Kuvari Beti Chut Sex
मेरा नाम प्रीति है। मैं हरिद्वार में रहती हूँ। मै बचपन से ही बहोत खूबसूरत थी। इस समय मेरी उम्र 21 साल की है। मेरी माँ भी मुझसे कुछ कम नहीं है। वो भी खूबसूरती की मिशाल है। मेरे पापा का एक्सीडेंट जब मैं छोटी थी तभी हो गया था। बचपन से ही मै बिना बाप के थी। Kuvari Beti Chut Sex
मम्मी किसी धनवान मर्द से शादी की सोच रही थी। एक दिन एक लंबे चौड़े आदमी ने मम्मी की कुछ हेल्प कर दी। उसी दिन से उसकी दीवानी सी हो गयी। मेरी माँ ने दूसरी शादी कर ली थी। मेरे को एक नया बाप मिल गया था। मेरा बाप इतना कमीना होगा मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।
उस दिन मेरी मम्मी की खूबसूरती को देखकर उनकी हेल्प करके उनके दिल में जगह बना ली थी। मै उस समय 20 साल की थी। मेरा बचपन बीत चुका था। मेरी जवानी आ गयी थी। मैं बचपन से ही ज्यादा खूबसूरत लगने लगी थी। मेरा गदराया बदन देखकर मेरा बाप भी मेरी जवानी के मजे लूटना चाहता था।
मै भी अपनी माँ की तरह माल हो गयी थी। पापा मेरे को देख कर हमेशा घूरते रहते थे। हर रात वो मम्मी के साथ संभोग करते थे। मै आज भी उन्ही के पास सोती थी। हर रात चुदाई की आवाज को सुनती थी। कभी कभी तो कोई सीन भी देख लेती थी।
ये काम अक्सर रात के अंधेरे में लाइट बंद करके होता था। जब उनको लगता था कि मैं सो गयी हूँ वो लोग शुरू हो जाते थे। करीब एक घंटे तक मेरी मम्मी चीखती रहती थी। मेरा बाप उनके ऊपर उछलता रहता था। रोज रात को पूरा बिस्तर हिलता रहता था।
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मेरे को ये सब देख के चुदने को मन करता था लेकिन मै किसके साथ करती। मै किसी तरह देख देख कर ही मजा ले रही थी। एक दिन मम्मी पापा के साथ लेटी हुई थी। रोज की तरह आज भी उनका काम लगने वाला था।
मम्मी: जवान बेटी बगल में लेटी है। आप को अब ऐसा नही करना चाहिए.
पापा: हां उसकी भी शादी कर दू। नही तो उसकी जवानी का सारा मजा बेकार हो जायेगा.
मम्मी: हाँ इस उम्र में तो मेरे को लंड खाने को मिल गया था.
मै भी उनकी बातों को सुनकर बड़ी ही खुश हो रही थी। मेरे को लंड से खेलने की तड़प हो गयी। मै चुदने के सपने देखने लगी। लेकिन जो मेरे साथ हुआ उसे मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। मेरी शादी से पहले ही पापा ने अपना लंड खिला दिया। मेरी चूत में सबसे पहला लंड मेरे पापा ने ही घुसा दी।
फ्रेंडस, मै पापा और मम्मी के बीच की दरार बन गई थी। मै रात में देर से सोती थी। पापा को अपनी हवस को शांत करने का मौका भी नहीं मिल पाता था। वो तो मेरा सौतेला बाप था। एक दिन मेरे सामने ही मम्मी के साथ खेलना शुरू कर दिए। पहले तो मेरे को लगा की वो नॉर्मली प्यार कर रहे है।
लेकिन उनका प्यार धीरे धीरे बढ़ता ही जा रहा था। वो मम्मी के फूले हुए दोनों चूचो को पकड़कर मसल रहे थे। मम्मी ने मेरे को ये नजारा देखते हुए देख ली। मम्मी ने तुरंत ही पापा को धकेल दी। वो मेरी सगी माँ थी। इन सब चीजों से दूर रखना चाहती थी।
मेरा बाप पागल सा हो गया था। मम्मी से प्यार करते करते वो बहोत ही ज्यादा उत्तेजित हो गये थे। मै चुपचाप लेटी थी। मम्मी ने मेरे को बीच में कर दिया। मेरे दोनो बगल दोनों लोग लेट गए। पापा ने मेरे को प्यार से सहलाकर चिपका लिया।
उनका लंड मेरी कमर पर स्पर्श ही रहा था। मै अपने कमर पर उनके लंड की गर्माहट का एहसास कर रही थी। सर्दियों का मौसम था। सभी लोग रजाई ओढ़ के लेटे थे। पापा तो उस दिन सो गए लेकिन मेरे अंदर लंड को देखने की तड़प छोड़ दिए। मैं देखने को व्याकुल हो चुकी थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उस रात मैंने पापा के लंड को हाथो से भी छुआ था। मै रात भर अपनी चूत खुजाती रही। एक दिन मम्मी मेरे को लेकर मामा के यहाँ जाने की बात करने लगी। पापा ने मेरे को रोक लिया। मम्मी सुबह सुबह ही मामा के घर चली गयी। घर पर पापा के साथ बैठी हुई थी। मेरे को उनकी नजर बड़ी अजीब लग रही थी। मेरे को घूरते हुए मेरे मम्मो को ताड़ रहे थे।
पापा: तुम्हारा फिगर 34 30 32 होगा!
मैं: पता नहीं मैंने कभी नोटिस नहीं किया.
पापा: ब्रा की साइज क्या है तुम्हारी??
मै(शरमाते हुए): 34B.
पापा: मतलब तू अपनी माँ के करीब में पहुचने वाली है.
मै: पापा आज आप ये कैसी बहकी बहकी बाते कर रहे हैं??
पापा: तेरे को बता रहा हूँ मेरी जान की तुम अब जवान हो चुकी हो.
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तभी पापा को कोई काम याद आ गया और वो अपने काम पर चले गए। मेरे अंदर चुदने की प्यास बढ़ती ही जा रही थी। शाम को पापा आ गए। मैंने खाना बनाया और हमने एक साथ खाना खाया। रात के करीब 10 बजे हम लोग सोने चले गए। बिस्तर पर एक किनारे पापा और एक किनारे मैं लेटी हुई थी।
अचानक पापा धीरे धीरे मेरी तरफ बढ़ने लगे। मेरे पास आकर वो प्यार करने लगे। मै मदहोश होने लगी। इस तरह का प्यार तो वो मम्मी के साथ करते थे। मेरे को उनके प्यार करने का स्टाइल बहोत ही अच्छा लगा। मै बिना कुछ रियेक्ट किये हुए सब करवा रही थी। पापा का मौसम बन गया था।
मै: पापा ये क्या कर रहे हो??
पापा: बेटा तेरे को प्यारा कर रहा हूँ.
मै: रहने दो मेरे को कुछ होने होने लगता है। जब आप अपना हाथ मेरे बदन पर लगाते हो.
पापा: यही तो है जो तेरी को जवानी में एहसास करा रहा हूँ। मै जैसा करता हूँ मेरे को करने दो.
फिर मजा देखना इतना कहकर मेरे बदन को मसलते हुए सहलाने लगे। मै भी धीरे धीरे उनकी तरफ आकर्षित होने लगी। मै पापा की तरफ जाकर उनसे लिपटने लगी। वो मेरे को अपने बाहों में जकड कर प्यार से किस करने लगे।
पापा: कैसा लग रहा है मेरा प्यार??
मै: बहोत अच्छा लग रहा है.
पापा: और मजा दे सकता हूँ लेकिन कभी मम्मी को बताना मत!
मै: वही तो नहीं जो आप रोज मम्मी को देते हो.
पापा: हाँ बेटा तेरे को तो उससे भी ज्यादा मजा आएगा.
मै: क्यों.
पापा: तेरा अभी पहली बार है.
मै ठीक है बोल के पापा को सिगनल दे दी। वो तो पहले से ही मेरे हुस्न के पागल थे। शादी वो मम्मी के साथ ही किये थे लेकिन सुहागरात हम दोनों के साथ मनाना चाहते थे। आज मेरे साथ सुहागरात का मजा लेना चाहते थे।
पापा: मम्मी की तरह मजा लेना चाहती हो तो मम्मी की तरह बन भी जाओ.
मै: मतलब???
पापा: मतलब मम्मी की तरह साडी पहन कर आ जाओ!
मै मम्मी की तरह साड़ी पहन कर आ गयी। पापा मेरी तारीफों पर तारीफ़ करते जा रहे थे। मै बहोत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही थी।
पापा: क्या मस्त माल लग रही हो। आज तो तुम अपनी मम्मी से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही हो.
मै: पापा मेरे को अपने साथ बिस्तर पर बिठाकर मजे लेने लगे.
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मै पापा के सामने दुल्हन की तरह सजी हुई बैठी थी। पापा मेरे इर्द गिर्द भौरे की तरह घूम रहे थे। मेरे को ऊपर से नीचे तक देखते हुए अपने बाहों में कस कर जकड लिया। पापा मम्मी की अनुपस्थिति का भरपूर फायदा उठा रहे थे। आज मेरा लंड खाने का सपना पूरा होने वाला था।
पापा मेरे को लंड खिलाएंगे ये मैंने सोचा ही नही था। उन्होंने दरवाजा बंद किया और अपना कुर्ता निकालने लगे। सुहागरात के सीन का पूरा माहौल बना हुआ था। कुर्ते के साथ अपनी बनियान को भी निकाल दिए। जोश में उन्हें सर्दियों के मौसम में भी ठंड नही लग रही थी।
वो मेरी जिस्म की गर्मी के लिए मेरे को बिस्तर पर लिटाकर खुद भी मेरे ऊपर चढ़ गए। उनके भारी भरकम शरीर के नीचे मै दबी हुई थी। मेरी गुलाबी होंठो को वो जोर जोर से चूसकर मेरे अंदर के हवस को जगा रहे थे। मै सिसकती हुई अपने होंठो को चुसवा रही थी।
वो जितनी ही तेज मेरी होंठ चुसाई करते उतना ही मेरे को मजा आता था। पापा ने होंठ का रस पीकर मजे उड़ाए। मैने भी उनका भरपूर साथ देकर इस काम का मजा दुगना कर दिया था। वो मेरे गले पर किस करना शुरू कर दिए। मेरे को गले पर किस करना बहोत ही अच्छा लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पापा ने मेरे को मदमस्त कर दिया था। अब वो मेरे पूरे बदन पर कही भी हाथ लगाते। मै कोई रिएक्शन नहीं करती थी। पापा ने मेरी ब्लाउज को खोल दिया। मैंनेमम्मी की तरह ही उनका सब कपड़ा और श्रृंगार किया हुआ था। मै ब्रा मे पापा के सामने बिस्तर पर पड़ी हुई थी। मेरे को थोड़ी सी भी शर्म नहीं आ रही थी।
बिल्कुल मम्मी की तरह मैं पापा से लिपट रही थी। वो मेरे मक्खन की तरह मुलायम दूध के साथ खेलनें लगे। मेरी ब्रा को खोलकर उन्होंने मेरे बूब्स को चूसने के लिए अपना मुह उसकी तरफ बढ़ाने लगे। बूब्स के उभरे हुए भाग पर अपना मुह लगाकर चूसने लगे। मेरे निप्पल को अपने होंठो से खीच खीच कर पीने लगे। मेरे को दर्द सा महसूस होने लगा। फिर भी मजा आ रहा था।
मै: आराम से चूसो पापा! दर्द होने लगता है.
पापा: बड़े दिनों से इसे देखता आ रहा था बेटा! आज इसे पीकर मेरे को अपनी प्यास बुझाने दे.
इतना कहते हुए वो दांतो से काट काट कर मेरे निप्पल को खींचने लगे। मै जोर जोर से “……अई…अई….अ ई……अई….इसस्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” की आवाज निकालने लगी। पापा अपना पैजामा निकाल कर खड़े थे। मै बिस्तर पर चित्त पड़ी हुई थी। वो मेरे दोनों हाथ फैला कर उनके ऊपर घुटने रख कर मेरे सीने पर बैठ गए।
पापा: चल बेटा अब जल्दी से मेरा लंड लॉलीपॉप की तरह चूसो!
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मै पापा का लंड पकड कर हिलाने लगी। वो अपना लंड बूब्स में लगाते हुए मेरे मुह में घुसाने लगे। उनका मोटा साँड़ जैसा लंड देखकर मेरी आँखे चौंधियां गयी।मेरी चूत में कीड़े काटने लगे। मै जोश में थी पापा का लंड अपने मुह में आधे से ज्यादा अन्दर लेकर चूसने लगी।
पापा तो अपना पूरा लंड मुह में घुसाने को परेशान थे। वो अपना लंड मेरे गले तक डालने लगे। मेरी साँसे फूलने लगी। मेरे को पापा का लंड खाना भारी पड़ रहा था। मेरी आँखे लाल लाल हो गयी थी। मैआँखों ही आँखों से उनसे रिक्वेस्ट करने लगी।
कुछ देर बाद मेरे मुह से पापा ने अपना लंड निकाल लिया। अब जाकर मैंने चैन की सांस ली ही थी की उन्होंने मेरे नाभि को पीना शुरू कर दिया। मेरी नाभि के भीतर अपनी जीभ डालकर वो चाटने लगे। पापा के इस तरह करने पर मैं चुदने को तड़प उठी।
मेरी चूत उनका लंड खाने को बेकरार हो गयी। उन्होंने कुछ देर तक मेरी नाभि को पीकर मेरी साडी उठाकर कमर पर रख दी। मेरी पैंटी को निकाल कर मेरी टांगो को फैला दिया। मेरी टांगो को खींचकर उन्होंने मेरे को बिस्तर पर एक साइड में करके चूत का दर्शन किया।
पापा: वाह बेटा क्या मस्त चूत है तेरी! अभी तक इसका रस का एक बूंद नहीं किसी ने नहीं छुआ है। आज मैं इस रस को पीकर इसका भरपूर आनंद लेता हूँ.
मै: पापा आराम से कुछ भी करना मेरे को दर्द होने लगता है। मेरी साँसे अटकने लगती है.
पापा तो आज हवस के शैतान बने हुए थे। वो कहाँ कुछ सुनने वाले थे। वो तो अपने धुन में मस्त होकर मेरी चूत पर अपना मुह लगाकर चाटने लगे। उन्होंने सबसे पहले मेरी चूत पर अपनी जीभ लगाकर चाटना शुरू किया। उसके बाद उन्होंने मेरी चूत की दीवार को खीच खीच कर पीने लगे।
मै जोर जोर से “..अहहह्ह्ह्हहस्सीईईईइ…. अअअअअ…. आहा… हा हा हा” की सिसकारियां भरने लगी। पापा ने मेरी चूत का सारा रस पीकर अपनी प्यास को बुझा ली। अब वो अपने हवस की प्यास को बुझाने के लिए मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगे।
मेरी चूत लाल लाल हो गयी। साडी कमर से खिसक कर चूत पर आ जाती थी। मम्मी को तो वो साडी कमर पर खिसकाकर चोद देते थे। लेकिन मेरे कमर से साडी को हटाकर उन्होंने पेटीकोट का नाडा खोल दिया। साडी और पेटीकोट दोनों को निकाल कर मेरे बदन में एक भी कपड़ा नहीं छोड़ा।
पापा ने एक दो बार अपना लंड मेरी चूत पर रगड़कर छेद में घुसाने लगे। मेरी चूत में उनका लंड बहोत ही मेहनत के बाद घुसा था। मेरी चूत में उनका लंड घुसते ही मै“……मम्मी… मम्मी… सी सी सी सी.. हा हा हा… ऊऊऊ…. ऊँ.. ऊँ… ऊँ… उनहूँ उनहूँ..” की जोर की चीखे निकालने लगी।
मेरी चूत को फाड़ कर उसकी फाडू चुदाई कर रहे थे। बुर में पापा का लंड अंदर बाहर हो रहा था। पहली बार मेरी चूत में पापा ने अपना लंड घुसाकर दर्द का एहसास करा दिया था। मेरे को दर्द में भी मजा आ रहा था। चूत में पापा का लंड धमाल मचाये हुए थे।
कुछ देर बाद मेरे को दर्द से राहत मिलने लगी। मै भी अपनी गांड उठाकर चुदवाने लगी। पापा को पता चल गया कि उनकी बेटी भी मूड में हो गयी है। वो जोर जोर से अपना लंड मेरी चूत में टांगों को पकड़ कर चोदने लगे। मै “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ.. हमममम अहह्ह्ह्हह.. अई… अई… अई…..” की चीखों के साथ उनका साथ निभा रही थी।
पापा ने मेरी चूत को फाड़कर उसका बुरा हाल कर दिया था। आज मेरे को पता चल गया था कि दर्द में भी सब कैसे चुदवा लेती हैं। मैं भी बड़े मजे से चुदवा रही थी। तभी मेरी चूत में से माल निकलने लगा। पापा ने मेरी चूत के रस को पी लिया।
उन्होंने मेरी ठुकाई बंद कर दी। उनका लंड अब भी बहोत कठोर था। उन्होंने मेरे को झुकाकर मेरी गांड की छेद पर अपना निशाना लगा लिया। मेरी टाइट गांड को भी वो फाड़ दिए। मै एक बार फिर जोर जोर से “हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ…. ऊँ—ऊँ… ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा.. ओ हो हो….” की चीख निकालने लगी।
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वो जोर के झटकें मेरी गांड में लगाने लगे। उनका लंड भी कुछ शॉट लगाने के बाद स्खलित होने की स्थिति में आ गया। पापा ने मेरी चुदाईको और भी ज्यादा तेज कर दिया। मेरी गांड में कुछ भी पलो में बहोत ही ज्यादा शॉट लगा दिए। आखिरकार वो भी झड़ ही गए। मेरी गांड में ही सारा माल गिराने लगे। उनके लंड का माल गिरते ही मेरे को अपनी गांड में कुछ गरमा गरम महसूस हुआ। उनका लंड धीरे धीरे सिकुड़ने लगा। उन्होंने लंड को मेरी गांड से निकालकर मेरे मुह के सामने कर दिया।
मेरे को समझ में ही नहीं आ रहा था। मैं अब क्या करूं! पापा: बेटा आज अब तुम अब मेरा लंड चाट कर साफ़ करो। इस पर लगे माल को चखो! मैंने वैसे ही किया। उस पर लगा गाढ़ा सफेद माल बहोत ही अच्छा लग रहा था। मैंने चाट कर साफ़ कर दिया। धीरे धीरे करके पापा लंड कठोर से मुलायम हो गया। उनका मौसम बनते ही उन्होंने मेरी उस रात कई बार चुदाई की। उस दिन से आज तक मैं मौक़ा पाते ही रोज पापा का लंड खाती हूँ।