Dukan Me Chudai
दोंस्तों मेरा नाम शकीना है। मैं एक गरीब बेसहारा औरत हूँ। उम्र 32 की लग गयी है। मेरे आदमी ने मुझे चोद चोदके 2 बच्चों को पैदा कर दिया। फिर वो हरामी शराब पी पीकर मर गया और मुझे 2 बच्चो की जम्मेदारी दे गया। मैं अब भी जवान और खूबसूरत हूँ। Dukan Me Chudai
मुझे अपने आदमी के मरने का उतना दुःख नही है कि मैं क्या खाऊँगी, क्या पियूंगी, कहाँ रहूँगी, क्या बच्चो को खिलाऊंगी और कैसे उनकी परवरिश करूंगी। सबसे बड़ा दुःख तो है कि भोसड़ी का वो मर गया और जाते जाते अपना लम्बा सा लण्ड भी ले गया। अब मैं किस्से हर रात काम लगवाऊंगी? आखिर अब कौन मुझे नंगा करके चोदेगा। मुझे इस बात की जादा टेंशन थी।
पिछले साल मेरा आदमी मर गया। जमाने को दिखाने के लिए मैं बहुत रोई भी, पर सच कहूँ तो मैं अपने घर शोक में आये सभी मर्दों को ध्यान से परखने लगी की कौन मुझसे फस सकता है। कौन मुझे अब चोदेगा। खैर किसी तरह मैं सिलाई करके अपने दिन काटने लगी।
मैं सिलाई कढ़ाई में बड़ी होशियार थी। इसलिए मुझे पास पड़ोस से काफी काम मिल जाता था। मैंने अपने बच्चों का नाम भी स्कुल में लिखवा दिया। धीरे धीरे रोते हस्ते मेरे दिन कटने लगे। भले मेरा आदमी शराबी था, पर क्या मस्त ठुकाई करता था मेरी।
उनका सामान तो खूब बड़ा, मोटा और लम्बा और बेलन जैसा गोल था। सारी सारी रात वो खूब मजे लेता था और मुझे भी मजे देता था। शादी के बाद मैंने अपने पुराने आशिक़ो ने मिलना जुलना बन्द कर दिया। क्योंकि मेरी जिस्मानी जरूरत मेरा आदमी जावेद ही पूरा कर देता था।
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पर अब उसके मरने के बाद मेरी राते लम्बी हो गयी, जो काटे नही कटती थी। मैं अक्सर अपनी गीली चूत में दोनों उँगलियाँ फसकर मुठ मार लेती थी। मेरे अगल बगल के घरों में सारे मर्दों की अपनी अपनी बीवियां थी। इसलिए वो मेरी ओर नही देखते थे।
सिलाई के काम में थोड़ी उधारी भी हो जाती थी। कुछ कस्टमर समस्या बताकर एक महीने बाद या 2 महीने बाद पैसा देते थे। मैं दाल, चावल, और अन्य राशन का सामान पास के लाला से लाती थी। लाला वैसे तो बुड्ढा था, पर सारा एक नंबर का आवारा था। आते जाते मुझे लाइन देता था।
एक बार रात को मैं आटा लाने गयी तो साले ने मेरा हाथ ही पकड़ लिया। मैंने उसी समय उसको 2 3 थप्पड़ जड़ दिए। पूरा मुहल्ला इकठ्ठा हो गया था। बड़ी बेइज़्ज़ती हुई थी लाला की। बस तभी से वो मुझ पर खुन्नस खाये बैठा था।
अपना बदला निकालने के लिए अब वो मुझे उधारी नही देता था। सिर्फ नकद पर ही राशन देता था। समस्या यही थी की लाला की दूकान ही सबसे बड़ी और पास थी। बच्चे छोटे थे। इसलिए मैं उस हलकट से ही नकद पैसा चुकाकर सामान लेती थी। बस इसी तरह मेरी जिंदगी चल रही थी।
पर ऊपर वाले को ये भी मंजूर नही था। हुआ ये की उस महीने पहले हमारे प्रधानमंत्री ने 500 और 1000 के नोट बन्द कर दिए। अगले ही दिन मैं बैंक गयी और 10 हजार पुराने नोट जमा कर आई। अब मेरे पास कुछ सौ रूपए ही नकद बचे थे। मैं एक एक पाई हिसाब से खर्च करने लगी।
फिर पता चला कि बैंक एक दिन में 2 हजार देते है। मैं बैंक गयी और पैसे निकाल लायी। अब मैं उन 2 हजार रुपयों को बड़े हिसाब से खर्च करने लगी। पर अब मेरे बुरे दिन सुरु हो गए। किसी तरह 15 दिन कटे। तभी बच्चो के स्कुल से लिखकर आया की फीस जमा कर दे, वरना नाम कट जाएगा।
मैं बहुत डर गयी और बाकी बचे पैसे मैंने बच्चों की फीस में जमा कर दिए। मुश्किल से 2 दिन गुजरे होंगे। जब मैंने दाल चावल के डिब्बो में हाथ डाला तो वो खाली थे। सारा राशन खत्म हो गया था। शाम को बनाने के लिए भी कुछ नही था। मैं घबराकर लाला के पास गई।
लाला! मेरा सारा राशन खत्म हो गया है! मुझे कुछ राशन दे दो! मैं तुमको कल दाम चूका दूंगी! मैंने उससे कहा.
बड़ी अकड़ दिखाती थी! शकीना मैं तुझे एक आने की उधारी नही दूँगा! कितनी जोर से चांटा मारा था तूने! क्या याद है तुझे?? कितनी बेइज्जती की थी मेरी मोहल्ले में?? पहले पैसा फिर राशन! हरामी की औलाद लाला बोला.
लाला! मेरे बच्चे भूखे है! कृपया कुछ राशन दे दो! वो क्या खाएँगे?? मैं उस हरामी से विनती करने लगी। मैं उसके आगे हाथ जोड़ने लगी।
पर उस हलकट से मुझे उधारी नही दी। उस दिन किसी तरह मैंने बच्चो को कुछ बना के खिला दिया। अगले सुबह ही मैं बैंक निकल गयी। मैं 8 बजे पहुची थी, पर पता चला की लोग सुबह 5 बजे रात से ही आये है। मैं हैरान हो गयी। क्या सबके पास पैसा खत्म हो गया??
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उस लाइन में कोई 150 आदमी होंगे। मैं भी लाइन में लग गयी। 3 बजे मेरा नंबर आया। उस दिन बैंक वाले एक कस्टमर को सिर्फ 2 हजार ही दे रहे थे। पर मेरी फूटी किस्मत, जब मेरा नम्बर आया तो बैंक में पैसा ही खत्म हो गया। जब मैं रोने लगी तो बैंक वालों ने एटीएम पर लगने को कहा।
मैं रात 9 बजे तक एटीएम पर लगी रही पर वहां भी मेरा नम्बर आने से पहले पैसा खत्म हो गया। मैंने पुरे दिन कुछ नही खाया। मुझे एक कप चाय तक नही नसीब हुई। मैं घर लौट आयी। मेरे बच्चे बूखे थे। थक हारकर मैं उसी लाला के पास गई।
लाला! तुम जो कहोगे मैं करुँगी? पर भगवान के लिए मुझे राशन दे दो। चाहो तो ये 500 का पुराना नोट पूरा ले लो! मैंने उससे कहा।
अब इस नोट की कीमत 500 क्या 5 रूपए भी नही रही! लाला बोला और उसने नोट फेक दिया।
शकीना बेगम! ये नोट भले ही पुराना हो गया हो पर तेरा जिस्म तो आज भी नया और जवान है! लाला कुटिल हँसी हँसता हुआ बोला.
मुझे समझते देर नही लगा की लाला किस ओर इशारा कर रहा है। मैं कश्मकश में पड़ गयी।
बोलो शकीना बेगम! क्या कहती हो! अपना जिस्म दे दो और बदले में हफ्ते भर का राशन ले लो! बिलकुल फ्री! लाला कुटिल हँसी हँसता हुआ बोला।
मैंने ठान लिया की चाहे मुझे अपनी इज़्ज़त ही क्यों ना देनी पड़ी पर मैं अपने बच्चो को भूखा नही सोने दूंगी।
चल लाला! मैं तैयार हूँ! मैंने कलेजे पर पत्थर रखते हुए कहा।
लाला अपनी बीबी से बढ़ा डरता था। उसकी बीबी गुजराती थी। वो ये बात जानती थी की लाला हर औरत को लाइन मरता है। इसलिए लाला मुझे अपने गोदाम ले गया। उसने सेटर का ताला खोला। जब हम दोनों अंदर गुदाम में अंदर चले गए तो लाला से अपनी बीवी के डर से सेटर गिरा दिया।
उसकी अपनी बीवी से बहुत फटती थी। लाला से बत्ती जलाई। वहां गोदाम में हर तरफ कहीं चीनी के कट्टे, मैदा, आटा, चावल, सरसों, रिफाइन तेल के कनस्तर रखे थे। लाला ने कुछ खाली गत्ते ज़मीन पर बिछा दिए। मुझको लिटा दिया।
लाला ने अपना सफ़ेद कुर्ता पजामा जो वो हमेशा पहनता था, निकाल दिया। उसने अपनी सफ़ेद संडौ बनियान भी निकाल दी। लाला की तोंद मुझे दिखने लगी। सीने पर गोल गोल सफ़ेद बाल थे। वो मुझ पर टूट पड़ा जैसै बिल्ली दूध को अकेला पाकर टूट पड़ती है।
मैंने सफ़ेद रंग की विधवा वाली साड़ी पहन रखी थी, पर मैं आज भी टंच मॉल थी। मेरी सफ़ेद साड़ी के पल्लू को उसने एक ओर कर दिया। मेरे चुच्चे बड़े बड़े थे, जो ब्लॉउज़ के उभार से अपना 36 साइज बता रहे थे। लाला मेरी छतियों को दबोटने लगा।
बड़ा भाव खाती थी? आखिर मेरे बिस्तर पर आ गयी?? आज मेरी ही टांगों के नीचे आकर चुदेगी! लाला मेरा माजक बनाते हुए बोला।
उड़ा ले माजक लाला! प्रधानमंत्री ने अगर नोटबन्दी करके आम जनता की गाण्ड ना मारी होती तो तू आज मेरी चूत नही मार पाता। मैंने मन ही मन कहा।
लाला से मेरे सफ़ेद विधवा वाले ब्लॉउज़ के बटन खोल दिए। मैंने ब्रा नही पहनी थी। क्योंकि अब मैं पाई पाई बचाके चलती थी। वैसे भी मेरे आदमी के मरने का बाद अब मुझे कोई बिस्तर पर रगड़ के चोदने वाला ना था। लाला ने मेरा ब्लॉउज़ उतार दिया।
मेरे मस्त गोल मम्मो को वो पीने लगा। मैं उसके चेहरे को पढ़ सकती थी। लाला को मेरा जैसा कड़क मॉल ज़माने बाद मिला था। वो हपर हपर मेरी छातियां पिने लगा। मुझे भी मजा आने लगा। लाल मेरी छतियों को बड़े मजे, बड़ी गहराई से पी रहा था।
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मैं सर उठाकर देखा मेरा पूरा बायाँ नुकीला तिकोना समोसे जैसा चुच्चा पूरा लाला के मुँह में था। वो अपनी बीवी की तरह मेरी छाती पी रहा था।। उसके दाँत मेरे नाजुक मम्मो को चूसते वक़्त चूभ रहे थे। पर मुझे मजा भी आ रहा था। लाला जीभ और दांत चलाचलाकर मेरी नुकीली दूध से भरी छातियां पी रहा था।
मुझे इतना मजा आया की मेरी चूत तो पानी पानी हो गयी। लाला ने मेरी छातियां बड़ी देर तक पी। वो इतनी जोर जोर से चूस रहा था कि आवाज हो रही थी। मैंने आँखे बंद कर ली। मुझे अपनी शादी के दिन याद आने लगे जब मेरी नयी नयी शादी हुई थी, मेरा मर्द मुझे बड़ा प्यार करता था।
खूब कस के मुझे चोदता था। शराब पीने के बाद तो वो भेड़िये की तरह झटके मार मारके मेरी चूत को मथ मथ के छलनी छलनी कर देता था। मन कर रहा था लाला भी मुझे वैसे ही बजाए। मैं भी लाला को बड़े प्यार से अपनी बाँहों में कस लिया।
मेरा गोरा चिट्टा मुख बड़ा चिकना था, मेरी आँखें में एक अजीब सा नशा था, मेरी पालकों में वो बात थी कि जब उठती थी तो सुबह हो जाती थी, जब गिरती थी तो रात हो जाती थी। अचानक से लाला मुझ पर लट्टू हो गया, वो मुझ पर फ़िदा हो गया।
सायद वो आज एक रात के लिए मुझसे प्यार करने लगा था। लाला मेरी आँखों में देखने लगा। मैं भी उसे घूरकर देखने लगी। लाला मेरी झील सी गहरी आँखों में डूब गया। हम दोनों कई मिनटों तक एक दूसरे को एक टक देखते रहे। लाला मेरी आँखों, मेरी पलकों, मेरे माथे को जगह जगह चूमने लगा।
शकीना!! तू इतनी खूबसूरत है मुझे नही पता था! लाला बोला.
मेरी रखेल बनेगी?? उसने पूछा.
पता नही ! मैंने कहा.
मैंने लाला की आँखों में झिलमिलाती रौशनी देखने लगी। उसकी आँखें बहुत कुछ कह रही थी।
देख शकीना! आज तेरा रूप रंग देखने के बाद मैं तुझको चाहने लगा हूँ! मेरी रखेल बन जा! मैं तेरी पूजा करूँगा! तेरी इज्जत करूँगा! तेरी मैं ताउम्र इबादत करूँगा! लाला मुझसे बड़े बड़े वादे करने लगा।
मैं कुछ नही बोली। लाला ने मुझे सीने से लगा लिया। वो मुझे अपनी बीवी की तरह इज्जत दे रहा था। मैंने उसकी नजरों में अपने लिए इज्जत देखी थी। वो मुझे खुदा मान रहा था। मैंने भी उसे कलेजे से लगा लिया। उसको सीने से चिपका लिया।
बहुत समय तक मैं अपने से 10 15 साल उमर के बड़े लाला से चिपकी रही। एक अजीब सी खुसी, संतुष्टि मुझे मिल रही थी। ठीक ऐसी ही अनउल्लेखित खुशि मुझे अपने आदमी से मिलती थी। मैं लाला से बैर का भाव रखती थी। पर अब सब गीले शिकवे दूर हो गए।
लाला एक बार फिर से मेरे तराशे हुए गुलाबी होंठों को चूमने लगा। मैंने भी मना नही किया। मैं भी उसके होंठ से होंठ लगाकर लाला को चूसने लगी। लाला हमेशा पान खाता था, उस वक़्त भी उसके मुंह से पान, तम्बाकू और गुटके की महक आ रही थी।
पर मैंने मना नही किया। हिंदुस्तानी मर्द तो थोड़ी नशा पत्ती करते ही है। इसमें क्या हर्ज है। मेरा आदमी भी तो रोज पीकर ही घर आता था। लाला ने अपनी पान मसाले से पीली पड़ चुकी जबान मेरे मुंह में डाल दी। लो मैं भी जान गई की पान की महक, स्वाद कैसा होता है।
मैं भी समर्पित होकर लाला की जबान चुसने लगी। फिर मैंने भी अपनी जबान उसके मुँह में डाल दी। लाला पागलों की तरह मेरी जबान चूसने लगा। इस गरमा गरम जीभ चुसौवल ने हम दोनों इतने गरम हो गए की आपको क्या मैं बताऊँ।
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शकीना! अपनी साड़ी उतार यार! लाला बोला।
मैं खड़ी हुई। साड़ी की प्लेट को मैं खोंलने लगी। साड़ी निकाल दी। लाला ने मेरे पेट, नाभि को चूम लिया। वो बिलकुल मुझपर लट्टु हो गया।
शकीना! मेरी रखेल बन जा! मैं ताउम्र तेरी गुलामी करूँगा!! तुझे कलेजे से लगाकर रखूँगा! तुझे ये सिलाई विलाई कुछ नही करनी पड़ेगी! कोई काम नही करना पड़ेगा! लाला मुझसे मिन्नते करते हुए बोला।
मैंने कोई जबाव नही दिया। मैं जान गई थी वो मुझे चाहने लगा है। मैंने पेटीकोट का नारा खींचा। पेटीकोट नीचे सरक के जमीन पर गिर गया। मैं उतार दिया। मैंने उस दिन चड्डी नही पहनी थी, इसलिए छुपाने को कुछ नही था। मैं बेहया, बेपर्दा, और नग्न हो गयी। मेरी इज्जत खुल कर अचानक से लाला के सामने आ गयी। आखिर मेरी काली काली बुर ही मेरी इज्जत थी।
आओ शकीना!! लाला ने मुझे उसी गत्ते पर लिटा दिया।
और पागलों की तरह मेरी भरी भरी गुझिया यानी मेरे लंबे से भोंसड़े को चाटने लगा। आज कितने सालों बाद किसी मर्द की जीभ ने मेरी बुर को छुआ था। मुझे आनंद आया। मैंने दोनों पैर खोल दिए। लाला मजनू की तरह मेरी बुर चाटने लगा। उफ़्फ़ ! मुझे कितना मजा मिल रहा था, उस वक़्त। बता नही सकती। लाला मुझे खुदा और भगवान मानने लगा था, और वो अपने भगवान की चूत पी रहा था। सच में एक अनुभव अनउल्लेखनीय था।
लाला पी ले मेरी बुर! जी भरके! आज रात के लिए मैं तेरी सारी की सारी! पी ले! जो दिल करता है कर ले! मैंने भी कह दिया।
लाला ये सुनकर गल्ल हो गया। मेरी खुली छूट मिलने का बाद वो और प्रसन्नता ने मेरी लम्बी फाकों को पीने लगा। मेरी बुर काली डार्क चॉकोलेट की तरह थी। लाला मुँह भर भरके मेरे भोंसड़े को पीने लगा। मैं सुख के सागर में डूबने उतराने लगी।
लाला से अपनी चड्डी उतार दी। लण्ड मेरी चूत में डाल दिया और मुझे चोदने लगा। लाला का लण्ड कोई 5 6 इंच का था, मेरे आदमी का तो 9 10 इंच का था, पर फिर भी मुझे मजा आ रहा था। लाला मुझे हुमक हुमक के चोदने लगा। आह! आँहा। माँ माँ अअअअ अम्मा! अम्मा! मैं कराहने लगी।
लाला भले ही 45 का था, पर उसके धक्कों में आज भी नशीली रगड़ थी। मेरी चूत की दोनों लम्बी लम्बी फाकें एक साल बाद फिर से खुल गयी थी। लाला का छोटा लण्ड भी मुझे पूरा मजा दे रहा था। मेरी चूत की एक एक कली हर धक्के से खुली जा रही थी। मेरे चूत के दोनों काले काले लब लाला की ठुकाई से खुल गए थे।
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शकीना! मैं तुझसे फिर से कहता हूँ मेरी रखेल बन जा! सारी उम्र तेरी गुलामी करूँगा! लाला भावुक होकर बोला! और मुझे फटाफट चोदने लगा। मैंने कोई जवाब नही दिया। लाला भी चुप होकर मुझे फटाफट चोदने लगा। हाय! कितना मजा दिया साले ने मुझे। हर धक्के के साथ उसका लण्ड और कड़ा और सख्त होता गया। मैं भी आँख बंद कर मजे से चुदवाने लगी। लाला ने अपने लण्ड की ट्रेन मेरी चूत की पटरी पर दौड़ा दी। मैं चाहने लगी ये ट्रैन अब कभी ना रुके। लाला ने मुझे चोदते चोदते पूरा बाँहों में भर लिया। लगा की मेरा आदमी वापिस आ गया है।
मेरी टांगों के बीच बड़ा सुखद अहसास हो रहा था। बड़ा अजीब और अच्छा लग रहा था। चुदाई की फीलिंग बड़ी विचित्र होती है। फिर कोई 25 मिनट बाद लाला मेरी चूत में ही झड़ गया। फिर उसने मुझे दोनों घुटने मोड़ के पीछे से पेला। फिर उसने मेरी गाण्ड मारी। लाला ने मुझे 5 6 बार चोदा। फिर रात 2 बजे मैं मैं उसके गोदाम से निकली। लाला ने मुझे 5 किलो चावल, 5 किलो दाल, आटा, बेसन ,रवा सब दे दिया। मैं अपने घर गयी। बच्चो के लिए खाना बनाया। बच्चे खाना खाकर सो गए। फिर मैं लाला से ही पट गयी और चुदने लगी।
Raman deep says
कोई लड़की भाभी आंटी तलाकशुदा महिला जिसकी चूत प्यासी हो ओर मोटे लड से चुदवाना चाहती हो तो मुझे कॉल और व्हाट्सएप करे 7707981551 सिर्फ महिलाएं….लड़के कॉल ना करे
Wa.me/917707981551?text=Hiii Raman