Desi Incest Defloration
मेरा नाम सुजीत है। मैं बाराबंकी में रहता हूँ। मेरी उम्र 21 साल की है। मेरा कद 6 फ़ीट है। मैं अभी ग्रैजुएशन कम्पलीट कर रहा हूँ। मेरी आकर्षक ज़बरदस्त पर्सनालिटी ओर लड़किया अपनी जान छिड़कती हैं। मैंने भी लड़कियों को पटाकर उनका चूत फाडी है। मुझे टाइट चूत बहुत पसंद है। उसे चोदने में बहुत मजा आता है। Desi Incest Defloration
लड़कियों को भी मेरा 11 इंच मोटा लंड बहुत पसंद आता है। उसे खाने को हमेशा तैयार रहती हैं। मैंने अब तक कई बार सेक्स किया। बहुत सी लड़कियों की सील भी तोड़ी है। मैं जब भी कही जाता हूँ तो पहले पाता कर लेता हूँ की उनके घर कोई लड़की है। अगर मिल जाती है तो चोद के चला आता हूँ। लड़कियों को पटाने में ज्यादा टाइम नही लगता। इस साल तो मैंने कुछ ज्यादा ही चुदाई की है।
दोस्तों मैं एक बहुत ही अच्छे से परिवार के बीच में रहता हूँ। लेकिन मेरे परिवार वाले जितने ही सीधे साधे है मैं उतना ही कमीना हूँ। मैं बचपन से ही ब्लू फिल्मो का शौक़ीन हो गया। रात को लेटे लेटे एक ही करवट से कई सारी देख लेता था। मुझे तभी से लड़कियों के साथ रहना उनसे बाते करना अच्छी लगना था।
धीऱे धीऱे मेरी बात करने की टाइमिंग बढ़ते बढ़ते उनके साथ गंदी बाते भी करने लगा। लड़कियों की भी बहुत मजा आता है। दोनों लोग खूब गर्म हो जाते थे। मै तो बॉथरूम में जाकर मुठ मार कर चला आता था। मै लड़कियों से खुलकर बाते करने लगा। उनके साथ मैं कुछ भी कर देता था।
मै अक्सर उनकी फूली हुई उभरी हुई चूंचियो को दबा देता था। ज्यादा तर लड़कियों की चूंची छूने के लिए। उनके शर्ट की जेब में हाथ डाल कर कह देता था क्या रखे हो। मै खूब मजा लेता था। मै बचपन से ही चुदाई में बहुत रूचि रखता हूँ। मैंने अपनी गर्लफ्रेंड को खूब चोदकर आनंद दिया।
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उसकी चूत को घिस घिस कर खूब चुदाई की। मैंने खूब लंड लौड़ा चुसाया है। लाल लाल होंठ को मैंने खूब चूस चूस कर खूब रस पिया। उसकी चूंचियां बहुत ही मस्त थी। लेकिन उससे भी ज्यादा मजा तो तब आया जब मुझे अपनी मौसी की लड़की आकृति की चूंचियों के दर्शन हुए। दोस्तों मेरी मम्मी दो बहन है। मेरी मौसी दिल्ली में रहती है।
उनकी सिर्फ एक बेटी ही है जो दिल्ली में ही रहती है। वो मेरे ही उम्र की है। मुझे उसके उभरे हुए चुच्चे देखकर चोद डालने को ही दिल करता था। बहुत दिनों के बाद मैं मौसी के घर गया हुआ था। मौसी ने मेरा खूब आवभगत किया। आकृति भी आकर मुझे प्यार से चिपक गई। मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। उसकी नरम मुलायम सॉफ्ट सॉफ्ट चूंचियां मुझे छू रही थी। मैंने भी प्यार से उसके गाल पर किस कर लिया।
उसने कहा -“सुजीत भाई तुम कितने बदल गए हो। पहले तो तुम पतले पतले साँवले से थे और अब तो बड़े और गोरे भी हो गए हो.”
मै- “तुम भी तो काफी बदल गई हो। पहले तो तुम बहुत छोटी थी। और…..” इतना कहकर मै रुक गया।
मैंने उसकी चूंचियो को देखकर कहने जा रहा था कि तुम्हारे बूब्स भी काफी बड़े हो गए हैं। उसका इस तरह से व्यवहार करना मुझे बहुत जोशीला लग रहा था।
आकृति- “क्या बात है भाई आप बहुत ही हैंडसम भी लग रहे हो.”
मै- “क्या करूं जब ईश्वर ने बना ही डाला ऐसा। इसमें मेरा कसूर क्या है। लेकिन मेरी तारीफ़ तो करने लायक नहीं है। और तुम तो एक दम परी लग रही हो.”
आकृति- “और बताओ भाई साहब क्या हाल है.”
मेरे तो खम्भे पर अपना हेडलाइट दिखाकर लोड डाल रही थी। मैं क्या करता किसी तरह से कंट्रोल करके बैठा था। मौसी ने भी आकर बात किया। बाते करते करते ऱात हो गई। हम लोगो ने खाना खाया। इसके बाद फिर बैठकर बात करने लगे। मौसी भी आ गयी। वो सोने चली गई। हम लोग अब भी बात कर रहे थे।
मै उसके चूंचियो को देख रहा था। मेरा लंड बेकाबू होता जा रहा था। मैं मुठ मारने के लिए बॉथरूम में घुस गया। वो भी सोने चली गई। मैने बाहर आकर देखा तो वो नहीं दिखी। मैंने आकृति के रूम में जाकर देखा तो वो लेट गई थी। मैं वापस आने लगा। उसने मुझे बुलाया कहने लगी वहाँ बैठे बैठे पीठ दर्द करने लगी थी। इसीलिए आकर लेट गई। आओ तुम भी यही लेटो। हम लोग बात करते हैं।
इतना बोली ही थी। की मैं झट से अपना जूता निकाल कर बिस्तर पर चढ़ गया। मै सोच रहा था। काश आज मेरी विनती पूरी हो जाती। मै आज आकृति को चोदने में सफल हो जाऊं। मैं इससे पहले भी कई बार कोशिश कर चुका था। मुझे आज भी लग रहा था। ये रंडी मुझसे नही चुदवायेगी। मैंने किस तरह उसके पास लेटकर भी अपने आप को कंट्रोल किया। उसने मेरे बारे में पूंछा।
आकृति- ” भैया स्कूल के दिन ख़त्म हुए अब तो कॉलेज जाने लगे हो। वहाँ तो बहुत लड़कियां मिलती होगी। तुम्हारी तो बहुत गर्लफ्रेंड होंगी.”
मै- “कॉलेज जाने का मतलब गर्लफ्रेंड ही तो नहीं होता। तुम भी तो जाती हो। तुम्हारे भी कई बॉयफ्रेंड होंगे.”
आकृति-” नहीं मेरा कोई बॉयफ्रेंड नही है। मैंने अभी तक किसी लड़के को आँख उठा कर देखा भी नहीं है.”
मै-” कैसे मानू मैं की तुम अभी तक पूरी तरह से कुवांरी हो.”
आकृति-” मेरी बात मानो मै हूँ। अभी तक पूरी तरह से कुवांरी.”
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मैं उसके मम्मो को ताड़े जा रहा था। वो कुछ भी समझ नहीं पा रही थी। मुझे उसकीं लाल रंग की ब्रा देखकर बहुत ही जोश आ रहा था। उसके कपडे उतार कर उसे चोदने का मन बहुत जोर जोर से करने लगा। मैंने उसका मन लेने के लिए। उसे सब कुछ अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में बताया। उसके साथ किये गए सारे अच्छे बुरे कर्मों का पूरा विवरण दिया। मैंने धीऱे धीऱे अपना पैर उसके ऊपर रख दिया। उसे मेरी स्टोरी सुन कर चुदने का मन होने लगा। उसने मेरा विरोध नहीं किया।
मै- “आकृति तेरी तो सील भी नहीं टूटी होगी.”
आकृति- “ये क्या होता है। मैं तो नहीं जानती.”
मैं- “तुम्हारे चूत के भीतर एक खाल होगी। जिसे तोड़कर ही लंड़ को चूत में घुसाया जाता है.”
आकृति- “वो तो मैं नहीं जानती थी। कमीने तुझे कैसे पता चला.”
मै- “मैंने अपनी गर्लफ्रेंड की तोड़ी थी.”
इतना कह कर मैंने एक हल्की सी स्माइल दी। उसने मुझसे दूर होकर कहा। तुम्हे सेक्स करना आता है। मैंने हाँ बोल कर तुरंत उसके करीब हो गया। इतने में मौसी आ गई। मैंने उससे दूर हटा।
मौसी ने मुझे कहा- “तुम्हे यही लेटना हो तो लेट जाओ। लेकिन दरवाजा बंद कर लो। तुम लोग कुछ जोर से बोलते हो तो आवाज बाहर तक आती है।” इतना कहकर वो वहाँ से चली गई।
मै- “बोलो आकृति तुम्हे सेक्स करना है या नहीं.”
आकृति- “मुझे डर लगता है। मैं नहीं करूंगी.”
मेरी तो झांट सुलग गई।
मैंने कहा- “डरो नहीं मैं बहुत एक्सपर्ट हूँ इन सब कामो में.”
आकृति की चूंची पर अपना हाथ रख दिया। वो भी मूड बना चुकी थी। लेकिन लड़कियों की आदत मुझे भी पता थी। न न न न न न करेंगी लेकिन चुदना भी चाहती हैं। मैंने उसकी आँखों में चुदाई की झलक देखी। उसकी चुदने की प्यास बढ़ रही थीं। वो अपने होंठो को काटने लगी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने उसे पकड़ कर किस किया और दूध को दबा कर सहलाने लगा। उसे भी लगने लगा। आज तो इसे चोद के ही दम लूँगा। पहले भी मैंने कई बार उसके चूत पर गांड़ पर उसके बदन पर मुठ मार कर अपना माल गिरा चुका था। एक बार तो मैंने उसकी चूत में भी ऊँगली डाल कर मजा ले रहा था।
उसकी आँख खुली और उसने देख लिया था। कुछ दिन तो मैं उससे आँखे ही नहीं मिला पा रहा था। लेकिन बाद में मैं बेशर्मो की तरह उसे फिर चिपकने लगा। आज मेरी इतने दिनों की तमन्ना पूरी होने वाली थी। मैंने झट से दरवाजा बंद किया। वो बिस्तर पर नागिन की तरह चुदने को मचल रही थी।
मैंने उसके पास जाकर कान में कहा- “चल आज मैं तुम्हे लंड से खेलना सिखाता हूँ” इतना कहकर अपना पैंट खोलने लगा।
पैंट खोलते ही वो शरमाने लगी। उसने अपनी आँख हाथो से ढक लिया। मैने उसे हटा कर उसको अपना लंड दिखाने लगा। वो मेरे लौड़े को देखना ही नही चाहती थी। अपनी नजरे इधर उधर कर रही थी। मैंने उसकी आँखों के सामने अपना लंड कर दिया। अब तो उसे मेरा मोटा लंड देखना ही पड़ा। उसने मेरे लंड को देखते ही चौंक गई।
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आकृति- “सुजीत पहले तो तुम्हारा इतना बड़ा नहीं था.”
मै- “तुम्हे कैसे पता। तुमने तो कभी देखा भी नहीं था.”
आकृति- “देखती थी थोड़ी सी आँख खोलकर। जब तुम मेरी चूत और गांड में लंड को छुआकर मुठ मारते थे.”
मै- “तुम्हारी चूंची भी तो इतनी बड़ी नही थी तब.”
आकृति- “पता नही कैसे बड़ी हो गई। अब तो ब्रा न पहनो तो खूब उछलती हैं.”
मैंने अपना लंड उसे चूसने को कहा। उसने शरमाते हुए मेरा लंड बहुत ही ढीले हाथो से पकड़ा। मैंने उसे पकड़कर जोर से दबाते हुए। उसके मुह में रख दिया। लॉलीपॉप की तरह मेरे लंड का सुपारा चूसने लगी। मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। मै अपना लंड मुठ मारते हुए चुसवा रहा था।
मेरे लंड की नसें फूलती ही जा रही थी। इतना भयानक रूप हो गया। मै भी आश्चर्य में पड़ गया। मेरे लंड को चूस चूस कर लम्बा मोटा कर दिया। मैंने उसके गले तक अपना लंड घुसा कर अंदर बाहर करने लगा। उसके गले तक घुसाते ही वो “अई… अई… इसस्स्स्स्स्स्स्स्… उहह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्हह्ह…” की आवाज निकालने लगीं।
उस दिन उसने लाल रंग का ही सलवार समीज पहना हुआ था। उसकी बदन पर ऐसे कपडे उसे और भी हॉट सेक्सी बना देते थे। मुझे तो उसकी चूंचियो को पीने का मन होने लगा। मैंने अपना लौड़ा उसकी मुह से निकाल कर उसकी होंठो को किस करने लगा। उसकी होंठो को किस करते ही वो गर्म होने लगी।
मुझे उसकी साँसों से ये एहसास हो रहा था। मैं काट काट कर होंठ चुसा रहा था। काटते ही वो “अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ… अअअअअ… आहा… हा हा हा” की सिसकारी भरने लगती। मुझे उसकी यही आवाज और भी ज्यादा जोश दिला रही थी। मैंने उसके गले को किस करते हुए।
उसकी चूंचियो को किस करने लगा। उसकी चूंचियां बहुत ही सॉफ्ट लग रही थी। मन कर रहा था। रोज तकिये की जगह इसे ही रखने को मिला करे। मैंने उसके समीज को निकाल दिया। अब वो ब्रा में ही थी। अपने हाथो से बिस्तर पकड़ कर दबा रही थी। मेरे पैरों पर अपने पैरों को रगड रही थी।
मुझे उसके बूव्स बहुत ही जबरदस्त लग रहे थे। मैंने उसकी ब्रा को निकाल कर उसकी चूंचियों को दबाने लगा। मैंने अपने मुह में उसकी निप्पल को रख कर पीने लगा। पीते पीते उसे गर्म करके चुदने को तड़पाने लगा। उसने अपनी चूत में ऊँगली करनी शुरू कर दी। मैंने उसकी सलवार का नारा खोल दिया।
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उसकी सलवार निकाल कर उसे पैंटी में देखकर मेऱा लौड़ा खड़ा हो गया। उसे भी जल्दी होने लगी चूत में घुसने की। मैंने उसकी पैंटी को निकाल कर चूत के दर्शन किया। अपना मुह उसकी चूत पर लगा दिया। चूत को किनारे किनारे जीभ लगाकर चाटने लगा। उसकी चादर की पकड़ बढ़ती ही जा रही थी।
तड़प के मारे अपना सर पटक रही थी। मैंने अपना जीभ उसकी चूत के बीच में लगानी शुरू किया। उसकी चूत झड़ने वाली लग रही थी। चूत के दाने को काटते ही पानी बहने लगा। मैं सारा पानी पी लिया। उसके बाद मैंने अपना लौंडा रगड़ने लगा। रगड़ते रगड़ते उसकी चूत लाल लाल होकर हीटर की तरह गर्म हो गई।
मैं जोर का धक्का मार अपना लंड अंदर घुसाने लगा। लेकिन मेरा लंड़ उसकी चूत ने बाहर फेंक दिया। बार बार कोशिश करने पर मेरे लंड का टोपा घुस ही गया। उसने जोर जोर से “मम्मी… मम्मी… सी सी सी सी… हा हा हा… ऊऊऊ… ऊँ… ऊँ… ऊँ.. उनहूँ उनहूँ…” की चीख निकाल दी।
थोड़ा और अंदर घुसाते ही उसकी चूत से खून निकलने लगा। अब मुझे यकीन हो गया। कि ये अभी तक कुवांरी है। इतना देखकर वह चौक गई। कहने लगी- “सुजीत तुमने कुछ गलत कर डाला। मेरी चूत से खून निकल रहा है.” मैंने उसे समझाया। तुम पहली बार चुदवा रही हो इसीलिए खून निकला है। अब तुम्हारी सील टूट चुकी है। अब कभी भी चुदवाओगी तो खून नहीं निकलेगा।
मैंने फिर से लंड अंदर डाल कर अच्छे से उसकी चूत फैलाकर अंदर बाहर करने लगा। उसी चूत जितनी ही टाइट थी अब उतनी ही ढीली होने लगी। मै घच्च घच्च उसके गड्ढे में अपनी गाडी कूदा रहा था। उसे भी अब मजा आने लगा। अपनी कमर उठा उठा कर “ हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ… ऊँ ऊँ ऊँ… ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा… ओ हो हो…”की आवाज निकाल कर चुदवा रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैने उसे झुकाकर अपना लंड उसकी चूत में डालकर खूब चुदाई की। उसकी ये चुदाई मेरी यादगार बन गई। आज तक मैंने वैसे चुदाई नहीं की। उसकी चूत को मैंने फाड़कर उसका हलवा बना डाला। उसकी चूत लगातार बार बार अपना पानी छोड़ दी। मुझे अब उसकी चूत चोदने में मजा नहीं आ रहा था। मैं उसकी गांड़ में अपना लौड़ा पेलने लगा। उसने मुझे रोका। लेकिन मैंने उसके गांड़ में थूक लगाकर अपना लौड़ा डाल दिया।
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उसने जोर से फिर एक बार “आआआअह्हह्हह… ईई ईईईईई… ओह्ह्ह्… अई… अई अई… अई–मम्मी…” की चीख निकाल कर चुदवाने लगी। आकृति की गांड़ पेलने में बहुत मजा आ रहा था। मैं उसे कुतिया बनाकर उसकी गांड़ में अपना लंड डाल कर चोदने लगा। उसकी गांड़ को भी फाड़कर मुझे बहुत मजा आ रहा था। पता नहीं अब कब मौक़ा मिले उसे चोदने का तो आज मैं जी भर कर उसके साथ चुदाई का भरपूर आनंद ले रहा था। मैंने उसे चोद चोद कर थका दिया। फिर भी वो अपनी गांड़ हिला हिलाकर चुदवा रही थी। मुझे लग रहा था। मै भी अब झड़ने वाला हो गया।
मैंने उसे अपने चुदाई की स्पीड बढ़ा दी। अब वो जोर जोर से “उंह उंह उंह हूँ… हूँ…. हूँ… हमममम अहह्ह्ह्हह… अई… अई… अई…” की आवाज निकाल कर चुदवाने में मस्त थी। मैं अपना लंड उसकी गांड़ से निकाल कर उसको बिठा दिया। वो बैठ कर मेरे लंड को देखने लगी। मै जल्दी जल्दी मुठ मार रहा था। आकृति मेरे मुठ मारने की स्पीड देखकर दंग रह गई। मैंने कुछ देर बाद अपना सारा माल उसकी मुह में डाल दिया। मेरा माल उसने पी लिया। हम दोनो नंगे ही बिस्तर पर लेट गए। उसके बाद रात में कई बार चुदाई की।