Hindi Bro Sis XXX
कॉलेज से छुट्टी मिलते ही मैं बाहर आ गया। मैं स्नातक का छात्र हूँ। कॉलेज के गेट के बाहर हर रोज घर ले जाने के लिए एक ऑटो मेरा इंतज़ार कर रहा था। मेरे बैठते ही ऑटोवाला तेज़ी के साथ स्मृति के स्कूल की तरफ रवाना हो गया। यह मेरा हर रोज का रुटीन था। Hindi Bro Sis XXX
पहले ऑटोवाला मुझे लेता था क्योंकि मेरे कॉलेज की छुट्टी 12:30 बजे होती थीं। फिर स्मृति को, जो 12वीं क्लास में पढ़ती थीं और उसके स्कूल की छुट्टी 1:00 बजे होती थी। कुछ ही देर में मैं स्मृति के कॉनवेंट स्कूल के सामने पहुँच गया। अभी 12:45 हुए थे, ऑटोवाला बगल की दुकान पर चाय पीने चला गया।
मैंने अपने बैग में से दो किताबें निकाल लीं। ये दोनों किताबें मेरे दोस्त ने मुझे दी थीं। एक किताब में औरत-मर्द के नंगे चित्र थे और दूसरी किताब में कहानियाँ थीं। कहानियों की किताब को मैंने बाद में पढ़ने का निश्चय किया और पिक्चर वाली किताब को अपनी इक्नोमिक्स की पुस्तक के बीच में रख कर वहीं ऑटो में देखने लगा।
तस्वीरें काफ़ी सेक्सी और उत्तेजक थीं, देखते-देखते मेरा लंड खड़ा होने लगा और मेरे चेहरे का रंग उत्तेजना के मारे लाल हो गया। अपने खड़े लंड को छुपाने के लिए मैंने अपना स्कूल बैग अपनी गोद में रख लिया और औरत मर्द के चुदाई के विभिन्न आसनों में ली गई उन तस्वीरों को देखने लगा।
तभी स्कूल की घंटी बज उठी, मैंने जल्दी से किताबों को मोड़ कर अपने बैग में घुसाया, अपने लंड को अपनी पैन्ट में अड्जस्ट किया और ऑटो से उतर कर अपनी डार्लिंग बहन का इंतज़ार करने लगा। हमारे परिवार की एक छोटी सी कहानी हैं, जिसे बताना मैं आवश्यक समझता हूँ।
वर्ष 2002 में एक सड़क दुर्घटना में 41 लोगों की जान चली गई थीं, जिसमें हम दोनों अनाथ हो गए थे। हम दोनों के माँ-बाप उस दुर्घटना में चल बसे थे। उसी दुर्घटना में हमारे साथ यात्रा कर रहे श्री श्रीवास्तव जी के परिवार में उनको छोड़ कर कोई भी जीवित नहीं बचा था। उसके बाद से ही उन्होंने हमें अपनी संतान के रूप में पाला हैं।
मेरे और स्मृति के माता-पिता अलग-अलग थे। उस समय हम अबोध बालक थे, सो उस समय से ही हम दोनों को श्रीवास्तव जी ने ही पाला हैं और उनको हम अपना पिता मानते हैं। बाद में उसी दुर्घटना में मारे गए एक अन्य परिवार की नवविवाहित महिला जो कि विधवा हो गई थीं, उनसे श्रीवास्तव जी ने विवाह कर लिया था।
अब इस तरह हमारा एक परिवार बन गया था। दुर्घटना से बने भय के कारण हमारे वर्तमान अभिभावक हमें बाइक या स्कूटर आदि भी नहीं दिलवाते ! ठीक एक बजे मुझे मेरी प्यारी, सेक्सी गुड़िया सी बहन ऑटो की तरफ बढ़ती हुई दिख गई।
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सच में कितनी खूबसूरत थी मेरी बहन ! उसको देख कर किसी भी मर्द के रीढ़ की हड्डी में ज़रूर एक सिहरन उठ जाती होंगी। मेरी बहन इतनी खूबसूरत और सेक्सी है कि मैं उसके प्यार में पूरी तरह से डूब गया हूँ, वो भी मुझ से उतना ही प्यार करती हैं।
बाहर की दुनिया के लिए हम भले ही भाई-बहन हैं मगर घर में अपने कमरे के अंदर हम दोनों भाई-बहन एक दूसरे के लिए पति-पत्नि से भी बढ़ कर हैं। आपको यह सुन कर शायद आश्चर्य लगे मगर यही सच है। मेरी बहन इस वक़्त 19 साल की है और मैं 21 साल का।
हम दोनों अपने मम्मी पापा के साथ शहर से थोड़ी दूर उप-नगरीय क्षेत्र में रहते हैं। मेरे पापा अभी 42 साल के और मम्मी 33 साल की हैं। हमारा एक मध्यम वर्गीय परिवार है। मेरी माँ बहुत ही खूबसूरत महिला हैं और पापा भी एक खूबसूरत व्यक्तित्व के मालिक हैं। पापा एक प्राइवेट बैंक में उच्च पद पर हैं और मम्मी सरकारी नौकरी में हैं।
इस नये शहर में आकर पापा ने जानबूझ कर शहर से बाहर शान्ति भरे माहौल में एक बंगला खरीदा था। हमको स्कूल ले जाने और ले आने के लिए उन्होने एक ऑटो कर दिया था। घर की ऊपरी मंज़िल पर एक कमरे में मम्मी और पापा रहते थे और दूसरे कमरे में हम दोनों भाई-बहन। हमारे घर से स्कूल तक ऑटो करीब 25 मिनट में आ पाता था।
ऑटो के पास आते ही बहन ने पूछा- और भाई कैसे हो? बहुत ज्यादा देर इंतज़ार तो नहीं करना पड़ा?
मैंने कहा- नहीं यार, ऐसा नहीं है।
और उसको देखते हुए मुस्कुराया। मैंने देखा कि उसके गाल गुलाबी हो गए थे और चेहरे पर शर्म की लाली और आँखों में वासना के डोरे तैर रहे थे। मैं सोचने लगा कि मेरी प्यारी बहन के गाल गुलाबी और आँखें वासना से भरी क्यों लग रही हैं? क्या स्मृति स्कूल में गर्म हो गई थी?
मेरी बहन ने ऑटो में बैठने के लिये अपने एक पैर को ऊपर उठाया। इस तरह करते हुए उसने बड़े ही आकर्षक और छुपे हुए तरीके से अपनी स्कर्ट को इस तरह से उठ जाने दिया कि मुझे मेरी प्यारी बहन की मांसल चिकनी और गोरी जाँघों उसकी पैंटी तक दिख गई।
एक क्षण में ही स्मृति ऑटो में बैठ गई थी पर मेरे बगल में शैतानी भरी मुस्कुराहट के साथ बैठ गई। मैं जानता था कि यह उसका मुझे सताने के अनेक तरीकों में से एक तरीका है। जब वो मेरे बगल में बैठी तो उसके महकते बदन से निकली सुगंध मेरे नाक को भर दिया और मैंने एक गहरी सांस लेकर उस सुगंध को अपने अंदर और ज्यादा भरने की कोशिश की।
मेरी बहन मेरी उत्तेजना को समझ सकती थी, उसने मुस्कुराते हुए पूछा- क्यों भाई, तुम्हारा चेहरा इस तरह से लाल क्यों हो रहा है? और तुम्हारी आँखें भी लाल हो रही हैं क्या बात है?
मैंने मुस्कुराते हुए उसकी ओर देखा और कहा- देखो स्मृति तुम तो मेरे दोस्त मनीष को जानती हो, उसने मुझे दो बहुत ही गर्म किताबें दी हैं। तुम्हारा इंतज़ार करते हुए मैंने उन्हें देख रहा था और फिर तुम जब ऑटो में बैठ रही थीं तब तुमने मुझे अपनी पैंटी और जाँघें दिखा दीं। अब जबकि तुम मेरे बगल में बैठी हो, तुम्हारे बदन से निकलने वाली खुश्बू मुझे पागल कर रही है।
मेरी बहन हँसने लगी। ऑटोवाले ने ऑटो को आगे बढ़ा दिया था और हम दोनों भाई-बहन धीमे स्वर में फुसफुसाते हुए आपस में बात कर रहे थे ताकि हमारी आवाज़ उस तक नहीं पहुँचे। मेरी बहन मेरे दाहिने तरफ बैठी थी और अपनी दाहिने हाथ से उसने अपनी किताबों को अपनी छाती से चिपकाया हुआ था।
पथरीले रास्ते पर चलने के कारण ऑटो बहुत हिल रहा था और इसलिए अपना संतुलन बनाने के लिए स्मृति ने अपने बाएं हाथ को ऊपर उठा कर ऑटो का हुड पकड़ लिया। ऐसा करने से मेरी स्मृति के चिकनी मांसल कांख, जो कि पसीने की पतली परत और उससे भीगे हुए उसके स्कूल ड्रेस की ब्लाउज से ढके हुए थे, से निकलती हुई तीखी गंध सीधा मेरे नकुओं में आ कर समा गई।
मेरी गोद में रखे मेरे बैग के नीचे मेरा लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था और ऐसा लग रहा था कि उसने मेरे बैग को अपने ऊपर उठा लिया हैं। यह मेरी बहन का एक और अनोखा अंदाज था मुझे सताने का, वो जानती थी कि मुझे उसकी कांख और उस से निकलने वाली गंध पागल बना देती है।
उसके बदन की खुशबू मुझे कभी भी उत्तेजित कर देती है। उसने मुझे अपने आँखों के कोनों से देखा और सीट की पुष्ट से अपनी पीठ को टिका कर आराम से बैठ गई। उसने अभी भी अपने बाएं हाथ से हुड को पकड़ रखा था और अपनी किताबों को अपनी छातियों से चिपकाये हुए थी।
ऑटो के हिलने के कारण उसकी किताबें जो कि उसकी छातियों से चिपकी हुई बार-बार उसकी चूचियों पर रगड़ खा रही थीं। जैसे ही ऑटो एक मोड़ से मुड़ा, मैंने ऐसा नाटक किया कि जैसे मैं लुढ़क रहा हूँ और अपने चेहरे को उसकी मांसल काँखों में घुसेड़ दिया और लंबी सांस खींचते हुए उसकी काँखों को चाट लिया और हल्के से काट लिया।
मेरी बहन के मुँह से एक आनन्द भी चीख निकल गई और उसने मुझे जानवर कहा और बोली- देखो भाई, तुम एक जानवर की तरह से हरकत कर रहे हो, देखो तुमने कैसे मेरी बगलों को चाट कर गुदगुदा दिया और काट लिया, मुझे दर्द हो रहा है। मुझे लगता है तुम्हारे दोस्त की दी हुई किताबों ने तुमको कुछ ज्यादा ही गर्म कर दिया है।
“अगर तुम मुझे इस तरह से सताओगी तो तुम्हें यही फ़ल मिलेगा, समझी मेरी प्यारी बहना। वैसे डार्लिंग मुझे एक बात बताओ कि तुम आज कुछ ज्यादा ही चुलबुली और शैतान लग रही हो, ऐसा क्या हुआ है? आज क्या तुम भी मेरी तरह गर्म हो रही हो, बताओ ना?”
स्मृति बोली- तुम तो मेरी सहेली शिवाली को जानते ही हो, उसने अपने घर पर कल रात हुए एक बहुत ही उत्तेजक घटना के बारे में मुझे बताया, जिसके कारण मैं बहुत गर्म हो गई हूँ। नीचे से पूरी तरह से गीली हो गई हूँ और मेरी पैंटी मेरी चूत के पानी से भीग गई है।
“सच में डार्लिंग सिस, ऐसा क्या हुआ, मुझे भी बताओ ना?”
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स्मृति बोली- कल रात उसके घर पर उसके मामू यानि कि उसकी मम्मी के भाई आए थे, उसे और उसकी मम्मी दोनों को सिनेमा दिखाने ले गए थे। सिनेमा हॉल में उसके मामा और मम्मी एक दूसरे से लिपटने चिपटने लगे थे। बाद में घर वापस लौटने पर उसके मामू ने रात में उसकी मम्मी को खूब चोदा।
भाई, जब मेरी सहेली ने अपने मामा और मम्मी की चुदाई की पूरी कहानी बताई तो मेरी चूत बुरी तरह से पनिया गई और मैं बहुत उत्तेजित हो गई। शिवाली ने मुझे बाद में बताया कि उसके मामा ने बाद में उसे भी उसकी मम्मी के सामने ही नंगी करके खूब चोदा और उसकी मम्मी ने यह सब बहुत मज़ा लेकर देखा। तुम तो जानते ही हो भाई कि उसके पापा विदेश गए हुए हैं।
“ओह, शिवाली सचमुच में बहुत ही भाग्यशाली है, शिवाली की उसके मामू और मम्मी के साथ की गई चुदाई का अनुभव सच में बहुत उत्तेजक है। बहना, मैं भी सोचता हूँ कि काश मैं तुम्हें और मम्मी को एक साथ एक ही बिस्तर पर चोद पाता।
इन किताबों को देखने के बाद मैं भी बहुत गर्म हो गया हूँ। मेरी प्यारी बहना रानी, चलो जल्दी से घर पर चलते हैं और एक दमदार चुदाई का आनन्द उठाते हैं, क्यों? मुझे लगता है तुम भी काफ़ी गर्म हो चुकी हो, अपनी प्यारी सहेली शिवाली की कहानी को सुन कर?”
“हाँ भाई, तुम सच कह रहे हो, मैं स्कूल की छुट्टी का इंतज़ार कर रही थी। मेरी चूत खुज़ला रही है और मेरा पानी निकल रहा है।”
“ओह स्मृति, तुम जब स्कूल से निकल रही थीं तभी मुझे लग रहा था कि तुम काफ़ी गर्म हो रही हो।”
“हाँ भाई, शिवाली की बातों ने मुझे गर्म कर दिया है। उसकी चुदक्कड़ मम्मी और चोदू मामा की कहानी ने मेरी नीचे की सहेली में आग लगा दी है और मैं भी चाहती हूँ कि हम जल्दी से जल्दी घर पहुँच कर एक दूसरे की बाहों में खो जाएँ !”
अभी हम घर से लगभग 100 मीटर की दूरी पर थे तभी एक ज़ोर की आवाज़ ने हमारा ध्यान भंग कर दिया। ऑटो रुक गया था और इसका एक टायर पंक्चर हो गया था। आस-पास में कोई रिपेयर करने वाली दुकान भी नहीं थी और घर की दूरी भी अब ज्यादा नहीं थी। इसलिए हमने फ़ैसला किया कि हम पैदल ही घर की जाते हैं। हम दोनों नीचे उतर कर पैदल घर की ओर चल दिए।
कुछ दूर तक चलने के बाद मेरी बहन ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा- भाई, तुम मेरे पीछे पीछे चलो, मेरे साथ नहीं।
मेरी समझ में नहीं आया कि मेरी डार्लिंग सिस्टर मुझे साथ चलने से क्यों मना कर रही है।
मैंने आश्चर्य से पूछा- तुम्हारे पीछे क्यों?
मेरी बहन ने अपनी आँखों को नचाते हुए मुस्कुरा कर कहा- भाई ऐसा करने में तुम्हारा ही फायदा है। अगर तुम चाहो तो इसे आजमा कर देख सकते हो, बल्कि मैं कहती हूँ तुम्हें एक अनोखा मज़ा मिलेगा।
मुझे अपनी बहन पर पूरा भरोसा था। वो एक बहुत ही दृढ़ निश्चय और पक्के विश्वास वाली लड़की थी और हर चीज़ को माप-तौल कर बोलती थी। अगर उसने मुझसे पीछे चलने के लिए कहा था तो ज़रूर इसमे भी हमेशा की तरह कोई अनोखा आनन्द छुपा होगा। ऐसा सोच कर मैंने अपने प्यारी सिस्टर को आगे जाने दिया और खुद उसके पीछे उससे कुछ फ़ासले पर चलने लगा।
सारी सड़क एकदम सुनसान थी और एकाध कुत्ते के अलावा कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था। शहर के इस भाग में मकान भी इक्का-दुक्का ही बने हुये थे और एक साथ ना होकर इधर-उधर फैले हुए थे। मैं अपनी बहन के पीछे धीरे-धीरे चल रहा था और मेरी डार्लिंग बहना भी धीरे-धीरे चल रही थी।
ओह डियर, क्या नज़ारा था? मेरी सिस्टर बहुत ही मादक अंदाज़ में अपने चूतड़ों को हिलाते मटकाते हुए चल रही थी।
अब मेरी समझ में आया मुझे अपने पीछे आने के लिए कहने का राज ! वो अपनी पिछाड़ी को बहुत ही मस्त अदा के साथ हिलाते हुए चल रही थी। उसके दोनों गोल-मटोल चूतड़ जिनको कि मैं बहुत बार देख चुका, उसकी घुटनों तक की स्कर्ट में हिचकोले लेते हुए मचल रहे थे। मेरी बहन के चलने का यह अंदाज मेरे लिए लंड खड़ा कर देने वाला था।
उसके कूल्हे मटका कर चलने के कारण उसके दोनों मस्त चूतड़ इस तरह हिलते हुए घूम रहे थे कि वो किसी मरे हुए आदमी के लंड को भी खड़ा कर सकते थे। मेरी बहन अपने मदमस्त चूतड़ों और गांड की खूबसूरती से अच्छी तरह से वाकिफ़ था और वो अक्सर इसका उपयोग मुझे उत्तेजित करने के लिए करती थी। उसकी पिछाड़ी मम्मी की पिछाड़ी की तरह काफ़ी खूबसूरत और जानमारू थी।
स्मृति को अच्छा लगता था जब मैं उसकी गांड और चूतड़ों की तारीफ करता और उनसे प्यार करता था। घर तक पहुँचते-पहुँचते उसके चूतड़ों के इस मस्ताने खेल को देख कर मेरे सब्र का बाँध टूट गया और मुझे लग रहा था कि मेरे लंड से अभी पानी निकल जाएगा। मैं जल्दी से उसके पास गया और बोला- मेरी सैक्सी सिस्टर, तुम मुझे मार डोगी, मुझसे अब बर्दाश्त नहीं होता है। चलो जल्दी से घर के अंदर।
“भाई, क्या यह देखना इतना बुरा है जो तुम जल्दी से घर के अंदर जाना चाहते हो?”
“ओह स्मृति, तुम मेरी हालत नहीं समझ रही हो मेरा लंड फुफकार रहा है। जब हम अपने कमरे के अंदर होंगे, और मेरा लौड़ा तेरी बुर में होगा तभी चैन पड़ेगा ! जल्दी करो !”
जब हम घर पहुँचे तो मम्मी घर पर नहीं थीं। जैसा कि आमतौर पर होता था, वो इस वक्त अपने ऑफिस में होती थीं। घर पर केवल खाना बनाने वाली आया थी। उसने हमें बताया कि खाना तैयार होने में कुछ समय लगेगा और हमें इस से कोई ऐतराज़ नहीं था, बल्कि हम दोनों भाई-बहन तो ऐसा ही चाहते थे।
हमने उससे कह दिया कि हम ऊपर अपने कमरे होमवर्क कर रहे हैं और वो हमको डिस्टर्ब नहीं करे और खाना बनाने के बाद घर चली जाए। हम जल्दी से सीढ़ियों से चढ़ कर ऊपर जाने लगे। यहाँ भी स्मृति के पिछवाड़े ने एक लंड खड़ा कर देने वाली शैतानी की।
उसने मुझे नीचे ही रोक दिया और खुद अपने चूतड़ों को मटकाते हिलाते हुए बड़े ही मादक अंदाज में सीढ़ियाँ चढ़ने लगी। जब वो काफ़ी ऊपर पहुँच गई, तब उसने अपने बाएँ हाथ को पीछे ला कर अपनी स्कर्ट जो कि उसके घुटनों तक ही थी, को बड़े ही सेक्सी तरीके से थोड़ा सा ऊपर उठा दिया।
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ऐसा करने से पीछे से उसकी मांसल और मोटी जाँघें पूरी तरह से नंगी हो गईं और उसकी काले रंग की नाइलॉन की जालीदार कच्छी का निचला भाग दिखने के साथ उनमें कसी हुई उसकी मदमस्त चूतड़ों की झलक भी मुझे मिल गई।
मेरी बहन की इस हरकत ने आग में घी का काम किया और अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो चुका था। मैं तेज़ी से दो-दो सीढ़ियाँ फांदते हुए सेकंडों में अपनी सेक्सी स्मृति के पास पहुँच गया और हम दोनों भाई-बहन हँसते हुए अपने कमरे की तरफ भागे।
हम दोनों के बदन में आग लगी हुई थी और हम बेचैन थे, कब हम एक-दूसरे की बाँहो में खो जाएँ। इसलिए हमने दरवाजे को धक्का दे कर खोला और अपने बैग और किताबों को एक तरफ फेंक कर, जूतों को खोल कर सीधा एक-दूसरे की बाँहों में समा गए।
दरवाज़ा हालाँकि हमने बंद कर दिया था पर हम दोनों में से किसी को उसको लॉक करने का ध्यान नहीं रहा। वासना की आग ने हमारे सोचने की शक्ति शायद खत्म कर दी थी। मैंने ज़ोर से अपनी बहन को अपनी बाहों में कस लिया और उसके पूरे चेहरे पर चुम्बनों की बरसात कर दी।
उसने भी मुझे अपनी बाहों में कस कर जकड़ लिया था और उसकी कठोर चूचियाँ मेरी चौड़ी छाती में दब रही थीं। उसकी चूचियों के खड़े चूचुकों की चुभन को मैं अपने छाती पर महसूस कर रहा था। उसकी कमर और जाँघें मेरी जाँघों से सटी हुई थीं और मेरा खड़ा लंड मेरी पैन्ट के अंदर से उसकी स्कर्ट पर ठीक उसकी बुर के ऊपर ठोकर मार रहा था।
मेरी प्यारी स्मृति अपनी चूत को मेरे खड़े लण्ड पर पैन्ट के ऊपर से रगड़ रही थी। हम दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़े हुए थे और मैं अपनी बहन के पतले रसीले होंठों का चूसते हुए चूम रहा था। उसके होंठों को चूसते और काटते हुए मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह में ठेल दिया.
उसके मुँह के अंदर जीभ को चारों तरफ घुमाते हुए, उसकी जीभ से अपनी जीभ को चूसते हुए दोनों भाई-बहन एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे। उसके हाथ मेरी पीठ पर से फिरते हुए मेरी चूतड़ों और कमर को दबाते हुए अपनी तरफ खींच रहे थे और मैं भी उसके चूतड़ों को दबाते हुए उसकी गांड की दरार में स्कर्ट के ऊपर से अपनी उंगली चला रहा था।
कुछ देर तक इसी अवस्था में रहने के बाद मैंने उसे छोड़ दिया और वो बिस्तर पर चली गई। उसने अपने घुटनों को बेड के किनारे पर जमा दिया और इस तरह से झुक गई जैसे कि वो बेड की दूसरी तरफ कोई चीज़ खोज़ रही हो।
अपने घुटनों को बेड पर जमाने के बाद मेरी प्यारी बहन ने गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए अपने स्कर्ट को ऊपर उठा दिया। इस प्रकार उसके खूबसूरत गोलाकार चूतड़ जो कि नाइलॉन की एक जालीदार कसी हुई पैंटी के अंदर क़ैद थे, दिखने लगे।
उसकी चूत के उभार के ऊपर उसकी पैंटी एकदम कसी हुई थी और मैं देख रहा था कि चूत के ऊपर पैंटी का जो भाग था पूरी तरह से भीगा हुआ था। मैं दौड़ कर उसके पास पहुँच गया और अपने चेहरे को उसकी पैंटी से ढकी हुई चूत और गाण्ड के बीच में घुसा दिया।
उसके बदन की खुशबू और उसकी चूत के पानी और पसीने की महक ने मेरा दिमाग़ घुमा दिया और मैंने चूत के रस से भीगी हुई उसकी पैंटी को चाट लिया। वो आनन्द से सिसकारियाँ ले रही थी और उसने मुझे पैंटी को निकाल देने का आग्रह किया।
मैंने उसकी चूत और गांड को कस कर चूमा और उसके मांसल चूतड़ों को अपने दांतों से काटा और उसके बुर से निकलने वाली मादक गंध को एक लंबी सांस लेकर अपने फेफड़ों में भर लिया। मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और मैंने अपने पैंट और अंडरवीयर को खोल कर इसे आज़ादी दे दी।
बहना की मांसल कदली जाँघों को अपने हाथों से कस कर पकड़ते हुए मैं उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत चाटने लगा। पैंटी से रिस-रिस कर चूत का पानी निकल रहा था। और मैं पैंटी के साथ ही उसकी बुर को अपने मुँह में भरते हुए चूस चूस कर चाटने लगा।
पैंटी का बीच वाला भाग सिमट कर उसकी चूत और गांड की दरार में फंस गया था और मैं चूत चाटते हुए उसकी गांड पर भी अपना मुँह मार रहा था। मेरे ऐसा करने से बहन की उत्तेजना बढ़ गई थी और वो अपने कूल्हों को मटकाते हुए अपनी चूत और चूतड़ों को मेरे चेहरे पर रगड़ रही थी।
मैंने धीरे से अपनी बहन की पैंटी को उतार दिया। उसके खूबसूरत चिकने चूतड़ों को देख कर मेरे लंड को जोरदार झटका लगा। उसके मैदे जैसी गोरे चूतड़ों की बीच की खाई में भूरे रंग की अनछुई गांड थी। एकदम किसी फूल की कली की तरह दिख रही थी, जिसे शायद किसी विशेष अवसर पर (जैसा कि स्मृति ने प्रॉमिस किया था) मारने का मौका मुझे मिलने वाला था।
उसकी गांड के नीचे गुलाबी पंखुरियों वाली उसकी चिकनी चूत थी। स्मृति की चूत के होंठ फड़फड़ा रहे थे और भीगे हुए थे। मैंने अपने हाथों को धीरे से उसके चूतडों और गांड की दरार में फिराया। फिर धीरे से हाथों को सरका कर उसकी बिना झांटों वाली चूत के छेद को अपनी उंगलियों से कुरेदते हुए सहलाने लगा।
मेरी उंगलियों पर उसकी चूत से निकला उसका रस लग गया था और मैंने उसे अपने नाक के पास ले जा कर सूँघा और फिर जीभ निकाल कर चाट लिया। मेरी प्यारी बहन के मुँह से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थीं और उसने मुझसे कहा- भाई तुमने जी भर कर मेरे चूतड़ों और चूत को देख लिया है। इसलिए तुम अपना काम शुरू करो न !
मैं भी अब अधिक देर नहीं करना चाहता था और झुक कर मैंने उसकी चूत के होंठों पर अपने होंठों को जमाते हुए जीभ निकाल कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। उसकी बुर का रस नमकीन सा था और मैंने उसकी बुर के काँपते हुए होंठों को अपनी उंगलियों से खोल दिया और अपनी जीभ को कड़ा और नुकीला बना कर चूत की सुरंग में घुसा कर उसके भगनासा को कुरेदने लगा।
उसके छोटे से भगनासे को अपनी जुबान से सहलाने से ही स्मृति की बुर मचलने लगी। मैंने उसे अपने होंठों के बीच दबा लिया और अपनी जीभ से उसको चचोरने लगा। बहना आनन्द और मज़े से सिसकारियाँ भरते हुए अपनी गांड को मटकाते हुए एक बहुत ज़ोर का धक्का अपनी चूत से मेरे मुँह की ओर मारा।
ऐसा लग रहा था जैसे मेरी जीभ को वो अपनी चूत में से निकाल देना चाहती हो। वो बहुत तेज सिसकारियाँ ले रही थी और शायद उत्तेजना की पराकाष्ठा तक पहुँच चुकी थी। मैं उसकी भगनासा को अपने अपने होंठों के बीच दबा कर चूसते हुए अपनी जीभ को अब उसके पेशाब करने वाले छेद में भी घुमा रहा था।
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उसके पेशाब की तीव्र गंध ने मुझे पागल बना दिया और मैंने अपनी दो उंगलियों की सहायता से उसकी पेशाब करने वाली छेद को थोड़ा फैला कर अपनी जीभ को उसमे तेज़ी से नचाने लगा। मुझे ऐसा करने में मज़ा आ रहा था.
और स्मृति भी अपनी पिछाड़ी को मटकाते हुए सिसकारियाँ ले रही थी, “ओह भाई, तुम बहुत सता रहे हो डार्लिंग ब्रदर ! इसी प्रकार से अपनी बहन की गरमाई हुई बुर को चाटते रहो चूसो। मुझे बहुत मज़ा आ रहा है और मेरी चूत पानी छोड़ने ही वाली है। ओह भाई तुम कितना मजा दे रहे हो, ओहहह… चाटो… मेरी जान मेरे कुत्ते मेरे हरामी बालम !”
उसके मुँह से अनाप-शनाप बड़बड़ाना यह साबित कर रहा था कि मेरी चिकनी बहन अब अपनी चुदाई लीला की रौ में बहने लगी थी। मैं अभी तक उसके भगनासे को अपने होंठों में दबाकर चूस रहा था। पर जब स्मृति की बेचैनी उसके मुँह से निकलने वाली आवाजों से सुनी तो मैंने सोचा कि आज इसको और तड़फ़ाते हैं।
उससे मैंने कहा- आज तू मुझको जब तक गन्दी-गन्दी गालियाँ न बकने लगे तब तक तेरी बुर को चचोरता रहूँगा साली। मेरी रंडी बहनिया, मेरी कुतिया और ऐसा कहते हुए मैंने अपनी जीभ उसकी बुर में ठेल दी। जब स्मृति ने मेरी बात सुनी तो वो बोली- हाँ, माँ के लौड़े तुझे तो मैं इतनी गालियाँ बकूँगी हरामी कि तेरी माँ चुद जाएगी साले।”
वो अब बहुत तेज सिसकारियाँ ले रही थी। “मेरी जान तुम मुझे पागल बना रहे हो…! ओह मेरे चोदू सनम हाँ ऐसे… ही ऐसे ही चूसो मेरी चूत को…मेरी बुर की धज्जियाँ उड़ा दो साली बहुत पानी छोड़ रही है… इसकी पुत्तियों को अपने मुँह में भर कर ऐसे ही चाटो मेरे राजा…!! ओह डियर बहुत अच्छा कर रहे हो तुम…! मेरी चूत के छेद में अपने जीभ को पेलो और अपने मुँह से चोद दो मुझे…!”
स्मृति लगातार मुझे गालियाँ बके जा रही थी- हाय मेरे चोदू भाई ! मेरी बुर के होंठों को काट लो और अपनी जीभ को मेरे बुर में पेलो.. ओह मेरे चोदू भाई, ऐसे ही प्यार से मेरे डार्लिंग ब्रदर ऐसे ही ! ओह खा जाओ मेरी चूत को, चूस लो इसका सारा रस !
उसकी चूत इतनी रसीली हो गई थी कि मुझे लग रहा था कि इसका फव्वारा किसी भी क्षण छूट सकता है। उसके मुख से लगातार सीत्कारें निकल रहीं थीं, मुझे उसकी सीत्कारों को सुन कर बहुत ही मजा आ रहा था।
“ओह डियर, ओह चोदू मेरे भगनासे को ऐसे ही चचोरो कुत्ते, बहनचोद चूस, मादरचोद और कस कर अपनी जीभ को पेल… ओह सीई…ईईई मेरे चुदक्कड़ बलम, मेरा अब निकलने ही वाला है ! ओह… मैं गई..गई… गईई राजा… ओह बुरचोदू …देख मेरा निकल रहा है… हाय पी जा इसे ! ओह पी जा मेरी चूत से निकले रस को… ! सीईईई… भाई मेरे चूत से निकले स्वादिष्ट माल को पीईईई जा प्यारे भाई।” कहते हुए स्मृति ने अपनी चूत से गर्म रज का झरना खोल दिया।
उसकी मखमली चूत से गाढ़ा द्रव निकलने लगा। वो मेरे चेहरे को अपनी चूत और चूतड़ों के बीच दबाए हुए बिस्तर पर गिर गई। उसकी चूत अभी भी फरफरा रही थी और उसके गांड में भी कम्पन हो रहा था। मैंने उसकी चूत से निकले एक-एक बूँद रस को चाट लिया और अपने सिर को उसकी मांसल जाँघों के बीच से निकाल लिया।
मेरी बहन बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी। कमर के नीचे वो पूरी नंगी थी। झड़ जाने के कारण उसकी आँखें बंद थीं और उसके गुलाबी होंठ हल्के सा खुले हुए थे। वो बहुत गहरी साँसें ले रही थीं और उसने अपने एक पैर को घुटनों के पास से मोड़ा हुआ था और दूसरे पैर को फैलाया हुआ था।
उसके लेटने की यह स्थिति बहुत ही कामुक थी और इस स्थिति में उसकी सुनहरी गुलाबी चूत, उसकी भूरे रंग की गांड का छेद और उसके गुदाज चूतड़ मेरी आँखों के सामने खुले पड़े थे और मुझे अपनी ओर खींच रहे थे। मेरा खड़ा लौड़ा अब दर्द करने लगा था। मेरे लंड का सुपारा एक लाल टमाटर के जैसा दिख रहा था और मेरे लंड को किसी छेद की सख़्त ज़रूरत महसूस हो रही थी।
मैं गहरी साँसें खींचता हुआ अपनी उत्तेजना पर काबू पाने की कोशिश कर रहा था। मेरे हाथ मेरी बहन के नंगे चूतड़ों के साथ खेलने के लिए बेताब हो रहे थे. और मैं अपने अन्डकोषों को सहलाते हुए सुपाड़े के छेद पर जमा हुए पानी की बूँदों को देखते हुए अपनी प्यारी सी नंगी बहन के बगल में बेड पर बैठ गया।
मेरे बेड पर बैठते ही स्मृति ने अपनी आँखें खोल दीं। ऐसा लग रहा था जैसे वो एक बहुत गहरी नींद के बाद जागी है। जब उसने मुझे और मेरे खड़े लंड को देखा तो जैसे उसे सब कुछ याद आ गया और उसने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए मेरे खड़े लंड को अपने हाथों में भर लिया।
स्मृति बोली- ओह माय लव, सच में तुमने मुझे बहुत सुख दिया। मैं बहुत दिनों के बाद इस प्रकार से झड़ी हूँ। ओह डियर तुम्हारा लंड तो एकदम लोहे की रॉड जैसा खड़ा है। मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि मेरे भाई का डंडा खड़ा होगा और उसे एक छेद की ज़रूरत होगी…
स्मृति ने मेरे लवड़े को अपने हाथों में पकड़ लिया और लगातार मुझसे प्यार जताने लगी।
“ओह डार्लिंग आओ…जल्दी आओ तुम्हारे लंड में खुजली हो रही होगी… मैं भी तैयार हूँ। भाई तुम्हारा खड़ा लंड देख कर मुझे भी उत्तेजना हो रही है और मेरी बुर भी अब फिर से खुजलाने लगी है।”
“ऐसा नहीं हैं स्मृति, अगर इस समय तुम्हारी इच्छा नहीं हैं तो कोई बात नहीं है। मैं अपने लंड को हाथ से झाड़ लूँगा।”
“नहीं भाई तुम अपनी बहन के होते हुए ऐसा कभी नहीं कर सकते, अगर कुछ करना होगा तो मैं करूँगी। भाई मैं इतनी स्वार्थी नहीं हूँ कि अपने प्यारे भाई को ऐसे तड़पता हुआ छोड़ दूँ।” वो मुझसे बहुत प्रेम जाता रही थी और उसको लग रहा था कि मेरे लौड़े का पानी उसकी चूत नहीं निकला तो शायद मुझे बुरा लगेगा।
“आओ भाई चढ़ जाओ अपनी बहन की चूत पर और जल्दी से मेरी बुर चोद दो। चलो जल्दी से चुदाई का खेल शुरू करें।”
मैंने उसके होंठों पर एक जोरदार चुम्मन जड़ दिया और उसके मांसल मलाईदार चूतड़ों को अपने हाथों से मसलते उससे कहा- स्मृति, तुम फिर से घुटनों के बल हो जाओ। मैं तुम्हें पीछे से चोदना चाहता हूँ। मेरी बात सुन कर मेरी प्यारी सिस्टर ने बिना एक पल गँवाए फिर से वहीं पोजीशन बना ली.
और घुटनों के बल होकर अपनी गांड को पीछे घुमा कर मुस्कुराते हुए मुझे अपनी बड़ी-बड़ी आँखों को नचाते हुए मुझे आमंत्रण दिया, उसने अपने पैरों को फैला कर अपने ख़ज़ाने को मेरे लिए पूरा खोल दिया। मैंने फिर से अपने चेहरे को उसकी जाँघों के बीच घुसा दिया और उसकी चूत को चिकना करने के लिए चाटने लगा।
मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को फैला कर उसकी गांड के छेद को चौड़ा कर दिया और अपनी एक उंगली को अपने थूक से गीला करा कर उसकी गांड में धकेलने की कोशिश करने लगा। उसकी गांड बहुत टाइट थी, मगर मैं उसकी गांड को फिंगरयाता रहा।
स्मृति चिल्लाने नहीं लगी और सिसयाते हुए मुझे बोलने लगी, “ओह मेरे बहनचोद ब्रदर ! अब देर मत करो, मैं अब गर्म हो गई हूँ, अब जल्दी से अपनी इस छिनाल बहन को चोद दो और प्यास बुझा लो, ओह भाई जल्दी करो और अपने लंड को मेरी चूत में पेल दो।”
मैंने अपने खड़े लंड को उसकी गीली चूत के छेद के सामने लगा दिया और एक जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा लंड उसकी चूत में एक ही धक्के में पेल दिया। ओह! क्या अद्भुत अहसास था ये, इसका वर्णन शब्दो में संभव नहीं हैं।
उसकी रस से भरी पनियाई हुई चूत ने मेरे लंड को अपने गरम आगोश में ले लिया। उसकी मखमली चूत ने मेरे लंड को पूरी तरह से कस लिया। उसके मुख से भी एक आह निकली- मादरचोद बिलकुल रांड समझ कर ठोक दिया अपना मूसल जैसा हथियार। मेरी फट जाएगी कुत्ते जरा धीरे नहीं पेल सकता था हरामी?
मैं हँसते हुए धक्के लगाने लगा। मेरी प्यारी स्मृति बहन ने भी अपनी गांड को पीछे की तरफ धकेलते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में लेना शुरू कर दिया। हम दोनों भाई-बहन अब पूरी तरह से मदहोश होकर मज़े की दुनिया में उतर चुके थे।
मैं आगे झुक कर उसकी कांख की तरफ से अपने हाथ को बाहर निकल कर उसकी गुदाज और मस्त चूचियों को उसके ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा। उसकी चूचियाँ एकदम कठोर हो गयी थीं। उसकी ठोस संतरों को दबाते हुए मैं अब तेज़ी से धक्का लगाने लगा था और मेरी रांड बहनिया के मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगी थीं।
वो सिसकते हुए बोल रही थी, “ओह भाई, ऐसे ही, ऐसे ही चोदो, हाँ हाँ और जोर से, इसी तरह से ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाओ भाई, इसी प्रकार से चोदो मुझे… आह… सीईईई।”
मेरे भी आनन्द की सीमा न थीं मैं भी सिसया रहा था, “हाय मेरी रंडी तुम्हारी चूत कितनी टाइट और गर्म हैं, ओह मेरी प्यारी बहन लो अपनी चूत में मेरे लंड को, ऐसे ही लो, देखो ये लो मेरा लंड अपनी चूत में ये लो फिर से लो, ले लो मेरी रानी बहन।”
मैं उसकी चूत की चुदाई अब पूरी ताक़त और तेज़ी के साथ कर रहा था। हम दोनों की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थीं और ऐसा लग रहा था कि किसी भी पल मेरे लौड़े से गरम लावा निकल पड़ेगा।
“ओह चोद, मेरे हरजाई कुत्ते भाई और ज़ोर से चोदो, ओह कस कर मारो और ज़ोर लगा कर धक्का मारो, ओह मेरा निकल जाएगा, सीईईईई, कुत्ते, और ज़ोर से चोद मुझे, बहन की बुर को चोदने वाले बहन के लौड़े हरामी, और ज़ोर से मारो, अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसा कर छोड़ो कुतिया के पिल्ले…सीई…ईईई मेरा निकल जाएगा।”
“ओह… चोद मेरे हरजाई कुत्ते भाई और ज़ोर से चोद… ओह… कस कर मार… और ज़ोर लगा कर धक्का मार… ओह… मेरा निकल जाएगा, सीईईईई… कुत्ते, और ज़ोर से चोद मुझे… बहन की बुर को चोदने वाले बहन के लौड़े हरामी… और ज़ोर से मार… अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसा कर चोद कुतिया के पिल्ले… सीईईईई… मेरा निकल जाएगा।”
मैं अब और ज़ोर-ज़ोर से धक्का मारने लगा। मैं अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर फिर से उसकी गीली चूत में पेल देता। स्मृति के मम्मों को मसकते हुए उसके चूतड़ों पर अपनी छाती रगड़ते हुए मैं बहुत तेज़ी के साथ उसको चोद रहा था।
मेरी बहन अब किसी कुतिया की तरह से कुकिया रही थीं और अपने चूतड़ों को नचा-नचा कर आगे-पीछे की तरफ धकेलते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसिया रही थी, “ओह चोद मेरे राजा… मेरे बहन के लंड… और ज़ोर से चोद… ओह… मेरे चुदक्कड़ बालम, सीईईई… हररामजादे भाई… और ज़ोर से पेल मेरी चूत को… ओह-ओह… सीईई… बहनचोद… मेरा अब निकल रहा… हाईई…ईईई ओह सीईई।”
मादक सीत्कारें भरते हुए अपनी दांतों को भींचते कर और चूतड़ों को उचकाते हुए वो झड़ने लगी। मैं भी झड़ने वाला ही था। मेरे मुख से भी झड़ते समय की सिसकारियाँ निकल रही थी- ओह मेरी रांड… लण्डखोर… कुतिया… साली मेरे लिए रूक… मेरा भी अब निकलने ही वाला है… ओह… रानी मेरे लंड के पानी भी अपने बुर में ले… ओह ले… ओह सीईईई…
ठीक इसी समय मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी के ज़ोर से बोलने और चिल्लाने की आवाज़ सुन रहा हूँ और जब मैंने दरवाजे की तरफ मुड़ कर देखा तो ओह… यह मैं क्या देख रहा हूँ… मेरी अंदर की साँस अंदर ही रह गई।
सामने दरवाजे पर मेरी मम्मी खड़ी थीं। उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था, वो क्रोध में अपने होंठों को काट रही थीं और अपने कूल्हे पर अपने हाथ को रख कर चिल्ला रही थीं। उसका चिल्लाना तो एक पल के लिए हम दोनों भाई-बहनों को कुछ समझ में नहीं आया, थोड़ी देर बाद हमको उसकी स्पष्ट आवाज़ सुनाई दे रही थीं।
“ओह…! तुम दोनों एकदम अच्छे बच्चे नहीं हो, पापियों, खड़े हो जाओ, क्या मैंने तुम्हें यही शिक्षा दी थी, ओह… तुमने मेरा दिमाग़ खराब कर दिया, भाई-बहन हो कर… ये कुकर्म करते हो…!”
इसके आगे वो कुछ भी नहीं बोल पाईं। मैं एकदम भौंचक्का रह गया था और शीघ्रता से अपने लंड को अपनी बहन की चूत में से निकाल लिया। मेरा लंड का पानी अभी नहीं निकला था, वो निकलने वाला ही था, पर बीच में मम्मी के आ जाने के कारण रुक गया था, इसलिए मेरा लंड दर्द कर रहा था।
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मेरा दिमाग़ को अभी भी हमारी पूरी स्थिति की गंभीरता का अहसास शायद नहीं हुआ था। इसलिए मेरा लंड अभी भी खड़ा और उत्तेजित था। अचानक से एक झटके के साथ उसमें से एक तेज धार के साथ पानी निकल गया। मेरे वीर्य की कुछ बूदें उछल कर सीधा मम्मी के ऊपर उसकी साड़ी और पेट पर जा गिरी। ये सब कुछ एक क्षण के अंदर हो गया था। झड़ जाने के बाद शायद मेरे दिमाग़ में सामने खड़ी मेरी मम्मी कर डर हावी हुआ और मैं डर कर अपनी पैन्ट को खोजने लगा। मैं अपनी कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा था।
मेरा लंड अब पानी छोड़ कर लटक गया था। मेरी बहन तेज़ी के साथ बिस्तर पर से उतर गई और अपनी स्कर्ट को उसने चूतड़ों पर चढ़ा लिया था। मेरी मम्मी कुछ नहीं बोल पाई और मेरे वीर्य को अपने साड़ी और पेट पर से साफ करने लगीं। “छी छी…” कहते हुए वो कमरे से बाहर बिना कोई शब्द बोले हम दोनों को अकेला छोड़ कर निकल गईं। हम दोनों एकदम अचंभित हो कर कुछ देर वहीं पर खड़े रहे, फिर हमने अपने कपड़े पहन लिए। हम दोनों के अंदर इतनी हिम्मत नहीं थीं कि हम कमरे से बाहर जा सके। मेरी बहन और मैं बहुत डरे हुए थे।
Md Saleemuddin says
Great Story. Next Part is welcum.
Ronny says
Bring 2nd part of this story बहन की रस से भरी पनियाई चूत