Office Randi Fuck Hard
मैं और सुजीत बचपन के दोस्त है। पांचवी छठवी से ही हम साथ पढ़ते थे। कई बार तो हम एक दूसरे की किताब कापी बस्ता से भी काम चला लेते थे। फिर जब बड़े हुए तो एक दूसरे के कपड़े भी मिल बाटकर पहनने लगे। पर उस दिन मित्रों, हम दोनों दोंस्तों ने नही सोचा था कि कोई लड़की भी मिल बाटकर खाएंगे। मैं ,सुजीत और तृप्ति एक इंटरनेशनल काल सेन्टर में नौकरी कर रहे थे। Office Randi Fuck Hard
तृप्ति हमारे बैच की सबसे मॉडर्न, खूबसूरत और जिंदादिल लड़की थी। मेरा दोस्त सुजीत उसको पहली नजर में ही अपना दिल दे बैठा था। वो हमारी ट्रेनिंग के समय से ही तृप्ति के आगे पीछे घूमने लगा और आखिर अंत में ये कोर्टशिप रिश्ते में बदल गयी।
आपको बता दू की इससे पहले भी सुजीत ने कई लड़कियों को लाइन दी थी, कोई सोने की रिंग के लेकर गायब हो गयी, कोई महंगा मोबाइल लेकर छू मन्तर हो गयी। पर इस बार सुजीत ने फैसला किया कि लड़की पटनी है तो पटे पर कोई महंगा गिफ्ट नही देगा। बात बन गयी और तृप्ति उसकी गर्लफ्रेंड बन गयी।
हम कॉल सेंटर वालों को 5 दिन काम करना पडता था। 2 दिन का ऑफ़ मिलता था। जिसे हम लोग ज्यादातर सोने में बिताते थे। सुजीत ने जब तृप्ति की चूत ली तो बन्दे ने मुझे चिकेन खिलाया, बिअर पिलाई। इस तरह 1 साल गुजर गया।
इस 1 साल में सुजीत ने तृप्ति की सैकड़ों बार चूत ली। खूब जमकर रंडियों की तरह चोदा साली को। बदकिस्मती से जिस लड़की को मैंने पटाया था वो नौकरी छोड़ गयी। लड़की भी गयी और उसकी चूत भी। मैं परेशान दिखने लगा।
खाने पीने हर चीज का सुख था दोंस्तों बस 2 इंच का गड्ढा नही मिल रहा था। ऐसे में एक दिन मैंने अपने जिगरी दोस्त सुजीत से कह दिया। यार बड़े दिन हो गए है। तू तो जानता ही है कि मेरी माल भावना नौकरी छोड़ गयी। यार कहीं चूत मिलती तो जिंदगी का मज़ा आता! मैंने सुजीत से कहा.
ठीक है, मैं तेरे लिए बात करूँगा!! सुजीत बोला।
एक हफ्ते बाद उसका फ़ोन आया। उसकी मॉल तृप्ति मुजसे चुदने को तैयार थी। मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नही था। तृप्ति जैसी माल रोज रोज किसे मिलती है! मैंने कहा।
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मुझे आज भी अच्छी तरह याद मैं उस हफ्ते हम सबसे गाड़ फाडू काम किया था। अमेरिका के कंप्यूटर्स में कोई टेक्निकल खराबी आ गयी थी, इसलिये हर अमेरिकन हम इंडियंस को ही फोन कर रहे थे। हम उनकी एक्सेंट में ही उनसे बात करते थे। रोज की हम सभी 250, 300 काल लेते थे। तृप्ति को चोदने का प्लान शनिवार की रात को बना था।
मैं और सुजीत तृप्ति को उसी के फ्लैट में चोदेंगे, यही प्लान बना था, पर ठीक उल्टा हो गया। जादा काल की वजह से हम तीनों दोंस्तों को शनिवार की सुबह तक काम करना पड़ा। उसके बाद हमारी कैब हम सबको अपने अपने घरों पर छोड़ गयी। इस तरह दोंस्तों पूरा शनिवार निकल गया।
संडे की सुबह को ही हम रेडी हो पाए। मैंने अपनी बुलेट निकाली और सुजीत को लेकर तृप्ति के गुड़गांव वाले फ्लैट पर चला गया। मुझे ये भी लगता है कि काल सेंटर वालों पर बड़ा प्रेसर रहता है इसलिए हर लड़की लड़का चुदाई और शराब और सिगरेट का सहारा लेता है।
मैं अपने साथ बिअर का पूरा कंटेनर ले गया। कुछ बोतले व्हिस्की की कुछ रम भी रख ली। गुडगाँव की सबसे बढ़िया बात है कि कहीं भी किसी भी फ्लोर पर जाओ कोई रोक टोक नही। हम तीनों से पेग बनाये और गटागट गले से नीचे उतारे। तृप्ति को देखते ही मेरा असलहा खड़ा हो गया।
तृप्ति!! मीट माय फ्रेंड बलजीत!! सुजीत ने मेरा इंट्रो करवाया.
इसकी गिर्लफ्रेंड वो भावना थी, नौकरी छोड़ कर चली गयी!! इसलिए तुझे ही इसको चिल करना पड़ेगा!! सुजीत बोला।
तृप्ति मेरे पास आ गयी। उसने मेरी जीन्स के ऊपर से ही मेरे लण्ड को छु के देखना चाहा! फक में रियली हार्ड बलजीत!! तृप्ति ने मुझसे कहा।
हमारी चुदाई शूरु हो गयी। आज कितने दिन बाद हम तीनों को ऑफ़ मिला था। लग रहा था हम सब एक महीने से लगातार काम कर रहे थे। सच दोंस्तों, गुडगाँव, दिल्ली में तो वक़्त का पता ही नही चलता। तृप्ति फर्श पर अपने घुटने पर बैठ गयी। किसी हाई प्रोफाइल बिच की तरह मेरी जीन्स की बटन खोंलने लगी।
मुझे भी मजा आ रहा था। फिर उसने मेरा बड़ा सा मोम्बत्ता सा लण्ड निकाल लिया। और चूसने लगी। कभी मैं तृप्ति जैसी मस्त लड़की को लूंगा कभी नही सोचा था। सच में दोंस्तों, मैं सुजीत जैसे दोस्त को पाकर धन्य हो गया था। कौन अपनी गर्लफ्रेण्ड अपने दोस्त को खाने को दे देता है।
तृप्ति का फिगर बड़ा सेक्सी था। मैंने भी कहकर उसके कपड़े निकलवा दिए। भरी भरी नँगी छातियों को देखकर लगा कहीं मैं इसे चोदने से पहले कहीं आउट ना हो जाऊ। बड़ा कंट्रोल किया मैंने खुद को। उसकी छातियां कसी और नुकीली थी। मुझपर बिजली गिरा रही थी।
तृप्ति नँगी थी, मैं सोचने लगा की अगर लड़कियां नँगी इतनी सुंदर लगती है तो क्यों बेकार में हम उनको कपड़े पहनने को कहते है। उन्हें क्यों नही इस तरह नन्गा ही रहने देते। आपको बता दूँ की भले ही तृप्ति महीने के 30 हजार कमाती थी पर ब्यूटी पार्लर में ही 10 15 हजार महीना उड़ा देती थी। बंदी बड़ी टिप टॉप रहती थी।
हर हफ्ते फेसिअल, मसाज, और बालों में ना जाने क्या क्या ट्रीटमेंट करवाती थी। इसलिए इस लड़की को चोदना मेरे लिए खास बात थी। तृप्ति ने अपनी चूत के ठीक ऊपर एक तितली बनवायी थी जबकि पीछे दोनों बम के बीचों बीच एक खरगोश बनवाया था। टैटू बनवाते समय उसे काफी खून भी निकला था।
मैं सोचने लगा की चलो एक मॉडर्न टैटू वाली लौण्डिया को भी चोदने को मिल जायेगा। तृप्ति का गोल दुधिया चेहरा और उस पर मेरा कश्मीरी बड़ा सा लण्ड सोने पर सुहागा लग रहा था। जब वो मजे से मेरा सामान चूसने लगी तो मैं भी खुल गया।
इसी समय सुजीत से साउंड पर ढिशूम के गाने लगा दिए। अब तो मुझे ढिसुम ढिसुम करके तृप्ति को चोदना पड़ेगा। मैंने सोचा। तृप्ति मेरे लण्ड को हाथ में लेती, ये लम्बा खीरे जैसा लण्ड पाकर वो भी खिल गयी थी। दोनों हाथों से मेरे खीरे जैसे लण्ड को फेट रही थी। खुद ही अपने चेहरे पर प्यार भरी थपकी लण्ड से देती थी तो बड़ा मजा आता था।
फिर मुँह भर भरके चूसती थी। मेरी पुरानी गर्लफ्रेंड लण्ड चुसने में इतनी एक्सपर्ट नही थी। पर ये मोडर्न ख़यालात वाली लड़की तृप्ति तो बड़ी आगे है इसमें मैंने सोचा। मैंने उसके लंबे काले बालों से खेलने लगे, बालों को ऊँगली में लेकर गोल गोल घुमाने लगा।
सच में फ्रेंड्स कभी कभी सोचता हूँ की अगर लड़कियां हमारी जिंदगी में ना होती तो क्या होता। क्या हम लड़के अपनी छुट्टी वाले दिन खुलकर एन्जॉय कर पाते। गॉड ने लड़कियाँ बनाकर सबसे अच्छा काम किया है। मैंने जाना। तृप्ति का मक्खन जैसा चिकना बदन। मेन्टेन फिगर।
मैं सोचने लगा कि मेरा दोस्त सुजीत कितना लकी है। कितनी मस्त लौण्डिया पटी है जो खूब खुल कर पेलवाती है। कितने आधुनिक खयालों की लड़की है। तृप्ति मेरे लण्ड को फेट फेट कर चूस रही थी। मैं उसके बालों को घुमा घुमाकर खेल रहा था। जबकि सुजीत लैपटॉप लेकर बैठ गया था।
आ ना भाई!! तू भी आ! ऐसे अकेले अकेले मजा नही आ रहा! मैंने सुजीत से कहा.
वो भी कपड़े उतार कर आ गया। तृप्ति ने मेरे लण्ड को पीना छोड़ दिया। अब उसके लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी। जबकि उसका एक हाथ मेरे ही लण्ड पर था। यही तो खूबी होती है एक होशियार लड़की की जो एक समय में 2 ,3 लँडों से एक साथ खेले।
मैंने विचार किया। तृप्ति किसी हाई प्रोफाइल काल गर्ल की तरह सुजीत का लण्ड चूसती, फिर छोड़ती, मेरा लण्ड अपने मुँह में लेती, चूसती, फाई सुजीत का लेती। मजा आ गया दोंस्तों, मैं सोचने लगा जब केवल लण्ड चुस्वाने में इतना मजा आया है तो इस हाइ प्रोफाइल लड़की को चोदने में कितना आनंद आएगा।
हम दोनों ने एक मैट्रेस खीच ली, तृप्ति को उसी पर लिटा दिया। देखा हल्की हल्की आधी इंची झांटे थी।
देख बलजीत! ये बुर पर उड़ती हुई तितली तृप्ति ने पिछले क्रिसम्स में कनॉट प्लेस से बनवायी था! सुजीत ने मुझे टैटू दिखाया।
बॉप रे!! कितना सूंदर है!! मैंने प्रतिक्रिया दी, फ्रेंड्स लग रहा था तितली जिन्दा है, बस अभी उड़ जाएगी।
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मैं सोचने लगा की अब जमाना कितना मॉडर्न हो गया है। बिना टैटू के तो कोई दिखता ही नही है। टैटू आर्टिस्ट ने तृप्ति को पूरा नन्गा करके उसकी बुर के ऊपर टैटू बनाया था, सायद फ़ीस कम कर दी थी जब तृप्ति ने उसे खुद को चोदने दिया था। कितना किस्मत वाला था वो टैटू आर्टिस्ट! इतनी मस्त लौण्डिया को चोदने को मिला उसे। मैंने सोचा।
भाई, इसका टैटू साफ साफ नही दिख रहा है। मुझे इसकी झांटे बनाने का मौका दो! मैंने सुजीत से कहा।
तृप्ति हँस पड़ी। उसने अपनी शेविंग किट लाकर दी। मैंने अपने हाथों से उसकी झांटे बनाने का सुख लिया। बड़े प्यार ने उसके भोंसड़े पर शेवर चलाया। अब वो तितली जादा जीवंत हो उठी। बिलकुल नयी। लगा कहीं उड़ ना जाए।
भाई!! तृप्ति को साथ में लेते है!! बोल क्या प्लान है! मैंने ललचाते हुए अपने भाई सुजीत से कहा.
ठीक है!! ठीक है!! जैसा तू कहे! सुजीत बोला।
तृप्ति को हम दोनों दोंस्तों ने मैट्रेस पर लिटा दिया। सुजीत उसके सिरहाने चला गया। उसने तृप्ति के मुँह में लण्ड दे दिया। तृप्ति मजे से चूसने लगी। जब मैं उसकी तितिली को छू कर देखने लगा। उसे चूमने चाटने लगा। धीरे धीरे हम तीनों लय में आने लगे।
तृप्ति किसी होशियार हाई प्रोफाइल काल गर्ल की तरह अपने मुँह से सुजीत का लण्ड चूसने लगी। शेव करने के बाद उसकी चूत बड़ी गोरी सफ़ेद निकल आयी। वही मैंने उसके साफ सफाचट भोंसड़े को पिया और उसमें लण्ड डाल दिया। मैं भी उसको चोदने लगा।
तृप्ति ने दोनों पैर पूरे खोल दिए। एक तरह जहाँ मुझसे चुदवा रही थी, वहीँ दूसरी ओर अपने मुँह से सुजीत के लण्ड चूस रही थी। मैं सोचने लगा की चाहे कोई लौण्डिया कितनी पढ़ी लिखी ना हो, चाहे कितनी भी मॉडर्न क्यों ना हो पर रात आने पर एक लड़के की टांग के नीचे आ ही जाती है और खूब चुदवाती है।
बिना लड़कों के लड़कियाँ आखिर किस्से पेलवाती। क्या बैगन मूली से ही काम चलाती। आखिर कौन इनको ठोकता, कौन इनका भोसड़ा फाड़ता। तृप्ति को इस तरह दो दो लण्ड की सेवा लेते मैंने सोचा की जितनी गर्ज हम लड़कों की होती है, ठीक उतनी गर्ज इन लड़कियों की भी होती है।
मैंने रफ्तार पकड़ी, तृप्ति को कस कस के हौकने लगा। बड़ा गुद्देदार भोसड़ा था दोंस्तों। मैं चोदते चोदते तितिली पर हाथ सहलाता था। मैंने आँखे बन्द करके तृप्ति को हौकने लगा। काफी देर तक उसे हौका। फिर मैंने उसे पेलते पेलते ही अपनी उँगलियों से उसकी गुझिया खोल दी और चोदता रहा।
आह बड़ी नशीली रगड़ थी। जब मैंने रफ्तार पकड़ ली और जल्दी जल्दी तृप्ति को चोदने लगा तो उधर सुजीत भी जल्दी जल्दी तृप्ति के मुँह को चोदने लगा। हम दोनों का यही प्रयास था कि उसे जादा से ज्यादा एक ही समय में लिया जाए। इसको ही तो थ्रीसम कहते है।
फ्रेंड्स जब हम दोनों दोंस्तों ने रफ्तार पकड़ी और जल्दी जल्दी तृप्ति को दो तरफ से चोदने लगे तो उसकी दुधिया छातियां भी जल्दी जल्दी ऊपर नीचे उछलने लगी। लगा की उसके चूत के समुंदर में ज्वार भाटा आ गया हो। उसकी छतियों को इस तरह ऊपर नीचे हिलना उछलना तो बड़ा कातिलाना था।
मेरा मजबूर लण्ड उसकी मजबूत चूत को अच्छे से भांज रहा था, अच्छे से मथ और चोद रहा था। मैंने तृप्ति को काफी देर तक लिया। अब सुजीत की बारी थी। सुजीत ने उसे उठा दिया। उसकी कंप्यूटर चेयर को ले आया। इस चेयर की खास बात थी की जिधर मन करे घुमा लो।
सुजीत ने तृप्ति को कंप्यूटर चेयर पर बैठा दिया। उसके पैर खोले। तृप्ति का भोसड़ा बिलकुल सुजीत के लण्ड के आगे था। इस तरह सुजीत बड़ी कम जगह में मात्र एक कंप्यूटर चेयर पर तृप्ति को चोदने लगा। बीच बीच में हम खेल करते हुए चेयर को गोल घुमा देते।
चेयर पर बैठी नँगी तृप्ति एक राउंड घूम कर फिर हम लोगो के सामने आ जाती। चेयर में नीचे पहिए लगे थे, जिधर दिल करे घुमा लो। सुजीत फिर से तृप्ति को लेने लगा। फिर हो हटा तो मैं तृप्ति को हौकने लगा। बिच एक साथ दो दो कॉक का मजा ले रही थी। कभी सोचा नही था कि एक छोटी सी कुर्सी पर किसी लड़की को बैठाके चोदा भी जा सकता है।
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कुर्सी पर तृप्ति का भोसड़ा बिलकुल खुल कर उभर आया था। खूब गहरी मार कर रहा था मैं। लग रहा था मेरा लण्ड नही कोई मशीन है। मैंने बिच को चोद चोदकर उसके बुर का आटा घूंथ दिया था। मैं थोड़ा वाइल्ड हो गया तो जोर जोर से तृप्ति बिच के मम्मो को हथेली से चांटे मारने लगा। उसने कुछ नही कहा। मैं काफी जोर जोर से तृप्ति की छातियों को चांटा मार रहा था, दोनों मम्मे लाल हो गये। तृप्ति के गाल पर भी मैंने कई छप्पड़ लगा दिए और वहशियों की तरह उसे कूटता रहा। फिर बड़ी देर बाद मैंने लण्ड निकाला और उसकी बुर पर ही अपना माल छोड़ दिया।
अब सुजीत मोर्चे पर आ गया। इस तरह बड़ी ही कम जगह में तृप्ति को लेना खास अनुभव था। सुजीत ने गोल गोल घूमने वाली कंप्यूटर चेयर पर ही तृप्ति को बड़े जुगाड़ से कुतिया बनाया और उसकी गाण्ड मारने लगा। मैं चेयर के दूसरी ओर चला गया जहाँ तृप्ति का मुँह था। मैंने अपना एक बार झड़ झुका लण्ड उसके मुँह में दे दिया। वो चूसने लगी। सुजीत बिच की गाण्ड मजे से मारने लगा। दोंस्तों, उस सन्डे यही खेल चला। कंप्यूटर चेयर पर ही तृप्ति को बैठाके और गोल गोल घुमाके हम दोनों जिगरी दोंस्तों ने उसकी चूत और गाण्ड मारी। हम दोनों ने उसके मुंह को भी ख़ूब चोदा।