Shy Lady Blowjob
मेरा नाम अखिलेश है, आज मैं आप लोगो को एक घटना बताने जा रहा हूँ. मेरे घर मे माँ पापा और भैया भाई रहते है, दीदी भी अपने ससुराल मे रहती है. हम सब एक छोटे गाँव मे रहते है. पापा की उम्र 52 साल है और उनका खुद का बिज़्नेस है, भैया भी पापा का बिज़्नेस संभालते है. भैया की शादी 5साल पहले हुई थी. और दीदी की 3साल पहले. Shy Lady Blowjoब
माँ की उमर 48 साल है और वो एक बड़ी ही सीधी सादी भारतीय महिला पर बड़ी ही हॉट है अंदर से. आज जो मैं आपके सामने कहानी पेश कर रहा हु वो किसी की नहीं मेरी माँ की ही है जो एक सती सावित्री होने के बावजूद किसी गैर मर्द से चुद जाती है या तो ये कहिये की नाजायज सम्बन्ध बना लेती है. और वो गैर मर्द और कोई नहीं मेरे दीदी के ससुर है और मेरी माँ के समधी.
बात पिछले साल की है, एक रत जब हम सब खाना खा रहे थे तब पापा ने कहा क्यूँ ना इस होली पे समधी जी को बुलाया जाए. मैं हाँ इस बार होली मे अंकल आंटी हमारे घर होली खेल लेगे. भाभी भी बोली हाँ पापाजी बुला लीजिए.
माँ- हाँ बुला लीजिए.
यानि की सबने हां में जवाब दिया.
दूसरे दिन पापा ने अंकल को फ़ोन कर बुला लिए. भैया और भाभी भी चले गये भाभी के माँयके मे. 3-४ दिन बाद ही अंकल और आंटी और दीदी जीजू हमारे घर आ गये, हम सब ने उनका स्वागत किया. दीदी बहुत खुस दिख रही थी. हमारे मे औरते घुँघत निकालती है. होली के दिन हम सब ने होली खेली.
दीदी- भैया और भाभी कहा गये.
माँ- तेरी भाभी के गाँव होली मनाने.
माँ और दीदी अलग अलग पकवान बना रही थी. रात को पापा और अंकल पीने बैठे थे. पापा ने अन्दर से बोतल और पानी लाने बोला.
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मैं सब उनको लाकर दे दिया. कुछ देर पीने के बाद पापा ने आंटी को देने कहा मैने वो पेग जाकर आंटी को दे दिया. बाद मे मां ने मुझे बाहर से कुछ समान माँगया वो लाने मैं चला गया. थोड़ी देर बाद पापा ने फिर से बोतल मंगाई. मैं घर पर नहीं था इसीलिए माँ बोतल देने चली गयी.
माँ ब्राउन कलर की साड़ी पहनी थी. माँ जैसे ही बोतल रखने लगी वैसे ही अंकल ने हाथ बढ़ा कर बोतल पकड़ ली जिससे वो माँ के हाथो को छू लिए. माँ बोतल रख जाने लगी. तभी अंकल -रुकिये ज़रा समधन जी. माँ वही खड़ी हो गयी.
फिर अंकल ने भी एक पेग बनाया और माँ को देने लगे. पहले तो माँ ने मना किया. फिर बाद मे ले ली. पेग देते वक्त अंकल ने मम्मी की उंगलिया सहला दी. माँ कुछ नहीं बोली और पेग पी ली. माँ को बहुत कड़वा लगा. पापा भी बहुत फुल हो चुके थे. फिर माँ ग्लास रखने लगी तभी अंकल ने फिर से हाथ आगे कर माँ के हाथो पर हाथ रख ग्लास पकड़ लिए.
और साथ ही माँ के हाथो को सहलाते हुए माँ को देखने लगे. माँ शर्मा कर अंदर चली गयी. रात को सब खाना खाने के बाद सब सोने चले गये पापा अंकल एक कमरे मे और माँ, आंटी, दीदी एक कमरे मे , और मैं और जीजू एक कमरे मे. सुबह पापा जल्दी ही ऑफीस चले गये. माँ और दीदी काम कर रही थी और आंटी नहाने चली गयी.
दीदी- माँ वो (मैं) तो अबतक उठा ही नहीं तो चाय कौन देगा पापाजी को.
माँ- वो तो सो रहा है. ला दे मैं ही देके आती हूँ.
माँ चाय लाकर पापा के कमरे मे गयी. माँ जैसे ही अंदर गयी वैसे ही उनकी आँखे फटी फटी रह गयी. अंदर अंकल सिर्फ़ अंडरवियर मे सो रहे थे. पहले तो माँ सोची की वापस चली जाऊं, लेकिन फिर रुक गयी. माँ ने कप रखा और अपने एक हाथ आगे कर अंकल को उठाने लगी.
समधी जी उठिए उठिए. अंकल थोड़ा इधर उधर हुए फिर नींद मे ही माँ का हाथ पकड़ अपने उपर खींच लिए. माँ सीधे जाकर अंकल की बाँहो मे गिर पड़ी. अंकल माँ को अपनी बाँहो मे भिचने लगे. माँ बहुत डर गयी थी.
माँ-ये आप क्या कर रहे है समधी जी चोदिये मुझे.
माँ उठने की बार बार कोसिस कर रही थी. फिर अचानक अंकल की नींद खुली और उन्होंने माँ को छोड़ दिया, माँ उठ कर खड़ी हो गई. माँ पूरी पसीने पसीने हो गयी थी. और साड़ी भी खराब हो चुकी. माँ रोने लगी.
अंकल डरते हुए- मुझसे ग़लती हो गयी मुझे माँफ़ कर दीजिए.
माँ कुछ नहीं बोली और चली गयी. माँ बहुत घबरा चुकी थी और रोने भी लगी. रात मे पापा भी आ गये. अंकल और पापा और मैं जीजू भी खाना खाने लगे. माँ अंदर ही थी. तभी पापा ने आवाज दी माँ सब्जी लेकर आई. माँ थोड़ी सर मे हुई घूँघट में थी.
माँ सब्जी डालने लगी. अंकल माँ को घूर रहे थे. शायद मम्मी को भी ये पता था. माँ चोरी से अंकल की और देखी जो मुस्कुरा रहे थे जिसे देख माँ भी मन ही मन मुस्कुराई. फिर मम्मी अंदर चली गयी. वहा भी माँ चोरी चोरी मस्कुरा रही थी. दूसरे दिन सुबह फिर आंटी नहाने चली गयी. और पापा भी उठ कर मंदिर चले गये.
माँ दीदी से -बेटी चाय डाल दे मैं देके आती हूँ तेरे ससुर को.
फिर माँ चाय लेकर उनके के कमरे मे गयी. जहा अंकल कल की तरह सिर्फ़ अंडरवेयर मे थे. माँ उन्हे देख शरमाई फिर कप रख अंकल को उठाने लगी. माँ-प्यार से समधी जी उठिए. शायद अंकल पहले से जाग रहे थे, अंकल ने माँ का हाथ पकड़ अपने उपर खिच लिए. माँ भी तपाक से उनकी बाहों मे गिर पड़ी. अंकल माँ को अपनी बाहों मे भिचने लगे.
माँ मायूस आवाज़ मे- छोड़िये ना ये आप क्या कर रहे है.
अंकल माँ को नीचे कर खुद माँ के उपर आ गये. माँ कसमसा रही थी. अंकल माँ की आँखो मे देख अंकल ने कहा जो आप और मैं दोनों चाहते है. माँ ये सुन शर्मा गई. जिससे अंकल खुश हो गये. अंकल माँ को किस करने जा रहे थे तभी माँ ने उन्हे धक्का देकर हटा दिया और उठ कर खड़ी हो गयी.
मम्मी शरमाते हुए – ये रही आप की चाय. और वहा से चली गयी.
माँ बहुत खुस नज़र आ रही थी. दोपहर मे खाना खाते समय.
अंकल- अच्छा समधी जी तो आज जाना है हमें, पापा-समधी जी 1-२ दिन और रुक जाओ. कुछ ही देर मे बड़ा बेटा और बहू भी आने बाले है उनसे भी मिल लेना. और कहीं घूमने भी चले जाना. फिर थोड़े समय बाद ही भैया भाभी आ गये.
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पापा- बेटा इनको भी कही घुमाँ लाओ.
भैया हाँ क्यूँ नहीं हम सब चलेगे.
मम्मी- आप सभी चले जाओ मैं यही रहूंगी. घर पे भी तो कोई रहना चाहिए.
आंटी-इनको भी चलने मे प्रॉब्लम होती है तो ये भी नहीं आ पायंगे.
अंकल- हाँ बेटा मैं नहीं चल सकता.
अंकल मुस्कुराते हूँ माँ की तरफ देखे. माँ भी उन्हे देख शरमाँई.
आंटी- हाँ इनको पसंद नहीं.
जीजू-तो पापा को रहने दो हम सब चलते.
पापा- मुझे भी काम के सिलसिले मे बाहर जाना है.
मैं- तो ठीक है आप सब चले जाओ मैं यही रुक जाता हूँ.
एक घंटे बाद ही पापा चले गये. और बाकी सब भी रेडी होने लगे. शाम को सब चले गये घूमने. घर पे सिर्फ़ मैं माँ और अंकल ही रह गये थे. अंकल भी बाहर माँर्केट चले गये. मैं अपने कमरे मे पढ़ाई करने लगा और माँ खाना बनाने लगी. कुछ ही देर मे अंकल आ गये. अंकल टीवी देखने लगे. मैं भी अंकल के साथ टीवी देखने लगा. अंकल मेरी पढ़ाई के बारे मे पूछ रहे थे. थोड़ी देर तक हम बाते करते रहे माँ बाहर आई.
माँ-खाना परोस दू.
मैं- हाँ माँ बहुत भूख लग रही है मैं और अंकल साथ मे खा लेगे.
अंकल-बेटा तुम खा लो मैं बाद मैं खा लुगा. और तुम्हे पढ़ाई का कम भी तो करना है.
माँ-हाँ बेटा तुम खा लो तुम्हे पढ़ाई भी तो करनी है.
मैं खाना खा कर अपने कमरे मे चला गया. और दरवाजे की छेद से बाहर देखने लगा. माँ रसोई मे थी. माँ रसोई से एक दारू की बोतल और पानी की बोतल, कुछ चखने लाकर टेबल पे रखने लगी.
माँ- कुछ और चाहिए तो बुला लीजिएगा.
अंकल -आप नहीं बैठेंगे हमारे साथ.
माँ कुछ नहीं बोली और अंकल के पास ही बैठ गयी.
अंकल- यहाँ तो कोई नहीं है फिर फिर आप घूँघट में है.
माँ- मैं आपके सामने कैसे बिना घूँघट के बैठ सकती हूँ.
अंकल- मुझे कोई एतराज नहीं है आप अपना घूँघट हटा सकते है.
माँ- अखिलेश तो है.
अंकल- वो अंदर पढ़ाई कर रहा है.
फिर माँ ने अपना घूँघट हटा दिया. उनके मुस्कुराते हुए माँ को देख रहे थे माँ ने अपनी आँखे नीचे कर ली.
अंकल -सच आप इस उमर मे भी बहुत सुंदर लग रही है.
माँ थोड़ा शरमाई. अंकल ने बोतल खोलते हुए माँ से कहा- लीजिए पेग बनाए.
माँ– नहीं नहीं आप ही बनाए.
अंकल – आज आपके हाथो से बनाया पेग पीना चाहते है.
माँ एक पेग बनाने लगी.
अंकल –एक ही क्यूँ?
माँ— मैं नहीं पीती.
अंकल– थोड़ा हमारे लिए भी नहीं.
माँ थोड़ा सा अपने लिए भी पेग बना ली. फिर अंकल पिने लगे. माँ ने भी एक घुट पिया.
अंकल– समधन जी आज जो सुबह मे हुआ आप नाराज़ तो नहीं है ना.
माँ कुछ नहीं बोली. फिर थोड़ी देर बातचीत हुई. माँ को थोड़ा नशा हो गया.
माँ– अब परोस दू खाना.
अंकल– हां.
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फिर माँ खाना डालने लग गई. मम्मी और अंकल ने साथ मे खाना खाया. खाने के बाद माँ सफाई करने लगी. अंकल माँ को घूर रहे थे. काम करने के बाद माँ ने मेरा दरवाजा खटखटाया लकिन मैने कोई रेस्पोन्स नहीं दिया तो माँ को लगा की मैं सो गया हूँ. माँ अंकल का बिस्तर लगाने लगी. तभी अंकल अंदर आए और पीछे से माँ को अपनी बाँहों मे भर लिए.
माँ– ये आप क्या कर रहे है, छोड़िये मुझे.
अंकल- समधन जी ५ साल हो गये, इन ५ सालो मे मुझे वो सुख नहीं मिला.
माँ– देखिए मैं आपकी भावना समझ सकती हूँ. लकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती.
अंकल– समधन जी मैं भी समझ सकता हूं लकिन आप भी वो सुख पाना चाहती है जो हर औरत चाहती है, मुझे पता है समधी जी का जब ऑपरेशन हुआ तब से वो आप को सुख नहीं दे पा रहे है.
माँ– हाँ लकिन ये ग़लत है मैं ऐसा नहीं कर सकती.
अंकल माँ का हाथ पकड़ते हुए- प्लीज मैं आप को निराश नहीं करूँगा, मान जाइए कहकर अंकल माँ को गले लगा लिए.
माँ भी अंकल की बाहों मे सिमट सी गयी.
अंकल– भगवान की भी यही मर्ज़ी है इसीलिए आज हम मिले है.
माँ– लेकिन अखिलेश?
अंकल- वो सो चुका है.
अंकल ने माँ को एक गजरा दिया.
अंकल- ये आप के लिए. मैं चाहता हूँ की आज रात ये गजरा आप लगाए.
माँ गजरा लेकर अंदर चली गयी. और तैयार होने लगी. माँ ने एक न्यू रेड कलर की सारी पहनी. हाथो मे चूड़िया और गले मे मंगल सूत्र पहनी. बिल्कुल एक नयी नवेली दुल्हन की तरह लग रही थी. माँ ने सिंगार भी किया और अंकल का दिया हुआ गजरा भी लगाया.
फिर माँ एक ग्लास दूध और घूँघट निकल कर अंकल के कमरे मैं गयी, अंकल माँ को देख खुस हो गए. अंकल ने माँ से दूध का ग्लास लिया और उसे टेबल पे रख दिए. फिर माँ को पलंग पे बैठ गयी. माँ एक दुल्हन की तरह बैठी थी.
अंकल- समधन जी आज मैं बहुत खुस हूँ कहते हुए अंकल ने माँ का घूँघट उपर किया.
अंकल– सच्ची आज आप अप्सरा लग रही है माँ शर्मा गयी.
माँ ने ग्लास उठाया और अंकल की और करने लगी. अंकल ने माँ के हाथो को पकड़ लिया. माँ अंकल को दूध पिलाने लगी. अंकल माँ को सेक्सी निगाहो से देख रहे थे.और माँ के चेहरे पे एक मुस्कान दिख रही थी. पीने के बाद अंकल ने ग्लास रख दिया. और माँ के कंधो मे रख माँ को बिस्तेर पे लेटने लगे.
मम्मी शरमाती हुई– पहले लाइट तो बंद कर लीजिए.
अंकल– लाइट बंद कर दूँगा तो तुम्हरी खूबसूरती कैसे देख पाउँगा.
माँ– नहीं मुझे शरम आ रही है.
फिर अंकल ने लाइट बंद कर एक बल्ब जला दिया. माँ बिस्तर पे लेटी हुई थी. अंकल गये और माँ के ऊपर लेट कर माँ को अपनी बाहों मे भर लिए. मम्मी भी उनकी बाँहों मे सिमट गयी. अंकल ने माँ के सिर पे किस किया. फिर माँ के गालो को किस करने लगे.
माँ के मुह से इस इस इस इस की अबाज निकल रही थी. माँ के हाथ अंकल के कंधो पे थे. अंकल ने माँ के हाथो को अपने हाथो मे कस लिए. और माँ के होठ पे अपने होठ रख दिए. माँ को सिहरन सी हुई और उसने अपनी आँखे बंद कर ली. अंकल माँ के होथो को चूस रहे थे.
माँ भी उनके होठ चूसने मे उनका साथ दे रही थी. अंकल ने एक हाथ से माँ के साड़ी का पल्लू हटा दिया और माँ के बड़े बड़े बूब्स को ब्लाउज के उपर से ही सहला रहे थे. मां के मूह से सिसकारिया निकल रही थी.अंकल माँ की चूचियों को धीरे धीरे मसल रहे थे. माँ आअहह कर रही थी.
अंकल माँ को किस करते हुए दोनो हाथो से माँ की दोनो चुचिया मसल रहे थे.अंकल ने माँ की मंगलसूत्र निकाल दिया और माँ की गर्दन पे किस करने लगे. माँ भी अंकल की पीठ पे अपने हाथ फेर रही थी. अंकल और मेरी माँ दोनो एक दूसरे के पैर से पैर मसल रहे थे. अंकल ने अपनी कुरता और बनियान निकल दी और अपनी पजामाँ भी निकाल दी.
माँ उन्हे कपड़े निकलते हुए प्यार से देख रही थी. अब अंकल सिर्फ़ अंडरवियर मे ही थे. अंकल माँ को बाहणो मे भर लिए और बेहतासा चूमने लगे. अंकल का लंड माँ की चूत पे चुभ रह था जिसे माँ और उतेज़ित हो गयी थी. अंकल माँ के बूब्स ब्लाउज के उपर से ही चूम रहे थे. अंकल अपने हाथ माँ की छोड़ी कमर और पेट पे फेर रहे थे.
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अंकल —आहह समधन जी सच मे अंदर बहुत आग है.
माँ – हां समधी जी इस आग को आप बुझा दीजिए.
अंकल- आपकी आग बुझाने के लिए मैं कब से बेताब हूँ.
अंकल– अब यहाँ तो कोई नहीं है आप मुझे अब भी समधी कहेंगे.
माँ मुस्कुराते हुए– तो फिर क्या कहु.
अंकल– वही जो आप अपने पति को कहती है.
माँ शरमाँती हुए —आप भी ना!
फिर दोनो एक दूसरे को चूमने चाटने लगे. कभी माँ अंकल के उपर तो कभी अंकल माँ के ऊपर. इन सब मे माँ की सारी पूरी निकल गयी अंकल माँ के ब्लाउज के बटन खोलने लगे माँ अपने हाथो से अपने बूब्स छुपाने लगी अंकल माँ के हाथ हटा दिए और ब्रा भी निकल दी.
अब माँ सिर्फ़ पेटीकोट मे थी. अंकल माँ के बूब्स मसलने लगे. माँ-आहहहहह. अहहहू करने लगी. अंकल माँ के एक बूब्स को मूह मे लेकर चूसने लगे और दूसरे को मसलने लगे. अंकल दूसरे बूब्स को भी चूसने लगे.और निपल को काट रहे थे.
मम्मी को देख लगता नहीं की वो बड़ी ही सीधी सादी और सती सावित्री होकर किसी. गैर मर्द से समन्ध बना लेगी.अंकल माँ के पेट और नाभि को चूम रहे थे और हाथ से पेटीकोत उपर कर माँ की जांघ सहला रहे थे माँ अंकल का हाथ हटाने की कोसिस कर रही थी.
अंकल ने पेटीकोत का नाड़ा खोल दिया और उसे हाथो से सरकाने लगे. माँ ने खुद ही अपना पेटीकोत अपने पैरो से निकल दिया. अब माँ सिर्फ़ एक पेंटी मे थी.और दोनो एक दूसरे की हहों मे सिमट रहे थे. माँ भी अंकल की बालो से भरी छाती सहला रही थी.
अंकल अपने हाथ माँ के गरम जिस्म प सहला रहे थे. दोनो की गरम साँसे एक दूसरे महसूस कर रहे थे. अंकल बार बार मम्मी का हाथ पकड़ अपने लंड पर रख रहे थे, लकिन मम्मी अपना हाथ हटा रही थी. अंकल माँ की पेंटी नीचे कर रहे थे. माँ मना कर रही थी. अंकल ने फिर माँ का हाथ पकड़ अपने लंड पे रख दिया.
इस बार माँ ने भी उनका लंड पकड़ लिया. और अंकल को देख शरमाने लगी, अंकल माँ की चुचिया मसल रहे थे.मैं कभी सोच नहीं सकता था की मेरी माँ ऐसा कर सकती है. माँ अंकल का लंड हाथ मे लेली. अंकल का लंड बहुत बड़ा लग रह था. अंकल ने माँ की पेंटी नीचे करने लगे. और माँ की गोरी चौड़ी गांड पे हाथ फैरने लगे.
अंकल ने अपना अंडरवियर भी उतार दिया. अब दोनो नंगे हो चुके थे. अंकल का काला लॅंड माँ सेक्सी निगाह से देख रही थी. दोनो फिर एक दूसरे की बाहो मे सिमट गये. अंकल का लंड माँ की चूत मैं चुभ रह था. अंकल ने अपने हाथ से माँ की बालो से भारी. चूत मे उंगली करने लगे. और माँ अंकल का लंड हाथ मे लकर् आगे पीछे करने लगी.
अंकल– आप कैसे निकाल लिए इतनी राते बिना चुदाई के.
माँ- तो कर भी क्या सकती मैं.
अंकल- मैं भी बहुत तड़पा हूँ. मैं आप का सुकरगुजार हूँ की आपने मुझे अपने काबिल समझा.
माँ– मैं जानती थी की आप भी इतने सालो से खुस नहीं है. पर मुझे डर लगता था की कही बदनामी ना हो जाए.
अंकल– आप फिकर ना करे मैं आप को कोई परेशानी नहीं आना दूँगा.
दोनो अपने अपने जिस्म से एक दूसरे को गर्मी दे रहे थे. अंकल उठे और माँ को सीधा कर माँ की टाँगे चौड़ी कर दिए. जिसे माँ की फुल्ली हुई चूत दिख रही थी. माँ की चूत से पानी टपक रहा था.अंकल माँ की टॅंगो के बीच बैठ गये.
और अंकल तो लगा दी अपने प्यार की मुहर. माँ शायद उन्हे आँखो से इशारा की अंकल ने लंड का टोपा माँ कि चूत पे रखे. जिसे माँ के पूरे सरीर मे आग लग गयी. माँ ने अपने पैर अंकल की कमर पे बाँध ली. अंकल ने एक ज़ोर का धक्का दे माँरा.
माँ—–उूुउउ उूउउ ईईइ ईयी ईईईई,एम्म एमेम माँआ आआ सस्शह हह हह हह हह.अंकल का टॉप्स अंडर चला गया अंकल माँ के होठो को चूसने लगे अंकल ने एक झटका और माँरा. मम्मी–आहह. अंकल का आधा लंड चला गया. अंकल माँ के निपल चुस्स रहे थे और कमर हाथ फेर रहे थे.
जिससे माँ का दर्द कुछ कम हुआ अंकल–कैसा लग रहा है. माँ कुछ नहीं बोली सिर्फ़ हंस दी. अंकल ने माँ की कमर पकड़ी और धीरे धीरे धक्के माँरने लगे माँ आअहह सहहहह कर रही अंकल अपनी कमर हिला कर माँ को चोद रहे थे.
माँ की चूत से बहुत पानी गिर रह था. अंकल ने अपनी स्पीड थोड़ी तेज कर ली. लंड पानी की वजह से आवज आ रही थी फुच्छ फूच फुच्च फच्छ. माँ भी– आअहह म्मर्र गयी मैं, आअहह अंकल माँ को जोर जोर से चोद रहे थे माँ भी अब अंकल को अपनी बहो मे भर अपनी गांड आगे पीछे कर अंकल का साथ दे रही थी.
३० मिनट तक दोनो की चुदाई चलती रही अंकल– क्या कहती है आप मैं माँल सारा चूत के अंदर डाल दू. फिर अंकल चोदते चोदते अचानक से रुक गये और माँ को अपनी बहो मे कसने लगे माँ भी अंकल से लिपट रही थी अंकल का सफ़ेद वीर्य माँ के चूत मैं जाने लगा.
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जिसे माँ महसूस कर रही थी कुछ देर दोनो ऐसे ही बाहों मे लेते रहे. जब अंकल का लंड पूरा मुरझा गया तब माँ के साइड मे लुढक गये. माँ की अब भी साँसे उपर नीचे हो रही थी. माँ की चूत से अंकल का वीर्या निकल रहा था. उसके बाद मैं अपने कमरे मैं आके सो गया. सुबह 6बजे जब मैं उठा तो. बाहर कोई नहीं दिखा. मैं अंकल के कमरे की तरफ गया तो देखा माँ और अंकल अब तक नंगे ही एक दूसरे की बाँहों मे सो रहे है. मैं वापस आके सो गया.
आधे घंटे बाद माँ दरवाजा खटखटाई, मैने दरवाजा खोला. सामने माँ खड़ी थी. माँ :– उठो कॉलेज नहीं जाना माँ बहुत थकी सी लग रही थी और माँ के बाल भी खुले हुए थे. फेस पे दाँतों के निशान दिख रहे थे. साड़ी भी जल्द जल्द मे बँधी हुई लग रही थी. मैं– हाँ माँ आ रह हूँ. फिर माँ किचन मे चली गयी. और मैं नहाने. वहा ड्रा मे से मैंने कोलगेट निकाली तभी मेरी नज़र नीचे के ड्रॉ मे पड़ी. उसमे कुछ कपड़े. मैने वो कपड़े देखे वो अंकल के थे और उसमे माँ की ब्रा और पेंटी भी थी. जो अंकल के वीर्य से भरी हुई थी.
Irfan says
Mera land 8 inch ka hai jis ko lena ho call me
9905857253