Bhabhi Kirayedar Sex
मेरा नाम रूचि पाठक है। मेरी उम्र 38 साल की है। मैं फतेहपुर में रहती हूँ। मै देखने में बहुत ही गोरी हूँ। आज भी लड़के बूढ़े जवान हर कोई फ़िदा है। मैने अपनी बॉडी का बहुत ही अच्छे से मेंटेन रखा हुआ है। 38 साल की इस बुढापे में भी चुदाई की प्यास अभी बाकी है। इसको बुझाने के लिए भी मैं आज 25 साल की औरतो को तरह मर्दों को फसाकर उनका मोटा लौड़ा खाती हूँ। Bhabhi Kirayedar Sex
मेरी चूंचियां बहुत बड़ी बिल्कुल बड़े बड़े खरबूजे जैसी लगती हैं। बड़े बड़े खरबूजे जैसी मेरी चूंचियां जब मैं चलती हूँ तो खूब झूलती हैं। जिसे देखकर हर कोई मेरी चूंचियो को पीने को बेकरार होने लगता है। मेरी गांड़ बहुत ही नरम नरम बिल्कुल गद्दे जैसी है। उसको छूकर हर कोई दबा देता है। मुझे बहुत मजा आता है। दोस्तों मै अब अपनी कहानी पर आती हूँ।
दोस्तों ये बात तब की है जब मैं बहुत ही कम चुदी थी। मेरी उम्र 26 साल की रही होगी। मै बचपन से ही चुदती आ रही थी। मेरी सेक्स करने की प्यास कभी मिटती ही नहीं थी। मेरे बहुत सारे बॉयफ्रेंड थे। मै हर नए दिन नया बॉयफ्रेंड बनाकर उसे जल्द ही चुदाई का मौका दे देती थी।
कोई भी मौक़ा अपने हाथ से जाने नहीं देते थे। सबसे ज्यादा मजा तो चुदाई में तब आया जब 12 इंच के लौड़े के साथ चुदवाकर मुठ मरवायी। उस दिन उसने मेरी चूत को फाड़कर उसका भोषणा बना डाला था। दोस्तों मै अब आपको को बताती हूँ। ये सब कैसे हुआ।
मै बचपन से ही बहुत हॉट और सेक्सी लगती थी। लोगो की नजर मुझपे ही टिकी रहती थी। सबसे पहले मेरे अंकल ने सेक्स करना सिखाया था। जब मैं 16 साल की भी नहीं रही हूँगी। उस समय से लेकर आज तक मैं चुदवाती आ रही हूँ। मै जब 26 साल की थी तो मेरी शादी हुए कुछ ही दिन हुआ था।
मेरी शादी प्रयागराज में हुई है। मेरे घर पर कई किरायेदार रहते हैं। कई हैंडसम बन्दे भी उसमे रहते हैं। जिनको देखकर मेरी चूंचियां दबने को मचलने लगती हैं। मुझे उसमें से एक बंदा बहुत ही पसंद था जिसका नाम सूरज था। बहुत ही गजब का लगता था। उसकी पर्सनालिटी बहुत ही आकर्षक लगती थी। उसके भरे फूले शरीर को देखकर उस पर कोई भी फ़िदा हो सकता था।
मै भी हो गई। मै रोज रोज चुदने की सोचती थी। वो मुझसे कभी बोलता नहीं था। उसकी ना बोलने की वजह थीं मेरे घर वालो का डर। कही मुझसे बात करते कोई देख ना ले। मै तो उसे जब भी देखती तो देखती ही रह जाती थी। कुछ दिन बाद वो मुझसे नजर से नजर मिलाने लगा। उसको मैंने पसंद आते ही। उससे बात करने लगी। चोरी चुपके से मै उससे बार करती थी। एक दिन कहने लगा।
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सूरज- “हम दोनों चोरी चुपके बात करते हैं। किसी दिन कोई देख लेगा तो बहुत बड़ी समस्या हो जायेगी.”
मै- “तुम डरते क्यों हों। बात ही तो करते है। कही बिस्तर पर तो नहीं रहते.”
सूरज- “हा हा हा बिस्तर पर रहोगी और किसी ने देख लिया तो मेरा गला काट जाएगा.”
मै- “कौन काटेगा तुम्हारा गला.”
सूरज- “भैया काटेंगे.”
मै- “मै भी काट लूंगी उनका रात वाला सामान.”
सूरज- “हा हा हा हा हा हा!!!”
हम दोनों ही ठहाके मार कर हँसने लगे। इतना मजा मुझे पहली बार आया था। मुझे उससे बात करने की आदत सी हो गई। वह अपने रूम में अकेले ही रहता था। अकेले ही खाना बनाता बर्तन धुलता। मैंने उसे खाना बनाने को रोक दिया। मै रोज सुबह शाम उसको खाना बनाकर दे आती थी। वो भी मुझे बहुत प्यार करने लगा।
लेकिन मुझे प्यार की नहीं उसके लंड की जरूरत थी। उसका बड़ा मोटा लंड को खाने को मेरी चूत तड़प रही थी। मैं एक दिन उसके रूम में खाना देने गई थी। उसने मुझे बैठा लिया। मैं बैठकर बात करने लगी। उस दिन ससुर ही थे। मुझे पकड़ कर उसने अपने दिल की बात बोलने लगा।
तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। मै तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। तुम बहुत ही हॉट लगती हूँ। मै तुम्हे बहुत चाहता हूं बहुत प्यार करता हूँ। यही सब बोलकर उसने मुझे पकड़ लिया। मै मन ही मन खुश हो रही थी। लगता है जादू चलने लगा। जादू के चलते ही मैं भी उसे चिपक गई। उसने मेरी होंठ के करीब अपना होंठ लाकर चूमने की कोशिश करने लगा।
लेकिन मेरे ससुर ने बीच में आकर ये प्यास नहीं बुझने दिए। उन्होंने मुझे किसी काम से बुलाया। मै चली गई। सूरज का मुह बन गया। मैंने सूरज से बोल दिया। मैका मिलते ही ये पूरा हो जायेगा। मौके का इंतजार करते करते 1 महीने निकल गई। मेरे ससुर के ससुराल यानि की मेरे पति के मामा के लड़के की शादी थी। सब लोग गए हुए थे।
मै ना जाकर घर देखने के लिए रुक गई। मुझे मौक़ा मिल ही गया। मै कुछ देर बाद घर का सारा काम करके सूरज के रूम पर गई। सूरज रूम पर था ही नहीं। मेरी बेचैनी बढ़ने लगी। मुझे लग ऱहा था। मेरी तड़प तड़प ही बनकर रह जायेगी। मै बहुत ही दुखी होकर वापस अपने रूम पर आ रही थी। मै तो चौंक गई।
सूरज मेरे ही घर में सोफे पर बैठा था। मेरी तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रही। ख़ुशी से मै उछलने लगी। मैंने दौड़कर सूरज से चिपक कर बैठ गई। सूरज ने मुझे पकड़ कर मेरी आँखों में आँखे डालकर अधूरा काम पूरा करने में लग गया। उसने मुझे बताया की वो आज सुबह से ही सभी के जाने का इंतजार कर रहा है।
इसीलिए वो आज काम पर नहीं गया हुआ था। मुझे ये सुनकर बहुत ही अच्छा लगा। की आज तो चुदाई पक्की है। चाहे कुछ भी हो आज कोई नही रोक सकता। उसने मेरे होंठ से अपना होंठ लगाकर चुम्बन वाला कार्यक्रम शुरू किया। उसका होंठ बहुत ही सॉफ्ट था। मेरी होंठ को अपने होंठ से खींच कर चूस रहा था।
मेरी नाजुक होंठ को चूस चूस कर उसने बहुत ही लाल लाल कर दिया। मै गर्म होने लगी। मेरी साँसे तेज होकर दिल जोर जोर से धड़कने लगा। इतनी जोर की धड़कने की आवाज कोई भी बाहर से सुन सकता था। मेरी साँसो को महसूस करके वो भी गर्म हो रहा था। मेरे गले को चूमते हुए धीऱे धीऱे नीचे की तरफ बढ़ रहा था।
मैंने उस दिन सफ़ेद रंग की सलवार और समीज पहना हुआ था। मेरी लाल रंग की ब्रा दिखाई पड़ रही थी। उसने मुझे उठाया। मेरी समीज को निकाल कर मुझे ब्रा में कर दिया। मै ब्रा में बहुत ही ज़बरदस्त दिख रही थी। चूंचियो के बीच के स्थान को चूमते हुए उसने पीछे से ब्रा की हुक खोलकर निकाल दिया।
मेरे दोनो खरगोश जैसे सफ़ेद मम्मे फ्री हो गए। उसने मेरे मम्मो को अपने हाथो से पकड़कर दबाने लगा। मै सिमट कर चिपक गई। कुछ देर दबाने के बाद अपना मुह मेरे चुच्ची के निप्पल पर लगाया। मेरी निप्पल से वो बच्चे की तरह दूध पीने लगा। एक चूंची को मुह में भरते ही मेरी दूसरी चूंची फूलने लगती थी।
मेरी सॉफ्ट बूब्स को दबा कर उसका रस निचोड़ कर पीके काट रहा था। मैं “अई…अई…..अई…..अई.. ..इसस्स्स्स् स्स्स्स्….उहह्ह्ह्ह….ओह्ह्ह्हह्ह….” की सिसकारी ले रही थी। मेरी सारे अंग में बिजली दौड़ने लगी। मै गर्म हो गई। सूरज ने मुझे अपनी गोदी में बिठा रखा था। उसका खड़ा लंड मेरी गांड़ में चुभ रहा था।
मुझे वो बहुत ही मोटा महसूस हो रहा था। मैंने भी उसके लंड को देखने के लिए उसके पैंट से बेल्ट निकालने लगी। बेल्ट को निकालते ही मैंने हुक खोलकर उसका पैंट कच्छे सहित नीचे करके उसके 12 इंच लंबे लंड का दर्शन किया। बाप बाप रे इतना बड़ा लंड मैंने अभी तक नहीं देखा था। मैंने 4 से लेकर 8 इंच तक को ही लंड से अपनी चूत में लिया था।
मैंने उसके लौड़े को हाथ में पकड़ कर उठाया। लंड के टोपे को मुह में रख कर चूस चूस कर चाट रही थी। आइसक्रीम की तरह दो बूँद मलाई निकला। मैंने उसको चाट लिया। वो नमकीन लग रहा था। उसके बाद उसकी गोलियों को चूसने के लिए मैंने अपने मुँह में रख कर टॉफी की तरह चुलबुला रही थी। सूरज भी जोश में आ गया।
अपना लंड मेरे गले तक पेल पेल कर चोदने लगा। उसने मुझे खड़ा करके मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया। पैंटी में देखकर वो दंग रह गया। उसकी आँखे फ़टी की फटी रह गई। उसने मेरी चूत को पैंटी में ही सूंघकर निकाल दिया। पैंटी को निकालते ही मैं नंगी हो गई। उसने मेरी टांगो को खोलकर मेरी चूत के दर्शन करके अपना मुह लगा दिया।
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मेरी चूत को चाटने लगा। फूली हुई चूत मेरी बहुत ही लाजबाब लग रही थी। उसकी जीभ चूत के बीचों बीच आते ही मैं “…अहहह्ह्ह्हह स्सी ई ई ई इ…. अ अ अ अ अ…आहा …हा हा हा” की आवाज निकल जाती। मै उसका सिर पकड़ कर अपनी चूत में घुसाने लगती। उसने मेरी चूत में अपनी दो उंगलियां डाल कर मुठ मारने लगा। धीऱे धीऱे उंगलियों की संख्या बढ़ाकर मुठ मारने लगा।
मेरी चूत से अपना पूरा हाथ गीला करके चाटने लगा। उसके बाद उसने अपना लौड़ा मेरी चूत पर रगड कर तड़पाने लगा। मै अपने उंगलियो से चूत को मसलने लगी। मुझे अब बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था। मै अपना सर सोफे पर पटक रही थी। सोफे को हाथो से दबा रही थी। आखिरकर वो पल आ ही गया जब मुझे उसका लंड चूत के द्वार पर लगा दिया।
एक ही झटके में आधे से ज्यादा लौड़ा घुस गया। मै जोर से “ हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ….ऊँ ऊँ ऊँ….ऊँ सी सी सी सी…हा हा हा….ओ हो हो….” चिल्ला उठी। अपने लौड़े से उतनी ही चूत चोदना शुरू किया। अंदर बाहर करके मुझे चोद रहा था। बहुत ही वजन था उसका शरीर। मै दबी हुई थी। घच घच अपना लौड़ा मेरी चूत में उचक उचक कर डाल डाल कर चोद रहा था।
मुझे बहुत मजा आ रहा था। पहली बार मुझे ऐसी चुदाई करने को मिल रही थी। मुझे आज जिंदगी का सबसे हसीं पल मिल रहा था। मै भी कोई कम थोडी न थी। मैं भी अपनी कमर को उछाल उछाल कर चुदवा रही थी। उसे भी बहुत आनंद आ रहा था। बार बार अपना लंड अंदर बाहर करके मेरी चूत खुजला रहा था।
उसने मेरी एक टांग उठाई। अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल कर घुसुक घुसुक कर चोद रहा था। मै भी सुसुक सुसुक कर “…उंह उंह उंह हूँ… हूँ…. हूँ…हममम म अहह्ह्ह्हह… अई…अई….अई…” की सिसकारी निकाल रही थी। मेरी टांग दर्द करने लगी। मैने अपना टांग नीचे कर लिया। उसका लौड़ा दब गया।
कुछ देर तक उसने लौड़ा मेरी चूत में ही डाले रखा उसके बाद उसने निकाल कर मुझे गोद में ले लिया। मेरी चूंचियो को पीते हुए अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल कर धीऱे धीऱे उछाल कर चोदने लगा। उसका लौड़ा सीधा मेरी चूत में घुसता और निकलता रहा। मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था।
अभी तक तो किसी में ऐसा दम नहीं था की वो मुझे गोद में उठाकर मेरी चूत चुदाई करे। घोड़े के लंड जैसा लौड़ा बहुत ही जल्दी अंदर बाहर हो रहा था। मैं जोर जोर से “ओहह्ह्ह …ओह्ह्ह्ह. अह्हह्हह…अई…अई…अई….उ उ उ उ उ….” की आवाज निकाल रही थी। मेरी चूत रगड रगड कर लाल लाल हो चुकी थी।
उसका लौड़ा भी बहुत लाल लाल हो गया। लग रहा था किसी कुत्ते का हो। उसका लंड मेरे चूत के माल से भिगा हुआ था। मैंने सारा का सारा माल चाट लिया। वो भी बहुत ही बेरहमी से मुझे चोदने को बेकरार था। कुछ पल चैन की सांस भी नहीं लेने दे रहा था। जल्दी से मुझे झुकाकर पूरा लौड़ा समाहित कर मेरी चूत में भर दिया।
जोर जोर से चोदते हुए चिल्ला रहा था। पता नहीं क्या क्या बक रहा था। मेरी गांड़ पर हाथ मार मार कर मुझे भी जोश दिला रहा था। मै भी अपनी गांड़ उठा उठा कर चुदवा रही थी। उसकी तेज चुदाई ने मुझे हरा दिया। मै झड़ने को मजबूर हो गई। मेरी चूत से माल झरने की तरह बहने लगा। बुलबुलों के साथ मेरी चूत जल प्रवाह कर रही थी।
उसने अपना मुह चूत के झरने के द्वार पर लगा दिया। सारा माल पीकर उसने अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल कर लेट गया। कुछ देर तक हमने आराम किया। उसका लंड सिकुड़ने लगा। मैंने चूस कर मुठ मार कर फिर से तैयार कर दिया। लेकिन क्या पता था। कि अभी एक दर्द पीछे से भी मिलने वाला है।
उसने मुझे कुतिया बनाया। उसके बाद अपना 4 इंच मोटा लंड मेरी गांड़ में घुसाने लगा। मेरी छोटी से गांड़ के छेद उसका मोटा लंड घुसना मुश्किल लग रहा था। लेकिन उसने खूब थूक कर लौड़े को गीला करके जोर का धक्का मारा। मेरी गांड़ को फाड़कर उसके लंड का टोपा अंदर घुस गया।
इतना दर्द तो मेरी चूत में भी घुसने में नहीं हुआ था। मैं उतनी ही तेज चिल्लाई “आआआअह्हह्हह…..ईईईईईईई….. .ओह्ह्ह्…..अई….अई…अई….अई…सूरज…. सूरज…” धीऱे करो बहुत दर्द हो रहा है। उसने एक ना सुनी। अपना लौड़ा धक्का मार कर पूरा अंदर घुसाकर ही दम लिया। मै पसीने से भीग गई।
टप टप उनका भी पसीना मेरे गांड़ पर उसके चेहरे से गिर रहा था। लग रहा था अभी अभी हम दोनों नहा के निकले हैं। मेरी कमर पकड़ कर तेज तेज से चुदाई कर रहा था। आज पता चला क्या चीज गांड़ चुदाई होती है। दर्द के आराम होते ही मुझे बहुत मजा आ रहा था। चूत चुदवाने का मजा तो उसके आगे कुछ भी नहीं था।
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मै भी अब अपनी गांड़ मटका मटका कर चुदवा रही थी। सूरज थक हर लेट गया। मै उसके लंड को पकड़ कर उस पर बैठ गई। धीऱे धीऱे करके पूरा लंड अंदर अपनी गांड़ में ले लिया। मै भी अब ऊपर नीचे गेंद की तरह उछल कर चुदवाने लगी। मेरी आवाज के साथ “आऊ…आऊ….हममम म अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी…हा हा हा…” चुदवा रही थी। सूरज भी अब झड़ने को हो चला। वो भी अपना लंड कमर उठा कर गांड़ में घुसा रहा था।
उसकी स्पीड से तो मेरी गांड़ फट रही थी। सूरज कुछ ही देर बाद अपना लौड़ा निकाल कर खड़ा हो गया। अपना लौड़ा मेरे मुह के ठीक सामने करके मुठ मारने लगा। उसका लंड अपना टैंक खाली करने लगा। पूरा माल मेरी मुह में गिरा दिया। लबालब भरे माल को मैं पी गई। उसके बाद हम दोनों लेट गए। पूरा दिन चुदाई करके हमने खूब मजे किये। अब जब भी मौक़ा मिलता है। हम दोनों खूब चुदाई करते है।