Army Man Sexy Cock
नमस्कार दोस्तों आप सभी का फिर से स्वागत है, मेरी कहानी के पहले भाग समधन की चूत से मजा लिया मेरे पापा ने 1 में आपने पढ़ा होगा की कैसे मेरे पापा मेरी सास के साथ सोने के लिए तड़प रहे थे. मेरे पापा मेरी सास के सेक्सी जिस्म को रौदना दबाना नोचना चाहते थे, और बस में गांड रगड़ भी लिए. फिर मेरे बच्चे के जनम के बाद मेरी सास मेरी मायके आई. अब आगे- Army Man Sexy Cock
पिताजी ज़्यादा से ज़्यादा समय अपनी समधन के साथ बाते करते हुए बिता रहे थे. सब को लगा कि ऐसे इधर उधर की बात कर रहे होगे. पर एक पत्नी अपने पति को अच्छे से जानती है. मेरे यहाँ तो माँ को सब ठीक ठाक ही लगा था पर माँ भी पिताजी को अच्छे से जानती थी.
उनको दिख रहा था कि पिताजी अपनी समधन के पास ज़्यादा रहते है. और अब तो समधन के घर आते ही उनको सेंट दिया. माँ सबके सामने बात करके बात बिगाड़ना नही चाहती थी. उनको पता था कि पिताजी बाहर चुदाई करते है पर यहाँ कुछ ऐसा वैसा नही करेंगे उनको पता था. पर एक बार माँ ने पिताजी से बात करने का फ़ैसला किया.
माँ- ये क्या हो रहा है.
पिताजी- पोते के नाम करण की तैयारी कर रहा हूँ.
माँ- मैं उसकी बात नही कर रही हूँ.
पिताजी- तो किस बारे मे बात कर रही हो.
माँ- ये समधन के साथ क्या हो रहा है.
पिताजी- वो तो बस हसी मज़ाक है.
माँ- मुझे तो कुछ और लग रहा है.
पिताजी- क्या लग रहा है.
माँ- ज़्यादा भोले मत बानिए.
पिताजी- समधन समधी मे इतना तो चलता है.
माँ- ठीक है पर ये सेंट, उसको मुझे भी लगाने नही देते, समधन को क्यूँ दिया.
पिताजी- तुम लगाकर क्या करोगी. बिना वजह तुम्हारे पीछे लोग लगने जो मुझे अच्छा नही लगता. तुम तो मेरी हो और बस मेरी बन कर रखना चाहता हूँ.
माँ- और समधन को क्यूँ दिया.
पिताजी- बेटी की सास है, उनकी अपने बेटे के ससुराल मे तारीफ होगी तो मनीषा के लिए अच्छा होगा.
माँ- बस इतना ही है.
पिताजी- कुछ होगा तो तुम्हे बता दूँगा.
माँ- ठीक है. मेरी नज़र रहेगी आप पे.
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पिताजी माँ को समझा कर वापस अपनी समधन के साथ बाते करने लगे. विकास अपनी माँ को खुश देख कर खुश हो गया.
विकास- मनीषा देखो माँ यहाँ पर आकर कितनी खुश है.
मनीषा- हाँ वो अपने पोते को देख कर खुश है.
विकास- तुम्हारे पिताजी माँ का कितना ख़याल रख रहे है.
मनीषा- उनकी समधन है, इतना तो करना होता है.
विकास- मैं तो कहता हूँ कुछ दिन और यहीं रोक लेते है माँ को.
मनीषा- मुझे कोई ऐतराज़ नही है.
विकास- मैं माँ से बात करूँ.
मनीषा- अभी तो कुछ दिन वो रुकने वाली है, उसके बाद बात करना.
विकास- सही कहा.
ऐसे ही बाते करते हुए रात हो गयी. सब ने साथ मे खाना का लिया .खाना खाते हुए पिताजी समधन को हमारी फॅमिली के बारे मे बताने लगे. विकास की माँ अपने समधी की बातों से काफ़ी अच्छा फील कर रही थी. खाना खाने के बाद पिताजी सोसायटी का चक्कर लगाने चले गये. घर मे सब बाते करके कल का प्रोग्राम बनाने लगे. सब मेरे कमरे मे बैठे थे.
समधन- तुम बाते करो मैं सोने जाती हूँ.सफ़र करके थक गयी थी.
माँ- आप चलिए मैं थोड़ी देर मे आती हूँ. आपका बेड तैयार रखा है.
समधन सब को गुड नाइट बोल कर अपने कमरे मे चली गयी.
इस कमरे मे आज माँ पिताजी और मेरी सास सोने वाली थी.
मेरी छोटी ननद और मेरा भाई हॉल मे सोएंगे क्यूँ कि उनको मूवी देखनी थी. मेरे रूम मे मैं और विकास सोएंगे, विकास की माँ कमरे मे जाते ही, अपनी साड़ी चेंज करने लगी. एक हल्की सी साड़ी पहन कर सोने का सोच रही थी. विकास की माँ ने अपनी साड़ी निकाल कर बॅग मे रख दी और हल्की साड़ी निकाल ली.
साड़ी पहनने वाली थी कि कुछ सोच कर पैंटी निकाल कर बेड पे रख दी. और साड़ी पहनने वाली थी कि पीछे से किसी ने पकड़ लिया. पिताजी सोसायटी का चक्कर लगा कर आ गये थे. उनको लगा सब मेरे कमरे मे होगे. वो माँ को बुलाने गये थे कि गेट के पास जाकर रुक गये अंदर कमरे मे सब बैठे कर बाते कर रहे थे पर उनकी समधन नही थी.
उनके कमरे का गेट लगा हुआ था. पिताजी ने धीरे से गेट खोला. अंदर अपनी समधन को ब्लाउस पेटिकोट मे देख कर पिताजी का लंड खड़ा हुआ. समधन के पैंटी निकालते ही पिताजी का लंड पैंट मे हलचल मचाने लगा. पिताजी ने इस सिचुयेशन का फ़ायदा उठाने का सोचा.
समधन बिना पैंटी के पेटिकोट पहने पिताजी की तरफ पीठ करके खड़ी थी. समधन साड़ी पहन ने वाली थी कि पिताजी ने उनको पीछे से पकड़ लिया. इस तरह अचानक हुए हमले से समधन घबरा गयी. पिताजी ने अपना हाथ आगे ले जाकर समधन के मूह पर हाथ रखा और उसको दीवार से चिपका दिया.
समधन समझ गयी कि ये उनके समधी है. अपने समधी के इस तरह पकड़ने से वो गुस्सा हो गयी. वो पिताजी को रोकने वाली थी उनका लंड अपने गांड पर महसूस करते ही वो पिताजी को रोक नही पाई. पिताजी ने खुद को समधन से अच्छे से चिपका लिया. पिताजी का लंड समधन की गांड मे घुसने लगा.
समधन को कई साल हो गये थे लंड को टच किए हुए अपने समधी का लंबा मोटा लंड गांड मे टच होते ही उनकी धड़कने ज़ोर से धड़कने लगी. पिताजी ने अपनी समधन की गर्दन पर किस करना शुरू किया. पिताजी के ऐसा करते ही समधन ने आँखे बंद कर लीं. पिताजी समझ गये कि समधन लंड की भूकी है. पिताजी वैसे ही लंड को गांड मे घुसा कर धक्के मारने लगे. ऐसा लग रहा था कि सच मे पिताजी अपनी समधन की गांड मार रहे हो.
ये कपड़े ना होते तो सच मे गांड मे लंड होता. पिताजी भी अपनी समधन का पूरा मज़ा ले रहे थे. गर्दन पे किस करते हुए अपना हाथ आगे ले जाकर समधन के पेटिकोट से चूत को टच कर के मसल दिया. चूत पे समधी का हाथ पड़ते ही समधन होश मे आ गयी और धक्का दे कर खुद को छुड़ा लिया. मेरी सास गुस्से मे पिताजी की तरफ देखने लगी. पिताजी एक्टिंग करने लगे.
समधन- आपको शरम नही आती.
पिताजी- आप, मुझे लगा मनीषा की माँ है.
समधन- नाटक करने की ज़रूरत नही है.
पिताजी- सच में मुझे लगा मनीषा कि माँ है. वो ये कमरा हमारा है तो माफ़ कीजिए ग़लती मेरी है.
और पिताजी ने अपना सर नीचे कर लिया. विकास की माँ को लगा कि शायद पिताजी सही बोल रहे है. उनको कहाँ पता था कि वो भी उस कमरे मे सोएंगी.
समधन- आप सच कह रहे है.
पिताजी- आप को झूठ लग रहा है.
समधन- मेरी ग़लती थी. मुझे गेट बंद रखना चाहिए था.
पिताजी- कोई बात नही. आप कपड़े पहन लीजिए मैं बाहर रुकता हूँ.
समधन को खुद के ब्लाउस पेटिकोट मे होने का अहसास हुआ. उसने जल्दी अपनी साड़ी उठा ली. पिताजी ने अपना मूह दूसरी तरफ किया .और समधन ने साड़ी पहन ली
समधन- अब ठीक है.
पिताजी ने पलट गये और और दूसरे बेड पर बैठ गये, और समधन अपने बेड पर बैठ गयी जहाँ माँ भी सोने वाली थी.
पिताजी- मेरी वजह से……..
समधन- ग़लती मेरी थी.
पिताजी- जाने दीजिए, वैसे आप बिना साड़ी के, इस साड़ी मे अच्छी लग रही है.
समधन- आप भी ना, मैं तो बूढ़ी हो गयी हूँ.
पिताजी- बूढ़ी, आपको पता नही आप क्या है.
समधन- रहने दीजिए. मैं सो रही हूँ.
और समधन दूसरी तरफ मूह करके लेट गयी. और पिताजी ने समधन की पैंटी जो उनके बेड पर रखी हुई थी उठा ली और पैंटी को सूंघने लगे. आअहह आअहह.
पिताजी- क्या खुश्बू है आपकी.
समधन- वो आपका सेंट है.
पिताजी- ये आपका सेंट है, ऐसी खुश्बू आज तक सूंघने को नही मिली.
समधन- आपका सेंट है, क्या मतलब.
पिताजी- आअहह आअहह.
समधन समझ नही पाई. और पलट कर देखा समधी उसकी पैंटी सूंघ रहे थे. अपनी पैंटी को सूँघता हुआ देख कर समधन शरमा गयी. पर जल्दी उठ कर पिताजी के हाथ से पैंटी ले ली. और अपने बेड पे जाकर अपने उपर चद्दर लेकर कर चेहरा छुपा लिया.
पिताजी- माफ़ करना, मैं खुद को रोक नही पाया..
समधन ने कोई जवाब नही दिया.
पिताजी- मैं ने कहा माफ़ कीजिए.
समधन- आप जानबूझ कर रहे थे.
पिताजी- मुझे वहाँ पैंटी मिली तो मैं, मैं ने इसमे क्या किया.
समधन- आपको कैसे पता वो मेरी है.
पिताजी- यहाँ कमरे मे आप ही तो है.
समधन- आपकी पत्नी की भी हो सकती है.
पिताजी- उसकी खुश्बू मैं पहचानता हूँ. ये खुश्बू अलग थी तो मुझे लगा आपकी है.
समधन- इस बात को यहीं ख़तम कीजिए. मैं सो रही हूँ.
पिताजी- जैसा आप कहें.
पिताजी के लिए जो बेड लगाया था वहाँ पिताजी सो गये. और समधन अपने बेड पर सो गयी. माँ ने आकर देखा तो पिताजी सो रहे थे. माँ समधन के साथ सो गयी. समधन के होते हुए अपने पति के साथ कैसे सोती. रात मे समधन के साथ छेड़छाड़ करके पिताजी खुश थे.
पिताजी ने सोच लिया था कि वो समधन के साथ चुदाई करके रहेंगे. आज तो मेरे बेटे का नाम करण था जिसकी वजह से पिताजी को समधन के साथ बात करने का समय नही मिल रहा था. पिताजी सुबह से काम मे लगे हुए. मेरा छोटा भाई भाग भागकर काम कर रहा था.
विकास ने अपने दोस्तो को बुलाया था पर काम की वजह से वो आ नही पाए. विकास ने नाम करण पर केक लाने का सोचा इस लिए वो मार्केट चला गया केक लाने. पिताजी के दोस्त भी अपने फॅमिली के साथ नाम करण के लिए आ गये दोस्त मिलते ही फिर से बाते करनी शुरू हो गयी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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दोस्त- तेरे घर तो छोटा पड़ रहा है.
पिताजी- हां, नया बनाना पड़ेगा.
दोस्त- बना ले जल्दी.
पिताजी- बेटे के बारे मे सोच कर बनाना पड़ेगा.
दोस्त- वैसे वो फुलझड़ी कौन है.
पिताजी- मनीषा की सास है.
दोस्त- अरे यार, तेरी समधन है.
पिताजी- क्यूँ क्या हुआ.
दोस्त- क्या दिख रही है अगर तेरी समधन ना होती तो..
पिताजी- ऐसा वैसा मत कर वरना मुश्किल हो जाएगी
दोस्त- ठीक है. पर कुछ भी बोल तेरी समधन सब का ध्यान अपनी तरफ कर रही है..
पिताजी- समधन किस की है.
पिताजी और उनके दोस्तों की बाते चलती रही. मेरी सास को लगा कि कल की तरह समधी जी उनसे बात करेंगे. पर ऐसा नही हो रहा था. मेरी सास को पिताजी का बात करना अच्छा लग रहा था. पर पिताजी है कि उनकी तरफ देख नही रहे थे. मेरी सास बार बार पिताजी के सामने से गुजर रही थी पर आज पिताजी ने जानबूझ समधन से बात करने से खुद को रोक लिया.
समधन को लगा कि रात की वजह से वो खुद को गुनहगार समझ रहे होगे. उनकी तो कोई ग़लती नही थी. मेरी सास ने गेट बंद नही किया. और उनको लगा कि वो उनकी पत्नी है तभी समधी ने मुझे पकड़ लिया था. और वो पैंटी, मैं ने तो रख थी, समधी जी की क्या ग़लती थी. मुझे उनसे बात करनी होगी.
समधन वहाँ अपने सोच मे डूबी हुई थी .और यहाँ सब नाम करण की तैयारी कर रहे थे. विकास केक लाया. फिर नाम करण का प्रोग्राम शुरू हो गया और नाम रखा गया अर्पित मेरी सास की पसंद का नाम था. नाम करण का प्रोग्राम होते ही खाने की तैयारी करने लगे.
हम मेहमानो को खाने खिलाने की तैयारी करने लगे. पिताजी ने सब को खाना खिला कर अपने पोते के लिए दुआ माँग ली. सब ने अर्पित को ढेर सारा प्यार दिया. मैं अपनी बेटे के लिए काफ़ी खुश थी. विकास और मुझ को मेहमानों की तरफ से काफ़ी गिफ्ट मिले. पिताजी दिन भर मेहमान की खातिरदारी कर थक गये थे. और आराम चेयर पे बैठ कर आराम करने लगे. अभी आराम कर रहे थे कि मेरी सास पिताजी के पास आ गयी.
समधन- आप की ग़लती नही थी.
पिताजी- क्या कहा.
समधन- रात मे आपकी ग़लती नही थी.
पिताजी- मैं कुछ समझा नही. रात की बात तो ख़तम हो गयी थी.
समधन- फिर आप मुझसे बात क्यूँ नही कर रहे.
पिताजी- इतना काम था कि टाइम नही मिल रहा था..
समधन- ये बात थी मुझे लगा कि आप रात मे जो हुआ उसमे खुद की ग़लती मान रहे हो.
पिताजी- ग़लती हम दोनो की थी.
समधन- जाने दीजिए. वैसे आपने अच्छा मेनेज किया.
पिताजी- आपके बिना कहाँ मुमकिन था.
समधन- मैं ने तो कुछ नही किया.
पिताजी- आपको पसंद आए इसीलिए इतनी मेहनत की, आपको पसंद आया इस से ज़्यादा क्या चाहिए.
समधन- मुझे तो काफ़ी अच्छा लगा प्रोग्राम.
पिताजी- वैसे आपकी बड़ी बेटी नही आई.
समधन- वो आने वाली थी. पर कुछ काम की वजह से आ नही पाई.
पिताजी- अच्छा हुआ वरना आप अपनी बेटी के साथ रहती और हमारे लिए टाइम नही होता.
समधन- आपके ही पास हमारे लिए टाइम नही था.
पिताजी- अब तो टाइम ही टाइम है.वैसे आप कब तक रुक रही है.
समधन- 2 3 दिन और.
पिताजी- इतनी जल्दी क्या है. अभी तो शहर दिखाया ही नहीं.
समधन- कल दिखा देना.
पिताजी- ठीक है. वैसे आपकी एक आदत अच्छी लगी.
समधन- क्या?
पिताजी- बिना पैंटी के सोने की.
पिताजी की बात सुनते ही मेरी सास पानी पानी हो गयी. और बिना कुछ कहे वहाँ से चली गयी. पिताजी को समधन की खुश्बू ने रात मे पागल बना दिया था. कल रात मे पिताजी ने कंट्रोल किया था. क्यूँ कि आज नामकरण था .पर आज रात कंट्रोल करना मुश्किल होगा.
पिताजी को बस रात होने का इंतज़ार था. और मेरी सास को पता नही किस बात का इंतज़ार था. पिताजी को जिसका इंतज़ार था. वो रात भी आ गयी. नाम करण के बाद सब थक कर अपने अपने कमरे मे जाकर सो गये. माँ और मेरी सास बाते कर रहे थे. मेरी सास अपने पोते के लिए खुश थी.
माजी- आप थक गयी होगी सो जाइए.
समधन- आप भी थक गयी होगी.
माजी- हाँ, आप सो जाइए मैं उनको बुला कर लाती हूँ.
माँ पिताजी के पास हॉल मे आ गयी. समधन ने अपने कपड़े चेंज किए और बेड पर सो गयी.
माँ- क्या हुआ, सोना नही है.
पिताजी- तुम्हे पता है मुझे क्या हुआ है. तुम मुझे अच्छे से समझती हो.
माँ- वो हमारी समधन है. मैं आपको कुछ ऐसा वैसा नही करने दूँगी.
पिताजी- तुम्हे तो पता है, मेरे लिए, एक बार मुझे ट्राइ करने दो.
माँ- आप समझ क्यूँ नही रहे हो, वो हमारी बेटी की सास है.
पिताजी- तो क्या हुआ.
माँ- कुछ गड़बड़ हुई तो बेटी का घर बर्बाद हो जाएगा.
पिताजी- वो भी मेरे साथ करने को तैयार है, मतलब तैयार हो जाएगी. मुझे पता है उनको भी मेरी ज़रूरत है.
माँ- बिल्कुल नही. आप को जो करना है मेरे साथ करो, या किसी और के साथ कीजिए पर मनीषा की सास को भूल जाइए.
पिताजी- तुम मेरे लिए कभी अच्छा नही सोच सकती हो.
माजी- मुझे लगा ही था कि आप ऐसा ही सोच रहे है.
पिताजी- तुमसे पहली बार तो कुछ माँग रहा हूँ.
माँ- आप अपने दोस्तो के साथ मिल कर जो करते हो उसके लिए मना किया कभी मैं ने, चलो चुप चाप सो जाइए.
पिताजी- ठीक है, गुस्सा मत करो.
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माँ ने पिताजी को मना लिया और अपने कमरे मे जाकर सो गये. माँ समधन के साथ सो गयी. और पिताजी अपने बेड पर, पिताजी का खड़ा लंड उनको सोने नही दे रहा था. पिताजी बस करवट बदलते रहे सारी रात पर उनको नींद नही आ रही थी. उनको लग रहा है कि कब मेरी सास उनकी बाहों मे आ जाएगी क्यूँ कि अब मेरी सास उनसे सेट हो गयी थी.
1 घंटे बाद उनको लगा कि माँ सो गयी है. वो उठ कर उनके बेड के पास आ गये दोनो आराम से सो रही थी. पिताजी को पता था कि बस एक बार लंड डालना है बाद मे समधन उनको कुछ नहीं कहेंगी. कल जैसे मस्ती मे आ गयी थी वैसे आज आ गयी तो समधन उनका साथ देंगी. समधन को उनका लंड पसंद है ये पिताजी को पता था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कल पिताजी ने अपने लंड की ताक़त समधन को दिखा दी थी. और आज बात ना करने से समधन का जो हाल हुआ उस से पिताजी को पता चल गया कि समधन उनको पसंद करती है. पिताजी उठ गये और धीरे से उनके बेड पर आ गये. और समधन के उपर आते ही धीरे धीरे उनकी साड़ी और पेटिकोट उपर करने लगे.
पिताजी को एक बार चूत को लंड का टच करना था फिर बाकी अपने आप होगा. साड़ी घुटने तक उपर करके पिताजी ने अपना लंड बाहर निकाल लिया. और फिर से साड़ी उपर करने वाले थे कि उनका हाथ किसीने पकड़ लिया. पिताजी ने देखा तो उनका हाथ माँ ने पकड़ा है. माँ ने उनको अपने उपर ले लिया.
माँ- ये क्या कर रहे थे.
पिताजी- तुम्हे पता है.
माँ- मैं ने कहा ना वो हमारी समधन है उस से दूर रहना.
पिताजी- बहुत कॉसिश की पर कंट्रोल नही कर पाया.
माँ- मुझे कुछ नही सुनना है.
पिताजी- मेरी हालत तो समझा करो.
माँ- मैं हूँ ना, मेरे साथ करो.
पिताजी- समधन ने आग लगाई है, तुम भी नही बुझा पाओगी.
माँ- फिर जलते रहो, पर मैं तुम्हे कुछ नही करने दूँगी. समधन के साथ, जब तक वो हाँ नही कर देती.
पिताजी- ठीक है, जैसा तुम कहती हो वैसा होगा. तुम बुझा दो मेरी आग.
और माँ ने अपनी साड़ी और पेटिकोट उपर की. और पिताजी ने अपना लंड माँ की चूत मे डाल दिया. ये क्या माँ पिताजी के साथ उसी बेड पर चुदाई कर रही है जहाँ मेरी सास सो रही है. माँ तो कह रही थी समधन के साथ कुछ नही करने दूँगी. फिर उसी बेड पे चुदाई करने से समधन की नींद भी तो खुल सकती है.
कुछ समझ नही आ रहा था. पिताजी माँ की चूत मे लंड डाल के धक्के मारने लगे. पिताजी के लंड को अपनी चूत मे लेते ही माँ को सुकून मिल गया. माँ बहुत किस्मत वाली थी जो पिताजी का लंड उनको मिला था. पिताजी अपनी प्यारी चूत मे प्यार से धक्के मारने लगे.
पिताजी पूरा ध्यान रख रहे थे कि माँ की चुदाई से समधन की नींद ना खुले. पिताजी माँ के उपर चिपक कर धक्के मार रहे थे. ऐसा करने से पिताजी को लगा कि ज़्यादा आवाज़ नही होगी. पर माँ हर धक्के के साथ चिल्ला रही थी. माँ ऐसा क्यूँ कर रही थी पिताजी को समझ नही आ रहा था. पिताजी अपने धक्के मारने पे ध्यान देने लगे.
माँ- आआआहझहह जोर्र्र्र्र्ररर्सीईई मरूऊओप्प, आज़ाआआआअ आआआहह आपकााआअ लन्न्न्न्ड आईईईईई आपकााआआअ लन्न्न्न्ड फाआआआड देगा मेरी, फाआआड दूऊऊऊ मरीइ.
माँ की शीष्कारी सुनकर पिताजी ने भी अपनी गति बढ़ा दी और समधन की लगाई हुई आग को माजी की चूत से शांत करने लगे.
माँ- आआआहह मेरााआ निकलल्ल्ल्ल्लराहााआआ हाईईईईईईई तूमम्म्मम, दूसरीईईईईईईईईई बर्र्र्र्ररर पाणिीईईईईई निकलल्ल्ल्ल्ल्ल रहााआअ.
माँ पानी पे पानी छोड़ रही थी. माँ बिंदास होकर चुदाई कर रही थी. पिताजी माजी को आज इस तरह मज़ा लेते हुए देख कर जोश मे आ गये और अपनी प्यारी चूत की जोरदार चुदाई करने लगे. पिताजी को लगा कि माँ उनकी आग बुझा नही पाएँगी पर पिताजी माजी का नया रूप देख कर खुश हो गये.
पिताजी जोश मे आकर माँ की चुदाई करते गये और अपनी आग का लावा माँ की चूत मे डाल दिया. माँ समझ गयी कि पिताजी की आग ठंडी हो गयी है. माँ ने पिताजी की आग ठंडी की या कुछ और किया पिताजी अपना वीर्य माँ की चूत मे डाल कर माँ के उपर गिर गये. माँ ने पिताजी को खुश कर दिया और खुश करने वाली थी.
माँ और पिताजी चुदाई करके एक दूसरे से चिपक कर नॉर्मल होने लगे. पिताजी तो शांत हो रहे थे .और माँ कुछ और सोच रही थी. माँ ने समधन की तरफ देखा, समधन ने उनकी पूरी चुदाई देख ली थी. और अपनी साड़ी को पूरा उपर करके चूत मसल रही थी. समधन ने माँ को अपनी तरफ देखते हुए देख लिया.
माजी- क्या हुआ.
समधन- वो मैं.
माजी- आपने पूरा देख लिया.
समधन- हाँ, आप किस्मत वाली है जो इनके जैसे पति मिले है.
पिताजी वैसे पड़े रह कर उनकी बाते सुनने लगे.
माजी- आप भी किस्मत वाली बन सकती है.
समधन- आपको बुरा नही लगेगा.
माजी- आप समधन है हमारी, आप को खुश रखना हमारा फ़र्ज़ है.
समधन- नही, रहने दीजिए.
माजी- ये आपकी आग थी जो मुझे बुझानी पड़ी. सोच लीजिए, आप मज़ा ले सकती है. मैं बुरा नही मानुगी.
समधन- ये ग़लत नही होगा?
माजी- किसी को कुछ पता नही चलेगा. और आप लड़के वाले है, आप का तो पूरा हक है. आपकी खातिरदारी करना हमारा फ़र्ज़ है.
समधन- पर.
माजी- आप कब से अकेली है, आज अपना अकेलापन दूर कीजिए, मैं कह रही हूँ, कितना बर्दास्त करेगी आप, आज कुछ मत कहिए.
पिताजी उनकी बात चुप चाप सुन रहे थे.
माजी- हटिए मेरे उपर से, और समधन के उपर जाइए.
पिताजी ने माँ को पप्पी दी. और समधन के उपर आ गये.
पिताजी- समधन जी, क्या कहती हो.
समधन- क्या कहूँ, जो करना है आपको करना है.
पिताजी- ऐसे नही चलेगा. आपको लंड को खड़ा करना होगा..
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समधन ने एक बार माँ की तरफ देखा .माँ ने इजाज़त दी और पिताजी बेड पर लेट गये और समधन पिताजी के लंड के पास बैठ गयी. पिताजी के लंड पे माँ का पानी लगा हुआ था जो समधन ने अपनी साड़ी से साफ किया. और पिताजी के लंड को मूह मे लेकर चूसने लगी. पिताजी का लंड मुरझाने के बाद भी बड़ा दिख रहा था.
माँ उठ कर पिताजी वाले बेड पर चली गयी जिस से पिताजी और समधन जी अच्छे से प्यार कर सकें मेरी सास ने पिताजी के लंड को पूरा मूह मे लिया और चूसने लगी. उनको बहुत सालो बाद लंड मिल रहा था और अब ऐसा लंड मिल रहा था जिस से उनकी सालो की प्यास एक झटके मे ठंडी हो जाएगी.
और माँ ने भी उनको इजाज़त दे दी. पिताजी के लिए माँ ने हाँ कहा पर उस से मेरी सास को खुशी मिल रही थी. समधन के मूह मे लंड जाते ही पिताजी को जो चाहिए था वो मिल गया. समधन के नशीले बदन के साथ खेलने को मिल रहा था.
पिताजी ने एक बार माँ की तरफ देखा, माँ ने उनको लगे रहने को कहा, फिर समधन को अपना लंड चूसवाने लगे. समधन को कितने सालो बाद लंड मिला था और वो भी ऐसा जिसके सपने हर कोई देखता है. समधन धीरे धीरे लंड को चूस रही थी.
समधन के मूह मे लंड जाते ही पिताजी के अंदर आग जलने लगी और आग भड़कने लगी. समधन के मूह मे जाते ही पिताजी का लंड अपने असली रूप मे आने लगा. समधन पिताजी के लंड को बड़ा होता हुआ देख कर उसके विकराल रूप के दर्शन करने लगी.
समधन ने पिताजी का लंड खड़ा कर दिया. ऐसा खड़ा किया कि समधन की आँखे लंड से अलग नही हो रही थी. पिताजी का शानदार लंड देख कर समधन खुश हो गयी और फिर से लंड को चूसने लगी. इस बार आधा लंड मुश्किल से चूस पा रही थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
समधन पूरी तरह से खुश थी. ऐसा लंड आज उनको जो मिला था. पिताजी का टोपा इतना बढ़िया था कि समधन बार बार उसको चूस रही थी. समधन को इस तरह लंड चूस्ते हुए देख कर माँ स्माइल करने लगी .और पिताजी मज़े लेने लगे समधन ने लंड चूस कर मज़ा लिया. अब चूत मे लेने की बारी थी.
पिताजी ने समधन को एक झटके मे नंगा किया और खुद भी नंगे हो गये. समधन का नंगा बदन देख कर पिताजी समधन पर टूट पड़े .और उसके बदन पर किस करने लगे. अपने आर्मी वाले हाथों से दूध को मसल मसल कर समधन को गरम करने लगे. समधी के हाथो की ताक़त देख कर समधन अपने दूध को उनके हाथो से मसल्ने का मज़ा लेने लगी.
पिताजी दूध को इस तारा मसल रहे थे कि उनकी ताक़त का पता चल रहा था और समधन को मज़ा भी आ रहा था. समधन का बदन कुछ साल से लंड ना मिलने से ढीला पड़ गया था पर कोई बात नही पिताजी उनका बदन फिट कर देंगे अपने धक्को से. समधन के नट को पिताजी अपने पाने से फिट करके समधन का पुर्ज़ा ठीक कर देंगे. दूध मसल्ने के बाद पिताजी ने अपनी बड़ी उंगली एक झटके मे समधन की चूत मे डाल दी.
समधन- ये क्याआआ कियाआआ लंड डालने से पहलीईई बताआअ दीएत्त्तीईईए.
माँ समधन की बात सुनकर हँसने लगी.
माजी- ये तो उंगली है. लंड तो अभी बाकी है.
समधन ये सुनकर शॉक्ड हो गयी. और पिताजी अपनी उंगली अंदर बाहर करते गये.
पिताजी ने समधन की चूत मे उंगली डाल कर चूत को गीला कर दिया.
चूत गीला होते ही पिताजी ने लंड को चूत पर रगड़ना शुरू किया. चूत पर समधी का बड़ा टोपा महसूस करते ही समधन के बदन मे करेंट दौड़ने लगा. समधन को बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था.
समधन- सामड़िीईईईईईईईई जीिइईईई डलूऊऊऊ अंदार्र्रररत्तत्त, बर्दस्त्थत्टटतत्त नहियीईईईहो रहााआअ.
समधन की बात मान ना समधी का पहला काम होता है. पिताजी धीरे धीरे लंड को अंदर पुश करने लगे. पिताजी की ये स्टाइल थी, वो आधा लंड ऐसे धीरे धीरे डालते है. लंड के टोपा ने समधन की चूत को खोलना शुरू किया. लंड का टोपा इसमे माहिर था जिस से लंड धीरे धीरे अंदर जा रहा था.
समधन ने कई साल से लंड नही लिया था जिस से पिताजी का धीरे धीरे अंदर डालना उनको पसंद आया. चूत के होंठ खोलते हुए लंड अंदर जाने लगा. समधन को दर्द हो रहा था पर झटका मारकर खाने वाले दर्द से ये कम था. दर्द ऐसा था कि समधन बर्दास्त कर रही थी..
समधी का प्यार देख कर समधन खुश हो गयी और दर्द के घूँट समधन खुशी खुशी पी गयी. पिताजी ने बड़े प्यार से आधा लंड समधन की चूत मे डाला. समधन की आँखो मे पानी आया था पर इतना तो चलता है. आधा लंड डालने के बाद पिताजी रुक गये .समधन को लगा कि लंड चला गया.
पर आधा लंड डालने के बाद पिताजी एक झटके मे बाकी का लंड डालते है. पिताजी ने अपने लंड की ताक़त दिखाने के लिए जोरदार झटका मार कर पूरा लंड समधन की चूत मे डाल दिया. समधन की चूत ने कुछ सालो से लंड नही लिया था. और मिला भी तो ऐसा जो चूत को फाड़ दे पिताजी का लंड समधन की गहराई मे अंदर तक गया था .
पिताजी का लंड समधन की चूत का हो गया. समधन की चूत पे पिताजी के लंड का स्टंप लग गया. पिताजी का लंड समधन की चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर चला गया. समधन की चूत मे दर्द की बारिश होने लगी. समधन की चीख निकल गयी.
समधन- आआअहह निकााआलूऊऊ दरद्देद्ददड हूऊऊऊओराहााआअ हाईईईईईई निकालूऊऊऊँ. बाहर्र्र्र्र्र्र्ररर दर्द्द्द्द्दद्ड हूऊऊओ रहाआआआआ हाईईईईईईईईई माआआआ मररर्र्र्ररर गाइिईईईईईईई.
समधन की चीख सुनकर माँ पास मे आ गयी.
समधन- दर्द हो रहा है. इनको निकालने को बोलो.
माजी- बस हो गया. लंड चला गया. कुछ देर रूको.
पिताजी समधन की चूत मे लंड डाल कर खुश हो गये. पिताजी ने अपने लंड की ताक़त समधन को दिखा दी.
समधन- आआआहह मररर्र्ररर गाइिईईईईईईई बर्दस्त्थत्टटतत्त नहियीईईईईईई हूऊऊऊ रहाआआआअ मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईईईई.
अभी कह रही थी बर्दास्त नही हो रहा था अंदर डालो, और अब कह रही है बर्दास्त नही हो रहा है बाहर निकालो. पिताजी अपना लंड समधन की चूत मे डाल कर वैसे ही रुक गये. माँ समधन के दूध दबाना शुरू करके समधन का हौंसला बढ़ा रही थी.
पिताजी भी कुछ देर वैसे ही रुक गये. माँ ने पिताजी को धक्के मारने को कहा और खुद समधन के दूध मसल्ने लगी. पिताजी ने धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करना शुरू किया. पिताजी ने इस काम मे पीएच.डी की थी जिस से वो आराम से समधन का दर्द करने लगे.
पिताजी धीरे धीरे प्यार से लंड बाहर निकाल कर अंदर करने लगे. लंड अंदर बाहर होने से समधन को दर्द हो रहा था. उनकी आँखो से पानी निकल रहा था. माँ ने समधन का मूह अपने हाथ से दबा दिया और लगातार उनके दूध को मसल्ने लगी. अपनी पत्नी का प्यार देख कर पिताजी इतने खुश थे कि, साथ मे समधन की चूत मिलने से जन्नत मे थे
पिताजी ने धीरे से लंड बाहर निकाला और अंदर पुश कर दिया. फिर से लंड बाहर निकाल कर पूरा अंदर डाल देते. पिताजी के ऐसा करने से समधन की चूत मे लंड के लिए जगह बनाने लगी. पिताजी अपना पूरा अनुभव लगाकर समधन की चुदाई कर रहे थे.
कभी बीच मे रुक कर पिताजी अपनी कमर हिला कर लंड को चूत मे घुमाने लग जाते तो कभी पूरा लंड बाहर निकाल कर अंदर डाल देते तो कभी धीरे धीरे धक्के मार देते. समधी के प्यार ने समधन की चूत से पानी निकाल दिया. पानी निकलते ही माँ अलग हो गयी और समधन चुदाई का मज़ा लेने लगी.
समधन- आआआहह जोर्र्र्र्ररर सीईईमरूऊऊऊओ मज़ाआआआअ आआआआअ रहााआआ हाईईईईईईईईईईईई और्र्र्र्र्र्ररर जोर्र मरूऊऊऊऊ.
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समधन की शीष्कारी सुनकर पिताजी ने अपनी गति बढ़ा दी. लंड ने धीरे धीरे अपनी गति बढ़ा कर चूत मे अंदर बाहर होने लगा. पिताजी अपनी समधन की चूत का पूरा मज़ा लेते हुए धक्के मारने लगे. ऐसे धक्के मार रहे थे कि समधन का पूरा बदन हिल जाता.
समधन अपने समधी के धक्के को एंजाय करने लगी. इस से पहले समधन ने ऐसी चुदाई नही की थी. क्या धक्के लग रहे थे. ऐसा लग रहा था कि कुश्ती खेल रहे हो. समधन इतना मज़ा ले रही थी कि वो बार बार माँ को इस चुदाई के लिए शुक्रिया कह रही थी.
समधन का बदन पिताजी के धक्को से फिर से शेप मे आ गया. पिताजी ने फिर से समधन की चूत से पानी निकाल दिया. अब तो दोनो मज़े मे चुदाई को एंजाय करने लगे. पिताजी ने अपना पहलवान शरीर का पूरा इस्तेमाल करते हुए समधन की चूत की गहराई तक लंड डाल कर चूत को फाड़ने लगा.
अपने पति की चुदाई देख कर माँ भी खुश हो गयी. अपने पति पे माँ को गर्व था. उनका लंड समधन की चूत फाड़ रहा था. मनीषा को सास से कभी परेशानी नही होगी. पिताजी ने अपने धक्को की गति बढ़ा दी. पिता जी का वीर्य निकालने का समय आ गया था. समधन भी फिर से अपना पानी निकालने को तैयार थी.
समधन- आआआहह जोर्र्र्रर से मरूऊओ मेरहूऊऊ रहाा हाईईईई.
पिताजी- मेरा भी हो रहा है.
और पिताजी ने ताबड तोड़ धक्के मार कर समधन का पानी निकाल दिया और अपना वीर्य समधन की चूत में डाल दिया. समधन की चूत मे वीर्य डाल कर पिताजी की आग ठंडी हो गयी. पिताजी समधन की चुदाई करके खुश हो गये समधन भी काफ़ी दिनो बाद चुदाई करके खुश हो गयी. वीर्य निकालने के बाद पिताजी समधन के उपर से अलग हो गये और समधन के बाजू मे लेट गये. पिताजी और समधन चुदाई करके खुश हो गये
माजी- क्या हाल है समधन जी.
समधन- आज मैं बहुत खुश हूँ.
माजी- समधी ने खुश किया कि नहीं.
समधन- खुश, इतनी खुशी इतनी खुशी मुझे पहली बार मिली है.
माजी- चलो अच्छा है, समधन को मेरी खातिरदारी अच्छी लगी.
समधन- आपकी खातिरदारी को मैं हमेशा याद रखूँगी.
माजी- अभी और खातिरदारी करनी बाकी है.
समधन- चुदाई तो हो गयी ना.
माजी- कहाँ समधन जी, अभी आपकी गांड बाकी है.
समधन- नही मैं वहाँ नही करती. वहाँ दर्द होता है.
माजी- समधन जी अपने समधी पे भरोसा रखो, आपको बहुत मज़ा आएगा.
समधन- इनका बहुत बड़ा है.
माजी- तो क्या हुआ. मज़ा बड़े लंड से आता है.
समधन- आप समझ नही रही, मैं ने वहाँ कभी नही किया.
माजी- ये तो बहुत अच्छी बात है.
समधन- मैं वहाँ नही करूँगी.
माजी- क्या समधन जी, समधी ने आपको खुश किया .और अब समधी को खुश रखने की बात आई तो पीछे हट रही है. अपने समधी के लिए इतना नही कर सकती.
समधन- (समधी से नही होगा, 2 बार तो चुदाई कर चुके है अब लंड खड़ा ही नही होगा) ठीक है, पर क्या समधी जी कर पाएँगे.
माजी- आप अपने समधी को इतना कमज़ोर मत समझिए. एक दिन मे 10 10 औरतों का पानी निकाल देते है.
माँ की बात से समधन डर गयी.
समधन- मैं ने तो ऐसे ही कहा था.
माजी- आप अपने बात से पीछे नही हट सकती. एक बार करके देखो.
समधन- ठीक है. पर आप मेरा साथ देना, अगर रुकने को कहूँ तो रुकने को बोलना.
माजी- मैं तेल लेकर आती हूँ. आप लंड को तैयार करो.
पिताजी माजी का ऐसा रूप देख कर शॉक्ड हो गये. उसको हुआ क्या है. माजी तेल लाने चली गयी और समधन ने पिताजी का लंड चूसना शुरू किया. रात काफ़ी हो चुकी थी पर पिताजी के लंड मे काफ़ी ज़ोर था. समधन अपना पानी समधी के लंड से चाटने लगी.
माँ तेल लेकर आ गयी. और पिताजी खड़े हो गये उनके सामने समधन घोड़ी बन कर लंड चूसने लगी और माजी ने समधन की गांड पर तेल लगाना शुरू किया. क्या नज़ारा था. पति पत्नी के बीच मे समधन घोड़ी बनी हुई थी. पिताजी माजी से बहुत कुछ पूछना चाहते थे. पर समधन के होते हुए पूछ नही सकते थे.
समधन धीरे धीरे लंड को चूस रही थी. इस बार लंड जल्दी खड़ा नही होगा.पर खड़ा ज़रूर होगा ये पिताजी को पता था. माँ अपने पति के लिए समधन की गांड तैयार करने लगी. माँ ने समधन की गांड पर तेल डाल कर अपनी उंगली को समधन की गांड मे डाल दिया.
माँ की उंगली जाते ही एक पल के लिए समधन ने लंड चूसना बंद किया और पीछे पलट कर देखा. समधन सोचने लगी, दोनो मे कितना प्यार है कैसे उसकी समधन अपने पति के लिए मेरी गांड तैयार कर रही है. समधन को अपनी तरफ देख कर माजी ने समधन की गांड पर थप्पड़ मारकर अपना काम करने को कहा.
समधन फिर से समधी का लंड चूसने लगी .सालो से लंड नही मिला और मिला तो एक रात मे पूरा प्यार करने को मिल रहा था. समधन लंड की एक एक ड्रॉप निचोड़ ना चाहती थी. समधन के चूसने से लंड को जल्दी खड़ा करने के लिए पिताजी ने समधन का सर पकड़ लिया. और समधन के मूह मे धक्का मारना शुरू किया.
पिताजी के ऐसा करने से समधन को झटका लगा पर पिताजी धीरे धीरे कर रहे थे जिस से समधन को अच्छा लगने लगा. पिताजी ने धक्के मारकर अपने लंड को धीरे धीरे खड़ा करना शुरू किया. लंड कितना भी खड़ा हो समधन के मूह में जा नही रहा था. समधन अभी डर ना जाए इस लिए पिताजी रुक गये और समधन को लंड चूसने दिया.
पिताजी- समधनजी थोड़ा आंडो को चूस दो.
समधन ने एक बार समधी की तरफ देखा और मुश्कुरा कर उनकी बात स्वीकार कर ली. और समधन ने पिताजी के आंडो को चूसना शुरू किया. समधन के होंठ आंडो पर महसूस करते ही पिताजी के लंड ने एक झटका मारा समधन अपना काम प्यार से कर रही थी.
उधर माजी ने एक उंगली से समधन की गांड मारना शुरू किया. माँ की उंगली से समधन को गांड मे गुदगुदी होने लगी जिस से वो अपनी गांड हिलाने लगी. माँ ने फिर से समधन की गांड पे थप्पड़ मारा और अपनी 2 उंगली अंदर घुसा दी. 2उंगली अंदर जाते ही समधन ने लंड चूसना बंद किया.
पिताजी का लंड खड़ा हो गया. फिर से अपनी समधन को खुश करने के लिए तैयार हो गया. माँ अपनी उंगली से समधन की गांड को तेल से चिकना करने लगी. माँ ने एक और उंगली डाली समधन को दर्द हुआ और वो आगे हो गयी. माँ की उंगलिया बाहर निकाल गयी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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माजी- क्या हुआ.
समधन- दर्द हो रहा है.
माजी- तेल नही लगाउन्गी तो आपको लंड लेने से दर्द होगा.
समधन- मैं नही कर सकती.
माजी- डर लग रहा है.
समधन- हाँ.
माजी- मैं करके दिखाती हूँ. देखना कितना मज़ा आता है.
और माँ घोड़ी बन गयी और पिताजी ने लंड को माँ की गांड मे डाल दिया. पिताजी ने धीरे धीरे अपने मनपसंद गांड मे लंड डालना शुरू कर दिया. माँ को दर्द नही हुआ. ये देख कर समधन देखती रह गयी. पिताजी ने माँ की गांड मे लंड डाल दिया और 10 12 प्यार से धक्के मार दिए. माँ हर धक्के के साथ शीष्कारी लेकर समधन को बता रही थी गांड मरवाने मे कितना मज़ा आता है.
माजी- देखा कुछ दर्द नही हुआ. तुम्हे भी नही होगा. और इनके लंड पर तेल लगा रही हूँ. फिर्तो दर्द कुछ नहीं होगा. ये प्यार से करते है.
समधन ने हाँ मे गर्दन घुमा दी. जिस से माँ ने समधन की गांड पर तेल लगा दिया. और पिताजी ने अपने लंड पर तेल लगाना स्टार्ट किया. समधन की गांड और पिताजी का लंड तेल से चमकने लगे और चिकने हो गये.
माजी- तैयार हो.
समधन ने हाँ मे गर्दन घुमा दी. पिताजी माँ की जगह आ गयी और माँ पिताजी की जगह पर गयी. माँ समधन के मूह के पास बैठ गयी. और पिताजी ने समधन की गांड पर लंड रख दिया. माँ ने पिताजी को 2 उंगलिया दिखा दी. पिताजी समझ गये. माजी ने एक उंगली नीचे की और पिताजी ने पहला झटका मारा. आधा लंड समधन की गांड को फाड़ते हुए अंदर चला गया.
समधन की आँखे बाहर निकल गयी. उनकी चीख निकल रही थी कि माँ ने समधन का मूह बंद किया और अपनी दूसरी उंगली नीचे करते ही पिताजी ने दूसरा झटका मारा और पूरा लंड गांड मे पेल दिया. पिताजी का लंड 2 झटकों मे अंदर जाते ही समधन की जान हलक मे अटक गयी.
पिताजी जैसा लंड कुवारि गांड मे जाते ही, समधन मुर्गी की तरह तड़पने लगी. माजी ने समधन को कस के पकड़ लिया और उनकी चीख निकलने नही दी. गांड मे दर्द, और आवाज़ हलक मे अटकने से समधन की आँखे बंद होती गयी. और समधन बेहोश हो गयी.
पिताजी- ये क्या हो गया.
माँ- आपने समधन को बेहोश कर दिया.
पिताजी- तुम ने ऐसा करने को कहा था. इसलिए किया.
माँ- क्यूँ समधन की गांड नही मारनी थी.
पिताजी- मारनी थी.
माँ- तो मार लीजिए.
पिताजी- ये तो बेहोश है.
माँ- आपके लंड से डर के समधन जी गांड मारने नही देती. इसीलिए एक साथ डालने को कहा. जैसे मैं पहली बार बेहोश हो गयी थी वैसे समधन हो गयी.
पिताजी- समधन को होश मे लाओ.
माँ- ऐसा नही कर सकती. आप एक बार बेहोशी मे गांड मार लो फिर गांड खुलते ही जिंदगी भर मारते रहना.
पिताजी- तुम ने सही कहा. होश मे आई तो गांड मारने नही देंगी. और चिलाएगी बहुत, पर तुम ऐसा क्यूँ कर रही हो.
माँ- बाद मे बताउन्गी. मारो जल्दी, नही तो समधन की गांड से हाथ धो बैठोगे.
पिताजी ने अपनी बेहोश समधन की गांड मे धक्के मारना शुरू किया. पिताजी को मज़ा नही आ रहा था पर वो शुरू से जोरदार धक्के मार रहे थे. माँ ने पिताजी समधन की चुदाई करने दी और वो रशोई घर मे जाकर गरम पानी करने लगी. घर मे सब थक कर सो रहे थे.
इधर पिताजी समधन की बड़ी गांड मे जोरदार धक्के मार रहे थे. माँ ने सच कहा था कि समधन पिताजी को गांड मारने नही देती. पिताजी ने एक बार लंड बाहर निकाल कर देखा तो पूरा लाल हो गया था. पिताजी को अपने लंड पे गर्व था. समधन की लाल गांड देख कर उनका जोश बढ़ रहा था.
पिताजी ने वापस लंड गांड मे डाला और धक्के मारने लगे. समधन इन सब से बेख़बर बेहोश होकर बेड पर लेटी हुई थी. पिताजी को आज शीष्कारियाँ सुनने लायक मज़ा नही आ रहा था पर कल गांड मारने मे मज़ा ज़रूर आएगा. थोड़ी देर बाद माँ गरम पानी और एक पेस्ट लेकर आ गयी.
माँ- हो गया.
पिताजी- अभी तो आधी चुदाई हुई है.
माँ- रूको, मुझे अपना काम करने दो.
पिताजी ने माँ की बात मान ली और समधन की गांड से लंड निकाल लिया. माँ ने गरम पानी से समधन की गांड को अच्छे से साफ किया. फिर पेस्ट को अपनी उंगली पे ले कर गांड के अंदर डाल दिया. कुछ देर तक माँ ने पेस्ट से समधन की गांड की मालिश की फिर. गरम पानी डाल कर पेस्ट साफ किया. और पानी छुपा दिया. माँ ने पिताजी को गांड मे लंड डालने को कहा. गांड मे लंड जाते ही माँ समधन को उठाने लगी. माँ ने समधन के मूह पर ठंडा पानी डाल दिया.
माँ- समधनजी उठो.
समधन हड़बड़ा कर उठ गयी.
समधन- आअहह. लंड निकालो.
माँ- क्या हुआ.
समधन- दर्द हो रहा है. दर्द ?
माँ- क्या हो रहा है.
समधन- अभी तो दर्द हुआ था. अब क्या हुआ.
माँ- समधी, समधन को दर्द नही होने देंगे. धक्के मारने को कहूँ.
समधन- मुझे क्या हुआ था.
माँ- आप बेहोश हो गयी थी. मैं ने आपको उठाया. धक्के मारने को कहूँ..
समधन- हाँ, पर वो दर्द तो बहुत हो रहा था और अब बहुत कम हो रहा है.
और पिताजी धीरे धीरे धक्के मारने लगे. पिताजी को माजी का आइडिया पसंद आ गया. पिताजी ने समधन को घोड़ी बना दिया और गांड पर थप्पड़ मार कर धक्के मारने लगे.
माजी- कैसा लग रहा है.
समधन- मुझे पता होता गांड मारने मे इतना मज़ा आता है तो पहले गांड मरवा लेती.
पिताजी को अपनी समधन की बात सुनकर अच्छा लगा. पिताजी खुश होकर समधन की कमर पकड़ कर धक्के मारने लगे. माँ के आइडिया से पिताजी को समधन की गांड रोज मारने को मिलेगी. पिताजी 10 12 धक्के के बाद समधन की गांड पर एक थप्पड़ मार देते. पिताजी के ऐसा करते ही समधन शीष्कारी लेने लग जाती.
समधन- आआआहह और्र्र्र्र्ररर जोर्र्र्र्र्र्ररर सीईई ओसीईईईई हीोीओिओ मरूऊऊऊऊ मेरिइईईईईईइगंद्द्द्द्द्द्दद्ड मरूऊऊऊऊओ सामड़िीईईईऊजीीइईईईईईईई आप्प्प्प्प्प्प्प्प्प जादूगर्र्र्र्र्र्ररर हूऊऊऊओ मैंन्ननणणन् आअप्प्प्प्प्प के लुंद्द्द्द्द्दद्ड कीईईईई गुलाआाँ हूऊऊओ गाइिईईईईई.
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पिताजी समधन की शीष्कारी सुनकर जोश मे आकर चुदाई करने लगे. माँ पिताजी का जोश देख कर खुश हो गयी. पिताजी अपनी समधन की एक एक हड्डी तोड़ते चले गये. समधन धक्के खा कर अपनी चर्बी को सही तरीके से अड्जस्ट करने लग गयी.
यहाँ से जाने के बाद समधन का बदन खिल जाएगा. पिताजी और समधन दोनो मस्ती मे डूब गये थे. पहले तो पिताजी ने समधन की चूत मे वीर्य डाला था. अब समधन की गांड मे वीर्य डालने की तैयारी मे थे. माँ ने पिताजी को खुश कर दिया. इसीलिए पिताजी माँ से इतना प्यार करते है हर एक बात मानते है.
पिताजी दना दन धक्के मार कर समधन को पूरी तरह से खुश करने लगे. पिताजी के धक्को से पता चल रहा था कि उनका वीर्य निकलने वाला है. और आख़िरी धक्को से साथ पिताजी ने समधन की गांड मे वीर्य डाल दिया. वीर्य डालते ही पिताजी बुरी तरह से थक गये थे. और समधन भी थक कर बेड पर गिर गयी. पिताजी भी वही पर गिर गये. दोनो हान्फते हुए अपनी लंबी जोरदार चुदाई का सबूत दे रहे थे. नॉर्मल होते ही पिताजी पेशाब करने चले गये.
माजी- कहिए समधन जी कैसे लगी अपने बेटे की ससुराल की खातिरदारी.
समधन- मेरे पास आओ.
माजी समधन के पास चली गयी. और समधन ने माँ को गले लगा लिया.
समधन- आपने मेरे लिए जो किया उसको मैं कभी नही भूलूंगी.
माजी- ये अहसान नही. खातिरदारी थी. बताइए कैसे लगी.
समधन- मैं चाहूँगी कि अगले जनम मे भी आप मेरी समधन रहे.
माजी- फिर से मेरे पति का लंड लेना चाहती है.
समधन- हाँ, आप किस्मत वाली है जो इनके जैसा पति मिला है.
माजी- आप भी तो किस्मत वाली बन गयी.
समधन- मैं तो कुछ दिन मे चली जाउन्गी.
माजी- ऐसे जाने नही दूँगी. 1 महीना आपको यहाँ रुकना होगा.
समधन- 1 महीना, नही नही इतने दिन यहाँ कैसे रुक सकती हूँ.
माजी- मतलब आपको मेरे पति का लंड पसंद नही आया.
समधन- क्या बात करती हो. ऐसा लंड किसे पसंद ना आएगा.
माजी- फिर आपको 1 महीना यहाँ रुकना होगा.. मेरी एक बात तो मान ही सकती है आप.
समधन- आपकी बात मना कर भी नही सकती. पर 1 महीने बाद मुझे आदत लग गयी तो.
माजी- ये अपना ही घर है महीने मे एक बार आया कीजिए पोते से मिलने के लिए.
समधन- आप बहुत अच्छी है. अपने पति को मेरे साथ.
माजी- आप अकेली कैसी रहती होगी इसका दर्द मैं जानती हूँ. आप अपना दर्द यहाँ हल्का कर लीजिए.
समधन- आप बहुत अच्छी है.
माजी- अब सो जाइए.
समधन- मैं ऐसे नंगी सो जाउ, आप संभाल लेंगी ना.
माजी- हाँ.
समधन सो गयी और पिताजी जो बाथरूम गये थे फ्रेश होने वो कमरे मे आ गये और माजी के साथ अपने बेड पर लेट गये.
पिताजी- तुम ने ये मेरे लिए किया.
माजी- हाँ.
पिताजी- पर पहले तो तुम मना कर रही थी.
माजी- हाँ, पर बाद मे आपको करवट बदलते हुए देखा तो मेरी नींद उड़ गयी. आपको ऐसे बेचैन कैसे देखती.
पिताजी- फिर पहले तुम ने अपने साथ करने को क्यूँ कहा.
माजी- क्यूँ कि मेरी खुजली मिट गयी. और हमारी चुदाई दिखा कर समधन को तैयार किया.
पिताजी- अगर समधन उठ ती नही तो.
माजी- तुम्हारा हाथ पकड़ने से पहले समधन को चुटकी काटी थी. फिर अपनी शीष्कारियो से समधन को आपके लंड की ताक़त दिखाई.
पिताजी- तुम मेरा कितना ख़याल रखती हो.
माजी- आपको ख़याल ना रखूं तो किस का रखूँगी.
पिताजी- समधन की गांड मारने मे ज़्यादा मज़ा नही आया.
माजी- पहली बार था, कल से 1 महीना रोज समधन की गांड मारना.
पिताजी- समधन 1 महीना रुकेंगी.
माजी- मैं ने रुकने को कहा है.
पिताजी- मेरे लिए.
माजी- हाँ, 1 महीना मुझे मनीषा के साथ सोना होगा. फिर आपका क्या होता, इसीलिए रोक लिया.
पिताजी- ये अच्छा किया पर मैं समधन के साथ अकेले कैसे सो सकता हूँ. किसी को शक हुआ तो.
माजी- 1 हफ़्ता मैं रहूंगी. फिर मेरे जाते ही आप छोटू के साथ हॉल मे सोना और समधन यहाँ सोएंगी. और रात में.
पिताजी- समधन की चुदाई करके हॉल मे चला जाउन्गा.
माजी- पर ध्यान रखना वरना गड़बड़ हो जाएगी.
पिताजी- मैं पूरा ध्यान रखता हूँ. पर तुम ने ये सब पहले क्यूँ नही बताया.
माजी- पहले बताती तो आपको इतना मज़ा आता.
पिताजी- नही.
माजी- इसलिए नही बताया और हाँ दिन मे समधन से दूर रहना वरना बेटियाँ बड़ी हो गयी है सब समझती है.
पिताजी- अब तो सिर्फ़ रात मे समधन के पास जाउन्गा.
माजी- समधन के चक्कर मे मुझे भूल मत जाना.
पिताजी- तुम तो मेरे दिल मे रहती हो.
माजी- मैं वही रहना पसंद करती हूँ.
पिताजी- काफ़ी रात हो गयी है मैं थक भी गया हूँ.
माजी- हाँ, अपने दोस्तो को मत बताना.
पिताजी- इतना अनाडा नही हूँ.
माजी- मेरे हीरो, अब सो जाओ, कल से रोज मेहनत करनी होगी.
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पिताजी माँ के गले लग कर सो गये. माँ ने अपनी समधन अपने पति और सब का ध्यान रखते हुए सोचा था. मनीषा के साथ माँ को सोना ज़रूरी था मनीषा की नींद पूरी हो और रात मे अर्पित उठ कर मनीषा को परेशान ना करे इसलिए माँ को मनीषा के साथ रहना था.
विकास तो 2 दिन बाद चला जाएगा पर मैं और एक महीना रुकने वाली थी. माँ रात मे कितने बजे भी सो जाए फिर भी अपने समय पर उठ जाती थी. पिताजी कैसी भी चुदाई करे माँ की नींद सुबह खुल जाती. उनको आदत हो गयी थी. सुबह उठ कर माँ ने पिताजी के उपर चद्दर डाली, और उनको सोने दिया.
फिर माँ ने अपनी समधन को देखा, वो नंगी सो रही थी. उसकी गांड और चूत पे अपने पति का वीर्य जो सुख चुका था जिस से चूत और गांड के छेद चिपक गये थे. माँ ने समधन के उपर चद्दर डाली और उन्हे भी सोने दिया. और कमरे को अच्छे से बंद किया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
माँ अपने काम मे लग गयी. थोड़ी देर बाद समधन की नींद खुल गयी. और अंगड़ाई लेते समर समधन को अपने बदन मे दर्द हुआ समधन की रात मे जो चुदाई हुई उसके बाद आज उनको बदन मे जो दर्द हुआ उसकी वजह से वो बिस्तर से उठ भी नही पाई समधन की दर्द के मारे एक चीख निकल गयी.
चीख सुनकर पिता जी उठ गये और समधन को देख कर उनको रात की चुदाई याद आ गयी. समधन की हालत जो पिताजी के लंड ने की थी उससे पिताजी को अपने लंड पर गर्व था. पिताजी उठ कर समधन के पास गये जो दर्द की वजह से उठ नही पा रही थी.
पिताजी- क्या हुआ समधन जी.
समधन- सब आपने किया और मुझे पूछ रहे है. पूरा बदन दुख रहा है.
पिताजी- मैं मालिश कर देता हूँ.
समधन- नही, रहने दीजिए.
अब पिताजी कहाँ सुनने वाले थे. पिताजी ने चद्दर हटा दी.
समधन का नंगा बदन पिताजी के सामने आ गया. रात मे पिताजी ने ठीक से देखा नही था पर अब समधन को देख कर देखते ही रह गये. समधन ने शरमा कर अपने बदन को मोड़ कर हाथो से बदन छुपा दिया.
समधन- ऐसे मत देखिए, मुझे शरम आ रही है.
पिताजी- रात मे नही आई.
समधन- आप जाइए यहाँ से.
पिताजी- नही जाउन्गा. 1 महीना आप मेरी है.
समधन- अभी जाइए, और समधन को भेजिए. बदन दुख रहा है.
पिताजी- मैं मालिश कर दूं.
समधन- आपको आती है.
पिताजी- हाँ.
समधन- तो कर दीजिए.
और पिताजी ने लंड बाहर निकाला. जो सुबह की वजह से खड़ा हो गया था.
समधन- ये क्या है.
पिताजी- इसको चूसने से दर्द गायब हो जाएगा.
समधन- आप फिर शुरू हो गये. जाइए यहाँ से.
पिताजी- एक बार मूह मे लेकर इसका शुक्रिया तो अदा कीजिए.
समधन ने पिताजी का लंड मूह मे लिया था कि कमरे का गेट खुल गया. पिताजी और समधन डर गये थे पर माँ को देख कर नॉर्मल हो गये.
माँ- क्या समधन जी सुबह सुबह शुरू हो गयी.
समधन- इन्होने कहा.
पिताजी- मैं ने कब कहा.
समधन- आप ने ही तो कहा था.
माँ- जाने दीजिए. आपकी हालत कैसी है.
पिताजी कमरे से बाहर चले गये.
समधन- दर्द हो रहा है.
माँ- आप आराम कीजिए मैं मालिश कर दूँगी.
माँ ने समधन की ऐसी मालिश की, कि सारा दर्द गायब हो गया. फिर भी समधन ने कमरे मे आराम करने का फ़ैसला किया. माँ ने विकास और मनीषा को बुला कर बता दिया कि समधन कल की वजह से थक गयी है उनको आराम की ज़रूरत है. विकास और मनीषा को चिंता होने लगी.
पर माँ ने विकास और मनीषा को कहा कि समधन 1 महीना रुकने वाली है. उनको गाँव पसंद आया है कुछ दिन गाँव की हर्याली मे रहना चाहती है. समधन को गाँव मे रहने से अच्छा लग रहा है ये विकास और मनीषा को दिख रहा था. विकास अपनी माँ के लिए खुश था.
और मनीषा अपनी सास को अपने मायके मे खुश देख कर रिलॅक्स हो गयी. पर उसको तो अपनी समधन की चाल देख कर शक हो गया मनीषा समझ गयी कि पिताजी ने मैदान मार लिया पर मनीषा ये देख नही पाई. पर मनीषा इस बात का पता लगाना चाहती थी कि वो जो सोच रही है क्या वो सच है जैसा सोचा था वैसा हो रहा था.
सब खुश थे, समधन सब से ज़्यादा खुश, थी उनको दमदार लंड जो मिला था. पिताजी ने 1 महीने मे समधन की ऐसी चुदाई की कि, समधन का बदन ऐसा खिल गया. कि हर कोई उसकी खुश्बू सूंघना चाहे. समधन मे आए बदलाव से विकास तो खुश था उसको लगा कि गाँव की हवा पानी का असर है पर मनीषा को पता था कि ये किस बात का असर है.
पर ये असर था पिताजी के पानी का जिसे अपने अंदर ले कर समधन का बदन फिट हो गया. माँ मेरा ध्यान रखते हुए बता रही थी कि क्या करना है कैसे करना है. मुझे इन सब की आदत नही थी. पर मेरी बात कोई सुनता नही था मेरी सास मेरी काफ़ी तारीफ करती थी जिसे सुनकर माँ को अच्छा लगता था.
इसी बीच वो दिन भी आ गया जिसका मुझको इंतजार था. पर मेरी सास को लग रहा था कि ये दिन कभी नही आए कल हमे वापस अपने घर जाना होगा, मुझे मेरे ससुराल जाना होगा. मेरी सास का ये लास्ट रात होने से पिता जी ने पूरी रात चुदाई की इधर मैं माँ के साथ सोने की तैयारी कर रही थी.
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अब लस्ट दिन होने से मैंने माँ से डायरेक्ट पूछ लिया कि पिताजी और मेरी सास मे क्या चल रहा है. मेरी बात से माँ पहले डर गयी पर बाद मे बात बदल दी. लेकिन मैं ने माँ को बताया कि मुझे सब पता है. मेरी बात सुनते ही माँ ने मुझे समझना शुरू किया. मुझे सच जाना था. मेरे ज़ोर डालने पे माँ ने सच बताना शुरू कर दिया. पहले दिन से अब तक क्या क्या हुआ वो सब बताया कैसे माँ ने मेरी सास को मनाया गांड मरवाने से लेकर छत पर खुले आसमान के नीचे की चुदाई तक सब कुछ बता दिया.
फिर मेरी माँ ने कहा कि ये बात अपने तक रखना. मेरी सास को थोड़ी खुशी मिल रही थी, जिस से मेरे पति भी खुश थे तो मैं ने अपना मूह बंद रखा. लेकिन मेरे पेट मे दर्द होता था एक औरत जो हूँ. ये बात किसी को बताए बिना चैन नही आएगा. ये बात मुझे हजम करने के लिए किसी को तो बतानी थी. अगर किसी को बता दी तो हमारे घर की इज़्ज़त लूट जाएगी तो मैं ने लिखना स्टार्ट किया. मेरे पिताजी और मेरी सास की कहानी मेरे पिताजी और उनके समधन की कहानी जो कभी ख़तम ही नही हुई.
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