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रोज की तरह मेरे पति शराब की बोतल ले कर घर आ गये थे। मैंने उनके लिये शराब के साथ मांस पका कर रख लिया था। उसका दोस्त बजरंग जो अभी कुँवारा था, साथ ही आता था। बजरंग मुझे अक्सर घूरता तो रहता था पर मुझे उसकी नजरें बुरी नहीं लगती थी। Free Desi Porn
उसकी शराफ़त मुझे भाती भी थी। शराब पीने के दौरान मेरे साथ पति की हरकतों को वो एन्जोय करता था। आज भी वो दोनों शराब पी रहे थे। मैं नहाने के लिए बाथरूम में चली गई थी। मेरा पति ने तब तक हल्ला मचा कर मुझे बहुत गालियां दे डाली थी।
“मादरचोद रण्डी, गोश्त तेरा बाप लायेगा क्या… ?”
“रुको ना ला तो रही हूँ… ”
मैंने जल्दी से मात्र पेटीकोट पहना और ऊपर एक हल्का सा टॉप डाल कर प्लेट में भुना मांस लेकर आ गई।
“भोसड़ी की ! गाण्ड मराने गई थी क्या … इधर ला… !”
बजरंग मुझे देख कर मुस्करा रहा था। मुझे बहुत शर्म आ रही थी, पर ये गालियाँ मेरे लिये कोई नई नहीं थी। बजरंग को मैंने चुपके से देखा और मन ही मन मुस्करा दी।
“जा कहाँ रही है… इधर आ… नहा कर आई है … तेरी भेन की चूत मारूँ … चिक्कन लग रही है !”
“बस भी करो ना … ”
बजरंग के सामने गालियाँ देना मुझे और भी आनन्दित कर रहा था।
“आजा मेरे लौड़े पर बैठ जा … हिच्च … तेरी चूत मार दूँ … ”
मैं शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी… जाने बजरंग क्या सोच रहा होगा। क्या वो भी मुझे चोदने की सोच रहा था या… नशे में धुत्त सा फैजान बोलता ही जा रहा था। उसने मेरी बांह पकड़ कर मुझे खींच लिया,” तेरी मां का भोसड़ा… ये देख मेरा लण्ड… आजा तेरी चूत में घुसेड़ दूँ !”
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उसने सच में अपना लण्ड पैण्ट में से बाहर निकाल लिया… बजरंग ने फैजान को सम्भालने की कोशिश की और फिर मेरी तरफ़ देखा।
“मां के लौड़े… चल हट… मेरी बीवी है… साली को चोद चोद कर मस्त कर दूंगा।”
पर शराब अधिक पी जाने से वो बजरंग के हाथों में झूल गया। उसने फैजान को सोफ़े पर लेटा दिया। मैं जल्दी से उसका लण्ड पैण्ट में अन्दर डालने लगी। मैंने बजरंग को देखा और मुस्करा दी।
बजरंग ने कहा, “सानिया, मैं डाल दूंगा… ये तो कुछ भी नहीं है… ये ले… अब ज़िप लगा दे !”
यह सुनते ही मैं शरमा गई। उसने ही लण्ड अन्दर करके ज़िप लगा दी। उसने मेरी पीठ पर हाथ फ़ेरते हुये कहा, “सानिया, इसकी शराब छुड़ानी होगी !”
“अरे पीने दे, पी पी के साला मर जायेगा।”
तभी मुझे लगा कि उसका हाथ मेरी पीठ पर आ गया है। साले को नीचे आग लग रही है, पर कैसे कहूँ आग तो मेरी फ़ुद्दी में भी लगी हुई थी। उसके पीठ पर हाथ फ़ेरने से मुझे झुरझुरी सी होने लगी। मैंने तिरछी निगाहों से उसकी तरफ़ देखा। उसका लण्ड उठान पर था। मैं समझ गई थी कि वो हाथ यूँ ही नही फ़ेर रहा है।
“भैया, ये तो देखो ना, मुझे कितनी गालियाँ देते हैं… ”
“सच कहती हो भाभी, तुम हो ही इतनी प्यारी … दो जाम उतरते ही आपके लिये दिल में…”
मैंने उसके होंठो पर अंगुली रख दी,”धत्त भैया, ऐसा मत कहो, मुझे शर्म आती है … आप तो इनके जैसा मत कहो।”
उसके हाथ अब मेरे चूतड़ों की गोलाईयों तक पहुंच चुके थे। उसने एक बार नशे में धुत्त फैजान को देखा और मेरी तरफ़ बड़ी आस से देखा। मेरे शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई। उसने धीरे से मेरा एक चूतड़ का गोला दबा दिया।
उसका लण्ड अब पूरा तन गया था। मैंने कोई विरोध नही किया। उसके हाथ मेरे दूसरे गोले पर भी पहुंच कर सहलाने लगे थे। मैंने धीरे से उसका हाथ हटा दिया। अचानक उसने मुझे अपनी ओर खींच लिया। मैं घबरा सी गई। पर मेरा जादू उस पर चल गया था।
“भैया … छोड़ो मुझे … यह क्या कर रहे हो… ”
“ओह… सॉरी … तुम्हें देख कर मुझे भी नशा हो गया था … ” उसने मुझे छोड़ दिया।
मुझे बहुत ही बुरा लगा, मुझे लगा था कि वो मेरे साथ जोर जबरदस्ती करेगा और फिर मैं अपने आप को उसको सौंप दूगी। इस तरह मुझे एक ताजे नये लण्ड का मजा मिल जायेगा। पर ये तो बुद्धू निकला। हाय … पर मेरा अनुमान गलत निकला… कैसे भला … वो बुद्धू नहीं निकला ? मेरे बेडरूम में घुसते ही वो भी पीछे-पीछे आ गया और उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर पीछे से अपने से चिपका लिया।
“सानिया … तू तो बहुत चिकनी है रे … मां कसम … चुदा ले एक बार…!”
“देखो बजरंग … फैजान को पता चल गया ना तो तेरी गाण्ड मार देगा!”
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उसने मेरे सीने के उभार अपनी हथेलियों में भींच लिये। मैं तड़प कर परे हट गई। उसने भी यूं तो शराब पी रखी थी पर नशा उसे शराब का नहीं, मेरा चढा हुआ था। उसने झपट कर मुझे अपने से चिपका लिया।
“अरे छोड़ ना, बड़ा मर्द बनता है … मुझे चोदना है तो ऐसे करेगा क्या ?”
“सच कहता हू सानिया, तेरी आस तो मुझे कब से है … तेरे नाम की मैं तो रोज मुठ मारता हूँ … एक बार चुदा ले बस… मेरे दिल की हसरत निकल जाये !”
मैंने उसे अपने से फिर दूर किया और कहा,”चल ठीक है, मेरी बात मानेगा… पहले इस फैजान की गाण्ड मार … हरामी मुझे बहुत गालियाँ देता है !”
“बस , इतनी सी बात… ये तो मुझसे अक्सर गाण्ड मराता है … तू कहे तो इसकी मां को ही चोद दूँ !”
“चल उठा इसे, नीचे दरी पर सुला दे…”
बजरंग ने उसे खींच कर नीचे दरी पर उल्टा लेटा दिया। मैंने तो सिर्फ़ पेटीकोट ही पहन रखा था, सो उसे उठा कर मैंने बजरंग को अपनी चिकनी चूत दिखा दी…
“ये देख, है ना मस्त चूत … पर अब इसकी गाण्ड मार दे, तुझे ये चूत फ़्री में दूंगी।”
मैं जोर से खिलखिला कर हंस पड़ी। उसे भी हंसी आ गई। मैंने और बजरंग ने मिलकर उसकी पैण्ट खींच के उतार दिया और चड्डी भी उतार कर गाण्ड खोल दी। वो नशे में कुछ बड़बड़ा रहा था।
“सानिया इसे देख कर तो लौड़ा खड़ा तक नहीं हो रहा है !”
“धत्त तेरे की, फिर क्या दम है तेरे में… ला तेरा लौड़ा मसल कर खड़ा कर दूँ।”
मेरा हाथ लगते ही उसका लौड़ा फ़ूल कर बड़ा होने लगा। जैसे जादू हो गया था। कुछ पलों में उसका लौड़ा सात आठ इन्च का हो गया। लण्ड खासा मोटा था पर थोड़ा टेढ़ा था। मैंने उसकी चमड़ी पीछे खींच कर सुपाड़ा बाहर निकाल लिया। लण्ड की फ़ूली हुई नसें और चमकदार गुलाबी सुपाड़ा मुझे भी भा गया।
“चल सेट कर इसकी गाण्ड में लौड़ा… !”
मैंने झुक कर फैजान के चूतड़ों के पट खोल दिये। बीच में काला-भूरा छेद नजर आने लगा था। मैंने एक थूक का लौंदा उस पर टपका दिया। फिर मैं अपनी चूची खोल कर उसके सामने मसलने लगी। मुझे देख कर उसका लण्ड और कड़क हो चला था। उसने फैजान की गाण्ड में अपना लण्ड घुसा दिया।
फैजान थोड़ा सा बेचैन हुआ, पर नशे में बड़बड़ा कर रह गया। वो पूरा नशे में धुत्त हो चुका था। मैंने बजरंग की बनियान भी ऊपर खींच ली और अपनी कठोर चूचियाँ उसकी पीठ से रगड़ने लगी। वो और उत्साह से फैजान की गाण्ड मारने लगा। मैं भी उत्तेजना से भर गई। मैंने अपना पेटीकोट भी उतार दिया। बजरंग के सामने मैं नंगी हो कर खड़ी हो कर उसे अपनी चूत हिला कर दिखाने लगी।
“तेरी कसम सानिया, मेरा निकल जायेगा … अब चूत मारने दे प्लीज !”
“अरे बजरंग, मेरी चूत तो अब तेरी है … मस्ती से इसे चोद डालना … पर पहले इसकी गाण्ड तो पूरी मार … और अपना माल निकाल दे… !”
“आह्ह् … साले की गाण्ड अन्दर से गरम है … !” उसने जल्दी जल्दी लण्ड चलाना आरम्भ कर दिया। कुछ देर में गाण्ड के अन्दर ही उसका वीर्य निकल पड़ा।
“ले … हो गया ना … अब चूत मरा ले… !”
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“जा ठीक से लण्ड धो कर आ … फिर आजा मेरे राजा… देख यह सब देख कर मेरी चूत क्या, चूतड़ भी लण्ड खाने को तैयार हैं… देख तबियत से चोदना मेरे राजा !”
फिर से उत्तेजित करने के लिये मैं उसे रिझाने लगी। उसने वहीं पर पानी के गिलास से अपना लण्ड धो लिया और कुछ ही क्षणों में वो फिर से तैयार था। मैं सीधे अपने बेडरूम में भागी। वो भी अपने खड़े लण्ड के साथ मेरे पीछे पीछे आ गया।
“सानिया … तेरी कसम … तू तो चिक्कन माल है रे… अब तो खूब मजा आयेगा ना… ”
“अभी नंगी खड़ी हूँ तेरे सामने, इसलिये ना … साला चूत देख कर मुँह में पानी आ रहा है, जब चोद देगा तो कहेगा, कौन सानिया … कैसी सानिया… !”
वो मुझसे लिपट पड़ा और अपना तना हुआ लण्ड मेरी गाण्ड में घुसाने लगा। मुझे भी उसके लण्ड के चुभन की मीठी मीठी सी टीस उठने लगी। वह बड़ी कोमलता से मेरी चूचियाँ सहलाने लगा, उसके हाथों स्पर्श मेरी चूत में गुदगुदी करने लगा। मैं अपने आप घोड़ी बनने लिये के लिये बेताब हो उठी, मैंने अपनी टांगें फ़ैला कर खूबसूरत गाण्ड पीछे उभार दी।
“बजरंग, कुछ चिकनाई लगा दे रे … वर्ना गाण्ड फ़ट जायेगी !”
“वो तो पहले ही इतनी चिकनी है … फिर भी तेरी कोल्ड क्रीम क्या काम आयेगी।”
उसने कोल्ड क्रीम मेरे छेद पर लगा दिया और अंगुली को छेद में घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा।
“हाय मेरे अल्लाह, बहुत मजा आ रहा है … और कर … पर जरा प्यार से … ”
“तो मेरे लण्ड का क्या होगा… ?”
“उसके लिये तो चूत है ना… आह्ह्ह जल्दी जल्दी कर … यह तो मेरी चूत को झड़ा देगा रे … उफ़्फ़, इतना मजा … तेरी अंगुली है या … जरा और अन्दर घुसेड़ ना… ”
“सानिया, मेरा लौड़ा झड़ जायेगा ना… चोदने दे अब… ”
“तो अंगुली को मेरी गाण्ड में डाले रख और ये ले मेरी चूत … ”
उसने मेरा इशारा समझा और अपना लण्ड थोड़ा सा नीचे झुकाते हुये मेरी चूत पर रख दिया। उसके सुपाड़े का स्पर्श से लगा कि मेरी चूत के लायक वो बहुत मोटा है। फिर भी लगा कि चूत तो लण्ड के साईज़ के हिसाब से फ़ैल जाती है।
सो मैंने उसके सुपाड़े पर जोर लगाया। उसका जोर भी लगा … पर लण्ड के घुसते ही जैसे मेरी चीख निकलने को हुई। वो तो बहुत मोटा था … फैजान का तो उसके सामने पतला और छोटा था। उसने अपने चूतड़ों का और जोर लगाया और बहुत ही कसता हुआ आधा लण्ड अन्दर उतर गया। मेरी आंखें दर्द से उबल पड़ी… ।
“मादरचोद फ़ाड़ ही डालेगा क्या ? … साला क्या लोहे का है… ?”
“बस हो गया सानिया … ” वो मेरी गाण्ड में अंगुली घुमा कर मुझे आनन्द देने की कोशिश कर रहा था। पर अब मुझे बस जोर का दर्द हो रहा था। उसने गाण्ड में से अंगुली निकाल ली। मेरे कूल्हों को कस कर पकड़ कर उसने जोर का धक्का दे ही दिया। मेरी चूत को चीरता हुआ लण्ड पैंदे में बैठ गया। मेरे मुख से एक चीख फिर से निकल पड़ी।
“अल्लाह रे … ये क्या कर रहा है … लगता है तूने तो फैजान की गाण्ड की तो मां चोद कर रख दी होगी।”
“अरे नहीं … उसकी तो मैं अक्सर मारता रहता हूँ… उसकी तो आदत है।”
“अम्मी रे … मेरे तो भोसड़े में नहीं ही घुसता है तो … गाण्ड तो … अरे ये क्या… चिकना चिकना क्या है ” उस समय मुझे पता नही चला, पर खून निकल आया था।
“अरे कुछ नहीं … चल अब मस्त हो जा… ” उसका लण्ड मेरी चूत में पीछे से धीरे-धीरे अन्दर बाहर होने लगा … मेरा दर्द भी शनैः शैनेः कम होने लगा। कुछ ही देर में मेरी चूत का साईज़ लण्ड जैसा हो गया और वो आसानी से मुझे पेलने लगा। अब मुझे भी आनन्द आने लगा था।
उसके मोटे लण्ड ने मेरे शरीर में तेज उत्तेजना भर दी। सच में मोटे लण्ड का तो मजा ही कुछ और ही है… । मैं झुकी हुई थी, मेरे हाथ पलंग पर टिके हुये थे। मेरी चूचियाँ नीचे झूल रही थी, वो तो बस कभी कभी मेरे चुचूकों को अपने अंगूठे और अंगुलियों से मसल डालता था और एक मीठी सी टीस शरीर में उभर आती थी।
उसकी लण्ड को अन्दर बाहर करने की गति तेज होने लगी। मेरे जिस्म में तेज मीठी सी तरावट भरने लगी। उसका मोटा लण्ड मेरी चूत में कसता हुआ चल रहा था। रगड़ की मधुर आग तेज होने लगी थी। चुदाई का असली मजा मुझे आने लगा था।
फैजान का लण्ड अब मुझे नूनी सा लग रहा था। बस वो तो चूत में गुदगुदी ही कर पाता था, इतना मोटा लौड़ा खाने के बाद फैजान की चुदाई को तो मैं चुदाई अब कह ही नहीं सकती थी। अब मुझे चुदाई की उत्तेजना चरम बिन्दु तक ले जा रही थी। मुझे तो बहुत आनन्द आ रहा था।
अति उत्तेजना के कारण मेरे जिस्म में लहरें उठने लगी। चूत फ़ड़कने लगी। मेरी आंखें बन्द होने लगी। तभी मेरा सारा शरीर जैसे ऐंठ गया और चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं झड़ने लगी… मेरा चूत में लसलसापन बढ गया, इस पर सोने पर सुहागा … जैसे चूत के अन्दर बाढ़ सी आ गई। बजरंग का वीर्य तेजी से छूट गया और मेरी चूत में भरने लगा। मैंने अपनी टांगें और चौड़ी कर ली।
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वो अन्दर वीर्य भरता रहा और फिर उसकी बूंदें मेरी चूत से अब चू पड़ी- टप टप करके वो जमीन को गीली करने लगी। वो अपना लण्ड चूत में घुसेड़े हुये हांफ़ने लगा। तभी उसका लण्ड सिकुड़ कर धीरे धीरे चूत के बाहर आ गया। मैं भी सीधी खड़ी हो गई। तभी मैं चौंक गई, वीर्य के साथ मेरी चूत में से खून भी टपक रहा था। शायद अन्दर चोट लग गई थी या लण्ड ने चूत को अपने साईज़ में लाने के लिये उसे रगड़ मारा था। मैं जल्दी से बाथ रूम में गई और साफ़ पानी से चूत को धो लिया। अब मेरी चूत में दर्द होने लगा था।
बजरंग मुझे चोद कर जा चुका था। मैं बिस्तर पर लेटी हुई सोच रही थी कि अब तक मैं इस छोटे से लण्ड साथ चुदा कर बहुत खुश थी, पर अब मैं खुश थी मोटे लण्ड से चुद कर। फैजान के चूतड़ पर बजरंग का वीर्य पड़ा हुआ चमक रहा था … सोच में अब थी कि क्या ये फैजान सच में गाण्ड मराता था … साला गाण्डू निकला ये तो ! उसे ही निहारते हुये मेरी आंखें सपनों में खो गई … मुझ पर गहरी नींद छाने लगी … शायद सपने में वो दूर खड़ा बजरंग ही था जो अपना मोटा लण्ड हिला हिला कर मुझे अपनी ओर बुला रहा था..