Sexy Fantasy
नमस्कार दोस्तों, मैं आपका दोस्त जवाहर अपनी कहानी का अगला भाग लेकर आप सब के सामने हाजिर हूँ, दोस्तों आपने कहानी के पिछले भाग “विधवा मौसी चोदने बाद उनकी बेटी को भी चोदा 1” में आपने पढ़ा होगा की कैसे मेरी विधवा कामुक मौसी ने मुझसे चुदवाया और फिर अपनी बेटी गरिमा को भी पेलने को कहा. और मैं गरिमा को चुदवाने के लिए गरम करने लगा. अब आगे- Sexy Fantasy
“हाये भैया हाये मेरे प्यारे भैया और और हाये बहुत मज़ा है पिलाने मे, पियो सारा रस पी जाओ.”
10 मिनट तक दोनो निपल चूसे फिर मुँह अलग कर उसकी बगल मे लेट गया. थोड़ी देर मस्ती की लौ मे रहने के बाद उसने आँखे खोल मुझे देखा और मुस्कराते हुए बोली, “शुक्रिया भैया.”
“मज़ा आया ना?”
“बहुत हाये आपको मज़ा आया मेरे मम्मों का रस पीने मे?”
“अरे यार तुझे मालूम नही कि जब बच्चा होता है तभी इनमे रस होता है.”
“ओह्ह भैया मुझे नही पता था. तो क्या आपको मज़ा नही आया?”
“अरे यार मुझे तो बहुत मज़ा आया, मैं तो रस के बारे मे बता रहा था, हां अभी तुम्हारी चूत मे रस ज़रूर होता है, अगर तुम मुझे अपनी चूत का रस पिला दो तो मुझे मज़ा आ जाए.”
वह मुझे देखने लगी फिर चुप हो गयी और कुछ सोचने लगी. कुछ देर बाद उसने मुझे देखा और मुस्काराकार बोली, “ठीक है भैया आप आज अपनी बहन की चूत चाट कर दिखाइए उसमे कितना मज़ा है.”
मैं खुश हो गया और उसे चूम नीचे उसकी कमर के पास गया. फिर धीरे धीरे उसकी पैंटी को उतारने लगा. उसने चूतड़ उठा पैंटी अलग करवाई तो उसकी चूत देख मस्त हो गया. एकदम चिकनी लग रही थी. शायद अभी क्रीम से थोड़े बहुत रोएँ भी साफ कर आई थी. मैंने उसे बेड पर टेक लगा बिठाया और उसकी गाँड के नीचे तकिया रख दिया जिससे उसकी चूत उभर आई. फिर उसकी टाँगो के बीच लेटा और उसकी चूत के दोनो फाँक उंगली से खोल देख कर मुस्काराया तो वह भी मुस्करा दी.
“भैया क्या देख रहे हो?”
“देख रहा हूँ कितनी प्यारी है हाये इसको तो बस चाटने का मन कर रहा है.” “तो चाटिये ना भैया अब किस बात की देर है? लो चाटो.”
उसने अपनी कमर उचकाई तो मैंने उसकी चूत पर हाथ फिराया. चूत पर हाथ रखते ही मेरे बदन मे सनसनी दौड़ गयी. वह भी मचल सी गयी. उसके मुँह से एक आह निकल गयी. मैं उसकी चूत को हाथ लगा मस्त हो गया. मौसी की चूत से कहीं ज़्यादा खूबसूरत चूत थी गरिमा की. मन तो कर रहा था कि हाथ रखे चूत को देखता रहूं.
गरिमा की चूत को 4-5 बार सहलाया तो वह बोली, “भैया अच्छा लग रहा है.”
“हाये बहुत प्यारी चूत है, हाये छोटी सी फाँक वाली गुलाबी गुलाबी.” और फिर उंगली से दोनो फाँक खोलकर देखा तो छेद देख बोला, “और दोनो फाँक कितने मस्त है और हाये कितना प्यारा छेद है, हाये गरिमा मेरी जान ऐसी चूत तो बस रात भर चाटने के लिए होती है.”
“भैया हाये आपकी बहन आपके सामने ऐसे ही चूत खोले लेटी है और आप चाट क्यों नही रहे?”
“चाटूंगा चाटूंगा यार हाये देखने से ही इतना मज़ा आ रहा है.”
फिर चेहरे को उसकी चूत पर झुकाया और नाक को उसकी चूत पर सूँघता हुआ बोला, “हाये आहह कितनी प्यारी, नशीली खुश्बू आ रही है तेरी चूत से, आहह हाये तुम्हारी पैंटी की खुश्बू से ज़्यादा मस्त खुश्बू चूत मे है.”
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वह मुझे अपनी चूत की खुश्बू सूंघते देख खुश हो गयी और मेरे सर पर हाथ लगा धीरे से बोली, “ओह भैया हाये आप कितने अच्छे हैं, आप अपनी बहन को कितना प्यार करते हैं हाये और प्यार करिए अपनी बहन को आपकी बहन अब आपकी दीवानी हो गयी है.”
कुछ देर तक चूत की खुश्बू लेने के बाद उसकी चूत को चूमा तो वह एकदम से फडक गयी और उसकी गाँड तकिये से उछल गयी और वह मेरा सर अपनी चूत पर दबाते हाये हाये करती बोली, “ओह्ह हाये आहह ब्ब्भ्ह्ह्हाऐज्जाआन उुउऊहह भैया हां हां और और ऐसे ही करिए हाये बहुत अच्छा.”
फिर दो तीन बार चूमने के बाद जीभ निकाली और उसकी रानो को चाटा फिर जीभ को उसके दोनो फांको पर ऊपर नीचे तक चला चला 4-5 मिनट चाटा. वह इतने मे ही एकदम पागल सी हो गयी थी. दोनो फांकों को चाट चाट्कर थूक से भिगोने के बाद उसको देखने लगा. चूत से ज़ुबान हटी तो उसने आँखे खोल मुझे देखा फिर मुस्कराती बोली, “भैया बहुत अच्छा लगा.”
“अभी चाटूँगा तो और अच्छा लगेगा.”
“हाये भैया अभी चाटा नही क्या?”
“कहाँ मेरी जान अभी तो ऊपर से मज़ा लिया है.” और चूत की फाँक मे उंगली चलाई.
वह अपने पैर कसकर फैलाती बोली, “हाये आह आज तो मज़े से पागल हो जाऊँगी, भैया इसमे तो मम्मे चुसवाने से ज़्यादा मज़ा है.”
फिर मैंने उसकी फांको मे अपनी ज़ुबान ऊपर से नीचे चलाई और उसके क्लिट को ज़ुबान से चाटा. क्लिट को ज़बान लगते ही वह एकदम बेहोश सी हो गयी थी. क्लिट को चाटने के साथ ही उसके छेद मे ज़ुबान डाल डाल पूरी चूत को चूस कर चाटने लगा. अब वह मज़े से भारी चुतड़ को ऊपर की ओर उछाल सिसकती हुई हाये हाये कर रही थी.
फिर हाथ ऊपर कर उसकी दोनो मम्मों को पकड़ दबा दबा चाटने लगा. 8-10 मिनट इसी तरह चाटा कि वह एक तेज़ सिसकारी ले हाये भैया बोलती झडने लगी. मुँह पर उसकी चूत का नमकीन पानी लगा तो मुँह चूत से हटा उसकी चूत को देखने लगा. चूत से धीरे धीरे नमकीन पानी रिस रहा था.
झड़ती चूत बहुत प्यारी लग रही थी. मैं अभी भी उसके मम्मों को पकड़े था और उसकी चूत को भी होंठो से कभी कभी मसल देता था. कुछ देर बाद वह जब नॉर्मल हुई तो मुझे देख मुस्काराई और मेरे चेहरे को पकड़ ऊपर की ओर किया. मैं उसके पास गया तो वह मेरे होंठो को चूम कर बोली, “भैया यह कैसा मज़ा दिया आपने, मैं तो आसमान पर उड़ रही हूँ.”
“मज़ा आया ना चट्वाने मे?”
“हां भैया यह तो सबसे हसीन मज़ा था. मम्मों से ज़्यादा मज़ा चूत मे है.”
“हां गरिमा इसीलिए तो कह रहा था, मुझे भी बहुत मज़ा आया, देखो मेरा लंड कैसा कड़क हो रहा है, हाये अब इसका पानी भी निकालना पड़ेगा वरना यह मुझे सारी रात सोने नही देगा.”
वह यह सुन मुझे देखने लगी. फिर धीरे से मुस्कराई और बोली, “भैया जैसे दिन मे आपका पानी निकला था वैसे ही मेरा भी पानी निकला था अभी.”
“हां जब मज़ा आता है तो पानी निकलता है और यही पानी निकलने पर ही असली मज़ा आता है, मैंने तुम्हारा पानी चाट कर निकाला है अब अपना पानी निकालूँगा तो मुझे भी मज़ा आएगा.”
“आप अपना पानी कैसे निकलेंगे?”
“कई तरीके होते है. जैसे मैं अपने हाथ से अपना पानी निकालु या तुम अपने हाथ से निकाल दो या तुम अपने मुँह मे लेकर चाटकर भी निकाल सकती हो और सबसे प्यारा तरीका है कि तुम्हारी चूत मे इसे डालकर निकालु. सबसे ज़्यादा मज़ा इसी मे आता है.”
“हाये भैया कैसे?”
“इसमे तुम्हारा पानी भी निकल जाएगा और मेरा पानी तुम्हारी चूत मे निकलेगा तो तुमको बहुत मज़ा आएगा. बोलो निकालें इस तरह से?”
“हाये नही भैया मुझे डर लगता है.”
“ओह्ह तो कोई बात नही मैं अपना पानी खुद निकालूँगा.”
फिर अपना अंडरवियर उतार उसकी बगल मे लेटा और उसे देखते हुए मूठ मारने लगा. वह कुछ देर बाद बोली, “भैया मैं कर दूं?”
“हाये करो ना बहुत मज़ा आएगा तुम्हारे हाथ से.”
तब वह उठी और मेरे लंड को पकड़ लिया फिर धीरे धीरे हाथ ऊपर नीचे करने लगी. उसके हाथ मे लंड जाते ही मज़ा बढ़ा. 5-6 बार सहलाया तो मैं बोला, “हाये गरिमा अगर तुम इसे अपने मुँह मे लेकर देखो तो मज़ा आ जाएगा तुमको. लंड चाटने मे लड़कियों को बहुत मज़ा आता है.”
मेरी बात सुन उसने मुझे देखा. वह हिचकिचा रही थी. फिर उसने मुस्काराकार अपने चेहरे को मेरे लंड पर झुकाया और होंठो को सुपाड़े के पास लाई. कुछ देर तक रुकी फिर अपनी गरम ज़बान निकाल सुपाड़े पर लगाया और फिर मुझे देखा. वह कुछ शरमाने सी लगी तो मैं उसकी हिम्मत बढ़ाता बोला, “क्या हुआ गरिमा लो ना मुँह मे. लो बहुत मज़ा आता है चाटने मे. अगर अच्छा ना लगे तो मत चाटना. अरे कोई ज़बरदस्ती नही है मैं तो तुम्हारा भाई ही हूँ कोई बाहर वाला या तुम्हारा पति नही जो बुरा मानूं.”
तब उसने मुँह खोला और सुपाडे को अंदर लिया. फिर उसने केवल सुपाडे को तीन चार बाद अंदर बाहर किया और शायद उसे अच्छा लगा था क्योंकि उसके बाद उसने अपनी ज़बान बाहर निकाली और पुर लंड को चारो ओर से ज़बान लगा लगा चाटने लगी.मे मस्त हो गया और आहह हाये करने लगा. कुछ देर तक उसने लंड को ज़बान से ही चाटा.
फिर उसने लंड को अपने मुँह मे लिया और कसकर चूसने लगी. अब तो मैं समझ गया कि अब घर मे जन्नत हो गयी है. वह अपना मुँह तेज़ी से लंड पर ऊपर नीचे चलाती चाट रही थी. मैंने उसके सर को पकड़ा और अपनी गाँड उछाल उछाल उसके मुँह को ही चोद्ने लगा. वह भी तेज़ी से चाट रही थी.
10 मिनट बाद मे हांफता सा बोला, “हाहह बस… बस कर गरिमा अब निकाल दे अपने मुँह से बाहर अब झडने वाला है. आहह हाये मैं गया.”
फिर उसने लंड को मुँह से बाहर किया और देखने लगी. मेरे लंड ने दो चार झटके लिए और फ़च से झड़ने लगा. वह बहुत गौर से देख रही थी. मैं लेटा था इसलिए सारा पानी मेरे ऊपर ही गिर गया. दो मिनट बाद लंड एकदम लूज हो गया और वह भी नॉर्मल हुई. तब मैंने उसकी पैंटी से अपना लंड और पानी को पोंछा और पैंटी को अपने बेड के नीचे डाल दिया.
मैं मौसी की बात सोच रहा था कि गरिमा का कोई कपड़ा अपने रूम मे मौसी को मिले तो वह उसे फँसाए. फिर गरिमा को अपनी बाँहों मे भर लिया और अपने ऊपर लिटा लिया. वह मेरे ऊपर थी और उसके मम्मे मेरे सीने से दब रही थी और चूत लंड के ज़रा ऊपर पेट पर थी. मैं उसके दोनो गुदाज़ चूतड़ पर हाथ लगा सहलाता हुआ उससे बातें कर रहा था.
“गरिमा मेरी बहन कैसा लगा लंड चाटने?”
“भैया….”
“आए शरमा मत बता ना अपने भैया का लंड कैसा लगा? अगर अच्छा नही लगा तो फिर नही कहूँगा चाटने को.”
“नही नही भैया.”
“क्या नही नही?”
“व्व वो मेरा मतलब है भैया बहुत अच्छा लगा चाटने मे. भैया प्लीज़ अब मैं रोज़ रात को आपके साथ ही लेटुंगी. आप प्लीज़ रोज़ मेरी चूत को चाटियेगा और मैं आपका लंड.”
“ठीक है जान तुम्हारा हर तरह से मैं ख्याल रखूँगा. अब बताओ क्या इरादा है?”
“भैया जो आप चाहें.”
“मैं तो तुमको अभी खूब मज़ा देना चाहता हूँ. बोलो लोगी मज़ा?”
“जी भैया बिल्कुल बोलिए क्या करेंगे?”
“अब तुम्हारी चूत को अपनी उंगली से चोद्कर तुमको मज़ा दूँगा.”
“हाये भैया उंगली से कैसा लगता है?”
“उंगली से भी मज़ा आता है. तुमको लगेगा कि कोई तुम्हारी चूत को चोद रहा है.”
“हाये भैया कोई कौन, मेरे भैया क्यों नही?”
“हाये तुम मेरा लंड अपने अंदर लो तो ऐसा ही कहता.”
“मुझे डर लगता है भैया प्लीज़ आप उंगली से करिए.”
तब उसे एक कुर्सी पर बिठाया और उसके सामने बैठ उसकी चूत को खोल ज़ुबान लगा चाटने लगा. वह अपने पैरों को मेरे कंधों पर रखे थी. मैंने कुछ देर तक चूत को चाटा फिर एक उंगली को उसकी चूत मे कच से पेल दिया. उसके मुँह से हाये निकला. फिर उंगली को अंदर बाहर कर गरिमा की चूत को फिंगर फक करने लगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उसे मज़ा मिला और वह चूत को उचका उंगली से चुद्वाती रही. मैं एक हाथ से उसके मम्मों को दबा दबा उसे फिंगर फक कर रहा था. इस बार वह पहले से भी ज़्यादा झड़ी. जब वह झड़ रही थी तो उसने मेरी उंगली को अपनी चूत मे ही दबा लिया और होंठो को कसे झड़ती रही. उसने टाँगो को मेरी गर्देन पर कस रखा था और मैं उसकी रानो को चाट रहा था. उसकी गाँड बहुत तेज़ी से झटके ले रही थी.
जब वह झड़ कर नॉर्मल हुई तो उसने आँखे खोल मुझे देखा. मैं भी उसे ही देख रहा था. उसने मुस्कराते हुए अपने पैर मेरे कंधे से हटाए और रानो को चौड़ा किया तो मैंने अपनी उंगली उसकी चूत से बाहर निकाली. वह उसकी चूत के रस से सराबोर थी. मैंने उंगली उसे दिखाई फिर अपने मुँह मे ले अपनी उंगली चाट ली और बोला, “हम्म क्या मज़ेदार रस है मेरी बहन का.”
वह यह देख मुस्काराई और बोली, “भैया मुझे भी चटाओ रस.”
तब मैंने उसकी चूत मे उंगली डाल घुमाया और फिर उंगली निकाल उसके मुँह के पास कि तो उसने मेरी उंगली मुँह मे ले चूसी और बोली, “हां भैया बहुत प्यारा टेस्ट है.”
फिर मैंने उसे गोद मे उठाया और बाथरूम मे गया. फिर उसकी चूत और अपना लंड धोकर साफ किया और वापस आया. मैं बेड पर लेटा तो वह मेरी बगल मे लेट मुझसे चिपकती मेरे होंठो को चूम बोली, “भैया आप बहुत अच्छे हैं.”
“तू भी बहुत अच्छी है मेरी जान.”
“भैया अब मैं अपने रूम मे जाती हूँ.”
“हाये अभी तो 2 बजे है अभी और रूको ना.”
“भैया आज नही. कल फिर आऊँगी.”
“कल दिन मे तो तुम कॉलेज जाओगी ना?”
“जी तभी तो अभी जा रही हूँ. भैया कल पूरी रात अपने भैया के पास रहूंगी.”
“सच?”
“और क्या मैं अपने भैया से झूठ बोलूँगी? भैया कल आपकी बहन रात भर आपके बेड पर आपकी बाँहों मे रहेगी.”
“रात भर बिना कड़ों के पूरी नंगी अपने नंगे भैया की बाँहों मे रहना होगा और लंड को चाट कर चूत चटवानी होगी?”
“जी भैया जो जी मे आए करिएगा पर अब आज नही, कल.”
“ओके.”
फिर उसे अपने से अलग किया तो उसने अपना कुर्ता पहना और ब्रा लेकर पैंटी उठाने लगी तो मैं बोला, “इसे छोड़ दो यही हाये रात भर यह तुम्हारी याद दिलाएगी.”
वह मुस्काराई फिर बिना पैंटी पहने नीचे से नंगी अपनी गाँड मुझे दिखाती दरवाज़े तक गयी और पलट कर मुझे देखा और मुस्काराकार मुझे देखा और दरवाज़ा खोला और फिर बाहर देखा फिर चुपके से निकल गयी. अगले दिन सुबह मैं देर से उठा. गरिमा कॉलेज जा चुकी थी. मैंने फ्रेश होकर नाश्ता किया. कुछ देर बाद मौसी आई और मुस्कराकर बोली, “क्यों बेटा खूब मज़ा लिया रात भर नये माल का?”
“मौसी आप भी.”
“मैंने उसे तुम्हारे रूम मे जाते और वापस आते देखा था.”
“जी मौसी पर चोदा नही है.”
“क्या क्या किया?”
“अभी मम्मों को चूस कर चूत को चाटा और उंगली से चोदा है.”
“अपना माल दिखाया या नही?”
“दिखाया अरे मौसी अपना उसके मुँह मे दे दिया है.”
“अरे तुम दोनो तो एक दिन मे ही बहुत आगे तक जा चुके हो.”
“हां मौसी अब आप उसे चुद्वा दीजिए. वह चुद जाएगी, कह रही थी कि उसे शरम आती है. ओह्ह मौसी उसकी चूत इतनी प्यारी है कि क्या बताऊ.”
“अरे बेटा 15 साल का कसा माल है, अनछुआ भी है. मज़ा तो आएगा ही. आज ही कोशिश करूँगी तेरा काम बनाने की.”
“मौसी उसकी पैंटी मेरे रूम मे है.”
“बस बन गया काम, तू पैंटी मेरे रूम मे रख दे.”
मैंने पैंटी मौसी के रूम मे रख दी और यूनिवर्सिटी चला गया.
दिन मे जब गरिमा वापस आई तो मौसी ने उसे बुलाया और उसे घूरने लगी. वह डर गयी और चुप रही. मौसी ने उसे घूरने के बाद कहा, “गरिमा.”
“ज्जजई मम्मी.”
“यह तुम्हारी है ना?” मम्मी ने उसकी काली पैंटी उसे दिखाते कहा.
वह पैंटी देख घबरा गयी और हकलाने लगी. तब मौसी ने उसका हाथ पकड़ा और अपने रूम मे ला उसे बैठा खुद उसके पास बैठती बोली, “बेटी यह तेरे भाई के रूम से मिली है.”
“मम्मी मुझे नही पता वहाँ कैसे गयी.”
“ऐसा तो नही तुम गयी हो भाई के रूम मे?”
“न्न्न नही मम्मी.”
“ओह्ह मुझे लगता है तुम्हारा भाई ही इसे ले गया होगा अपने रूम मे. मुझे लगता है वह छुप छुप कर तुमको देखता भी है.”
“ज्ज्ज मम्मी.”
“बेचारा वह भी क्या करे तू है ही इतनी खूबसूरत की कोई भी लड़का तुमको देखना चाहेगा.”
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वह शरमाई तो मम्मी ने आगे कहा, “क्यों बेटी कॉलेज मे लड़के तुमको देखते होंगे.” वह फिर शरमाई तो मौसी ने उसका चेहरा पकड़ कहा, “अरे बेटी शरमा नही, मैं तुम्हारी सहेली भी हूँ, मैं ही तुमको सब कुछ समझाउंगी बताओ?”
“ज्जई मम्मी लड़के देखते तो है.”
“कुछ कहते या करते तो नही?”
“नही मम्मी मैं किसी से बात नही करती और ना ही देखती हूँ पर..”
“पर क्या?”
“वह लड़के उल्टा सीधा बोलते रहते हैं.”
“क्या कहते हैं?”
“जी यही कि कितनी खोबसूरत है और इसका माल कितना कसा है.”
“बहुत बुरे होते हैं वह लड़के, बेटी तुम कभी उनके चक्कर मे मत आना, जानती हो ऐसे लड़के लड़कियों को अपने जाल मे फँसाकर उनकी इज़्ज़त से खेलते हैं.”
“जी मम्मी.”
“बेटी तुम जवान हो और जवानी मे हर लड़की चाहती है कि कोई उसे खूब प्यार करे. अगर तुम्हारा मन करे तो तुम मुझे बताना.”
“ज्जजई.”
“हां बेटी, इस उमर मे ऐसा होता है यह कोई ग़लत बात नही. लेकिन बाहर के लड़के लड़कियों को बर्बाद कर देते है. बेटा तुम्हारा भाई तुमको बहुत प्यार करता है. वह तुमको छुप कर देखता भी है. तुम उसे ही दिखाओ ना अपना कसा माल.”
“मम्मी.”
“हां बेटी मैं सही कह रही हूँ, इस उमर मे अगर कोई लड़का लड़की को प्यार करता है तो उसे बहुत मज़ा आता है. अगर इस वक़्त कोई लड़का तुमको प्यार करे तो तुमको लगेगा कि तुम जन्नत मे हो. तुम रात मे अकेले सोती हो अगर कोई लड़का तुम्हारे साथ सोए तो तुम बहुत खुश होगी. इसीलिए कह रही हूँ कि बाहर के लड़को के साथ कभी मत मिलना जुलना.”
“जी मम्मी नही मिलूंगी.”
“तुम्हारा मन करता हो कि कोई लड़का तुम्हारे साथ सोए तो तुम अपने भाई को अपना कसा माल दिखाओ और अगर वह तुमको प्यार करेगा तो कोई डर नही होगा. इसमे बदनामी भी नही होती और कोई जान भी नही पाता.”
गरिमा मन मे बहुत खुश थी. मौसी तो उसके मन की बात कर रही थी. वह शरमाने की एक्टिंग करती बोली,
“मम्मी हाये नही.”
“जा अपनी कोई पुरानी छोटी कुरती पहन आ जिससे तुम्हारे ये दोनो कम से कम आधे बाहर निकल आए और अंदर ब्रा नही पहनना और नीचे मियानी फटी रखना जिससे तुम्हारे भाई को सब कुछ दिखे.”
“मम्मी! हाये नही भाई क्या सोचेगा?”
“पगली देख तू अगर घर से बाहर किसी के चक्कर मे पड़ी तो तेरे भाई की कितनी बदनामी होगी, इसीलिए कह रही हूँ. कोई बात नही देखो बेटी मुझसे मत शरमाओ. अगर तुम्हारा मन करता है कि कोई लड़का तुमको प्यार करे तुमको चाहे तो मुझे बताओ मैं घर पर ही तुम्हारे लिए लड़के का इंतज़ाम कर दूँगी. बोलो?”
“ज्जज्ज मम्मी ववव वह मन…”
“हां हां बोलो बेटी शरमाओ मत.”
“जी मम्मी मन तो करता है…”
“क्या मन करता है खुलकर पूरी बात बताओ.”
“जी मम्मी मन करता है कोई लड़का मुझे पकड़कर खूब चूमे और इनको..”
“हां बेटी बोलो.” मौसी ने हौसला दिया.
“मम्म मन करता है कोई इनको पकड़ कर दबाए और चूसे.” गरिमा ने अपने मम्मों को पकड़ कर शरमाते हुए कहा.
“पगली तो इसमे इतना शरमाने की क्या बात है. इस उमर मे तो यह मन करता ही है. तुम्हारे भले के लिए कह रही हूँ. तुम अपने भाई को अपने खूबसूरत बदन को दिखाओ तो अगर वह फँस गया तो तुमको कहीं बाहर जाने की ज़रूरत नही होगी.”
“जी मम्मी क्या करना होगा?”
“पहले तो तुम जाओ और कोई छोटे कपड़े पहनो जिसमे कुछ दिखे.”
फिर वह अपने रूम मे जा पुराने कपड़े पहन आई. सफेद शलवार जंपर था. शलवार कसी थी और जंपर भी कसी थी और दोनो मम्मे कसकर बाहर को आ रहे थे और ऊपर से दिख रहे थे. वह पास गयी तो मौसी ने उसे पकड़ कहा, “हां अब ठीक है, जब भाई आए तो उसके सामने ही बैठना और पैरों को फैलाना जिससे उसे तुम्हारी चूत की झलक दिखे और मम्मों को ज़रा और बाहर निकाल लेना जा.”
फिर जब शाम को मैं पहुँचा तो गरिमा ने मुझे देखा और पास आई तो मैंने उसके मम्मों को पकड़ कहा, “हाये गरिमा कितनी प्यारी लग रही हो इन कपड़ों में हाये सब दिख रहा है.”
“भैया मम्मी ने पहनाए है ये कपड़े, कहा है अपने भाई को दिखाओ अपना माल.”
“हाये तेरा माल तो देख भी चुका हूँ और चख भी चुका हूँ, रानी आज तो तुम्हारा पूरा मज़ा लूँगा, आज अपनी बहन की जवानी को खुलकर चोदूँगा.”
“भैया हटो भी आप तो मुझे चोदे बिना नही मनोगे?”
“अरे यार मौसी भी चाहती है कि तुम अपनी चुदवाओ मुझसे तो क्यों शरमाती है?”
“जी नही भैया मम्मी तो बस इतना चाहती हैं कि मैं आपको दिखाऊ और थोड़ा बहुत दबवाकर मज़ा लूँ. आई बात समझ मे अब जाइए और रात को मेरे रूम मे आना हो तो मुझे इनकार नही.”
फिर वह इठलाती हुई चली गयी. मैं मौसी के पास गया और पूछा तो मौसी बोली, “काम बन रहा है, जल्दी मत करो आज रात चोद लेना अपनी बहन को.”
फिर सब नॉर्मल होने लगा. वह मुझे देख देख इठला रही थी. खैर रात के 11 बजे मे उसके रूम मे गया तो वा बेड पर लेटी कोई बुक देख रही थी. मैं उसके पास गया तो वह बुक रख मुझे देखने लगी. मैं पास गया और उसको पकड़ कहा, “आज क्या करवाएगी?”
फिर जब मैं उसके पास गया तो वह मुझे देख मुस्कराने लगी. मैंने उससे कहा, “गरिमा बोल क्या करवाएगी?”
“भैया जो चाहो करो, अब तो मैं आपकी हूँ.”
“तुम झूठ बोलती हो.”
“नही भैया सच कह रही हूँ, मैं अब सिर्फ़ आपकी हूँ.”
“तो ठीक है पहले तो मैं तुम्हारी चूत को चाट कर मज़ा लूँगा फिर आज तुमको चोदूँगा भी.”
“नही भैया प्लीज़ चाट लो पर चोद्ना नही.”
“क्यों? तुम तो कहती हो कि तुम सिर्फ़ मेरी हो तो क्या बात है?”
“मुझे डर लगता है.”
मे अभी कुछ कहने ही वाला था कि बाहर से आहट की आवाज़ आई और फिर मौसी की आवाज़ आई, “जवाहर बेटा तुम कहाँ हो?”
“मौसी मैं यहा हूँ गरिमा के पास.”
मौसी अंदर आई. हम दोनो ठीक से बैठे थे. मौसी पास आ गरिमा के पास बैठी और बोली, “जवाहर बेटा तुम इतनी रात को यहाँ क्या कर रहे हो?”
गरिमा कुछ घबरा रही थी. मैं गरिमा को देखते बोला, “मौसी नींद नही आ रही थी सोचा गरिमा से बातें ही करूँ कुछ देर.”
“हां हां बेटा ठीक है, तुम दोनो लोग बातें करलो मैं तो सोने जा रही हूँ. वैसे तुमलोग भी जल्दी सो जाना बाते करने के बाद.”
“पर मौसी यह मुझसे बात नही कर रही.”
“अरे क्यों?”
“जो मैं इससे कह रहा हूँ वह नही मान रही.”
“अरे गरिमा बेटी क्या बात है. अपने बड़े भाई की बात मानलो, जो कह रहा वह करो. बेटा मानेगी तुम्हारी बात.”
गरिमा सब सुन घबरा सी रही थी. तभी मौसी ने उसके गालों को पकड़ कहा, “बेटी क्या कह रहा था यह?”
“ज्ज्ज…”
“क्यों तुम क्या कह रहे थे इससे?”
“मौसी मैं कह रहा था कि तुम मेरी छोटी और प्यारी बहन हो और मैं तुमको बहुत प्यार करता हूँ और मैं इस वक़्त इससे कुछ प्यारी बातें करने आया हूँ.”
“अरे बेटी तुम अपने भाई को बहुत परेशान करती हो. तुमको समझाइया था दिन मे. चलो अपने भाई को अपना माल दिखाओ.”
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वह मौसी की खुली खुली बात सुन शरमा गयी. मैं खुश था. तभी मौसी मुझसे बोली, “बेटा तुम अपनी बहन का माल देख लो और इसे थोड़ा प्यार भी करना, बेचारी को किसी के प्यार की बहुत ज़रूरत है.”
फिर मौसी ने उसका हाथ पकड़ कहा, “आओ बेटी मैं तुमको प्यार करवा दूं भाई से.”
गरिमा घबराती और शरमाती सी बोली, “ज्ज्ज.. म्म्मामी आप जाइए मे….मे..”
“क्या मैं मे कर रही है?”
“जी मैं करवा लूँगी.”
“क्या करवा लेगी, बोल अपने भाई को अपना माल दिखाई?”
“ज्जजई…”
“और उसे प्यार भी करने देना.”
“ज्ज्ज..”
“ठीक है मैं जा रही हूँ.”
फिर मौसी जैसे ही बाहर गयी मैंने उसे पकड़ लिया और उसके होंठो को चूमते कहा, “दिखाओ अपना माल.”
“भैया दरवाज़ा तो बंद कर लो.”
“पगली दरवाज़ा क्या बंद करना मौसी तो खुद ही कह गयी हैं.”
तब उसने मुस्कराते हुए अपने कपड़ो को अलग किया और फिर नंगी हो अपने मम्मों को पकड़ बोली, “लो भैया देखो अपनी बहन का माल.”
मे उसके मम्मों को पकड़ दबा दबा चूसने लगा. वह मुस्करती हुई मुझे देखने लगी. कुछ देर बाद वह मेरे बालों मे हाथ फेरते बोली, “भैया पहले मेरी चाट कर झड़वा दो फिर चूसना.”
तब मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी चूत के पास जा चूत को देखते कहा, “हाये कितनी प्यारी चूत है, मज़ा आ जाएगा इसको चाट कर.”
“तू चाटो ना इसे भाई आपकी ही है.”
फिर मैंने ज़ुबान निकाल उसकी चूत को 8-10 चाटा फिर अंदर तक जीभ पेल चाटने लगा 50-55 बार चाटा तब उसकी चूत ने फुच से पानी फेंका. नमकीन पानी निकलते ही मैं अलग हुआ तो वह हाये हाये करती बोली, “मज़ा आ गया भैया.”
फिर मैंने कुछ देर उसके मम्मों को मुँह मे लेकर चूसा और फिर जब वह एकदम मस्त हो गयी तो अपनी पॅंट खोल लंड को निकाल उसे दिया. उसने मेरे लंड को पकड़ा और फ़ौरन मुँह मे ले लिया. वह मेरे लंड को होंठो से दबा दबा कसकर चूस रही थी. 30-35 बार चूसा था कि मैंने लंड बाहर निकाल लिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“क्या हुआ भैया?”
“अब चुद्वाओ अपनी.”
“नही नही भैया प्लीज़..”
“अरे यार डरती क्यों है.”
“नही नही मुझे नही चुद्वाना. चुस्वाकर झडवालूँगी पर चुद्वाउंगी नही.”
“तब मैंने उसके मुँह को ही चोद्कर अपना झाड़ा.”
फिर मैं गुस्सा दिखाते अपने रूम मे चला गया.
अगले दिन सुबह नाश्ते पर मौसी ने पूछा, “बेटी रात मे भाई ने तुमको प्यार किया था?”
वह शरमाई तो मौसी ने मुझसे कहा, “क्यों बेटा रात मे अपनी बहन को प्यार किया था?”
“हां मौसी थोड़ा सा किया था.”
“थोड़ा सा क्या मतलब?”
“यह कुछ करने ही नही देती.”
“क्यों बेटी अरे मैंने कहा था जो भाई करे करने देना, चलो कोई बात नही नाश्ता हो गया चलो अब मेरे रूम मे दोनो लोग देखते हैं तुम लोग क्या करते हो.”
फिर मौसी हम दोनो को अपने रूम मे ला खुद बेड पर बैठी और मुझे एक ओर बिठा गरिमा का हाथ पकड़ उसे अपने पास बिठा उसके गालो को सहलाती प्यार से बोली, “बेटी क्या हुआ बोलो भाई तुमको परेशान करता है क्या?”
वह चुप रही तो मौसी ने फिर कहा, “बेटी कल रात मैंने देखा था कि तुम अपने भाई की गोद मे बैठी हो.”
“ज्ज्ज्जई…”
“हां हां बोलो, तुम अपने भाई की गोद मे बैठती हो कि नही?”
वह शरमाई तो मौसी ने कहा, “अरे बेटी शरमाओ नही अपने भाई की ही गोद मे बैठी थी ना कोई बाहर वाले की गोद मे तो नही, कोई बात नही तुम लोग जो मन करे किया करो.”
फिर मौसी मुझसे बोली, “क्यों बेटा तुम अपनी बहन को अपनी गोद मे बिठाते हो.”
“जी मौसी मुझे बहुत अच्छा लगता है जब यह मेरी गोद मे बैठती है. और…”
“और क्या बेटा?”
“और मैं इसे अपनी गोद मे बिठाकर इसके दोनो पकड़कर…”
“क्या तुम तो ना शरमाओ अपनी बहन की तरह.”
“और मे इसके दोनो मम्मों को पकड़ कर दबा दबा इसको चूमता हूँ.”
गरिमा तो मेरी बात सुन शरमा कर घबराने सी लगी पर मौसी ने कहा, “और क्या क्या किया है तुमने मेरी बेटी के साथ?”
“मौसी मैंने अपनी प्यारी बहन को अपना लंड पिलाया है और इसकी मम्मों का रस पिया है और इसकी चूत को खूब चाटा है.”
“अरे तुम दोनो इतना सब कर चुके हो. क्यों बेटी तुमने अपने भाई का लंड मुँह से चूसा है और अपनी मम्मे चुसवाये हैं?”
“ज्जज्ज…” गरिमा हिचकिचाई.
“हाँ मौसी तेरी यह बेटी लंड को खूब कसकर चूसती है और सारा पानी मुँह मे ही लेती है और मौसी अपने मम्मों को खूब दबा दबाकर पिलाती है सारा रस मेरे मुँह मे निचोड़ देती है.”
मौसी गरिमा के चेहरे को पकड़ बोली, “मे तो कह रही थी कि थोड़ा बहुत भाई को दिखा दिया करो पर तुमने तो खूब मज़े लिए अपने भैया से, चलो कोई बात नही बेटी आज तुम लोग और मज़ा लो.”
“मौसी प्लीज़ आज मैं इसको चोदूँगा.”
“अरे तो चोदो ना कोई मना करता है क्या? बेटी अपने भाई का लंड चूत मे लो बहुत मज़ा आएगा.”
यह बात सुन गरिमा खुल कर बोली, “मम्मी मैं भैया का लंड मुँह मे तो रोज़ ही लेती हूँ पर चूत मे आज पहली बार लूँगी इसलिए प्लीज़ आप भी साथ रहिएगा.”
“ठीक है बेटी जवाहर बेटा चलो आज पहले मुझे चोद्कर अपनी बहन को दिखाओ फिर इसको चोद्ना.”
“अब उपर आओ ना बेड पर यूँही खड़े रहो गे क्या? यहाँ आओ बेटा.” मौसी ने मेरा हाथ पकड़ मुझे बिठा लिया.
“यहाँ नही हमारे दरमियाँ आओ, आज यहाँ ही केरते हैं जो केरना है. गरिमा वैसे भी घबरा रही है, मुझे ही कुछ करना पड़ेगा.” मौसी ने नकली गुस्सा देखते हुए मुस्कुरा कर कहा और मुझे अपने और गरिमा के बीच बिठा लिया.
“अच्छा अब जो कहती जाऊं वैसे केरते जाओ तुम दोनो! ओके!”
हम दोनो ने खामोशी से सिर हिला दिया.
“पहले तो तुम दोनो रिलैक्स हो जाओ कुछ नही हो गा किसी को ओके! और ये तो उतारो.” मौसी मेरी शर्ट उतारने लगी उस ने बाज़ू उपर करके शर्ट उतरवा ली, फिर मौसी ने मेरी चेस्ट पे हाथ फेरा.
“देखो गरिमा तेरे भाई के जिस्म पे कैसे प्यारे कट्स हैं.” मौसी ने गरिमा का हाथ पकड़ के मेरे चेस्ट पे रख दिया. गरिमा का दिल एक बार ज़ोर से धड़का लेकिन उस ने हिम्मत नही छोड़ी और हल्के हल्के अपना गर्म गर्म हाथ मेरे चेस्ट पे फैरने लगी. मैं अब रिलैक्स था मेरा लंड आहिस्ता आहिस्ता फूलने लगा था. तभी मौसी ने मेरे पैट पे हाथ फेरते हुए मेरे सेमी एरेक्टेड कॉक को ट्राउज़र के उपर से ही पकड़ लिया और बोली, “अररे क्या केरते हो!! जवान बनो, चलो ये भी उतारो.”
और मौसी ने मेरा ट्राउज़र भी उतार दिया. मैंने हल्का सा खुद को उठा कर ट्राउज़र उतारने मे मौसी की मदद की. अब मैं दोनो के दरमियाँ बिल्कुल नंगा बैठा था. गरिमा की नज़ारे मेरे सेमी एरेक्टेड लंड पर थीं जो कि मौसी के हाथ मे था. उस का दिल अब और भी ज़ोर से धरकने लगा था.
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“जवाहर बेटा इस को बड़ा करो.” मौसी ने कहा.
“मौसी आप खुद ही कर लो ना, आप को तो आता है ना.” मैंने मौसी की तरफ देखते हुए जवाब दिया.
“बड़ा होशयार हो गया है मेरा बेटा. चल तू लेट जा हम खुद ही कर लेते हैं इस को बड़ा.” मौसी ने मुझे कंधे से पकड़ कर लिटा दिया और खुद मेरी टाँगो की तरफ आ गई और गरिमा का हाथ जो अभी तक मेरे सीने पे था पकड़ कर मेरे लंड पे रख दिया.
“पकड़ो इसे!!! आज से ये तुम्हारा है.”
और गरिमा ने मेरा लंड हाथ मे ले कर मुट्ठी बंद कर ली. उसे लगा के जैसे उस ने कोई गर्म गर्म रोड पकड़ लिया है वो काफ़ी सख़्त हो रहा था और झटके ले रहा था. मैं गरिमा के हाथ की नर्मी और गर्मी अपने रोड पे महसूस कर के और भी हार्ड होने लगा.
“ऐसे करो जान.” मौसी ने गरिमा का हाथ पकड़ के मेरे लंड पे ऊपर नीचे किया और गरिमा अपने हाथ को हल्के हल्के अप्पर नीचे केरने लगी और मेरे लंड की रगो को अपने हथेली मे महसूस केरने लगी.
“मम्मी ये तो बहुत बड़ा है.” गरिमा ने आहिस्ता से सरगोशी की.
“हां, और मज़े का भी.” मौसी ने गरिमा की आँखो मे देखा और थोड़ा सा झुक कर मेरे हार्ड राक लंड के हेड पे किस की और मेरे पूरे बदन मे करेंट सा दौड़ गया.
“चलो बेटी अब तुम्हारी बारी.”
मौसी ने गरिमा को कहा और गरिमा ने एक नज़र मेरी तरफ देखा. मैं सिर उठा कर उस की तरफ ही देख रहा था. गरिमा बहुत अच्छी एक्टिंग कर रही थी शरमाने की. साली कई दिन से मेरा लंड चूस रही थी पर आज मौसी के सामने बेचारी शरमा भी रही थी इसलिए लग रहा था जैसे सबकुछ आज पहली बार हो रहा है. गरिमा ने शरमाते हुए जल्दी से मेरे तने हुए लंड के सिर पे किस कर दी.
“शाबाश.” मौसी ने कहा. “अब तो तुम दोनो की शरम उतर गई ना.”
“मौसी मैं अकेला ही नंगा रहूंगा क्या?” मैंने मौसी से पूछा.
“नही हम भी उतारने लगे हैं कपड़े तुम परेशान क्यों होते हो, ये लो बाबा.” और मौसी ने अपनी कमीज़ एक झटके से उतार दी और उनकी बड़े बड़े मम्मे उछल कर बाहर आ गए.
“चलो बेटी उतारो इसे.” मौसी ने गरिमा की कमीज़ पकड़ कर कहा.
“मुझे शर्म आती है आप ही उतारो.” गरिमा ने नज़रे झुकाते हुए कहा.
“ओह! हो अभी भी शर्म, लाओ इधर आओ ज़रा.” और मौसी ने गरिमा की कमीज़ भी उतार दी. गरिमा ने बाज़ू उपर कर के मौसी की हेल्प की.
“गुड!” मौसी ने कहा और उस की कमर पे हाथ लेजा कर उस की ब्रा भी खोल दी.
अब गरिमा की गोल गोल पर्फेक्ट ताने हुए 32 साइज़ के मम्मे बाहर आ गए. मौसी ने दोनो पे हाथ फेरा और कहा, “लो ज़रा मेरी ब्रा तो खोलना.” मौसी ने अपनी कमर गरिमा की तरफ की. और उस ने मौसी की ब्रा खोल दी. अब दोनो के जिस्मो पे सिर्फ़ शलवार थीं. मैं कमरे की ब्लू रोशनी मे दोनो के चमकते हुए मम्मे देख रहा था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“लो मेरे राजा तुम इन से खेलो हम इस से खैलते हैं.”
मौसी ने गरिमा की एक चूची को पकड़ कर मेरे सामने कर दिया और मैंने हाथ बढ़ा कर गरिमा की चूची को पकड़ लिया और दबाने लगा. गरिमा को मैं आज मौसी के सामने छू रहा था. उसे बेहद मज़ा आने लगा और मौसी ने मेरे हार्ड लंड को अपने हाथो मे ले लिया और फिर थोड़ा सा झुक कर लंड पे किस्सिंग करनी शुरू कर दी.
मुझे मौसी की गर्म गर्म साँसे पागल कर रही थीं और मेरी आँखे बंद हो गईं. उधर गरिमा मेरे और नज़दीक हो कर मेरे दोनो हाथो से अपने मम्मों को मसलवा रही थी और आँखे बंद कर के लंबी लंबी साँसे ले रही थी. उस का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. तभी मौसी ने मुँह खोल कर मेरा आधे से ज़्यादा लंड अपने अंदर ले लिया और चूसने लगी.
मेरा बदन अकड़ने लगा. मौसी ने दो तीन बार ही चूसा कि फॉरन ही मेरा फोव्वारा मौसी के मुँह मे ही छूट गया. मौसी को मेरा नमकीन पानी अपने मुँह मे आते महसूस हुआ लेकिन मौसी ने मेरा लंड बाहर नही निकाला. वो वैसे ही उसे चूसती रही, अंदर बाहर करती रही और मेरे कम का फुल लोड मौसी मुँह मे भर गया.
“आह्ह्ह्ह! गंदे! इतनी जल्दी.” मौसी ने अपने दुपट्टे से अपना मुँह साफ करते हुए कहा तो गरिमा ने भी आँखे खोल कर मौसी की तरफ देखा. उसे नही पता चल सका कि ये क्या हुआ है.
“मौसी आज पता नही क्या हुआ.” मैने धीरे से कहा.
“हां मुझे पता है. आज तेरे हाथों मे बहन के मम्मे जो हैं. कैसा लगा?” मौसी ने कहा.
“बहुत ही अच्छा मौसी बड़ा मज़ा आया.” मैंने मस्ती से भरी आवाज़ मे कहा और ज़ोर गरिमा के मम्मे को दबा दिया.
गरिमा ने बड़ी मुश्किल से अपनी चीख रोकी और बोली, “क्या केरते हो भैया दर्द होता है यहाँ, आहिस्ता पकडो ना.” गरिमा ने मेरे चेहरे पे हाथ फेरते हुए कहा.
“ओह! सॉरी गरिमा मैं दरअसल झड़ गया था ना पता ही नही चला.”
“चलो अब तुम ज़रा गरिमा को भी वो मज़ा दो मैं तुम्हे दोबारा हार्ड केरती हूँ.” मौसी ने कहा तो मैंने गरिमा को बेड पे सीधा लिटा दिया और उस की टाँगे ज़रा सी खोल कर करवट के बल उस के ऊपर आ गया और गरिमा के होंठो पे किस्सिंग केरने लगा तो मौसी मेरे सेमी एरेक्टेड लंड के पास लेट गई और मेरे लंड पे ज़ुबान फेरने लगी जिस से लंड फिर से हार्ड होने लगा.
गरिमा ने पहले तो अपने होंठ कस के बंद किए हुए थे लेकिन उसे जब मज़ा आने लगा मेरे चूमने का तो वो भी रेस्पॉन्स देने लगी उस ने अपने होंठ खोल दिए. अब मेरे और गरिमा की ज़ुबाने एक दूसरे से खेलने लगीं. ऐसी किस्सिंग का गरिमा को बहुत मज़ा आता था.
मौसी ने चूम के चाट के चूस के मेरा लंड फिर से हार्ड कर दिया था और वो मुसलसल मेरा लंड उपर से नीचे तक चाट रही थी और फिर वो मेरे लंड के नीचे थैली मे बंद बॉल्स को ज़ुबान से चाटने लगी. मेरे साथ ये पहली बार हो रहा था. मेरे बदन मे लहरे सी उठने लगीं और एक नया सा सरूर आने लगा और मेरी किस्सिंग मे जोश सा आ गया और मैंने गरिमा के पूरे चहरे को चूमना शुरू कर दिया.
फिर उस के कानो पे आया और गर्दन पे और फिर दोनो हाथ मे गरिमा के मम्मे पकड़ लीं और उस के लेफ्ट निपल को मुँह मे ले कर चूसने लगा और ज़ुबान उस पे फैरने लगा. गरिमा के दोनो निपल्स हार्ड हो कर खड़े हो गये थे. मेरी ज़ुबान उस के निपल के गिर्द गोल गोल घूम रही थी और वो मज़े की दुनियाँ मे आँखे बंद किए उड़ रही थी.
मैं दीवानो की तरह अब उस की मम्मों को चूस रहा था, काट रहा था और दोनो हाथो से ज़ोर ज़ोर से सहला भी रहा था. तभी गरिमा को महसूस हुआ कि उस की टाँगो के दरमियाँ फँसी हुई छोटी सी चूत से पानी का सैलाब आ गया है. और वो झडने लगी. उस ने अपनी टाँगे और भी फैला लीं और अपने कुल्हो को ज़रा सा उठा कर अपनी चूत को अपने अप्पर लेते हुए अपने भाई की पसलियो से लगाया और अच्छी तरह ज़ोर से रगड़ा.
मैंने ये हरकत महसूस की और गरिमा की मम्मों से हाथ हटाया और उस की शलवार उतारने लगा. गरिमा ने गाँड को उठा कर मुझे अपनी शलवार उतरने दी. इस हरकत से मेरा लंड मौसी क मुँह से निकल गया और वो उठ कर बैठ गई और देखने लगी क़ि मैं गरिमा की शलवार उतार रहा हूँ.
“गुड! अब आए हो ना दोनो तुम पूरे मज़े मे! शाबाश बेटा आज इस को वो मज़ा देना कि सारी ज़िंदगी याद रखे.” मौसी ने जोश से भरी आवाज़ मे कहा और मुझे भी जोश आ गया और मैंने गरिमा की शलवार उतार कर उस की टांगे ज़रा सी और फैला दीं और झुक गया गरिमा की छोटी सी चूत पर मुँह रखा.
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मैंने जैसे ही गरिमा की चूत को चूमा गरिमा की तो जैसे जान ही निकल गई उस ने गाँड उठा कर अपनी चूत को मेरे मुँह पे और दबा दिया. मौसी इतने मे गरिमा के पहलू मे आ गई और गरिमा के मम्मे चूसने लगी. मैंने ज़ुबान निकाल कर गरिमा की चूत के लबो पर फैरनी शुरू कर दी गरिमा की चूत का ज़ायक़ा मेरी ज़ुबान पे आने लगा और मैं भी दीवाना हो गया.
आज तो बहुत मज़ा आ रहा था. अकेले मे तो खूब चाटा था पर आज मौसी के सामने ही मज़ा ज़्यादा आ रहा था. मौसी उसके मम्मों को चूस रही थी. गरिमा तड़प रही थी मस्ती से. मैं और ज़ोर से गरिमा की चूत चाटने लगा. गरिमा भी अपनी गाँड उठा उठा कर मेरी ज़ुबान को अपनी चूत के और अंदर लेने की कोशिश कर रही थी. उस के मुँह से हल्की हल्की आवाज़ मे तेज़ तेज़ सिसकियाँ निकालने लगीं.
मौसी ने गरिमा को बुरी तरह कसमसाते हुए महसूस कर के कहा, “जवाहर बेटा बस करो तेरी बहन मज़े से मर जाएगी. उठो अब मैं बताती हूँ क्या करना है.” मौसी ने मेरे सिर मे हाथ फेरते हुए मुझे गरिमा की चूत से उठाया. मे मौसी की तरफ देखने लगा. मेरे गालो पे गरिमा की चूत का सारा पानी लगा हुआ था. मैंने उसकी चूत से मुँह हटाया तो गरिमा ने कसमसाना बंद कर दिया लेकिन उस की आँखूं मे से आँसू निकलने लगे थे.
“ऊपर आओ, इस की टाँगो के दरमियाँ और गरिमा की चूत पे अपना लंड रखो.”
मौसी के मुँह से ये सुन कर एक बार तो मुझे यकीन नही हुआ कि आज दिल की मुराद पूरी होगी. मैं बहुत खुश था कि आज बहन को चोद्ने का मौका मौसी दे रही हैं. फिर मैं अपने घुटनो के बल उपर आ गया. अब मेरा लंड गरिमा की चूत के बिल्कुल सामने था. मौसी ने हाथ बढ़ा के मेरा लंड पकड़ा और गरिमा की चूत के लबो पे फैरने लगी.
गरिमा की चूत पे मेरा गरम गरम लंड जैसे ही लगा उस ने एक झरजरी सी ली. मुझे भी इस मे बहुत मज़ा आ रहा था. मौसी को तो कई बार चोदा था पर गरिमा की कुँवारी चूत चोद्ने का पहला मौका था. मैं थोड़ा और झुक गया अब मौसी मेरा लंड गरिमा की चूत की फांको के बीच ऊपर से नीचे फेरने लगी. गरिमा की गीली गीली चूत मे गुदगुदी करने लगी.
“अया ह आअहह आ ह्म्म्म्म म.” गरिमा के मुँह से बाक़ायदा सिसकियाँ निकलने लगी.
“अरे बेटी मज़ा आने पर ऐसे ही होता है. अभी तू आहिस्ता आहिस्ता सिसक रही है जब भाई का लंड अंदर जाकर तुझे चोदेगा तो मज़े से चिल्लाने लगेगी तू. मज़ा आ रहा है ना तुम दोनो को?” मौसी ने गरिमा की तरफ मुँह कर के कहा.
मैंने हां किया और गरिमा ने भी सर हिला दिया.
मे और गरिमा दोनो ही सरूर की दुनियाँ मे डूब चुके थे. मैं ज़रा सा अनबॅलेन्स हुआ और मेरा हार्ड लंड गरिमा की चूत के छेद मे घुस गया. गरिमा ने बड़ी ही मुश्किल से अपनी चीख अपने होंठो मे दबाई लेकिन फिर भी ज़रा सी निकल ही गई. मौसी का हाथ भी मेरे लंड के साथ गरिमा की चूत को जा लगा था.
“बस इतनी सी बात थी बेटी. जवाहर आहिस्ता आहिस्ता अब और नीचे जाओ, और अंदर करो अपना लंड अपनी बहन की चूत मे. लेकिन देखो आहिस्ता करना पहली बार है. क्यों बेटी आज पहली बार चुद्वा रही हो ना?” मौसी ने हाथ दोनो के बीच से हटा कर मेरे सिर पे फेरते हुए कहा.
“जी मम्मी आज पहली बार भैया का अंदर जा रहा है.” गरिमा ने अब खुलकर बिना शरम के कहा.
अब मैं आहिस्ता आहिस्ता अपने मोटे लंबे लंड को गरिमा की चूत मे अंदर केरने लगा. गरिमा अपना सिर इधेर उधेर मारने लगी. उस ने आँखे ज़ोर से बंद कर लीं थीं और टाँगो को बंद केरने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी टाँगों के बीच मे था.
“बाअस्स्स!!! अया आह अह्ह्ह्ह!!!” गरिमा के मुँह से निकला वो दर्द से मरी जा रही थी.
“रूको.” मौसी ने मुझ से कहा.
मे मौसी की बात सुन वहीं रुक गया. गरिमा तेज़ तेज़ साँसे ले रही थीं. उस के मम्मे उस के सीने पे पूरी तरहा फूल और पिचक रहे थे. मौसी उस के सिर मे हाथ फेरने लगी.
“मम्मी भैया से कहो अपना लंड मेरी चूत से निकाले नही तो मैं मर जाऊं गी. आ आ.” गरिमा ने मौसी की तरफ देखते हुए कहा.
“बेटी यही दर्द तो लड़कियों को वह मज़ा देता है जिसके लिए लड़कियाँ कुछ भी कर सकती हैं. तुम बहुत खुशनसीब हो जो तुमको तुम्हारा भाई ही तुम्हे यह पहला दर्द दे रहा है. अभी मज़ा आएगा. अब कुछ नही होगा. पहली बार होता है मुझे भी हुआ था. ये बर्दाश्त कर लो तो समझो बहुत मज़ा आए गा, ज़रा सी देर और.” मौसी ने गरिमा के बालो मे हाथ फेरते हुए उस समझाइया.
“नही, नही!!! बाकी फिर कभी इसे कहो निकाल ले,आह आह आहह!!” गरिमा ने सिर हिलाते हुए कहा.
“अरे बेटी क्या कर रही है. अभी जब मज़ा आएगा तब देखना.” मौसी ने उसके मम्मों को सहलाते कहा.
“नही मम्मी आपने कहा था कि आप भैया से चुदवाकर मुझे दिखाइंगी. अब आप ही चुद्वाइये भैया से, मुझे छोड़ो.” गरिमा तड़पते हुए बोली.
“अच्छा मैं कुछ केरती हूँ!” ये कहती हुई मौसी मेरे पास आई. मैं आधा लंड गरिमा की टाइट चूत मे फँसाए हुए वहीं झुका हुया था. मेरा अपना वज़न मेरे हाथो पर था जो गरिमा की साइड मे बेड पे रखे थे.
“बेटा जब मैं इस की किस्सिंग करने लगूँ तो तुम एक ही झटके से पूरा अंदर कर देना और वहीं रुके रहना समझे.” मौसी ने मेरे कान मे सरगोशी की और खुद जा कर गरिमा के होंठो को चूमने लगी.
इतने मे गरिमा का दर्द कुछ कम हो गया. उसे मम्मी की किस्सिंग का मज़ा आने लगा और अपनी चूत मे फँसे हुए मेरे लंड का भी मज़ा लेते उसने ज़रा सा अपनी गाँड को उठाया. मैं समझ गया कि यही टाइम है और मैंने ज़ोर का झटका दिया कि मेरा पूरा लंड गरिमा की चूत मे घुस गया.
और मेरी हल्की हल्की झांटें गरिमा के साफ सुथरे प्यूबिक एरिया से जा लगीं और मैं वहीं रुक गया. मुझे महसूस हो रहा था कि मेरा लंड किसी टाइट से शिकंजे मे फँस गया है. गरिमा के मुँह से निकली हुई चीख मौसी के मुँह मे ही रह गई. वह अपना सर ज़ोर से दाई बाईं करने लगी.
उस की आँखों से आँसू निकलने लगे. उसे महसूस हो रहा था कि जैसे उस की चूत मे आग लग गई हो कोई दहकता हुआ लोहे का रोड उसकी चूत के अंदर घुसा दिया गया हो. मौसी उस को चूमे जा रही थी और हाथो से गरिमा के मम्मों को दबा भी रही थी. कुछ देर मे गरिमा का दर्द कम हुआ और वह कुछ संभल गई.
उस ने एक ज़ोर की साँस ली और बोली, “आअहह मम्मी मुझे तो भैया ने मार ही डाला था.”
“बेटी अब दर्द कम हुआ ना?”
“हां अब ठीक है.” गरिमा अब खुश थी. “बेटा अब तुम अपना लंड हल्के हल्के अपनी बहन की चूत मे अंदर बाहर करो.” मौसी ने मुझसे कहा और मैं अपने लंड को गरिमा की चूत मे आहिस्ता आहिस्ता अंदर बाहर केरने लगा.
इससे मुझे और गरिमा को मज़ा आने लगा. गरिमा की सिसकियाँ फिर से गूंजने लगी. उस ने आँखे बंद कर लीं. मैंने भी आँखे बंद कर लीं. मैं आज बहुत मस्त था. मौसी की चूत चुदी और फैली थी पर गरिमा की तो कुँवारी थी और बहुत ही कसी और गरम थी. मेरे लंड से मेरी बहन की चूत मे मेरी ज़ुबान और उंगली ही गयी थी. जाने कब मेरे धक्को मे तेज़ी आ गई. हम दोनो को ही पता ना चला लेकिन अब दर्द नही केवल मज़ा और सरूर था.
“हां हां हाआअँ और तेज़ तेज़ हा हा हा आ आ, हहाायी ऊओ आह भैया हहान और तेज़.” हर झटके के साथ
गरिमा के मुँह से एक लफ्ज़ निकल रहा था.
मौसी गरिमा के पास से हट गई और साथ लेट कर दोनो की चुदाई देखने लगी. मौसी के होंठो पे मुस्कान थी. मैंने हाथ बेड से हटा लिए और मैं गरिमा पे गिर गया और उसके होंठ चूसने लगा. अब धक्कों मे काफ़ी तेज़ी आ गयी थी. मेरा लंड गरिमा की गीली चूत मे आराम से आ जा रहा था.
मेरे हर झटके मे मेरे बाल गरिमा की चूत को छू जाते थे. मेरे टेस्टिकल्स गरिमा के कूल्हों को छू जाते. दोनो पसीने मे नहा गये थे जिस से कमरे मे फूच फूच की आवाज़े आ रही थीं. दोनो मस्ती मे चूर एक दूसरे को खूब जोश से चोद रहे थे और मौसी हमारे पास लेटी हमारी चुदाई देख खुश हो रही थी. वह आज बहुत खुश थी बेटी को भांजे से चुदवाकर. मैं भी अपनी बहन को चोद बहुत मस्त था.
“जवाहर बेटा अंदर ही मत झड़ जाना. झड़ने से पहले अपना लंड बाहर निकाल लेना.” मौसी ने मुझे देखते हुए कहा.
“ओके!” मैंने ने तेज़ी से झटके लगाते हुए कहा और फिर कुछ देर बाद मैंने अपने लंड गरिमा की चूत से निकाल लिया और साथ मे गरिमा की चूत पर झड़ने लगा.
“आआआअ!!!!!!!!!!!!!” मेरे मुँह से एक तेज़ सिसकारी निकली और मेरा गर्म गर्म पानी गरिमा की चूत पे और फव्वारे की तरह उसके पेट और मम्मों पे भी गिरा. मैं तो झड़ा ही साथ ही गरिमा की चूत ने भी मेरा लंड बाहर आते ही बहुत सा पानी छोड़ दिया. वह भी एक बार फिर झड़ने लगी और उस ने अपनी टांगे जो काफ़ी देर से हवा मे थीं बेड पे रख लीं और मैं झड़ने के बाद उसके उपर ही लेट गया. गरिमा मेरे होंठो को चूमने लगी.
“आअहह भैया बहुत शुक्रिया.” वह मुझसे बोली.
“गरिमा तुम्हारा भी शुक्रिया.” मैंने आँखे बंद केरते हुए कहा और दोनो अपनी साँसे हल्की करने लगे.
काफ़ी देर यूँ ही लेटे रहने के बाद मैंने करवट ली और फिर दोनो के दरमियाँ लेट गया तो मौसी ने मेरा चेहरा अपनी ओर करते कहा “अब खुश है मेरा राजा बेटा?”
मैंने मौसी के होंठो को जोश से चूम लिया तो मौसी मुझसे बोली, “ये था तुम्हारे इतने दिनो का इनाम. अपनी मौसी की चुदी पुरानी चूत और गाँड मारने के बदले तुमको अपनी बहन की ताज़ी कसी अनचुदी चूत मिली है.” फिर हाथ बढ़ा गरिमा की एक चूची को पकड़ हल्के से सहलाते कहा, “हाये गरिमा तुम ठीक तो हो ना?”
“हां! मम्मी भैया ने तो मेरी फाड़ ही डाली.” गरिमा ने हस्ते हुए कहा तो हम तीनो हसने लगे.
“लेकिन मम्मी मज़ा बहुत आया.” गरिमा ने छत की तरफ देखते हुए कहा और उस ने हाथ बढ़ा कर मेरा लंड पकड़ लिया.
मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था. लंड पकड़ते ही उसके मुँह से निकला, “हाये माँ! ये तो फिर से खड़ा हो रहा है.” और फिर तीनो की हँसी निकल गई.
“बेटी इसीलिए तो कह रही थी कि बाहर के लड़के से ख़तरा तो रहता ही है मज़ा भी पूरा नही आता. घर पर जब तक चाहो चुदवाती रहो. बाहर वक़्त नही मिलता और घर पर भाई के साथ ही रात भर लेटो. अब ये तुम्हारा है अब इस से खूब मज़े करो क्यों बेटा?” मौसी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“हां मौसी अब यह जब चाहे मेरा लंड अपनी चूत मे ले सकती है.” कहते हुए करवट ले कर मौसी की मम्मों को चूमा और दोनो मम्मों को दोनो हाथो मे पकड़ लिया.
“मौसी अब आप को चोदूँगा.” मैंने मौसी की तरफ देखते हुए कहा.
“हां बाबा करेंगे लेकिन अभी मेरे यहाँ का दरवाज़ा बंद है.” मौसी ने शलवार के ऊपर से अपनी चूत पे हाथ लगाते हुए कहा.
“क्या मतलब? मैं समझा नही यहाँ दरवाज़ा भी होता है क्या?” मैंने हैरान होते हुए पूछा और दोनो लोग हसणे लगीं.
“अररे बुद्धू! लड़कियो को हर महीने मे यहाँ से ब्लड आता है जोकि गंदा होता है और इस दौरान चुदाई नही केरते ये और 6/7 दिन आता रहता है. समझे!” मौसी ने उसे समझाइया.
“क्या ब्लड! लेकिन इस से कुछ होता नही क्या हर लड़की को आता है?” मैंने परेशान होते हुए पूछा.
“हां हर लड़की को आता है, थोड़ा दर्द होता है कमर मे लेकिन और कुछ नही होता ये कुदरत का नियम है. आजकल मेरे आ रहा है. जब तक मेरे आए तू अपनी बहन को चोद कुछ दिनो के बाद तेरी बहन को आएगा तब तू मेरी चोद्ना.” मौसी ने जवाब दिया.
“सब लड़कियो को एक साथ नही आता है ये! सब के अपने हिसाब से दिन होते हैं.” मौसी ने मेरे गाल पे हल्की सी चपत लगाते हुए कहा.
“तुम्हारे कब आएगा गरिमा?” मैंने कुछ सोचते हुए गरिमा से पूछा.
“आएगा तो बता दूँगी! बेशरम कहीं के.” गरिमा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया और करवट ले कर मुँह हम दोनो की तरफ कर लिया.
“अच्छा चलो अब जाओ अपने अपने कमरे मे और मुझे सोने दो.” मौसी ने मुझसे कहा. “हां अब तो तुम दोनो को चुदाई का पहला मज़ा मिल गया ना अब तो गरिमा नही शरमाएगी तू अपने भाई का लंड लेने मे.” मौसी ने पूछा.
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“मज़ा! मम्मी भैया ने तो मेरी फाड़ दी है.” गरिमा ने मुस्कुराते हुए कहा.
“हे गरिमा क्या फाड़ दी है?” मैंने गरिमा की तरफ झुकते हुए पूछा.
“वोही मेरी शरम और क्या बेशरम कहीं के” गरिमा ने प्यार से कहा.
“क्या कहते हैं इस को बताओ ना गरिमा?” मैंने फिर कहा.
“चलो भैया तुम तो पक्के बेशरम हो गये हो.” गरिमा ने कहा.
“अच्छा अभी तो खूब बोल रही थी जब चुद रही थी. अब शरमा रही है. प्लीज़ एक बार.”
“चल अब जाता है अपने कमरे मे या नही?” मौसी ने नकली गुस्सा दिखाया.
“मौसी आप जाओ ना अपने कमरे मे मैं गरिमा के साथ ही सोउँगा.” मैंने गरिमा की मम्मों को पकड़ते कहा.
“हां मम्मी अब मैं रोज़ रात को भैया के साथ ही सोया करूँगी. भैया अब आप रोज़ाना मेरे रूम मे ही सोया करिएगा.”
“नही मैं तुम्हारे रूम मे नही बल्कि तुम मेरे रूम मे सोओगी.”
“क्यों भैया.” गरिमा ने अपने मम्मों को देखते कहा.
“क्योंकि जैसे शादी के बाद लड़की अपने पति के घर जाती है वैसे ही तू अब मेरे कमरे मे आया करेगी.
“ठीक है बेटा तुम लोग जैसे चाहे रहो पर मुझे ना भूल जाना.” मौसी ने कहा.
“ओह्ह नही मम्मी भैया पहले आपको चोदेंगे फिर मेरी लेंगे. और जब चाहे आप हमलोगो के साथ रात भर मज़ा लीजिएगा.” गरिमा ने खुश होते कहा.
“ठीक है बेटा अब मैं जा रही हूँ और तुम दोनो भी जल्दी सोना, एक दिन मे ही सारा मज़ा ना ले लेना.”
“ओह्ह मम्मी बस एक बार और चुदवाऊंगी भैया से.”
“ठीक है बेटी.” और मौसी चली गयी.
मौसी के जाते ही गरिमा मेरे ऊपर गिरती बोली, “भैया हाय आज तो आपने बहुत मज़ा दिया. सच चुदवाने का मज़ा सबसे ज़्यादा हसीन है. भैया अब पहले मेरी चूत को चाटो और अपना मस्त लंड भी पिलाओ और फिर खूब कसकर चोदो. हाये आज रात भर मज़ा लूँगी भैया.”
“हां यार मैं भी तेरी चाटना चाहता था. सच तेरी चूत का टेस्ट बहुत जायकेदार है. चल आ बैठ मेरे मुँह पर.”
फिर वह मेरे ऊपर अपनी चूत रख बैठ गयी.