Desi Unsatisfied Lady
बात उन दिनों की है जब मैं एक प्राइवेट कंपनी में मार्केटिंग जॉब करता था। मुझे अपने कस्टमर से उनके ऑफिस और शॉप पर जाकर मिलना पड़ता था और पूरे दिन फ़ील्ड का काम करना पड़ता था, लेकिन शनिवार को सिर्फ ऑफिस में बैठना पड़ता था और थोड़े बहुत काम फ़ोन से ही करने होते थे! Desi Unsatisfied Lady
वो एक सुहानी सुबह थी, मेरे ऑफिस में कम लोग ही आये थे, हम दो दोस्त ही उस समय फ़ोन पर कस्टमर से बात करते हुए मौसम का मजा ले रहे थे ! मैंने एक कस्टमर को फ़ोन लगाया और उसके हेलो बोलने से पहले ही बड़े आत्मविश्वास से कहा,” गौरव सर ! क्या हाल चाल है !”
यहाँ पर कोई गौरव नहीं रहते हैं ! एक खनकती हुई आवाज़ सुनाई दी !
यह जादुई आवाज़ मेरे दिल में उतर गई,”माफ़ कीजिये मैडम ! मैंने शायद कोई गलत नंबर लगा दिया है !”
लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। मैंने फिर कहा- मैडम मैंने जानबूझकर आपको फ़ोन नहीं लगाया है, गलती से लग गया है !
अब वो बोली- कोई बात नहीं !
मुझे लगा उसकी आवाज़ में एक उदासी है और वो शायद किसी से मेल-जोल नहीं रखना चाहती। लेकिन मुझे तो अब उससे और बात करने का मन कर रहा था और वो कोई जवाब भी नहीं दे रही थी।
“सॉरी मैडम मैंने आपको परेशान किया, लेकिन मैं बस एक बात कहना चाहता हूँ कि आपकी आवाज़ बहुत मीठी है! अगर आपको मेरी बात बुरी लगी हो तो मैं फिर भी आपसे माफ़ी नहीं मांगूंगा क्योंकि मैंने कोई गलत बात नहीं कही है !
अब वो बोली- मैं अजनबी से बात नहीं करती हूँ!
मैंने कहा- मैडम मेरा नाम मनीष सक्सेना है और मैं प्लांट में काम करता हूँ, आपसे फ़ोन-फ्रेंडशिप करना चाहता हूँ, यह एक शुद्ध मित्रता होगी जिसमें कोई बुराई नहीं। अगर आपको मैंने कोई गलत बात की तो आप फिर मुझसे बात मत करना, मैंने अपना पासा फेंका।
वो थोड़ी देर शांत रही, फिर बोली- जी नहीं मुझे कोई दोस्ती नहीं करनी ! और उसने फ़ोन रख दिया !
मैंने कालर आईडी से उसका नंबर देखा फिर फ़ोन लगाया, बहुत देर तक घंटी बजती रही लेकिन उसने फ़ोन नहीं उठाया ! मैंने भी उसका नंबर लिख कर रख लिया कि १-२ दिन बाद फिर से कोशिश करूँगा !
इस तरह अगले २-३ दिन मेरे दिमाग में उसकी वो आवाज़ घूमती रही और मैं उसके कल्पना में खोया रहा- “वो कितनी सुंदर होगी, उसका फिगर कैसा होगा, उसके वक्ष कितने गोल गोल और बड़े होंगे” और यही सोच-सोच कर मैंने २-३ बार मुठ मार लिया !
अब मैंने सोच लिया जो भी हो जाये उस लड़की को देखना है और किसी भी तरह फ़ंसाना है ! इस तरह मैं अगले शनिवार का इन्तजार करने लगा और सोच लिया कि उसी समय ही फ़ोन करूँगा ताकि उससे ही फ़ोन पर बात हो सके !
आखिर शनिवार का दिन आ गया, मैं ठीक १० बजे ऑफिस पहुच गया ताकि उससे बात हो जाए। उस समय ऑफिस में कोई नहीं आया था, मैंने उसका नंबर लगाया, मेरे दिल की धड़कन और फ़ोन की घंटी जोर जोर से बज रही थी ! बहुत देर रिंग बजती रही लेकिन किसी ने फ़ोन नहीं उठाया। मेरा मन मायूस हो गया, मैं क्या क्या सोच के आया था और अब उससे बात भी नहीं हो पा रही है!
मैंने फिर से फ़ोन लगाया, अगर अब किसी ने फ़ोन नहीं उठाया तो मैं फिर कभी भी फ़ोन नहीं लगाऊंगा… … अभी दो ही रिंग गए थे कि किसी ने हेलो कहा और फ़ोन में वो ही खनकती हुई आवाज़ थी !
मैंने पहचान लिया- हेलो मैडम मैं मनीष कपूर बोल रहा हूँ, हमारी पिछले हफ्ते आपस में बात हुई थी और मैंने आपको फ़ोन फ्रेंडशिप ऑफर किया था ! जी, आपने मुझे पहचाना ….?
आपको मैंने पहले ही कहा था ना कि मुझे आपसे कोई फ्रेंडशिप नहीं करनी और आपको मालूम भी है मेरी उम्र क्या है, हो सकता है मेरी उम्र ५० साल हो ! तो भी आप मुझसे फ्रेंडशिप करना चाहोगे?
मैंने तो सोच लिया था, जो भी हो जाये इस खनकती आवाज़ का दीदार तो जरुर करूँगा। मैंने भी पासा फेका “मैडम मैंने तो पहले ही कहा था कि सिर्फ दोस्ती करना चाहता हूँ और दोस्ती में उम्र नहीं देखी जाती !”
वो बोली- ठीक है लेकिन हम लोग सिर्फ फ़ोन पर ही बात करेंगे और कभी भी कुछ गलत बात तुमने की तो मैं फिर तुमसे बात नहीं करुँगी!
मैंने कहा- मैडम, आप मुझसे दोस्ती करके मायूस नहीं होंगी, यह मेरा वादा रहा !
इस बार वो मंद मंद मुस्कुराते हुए बोली- देखते हैं ! और यह बार बार मैडम क्यों कह रहे हो ! मेरा नाम सोनाक्षी है और हाँ मेरी उम्र ५० साल नहीं है !
तो फिर कितनी है? मैंने झट से पूछा।
वो हंसी और बोली- अभी नहीं बताऊंगी !
ठीक सोनाक्षी जी ! मेरे लिए यही काफी है कि मेरी आपसे दोस्ती है !
फिर मैंने अपने बारे में सब कुछ बताया और यह भी बताया कि मेरी अभी शादी नहीं हुई है और मेरे घर वाले मेरे लिए लड़की देख रहे हैं! सोनाक्षी ने बताया कि उसकी शादी हुए अभी ६ महीने ही हुए हैं, उसके पति एक गवर्नमेंट ऑफिसर हैं.
वो लोग झांसी के रहने वाले हैं और अभी २ महीने पहले ट्रान्सफर हो कर कानपुर आये हैं ! क्योकि हमें यहाँ आये ज्यादा दिन नहीं हुए हैं इसलिए हमारी जान पहचान बहुत कम हैं. और मेरे पति पर काम का भार बहुत ज्यादा हैं इसलिए ऑफिस में बहुत समय देना पड़ता है और मैं घर में अकेली बोर होती रहती हूँ !
और इस तरह हमारी दोस्ती बढ़ती चली गई और हम लोग रोज बहुत देर तक बात करते रहते! बातचीत का यह सिलसिला लगभग १ महीना चला ! एक दिन रोज की तरह सोनाक्षी का फ़ोन आया और वो रोने लगी।
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मैं बार बार पूछता रहा कि आखिर क्या बात है आप इस तरह क्यों रो रही हो… … और मैं कोई मदद कर सकता हूँ क्या? पर वो कुछ बताने को तैयार नहीं थी।
फिर मैंने कहा,” अगर आपने अब कुछ नहीं बताया तो मैं आपके घर आ जाऊंगा फिर आप मुझे कुछ मत कहना !”
अब वो बोली- कोई बात नहीं ! मेरे पति को हमेशा काम ही लगा रहता है ! आज उन्होंने मुझे पार्टी में जाने के लिए तैयार रहने को कहा था और मैं पिछले २ घंटो से तैयार हो के बैठी हूँ और अभी फ़ोन करके कहते है कि मैं काम में फंस गया हूँ और मुझे घर आने में बहुत रात हो जायेगी। इसलिए अब पार्टी में नहीं जा सकते और तुम चाहो तो पास के रेस्तरां से फ़ोन से डिनर आर्डर करके मंगा लो ! तुम ही बताओ मनीष क्या शादी के बाद लाइफ ऐसी होती है !
मैं थोड़ा चुप रहा फिर कहा,” सोनाक्षी जी, अगर आप चाहो तो अभी भी पार्टी हो सकती है, बस आपको हाँ कहना है अगर आप इस गरीब के साथ जाना पसंद करें तो और इसी बहाने हम एक-दूसरे को मिल भी सकते है। आखिर एक महीने से हम बात कर रहे हैं और अभी तक एक-दूसरे को देखा तक नहीं है !”
थोड़ी देर वो चुप रही फिर बोली,” ठीक है पर सिर्फ २ घंटे में वापस आना पड़ेगा !”
और उसने अपने घर का पता मुझे बताया और जल्द ही घर आने को कहा | आखिर एक महीने की मेहनत रंग लाई और मुझे पहली बार उससे मिलने का मौका जो मिल रहा था ! मैंने झट से अपने कपड़े बदले और सोनाक्षी के घर की ओर चल पड़ा और अपने दिमाग में सोनाक्षी को आभासी तस्वीर बनाने लगा- वो ऐसी दिखती होगी या फिर कैसी होगी !
इसी उधेड़बुन में उसकी कालोनी तक पहुँच गया और उसके घर पहुँचने में कोई दिक्कत नहीं हुई, मैं सोनाक्षी के घर के सामने पहुँच गया! वो एक बहुत बड़ा बंगला था, डरते हुए मैंने कॉल बेल बजाया… थोड़ी देर बाद एक औरत ने दरवाजा खोला। उसको देखते ही मेरी आँख फटी की फटी रह गई। वो बहुत गोरी थी और काले लम्बे बाल, तीखी नाक, भूरी आँख ऐसा लग रहा था कि मानो मैं किसी ड्रीम-गर्ल को देख रहा हूँ।
“जी क्या आप मनीष हैं?” उसने पूछा !
जी ! मैं ही मनीष हूँ !
आइये ! कुछ देर बैठकर चलते हैं ! उसने कहा।
“जी नहीं फिर कभी घर में बैठेंगे, अभी तो चलते है, नहीं तो लेट हो जायेगा।”
ठीक है ! जैसा आप चाहो, चलिए !
मैंने पहले से ही सोच लिया था कि एक अच्छे होटल में ही ले जाऊंगा जिससे मेरा पहला इम्प्रेशन ठीक बने, अब वो मेरी बाइक पर मेरे साथ बैठी थी !
सोनाक्षी जी फ्रेंड की तरह बैठिये ! न कि भाई-बहन की तरह ! आप इस तरह दूर दूर बैठी हैं, मैंने कहा!
उसने थोड़ा शरमाते हुए अपना एक हाथ मेरे जांघ पर रखा ! मेरा लंड कोबरा सांप की तरह फनफनाते हुए खड़ा हो गया और मैंने सोच लिया कि कुछ भी हो जाये इसे बिना चोदे नहीं छोड़ना है। फिर मैंने उसके वक्ष छूने के लिए झटके से ब्रेक मारा और वो मुझसे टकराई।
” आराम से चलाइए ना !” सोनाक्षी ने कहा।
मैं तो चाहता ही था कि वो जितना देर तक हो सके मेरे साथ बाइक पर बैठे !
आखिर हम शहर के सबसे अच्छे होटल में पहुंच गए।
बोलिये मैडम, आप क्या खाना पसंद करेंगी, वेज या नॉन वेज ! मैंने कहा।
आप ले कर आये हैं तो जो आपको पसंद है वो ही खिला दीजिये !
फिर मैंने खाने का आर्डर दिया और खाना आने तक हम आम बातें करते रहे। इसी बीच मेरा पैर उसके पैरों से टकराया और मैंने सॉरी कहा, वो सिर्फ मुस्कुराई… कहा कुछ नहीं। अब मुझे अहसास हो गया था कि आगे रास्ता साफ़ है, बस धैर्य की जरुरत है।
“आज आपने बहुत ही टेस्टी खाना खिलाया है, मैं भी बाद में आपको ट्रीट दूंगी अपने हाथों से बनाकर!
“कब दे रही है अभी बताइए इसी बहाने आपका साथ मिल जायेगा।”
अगले रविवार को मेरे घर में ! उसने कहा।
लेकिन आपके पति? रविवार को तो वो घर पर ही होंगे?
वो तो शनिवार को ओफ्फिशिअल टूर पर दिल्ली जा रहे हैं ! उसने कहा।
तो फिर शनिवार शाम को ही रखिये न डिनर ! मैंने कहा।
मैं आपको फ़ोन करके बताती हूँ !
ओ के अब चलें !
फिर मैंने सोनाक्षी को उसके घर छोड़ा … बाइक से उतरने के बाद उसने मुझे थैंक्स कहा।
सिर्फ थैंक्स से काम नहीं चलेगा ! शनिवार को ही डिनर देना होगा !… मैंने जोर दिया।
वो मुस्कुराई,”ठीक है ! लेकिन मेरे पति रात 8.30 की ट्रेन से जा रहे हैं तो तुम्हें नौ बजे के बाद ही आना होगा.”
फिर भी चलेगा ! आने का टाइम फिक्स है, जाने का नहीं न? मैंने पासा फेंका।
उसने हँसते हुए बाय कहा। उस दिन से मैंने शनिवार का इन्तजार चालू कर दिया और चुदाई का प्रोग्राम बनाने लगा। आखिर मेरा इन्तजार ख़त्म हुआ… इस बीच हमने फ़ोन पर कई बार बात की। रात ठीक नौ बजे मैं सोनाक्षी के घर के दरवाजे पर था। कॉल बेल बजाते ही सोनाक्षी ने दरवाजा खोला.
“अरे हरे रंग की साड़ी में तो आप बहुत ख़ूबसूरत लगती हैं !” मैंने कहा।
थैंक्स ! उसने कहा।
उस समय घर में सोनाक्षी के अलावा कोई नहीं था, बहुत ही सुन्दर था उसका घर ! सोनाक्षी ने फिर डिनर के लिए कहा।
सोनाक्षी जी इतनी भी क्या जल्दी है, आपको क्या लगता है मैं सिर्फ डिनर के लिए यहाँ आया हूँ !
मैं तो आपका साथ चाहता हूँ बस … डिनर तो एक बहाना है …
देखिये न, एक आप है जो मेरा साथ चाहते हैं और मेरे पति को मुझसे कोई मतलब नहीं है… वो मायूस हो गई… फिर उसके आँखों में आंसू आ गए…
मैंने उसे चुप कराने के लिए उसका हाथ पकड़ लिया और उसे शांत करने की कोशिश करने लगा. इस बीच मैंने महसूस किया कि उसने अपना हाथ छुड़ाने को कोशिश भी नहीं की। मैं धीरे धीरे अपनी उंगलियों को को उसके हाथों में फिराने लगा… वो चुप रही मेरी हिम्मत बढ़ती गई।
फिर मैंने उसके गुलाबी नर्म होंटों पर अपने होंट लगा दिए और फिर चूमता गया उसकी आँखों, माथे और फिर नीचे की ओर गले में… … प्लीज मनीष… नहीं, लेकिन उसने हाथ को छुड़ाने की कोशिश नहीं की ! फिर मैं अपना दूसरा हाथ उसकी कमर में फिराने लगा उसने कोई विरोध नहीं किया बस उसने आँखें बंद कर ली… ऐसा लगा जैसे वो सालों से प्यासी है !
फिर मैंने उसे गोद में उठाया और सामने दीवान पर लिटा दिया और अपने होंटों को उसके पेट में लगा दिया… ऐसा लगा मानो मैंने गर्म तवे पर अपना होंट रख दिया हो. फिर जीभ से उसके नाभि को चाटने लगा… प्लीज मनीष नहीं… नहीं वो कहती रही…
लेकिन अब मैं रुकने वाला नहीं था… जी भर के पेट को चूमने के बाद मैंने अपना हाथ धीरे धीरे नाभि से ऊपर ले जाना शुरू किया, और एक एक कर उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा, उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी, ब्रा खोलते ही उसके दोनों स्तन उछल कर बाहर आ गए।
दूध सा सफ़ेद गोरा स्तन और बीच में गुलाबी चूची देखते ही मेरी जीभ लपलपाने लगी और फिर मैं दोनों हाथों से उसके चूची को मसलने लगा… वो मदहोश होने लगी उसकी आँखें बंद हो गई… फिर मैं अपनी उंगली को फिराते हुए उसके नाड़े तक ले गया… और एक झटके में झंडे की तरह मैंने उसके लहंगे को उसके शरीर से आजाद कर दिया… और फिर मैंने अपनी ऊँगली को उसके पैंटी के ऊपर ही फिरने लगा…
वो बेहोश सी होने लगी, अब वो बोली… ओह ! मनीष !… … …प्लीज़… प्लीज. अब मैंने अपना पैंट उतार दिया और मैंने उसके हाथ को अपने गर्म हथौड़े जैसे लंड पर रख दिया वो मेरे लंड को धीरे धीरे सहलाने लगी… फिर मैं घुटने के बल बैठकर अपना लंड उसके चेहरे में फिराने लगा.. वो समझ गई कि अब मुझे क्या चाहिए…
वो मेरे लंड को दोनों हांथो से पकड़ कर लोलिपॉप की तरह चाट रही थी, पूरे लंड को वो मुँह के अन्दर ले कर फिर बाहर करने में उसे मजा आने लगा पर… वो मुझसे कहने में शरमा रही थी। करीब ५ मिनट तक चूसने के बाद मैं अपनी ऊँगली उसके चूत में फिराने लगा और फिर उसकी चूत की गुलाबी पंखुड़ियों को रगड़ने लगा, वो आह आह कर मजे लेने लगी।
अब मैंने अपनी ऊँगली उसकी व्हूत में डाल दी और ऊँगली से ही चोदने लगा मेरी पूरी हथेली उसकी चूत के पानी से गीली हो गई। अब वो मेरे लंड का स्वाद चखना चाहती थी और मेरे लंड को जोर जोर से दबाने लगी, मैं भी अब मदहोश होता जा रहा था, मैंने अपनी ऊँगली उसकी चूत से निकाली और लंड को उसके चूत में रगड़ने लगा.
“मनीष ये क्या कर रहे हो अब सहा नहीं जा रहा है प्लीज़… … …जल्दी डालो ना… … …
अब मैंने अपना लंड झटके के साथ उसकी चूत में पूरी तरह घुसा दिया… वो जोर से चिल्लाई … नाऽऽह ! अ आऽऽ… प्लीज़ बाहर निकालो… बहुत दर्द हो रहा है ! प्लीज़ मनीष बाहर निकालो… दर्द सहन नहीं हो रहा है…
मैं रुक गया और बोला- सोनाक्षी अभी थोड़ा दर्द तो होगा ही… अभी थोड़े देर में सब अच्छा लगने लगेगा।
वो कुछ नहीं बोली, अब मैं अपनी कमर धीरे धीरे हिलाने लगा, बहुत गीली होने के कारण उसकी चूत में मेरा लंड बड़ी आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था, लेकिन उसको शायद अभी भी थोड़ा दर्द हो रहा था इसलिए वो अभी चुदाई का आनंद नहीं ले पा रही थी लेकिन अब मैं कहाँ रुकने वाला था…
धीरे धीरे मैंने अपनी स्पीड बढानी शुरू कर दी… और उसको भी मज़ा आने लगा था इसलिए उसने अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ को जकड़ रखा था और पूरी ताकत से वो मुझे जकड़ने लगी थी… अब वो मुझसे खुलने लगी थी… मनीष अच्छा लग रहा है… जल्दी जल्दी करो न… अब मैं रुक गया…
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“क्या हुआ रुक क्यों गए”… उसने कहा।
सोनाक्षी मेरी एक तमन्ना है…
“तुमको फालतू बात करने के लिए और कोई टाइम नहीं मिला क्या !” वो झल्लाई।
अरे मैडम मेरी बात सुन तो लो ! मैंने कहा।
जल्दी बोलो…
मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ… प्लीज़ मना मत करना… मैंने कहा।
मैं समझी नहीं…? तुम क्या चाहते हो…?
मैडम, मैं पीछे से मारना चाहता हूँ…!
नो… … … मनीष प्लीज़ अब ऐसी गलत डिमांड मत करो… और मुझे इसका कोई अनुभव भी नहीं है…
मैं अभी उसको मायूस नहीं करना चाहता था… ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी…
मेरा चेहरा देखकर उसे मालूम चल गया कि मुझे उसका मना करना अच्छा नहीं लगा… ओ के मनीष लेकिन मैं ट्राई करूंगी लेकिन बाद में…
अब मैं खुश हो गया… और अब मैंने पोज़ बदलने को कहा.. और डॉगी स्टाइल में चुदाई चालू की.. ये स्टाइल उसको बहुत ही अच्छा लगा मैं अब चुदाई के साथ दोनों हाथों से उसके बड़े बड़े चूतड़ों को दबाने लगा… मेरा ये तरीका उसको भा गया… अब स्पीड बढ़ाने लगा…
मुझे लगा कि अब मैं डिस्चार्ज हो जाऊंगा… तो मैंने स्पीड कम कर दी… वो भी ज्यादा देर तक मजा लेना चाहती थी… थोड़ी देर बाद मैंने उसको चोदने देने का मौका दिया… अब मैं लेट गया और बोला- सोनाक्षी अब तुम लड़का हो मैं लड़की… कैसे करोगी…
उसने अपनी चूत को मेरे लंड के ऊपर रखा और पूरा भार छोड़ दिया। सटाक से उसकी चूत मेरे लंड से भर गई और वो अब ऊपर नीचे होने लगी… धीरे धीरे स्पीड बढ़ाने लगी… वो अब चुदाई का पूरा मजा ले रही थी… उसकी आह… आह… आह की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी।
अब उसका पूरा भार मेरा लंड ही झेल रहा था… लेकिन ये भार झेलने के लिए मैं ख़ुशी ख़ुशी तैयार था… उसने अब स्पीड बढ़ा दी। पूरे कमरे में फ़चाक फ़चाक की ध्वनि आने लगी और हम दोनों एक साथ अपनी मंजिल की ओर बड़ी तेजी से बढ़ते जा रहे थे…
आह मनीष… माय लव… प्लीज़.
ओह सोनाक्षी… सोनाक्षी…
एक साथ ही हम दोनों मंजिल पर पहुंच रहे थे… मेरा शरीर अकड़ने लगा- बस अब मैं ड्राप होने ही वाला हूँ… एक झटके में मैंने उसको उठाया और बेड पर पटक दिया… और पूरी ताकत से चोदने लगा… और एक झटके के साथ मेरा वीर्य उसकी चूत में भर गया..
और वो भी डिस्चार्ज हो रही थी, हमारी चुदाई एक्सप्रेस एक साथ अपनी मंजिल पर पहुँच गई… अब हम दोनों शांत लेटे हुए थे… लगभग ५ मिनट तक एक दूसरे को पकड़ कर लेटे रहे… फिर मुझे प्यास का अहसास हुआ.. और पानी पिया… अब हम दोनों अपने कपड़े पहन रहे थे…
मैंने सोनाक्षी से कहा- अभी मेरा मन नहीं भरा है… जब तक तुम मेरी वो डिमांड पूरी न कर दो…
वो मुस्कुराई बस बोली कुछ नहीं…
मैडम, खाना नहीं खिलाओगे क्या… और हाँ … अब तो मैं पेट भर के खाना खाऊँगा… आज तो जिंदगी की तमन्ना ही पूरी हो गई…
फिर हमने साथ में बैठ कर खाना खाया… बहुत ही लजीज खाना था… खाना खाने के बाद सोनाक्षी ने आइसक्रीम खाने की फरमाइश की। मैंने कहा- ठीक है, मैं जाकर ले आता हूँ ! लेकिन उसने मना कर दिया और कहा- मैं भी साथ चलूंगी… जैसी आपकी मर्जी…
फिर बाइक में हम साथ में मार्केट गए और सोनाक्षी ने अपनी पसंद का फ्लेवर का आइस क्रीम खिलाया… वहीं पर आइस क्रीम खाते हुए मैंने कहा- सोनाक्षी जी, यह सब जो हुआ है मैंने जानबूझकर नहीं किया है ये तो अपने आप ही हो गया है… अगर आपको लगता है मैंने कोई गलती की है तो आप मुझसे फिर कभी बात मत करना…
नहीं मनीष तुम्हें कुछ कहने की कोई जरुरत नहीं है ये तो होना… दोनों की मर्जी से हुआ है… ओ के ! अब चलें ?
फिर हम लोग घर आ गए… मुझे ड्राइंग रूम में बिठाकर वो ड्रेस चेंज करने चली गई… मैं टी वी देखते हुए उसका इन्तजार करने लगा। थोड़ी देर बाद वो आई उसने अब गुलाबी रंग की नाईटी पहनी हुई थी। वो जालीदार नाईटी में गजब ढा रही थी!
तुम चाहो तो मेरे पति का नाईट ड्रेस पहन लो ! उसने कहा…
आप जैसी खूबसूरत लड़की के साथ में रात में ड्रेस तो कोई बेवकूफ ही पहनेगा… मैंने हंस कर कहा…
तुम बात बहुत करते हो…
मैडम, मैं बात के साथ काम भी बहुत करता हूँ। मैं उसके पास गया और उसके होंटो पर अपने होंट जमा दिए… और चूमता गया… मैं अपने दोनों हाथों को उसके चूतड़ पर फिराने लगा, बड़ा ही नर्म सा अहसास था वो ! उसने भी अपने दोनों हाथों को मेरे कंधे पर बांध रखा था, अब हम दोनों खड़े खड़े ही एक दूसरे को चूम रहे थे…
क्या हम रात भर यहीं खड़े रहेंगे? उसने कहा.
जी नहीं मैडम ! अब हम आपके ड्राइंग रूम में ही रात गुजारेंगे…
क्यों ?????
अभी बताता हूँ… मैंने कहा।
उसको दोनों हाथों से उठाकर मैंने बड़े सोफे पर पटक दिया… मैडम, अब आपके सोफे में ही मजे लेंगे… मैंने कहा।
फिर मैंने अपनी जीभ से उसके गाल को चाटना शुरू किया, फिर धीरे धीरे उसके गले की ओर बढ़ता गया, उसके नाइटी के हुक को एक एक कर खोलता गया… अभी अन्दर उसने ब्रा नहीं पहना था… एक बार फिर मैं उसके बड़े बड़े स्तनों को दोनों हाथों से मसलने लगा…
और फिर उसकी चूची को दोनों उँगलियों से मसलने लगा.. अब वो आँखों को बंद कर चुकी थी… मैं समझ गया कि अब वो आगे बढ़ने के लिए तैयार है… अब मैं अपनी जीभ से उसके नाभि को रगड़ने लगा… और फिर एक हाथ से उसकी नाइटी को हटाया…
अभी सिर्फ पैंटी पहने थी वो… मैंने अपने कपड़ों को भी उतारना शुरू किया… सिर्फ अंडरवियर को छोड़ कर सभी कपड़ों को उतार दिया… हम दोनों सिर्फ एक ही कपड़ा पहने हुए थे… मैंने उसके हाथ को अपने लंड पर रख दिया… वो मेरे लंड से खेलने लगी… अब हम दोनों बहुत खुल गए थे… इसलिए सेक्स में और मजा आने लगा था…
मैं उसकी पैंटी को हटाकर अपने जीभ से उसकी साफ सुथरी चूत पर फिराने लगा… उसने मेरा सर पकड़कर जोर से अपनी चूत में दबा दिया.. अब मेरा सर पूरी तरह से उसके गिरफ्त में था… और मैं जीभ से ही उसकी भग्नासा से खेल रहा था… उसकी चूत के पानी से मेरा चेहरा पूरी तरह से गीला हो चुका था… अब मैंने अपना लंड उसके मुँह में दे दिया और दोनों हाथों से उसके बालों को पकड़ कर मुख-चोदन करने लगा..
वो भी बड़े ही प्यार से मेरे लंड को सुडूप सुडूप कर चाटने लगी। मैं इतना गर्म हो चुका था कि ८-१० बार में ही मेरा वीर्य तेज फव्वारे की तरह उसके मुँह में गिरने लगा… वो मेरे लंड को अपने मुँह से निकालना चाहती थी पर मैंने अपने हाथों से उसके बालो को पकड़ रखा था इसलिए वो लंड को मुँह से बाहर नहीं निकाल पाई…
और पूरा वीर्य उसके मुँह में गिर गया… अब मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाला… वो दौड़कर वाश-बेसिन की ओर भागी और फिर पूरा वीर्य मुँह से निकाला… और पूरी तरह से अपना मुँह साफ़ किया… मुझे अब अपनी गलती का अहसास हुआ… उसका ये शायद पहला एक्सपेरिएंस था…
सॉरी सोनाक्षी ! मैं कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया था… मैंने कहा।
वो शांत रही और फिर बोली- मुझे इस तरह के सेक्स का पहले कोई एक्सपेरिएंस नहीं है…
मैं कुछ नहीं बोला, थोड़ी देर तक हम लोग नंगे लेटे रहे… कुछ ही देर में मेरा लंड फनफनाने लगा… और फिर मैं अपने लंड को उसकी चूत में रगड़ने लगा फिर से उसकी चूत में पानी आने लगा और मैंने लंड को चूत में एक ही झटके में अन्दर तक डाल दिया… अब उसे मजा आ रहा था.. अब मैं उसे जोर जोर से चोदने लगा..
मेरा लंड तो एक बार झड़ चुका था इसलिए अब मैं मजे से चोद रहा था. अब कमरे में उसके सीत्कारने की आवाज़ आने लगी… ओह… मनीष.. और जोर जोर से करो… ओह मनीष… आह आह आह… मैं पूरी गहराई तक उसे चोद रहा था…
आखिर १० मिनट बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और वो फिर स्खलित हो गई… और जोर जोर से सांस लेने लगी… मैं तो अभी भी स्खलित नहीं हुआ था और मेरा दिमाग तो कही और ही था… मैंने अब उसे अपनी इच्छा बताई… सोनाक्षी मैं पीछे डालना चाहता हूँ !
मनीष, मुझे कोई एक्सपेरिएंस नहीं है… और सिर्फ एक बार ही ट्राई करूंगी…
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मैं तैयार हो गया.. मैंने उसको सोफे में उल्टा लिटा दिया और सिर्फ गांड और पैर को नीचे रखा जिससे मुझे उसकी गांड में अपना लंड डालने में कोई प्रॉब्लम न हो… फिर मैंने थोड़ा सा तेल अपने लंड में लगाया और धीरे धीरे लंड को उसके गांड में डालने लगा…
मनीषऽऽ ! दर्द हो रहा है… उसने कहा।
सोनाक्षी, मैं बहुत ही धीरे धीरे लंड को अन्दर डाल रहा हूँ… बस कुछ देर और फिर तुम्हें भी अच्छा लगने लगेगा… अपने आधे लंड को अन्दर डालने के बाद मैं रुक गया… सोनाक्षी ! बस थोड़ा सा दर्द और… प्लीज. फिर मैंने झटके के साथ बाकी के लंड को गांड में डाल दिया…
वो जोर से चिल्लाई… प्लीज बाहर निकालो ! दर्द हो रहा है…
मैंने उसकी बातों को ध्यान नहीं दिया और धीरे धीरे चोदने लगा… वो थोड़ी देर तक चिल्लाई, फिर चुप हो गई… अब उसे भी मजा आने लगा था और दर्द भी नहीं हो रहा था… बहुत ही टाइट गांड थी उसकी… कुछ देर तक चोदने के बाद मैंने उसे पोज़ बदलने को कहा…
फिर मैं सोफे में पैर नीचे करके बैठ गया और उसे अपने गोद में इस तरह बिठाया कि मेरा लंड उसकी गांड में बड़े ही आराम से चला गया… अब वो धीरे धीरे ऊपर नीचे हो रही थी और मैं अपने दोनों हाथों से उसके वक्ष से खेल रहा था… अब वो खुद ही स्पीड बढ़ाने लगी और कमरे में उसकी सी सी की आवाज़ गूंजने लगी… आह आह… ओह मनीष… ओह मनीष ओह मनीष…
हम दोनों एक साथ मंजिल की तरफ भागे जा रहे थे… और फिर हम एक साथ ही स्खलित होकर निढाल हो गए… बहुत देर तक हम लोग यूँ ही बैठे रहे फिर हमने साथ साथ बाथ रूम में शावर लिया… और फिर उसने चाय पीने की इच्छा जताई और हमने साथ में ही चाय बना कर पी…
मनीष… मैंने सोचा भी नहीं था… कि ! यह सब मैं कैसे कर पाई… मैंने तो कभी भी नहीं चाहा था कि अपने पति के साथ बेवफाई करूँ…
सोनाक्षी जी मैंने भी कभी नहीं सोचा था… सब अपने आप ही हो गया… इसमें दोनों का कोई दोष नहीं है… आपको परेशान नहीं होना चाहिए…
फिर कुछ देर हम यूँ ही शांत बैठे रहे और फिर… उसने कहा,” तुम ठीक कहते हो मनीष !”
और फिर सुबह तक हम… बात करते रहे ! अगली सुबह ही मैं चाय पी कर उसके घर से गया… और फिर इस तरह घर उसके घर का चक्कर चालू हो गया… और अभी भी चालू है…