Uncle Fucking Young Girl
मेरा नाम हैं शैलजा.. 36 यियर्ज़.. फिट ऐज आइ डू योगा.. एंड प्रोफेशनल वर्किंग विमन, शादी शुदा हूँ और 2 बच्चे भी हैं. मुझे सेक्स बहुत पसंद हैं.. ओर मैं बहुत एंजाय करती हूँ. मेरा फर्स्ट सेक्स 18 साल की उमर मैं हुआ था और तब से आज तक मैने बहुत बार, बहुत सारे मर्दों के साथ सेक्स एंजाय किया हैं. Uncle Fucking Young Girl
मैं अपना अनुभव यहा आप सब सेक्सी लोगों के साथ शेयर करना चाहती हूँ. तो चलो शुरू करते हैं.. यह कहानी करीब 18 साल पुरानी हैं जब मैं 11थ मैं थी और पढ़ती थी. मैं मुंबई से हूँ, और मेरे घर मे छोटा भाई जो मेरे से 3 साल छोटा हैं ओर मेरी मा और पापा दोनो ही वर्किंग हैं.
मैं पढ़ाई मे काफ़ी होशियार हूँ.. 10थ मैं टॉपर रही, अब भी मैं ही 11थ के क्लासस स्टार्ट हो गये.. बहुत बिज़ी हूँ. मैं 18 साल की हूँ, हाइट काफ़ी अच्छी हैं, 5-7, बहुत गोरा रंग हैं.. मैं गाँव मराठी हूँ.. आप मेरे रंग का अंदाज़ा लगा सकते हैं. 60 केजी, फिट.. और लगभग पूरी कॉलेज के लड़के मुझ पर मरते, मुझे देखने आते.. और मेरी फिगर देखकर तड़प जाते..
मैं बहुत सिंपल रहती हूँ.. पूरा पढ़ाई मे ध्यान था.. पर रंग रूप ऐसा दिया.. कि मर्दों की नज़र.. ओर हरकतें छुपी नही रहती.. मेरे पड़ोस मे अरोड़ा परिवार था, दिलीप अंकल करीब 40 के, उनकी वाइफ निशा और 2 छोटे बच्चे. दिलीप अंकल एकदम हॉट, पंजाबी, मास्क्युलिन, टॉल 6-2 फीट और एकदम स्पोर्ट मॅन लगते..
हमेशा इंटरनॅशनल बिज़्नेस टूर पर रहते, ऑफीस के काम से. जब भी वापस आते हमेशा मेरे लिए और भाई के लिए चॉक्लेट्स लेकर आते. एक दिन मा-पापा को एमर्जेन्सी मे गाँव जाना पड़ा.. फॅमिली डेत की वजह से.. मेरे क्लासस के कारण मैं अकेली थी, और मा निशा आंटी से कहकर गयी कि 2-4 दिन मैं वापस आएँगे.. मेरा ध्यान रखना.
गर्मी के दिन.. मुंबई की ह्यूमिडिटी.. . मैं दोपहार को सब काम निबटा कर पढ़ रही थी, मैने सिर्फ़ गाउन पहना था.. अंदर कुछ नही था.. मुझे कम कपड़े मे अच्छा लगता था.. तभी डोर की रिंग सुनाई दी.. मैने दरवाजा खोला.. बाहर दिलीप अंकल थे..
मैं- आइए ना अंकल.. आप कब आए लंदन से..
दिलीप अंकल ने बताया.. आज ही आया हूँ.. तुम्हारे लिए ख़ास चॉकलटेस लाया हूँ. मैने कहा.. दिखाइए.. ओर मैने उनको ठंडा पानी पिलाया और सोफे पर बिठाया. अंकल ने सिर्फ़ एक टी शर्ट और शॉर्ट्स पहेना था.. मुंबई मे ऐसे ही सम्मर मे सब कम कपड़े पहन्ते हैं.. बहुत हॉट लग रहे थे.
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अंकल ने चॉक्लेट्स का बॉक्स खोला.. आल्कोहॉल चॉक्लेट्स लाए थे.. हम दोनो ने मिल कर एक एक चॉकलेट खाया.. बड़ा कड़वा था.. मुझे सिर मे सुन्न हो गयी.. इससे पहले कभी ड्रिंक्स या अल्कोहल पिया नही था. अंकल ने सिखाया.. धीरे से मूह मे रखो.. आराम से पिघलने दो और धीरे धीरे स्वाद लेकार खाओ.. एकदम से मत खाओ..
मैं समझ गयी.. दूसरा चॉक्लेट आराम से खाया.. मुझे अच्छा लगा.. 3-4 चॉकलेट्स के बाद मुझे लाइट फील होने लगा.. अच्छा लगने लगा. बॉक्स मे बहुत सारी वेराइटी थी.. अंकल ने कहा.. वाह यह चॉक्लेट एकदम लाजवाब टेस्टी हैं. मैने कहा मुझे दीजिए.. उन्हों ने मुझे पास बुलाकर.. मूह खोलने को कहा..
और एकदम से अपने मूह की चॉक्लेट मेरे मूह मे डाल दी. मैं कुछ सोच पाती.. इतनी जल्दी सब हो गया.. मुझे चॉकलेट अच्छी लगी.. मैं शॉक्ड थी.. पर अच्छा लग रहा था.. पता नही क्यूँ. इसी तरह अंकल ने फिर से दूसरी चॉकलेट खिलाई और इस बार उनके लिप्स मेरे लिप्स से लगे रहे.. ओर जीभ भी अंदर गयी.. मुझे नशा सा हो गया.. पर सब बहुत अच्छा लग रहा था..
अंकल ने कब मुझे अपनी गोदी मे बिठा लिया.. कब मेरा गाउन निकाल कर नीचे फेंका.. और कब मैं उनकी गोदी मे नंगी बैठकर उनके मूह से चॉकलेट खा रही थी.. मुझे पता नही चला.. जब होश आया.. मैं उनकी गोदी मे पूरी नंगी थी.. वो मुझे किस कर रहे.. उनका एक हाथ मेरे बूब्स पर था और दूसरा मेरी बालों वाली चूत पर.. जो अब तक कुँवारी थी..
दोस्तों मैं क्या करती.. सब एकदम अचनाक हो गया.. दिमाग़ कह रहा था ग़लत हैं.. पर दिल सब मान रहा था.. सब अच्छा लग रहा था.. अंकल के गोदी मैं बैठकर उनकी मुँह से चॉक्लेट खाकार मैं होश गवा बैठी थी। पहली बार किसी मर्द के होठ मेरे होटों से टकराये थे।
उनकी जीभ मेरे मुँह मैं जाकर सैर कर रही थी। मैं पिघल रही थी। दिलीप अंकल के बदन की मर्दानी खुशबू मुझे अच्छी लग रही थी। उन्होंने मेरे ओठों को चूसना जारी रखा, मैं भी उनकी जीब को चूसती रही और उनके जीभ पर रखी चॉक्लेट चाटती। उन्होंने मेरी गाउन निकाल दी थी और मैं एकदम नंगी उनके गोदी मैं बैठी थी।
उनके हलके हाथ मेरी चूचियों को दबा रहे थे। मैं बहुत गरम हो गयी और मुझे ac मैं भी पसीना आ रहा था। तभी किस करते हुए उनका दूसरा हाथ उन्होंने मेरी फुद्दी पर रख दिए। मेरी फुद्दी बहुत फूली हुई, गुलाबी और काले बालों वाली थी। दिलीप अंकल मेरी फुद्दी के बालों से खेलने लगे और हाथ फेरने लगे।
उन्होंने पूछा कैसे लग रहा है गुड़िया, मैं घर जाऊ ?
मैंने कहा अंकल बहुत अच्छा लग रहा है, अभी तो आये अभी जा रहे है । प्लीज रुकिए.
उन्होंने कहा अच्छा लग रहा तो और भी तुम्हे कुछ सीखा दू, किस करना तो आज मैंने तुझे सीखा दिया, अगर सीखने की इच्छा हैं तो हिचक मत रानी।
मैं एक मिनट मैं गुड़िया से रानी बन गयी उनकी। मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने जवाब मैं फिर से उनको किस करना शुरू कर दिया और इसबार मैं उनके ओंठों को चूस रही थी, मैंने हलके से उनके होंठ काट लिए, जिस पर वह एकदम सिसक गए और गरम हो गए।
ऐसी बात हैं, तू तो सीखने के लिए तड़प रही हैं, रुक २ मिनट। फिर उन्होंने मुझे अपनी गोदी से उठाया और अपना टी शर्ट निकल दिए, उफ़ क्या बॉडी थी, गोरी कसरत वाली और बालों वाली, मुझे ऐसे बालों वाले, नेचुरल आदमी बहुत पसंद है। फिर उन्होंने दूसरे झटके मैं अपनी बरमूडा शॉर्ट्स निकाल दी, वह नंगे हो गए।
है राम।।।। यह क्या, मैं पहली बार किसी मर्द को नंगा देख रही थी। उनके गोरे बदन पर उनका काला लंड, साप की तरह लटक रहा था। इतना मोटा और बड़ा लंड मैंने कभी नहीं देखा था, बाद मैं उन्होंने बताया था की उनका लंड ८ इंच है। मैं शर्मा रही थी पर नजरें उनके नंगे बदन पर थी।
दिलीप अंकल फिर सोफा पर बैठ गए और मुझे उनकी गोदी मैं बिठा लिए ओर वह मेरे बूब्स चाटने लगे और निप्पल्स चूसने लगे। मुझे उनका लोहे जैसे कड़क लंड अपनी गांड पर फील हुआ। उनका दूसरा साथ मेरे फुद्दी के दाने से खेल रहा था। उन्होंने एक ऊँगली डाली, मुझे दर्द हुआ। दिलीप अंकल ने कहा, कुंवारी हो क्या, कभी सेक्स नहीं किया?
मैंने ना मैं जवाब दिया। उन्होंने कहा डरो मत मैं सब सीखा दूंगा। फिर वह धीरे धीरे मेरे नाभि को चाटने लगे, और मैं उन्हें कुछ भी मना नहीं कर पा रही थी, मैंने बेशरम हो कर सब लाज लज्जा छोड़ दी और उनके बदन पर, उनकी छाती पर किस कर रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
फिर उन्होंने मुझे सोफे पर लिटा दिए और मेरे पैर ऊपर अपनी छाती पर लेने को कहा जिस से उनको मेरी फुद्दी साफ़ पूरी दिखाई दी। वाह रानी तुम्हारी फुद्दी कितनी सुन्दर हैं, ऐसी फुद्दी मैंने आज तक नहीं देखि और वह भी सील पैक है। उन्होंने धीरे से अपना मुँह मेरी फुद्दी पर लगा दिया और जीभ से मेरे दाने को चाटने लगे।
मेरे अंदर तूफ़ान भर गया, मैं उनका सर मेरी चूत पर रगड़ने लगी। दिलीप अंकल बहुत प्यार से धीरे धीरे मेरी चूत चाट रहे थे और अपनी जीभ अंदर डाल रहे थे, मेरी चूत बहुत गीली हो गयी थी और पानी का झरना बहा रहा था। वाह रानी इतना पानी तो बहुत कम चूत से बहता है, तुम तो बड़ी नेचुरल सेक्स की देवी निकली।
मुझे यह सब सुनने मैं अच्छा लग रहा था और दिलीप अंकल पर और भी ज्यादा प्यार आ रहा था तभी मेरे अंदर की हवा ने तूफ़ान का रूप ले लिया और मैंने उनका सर दबाते हुए जोर से उनके मुँह मैं पानी छोड़ दिया। वह बहुत देर तक प्यार से मेरी चूत चाटते रहे और देखते रहे।
तेरी कुंवारी चूत गजब की हैं रानी, इसका उद्घाटन तो मैं ही इस सील को काट कर करूँगा। मैंने शर्मा के कहा की मैंने कब मना किया अंकल, मै आपको आज कोई चीज के लिए मना नहीं करुँगी। मुझे पता नहीं क्या हो गया था, सब सेल्फ रेस्पेक्ट खो दिया और बेशरम हो गयी थी।
दिलीप अंकल खुश हुए और प्यार से मुझे चूमा और मेरी चूत को फिर से चूमा और फिर उठकर किचन से पानी लेकर आये और मुझे पिलाये। अब कैसा लग रहा रानी, मैंने कहा बहुत अच्छा अंकल, ऐसे कभी पहले फील नहीं हुआ। वोह बोले अभी तो यह शुरवात है।
मैंने देखा उनका काला मोटा लंड अब पूरा १८० deg खड़ा हैं और उसपर शहद जैसे बून्द बाहर आ रहे। मैंने पूछा अंकल यह क्या हैं। उन्होंने कहा रानी यह तो मर्द का शहद हैं, तुम्हे तो चखना चाहिए इसको। मैंने शर्मा के कहा आप कुछ भी कह रहे हो। उन्होंने कहा एकबार कोशिश करो, नहीं पसंद आया तो मत स्वाद लो।
मैं अंकल को नादिलीप नहींकरना चाहती थी और शायद अल्कोहल चॉक्लेट की वजह से मैं कुछ खुल गयी थी। मैंने उनका कड़क मोटा गरम लंड हाथ मैं लिया और शहद का बूंद चाट लिया। थोड़ा खट्टा, नमकीन अच्छा स्वाद आया, मैं फिर से चाटा, तो एक बूँद वापस आ गयी।
दिलीप अंकल बोले रानी ऐसे ही चाटों और इसको लोल्लिपोप की तरह चुसोगी तो और भी शहद मिलेगा। मैंने दिलीप अंकल का लोल्लिपोप मुँह मैं ले लिया, मुझे उनके शहद का टेस्ट बहुत पसंद आ गया। फिर अंकल ने कहा पूरा मुँह खोल के, बिना दांत लगाए जितना अन्दर मुँह मैं लोगी उतना शहद ज्यादा आएगा.
और मैं भी कोशिश करने लगी, पर उनके लंड का आधा हिस्सा भी मैं मुँह मैं नहीं ले पायी । उनके काला मोटा लंड फुफकार कर नाच रहा था और बहुत जहरीला शहद बहा रहा था जिससे मुझे और भी नशा हो रहा था। एक एक बूँद पीकर मैं पागल हो रही थी, उनके लंड को देख कर, उसके स्वाद से, उनकी मर्दानी खुशबू से।
अंकल अपना सर ऊपर कर के आहें भर रहे थे। वाह रानी तूने तो मेरे लंड को चूसकर स्वर्ग दिया, काश तू पहले मिल जाती, तेरी आंटी तो इसको छूती भी नहीं। यह सुनकर मैं ओर भी प्यार से उनके लंड को चूसने लगी, उनके बालों वाले टट्टे से खेलने लगी, उनके टट्टे बड़े सफरचंद के साइज के थे।
उन्होंने कहा रानी मेरा पानी बाहर आएगा, तुम पूरा पानी पी लोगी जैसे मैंने तुम्हारा पानी पिया था। मैं मना नहीं कर पायीं ओर हा कर दिया। उन्होंने अपने एक साथ से मेरा सर पकड़ लिया और दूसरे साथ से मेरे बूब्स दबाने लगे और अपना लंड मेरे मुँह मैं जोर से पेलते रहे।
अब उनका तीन चौथाई लंड मेरे मुँह मैं जा रहा था और एक बड़ी से आह भर कर उन्होंने मेरे मुँह से लंड बाहर निकाला और उनके लंड का सारा पानी मेरी जीभ और मुँह पर डाल दिए, मैं भी चॉक्लेट जैसे उसको निगल गयी। अजीब स्वाद और खुशबू थी, पर उतना बुरा भी नहीं था, और दिलीप अंकल का रिस्पांस देखकर मैं ख़ुश हो गयी और उनके लंड से उनका सब पानी चाटने लगी और पी गयी।
उन्होंने मुझे उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया और अपनी बाँहों मैं सुला दिया, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, उनकी बदन की खुशबू, गर्माहट, उनके लंड, सब बहुत अच्छा लग रहा था, मैं उनको किसी चीज के लिए मना नहीं कर पायी थी। वह मुझे हर जगह किस और पप्पी ले रहे थे और बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा रानी तू तो एकदम खुले दिमाग की निकली, बहुत सारी औरतें लमर्दों का लंड का पानी पीना छोडो, उनके लंड को चूसती भी नहीं हैं, पर तुम सब एन्जॉय करती हो और यही खुला ऐटिटूड सेक्स के बारे मैं आगे रखना, तुम बहुत खुश रहेगी। उनकी यह बात सच साबित हुई और मैं आज कह सकती हूँ की मैं सेक्स के मामले मैं सच मैं बहुत खुशनसीब निकली।
उन्होंने मुझे पूछा की तुमको शहद ( precum ) का स्वाद पसंद आया, और sperms का भी ? मैंने कहा की मुझे अच्छा लगा और जब आप खुश हो रहे थे तब और भी अच्छा लग रहा था। दिलीप अंकल बहुत खुश हुए, सोते सोते उन्होंने मुझे फिर से किस के प्रकार – द्देप किसिंग, फ्रेंच, लंड को कैसे चूसना, ६९, मर्द की निप्पल्स कैसे चूसना, सब सिखाया।
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अब उनको मुझे चोदना था। उनका औजार अब फिर से तैयार था और नाग की तरह फुफकार रहा था। उनके लंड से फिर से precum (शहद टपकने लगा था और मैं अपने आप को रोक नहीं पायी उसका स्वाद लेने को। उनका काला लंड और उनका गुलाबी टोपा किसी लोल्लिपोप की तरह लगा रहा थ। मोटा और खूंखार।
उन्होंने मुझे बताया था की निशा भाभी उनका लंड नहीं चूसती, बहुत पुराने ख्याल की है। मैं उनको पूरा आनंद देना चाहती थी । ललचाई नज़रों से मैं उनके मोठे लंड को देख रही थी, वह पास आये और उनका लंड मेरे मुँह के पास दे दिया। उन्होंने उल्टा मुड़कर मेरे चूत पर अपना मुँह रख दिया और हम ६९ करने लगे।
दोस्तों अंकल ने मेरी सेक्स की ट्रेनिंग चालू कर दी थी। उनसे बहुत कुछ सीखा और मेरा पहिला एक्सपीरियंस इतना अच्छा रहा, की सेक्स के प्रति मेरे विचार और दिमाग खुल गया, मुझे सेक्स करते वक्त कभी कुछ करना या कोई चीज करना भी बुरा नहीं लगा और मैं सेक्स हर तरह से एन्जॉय करने लगी।
आदमी और औरत की बॉडी का हर हिस्सा बड़ा खूबसूरत होता हैं, और बॉडी का कोई फ्लूइड/रस बुरा नहीं होता। मेरे लिए सब नया था. मैं और अंकल ६९ की पोजीशन मैं थे. मैं विस्मय भरी नज़रों से उनके लम्बे मोटे काले लण्ड को देख रही थी. इतने खूबसूरत आदमी का लण्ड इतना काला कैसे यही मैं सोच रही थी और उनके गुलाबी टोपे को लोल्लिपोप की तरह चूस रही थी, चुम रही थी.
उनका लण्ड बहुत कड़क और फुफकार रहा था और उसमे से मीठा शहद मुझे पीला रहे थे. अंकल ने धीरे से पूछा रानी तुम्हारे पीरियड्स कब आये.. उन्होंने कहा की उनके पास अभी कंडोम नहीं, शाम को वह मुझे बच्चा न होने की गोलिया लेकर देंगे. मैंने भी है कर दी. मैं तैयार थी, मेरी चूत बहुत गीली हो गयी थी और उनके लण्ड के लिए छटपटा रही थी.
तभी उनकी फ़ोन की रिंग हुई, निशा आंटी का फ़ोन था, उन्होंने उसे बताया की वह काम के सिलसिले मैं उनके दोस्त से मिलने आये हैं और शाम को लेट हो जायेंगे. मैं खुश हो गयी. उन्होंने पलट कर मुझे लिप्स पर किस किया और मेरे होंठ चूसने लगे. वह पूरा मेरे ऊपर आ गे थे और उनका भरी भरकम लण्ड मेरे चूत पर रगड़ रहा था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
दिलीप अंकल थोड़े और निचे खिसके और मेरी चूचियों को सुक करने लगे. उन्होंने डेरे से मेरे दोनों पेअर इनके कन्धों पर ले लिए और उनका लण्ड मेरी चूत पर रगड़ने लगे. मैं पागल हो गयी. रानी इतनी सुन्दर चूत आज तक नहीं देखि, सच कहता हूँ आज तक १०० से ज्यादा औरतों की चुदाई कर चूका हूँ.
मैं खुश हुई, जानू अंदर डाल दो ना, दिलीप अंकल बोले – बताओं क्या डालू, मैंने इशारा कर के उनका लण्ड पकड़ लिए, और कहा यह डाल दे. उन्होंने कहा. ऐसे नहीं रानी, प्यार से कहो ही लण्ड डाल दे. मैंने कहा जानू मेरी चूत मैं आपका मोटा लण्ड डाल दो. दिलीप अंकल वाइल्ड हो गए.. हाँ मेरी रंडी, यह लो मेरा लण्ड, सिर्फ तेरा हैं और उन्होंने जोर से धक्का दिया और उनके लण्ड का टोप मेरी चूत मैं फंस गया.
मुझे बहुत दर्द हुआ, मेरी ज़िल्ली टूट गयी थी, मैंने उनको कास के पकड़ लिया. अब दिलीप अंकल मेरे जानू बन गए थे और मैं गुड़िया से उनकी रानी और अब रंडी बन गयी थी. उन्होंने मेरी चूचिया चूसने शुरू कर दी, बोले आराम से रानी, डरना मत, बहुत एन्जॉय करोगी. उनके चूसने से मुझे अच्छा लगा और मेरी चूत से फिर से पानी का झरना बहने लगा..
इससे उनको आसानी हो गयी और उन्होंने फिर से एक हल्का झटका मारा और उनका लण्ड मेरी चूत मैं आसानी से आधा चला गया. उन्होंने फिर से मेरे बूब्स चूसने चालू किये और हलकी दांत से काट लिया. मैं आह कर के तड़पने लगी और मेरी चूत जवानी का रस बहाने लगी थी.
अब उन्होंने धीरे से पूरा लण्ड निकल दिया और फिर से हल्का झटका दिए और अपना लण्ड अंदर बाहर करने लगे. अब मुझे मजा आने लगा.. मैं भी धीरे धीरे से अपनी गांड उछाल कर उनका सात देने लगी. उनका लण्ड अभी ३ चौथाई ही गया था मेरी चूत मैं.
अब दिलीप अंकल बहुत गरम हो गए थे, उनका पंजाबी मर्द जाग गया था और असली औकात मैं आ गए थे. ले रंडी पूरा लंड ले, बहन की लोडी, क्या मस्त गरम टाइट चूत है तेरी. मैं कब से तुझे चोदने के सपने देख रहा था, आज मौका मिल गया, अब तुझे रोज घोड़ी और कुतिया बना कर चोदूँगा. तू मेरी रांड है. बोल तू मेरी कौन हैं?
मैंने कहा मैं आपकी रांड हूँ, ऐसे नहीं.. बोलो की मैं दिलीप की रांड हूँ.. मैंने कहा दिया मैं अपने जानू दिलीप की रांड हूँ.. वह बड़े खुश हुए और जोर जोर से मुझे धक्के मरकर चोदने लगे. मैं चीखकर पानी छोड दी. वाह मेरी रांड, कितनी गरम चूत है तेरी, इतना गरम पानी, और गीली चूत आजतक मैंने किसी औरत की नहीं देखीं और उन्होंने एक बड़ा झटका दिए जिसे उनका पूरा लण्ड मेरी बुर मैं चला गया.
मैं जोर से चीखी पर उनके होंठ फिर से मेरे मुँह को बंद कर दिया. उन्होंने वापस बड़े प्यार से धीरे धीरे पूरा लण्ड बाहर निकाला और फिर से अंदर डाल दिया. वह मुझे अब फुल स्ट्रोक के सात चोदने लगे. मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं फिर से छटपटाने लगी.
मैं भी गरम हो गयी.. हाँ दिलीप जानू, मैं तेरी रांड हूँ.. जो चाहे कर ले. कभी कोई चीज के लिए मना नहीं करुँगी. सच मैं मेरी रांड. ठीक हैं.. मैं भी देखूंगा, तुझसे सब करवा लूंगा.. और अब वह जोर से आहें भरने लगे.. मेरी चूत भी पानी छोङने तैयार थी.. मैं उनकी पीठ पर कस के पकड़ कर अपने नाख़ून चुभो दिए और वह आअह.. करके मेरे अंदर गरम पिचकारी छोङने लगे..
उसी समय मैंने भी अपना पानी छोड दिया.. करीब १ मिनट तक मेरी चूत मैं उनका गरम लावा गिरता रहा. उनका गरम लावा मेरी चूत के गहराइयों मैं जा चूका था और मुझे बहुत ख़ुशी हो रही थी. वह मेरे ऊपर वैसे ही पड़े रहे और फिर धीरे से बाजु सरक गए.
मैं बहुत खुश थी.. आज मैं औरत बन गयी थी. वह भी मेरे पसंद की मर्द से.. सब स्वाभाविक हुआ.. ना कोई प्लानिंग ना कोई प्यार, बस दो नंगे जिस्म, एक दूसरे मैं लुफ्त,सब सीमा लाँघ दी और एक दूसरे की बाँहों मैं सो गए. चॉकलेट खाने से चुदाई का सफर तीन घंटे चला, मैं बड़ी संतोष के सात उनकी बाँहों मैं सो गयी.
करीब दो घंटे बाद आँख खुली, दिलीप अंकल मुझे निहार रहे थे और हलके से मेरे बदन पर हाथ फेर रहे थे. शैलजा तुम गजब की सुन्दर हो, मैं बहुत लकी हूँ जो मुझे तुम मिली. मैंने भी कहा की जानू मैं भी बहुत लकी हूँ. वह उठे और बाथरूम से गीजर मैं से थोड़ा गरम पानी लाये, मुझे बोले शैलजा बोरोलीन या कोई एंटीसेप्टिक क्रीम लाओ.
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मैं बिस्तर से उठी तो देखा की बिस्तर पर खून के दाग लगे थे. मैं मुस्करा दी.. यह तो कभी ना कभी होना था. उन्होंने गरम पानी मैं टॉवल भीगा कर मेरी चूत को साफ़ किया और अच्छी से सेका, मेरी चूत बहुत सूज गयी थी और लाल दिख रही थी, उन्होंने एंटीसेप्टिक क्रीम लगा कर चूत की हलकी मालिश की, मुझे अच्छा लग रहा था, दर्द भी चला गया था.
मैंने हम दोनों के लिए चाय बना दी. उन्होंने कपडे पहनसे मना कर दिया. हम दोनों नंगे थे और उनकी गोदी मैं बैठ कर एक ही कप मैं दोनों ने चाय पी. उन्होंने कहा आज आराम करो, तुम्हारी चूत की जखम कल तक ठीक हो जाएगी. मैं कल सुबह ऑफिस के बहाने सीधे यहाँ आ जाऊंगा और तुम तैयार रहना.
मैं भी खुश हो गयी. उन्होंने कहा क्या तुम मेरे लिए एक बात कर सकती हो. मैंने कहा मैं आपको कभी मना नहीं करुँगी. उन्होंने कहा क्या तुम तुम्हारी चूत के बल साफ करोगी ? मैंने कहा मैंने कभी किआ नहीं, उसपर वह बोले ठीक हैं, मैं ही तुम्हारे चूत के बाल कल साफ कर दूंगा.
फिर उन्होंने मेरे नंगे जिस्म को हर तरफ से चूमा और चाटा और कपडे पहन कर चले गए. शाम को उन्होंने मुझे गर्भे निरोधक गोली ला कर दी और खाना भी ले कर आये. मैं भी थक गयी, जल्दी खाना खाकर सो गयी और कल के मीठे मीठे सपने देखने लगी. अगले दिन सुबह मैं जल्दी उठ गयी.
सबसे पहले मेरी चूत के खून के दाग से भरी बेडशीट वाशिंग मशीन मैं धोने डाली. मेरे और दिलीप का खाना बना डाला और नहाने चली गयी. मेरी चूत अब नार्मल हो गयी थी.. न कोई खून न कोई सूजन, बस उसपर अब दो बड़े होंठ आये थे, बिलकुल फेस की होंठ की तरह. नहा कर मैंने अच्छी लाल रंग की गाउन पेहेन ली..
मेरे गोरे रंग की वजह से मुज़पर बहुत जच रही थी. मैंने खुद को आईने मैं देखा, अजीब चमक थी चेहरे पर.. यु तो मैं एकदम सीधा रहती, ना कोई मेक-उप ना कोई सजना धजने मैं इंटरेस्ट था. पर आज मैंने हलकी लाल रंग की लिपस्टिक भी लगा ली और हल्का मेक उप भी कर लिया.
मैं दिलीप के लिए सुन्दर दिखना चाहती और उसके लिए सज भी गयी. रोज सुबह भगवन की पूजा के लिए फूलवाली आंटी ताज़े फूल देकर जाती, मैंने उसे देवी माँ के लिए बड़ा गजरा भी देने को कहा, वह मोगरा का गजरा देकर गयी जो मैंने अपने लम्बे काले बालों मैं पेहेन लिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं बार बार घडी देखने लगी और उनका इंतजार करने लगी. क्या मैं सच मैं अब दिलीप अंकल की रंडी बन गयी थी? ठीक ९ बजे दरवाजे पर घंटी बजी और मैं ख़ुशी से दरवाजा खोलने गयी. दरवाजा खोलते ही मैं अवाक् रह गयी.. दिलीप अंकल फुल ऑफिस यूनिफार्म मैं सूट मैं थे, बहुत हैंडसम लग रहे थे.
वह मुझे देख कर झट से अंदर आ गए और दरवाजा बंद कर दिया. वाह रानी तू गजब दिख रही आज, मुझ पर आज बिजली गिराने का इरादा हैं ? उन्होंने अंदर आकर उनकी ऑफिस बैग एक कोने मैं रख दी ओर कोट उतार कर खुर्ची पर लटका दिया. सोफे पर बैठकर मुझे खींच लिया, मैं भी उनकी गोदी मैं शर्मा कर बैठ गयी.
बहुत देर तक वह मुझे किस करते रहे ओर मेरे बालों से खेलते रहे, गजरे की महक उनको गरम कर रही थी. उन्होंने मेरे होंठ चूसना चालू किया ओर जीभ अंदर डाल दी ओर दूसरे हातों से मेरी गाउन खोल दिया ओर बाजु मैं फेक दिया. अब मैं एकदम बेशरम होकर नंगी उनकी गोदी मैं बैठी थी ओर वह फुल फोरमॉल कपडे मैं टाई पहने थे ओर मेरी जीभ चूस रहे थे. उनके साथ मेरे बूब्स को मसल रहे थे.
फिर उन्होंने प्यार से मेरे चहरे को पकड़ कर नजरें मिला कर पूछा.. शैलजा आज क्या चाहती हूँ.. उनकी वह नशीली ऑंखें मेरे अंदर तक जड़ गयी ओर मैं बहुत नंगा महसूस करने लगी ओर शर्मा गयी. मैंने कहा.. अंकल मैं सिर्फ आपको खुश देखना चाहती हूँ.. जो चीज निशा आंटी आपको नहीं देती वह सब आपको देना चाहती हूँ.
मैंने शर्मा कर मुँह उनकी बगल मैं छुपा दिया ओर उनकी खुश्बू महसूस करने लगी. उन्होंने प्यार से मेरे चहरे पर सब जगह चूमने लगे ओर कहा. रानी ऐसे ही होगा.. पर मेरी दो शर्त हैं. मैंने कहा शर्त बताओ मैं सब करुँगी. उन्होंने कहा.. पहली शर्त.. जब भी हम सात मैं हो.. हम कोई कपडे नहीं पेहेनेगें ओर पूरा नंगा रहेंगे..
मैंने उनकी टाई को अपनी ओर जोर से खींचकर कह दिया. मंजूर हैं अब दूसरी शर्त बताओ. उन्होंने कहा.. दूसरी शर्त.. तुम मुझे दिलीप अंकल नहीं कहोगी.. सिर्फ दिलीप या जानू ओर मैं तुम्हे मेरी रानी कहूंगा.. मैं शर्मा गयी.. हाँ मेरे जानू.. यह भी मंजूर.. ओर मुझे पैंट के नीचे से उनका मुसलदार लण्ड मेरी गांड पर चुभता फील हुआ.
उन्होंने भी उनके कपडे निकल दिए ओर पूरा नंगा होकर बैठ गए. मेरे लिए उनका लण्ड कोई नया खिलौना था, जिसे देखकर मैं खुश हो जाती, मुझे उनके लण्ड को हाथ लगाना, खेलना, चूमना, चूसना सब करने का मन होता. उन्होंने मुझे गरम पानी लाने कहा ओर अपने बैग से उन्होंने शेविंग का सामान निकाल कर टेबल पर रख दिया.
मुझे कहा.. रानी अब तुम सोफे पर लेट जाओ ओर दोनों पैर ऊपर कर दो.. छाती से चिपका लो. फिर उन्होंने कहा.. क्या मैं शेव करने से पहले तुम्हारी बालों वाली चूत की फोटो ले लू.. क्यों की आज के बाद तुम कभी यह बाल नहीं रखोगी ओर हमेशा अपनी चूत साफ़ ओर चिकनी रखोगी.
मैंने मुस्करा कर कह दिया जो आप सही समाजो.. उन्होंने उस पोजीशन मैं मेरी चूत की अलग अलग एंगल्स से ८ -१ ० फोटो खींच ली. फिर शेविंग ब्रश पर फॉम लगा कर मेरे चूत पर लगा दिए अच्छी से.. मुझे ब्रश के कारन चूत मैं आग लग गयी ओर मेरे चूत से पानी का झरना बहने लगा.
उनका फेस मेरी चूत से बहुत करीब था, मुझे अपनी चूत पर उनकी गरम साँसे फील हो रही थी.. कोई पराये मर्द ने पहली बार मुझे नंगा देखा था ओर वह भी इतने करीब से. मुझे बड़ी अजीब फीलिंग आ रही थी ओर अच्छा भी लग रहा था. बड़ी हलकी हाथों से दिलीप शेविंग ब्लेड से धीरे धीरे मेरे बाल शेव करने लगा.
मैं बहुत गरम हो गे थी. मैंने देखा की दिलीप की जांघें मेरे सर के ऊपर हैं ओर उसका लण्ड पूरा तना हुआ हैं ओर उसके लाल टोपे पर शहद की बूंदें चमक रही थी. मैंने धीरे से सर उठाया ओर उसे चाट लिया ओर उसका लोल्लिपोप मुँह मैं ले लिए. दिलीप बड़े खुश हो गए.. बोले. ले रंडी.. खा ले मेरा ले.. पूरा निगल जा.
मैंने धीरे धीरे लॉलीपॉप की तरह दिलीप का मोटा लंड चूस रही थी.. ओर वह बड़ी सावधानी से धीरे से मेरी चूत के बाल शेव कर रहा था. फिर वह उठा ओर गरम पानी से मेरी चूत साफ़ की ओर बोलै.. देखो रानी.. तेरी चूत अब कितनी सुन्दर लग रही.. मैं बैठ गयी ओर अपनी चिकनी चूत को देखने लगी..
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था.. लाल गुलाबी.. मेरी चूत ओर मेरी फटी हुई झिल्ली किसी खिले हुए फूल की तरह दिख रहे थे.. दिलीप से रहा नहीं गया अपना मुँह मेरे चूत पर रख कर चाटने लगा.. अब उसे चाटने मेरी फटी हुई झिल्ली भी मिल गयी थी, वह उसको चाट रहा था, चबा रहा था, मुझे बहुत झुरझुरी हुई.. ओर मैं उसका सर मेरी चूत पर दबा कर रगड़ने लगी..
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वह भी अपने जांघें मेरी सर की तरफ ले कर आया ओर मेरी मुँह मैं अपना लोडा घुसा दिया.. हम बहुत देर तक इस पोजीशन मैं ६९ का आनंद उठा रहे थे.. दिलीप मुझे प्रोत्साहन देता.. पूरा लंड मुँह के अंदर लेने को.. सांस रोक कर कैसे मुँह मैं पूरा लंड अंदर लेना, उसने मुझे बताया..
मैं कोशिश की ओर आखिर मैं उसका पुर ८ इंच का मोटा लोडा मेरे गले मैं घुस गया.. मेरी चूत मैं कम्पन हो रही थी.. ठीक एकसात हम दोनों झड गए.. दिलीप मेरा सब पानी चाट रहा था ओर मैं भी दिलीप का सब वीर्य.. गाढ़ा माल निगल गयी. हम दोनों एक सात चिपक कर सो गए..
दिलीप ने कहा.. एक बात बताऊ रानी.. तुम बहुत सेक्सी लड़की हो.. तुम बहुत गीली हो जाती ओर पानी भी छोड़ती हो.. ओर तुम्हे एक के बाद एक मल्टी ओर्गास्म्स भी आते हैं. दुनिया मैं सिर्फ ५० प्रतिशत औरतों को ओर्गास्म्स आते हैं ओर सिर्फ १ -२ प्रतिशत औरतों को मल्टी ओर्गास्म्स का सुख मिलता हैं.
दिलीप की बात सुन कर मैं खुश हो गयी.. दिलीप ने कहा चलो सात नहाते हैं.. उसके बाद मैं सिर्फ तुम्हे ओरल सेक्स सिखाऊंगा ओर फिर खाने के बाद तुम्हे चुदाई का गेम सिखाऊंगा.. हम दोनों बाथरूम चले गए.. शावर मैं एक दूसरे को चूमा चाटी करते, साबुन लगाते ओर दिलीप मेरी चूत चाटता ओर मैं उसका लण्ड ओर टट्टे.
अचानक मेरी चूत चाटते दिलीप ने मुझे उल्टा कर के झुकाया ओर मेरी गांड फैला कर मेरी गांड दबा दबा कर छेद चाटने लगा. मैंने कहा क्या कर रहे हो दिलीप,, यह गन्दा हैं.. दिलीप ने कहा रानी.. तुम इतनी खूबसूरत हो तेरी कोई चीज गन्दी कैसे हो सकती हैं, बस एन्जॉय करो ओर उसने मेरी गांड की छेद मैं जीभ डाल दी.
मुझे बहुत अच्छा महसूह हुआ ओर चूत मैं फिर से झुरझुरी होने लगी. मैं बी अब गांड दिलीप के मुँह पर दबाने लगी.. दिलीप ने कहा.. वह रानी.. क्या खुश्बू हैं, तेरी गांड की महक ही मस्त हैं.. मैंने कहा.. चलो झूंटे.. गांड से भी कभी महक आती हैं.. दिलीप ने कहा तेरी कसम जानू.. तू खुद एकबार एक्सपीरियंस ले ओर फिर बता.
ऐसे बोल कर दिलीप उल्टा झुक कर खड़ा हो गया ओर अपनी गांड पकड़ कर अपने हाथों से फैला दी.. मैं दंग रह गयी.. उसकी गोरी गांड पर बहुत बाल थे ओर बहुत खूबसूरत लग रही थी.. उसकी गांड की छेद एकदम पिंक था ओर बालों से भरी थी.. जो कोई सुन्दर चूत जैसे लग रही थी.
मैंने धीरे से मुँह उसकी गांड की चिर के पास ले गयी.. मुझे अजीब मरदाना खुश्बू महसूस हुई.. अपने आप को रोक नहीं पायी उस खुश्बू से ओर अपना मुँह उसकी गांड की छेद पर रखकर चाटने लगी.. मुझे उसकी खुश्बू ओर स्वाद बहुत पसंद आया. दिलीप मेरे ऐसे करने से पगला गया ओर मुझे उठाया ओर शावर में घोड़ी बना कर कर उसका मोटा लण्ड मेरी चूत मैं डाल दिया..
मेरी चूत पहले से बहुत भीगी थी.. उसका आधा लण्ड आसानी से चला गया.. दर्द हो रहा था पर कल से कम.. उसने मुझे से पीछे से पकड़ रखा था, मेरे बूब्स दबाता, आगे से मेरा दाना दबाता, ओर धीरे धीरे लंड अंदर डालता.. पूरा लण्ड अंदर डालने के बात उसने मुझे सीधा खड़ा किया ओर मेरे चेहरा पकड़ कर मुझे किस करने लगा.. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
ले रंडी.. पूरा लंड मेरा सिर्फ एक दिन मैं निगल गयी.. ले ले मेरा सारा माल अपनी चूत मैं.. बन जा मेरी बच्चे की माँ.. मैंने भी जोश मैं कहा दिया.. हाँ कमीने.. पीला दे मुझे तेरा माल.. बना दे अपने बच्चों की माँ.. मैं तेरी रंडी हूँ.. चुदवा ले मुझे.. ओर ठीक उसी समय हम दोनों एक सात झड गए..
दिलीप का वीर्य अंदर मेरी बच्चेदानी तक फील करती.. ओर यह नेचुरल सेक्स क्यों लोग पसंद करते हैं यह भी पता चला. दिलीप ने धीरे से लण्ड मेरी चूत से बाहर निकाला.. आज सिर्फ माजा आया था.. दर्द गायब हो गया था.. नेरी चूत से दिलीप का वीर्य नीचे जांघों से बेहेने लगा.. दिलीप इन अपनी हाथों से वीर्य इक्कठा किया ओर मेरे मुँह मैं हाट डाल दिया..
मैं उसका हाथ चाट रही थी ओर उसके ओर मेरे दोनों के पानी का मिश्र का स्वाद ले रही थी.. मुझे अब यह स्वाद भी पसंद आने लगा था. हम बाथरूम से बाहर आये.. एक दूसरे को टॉवल से पोछा.. दिलीप मुस्करा रहा था.. कहा.. मेरी रंडी बनकर कैसा लग रहा हैं ? मैंने शर्मा कर कहा बहुत अच्छा.. ओर उनसे फिर से लिपट गयी.
हमें भूक लग गयी थी. दिलीप ने कहा अब आज की चुदाई इतनी ही रानी.. अब हम खाना खाएंगे.. फिर उसके बाद मैं तुम्हे आज सिर्फ ओरल सेक्स सिखाऊंगा.. मुझे तेरी जिस्म का हर एक अंग अंग चाटना हैं, स्वाद लेना हैं, तुझे भी लण्ड का स्वाद पसंद हैं, आह बस खाने के बाद सिर्फ मीठा ही मीठा होगा.
मैं मुस्करा दी.. . कितनी एनर्जी हैं दिलीप मैं, कितना ख्याल हैं ओर इज्जत हैं उसको मेरी.. हां सेक्स के वक्त वह वाइल्ड जरूर बन जाता हैं बार सके बात बहुत प्यार से बातें करता हैं. खाना दिलीप को बहुत पसंद आया.. मैंने प्यार से बनाया था.. उसने जिद की की मैं अपने हातों से खिलाऊ, मैं एक एक निवाला उसको भर्ती ओर वह प्यार से खाता ओर मुझे भी खिलाता.
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खाने के बाद वह बिस्तर पर लेट गया.. ओर मुझे पास बुला कर अपनी बाँहों मैं भर लिया.. मैं उसकी बालों वाली बगल मैं चेहरा छुपा कर चिपक गयी.. उसकी बगल से अजीब मर्दाना खुश्बू आ रही थी, जिससे मुझे फिर से नशा होने लगा. दिलीप बैठ गया ओर कहा.. आओ रानी मेरी गोदी मैं बैठ जाओ..
मैं अपने दोनों पैर उसके कमर पर लिपट कर उसकी जांघों मैं बैठ गयी.. मुझे अपनी गांड पर उसका सख्त लण्ड महसूस हुआ. फिर उसने मेरा चेरा प्यार से सहलाया ओर मुझे किस करने लगा.. उसने मुझे फ्रेंच किस कैसे होता वह बताया.. भले निशा आंटी ठंडी थी पर ऑफिसियल बाहर देश की टूर मैं अकेला दिलीप बहुत एन्जॉय करता..
रोज रात को नयी पार्टनर के सात सेक्स एन्जॉय करता.. जिसके कारन वह पहुंचा हुआ खिलाडी था.. सेक्स एक्सपर्ट था.. उसने कोई बात मुज़से छिपाई नहीं.. मैं खुश थी की मुझे ऐसा मर्द मिला जिसने मेरी चूत की झिल्ली का कचूमर बना दिया.. अगर इतना सेक्सी आदमी सेक्स एन्जॉय करता हैं तो उसमे बुरा क्या हैं ?
दिलीप ने कहा.. ठीक कहा रानी.. ओर यही बात औरतों के लिए भी लागू हैं.. .. अगर तेरी जैसी सेक्स लड़की, सेक्स एन्जॉय करती हैं, तो गलत क्या हैं ? ओर इतनी खूबसूरत चूत को हक़ है की वह हर टाइप के मर्द ओर लण्ड से मजे ले.. मुझे बात ठीक लगी ओर यही बात मेरे जीवन का आधार बन गयी..
डीप किस करते वक़्त दिलीप ने मेरा मुँह खोला ओर थूक दिया.. मैं एकदम सरप्राइज थी.. पर मैं सारा थूक निगल गयी ओर मुझे अच्छा लगा.. फिर दिलीप ने कहा आजा रानी.. अब तू मेरे टट्टे चाट.. कुछ नहीं सिर्फ टट्टे चाटोगी.. कम से किम १५ मिनट. मैं उसके जांघों के पास आ गयी..
दिलीप ने पैर फैला दिए ओर ऊपर छाती से लगा लिए.. उसका लण्ड आज पूरा शेव ओर चिकना लग रहा था.. ओर उसके टट्टे एकदम बड़े बड़े गोलगप्पे की तरह ऊपर नीचे उछल रहे थे. मैं जीभ बाहर निकली ओर उसके टट्टे चाटने लगी.. बहुत मजा आ रहा था.. दिलीप गरम हो चूका था ओर आँहे भर रहा था..
१० मिनट बाद मैंने महसूस किया की टट्टे की अपनी महक ओर खुश्बू हैं ओर स्वाद भी.. जो मुझे पसंद आ रहा था.. ओर मैं उसके दोनों टट्टे एक सात मुँह मैं लेने की कोशिश कर रही थी.. आह रानी रुक जाओ अब.. नहीं तो मेरा पानी नीकल जायेगा.. क्या मस्त चाटती हो.. तू एकदम रंडी की तरह.. ओर उसने मुझे अपनी बाँहों मैं उठा लिया..
अब वह अपना मुँह मेरे बूब्स मैं घुसा दिया ओर चाटने लगा.. वाह रानी क्या मस्त बड़े आम हैं तेरे.. आज तो उसको चूस चूस कर तेरा दूध पी लूंगा.. वह तेरी चूचियां.. कितनी बड़ी हैं.. एक इंच लम्बी.. बहुत बार तेरी शर्ट से देख लेता ओर मूठ मारता की कब यह बड़ी बड़ी चूचिया मेरी मुँह मैं आएगी.. आज मेरा सपना पूरा हो गया.
दिलीप मेरी चूचियां चूसने लगा.. मेरे शरीर मैं अजीब कसक जाग उठी.. ओर मैं छटपटाने लगी.. मैंने दिलीप को दूर करने की कोशिश की पर वह नहीं माना ओर मेरी चूचियां जोर जोर से चूसने लगा.. मैं कण्ट्रोल नहीं कर पायी ओर उसका सर जोर से दबा लिया ओर मेरे शरीर मैं कही झटके आये ओर मैं जोर से झड गयी ओर मेरी चूत से पानी की गंगा बही जो दिलीप ने चाट कर साफ कर दिया.
दिलीप ने कहा.. देखो रानी.. मैं जानता था की तुम्हारे यह लम्बी निप्पल्स बहुत सेंसिटिव होंगी.. सिर्फ इसको चूसने से तुम झड गयी ओर तेरी चूत ने भी पानी की गंगा बहा दी, मैं भी हैरान थी.. आज तक ऐसे कभी नहीं हुआ था.. दिलीप मेरी शरीर को ओर मेरी जरूरतों को मुज़से भी अच्छी तरह से जान गया था.
मैं थक गयी थी.. आज तीसरी बार मैं झड गयी थी.. मैं निढाल हो कर दिलीप के नंगे बदन पर छिएक गयी ओर उसके छाती पर सर रखकर सो गयी.. करीब एक डेढ़ घंटे के बाद जब आँख खुली तो दिलीप भी सोया था.. मेरा साथ उसकी चेस्ट पर था.. मैंने नीचे देखा.. मेरा खिलौना.. उसका लण्ड एकदम कड़क हो गया था..
ओर उसके लंड के लाल टोपे पर शहद की बून्द चमक रही थी.. मैंने प्यार से उसके लण्ड पर हाथ रखा ओर सहलाया.. एक बड़ा शहद का बून्द बाहर आया.. मैं मुँह निचे कर के उसको चाट लिया.. मेरे जीभ के स्पर्श से उसका लण्ड सिहर गया ओर एक बड़ा झटका मारा.. मैंने भी प्यार से पूरा गुलाबी काला लोल्लिपोप मुँह मैं ले लिया.
अब मैं दिलीप को जगाना नहीं चाहती थी.. इसलिए सिर्फ उसके लण्ड को मुँह मैं अंदर ले कर उसकी पेट पर सर रख कर सो गयी.. कभी ज्यादा अंदर लेती, कभी कम.. अब उसका आधा लंड मेरी मुँह मैं था.. मैं ना उसको चूस रही थी ना जीभ फिरा रही थी.. मुझे दिलीप को जगाना नहीं था.
इसी पोजीशन मैं दस मिनट मैं मैंने दिलीप का तीन चौथाई लण्ड मुँह मैं ले लिया था.. ओर अपनी साँसों पर कण्ट्रोल रखा था.. मैंने ओर ज्यादा कोशिश की ओर उसका पूरा लण्ड मेरे गले तक फस गया.. मुझे बैचनी हुई.. साँस रुक गयी.. पर मैंने धीरे धीरे सांस लेने की कोशिश की ओर मुँह ओर ज्यादा खोल दिया..
अब मुझे साँस लेना आसान हो गया.. ओर दिलीप का पूरा लण्ड मेरी मुँह मैं था ओर मेरे लिप्स उसके पेट पर चिपक गए.. मैंने धीरे से मुँह दूर किया.. ओर फिर से लण्ड मुँह से बाहर कर के फिर से निगल गयी.. मैं लगातार ऐसे कोशिश करती रही ओर दिलीप का लण्ड अब फड़फड़ा रहा था ओर जोर से झटके दे रहा था.. क्या दिलीप जाग गया था ?
मैंने मूड कर देखा.. दिलीप प्यार से मुस्करा रहा था.. बोला.. रानी अगली ट्रेनिंग तुम्हारी यही थी.. पर तू तो अपने आप सिख गयी.. पूरा लंड मुँह मैं कैसे ले. दिलीप अब जोर जोर से मेरा मुँह को चोदने लगा.. . उसने मेरी जांघों को पीछे खींच लिया ओर मेरी चूत ओर गांड दोनों को चाटने लगा..
ओर एक बड़ा झटका देकर अपना पानी मेरे मुँह मैं छोड़ दिया.. मैंने भी प्यार से सारा पानी पी लिया ओर उसका लंड चूस चूस कर सारा पानी निगल गयी.. दिलीप ने मुझे उठाया ओर प्यार से अपनी बाँहों मैं लिया.. कहा.. रानी.. तू सच मैं मेरी रानी हैं.. इतने जल्दी सब सिख गयी.. आजतक कोई मेरा लण्ड पूरा मुँह मैं नहीं ले पाया.. तूने वह कर दिया जो कोई ना कर पाया.. ना निशा ना कोई दूसरी औरत.
मैं बहुत खुश हो गयी ओर वह मेरा मुँह खोल कर प्यार से उनका पानी मेरे मुँह से चूसने लगे.. कभी वह उनका गाढ़ा पानी अपने मुँह मैं लेते.. कभी फिर से मेरे मुँह मैं डाल देते.. ऐसा मुझे अजीब नहीं लगा क्यूंकि हम चॉक्लेट ऐसे खा चुके थे.. बाद मैं उन्होंने मुझे बताया की इसको कम स्वैपिंग भी कहते हैं.
तभी मुझे माँ की कॉल आयी.. शैलजा हम कल रात को ट्रैन मैं बैठ रहे हैं.. परसो सुबह आएंगे. मैं दुखी हो गयी.. अब सिर्फ एक दिन ही था मेरे पास, दिलीप ने कहा चिंता मत करो कुछ हल ढून्ढ लेंगे. हमने एक सात नंगे बैठकर चाय पी, दिलीप के जाने का टाइम हो गया था..
फिर कल वापस आऊंगा का वादा कर के चले गए.. जाते जाते उन्होंने मेरी ब्लू कलर की पैंटी उठायी ओर अपनी ऑफिस बैग के एक कप्पे मैं छुपा कर रख दी.. कहने लगे.. जब भी टूर पर जाऊंगा, इसको सूंघूंगा ओर तेरी याद से मूठ मारूंगा, तेरी तरफ से मुझे यह गिफ्ट.. मैं भी हंस दी.. कहा ओर मेरे लिए क्या गिफ्ट दोगे आप..
उन्होंने उनकी जॉकी की ब्रीफ्स.. रेड कलर वाली मेरे मुँह पर फेंक दी.. यह तेरे लिए.. इसे सूंघकर मेरे लण्ड को याद करना ओर हस के चले गए.. मैंने सोचा.. मर्द को खुदसे ज्यादा प्यार उसके अपने लण्ड से होता हैं.. उनको याद ना करू पर उनके लण्ड को जरूर याद करू.. वाह रे मर्दों.. क्या तुम्हारी दुनिया.. स्टार्ट ओर एन्ड सब लण्ड पर आकर ख़तम होती हैं..
मैं समज गयी थी की किसी भी मर्द को वही औरत पसंद आती हैं जो उससे नहीं पर उसके लण्ड से बेपनाह मोहोब्बत करे.. मैं खाना खाकर बेड पर लेट गयी.. थक गयी थी.. बाजू मैं मुझे दिलीप की निकर – जॉकी दिखी.. मैंने उसे उठाया ओर मुँह के पास लेकर सूंघने लगी.. वही खुश्बू.. वही स्वाद..
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दिलीप के लण्ड का मैंने उसको अपने तकिया पर रख दिया ओर उस पर मुँह रख कर सो गयी.. अपने दिलीप जानू की खुश्बू सूंघती हुए.. ओर तीसरे दिन का इंतजार करने लगी.. मैं सोने की कोशिश कर रही थी पर दिलीप की निकर की खुशबु मुझे बार बार उनके लण्ड की याद दिला रही थी. मैं फिर से गरम होने लगी..
मैंने एक लूज़ टी शर्ट पहना था और एक बहुत ही छोटी सी शॉर्ट्स.. मैंने दोनों निकाल के फेक दिए और अपने हातों से चूत सहलाने लगी.. शेव की वजह से मेरी चूत बहुत ही चिकनी और सेंसिटव हो गयी थी.. मुझे बहुत अच्छा फीलिंग आ रहा था.. मेरी चूत बहुत कोमल और नाजुक लग रही थी..
ऐसे भी दिलीप ने चोद चोद कर उसको माखन जैसे मुलायम बना दिया था.. मैं प्यार से अपनी चूत को सहला रही थी और चरम सीमा पर थी तभी दरवाजे पर बेल रिंग हो गयी.. मैंने सोचा इतने रात को कौन आया होगा.. मैंने झट से टी शर्ट और शॉर्ट्स पेहेन ली और keyhole से देखा.. मुझे दिलीप खड़े दिखाई दिया.
मैंने झट से दरवाजा खोला और दिलीप एक टूरिस्ट बैग लेकर जल्दी अंदर आ गया ताकि कोई सामने वाले फ्लैट्स के पडोसी न देख ले. मैं हैरान थी. दिलीप टी शर्ट और जीन्स पहने था.. मुझे छोटी चड्डी मैं देखकर हवस भरी नज़रों से देख कर बोले.. ओह रानी तुम इस वेस्टर्न कपड़ों मैं गजब लग रही हो..
मैंने हंस कर पूछा.. क्या दिलीप, निशा आंटी ने घर से निकाल दिया क्या ? वह बोलै नहीं रानी.. परसो सुबह तुम्हारे पेरेंट्स आ जायेंगे, हमें आज रात का ही मौका हैं, इसको हाथ से कैसे निकलने दे.. इसलिए मैंने निशा से बहाना बनाया की मेरी कल सुबह पुणे अर्जेंट बिज़नेस मीटिंग हैं और आज रात को ही मुझे निकलना पड़ेगा, और मैं परसो सुबह तक आ जाऊंगा.
दिलीप की बात सुन कर मैं जोर से हसने लगी.. वाह क्या दिमाग पाया हैं.. दिलीप ने कहा.. निशा को मेरी ऐसी अर्जेंट मीटिंग की आदत हैं.. पर तुम्हे अच्छा नहीं लगा तो मैं चला जाता हूँ. उसे मेरे हसने से गुस्सा आया था.. पंजाबी मर्द था.. गुस्सा नाक पर होता हैं और लण्ड से बाहर निकलता हैं.. हां हां हां.
मै दिलीप के एकदम पास गयी.. उसके गाल पर पप्पी दे दी और कहा.. तुम जाना चाहते हो तो जाओ.. वह और भी चिढ़ गया.. तुम मुझे ऐसे जाने को कहोगी तो कैसे जाऊंगा.. ? मैं फिर से उस के बहुत पास गयी.. अब मेरे बूब्स दिलीप की छाती पर चिपक रहे थे.. मैं उसे फिर से गाल पर पप्पी देने गयी.. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पर इसबार वह सर घुमा लिए और उसके लिप्स मेरे लिप्स पर लिपट गये और वो जोर से चूस कर किस करने लगा. उसने मेरे होंठ चूसने चालू किया और मुझे दूसरे हाथ से कस कर पकड़ के रखा ताकि मैं दूर न भाग सकू. अब मेरा वार उलट गया था और मुझ पर भारी पड़ रहा था..
उसने मेरे मुँह मैं जीभ डाल दी और मेरी चूत कसमसा गयी और गीली होने लगी.. मैं भी उसके लिप्स को चूसने लगी और तभी उसने मुझे दूर हलके से धकेल दिए और बोला बताओ तो रानी अब सच मे चला जाऊ मैं? मेरी चूत गरम हो गयी थी और गंगा बहा रही थी.. मैं फिर बहुत धैर्य जोड़ कर बोली.. हाँ जाओ ना.. आपकी मर्जी..
दिलीप मुझे पैनी नजर से घूर रहा था और नटखट अंदाज मैं मुस्करा रहा था. अब वह मुझ पर वार कर रहा था.. दिलीप मेरे बहुत करीब आया.. उन्होंने अपनी जीन्स की बटन खोल दी और.. . जीन्स पूरी नीचे गिरा दी.. अब वह घुटने तक पूरा नंगा था.. उसका लण्ड फूलकर नाग जैसे फुफकार मर रहा था.. और लण्ड के लाल टोपे पर शहद का बूँद चमक रहा था..
वह मेरे एकदम करीब आया और मेरा हाथ लेकर अपने लण्ड पर रख दिया. उसका लंड बहुत गरम था और फनफना रहा था.. मुझे शहद की बूँद गुलाम बना चुकी थी.. भूकी नजरों से मैं उसके लण्ड को देख रही थी.. और दिलीप बड़ी गौर से मेरी आँखों मैं देख रहा था.. उसकी पैनी नजर मुझे बेबस कर रही थी..
मैं उसके कदमो पर बैठ गयी और उसका लण्ड पकड़ कर बूँद चखने जीभ बाहर निकाल दी.. और तभी वह मेरे हाथों से अपना लण्ड छुड़ाकर पीछे हट गया.. बोला.. अब बोलो रानी सच मे चला जाऊ मैं ? मैंने कहा नहीं मेरे राजा मैं तो मजाक कर रही थी. उसने कहा नहीं तू झूटी हैं, मैं तो जाऊंगा.. तुम्हे मुझे रोकने के लिए मिन्नतें करनी पड़ेगी..
मैंने कहा प्लीज जानू मत जावो.. रुक जाओ.. ववेक ने कहा – क्यों रुखु, तू मेरी कोन हैं बता ? मैंने कहा दिलीप जानू मैं तुम्हारी रंडी हूँ.. प्लीज मत जाओ, मुझे तुम्हारा लंड चूसने दो,, वह खुश हो गया.. ठीक हैं रानी.. पहले शर्त कम्पलीट करो.. दोनों पूरा नंगा हो जाते हैं..
पूरा नंगा होकर दिलीप सोफे पर बैठ गया और बोला.. आओ मेरी रंडी.. मेरी जंघा पर बैठ जाओ.. दिलीप का लंड पूरा आसमानी सलामी दे रहा था.. मैं प्यार से उसके गोदी मैं उसके जांघों पर बैठ गयी.. दिलीप ने कहा रानी तेरे लिए सरप्राइज हैं और उसने अपनी बैग मैं से एक अच्छी ब्रांडेड मेहेंगी वाली वाइन बोतल निकाल ली और कुछ खाने का चकना भी..
वाह दिलीप तुम तो पूरी तैयारी से आये हो.. तुम्हे पता हैं अल्कोहल से मैं कण्ट्रोल मैं नहीं रहती. दिलीप ने कहा रानी किसने कहा कण्ट्रोल करो अब हम दोनों मैं कोई सीक्रेट नहीं हैं.. बात सही थी.. मैंने एक गिलास लाया और एक प्लेट.. हम दोनों एक ही गिलास मैं वाइन पी रहे थे.. एक दूसरे के मुँह से वाइन पी रहे थे.. और मैं पूरी नंगी दिलीप की जंघा पर बैठी थी.
मुझे अब हल्का महसूस हो रहा था और हम बहुत चुम्मा चाटी कर रहे थे मैं दिलीप के मुँह को चूसकर वाइन पीती और ववेक मेरी मुँह से वाइन पीता. मैं अब गरम हो रही थी और मेरी चूत से पानी बह रहा था. दिलीप ने कहा देखो रानी तुम्हारे चूत के पानी से मेरी जंघा पूरी गीली हो गयी..
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सच मैं उसकी जंघा पूरी चिपचिपी हो गयी थी.. तभी मुझे बड़ी जोर से पेशाब (सुसु) लगी और मैं उठने लगी. दिलीप ने कहा इतने जल्दी कहा जारी हैं जान अभी तो रात बाकी हैं, मैंने कहा मुझे सुसु करनी हैं.. उसने कहा बाद मैं कर लेना जब बहुत ज्यादा प्रेशर हो जाये.. मैंने पूछा ऐसे क्यों.. उसने कहा मुझ पर भरोसा नहीं ?
मैं फिर से उसकी गोदी मैं बैठ गयी और हम दोनों फिर से वाइन पीने लगे.. दिलीप ने कहा जानू देखो.. मेरा लण्ड कितना फुदक रहा, इसको प्यार करो ना.. मैं नीचे बैठ गयी और दिलीप के लंड को चूसने लगी और उसके बड़े टट्टे चाटने लगी. दिलीप ने धीरे से वाइन गिलास से छोटी सी वाइन की धार अपने लण्ड पर डाली और कहा. रानी देखो सब वाइन पे लेना.. गिरने मत दो..
मैं दिलीप के लंड और टट्टे पर गिरा सारा वाइन चाट चाट कर पीने लगी.. बहुत मजा आ रहा था.. अलग स्वाद और नशा हो रहा था.. आह रानी क्या बढ़िया रंडी की तरह चाट रही हो.. और वह मुझे वाइन पिलाता गया और मैं उसके लंड को चाट चाट कर वाइन पी जाती. फिर उसने कहा यहाँ ऊपर सोफे पर आ जाओ और लेट जाओ..
दिलीप ने धीरे से अब वाइन मेरे बूब्स पर डाली और मेरे निप्पल्स भी चूसना चालू कर दिया.. हाई मैं मर जाती.. मेरे निप्पल्स कितने सेंसिटिव हैं आपको पता हैं.. बहुत देर तक दिलीप मेरे निप्पल्स वाइन डाल कर चूसता रहा और मेरी चूत का बम धड़ाम से फट गया और पानी का झरना बहने लगा.. ओह माँ.. करके मैं छटपटाने लगी.. और दिलीप का सर पकड़ कर मेरी चूत पर रगड़ दिया..
जब मैं थोड़ी शांत हुई, चैन की सांस आयी.. पर दिलीप रुकने वाला नहीं था.. उसने आप वाइन मेरी चूत पर डाल कर चूत चाटने लगा.. मेरी चूत का दाना फूल कर आधे इंच का हो गया था.. दिलीप उसे चूसता, चबाता, कभी हलके से काटता.. और मेरी चूत मैं फिर से तूफ़ान आने लगा.. दिलीप मेरी चूत का सारा पानी वाइन के सात चाट कर पी गया..
अब मेरी चूत का दाना उसकी वार का शिकार था.. वह मेरे दाने को अपनी जीभ से, दातों से मसल रहा था.. मेरे अंदर का तूफान बढ़ रहा था, मैंने फिर से दिलीप का सर दबा दिया और.. हाई माँ मर गयी मैं.. करके फिर से मेरा झरना उसके मुँह मैं बहा दिया.. वोह रानी क्या मीठा शहद पीला रही हो.. १० मिनट मैं दो बार झड़ गयी.. जैसे थोड़ शांत हुई. मुझे बड़ी जोर से सुसु लगी..
मैं खड़ी हो गयी पर दिलीप ने पकड़ लिए.. क्या हुआ जानू.. मैंने कहा दिलीप अब कण्ट्रोल नहीं होता.. मुझे जाने दो नहीं तो मैं यही सुसु कर दूंगी.. उसने भी पंजाबी मर्दानी अंदाज मेंकहा तो फिर कर दो यही पर सुसु.. क्या दिक्कत हैं. मैंने कहा प्लीज जाने दो तुम जो कहोगे करुँगी.. दिलीप ने कहा ऐसा हैं.. पक्का.. तो आओ मेरे सात बाथरूम मैं.
मैं समज नहीं पा रही थी की दिलीप की मन मैं क्या चल रहा हैं और सुसु का प्रेशर मुझे कुछ सोचने नहीं दे रहा था. बाथरूम जाकर दिलीप बाथरूम की फ्लोर पर पीठ के बल सो गया और कहा जानू जल्दी इधर आओ और मेरे लंड के ऊपर तुम्हारी चूत रख दो.. मैंने अपने दोनों पैर दिलीप की कमर की बाजु मैं रख दी और उसकी लण्ड के ऊपर चूत रख दी..
उसके लण्ड का लाल टोपा अब मेरी चूत को छू रहा था.. और उसने कहा रानी अब करो सुसु. मेरे से बिलकुल कण्ट्रोल नहीं हो रहा था और एक जोर की धार से मेरी सुसु बाहर निकाल गयी और दिलीप के लण्ड को नहलाने लगी.. दिलीप – वाह रानी.. तेरी गरम सुसु ने मेरे लण्ड को पत्थर जैसे फौलादी बना दिया.
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दिलीप अपने लण्ड को मेरी सुसु मैं हिलाने लगा.. मैं कुछ सोच नहीं पा रही थी पर मुझे एकदम नया लग रहा था और अच्छा भी.. बहुत देर तक मैं अपनी सुसु की धार दिलीप के लण्ड और टट्टे पर डाल रही थी.. दिलीप फटी आँखों से मेरी चूत से बहती सुसु की धार को देख रहा था.. मेरी सुसु मैं उसका लंड, टट्टे, गांड, कमर, पेट सब भीग रहा था..
मेरी धार अब कम हो रही थी पर दिलीप की नजरें मेरी सुसु और चूत पर थी.. मैं खुश हो गयी की सुसु अब ख़तम हो गयी.. पर दिलीप ने अब तक मेरी गांड अपने हाथों पकड़ ली और जैसे मेरी सुसु बंद हुई उसने एक झटके मैं मेरी गांड नीचे कर के अपना फौलादी लण्ड मेरी चूत मैं घुसा दिया.
मुझे यह एक्सपेक्टेड नहीं था. मैं ई माँ कर के चीला उठी.. दर्द की एक जबरदस्त चीख से.. मेरी सुसु से चिप – चिपाया दिलीप का लण्ड पूरा अंदर मेरी चूत मैं घुस गया था. ओह मेरी रानी, तेरी चूत एकदम अंगार की भट्टी हैं.. अब तू धीरे धीरे ऊपर नीचे उछाल.. बोल के दिलीप ने फिर मेरी गांड अपने दोनों हातों से नीचे से पकड़ ली और मुझे धीरे धीरे ऊपर नीचे करना लगा..
मुझे अब मजा आने लगा था.. मैं अपने मन मर्जी से ऊपर नीचे होती और दिलीप के लण्ड से अपनी चूत कुटती. मुझे पता चल गया की दिलीप अब मेरी कण्ट्रोल मैं हैं.. उसका रिमोट अब मेरी हातों मैं हैं. मैं गांड उछाल उछाल कर दिलीप के लण्ड पर फुदक रही थी.. हम दोनों इतने गरम हो गये की बहुत जल्दी झड़ गये..
और दिलीप ने सारा पानी मेरी चूत के अंदर चोद दिया. मैं थक कर दिलीप के ऊपर गिर गयी.. हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे.. दिलीप ने धीरे से मेरे कान मैं कहा.. रानी मजा आ गया ना.. मैंने कहा हां जानू बहुत मजा आ गया.. दिलीप ने कहा रानी अब सुसु.. मुझे भी जोर से आ रही हैं.. बोलो क्या करू..
मैंने कहा तुम भी मेरी चूत पर सुसु कर दो.. हम अलग हुए.. मैं नीचे बैठ गयी.. अंकल खड़े हो कर सुसु की धार मेरी चूत पर गिराने लगा.. उसकी गरम सुसु की धार से मेरी चूत फिर से गरम हो गयी.. उसने कुछ सुसु की धार मेरे पेट और बूब्स पर भी डाल दी.. मैंने भी गरम होकर उसके सुसु से मेरे बूब्स और चूत कि मसाज कर दिया.
हम दोनों बहुत खुश थे,, दिलीप ने मुझे उठाया और शावर खोल दिया.. हम दोनों एक सात नहाने लगे.. साबुन से साफ करने लगे.. अब हम दोनों टॉवल से सुखकर बिस्तर पर आ गये.. रात के बारह बज गये थे.. नशा अभी भी थोड़ा थोड़ा था.. मैं थक कर दिलीप की बाँहों मैं सो गयी. दिलीप के साथ चिपक कर स्पून पोजीशन मैं सो गयी..
मेरी बैक दिलीप की छाती से चिपकी थी.. उसका एक हाथ मेरी बूब्स पर था.. और एक पैर मेरी कमर पर.. मेरी गांड पर उसका लण्ड रगड़ रहा था.. मैं चैन की नींद सोने लग गयी.. रात को बीच मैं आंख खुली तो चूत मैं कुछ फसा था.. दिलीप ने धीरे से अपना लण्ड पीछे से मेरी चूत मैं डाल दिया था..
मुझे अच्छा लग रहा था.. दिलीप धीरे धीरे मुझे धक्का मर रहा था.. बहुत देर तक यह सिलसिला चला.. मैं पता नहीं कितने बार झड़ गयी.. दिलीप ने दूसरे दिन बताया की उस दरम्यान मैं २ बार झड़ी और उसने भी मेरी चूत मैं पानी गिरा डाला था.. सुबह उठी दिलीप सो रहा था.. मेरी गीली चूत से दिलीप का सफ़ेद पानी नीकल रहा था. एकदम मुलायम और माखन जैसे चिकनी चूत हो गयी.
मुझे मेरी चूत पर बड़ा गर्व महसूस हुआ.. उस दिन हम दिन भर यही सेक्स का गेम खेलते रहे.. हमारी सेक्सुअल केमिस्ट्री और बॉडी केमिस्ट्री जबरदस्त फिट हो गयी थी. दिलीप ने कहा की आगे जब भी मौका मिलेगा, ऐसे ही एन्जॉय करेंगे. पर तुम पढाई मैं भी ध्यान देना,, तुम अगर अच्छी डिग्री और अच्छा करियर बनाओगी तो इंडिपेंडेंट रहोगी, अपने पैरो पर खड़ी रहोगी और सब मर्दो को नचाओगी..
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अगर डिपेंडेंट हो गयी तो हस्बैंड या कोई ओर मर्द की गुलाम बन के रह जाओगी.. बात मुझे सही लगी. उस दिन कई बार सेक्स करके रात को १२ बजे दिलीप (पुणे से मीटिंग ख़तम कर के) अपने घर गया. मैंने भी घर की साफ सफाई की.. बेडशीट्स चेंज किया.. सुबह पेरेंट्स आने वाले थे.. उन्हें कोई भनक नहीं लगनी देनी थी.. उसके बाद जब भी मौका मिल जाता हम सेक्स एन्जॉय करते.. कभी निशा आंटी बच्चों के लेकर मायके जाती, या कभी मेरे फॅमिली वाले.. पर इतना फ्री मौका फिर कभी नहीं मिला..
12th के बाद मैं भी दूसरे शहर मैं गोवेर्मेंट इंजीनियरिंग कॉलेज आ गयी.. हॉस्टल मैं रहने लगी.. २ साल बाद दिलीप अंकल भी जॉब चेंज कर के बैंगलोर चले गये.. उनसे एक बहुत सुन्दर रिश्ता बन गया.. जो बेहद खूबसूरत रहा.. दिलीप ने कभी मेरा फ़ायदा नहीं उठाया नाही मुज़से कभी जबरदस्ती की.. पर मुझे बहुत सीखा दिया.. उन्ही के कारन मैं खुद कि सेक्स लाइफ इतना एन्जॉय कर पायी. आगे चलकर जोब मे, या बाहर कही भी मर्दों की दुनिया मैं बड़ी कॉन्फिडेंटली मर्दों को हैंडल करती गयी.
Arpit Kumar bajpai says
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Kewal mahilaye hi sampark