मैं: नहीं थोडा दर्द हो रहा है मुझे…

भाभी: तेरे तो लण्ड की चमड़ी खीच गई होगी… तू अब प्रेशर करेगा तो शायद खून भी निकले…

मैं: हा क्या?

भाभी: हा नॉर्मल है… तू अपनी भी चिंता मत कर और मेरी भी… आजा मेरे पास….

मैं भाभी के ऊपर भाभी को चूम रहा था… भाभी का पूरा सहयोग मिल रहा था… मैं खून का सोच के थोडा डर गया और लण्ड वापस थोडा पकड़ गवा रहा था के भाभी ने उसी समय का उपयोग करके अपनी गांड को ऊपर किया। भाभी की ये समय सुचकता काम आ गई…

मैंने भी थोडा जोर लगाया और मेरा पूरा का पूरा लंड भाभी के चूत में समा गया… मैंने देखा तो अब जगह नहीं थी… अब पूरा अंदर चला गया। मेरी एकतरफ तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं था… पर भाभी का चहेरा कुछ दर्द बयां कर रहा था…

मैं: भाभी निकाल लू क्या?

भाभी: अरे पगले ये लड़की को कभी मत पूछना… असली मज़ा लड़की को इस दर्द के बाद ही मिलता है… अगर ये दर्द मैं सेह नहीं पाऊँगी तो अगले पल मिलने वाला सुख मैं नहीं पा सकुंगी…. आज वैसे भी तूजे मेरी चिंता नहीं करनी है…

मैं: ये आज आज क्या करते हो? कल से क्या होगा?

भाभी: तू खुद ख्याल करेगा मेरा… अब बाते बंध कर… चाहे मुझे मार, चाहे गाली दे, चाहे जितना उकसाना हो उकसा, या तड़पाना हो तड़पा ले… पर अब सीरियस बाते लंड चूत के अंदर हो तब नहीं… ये लंड चूत का अपमान है… समजे..? अब मैं तेरी हूँ… तू जो चाहता था वो तुजे… आ…ह… मिल रहा…. आ…ह

(मैं धक्के मारने लगा था) है… अब… उ….ह तेरा ध्यान में….री…. आ…. ह बजाने में ही…. आ…. ह होना चाहिए…. आउच… जोर लगा… आ….ह और…. उ…ह जोर से…. उ….ह काट मुझे… आह….

मैं: आज… आह…… उह…. (मैं लण्ड और अंदर घुसाता था) मैं… ऊह…. ये दीवारे तोड़ कर…. उम्म्म्म्म्म्म्म (होठो पर किस किया) और…. तुझमे ही जडुंगा…. भैया के लिए आज…. ऊ….ह कुछ नहीं बचने वाला…. आह….. आह…. ओह….. यस बेबी…. आह…. मादरचोद रांड…. कितना मज़ा आ रहा है… बहनचोद…

ये कितना सुखद अनुभव है…. छिनाल एकबार तेरी गांड भी दे दे… ता के तू अब हर एंगल से मेरी हो जाए… एक केसेट की तरह दोनों और तुजे रगड़ना चाहता हूँ… गांड तो…. हाय तेरा निप्पल मादरचोद क्या मीठे है… काट के बाहर निकाल लू क्या? उम्म्म्म्म्म.

भाभी मेरे धक्को के साथ ऊपर निचे हो रही थी… पलंग पर मैं अपने पैर को एक हिस्से से लगाकर ये सब धक्के बना रहा था… वो ही मेरे कातिल धक्को का जवाबदार था… पलंग दो और से बंध क्यों होते है उसका एक कारण आज जानने को मिला… हा हा हा हा…. मैं और इन्टेन्स होता ही चला गया…. मुझे पानी के सहेलाब २ बार महसूस हुए…

भाभी को मैंने मतलब दो बार जाड दिया था… उस टाइम भाभी ने मेरे पीठ पर नाख़ून चुभाए थे… मुझे लगा भी के शायद छिल गया होगा, तो अब फिर बारी आई सुखद अनुभव की मेरी….. जन्नत की सैर करने का, या फिर पनिशमेंट देने का… मैंने भाभी को बराबर दबोच लिया और फिर उसके मुह में किस करते हुए मैंने एक जोरदार वीर्य की पिचकारी भाभी की चूत में डाल दिया…

 उस टाइम मैंने जोर से भाभी के निचले हिस्से को काट लिया… वो चीख पड़ी… पर हस के मेरे ये पनिशमेंट का स्वागत किया… मुझे लगा मैंने जल्दी किया पर बाद मैं पता चला के फिर भी मैं १५ मिनिट तक भाभी पर चढ़ा रहा था… अब मेरी ताकत खाली हो गई थी… क्योकि ये मेरा पहली बार का अनुभव था… होसला अभी भी बरकार था पर दो बार, सिर्फ २-३ घंटो में? थोडा थक गया था….

इसे भी पढ़े – जब सास की चूत में दामाद का लंड घुसता है

मैं भाभी के अंदर ही पड़ा रहा… मेरा सर भाभी के मम्मो के बिच पड़ा रहा… भाभी मेरे माथे पर अपनी उंगलिया घुमाती रही… मैं अपने लंड को बहार निकाल नही चाहता था… पर सब भारी भारी लग रहा था… मैंने हलके से अपने लण्ड को निकालना चाहा… पर मुझे भी थोडा चुभ रहा था…

भाभी: मुझे वजन नहीं लग रहा, पड़ा रह मुज पर… जब तेरा लंड़ ढीला हो जाए तब निकाल लेना…

मैं: ह्म्म्म्म मैं सो जाता हु थोड़ी देर के लिए…

भाभी: हम्म सो जा…

भाभी के मम्मो को तकिया बना कर मैं सो गया… पर लण्ड थोडा मानेगा, पांच मिनिट के बाद भी… वो मुझे परेशान कर ही रहा था… मैंने धीरे धीरे अपनी गांड को थोडा ऊँचा करके लण्ड को निकाल ने को कोशिश की… तो धीमे धीमे निकल रहा था… पर जैसे ही टोपा निकल के बहार आया तो भाभी भी आउच कर बैठी… और मेरे लण्ड पर खून लगा था…

भाभी: ह्म्म्म तो तू खुद को इंजर्ड कर बैठा… चमड़ी ऊपर चढ़ गई… और खून निकल गया… चल साफ़ कर देती हूँ…

भाभी नजदीक पड़ी लिंगरी को उठाने गई… पर मैंने रोक के कहा…

मैं: नहीं भाभी अपने बिच कोई कपडा नहीं आयेगा आज… मुह से कर दे साफ़… वीर्य है, खून है और तेरे चूत का पानी है.. जो तू वैसे भी किसीना किसी तरह से मुह में ले ही लेती है…

भाभी ने तय की गई बात मान ली और मेरा पूरा लौड़ा जीभ से चाट चाट कर साफ़ कर दिया… मेरे लौड़े में दर्द था… वो भाभी के मुह से अच्छा लगा… भाभी ने मुझे देखा और बोला…

भाभी: खुश?

मैं: ह्म्म्म

भाभी: अब में होठ पे तूने जो लव बाइट दिया है! क्या करू उसका? तेरे भैया को क्या बोलुं?

मैं: मैं थक गया हूँ… तेरा तू जाने… आजा सो जाए…

भाभी: हम्म ठीक है… मैं संभाल लुंगी….

हम दोनों वही पर दो नंगे बदन, चद्दर ओढ़ कर एक दूसरे की आगोश में लिपटे सो गए… मैंने इतनी गहरी नींद पहले कभी नहीं ली थी…

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