Virgin Fuck
मेरे पापा एक बड़े बिजनेस मैं हैं। हम लोग ग़ाज़ियाबाद के रहने वाले है। मेरे पापा के पास ७ फैक्ट्रीज है जिसमे तरफ तरफ की स्नैक्स आइटम, बिस्किट, ब्रेड वगेरह बनता है। मेरे पापा बहुत ही बीजी आदमी है। इसलिए उन्होंने एक ड्राईवर रखा है जो हर समय उनको कार से एक फैक्टरी से दूसरी फैक्ट्री और दूसरी जगहों पर ले जाता है। Virgin Fuck
कुछ दिन पहले हमारे ड्राईवर रमेश काका की लड़की सोना मेरे जन्मदिन पर हमारे घर आई तो मैं उसको देखता ही रह गया। क्या खूबसूरती थी उसकी। वो भले ही हमारे ड्राईवर की लड़की थी, पर थी बहुत मस्त माल। दोस्तों, मैं तो सोना को ताड़ता ही रह गया। कोई १८ साल की कच्ची कली थी वो। देखने में बहुत भोली, बहुत शरीफ लग रही थी।
मैं उसका चेहरा देखकर समझ गया की सोना अनचुदी है। वो मेरे जन्मदिन की पार्टी में बहुत शर्मा रही थी। जब वेटर उसको कोल्ड्रिंक और जूस ऑफ़र कर रहे थे तो वो जल्दी नही ले रही थी। मैंने अपने ड्राईवर रमेश काका [मैं सम्मान से उनको काका बोलता था क्यूंकि उनकी उम्र ४० की होगी] को कुछ मिठाइयाँ दी और उनके पैर छुए।
“आ…जुग जुग जियो बेटा….भगवान करे तुम्हारी उम्र १०० बरस की हो!!..मिलो मेरी बेटी सोना से!!” काका बोले और उन्होंने मुझे सोना जैसी मस्त माल से मिलाया। मैंने उससे हाथ मिलाया और हाल चाल पूछा। फिर रमेश काका कही चले गये किसी काम से। मैं सोना से बात करने लगा।
उसके लिए मैंने वेटर से स्नैक्स लाने को कहा। वो बहुत शर्मा रही थी। धीरे धीरे वो मुझसे खुल गयी और बात करने लगी। वो फिर हमारे घर हर हफ्ते आने लगी। सोना जादातर सादे रंग के कपड़े पहनती थी। उसे फैसन करना पसंद नही था।
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पर सादे कपड़ों में ही वो मुझ पर बहुत जुल्म ढाती थी। उसके दूध फूले फूले उसकी सफ़ेद कमीज से बाहर की ओर निकले रहते थे। सोना की भरी कसी कसी छातियाँ आराम से ३६” के उपर की ही होंगी। उसको देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था। “हे भगवान!! वो दिन कब आएगा जब इस फुलझड़ी की चूत में लंड डालने का सौभाग्य मुझे मिलेगा!!”
मैं खुद से यही बार बार कहता था। फिर दोस्तों सोना हर दोपहर मेरे घर रमेश काका [हमारे ड्राईवर] का टिफिन लेकर रोज आने लगे। एक दिन उसे बाजार में कुछ लड़के छेड़ रहे थे। तो मैंने उन लड़कों से लड़ाई कर ली और सोना को बचा लिया।
उसके बाद से हम दोनों की जान पहचान और गहरी हो गयी। एक दिन मेरे घर ५०” वाला led टीवी आया था जो खासकर मेरे कमरे में पापा से लगवाया था। दोपहर में जब सोना रमेश काका का टिफिन लेकर आई तो मैंने उसे टीवी दिखाने के लिए अपने कमरे में ले गया।
सोना नहा धोकर आई थी। उसके बाल अभी भी गीले थे। सोना का अनचुदा बदन बहुत जादा भरा हुआ था। उसके बस एक नजर देखते ही मेरा लंड क़ुतुब मीनार बन जाता था और उस कड़क माल को चोदना चाहता था।
“बहुत सुंदर टीवी है अवधेशकुमार!! ….हाय ….कितना बड़ा है!!” सोना मेरा led टीवी देखकर बोली।
“तुमको पसंद आया???” मैंने पूछा.
“हाँ !! सच में बहुत सुंदर है!” सोना अपने मुँह पर हाथ रखते हुए बोली। सच में दोस्तों, hd क्वालिटी के चैनेल्स तो बिलकुल क्रिसटल क्लिअर थे जो बहुत सुंदर लग रहे थे। फिर मैं उसे टीवी के चैनेल्स बदल बदलकर दिखा ही रहा था की एक चैनेल पर हीरो हीरोइन के साथ नहाते हुए उसे बाहों में भरके चूम रहा था। मेरा मन मचल गया और मैंने वही चेनेल लगा दिया। उसमे सिर्फ किस ही किस हो रहा था। सोना ने देखा तो शर्मा गयी और इस तरफ देखने लगी।
“क्या हुआ सोना??? टीवी से मुँह क्यों फेर लिया???’ मैंने हँसते हुए पूछा.
“…..नही मुझे लाज आती है!!” सोना बोली.
“क्यों….???” मैंने मजा लेटे हुए पूछा.
“….पता नही! ऐसे ही!!” सोना बोली.
उसी समय मैंने उसे पकड़ लिया और उसके गोरे साल पर मैंने उसे किस कर लिया। मुझे मुझे अपने से दूर करने लगी। मैंने जल्दी से आगे बढ़कर उसके ओंठ पर किस कर लिया और पीछे हट गया “सोना !! आई लव यू!!” मैंने उससे कहा। तो वो दूर हट गयी और उसने मुँह फेर लिया। मेरे सामने अब उसकी पीठ थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ सोना!! मैं तुम्हारे बिना जी नही पाऊंगा!!” मैंने उससे कहा। फिर वो बिना कुछ कहे चली गयी वहां से। फिर वो ५ दिन तक टिफिन देने नही आई। उसकी माँ और रमेश काका की पत्नी अब टिफिन देने आती थी। ६वे दिन सोना मेरे घर आई और सीधा मेरे कमरे में आकर मुझे लिपट गयी।
“अवधेश!! मैंने भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ!!” सोना बोली और मुझसे गले लग गयी।
उसके बाद तो दोस्तों मेरा लौड़ा तुरंत खड़ा हो गया। मैंने भी उसे कई बार आई लव यू बोल डाला और सीने से लगा लिया। मन ही मन मैं उपर वाले को धन्यवाद कहने लगा की उसने इतनी मस्त माल मुझसे पटा दी। मैंने उस दिन सोना को चोदना सही नही समझा वरना वो जान जाती ही मैंने उससे प्यार नही करता हूँ, सिर्फ उसके रूप को भोगना चाहता है, उसकी मुलायम चूत में अपना कठोर लंड देना चाहता हूँ।
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मैंने उस दिन सिर्फ उसको किस किया। जैसे जैसे दिन बीतने लगे तो मैं हर रात यही ख्वाब देखता ही सोना जैसी मक्खन मलाई मेरी बाहों में पूरी तरफ से नंगी है और मैं घपाघप पेल रहा हूँ। धीरे धीरे मेरी सोना से मुलाकाते बढती चली गयी।
अब मैंने अपनी लिमिट से आगे बढ़ने लगा और उसके सीने पर हाथ लगाने लगा। वो भी मुझको अब पसंद करती थी और प्यार करती थी इसलिए वो कुछ नही कहती थी। अब मेरा उसे चोदने का मौसम और मन पूरी तरफ से बन गया था। एक दिन जब मेरे घर में कोई नही था तो सोना रमेश काका का टिफिन लेकर आई। मैंने मौके पर चौका मार दिया और उसे कमरे में गया।
टिफिन मैंने नीचे हाल में ही छोड़ दिया की अगर रमेश काका आये तो उनको टिफिन सामने मिल जाए और उसे लेकर वो चले जाए। हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे। मैंने सोना जैसी कमाल की सामान के दूध दबाने लगा। ओह्ह्ह …क्या बड़े बड़े दूध थे उसके। फिर मैं खुलकर उसके मम्मे उनकी कमीज के उपर से दबाने लगा।
“सोना!!..आज तो मुझे चाहिए!” मैंने मजाक करते हुए कहा.
“…क्या???’ सोना बोली.
“….वही .” मैं बोला.
“ वही क्या???’ सोना भोलेपन से बोली.
“……तेरी चू…चूत!!” मैंने कह दिया.
सोना पर तो जैसी बिजली ही गिर गयी थी। वो कुछ नही बोली। मै समझ गया की वो चुदवाने को और चूत देने को तैयार है। धीरे धीरे मेरा हाथ सोना के गुप्तागों पर जाने लगे। मैंने उसे कलेजे से चिपका लिया था। हम दोनों मेरे कमरे में खड़े थे और एक दूसरे को बेहद गर्म होकर प्यार कर रहे थे।
सोना के हाथ मेरे सर और उनके बालों के बीच में नाच रहे थे। धीरे धीरे मेरे हाथ अपने आप सोना के मस्त मस्त पुट्ठों पर जाने लगा। उसको अंदाजा तो आराम से हो गया था की मेरा दिल उसको चोदने का कर रहा है। फिर भी उसने मुझे नही रोका था।
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सायद सोना भी मुझसे चुदवाना चाहती थी। वो मुझे सच्चे आशिक की तरफ मेरे गाल, गले और सीने पर अपने फूल जैसे खूबसूरत ओंठों से चूम रही थी। वहीँ मेरे दोनों हाथ अब उसके मस्त मस्त पुट्ठों पर पहुच गये थे। और मैं उसके चुत्तरों हो छूने और सहलाने का सौभाग्य ले रहा था। मुझे तो ऐसा लग रहा थी की जैसे मुझे दुनिया की खुशी मिल गयी हो।
बड़ी देर तक हम दोनों हीर-राँझा की तरफ एक दूसरे को बाहों में भरे रहे और प्यार करते रहे। मैं सोना जैसी भोली और जवान चोदने लायक सामान के जब पुष्ट पुट्ठे सहला सहलाकर जब तृप्त हो गया तो मेरा हाथ उनकी गांड के छेद की तरफ बढ़ने लगा और मैंने उनकी गांड में हाथ डाल दिया उसके सलवार के उपर से। सोना ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
“क्या हुआ जान???’ मैंने पूछा.
“…..नही…. ये मत करो!!” वो हल्के से बोली.
मैंने तीखे तेवर दिखाते हुए उसकी बुर पर हाथ रख दिया। निबा जैसी माल की आँखें शर्म से नीचे झुक गयी। मेरी आँखों में सिर्फ और सिर्फ उसकी रसीली चूत की तस्वीर थी। कितने दिन मैंने उसे चोदने के सपने देखे थे। रोज रात में देखता था की सोना की चूत मार रहा हूँ।
वो मुझे मना करने लगी, पर मैंने उसकी बुर से हाथ नही हटाया और उसकी दोनों टांगों के बीच मेरा हाथ बना रहा और मैं उसकी सलवार के उपर से सोना की बुर सहलाता रहा। वो समझ गयी की आज मैं उसकी चूत लेकर रहूँगा। फिर उसने मुझे नही रोका।
खड़े खड़े ही मैं कितने देर तक उसकी बुर में ऊँगली करता रहा और सहलाता रहा, ये बात ना तो मुझे याद रही और ना सोना को। कुछ देर बाद उसकी सलवार बुर के उपर गिली हो गयी। उसकी चूत मेरी छुअन से तर हो गयी थी और अपना सर चोदने लगी थी।
फिर मैंने उसको अपने बिस्तर पर ले गया और मैंने उसकी सलवार का नारा खोल दिया। सलवार निकाल दी तो मेरा की सोना जैसी भोली भाली लड़की की पेंटी उनकी चूत के माल से पूरी तरफ से तर हो चुकी थी। मैंने उनकी पेंटी पर जीभ लगा दी और चड्ढी के उपर से ही उनकी बुर का माल पीने लगा।
मुझे पता नही कैसा नशा सा चढ़ गया था। कुछ देर बाद मुझसे न रहा गया। मैंने सोना की पेंटी उतार दी। उसकी चूत पर उसका ही ढेर सारा सफ़ेद रंग का मक्खन आ गया था। मैंने सोना के दोनों पैर खोल दिए और उसकी चूत का पान करने लगा, उसकी बुर पीने लगा।
ये मनमोहक और मादक खेल बड़ा लम्बा चला। मैंने उसकी चूत खोलकर देखी तो सिल बंद माल थी वो। अभी तक सील टूटी नही थी। किसी से सोना को चोदा नही था। मैं उसके चूत के मुलायम दाने को जीभ से चाटता रहा। कुछ देर में सोना अपनी गांड और कमर उठाने लगी।
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मैं समझ गया की वो चुदवाने को पूरी तरफ से तैयार है। अब उसकी बुर में लंड दे देना चाहिए। मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और लंड सोना की रसीली चूत पर लगा दिया। और एक जोर का धक्का मारा। मेरा लंड सीधा उसकी चूत में अंदर गहराई तक उतर गया था। जैसे कोई खेत में खूटा गाड़ देता है।
सोना दर्द से कराहने लगी। अई…. अई…. ओह आ….. ऊऊ.. उई उई… सोना इस तरफ से कराहने लगी। दर्द में उसका चेहरा मुझे और जादा प्यारा लग रहा था। मैंने निचे से धीरे धीरे अपनी कमर चला चलाकर उसे चोदने लगा। कुछ देर तक उसकी आँखें बंद रही, मैं बीच में नही रुका। और उसे बजाता ही रहा।
बड़े देर बाद सोना ने अपनी बड़ी बड़ी काली कलाई गोटियों वाली आँखे खोली। मैंने झुककर उसकी कांच जैसी बेहद खूबसूरत आँखों को चूम लिया और जोर जोर से कमर चलाकर सोना की चुदाई करने लगा। उसने फिर से अपनी नजरे झुका ली। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
झुकी निगाहों में सोना मुझे और जादा खूबसूरत और सेक्सी और चुदासी माल लग रही थी। मैंने उसे दोनों हाथों में भर लिया और जोर जोर से उसकी रसीली चूत पर मेहनत करने लगा। मैं जोर जोर से कमर चलाकर अपने ड्राईवर रमेश काका की लड़की सोना को चोद रहा था जिसे बजार में लोग किसी रंडी को लेते है। बिलकुल उसी तरफ से मैं सोना को पेल रहा था।
कुछ देर बाद मैं उसको इतनी जोर जोर से उसकी रसीली चूत में फटके मारने लगा की उसके दूध हिलने लगे। उसके ३४” के दूध किसी नारियल जैसे नुकीले लग रहे थे। मैंने उसके दूध पर अपने हाथ रख दिए थे और उनको दबा दबाकर सोना को चोद रहा था।
२० मिनट तक मैंने सोना को पेला और उसकी चूत पर मेहनत की और फिर मैं झड़ गया। जैसे ही मैने अपना लौड़ा उसकी बुर से निकाला तो सोना के भोसड़े से मेरा माल बाहर की तरफ निकलने लगा। सोना ने सारा माल अपनी ऊँगली में बटोर लिया और पूरा मुँह में लगाकर चाट गयी।
उसके बाद मैंने उसके रसीले होठ पीने लगा। कुछ देर हम दोनों में कोई बात नही हुई। क्यूंकि हम दोनों नंगे थे और एक दूसरे से चिपके हुए थे। मेरे ड्राईवर की लड़की सोना मुझसे एक बार चुद चुकी थी पर मेरा तो अभी उसको और पेलने का मन था।
उसके जिस्म से उसकी जनाना भीनी भीनी खुसबू आ रही थी। मैं उस खुश्बू को सूंघ रहा था और मजा मार रहा था। मैंने सोना को अपने सीने से लगा रखा था। उसके ३४” के दूध मेरे छाती के वजन से दब रहे थे और अपना आकार बदल रहे थे।
सोना की पीठ बड़ी मांसल, भरी भरी और सेक्सी चिकनी पीठ थी। मैंने कितनी देर तक उसकी नंगी पीठ को सहलाने का सुख लेता रहा, ये तो मुझे भी नही याद था। बड़ी देर तक सोना मेरे सीने पर खामोश लेती रही।
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“सोना !!…ऐ सोना!!. अपनी आँखे तो खोलो!!” मैंने प्यार से कहा उसके गाल चुमते हुए. उसने नजरे उठा दी तो लगा की जैसे दिन हो गया हो और सुबह हो गयी हो। चुदाई की लाज उसकी आँखों में मैं साफ़ देख सकता था। “चुदाई में मजा आया की नही????” मैंने साफ साफ़ किसी बेशर्म लड़के की तरह पूछ लिया। अब चुदवा चुकी सोना लजा गयी और और फिरसे उसने निगाहें गिरा दी। दूसरी बार चुदवाने की तरफ अब मैं बढ़ने लगा।
कुछ देर में मेरा लंड उत्तरी कोरिया की परमाणु मिसाइल की तरह फिर से खड़ा हो गया। मैंने लंड को हाथ से पकड़कर सोना की पीठ पर लगाना शुरू किया। सोना पेट के बल मेरे बिस्तर पर औंधी लेटी थी। कुछ देर बाद मैंने बैठकर उसके दोनों पुट्ठों के बीच लंड उसके भोसड़े में दे दिया और उसको आधे घंटे और चोदा और उनकी रसीली चूत का लुफ्त उठाया। उसके बाद दोस्तों हमारे ड्राईवर की लड़की सोना मुझसे पूरी तरह से पट गयी और मैं हर हफ्ते उसकी चूत मारने लगा।