New Panchayat Sex
मेरी माँ पिताजी का लव मैरेज हुआ था। माँ बड़े घर की और पिताजी छोटे गरीब घराने से। नतीजन उन्हें भागकर शादी करनी पड़ी थी। अभी मेरी 12 वि की शिक्षा चालू हो गयी थी। बहुत आगे की पढ़ाई करू ये पिताजी की बहुत इच्छा थी। पिताजी दूसरे शहर में ड्राइवर का काम करते थे। New Panchayat Sex
जब बारहवीं का नतीजा आया। वो गांव आने के लिए अपनी काम की गाड़ी लेके निकले पर कभी पहुंचे ही नही। अभी मैं अनाथ माँ विधवा। पिताजी की क्रियाकर्म विधि पूरी हुई। दूसरे दिन दरवाजे पर नाना(मा के पिताजी)खड़े दिखे। माँ नाना को देख उनसे रोते हुए बिलख गयी।
सबसे छोटी लड़की थी तो माँ नाना की बहुत लाडली थी। नाना ने मुझे भी वहां बुलाया और गले से लगाया। आखिरकार वही हुआ जो होना था, मेरे पापा के परिवार से सिर्फ एक ही भाई था और उनकी पत्नी, उनको संतान नही थी। चाची मुझे ही अपना बच्चा मानती थी। उम्र 40 पर गयी थी दोनो की तो अभी संतान होने का कोई निशान न था।
नाना ने माँ को अपने साथ आने का प्रस्ताव रखा। माँ ने उसको बहुत ना नकुर किया। पर बाद में चाचा और चाची के कहे अनुसार ओ मान गयी। शादी के बाद चाचा ने माँ को बड़े भाई और चाची ने बड़ी बहन की तरह सहारा दिया था तो वो उनको मना नही कर पाई। पर अभी सवाल मेरा था। माँ का मायका शहर में था। हमारे गांव से कोसो दूर। मुझे वहां से कॉलेज आना जाना नही जमने वाला था।
तो चाची बोली “एग्जाम खत्म होने तक अनमोल यही रुक लेगा। छुटियो में आ जाएगा। वैसे भी आगे की पढ़ाई तो वो वही करने जाने वाला था।”
सबको ये बात सही लगी। दो दिन बाद मा नाना के साथ अपने मायके निकल गयी। मेरा भी ओ आखरी दिन था कॉलेज का, उसके बाद अगले 1 महीने घर से ही पढ़ाई करनी थी। मै हॉल टिकट ले कर घर आया। मैं घर में जैसे ही घुसा तो सामने का नजारा बडा कामनिय था।
चाची v आकर के पेंटी में मेरे तरफ पिछवाड़ा किये खड़ी थी। लग रहा था की अभी स्नान करके आई है। बहुत सुगंध आ रही थी। उस अवस्था में मेरे हाथ में जो किताबे थी वो फट से गिर गयी। अभी मेरे सामने 36 साइज के खुले चुचे छुपाते सावले रंग की रेड पेंटी में अधनंगी 43 साल की मजबूत हॉट माल चाची खड़ी थी।
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कुछ देर जो हुआ उसका हम दोनो को कुछ समझ न आया। हम सिर्फ अपनी कमान (प्राईवेट पार्ट)संभाल रहे थे। तभी चुचो,पेंटी से मेरी नजर घूमते चाची की आँखों में थम सी गयी,क्योकि उनकी नजर एक ही जगह पर रुकी थी और वो जगह मेरी पेंट में बना हुआ टेंट था।
क्या कहे उस पल का आनंद नीचेवाले ने झटका देके अपनी खुशी जाहिर की,मन में लड्डू फूटा पर मुझे अजीब फील हुआ और मैं वहां से सीडी चढ़ के ऊपरी मंजिल गया। (हमारे घर में नीचे हॉल किचन छोटा रूम उसके बाजू में कॉमन बाथरूम और ऊपर एक रूम था जिसमे एक बेड और बाजू में सब समान भरा हुआ, बैडरूम कम स्टोर रूम था।)
मैं खाना खाने भी नीचे नही आया। पूरा दिन हमने एक दूसरे से आंखे नही मिलाई। आज 18 होने चुका था पर इन अठारह सालो में कभी चाची को देख अइसे विचार नही आये। स्कूल में भी मा के दर से गंदे बच्चो की संगत में नही गया। उसी वजह से मेरे दोस्त भी बहुत कम थे।
रात 9 बजे हम लोगोने खाना खाया। पर खाना खाने पर सिर्फ हम दोनो ही थे,चाचा मुझे दिखाई न दिए। सुबह के हादसे के बाद हम बात नही किये थे,और आगे से बात करू इतनी हिम्मत मुझमे थी नही। मैं खाना खाके उपर जाके सोने गया। करीब 11 बजे चाची ऊपर आके दरवाजा खटखटाने लगी,और पुकार भी रही थी।
मैं थोड़ा डर सा गया। मन में बिजली सी चल गयी की “क्या हुआ होगा?”। मैं दरवाजा खोला चाची नाइटी (मैक्सी जैसा एक लॉन्ग ड्रेस) में मेरे सामने खड़ी थी। मैंने ऊपर से नीचे देखा। सुबह से मेरा नजरिया ही बदल रहा था। पर चाची के चेहरे पर पसीना था।
चाची: अनमोल मुझे नीचे अकेले में डर लगता है। तुम आज चलो न मेरे साथ,चाचा भी कल आएंगे, शहर का काम पूरा करके।
मैं (थोड़ा सोच के): ठीक है बड़ी माँ मैं आता हु आप आगे चलो मैं आता हु।
मैं चाची को बचपन से ही बड़ी माँ बुलाता था। पर अभी की हालाते बदलती नजर आ रही रही। उस टाइम मैं अंडरवेयर में था तो उन्होंने इतना नोटिस नही किया अंधेरे में। मैं शॉर्ट ढूंढा। पर मुझे मिल नही रही थी। चाची ने सीढ़ियों के नीचे आके फिरसे पुकारा तो मैं टॉवल लपेट के उनके साथ सो गया उनके रूम में।
मैं गया तबतक चाची पलंग पे सो चुकी थी। मैं पलंग बोल रहा हु पर वैसे कुछ आलीशान नही था। एक खटिया था जिसे उसने ही दहेज में लाया था। पर बहोत छोटा था। दो लोग सोने के बाद खत्म हो जाता है। मैं उनके बाजू में जाकर सो गया। बचपन में जब भी चाचा और पिताजी बाहर रहते थे तब मैं चाची के पास सो जाता था।
आज भी मैं उसी लिहाजे में उनके करीब सो गया। उनकी तरफ पीठ करके सोया तो मैं नींद में नीचे गिरने लगा। तो मैंने उनकी तरफ मुह करके सोना सही समझा। जैसे ही मैं घुमा चाची की बालो की खुशबू दिलो दिमाग में घुस गयी। मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था।
मेरा मन बहोत चंचल था। उसी सुगंध के हवाओ में मुझे सुबह का नजारा याद आने लगा। नींद गहरी नही थी पर सपना तो कैसे भी आ सकता है,चाहे उसमे हकीकत शामिल हो। क्योकि जिंदगी का पहला नजारा था की मैंने किसी औरत को अधनंगा देखा था और मेरे औजार ने हरकत की थी।
मैं उस हकीकत वाले हसीन कामनिय सपने में इस तरह खो गया उसमे मेरे लन्ड का आकर एकदम से बढ़ गया। टॉवल ढीला था तो आकर बढ़ने के बाद बिखर गया। तो अंडरवेयर के साथ मेरा लन्ड किसी बड़े कोमल से चट्टानों पे घिसने लगा। कुछ देर मैंने मजा लिया। बहुत अच्छा महसूस करने लगा था।
अंडरवेयर में मुझे कंफर्टेबल महसूस नही हुआ तो मैंने लन्ड को बाहर निकाल के उस गदरिले चट्टानों पे उसके बीच के दरी में घुमाने,घिसाने लगा। कुछ समय बाद मैं अकड़ सा गया और मेरे लन्डसे पानी निकल गया। पर मैं सपने में था तो मुझे ओ चट्टानों सी बहती नदी की तरह लगा।
मैं अभी तक सपने में था। पर जब मुझे गिला महसूस हुआ मैं उठ गया। मैं बाथरूम जाके फ्रेश होकर आया तो मुझे सामने दिखा की चाची की पिछवाड़े सब गिला था। नाइटी गांड के छेद में घुसी थी। मुझे अब पूरा मामला समझ आया की सपने में मैंने क्या कर दिया है।
चाची सोई थी तो मैं भी चुप चाप जाके सो गया। कुछ पल बाद चाची की नींद खुली। मैं फ्रेश हुआ था तो मुझे नींद नही आयी थी। चाची की गीलेपन की वजह से नींद टूटी थी। वो उठ के बैठी और थोड़ा घूम कर जो गीली जगह थी उसको हाथ में लेके सूंघा। और कुछ पल मेरी तरफ देखा।
मैं सोने का नाटक कर रहा था। जब उन्होंने मेरी ओर से नजर हटाई तो मैंने आंखे खोली। ओ मेरे लण्ड के पानी को मसल रही थी उंगलियों में,पर उनके चेहरे पर न गुस्सा था न खुशी। ओ कुछ पल एसेही बैठी सोचती रही कुछ और सो गयी। मैं भी निशचिंत होकर सो गया,की मेरी गलती पकड़ी नही गयी।
सुबह के टाइम नाश्ता करने के बाद मैं पढाई कर रहा था। चाची घर की रोजाना की तरह सफाई कर रहा था। फरवरी था तो ऊपरी कमरे में गर्मी रहती है तो मैं चाचा चाची के रूम में पढ़ाई कर रहा था। चाची हमेशा देर से नहाती थी,क्योकि घर की साफ सफाई करनी रहती थी।
बाहर का साफ सफाई पूरा होने के बाद मुख्य द्वार बन्द कर के वो कमरे में आ गयी। उनका बदन पसीना पसीना था। अभी सिर्फ उनके कमरे की ही सफाई बाकी थी जहाँपर मैं पढ़ाई कर रहा था। मैं पलंग पे था। चाची रूम के अंदर आते ही। हवा खाने लगी।
उनको बहुत गर्मी सी लग रही थी। उन्होंने साड़ी जो पहनी थी उसको निकाल दिया। अभी वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी। उन्होंने सारा समान जो रूम में बिखरा पड़ा था वो समेट लिया। और जो अलमारी में रखना था उसे लेकर अलमारी खोलने गयी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पर पेटीकोट की नाड़ी अलमारी के दरवाजे में फसी और पेटीकोट नीचे गिर गया। उनको संभालने का मौका ही नही मिला। उन्होंने झट से पीछे देखा तो मैं उनको नीचे गर्दन झुकाए दिखाई दिया। ओ वैसे ही पेंटी में अपना काम चालू रखी। झुक कर पढ़ाई करने से मेरी कमर दुखने लगी तो मैंने अंगड़ाई ली तभी सामने का नजारा देख कर मैं अइसे ही देखता रह गया।
अलमारी का एक दरवाजा जिसपर शीशा होता है ओ बंद था तो मैं चाची को घूर रहा हु ये चाची ने नोटिस किया। पर वो वैसे ही काम में लगी रही। पर कल जैसे उन्होंने खुद को ढकने की कोशिश नही की। ऊपर से गांड को मजबूर तरीके से हिला मचल रही थी। मैं अभी एकदम से ठंडा पड़ गया।
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लन्ड उत्तेजना से खड़ा हो गया। मेरी ये हालत देख चाची मुस्करा रही थी। उन्हें इसका मजा आ रहा था। वो वैसे ही कमर को झटके देते हुई गांड मटकाते हुए अलमारी बन्द करके वहां से बाहर निकल गयी। मैं झट से उठा और बाथरूम चला गया और पेंट अंडरवेयर के साथ निकाल दिया। देखा तो लन्ड लोहा हो गया था।
मैंने लण्ड को बहोत दबाया। की ओ जैसे थे हो जाए। मैं इस खेल पे कच्चा खिलाड़ी था। मुझे मालूम नही था की कैसे भड़के हुए लन्ड को शांत किया जाता है। तभी मेरे सामने के शीशे में मुझे चाची दिखाई दी। मुझे तब अहसास हो गया की जल्दबाजी में मैंने दरवाजा बन्द ही नही किया। मैं अचानक से चाची की तरफ घूम गया। पर चाची का रिएक्शन मेरी हवाइयां उड़ाने वाला था।
चाची: अरे अनमोल ये क्या हुआ?तेरे लुल्ली को क्या हुआ?
चाची को इतनी खुल के बाते करके सुन मुझे भी सुकून आ गया। कल से जो अपराधी से महसूस हो रहा था उससे मैं थोड़ा बाहर आ गया। और जो था सब बकने लगा।
मैं: क्या मालूम चाची जब भी आपके पिछवाड़े को देखता हु मेरी लुल्ली अइसे हो जाती है।
चाची ये सुन के चौक सी गयी और अपनी गांड घूमाते हुई बोली: ये वाला हिस्सा?
जैसे ही वो घूम जाती है वैसे ही मेरा लन्ड भी झटका खाता है। उस झटके को देख चाची आपमे ओंठ दांतो तले चबाती है।
चाची: उसका कुछ कर नही तो तबियत बिगड़ जाएगी तेरी।
बीमारी होने की आशंका से ही मैं कंप सा गया। पर क्या करू मुझे मालूम न था।
मैं: क्या करू पर। कल से ट्राय कर रहा हु। कुछ नही हो रहा। बहुत दर्द भी होता है। इससे तो मेरी पढ़ाई भी नही होगी।
चाची: मैं तेरी हेल्प कर दूंगी पर किसी को बताना नही। नही तो लोगो को मुह दिखाने लायक नही रहेगा तू।
मैं: नही चाची किसी को नही बताऊंगा।
चाची मेरे करीब आ गयी। उसने मेरे लण्ड को छुआ और सुपडे का चमड़ी नीचे कर उंगली घुमाया। और मुह में डाल उसकी टेस्ट ली। मेरे लन्ड के सुपडे से लेके पूरे शरीर में करंट सा फैल गया। उन्होंने मुझे बाहर बैठाया। पूरे घर का खिड़की दरवाजा बंद करके फिरसे मेरे पास आ गयी।
मुझे पूरे कपड़े निकलने बोली। अभी मैं पुरा नंगा पलँग पर पैर फैलाये बैठा था। वो पास आयी। लण्ड को हाथ में लेके चमड़ी को ऊपर नीचे करके हिलाने लगी। मेरी नजर सिर्फ चाची की आंखों में थी। उनके आंखों में भयानक हवस की प्यास थी। उनके हिलाने की वजह से लण्ड अभी लोहा बन गया था। चाची ने मेरे लण्ड को मुह में लेके चूसने लगी।
ओ लण्ड के सुपडे से लेके अंडों तक चाट चूस रही थी। मैं उन्हे निहार राहा था। उनका एक हाथ उनके पेंटी में घुसा था। ओ लण्ड को कुल्फी की तरह चूस चाट रही थी। काफी समय वो चूसती रही। उनकी पेंटी भी अभी गीली थी। लगता है वो उस समय झड गयी थी। मेरा भी समय हो गया।
मैंने चाची को बोला: चाची मेरे लुल्ली से पानी निकलने वाला है।
चाची सिर्फ मुस्कराई और लन्ड को जोर से हिलाने लगी। मैं झड़ गया तो अंदर से निकला सफेद पानी भी चाची ने अपने मुह में ले लिया और गटक गयी। मेरा लन्ड पूरा गिला था तो चाची ने उसे चाट के साफ कर दिया।
चाची: जाओ पानी से साफ कर दो। मैं खाना बना लेती हु।
मैं बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर आया। हम लोगो ने मिलकर खाना खाया। शाम को चाचा आने वाले थे तबतक चाची ने 2 बार मेरा लन्ड चुसाई कर ली थी। चाचा शहर शहर घूम कर कपड़ा बेचते थे तो कई बार बाहर ही रहते थे। अभी जब भी चाचा बाहर रहते चाची घर में ब्रा पेंटी में ही रहती और लण्ड को मजा देती।
बहोत दिनों से हमारा यही कार्यक्रम चलता रहा। एकदिन मैं रात को चाची के साथ ही सोया था। चाची लण्ड चूस के शांत करवा कर सो गयी थी। रात को मेरी नींद खुली। तो सामने चाची के चुचे थे,बहोत बड़े। जैसे ही चाची की सांसे ऊपर नीचे जाती वैसे वो भी नीचे ऊपर हो रहे थे।
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मेरा लण्ड अभी हरकत में आ गया, पूरा तन के खड़ा था। सेक्सुअल में हम दोनो बहोत घुल मिल गए थे पर उनके बाकी अंगों को हाथ लगाने के लिए अभी भी डर सा लग रहा था। पर यहा लण्ड का तनाव भी सहन नही हो रहा था। मैंने चाची के चुचो को ब्रा के ऊपर से मसलना चालू किया।
और उनकी कमर पर लण्ड घिसा रहा था। चुचे मसलने की वजह से चाची की भी नींद खुल गयी थी। उन्होंने ब्रा खोल के चुचे आज़ाद कर दिए। मैं चुचे बड़े मजे से मसल रहा था। मुझे उनके ऊपर जो निप्पल्स थे उनको खींचने में मजा आ रहा था। चाची सिसक रही थी। चुचो को देख मेरे में जो बच्चा था ओ जग गया। मुझे चुचे चूसने की बड़ी इच्छा होने लगी।
मैं: चाची मुझे चुचे चूसने की बहुत इच्छा हो रही है।
चाची मुस्कारते बोली: तो चूस ले ना मेरे बेटे तेरे ही तो है।
उनकी अनुमति मिली और मैं थोड़ा ऊपर होकर उनके चुचे चूसने लगा। निप्पल को ओंठो से खींचने लगा। वो मेरे सर पर हाथ से सहला रही थी। मेरा पानी अभी छुंटने को था। मैं पलंग से उठा और बाथरूम गया। और सारा माल छोड़ दिया।
दूसरे दिन जब सुबह उठा तो चाची घर में नही थी। लगता है बाजार समान लेने गयी होगी क्योकि रूम में पर्स भी नही था। पर उनकी अलमारी खुली थी। मैं बाथरूम जाने से पहले अलमारी बंद करने गया तो मुझे एक साइड में एक किताब मिली।
उसके ऊपर नंगी औरतो की फोटो थी। मैं उसको लिया और बाथरूम में चला गया। पूरी पुस्तक कहानी और फ़ोटो से भरी पड़ी थी। मैंने पूरी किताब पढ़ ली। बाद में जहा थी वह पर आके रख दी। जब वह पे रख रहा था तो मुझे एक पैकेट मिला, कॉन्डोम का। किताब में मैंने उसके उपयोग और जरूरत के बारे में पढ़ा था।
मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया था। मैंने सोचा की मैं भी देख लू की मेरे लन्ड पर ये कैसे आता है। मै पूरा नंगा होकर बेड पे लेट गया। मेरा लण्ड आसमान को सलामी दे रहा था। मैंने पैकेट खोला और कॉन्डोम को लंड में घिसड रहा था। मुझसे वो हो नही रहा था। तभी झट से दरवाजा खुला। सामने चाची खड़ी थी।
चाची: अरे अनमोल क्या कर रहा है?
मैं:वो चाची ये घुसाने की कोशिश कर रहा था पर जा नही रहा।
चाची ने अलमारी के पास देखा। हैरान सी शक्ल करते हुए मेरे पास आयी। उनको अहसास हो गया की वो जल्दबाजी में अलमारी खुली छोड़ गयी है।
मेरे पास आकर बोली: रुक मैं हेल्प कर देती हु। पर तू लगाके करेगा क्या?
मुझे क्या जवाब दु समझ नही आ रहा था। मैने हवा में जवाब दे दिया: “मालूम नही?!?!?!?”
चाची हस्ते हुए: पागल है मेरा बच्चा। रुक तुझे मैं इसका पूरा इस्तेमाल बताती हु।
और उन्होंने खुद को नंगा कर दिया। और मेरे सामने खड़ी हो गयी। छोटे छोटे झांट वाली चुत मेरे सामने थी। प्रत्यक्ष में पहली बार मैं चुत देख रहा था। मैंने उत्साह में आगे हाथ करके चुत को सहलाया। चाची की मुह से आआह निकल गयी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
फिर उन्होंने मुझे लिटाया और लन्ड को थोड़ा हिलाकर कॉन्डम चढ़ा दिया। फिर मुह से थोड़ी थूंक मेरे लन्ड पे डाल सहलाया और थोड़ी चुत पे डाल के चुत को भी मसला। फिर धिरे से दोनो पैर मेरे दोनो तरफ फैला कर मेरे लन्ड पर चुत का छेद लगाया और आहिस्ता नीचे बैठ गयी।
दोनो की मुह से प्यारी दर्द भारी आआह निकल गयी। चाची थोड़ी देर ऐसे ही बैठी रही फिर आहिस्ते आहिस्ते ऊपर नीचे होने लगी। उनके दाँत ओंठ को चबा रहे थे। उनके मुह से “आआह आआह सीईई आआह आउच्च” जैसी कामनिय आवाजे निकल रही थी।
कुछ देर धीरे धीरे करने के बाद उन्होंने मेरे हाथ अपने चुचो पे रख दिए और अपने ही हाथो से मेरे हाथो पर दबाव देके चुचे दबाने मसलने लगी। अभी उनके ऊपर नीचे होने की गति और आवाज भी बढ़ गयी थी। हम दोनो एक साथ ही अकड़ के झड़ गए।
दोपहर को चाची किसी सहेली के साथ बाहर चली गयी। मैंने दिनभर पढ़ाई की। रात को खाना खाने के बाद मैं जाकर बेडरूम में सो गया। आज दिनभर चुदाई और पढ़ाई से आज मुझे जल्दी नींद आ गयी। करीब रात 12 बजे मुझे आवाजे सुनाई दी जिससे मेरी नींद खुल गयी। वो आवाजे चाची की थी वो चुत में उंगली कर रही थी और चुचे मसल रही थी।
मैंने उनको पूछा: क्या हुआ? क्यो चिल्ला रहे हो? आपके चुत को क्या हुआ?
चाची: वो जो तुझे होता है हर दिन?
मैं: फिर उसके लिए क्या करना पड़ेगा?
चाची: वही जो मैं करती हु तेरे साथ?
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मैं उनके चुत के पास गया और उनके चुत में जीभ लगाया और चाटने लगा। चाची उससे और उत्तेजित हो गयी। ओ मेरा मुह और अंदर डाल के दबाने लगी। करीब आधा घंटे तक उसकी चुत को चूसने के बाद भी उनका चुत रस नही निकल रहा था। तो उन्होंने मुझे उसमे लण्ड घुसाने बोला।
मैं: पर कॉन्डोम नही है अभी!?!?
चाची: अरे भाड़ में जाने दो कॉन्डम को अभी चुत की आग मिटानी जरूरी है।
इतना बोल के उन्होंने मेरा लण्ड हाथ में लेके हिलाया उसे थूक से नहलाया और चुत पे टिका दिया। और मुझे धक्का देने बोली। मैंने आहिस्ता आगे पीछे होना चालू किया। कुछ देर बाड “आआह आआह सीईई” पर टिकी रही बाद में चाची के कहने पर गति को बढ़ा दिया।
अभी रूम में “आआह चोद चोद और जोर से चोद भड़वे,पूरी ताकत से चुत मार,बड़ी आग है इस रंडी में,और आआह उहह जोर से” की आवाज गूंज रही थी। चाची कुछ 15 20 मिनिट में झड़ गयी। और उसके कुछ पल बाद मैं भी झड़ने वाला था।
जैसे ही मैं अकड़ गया चाची ने मुझे ऊपर बुलाया और लण्ड को अपने मुह में रख हिलाने लगी। मेरा सारा लण्ड का रस उसकी मुह में। उसने शरबत की तरह उसे गटक लिया। फिर जब मैं सोया तब मुझे चिपक कर गले लगा के सो गयी।
दूसरे दिन मैं उठा तो चाची किचन में थी। मैं बाथरूम जाके आया। जैसे ही बाहर आया चाची ने मेरे हाथ पैसे दिए और कहा “बाजू के गांव में चाचा आये है वहां से फिर शहर लौटना है उन्हें। उनको जाके दे आ।” मैं घर से निकला। गांव दूर था तो वापस लौटने तक शाम हो गयी।
रोज मैं चाची के साथ खाना खाता था पर आज ज्यादा थकान थी इसलिए मैं खाना खाके ऊपर चला गया । पर आज दिन का पढ़ाई का कोटा पूरा भी करना था। तो मैं थोड़ा पढ़ने बैठा। उसमे ही मैं थक के सो गया। रात को मेरे लण्ड ने फिरसे आग झोंकना चालू किया। मेरी नींद टूट गयी थी। मुझे नींद आने के लिए लण्ड शांत होना जरूरी था।
मैं नीचे आया और अंधेरे में पलंग पर चढ़ के चाची के पीछे सो गया। और लन्ड को बाहर निकाल के गांड पे घिसने लगा। गांड का आकर बहोत बड़ा और गोल था। मुझे बहोत मजा आ रहा था। कुछ पल बाद सामने से गांड आगे पिछे करते हुए साथ मिलने लगी।
मैंने बगल से हाथ डाल चुचो को दबाना चालू किया। आज चाची साड़ी में थी। और चुचे भी बड़े थे। मुझे आज बहुत मजा आ रहा था। कुछ पल की बात मेरे लण्ड ने अपना रस छोड़ दिया। मैं दिनभर थका था तो आदत से वही पर सो गया। सुबह उठा तो देखा की जो मेरे साथ सोई है वो चाची जैसी नही थी। कोई और ही था।
नीचे देखा तो लण्डरस का दाग वैसे का वैसा था। मैं थोड़ा डर सा गया। मैं झट से उठा और देखा तो चाची उस औरत के उस तरफ सोई थी। मतलब रातभर हम तीनो एक पलँग पे थे और मैं उस अनजान औरत के गांड पे अपना लण्ड रगड़ रहा था और जोश में चुचे भी दबा दिए।
चद्दर की वजह से उनका मुह मुझे दिखाई नही दिया। पर उसके अगले ही पल मुझे ये बात समझ आयी की मैंने इतना सब किया फिर भी ओ औरत चिल्लाई क्यो नही। नींद में होगी इसलिए नही चिल्लाई होगी पर उसने लण्ड घिसते हुए गांड भी हिलाई थी। मेरा सुबह सुबह सिर चकराने लगा।
मैं झट से ऊपर की मंजिल पे जाके सो गया क्योकि अभी 6 ही बजे थे। सुबह 10 बजे मैं नीचे आया और फ्रेश होकर बाथरूम से बाहर आया और चाची से नाश्ता मांगा और ऊपर चला गया। कुछ देर बाद ऊपरी कमरे की टकटक हुई।
पर मैं पढ़ने में इतना गढ़ गया था की मैं कुछ जवाब ही नही दिया। वो अंदर आई, आके सामने नाश्ता रखा, मैंने सर ऊपर उठा कर देखा तो 55 साल पार 36’36’38 का यौवन सावली आधे सफेद आधे बालो वाली एक मदमस्त औरत मुझे देख मुस्कराते हुए खड़ी थी।
मेरे मुह से यकायक निकल गया: अरे अम्मा जी नमस्ते आप कब आई।
जी हा!!चाची की मा थी ओ। 5 साल पहले देखा था उनको। बड़ी खुले विचारों की औरत। थोड़ी अजीब भी थी। चाची के पिताजी के देहांत के वक्त आखरी मुलाकात हुई थी हमारी। पर तब मैं छोटा था। करीब 13 साल का। पति के मरने के बाद 1 हप्ते में ही वो हसने खिलखिलाने लगी थी।
उनके गांव के लोग उसे पागल औरत समझते थे। क्योकि हो हद से ज्यादा खुले विचारो की थी। जब मैं छोटा था तब से जब भी आती थी तो मुझे वही खाना खिलाना नहलाना सब करती थी। क्योकी उनकी बेटी को कोई संतान नही थी इसलिए।
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अम्मा: अरे अभी ध्यान गया तेरा तेरी अम्मा पर,कबसे आई हु मैं।
मैं: अरे अम्मा 12 वी का वर्ष है। पढ़ाई कर रहा था।
अम्मा: मालूम है तेरी क्या पढ़ाई चल रही है।
मैं: मतलब?!? आपको क्या मालूम है?मैं कुछ समझा नही।
अम्मा: कल रात को जो टेस्ट दे रहा था एग्जाम की वही तेरे पढ़ाई की प्रोग्रेस पता चल गयी।
और इतना कहके उन्होंने आके मेरे गाल को खींच मेरे हाथ की खाली प्लेट लेके वहा से चली गयी। मैं थोड़ा सहम से गया। क्योकि चाची के बजाय उनकी मा के साथ मैने हस्थमैथुन किया था। कहि चाची बुरा न मानले। इसलिए डर सा लग रहा था।
दोपहर को खाना खाने के बाद मैं सो गया क्योकि रात को देर से सोया और जल्दी भी नींद खुली थी और पढ़ाई से सबको नींद आती है। शाम को 6 बजे करीब मेरी नींद खुली। सोते वक्त रात का सारा मामला मेरे दिमाग में घूम रहा था। उसकी वजह से लण्ड तन चुका था।
टाइट शॉर्ट से बहोत दर्द हो रहा था,इसलिए शॉर्ट उतार कर बनियान अंडरवेयर में नीचे आ गया। अंडरवेयर में खड़े लण्ड का आकर साफ दिखाई दे रहा था। नीचे आके चाची को पुकारने लगा तो चाची ने किचन से आवाज दी की मैं यहाँ हु। मैं किचन में गया तो। चाची आटा बून्द रही थी और अम्मा बैठ के बाते कर रही थी।
चाची: क्यो बेटा अम्मा से मिला की नही?
अम्मा: हा तेरा लाडला मिला मुझे, बहुत अच्छे से।
मैं: चाची चाची सुनो तो।
चाची: हा हा बोल,क्यो चिल्ला रहा है।
मैं अम्मा के सामने वो बात बोलने से शर्मा कम रहा था डर ज्यादा रहा था। मैंने आंखे नीचे करली। मेरे आंखों को देखते हुए दोनो ने मेरे अंडरवेयर को देखा जो फुली हुई रोटी की तरह बन चुका था। और दोनो खिलखिलाकर हस पड़ी। मैं दोनो को सिर्फ देखता ही रह गया।
चाची: अच्छा ये बात है,पर अभी मैं काम कर रही हु,मैं कैसे हेल्प करू?
मेरा मुह एकदम से मायूस होकर नीचे हो गया। मैं वह से जाने वाला था तभी अम्मा बोली: “तू नही तो मैं हु न,मैं मदत कर दूंगी मेरे पोते की। आजा मेरे लल्ला।”
मैं थोड़ा हिचकिचाने लगा। पर लन्ड को शांत भी करना था तो मैं उनके पास गया। अभी मैं दोनो के बीच खड़ा था। चाची मेरे तरफ पीठ करके ओटे वे आटा बून्द रही थी। मैं उनके पीछे था और बाजू डायनिंग पर अम्मा। मैं पास गया वैसे ही अम्मा ने अंडरवेयर के ऊपर से ही लण्ड को दबाया। मेरे मुह से आआह निकल गयी। मेरे सिसकी से चाची ने मुड़के देखा और हस दी। अभी अम्मा ने अंडरवेयर नीचे कर लण्ड को बाहर निकाला.
अम्मा: हाये दैया बड़ा तगड़ा लण्ड है रे तेरा।
अभी तक लण्ड शब्द मैंने किसी औरत के मुह से नही सुना था। चाची लुल्ला ही बोलती थी।
चाची: फिर क्या अम्मा, बेटा किसका है।
अम्मा लण्ड को सहलाये: हा वो तो है,एकदम दमदार है। तेरे पिताजी से भी तगड़ा।
चाची: माँ क्या आप भी, उसके सामने अइसी बाते कर रही हो।
अम्मा: तो, तो क्या हुआ, जो है वो है। तेरे पति का इतना तगड़ा है क्या? मेरे पति का तो नही है।
चाची का चेहरा लाल था वो अम्मा को चुप रहने का इशारा करती है। पर अम्मा उसे टोकती है: बोल न, जो है वो है।
चाची धीमे से नही बोलती है। अम्मा हस्ते हुए लण्ड को ऊपर से नीचे हिलाना चालू करती है। मुझे मजा बहोत आ रहा था पर दर्द भी उतना ही था। अम्मा लन्ड को हिलाते हिलाते मेरे शरीर का जायजा लेने लगी। मेरे छाती बाजुओं पे हाथ घूमाने लगी। मैं भी उनके चुचो को घूरने लगा। उनका पल्लू चुचो से हटा हुआ था।
उनकी नजर जब मेरे आंखों के दिशा में गयी तो उन्होंने भी मेरी नजर की हवस नोटिस कर ली। मुझे मालूम पड़ा की अम्मा में मेरी नजर ताड ली तो मैने भी नजर हटा दी और इधर उधर देखने लगा। पर मुझे नजर चुराते देख अम्मा ने लण्ड को हल्का सा दबाया। मेरे मुह से सिसकी/चींख निकलने ही वाली थी की अम्मा ने मेरे मुह पे हाथ रखा जिससे मेरी आवाज चाची तक न जाए।
अम्मा ने आंखों से कहा: “चुचे चाहिए क्या?”
मैंने भी शैतानी मुस्कराहट में हा बोल दिया। वो भी मादक हस दी। उसने ब्लाउज खोल दिया। ब्रा तो वो पहनती नही। अभी गोल मटोल लटके हुए चुचे मेरे सामने थे। मैंने हल्के से हाथ बढ़ाये और उनके चुचे सहलाने लगा। हाथ घुमाते घुमाते उनके निप्पल को मसल दिया तो अम्मा के मुह से सिसकी निकलते निकलते रह गयी।
उन्होंने दांत ओंठ दबा चबा के आनंद लूटना चालू रखा। ओ लन्ड को सिर्फ सहला रही थी। अभी लन्ड पूरा तन के आगबबूला हो गया था। अम्मा ने नीचे बैठ के उसको अपने मुह में लेके उसको चूसना चालू कर देती है। अम्मा अपना पल्लू घुटनो से ऊपर करके चुत को मसलने लगी। मैं खड़ा था तो मुझे चुत नही दिखाई दे रही थी।
मेरा लन्ड अभी झड़ने को था। मैंने चाची को वैसे इशारे से बताया पर वो सिर्फ हसी। मतलब उनको मेरा लण्ड रस पीना था। ओ लण्ड के सुपड़े के ऊपर जीभ फेरने लगी। जिससे मेरे लण्ड का तनाव और बढ़ गया। और फुआरे उड़ाते हुए मेरे वीर्य की धारा अम्मा के मुह पे गिर गई। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
संजोग अइसा की उसी वक्त चाची भी पीछे मुड़ी। उनके सामने गिला 5 इंच का लण्ड लटकाए मैं और मुह पे सफेद वीर्य से रंगा मुह लेके घुटनो पे बैठी अम्मा थी। मुझे उस वक्त लगा की अब मेरी कोई खैर नही। चाची जरूर नाराज होंगी। पर यहाँ तो उल्टा हो रहा था।
वीर्य से रंगा मुह लेके अम्मा बाथरूम जाने वाली थी की चाची ने अम्मा का हाथ पकड़ा और उन्हें करीब खींच के मेरा गिराया मुह पर का रस चाटने लगी। उन्होंने पूरा रस साफ कर दिया। उस चाट चटाई करते हुए, दोनो लेस्बियन हो गए। एक दूसरे के होठो को मिलके चूसने लगे।
क्या मादक नजारा था। दोनो उसमे इतना मन्त्र मुग्ध हो गयी की आवेश में पूरे कपड़े निकाल दिए। दोनो अभी बेड रूम में चली गयी। मैं तो सिर्फ खड़े खड़े देखता रहा। जो हो रहा था उसपे मुझे भरोसा नही हो रहा था। मुझे एकपल के लिए वो सपना लगा।
इसी सोच में पड़ा था तभी मुझे कुछ जलने की बदबू आयी। देखा तो रोटी जल रही थी। मैंने गैस बंद किया। किचन ठीक करके बेडरूम में घुस गया। अभी भी दोनो एक दूसरे से लिप्त थी। चाची अम्मा के चुचे चूस रही थी और अम्मा चुत में उँगली डाले चुत सहला रही थी।
थोड़ी देर बाद नजारा बदला अभी चाची के चुचे अम्मा के मुह में और चाची अपनी चुत को सहला रही थी। मैं तो समझ गया की बेटी पूरी अम्मा पे गयी है। पूरी नशा है इन दोनो की रगों में। पर अभी मेरा लण्ड भी प्यासा हो रहा था। तो मैं भी पलंग पर चढ़ के अम्मा को जॉइन किया।
मैं और अम्मा एक एक चुचे को चूसने लगे। मैंने चाची का हाथ हटाया और मैं खुद चाची के चुत में उंगली अंदर बाहर करने लगा । चाची मेरे बाल को खिंच ताने सिसक रही थी। उन्होंने हम दोनो के सिरों को अपने चुचो में दबाके रखा था।
बीच में ही उन्होंने मेरे सर को पकड़ा और अपने मुह के पास लेके अपने ओंठ मेरे ओंठ से मिला लिए। मेरे जिंदगी का पहला कीस(चुम्मा)। वो मेरे ओंठो को चूस रही थी। लाल कोमल पंखुड़िया रसमलाई की जैसा स्वाद था उनमें। उन दोनो ने मुझे पलँग पर लिटा दिया।
अभी अम्मा ने मेरे लण्ड को हिलाया और थोड़ी थूक अपनी झांटो वाली चुत पर डाल के मेरे लण्ड पर चुत लगाके आहिस्ता ऊपर नीचे होने लगी। वो बड़े मजे में अपनी चुत चुदवा रही थी। यह चाची भी गरम थी वो दोनो पैर फैला के मेरे मुह पे बैठ गयी और चुत को मुह में लगा दिया।
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अभी एक चुत मुह में और एक लण्ड के ऊपर थी। चाची मुह से चुत चोद रही थी और अम्मा लण्ड से। अम्मा उम्र के हिसाब से जल्दी झड़ गयी और। मेरा बाजू में सो गयी। जैसे ही अम्मा लन्ड के ऊपर से हटी चाची ने वहां कब्जा कर लिया। वो चुत को चुदवाने लगी। मैं और मेरा बेचारा लण्ड सिर्फ चुदाई मशीन बने थे। चाची का भी ज्यादा देर चल न सका कुछ पल में वो भी ढेर हो गयी। 1 से 2 घंटा सोने के बाद हम लोगो ने नंगा ही खाना खाया।
बाद में मुझे मालूम पड़ा की अम्मा अबसे यही रहने वाली थी। जबतक चाचा नही रहते थे तबतक मैं अम्मा चाची तीनो एक साथ चुदाई का आनंद लेते थे। और जब चाचा रहते थे तब अम्मा मुझे मजा देती थी। उसमे मेरी एक गलती भी हुई की चाची पेट से हो गयी। चाचा संतान होने के खुशी में कुछ शक नही किये। उसके बाद मेरे एग्जाम भी स्टार्ट हुए तो मेरी चुदाई तो क्या चुसाई भी नही होती थी। एग्जाम में थकावट न आ जाए इसका डर था चाची को। अम्मा हमेशा तैयार रहती थी पर चाची ने उनको भी बोल दिया की एग्जाम है इससे मुझे दूर रखे।