Theater Me Chudai
मेरा नाम आफरीन है, मैं विवाहित हू। मेरी उम्र २६ वर्ष है। यह बात तब की हे जब मैं कालेज में थी। मुझे अपने क्लास के एक लडके जैनुद्दीन से प्यार हो गया। हम दोनो अक्सर कालेज से टयूसन के लिये निकल जाते थे। फिर दोनो पिक्चर देखने के लिये भी जाने लगे। हम दोनो धीरे धीरे बहुत करीब आते गये। Theater Me Chudai
जैनुद्दीन मुझे हमेशा हाथो पर और फिर धीरे धीरे गालो पर चूम लेता था। एक दिन उसने मुझे मेरे होठों पर चूम लिया। अब वह थोडा निडर हो गया था। एक दिन उसने मुझे कस कर पकड लिया और मेरे होठो को चूम लिया फिर उसने मेरे कन्धों पर फिर मेरी गर्दन को चूम लिया।
उसने मेरे उरोजो का छू लिया। पहली बार किसी ने मेरे बूब्स को छुआ था मुझे बहुत अच्छा लगा था। धीमे धीमे वह और आगे बढ़ गया था। अब वह अपने हाथो से मेरी जाद्यों को कभी कभी वह अपने हाथो से मुझे पीछे से कमर के नीचे के भाग को दबा देता था। मुझे बहुत मजा आता था मैंने कभी विरोध नहीं किया।
एक दिन हम दोनो पिक्चर के लिये गये। हम सबसे पीछे की सीट पर बैठे थे। हॉल में भीड बहुत कम थी। और हमारे आस पास कोई नहीं बैठा था। पिक्चर शुरू होने के १० या १५ मिनट बाद जैनुद्दीन ने अपना हाथ मेरे कन्धो पर रखा और अपनी तरफ खींचा। थियेटर मे काफी अन्धेरा था।
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वह मेरे गालों पर चूमने लगा उसने मेरे होठों पर अपने होठ रख दिये उसकी सॉसे बहुत गरम थी। हम दोनेा ने एक दूसरे को बहुत बेताबी से किस्स करना शुरू कर दिया। तभी मैंने उसका हाथ अपने दुपट्टे के नीचे महसूस किया।उसका हाथ मेरे उरोजो को कमीज के ऊपर से दबाने लगा।
इस दौरान भी वह मुझे चूम रहा था। मैने अपनी ऑखे बन्द कर ली मुझे बहुत मजा आ रहा था। अचानक मुझे महसूस हुआ कि उसका हाथ मेरी कमीज के ऊपर के दो बटनों को खोल चुका था । उसका हाथ मेरी ब्रा के कोनो के अन्दर मेरे बूब्स को सहला रहे थे।
धीरे धीरे उसका हाथ मेरे निप्पल को अंगुलियों से छेडने लगा जिससे वे एकदम कठोर हो गये। मैं कुछ सोच नहीं पा रही थी कि मैं क्या करू। मेरे पूरे शरीर में एक अजीब सी तरंगे दौड़ रही थी। जो कि मेरी जिन्दगी में पहली बार हुआ था। उसने अपने हाथ को मेरी कमीज से निकाला और मेरे पेट पर रखा और इधर उधर घुमाता रहा।
फिर उसका हाथ नीचे की ओर बढने लगा। मेरे अन्दर अजीब सी फीलिंग हो रही थी। उसने अपना हाथ मेरी जांघो पर रखा और धीरे धीरे ऊपर की ओर ले गया। उसने मेरे प्राइवेट भाग को मेरी सलवार के ऊपर से ही छूआ। मेरे मुह से उॅहहहहह करके आवाज निकली मेरे पैर फैल गये और उसकी हथेली ने उस जगह को भर लिया। “Theater Me Chudai”
अपनी अंगुलियों से वह मेरे प्राइवेट अंग को रगड रहा था । उसका ऐसा करना मुझे पागल बना रहा था। मेरा बदन मेरे वश में नहीं था मैं अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी थी। अचानक उसने मुझसे अपनी कमीज की बटन बन्द करने और उसके साथ बाहर चलने को कहा।
मैने वैसा ही किया। हमने टैक्सी ली और कॉलेज की ओर चल पडे। शाम हो गयी थी कॉलेज बन्द हो चुका था केवल एक दो बच्चे थे। हम दोनो कॉलेज के पीछे की ओर से कॉलेज की छत की ओर गये। कॉलेज बन्द हो चुका था किसी के उधर आने की उम्मीद नहीं थी। “Theater Me Chudai”
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हमने ऐसी जगह चुनी जहॉ से हमें कोई देख नही पाये। हम दोनेा दीवार के सहारे खडे हो गये और बगैर वक्त बर्बाद किये एक दूसरे को बेसब्री से चूमना शुरू कर दिया। उसने मेरे दुपट्टे को उतार दिया। मेरी कमीज की सारी बटन खोल डाली और अपना हाथ मेरी कमीज में डालकर मेरे उरोजो को हाथ में ले लिया।
उसने इतनी जल्दी में यह सब किया कि मुझे कुछ समझ ही नही आ पाया। उसके इस तरह से छूने से मुझे करंट सा लगा। उसने मेरी ब्रा को खोल दिया और बडी बेदर्दी से मेरे बूब्स को मसलने लगा। मेरे बूब्स एकदम सख्त हो गये। वह अब मेरे उरोजो को चूमने लगा और मेरे एक निप्पल को मुंह में ले लिया और बडी सख्ती से उन्हें चूसने लगा।
उसका हाथ मेरे चूतड को मसल रहा था। उसने मुझे पीछे से अपनी बॉहों में जकड लिया और मेरे बूब्स को दबाने लगा। उसका सख्त हो चुका अंग मेरे पीछे चूतड में चुभने लगा। उसका हाथ मेरी कमीज के नीचे मेरे पेट पर टहल रहा था। शलवार के ऊपर से ही वह मेरे प्राइवेट भाग को रगड रहा था। “Theater Me Chudai”
मेरी शलवार का वह हिस्सा गीला हो गया जहॉ उसने अपना हाथ रखा था और मेरी चूत को रगड रहा था। जैनुद्दीन ने मेरी शलवार खोल दी और मैंने उसे नीचे गिर जाने दिया। उसकी अंगुलियॉ सीधे मेरी पैंटी के अन्दर पहुच गये और अगले ही पल उसकी अंगुलियॅा मेरी चूत के अन्दर पहुच गयी।
उन्हें वह अन्दर बाहर करने लगा। मैंने महसूस किया कि उसका सख्त लण्ड मेरी कमर में चुभ रहा है और धक्के लगा रहा था। उसने मेरी पैंटी को नीचे खींच दिया। मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था मैंने पलट कर उसकी पैंट खोल डाली और उसके अन्डरवियर में हाथ डालकर मैंने उसके अंग को हाथो में ले लिया।
उसने अपना पैंट नीचे गिरा दिया और मेरी पैंटी को उतार दिया। उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया मैंने अपनी टांगो को उसकी कमर में लपेट लिया। उसका कठोर अंग मेरी चूत के मुॅह को ढूढने लगा। मैंने उसे अपने हाथ से पकडा और अपनी चूत का रास्ता दिखाया। और एक झटके से उसका मोटा और कठोर लण्ड मेरे अन्दर प्रवेश कर चुका था।
मुझे लगा कि कोई जलती हुई चीज मेरे अन्दर घुस गयी। मैं दर्द से तड़प उठी। उसने मेरे मुह को एक हाथ से दबाया और मेरी कमर को एक हाथ से थाम लिया। अगले ही पल मेरी निप्पल उसके मुॅह में थे। वह उन्हें जोरें से चूसने लगा। उसका लण्ड अभी भी मेरे अन्दर ही था। “Theater Me Chudai”
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उसने मेरी कमर को कस कर पकड रखा था। जिससे मैं ऊपर ही नही उठ पा रही थी। धीरे धीरे मुझे मजा आने लगा मेरा दर्द जाने कहॉ चला गया। मैं अपने आाप को ऊपर नीचे करने लगी। उसने वही जमीन पर मुझे लिटाया और मेरे पैरों को फैलाया और उसका लण्ड अगले ही पल मेरी चूत में था। उसका पूरा लण्ड मेरे अन्दर तक समा रहा था । उसने मेरी कमर को हाथोंसे पकडा और जोरो से धक्के देने लगा। इस बीच मेरी चूत से पानी निकल गया उसने अपनी स्पीड बढा दी।
उसके लण्ड का उपर का सिरा मेरे अन्दर तक पहुँच रहा था उसका लण्ड मेरे अन्दर और कठोर और सख्त होता जा रहा था । हम दोनो एक दूसरे को बहुत जबरदस्त धक्के दे रहे थे। अचानक मैंने उसको कसकर पकड लिया उसने अपनी स्पाीड चालू रखी और अगले ही पल उसका वीर्य मेरी चूत में भर गया तभी मैं एक बार फिर झर गयी। वह मेरे ऊपर ही निढ़ाल हो गया। हम दोनों बुरी तरह से हॉफ रहे थे। हम दोनो ने कपडे पहने एक दूसरे को देख कर मुस्कुराये। हम दोनो एक दूसरे से पूरी तरह से सन्तुष्ट थे.