Virgin Lesbian
ये कहानी है बेंगलुरु में रहने वाली माँ-बेटी की माँ का नाम है वर्षा, उम्र 38 साल, भरा हुआ शरीर, गोरी-चिट्टी और उसकी बेटी आरोही, 12th में पड़ने वाली, उम्र **, छातियों के उभार अभी उभरने शुरू ही हुए हैं, पर इसके लम्बे निप्पल दूर से ही दिख जाते हैं. Virgin Lesbian
आरोही जैसी ही स्कूल से घर आयी, उसकी माँ वर्षा ने उसे अपने पास बिठा लिया. वैसे तो ऐसे मिलकर बैठना माँ-बेटी का रोज का काम था पर आज शायद कुछ ख़ास बात थी, क्योकि अपनी माँ वर्षा को आरोही ने इतना परेशान कभी नहीं देखा था.
अपने पिता को पांच साल पहले एक एक्सीडेंट में खो देने के बाद उसने अपनी माँ को कभी खुश नहीं देखा था, वो हमेशा गुम-सुम सी रहती थी, पापा के बदले उन्हें उसी कम्पनी में ऑफिस कोर्डिनेटर कि जॉब मिल गयी थी जिसकी वजह से उनके घर का खर्च जैसे – तैसे चल रहा था, वो घर का भी सारा काम करती और उसकी देख भाल करती, खाना खाती और सो जाती.. बस यही दिनचर्या थी उसकी माँ कि.
पर पिछले कुछ दिनों से उनमे काफी बदलाव आये थे, वो थोडा सज धज कर ऑफिस जाने लगी थी, गाने भी गुनगुनाती रहती थी, हंसने भी लगी थी और ये सारे बदलाव आरोही को काफी अच्छे लग रहे थे. आरोही के स्कूल से आने के बाद दोनों माँ बेटी घंटो एक दूसरे से गप्पे मारती…
पर आज फिर से अपनी माँ को परेशान देखकर आरोही के मन में डर सा बैठ गया कि कही कोई प्रॉब्लम तो नहीं है. वैसे प्रॉब्लम दूर करने कि उसकी खुद कि कोई उम्र नहीं है, सिर्फ 12th में पड़ने वाली आरोही भला अपनी माँ कि परेशानियों को कैसे दूर करेगी.
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आरोही : “क्या हुआ मॉम ?? आप इतनी परेशान क्यों हो !!”
वर्षा : “आरोही, वो…. मुझे तुझसे एक जरुरी बात करनी थी.”
आरोही : “हां मॉम बोलो न.”
वर्षा थोड़ी देर तक चुप रही और फिर एकदम से बोली : “मैं शादी कर रही हु.”
वर्षा कि बात सुनकर थोड़ी देर तक तो आरोही को समझ नहीं आया कि वो क्या करे उसकी माँ शादी कर रही है, इस उम्र में.. 38 कि उम्र वैसे तो ज्यादा नहीं होती पर उनकी एक जवान बेटी है, ऐसा कैसे कर सकती है वो..
पर फिर उसने अपनी माँ के नजरिये से सोचा, अभी तो उनके सामने पूरी जिंदगी पड़ी है, वो खुद एक दिन पराये घर चली जायेगी, फिर पीछे से उसकी माँ का ध्यान कौन रखेगा,इस बात कि चिंता तो हमेशा उसे रहती थी और जब आज उसका समाधान सामने आया है तो वो ऐसे क्यों बिहेव कर रही है..
उसने सारी नेगेटिव बातों को अपने सर से झटक दिया और चेहरे पर ख़ुशी के भाव लाते हुए बोली : “वाव, ये तो बहुत अच्छी बात है माँ, कौन है वो, मेरा मतलब, मेरे होने वाले पापा, किससे शादी कर रही हो, कब कर रही हो, कैसे डिसाईड किया आपने ये सब, बताओ न??”
आरोही के चेहरे पर आयी ख़ुशी और इतने सारे सवाल और उसकी उत्सुक्तता देखकर वर्षा ने चैन कि सांस ली, वो डर रही थी कि उसकी बेटी क्या सोचेगी अपनी माँ के बारे में, पर उसने समझदारी से उसकी बात समझकर वर्षा के सर से एक बोझ उतार दिया था.. वर्षा ने बताना शुरू किया-
“देख आरोही, तू तो जानती है, तेरे पापा के जाने के बाद से हमारे घर कि हालत कैसी थी, अगर मुझे उसी कम्पनी में ये नौकरी न मिली होती तो शायद हमारी हालत इससे भी बुरी होती, तेरा स्कूल, घर का खर्च, कुछ भी ढंग से नहीं हो पाता, और ये सब हुआ है कंपनी के मालिक आदित्य सर कि वजह से.
उन्होंने अगर सही समय पर सहारा नहीं दिया होता तो आज ये सब नहीं होता, और पिछले हफ्ते ही उन्होंने मुझसे शादी करने कि बात कही है, उनका तलाक हो चूका है, और वो अपने घर पर अकेले रहते है, पर मैंने उन्हें साफ़ कह दिया था कि जब तक मेरी बेटी इस शादी के लिए राजी नहीं होगी, मैं ये शादी नहीं करुँगी, पर आज तूने अपनी सहमति जताकर मेरे सर से इतना बड़ा बोझ उतार दिया है, थेंक्स बेटा…”
और फिर माँ आरोही से लिपट कर अपनी भावनाओ पर काबू पाते हुए सुबकने लगी.. और आरोही अपनी माँ कि बाते सुनने के बाद अपनी आँखे चौड़ी करके आपने वाले दिनों के सपने बुनने लगी, उसने भी देखा था आदित्य सर को, करीब 45 कि उम्र थी उनकी.
उन्हें हँसते हुए कभी नहीं देखा था आरोही ने, हमेशा सीरियस रहते थे, एक बार उनके घर में हुई पार्टी में आरोही अपनी माँ के साथ उनके बंगले पर गयी थी, इतना आलिशान घर उसने सिर्फ फिल्मो में ही देखा था, घर के पीछे कि तरफ स्विमिंग पूल भी था, और लगभग दस कमरे थे पुरे बंगले में, और रहने वाला सिर्फ एक.
आरोही से मिलते हुए भी आदित्य सर के चेहरे पर कोई ख़ुशी नहीं थी, इसलिए पहली नजर में ही आरोही को अपनी माँ का बॉस एक खडूस इंसान लगा था. पर आज वही खडूस इंसान उसका पिता बनने जा रहा है, और वो अपनी माँ के साथ उसी घर में रहेगी जिसे देखकर उसकी आँखे चुंधिया गयी थी.
वो भी नए -२ फेशन करेगी, शौपिंग पर जाया करेगी, अपनी अमीर सहेलियों कि तरह.. और अमीर सहेलियों का ख्याल आते ही उसके दिमाग में सबसे पहले अपनी ख़ास सहेली भव्या का ध्यान आया, वो सबसे पहले ये बाते उसे बताना चाहती थी.
उसने अपनी माँ से कहा : “माँ, मुझे बहुत ख़ुशी है कि आप दूसरी शादी कर रही है, आप उन्हें अभी फ़ोन करके हाँ बोल दो, और तब तक मैं ये बात भव्या को बताकर आती हु.”
इतना कहकर वो बिना अपने कपडे बदले घर से बाहर कि तरफ भाग गयी. भव्या के पापा पुलिस में एक ऊँची पोस्ट पर थे और वो पास कि ही एक सोसाईटी में काफी बड़े फ्लैट में रहते थे. जैसे ही वो सड़क तक पहुंची, सामने से उसे सनी आता हुआ दिखायी दिया, वो उसकी गली में ही रहता था और आते-जाते हमेशा आरोही को गन्दी नजरों से देखकर भद्दी-२ बातें कहकर उसे छेड़ता था.
सनी : “हाय मेरी फुलझड़ी, कहा चली अपनी तोपें लेकर.”
उसका इशारा आरोही के नुकीले निप्पलस कि तरफ था. आरोही वैसे तो उससे कभी बोलती नहीं थी, पर आज उसने उसे मजा चखाने का मन बना लिया : “जहाँ जा रही हु वहाँ पर ना तो ऐसी गंदगी होगी और और ना ही तेरे जैसे कुत्ते.”
हमेशा चुप रहने वाली आरोही के मुंह से ऐसी बाते सुनकर सनी भी हैरान रह गया, वो कुछ बोल पता इससे पहले ही आरोही वहाँ से निकल गयी. भव्या के घर पहुंचकर वो उससे लिपट गयी और एक ही सांस में उसे पूरी बात बता डाली.
भव्या अपनी उम्र के हिसाब से काफी पहले जवान हो चुकी थी, उसकी उम्र 18 साल थी, और अपने नशीले और जवान शरीर का इस्तेमाल कब और कहा करना है, उसे अच्छी तरह से पता था, पर वो थी अब तक कुंवारी भव्या भी उसकी बात सुनकर काफी खुश हुई और फिर वो दोनों सहेलियां मिलकर बातें करने लगी कि क्या – २ होगा आने वाले दिनों में।
आरोही के जाने के बाद वर्षा आईने के सामने जाकर खड़ी हो गयी, उसने अपने पुरे शरीर को निहारा, और फिर ना जाने क्या सोचकर उसने अपनी साडी उतारनी शुरू कर दी, ब्लाउस में फंसे हुए उसके मोटे मुम्मे बाहर निकलने कि गुहार कर रहें थे.
उसने उनकी बात मानते हुए अपने ब्लाउस के हुक भी खोल दिए और उसके बाद अपनी ब्रा को भी उतार फेंका, अपने ही पसीने कि गंध उसके नथुनो में समा गयी, जो उसे हमेशा से बहुत अच्छी लगती थी, इन्फेक्ट उसका पति भी उसकी गंध का दीवाना था.
वर्षा को अभी भी याद है कि उसे चोदते हुए वो उसके दोनों हाथों को ऊपर करके जब झटके मारता था तो अपना मुंह उसकी बगल में डालकर वो जोर से साँसे लेता था, और वो गंध सूंघकर वो और भी ज्यादा उत्तेजना के साथ उसकी चुदाई करता. वो सब बाते याद करते-२ उसकी चूत गीली होने लगी.
उसने अपना पेटीकोट भी उतार दिया, और फिर कच्छी भी, पूरी नंगी हो गयी वो एकदम से पूरी तरह से नंगी होने के बाद वो घूम-घूमकर अपने पुरे शरीर का मुवायना करने लगी और फिर खुद से ही बाते करने लगी : “ओहो …कितनी मोटी हो गयी हु मैं, पेट भी निकल आया है, ब्रैस्ट भी मोटे हो गए है, लटक भी गए है, और पीछे से तो, ओहो इन्हे अब जल्द ही कम करना होगा.”
वो एक ऐसी लड़की कि तरह बिहेव कर रही थी जो शादी से पहले अपना वजन कम करने कि चिंता में डूबी हुई हो, वैसे ये चिंता होना स्वाभाविक ही था वर्षा के लिए, वो पहले ऐसी नहीं थी, शादी से पहले भी और बाद तक भी, जब तक उसका पति जिन्दा था वो हमेशा फिट रहती थी, जिम भी जाती थी.
उसने लगभग दस सालों तक जिम में जाकर एरोबिक और कार्डिओ करके अपने पुरे शरीर को फ़िल्मी हेरोइनो कि तरह लचीला और परफेक्ट बना लिया था, पर पिछले पांच सालो ने उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया, आरोही कि देखभाल और ऑफिस के काम कि वजह से उसे अपने लिए वक़्त ही नहीं मिलता था.
पर अब जबकि उसकी दोबारा शादी होने वाली है, उसने निश्चय कर लिया कि वो जल्द ही इस थुलथुलेपन से छुटकारा पायेगी, जिम जायेगी, डाइटिंग करेगी, पर अपने शरीर को पहले जैसा बनाकर रहेगी. आखिर आदित्य सर भी तो देखे कि वो चीज क्या है.
आदित्य सर का ध्यान आते ही उसके दिल कि धड़कने एक दम से बढ़ने लगी, उसे उनकी गहरी नजरों कि याद आ गयी जो उसने कई बार महसूस कि थी, और जिसे महसूस करके उसका रोम रोम खड़ा हो जाता था. उनके बारे में याद करके अनायास ही उसके हाथ अपनी चूत कि तरफ सरक गए.
वो बेड पर लेट गयी और अपनी आँखे बंद करके अपनी चूत को सहलाने लगी, आज पांच सालो बाद उसने अपनी चूत कि खोज खबर ली थी, इसलिए उसकी चूत भी अपना गिला मुंह खोले अपनी मालकिन का खुले दिल से स्वागत कर रही थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वर्षा ने अपनी चूत के तितली जैसे परों को फैलाया और अपनी एक ऊँगली अंदर खिसका दी और सिसक पड़ी “अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आदित्य उम्म्म्म्म्म्म्म.” लाल चूत के अंदर से रसीला पानी बुरी तरह से बहता हुआ बाहर कि तरफ आ रहा था, जिसे वर्षा अपनी उँगलियों से इकठ्ठा करके अपनी चूत के चेहरे पर मल रही थी.
उसके दिमाग में अपने आप एक काल्पनिक मूवी चलने लगी. वर्षा अपनी ऑफिस कि कुर्सी पर बैठी थी, पूरी नंगी, ऑफिस में कोई भी नहीं था, उसके टेबल का फ़ोन बजा और आदित्य सर ने उसे अंदर बुलाया. वो नंगी उठी, अपना नोट पेड उठाया और उनके केबिन में चली गयी. वो अपनी सीट पर बैठा था, वो भी पूरा नंगा.
वर्षा सामने जाकर खड़ी हो गयी, आदित्य अपनी सीट से उठा और उसके पीछे आकर खड़ा हो गया, और उसे कुछ डेटा नोट करने के लिए कहा. वो टेबल पर झुकी और नोट करने लगी. तभी पीछे से आदित्य ने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया.
उसने अपनी आँखे बंद किये हुए अपनी तीन उँगलियाँ अपनी चूत के अंदर पेल दी. आदित्य बोलता जा रहा था. वर्षा लिखती जा रही थी. और झटके लगते जा रहे थे. वर्षा के मुंह से बस यही निकल रहा था “येस्स सर, अह्ह्हह्ह सर, उम्म्म्म सर, ओके सर।…….”
उसे बंद आँखों के साथ अपनी उँगलियाँ आदित्य के लंड कि तरह फील हो रही थी फिर आदित्य से उसे टेबल पर पीठ के बल लिटा दिया औरअपना लंड उसकी चूत में पेल कर उसे बुरी तरह से झटके देने लगा और वो चीख रही थी, येस्स येस्स बोल रही थी.
और ऐसे ही येस्स सर करते -२ उसकी चूत से कब पानी निकल गया, उसे भी पता नहीं चला झड़ने के बाद आयी खुमारी ने उसके भरे हुए जिस्म को निढाल सा कर दिया और वो एक पतली सी चादर अपने शरीर पर डालकर वहीँ लेट गयी और याद करने लगी अपने और आदित्य के बारे में जब से उसने ऑफिस ज्वाइन किया था.
शुरू के तीन सालो तक तो उसे पता ही नहीं था कि ऑफिस में काम के अलावा भी कोई जिंदगी है, उसका काम सिर्फ लैटर टाइप करना, कोटेशन बनाकर क्लाइंटस को मेल करना, महीने के आखिर में रिपोर्ट्स बनाना, बस यही था. आदित्य सर से उसका सामना कभी कभार ही होता था, वो भी बस उसके विश का जवाब देकर निकल जाते थे.
और लगभग 1 साल पहले आदित्य सर कि पर्सनल सेक्रेटरी जॉब छोड़कर चली गयी, और इतनी जल्दी कोई नयी सेक्रेटरी ना मिल पाने कि वजह से वर्षा को ही टेम्परेरी तौर पर आदित्य सर कि सेक्रेटरी बना दिया गया तब उसने नोट किया कि काम के मामले में वो कितने संजीदा किस्म के इंसान है.
उन्हें अगर कोई याद न कराये तो वो लंच करना भी भूल जाते थे और ये बात वर्षा को सही नहीं लगी, उसने सबसे पहले सही समय पर उन्हें लंच करने कि आदत डाली, आदित्य भी वर्षा के अपनेपन को नरअंदाज नहीं कर पाता था और सही समय पर लंच और अपनी दवाइयां लेने लग गया.
और ऐसे ही काम करते हुए कम्पनी में एक ऐसा दिन आया जब आदित्य ने सभी को ये बताया कि उनकी कंपनी ने पिछले साल के मुकाबले सत्तर प्रतिशत ज्यादा बिज़नेस किया है और साथ ही उन्हें कनाडा के लिए एक बड़ा एक्सपोर्ट आर्डर भी मिला है, जिसकी वजह से उनका बिज़नेस अगले साल तक डेड सौ प्रतिशत ज्यादा बढ़ेगा.
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और तब वर्षा ने ये सुझाव दिया कि ऐसे मौके को सेलेब्रेट करना तो बनता है और तब आदित्य ने अपने आलिशान बंगले में एक पार्टी रखी जहाँ आरोही ने पहली बार आदित्य को देखा था. तब तक वर्षा के लिए आदित्य के मन में एक सॉफ्ट कार्नर तो बन ही चूका था और वो मन ही मन उसे अपना जीवनसाथी बनाने के सपने देखने लगा.
क्योंकि अब वो भी अपनी बोर सी लाइफ से तंग आ चूका था, और पिछले कुछ दिनों से वर्षा कि तरफ से मिल रही केअर कि वजह से आदित्य को पूरा विश्वास हो गया था कि वो उसकी जिंदगी और घर को अच्छी तरह से सम्भाल सकती है.
पर आरोही से मिलने के बाद उसे ये एहसास हुआ कि वर्षा कि टीनेजर लड़की है जो ऐसा कभी नहीं चाहेगी कि उसकी माँ इस उम्र में शादी करे और इसलिए उस वक़्त आरोही से सीधे मुंह बात भी नहीं कि थी आदित्य ने. धीरे-२ वक़्त गुजरने लगा, आदित्य कि आँखों में छुपे प्यार को वर्षा ने भी कई बार महसूस किया था.
पर अपनी औकात और समाज में उसकी जगह उसे भी पता थी, आदित्य का एक वकील दोस्त था, अखिलेश, जिसके साथ वो अपनी सारी बाते शेयर करता था. और ऐसे ही एक दिन जब दोनों दोस्त बैठे हुए जाम छलका रहे थे तो आदित्य ने अपने दिल कि बात उसे बता दी.
अखिलेश : “यार आदित्य, ये तो तूने बहुत अच्छी बात सोची है, तू जल्द से जल्द इस मामले को निपटा डाल.”
आदित्य : “पर यार…. एक प्रॉब्लम है, उसकी एक टीनेजर लड़की है, और मुझे डर है कि कहीं उसके डर से वर्षा मुझसे शादी करने के लिए मना न कर दे, या फिर वो लड़की अपनी माँ को शादी करने कि परमिशन ना दे.”
अखिलेश : “यार, तू भी कैसी दकियानुसी बातों को लेकर बैठा है, तू एक बार वर्षा से बात तो करके देख, अपनी बेटी को मनाना उसका काम है, और मुझे विश्वास है कि अपनी बेटी के सुनहरे भविष्य के लिए वो मान जायेगी और अपनी बेटी को भी मना लेगी.”
और इस तरह से अपने दोस्त कि बात सुनकर आदित्य ने हिम्मत करके अपने दिल कि बात वर्षा को कह दी. वर्षा के लिए ये बात एक शॉक जैसी ही थी, उसने आदित्य कि आँखों में अपने लिए लगाव तो देखा था, पर वो लगाव इतना होगा कि वो उसे अपना जीवनसाथी बनाने के लिए कहेगा, उसने सोचा भी नहीं था.
पर साथ ही आदित्य ने ये भी कहा कि आरोही कि रजामंदी के बिना कोई निर्णय मत लेना, और वैसे भी वर्षा ऐसा करना नहीं चाहती थी. वो एक सही मौके कि तलाश करने लगी, जब वो अपनी बेटी को वो सच्चाई बताये जिसके बाद दोनों कि जिंदगी पूरी तरह से बदल जाने वाली थी. और आज अपनी बेटी का साथ पाकर उसने चैन कि सांस ली थी उसने अपना मोबाइल निकला और वैसे ही नंगी लेटे हुए आदित्य को फ़ोन मिलाया.
आदित्य : “हेल्लो वर्षा, इस वक़्त कैसे फ़ोन किया, सब ठीक तो है न.”
वर्षा कि समझ में नहीं आ रहा था कि वो कैसे बताये. वो मंद मंद मुस्कुराती हुई हूँ हाँ करती रही बस और फिर आखिर में उसने बोल ही दिया : “मैंने आरोही से बात कि थी आज.”
आदित्य : “अच्छा, क्या,,,क्या बोली वो ??”
उसकी धड़कने बड़ गयी.
वर्षा : “वो, वो मान गयी और काफी खुश भी थी वो.”
वर्षा कि बात सुनकर आदित्य ने भी चैन कि सांस ली. उसे अपनी बंद आँखों के पीछे वर्षा अपने घर में दुल्हन के लिबास में नजर आने लगी. उसने जल्द ही शादी कि फॉर्मेलिटी पूरी करने कि बात करते हुए फ़ोन रख दिया, वैसे भी शादी कोर्ट में होनी थी, इसलिए ज्यादा ताम झाम कि जरुरत ही नहीं थी.
उसने अखिलेश को फ़ोन करके सारे बंदोबस्त करने के लिए कहा. जल्द ही शादी का दिन भी आ गया, वर्षा ने तय कर लिया था कि वो अपने इस घर को कभी बेचेगी नहीं, इसलिए उसने अपने एक कज़न को वो घर रहने के लिए दे दिया, क्योंकि वो कहीं किराये पर रह रहा था.
उसने सोचा इस तरह से घर कि देखभाल भी होती रहेगी और उसके कज़न का किराया भी बच जाएगा. शादी कोर्ट में हुई, पर आरोही तो उस दिन भी ऐसे सजी हुई थी जैसे सच में किसी शादी में आयी हो, उसने लहंगा चोली पहना हुआ था, जिसमे उसका सपाट पेट साफ़ दिख रहा था.
वो आज बहुत खुश थी, आज उसकी माँ कि जिंदगी बदलने वाली थी, वो भी अपनी माँ के साथ नए घर में जाने वाली थी. शादी कि रस्मे ख़त्म होने के बाद सभी घर कि तरफ चल दिए, रास्ते से आरोही ने भव्या को फ़ोन कर दिया कि वो जल्दी पहुंचे, शाम को दोनों ने एक साथ सजने-सँवरने का प्रोग्राम बनाया था.
आदित्य ने शाम को अपने आलिशान बंगले में रिसेप्शन पार्टी रखी थी, जिसमे काफी मेहमान आये हुए थे, पुरे घर में चहल पहल थी. और ऊपर काव्य अपने कमरे में बैठ कर भव्या से बाते भी कर रही थी.. दोनों ने फेस पेक लगा रखा था.
भव्या : “यार तेरी तो ऐश हो गयी, इतना सेक्सी रूम है तेरा, सुपर्ब.”
आरोही : ” थेंक्स यार, मुझे तो खुद भी विश्वास नहीं हो रहा है कि ये मेरा रूम है, मेरा अपना पर्सनल रूम.”
और वो रूम सच में शानदार था, एल ई डी, बालकनी, अटैच बाथरूम, कंप्यूटर और साथ ही एक बड़ी सी अलमारी जिसमे आदित्य ने पहले से ही आरोही के लिए हर तरह के कपडे भर दिए थे. वो बहुत खुश थी..
भव्या : “यार, तेरे पापा ने तेरे लिए इतना कुछ किया है, तुझे भी कुछ करना चाहिए उनके लिए.”
आरोही : “मुझे…. क्या ???”
भव्या : “आज उनकी सुहागरात है, तेरी मम्मी के साथ, क्यों न हम दोनों मिलकर उनका रूम डेकोरेट करे.”
आरोही ने तो ये बात सोची भी नहीं थी, और कोई भी ऐसा नहीं था जो ये काम करता, उन्हें ही ये करना होगा. दोनों ने तय किया कि उनके कमरे को गुलाब के फूलो से सजा दिया जाए और इसके लिए भव्या ने अपने भाई हार्दिक को फ़ोन किया.
हार्दिक के बारे में बता दू, वो भव्या से दो साल बड़ा है और कॉलेज जाता है, और मन ही मन वो आरोही पर मरता भी है.. जैसे ही भव्या ने हार्दिक को सारी बात बतायी, वो झट से मान गया, वो आरोही को देखने का एक भी अवसर छोड़ना नहीं चाहता था.
हार्दिक मार्किट से जाकर एक फ्लावर शॉप वाले को ले आया और उसने अपने दो साथियो के साथ आकर पूरा कमरा गुलाब से सजा दिया. हार्दिक कि नजरे रह रहकर आरोही को घूर रही थी, उसकी नाभि उसने आज पहली बार देखि थी, अंदर कि तरफ धंसी हुई, वो मन ही मन उसे चूसने कि सोच ही रहा था कि भव्या बोली : “थेंक्स भाई, तुम्हारी वजह से ये सब आसानी से हो सका.”
भव्या बोली : अब कमी किसी और चीज कि है.”
आरोही : “किस चीज कि.”
भव्या : “सुहागरात कि, आज इतने सालो के बाद इन दोनों को कोई मिलेगा, धमाल होगा आज तो इनके कमरे में.”
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अपनी माँ के बारे में ऐसी बाते सुनकर आरोही शरमा गयी, उसके दिमाग में चलचित्र उभरने लगे, जिसमे उसकी माँ और आदित्य पापा नंगे एक दूसरे के शरीर से लिपटे हुए हैं और प्यार कर रहे हैं. उसकी आँखों में गुलाबीपन उतर आया..
भव्या ने उसे शर्माते हुए देखा और धीरे से उसके कान में बोली : “मुझे पता है तू क्या सोच रही है.”
आरोही ने चोंक कर उसकी आँखों में देखा, और उसकी शरारती नजरों में छुपी बात को वो समझ गयी क्योंकि वो जानती थी कि भव्या इन मामलो में कितनी तेज है, उसने फिर से अपनी नजरें झुका ली..
भव्या धीरे से बोली : “एक आईडिया आया है, अगर तू साथ दे तो मजा आएगा.”
आरोही : “क्या ??”
भव्या : “इन दोनों कि सुहागरात देखते हैं, छुप कर, बोल क्या कहती है.”
आरोही कि आँखे आश्चर्य से फ़ैल गयी, उसने सोचा भी नहीं था कि भव्या ऐसा कुछ कहेगी.
भव्या आगे बोली : “देख, अभी पार्टी से सब लोग चले जायेंगे, कोई रिश्तेदार रुकने वाला नहीं है रात को, पुरे घर में सिर्फ तेरे मम्मी पापा और तू रहेगी, मैं हार्दिक को बोल दूंगी कि मैं रात को यहीं रुकूँगी, और फिर रात को हम दोनों मिलकर दोनों कि लाइव सुहागरात देखेंगे, वॉव, कितना मजा आएगा, हमें भी कुछ सीखने को मिलेगा, है न.”
आरोही चुप चाप उसकी बाते सुनती रही..
भव्या आगे बोली : “और वैसे भी, अपनी माँ कि सुहागरात देखने का मौका मिलता भी किसे है, यु आर लक्की वन.”
आरोही कि हंसी निकल गयी और उसने हँसते हुए अपना सर हिला कर उसे अपनी सहमति दे डाली. वैसे तो उसने इतनी सी देर में काफी कुछ सोच लिया था कि ये सब गलत है, अपनी माँ को ऐसे सेक्स करते हुए देखना गलत होगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
आदित्य सर भी अब उसके पापा है, अपने पापा को नंगा देखना कितना गलत है ये वो अच्छी तरह से जानती थी, पर उसकी उम्र ही ऐसी थी कि ये सब गलत बातो को दरकिनार करते हुए उसने भव्या कि बात मान ली. भव्या ने हार्दिक को वापिस घर भेज दिया और मम्मी को भी फ़ोन करके बता दिया कि आज वो वही रुकेगी.
धीरे-२ सभी मेहमान चले गए. दोनों सहेलिया आदित्य के बेडरूम में छुपने कि जगह देख रही थी. बंगले में सभी बेडरूम फर्स्ट फ्लोर पर थे और सभी बेडरूम कि बड़ी सी बालकनी एक दूसरे से मिली हुई थी, बस बीच में छोटी सी दिवार थी, आदित्य के बेडरूम और आरोही के बेडरूम के बीच एक स्टोर रूम भी था, जिसके पीछे भी एक बालकनी थी.
दोनों सहेलियो ने डिसाईड किया कि आरोही के रूम कि बालकनी से टापते हुए वो उसकी माँ के बेडरूम तक जायेंगे और वहाँ से छुपकर अंदर का नजारा देख्नेगे. बाहर से अंदर देखने के लिए उन्होंने एक कोने का पर्दा थोडा सा खिसका कर ऊपर कर दिया, वैसे भी बालकनी में काफी अँधेरा था, वहा कोई छुपकर बैठ जाए तो दिखायी ही नहीं देगा.
रात का 1 बज रहा था, सभी थक कर अपने-२ कमरे कि तरफ जाने लगे. अपने कमरे के अंदर जाते हुए आरोही ने वर्षा को देखा तो उसने अपना अंगूठा ऊपर करते हुए कहा : “आल द बेस्ट फॉर यूर न्यू लाईफ.” और फिर वो अपने कमरे कि तरफ चली गयी, जहा भव्या बैठी उसका इन्तजार कर रही थी.
और अपने बेडरूम में जाते ही वहाँ कि सजावट देखकर वर्षा और आदित्य आश्चर्यचकित रह गए, वो समझ गए कि ये सब आरोही ने किया है. आदित्य ने दरवाजा बंद कर दिया और वर्षा को अपने पास बुलाया और उसे अपनी बाहों में लपेट कर जोर से हग किया..
वर्षा का दिल धड़क रहा था, आज ये पहला मौका था जब आदित्य उसे अपनी बाहों में ले रहा था.. इसी बीच आरोही और वर्षा बालकनी फांद-२ कर वहाँ तक पहुँच गयी थी, और बाहर छुप कर सारा नजारा देख रही थी. आदित्य ने अपनी बाहे वर्षा के चारों तरफ लपेट दी और झुक कर उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए वर्षा सिसक उठी..
आदित्य के हाथ उसके कुलहो पर फिसल रहे थे, उसने साडी का पल्लू नीचे गिरा दिया, और कमर में फसी हुई साडी खोल कर नीचे गिरा दी. उसके मोटे-२ मुम्मे बड़े ही दिलकश लग रहे थे आदित्य को, उसने अपने हाथों को उसके उरोजों के नीचे रखा और धीरे से बोला : “इन्ही दशहरी आमों ने मुझे तुम्हारा दीवाना बनाया है.”
उसकी बात सुनकर वर्षा शर्माती हुई आदित्य के सीने से लिपट गयी.. आदित्य ने एकदम से वर्षा के चेहरे को पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठों पर रखकर उन्हें बुरी तरह से चूसने लगा.. आदित्य के हाथ वर्षा के शरीर पर फिसल रहे थे, उसके मुम्मो को मसल रहे थे.
उसने वर्षा को चूमते-२ ही उसके ब्लाउस के हुक खोल दिए,और उसकी ब्रा के कप नीचे खिसका कर उसके स्तनों को नंगा कर दिया.. और फिर अपना चेहरा नीचे करते हुए उसने एक-२ करते हुए वर्षा के नन्हे बच्चो को बेतहाशा प्यार किया.
उसके हाथ वर्षा के कूल्हों को मसल रहे थे, उसके पेटीकोट को ऊपर करते-२ उसे कमर तक ले आये, और एक ही झटके से आदित्य ने वर्षा कि पेंटी को दोनों तरफ से खींच कर उसकी चूत और गांड के बीच ऐसे फंसा दिया जैसे कोई पतली सी रस्सी.
अपनी दरारों पर पेंटी का दबाव पड़ते ही वर्षा तड़प उठी और अपने पंजों पर खड़ी होकर सीत्कार उठी.. “अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म.” पर आदित्य से अब सब्र नहीं हो रहा था, इतने सालो तक अपनी पत्नी से अलग रहने के बाद उसने आज तक बाहर मुंह नहीं मारा था, और आज उससे सब्र नहीं हो रहा था..
वर्षा का भी लगभग यही हाल था, उसे आज लगभग पांच साल बाद किसी मर्द ने इस तरह से पकड़ा था. वो अपनी चूत वाले हिस्से को उसके लंड पर रगड़ती जा रही थी, और उसके मुंह से अजीब -२ सी आवाजें भी निकल रही थी.. और ये सब नजारा बाहर छुपी हुई दो जवान लड़कियां अपना मुंह फाड़े देख रही थी..
भव्या तो वर्षा के मुम्मे देखकर बुदबुदा उठी : “वाव, क्या ब्रेस्ट है तेरी माँ कि, उम्म्म्म्म्म्म्म.”
उसका मन कर रहा था कि अंदर जाए और उन्हें चूस डाले. आदित्य ने एक ही झटके में वर्षा का पेटीकोट भी नीचे गिरा दिया, और फिर नीचे बैठते हुए उसकी पेंटी भी नीचे तक उतार दी.. अब वो वर्षा कि चूत के आगे घुटनो के बल बैठा हुआ था, उसकी चकनी चूत को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया और उसने अपना मुंह वहाँ लगा दिया..
वर्षा का पूरा शरीर थरथरा उठा…. उसके पति ने भी आज तक उसकी चूत नहीं चूसी थी, ये पहला मौका था जब उसकी चूत को किसी के होंठों ने छुआ था. उसने अपनी आँखे बंद कर ली और अपना एक पैर उठा कर आदित्य के कंधे के पीछे कर दिया, और अपनी खुली हुई चूत के अंदर आदित्य कि जीभ को पूरी तरह से महसूस करने लगी..
आरोही को ऐसा लगने लगा कि उसकी चूत के अंदर चींटियाँ रेंग रही है, उसने हाथ फेरा तो पाया कि वहाँ से कुछ गीला -२ निकल रहा है. और यही हाल भव्या का भी था, उसने तो अपने पायजामे के अंदर हाथ डालकर अपनी चूत सहलानी भी शुरू कर दी थी..
वर्षा से अब खड़ा नहीं हुआ जा रहा था, वो पीछे कि तरफ होती गयी और पलंग पर जाकर पीठ के बल लेट गयी, गुलाब कि पंखुड़ियों से सजी उस सेज पर एक तूफ़ान सा आ गया जब आदित्य ने वर्षा कि दोनों टांगो को फेला कर अपनी जीभ को किसी लंड कि तरह उसकी चूत के अंदर उतार दिया और बुरी तरह से ऊपर नीचे होकर उसे चोदने लगा..
बालकोनी में छुपी हुई भव्या और आरोही का बुरा हाल था, आरोही तो नीचे बैठी थी, और भव्या उसकी पीठ के पीछे खड़ी थी, भव्या ने ना जाने कब अपने पायजामे को नीचे खिसका कर अपनी चूत को नंगा कर लिया था, इस बात का आरोही को भी अंदाजा नहीं था..
अंदर का माहोल और भी गर्म हो गया जब आदित्य ने उठ कर अपना कोट पेंट उतार फेंका और अपने लंड को निकाल कर वर्षा के सामने लहरा दिया और उस लंड-भसंद को देखकर वर्षा के साथ -२ आरोही और भव्या कि आँखे भी फट गयी.
लगभग आठ इंच का लंड था आदित्य का और तीन इंच मोटा.. वर्षा ने आज तक लंड नहीं चूसा था पर अपनी चूत चुस्वा कर आज उसे इतना मजा आया था कि उसने झट से उसके लंड को पकड़ा और अपने मुंह में लेकर जोरों से चूसने लगी..
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आदित्य के मुंह से एक लम्बी आआअह निकल गयी. थोड़ी देर तक अपना लंड चुस्वाने के बाद आदित्य असली काम पर आ गया, उसने अपने बाकी के बचे खुचे कपडे उतार फेंके और वर्षा को भी पूरा नंगा कर दिया.. और एक ही झटके में उसकी चूत के अंदर अपना लंड पेलकर उसे चोदने लगा..
उसके रसीले और थरथराते हुए चूतड़ अपनी जांघ पर महसूस करते हुए आदित्य कि मस्ती कि कोई सीमा ही नहीं रही. दोनों को नंगा देखकर एक पल के लिए तो आरोही भी शरमा गयी.. अपनी माँ को हालाँकि उसने कई बार नहाते हुए या कपडे बदलते हुए देखा था, पर इस तरह से नहीं, पूरी नंगी होकर वो किस तरह से बिहेव कर रही थी.
और भव्या ने तो सोचा भी नहीं था कि सेक्स करते हुए एक दूसरे के साथ इतने मजे आते हैं, उसने आज तक सिर्फ अपने बी ऍफ़ के साथ शोकिया तौर पर किस्स वगेरह ही कि थी, अपनी ब्रैस्ट और चूत पर तो उसने किसी को हाथ भी नहीं लगाने दिया था.
पर आज इतनी तरह से सेक्स कि कार्यवाही देखकर उसके मन कि भी कई शंकाए मिट सी गयी थी.. आदित्य का लंड अंदर-बाहर होता जा रहा था और अचानक वर्षा को अपने अंदर एक गुबार बनता हुआ महसूस होने लगा और अगले ही पल वो गुबार फूट गया और वो बिलबिलाती हुई सी झड़ने लगी.. “अययययीईईईईईई अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्हह्हह्हह्हह.”
और उसने अपनी चूत के मुहाने पर चिपचिपा सा द्रव्य छोड़ दिया, उसकी चिपचिपाहट को अपने लंड पर महसूस करके आदित्य ने भी आखिरी मौका आते ही अपना लंड बाहर निकाला और पिचकारी बना कर उससे वर्षा के शरीर को पूरा रंग दिया और उसके मुम्मों के गद्दे पर गिरकर गहरी साँसे लेने लगा..
आरोही और भव्या वहाँ से निकल कर अपने कमरे में आ गए.. पर आदित्य को पता था कि अभी तो ये शुरुवात है, इतने सालो से जमा कि हुई एनेर्जी से कम से कम तीन – चार बार चोदना था उसे आज रात वर्षा को… आरोही के कमरे में पहुँचते ही भव्या ने अपना पायजामा और पेंटी उतार फेंकी और अपनी बीच वाली ऊँगली अपनी चूत के अंदर डाल कर जोर-२ से हिलाने लगी.
आरोही आँखे फाड़े उसे देखने लगी, दोनों ने पहले भी कई बार मास्टरबेट किया था और एक दूसरे को बताया भी था कि कैसे और किसे सोचकर वो सब किया, पर एक दूसरे के सामने उन्होंने कभी नहीं किया था, ये पहला मौका था जब आरोही ने भव्या को ऐसे देखा था, नीचे से नंगी… और उसकी सुनहरी चूत को देखकर वो मंत्रमुग्ध सी हो गयी, बिलकुल सफाचट चूत, बिना बालो के उसकी चूत ऐसे लग रही थी मानो चेहरे के होंठ चिपके हो वहाँ, रसीले और मोटे..
वो बोली : “भव्या, कुछ शर्म है या नहीं, मेरे सामने ही शुरू हो गयी तू.”
भव्या अपनी ऊँगली अंदर करते हुए बड़ी मुश्किल से बोली : “यार, मुझसे तो वहाँ सब्र ही नहीं हो रहा था, मास्टरबेट करते हुए मेरे मुंह से चीखे निकलती है वर्ना वहीँ शुरू हो जाती मैं.”
इतना कहते हुए उसने एक जोरदार चीख मारी “’आआयययययययययीईईईईई स्स्स्स्स्स्स्स्स.”
आरोही : “धीरे चीख पागल, तू तो मरवाएगी मुझे, मम्मी पापा ने अगर सुन लिया तो क्या सोचेंगे.”
तभी उनके कमरे से भी मम्मी कि चीख आयी…… “अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह गोड……” और वो भी काफी तेज…
भव्या (मुस्कुराते हुए) : “ये बात जब वो नहीं सोच रहे तो तुझे क्या जरुरत है.”
उसने अपनी स्पीड और तेज कर दी.. आरोही कि चूत के अंदर भी अब खुजली होने लगी थी, पहले तो उसने अपनी माँ को आदित्य सर यानि आदित्य पापा से चुदते हुए देखा, और फिर अपनी सहेली कि निराली चूत देखि और अब फिर से अपनी माँ कि उन्माद में डूबी आवाजें सुनकर उसके अंदर भी कुछ होने लगा था.
उसे लगने लगा कि उसके अलावा आस पास के सभी लोग मजे ले रहे हैं, जब सभी मजे ले रहे हैं तो वो अपने आप को क्यों रोक रही है. इतना सोचते ही उसकी आँखों में गुलाबी डोरे उतर आये, उसके लाल सुर्ख होंठ काम्पने लगे और उसका छोटा सा हाथ लहराकर अपनी चूत कि तरफ चल पड़ा.. वो सोच रही थी कि अभी एक मिनट पहले वो भव्या को भाषण दे रही थी और अब खुद पर काबू नहीं रख पा रही है.
उसकी परेशानी भांप कर मुठ मारती हुई भव्या बोली : “अब क्या सोचने लग गयी, मत रोक अपने आप को, यही टाइम है हमारी जिंदगी का, जी ले इसे, मजे ले, जैसे मैं ले रही हु, तेरी माँ ले रही है”.
इसी के साथ एक और चीख आयी मम्मी के कमरे से.
भव्या : “वैसे एक बात बोलू, तेरे पापा का लंड है शानदार, जैसा बी ऍफ़ मूवीज में होता है, लम्बा और मोटा, मैं तो बस उसी को सोचकर कर रही हु,आजा तू भी कर ले”.
भव्या कि भी हद थी, आरोही के सामने ही उसके नए पापा के लंड के बारे में बात कर रही थी और उसे भी सोचने और करने कि सलाह दे रही थी. कितना गलत कर रही थी वो. पर इसमें गलत ही क्या है.. वो उसके असली पापा थोड़े ही हैं, वो तो उसका सौतेला बाप है, एक ऐसा इंसान जिसका कुछ दिन पहले तक उसकी जिंदगी में नामो निशान नहीं था, एकदम से वो उसका बाप बनकर उसकी जिंदगी में आ गया है..
वैसे भव्या ठीक कह रही है, उसके पापा का लंड है तो कमाल का, लम्बा और मोटा, जैसा हर लड़की सोचती है, दुसरो का तो पता नहीं पर वो जरुर सोचती है.. वो ये सब सोच ही रही थी कि भव्या ने आगे बढ़कर उसका हाथ खींचा और अपनी गोद में बिठा लिया.
वो खुद सोफे पर बैठकर अपनी चूत मसल रही थी.. आरोही भी बिना किसी विरोध के उसके साथ खींचती चली गयी.. एक हाथ से अपनी चूत मसलते हुए भव्या ने दूसरे हाथ को जैसे ही आरोही कि चूत के ऊपर लगाया वो सिसक उठी.
भव्या : “ओह माय गोड, तेरी चूत तो बुरी तरह से गर्म हवा फेंक रही है, चल जल्दी से उतार इसको”..
और उसने अपना हाथ चूत से निकालकर आरोही का खड़ा किया अपने सामने और उसका पायजामा धीरे-२ नीचे खिसका दिया.. उसने पिंक कलर कि पेंटी पहनी हुई थी, जिसके आगे का हिस्सा चिपचिपे पानी से लिसढ़ कर बुरी तरह से गिला हो चूका था, भव्या ने उसकी पेंटी को भी नीचे खिसका दिया.
उसके स्तन भले ही छोटे थे पर गांड का भराव बिलकुल सही हुआ था, चिकने और भरवां चूतड़ देखकर भव्या अपने आप को रोक नहीं पायी और उन्हें मसल-मसलकर मजे लेने लगी. उसकी कुंवारी चूत पर हलके फुल्के बाल थे.
जिन्हे देखकर भव्या बोली : “डार्लिंग, मैंने तुझे एक बार पहले भी समझाया था न कि इसे हमेशा साफ़ रखा कर”..
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उसकी बात का आरोही ने कोई जवाब नहीं दिया, क्योंकि इस वक़्त उसकी चूत में जो आग लगी हुई थी वो उसके बारे में ही सोच रही थी.. भव्या ने अपनी चूत से निकली ऊँगली को उसकी चूत पर फेराया, जिसे महसूस करते ही आरोही अपने पंजो पर खड़ी होकर सुलग उठी और एक हलकी सी चीख उसके मुंह से भी निकल आयी.. “आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म”..
भव्या के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी.. और अगले ही पल बिना किसी वार्निंग के भव्या ने वही ऊँगली उसकी चूत के अंदर घुसेड़ दी. आरोही ने अपनी आँखों को फैलाते हुए, अपने मुंह को गोल करते हुए, एक हुंकार भरी और अपने दोनों हाथों से भव्या के हाथ को थाम लिया और अपने पंजो पर खड़ी होकर गहरी-२ साँसे लेने लगी.
उसने आज तक इतनी अंदर तक अपनी ऊँगली भी नहीं धकेली थी, डर के मारे कि कहीं उसकी सील न टूट जाए, और आज भव्या ने कितनी बेदर्दी से उसकी चूत के अंदर अपनी ऊँगली डाल दी है, कहीं कुछ हो न जाए.. ऐसा सोचते हुए उसने धीरे-२ उसके हाथ को बाहर कि तरफ खींचा, और उसकी ऊँगली को गोर से देखने लगी. भव्या समझ गयी कि उसके मन में क्या चल रहा है.
वो बोली : “अरी पागल, इतनी सी ऊँगली डालने से कुछ नहीं होता, उस झिल्ली को तोड़ने के लिए लंड चाहिए लंड…… समझी”.
आरोही ने धीरे से सर हिलाया और उसकी ऊँगली को फिर से अपनी चूत के मुहाने पर रखकर खुद ही अंदर धकेल दिया, और इस बार जब वो ऊँगली रगड़ खाती हुई अंदर तक गयी तो उसका रोम रोम पुलकित हो उठा, ऐसी फीलिंग उसे आज तक नहीं हुई थी, परम आनंद, जिसे शब्दो में बयां नहीं किया जा सकता. उसकी चूत के अंदर ऊँगली डालने के बाद भव्या ने दूसरे हाथ कि ऊँगली अपने अंदर डाल ली और एक ही लय में दोनों हाथ हिलाने लगी.
भव्या : “ऐसे सिर्फ आँखे बंद करने से कुछ नहीं होगा, तू किसी के बारे में सोच, ऐसे किसी लड़के के बारे में, किसी हीरो के बारे में जिसके लंड को तू इस समय अपने अंदर महसूस करना चाहती है, और मेरी ऊँगली को वही लंड समझकर मजे ले बस”.
बंद आँखों के पीछे आरोही ने काफी कोशिश कि पर ऐसा कोई भी इंसान उसकी सोच में नहीं आया जिसके बारे में सोचकर वो इस पल का मजा ले सके, उसने तो आजतक किसी के बारे में ऐसा नहीं सोचा था और ना ही किसी के लंड कि तरफ कभी देखा था.
पर आज तो उसने अपने आदित्य पापा का लंड देख लिया, पहली बार लंड देखा और वो भी अपने बाप का, और उनके लंड के बारे में सोचते ही आरोही के शरीर में एक अजीब सी ऐठन आने लगी और वो भव्या कि ऊँगली को आदित्य पापा का लंड समझ कर उसके ऊपर लहराने लगी..
और मजे कि बात ये थी कि भव्या भी आदित्य के लंड के बारे में ही सोचते हुए मास्टरबेट कर रही थी. और साथ वाले कमरे में वर्षा आदित्य का लंड सच में लेकर मजे कर रही थी. देखा जाए तो एक ही बन्दा तीन-२ चूतों को एक साथ मजे दे रहा था.
भव्या के तो दोनों हाथ बिजी थे पर आरोही बिलकुल खाली थी, और ऐसी हालत में आते ही अनायास उसका दांया हाथ अपनी ब्रेस्ट कि तरफ चला गया और उसने अपना चीकू बुरी तरह से मसल डाला.. “अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म”…
अपने ही हाथो दर्द पाने का मज़ा अलग ही होता है. और आज अपने अनछुए उरोजों को दबोचकर जो दर्द आरोही फील कर रही थी, उसमे एक अलग ही मजा आ रहा था उसे.. उसकी सिसकारी सुनकर भव्या ने भी अपनी आँखे खोली और उसकी ख़ुशी का कारण जानकार उसने उसका दूसरा हाथ अपनी ब्रेस्ट के ऊपर रख दिया.
और फिर आरोही को समझाने कि जरुरत नहीं पड़ी कि आगे क्या करना है, उसने भव्या का भी भोम्पू बजाना शुरू कर दिया.. भव्या कि ब्रेस्ट उसके मुकाबले काफी बड़ी थी, इन्फेक्ट उसकी मम्मी के जितनी थी, लगभग 34 के आस पास, और उसकी तो अभी 32 भी नहीं हुई थी ढंग से.
उसने मन ही मन सोचा कि काश उसकी ब्रेस्ट भी भव्या के जैसी बड़ी और मुलायम होती क्योंकि लड़को को तो बड़ी-२ ब्रेस्ट ही लुभाती है. भव्या के निप्पल खड़े होकर बुरी तरह से मचल रहे थे और यही हाल आरोही के निप्पलस का भी था, एक तो वो इतने लम्बे थे ऊपर से जो खुजली अभी उनमे हो रही थी उसका तो मन कर रहा था कि उन्हें नोच कर कोई खा जाए बस.
और इतना सोचते ही आरोही ने भव्या के सर के पीछे हाथ रखकर अपनी तरफ खींचा और अपनी छाती पर दे मारा. आरोही का खड़ा हुआ निप्पल किसी शूल कि तरह भव्या के चेहरे पर चुभा क्योंकि रात के समय उसने सिर्फ टी शर्ट पहनी हुई थी.
टी शर्ट के अंदर से निप्पल कि शेप ऐसी थी कि भव्या अपने आप पर कण्ट्रोल नहीं रख पायी और अपना मुंह खोलकर उसकी पुरी ब्रेस्ट को निप्पल समेत अपने मुंह के अंदर धकेल लिया और जोर – २ से सक करने लगी… “आआययययययीईईईईईई उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म एस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स.”
आरोही ने उसका सर और जोर से अपने अंदर घुसा लिया. “कट्टी मारो स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह खा जाओ इसे उम्म्म्म्म्म्म्म्म.” भव्या से भी सब्र नहीं हो रहा था, उसने एकदम से उसकी टी शर्ट को ऊपर किया और उसे उतार फेंका, अब आरोही पूरी नंगी होकर उसकी गोद में बैठी थी और उसके लरजते हुए गीले निप्पल भव्या के अधरों में जाने के लिए मचल रहे थे..
भव्या ने अपनी जीभ होंठों पर फेरकर उन्हें गीला किया और अपना मुंह आगे करते हुए उसकी ब्रेस्ट को फिर से अपने मुंह में लेकर चूसने लगी.. “अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भव्या उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म सक्क्क ईट अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बाईट करो इन्हे.”
भव्या का एक हाथ अपनी चूत और दुसरा हाथ आरोही कि चूत कि सेवा कर रहा था और मुंह से वो उसकी ब्रेस्ट सक कर रही थी, मल्टीटास्किंग बंदी थी भव्या जो इतने काम एक साथ कर रही थी.. वो कभी उसके दांये और कभी बांये स्तन को चूसती, दोनों को चूस चूसकर उसने लाल सुर्ख कर दिया, लाल निशाँ बना दिए उसके गोरे शरीर पर..
आरोही ने भी नाईट शर्ट के बटन खोलकर उसके मुम्मे बाहर निकाल लिए और अब दोनों पूरी तरह से नंगी होकर एक दूसरे के शरीर से खेल रही थी.. इस खेल में इतना मजा आता है, ये उन्हें मालूम होता तो आजतक ना जाने कितनी बार ये मजा ले चुकी होती..
आरोही उसे उठाकर बेड कि तरफ ले गयी, और उसके ऊपर लेट कर उसकी ब्रेस्ट को चूसने लगी. और फिर भव्या ने उसे ऊपर खींचते हुए उसके होंठों पर भी एक रसीली फ्रेंच किस्स कर दी, दोनों ने आज पहली बार एक दूसरे को इस तरह से चूमा था.
दूसरे कमरे से आ रही थपेड़ों कि आवाज और भी तेज हो गयी, आदित्य ने वर्षा को अपनी गोद में ले रखा था और नीचे से धक्के मारकर उसके शरीर के कलपुर्जे हिला रहा था, अब उनसे भी रहा नहीं जा रहा था.. आरोही ने अपनी चूत वाले हिस्से को उसकी चूत के ऊपर लगाया और ऊपर नीचे होते हुए जोर से घिस्से लगाने लगी.
और फिर एक जोरदार गर्जना के साथ दोनों कि चूतों से लावा बह निकला और आरोही हांफती हुई सी भव्या के ऊपर गिर पड़ी.. दूसरे कमरे का तूफ़ान भी अब शांत हो चुका था.. पर शायद कुछ देर के लिये.. उनकी तो आज सुहागरात थी.. पर उसका असर आरोही पर क्या हो रहा है ये शायद ना तो वर्षा ने सोचा था और ना ही आदित्य ने….!
दोनों सहेलिया पूरी रात ढंग से सो नहीं पायी, वर्षा और आदित्य ने आतंक जो मचा रखा था दूसरे कमरे में, ऐसा लगता था जैसे दोनों वियाग्रा कि गोलियां खाकर आये हो, थकने का नाम ही नहीं ले रहे थे दोनों. रात के चार बज रहे थे और दूसरे कमरे से अभी भी वर्षा के बजने कि आवाजें आ रही थी.
भव्या : “यार, एक बात तो माननी पड़ेगी, ये तेरे आदित्य पापा का स्टेमिना है कमाल का, औरतें को तो कोई फर्क नहीं पड़ता, वो चाहे जितनी बार अपनी चूत में लंड ले सकती है, पर एक ही लंड बार-२ तैयार होकर अंदर जाए, ये कमाल कि बात है”.
आरोही : “इसमें कमाल कि क्या बात है”.
भव्या : “यार, तू न अक्ल से बच्ची ही है अभी तक, तुझे नहीं पता कुछ भी, यु नो, आदमी के पेनिस को दोबारा फ़किंग के लिए तैयार होने के लिए कम से कम तीन-चार घंटे का समय लगता है, और वो भी जवान लड़को को, और तेरे पापा को तो देख जरा, उनकी उम्र फोर्टी को क्रॉस कर चुकी है उसके बावजूद उनका जोश तो देख जरा, तेरी मम्मी के तो मजे हो गए, इतने सालो कि प्यास अब दिन रात प्यार करके बुझेंगी आंटी जी,……. हा हा”..
आरोही को उसकी बात का जरा भी बुरा नहीं लगा, चुदाई कि बातें करना तो आम बात थी दोनों के बीच, पर अपनी माँ के बारे में ऐसी बाते सुनकर भी उसे बुरा नहीं लगा, इतनी ट्यूनिंग तो बन ही चुकी थी दोनों के बीच आज कि रात. दूसरे कमरे से थपा थप कि आवाजें लगातार बढ़ती ही चली जा रही थी.
भव्या : “यार, मुझसे तो रहा नहीं जा रहा, चल न, दोबारा से बालकनी में चलते हैं, मुझे उन्हें फिर से देखना है”..
आरोही उसे मना करती, इससे पहले ही वो भागकर बाहर निकल गयी और छोटी सी दिवार फांदकर साथ वाली बालकनी में और फिर दिवार फांदकर मम्मी-पापा कि बालकनी में पहुँच गयी. आरोही के पास भी अब कोई चारा नहीं था, देखना तो वो भी चाहती थी उन्हें दोबारा, पर शायद अपनी इच्छा जाहिर नहीं कर पा रही थी, वो भी दीवारे फांदकर वहाँ पहुँच गयी..
भव्या पहले से ही झुकी हुई अंदर का नजारा देख रही थी.. आरोही ने भी अंदर देखा, उसके पूरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गयी, आदित्य ने उसकी माँ वर्षा को बेड पर लिटाया हुआ था और पीछे से उसकी चूत का बेंड बजा रहा था, वर्षा के मोटे-२ मुम्मे खिड़की कि तरफ थे जिन्हे झूलता हुआ देखकर भव्या और आरोही के मुंह में पानी आ गया.
“ओह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह येस्स येस्स अह्ह्ह्ह ओह्ह्हह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म येस्स्स्स अ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.”
भव्या धीरे से फुसफुसाई : “यार तेरी माँ कि ब्रेस्ट देखकर तो मन कर रहा है कि इन्हे चूस लू बस, और तेरे पापा के पेनिस को तो देख जरा, कितना लम्बा है, काश मैं होती तेरी माँ कि जगह”..
भव्या अपनी बात कर रही थी और आरोही अपने बारे में सोच रही थी, खुद को वो अपनी माँ कि जगह रखकर देख रही थी, अगर वो उसकी माँ कि जगह ऐसी अवस्था में होती तो भले ही उसकी ब्रेस्ट ऐसे न हिल रही होती, छोटी है न इसलिए. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पर पेनिस के अंदर जाने और बाहर आने में जो आवाजें आ रही है, वो जरुर और भी भयंकर होती, अपनी टाईट चूत पर इतना तो भरोसा था उसे.. तभी चीखती चिल्लाती वर्षा कि चूत से आदित्य का लंड निकल आया और पीछे-२ निकला वर्षा का ढेर सारा पेशाब, और वो भी फव्वारे कि शक्ल में…
वर्षा आनंद विभोर होकर चिल्ला पड़ी : “अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उम्म्म्म्म्म्म ओह्ह्ह्ह आदित्य, बोल रही थी न, इतनी देर से, जाने दो मुझे बाथरूम, देखो, क्या गंद फेला दिया है.”
आदित्य के झटके बंद नहीं हुए, वो हँसता हुआ बोला : “यही गंद तो मुझे पसंद है मेरी जान, सुकरटिंग का अलग ही मजा है, चलो डालो अंदर इसे फिर से”..
आदित्य का इशारा अपने लंड कि तरफ था जो फिसल कर बाहर आ गया था, वर्षा ने उसके मचलते हुए लंड को कुछ देर तक अपनी बह रही चूत के होंठों पर मसला और उसे पूरा नहला दिया फिर एक ही झटके में फिर से अंदर धकेल दिया.. भव्या तो ये सीन देखकर बुरी तरह से गर्म हो गयी.
वो बोली : “यार, तेरे पापा को तो सारी तरकीबे आती है, इनसे चुद कर सच में बड़ा मजा आएगा”..
दोनों सहेलियां फिर से अंदर देखने लगी, अपने-२ जहन में खुद को वर्षा कि जगह रखकर चुदते हुए. शायद चौथी बार था उनका, पर फिर भी आदित्य को देखकर लग नहीं रहा था कि वो थके हुए हैं, सटासट धक्के मारकर वो चुदाई कर रहे थे.
अचानक आदित्य ने अपना लंड बाहर खींच लिया, और उठकर वर्षा के चेहरे के पास आ गया, शायद इस बार वो उसके चेहरे पर अपना माल गिराकर संतुष्ट होना चाहता था. एक दो झटके अपने हाथों से मारकर जैसे ही अंदर का माल बाहर आया, आरोही और वर्षा को लगा जैसे दुनिया रुक सी गयी है.
स्लो मोशन में उन्हें आदित्य के लंड का सफ़ेद और मसालेदार दही वर्षा के चेहरे पर गिरता हुआ साफ़ नजर आया.. वर्षा के चेहरे को अपने पानी से धोने के बाद,बाकी के बचे हुए रस को आदित्य ने उसके मुम्मों पर गिरा दिया, और वहीँ बगल में लेटकर पस्त हो गया.
शायद ये उनका आखिरी राउंड था. आरोही ने भव्या को चलने के लिए कहा, पर जैसे ही भव्या उठने लगी, उसके सर से खिड़की का शीशा टकरा गया और एक जोरदार आवाज के साथ वो शीशा टूट गया, दोनों सहेलियों कि फट कर हाथ में आ गयी.
दोनों जल्दी से उछलती हुई वापिस अपने कमरे कि तरफ भागी और दरवाजा बंद करके चुपचाप लेट गयी. आदित्य ने जैसे ही वो आवाज सुनी वो नंगा ही भागता हुआ वह पहुंचा, जाते हुए उसने अपने ड्रावर में से पिस्टल निकाल ली थी.
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वो चिल्लाया : “कौन है, कौन है वहाँ…”
नंगी पड़ी हुई वर्षा ने अपने शरीर पर चादर लपेटी और वो भी डरती हुई सी बाहर कि तरफ आयी, जहाँ आदित्य खिड़की के टूटे हुए शीशे को देख रहा था.
वर्षा : “क्या हुआ, क्या टूटा है यहाँ”…
आदित्य : “खिड़की का शीशा, जरूर कोई यहाँ छुपकर हमें देख रहा था.”
वर्षा के पूरे शरीर में करंट सा लगा, ये सोचते हुए कि उसकी रात भर कि चुदाई को कोई देख रहा था.
वर्षा : “कौन, ऐसे कौन आएगा यहाँ ??”..
आदित्य ने आरोही के रूम कि तरफ देखा तो वर्षा बोली : “तुम क्या कहना चाहते हो, आरोही थी यहाँ, नहीं, ऐसा नहीं हो सकता, वो भला ऐसा क्यों करेगी, उसमे इतनी अक्ल तो है कि वो ऐसा नहीं करेगी”..
आदित्य ने कुछ नहीं कहा, वो समझ चूका था कि आरोही के सिवा और कोई इतनी उचाई पर आ ही नहीं सकता था, नीचे से ऊपर आने के लिए कोई भी साधन नहीं था, सिर्फ बालकनी से टापकर ही वहाँ पहुंचा जा सकता था, पर वो ये सब बाते अभी करके वर्षा को नाराज नहीं करना चाहता था.. इसलिए वो अंदर आ गया और उसके बाद दोनों सो गए. दूसरे कमरे में आरोही और भव्या भी थोड़ी देर में निश्चिन्त होकर सो गए.