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बिस्तर का असली सुख जेठ जी ने दिया 3

दिसम्बर 8, 2023 by hamari

Village Bahu Real Sex

नमस्कार दोस्तों मैं आप सब की सीमा भाभी फिर से आपके सामने हाज़िर हूँ अपनी का अगला भाग लेकर जैसे की दोस्तों आपने कहानी के पिछले भाग बिस्तर का असली सुख जेठ जी ने दिया 2 में आपने पढ़ा था की जेठ जी ने मेरी पति की कमजोरी के बारे में मुझे बताया और परिवार की इज्जत के लिए मैं उसने चुदने के लिए तैयार हो गई और मेरी मस्त चुदाई के दौरान ही जेठ जी को किसी माधुरी ने फ़ोन किया था. अब आगे- Village Bahu Real Sex

मैंने पुछा, किसका है ! भैया बोले वो अनिल की बीवी है, जो पड़ोस में रहती है ! मैंने कहा,हाँ,मैं जानती हूँ, आज आई थी डिनर पर ! आपके बारे भी पूछ रही थी ! मेरे से भी अजीब सा सवाल पुछा था कि, मैं आपके साथ क्यों जा रही हूँ, उमेश मुझे लेने क्यों नहीं आया !

मुझे उसकी बातें अच्छी नहीं लगी थी, लेकिन है वो बहुत सुन्दर; पर वो इतनी रात को आपको क्यों फ़ोन कर रही है !अगर उसे कोई प्रॉब्लम है तो अनिल को फ़ोन करना चाहिए, आखिर वो आपके छोटे भाई का जिगरी दोस्त है, आपका भी तो भाई ही हुआ !

भैया बोले, हाँ, सो तो है ! मोबाइल अब बंद हो गया था ! मैंने ऐसे ही चेक किया, ६ मिस्ड कॉल्स थी उसकी, हम चुदाई में इतने मस्त थे कि फ़ोन पर ध्यान ही नहीं गया था ! मैंने कहा,भैया .जरूर कोई सीरियस बात है, आप उसको फ़ोन कर लीजिये ! भैया ने मना कर दिया ! कुछ सोचकर भैया बोले, तुम्हें मेरे पर कुछ शक है, क्यूंकि इतनी रात को उसने इतने फ़ोन किये !

मैंने कुछ नहीं कहा, पर दिल कह रहा था कि कुछ चक्कर जरूर है ! भैया फिर बोले,तुम्हारी नज़र में मेरा चरित्र ठीक नहीं, यही सोच रही हो ना ! अब मैं बोल पड़ी, भैया आपका चरित्र पिछले तीन दिनों में मेरी नज़र में अच्छा बुरा दोनों रहा है ! लेकिन मुझे अब फर्क नहीं पड़ता कि पीछे आपने किसके साथ क्या किया है, और आगे क्या करेंगे !

मेरी नज़र में आप एक महान इंसान हैं, जो हर रिश्ते, हर फ़र्ज़ को बखूबी निभाता है, और अपनी मेहरबानियों कि कीमत नहीं वसूलता !भैया की आँखे छलक आई !बोले, काश तुम मेरी पत्नी होती,तो मैं और भी बहुत कुछ दुनिया को दे सकता था ! मैंने उनको किस किया और बोली, अब और कितना पत्नी बनाना है !

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मैंने तो उमेश का कहना दिल से मान लिया है, तभी मैं आगे बढ़कर आपसे अपना प्यार ले रही हूँ !भैया बोले, देखो सोनू, अनिल को भी वही प्रॉब्लम है,जो उमेश को है, उसमे बाप बनने की शक्ति नहीं ! उमेश ने ही मुझे कसम देकर मज़बूर कर दिया था, और मुझे अनिल की बीवी को माँ बनाना पड़ा !

उसको जल्दी गर्भ नहीं ठहर रहा था,जिसके कारण मुझे उसकी बीवी के साथ बहुत बार सेक्स करना पड़ा !यही समझ लो की हम रात में एक साथ ही सोया करते थे ! मैं अगर मना भी करता तो अनिल मुझे उमेश का वास्ता देकर अपनी पत्नी के पास भेज देता ! उमेश भी बार बार गावं आकर मुझसे अनुरोध करता था !

सच पूछो तो मुझे तुम्हारे साथ ये सब करने में उतनी टेंशन नहीं हुई,जितनी उसके समय होती थी !भाई का दोस्त तो भाई ही होता है ना ! मेरे मन में भैया की इज़्ज़त और बढ़ गई थी, कितने महान थे और कितनी मेहरबानी की थी उन्होंने लोगों पर ! मैं बोली,’लेकिन भैया वो अब क्यों आपके पीछे पड़ी है, उसको तो बेटा भी है ना’ !

हाँ, पर अब उसको सेक्स का चस्का लग गया है ! अगर मैं एक महीने का गैप कर दूँ तो नाटक शुरू कर देती है ! अनिल तो कुछ कर नहीं पाता,पर वो उसे बहुत जलील करती है, सुसाइड की धमकी देती है ! अब तो वो मुझे भी धमकाती है,की माँ से सब कुछ कह देगी !अब डर से मैं उसके साथ सेक्स करता हूँ !

मुझे अपनी परवाह नहीं है, लेकिन वो जानती है की उमेश को भी यही प्रॉब्लम है ! माँ ये बात बर्दाश्त नहीं कर पायेगी ! अब मुझे भी फिक्र हो गयी थी, मैंने भैया से कहा “भैया, अब आपके साथ आपकी पत्नी है, हम मिल के इसका हल निकल लेंगे ! अब मैंने माहौल को हल्का करने के लिए भैया से मज़ाक करना शुरू कर दिया !

मैं बोली क्या भैया, आप भी किस मिटटी के बने हो, आपकी जगह मैं होती तो उसको अपने बाँहों से बाहर जाने ही नहीं देती !क्या औरत है भैया, किसी की भी तपस्या भंग कर दे ! भैया भी बोल पड़े, कोई बात नहीं अब तुम हो ना,अब बाँहों से बाहर जा के दिखाओ,और एक लम्बी किस का सिलसिला चल पड़ा !

मुझे अपनी चूत में कुछ हलचल सी लगी, फिर ध्यान आया कि भैया का लण्ड तो अभी तक मेरे चूत में जड़ तक धंसा हुआ है ! सेक्स की बाते सुनकर मैं भी उत्तेजित हो गई थी और भैया भी, इसलिए लण्ड में थोड़ा तनाव आ रहा था ! मुझे लगा की भैया ने अगर अभी लण्ड नहीं निकला, तो पूरा खड़ा होने पर मेरी चूत के दो फाड़ हो जायेंगे !

मैंने भैया से रिक्वेस्ट की, कि निकल लें ! भैया का मूड बन रहा था, पर मेरा दर्द समझ रहे थे, बोले कि सोना, मेरा मन इस वक़्त बहुत बेचैन हो गया है, पर अभी शायद मैं कंट्रोल नहीं कर पाउँगा ! अगर तुम झेल नहीं पाओगी, तो कल एक कदम भी पूरा नहीं चल पाओगी ; फिर किस किस को बताते रहोगी कि क्या हुआ है !

वैसे भी किसी कुंवारी के लिए बहुत मुश्किल है, मेरे साथ सेक्स करना ! मैं चौंक पड़ी, क्या भइया, क्या बात कर रहें हैं, एक साल से शादीशुदा हूँ, कई बार सेक्स किया है उमेश के साथ, ठीक से नहीं हुआ तो क्या !

भैया बोले,” देखो सोना, मैं पड़सो तुम्हारा अंग देखते ही समझ गया था कि अभी तुम कुंवारी हो, इसीलिए मैंने ऊँगली को भी एक सीमा तक ही अंदर किया था ! सेक्स इतना आसान नहीं है कि हर कोई कर ले !आज कल के लड़कों में बहुत कम ज्ञान होता है सेक्स का ! वो अपनी तरफ से तो सेक्स कर लेते है, पर औरत को संतुष्ट नहीं कर पाते !

उमेश कि प्रॉब्लम मुझे पता है, वो केस थोड़ा अलग है, लेकिन वो भी तुम्हारा कौमार्य भंग नहीं कर पाया ! लेकिन आज तुम लड़की से औरत बन गयी हो, मेरी तरफ से मुबारकबाद, और भैया ने चुम लिया ! मैंने भी उनको चुम लिया और कहा, एक कुंवारी कन्या के कौमार्य को भंग करने का आपको भी मुबारकबाद !

अब भैया ने धीरे धीरे लण्ड निकालना शुरू किया ! अंदर इतनी फिसलन और वीर्य भरा हुआ था मेरी चूत में कि, कोई भी झड़ा लण्ड पुच से बाहर आ जाता, पर झड़ने का बाद भी फौलाद कि तरह टाइट था मेरे चूत में, तभी तो माधुरी इसको लेने के लिए पागल हो जाती थी !

मैं भी उसकी जगह होती तो दो साल कि चुदाई के बाद कभी हाथ से जाने ना देती ! भैया लण्ड को थोड़ा हिला डुला कर धीरे धीरे ऊपर खींचने कि कोशिश कर रहे थे ! जैसे ही लण्ड थोड़ा भी ऊपर आता, मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरी बच्चेदानी भी साथ साथ खींची आ रही है !

भैया ने थोड़ा आगे पीछे किया तो मैं चिल्ला पड़ी, लगा कि वो फिर से चोदने लगे है ! आखिरकार फच्च कि जोरदार आवाज़ के साथ के साथ लण्ड बाहर निकला ! भैया तजुर्बे वाले थे, शायद इसी लिए, मेरी पेटीकोट नहीं उतारी थी, मेरे चूतड़ के नीचे पेटीकोट पहले ही फैला दिया था, अब ऊपर का हिस्सा लेकर, मेरे पेट और चूत के ऊपर के हिस्से को पोछने लगे !

मैंने थोड़ा सर उठाया तो देखा कि भैया के लण्ड का जो हिस्सा मेरी चूत के अंदर था, वीर्य रसगुल्ले के रस कि तरह टपक रहा था ! मैंने सामने पड़े ब्रा और पैंटी से उसे पोछना शुरू कर दिया ! भैया के लण्ड को मेरा पहला स्पर्श था, भैया का लण्ड सर उठाने लगा !

भैया ने कहा, तुम छोड़ दो अभी, नहीं तो तुम्हे परेशानी होगी ! अब मैंने अपने चूत को पोछने के लिए उठ कर धीरे से बैठी ! चूत से लगा जैसे अंदर किसी ने एक छोटा गिलास वीर्य उलट दिया हो, धार सी बह निकली ! मैंने जल्दी से अपनी साड़ी से पोछना शुरू किया !

भैया ने रोकना चाहा, बोले साड़ी ख़राब हो जाएगी, मैं गन्दा कपडा लाता हूँ ! मैंने कहा, ये मेरे ज़िन्दगी का पहला गिफ्ट है मेरे जेठ पति का, मैं एक एक बून्द समेटना चाहती हूँ ! मेरी ब्रा,पैंटी, पेटीकोट और साड़ी, भैया के वीर्य से लथपथ थे, कहीं कहीं खून के क़तरे मेरी सील टूटने कि गारंटी दे रहे थे

!मेरी चूत का मुंह खुल गया था, लग रहा था कि मेरा पूरा हाथ अंदर आराम से चला जायेगा ! पेटीकोट भी मैंने खोल दी और सबकी एक गठरी बना दी ! भैया टॉवल ले आये थे, मैं उठने ही वाली थी कि मोबाइल कि लाइट फिर जल उठी ! देखा, फिर से ‘माधुरी’ का फ़ोन था !

भैंया ने इशारा किया कि जाने दे, पर मैं बोली वो कुछ भी कर सकती है, एक औरत होने के नाते मैं समझ सकती हूँ ! भैया को पलंग पर बिठाया, खुद उनके गोद में बैठ गयी, और भैया को इशारा किया कि बातें करो ! मोबाइल मेरे हाथ में थी, और स्पीकर ऑन कर दिया ! माधुरी बोली ” सो गए राजा ” !

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भैया : हाँ थक गया था, नींद में था, मोबाइल कि आवाज़ कम कर रखी थी !

माधुरी : वह मेरे राजा, मेरी नींद उड़ाकर खुद मज़े कि नींद ले रहे हो !

भैया : मैंने क्या किया, मैंने तो देखा भी नहीं तुम्हें !

माधुरी : इसी बात का तो दुःख है, आज दो घंटे लगाकर तैयार होकर मैं गयी थी, कि तुम्हारी तपस्या भंग करुँगी, पर तुम दिखे ही नहीं ! मेरा शृंगार अधूरा रह गया !

भैया :देखो माधुरी, भाई कि तबियत ठीक नहीं थी, उसी के साथ था !

माधुरी : अब मेरी तबियत ठीक नहीं है, मेरे साथ आओ ! मेरा शृंगार अधूरा रह गया, उसे पूरा करो !

भैया : आज नहीं हो सकता, कल देखेंगे !

माधुरी : मुझे उल्लू मत बनाओ ! कल तुम दिल्ली जा रहे हो अपनी छम्मकछलो के साथ !

भैया : जबान संभलकर माधुरी ! वो बहु है मेरी !

माधुरी : तो मैं क्या हूँ तुम्हारी, बहु नहीं हूँ क्या ? अगर मुझे नंगा कर सकते हो, तो उसके साथ कितना टाइम लगाओगे,सब समझती हूँ मैं ! उमेश क्यों नहीं आया ? तुम और तुम्हारे छोटे भाई कि बीवी १० दिन तक अकेले होगे दिल्ली में,एक साथ ! जिसका पति सेक्स नहीं कर पाता है, उसको नंगा होने में ज्यादा टाइम नहीं लगता ! तुम नंगे नहीं होगे तो वो हो जाएगी ! सुबह ही मैं तुम्हारी करतूत तुम्हारी माँ और रखैल दोनों को बताऊंगा !

(भैया गुस्से में आ गए थे, पर मैंने आराम से बात करने को कहा, और हाँ करने को कहा )

भैया : देखो माधुरी, जो भी मैंने किया, तुम्हारे बच्चे के लिए किया, लेकिन मेरा मन नहीं मानता तुम्हारे साथ अब ये सब करने को !

माधुरी : राजा मैं नहीं रह सकती तुम्हारे बिना ! मैं रोज़ तड़पती हूँ, सेक्स के लिए ! तुम्ही बताओ, इस नामर्दों के गावं में किसके पास जाऊँ ! अब मैं एक महीने एक एक मिनट मरती हूँ तुम्हारे लिए, क्या तुम महीने में एक बार भी मेरी प्यास नहीं बुझा सकते !

(अनिल ने माधुरी से फ़ोन ले लिया था, बोला, भैया ये रो रही है, प्लीज भैया, ये मेरा जीना हराम कर देगी, आप आ जाओ या बोलो तो मैं इसको छोड़ आता हूँ आपके पास !)

मैंने भैया को उसको बुलाने के लिए रिक्वेस्ट किया, बड़ी मुस्किल से तैयार हुए !मैंने इशारे से कह दिया कि मैं दूसरे कमरे में छुप जाउंगी, आप यहीं कर लेना ! भैया ने बोल दिया कि ठीक है आधे घंटे बाद पिछले दरवाज़े पर आ जाना,उसको लेकर ! मैं फर्स्ट फ्लोर पर भाई के साथ अकेला हूँ !

अनिल खुश हो गया ! कितना मजबूर पति था वो, जिगरी दोस्त के बड़े भाई से अपनी बीवी चुदवाने के लिए मिन्नतें कर रहा था ! भैया के लिए मेरा प्यार और आदर दुगना हो गया था ! जल्दी जल्दी मैंने बिस्तर के चादर वगैरह बदले, थोड़ा रूम स्प्रे कर दिया, भैया के वीर्य कि खुसबू अभी भी आ रही थी !

नहाने का टाइम नहीं रह गया था,जल्दी से एक साड़ी लपेट ली ! भैया ने वही कुरता पजामा पहन लिया ! भैया कि मोबाइल में कॉल आने लगी, यानि माधुरी अनिल के साथ नीचे आ चुकी थी !भैया एक नज़र, कमरे पर मार कर, मुझे दूसरे कमरे में जाने को बोलकर, दरवाज़ा खोलने नीचे चले गए !

माधुरी के आने से पहले मैंने दूसरे कमरे में अपने लिए जगह बनाई ! ऊपर दो कमरों का ही फ्लैट बना था, वैसे तो अलग अलग दरवाजे थे, पर दोनों कमरों के बीच एक दरवाज़ा था, जो लॉक नहीं होता था ! सबसे पहले मैंने अपने कमरे में अँधेरा कर लिया !

मैं देखना चाहती थी कि दोनों कैसे सेक्स करते हैं !दरवाजे के पास एक बड़ा सा छेद था, मैंने उसी पर आँखें टिका ली ! दूसरे कमरे में अच्छी रौशनी थी, सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था ! माधुरी पहले आई, और बिस्तर पर बैठ गई !उसने सच में वही कपडे पहन रखे थे, जिसे पहन कर वो पार्टी में मिली थी !

गहरी लाल लिपस्टिक और सुन्दर मेकअप, गज़ब कि लग रही थी ! मैंने जेठ जी के चरित्र जैसा समझा था, वैसा नहीं था, पहले मेरे साथ फिर माधुरी के साथ को बातें हुई, उससे यह साबित हो गया कि वो बहुत उच्च चरित्र के मालिक थे ! जेठ जी दरवाज़ा बंद कर कमरे में आ गए थे !

वो भी पलंग पर बैठ गए ! माधुरी ने पहले उनके पाँव छुए, फिर उनसे उस बात के लिए माफ़ी मांगी जो उसने मेरे बारे गलत बातें की थी ! जेठ जी कुछ बोल नहीं रहे थे, और कुछ कर भी रहे थे ! फिर माधुरी जेठ जी के पास आकर उनसे चिपक गयी ! रूठे हो राजा, कहकर उनके होंठों को चूसने लगी !

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उसका एक हाथ जेठ जी के पजामे के ऊपर था, और वो लण्ड को सहला रही थी ! इतनी खूबसूरत गोरी चिट्टी औरत,जेठ जी से लिपटी थी,पर वो बहुत विचलित नहीं लग रहे थे, इन सब से ! होंठ चूसते हुए माधुरी ने जेठ जी के पजामे का नाड़ा खोल दिया और थोड़ा निचे सड़काकर उनका लण्ड हाथ में ले लिया !

दूर से भी जेठ जी का लण्ड मूसल लग रहा था ! फिर माधुरी ने झुककर लण्ड का मुंह अपनी तरफ किया और जीभ से लण्ड चाटने लगी ! माधुरी के सुन्दर गोल होंठ अपनी लिपस्टिक लण्ड पर निशान लगा रही थी ! मैंने कभी लण्ड अपने मुंह में नहीं लिया था, थोड़ी घिन सी आ रही थी देखकर !

क्या मीठा लग रहा है माधुरी को जो इतनी लगन से चूस रही है !भैया के लण्ड पर तो मेरे चूत का भी पानी लगा होगा, वो भी चाट गई माधुरी ! मेर बदन में हरकत सी हुई, लगा नीचे चूत में गीलापन आने लगा है !मैंने बस एक साडी लपेट रखी थी, उतार कर बगल में रखे कुर्सी पर रख दी !

माधुरी इतने प्यार से लण्ड चाट रही थी कि भैया के लण्ड में हरकत शुरू होने लगी !उन्होंने एक हाथ से माधुरी के बाल सहलाने शुरू कर दिए और दूसरा हाथ माधुरी के ब्लाउज में घुसा दिया ! माधुरी बीच बीच में चिहुक जाती थी, शायद भैया उसके चूची कि घुंडी मसल देते थे ! अब लण्ड पूरा टाइट था !

क्या मर्द थे मेरे जेठ जी, अभी एक घंटे पहले उन्होंने मेरी चुदाई कि थी, अब फिर तैयार था, माधुरी कि चूत बजाने के लिए ! वैसे मुझे उनपर दया भी आ रही थी क्योकि उन्होंने मेरा ख्याल रखते हुए, आधे लण्ड से मेरी चुदाई कि थी, कोई और होता तो रोक नहीं पाता !

जेठ जी अब दोनों हाथों से माधुरी कि चूची मसल रहे थे, और माधुरी पूरे मन लगाकर लण्ड चूसने में मगन थी ! मेरे कमरे तक इतनी आवाज़ आ रही थी कि मुझे लग रहा था कि मेरे कमरे में लण्ड चुसाई चल रही हो !जेठ जी ने माधुरी कि ब्लाउज उतार दी, दो मस्त चूचियाँ फुदक के बाहर आ गई !

माधुरी कि सुडौल चूचियाँ हवा में लटक रहे थे, एक बच्चे कि माँ होते हुए भी चूचियाँ अभी तक अपने आकार में थी ! भैया के हाथ आंटे कि तरह चूचियों को गूंद रहे थे !साड़ी भी उतार ली थी माधुरी ने, और पेटीकोट को भैया ने उतार दिया ! बिलकुल नंगी माधुरी, बिस्तर पर लेट गई, भैया ने उसके गांड के नीचे साड़ी फैला दी थी, कि वीर्य बिस्तर पर न फ़ैल जाये !

भैया ने झुककर माधुरी कि चूत चटनी शुरू कर दी ! लगता था आज ही सफाई कि थी माधुरी ने, चिकनी चूत कि चमक कमरे को रौशन कर रही थी ! भैया चूत चाटने कि कला में माहिर थे,माधुरी तो जैसे पागल हो गई थी, पैर पटकने लगी थी !

भैया इतने मगन हो गए कि शायद भूल गए कि दूसरे कमरे में मैं हूँ, उन्होंने आसान बदला और 69 के पोजीशन में आ गए ! माधुरी के मुंह में भैया का लण्ड लपा लप अंदर बाहर जा रहा था और भैया माधुरी कि चूत में जीभ घुसा घुसा कर उसको चोद रहे थे !

मैंने कभी किसी को चुदते नहीं देखा था, मेरे लिए ये बहुत ज्यादा था, चूत में ऊँगली अपने आप चली गयी और मैं अंदर बाहर करने लगी !अभी थोड़ी देर पहले तक तो मेरी चूत में दर्द था और जलन थी, पर अब वो सब गायब हो गया था !

भैया ने मुझे इन तीन दिनों में बिलकुल बदल दिया था ! जिसको मैं सेक्स समझती थी, वो इस दुनिया से बिलकुल अलग था ! कितने माहिर थे भैया ! अब माधुरी मस्ती में कांपने लगी थी, भैया समझ गए अब समय आ गया है ! भैया ने लण्ड को माधुरी के चूत पर टिकाया और धक्का दे दिया, माधुरी कि चीख निकल गई, शायद काफी दिनों बाद चुद रही थी !

भैया थोड़ा आगे पीछे करते रहे, और एक जोरदार धक्के में पूरा लण्ड अंदर !माधुरी को बहुत दर्द हो रहा था, उसके चेहरे से लग रहा था, पर वो सब झेल गई ! भैया का मूसल लण्ड बाहर तक आता और फिर घुस जाता ! हर चोट पर माधुरी ही आह निकल जाती थी !

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मैं मन ही मन सोचने लगी कि जब माधुरी भैया से सैकड़ों बार चुद चुकी है,और एक बच्चे कि माँ भी है, तब उसका दर्द से बुरा हाल है, फिर मैं तो मर ही जाउंगी,अगर ऐसे ही चुदी तो ! फिर भैया का ख्याल आया कि वो मेरा कितना ध्यान रखते है, खुद अपनी प्यास अधूरी रखी पर मुझे ज्यादा दर्द नहीं होने दिया !

शायद मेरे साथ उनके अधूरे चुदाई का असर था जो वो माधुरी कि चूत फाड़ रहे थे ! अब मेरी दो ऊँगली आराम से मेरी चूत के अंदर बाहर हो रही थी! भैया ने तो जैसे तूफ़ान मचा दिया था, आधे घंटे से चोद रहे थे माधुरी को,पर झरने का नाम नहीं ले रहे थे !

फिर अचानक भैया ने लण्ड बाहर निकला, फूला हुआ लम्बा लण्ड रस से सराबोर था ! भैया ने माधुरी को पलट दिया, पलटते हुए उसकी चूत में ऊँगली डाल के रस से ऊँगली गीला किया और माधुरी कि गाँड के छेद में ऊँगली घुसा दी ! दुबारा चूत के नीचे हाथ लगाकर टपकते हुए रस को हाथ में लिया और माधुरी के गाँड के छेद में डाल दी और ऊँगली घुसा के मैसेज करने लगे !

माधुरी कि गाँड बहुत मस्त लग रही थी, और फूली हुई थी ! मैं बहुत डर गई थी कि भैया क्या गाँड मरने वाले हैं माधुरी की ! भैया ने रस से सन हुआ लण्ड धीरे धीरे माधुरी की गाँड में घुसाना शुरू किया ! माधुरी की हालत ख़राब थी, पलंग को कस के पकड़ रखा था और मुंह को तकिये में घुसा रखा था, मुझे लग रहा था की वो चीख रही है पर आवाज़ बाहर नहीं आ रही !

भैया माधुरी के ऊपर पूरा लेट गए थे, अंदर हाथ घुसकर माधुरी की दोनों चूची अपने दोनों हाथों में पकड़ रखा था और पूरा दम लगाकर धक्के लगा रहे थे ! मेरी आँखों के सामने भैया का लण्ड ‘पुच’ की आवाज़ के साथ गाँड से बाहर निकलता और फिर माधुरी की गाँड में समां जाता, आवाज़ आती थी फच्च !

दस मिनट तक उसकी गाँड मारते रहे, अब वो हांफने लगे थे सो उन्होंने लण्ड निकल कर माधुरी को फिर पलट दिया ! माधुरी का चेहरा लाल हो गया था, वो शायद दर्द बर्दाश्त नहीं कर पायी थी और उसके चेहरे पर आश्चर्य का भाव था !

मुझे लगा या तो भैया माधुरी पर अपना गुस्सा निकल रहे थे, या फिर उनको मुझे चोदने का ख्याल आ रहा था और वो मेरे साथ की अधूरी चुदाई को पूरा कर रहे थे ! मुझे तो भैया ने अपना ये रूप दिखाकर पागल कर दिया था, ये भी तो हो सकता है कि उनको ये लग रहा हो कि मैं कहीं न कहीं से ये देख रही हूँ,इससे उनका जोश और बढ़ गया हो !

सच पूछो तो मुझे अपनी चुदाई से ज्यादा मज़ा भैया और माधुरी की चुदाई देख कर आया था ! अब भैया पसीने से लथपथ थे, माधुरी ने भी शायद पहले कभी भैया को नहीं झेला था, उसके चेहरे पर घबराहट थी ! भैया ने पूरे जोर से माधुरी को चोदना शुरू किया, माधुरी छटपटा रही थी, आगोश से निकलना चाहती थी,पर भैया की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी !

फच्चाक फच्चाक की आवाज़ जोर से आ रही थी, हर धक्के पर माधुरी की चीख बाहर आ जाती थी ! फिर एकाएक दोनों में गुथमगुथि होने लगी ! भैया झड़ रहे थे, झड़ते हुए पूरा लण्ड चूत में ठांस देते,और माधुरी का मुंह खुल जाता ! पूरा झड़ कर दोनों एक मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे, फिर भैया ने करवट लेते हुए लण्ड माधुरी की चूत से खींच लिया !

फौलादी लण्ड अभी भी झुका नहीं था, थोड़ा छोटा जरूर हो गया था और सिकुड़ भी गया था लेकिन चूत के पानी और वीर्य से लथपथ रौशनी में गज़ब का चमक रहा था !मेरे चूत से पानी छूटने ही वाला था कि माधुरी उठ के खड़ी हो गई, अपने पेटीकोट से चूत को पोछा,और जल्दी से साडी लुंगी की तरह बांध ली !

उसने पेटीकोट से भैया का लण्ड पोछना चाहा पर भैया ने उसे जल्दी जाने को बोला, और जाते जाते नीचे वाले गेट को ठीक से खींच के बंद कर देने को बोला, क्योंकि गेट अपने आप लॉक हो जाता था ! माधुरी ने जल्दी से ब्लाउज डाला, शॉल ओढ़ी और उसके अंदर ब्लाउज का हुक लगते हुए चली गई !

मैंने भाग के खिड़की से नीचे झाँका, दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई और माधुरी हाथ में पेटीकोट और मोबाइल उठाये नीचे दिखी ! बेचारा अनिल वहीँ उसका इंतज़ार कर रहा था ! मैं अब भैया के रूम में आ गई, नंगी तो मैं पहले से ही थी, लाइट बंद कर भैया के साथ लेट गई !

भैया बुरी तरह थक गए थे, तभी नीचे तक भी नहीं गए ! मैंने करवट लेकर एक पैर भैया के पेट पर रख दिया, भैया ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया ! अब मैं भैया के ऊपर लेटी थी, भैया को चूमते हुए मैंने “गुड नाईट” बोला !

भैया ने भी मुझे बोला और फिर बोले ‘सॉरी सोनू’ ! मैंने कहा भैया मैंने सब देखा, अच्छा लगा, मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगा ! मेरी तीन दिन में ऐसी हालत है की आपके बगैर ये एक घंटा मैंने बहुत मुश्किल में काटा, वो तो आप को ही देख रही थी, इसलिए ज्यादा बुरा नहीं लगा !

भैया आपसे रिक्वेस्ट है की आप इस दुखियारी की इच्छा समय समय पर पूरी करते रहें, मुझे बहुत अच्छा लगेगा और ये अनिल को भी इज़्ज़त देगी, उसका परिवार भी खुश रहेगा ! भैया भावुक हो गए थे, बोले अब तो तुम मेरी भी बीवी हो, जो भी आज्ञा दोगी, मैं वही करूँगा !

चूमते चूमते मेरी चूत से लगा की पानी छूटने वाला है, तभी भैया ने अपना सुस्त हो रहे लण्ड को मेरी चूत के दरवाज़े पर रखकर धक्का दे दिया ! इतनी देर तक चुदाई के बाद भी झड़े हुए लण्ड ने मेरी चीख निकल दी !

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भैया हल्का हल्का धक्का देकर अंदर करते रहे, लण्ड माधुरी की चुदाई के रस से सराबोर था इस लिए फिसल कर अंदर जा रहा था ! अचानक मेरी चूत ने पानी छोड़ा और गीलेपन की वज़ह से लण्ड पूरा ही अंदर घुस गया ! इस बार मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ, मीठा सा दर्द और गुदगुदी से चूत मस्त हो गयी थी ! मैं बिलकुल फंस कर भैया के ऊपर टेंट की तरह फिक्स हो गई थी ! कब नींद आ गई पता ही नहीं चला ! सुबह पूरा उजाला होने का एहसास हुआ, तो उठने की कोशिश की, पर अभी भी भैया का लण्ड पूरी तरह से मेरी चूत में भरा था !

मैंने धीरे धीरे निकलने की कोशिश की, भैया सोते हुए बहुत अच्छे लग रहे थे !हलके हलके आगे पीछे करते करते मैंने लगभग चुदाई का ही मज़ा ले लिया, जोश इतना आ गया की चूत ने पानी छोड दिया, फिसलन में लण्ड बाहर ! मैं फटाफट भैया पर चादर डालकर बाथरूम का रुख किया, काम बहुत बाकी था, रात को हमारी दिल्ली की ट्रैन थी भैया के साथ, सोच कर ही रोमांच से भर गयी ! दोस्तों कहानी अभी बाकि है आगे की चुदाई मैं अगले भाग में लिखूंगी.

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