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नई दुल्हन की चूत की प्यास

सितम्बर 6, 2024 by hamari

Red Light Area Sex

मैं सुकन्या हूँ और यह तब की बात है जब मैं नई नई दुल्हन बनी थी। मेरी शादी को 3 महीने हो गए थे। मेरे पति अजरेश मुझसे बहुत प्यार करते थे। उनके 6 इंची मोटे लंड का स्वाद मेरी चूत तीन महीने में सौ से ज्यादा बार चख चुकी थी। जब वो घर पर होते थे तो चूचियाँ कभी भी दब जाती थीं। रात को कंप्यूटर पर कई बार ब्लू फिल्म मुझे दिखा चुके थे। Red Light Area Sex

एक दिन बातों बातों में मैंने पूछ लिया- क्या लंड इतने लम्बे लम्बे और मोटे भी होते हैं?

अजरेश बोले- प्यारी, वैसे तो 5-7 इंची ही लम्बे होते हैं लेकिन कुछ के बहुत लम्बे और मोटे भी होते हैं मेरे दोस्त मनीष का लंड 9 इंची लम्बा है।

मैंने पूछ लिया- आपको कैसे पता?

हँसते हुए अजरेश बोले- हम लोग एक ही हॉस्टल में रहते थे तो हम दोनों ने कई बार एक दूसरे की मुठ ब्लू फ़िल्में देखते हुए मारी थी। बातें करते हुए उन्होंने मुझे नंगा कर दिया और बोले- तुम बात बहुत करती हो! असल में लंड वही अच्छा होता है जो चूत की खुजली मिटा दे। चलो, अब घोड़ी बनो और चूत मारने दो।

मैं बोली- घोड़ी बनती हूँ लेकिन पहले आपके कपड़े तो उतार दूँ!

दो मिनट में मैंने उनका पजामा और बनियान उतार दी तो रोज़ की तरह उनका 6 इंची कड़क लंड मेरी आँखों के आगे था।मेरी आँखों में कामुक चमक आ गई थी। मैं बिस्तर पर घुटने रखकर घोड़ी बन गई, अजरेश ने पीछे से मेरी चूत में उँगलियाँ घुसा कर घुमानी शुरू की और मेरी चूत के साथ साथ चूत के दाने को भी रगड़ने लगे।

मुझे लंड की प्यास लग रही थी, मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं बोली- अजरेश चोदो न! बहुत खुजली हो रही है।

अपनी चिर परिचित आवाज़ के साथ अजरेश बोले- रानी, अभी दोपहर में ही तो तुम्हारी चोदी है, इतनी पागल क्यों हो जाती हो?

इसके बाद उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत में छुला दिया और मेरा सर पलंग पर लगा कर मेरी चूत में अपने लंड को घुसा दिया और चूचियों को पकड़ कर मुझे चोदने लगे। आह ऊह ऊह की आवाज़ों से कमरा गूंजने लगा। एक औरत जब अपने अच्छे पति से चुदती है तो उसके मन में कहीं न कहीं यह बात छुपी होती है कि यह उसका अपना लंड है इसलिए उसमें कोई हिचक नहीं होती और वो खुल कर लंड का मज़ा लेती है।

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मैं भी इस समय खुल कर चुद रही थी। कुछ देर बाद मेरा चूत रस बाहर आ गया। अजरेश बहुत अच्छे चोदू हैं, दो बार तो मुझे झड़ा ही देते हैं। फ़िर इन्होंने मुझे सीधा लिटा दिया और मेरी चूत में अपना लंड दुबारा पेल दिया मेरे गालों और चूचों को दबाते हुए मुझे चोदने लगे और मेरी चूत में इनका लंड दुबारा दौड़ने लगा।

दस मिनट चुदने के बाद मैं दुबारा जब झड़ने को हुई तो इन्होने भी अपना रस मेरी चूत में छोड़ दिया। हम लोग एक दूसरे से चिपक गए। सच अद्भुत चरम आनन्द का अनुभव था, आपकी भाभी ने चुदाई का स्वर्गीय सुख ले लिया था। रात को चुदने के बाद अच्छी नींद आती है, मैं और अजरेश सो गए।

सुबह 6 बजे ही अजरेश के बॉस का फ़ोन आ गया कि ऑफिस 8 बजे जाना है। मैं उठ गई और 7 बजे तक नाश्ता तैयार कर दिया इसके बाद ऑफिस जाने से पहले रोज़ की तरह अजरेश का लौड़ा उनकी पैंट की ज़िप खोलकर बाहर निकाला और उसे मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। वीर्य निकलने तक मैंने उनका लौड़ा पूरी मस्ती से चूसा और वीर्य पूरा अपने मुँह में गटक लिया। इसके बाद अजरेश ऑफिस चले गए।

शाम को अजरेश जब वापस आए तो बोले- सुकन्या, मुझे दो दिन बाद अमेरिका 6 महीने के लिए जाना है।

हम सब लोग जाने की तैयारी में लग गए। मेरे सास ससुर भी यह सुनकर देहली आ गए। सब लोगों के साथ दो दिन बड़ी जल्दी निकल गए और अजरेश अमेरिका के लिए उड़ गए। मेरे सास-ससुर देहली मेरे पास रुक गए। दो दिन ठीकठाक कटे लेकिन तीसरे दिन रात को मेरी चूत बुरी तरह खुजियाने लगी, मुझे पता लगने लगा कि चूत की प्यास क्या होती है।

उस समय मैं एक प्यासी दुल्हन थी जिसे सिर्फ इस समय एक लंड की चाहत थी। अमेरिका से उनसे 5-7 मिनट से ज्यादा रोज बात नहीं हो पाती थी। चैटिंग जरुर 1-2 घंटे रात को होती थी। लेकिन चूत की आग तो लंड से बुझती है। किसी तरह मैं रात को सो पाई। अगले दिन अजरेश रात को 12 बजे वेब केम पर थे। मैंने उन्हें बताया कि उनके पप्पू की याद मुझे कितनी आती है। पूरी रात हाथ चूत में घुसा रहता है। चूत की प्यास बुझ नहीं रही है।

अजरेश बोले- रानी, मेरे लंड का भी बुरा हाल है, देखो तुम्हारी आवाज़ सुनकर पप्पू कैसा हिनहिना रहा है।

और उन्होंने अपना नेकर उतार दिया, उनका 6 इंची लंड कड़क, तना हुआ मेरे सामने था।

मुझसे रहा नहीं गया, मैंने कहा- अजरेश, इसे मेरी चूत में डालो ना!

मैंने अपनी मेक्सी उतार दी, तब मैं पूरी नंगी थी।

अजरेश बोले- सुकन्या, तुम्हारी गेंदें देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा है! और वो लंड की मुठ मारने लगे, मुझे पुचकारते हुए बोले- अपनी रानी के दर्शन तो कराओ!

मैंने अपनी चूत चौड़ी कर ली और कैमरा अपनी चूत से कुछ दूर रख लिया। चूत रानी को अजरेश निहारने लगे और उनका हाथ लंड पर जोरों से चलने लगा। दो प्यासे, बुद्धू बक्से पर चूत और लंड देखकर खुश होने की कोशिश कर रहे थे। एक बजे लाइट चली गई। कंप्यूटर बंद हो गया। मेरी चूत गीली हो गई थी लेकिन उसकी प्यास नहीं बुझी थी। मैं रसोई में चाय बनाने चली गई।

लाइट दस मिनट बाद आ गई थी, अजरेश ने फ़ोन कर के कहा- मैं अब ऑफिस जा रहा हूँ। चाय पीने के बाद मैं जब मैं अपने कमरे की तरफ जा रही थी तो मुझे अपने सास-ससुर के कमरे से कुछ आवाजें सुनाई दीं। मैंने उनके कमरे में झांक कर देखा। पापा जी उठकर टीवी बंद कर रहे थे शायद मूवी ख़त्म हो गई थी।

 मेरी सास जो 45 साल के करीब थी, ने अपना ब्लाउज उतार दिया था, मोटी-मोटी, गोल-गोल थोड़ी लटकती हुई चूचियां सासु जी की बाहर थीं। एक अंगड़ाई लेती हुई बोलीं- जब से बहू आई है, ठन्डे पड़ गए हो, पिछले तीन महीने में दो बार ही चोदा है, पहले तो हफ्ते में एक बार सवार हो ही जाते थे। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

पापा जी ने मम्मीजी के गले में हाथ डालकर उनकी चूचियाँ अपने हाथों में पकड़ ली और उन्हें मसलते हुए बोले- रानी थोड़ी शादी की भाग दौड़ हो गई थी, अब तो मैं फ्री हूँ, अब हफ्ते में दो बार तेरी मुनिया को ठंडा किया करूँगा, नहीं तो तेरा भरोसा नहीं किसी और का घुसवा ले! अभी तो तू जवान है।

सासु की चूचियां और निप्पल मसल मसल के पापाजी ने खड़े कर दिए थे। मेरा मन किया कि मैं वहाँ से हट जाऊँ। अपने पति से तो मरवाने का हर औरत को अधिकार है। लेकिन मेरे मन मैं एक चोर था, मैं पापाजी का लंड देखना चाह रही थी। पापाजी ने अपने कपड़े उतार दिए थे और अब सिर्फ एक अंडरवीयर उनके बदन पर था।

मम्मी जी उर्फ़ मेरी सासु ने अपना पेटीकोट उतार दिया था और वो पूरी नंगी हो चुकी थीं लेकिन मुझे उनकी चूत दिख नहीं रही थी। मेरी आँख दरवाज़े की झिरी पर थी और हाथ अपनी चूत के ऊपर था। अगला पल मेरे लिए कभी न भूलने वाला था, सासु माँ ने पापाजी की चड्डी उतार दी और उनका लंड अपने हाथ में लेकर सहला रहीं थीं।

थोड़ी देर में उन्होंने उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। चूसने के बाद जब ससुर का लंड बाहर निकला तो टनाटन कड़क 6 इंच का हो रहा था। बिल्कुल अजरेश के लंड जैसा था। मेरी चूत गर्म भट्टी हो रही थी, मन कर रहा था कि पापाजी लंड मेरी चूत में डाल दें।

मैंने अपनी मेक्सी उतार दी थी और अपनी उंगलियाँ चूत में घुसा लीं थीं। सास ने 5 मिनट तक ससुर जी के लौड़े की चुसाई और चटाई की। उसके बाद पापाजी ने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया, मम्मीजी ने दोनों टांगें फ़ैला दीं थीं। पापाजी कोंडोम लेने अलमारी की तरफ चले गए.

सासु माँ की चिकनी चमचमाती चूत मेरी आँखों के सामने थी। उस पर एक भी बाल नहीं था आज ही शेव की हुई लग रही थी। पापाजी ने अपने लंड पर कोंडोम लगाया और और सास को तिरछा कर के उनकी चूत में पेल दिया। सासु माँ की आह ऊह निकलने लगी जो बाहर तक आ रही थी.

पापाजी का लोड़ा चूत में दौड़ रहा था, सास का मुँह मेरी तरफ था उनकी चूचियों की मसलाई और चूत की चुदाई साफ़ दिख रही थी, सास मज़े ले लेकर चुद रही थी और बहु मुठ मार रही थी। पापाजी अच्छे चोदू थे, 5 मिनट तक उन्होंने सासु माँ की चूत चोदी, उसके बाद उन्होंने सासु को घोड़ी बना दिया।

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कुतिया सास बोली- आज गांड का सुख दे दो, मुझे बड़ा मज़ा आता है गांड मरवाने में।

अगले पल जो था वो मेरे लिए नई चीज़ थी! ससुर ने लंड मम्मीजी की गांड में डाल दिया था, मुझे लंड गांड में घुसता हुआ नहीं दिखा लेकिन उनके आसन से यह साफ़ था कि लंड गांड में ही घुसा है।

ऊपर से सास चिल्ला रही थी- कुत्ते, गांड फाड़ दी! वाह वाह! क्या मज़ा दिया है।

सास की गांड मारी जा रही थी और मेरी चूत रो रो कर गीली हो रही थी।

दस मिनट यह खेल चला होगा, उसके बाद पापाजी बोले- मैं यह कोंडोम बाहर डाल कर आता हूँ!

और वो दरवाज़े की तरफ आ गए मैं अपनी मेक्सी उठाकर नंगी ही अपने कमरे में दौड़ ली। दस दिन बाद मेरा बैंक का पेपर लखनऊ में था। मेरी कोई तैयारी नहीं थी। मैं घर मैं बोर हो रही थी, मैंने सासु मां से कहा- मैं पेपर दे आती हूँ।

सासु ने हाँ भर दी, सासु माँ बोली- तू सर्वेश के घर हरदोई चली जाना, वहाँ से वो लखनऊ पेपर दिला लाएगा। उसकी मकान मालकिन बहुत अच्छी है, तेरी कम्पनी भी हो जाएगी, चाहे तो 6-7 दिन रुक भी आना।

सर्वेश सासु की बहन का लड़का था और कानपूर मैं नौकरी करता था। देवर के यहाँ जाने की बात सुनकर मेरी चूत चुलबुली हो गई। मन ही मन ख़ुशी भी हो रही थी। मैं गुरुवार को शताब्दी से हरदोई जा रही थी। मेरा पेपर रविवार को था। सर्वेश बीच में देहली आया था, 3-4 दिन रुका था तो हम लोग आपस में थोड़ा खुल गए थे। उसने मुझे नॉन वेज जोक भी सुनाए थे और सेक्सी बातें भी की थीं।

अब मेरे मन के किसी कोने मैं उसके साथ मस्ती करने का मन कर रहा था, आज मंगलवार था। अभी जाने में एक दिन बीच में था। बुधवार को मैंने अपनी चूत के बाल साफ़ किये और ब्यूटी पार्लर मैं जाकर अपना बदन चिकना करवाया। रात को सामन रखते समय दो जोड़ी सेक्सी ब्रा-पैंटी और मेक्सी जिनसे पूरी चूचियाँ और चूत चमकती थीं जाने के लिए रख लीं। दो छोटी स्कर्ट और 2-3 लो-कट ब्लाउज भी रखे।

रात को सर्वेश का फ़ोन 9 बजे आया, मुझसे बोला- और भाभी कैसी हो?

मैंने कहा- अच्छी हूँ! भाभी के स्वागत की तैयारी कर लेना।

हँसते हुए बोला- मैंने तो कर ली है। तुम क्या तोहफ़ा ला रही हो मेरे लिए।

मुस्कराते हुए बोली- दो संतरे ला रही हूँ।

देवर हँसते हुए बोला- चूस चूस कर खाऊँगा, जल्दी लेकर आओ।

सर्वेश बोला- कल मुर्गा खाओगी या आराम से दो दिन बाद खाओगी?

मैं हँसते हुए बोली- मुझे मुर्गे की आवाज़ आ रही है। कुँकङु कूं कुँकङु कूं बोल रहा है। अभी इसे सुला दो आकर बताउंगी की कब खाना है।

फ़ोन पर बातें करने के बाद मैं अपनी चूत सहलाती हुई सो गई। अगले दिन मैं शताब्दी से हरदोई पहुँच गई, सर्वेश मुझे लेने आया था, उतरते ही उसने मुझे गले लगाया और बोला- घर पर अच्छी तरह से गले मिलूँगा, मुझे आप से मिलकर बहुत ख़ुशी हो रही है।

मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और हम लोग बाहर आ गए। सर्वेश की बाइक से हम उसके घर पहुँच गए। वहाँ उसकी 35 साल की मकान मालकिन रजनी ने मेरा स्वागत किया और हम लोगों के लिए चाय-नाश्ता ले आई। हम सभी ने चाय पी, इसके बाद रजनी बोली- जाकर फ्रेश हो लो जब तक मैं बच्चों को देख लेती हूँ। आज रात को मेरे साथ सोना, इस नालायक का भरोसा नहीं, रात को सोने भी न दे।

मैं सर्वेश के साथ उसके ऊपर वाले किराए के टू-रूम सेट में आ गई। कमरे की एंट्री बाहर और अंदर दोनों तरफ से थी। पहला कमरा बहुत छोटा था उसमें 4 कुर्सी, मेज और एक तखत था, अंदर का कमरा काफी साफ़ सुथरा और बड़ा था उसमें एक बड़ा पलंग पड़ा था, छोटी सी किचन और एक बाथरूम कमरे से जुड़ा था। शाम के 4 बज रहे थे। कमरे में घुसकर मैंने कमरा बंद कर लिया।

सर्वेश बोला- भाभी, मैं बाहर के कमरे मैं बैठता हूँ, आप अंदर फ्रेश हो लो।

मैंने कामुक अंगड़ाई ली और बोली- बाहर क्यों बैठते हो? अंदर आ जाओ। इतना शरमाओगे तो 5-6 दिन कैसे काटेंगे।

सर्वेश और मैं अंदर वाले कमरे में आ गए। मैंने मुस्कराते हुआ कहा- सुबह से साड़ी लपेटी हुई है, अब कुछ हल्का हो लेती हूँ!

और मैंने अपनी साड़ी सर्वेश के सामने उतार दी मेरी तनी हुई चूचियां सर्वेश को ललचा रही थीं। पेटीकोट थोड़ा ठीक करते हुए मैंने नाभि के नीचे सरका दिया।

मैंने अपनी बाहें फ़ैलाते हुए कहा- गले तो मिल लो!

सर्वेश एक पुतले की तरह मेरी बाँहों में आ गया मैंने उसे कस कर चिपका लिया, अब मेरी चूचियाँ उसके सीने से दब रही थीं, सर्वेश के लंड का उभार मैं अपनी नाभि पर महसूस कर रही थी। मैंने उसे 5 मिनट तक अपने से चिपके रखा और उसके गालों को कस कर चूम लिया। यह हमारा पहला सेक्स अनुभव था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

उसके बाद मैं बाथरूम में चली गई, मैंने अपनी चड्डी और ब्रा उतार दी और ब्लाउज दुबारा से पहन लिया। बाहर आकर सर्वेश को दिखाती हुई बोली- इन्हें उतार कर बड़ा आराम लग रहा है। अब मेरे बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट था। बिस्तर पर सर्वेश को बैठाकर मैं उसकी गोद में लेट गई और अपने चिकने पेट पर उसका हाथ रख लिया।

सर्वेश मेरी नाभि और पेट को सहलाने लगा। उसका मन मेरे दूध दबाने का कर रहा था लेकिन वो इसकी हिम्मत नहीं कर पा रहा था, मैं अंदर ही अंदर मुस्करा रही थी। मैंने 2 मिनट बाद सर्वेश के गले में हाथ डालकर उसके होंटों को 2-3 बार चूमा और बोली- यह प्यार अब तुम्हें पूरे हफ्ते मिलेगा।

दस मिनट हम बात करते रहे। इसके बाद मैं उसे उठाकर उठ गई। मैंने अपना एक सलवार-कुरता निकाल लिया। बाथरूम अंदर से बहुत छोटा था और उसमें टांगने के लिए कुछ नहीं था। मैं अंदर सिर्फ सर्वेश की टॉवेल लेकर चली गई और सर्वेश से बोली- जब मांगूं तो केवल मेरा कुरता दे देना वो भी आँखें बंद करके।

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मैंने बाथरूम मैं अपना ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया अब मैं पूरी नंगी थी। सर्वेश के साथ मस्ताने से मेरी चूत गीली हो रही थी। मैंने उँगलियों से ही अपनी चूत को शांत कर लिया। यह तो कुछ देर की ही शांति थी दोस्तो, असल में लंड खाई चूत लंड से ही शांत होती है।

उसके बाद मैं नहा ली। सर्वेश का तौलिया बहुत छोटा था, चूत ढकती तो चूचियाँ खुली रहतीं और चूची ढकती तो चूत खुली रहती। मैंने तौलिया अपनी कमर पर बाँध लिया और स्तन खुले छोड़ दिए। दरवाज़ा खोल कर बहार झाँका तो सर्वेश टीवी देख रहा था, मैंने जानबूझ कर बाहर निकल कर सर्वेश को आवाज़ दी, सर्वेश तुम सुन नहीं रहे हो, मेरी कुर्ती दो न।

सर्वेश ने मुड़कर देखा तो मेरी नंगी चूचियाँ और भरी भरी चिकनी जांघें देखता ही रह गया। सर्वेश ने मुझे कुरता दे दिया, मैंने चूचियाँ कुरते से ढक लीं और मुस्कराती हुई मुड़कर बाथरूम में आकर कुरता पहना, कुरता सिर्फ मेरी जांघें ढक रहा था। जैसे ही मैं दरवाज़े से बाहर निकली, मैं चौंक गई, सर्वेश अपने लंड की मुठ मार रहा था।

उसने मुझे नहीं देखा, मैं बाथरूम के दरवाज़े के पीछे छुपकर सर्वेश का लंड देखने लगी। वाह! क्या मोटा लंड था, मेरे पति से थोडा लम्बा ही लग रहा था, मन किया दौड़ कर मुँह में ले लूं और एक महीने से तड़प रही चूत में डलवा लूँ। दो मिनट बाद मैंने दरवाज़ा आवाज़ करके खोला तो सर्वेश ने लंड जींस में डाल लिया और अपनी जींस ऊपर चढ़ा ली। इसके बाद मैं बाहर आ गई।

मैं कुरता पहन कर बाहर आई तो मेरी गुदाज़ जांघें और चूचियाँ सर्वेश घूर घूर कर देख रहा था। मैंने सर्वेश को आँख मारी और बोली- ऐसे क्या देख रहे हो? मेरी पजामी दो न। सर्वेश ने हड़बड़ाते हुए मेरी पजामी मुझे दे दी। सर्वेश के सामने ही मैंने अपनी पज़मी चूत छुपाते हुए ऊपर चढ़ा ली लेकिन अपनी गुदाज़ जांघें पूरी खोलकर सर्वेश को दिखलाईं। सर्वेश ललचाई नज़रों से मेरा बदन देख रहा था।

सर्वेश को देखकर मैं मुस्कराई और शीशे के सामने जाकर खड़ी हो गई। शीशे में अपने को देखकर मैं चकित रह गई, मेरे गोल-गोल गीले स्तन और चुचूक कुरते में से बिल्कुल साफ़ दिख रहे थे। मैं समझ गई कि सर्वेश इतना घूर घूर कर चूचियाँ क्यों देख रहा है, अगर मेरे पति इतना देख लेते तो मुझे अब तक नंगा करके मेरी चूत में लंड डाल चुके होते।

सर्वेश को मैंने आवाज़ लगाई और बोली- सर्वेश, इधर आओ!

सर्वेश मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया।

“अपनी भाभी को एक मीठी पप्पी दे दो न!” मैंने उसके हाथ पकड़ कर अपनी कमर मैं डलवा लिए।

सर्वेश गर्म था, उसने पूरा अपना लोड़ा मेरी गांड की दरार से छुलाते हुए मेरे गालों पर एक पप्पी दे दी और हटने लगा।

मैंने उसे प्यार से डांटा- इतना क्यों शर्मा रहे हो? चिपके रहो न! अच्छा लग रहा है। अच्छा इधर कान में यह बताओ कि जब मैं बाहर आई थी तो मुझे घूर घूर कर क्या देख रहे थे?

सर्वेश झेंपते हुए बोला- कुछ नहीं।

मैंने धीरे से कहा- हूँ, झूठ बोलते हो? सच सच बताओ, अभी तो 5 दिन साथ रहना है।

सर्वेश धीरे से बोला- आपके दूध देख रहा था!

मैंने शीशे में देखते हुए कहा- ऊह! ये तो पूरे नंगे दिख रहे हैं। तुम तो बहुत शैतान हो।

मेरी बातों से सर्वेश पूरा गर्म हो रहा था, उसने मेरी चूचियाँ पीछे से दबाने की कोशिश की लेकिन मैंने उसका हाथ कमर पर रख दिया और बोली- थोड़ा रुक जाओ! सारे मज़े आज ही ले लोगे क्या? अच्छा सर्वेश। यह बताओ मेरी चूचियाँ कैसी लगीं?

सर्वेश बोला- भाभी, बहुत सुन्दर हैं, चूसने का मन कर रहा है।

हँसती हुई मैं बोली- चूस लेना लेकिन पहले एक रसीला चुम्बन होटों पर दे दो!

और मुड़कर मैंने उसे बाँहों में भरा और उसके होंठ अपने होटों में दबाकर दो मिनट तक उसके होंट चूसे। सर्वेश के लंड का उभार मैं अपने पेट पर महसूस कर रही थी, मेरी चूचियाँ सर्वेश के सीने से दबी हुई थी।

मैंने कहा- चूची चूसनी है?

सर्वेश बोला- चुसवाओ न!

मैंने अपना कुरता ऊपर उठाया और बोली- सिर्फ एक-एक बार दोनों चुचूक चूस लो और काटना नहीं। मेरे दोनों चूतड़ों को दबाते हुए सर्वेश ने दोनों चुचूक एक एक करके मुँह में लिए और लॉलीपोप की तरह एक एक बार चूसे।

इस बीच सर्वेश झड़ गया। मेरी बुर भी पूरी गीली हो गई थी, मेरा देवर के साथ यह पहला सुंदर कामुक अनुभव था। अब हम दोनों अलग हो गए। मैंने हल्का सा शृंगार किया और कुरते पर चुन्नी डालकर नीचे आ गई। मैंने उठकर कुरता-पजामा पहन लिया और ऊपर सर्वेश के कमरे में आ गई। मैं जब ऊपर गई सर्वेश मुस्करा कर देखते हुए बोला- आप तो बहुत देर तक सोईं? मैं आपके लिए चाय बना कर लाता हूँ।

मैंने कहा- नींद ही नहीं खुली।

मैंने आगे बढ़कर सर्वेश को बाँहों में भर लिया, कस कर चिपकते हुए बोली- आज ऊपर ही सोऊँगी। पूरी रात तुम्हारी याद आती रही!

हम दोनों आपस में एक दूसरे की बाँहों में 5 मिनट सिमटे रहे। इसके बाद सर्वेश चाय बनाने चला गया और मैंने कुरता पजामा उतार कर स्कर्ट ब्लाउज बिना ब्रा पेंटी के पहन लिया। सर्वेश जब चाय लेकर आया तो मेरा शवाब उसे ललचा रहा था।

चाय पीने के बाद सर्वेश से बोली- थोड़ा मेरी गोद में लेट लो!

सर्वेश मेरी गोद मैं लेट गया। मैंने उसकी टीशर्ट उतरवा दी नीचे वो कुछ नहीं पहने था। मैं उसकी निप्पल हल्के से नोचते हुए उसके जवान सीने पर हाथ फेरने लगी, उसके बाद होंटों में उंगली चुसवाते हुए बोली- रात को मेरी याद आई थी?

सर्वेश बोला- भाभी, रात भर सो नहीं पाया, आपके दूध चूसने का मन करता रहा।

मैंने अपने ब्लाउज के दोनों बटन खोल दिए और सर्वेश का मुँह अपने दूधों की टोंटी में लगा दिया और बोली- लो, जी भरकर चूस लो। सर्वेश ने मेरा एक स्तन अपने मुँह में भर लिया और दूसरा हाथों से दबाने लगा, वो कभी एक चूची को चूसता कभी दूसरी को। मैं उसे कस कर अपने स्तनों से चिपकाए हुए थी।

सर्वेश मेरे स्तनों से खेलते हुए बोला- भाभी, आज ऑफिस जाने का मन नहीं कर रहा है। लेकिन बहुत जरूरी काम है, साला जाना पड़ेगा।

मैंने नेकर के ऊपर से सर्वेश का लौड़ा सहलाया और बोली- चलो, अब उठ जाओ, शाम को मस्ती करेंगे।

सर्वेश और मैं उठ गए। मैं उठी और दरवाज़े के पास पड़ा अख़बार उठाने लगी। मेरी स्कर्ट ऊपर उठ गई, सर्वेश दूर से मेरे नंगे चूतड़, गांड और मस्त हिलती चूचियाँ देखकर पगला गया और दौड़ते हुए आकर घोड़ी बनी मुझे पीछे से लपक लिया और मेरी चूचियाँ दबाने लगा- भाभी, बहुत मन कर रहा है!

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मैं बोली- थोड़ा हटो न।

सर्वेश को हटाकर मैंने उसे बाँहों में भरा और बेशर्म बनते हुए पूछा- चोदने का मन कर रहा है क्या?

सर्वेश बोला- हाँ भाभी, आपकी नंगी गांड देखकर आपको चोदने का मन कर रहा है।

मैं अपना पानी छोड़ रही थी, मैं बोली सर्वेश- तुम्हारा घोड़ा बहुत टनटना रहा है, पहले उससे दोस्ती करती हूँ!

और मैंने सर्वेश की नेकर नीचे सरका दी, सर्वेश का 8 इंची लम्बा और 4 इंची मोटा लौड़ा फनफनाता हुआ बाहर आ गया। एक महीने बाद इतना सुंदर लोड़ा देखकर मैं पागल हो गई, मैंने बिना देर किए उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगी। सर्वेश मेरी स्कर्ट उठा कर मेरी चूत में उंगलियाँ आगे पीछे करने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

आह! मुझे लोड़ा चूसने का गजब सुख मिल रहा था। बहुत देर से सर्वेश का लौड़ा टनक रहा था, 2-3 मिनट के बाद लंड बाहर खींच कर सर्वेश ने मेरे मुँह और स्तनों पर वीर्य की बारिश कर दी। इसके बाद हमने एक दूसरे को बाँहों में भरकर 10-12 प्यार भरी पप्पियाँ गालों पर लीं और मैं उससे बोली- अब तुम ऑफिस जाओ, शाम को अपने लंड को सही जगह घुसाना। मैं और मेरी रानी तुम्हारा इंतज़ार करेंगी।

सर्वेश ऑफिस चला गया और मैं बाथरूम मैं घुस गई। हमने एक दूसरे को बाँहों में भरकर 10-12 प्यार भरी पप्पियाँ गालों पर लीं और मैं उससे बोली- अब तुम ऑफिस जाओ, शाम को अपने लंड को सही जगह घुसाना। मैं और मेरी रानी तुम्हारा इंतज़ार करेंगी। सर्वेश ऑफिस चला गया और मैं बाथरूम मैं घुस गई।

पूरे दिन मेरी चूत की आग भड़कती रही। शाम को सजधज कर लाल साड़ी ब्लाउज पहन कर मैं नीचे भाभी के पास आ गई, हम लोग बातें करने लगे। शाम को 7 बजे सर्वेश आया। हमें 9 बजे मुझे मूवी देखने जाना था। मैंने भाभी को बताया तो भाभी हँसते हुए बोलीं- सर्वेश तुम्हें चुदाई हाल में प्यासी दुल्हन दिखाने ले जाएगा।

मैं भी खुल गई थी, बोली- बड़ा मज़ा आएगा, आज प्यास भी बहुत लग रही है। पूरी प्यास बुझा कर आऊँगी।

हम सबने खाना खाया। मैं और सर्वेश 8 बजे मूवी देखने निकल गए। हाल एक सुनसान इलाके में था। बालकनी में 8-10 जोड़े ही थे। हम जहाँ बैठे थे, वहाँ से सिर्फ एक जोड़ा ही दिख रहा था जो हमारे पास 4 सीट छोड़कर बैठा था।

सर्वेश बोला- यहाँ बालकनी में सिर्फ जोड़े ही आते हैं, रात में मूवी कम और मस्ती ज्यादा करते हैं। 500 रुपए एक जोड़े का टिकट है।

सर्वेश की बात सुनकर मूवी शुरू होने से पहले मैं बाथरूम गई और अपनी ब्रा और पेंटी उतार कर पर्स में रख ली। मूवी का नाम ‘प्यासी दुल्हन था’ ही था। मूवी शुरू होने के 5 मिनट बाद ही एक नामर्द की बीबी की चुदाई पड़ोस के लड़के के साथ दिखाई जाने लगी, नंगे सीन देखते ही सर्वेश और मैं शुरू हो गए।

पहले हमने एक दूसरे के होंठ चूमे, उसके बाद सर्वेश ने मेरी चूचियाँ ब्लाउज खोलकर दबानी शुरू कर दीं। हमारे पास वाला जोड़ा भी आपस में गुथा हुआ था। हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कराए भी थे। इसके बाद मेरे पड़ोस वाली लड़की ने अपने यार का लंड निकाल कर चूसना शुरू कर दिया। मूवी में ब्लू फिल्म जोड़ दी गई थी एक लड़की पर तीन हब्शी चढ़े हुए थे।

सर्वेश ने अपना लौड़ा खोलकर मेरे हाथों में दे दिया, मैं उसे सहलाने लगी। पास वाला जोड़ा 5 मिनट बाद उठकर बाहर चला गया। खुला नंगा चुदाई का खेल परदे पर चल रहा था। सर्वेश ने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल रखा था और मेरी चूत सहला रहा था। चूत बुरी तरह पानी पानी हो रही थी, मुझसे रहा नहीं गया, मैंने सर्वेश की सीट के नीचे बैठकर सर्वेश का लोड़ा मुँह में डाल कर चूसना शुरू कर दिया।

तभी दूसरा जोड़ा अंदर आ गया तो मैं हट गई। इंटरवल में पूरा हाल रोशनी से नहा गया। सर्वेश और पास वाला आदमी बाहर चले गए, लड़की मेरे पास आई और बोली- हट क्यों गईं? चूसती रहतीं, यहाँ तो सब खुला होता है, लगता है पहली बार आई हो, शर्म आ रही है। महिला बाथरूम के पास जो आंटी बैठी है, उन्हें 200 रुपए कमरे के दे दो, ऊपर कमरे बने हैं आराम से चुदवा लेना। मैं भी ऊपर से लगवा कर आ रही हूँ। कितने रुपए लेती है तू एक रात के?

मैं बोली- मैं तो इनकी की पत्नी हूँ।

उस लड़की का नीलम था, नीलम हँसती हुई बोली- शर्माती क्यों है? यहाँ सभी रंडियाँ हैं, बीवियाँ तो घर में चुदती हैं, मैं तो 1000 रु हॉल में आने के लेती हूँ और रात को घर और होटल जाने के 2000 रुपए लेती हूँ।

मैंने उससे झूठ बोल दिया- 1500 रु एक रात के लिए हैं।

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नीलम ने एक कार्ड दिया, उस पर उसका नंबर लिखा था, बोली- कभी ग्राहक न मिले तो मुझे फ़ोन कर देना 3000 रु दिलवा दूँगी पूरी रात के।

मैंने सर्वेश को जब कमरे के बारे में बताया तो सर्वेश बोला- मुझे बात पता है, रजनी भाभी के कहने पर ही तुम्हें इस हाल में एक नया मज़ा देने के लिए लाया हूँ।

मैं बोली- सच सर्वेश, बड़ा मज़ा आ रहा है, चलो ऊपर चलते हैं, चुदने का बड़ा मन कर रहा है।

इंटरवेल के 5 मिनट बाद हमारे पास वाला जोड़ा बाहर चला गया। उसके 5 मिनट बाद मैं और सर्वेश भी बाहर आ गए। हम लोग बाथरूम की तरफ गए तो आंटी मुस्करा रहीं थीं। आंटी मुस्कराते हुए सर्वेश से बोलीं- आज बहुत सुंदर माल पकड़ कर लाया है। सर्वेश ने 200 रुपए आंटी को दे दिए वो हमें छत पर ले गईं। वहां तीन कमरे थे तीनों बाहर से बंद थे। अंदर से चुदने की आह ऊह ऊह की आवाजें आ रहीं थी, अंदर चुदाई चल रही थी।

तम्बाकू चबाते हुए आंटी बोली- तेरी सहेलियां बज़ रहीं हैं, थोड़ा रुकना पड़ेगा।

आंटी ने अंदर एक दरवाजे को खोला और बोली- कुत्ते, अब तू बाहर आ जा! एक घंटे से लगा पड़ा है।

थोड़ी देर में एक लड़की अपने यार के साथ बाहर निकल कर आ गई। आंटी तम्बाकू चबाते हुए बोलीं- रंडी, अब तू जाकर चुदवा ले! आधे घंटे बाद दरवाज़ा खोल दूंगी।

मैं और सर्वेश कमरे के अंदर आ गए, उसमें सिर्फ एक बल्ब था और एक तख्त पड़ी हुई थी। बगल वाले कमरे से चुदाई की आवाजें आ रही थीं। आंटी ने बाहर से सांकल लगा दी। मैं चुदने के लिए पागल हो रही थी, मैंने अपनी साड़ी उतार दी और ब्लाउज के बटन खोल दिए और पेटीकोट ऊपर चढ़ा कर तख्त पर लेट गई।

मैं बोली- सर्वेश, जल्दी से चोद दो, सिर्फ आधा घंटा है।

सर्वेश ने मेरा पेटीकोट ऊपर उठा दिया और मेरी चूत चूसने लगा।

मैं पूरी गर्म थी, बोली- सर्वेश, चोद दो! जल्दी चोद दो! बहुत मन कर रहा है।

सर्वेश के भी आग लगी हुई थी, उसने अपनी जींस और टीशर्ट उतार दी थी। आह! उसका कितना सुंदर लोड़ा था जो मुझे पगलाए जा रहा था। मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं चिल्ला उठी- कुत्ते डाल दे न।

सर्वेश भी अब पूरा कुत्ता बन गया था, वो भूल गया था कि मैं उसकी भाभी हूँ, अब मैं सिर्फ एक औरत थी उसने मेरी ब्लाउज उतारी और चूचियाँ निचोड़ते हुए बोला- कुतिया, तूने दो दिन से पागल कर रखा है, आज तेरी चूत की भोंसड़ी बना कर ही छोडूँगा। आज लाया ही तुझे चुदाई हाल मैं इसलिए था कि तेरी चूत बजा सकूँ।

सर्वेश से जो भी एक बार चुद ली है बार बार चुदने आती है। सर्वेश ने मेरा पेटीकोट ऊपर तक उठाकर दोनों टांगें फ़ैला दीं और लंड का अग्र-भाग मेरी चूत की फलकों पर रगड़ा तो मेरी ऊह आह आहा आहा आह। मज़ा आ गया, घुसा जल्दी घुसा की आवाजें छोटे से कमरे में गूंजने लगीं।

अब मैं सर्वेश की कुतिया बनी हुई थी, मैं मस्ती में नहा रही थी, अगला पल जन्नत की सैर का था, लंड मेरी चूत में झटके से घुस चुका था, सर्वेश को मैंने भींच कर अपने से चिपका लिया, सर्वेश ने मेरे होंटों को चूसते हुए मेरी चूत में धीरे धीरे अपना लंड दौड़ाना शुरू कर दिया।

आह, बड़ा मज़ा आ रहा था, आज बहुत दिनों बाद चुद रही थी, कुँवारी औरत तो जिन्दगी भर रह सकती है लेकिन लंड खाई बिना लंड के नहीं रह पाती है और मैं आज दुनिया का सबसे बड़ा सुख लंड सुख सर्वेश से ले रही थी। सर्वेश ने अब खड़े होकर मेरी टांगें ऊपर उठा दीं थीं, अब वो मुझे टांगें पकड़कर जोरदार शोटों से चोद रहा था, उसका लंड मेरे पति से दुगना मोटा था, मज़ा और दर्द दोनों को मैं महसूस कर रही थी।

सर्वेश मेरी संतरियों को भी बीच बीच में कुचल देता था। मैं झड़ चुकी थी, मेरी चूत के पानी से उसका लंड नहा गया था लेकिन पूरा मोटा चूत में घुसा हुआ था। उसने लंड निकाल लिया और मुझे अपनी गोद में बैठा कर होटों से होंट मिला दिए और बोला- अभी तो इंटरवल है, एक राउंड और होगा।

मैं चुद चुकी थी, मेरी चूत शांत हो चुकी थी, मैंने सर्वेश को मना किया लेकिन सर्वेश अब एक मर्द था उसको मेरा और मर्दन करना था। उसने मेरा पेटीकोट खींच कर उतार दिया। अब मैं पूरी नंगी थी, आज मेरी चूत में दूसरा लंड घुस चुका था।

मेरी चूचियाँ मसलते हुए बोला- ज्यादा शरीफ बनने की कोशिश न करो, लंड अब पूरे हफ्ते तुम्हारी चूत में घुसेगा, हर रात नया मज़ा दूँगा। चलो उठो, घोड़ी बनो, पीछे से घुसाने का मज़ा लो। घर पर पता नहीं दुबारा भाभी के पास सो जाओ।

सर्वेश ने मुझे अपना बल दिखाते हुए घोड़ी बना दिया। तख्त पर मेरे दोनों हाथ रखे थे, मैं घोड़ी बनी हुई थी। नीचे मेरी टांगें चौड़ी करके सर्वेश लौड़ा लगाने की कोशिश करने लगा लौड़ा घुस नहीं पा रहा था। सर्वेश बोला- भाभी जान, अपना एक पैर चौड़ा करके तख्त पर रख लो। उसने मेरा एक पैर चौड़ा करवा के तख्त पर रखवा दिया और मेरा सर तख्त पर झुका दिया।

मेरी चूत में उंगली करते हुए बोला- वाह भाभी, क्या मस्त चूत चमक रही है।

उसने मेरी चूत के दाने को मसलते हुए पूछा- भाभी यहाँ सब लोग रंडियां लेकर आते हैं, आप गुस्सा तो नहीं हो इस गंदे हाल में आकर?

मुझे इस समय बहुत आनन्द आ रहा था, बोली- गुस्सा क्यों होऊँगी? यहाँ मुझे कौन जानता है, सब लोग यही समझ रहे हैं कि मैं रंडी हूँ! यह सोचकर गुदगुदी और हो रही है। अब तुम भी जल्दी से अपनी भाभी रांड को चोद दो और हाल में कोई पूछे तो रंडी ही बताना। अब चोदो, देर न करो!

सर्वेश ने मेरी एक जांघ पर पीछे से हाथ रखकर टांग को फ़ैलाया और लोड़ा चूत में पेल दिया। एक चीख मेरी निकल गई, अगले ही पल मेरी चूत में लंड दनदनाते हुए घुस गया था। सर्वेश ने मेरी कमर पर दोनों हाथ टिकाए और दनादन कुत्ते की तरह पेलना शुरू कर दिया था। शुरू के 1 मिनट मैं मैं जोर से चिल्ला रही थी, बड़ा जबरदस्त मज़ा था, थोड़ी देर बाद उसने झुककर मेरी चूचियाँ पकड़ ली और उन्हें दबाते हुए धीरे धीरे आहें भरने लगा।

मैं भी अब आनंदित हो रही थी, धीरे धक्कों के कारण मेरा दर्द कम हो गया था। कुछ देर बाद सर्वेश ने फिर मुझे कमर से पकड़ कर जोर से ठोंकना शुरू कर दिया था। तभी दरवाज़ा खोल कर आंटी अंदर आ गईं थीं, सर्वेश से बोलीं- जल्दी इस रंडी को बजा, पिक्चर 10 मिनट में ख़त्म हो जाएगी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

सर्वेश का चोदना जारी था, मैं चिल्ला रही थी- सर्वेश छोड़ो न!

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लेकिन सर्वेश मुझे चोदे जा रहा था, गली की कुतिया की तरह मैं चुद रही थी, आंटी बीड़ी पीते हुए मेरी चुदाई का आनन्द ले रहीं थीं, उनके साथ एक बुड्ढा आदमी भी मेरी चुदाई देख रहा था। अब मैं एक सड़क पर चुद रही कुतिया बनी हुई थी। सर्वेश ने मुझे 5 मिनट तक चोदा इसके बाद सर्वेश ने अपना लोड़ा बाहर निकल के सारा वीर्य मेरी गांड के मुँह पर छोड़ दिया। इसके बाद हम दोनों अलग हो गए।

आंटी मेरी और देखकर बोलीं- कुतिया, जल्दी से कपड़े पहन और निकल ले! इधर शो ख़त्म हो चुका है।

मैं और सर्वेश अपने कपडे पहनने लगे।

कपड़े पहन कर हम लोग बाहर आ गए। सर्वेश की बाइक पर मैं सर्वेश से चिपक कर बैठ गई। सर्वेश मुझसे बोला- भाभी, मैं जब चोदता हूँ तो मुझे सिर्फ चूत और गांड दिखती है। आज चुदाई की मेरी गोल्डन जुबली है, आप 50वीं औरत हो जिसकी मैंने चूत चोदी है।

सर्वेश बोले जा रहा था, सर्वेश बोला- अब तक मैं 10 लोंडियों की गांड मार चुका हूँ और 4 की सील तोड़ चुका हूँ। मैंने नीचे वाली भाभी और उनकी बहन की चूत भी मार रखी है।

थोड़ी देर बाद हम घर पर सर्वेश के कमरे में थे। आज मुझे सर्वेश के साथ सोना था। मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और पलंग पर लेट गई, सर्वेश भी नंगा होकर मेरे पास सो गया। हम दोनों ने एक दूसरे को बाहों में भर लिया, सर्वेश मुझे चूमते हुए बोला- भाभी इन सात दिनों में आपको चूत को एसा मज़ा दूँगा कि आप कभी भूल नहीं पाएँगी। रोज़ नई तरह का मज़ा।

सर्वेश बोला- सुबह आराम से उठना, भाभी को मैसेज कर दिया है कि सुबह 11 बजे से पहले न जगाए। अब सोते हैं, सुबह आपकी चूत में लंड भी तो डालना है।

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