Village Porn Kahani
निरहू की माँ का देहांत हुए 1 महीना भी नहीं हुआ था की उसका बाप वीरेंद्र, 19 साल की दुल्हन ढूढ़ने लगा. एक दिन, निरहू घर में काफ़ी लोगों को देख अपने बाप से पूछता है की क्या बात है… इतने लोग… उसका बाप, उसे समझाने की कोशिश करता है की दोनों को ज़रूरत है एक औरत की जो, घर संभाल सके. Village Porn Kahani
निरहू की माँ के बाद, उसकी बुआ घर के काम देख रही थी पर वो हमेशा तो रुक नहीं सकती. निरहू को समझाते समझाते, वीरेंद्र थक गया. 1 घंटे बाद, बुआ आकर अपने तरीके से समझाने लगी. निरहू की बात सही थी. वो कैसे किसी और को, अपनी माँ एक्सेप्ट कर पाएगा.
निरहू सब समझ रहा था पर उसका दिल बिल्कुल भी नहीं मान रहा था. थोड़ी देर बाद, वीरेंद्र फिर आया और बुआ को जाने के लिए कहा. वीरेंद्र, निरहू से बोला की शादी करना ज़रूरी है और वो और उसकी नयी माँ वही करेगी, जो तू कहेगा… कभी कोई प्राब्लम नहीं होगी…
निरहू फिर भी इनकार करने लगा. आख़िरी में वीरेंद्र ने निरहू से कहा मेरी मजबूरी है… और बर्दाश्त नहीं होता… चाहे जो भी माँग ले पर इनकार मत कर… मैं तेरे हाथ जोड़ता हूँ… और, वहाँ से चल दिया. “चुड़क्कड़ बाप” तरस रहा था और पीछे नहीं हटने वाला था.
आख़िर, में शादी हो ही गई. दुल्हन का नाम, मीना था.. 19 साल की थी और शरीर भरा हुआ था.. देखा जाए तो निरहू, उससे 4 साल ही छोटा था और उसका पति उससे दुगुनी उमर का था. 2-3 दिनों तक, सब घर में ही थे तो “सुहागरात” तो हुई ही नहीं. सबके जाने के बाद, मीना ने घर संभाला.
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वीरेंद्र, सुबह खेत पर जाता और 5-6 बजे वापस आ जाता. निरहू, दोपहर 2 बजे स्कूल जाता और 6 बजे तक वापस आ जाता. निरहू के दिल में, नयी माँ के लिए कोई फीलिंग नहीं थी बल्कि गुस्सा था. पहले दिन से ही, उसने नयी माँ को छोटे छोटे काम के लिए परेशान किया.
पर मीना ने, उसकी हर ज़रूरत का ख़याल रखा. निरहू ने नहलाने तक का काम, मीना से कराया. मीना के घर में भी वो सब काम करती थी और उसे इन सबकी आदत थी. गाँव की लड़कियों को, ये सब की आदत होती है. मीना को पहले ही उसके पति ने कह कर रहा था की निरहू को किसी चीज़ की तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए… जो वो कहे, वैसा ही करना…
मीना डरी हुई थी, पर साथ ही खुश भी थी. वीरेंद्र रोज़ सुबह, जल्दी खेत में काम करने जाता. पहले दिन से ही, निरहू ने मीना को परेशान करना शुरू किया. निरहू वीरेंद्र के जाने के बाद उठा और संडास जा के मीना के पास गया और मीना को कहा – मुझे नहाना है… पानी गरम कर के दो…
घर में ही एक कुआ था, मीना कुए के पास गरम पानी रख कर खड़ी हो गई. निरहू सामने, अंडरवियर में खड़ा हो गया. निरहू ऐसे ही खड़ा रहा और मीना को देख रहा था. मीना समझ गई की उसे स्नान भी करवा के देना होगा. मीना ने साड़ी ऊपर की और बैठ गई.
सामने निरहू को बिठाया और उस पर पानी डाल कर, साबुन लगाने लगी. पूरे बदन पर साबुन लगा लिया पर अंडरवियर बाकी था. निरहू के अंडरवियर में भी, उसे हाथ डालना पड़ा. निरहू ये सब, “एंजाय” कर रहा था. मीना के मुलायम हाथों का स्पर्श, अपने “लंड और ग़ुल्लों” पर पा कर मन में ही उछल रहा था. साबुन धोते समय, मीना को महसूस हुआ की निरहू का लंड खड़ा हो गया था.
मीना, कुछ नहीं बोली. स्नान होने के बाद, निरहू को टॉवेल से पोंछ दिया. निरहू का लंड तब भी खड़ा हुआ. अंडरवियर निकाल कर टॉवेल लपेट कर, निरहू ने मीना को कहा की उसे भूख लगी है और सीधा रसोई में चला गया.. मीना की नज़र उसके लंड पर थी, जो टॉवेल में “टेंट” बन रहा था. निरहू, रसोई में गया और बैठ गया. मीना आ कर, निरहू को खाना परोस कर सामने बैठ गई. एक दो नीवाला मुंह में डालने के बाद, निरहू रुक गया.
मीना ने पूछा – क्या बात है… खाना ठीक नहीं बना क्या… ??
निरहू कुछ नहीं बोला और खाना खाने लगा. कुछ देर बाद, निरहू बोला की उसे नुन्नी में दर्द हो रहा है… उसका लंड, अब भी खड़ा था… मीना ने कहा के टॉवेल ढीला कर दे, बाद में तेल लगा दूँगी.
निरहू बोला – अभी, तेल ले आओ…
मीना ने कहा की खाना ख़तम कर लो, उसके बाद… पर निरहू ज़िद करने लगा.
मीना ने कहा – ठीक है… और वो तेल की शीशी ले आई.
निरहू वैसे ही, बैठा रहा. मीना ने तेल थोड़ा हाथ में ले कर टॉवेल के अंदर हाथ डाल दिया और लंड को पकड़ कर रगड़ने लगी. 10 मिनिट के बाद, निरहू का खाना हो गया पर मालिश चल ही रही थी. निरहू टॉवेल को हटा कर बोला की टॉवेल चुभ रहा है. मीना के सामने, निरहू पूरा “नंगा” बैठा था.
निरहू अब बस झड़ने वाला था. मीना हाथ में लंड लेकर खुद भी हैरान थी और सोच रही थी की ये सब क्या हो रहा है. निरहू, मज़े ले रहा था. खाना ख़तम होने के 2 मिनिट बाद, निरहू बोला – अभी, बस हो गया… आ आ आहा हा… निरहू के लंड से पिचकारी, सीधे सामने निकली. मीना हैरान हो गई, ये सब देख कर.. पिचकारी, सीधे थाली में जा गिरी.
निरहू बोला – अब अच्छा लग रहा है…
मीना की उंगली, निरहू के वीर्य से सनी हुए थी. मीना ने साड़ी के पल्लू से अपना हाथ और निरहू का लंड पोंछ कर, साफ किया. अब ये, रोज़ की बात हो गई थी. निरहू नहाते वक़्त, नंगा हो जाता. मीना को भी ये ही लगता था क्यूंकि निरहू खुश था. निरहू को अपनी सोच पर, बहुत अफ़सोस होने लगा.
वो सोचता था की मीना को परेशान करेगा, पर पहले दिन से ही मीना उसकी सब बात मानती थी. निरहू ने सोच लिया की वो मीना को बहुत प्यार देगा पर एक दोस्त की तरह, वो कभी “माँ” का दर्जा नहीं दे पाएगा. एक दिन रात में, निरहू को नींद नहीं आ रही थी.
निरहू, उसका बाप और मीना साथ ही एक ही कमरे में सोते हे. निरहू ने देखा की चादर की अंदर, वीरेंद्र मीना के ऊपर सोया हुआ है और ज़ोर ज़ोर से हिल रहा है. कमरे की खिड़की से स्ट्रीट लाइट की रोशनी, सीधे उन पर आ रही थी. निरहू, ध्यान से देखने लगा.
थोड़ी देर में चादर साइड में हो गई और दोनों का “नंगा बदन” सामने आ गया. वीरेंद्र, चोदने में लगा हुआ था. मीना, धीरे धीरे चिल्ला रही थी. मीना की नज़र, निरहू पर पड़ी. पर वो, कुछ ना बोली. निरहू, चुप चाप देख रहा था. थोड़ी देर बाद, वीरेंद्र ने मीना को “डॉगी स्टाइल” में चोदना चालू किया.
वीरेंद्र ने जब निरहू को जागते हुए देखा तो ज़ोर से निरहू पर चिल्लाया – ओय, सोया नहीं अभी तक… चल, मुंह उधर कर के सो… नहीं तो टाँगे तोड़ दूँगा…
निरहू डर गया और डर के मारे, सो गया. अगले दिन, निरहू ने नहाते वक़्त मीना से पूछा की रात मैं क्या चल रहा था… मीना, कुछ नहीं बोली. निरहू के बार बार पूछने पर मीना ने कहा की ये सब बड़े लोगों का खेल है… तुम नहीं समझोगे… निरहू ने कहा की उसे भी ये “खेल” खेलना है…
मीना डाँट कर बोली की ऐसा, ये सब नहीं बोलना चाहिए वरना वो शिकायत करेगी, वीरेंद्र से… निरहू चुप हो गया पर उसके दिमाग़ में कुछ चल रहा था. निरहू, रोज़ खाना खाते खाते मूठ मरवाता. अब, बाप बेटा दोनों खुश थे. मीना, बेटे और पति को खुश रखने की कोशिश में जुटी थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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वीरेंद्र ने कहा था की निरहू को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए और जो कहे, जो माँगे, दे देना. अपने पति की आग्या का पालन कर रही थी और निरहू की कभी शिकायत नहीं की. वीरेंद्र रात को आता और खाना खा कर सो जाता. निरहू दिन भर खेलता कूदता और बाप के आते ही, किताब ले कर बैठ जाता.
मीना, सुबह निरहू को संभालती और शाम को वीरेंद्र को. 3-4 महीनो बाद वीरेंद्र की रिश्तेदार, निरहू की मौसी आई. सब की खबर, लेने के लिए. सविता की शादी नहीं हुए थी और उमर बढ़ने के कारण, वो “वर्जिन एंड अनमॅरीड” ही रह गई. सविता (मौसी) को लग रहा था की सब कुशल मंगल है, सब खुश लग रहे थे.
वो कुछ दिनों के लिए, आई थी. अगले दिन, सुबह उठ कर वो पहले संडास करने के लिए खेतो में गई. उसके बाद वापस आ कर, घर के कामो में मीना का हाथ बटाने लगी. मीना ने फिर कुछ देर बाद, निरहू को उठाया. निरहू का लंड, सुबह की ठंडी में कड़क हो गया था.
सविता ने देखा की उसकी पतलून में उभार है, और समझ गई की लड़का अब जवान हो गया है. निरहू, संडास करके आया और कुए (वेल) के पास जाकर कपड़े निकालने लगा. तब तक मीना, गरम पानी बाल्टी में लेकर आई. सविता, दोनों को देख रही थी.
सविता को होश तब आया जब मीना, निरहू के सिर पर पानी डाल कर साबुन लगाने लगी. सविता यूही देखती रही और सोचने लग गई की ये तो “जवान लड़का” है, थोड़ी तो शरम आनी चाहिए. मीना ने सारे बदन पर साबुन लगा दिया और एक पत्थर से, बदन घिसने लगी.
निरहू मीना से बोला – मौसी को यहाँ से हटाओ… मुझे शरम आती है…
मीना हँसते हुए सविता से बोली – आप ज़रा रसोई में जाइए… मेरे मुन्ना को, शरम आ रही है…
मौसी बोली – काहे की शरम… मैं तो तेरी माँ जैसी हूँ ना…
निरहू ज़िद करने लगा.
मीना के फिर से कहने पर मौसी अंदर गई और हँसते हुए बोली – कितना शरमाता है… शादी के बाद, क्या होगा तेरा…
निरहू मीना से कहता है – नुन्नि को भी सॉफ कर दो…
मीना कहती है – तू अब बड़ा हो गया है… ये सब, खुद से करना चाहिए… मौसी देखेगी तो क्या बोलेगी…
निरहू बोला – मौसी तो एक दो दिनों के लिए है…
मीना ने फिर एक हाथ से एलास्टिक खींचा और दूसरे हाथ को अंदर डाल कर नुन्नि को मुट्ठी में पकड़ लिया.
निरहू बोला – अच्छे से सॉफ करो… इसमें से, बदबू आती है…
मीना, निरहू के लंड पर साबुन लगा कर हिलाने लगी. निरहू भी मज़े ले रहा था. सविता थोड़ी देर के बाद आई और फिर ये सब देख कर सोच में पड़ गई. निरहू की नुन्नि, असल में एक लंड के आकर की हो गई थी. मीना को भी पता था पर वो निरहू को बच्चा ही समझ रही थी. सविता, निरहू के हाव भाव देख कर समझ गई की दाल में कुछ काला है. स्नान होने के बाद, निरहू कमरे में कपड़े पहनने गया. मीना ने उसके सर पर चमेली का तेल लगाया.
निरहू बोला की थोडा तेल नुन्नि को भी लगाओ…
मीना ने पूछा – क्यू… ??
तो निरहू बोला – ऐसा करने से, मैं जल्दी जवान हो जाऊंगा… ऐसा, मेरे दोस्तो ने कहा है…
मीना बोली – चल हट, बदमाश… जा कर खुद लगा… मुझे बहुत काम है…
निरहू बोला – बाद मैं मालिश कराऊंगा… मुझे नहीं आता…
मीना, रूम से बाहर चली गई. निरहू ने फिर खुद ही तेल लगा लिया. खाना खाते हुए, निरहू बोला की दर्द हो रहा है.
मीना बोली – नहीं अभी मौसी है… उनको अच्छा नहीं लगेगा…
निरहू, कुछ नहीं बोला. मीना बोली की बाद में, तुझे मालिश करवाती हूँ… खाना खाने के बाद, सब सो गये पर निरहू तो मालिश करवाने के लिए उत्तेजित था. सविता, रूम में सोई थी. निरहू मीना को लेकर रसोई में गया और कपड़े उतार कर, अंडरवियर में लेट गया. मीना तेल की शीशी लेकर, उसकी मालिश करने लगी. फिर हाथ पैर की मालिश कर दी.. उतने में निरहू का लंड, टाइट हो गया था.
निरहू ने कहा – जिसके लिए आया था… वो तो छोड़ दिया…
मीना ने पूछा – क्या…?
तो निरहू ने झट से जवाब दिया – मेरी नुन्नि…
मीना ने मुस्कुराते हुए हथेली में काफ़ी तेल लिया और दोनों हाथ से लंड पकड़ कर हिलाने लगी.
10 मिनिट के बाद निरहू बोला – रूको मत, ज़ोर ज़ोर से करो…
मीना बोली – तेरा रस निकल जाएगा… ऐसा मत कर…
निरहू बोला – रस निकलने के बाद ही चैन मिलता है… आप जल्दी करो…
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मीना फिर हिलाने लगी और थोड़ी देर के बाद, गरम वीर्य लंड से निकल आया. मीना ने फिर अपने पल्लू से लंड और हाथ सॉफ किया. मीना, ने निरहू को कपड़े पहनकर सोने के लिए कहा और खुद भी सो गई. शाम को वीरेंद्र आया, हंसी मज़ाक का माहोल बना हुआ था.
मौसी अपने गाँव के किस्से सुना रही थी और वीरेंद्र भी घर की गाँव की बात करता. रात में खाना खाते वक़्त, मीना निरहू से बोली की मौसी, तुम्हारे साथ सोएगी… निरहू ने ज़िद की, की अकेले सोना है.
सविता ने कहा की तुम्हारे साथ ही सोउंगी…
मीना ने कुछ कहा नहीं पर सोच में पड़ गई. खाना खाने के बाद, मीना ने सविता से कहा की रात में आप, जाग जाओगी…
सविता समझ गई और हंस कर बोली – चिंता मत कर… मैं एक बार सो गई तो आसानी से नहीं उठती… तुम दोनों चाहे, जितना आवाज़ करो… मुझे पता नहीं चलेगा और पता भी चला तो क्या हुआ… ?? मैं तो घर की ही, हूँ ना…
मीना मुस्कुर कर बोली – क्या आप भी… कुछ भी कहती हो…
रात में, सब सो गये. सविता, मीना के बगल में थी और दूसरी साइड में वीरेंद्र. निरहू, दूसरे कोने में सोता था. वीरेंद्र को चुदाई बिना, नींद नहीं आती थी. सविता और निरहू को सोता हुआ देख, वीरेंद्र मीना के कपड़े उतारने लगा. मीना को शरम आ रही थी, मना भी किया पर वीरेंद्र के सिर पर सेक्स चढ़ा हुआ था.
मीना को नंगा कर खुद भी नंगा हो गया और आधी रात तक सेक्स होता रहा. वीरेंद्र, मीना पर रोज़ भारी पड़ता था. मीना, वीरेंद्र के लंड को कुछ देर बर्दाश्त करने के बाद टूट जाती थी और किसी तरहा फिर से ताक़त जुटा कर, दूसरी बार झड़ जाती.
उस रात भी, कुछ ऐसा ही हुआ. मीना ने कोशिश की, की आवाज़ ना निकले पर चीख तो निकल ही जाती थी. सुबह उठने के बाद, सब अपने अपने काम पर लग गये. सविता ने मीना की तरफ़ देखा. मीना नॉर्मल बिहेव कर रही थी, जैसे कल आधी रात तक रात सेक्स किया ही ना हो. संडास करने, दोनों साथ में गये. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
संडास करते करते, सविता ने मीना से कहा – क्या बात है… ?? रात में इतनी देर जागने के बाद भी तुम काफ़ी फ्रेश लग रही हो…
मीना बोली – आप को कैसे पता… ?? आप तो सोई थी… ??
सविता बोली – रात में तुम्हे बहुत दर्द हो रहा था… अंजाने में, तुमने मेरा हाथ पकड़ लिया था… मैंने आँखें खोली तो देखा की वीरेंद्र तुम्हारी जम कर चुदाई कर रहा है…
चुदाई नाम सुन कर, मीना शर्माकर बोली – क्या आप भी… मुझे शरम आ रही है… आप किसी को मत कहना, प्लीज़…
सविता बोली – बोली भी दिया तो क्या… सब को पता है की तुम्हारी चुदाई तो रोज़ होती होगी…
दोनों हँसते हुए, गांड धो कर घर आ गई. मीना और सविता, दोनों एक दूसरे के सामने थोड़ा खुल गई थी. निरहू उठने के बाद, हॅगने गया और वापस आ कर नहाने कुए के पास आया. रोज़ की तरह मीना से स्नान करवाया और लंड मालिश भी करवाई.
दोपहर में तेल मालिश करवाने रसोई में दोनों गये और हमेशा की तरहा, लंड मालिश हो रही थी की अचानक सविता आ गई और उसने देख लिया. सविता को देख कर, दोनों डर गये. सविता का खून खौलने लगा पर वो कुछ ना बोली. शाम को वीरेंद्र को, सविता ने सब कुछ बता दिया.
वीरेंद्र को याद था की उसके बेटे ने शर्त रखी थी की नयी माँ के साथ, वो किसी भी तरहा रह सकता है. वीरेंद्र ने लंबी साँस ली और सविता को सब कुछ बता दिया. मीना, दरवाजे के बाहर खड़ी सब सुन रही थी और निरहू बाहर खेलने गया था.
सविता, फिर बोली की ये सब ग़लत है.
वीरेंद्र बोला – जाने दो… घर की ही बात है, आपस में देख लेंगे…
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सविता का दिमाग़ घूम गया था और बहुत कुछ बोल देती पर चुप रही. रात में खाना खाने के बाद, सब सो गये पर असल में सिर्फ़ निरहू सोया था बाकी सब सोने का नाटक कर रहे थे. कुछ देर बाद, वीरेंद्र मूतने के लिए बाहर गया और रूम के अंदर आते ही, कपड़े निकाल कर नंगा हो गया.
वीरेंद्र को देख, मीना ने भी खुद के कपड़े नीकाल लिए. वीरेंद्र, मीना की टाँग फैला कर उसके ऊपर आ गया और चूमने लगा. “सेक्स का प्रोग्राम” स्टार्ट हो गया. सविता, इसका आनंद लेने के लिए आँखें खोल कर देख रही थी. वीरेंद्र का ध्यान, सिर्फ़ मीना पर था. 1 घंटे के बाद, दोनों सो गये. सविता का मन, बहुत करता सेक्स करने के लिए पर, कुछ नहीं कर पा रही थी. अगले दिन, सविता और मीना दोनों संडास करते करते बाते कर रही थी..
सविता ने कहा – तुम बहुत नसीब वाली हो… जो इतना प्यार करने वाला पति और बेटा मिला है…
ये कह कर सविता की आँखें नम हो गई थी..
मीना ने देखा और पूछा – क्या बात है… आप को कोई दुख है क्या… ??
सविता बोली – कुछ नहीं, चलो…
एक दो बार पूछने पर भी, सविता कुछ नहीं बोली. रात में जब वीरेंद्र चोद रहा था तो मीना ने देखा की सविता, उन दोनों को देख रही है और बदन को सिकोड कर सोई है. मीना को पहले ही शक हो गया था और अब यकीन हो गया की सविता की चुत में “आग” लगी है. अगले दिन, मीना ने वीरेंद्र को सब बता दिया..
वीरेंद्र गुस्से में बोला – बहन चोद को एक करेला दे, कुछ दिन के लिए… अगर, सिर पर चढ़ गई तो मुसीबत होगी…
मीना बोली – आप की बात सही है पर एक बार तो उसको वो सुख दे ही सकते है ना…
वीरेंद्र, कुछ ना बोल कर निकल गया.
मीना फिर दोपहर में खाते समय सविता से पूछा – आपको कैसे लगते है… ??
सविता ने पूछा – क्या… ??
मीना बोली – निरहू के बापू… ??
सविता, खाना खाते खाते बोली – अच्छा तो है… काम भी बहुत करता है… कमाता भी अच्छा है और क्या चाहिए…
मीना बोली – रात में, कैसे लगते है…
सविता बोली – मैं समझी नहीं… ??
मीना बोली – मैंने देखा है आपको, रात में आँखें खुली थी..
सविता, कुछ नहीं बोली.
मीना बोली – शरमाती क्यू हो… ?? आपने ही तो कहा था की चुदाई सब करते है… आज रात मे, मैं नहीं करूंगी… मेरा व्रत है ना… पर वीरेंद्र को नहीं पता… एक मुसीबत है…
सविता पूछती है – क्या… ??
मीना बोली – वीरेंद्र, रात में सुनते ही नहीं… सीधा, हल जोतना चालू कर देते है… एक काम करते है आप मेरी जगह पर सो जाना और मैं आपकी… वीरेंद्र, मुझे दूसरी तरफ़ देख कर कुछ नहीं करेंगे क्यूंकी उस तरफ दीवार है…
सविता कुछ ना बोली और सोचने लगी. सविता को अजीब लगा पर उसे कोई दिक्कत भी नहीं थी.
मीना बोली – चलो, सो जाते है…
सविता और मीना, दोनों सो गये. रात में सोने से पहले, वीरेंद्र को मीना ने समझा दिया की वो आज रात में चुदाई नहीं करेगी, आप चाहो तो सविता को चोद लेना, वो कुछ नहीं बोलेगी.. उसकी चुत में भयंकर आग लगी है.. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वीरेंद्र बोला – कैसी बाते कर रही हो… ?? मैं तुम्हारे साथ ही सोऊंगा… ??
पर मीना, मान ही नहीं रही थी. रात में मीना, सविता की दूसरी तरफ सोई थी और उस तरफ थोड़ी दूर वीरेंद्र सोया था. रात में, सब सो गये. वीरेंद्र ने चुदाई किए बगैर ही, रात निकाल ली. अगले दिन भी ऐसा ही होना था. मीना ने सविता से कहा की रात में ध्यान से सोना, वीरेंद्र रात को नींद मैं भी चुदाई कर सकता है, कोई भरोसा नहीं. सविता मन ही मन सोचने लगी की चुदाई के लिए, अगर लंड आ रहा है तो वो रोकेगी नहीं. अगली रात, सब सो गये. रात में, मीना ने सविता की साड़ी को ऊपर उठा दिया.
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कुछ देर बाद, वीरेंद्र को होश आया. सामने चूत का द्वार देख उससे रहा नहीं गया और वो सविता के करीब जाकर, पैर सहलाने लगा. सविता, आधी नींद में थी. दोनों घुटने ऊपर करके, वो पीठ के बल आ गया. वीरेंद्र ने सविता की साड़ी उतार दी और चिपक कर सो गया. सविता तुरंत जाग गई और देखा की वीरेंद्र का एक हाथ चड्डी के अंदर था और एक से पीठ पकड़ी थी. सविता की गर्मी कम नहीं हुई थी और फिर “हवस की ज्वाला” भड़क उठी. आधी रात तक, दोनों “प्रेम लीला” में मग्न थे.
निरहू भी आवाज़ सुन कर जाग उठा पर दोनों एक दूसरे में इतने खो गये थे की उनका ध्यान ही नहीं गया. सुबह, दोनों लेट उठे. दोनों के चेहरे पर गिल्टी की फीलिंग सॉफ दिख रही थी और साथ ही साथ, एक दूसरे को प्यार करने की चाहत भी. उस दिन भी रात में वीरेंद्र से, रहा नहीं गया. सविता भी सोई नहीं थी. वीरेंद्र सविता के पास गया और बिना कुछ कहे, सविता से लिपट गया. आप सोच रहे होंगे की “मीना और निरहू” का क्यू हुआ. अब तक मीना ने अपने पति और सविता को एंगेज करा लिया था तो अब वो फ्री हो गई थी, निरहू को आज़माने के लिए.