Free Hindi XXX Story
मेरा नाम आकृति है. मेरी उम्र ३२ साल है. शादी को १० साल हो गए हैं. आज मैं आपको जो कहानी बताने जा रही हूँ वो कहानी मेरे नन्दोई(पति के बहनोई)की है. कहानी इस प्रकार है. मेरे पति सिर्फ एक भाई बहन हैं. बहन बड़ी है और मेरे पति से ५ साल बड़ी है. वो लखनऊ में रहती हैं. Free Hindi XXX Story
वो काफी खूबसूरत है लेकिन मेरे नन्दोई उनसे भी सूंदर हैं. वे तगड़े बदन के स्मार्ट मर्द हैं. वो स्वभाव से भी काफी मजाकिया हैं. मेरा रिस्ता तो वैसे भी उनके साथ हंसी मज़ाक का है इसलिए वे सबके सामने ही मेरे साथ हंसी मज़ाक और प्यारी छेड़-छाड़ किया करते हैं.
लेकिन धीरे धीरे मैं ये महसूस करने लगी की जीजा जी यानी की मेरे नन्दोई की भावना मेरे प्रति ठीक नहीं है. कई बार मैं अकेली होती तो कभी मेरी कमर पैर चिकोटी काट लेते या कभी मेरे गालों को चूम लेते. उनकी ये हरकतें मुझे बहुत अच्छी लगती लेकिन बुरा मानने का नाटक करती.
उनको मन से मना करने का तो सवाल ही नहीं उठता था. एक बार होली में वे हमारे यहाँ आये हुये थे. होली तो वैसे भी मस्ती का त्यौहार है और जीजा और सहलज के बीच तो काफी खुल कर होली होती है. वैसा ही माहौल मेरी ससुराल में था. मेरी ननद तथा पति तो थोड़ी देर रंग खेल कर शांत बैठ गए.
लेकिन जीजाजी तो मेरे पीछे ही पड़ गए. मुझे रंगों से डर लगता है इसलिये नन्दोई जी मेरे ऊपर रंग डालने के लिये लपके वैसे ही मैं भाग कर अपने कमरे में छिप गई और दरवाजा भिड़ा लिया. लेकिन वो कब मानने वाले थे जबरदस्ती दरवाजा ठेल कर अंदर आ गए और मुझे अपनी बाँहों में दबोच लिया.
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“जीजा जी. प्लीज रंग मत डालिये” मैं बोली.
“अच्छा ठीक है. मैं रंग नहीं डालूंगा. लेकिन तुम्हे इस तरह भाग कर छिपने की सज़ा जरूर दूंगा” जीजा जी बोले और एक बांह में मुझे लपेटा और दूसरा हाँथ मेरे ब्लाउज़ में घुसेड़ दिया.
“जीजा जी मुझे छोड़िये” मैं सिसकारी लेकर बोली.
“पहले तुम्हे ठीक से सजा तो दे दूँ” वे बोले और मेरी चूचियों को बरी बेदर्दी से मसलने लगे.
“जीजा जी प्लीज छोड़ दीजिये कोई देख लेगा” मैं कराहते हुवे बोली.
“उससे क्या फर्क परता है. इस घर में किसी की हिम्मत नहीं जो मेरे आगे बोले”. वे हंस कर बोले.
और फिर उन्होने मेरी एक चूची को बुरी तरह निचोड़ा की मैं चीख पड़ी.
“जीजा जी मैं आपके हाँथ जोड़ती हूँ मुझे जाने दीजिये” मैं प्रार्थना भरे स्वर में बोली.
“हाँथ जोड़ने की जरुरत नहीं. पहले एक वादा करो तो जाने दूंगा” जीजा जी बोले.
“कैसा वादा” मैने पूछा.
“रात को छत वाले कमरे में आओगी, वादा करो” वे बोले.
“ऐसा कैसे हो सकता है. अगर किसी ने देख लिया तो” मैने कहा.
“उसकी चिंता मत करो. अगर कोई जाग गया तो मैं बहाना बना दूंगा मेरी तबियत खराब थी और मैने दवा लेकर बुलाया था.”
जीजा जी बोले जल्दी से वादा करो. ये कहते समय जीजा जी मेरे दोनों निपलों को अपने दोनों हांथों की उंगलियों से इस तरह मसल रहे थे की मेरी जान हलक में आ गई थी. उनसे बचने का एक ही उपाय था और वह यह की मैं उनकी बात मान लूँ. आखिर मजबूर होकर वही करना पड़ा.
“वैरी गुड. ये सब लोग खाना खा कर जल्दी सो जाते हैं. मैं रात १० बजे तुम्हारा इंतजार करूंगा” वो चूची मसलते हुवे बोले.
मैने सिर हिला दिया और चुपचाप कमरे से बाहर निकल गई. रात में १० बजे के बाद जब सब लोग सो गए मैं दबे पांव उस कमरे में पहुँच गई जिसमे मेरे नन्दोई टिके थे. वो मेरा ही इंतजार कर रहे थे. जैसे ही मैं कमरे में पहुंची उन्होने दरवाजा बंद कर दिया और लाइट भी बंद कर दी.
मुझे इस समय अजीब सी सिहरन हो रही थी. जो की अस्वभाविक नहीं था मैं समझती हूँ की कोई भी औरत जब किसी पराये मर्द के पास जाती होगी तो उसके जिस्म में इस तरह की सिहरन जरूर होती होगी. कमरा बंद करने के बाद जीजा जी ने बिना समय गंवाए अपने और मेरे सारे कपड़े उतार दिए.
आप जानते हैं की मैं कितनी बे-शर्म औरत हूँ फिर भी मुझे थोड़ी शर्म आ रही थी. इसका कारण जीजा जी के सामने नंगा होने का पहला अवसर था. चूँकि कमरे में घुप्प अँधेरा था इसलिए अपने नंगेपन को लेकर मुझे ज्यादा परेशानी नहीं हुई. मेरी परेशानी तो दर-असल उस समय शुरु हुई जब जीजा जी ने मेरे अंगों को सहलाना और दबाना शुरु किया.
उनकी हरकत इतनी मादक थी की मैं अपने आप को भूल गई और उनसे कस कर लिपट गई. मेरे गले से सीत्कारें फूटने लगी थी. मैं दोनों हांथों से जीजा के पूरे बदन पर चिकोटियां काट रही थी. मुझे अपने हट्टे कट्टे बदन वाले नन्दोई से लिपट कर कुछ अलग ही प्रकार का आनंद मिल रहा था.
जीजा जी के पूरे बदन पर बाल ही बाल थे और उनका खुदरा बदन मेरे चिकने बदन में उत्तेजना की लहर पैदा कर रहा था. अचानक जीजा जी ने मेरा हाँथ पकड़ा और अपनी जांघों के बीच रख दिया. ऐसा करते ही उनका मोटा लंड मेरी मुठी में आ गया. मैं कांप उठी उनके लंड की मोटाई और मजबूती देख कर.
“इसे कहते हैं असली मर्द का लंड” मैं मन ही मन सोचने लगी. दर-असल मेरे पति का लंड एकदम मरियल सा है. सुहागरात वाले दिन जब मैने जब उनका लंड पहली बार देखा तो मुझे काफी निराशा हुई थी. अपने पति का पतला लंड देख कर मेरा मन बुझ सा गया.
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पर आज अपने नन्दोई के तगड़े लंड को सामने देख कर मेरे बुझे दिल में एक नई रौशनी झिलमिला उठी. मेरे सोये अरमान जाग उठे. मैं उस छण की बेसब्री से प्रतीक्षा करने लगी जब जीजा जी अपने लंड को मेरी चूत के भीतर प्रवेश कराएँगे. जीजा जी बार बार मेरी चूत के आस पास हाँथ लगा रहे थे.
शायद वे चूत की स्थिति का जायजा लेने की फिराक में थे. क्योंकि अंधेरे के कारण आँखों से कुछ देख पाना संभव नहीं था. मेरी चूत का ठीक से अंदाज़ लगा लेने के बाद जीजा जी ने अपने लंड का सुपारा चूत के द्वार पैर टीका दिया. इस समय तक मेरी उत्तेजना हिमालय की ऊंचाई पर पहुंच चुकी थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
जीजा जी ने जब अपना लंड मेरी चूत पर रखा और कुछ देर के लिए रुके उसी वक़्त मैने अपनी कमर को ऐसा झटका दिया की स्टील रोड सरीखा वह मोटा लंड मेरी चूत की मांसलता में धंस गया. “शाबाश” जीजा जी ख़ुशी से उछल पड़े. “तुम तो इस खेल की अच्छी खिलाड़ी लगती हो” उनकी बात सुन कर मैं शर्मा गई उनके सीने में सिर छिपा कर लेट गई.
फिर तो जीजा जी ने मोर्चा संभाल लिया. अपने दोनो हाथो से उन्होने मेरी चूची को दबोचा और अपनी कमर चलाने लगे. मैं भी धीरे धीरे गांड उछालने लगी. अपनी चूची मैंने जीजा जी के मुँह से लगा दिया था और जिस तरह से वे उसे चूस रहे थे उससे मुझे जबरदस्त उत्तेजना हो रही थी.
मैं उत्तेजना में पागल होकर बड़बड़ा रही थी “आआह्ह्ह… जीजा जी… अब आग बुरी तरह भड़क चुकी है. अपने लंड को पूरा अंदर घुसेड़ दो आआअह्ह्ह्हह…. और जोर से हहहहहाँन बस्स्स्स ऐसे ही इस्स्स्सस्ही… जजो…..र जजो….र से पेलिएए.. एई आआआआह मुझसे रुका नहीं जा रहा है. मेरी मंजिल आने वाली है. आआह्ह्ह्हह मैं आह्ह्ह्ह झड़ने वाआली हुऊँ. कहीं ऐसा ना हो की आप प्यासे रह जाएँ.”
जब अपनी हालत मैने उन्हे बताई तो वे मेरी गांड मसलते हुवे बोले “फिक्र मत करो रानी हम दोनों एक साथ ही स्टेशन पर पहुंचेगे” इतना कह कर उन्होने अपने लंड से ४-५ जोरदार झटके मेरी चूत पर मारे और इसके साथ ही उनके लंड से फुहार चूत पर पड़ी ठीक उसी समय मेरी चूत भी ज्वालामुखी की तरह लावा उगलने लगी.
झड़ने का ऐसा जबरदस्त आनंद पहले कभी नहीं मिला था. शायद यह मेरे नन्दोई के मोटे और मजबूत लंड का ही कमाल था. जिसकी मदद से उन्होने मेरी चूत को बुरी तरह मथ डाला था और मुझे सुख की असीम ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया था.
“खुल कर बताओ तुम्हे मज़ा आया या नहीं” जीजा जी मुझसे चिपकते हुवे बोले.
लेकिन मैं इस बात का क्या जवाब देती. सच्चाई तो यह थी की पहली बार मुझे सेक्स का आनंद मिला था. लेकिन अपने नन्दोई से अपने मुँह से कैसे कहती की उनसे चुदवाने में पति से ज्यादा मज़ा आया था. शायद जीजा जी मेरी इस स्थिती को समझ गए.
वे कुछ देर के बाद बोले “मैं जानता हूँ तुम अपने मुँह से हाँ या ना नहीं कह पाओगी. ऐसा करो तम्हारा जवाब ना है तो मेरे सीने पर एक चिकोटी ले लो और अगर तुम्हारा जवाब हाँ है तो मेरे लंड को एक बार अपने होंठों से चुम लो”.
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जीजा जी के इस सुझाव से मेरा काम आसान हो गया. मैं उठी और उनकी कमर पर झुक कर उनके लंड को चूमने लगी. “शाबाश” उन्होंने खींच कर मुझे अपने सीने से लगा लिया और बोले “मुझे भी आज कई सालों बाद चुदाई में ऐसा आनंद हासिल हुआ है. तुम्हारा जिस्म लाजवाब है खास कर तुम्हारी गांड चूची और जांघे लाजवाब हैं”.
अपने नन्दोई से अपनी तारीफ़ सुन कर मैं गदगद हो गई. कपड़े पहन कर मैं नीचे आई. सब को सोता देख मुझे तसल्ली हुई. मैं चुपचाप जाकर अपने पति के बगल में सो गई. दो दिन बाद मेरे ननद और नन्दोई लखनऊ वापस चले गए. मैं अपने रोजमर्रा की जिंदगी में मगन हो गई.
लेकिन करीब एक महीने के बाद मेरे नन्दोई का मेरे पति के पास फ़ोन करके बताया की मेरी ननद की तबीयत बहुत खराब है. और डॉ. ने उनका ऑपरेशन बताया है. उन्होने मुझे कुछ दिन के लिये लखनऊ पहुंचाने का अनुरोध किया था. शाम को मेरे पति ने आकर मुझे बताया.
और हमने यही निर्णय लिया की मेरे पति मुझे लखनऊ पहुंचा आएं. ताकि जब तक दीदी पूरी तरह ठीक ना हो जाए जीजा जी को खाने पीने में किसी तरह की परेशानी ना आये. अगले ही दिन मेरे पति ने मुझे अपनी बहन के घर पहुंचा दिया और वापस लौट आये.
जीजा जी की आँखों मे मुझे देख कर जो चमक उभरी थी उसका मतलब मैं फ़ौरन समझ गई थी. मेरी ननद अस्पताल में भर्ती थी. पांच दिन के बाद उनका आपरेशन होना था और उसके एक हफ्ते बाद उन्हे छुट्टी मिलनी थी. इस बारह दिनों की अवधि में जीजा जी की सारी गर्मी और सारा जोश मुझे ही झेलनी थी.
शाम की ट्रैन से मेरे पति वापस चले गए. जीजा जी दीदी का खाना लेकर हॉस्पिटल चले गए. वो रात के ९ बजे वापस आये. हम दोनों ने साथ साथ खाना खाया. “तुम सफर में थक गई होगी जा कर बैडरूम में आराम कर लो”. खाने के बाद जीजा जी बोले.
“आप कहाँ सोयेंगे जीजा जी” मैने पूछा.
“चिंता मत करो मैं भी तुम्हारे पास सोऊंगा और तुम्हे चुदाई का भी भरपूर आनंद दूंगा. लेकिन अभी मुझे ऑफिस का थोड़ा काम सलटाना है.” जीजा जी खास अंदाज़ में मुस्कुरा कर बोले. उनके जवाब ने मुझे लाजवाब कर दिया था. मैं जाकर बैडरूम में लेट गई.
थकी होने के कारण जल्दी नींद आ गई. लेकिन कुछ ही देर बाद मेरी आँख खुल गई. यह देख कर की मेरे नन्दोई पूरी तरह नंगी हालत में मेरे पास बैठे थे. उन्होंने ना जाने कब मेरे कपड़े भी उतार दिये थे. इस वक़्त वे बड़े ध्यान से मेरी चूत को निहार रहे थे. जैसे ही उन्होने मुझे आंखे खोलते हुवे देखा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उन्होने मेरी चूत सहलाते हुवे बोला “अच्छा हुआ तुम जाग गई. चुदाई का मजा तभी आता है जब दोनों पार्टनर होश में और जोश में हों”.
“जीजा जी पहले लाइट ऑफ कर दीजिये” मैने अपनी जांघे मोड़ कर अपनी चूत छुपाते हुवे कहा.
“नहीं आज तो लाइट जलती ही रहेगी. उस रात तुम्हारी ससुराल में मैंने तुम्हारे बदन को सिर्फ छू कर महसूस किया था मगर आज मैं तुम्हारी खूबसूरती अपनी आँखों से देखना चाहता हूँ” जीजा जी ने कहा.
“लेकिन मुझे शर्म आ रही है” मैने कहा.
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“यह शर्म तो कुछ देर की है. अभी कुछ देर में तुम्हे जैसे ही गर्मी चढ़ेगी वैसे ही ये शर्म मुँह छुपा कर भाग जायेगी. मेरी एक बात याद रखो चुदाई का पूरा मज़ा तभी लिया जा सकता है जब इन्सान शर्म का चोला उतार फेंके और पूरा बेशरम बन जाए” जीजा जी ने कहा.
“मैं ऐसा नहीं कर सकती” मैं बोली.
“ऐसा मत कहो. मेरे पास ऐसी तरकीब है जिससे दो मिनट में तुम्हारी शर्म भाग जायेगी. ज़रा अपनी जांघे तो फैलाओ” जीजा जी बोले.
मैने उनके कहने से जांघे खोल दी. लेकिन शर्म से मेरी आँखें अपने आप मूंद गई. अगले ही पल अपनी चूत पर किसी खुरदुरी वस्तु का स्पर्श पा कर मैं चौंक पड़ी. आंखे खोली तो देखा की जीजा जी ने मेरी जाँघों के बीचों बीच अपना मुँह लगा रखा है और उनकी सख्त मूंछे मेरी चूत की मुलायम त्वचा से रगड़ खा रही है.
“हाय जीजा जी ये आप क्या कर रहें है” मेरे मुँह से बदहवासी में निकला.
“प्यार” जीजा जी एक पल को चेहरा ऊपर उठा कर मुस्कुरा के बोले.
और फिर झुक कर मेरी चूत को जीभ से चाटने लगे. उनके ऐसा करते ही मेरे बदन में एक अजीब सी लहर उठाने लगी. ऐसा लगने लगा जैसे मेरी चूत मोटी होती जा रही है. तभी जीजा जी मेरी चूत की फांकों को अपने होंठों के बीच रख कर चूसने लगे.
अब तो मैं बुरी तरह तड़प उठी. मेरी चूत इस तरह कुलबुल्ला उठी की जैसे मैं झड़ने वाली हूँ. मैने जीजा जी का चेहरा अपने दोनों हाथो से पकड़ कर अपनी चूत से पूरी तरह सटा दिया और अपनी गांड हीला हीला कर अपनी चूत उनके पूरे चेहरे पर रगड़ने लगी.
जीजा जी को शायद चूत चूसने का काफी अच्छा अनुभव था. वो बार बार चूत को चूम रहे थे और कभी उसे दांतों से काट लेते कभी उंगलियों से मसल देते. उनकी जीभ लूप लूप करती हुई कई बार मेरी चूत के ऊपर घूम चूकी थी और उसकी लार से मेरी पूरी चूत गीली हो गई थी.
और मुझे लंड की जबरदस्त तलब महसूस हो रही थी. मन हो रहा था की जीजा जी का लंड पकड़ कर अपनी चूत में खुद ही घुसेड़ लूँ और तब फिर ताबड़तोड़ उछाल कूद करूँ जिससे की मेरी जलती चूत को ठंडक मिल जाए. अभी मैं ये सोच ही रही थी की तभी जीजा जी ने अचानक अपनी जीभ मेरी चूत में सरका दी. और उसे जल्दी जल्दी चलाने लगे.
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मैं पूरी तरह उत्तेजना में तो थी ही. जीभ की रगड़ लगते ही मेरी चूत खुल कर फफक पड़ी. मैं सिसकारी लेकर अपने नन्दोई से लिपट पड़ी. जीजा जी ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और मेरे गालों को चूमने लगे. थोड़ी देर बाद मेरी गांड मसलते हुवे बोले “ऐसा मज़ा तुम्हारे पति ने कभी तुम्हे दिया? सच सच बताना.”
“नहीं कभी नहीं” मुझे कहना पड़ा.
“मैने तुम्हारी आग तो शांत कर दी, अब तुम मेरी प्यास बुझाओ” वे अपना लंड मेरी जाँघों पर रगड़ते हुवे बोले.
मैं समझी अब वो मुझे चोदना चाहते हैं इसलिये मैने हांथों से उनका लंड पकड़ कर अपनी चूत में घुसेड़ लिया.
“ये क्या कर रही हो” जीजा जी ने अपना लंड तुरंत बाहर निकाल लिया और बोले “मैने तुम्हे होंठों से मज़ा दिया है तुम भी मेरे लंड को होंठों से प्यार करो”.
अब मैं समझ गई जीजा जी मुझसे लंड चुसवाना चाहते हैं. चूंकि उन्होने मेरी चूत चाट कर मेरी प्यास बुझा चुके थे इसलिए मैं भी उनकी इच्छा पूरी करने को विवश थी. मैने झुक कर जीजा जी का लंड मुँह में डाल लिया और उसे चूसने लगी. जीजा जी ने मेरे सिर को दोनों हांथों से थाम लिया और अपनी कमर आगे पीछे करने लगे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
इसके साथ ही उनका लंड मेरे मुँह में अंदर बाहर होने लगा. कुछ ही देर हुई होगी की अचानक जीजा जी का पूरा बदन जोर से हिलने लगा. जब तक मैं कुछ समझ पाती तब तक उनके लंड ने ढेर सारा सफ़ेद लावा मेरे चेहरे पर उगल दिया. मैने उठ कर जीजा जी का लंड और अपना मुँह साफ़ किया और उसी हाल में सो गए.
रात में जीजा जी ने मेरी चूत और गांड का मज़ा लिया. मैने भी उनका पूरा साथ दिया. मैने गांड पहले कभी नहीं मरवाई थी इसलिये शुरु में लंड घुसते समय मुझे काफी दर्द का सामना करना पड़ा. उन्होने थूक लगा कर गांड मारी थी. बाद में रास्ता खुल जाने से मुझे बहुत मज़ा आया.
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हमलोग सुबह ९ बजे उठे. जीजा जी को दीदी का नास्ता लेकर हॉस्पिटल जाना था. लेकिन उठने से पहले उन्होने मुझे चोदा फिर हॉस्पिटल गए. हॉस्पिटल से लौटने के बाद वो फिर से मुझ पर चढ़ गए.हा लांकि मुझे भी उनके साथ चुदवाने का भरपूर आनंद मिल रहा था इस लिए मैने भी इनकार नहीं किया और खुल कर उनके अलबेले मस्तानी लंड का मज़ा लिया. जितने दिन मैं लखनऊ में रही जीजा जी के साथ मैने जम कर जवानी का मज़ा लिया. लेकिन ननद के ठीक होकर घर आने के बाद मुझे अपनी ससुराल वापस आना पड़ा.
उसके बाद से मैं अपने पति के साथ ही रह रही हूँ. लेकिन जिस तरह एक बार चटपटा स्वाद जुबान को लग जाने के बाद इन्सान को सादा खाना पसंद नहीं आता ठीक उसी प्रकार अपने नन्दोई के साथ खुल कर सेक्स कर लेने के बाद मुझे अपने पति के सीधे सरल प्यार में मज़ा नहीं आता है. हर वक़्त मुझे अपने नन्दोई याद आते हैं. ख़ास कर जिस समय मेरे पति चुदाई करते हैं उस वक़्त मैं नन्दोई जी के साथ बिताये सुखद पलों की याद में खो जाती हूँ. अब मैं अपनी ससुराल में कोई नन्दोई जैसा चुद्दकड़ खोज रही हूँ जो मेरी और मेरी चूत की अच्छी तरह सफाई कर सके.
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