• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer

HamariVasna

Hindi Sex Story Antarvasna

  • Antarvasna
  • कथा श्रेणियाँ
    • Baap Beti Ki Chudai
    • Desi Adult Sex Story
    • Desi Maid Servant Sex
    • Devar Bhabhi Sex Story
    • First Time Sex Story
    • Group Mein Chudai Kahani
    • Jija Sali Sex Story
    • Kunwari Ladki Ki Chudai
    • Lesbian Girl Sex Kahani
    • Meri Chut Chudai Story
    • Padosan Ki Chudai
    • Rishto Mein Chudai
    • Teacher Student Sex
  • Girlfriend Boyfriend Sex Story
  • Bhai Bahan Sex Stoy
  • Hindi Sex Story
  • माँ बेटे का सेक्स
  • अपनी कहानी भेजिए
  • ThePornDude
You are here: Home / Hindi Sex Story / चौधराइन की कामुकता का इलाज किया वैध जी ने

चौधराइन की कामुकता का इलाज किया वैध जी ने

दिसम्बर 2, 2024 by hamari

Gaon Bur Chudai

हमारे गांव के चौधरी साहब की चौधराइन का नाम रेखा देवी है। रेखा देवी, प्रभावशाली व्यक्तित्व के अलावा एक स्वस्थ भरे-पूरे शरीर और की मालकिन भी हैं। अच्छे खान पान तथा मेहनती दिनचर्या से उनके बदन में सही जगहों पर भराव है। सुडौल मांसल बाहें उन्नत वक्ष, कमर थोड़ी मोटी सी, पर केले के खम्भों जैसी मोटी मोटी जांघे, भारी कूल्हे और नितम्बों के कारण बुरी न लग के मादक लगती हैं और पीछे से तो गुदाज पीठ के नीचे भारी कूल्हे थिरकते चूतड़ भी गजब ढाते हैं। Gaon Bur Chudai

सुंदर रोबदार चेहरा तेज तर्रार पर नशीली आंखे तो ऐसी जैसे दो बोतलें शराब पी रखी हो। वह अपने आप को खूब सजा संवार के रखती हैं। घर में भी बहुत तेज-तर्रार अन्दाज में बोलती हैं और सारे घर के काम वह खुद ही नौकरो की सहायता से करवाती हैं। उसने सारे घर को एक तरह से अपने कब्जे में कर रखा है।

उसकी सुंदरता ने उसके पति को भी बांध कर रखा है। चौधरी शुरू से ही अपनी बीवी से डरता भी था। बीवी जब आई थी तो बहुत सारा दहेज ले के आई थी इसलिये उसके सामने मुंह खोलने में भी डरता है, बीवी शुरू से ही उसके ऊपर पूरा हुकुम चलाती थी।

धीरे धीरे चौधरी ने घर के मामलों में जो थोड़ी बहुत टिका टिप्पड़ी वो करता थ वो भी बन्द कर सबकुछ उसे ही सौंप अपनी अलग दुनियां बना ली क्योंकि काम-वासना के मांमले में भी वह बीवी से थोड़ा उन्नीस ही पड़ता था सो अगर चौधराइन ने कभी हाथ धरने दे दिया तो ठीक नहीं तो गांव की कुछ अन्य औरतों से भी उसका टाँका था।

इसे भी पढ़े – पापा अपने लंड का स्वाद चखाने लगे मुझे

रेखा देवी कुछ ज्यादा ही गरम लगती हैं। उसका नाम ऐसी औरतों में शामिल है जो पायें तो खुद मर्द के ऊपर चड़ जाये। गांव की लगभग सारी औरते उनको मानती हैं और कभी भी कोई मुसीबत में फँसने पर उन्हें ही याद करती है। चौधरी बेचारा तो बस नाम का ही चौधरी है असली चौधरी तो चौधराइन हैं।

गांव के वैद्यराज पन्डित सूर्यप्रकाश पान्डे ने पन्डिताई और वैद्यगी करते करते थोड़ी जमीन जायदाद जोड़ छोटे मोटे जमींदार भी हो गये हैं एक तो पण्डितजी चौधराइन के गाँव के थे, दूसरे पन्डिताइन चौधरी साहब को अपना भाई मानती हैं ऊपर से पैसे और रहन सहन के मामले में दोनों का बराबर का होने की वजह से भी उनकी चौधरी परिवार से काफ़ी गाढ़ी छनती है।

पाण्डे जी का का एक ही बेटा आकाश है प्यार से सब उसे आकाश कहते हैं। वो देखने में बचपन से सुंदर था, थोड़ी बहुत चंचल पर वैसे सीधा सादा लड़का है। वो चौधराइन को चाची कहता है उसका भी एक कारण है चौधराइन उससे कहती थी मुझे बुआ कहा कर पर उसकी पन्डिताइन माँ कहती थी चौधरी तेरे मामा और चौधराइन मामी हैं।

बच्चे ने परेशान हो कर चाचा चाची कहना शुरू कर दिया क्यों कि गाँव के सब बच्चे चौधरी चौधराइन को चाचा चाची ही कहते थे। आकाश से थोड़ी छोटी, चौधराइन की एक मात्र लड़की रेशमा थी। वो जब बड़ी हुई तो चौधराइन ने उसे शहर पढ़ने भेज दिया। देखा देखी पाण्डे जी को भी लगा की लड़के को गांव के माहौल से दूर भेज दिया जाये ताकि इसकी पढ़ाई लिखाई अच्छे से हो और गांव के लौंडों के साथ रह कर बिगड़ ना जाये।

चौधराइन और सूर्यप्रकाश ने सलाह कर के रेशमा और आकाश दोनों को आकाश के मामा के पास भेज दिया जो की शहर में रह कर व्यापार करता था। दिन इसी तरह बीत रहे थे। चौधरी सबकुछ चौधराइन पर छोड़ बाहर अपनी ही दुनिया में अपने में ही मस्त रहते हैं।

अगर घर में होते भी तो के सबसे बाहर वाले हिस्से जिसे मर्दाना कहते हैं और चौधराइन या अन्य कोई घर की औरत उधर नहीं जाती में ही रहते हैं वहीं वे अपने मिलने वालों और मिलने वालियों से मिलते हैं और दोस्तों के साथ हुक्का पीते रहते। चौधराइन का सामना करने के बजाय नौकर से खाना मंगवा बाहर ही खा लेते और वहीं सो जाते।

आज चौधराइन ने पण्डितजी को खबर भेजी कि एक जरूरी बात बिचरवानी है जल्दी से आ जायें। पण्डितजी अपना काम समेट करीब साढ़े 11 बजे चौधराइन से मिलने चले। तकरीबन १२ बजे के आस पास जब चौधराइन रेखा देवी अपने पति चौधरी साहब से कुछ अपना दुखड़ा बयान कर रही थीं। तब तक पण्डित सूर्यप्रकाश पाण्डे जी आ पहुँचे।

चौधरी साहब, “आओ सूर्यप्रकाश! लो रेखा, आगया तुम्हारा भाई अब मेरा पीछा छोड़ जो पूछना है इससे पूछ ले। मुझे जरूरी काम से बाहर जाना है।”

यों बोल चौधरी साहब खिसक लिये। रेखा देवी सूर्यप्रकाश उसको देख कर खुश होती हुई बोली आओ सूर्यप्रकाश भाई अच्छा किया आप जल्दी आ गये, पता नही दो तीन दिन से पीठ में बड़ी अकड़न सी हो रही है। पण्डित सूर्यप्रकाश पाण्डे जी ने पोथी खोल के कुछ बिचारा और बोले “वायू प्रकोप है एक महीने चलेगा।”

इसे भी पढ़े – सुहागरात पर बेदर्द तरीके से चुदी मैं

“कोई उपाय पण्डितजी” रेखा देवी ने मुस्कुरा के पूछा।

पण्डित सूर्यप्रकाश – “उपाय तो है अभिमन्त्रित(मन्त्रों से शुद्ध किये) तेल से मालिश और जाप पर ये सब मुझे अभी ही शुरू करना होगा।”

चौधराइन, “ठीक है”.

पण्डितजी “एकान्त और थोड़े सरसों के तेल की व्यवस्था कर लें।”

चौधराइन, “ठीक है।”

जाप क्या होना था, ये जो पण्डित सूर्यप्रकाश पाण्डे जी हैं ये चौधराइन के पूराने आशिक हैं पण्डितजी और चौधराइन दोनों को अपने गन्दे दिमाग के साथ अभी भी पूरे गांव की तरह तरह की बाते जैसे कि कौन किसके साथ लगी है, कौन किससे फँसी है और कौन किसपे नजर रखे हुए है आदि करने में बड़ा मजा आता है। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

गांव, मुहल्ले की बाते खूब नमक मिर्च लगा कर और रंगीन बना कर एकदूसरे से बताने में उन्हें बड़ा मजा आता था। इसीलिये दोनो की जमती भी खूब है। इस प्रकार अपनी बातों और हरकतों से पण्डितजी और कामुक चौधराइन एक दूसरे को संतुष्टि प्रदान करते हैं।

हाँ तो फिर चौधराइन पण्डितजी को ले इलाज करवाने के लिये अपने कमरे में जा घुसी। दरवाजा बंद करने के बाद चौधराइन बिस्तर पर पेट के बल लेट गई और पण्डित सूर्यप्रकाश पाण्डे जी उसके बगल में साइड टेबिल पर तेल की कटोरी रखकर खड़े हो गये।

दोनो हाथों में तेल लगा कर पण्डितजी ने अपने हाथों को धीरे धीरे चौधराइन की कमर और पेट पर चलाना शुरु कर दिया था। चौधराइन की गोल-गोल नाभि में अपने उंगलियों को चलाते हुए पण्डितजी और चौधराइन की बातो का सिलसिला शुरु हो गया।

चौधराइन ने थोड़ा सा मुस्कुराते हुए पुछा “और सुना सूर्यप्रकाश, कुछ गांव का हाल चाल तो बता, तुम तो पता नही कहाँ कहाँ मुंह मारते रहते हो।”

पण्डितजी के चेहरे पर एक अनोखी चमक आ गई “अरे नहीं रेखा, मैं शरीफ़ आदमी हूँ हाल चाल क्या बताये गांव में तो अब बस जिधर देखो उधर जोर जबरदस्ती हो रही है, परसों मुखिया ने नंदु कुम्भार को पिटवा दिया पर आप तो जानती ही हो आज कल के लडकों को, मुखिया पड़ा हुआ है अपने घर पर अपनी टूटी टाँग ले के।”

चौधराइन “पर एक बात तो बता मैंने तो सुना है की मुखिया की बेटी का कुछ चक्कर था नन्दु के बेटे से।”

पण्डितजी “सही सुना है चौधराइन, दोनो मे बड़ा जबरदस्त नैन-मटक्का चल रहा है, इसी से मुखिया खार खाये बैठा था बड़ा खराब जमाना आ गया है, लोगों में एक तो उंच नीच का भेद मिट गया है, कौन किसके साथ घुम फिर रहा है यह भी पता नही चलता है.”

चौधराइन “खैर और सुनाओ पण्डित, मैंने सुना है तेरा भी बड़ा नैन-मटक्का चल रहा है आज कल उस सरपंच की बीबी के साथ, साले अपने को शरीफ़ आदमी कहते हो।”

पण्डितजी का चेहरा कान तक लाल हो गया था, चोरी पकड़े जाने पर चेहरे पर शरम की लाली दौड़ गई।

इसे भी पढ़े – जीजा जी ने मेरी छोटी चूत को प्यार किया

शरमाते और मुस्कुराते हुए बोले “अरे कहाँ चौधराइन मुझ बुड्ढ़े को कौन घास डालता है ये तो आप हैं कि बचपन की दोस्ती निभा रही हैं वैसे मुझे भी आपके मुकाबले तो कोई जचती नहीं।”

पण्डितजी, “उह बुड्ढ़ा और साले तू! परसों पण्डिताइन ने बताया था कि तू आधी रात तक उसे रौन्दता रहा था जब्कि उसी दिन दोपहर में मुझे पूरा निचोड़ चुका था साले तेरा बस चले तो गाँव की सारी जवान बुड्ढी सबको समूचा निगल जाये।”

ये सुन कर पण्डित सूर्यप्रकाश ने पूरा जोर लगा के चौधराइन की कमर को थोड़ा कस के दबाया, गोरी चमड़ी लाल हो गई, चौधराइन के मुंह से हल्की सी आह निकल गई, “आआह।” पण्डितजी का हाथ अब तेजी से चौधराइन की कमर पर चल रहा था। तेज चलते हाथों ने चौधराइन को थोड़ी देर के लिये भूला दिया की वो क्या पूछ रही थी।

पण्डितजी ने अपने हाथों को अब कमर से थोड़ा नीचे चलाते हुए पेट तक फ़िर नाभि के नीचे तक पेटीकोट के अन्दर तक ले जाने लगे। इस प्रकार करने से चौधराइन की पेटीकोट के अन्दर नाभि के पास खुसी हुइ साड़ी धीरे धीरे बाहर निकल आई और फ़िर धीरे से पण्डितजी ने चौधराइन की कमर की साइड में हाथ डाल कर पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया।

चौधराइन चिहुंकी, सर घुमा के देखा तो पण्डितजी की धोती में उनका फ़ौलादी लण्ड फ़ुफ़्कार रहा था चौधराइन ने अपना मुंह फ़िर नीचे तकिये पर कर लिया पर धीरे से हाथ बढ़ाकर उनका साढ़े आठ इन्च का फ़ौलादी लण्ड धोती के ऊपर से ही थाम फ़ुसफ़ुसाते हुए बोलीं – “खाल में रहो पण्डित अभी इतना टाइम नहीं है बहुत काम है।”

पण्डितजी ने सुनी अनसुनी सी करते हुए चौधराइन के पेटीकोट को ढीला कर उसने अपने हाथों से कमर तक चढ़ा दिया। पण्डितजी हाथों में तेल लगा कर चौधराइन के मोटे-मोटे चूतड़ों को अपनी हथेलीं में दबोच-दबोच कर मजा लेने लगे। रेखा देवी के मुंह से हर बार एक हल्की-सी आनन्द भरी आह निकल जाती थी।

अपने तेल लगे हाथों से पण्डितजी चौधराइन की पीठ से लेकर उसके मांसल चूतड़ों तक के एक-एक कस बल को ढीला कर दिया था। उनका हाथ चूतड़ों को मसलते मसलते उनके बीच की दरार में भी चला जाता था। चूतड़ों की दरार को सहलाने पर हुई गुद-गुदी और सिहरन के करण चौधराइन के मुंह से हल्की-सी हँसी के साथ कराह निकल जाती थी।

इसे भी पढ़े – पति ने प्यास जगाई नौजवान पड़ोसी ने पेला

पण्डितजी के मालिश करने के इसी मस्ताने अन्दाज की रेखा देवी दिवानी थी। पण्डितजी ने अपना हाथ चूतड़ों पर से खींच कर उसकी साड़ी को जांघो तक उठा कर उसके गोरे-गोरे बिना बालों की गुदाज मांसल जांघो को अपने हाथों में दबा-दबा के मालिश करना शुरु कर दिया।

चौधराइन की आंखे आनन्द से मुंदी जा रही थी। उनके हाथ से लण्ड छूट गया। पण्डित सूर्यप्रकाश का हाथ घुटनों से लेकर पूरी जाँघों तक घुम रहे थे। जांघो और चूतड़ों के निचले भाग पर मालिश करते हुए पण्डितजी का हाथ अब धीरे धीरे चौधराइन की चूत और उसकी झांठों को भी टच कर रहा था।

पण्डितजी ने अपने हाथों से हल्के हल्के चूत को छूना करना शुरु कर दिया था। चूत को छूते ही रेखा देवी के पूरे बदन में सिहरन-सी दौड़ गई थी। उसके मुंह से मस्ती भरी आह निकल गई। उस से रहा नही गया और पलट कर पीठ के बल होते हुए झपट कर उनका हलव्वी लण्ड थाम बोलीं “तु साला न मेरी शादी से पहले मानता था न आज मानेगा।”

“चौधराइन पण्डित वैद्य से इलाज करवाने का यही तो मजा है.”

“चल, आज जल्दी निबटा दे मुझे बहुत सारा काम है.”

“अरे काम-धाम तो सारे नौकर चाकर कर ही रहे है चौधराइन, जरा अच्छे से पण्डित से जाप करवा लो बदन हल्का हो जायेगा तो काम भी ज्यादा कर पाओगी।”

चौधराइन -“हट्ट साले आज मैं तेरे से बदन हल्का करवाने के चक्कर में नही पड़ती थका डालेगा साला मुझे। जाके पण्डिताइन का बदन हलका कर।”

इसे भी पढ़े – माँ शराब के नशे थी मैंने चोद दिया

चौधराइन ने अपनी बात अभी पूरी भी नही की थी और पण्डितजी का हाथ सीधा साड़ी और पेटीकोट के नीचे से रेखा देवी की चूत पर पहुंच गया था। चूत की फांको पर उंगलियाँ चलाते हुए अपने अंगुठे से हलके से रेखा देवी की चूत की पुत्तियों को सहला दिया। चूत एकदम से पनिया गई। चौधराइन ने सिसकारी ली “सीस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सई आआह शैतान।”

अब चौधराइन अपनी पीठ के पीछे दो तीन मोटे बड़े तकियों की धोक लगा कर अधलेटी हो गईं जिससे छातियों पर से आंचल नीचे सरक गया। चौधराइन की साड़ी पेटीकोट पण्डितजी की हरकतों से जाँघों के ऊपरी हिस्से तक पहले ही सिमट चुका था उन्होंने अपनी जांघो को फ़ैला, और चौड़ा कर दिया फ़िर अपना एक पैर घुटनो के पास से मोड़ दिया।

जिससे साड़ी पेटीकोट और सिमट कर कमर के आसपास इकट्ठा हो गया और दोनों फ़ैली जांघों के बीच झाँकती चूत पण्डितजी को दिखने लगी मतलब चौधराइन ने पण्डित सूर्यप्रकाश को ये सीधा संकेत दे दिया कि कर ले अपनी मरजी की, जो भी करना चाहता है।

बिस्तर की साइड में खड़े पण्डितजी मुस्कुराते हुए बिस्तर पर चढ़ आये और उनकी टाँगों के बीच घुटनों के बल बैठ गये इस कार्यवाही में उनका लण्ड चौधराइन के हाथों से निकल गया। चौधराइन की गोरी चिकनी मांसल टांगो पर तेल लगाते हुए पण्डितजी ने धीरे से हाथ बढ़ा चूत को हथेली से एक थपकी लगाई और चौधराइन की ओर देखते हुए मुस्कुरा के बोले

“पानी तो छोड़ रही हो रेखारानी”.

इस पर रेखा देवी सिसकते हुए बोली –“सीस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सई आआह! साले ऐसे थपकी लगायेगा तो पानी तो निकलेगा ही।”

पण्डितजी ने पुछा “क्या ख्याल है जाप पूरा करवाओगी चौधराइन।”

चौधराइन ने पण्डित सूर्यप्रकाश की तरफ़ घूर के देखा और उनका फ़ौलादी लण्ड झपटकर अपनी चूत की तरफ़ खीचते हुए बोलीं “पूरा तो करवाना ही पडेगा साले पण्डित अब जब तूने आग लगा दी है तो।”

चौधराइन के लण्ड खींचने से पण्डित अपना सन्तुलन सम्हाल नहीं पाये और चौधराइन के ऊपर गिरने लगे। सम्हलने के लिए उन्होंने चौधराइन के कन्धे थामें तो उनका मुँह चौधराइन के मुँह के बेहद करीब आ गया और लण्ड चूत से जा टकराया। बस पन्डित ने मुँह आगे बढ़ा उनके रसीले होठों पर होठ रख दिये और चूसने लगे। चौधराइन भी भी अपने बचपन के यार से अपने रसभरे होठ चूसवाते हुए उसका लण्ड अपनी चूत पर रगड़ रही थीं।

पण्डित के हाथ कन्धों से सरक पीठ पर पहुँचे और चौधराइन के ब्लाउज के हुक खोलने लगी। ब्लाउज के बटन खुलते ही पन्डित सूर्यप्रकाश ने बड़ी फ़ुर्ती से ब्रा का हुक भी खोल दिया और ब्लाउज और ब्रा एक साथ कन्धों से उतार दी उनकी इस अचानक कार्यवाही से हड़बड़ा कर चौधराइन ने सीने के पास ब्रा पे हाथ रख उन्हें धकेलते हुए बोलीं – “अरे अरे रुको तो!”

पन्डित सूर्यप्रकाश (झपट के ब्रा नोच उनके बदन से अलग करते हुए) –“अभी तो कह रहीं थी जल्दी करो, अब कहती हो रुको रुको।”

झटके से ब्रा हटने से चौधराइन के दोनों बड़े बड़े खरबूजों जैसे स्तन उछल के बाहर आ गये तो पन्डित सूर्यप्रकाश ने अपने दोनों हाथ बढ़ा रेखा देवी की हलव्वी खरबूजे थाम लिये और उनको हल्के हाथों से पकड़ कर सहलाने लगे जैसे की पुचकार रहे हो। “सीस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सई आआह!”

सूर्यप्रकाश की हरकतों से उत्तेजित चौधराइन सिसकारियाँ भरते हुए उनका लण्ड अपनी चूत पर रगड़ रही थीं। पन्डित सूर्यप्रकाश ने अपने हाथों पर तेल लगा के पहले दोनो चुचों को दोनो हाथों से पकड़ के हल्के से खिंचते हुए निप्पलो को अपने अंगुठे और उंगलियों के बीच में दबा कर मसलने लगे। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

निप्पल खड़े हो गये थे और दोनो चुचों में और भी मांसल कठोरता आ गयी थी। पण्डितजी की समझ में आ गया था की अब चौधराइन को गरमी पूरी चढ़ गई है। उत्तेजना से बौखलाई चौधराइन की दोनों आँखें बन्द थीं और उनके मुँह से “सीस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सई आआह!”

इसे भी पढ़े – सऊदी में कफील की चुदासी बेटी ने चुदवाया

जैसी आवाजे आ रहीं थीं और वो अपनी गुदाज हथेली में पण्डित सूर्यप्रकाश का हलव्वी लण्ड दबाये अपनी चूत के बूरी तरह गीले हो रहे मुहाने पर जोर जोर से रगड़ रही थीं तभी चौधराइन ने पण्डित सूर्यप्रकाश की तरफ़ देखा दोनों की नजरें मिलीं और चौधराइन ने आँख से इशारा किया। चौधराइन का इशारा समझ तेल लगी चुचियों को सहलाते दबाते धक्का मारा और उनका सुपाड़ा पक से चौधराइन की चूत में घुस गया। सीस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सई आआह!

चौधराइन ने दबी आवाज में सिसकारी भरी पर साथ ही चूतड़ उछालकर पण्डित सूर्यप्रकाश को बचा लण्ड चूत मे डालने में मदद भी की। सूर्यप्रकाश ने चौधराइन की मदद से तीन ही धक्कों मे पूरा लण्ड धाँस दिया बस फ़िर क्या था कभी पण्डित ऊपर तो कभी चौधराइन, दोनों ने धुँआधार चुदाई की। पण्डित वैद्यराज सूर्यप्रकाश जी की चुदाई भरे इलाज से बुरी तरह थकी चौधराइन, उन के जाने के बाद सो गई तो उनकी नींद करीब साढ़े तीन बजे दोपहर में खुली। उनका बदन बुरी तरह टूट रहा था। सोचा अब तो सचमुच मालिश करवानी पड़ेगी।

दोस्तों आपको ये Gaon Bur Chudai की कहानी आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ फेसबुक और Whatsapp पर शेयर करे……………

अपने दोस्तों के साथ शेयर करे-

Related posts:

  1. दीदी आओ हमारा लंड भी खा लो
  2. पत्नी की उत्तेजित गर्म योनी का कामुक गंध
  3. चलती ट्रेन में अपने सामने पत्नी चुदवाई
  4. प्यासी अमीर औरत ने पूरे जिस्म से खेलने दिया
  5. दीदी ने खूबसूरत सहेली की चूत दिलाई मुझे
  6. मेरी बीवी को जिस्म की गर्मी दी मेरे दोस्त ने

Filed Under: Hindi Sex Story Tagged With: Boobs Suck, Hardcore Sex, Hindi Porn Story, Horny Girl, Kamukata, Mastaram Ki Kahani, Non Veg Story, Sexy Figure

Primary Sidebar

हिंदी सेक्स स्टोरी

कहानियाँ सर्च करे……

नवीनतम प्रकाशित सेक्सी कहानियाँ

  • Birthday Par Suhagrat Girlfriend Sath
  • बचपन की दोस्त की नशीली चूत चोदी
  • Mota Kela Laya Maa Ki Chut Me Dalne Ke Liye
  • शादीशुदा लड़की की कुंवारी गांड कैसे चोदी
  • Reena Bhabhi Ka Sexy Figure

Desi Chudai Kahani

कथा संग्रह

  • Antarvasna
  • Baap Beti Ki Chudai
  • Bhai Bahan Sex Stoy
  • Desi Adult Sex Story
  • Desi Maid Servant Sex
  • Devar Bhabhi Sex Story
  • First Time Sex Story
  • Girlfriend Boyfriend Sex Story
  • Group Mein Chudai Kahani
  • Hindi Sex Story
  • Jija Sali Sex Story
  • Kunwari Ladki Ki Chudai
  • Lesbian Girl Sex Kahani
  • Meri Chut Chudai Story
  • Padosan Ki Chudai
  • Rishto Mein Chudai
  • Teacher Student Sex
  • माँ बेटे का सेक्स

टैग्स

Anal Fuck Story Bathroom Sex Kahani Blowjob Boobs Suck College Girl Chudai Desi Kahani Family Sex Hardcore Sex Hindi Porn Story Horny Girl Kamukata Kunwari Chut Chudai Mastaram Ki Kahani Neighbor Sex Non Veg Story Pahli Chudai Phone Sex Chat Romantic Love Story Sexy Figure Train Mein Chudai

हमारे सहयोगी

क्रेजी सेक्स स्टोरी

Footer

Disclaimer and Terms of Use

HamariVasna - Free Hindi Sex Story Daily Updated