Home Birthday Sex
दोस्तों नमस्कार मैं राजेश पाण्डेय आप सभी का फिर से स्वागत करता हूँ. दोस्तों आपने मेरी कहानी बहु के बिस्तर में घुस गया ठरकी ससुर 1 पढ़ी होगी. सूबह जब मेरी नींद खुली तो बहु कमरे में नहीं थी, शायद वो किचन में काम कर रही थी। मैं हाथ मुह धोकर कमरे से बहार आया, हमेशा की तरह बहार हॉल में सूरजभान न्यूज़पेपर पढने के बहाने मेरी बहु की जिस्म के नुमाईश का जायजा ले रहा था। Home Birthday Sex
मै – गुड मॉर्निंग सूरजभान आज सुबह-सुबह उठ गया तु।
सूरजभान – गुड मॉर्निंग हाँ पाण्डेय, कल रात जल्द ही सो गया था इसलिए जल्दी उठ गया।
मै – कैसी रही नींद?
सूरजभान – अच्छी। तेरी बहु हर्षिता को याद कर थोड़ी देर जागा रहा रात में फिर अपनी पिचकारी से तेरी बहु के नाम की सफ़ेद पानी निकाल कर सो गया।
मै- साला तु नहीं सुधरेगा.
सूरजभान – क्या करूँ मेरी किस्मत तेरी तरह तो नहीं न की बहु के कमरे में सो सकूँ। लेकिन पाण्डेय जी नुक़्सान भी है आप बहु के कमरे में सोते हो तो आप चाह के भी मुठ नहीं मार सकते है न?
मै- चुपकर। (मैं सोचता हुआ की सूरजभान तुझे क्या मालूम मैंने कल रात सिर्फ मुठ ही नहीं मारी बल्कि बहु के मुह पे गिराया भी वो भी बहु के मर्ज़ी से। )
मै – हाँ सूरजभान, ये प्रॉब्लम तो है.
सूरजभान – पाण्डेय आज सुबह से मैं यहाँ बाहर बैठा हूँ लेकिन बहु पास नहीं आयी मेरे वहीँ किचेन में काम कर रही है, बड़ा मन हो रहा है उसकी डीप नाभि और मोटी मोटी गांड देखने का।
मै – चुप हो जा, बहु ने सुन लिया तो क्या सोचेगी।
मै – चलो अब हमलोग मॉर्निंग वाक के लिए चलते हैं मैं बहु को भी बुलाता हू।
मै – बहुउउउ।
हर्षिता – जी बाबूजी आयी।
हर्षिता पहले से ही एक पिंक कलर का मिड ड्रेस पहनी हुई थी, उसकी गोरी और मोटी जाँघें सुबह-सुबह हमे पागल बना रही थी।
हर्षिता – बाबूजी मैं तैयार हूँ चलिये.
हर्षिता, सूरजभान और मैं मॉर्निंग वाक के लिए निकल पडे। सूरजभान और बहु मेरे आगे-आगे चल रहे थे और मैं पीछे बहु के गांड पे नज़र गड़ाए चल रहा था। मैं सोच रहा था की कल रात जो भी हआ, उसके बावजूद बहु कितने आराम से बातें कर रही है जैसे मानो कुछ हुआ ही न हो।
क्या ये मेरी बहु है जिसके मुह पे कल रात मैं अपना लंड का पानी निकला था। क्या मेरे बेटे ने कभी भी मेरी बहु के मुह में अपना पानी छोड़ा होगा? मेरे अंदर काफी सारे सवाल आ रहे थे मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की मैं अपनी बहु के साथ इतना कुछ कर सकूँगा वो भी इतनी जल्दी।
बीते रात की बात सोच मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं जैसे तैसे वाक पूरा कर घर आ गया। दोपहर १ ओ कलॉक हम तीनो डाइनिंग टेबल पे बैठ कर लंच कर रहे थे। मेरे बगल में बहु वाइट कलर सलवार सूट पहन के बैठी थे और मेरे ठीक सामने दूसरी तरफ सूरजभान।
हम सब कुछ-कुछ बातें कर रहे थे, मैंने बातो ही बातों में अपना एक हाथ बहु के जाँघो पे रख दिया। बहु ने तुरंत मेरा हाथ हटा दिया मैं फिर से बहु के जाँघ पे हाथ रख दिया और सहलाने लगा। इस बार बहु चुपचाप थी और अपनी नज़र झुकाये लंच करती रही।
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मै – बहु जरा रोटी देना एक और। (ऐसा कहते हुये मैंने अपना हाथ बहु के बुर के पास ले गया और जोर से दबा दिया.)
हर्षिता – ये लिजीये बाबू जी। (बहु ने एक नज़र सूरजभान को देखा)
मै – *डबल मीनिंग में* वह बहु। तुम्हारी रोटी कितनी गरम और फूली हुई है। (मैं बहु की बुर वाइट सलवार के ऊपर से सहलाते हुये कहा।)
बहु मेरा इशारा समझ रही थी की मैं रोटी की नहीं उसकी फूलि हुई और गरम बुर की बात कर रहा हू।
हर्षिता – हाँ बाबूजी बहुत गरम है।
सूरजभान – हाँ बहु तुम रोटी बहुत अच्छी बनाती हो। लेकिन बहु तुम इतना घी क्यों लगाती हो रोटी में।
मै – *डबल मीनिंग* सूरजभान, बहु की रोटी का घी ही तो टेस्टी है। मुझे तो बहु की रोटी से निकलता हुआ घी बहुत पसंद है। बहु के रोटी में जितना घी उतना मजा।
मै – (एक हाथ से रोटी को उठाते हुए। ) देखो बहु कितना सारा घी निकल रहा है। (ऐसा कहते हए मैंने बहु के बुर के बीच अपनी ऊँगली घुसा दी।) क्यों बहु घी निकल रहा है ??
हर्षिता – हाँ बाबूजी, बहुत ज्यादा घी निकल रहा है मेरी रोटी से। अब खा भी लीजिये देखिये न आपकी पूरी ऊँगली भींग गई मेरे घी से।
मै – (अपनी ऊँगली चाटते हुये।) बहु तुम तो जानती हो मुझे चाटना अच्छा लगता है। (इस बार मैंने अपना दूसरा हाथ बहु के बुर से हटा कर अपने जीभ से चाट लिया.)
सूरजभान – (हँसते हुए।) पाण्डेय, तुम्हारे इस हाथ में घी लगा है और तुम दुसरा हाथ चाट रहे हो ??
मै – अरे सूरजभान, तुम नहीं जानते इस हाथ में भी बहु की रोटी का घी लगा है, इसकि स्मेल भी अच्छी है और चाटने में स्वाद भी।
इतना सब डबल मिनिंग बात कर मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चूका था, मैंने बेशरमी से टेबल के नीचे बहु के सामने ही अपना लंड बहार निकाल लिया और रब करने लगा। बहु चोरी से अपनी तीरछी नज़र से मेरे लंड का स्किन ऊपर नीछे जाते देख रही थी। दूसरी तरफ बैठा सूरजभान इन सब हरक़तों से अन्जान था।
मै – (मुठ मारते हुए। ) बहु क्या हुआ तुम ठीक से खा नहीं रही। ?
हर्षिता – कुछ भी तो नहीं बाबूजी मैं खा तो रही हूँ।
मै – नहीं बहु लगता है तुमने सारी घी वाली रोटियां मुझे और सूरजभान को दे दी और खुद सूखी रोटी खा रही हो।
सूरजभान – बहु ये गलत है, तुम मेरी ये घी वाली रोटी ले लो और मुझे सूखि वाली दे दो।
मै चेयर पे बैठा मुठ मार रहा था, और ५-६ बार स्ट्रोक मारते ही मेरे लंड का पानी मेरी हथेली पे ही निकल गया। बहु ने मेरा मुठ निकलते हुए देख लिया लेकिन वहां सूरजभान के होने के वजह से कुछ नहीं बोल पायी और चुपचाप खाना ख़ाति रही।
मै – बहु लाओ रोटी इधर दो। मेरे हाथ में घी लगी है मैं लगा देता हू। (बहु ने कोई रेस्पोंस नहीं दिया.)
मै – (अपना हाथ आगे बढाते हुए बहु की रोटी उठा ली और उसपे अपने हथेली का सारा मुठ फैला दिया) ये लो बहु। थोड़ा मेरे भी घी का स्वाद चख लो।
हर्षिता – जी बाबूजी। (हर्षिता ने मेरे सफ़ेद मुठ से भीगी रोटी को तोड़ अपने मुह में डाल लिया)
मै – कैसी लगी बहु?
हर्षिता – अच्छी बाबूजी। बहुत अच्छी।
बहु के इस हरकत को देख मैं काफी एक्साइटेड हो गया, मेरी रंडी बहु कितनी बेशरमी से मेरा मुट्ठ चाट रही थी। हमसब लंच ख़तम करने के बाद काफी देर तक वहीँ बैठे बातें करते रहे।
सूरजभान – बहु तुम्हारे हस्बैंड कब आएंगे? रोज बात होती है?
हर्षिता – हाँ अंकल बात तो होती है, कुछ महीनो में आ जाएंगे.
सूरजभान – तुम सारा दिन बोर नहीं हो जाती?
हर्षिता – हो जाती हूँ लेकिन फिर हस्बैंड से कभी फ़ोन पे तो कभी वेबकम पे बात कर लेती हू।
सूरजभान – अच्छा तो तुम इंटरनेट भी यूज करती हो?
हर्षिता – जी अंकल.
सूरजभान – अरे वाह। ये तो अच्छी बात है। आज़कल तो सबलोग फेसबुक पे भी बातें और फोटो अपलोड करते हैं न। तुम्हारी फोटोज हैं फेसबुक पे।
हर्षिता – जी मैं फेसबुक यूज करती हूं, फोटो तो पुराने शादी के है। उसके बाद कोई नयी फोटो अपलोड नही की है।
सूरजभान – क्यों बहु?? तुम और अर्पित मिलते नहीं हो तो कम से कम उसे अपनी लेटेस्ट फोटो तो भेज दिया करो.
हर्षिता – अंकल वक़्त ही कहाँ मिलता है और काफी दिनों से कहीं गई भी तो नहि।
सूरजभान – तो क्या हुआ बहु हमारे घर के पीछे अच्छी जगह है तुम्हे कहीं जाना भी नहीं पडेगा। लाओ मैं तुम्हारी कुछ अच्छी फोटो निकाल देता हू।
मै – हाँ बहु मैं कैमरा लाता हूँ तुम ये सलवार सूट उतार कर साड़ी पहन लो, और २-३ ड्रेस और भी निकाल लेना ढेर सारी फोटो खीच लेते हैं तुम्हारी।
हर्षिता – जी बाबूजी।
मैं सूरजभान और बहु घर के पीछे चले गए। सूरजभान कैमरा पकडे खड़ा था और बहु उसके सामने खड़ी हो गई। मैंने नोटिस किया की शायद बहु ने अपनी साड़ी और नीचे कर दी है और अपना पूरा पेट् और नवेल हमे बेशरमी से दिखा रही है। सूरजभान ने बहु के कई फोटो खीचे.
बहु भी शर्म छोड़ अपनी जिस्म की नुमाईश करती रही और कई पोज़ में तो वो मुझे बिलकुल रंडी नज़र आ रही थी। कुछ फोटो के बाद बहु ने २-३ साड़ी और चेंज की और हर फोटो में उसका नवेल पूरा खुला ही दिख रहा था। किसी भी फोटो में बहु ने अपनी नवेल छुपाने की जरुरत नहीं समझी।
शाम को डिनर करने के बाद सूरजभान अपने कमरे में चला गया। मैं और बहु एक कमरे में आ गये। बहु ने दरवाज़ा बंद किया और विंडो पे कर्टेन लगा दिया। मैं बिस्तर पे बैठ ब्लैंकेट में घुस गया और बहु को देखने लगा, बहु मेरे सामने कपडे चेंज करने लगी। और मेरे सामने एक टीशर्ट और शर्ट में बिस्तर पे चढ़ गई।
मै – बहु तुम इतनी चुप क्यों हो? मुझसे नाराज़ हो?
हर्षिता – हाँ बाबूजी, कल रात मैंने आपको बोला था की आप मेरे साथ ऐसी हरकत दूबारा नहीं करेंगे.
मै – हाँ बहु बोला तो था।
हर्षिता – फिर क्यों? आपको दोपहर में लंच टेबल पे क्या हो गया था?? वो भी सूरजभान अंकल के सामने?
मै – देखो बहु, मैं माफ़ी चाहता हूँ लेकिन उस वक़्त मैं अपने आप को रोक नहीं पाया तुम बहुत खूबसूरत लग रही थी।
हर्षिता – बाबूजी, अगर सूरजभान अंकल को पता चल जाता तो? आप बिना किसी डर के मेरे सामने ओ अपना। पानी। और मेरी रोटी पे घी कह के लगा दिया। और मुझे मजबूरन खाना पडा।
मै – बहु मैं अपने होश खो बैठा था मुझे माफ़ कर दो। तुम्हे देख कर तो कोई भी अपना होश खो बैठे.
हर्षिता – नहीं बाबूजी, केवल आप। आपको प्रॉब्लम है आपको क्यों कण्ट्रोल नहीं होता।?
मै – देखो बेटी मैं जानता हू। लेकिन तुम भी तो गरम हो गई थी है न। ??
हर्षिता – (अपना सर झुकाते हुए।) नहीं मैं गरम नहीं हुई थी.
मैन – झूठ। झुठ.
हर्षिता – हाँ थोड़ा सा लेकिन वो आपकी वजह से। प्लीज ऐसा मत करिये।
मै- बहु मैं कण्ट्रोल नहीं कर पाता, मैं तो क्या कोई भी नहीं कर पायेगा तुम्हारी जैसे भरे बदन वाली बहु को देख कर।
हर्षिता – बाबू जी मैं आपकी बहु हूं, मत करिये मेरे साथ ऐसा। आप सूरजभान के साथ कमरे में सो जाइये प्लीज.
मै – बहु, सूरजभान ने तो मेरा रूम गन्दा कर दिया है। और उसे प्राइवेसी चहिये।
हर्षिता – मैं समझी नहि। गन्दा कर दिया है? कैसी प्राइवेसी.
मै- जाने दो बहु तुम नहीं जानति।
हर्षिता – बताइये न प्लीज बाबूजी
मै – देखो बहु सूरजभान भी एक आदमी है और हर आदमी की एक जरूरत होती है उससे वो रात में पुरी करना चाहता है। किस्सी के साथ या फिर अकेले।
हर्षिता – कैसी जरुरत बाबूजी?
मै – मास्टरबैट करने की।
हर्षिता – ये क्या कह रहे हैं आप?
मै- हाँ बहु, हर कोई करता है ये तो नार्मल है। सूरजभान भी वो भी तुम्हारे बारे में सोच कर.
हर्षिता – मेरे बारे में ?? क्या?
मै – तुम्हारी मस्त मस्त चूचियां स्ट्रक्चर और ख़ास कर तुम्हारी गांड के बारे में सोच कर वो मास्टरबैट करता है.
हर्षिता – लेकिन आपको कैसे पता?
मै – मैंने २ दिन पहले उसे अपने एक दोस्त के साथ फ़ोन पे बातें करते हुए सुना। वो कह रहा था की पाण्डेय जी की बहु बहुत सेक्सी है और वो तुम्हारे बारे में सोच कर मुट्ठ मारता है। (मैंने बहु से झूठ बोला।)
हर्षिता – ओह बाबूजी, मुझे तो यकीन नहीं होता की सूरजभान अंकल ऐसे है।
मै – हाँ बहु कल दोपहर में मैंने उसे मास्टरबैट करते हुये देखा भी।
हर्षिता – क्या कर रहे थे सूरजभान अंकल?
मै – दोपहर को सूरजभान अपने कमरे में बैठा फोटो में तुम्हारी नवेल देख मुठ मार रहा था।
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मै धीरे-धीरे बहु के पास आ गया और उसके काँधे पे हाथ रख उसे समझाने लगा। देखो बहु ये सभी आदमीयों के लिए नार्मल है। मास्टरबैट केवल सेक्सुअल सटिस्फैक्शन के लिए होता है. सभी पुरुष करते है, क्या तुमने कभी नहीं देखा? कभी अपने मायका में? तुम्हारे भाई, चाचा या और किस्सी ने? तुम अपने घर में कभी भाई या पापा के बैडरूम में गई? कभी देखा बेडशीट पे कूछ गिला या दाग कुछ भी।
हर्षिता – हाँ घर में कई बार कुछ अजीब सी चीज़ें होती थी लेकिन मुझे ये सब कभी समझ में नही आया।
हर्षिता की बात सुनकर मेरे लंड में थोड़ी सी हलचल हुई और मैंने उससे और डिटेल में बताने को कहा।
मै – बहु। क्या थी वो अजीब सी चीज़ें बताओ मुझे।
हर्षिता – वो शादी से कुछ दिन पहले के बात है, मेरी मम्मी और मेरा भाई गाँव में एक शादी के लिए गई थी। और घर में मैं और पापा अकेले थे।
मै – फिर क्या हुआ।?
हर्षिता – मैंने जब एक सुबह पापा का रूम साफ़ कर रही थी तो मुझे उनके पिलो के नीचे मेरी पैन्टी मिली। मैंने सोचा शायद मम्मी ने गलती से मेरी पेंटी रख दी हो। लेकिन फिर मुझे याद आया की ये पैन्टी १ दिन पहले की मेरी यूज की हुई पैन्टी है और मैं बाथरूम में इसे धुले बगैर छोड़ दिया था फिर यहाँ कैसे पहुची।? और मम्मी तो गाँव में हैं तो क्या पापा मम्मी की पेंटी समझ कर मेरी पेंटी अपने कमरे में ले आये?
मै – उसके बाद?
हर्षिता – फिर मुझे कुछ समझ में नहीं आया, दूसरे दिन भी मेरी पेंटी पापा के पिलो के नीचे पड़ी थी और उसमे कुछ गिला गिला सा लगा था।
हर्षिता – तो क्या मेरे पापा।
मै – हाँ इसका मतलब तुम्हारे पापा तुम्हारी पैन्टी रात में लाते थे और तुम्हारी यूज की हुई पैन्टी का स्मेल लेते थे। और फिर तुम्हे उस पेंटी में इमेजिन कर मुट्ठ मारते थे। और फिर मुट्ठ तुम्हारी पेंटी में ही गिरा दिया करते थे।
हर्षिता – नहीं मैं नहीं मानती मेरे पापा मेरे बारे में सोच कर। ये सब?
मै – हाँ बहु, इसमे गलत नहीं है ये तो हर पुरुष का नेचर है वो तो बस तुम्हारी बड़ी-बड़ी चूचि और फुली हुई बुर के बारे में इमेजिन कर अपने आप को सेक्सुअली सटिसफाइ करते होगे.
मै- क्या तुमने कभी उनका खड़ा लंड देखा था?
हर्षिता – हाँ देखा था।
मै – कब?
हर्षिता – वो एक बार बाथरूम में मैंने उन्हें देखा था, वो अपनी अंडरवियर उतार अपना लंड हाथ में लिए खड़े थे सामने एक बड़ा सा मिरर था जिसके रेफ्लेक्शन में मैंने उनका बड़ा सा लंड साफ़ साफ़ देखा। वो अपने लंड के स्किन को नीचे किये हुये थे मैंने देखा तो मेरी धड़कन तेज़ हो गई और मैं भाग कर किचन में आ गई।
(बहु बिना शर्म अपने मुह से अपने पापा के लंड के बारे में बोल रही थी। मेरी रंडी बहु के मुह से ये सब सुन कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने अपना लोअर नीचे कर ब्लैंकेट के अंदर लंड निकाल सहलाने लगा.)
मै – तो इसका मतलब तुमने सबसे पहले लंड अपने पापा का देखा?
हर्षिता – (शर्माते हुए।) हाँ।
मै – वो। अपने पापा का लंड देख क्या तुम्हारे बुर में पानी आया था?
हर्षिता – छी: बाबूजी ये आप क्या कह रहे हैं वो मेरे पापा है।
मै – मैं नहीं मानता, सच सच बताओ बहु अपने पापा के बारे में जानकार क्या अभी तुम्हारे बुर में पानी नहीं आ रहा?
हर्षिता – बाबूजी ये आप क्या कह रहे हैं?
मै – सच कह रहा हूँ बहु, क्या तुम अभी गरम नहीं हो? अपनी ऊँगली डाल के देखो।
हर्षिता – नहीं मैं गरम नहीं हू।
मै – अगर नहीं हो तो अपनी ऊँगली अपनी बुर में डाल के दिखाओ.
हर्षिता – (छुपाते हुए अपनी गिली पेन्टी हटाती है अपनी एक ऊँगली बुर में डाल बहार निकालती है.)
हर्षिता – (झिझकते हुए। ) ओह बाबूजी चलिये अब सोते है।
मै – नहीं बहु पहले तुम अपनी ऊँगली दिखाओ.
हर्षिता – (अपनी नज़र झुकाये अपने हाथ दिखाती है।) उसकी २ उँगलियाँ बुर के पानी से पूरी तरह गिली होकर चमक रही थी।
मै – (मैंने वो दो ऊँगली अपने मुह में ले ली) देखा बहु तुम्हारे बुर से कितना पानी निकल रहा है (मैं तेज़ी से ब्लैंकेट के अंदर मुट्ठ मारने लगा.)
हर्षिता – बाबूजी ये आप क्या कर रहे हो?
मै – मुठ मार रहा हूँ बहु।
हर्षिता – प्लीज बाबूजी ये मत करिये प्लीज प्लीज प्लीज।
मै – (मैंने अपना लंड बहार निकाल बहु को दिखा दिया ) नहीं बहु तुमने जब बताया की तुम्हारे पापा तुम्हारी पेंटी में मुठ मारे थे तबसे मैं एक्साइटेड हो गया हूं। ओह बहु। मेरा लंड छुओ बहु। (मैंने बहु का हाथ अपने लंड पे रख दिया.)
हर्षिता – (हाथ हटाते हुए।) नहीं बाबूजी.
मै- बहु। बहु। मेरा पानी निकाल दो बहु।
(तभी बगल में सूरजभान के कमरे से कुछ आवज़ आयी।)
हर्षिता – शह्ह्हह्ह्। बाबूजी। शायद सूरजभान अंकल जगे है। आप प्लीज रुक जाइये।
मै – नहीं बहु मैं नहीं रुक सकता।
हर्षिता – तो फिर जल्दी निकाल दिजिये बाबूजी। जलदी। अंकल आ गए तो।
मै – बहु, इतनी जल्दी नहीं निकलेगा तुम कुछ करो।
हर्षिता – क्या करूँ बाबूजी आपका मुट्ठ जल्दी निकालने के लिये.
मै – तुम अपनी ब्रा खोल दो बहु शायद तुम्हारी चूचि देख के मेरा मुट्ठ निकल जाए।
हर्षिता – ओके बाबूजी। जल्दी करिये। (हर्षिता ने अपनी ब्रा उतार दी और अपनी नंगी चूचि मुझे दिखाने लगी। मैं बहु के चूचि देख मुठ मरता रहा.)
मै – ओह बहु। तुम अपनी पेंटी भी उतार दो मेरे लंड का पानी नहीं निकल रहा।
हर्षिता – ओके बाबूजी। जल्दी करिये प्लीज।(बहु ने अपनी पेंटी उतार अपना बुर मेरे सामने खोल दिया। उसकी बुर से रस टपक रही थी और पूरी गिली हो चुकी थी.)
मै – आह बहु। तुम्हारी बुर से कितना जूस निकल रहा है क्या मैं चाट लूँ?
हर्षिता – (बिस्तर पे लेते हुए।अपनी टाँगे फ़ैलाये ) नहीं बाबूजी।
मै – प्लीज बहु। (मैंने बिना देरी किये बहु के बुर चाटने लगा। बहु के मुह से सिसकारी निकल गई और वो आह आह कर चिल्लाने लगी।)
हर्षिता – बाबूजी ये आप क्या कर रहे है। प्लीज। इतना शोर सुनकर सूरजभान अंकल को पता चल जाएगा। प्लीज जल्दी निकालिये।
मै – बहु। अगर जल्दी निकालना है तो तुम मेरा लंड अपने मुह में ले कर चूसो और मैं तुम्हारे मुह में मूठ निकाल देता हूँ।
हर्षिता – मुह में नहीं बाबूजी। मैंने तो अपने पति का लंड भी कभी मुह में नहीं लिया।
मै – तो क्या हुआ बहु पति का नहीं तो ससुर का ही लंड मुह में ले लो। मेरा लंड चूस कर तुम एक अच्छी बहु बनोगी।
हर्षिता – ठीक है बाबूजी। लाईये मैं आपका लंड चुस्ती हूँ (बहु ने होठ खोल मेरा लंड अपने मुह में ले लिया और कस के चूसने लगी।)
मै – आह बहु। बहुत मजा आ रहा है (बहु के गीले गरम होठों के अंदर मेरे लंड का बुरा हाल था। मेरी बहु मुझे ब्लोजॉब दे रही थी।) मै इस बार कण्ट्रोल नहीं कर पाया और फ़व्वारे की तरह बहु के मुह के अंदर वीर्य का सैलाब छोड़ दिया।
मेरा मुट्ठ इतना ज्यादा था की बहु के होठो के किनारे से बह कर बिस्तर पे गिरने लगा। फिर भी मेरी बहु मेरा लंड चुसती रही। शायद उसे मेरा लंड चूसने में मजा आ रहा था। लेकिन वो रंडी की तरह जिस तरह मेरा लंड कस के चूस रही थी उससे मुझे ऐसा लगा जैसे वो शायद पहले भी कई बार लंड चूस चुकी है। लेकिन अभी ये बताना मुश्किल था की किसका?? सुबह देर तक मैं और बहु एक बिस्तर पे एक चादर के अंदर सोते रहे मुझे ख्याल ही नहीं आया की कब सूरजभान हमारे कमरे में आया और मुझे आवाज़ लगाने लगा।
सूरजभान- पाण्डेय जी। पाण्डेय जी। बहु। बहु। दिन चढ़ गया है मॉर्निंग वाक पे नहीं जाना क्या।
मै घबरा कर उठ गया मुझे हैरत हुआ की ये सूरजभान कबसे हमे उठा रहा है। कमरे के हालत बहुत ख़राब थी। बहु के ब्रा और पेंटी बिस्तर के नीचे गिरी पड़ी थी और मैं भी पूरा नंगा था। मैं डर गया की सूरजभान न जाने क्या सोच रहा होगा हमारे बारे में मैंने छुपके से चादर खीच के बहु के नंगी पीठ को ढक दिया और खुद भी लेता रहा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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मै – सूरजभान वो मेरे सर में दर्द है तो मैं वाक पे नहीं जाउँगा। तुम चले जाओ।
सूरजभान – और बहु क्या बहु नहीं जाएगी।?
मै – बहु देर रात तक अर्पित से बात कर रही थी तो अभी शायद नहीं उठेगी तुम चलो मैं पूछता हूं।
सूरजभान – ठीक है, (और सूरजभान कमरे से बाहर चला गया.)
हर्षिता – (उठ के बैठती हुई।) बाबूजी। सूरजभान अंकल ने सब देख लिया? शीट। मैं क्या मुह दिखाउंगी।? ओहः।
मै – (ओह इसका मतलब बहु जानबूझ कर सोने की एक्टिंग कर रही थी उसे पता था की वो बिस्तर से बाहर नहीं निकल सकती)। नहीं नहीं बहु उसे पता नहीं चला होगा की चादर के अंदर तुम नंगी हो। तुम चिंता मत करो।
हर्षिता- सच में बाबूजी?
मै – हाँ.
हर्षिता – बाबूजी मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा ये सब क्या हो रहा है क्यों हो रहा है प्लीज बाबूजी आप रात को इतना बहक जाते हैं मैं आपको कण्ट्रोल नहीं कर पाती आखिर आपको हुआ क्या है क्यों मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर देना चाहते हैं?
मै – नहीं बहु। ऐसा मत बोलो मैं तुम्हे कभी बदनाम नहीं होने दूंगा। मैं कल रात कुछ ज्यादा ही जिद्दी हो गया था मुझे माफ़ कर दो बहु।
हर्षिता – ठीक है बाबूजी। लेकिन मैं अपने आप को और प्रॉब्लम में नहीं दाल सकती। आप प्लीज सूरजभान अंकल को अपने घर जाने के लिए कह दिजिये वो यहाँ क्यों रुके हुए हैं?
मै – बहु। सूरजभान तुम्हारी जिस्म के ख़ूबसूरती पाने के लिए रुका हुआ है मैं क्या बहाना करके उसे अपने घर भेजूं?
हर्षिता – आप मर्दो का क्या प्रॉब्लम है? क्या मिलता है आपको? क्या वो आपके….आपके… ओ….केले का पानी निकलने से सब ठीक हो जाता है?
मै- हाँ बहु हम मर्दो के लंड का पानी एक बार निकल जाए तो रिलैक्स महसूस होता है। एक बात कहूं बहु अगर तुम बुरा न मानो तो।
हर्षिता – क्या बाबूजी?
मै – तुम चाहती हो न की सूरजभान अपने घर चला जाए?
हर्षिता – हाँ.
मै – तो फिर तुम उसे सटिस्फाइड क्यों नहीं कर देती?
हर्षिता – मैं समझी नहीं बाबू जी?
मै – मेरा मतलब। तुम कुछ ऐसा करो की वो सटिसफाइ हो जाए, वो तुम्हे बहुत पसंद करता है तुमहारे बारे में सोच कर मुठ मारता है। और अगर तुम उसे हेल्प करोगी तो वो खुश हो कर अपने घर चला जाएगा।
हर्षिता – बाबूजी मैं ये नहीं कर सकती। ये आप क्या कह रहे हैं?
मै – देखो बहु तुम अनजाने में कुछ ऐसा करो की वो मुठ मारने पे मजबूर हो जाए। और वो जब सटिसफाई हो जायेगा तो खुद ही चला जाएगा।
हर्षिता – लेकिन ये होगा कैसे? की मैं भी अन्जान रहूँ और सूरजभान अंकल को मजा भी आ जाए? मैं कुछ सोचती हूँ।
मै – ठीक है बहु।
बहु चादर के अंदर ही अपनी ब्रा पैंटी पहनी फिर नाइटी पहन कर वाशरूम चलि गई। मैं भी फ्रेश होने चला गया। बाथरूम से लौट कर मैं कमरे में घूम रहा था सूरजभान सोफ़े पे बैठा टीवी देख रहा था। मैं भी सूरजभान के साथ सोफ़े पे बैठ गया। बहु कमरा साफ़ कर रही थी, वो हॉल में झाड़ू लगाने के बाद टीवी के पास बैठ कर कुछ फोटोज फ्रेम साफ़ करने लगी।
बहु ने पीली साड़ी पहन रखा था और जब वो हमारे ठीक आगे झुक के सफाई कर रही थी तो उसकी मोटे मोटे कुल्हे उसकी साड़ी में लिपटे बहुत ही मादक लग रहे थे। उसकी कमर का भाग काफी खुला हुआ था और कमर से ले कर हिप तक उसकी शेप देख सूरजभान की आँखें बाहर आ गई। बहु जानबूझ कर अपने कुल्हे हिला रही थी जैसे किसीको आमंत्रित कर रही हो। सूरजभान की हालत ख़राब हो रही थी। और वो बहु की गांड देख अपना लंड सहलाने लगा।
सूरजभान – बहु क्या बात है आज तुम बहुत खुश लग रही हो। और बालों में गजरे भी लगाए हैं कोई ख़ास बात?
हर्षिता – (बहु बिना पीछे मुड़े ही जवाब दी। शायद वो जानती थी की सूरजभान अपना लंड हिला रहा होगा और वो उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी।) ख़ास बात तो है लेकिन न तो मेरे पतिदेव को याद है और न ही मेरे ससुर जी को।
मै- क्या ख़ास बात बहु। ? मेरा न्यूज़ पेपर पे ध्यान गया क्या आज १४ जुलाई है? ओह मेरी बहु का जन्मदिन? (मैं सोफ़े से उठ खड़ा हुआ.)
बहु भी खड़ी हो गई और बोली।
हर्षिता – हाँ बाबूजी आप भूल गये।
मै- बहु मुझे बिलकुल ही याद नहीं रहा मुझे माफ़ कर दो। (और मैंने आगे बढ़ कर बहु को गले से लगाया। उसके गाल और हाथों पे हलके से किस किया और उसे अपने से चिपका लिया.)
बहु भी मुझसे काफी टाइट लिपट गई और अपने भारी बूब्स को मेरे सीने से दबा रही थी साथ ही साथ उसकी मोटी मोटी जाँघे भी मुझे मेरी जांघो से टच हो रही थी। मैं फिर उससे कस के गले लगाया और बहु के पीठ फिर उसकी नंगी कमर और फिर उसके कुल्हे को अपने हाथो से सहलाने लगा।
सूरजभान – बहु जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक हो। (सूरजभान ने अपना हाथ आगे बढाया। तो बहु ने मेरे गले से अपनी बाहें निकाल सूरजभान के गले में डाल दी।) ऐसा करते हुए बहु का पल्लू गिर गया और उसकी नाभि दिखने लगी। बहु को इतने पास से बिना पल्लू के देख सूरजभान का लंड फुंफकार मारने लगा।
वो झट से बहु को गले लगा लिया। इधर बहु ने भी बेशरमी से बिना पल्लू के सूरजभान से लिपट गई। सूरजभान भी कहाँ पीछे हटने वाला था उसने अपना एक हाथ बहु के पीठ पर रखा और एक हाथ उसकी गांड पे रख अपनी ओर एक झटके से खीच लिया। सूरजभान बहु के काँधे पे झुक अपनी आँखें बंद किये हुई थी और वह बहु के गरमाई जिस्म को रगडता रहा।
मै – बहु आज तुम्हारा जन्मदिन है तो क्यों न हम कहीं घूमने चलें?
हर्षिता सूरजभान के बाँहों से निकलती हुई। नहीं बाबूजी आज शम को तो मेरे पापा आ रहे है। आप तो जानते हो वो मुझे हर बर्थडे पे मिलने आते हैं आज भी वो जरूर आयेंगे।
सूरजभान – तो फिर बहु ऐसा करते हैं तुम यहीं रहो मैं और पाण्डेय जी तुम्हारे लिए केक और गिफ्ट लाते है। आखिर मेरी प्यारी बहु का बर्थडे है।
हर्षिता – ओके अंकल जैसा आपलोग ठीक समझे।
उसके थोड़ी देर बाद मैं और सूरजभान बाजार चले गये। हमने एक चोकलेट केक और बहु के लिए कुछ कपडे ख़रीदे। घर पहुच कर जब बेल बजाया तो बहु ने काफी देर तक रिस्पांस नहीं किया। कुछ देर बाद बहु ने जब दरवाज़ा खोला तो अंदर का हाल देख कर मेरे पसीने आ गए। बहु ने सिर्फ ब्रा और पेटीकोट पहनी हुई थी।
हर्षिता – ओह बाबूजी आप। सॉरी मुझे लगा कामवाली है।
बहु के ब्रा बहुत छोटी थी इतनी छोटी की वो केवल उसके निप्पल को ढक पा रही थी और उसके बड़े बड़े बूब्स नीचे से बाहर निकले हुए थे। ब्रा के बीच से एक लाकेट निकली थी जिसे बहु ने अपनी दांतो से दबा रखा था ताकि वो गिर न जाए। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
हर्षिता – बाबूजी आपलोग इतनी जल्दी कैसे आ गए मैं तो अभी नहाने जा रही थी।
मै – हम ज्यादा दूर नहीं गए बहु बस यहीं पास से ही केक और तुम्हारे लिए कुछ ड्रेस ले आए।
हर्षिता – वाओ बाबूजी मैं जल्दी से नहा के आती हूं।
सूरजभान – पाण्डेय तेरी बहु कितनी माल है यार। आज तो तेरी बहु के सामने मुठ मारूँगा कैसे भी। साली ने मेरे लंड का बुरा हाल कर दिया है। मैं तो रोज ऐसे टाइम पे आऊ ताकि बहु को लगे की कामवाली आयी है और वो दरवाजा खोल दे और मैं उसके नंगे बदन को देख पाऊ। पाण्डेय बड़ा लकी है तू जो तुझे ऐसी रंडी बहु मिली। सूरजभान तेज़ी से मुट्ठ मारने लगा, और फिर पास में पड़े केक को खीच बोला।
सूरजभान – आज मेरी रंडी बहु बर्थडे केक के साथ अपने सूरजभान अंकल का वीर्य भी खाएगी।
ये कहते हुये सूरजभान ने अपने लंड का ढेर सारा गाढा पानी केक पे छोड़ दिया।
मै – (झूठ मूठ का सूरजभान को डांटते हुए। ) ये क्या किया तुमने? तुझे शर्म नहीं आती मेरी बहु को अपना मुट्ठ खिलायेंगा।?
सूरजभान – हाथ जोड के रिक्वेस्ट करते हुये। प्लीज पाण्डेय मुझे आज मत रोक कई हफ्तो से मैं ऐसे मौके की तलाश कर रहा हूँ तू तो जानता है इसलिये मैं तेरे घर भी आया। प्लीज करने दे मैं तेरा अहसान कभी नहीं भुलुंगा।
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मै – ठीक है लेकिन एक लिमिट में तेरी इन हरक़तों का मेरी बहु को पता नहीं चलना चहिये।
तभी बिस्तर पे पड़े मोबाइल पे कॉल आने लगी। अरे बहु। देख तो अर्पित का कॉल तो नहीं आखिर उसे याद आ ही गया।
हर्षिता – (एक टॉवल लपेटे बाथरूम से झाँकती हुई।) सूरजभान अंकल प्लीज देखिये न किसका फ़ोन है मुझे दे दिजिये न प्लीज।
नहा कर बहु पूरी नंगी थी उसने कुछ नहीं पहना था सिवाय एक टॉवल के। जिसके इस सिरे से वो अपने बदन से पानी पोंछ रही थी।
सूरजभान – बेटा अर्पित का ही फ़ोन है। ये लो।
हर्षिता – अंकल मेरे हाथ गीले हैं मेरे कान के पास लाइये न प्लीज।
बहु इस्सी हालत में सूरजभान के सामने बात करने लगी। बातों बातों में उसका टॉवल एक साइड से गिर गया, उसकी लेफ्ट साइड की भरी भरी चूची बाहर निकल आयी। बहु बेशरमी से सूरजभान अंकल को अपनी नंगी चूचि दिखाती रही। सूरजभान बहु की नंगी चूचि देख अपने होश खो बैठा था, बिना पलक झपकाए वो टकटकी लगा कर बहु की चूचि को घूरता जा रहा था। बहु इस बात से अन्जान मनिष से बातें करने लगी।
हर्षिता – अर्पित तुम भी यहाँ होते तो कितना अच्छा होता। यहाँ सब लोग है ससुर जी, पड़ोस के सूरजभान अंकल शाम को पापा भी आ जायेंगे केवल तुम नहीं हो।
हर्षिता को बातों-बातों में ध्यान आया की उसकी चूचि बाहर निकल आयी है तो उसने तौलिए से ढ़क् लिया और फिर सूरजभान की तरफ देखा। चालाक सूरजभान पहले ही अपना मुह घुमा लिया था ताकि बहु को लगे की उसने नोटिस नहीं किया। कुछ देर तक बहु फ़ोन पे बात की और फिर दूबारा बाथरूम चलि गयी। सूरजभान बाथरूम के दरवाजे से अपना लंड सहलाते हुए मेरे पास आया।
सूरजभान – पाण्डेय जी देखा आपने? अपनी रंडी बहु की चूचियां?
मै – नहीं तो। ये तुम क्या बोल रहे हो?
सूरजभान – कसम से मैंने बहु की चूचि देखी वो भी पूरी नंगी।
मै- तुम पागल हो गए हो ऐसा कैसे हो सकता है? बहु ऐसा क्यों करेगी?
सूरजभान – अरे पाण्डेय जी। मेरा विश्वास कीजिये जब मैं उसे फ़ोन देने गया तब उसका टॉवल एक साइड से छूट गया था और मुझे उसके गोल-गोल बडी बड़ी चूचि के दर्शन हो गए। कमाल के निप्पल हैं बहु के। आआअह्ह्ह्हह। (सूरजभान अपना लंड मसलते हुए बहु की चूचियों को याद करता रहा.)
बहु नहा कर बाथरूम से बाहर निकली और सीधा अपने कमरे में चलि गई, मैं और सूरजभान बहुत बेसब्री से बहु का इंतज़ार कर रहे थे।
सूरजभान – बहु। हम कबसे तुम्हारा वेट कर रहे हैं केक भी रेडी है।(सूरजभान ने आँख मार कर मेरी तरफ शरारत किया.)
सूरजभान – पाण्डेय जी। देखिये तो मेरे मुट्ठ से केक कितना चमक रहा है। बहु को जरूर पसंद आएगा। मेरी मानो तो आप भी अपना माल निकल दो इसपर। साली रंडी को हम दोनों का मुट्ठ खा जायेगी।
मै – शट अप सूरजभान। मुझे ये सब नहीं करना।
सूरजभान – नहीं करना। तो क्या अपना माल बहु के बुर में गिराने का इरादा है? या फिर सीधा उसके मुह में?
मै मन ही मन मुस्कराता रहा। सूरजभान तुझे क्या मालूम मैंने तो अबतक २ बार बहु के मुह में अपना लंड का पानी छोड़ा है।
मै – चुप करो सूरजभान बहु ने सुन लिया तो। अपनी लिमिट में रहो।
सूरजभान – ओके ओके। सॉरी तुम्हारी बहु बहुत ही सीधी-साधि और सादगी की मूरत है।
कौन सादगी की मूरत है अंकल??? बहु अचानक से कमरे में आयी। उसने एक बहुत ही प्यारा सा रेड कलर का सलवार सूट पहन रखा था।लकिन उसकी सलवार उसके मोटे मोटे जाँघो को नहीं छिपा पा रही थी और उसके यौवन को और निखार रही थी। बहु हमारे सामने चेयर पे क्रॉस लेग कर बैठ गई। उसके पूरे शरीर में सिर्फ उसकी मोटी-मोटी जाँघ नज़र आ रही थी। ओहः। इतनी मोटी जांघ देख कर तो कोई ऋषि भी मुट्ठ मारने पे मजबूर हो जाए।
सूरजभान – (घबराहट में।) तुम बहु। मैं तुम्हारी ही बात कर रहा था। तुम कितनी अच्छी लगती हो कितनी प्यारी सुशील और सादगी से भरपुर। देखो तुमने आज कितना प्यारा सा सलवार भी पहना है बिलकुल कॉलेज की स्टूडेंट लग रही हो।
हर्षिता – ओह अंकल। मुझे नहीं अच्छा लगता अब कोई मुझे कॉलेज की लड़की समझता है। मैं तो बड़ी दीखना चाहती हू। मुझे अच्छा लगता है जब सोसाइटी के बच्चे मुझे भाभी-भाभी कह के बुलाते है।
सूरजभान – अच्छा तो तुम्हे भाभी वर्ड सुनना अच्छा लगता है। फिर तो तुम साड़ी पहना करो एकदम मस्त भाभी दिखोगी। वैसे तुम सलवार सूट में कॉलेज के लड़की लगती हो लेकिन तुम टाइट सलवार में एकदम भाभी ही नज़र आती हो। (सूरजभान का चेहरा उसकी बड़े बड़े हिप्स और उसकी मोटी जांघो के तरफ था।)
हर्षिता – मैं समझी नहीं अंकल.
सूरजभान – अरे बेटी। वो क्या है न की तुम्हारा चेहरा बहुत मासूम है एक बच्ची की तरह लेकिन तुम्हारी जाँघें काफी भरी हैं बिलकुल एक भाभी की तरह।
हर्षिता – ओह अंकल आप भी समझते हो की मैं मोटी हूं।? मुझे बहुत बुरा लगता है जब कोई मुझे मोटा केहता है।
सूरजभान – अरे मैंने कब कहा की तुम मोटी हो। मैंने तो कहा की तुम भरी भरी हो। ख़ास कर तुम्हारी जांघे। बहुत हे अच्छी है। मैंने तुम्हारी कॉलेज के फोटो देखि है। उसमे तुम बहुत अच्छी लगती हो?
हर्षिता – कौन सी वाली फोटो अंकल?
सूरजभान – अरे वही फोटो जिसमें तुम कॉलेज के सिढ़ियों पे ब्राउन कलर का सलवार सूट पहने बैठी हो। में उससे रोज देखता हू।
हर्षिता ने तुरंत अपनी फोटो एल्बम से निकाल कर सूरजभान को दिखाई।?
हर्षिता – क्या ये वाली फोटो? आपको बहुत पसंद है।? आप इसे रोज देखते हैं?
सूरजभान- हाँ बेटी। तुम इन कपड़ों में बहुत अच्छी लगती हो मैं रोज रात को देखता हू।
हर्षिता – और देख के क्या करते हैं अंकल??
हर्षिता – बोलिये न।?? क्या करते हैं??
सूरजभान – आ आ। वो कुछ नहीं बस देखता हूं। (सूरजभान अचानक इस प्रश्न से घबरा गया था।)
हर्षिता – बोलिये न क्या आप फोटो देख सोचते हैं? की काश आपकी भी एक बेटी होती। ? आप को एक बेटी की कमी महसूस होती है न? बेटी होती तो आपका ख्याल रखती आपके लिये खाना बनाती। है न?
(हर्षिता का इशारा पहले फोटो को रात में देख मुट्ठ मारने के तरफ था। लेकिन फिर बाद में उसने बड़ी ही चतुराई से अपनी बात को बदल दिया.)
सूरजभान – हा। हाँ बहु। यही । मैं यही सोचता हूँ (सूरजभान ने राहत की साँस ली.)
मै अपने मन में सोच रहा था। साला सूरजभान, अगर मेरी बहु की तरह उसकी बेटी होती तो उसे यहाँ आने की जरुरत ही नहीं पडती। वो अपनी बेटी को नंगा देख मूठ मार रहा होता और कभी मौका मिलने पे अपनी बेटी को चोद डालता। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मै – बहु। ये केक ख़राब हो रहा है थोड़ा सा तो खा लो मैंने और सूरजभान ने बड़े प्यार से ख़रीदा है।
हर्षिता – बाबूजी। मुझे खाने का मन तो नहीं है लेकिन आप कहते हैं तो थोड़ा सा किनारे से खा लेती हू।
सूरजभान – नहीं नहीं बहु। तुम ऐसा करो ऊपर से केक की क्रीम खा लो नहीं वो वो ख़राब हो जाएगा।
हर्षिता – ओके अंकल। (और फिर बहु ने ऊँगली से ऊपर के क्रीम में सनी सूरजभान के वीर्य को चाटने लगी।)
हर्षिता – उम् अंकल। बहुत मजा आ रहा है। आपका क्रीम चाटने में। बहु आँख बंद कर सेक्सी अन्दाज़ में एक रंडी की तरह मुट्ठ चाट्ने लगी (शायद बहु को पता चल गया था की ये क्रीम नहीं मुट्ठ है। क्योंकि उसे अब तो मूठ का स्वाद पता चल चूका था।)
सूरजभान – (बहु को अपना मुट्ठ चाटता देख पागल हो रहा था। ) हाँ बहु। और चाटो। मेरा पूरा क्रीम चाट लो बहु। (सूरजभान अपना मुठ बहु के होठ पे रगड़ने लगा। बहु सारे क्रीम और मूठ बहु के सलवार सूट पे भी गिर गये। इधर बहु भी कामुक भंगिमाएँ बना कर मुट्ठ का आनन्द ले रही थी।
बहु के इस हरकत से मेरे लंड में जोश आ रहा था। मन हुआ की अभी खड़े होकर बहु के मुह में अपना लंड पेल दूँ। लेकिन मैं संभल गया। बहु से वादा जो किया था की मेरे और बहु के बीच जो कुछ अनजाने में हुआ उसे किसी को उसकी भनक नहीं लगने दूंगा।) बहु सारा क्रीम ख़तम कर चुकी थे उसकी हालत देख ऐसा लग रहा था जैसे ५-६ लोगों ने उसके मुह और बदन पे अपना माल गिराया हो।
बहु अपने आप को साफ़ करने के लिये वाशरूम चलि गई। इधर सूरजभान अपना मुट्ठ मार कर बहुत संतुष्ट हो गया और वो मुझे धन्यवाद बोला। दोपहर का लंच करने के बाद सूरजभान अपने घर चला गया। अब पूरे घर मैं मैं और मेरी बहु अकेले थे। दोपहर को बहु अपने कमरे में थी। मैं उसे खोजता हुआ उसके कमरे के नज़दीक गया, देखा तो कमरे का दरवाज़ा बंद था।
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मै – बहु।
हर्षिता – जी बाबूजी।
मै – क्या कर रही हो?
हर्षिता – चेंज कर रही हूँ बाबूजी।
मै – क्यों कहीं जाना है बहु?
हर्षिता – (दरवाज़ा खोल कर मेरे सामने आती है।) नहीं बाबूजी। आपको बोला था न पापा आ रहे हैं इस लिए मैं तैयार हो रही थी। आपके लाये हुए गिफ्ट में से ही कुछ पहन लु।?
बिस्तर पे बहु का टॉप फेंका हुआ था, बहु एक ब्लैक कलर के ब्रा और पैन्टी पहने हुई थी साथ में उसने पेंटी के ऊपर स्कार्फ़ सा बाँध रखा था जो उसकी मांसल जाँघो को और खूबसूरत बना रहा था। तभी बहु के मोबाइल पे उसके पापा का फ़ोन आता है।
पापा – बेटा। कैसी हो?
हर्षिता – ठीक हूँ पापा आप कैसे हैं?
पापा- मैं ठीक हूँ बहु, तुम्हारा जन्मदिन है तो मैं अपना ऑफिस छोड़ तुम्हारे पास आ रहा हूँ तुमसे मिलने, अभी १ घंटे में पहुच जाऊँगा।
हर्षिता – ओके पापा मैं वेट कर रही हूँ आपका।
(मैं बिस्तर पे था और बहु मेरे सामने खड़ी हो अपने पापा से बात कर रही थी, एक बेटी को अपने पापा से इस अवस्था में बात करता देख मेरा लंड खडा हो गया।)
हर्षिता – ओह पापा। १ घंटे में आ जायेंगे क्या पहनू मैं। उनकी बेटी अच्छी दिखनी चाहिए न।
मै – बहु। कुछ भी पहन लो जो भी तुम्हे अच्छा लगे।
हर्षिता – बाबूजी अगर आप कहें तो मैं जीन्स टॉप पहन लूँ? या फिर साड़ी?
मै – ठीक है बहु जीन्स टॉप ही पहन लो।
हर्षिता – आप एक मिनट यहाँ बिस्तर पे बैठिये न प्लीज कहीं मत जाइये मैं एक जीन्स टॉप पहन के आती हूं। बताइये की कैसी है।
(बहु कमरे से अटैच बाथरूम में चेंज करने चलि गई। थोड़ी देर में वो एक ग्रीन टॉप और ब्लैक जीन्स पहन के बहार आयी। टाइट टॉप में बहु की चूचियां कसी हुई बड़ी सी दिख रही थी.)
मै – बहु ये कपडे तुम्हे थोड़ा टाइट आ रहे है।
बहु वापस बाथरूम में चलि जाती है और मिरर में अपने आप को चारो तरफ से देखती है। बाबू जी, प्लीज इधर आईये न।
मै – (बाथरूम के दरवाजे के पास पहुच कर) क्या हुआ बहु?
हर्षिता – ये टॉप बहुत ज्यादा टाइट है, मैंने पहन तो लिया है लेकिन ये अब निकल नहीं रहि।
(बहु अपनी टॉप उठाकर निकालने की कोशिश कर रही थी, इस कोशिश में उसकी नवेल मुझे साफ़ नज़र आती है। आज़ उसकी नवेल ज्यादा सेक्सी लग रही थी। डीप वाइड और स्मूथ। शायद जीन्स के टाइट होने से ऐसा था)
मै – बहु। एक बात कहूं बुरा तो नहीं मनोगी।?
हर्षिता – नहीं मानूँगी बोलिये।
मै – बहु अगर तुम ये जीन्स पहन के अपने पापा के सामने गई और पापा ने तुम्हारी ऐसे खुली नाभि देख ली, तो सच बोलता हूं। तुम्हारी नाभि देख कर उनका मुट्ठ उनके पैंट में ही निकल जाएगा।
हर्षिता – छि: बाबूजी। आप कैसे गन्दी बातें कर रहे है। वो मेरे पापा हैं प्लीज।
मै – ओके बहु सॉरी। नही कहूँगा कुछ।
हर्षिता – ठीक है मैं ये जीन्स टॉप नहीं पहनती मैं कोई और ट्राई करती हूँ।
फिर बहु ने एक ब्लू जीन्स और ग्रे टीशर्ट डाल लिया और अपने पापा का वेट करती रही।वेट करते करते न जाने कब उसकी आँख लग गई और वो वहीँ बिस्तर पे सो गई। मैं भी बहु के पापा का हॉल में इंतज़ार करता रहा, तभी डोर बेल्ल बजी मैंने दरवाजा खोला तो मेरे समधी जी थे।
मैंने उनका स्वागत किया। उन्होंने पूछा की मेरी बेटी कहाँ है तो मैं कहा की वो आपकी राह देखते सो गई अपने कमरे में है। फिर मैं और समधी जी बहु के कमरे के तरफ हो लिये। बहु के कमरे का दरवाज़ा खोला तो अंदर का नज़ारा देख मेरा लंड तमतमा गया। सोते वक़्त बहु का टॉप ऊपर चढ़ गया था जिससे उसकी चिकनी कमर नज़र आ रही थी और उसकी बड़ी सी गांड मेरे आँखों के सामने थी।
बहु की गांड देख ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे और अपने पापा को चोदने के लिए आमंत्रित कर रही हो। समधी जी भी अपनी बेटी की गांड शायद पहली बार देख रहे थे तभी उनके मुह से कुछ नहीं निकला और वो अपनी बेटी के भारी भरकम कुल्हे को निहारते रहे।
मैने धीरे से बहु को आवाज लगाया। बहु देखो कौन आया है। बहु की नींद खुली तो वो बिस्तर पर थोड़ा उचक कर हमारी तरफ देखि, बहु ने उठने से पहले अपनी गांड को हवा में लहराया। उस वक़्त उसकी गांड पहले से ज्यादा बड़ी और मादक लग रही थी।
वो बिस्तर से उठ के आयी और सीधा अपने पापा से लिपट गई। उसके पापा भी अपने आप को रोक नहीं पाये और अपनी हथेली को बहु के गांड पे सहला दिया साथ ही उसकी खुली कमर का भी खूब लुफ्त उठया। मुझे महसूस हुआ की शायद पापा बेटी के इस मिलन में प्यार काम और सेक्स की भूख ज्यादा थी।
एक बाप अपनी ही बेटी के गांड सहला रहा था और उसकी बेटी बिना किसी झिझक के टाइट गले लगने के साथ-साथ अपनी गरमाई बुर को पापा के जांघो पे रगड रही थी। बहु अपने पापा से ढेर सारी बातें कर रही थी, उनकी बातें तो जैसे ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रही थी। मैं बहु और उसके पापा को कमरे में अकेला छोड़ हॉल में बैठकर टीवी देखने लगा।
मेरा मन टीवी देखने में बिलकुल नहीं लग रहा था। सूरजभान ने तो सुबह अपनी मुट्ठ बहु के केक पे निकाल लीया था। लेकिन मैं अभी भी अपने आप को कण्ट्रोल किये बैठा था। सुबह से कई बार बहु की खुली चूचि और जांघों को देख मेरे लंड में तूफ़ान सा मचा हुआ था।
मुझे बहुत मन हो रहा था की बहु मुझसे चुद जाए और अपने गरम होठ से चूस कर मेरे लंड का पानी निकाल दे। मै अपना हाथ अपनी पेंट के अंदर डाल लंड को मसल रहा था की तभी मैंने समधी जी को मेरी तरफ आते देखा। समधी जी के पेंट के अंदर उभार था जो अपनी बेटी के अधनंगी बदन को देख के हुआ था। मैं समधी से बोला।
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मै – महेंद्र जी। (मेरे समधी जी का नाम) मिल लिए अपनी बिटिया से? अच्छे से प्यार करिये उसको आपको बहुत मिस करती है। वैसे क्या कर रही है अभी?
महेंद्र – हाँ मिस तो मैं भी बहुत करता हूँ उसको। शादी से पहले वो मुझे छोड़ के वो कहीं नहीं जाती थी दिन भर मेरे साथ रहती थे और रात में भी मेरे पास सोने की जिद्द करती थी। अभी तो बेटी कपडे चेंज कर रही है। मैं उसके लिए कुछ बर्थडे गिफ्ट वाले कपडे ले आया हूँ। उसे ही वो ट्राई कर रही है। और हा उसका बर्थडे है तो मैंने आज खाना घर से ही आर्डर कर दिया है।? ठीक किया न पाण्डेय जी?
मै – हाँ बिलकुल ठीक किया आपने। (बहु के कपडे चेंज करने वाली बात सुनकर मैं तुरंत वहां से उठा और समधी जी से छुपते हुए बहु के कमरे की तरफ हो लिया.)
बहु के कमरे का दरवाजा खुला था, मैंने हलके से पुश किया तो देखा बहु अपने कपडे उतार रही थी। रेड पेटिकोट और खुली हुई रेड ब्लाउज में उसके पीठ गोरी चिकनी चमक रही थी वो अपनी ब्लाउज लगभग उतार चुकी थी और उसकी वाइट थिन ब्रा नज़र आ रही थी। बहु के कमर तक नंगी पीठ देख मुझसे रहा नहीं गया। मैंने बहु को पीछे से पकड़ लिया और उसकी नंगी पीठ और कमर पे किस करने लगा। बहु चौंक गई।
हर्षिता – बाबूजी ये क्या कर रहे हैं ?
मै – अपनी माल सी बहु के पीठ चूम रहा हूं। करने दे बहु तुम आज बहुत हॉट लग रही हो। (मैं किस करता हुआ बहु के नवेल को अपने जीभ से चाट्ने लगा उसकी गहरी नाभि के छेद में अपनी पूरी जीभ दाल दी और अपने दांतो से उसके नर्म मुलायम पेट् को काटने लगा। बहु काँप रही थी और उसकी उँगलियाँ अनायास ही मेरे बालों में आ कर रुक गई।
हर्षिता – बाबूजी। रुक जाइये न पापा घर पे हैं ये आप क्या कर रहे है।
मै – (मैं साड़ी के ऊपर से बहु के बुर दबाने लगा) अपनी पेंटी उतार दे बहु, मुझे अपनी बुर का जूस पी लेने दे।
हर्षिता – प्लीज बाबूजी ऐसे मत बोलिये (बहु दौड के बाथरूम की तरफ भाग गई.)
मेरी वासना शांत नहीं हुई थी मैं बहु को चोदने के लिए बेताब था लेकिन कोई रास्ता न निकलता देख कर वापस डाइनिंग हॉल में लौट आया। कुछ देर बाद बहु भी डाइनिंग हॉल में खाना ले कर आ गई। हम सब बैठ वहीँ अपना लंच करने लगे। हमेशा की तरह आज भी बहु मेरे बगल में बैठी थे और एक साइड टीवी पे इंडिया पाकिस्तान का मैच आ रहा था।
मैंने टेबल के नीचे अपना लंड पायजामे से बाहर निकाल कर सहलाने लगा, बहु ये सारा नज़ारा अपनी आँखों से देख रही थी। कई बार मैंने बहु का हाथ पकड़ कर अपने लंड पे रखा मगर वो कुछ देर मेरा लंड हिलाने के बाद हाथ हटा लेती थी उसे डर था की कहीं उसके पापा को पता न चल जाए।
समधी जी मैच देखने में बिजी थे, मैंने धीरे से अपना हाथ बढा कर बहु की सल्वार खोल दिया। मेरे हाथ की थोड़ी सी हरकत पे बहु ने अपना पैर फैला दिया जैसे वो मुझे अपनी चूत का रास्ता बता रही हो। अंदर हाथ डाल के देखा की बहु की बुर बहुत ज्यादा गिली हो चुकी है।
मैने जैसे ही उसकी बुर को हाथ लगाये उसके बुर से चिपचिपी पानी की धार निकल पडी। बहु को मस्ती चढ़ने लगी, उसके मुह से उम्म्म उम् की आवाज़ आ रही थी और वो मज़े लेते हुए अपनी होठ को बार बार जीभ से गिला कर रही थी। समधि जी बहु को ऐसा करता देख बोले-
महेंद्र जी- क्या हुआ बेटी तबियत तो ठीक है?
हर्षिता – उम्म्म आआह्ह जी पापा ठीक है.
मै फिर से बहु का हाथ अपने लंड पे रख दिया, इस बार बहु देर तक मेरी लंड के स्किन को ऊपर नीचे कर मुट्ठ मरती रही। मैं भी उसकी बुर में लगतार उँगलियाँ पेल रहा था। बहु एक हाथ ऊपर टेबल पे रखी थी, एक साल्ट की डिबिया से खेल रही थी। खेलते-खेलते डिबिया टेबल के नीचे चलि गई।
हर्षिता – ओह बाबूजी डिबिया नीचे गिर गई। आपकी तरफ चलि गई क्या? एक मिनट देखति हू।
अगले ही पल बहु चेयर से उतर कर जमीन पे बैठि, इससे पहले की मैं कुछ समझ पाता बहु ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा उसका स्किन खीच के नीचे किया और मेरे लंड को सीधा अपने मुह में ले लिया। बहु के गरम – गरम मुह में अपना लंड डाल मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई। बहु तेज़ी से मेरा लंड चूस रही थी।
मुझे एक पल के लिए यकीन ही नहीं हुआ की बहु बिना किस्सी डर के एक रंडी की तरह अपने पिता के मौज़ूदगी में मेरा लंड चूस रही थी। बहु के थूक और लार से मेरा लंड गिला हो गया, उसके मुह की गर्मी पाकर मैं फच्च-फच्च की आवाज़ किये बहु के मुह में ही स्खलित हो गया।
बहु मेरा सारा वीर्य पी गई और वापस आ कर चेयर पे बैठ गई, दूसरी ओर समधी जी इस बात से अन्जान मैच में ध्यान लगाए बैठे थे। बहु के मुह में गिरा कर मुझे बहुत सन्तुष्टि मिली। बहु टेबल पे पड़े टिश्यू पेपर उठा कर अपना मुह साफ़ करने लगी। लंच करने के बाद बहु अपने कमरे में जा चुकी थी मैं और समधी जी वहीँ मैच देख रहे थे।
कुछ देर बाद समधि जी को हॉल में अकेला छोड़ मैं बहु के पीछे-पीछे उसके कमरे तक आ गया। बहु कमरे में लेटी थी उसकी कुर्ती एक तरफ से उठि हुई थी उसकी मांसल गांड और जांघ देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा। मै चुपके से बहु के क़रीब लेट गया और अपना हाथ आगे बढा बहु की चूचि दबाने लगा।
हर्षिता – आह बाबू जी ये क्या कर रहे हैं? आप मेरे कमरे में?
मै- तुम बहुत सेक्सी हो बहु तुम्हारे बूब्स कितने सॉफ्ट है।
हर्षिता – बाबूजी। पापा हैं घर में आप प्लीज जाइये यहाँ से।
मै – (एक हाथ से बहु की सलवार खोल, उसकी नंगी जांघों को सहलाने लगा) नहीं बहु समधी जी तो मैच देख रहे हैं.
हर्षिता – प्लीज बाबूजी आप बहुत एक्साईटेड थे इसलिए मैंने लंच टेबल पे आपका लंड मुह में लेकर आपका पानी निकाल दिया था ताकि आप शांत हो जाएँ और मुझे तंग ना करे।
मैने एक झटके में उसकी ब्रा उतार कर बेड के नीचे फेंक दिया, उसकी नंगी बड़ी-बड़ी चूचियों को अपने हाथ से मसल कर बोला।
मै- झूठ मत बोलो बहु लंच टेबल पे मैंने जब तुम्हारी सलवार खोल अंदर हाथ डाला था तो तुम्हारी चूत पहले से ही गिली थी।
हर्षिता मेरी बात सुन कर शर्मा गई।
हर्षिता – बाबू जी वो तो। ऐसे ही।
मै – ऐसे ही कैसे गिली थी बहु?? कहीं अपने पापा से लिपटने से गिली तो नहीं हो गई थी? (मैं बहु के पेंटी उतार उसके बुर को कस कर दबा के बोला.)
हर्षिता – आह। छी: बाबूजी कैसी बात कर रहे है। वो मेरे पापा है।
मै – तो क्या हुआ उनका भी लंड तो अपनी बेटी के बुर के लिए तरसता होगा। (मैंने बहु के बुर में अपनी ऊँगली डाल दिया।)
मै – देख बहु अभी भी तेरी बुर पनियाई हुई है.
हर्षिता – ओह बाबू जी छोड़िये न। (बहु के होठ और शरीर के जुबान दो अलग अलग इशारे कर रहे थे।)
एक तरफ बहु मुझे मन कर रही थी और दूसरी तरफ वो अपने बुर को फैला मेरे उँगलियों के अंदर जाने का रास्ता दे रही थी। मस्ती में उसकी आँखें बंद हो जा रही थी। मैंने अपने सारे कपडे उतार दिए। बहु को भी अब तक पूरा नंगा कर चूका था। उसकी नंगी चूचियों को चूसते चाटते हुए मैं कमर तक नीचे उसकी नाभि पे जाकर रुक गया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
हर्षिता- ओह बाबूजी ये आप क्या कर रहे है। ( बहु ने मेरे बाल पकड़ लिए और अपनी जाँघे खोल मुझे नीचे के ओर पुश करने लगी।)
मुझे उसकी इस हरकत से समझ आ गया की बहु मुझे अपनी बुर पिलाना चाहती है मगर मैं जानबूझ कर अपने जीभ को उसकी नाभि पे फेरता रहा। बहु धीरे धीरे मदहोश हो रही थी। उसकी चूत पूरी तरह गिली हो चुकी थी।
हर्षिता – आह बाबूजी। जाइये नीचे चाटिये न। (बहु ने एक बार फिर मुझे नीचे की ओर पुश किया.)
हर्षिता – बाबूजी। आह प्लीज। आह मेरी बुर चाटिये न।
मै – क्या बहु।?
हर्षिता – मेरी बुर चाटिये न।
मै – नहीं बहु तुम्हारे पापा आ गए तो। (मैं बहु को और तडपना चाहता था।)
हर्षिता – नहीं आएँगे। (बहु अपना बुर ऊपर उचका के बोली.)
मै – पहले बता बहु जब उन्होंने तुम्हे गले लगाया तब उनका लंड तुम्हारी बुर को छुआ था न?? और तभी तुम गिली हो गई थी?
हर्षिता – ओह बाबूजी। मुझे नहीं पता।
मै – (बहु को और तडपाते हुये।) बताओ मुझे सच है न?
हर्षिता – हाँ बाबूजी सच है अब चाटिये न।
मैने बिना देरी किये अपना मुह बहु के गरम गिली बुर पे रख दिया। बहु के बुर पे हलके हलके बाल थे जो उसकी बुर के बहते चिपचिपे पानी से सन्न चुके थे उसकी बुर में से अजीब सी स्मेल आ रही थी। जो मुझे और पागल कर रही थी। मैं अपनी जीभ निकाल बहु की चूत चाट्ने लगा।
हर्षिता – आह बाबू जी। ओह्ह और चाटीए।
मै- बहु। तुम्हारी बुर कितनी अच्छी स्मेल कर रही है। उम्मम्मम्म काश तुम्हारे पापा भी तुम्हारी बुर चाट पाते।
हर्षिता – छी: बाबूजी। चुप रहिये.
मै – अरे बहु गन्दी बातें करने से सेक्स में और मजा आता है। बस मजे के लिए तुम भी गन्दी बात करो तुम्हे मजा आएगा।
हर्षिता – सिर्फ बातें न। कोई सीरियस नहीं है ना।
मै – नहीं बाबू सिर्फ सेक्स का और मजा लेने के लिये। इसमे कुछ भी सीरियस नहीं है।
मै – अब बोलो अपने पापा से बुर चटवाओगी।??
हर्षिता – हाँ बाबूजी। चटवाऊंगी। अपने पापा से अपना बुर चटवाऊंगी।
इस वक़्त मेरे एक्साईटमेंट की कोई सीमा नहीं थी। मैं अपना लंड पकड़ हिलाने लगा।
मै- और गन्दा बोलो बहु।
हर्षिता – आआह बाबूजी मेरा बुर तबसे गिला है जबसे मैंने पापा के आने की खबर सुनी है। आपकी बहु रंडी बहु है और आपसे और अपने पापा से चुदवाने के लिए बेताब है।
मैं-और गन्दा बोल साली रंडी
बहु-मैं आपसे और अपने पापा दोनों से एकसाथ चुदवाउंगी और दोनों का लंड बारी बारी से चूसूंगी।
मै बहु के पास बैठ गया और बहु इतनी उत्तेजित हो चुकी थी की मेरे कुछ किये बगैर वो मेरे लंड मुह में लेकर चूसने लगी।
बहू -बाबूजी प्लीज़ करिए ना ! अब रहा नही जाता ! डाल दीजिए अपना मूसल हमारे अंदर और हमे चोद डालिए जी भर के !
मैं- जान थोड़ा रुक जाओ इन बूब्स का मज़ा तो ले लेने दो !
हर्षिता – नही पहले एक बार कर लीजिए फिर खाली समय मे चुसते रहना जी भर के !
मैं- क्या बात है बहु आज बहुत बैचेन हो ?
हर्षिता- हाँ बाबूजी इस सुख के लिए कितना इंतज़ार किए हैं ! अब आपको अपने बेटे के हिस्से का भी प्यार देना है हमे ! उन्होने प्यार देने मे जो कमी की है उसकी रिकवरी भी हमे आप से करनी है ! चलो अब जल्दी आ जाओ और हमको खूब प्यार करो !
जो हुकुम रानी साहिबा कहते हुए मैंने बहू की टाँग उठाई ,पोज़िशन ली और एक झटके मे पूरा लॅंड बहू के बुर के अंदर कर दिया !पहली बार मेरा मोटा लंड मेरी कामुक बहु की चिकनी बुर में जा रहा था। एक झटके मे पूरा लंड अंदर जाते ही हर्षिता के मुख से चीख निकल गई वो तो अच्छा था क़ि पहले खूब चुत चुसाई की थी जिससे बहू अंदर से बहुत गीली थी वरना आज फिर खून खच्चर हो जाता ! दर्द के मारे बहू बड़बड़ाई .
हर्षिता- उई माँ मर गई ! ओह क्या कर रहे हो ? हे राम धीरे नही कर सकते ! हमेशा बेसबरे बने रहते हो ! कितना दरद दे रहा है
मैं- सॉरी जानू तुमको नंगी देखने के बाद सबर ही नही हो पाता ! बहुत दरद दे रहा है तो निकाल दूं .क्या ?
हर्षिता- अब डाल दिया है तो रहने दो लेकिन प्लीज़ धीरे धीरे करो ! आप तो एकदम सूपर फास्ट ट्रेन बन जाते हो ! नीचे लड़की को बिछाए हो कोई पटरी नही बिछी है!
मुझ को भी अपनी ग़लती का अहसास हो गया हलाकी मैं चुदाई के मामले मे बहुत ही सबर से काम लेने वाला आदमी था और लड़कियों को बहुत ही तसल्ली बख्स तरीके से चोदता था किंतु बहू की खूबसूरती और जवानी ऐसी थी क़ि मेरा दिमाग़ ही काम करना बंद कर देता था !
वरना सेक्स को मैं हमेशा ही देर तक खींचने वाला इंसान था ! अब मैंने हल्के मगर लंबे स्ट्रोक मारने चालू कर दिए जिससे बहू एक बार फिर दीं दुनिया से बेख़बर होने लगी पुर कमरे मे हर्षिता की सिसकारी गूँज रही थी बीच बीच मे मेरी थाप की आवाज़ भी आ जाती.
जब बहू की गर्मी बढ़ी तो वो नीचे से कमर उछालने लगी जिससे मैं समझ गया क़ि बहु अब आने वाली है !इधर बहू का जिस्म अब कमान की भाँति ऐटने लगा ! वैसे तो बहू बहुत ही सुशील थी किंतु जब मेरा लंड उसकी योनि का मंथन करने लगा तो उसके अंदर से ने नये शब्द निकलने लगे।
हर्षिता – हाँ बाबूजी ऐसे ही चोदिये ! बहुत अच्छा लग रहा है ! आप तो एक नंबर के चोदू हो फिर क्यों हमे तंग करते हो ! आह आह्ह्ह्ह्ह ! बाबूजी और ज़ोर से करिए हमारा होने वाला है ! डाल दीजिए अपना बीज़ हमारे अंदर ! आह माँ मर गई !
मै – ये ले बहु। तेरी चूत इतनी गिली हो गई है की मेरा लंड अंदर फिसल रहा है। और गन्दी बात करो बहु।(मैं बहु के बुर में अपना लंड डाले उसे तेजी से चोदने लगा।और दोनों हाथो से उसकी चूचियों को भी मसलने लगा.)
हर्षिता – और चोदीये बाबूजी। अपनी रंडी बहु को। मैं आपसे चुदवाने के बाद। रात को अपने पापा से भी चुदवाऊंगी।
मै – हाँ मेरी रंडी हर्षिता बहु। सबसे चुदवा ले। तुझे सोच कर तो मोहल्ले में हज़ारो लड़के रोज़ना बिस्तर पे अपना मूठ गिराते है। (मैं तेज़ी से बहु को पेलने लगा।)
हर्षिता – मैं इस मोहल्ले की रंडी भाभी बन जाऊँगी। आपके सामने दूसरे लड़कों से चुदवाऊँगी।
हर्षिता – बाबूजी। मैं ये सब आपके मज़े के लिए बोल रही हूँ प्लीज आप सीरियसली मत लीजियेगा।
मै – (बहु की इस बात पर मैं मन हे मन मुस्कुराया।) हाँ बहु ये तो सिर्फ एन्जॉय करने के लिए है इसमे कुछ भी सीरियस नहीं है।
हर्षिता – उम्मम्मम्म। और चोदीये। बाबूजी। मेरा पानी निकलने वाला है।
मै – हाँ बहु मैं भी और नहीं रुक सकता मेरा भी पानी छुट्ने वाला है।
हर्षिता – आह बाबू जी अंदर मत गिराइए नहीं तो मैं प्रेग्नंट हो जाऊँगी। आज आप अपनी बहु के मुँह को अपने मुठ से भर दिजिये।
मै- ठीक है बहु। (बहु के बुर गिली होने से लगतार फच्च-फच्च की आवाज़ हो रही थी।)
हर्षिता – चोदीये बाबू जी। अपनी रंडी बहु को और चोदीये.
मै – तेरे पापा हॉल में अकेले बैठे हैं वो भी अपनी रंडी बेटी के बारे में सोच के मुट्ठ मार रहे होगे।
हर्षिता – हाँ बाबूजी आप सच कह रहे हैं उनका लंड तो वैसे भी खड़ा था अभी अपने आप को अकेला पा के मुट्ठ मार रहे होंगे। उनको बोलिये न क्यों अपना मुट्ठ जमीन पे गिरा रहे है इधर कमरे में आकर मेरे मुह पे गिरा दे।
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बहु के इस बात को सुनकर मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और अपना लंड बहार निकाल कर बहु के मुह के पास ले गया। बहु अपने हाथ में मेरा लंड पकड़ जोर से मुट्ठ मारने लगी। और अगले ही पल मेरा सारा मुठ उसके मुह और चेहरे पे निकल गया। बहु को चोदने के बाद मेरे लंड से इतना मुठ निकला की बहु के चेहरे बूब्स पेट् सब पर गिरा। और मेरी रंडी बहु मेरे वीर्य से नहा गई। मेरे लिए आज का दिन बहुत ही यादगार होने वाला था। क्योंकि जिस चीज़ के लिए मैं महीनो से वेट कर रहा था.
जिसको सिर्फ अपने खयालो में सोच-सोच कर मुट्ठ मारता था आज उसी बहु को मैंने उसके बर्थडे वाले दिन चोद दिया वो भी तब जब उसके पापा घर पे थे। मैं बिस्तर के पास बैठा अपनी पेंट पहन रहा था। मुझे इस बात की फ़िक्र हो रही थी की चुदाई के बाद बहु का रिएक्शन कैसा होगा। मैं इसी असमंजस में पड़ा था लेकिन बहु अपने बिस्तर पे नंगी लेट अपनी एक टाँग उपर उठा कर पेंटी पहनने की कोशिश कर रही थी। उसके चेहरे पे कोई ऐसे भाव नहीं थे जिससे मुझे लगे की वो अपने हस्बैंड को चीट कर गिल्टी महसूस कर रही हो।