Kunvari Bahan Sexy Jism
नमस्ते दोस्तों, मैं रिजवान फिर से आप सभी का खैर मकदम करता हु, आप सबने मेरी कहानी के पिछले एपिसोड “बहन के हुस्न का दीवाना भाई 3“ में पढ़ा होगा, की अब मेरी बाजी भी मेरे प्यार में पड़ने लगी थी, और धीरे धीरे मुझे अपना जिस्म सौपने लगी थी, और साथ ही जन्नत ने भी मुझसे अपने प्यार का इजहार किया था, हम दोनों जन्नत का बर्थडे सेलिब्रेट करने गए थे, अब आगे- Kunvari Bahan Sexy Jism
जन्नत को इस अचानक हमले के शॉक ने काफी देर अपनी चपेट में रखा, पर फिर थोड़ी देर बीतने के बाद उसने मुझे पीछे धकेलने की कोशिश रोकदी। अब जन्नत के हाथ मेरे शोल्डर के दूसरी ओर बेजान से झूल रहे थे। जन्नत किसी और ही दुनिया में खो गई थी और जो हो रहा था शायद उसे गहराई से फील कर रही थी।
मैंने अपने एक हाथ की हथेली जन्नत के गाल पे रखी और अपने अंगूठे को जन्नत के मुलायम गाल पे फेरने लगा। मैं सातवें आसमान पर था, उसके उरोज मेरे सीने से भींचे हुये थे, मैं उसके होंठों को चूस चूस कर सुखा रहा था. अब जन्नत ने भी धीरे धीरे मेरे किस का जवाब देना शुरू कर दिया।
उसने अपने नरम गुलाबी होठों से मेरे होठों को लेकर बहुत ही सहजता से दबाना और फिर बहुत ही आराम से चूसना शुरू कर दिया। जन्मो जन्मों का प्यार था जन्नत की किस में. में भी ऐसे ही जन्नत के होंठ चूमे, चूसे जा रहा था। जन्नत के होंठों को चूमते चूमते अब मैंने उसके होंठों पे अपनी ज़ुबान को भी फेरना शुरू कर दिया.
और जन्नत के होंठों से रगड़ते और अपनी ज़ुबान को स्लिप करते करते मैंने जन्नत के मुंह में भी डालना शुरू कर दिया और फिर अंदर डाल कर बाहर निकाल लेना और फिर वैसे ही आराम से अंदर डाल देना। जन्नत ने अपने दोनों हाथ ऊपर की ओर किए और दोनों हाथों की उंगलियां मेरे सिर के बालों में डाल दी और बहुत प्यार से मेरे बालों में घुमाने लगी।
वह अपनी आँखें बंद किए हुए उस प्यार के दायरे में गुम थी। जन्नत ने अपने मुँह में और होठों पे मेरी जीभ महसूस कर ली थी, वह अब भी वैसे ही मेरे मुंह में अपनी ज़ुबान डालना और निकाल लेना शुरू हो गई। इन क्षणों में एक खुशबू सी मेरे अंदर उतरती जा रही थी। वह मुझे अपने प्यारे प्यारे होठों से चूम रही थी कि मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर से हटाए.
मेरे जिस हाथ में उसका गाल था वो हाथ मेंने उसके शोल्डर पे रखा और उसके गालों पे अपने होंठ रख दिए और उसके गाल चूमने लगा, उसके नरम नरम गालों पे होंठ रखे तो होंठों को अपने गाल के अंदर दबता हुआ महसूस किया। कितनी ही देर अपने होंठों के साथ उसे उसके सुंदर गालों से खेलता रहा.
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उसके गालों से खेलते हुए अब मैंने अपने होंठ उसके माथे और नाक पर रखे और चूमा, फिर मैंने उसकी सुंदर आँखों पे अपने होंठ रखे, मेरे होंठ रखते ही जन्नत की आंखों में हल्की सी अशांति पैदा हुई। मैंने उसकी आँखों को काफी देर चूमा और फिर जन्नत के कानों को चूमते चूमते अपने होंठ जन्नत की गर्दन पे ले गया।
और अपना वह हाथ जिससे जन्नत के बालों को पकड़ रखा था उसे जन्नत के शोल्डर पे रख दिया। मेरे होंठ जैसे ही जन्नत की गर्दन टच हुए जन्नत के मुंह से एक सिसकी निकली और जन्नत के दोनों हाथ जो मेरे सिर पे थे, जन्नत ने अपने हाथों से मेरे सिर को आगे की ओर दबाया, आह जन्नत के शरीर की खुशबू मेरे दिल दिमाग को ताज़ा कर रही थी।
मैं जन्नत की नरम मुलायम गर्दन चूमे जा रहा था और मेरी सांसें भी जन्नत की गर्दन से टकरा रही थी, जिससे जन्नत की सिसकियाँ और आनंद में डूबी आह आह में वृद्धि होती जा रही थी जन्नत के हाथों का दबाव मेरे सिर पे बढ़ता ही जा रहा था।
ऐसा लगने लगा था कि वह अपने आप में नहीं है और वो कहीं बहुत दूर निकल गई है, जन्नत के शरीर की खुशबू से महकता महकता उसकी सुंदर और कोमल गर्दन को चूमे जा रहा था कि धीरे धीरे मेरा राइट हाथ इसके शोल्डर से नीचे की तरफ हो गया। और फिर एक नरम नरम सी चीज से जा टकराया।
उस नरम चीज से टकराते ही मैंने उस नरम और मोटी चीज़ को अपने हाथ में ले लिया। आह यह नरम और मोटी चीज़ जन्नत का राइट वाला मम्मा था। हाँ मेरी बेस्ट फ्रेंड जन्नत का मम्मा। जन्नत का मम्मा शर्ट के ऊपर से पहली बार मैंने तब ध्यान लगा कर देखा था जब जन्नत मुझे बाजार में मिली थी।
जन्नत का मम्मा जितना शर्ट के ऊपर से देखने में शानदार लगा था, उतना ही शानदार अपने हाथ में पकड़ कर लगा। जन्नत का मम्मा काफी मोटा और नरम था उसकी हमउम्र लड़कियों से शायद जन्नत का मम्मा अधिक मोटा था। उसने थोड़ा विरोध दिखाया पर जब मैने उसके स्तनों और निप्पलों को मसला उसने विरोध छोड़ दिया और आनन्द लेने लगी।
मैं जन्नत की गर्दन को वैसे ही चूमे जा रहा था और साथ ही शर्ट के ऊपर से जन्नत का मम्मा भी दबा रहा था। जन्नत अब तक उसी तरह पता नहीं किसी और ही दुनिया मेंखोई हुई थी और शायद वह उसी स्थिति में थी जिस स्थिति में कभी किसी के साथ हुआ करता था।
मैं जन्नत के बूब को आराम से दबाए जा रहा था और अपना अंगूठा भी शर्ट के ऊपर से ही उसके बॉब के निपल पर फेर रहा था कि जन्नत जैसे उस नशे, मस्ती, मज़ा और दीवानगी से भरपूर दुनिया से वापस आ गई। और फिर जन्नत ने दोनों हाथ मेरे शोल्डर्स पे रख मुझे पीछे की ओर किया और कहा: नहीं: और साथ ही मेरा हाथ अपने बूब से पीछे कर दिया।
उत्तेजना में उसका गोरा चेहरा काम भावनाओं की वजह से गुलाबी गुलाबी हो चुका था, बाल बिखरे पड़े थे, जन्नत ने अपनी स्थिति सही की और कार से बाहर निकल गई और सामने सीट पे जा के बैठ गई और मुझे कहा: डेटिंग ख़तम, देर हो गई। जन्नत के चेहरे पे प्यार में जीत की खुशी, पर प्यार में हद से आगे निकल जाने की वजह से डर प्रमुख था।
सारे रास्ते हम दोनों ने आपस में कोई बात नहीं की। बात अब दोस्ती के रिश्ते से बहुत आगे जा चुकी थी। जन्नत जैसी हसीन लड़की के साथ जो पल मैंने बिताए थे, उन पलों की एक बात तो सच थी कि मुझे इन पलों में शरीर की खुशियां मिलीं शरीर को महका देने वाली खुशियां पर मेरे अंदर मौजूद मेरी आत्मा, मेरी आत्मा तो बहुत बेचैन थी, बहुत परेशान थी।
इसी तरह जब मैं अपनी बाजी के साथ करता था तो मेरा शरीर और आत्मा दोनों समर्पित हो जाते थे। न मेरा शरीर तब मुझे कोई शिकायत करता था न मेरी आत्मा। आज शरीर तो खुश हो गया, पर आत्मा, आत्मा तो जैसे तड़प कर रह गई थी. एक पल में और दूसरे पल में क्या हो यह जीवन, किसी को पता है।
मेरी आत्मा के साथ जो हादसा हुआ, इस दुर्घटना से मुझे यह एहसास तीव्रता से होने लगा कि मैंने जन्नत को अपना दिल बहलाने के लिए इस्तेमाल किया है। मैंने आज तक एक ही से प्रेम किया था और वह मेरी बाजी थी। बाजी जब मेरे होठों को चूमती थी तो ऐसे लगता था कि मेरे शरीर से प्राण निकलने वाले है और जब जन्नत ने मेरे होठों को चूमा तो जाने क्यों वह बात नहीं थी जन्नत की किस में।
जन्नत के साथ वो आराम वह नशा न आने के कारण मेरी आत्मा ने मुझे बता दी थी। शरीर से शरीर के मिलन का नाम प्यार नहीं। जब शरीर और आत्मा दोनों का मिलन अपने प्रेमी के शरीर और आत्मा से होता है, तब प्रेम की पूर्ति होती है। ऐसा मिलन मेरा एक ही व्यक्ति के साथ होता था और वह थी मेरी बाजी।
जन्नत का उपयोग तो कर बैठा था पर अब मैं अजीब ही परेशानी में फंस गया था। जन्नत यह समझना शुरू हो गई थी कि मैं उससे प्यार करने लगा हूँ। अब अगर जन्नत को कहता कि मैं उससे प्यार नहीं करता तो वह मुझसे यह पूछती कि फिर मैंने उसके शरीर को किस अधिकार से छुआ है? या फिर उसे ऐसी वैसी लड़की समझता हूँ कि मैंने उसके साथ ये सब कुछ किया?
अगर जन्नत की जगह कोई और लड़की होती तो मैं उसे कह भी देता कि मुझसे गलती हो गई पर जन्नत को यह बात कहने की मुझ में हिम्मत न थी। दिल के करीबी रिश्ते भी अजीब होते हैं, आदमी कभी कभी उनसे सच नहीं कह सकता, वह सच जो वह किसी और के मुंह पे आसानी से कह सकता है। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पहले ही बाजी का प्यार इतना निढाल कर रखा था ऊपर से अब जन्नत के साथ किए गए दुर्व्यवहार ने मुझे जैसे काट रखा था। दिन परेशानी के साथ गुजर रहे थे कि एक दिन में सुबह के समय नीचे गया तो अम्मी किसी से फोन पे काफी हंस हंस के बात कर रही थी।
फिर थोड़ी देर बाद अम्मी ने जब कॉल डिस्कनेक्ट की तो अम्मी खुद ही बताने लगी कि: जन्नत की अम्मी की कॉल आई थी, उसकी बड़ी बेटी निदा की शादी है और वह हम सब को इनवाइट कर रही है शादी पे, कार्ड की भी कह रही थी कि आज भिजवाएँगी पर विशेष कॉल भी की कि जरूर आ ना है। हुमा बाजी की शादी का जन्नत मुझे काफी दिन पहले ही फोन पे बता चुकी थी।
फिर कुछ दिन बाद हुमा बाजी की मेंहदी वाला दिन भी आ गया। मैं तैयार हो के नीचे आया तो मेरा ध्यान बाजी पर ठहर चुका था। मेरे महबूब पे तो आज नजर नहीं ठहर रही थी। वैसे मेरा माझी था ही कुछ अलग ही तरह का। उस जैसा तो इस धरती पे कोई नहीं भेजा गया था ना।
पीले रंग का ड्रेस उनके सफेद रंग पे जॅंच रहा था जैसे पीला रंग बनाया ही मेरे महबूब के लिए गया है। वह जन्नत की हूर जो अपने इस दीवाने को एक नज़र भी नहीं देख रही थी। अबू बोले: आप लोग और मेरी ओर से रफ़ीक साहब से माफी लेना और तबीयत का कह देना।
अबू वैसे भी शादी वग़ैरह मे ज्यादा नहीं जाते थे सिर्फ़ करीबी रिश्तेदारों की शादियों के अलावा. हम लोग जन्नत के घर पहुँचे तो जन्नत जैसे हमारी ही राह देख रही थी। वह अम्मी और बाजी से बहुत प्यार से मिली और फिर मुझसे भी हाय हेलो की और फिर हमें अपने परिवार से मिलवाने ले गयी।
उसके घरवालों का सब मुझे पहले से ही पता था, अम्मी और बाजी पहली बार ही जन्नत की बाजी अबू और बाकी लोगों से भी मिल रही थी। मैं उन सभी से हाय हेलो कर पीछे खड़े अपनी एज के साथी लड़कों से जा के गपशप करना शुरू हो गया। घर काफी बड़ा होने की वजह से उन्होने अपने घर में ही शादी का अरेंजमेंट किया हुआ था।
हल्की आवाज में रीमिक्स इंडियन सॉंग्स लगे हुए थे। जिस तरफ नज़र जाती थी लड़कियां रंग बिरंगे कपड़ों मे तैयार नजर आ रही थीं और सबने एक दूसरे के कानों में मुंह घुसाए हुए थे और बातों में व्यस्त थीं। लड़के कम ही थे, शायद मेंहदी का समारोह होता ही लड़कियों के लिए है इसलिए, या शायद यह लड़की वालों का घर था इसलिए।
दिल में ही आराम न हो तो सब कुछ जैसे खाने को दौड़ता है। जितने लोग भी वहां मौजूद थे सब खुश थे सिवाय मेरे। काफी देर बीतने के बाद जन्नत मेरे पास आई और मुझे कहा कि रिजवान एक मिनट बात सुनो। मैं उसके पास गया तो उसने मुझे अपने पीछे आने को कहा।
फिर वह मुझे अपने घर की एक साइड में ले आई। जन्नत का घर काफी बड़ा था घर के चारों ओर ही वैसा ही ग्रीन एरिया था। वहाँ पहुँच कर मैंने जन्नत से पूछा कि वो मुझे यहाँ क्यों लाई है तो उसने कहा कि सॉरी रिजवान मैं तुम्हें समय नहीं दे सकी आज। मैं बोला कोई बात नहीं मैं समझ सकता हूँ कि तुम बिजी हो।”
“यहाँ इसलिए लाई कि सोचा कुछ देर तसल्ली से बात कर लें.”
ऐसे ही बातें करते करते धीरे धीरे मैं जन्नत की आँखों में खोना शुरू हो गया। मैं तो वह व्यक्ति था जिससे उसके प्यार ने सब कुछ छीन लिया था और मुझे एक चलती फिरती लाश बना दिया था। शायद इसीलिए मैं जन्नत की आँखों में खो सा गया था। हां मैं मानता हूँ कि शायद इस समय अपने प्यार में खोने के कुछ पल अपनी इस चलती फिरती लाश को सकून देना चाहता था।
खोने की देर थी कि पता ही नहीं चला कब मेरे होंठ जन्नत के होंठों से टकराए और हम दोनों ने ही अपनी आँखें बंद कर लीं और फिर होश तब आया जब एक आवाज मेरे कानों से टकराई “रिजवान.” मुझे ऐसे लगा जैसे अब मैं कभी आँखें खोल नहीं पाऊंगा। मैं जहां था वहीं पर जम सा गया।
जन्नत ने मुझे पीछे से धक्का दिया। मैं आधा मृत हालत में पीछे की ओर देखा और वहाँ मेरी बाजी खड़ी थी। बाजी के चेहरे पे गुस्सा था, दुख था, तड़प थी, घाव थे, यह सब मेरी आँखों ने देखने की बहुत कोशिश की परदिखाई कुछ न दिया, क्योंकि मेरी आंखों के सामने अंधेरा सा हो गया था। बाजी ने कहा कि अम्मी बुला रही हैं, घर चलना है।
कुछ समझ नहीं आया कि घर तक कैसे कार लेकर पहुंचा। घर में घुसते ही में अपने रूम में आ गया और बेड पे गिर गया और बेड के फोम में मुंह घुसा दिया। मैं इस समय किन विचारों में किन सोचों में था, इस बात का पता मुझे भी नहीं था। थोड़ी देर भी नहीं गुज़री थी कि मेरे रूम का डोर किसी ने ओपन किया। हालांकि ऐसा तो कभी नहीं हुआ था, अगर किसी को भी आना होता था तो पहले मेरे डोर पर नोक करता था।
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मैंने बहुत हिम्मत करके अपनी आँखें खोली तो सामने वही हूर यानी कि मेरी बाजी पीले ड्रेस में खड़ी थी। लग रहा था कि वह अपने कमरे में नहीं गईं और सीधा मेरे रूम में ही आ गई हैं। बाजी ने रूम के दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया था और मेरी ओर देख रही थीं। मैं हिम्मत करके उठ कर बैठ गया बेड पे।
बाजी का चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था और बाजी इतनी अधिक नाराज थी कि वह गुस्से से कांप रही थीं। मेरी सोच तो पहले से ही मेरा साथ छोड़ चुकी थी मैं खाली आँखों से बाजी की ओर देख रहा था कि दीदी आगे बढ़ी और मेरे मुंह पे एक थप्पड़ दे मारा और साथ ही उसकी प्यारी सुंदर आँखों से आँसू गिरना शुरू हो गए।
बाजी ने एक के बाद एक थप्पड़ मेरे मुंह पे मारने शुरू कर दिए और एक ही शब्द उनके मुंह से निकलना शुरू हो गया “क्यों” क्यों “क्यों”। बाजी के ठप्पाड़ों से जैसे मैं होश की दुनिया में वापस आ गया। मुझ में हिम्मत नहीं हुई कि मैं उनका हाथ पकड़कर उन्हें रोक सकूँ।
इतने में दीदी ने पास ही साइड टेबल पे पड़ी मेरी एक किताब उठा ली और वह मेरे मेरे सर पे मारना शुरू कर दिया और साथ ही कहने लगी “क्यों तुमने ऐसा क्यों रिजवान, मेरे साथ ऐसा क्यों किया तुम ने बताओ मुझे.”
मैं अचानक उठा और अपने एक हाथ से बाजी का हाथ पकड़ लिया और दूसरे हाथ को बाजी के शोल्डर बैक से घुमा के उन का शोल्डर पकड़ लिया और उन्हें ऐसे ही पकड़े हुए अपने बेड पे बैठा दिया और खुद भी उनके साथ बैठ गया। फिर मैंने अपने हाथ को जो बाजी के शोल्डर पे था.
उसे बाजी के सिर पे रखा और उनका सिर अपने सीने से लगा लिया और अपना चेहरा बाजी के सिर पे रख दिया। बाजी वैसे ही रोए जा रही थी। धीरे धीरे मेरी भी आँखों से आंसू निकलना शुरू हो गये। जिस दिन प्यार इंसान के दिल में बसता है शायद उसी दिन से रोना उसके भाग्य में लिख दिया जाता है।
बाजी के आँसुओं ने मेरी शर्ट को भिगो कर रख दिया और मेरे आंसुओं ने बाजी का सिर। उस मैने दिन ये बात जानी कि औरत सब कुछ सहन कर सकती है, औरत अपना सब कुछ कुर्बान कर सकती है, पर जिसे वो प्यार करे उसे किसी और के साथ कभी साझा नहीं कर सकती। इस मामले में पुरुष अलग हो सकता है। औरत सारी दुनिया को आग लगा के रख दे पर अपने प्यार को कभी किसी और के साथ नहीं देख सकती.
ऐसे ही रोते हुए मैंने बाजी को कहा कि बाजी मेरा जन्नत के साथ कोई रिश्ता नहीं है मैं बस आप से प्यार करता हूँ बस आप से। बाजी जैसे मेरी इसी बात का इंतजार कर रही थी उनके रोने में कुछ इज़ाफा हो गया और उन्होंने कहा कि झूठ मत बोलो मैंने अपनी आँखों से तुम्हें उस के साथ घटिया हरकत करते देखा है, मैं कोई बच्ची नहीं हूँ कि तुम्हारी इस बात पे यकीन कर लूंगी, पीछे हो मुझे जाने दो, तुम एक घटिया और धोकेबाज़ हो, घृणा हो गई है आज मुझे तुम से।
ये कहते हुए बाजी ने मुझे पीछे करने की कोशिश की पर मैंने उन्हें उठने नहीं दिया और उन्हें अपने साथ जाकड़ के रखा। मैं अजीब मुसीबत में था। उन्हें अपने प्यार का यकीन दिलाता भी तो कैसे? मेरी वजह से मेरी यह नाजुक सी मुहब्बत, मेरा प्यार, मेरे दिल की राहत रोए जा रही थी। मैंने अपने आप को बहुत कोसा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“बाजी मेरी बात तो सुनो मैं जन्नत से प्यार नहीं करता वह मुझसे प्यार करती है, उस समय जो भी हुआ मुझे समझ नहीं आया, उसने मेरे साथ ज़बरदस्ती की, जो आपने देखा।“ मैंने अंत में झूठ बोल दिया और झूठ बोलकर प्यार का पहला सिद्धांत ही तोड़ दिया, शायद इसलिए कि गुजरते पलों और अपने प्रिय को मैं खोना नहीं चाहता था।
न ही मैं अपनी प्रेमिका को यह कह सकता था कि मैं उस समय कमजोर पड़ रहा था, ये सच बताने के बाद शायद मैं पूरे जीवन के लिए अपने उस प्यार खो देता। एक ऐसे प्रेमी को जो जब मेरे साथ होता था तो जिंदगी सुहानी लगती थी खुशी का एहसास मेरी रगों में दौड़ने लगता था। हां इसलिए ही में ने झूठ बोला, नहीं जिया जाता था मुझसे इस अलगाव में, एक ऐसा एकांत जिसमें वहशत और दर्द के सिवा कुछ नहीं था.
जाने क्यों यह झूठ बोलने के बाद मेरी आँखों से आँसू बहने रुक गए, शायद मेरी सच्ची मुहब्बत में आज झूठ की मिलावट हो चुकी थी। पर मैंने जब अपने अंदर झांका तो उस प्यार को वहीं ऐसे ही मौजूद पाया, प्यार की तीव्रता में तो कोई कमी नहीं आई थी। शायद मैं प्यार की उस ऊँचाई को छू रहा था जहां ऐसे झूठ की कोई जगह नहीं थी।
पर प्यार जब सच्चे दिल से किया जाए तो ऐसे सौ झूठ प्यार में शायद दब के रह जाते हैं। यह बात मन में आते ही जैसे एक विश्वास सा मेरे अंदर फिर से जाग गया, जो झूठ ने कुछ पलों के लिए सुला दिया था। मेरे आँसू फिर से निकलना शुरू हो गए थे। ऐसे ही रोते रोते मैंने अपने जिस हाथ से बाजी हाथ पकड़ रखा था.
उस हाथ से मैंने बाजी के हाथ में पकड़ी बुक ली और साइड पे रख दी और अपना चेहरा बाजी के सिर से हटा दिया और अपने हाथ की एक उंगली से उनका चेहरा अपने सीने से ऊपर की ओर उठाया। अब उनका चेहरा मेरी आँखों के सामने था। उस नाजुक सी हूर ने रो रो के अपनी स्थिति अजीब कर ली थी.
आँखें बंद और आंसू आंखों से ऐसे बहे जा रहे थे जैसे कब से आज ही के दिन के इंतजार में थे कि आज खुल के बहेंगे। मैंने अपने होंठ बाजी के होंठों पे रख दिए और फिर नाजाने कितनी देर हम दोनों प्यार के मारे दीवाने ऐसे ही होंठ पे होंठ रखे ही बस रोते ही रहे। हम दोनों की आत्मा एक दूसरे की बाँहों में खोई हुई घूम रही थीं।
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आंसू तो थे हम दोनों की आँखों में पर एक आराम था, एक सकून था जिसे शब्दों में बयान करना मेरे बस से बाहर है। ऐसे ही बाजी के होंठों पे होंठ रखे मैंने उन्हें बेड पे लिटा लिया। हम दोनों के पैरों बेड से नीचे और बाकी शरीर बेड पे था। अब धीरे धीरे मैंने अपने होठों से बाजी के होंठों पे किस करना शुरू कर दिया और कुछ ही देर बाद वह राहत अमीर, वह पल ले के आई जिसका मुझे कब से इंतजार था।
उन्होंने भी मुझे किस करना शुरू कर दिया। ऐसे ही बाजी को किस करते हुए एक डर सा मेरे अंदर भरा हुआ था और मैंने उनके होंठों से अपने होंठ उठाये और कहा अब मुझे छोड़ कर कभी मत जाना, नहीं जी सकता तुम्हारे बिना, मुझे डर लगता है तुम्हारे बिना जीने में, मैं मर जाऊँगा।
बाजी ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया पर अपनी आँसुओं से लथपथ आँखें खोल के एक बार मेरी तरफ देखा। जाने उनकी उन आँखों में क्या प्रतिक्रिया थी जिसे मैं उस समय नहीं पढ़ सका। उस नाजुक सी कली ने एक बार फिर से अपनी आंखें बंद कर ली और मैंने अपने होंठों को फिर से उनके होठों पे रख दिया।
धीरे धीरे हम दोनों दीवानों की आंखों से आंसू निकलना बंद हो गए, या शायद खुश्क हो गए। हम दोनों की साँसों में पहले से कुछ तेजी आ चुकी थी। बाजी ने मेरे नीचे दबाए हुए अपने हाथ को निकाला और मेरे सिर के एक पे बालों में हाथ की उंगलियां फेरने लगी और दूसरे हाथ को ऊपर करके मेरे सिर के दूसरी तरफ बालों में हाथ की उंगलियां भी फेरने लगी।
जादू और उसका असर और नशा तो महसूस में तब ही करता था जब मैं अपनी बाजी के साथ ऐसे पलों को जीता था। बाजी मेरे होंठों को चूमे जा रही थी उनके नरम गुलाबी होंठ मेरे होंठों से अपनी प्यास बुझा रहे थे। अब बाजी को किस करते करते मैंने अपनी ज़ुबान उनके होठों से गुज़ारते हुए उनके मुंह में डालना शुरू कर दी।
नरम नरम प्यारे से होठों पर अपनी गीली जीभ घुमाते हुए एक अजीब सा ही नशा मुझ पे छा रहा था। अब जब मेरी जीभ अंदर को जाती तो बाजी भी अपनी जीभ से मेरी जीभ को मिलाती। हम दोनों की साँसें अब पहले से भी कुछ तेज हो गई थी। हम दोनों कितनी ही देर ऐसे एक दूसरे के होठों से होंठ और जीभ से जीभ मिलाते रहे कि फिर मैंने अपने होंठों से बाजी के गाल आँखों नाक यानी कि चेहरे के हर हिस्से को चूमा।
ऐसे ही चूमते हुए मैंने अब बाजी की सुंदर नाजुक सी गर्दन पे अपने होंठ जमा दिए। बाजी के शरीर का प्रत्येक भाग एक अलग सा ही जादू करता था मुझ पर जिससे हर हिस्से को छूते और चूमते ही मज़े के समुंदर की गहराई में डूबता और डूबता बस डूबता ही चला जा रहा था।
अब ऐसा लगने लगा था कि इस मस्ती के समुद्र की गहराई की कोई सीमा नहीं है और अगर है तो इस गहराई की हद तक जाने की चाहत मेरे अंदर जाग चुकी थी। ऐसी चाहत बस उसी के साथ पैदा हो सकती है जिससे मनुष्य का शरीर और आत्मा दोनों का रिश्ता हो। बाजी की गर्दन को चूमते हुए साथ मे ज़ुबान भी फेर रहा था।
बाजी के मुँह से हल्की हल्की सिसकियाँ निकल रही थीं जो मेरे कानों से जब टकराती तो मेरी मस्ती और बढ़ जाती। अचानक बाजी ने आगे की ओर बढ़ कर मेरी गर्दन पे अपने होंठ रख दिए और अपने नरम होठों से मेरी गर्दन को चूमने लगी मैंने जो हाथ उनके सर पे पहले से रखा था.
हाथ की उंगलियों से बाजी के बालों को प्यार से पकड़ा और बाजी के सर को अपनी गर्दन से दबाया जिससे बाजी के कोमल होंठ और गुलाबी हुआ चेहरा मेरी गर्दन मेंदबता चला गया। बाजी ने अब अपने होंठों के साथ अपनी गीली जीभ को भी मेरी गर्दन पे फेरना शुरू कर दिया था अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आम्ह्ह्ह ओहह की सिसकी मेरे मुंह से निकली।
थोड़ी देर तक बाजी मेरी गर्दन पर अपनी जीब का जादू चलाती रही. अब मैने बाजी को अपनी बाहों में भींच लिया और फिर अपनी ज़ुबान से बाजी की गर्दन को चाटने लगा बाजी की गर्दन पे भी मेरी जीभ ने एक जादू सा कर दिया था कि बाजी भी ऐसे ही मेरे सिर को अपने दोनों हाथों से अपनी गर्दन पर दबा रही थी, ऐसे लग रहा था कि दोनों की इस समय बस एक जैसी ही इच्छा थी।
मस्ती के दरिया में डूबे हुए मैंने अपना वह हाथ जो बाजी के गाल पे रखा था उसे नीचे लाया और शर्ट के ऊपर से ही बाजी का एक मम्मा पकड़ लिया अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह फिर वही एक अलग सा जादू। आह क्या सॉफ्ट और सॉफ्ट के साथ एक तनाव था बाजी के मम्मे पर। मैं धीरे धीरे उनका मम्मा दबाने लगा।
बाजी के मुंह से निकला: उफ़ उफ़ रिजवान नहीं मत करो ना, छोड़ो उसे, आह रिजवान पीछे करो हाथ अपना। और यही सोचते हुए मजे की हालत में मैं बाजी के मम्मे को और दबाने लगा कि बाजी सिर्फ़ अपने मुंह से मुझे कह रही है, जबकि अपना मम्मा छुड़ाने की उन्होने कोई कोशिस ही नही की।
ही जाने कितनी देर हो गयी मुझे बाजी के बूब को दबाते हुए। बाजी के दिल पर जो चोट आज जन्नत के साथ मुझे देख कर लगी थी, यह उसका ही तो नतीजा था कि बाजी मेरे बेड पे मेरे नीचे और उनके बदन पर मैं आधा झुका हुआ था बाजी के बूब को दबाते दबाते मैं अपने उसी हाथ को नीचे लाया और बाजी की कमीज के अंदर हाथ डालने लगा कि उन्होंने अपने एक हाथ से मेरे हाथ को पकड़ा।
इस बार बाजी का मुझे इशारा था कि इससे आगे नहीं। पर मैं रुका नहीं और अपने हाथ आगे बढ़ाता चला गया। अब मेरा हाथ बाजी के पेट से स्पर्श हो रहा था। ऐसे ही हाथ आगे की ओर ले जाता गया और बाजी ने वैसे ही मेरे हाथ को पकड़े रखा। अब मेरा हाथ बाजी की ब्रा को छू रहा था।
मैंने बाजी की ब्रा को छूते ही अपनी उंगलियां उसकी ब्रा के नीची से ही अंदर से बढ़ाने की कोशिस की जो थोड़ी सी कोशिश से अंदर हो गईं और मैंने अपने हाथ में अपनी हुश्न परी बाजी का मम्मा पकड़ लिया और आराम से दबाने लगा। मेरे हाथों के टच को बाजी सह नही पाई और कहा: आह आह रिजवान नहीं रिजवान अह्ह्ह्ह्ह और अपने चहरे को मेरी गर्दन से हटा दिया और वापस बेड पे अपना सिर रख दिया.
जिस हाथ से उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ा था उस हाथ को उन्होंने अपनी ब्रा के ऊपर रखकर अपनी ब्रा के अंदर मौजूद मेरे हाथ को पकड़ा और आराम से दबाने लगी। बाजी बहुत मदहोश हो चुकी थीं। मैंने काफी देर उनका मम्मा दबाने के बाद अपने हाथ को उनके ब्रा से बाहर निकाला और उनका हाथ पकड़ कर उनकी शर्ट से बाहर निकाल दिया।
अब मैंने अपने होंठ भी उनकी गर्दन से हटा लिए जो मेरा हाथ उनके सिर के नीचे दब गया था उसे भी वहां से निकाला। अब बाजी का एक ही हाथ था जो मेरे सिर के बालों को प्यार से पकड़े हुए था। थोड़ा बाजी के ऊपर और बढ़ा जिससे बाजी का वह हाथ भी मेरे बालों से निकल कर बेड पे गिर गया।
मैंने अपने दोनों हाथों से बाजी की कमीज ऊपर की और अभी उनका गोरा पेट ही नंगा हुआ था कि उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनो हाथों को थामा और अपनी आंखें खोलते हुए बहुत प्यार से मुझे देखते हुए कहा: नहीं रिजवान। मैंने अपने होंठ उनके होंठों पे रखे और एक किस की और कहा बाजी एक बार देखने दो बस और कुछ नहीं करना। बाजी ना में गर्दन हिला रही थी, पर मैंने अपनी कोशिश जारी रखी।
बाजी को शायद महसूस हो गया था कि अब उनके बूब्स देख के ही छोड़ूँगा, इसलिए उनके चेहरे के भाव ही बदलने लगे। वह अब बुरा सा मुंह बनाए मुझे मना कर रही थीं। मैं अंदर से डर गया था कि ये न हो कि बाजी फिर मुझे पीछे को धक्का दें। अभी तक वह मेरे हाथ पकड़े मुझे मना ही किए जा रही थीं। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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मैंने धीरे धीरे करते करते शर्ट काफी ऊपर को कर दी थी। बाजी की हालत अजीब कम होती जा रही थी कि मैंने आगे हो के उनके सुंदर होठों को अपने होठों में ले लिया। बाजी एक तरफ मेरे दोनों हाथों को पकड़े मुझे रोक रही थी दूसरी ओर अब बाजी अपना सिर झटक के अपने होंठ मेरे होंठों से अलग करने की कोशिश कर रही थी।
मेरे हाथों की उंगलियां बाजी की ब्रा को स्पर्श हो रही थीं, मैंने इस बार काफी जोर लगा के अपने हाथों को आगे की ओर किया, अब बाजी की कमीज उनके बूब्स से लगभग हट चुकी थी, इस बात का अंदाज़ा मुझे उनके नग्न बूब्स को और ब्रा को स्पर्श करने से हो रहा था। मैंने पहले दोनों हाथ उनके दोनों बूब्स पे रखे और उनके बूब्स को उनकी ब्रा के ऊपर से ही दबाता रहा।
बाजी के होंठ मेरे होंठों में थे और जैसे ही मैंने बूब्स दबाना शुरू किया उनके मुंह से बेइख्तियार निकला अह्ह्ह्ह्ह आ हहहम और बाजी ने अब अपने होंठ पीछे हटाने की कोशिश भी छोड़ दी। और मेरे होठों को आराम से चूमने लगी। उन्होंने मेरे हाथो को वैसे ही पकड़े रखा।
मैंने काफी देर उनके बूब्स दबाये और फिर मैंने दोनों हाथों से उनका ब्रा आराम से नीचे से पकड़ा और उनकी ऊपर उठी शर्ट के अंदर कर दिया और बाजी के दोनों नंगे बूब्स पकड़ लिए “आह आह रिजवान” बाजी अपने बूब्स पे मेरे हाथ लगते साथ ही जैसे तड़प उठी।
मैंने अपने होंठ बाजी के होंठों से उठा दिए क्योंकि अब मुझसे और सबर नहीं हो रहा था, मैं अपनी जान के नग्न चुचों का दीदार करना चाहता था। ज्यों ही में पीछे की ओर हुआ और मेरी नजरें बाजी के नग्न चुचों से टकराई, मेरा मन उनकी खूबसूरती को देखता ही रह गया।
मुझे यकीन नहीं आ रहा था कि मेरी जान, मेरे सपनों की रानी, मेरी रानी, मेरी बाजी के मम्मे कभी नग्न भी देख सकूंगा। क्यों विश्वास करता मुश्किल भी तो बहुत था ना। क्यों बहुत मुश्किल मंज़िलें तय कर यहां तक पहुंचा था। जैसे उस समय मेरी आँखें एक पल मे बंद हो जाती थी और एक पल में खुल जाती थीं.
जब बाजी को सोते हुए देखता था, मेरी आँखें खुली हुई थीं पर इस तरह की स्थिति में ऐसा होता है कि जिस चीज़ को इंसान ने इतनी मुश्किल से पाया हो वह जब आँखों के सामने आए तो देखने वाले को तो उसकी की आँखें खुली नजर आएंगी, पर उस आदमी की आँखों का हाल कुछ अजब ही होगा।
बाजी के नग्न और मोटे मम्मे मेरे हाथों में थे, बाजी की पीली सलवार के ऊपर उनका गोरा गोरा पेट, वहाँ ऊपर आते आते उनके सफेद गोल, तने हुए नंगे मम्मे जिनको थोड़ा सा बाजी की कमीज ने कवर किया हुआ था। बाजी की पीली शर्ट के साथ उनके गोरे मम्मे और उनके गोरे मम्मों पे गुलाबी निप्पल।
क्या कमाल का नज़ारा था, दिल चाह रहा था कि जीवन इसी नज़ारे में ही बीत जाए। मैं धीरे धीरे बाजी के चुचे दबाने लगा और उनके गुलाबी निपल्स पे अपना अंगूठा फेरने लगा। मेरी हालत ख़राब से ख़राब होती जा रही थी. बाजी ने देख लिया कि अब मैं उनके बूब्स को देख देख दबा रहा हूँ और उनके बूब्स से खेल रहा हूं.
तो उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली और उनके मुंह से सिसकारी और तरह तरह की अजीब आवाजें निकलने लगी आह हाह आ हम। मेरा इतना प्यार से निपल्स और चुचों सेखेलना बाजी को शायद बहुत अच्छा लग रहा था। ऐसे ही खेलते खेलते और देखते देखते पता नहीं मुझ दीवाने को क्या हुआ कि मैंने अपने ही जैसी इस दीवानी का मोटा, गोल, तना हुआ मम्मा अपने मुँह में डाल लिया.
जितना भी मम्मा मेरे मुंह में आ सकता था मैंने उतना मम्मा अपने मुँह में डाल लिया और उस प्यारे से, भावनाओं के समुंदर में हलचल पैदा करने वाले मम्मे पे अपनी ज़ुबान फेरना शुरू कर दिया। मम्मा मेरे मुँह में था और अपने मुँह में ही लिए मैं उसके निपल पर अपनी ज़ुबान फेरे जा रहा था।
पहले मैंने बाजी के निप्पल के अलावा जो मम्मा मेरे मुँह में था उसके ऊपर ज़ुबान फेरी, फिर मैंने उनके निपल्स पे ज़ुबान फेरना शुरू कर दिया दूसरी और जैसे ही मैंने बाजी का मम्मा अपने मुँह में लिया था तो उनके मुंह से बेइख्तियार निकला: रिजवान हाय रिजवान आह आह रिजवान……
बाजी की सिसकियों ने तो जैसे भावनाओं के सागर में एक सुनामी सा ला दिया। मैं पागल दीवानों का सरदार बन गया। मैंने मम्मे को अब होंठो से चूसना शुरू कर दिया। मैं मम्मे को चूस कर जब अपने मुंह से बाहर निकालता तो पलभर को उनके बूब को देखता, जो मेरे मुंह के अंदर जाने से गीला हो के चमकने लगा था।
बाजी का निप्पल मेरे मुंह को इतना भा गया कि पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मेरी नाक उनके निपल्स से टकराई और मैंने अपनी नाक के साथ उनके निपल्स से खेलना शुरू कर दिया। अजीब ही समां था और अजीब खेल चल रहा था हम दो दीवानों, पतंगों के बीच।
इस तानाशाह को भी पीला ड्रेस आज ही पहनना था, पीले कलर की वजह से ही तो उसके सुंदर मम्मे आज क़यामत से बढ़ के कुछ सितम कर रहे थे। अब कुछ देर बाद फिर से उनके बूब को मुंह में ले के चूसना शुरू कर दिया. बाजी की आवाजों में कुछ कमी पैदा नहीं हुई थी।
अब मामला उनकी सहनशक्ति से शायद बाहर हो चुका था उन्होंने अचानक वह किया जो मुझे मजे की उन ऊंचाइयों पर ले गया, जिनका आज तक मैंने सोचा भी नहीं था। उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे कंधों से उठा दिए और मेरे सिर के ऊपर रख दिए और मेरे सिर को अपने मम्मे की ओर दबाया। मेरा चेहरा तो जैसे उनके मम्मे में दबता ही चला गया।
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उनके मोटे मम्मे का जो हिस्सा मेरे मुंह से बाहर था वह मेरी नाक और आंखों से टकराने लगा। “आह उफ़ आह आह रिजवान” अचानक बाजी के पैर मेरे शरीर से टकराएँ, जिससे मुझे अंदाज़ा हुआ कि उन्होंने अपने पैर बेड के उपर कर लिए हैं। फिर बाजी का शरीर जोर से कांपना शुरू हो गया “मम मम आह हम हाँ” फिर कुछ गहरे सांस लेने के बाद बाजी एकदम शांत हो गई।
बाजी ने मेरे हाथ और बाकी मेरा शरीर जो लगभग उनके ऊपर था उसे पीछे किया और अपनी आँखों पे एक हाथ रख लिया। मैं समझ नहीं सका कि यह अचानक उन्हें हुआ क्या है। मैं फिर से आगे हो के बाजी के चुचे पकड़ने लगा तो उन्होंने मुझे पीछे की ओर धकेला और उठ के बेड पे बैठ गई और अपनी शर्ट नीचे कर ली।
उनका ब्रा अभी भी यादृच्छिक सा उनकी शर्ट के ऊपर से दिख रहा था। वह बेड से उठीं तो मैंने उन्हें रोकने की कोशिश की पर वह नहीं रुकी और अपने यादृच्छिक से ड्रेस और स्थिति के साथ ही मेरे कमरे से बाहर निकल गईं। आज कुछ समय के लिए ही सही, पर प्यार की जीत हुई थी।
प्यार ने कुछ समय के लिए ही सही, पर अपना लाल झंडा इस अन्यायपूर्ण समाज की धरती पे गाढ दिया था। मैं अभी भी प्यासा था, पर फिर भी बहुत खुश था। ड्रेस चेंज करते समय जब मैंने अपनी जेब सेल निकाला तो उस पे बाजी की काफी मिस कॉल और मेसजज़ थे और कॉल और मेसजज़ का जो समय था वह तब का था जब मैं जन्नत के घर एक साइड में उसके साथ था।
बाजी ने मुझे घर वापस चलने के लिए कॉल और मेसजज़ किए थे और मेरा सेल साईलनट पे होने की वजह से रिप्लाई नहीं कर सका। फिर वह किसी तरह से मुझ तक पहुँच गई और फिर जो हुआ, उसने आत्मा और शरीर दोनों को इस स्थान पे ला खड़ा किया जहां पे चारों ओर नज़र दौड़ाने पे प्यार ही प्यार नज़र आ रहा था और कुछ नहीं.
बाजी लौटकर आ चुकी थीं और उनके प्यार ने एक बार फिर से मुझे जीवित कर दिया था। पर डर भी तो साथ ही था न मेरे कहीं फिर से मेरी जान कहीं मुझसे मुंह न मोड़ ले। इस पूछे हुए सवाल का जवाब भी तो उसने ऐसे दिया था कि जिसे मैं समझ ही नहीं सका था।
सुबह जब मैं उठा तो कितनी ही देर अपने बेड के उस हिस्से पे ही हाथ फेरता रहा जहाँ मेरी सपनों की रानी के साथ मैंने प्यार भरे पल बिताए थे। फिर जाने मुझे क्या हुआ और मैंने बेड के उस हिस्से को किस करना शुरू कर दिया और फिर कितनी ही देर किस करता रहा, इसका अंदाजा मुझे नहीं।
जब मुझे होश आया तो समय देखा तो काफी लेट हो चुका था। मैं उठा, तैयार हुआ और नीचे आ गया, अपने धड़कते हुए दिल के साथ कि आज जाने वह मेरे साथ क्या सलूक करेगी, जाने क्या सितम करेगी अपनी चुप्पी के माध्यम से मेरे साथ। नीचे आकर देखा तो अबू तो ऑफिस जा चुके थे। और अम्मी और बाजी आपस में बातचीत कर रही थीं। अम्मी ने मुझे देखा तो पूछा बेटा आज लेट नीचे आए हो?
“अम्मी रात काफी देर तक पढ़ाई करता रहा तो लेट सोया” अम्मी यह सुनकर बहुत खुश हुई और मेरे सर पे हाथ फिराते हुए किचन की तरफ़ चली गईं मेरे लिए नाश्ता बनाने के लिए।
मैंने जब बाजी को देखा तो उनके चेहरे पे कुछ अजीब सी शर्म और एक हल्की सी मुस्कान थी। आज मेरे प्यार में ये पल मुझे पहली बार नसीब हुए थे, कि मेरी जान मुझे देख यूं शरमाई और मुस्कुराई थी। अब जैसे वह मेरे हाथों में हाथ दिये प्यार के साथ दुनिया में जीना चाहती थी, उनके दायरे में जहाँ दुनिया की बनाई हुई सीमाओं की चिंता आदमी से बहुत दूर हो जाती है।
मैंने बाजी को सलाम किया, जिसका उन्होंने जवाब दिया पर सिर और अपनी दृष्टि को झुकाए रखा। कितने आराम और राहत से भरपूर पल थे यह। मेरा दिल किया कि बाजी को अपनी बाँहों में भर लूँ। नाश्ता करते समय भी मेरी नजरें बाजी के चेहरे पे ही जमी हुई थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वह भी थोड़ी थोड़ी देर बाद मेरी तरफ देख रही थी और जब मुझे अपनी ओर ही देखता हुआ पाती तो शरमा कर घबरा कर अपनी नज़रें नीचे कर लेती। आज बाजी की आँखों में वह प्यार था मेरे लिए, जिसे उनकी आँखों में देखने के लिए मुझे जाने कब से इंतजार था।
अभी मैं नाश्ता कर ही रहा था कि घर के नंबर पे कॉल आई और अम्मी ने कॉल अटेंड की। अम्मी की बातों से मुझे अंदाजा हो गया कि जन्नत की अम्मी की कॉल है। अम्मी उन्हें आज न आने का कह रही थी। फिर कुछ देर बाद अम्मी ने फोन रख दिया और मुझे कहने लगी कि: आज मेरी भी तबियत कुछ ठीक नहीं और राबिया भी नहीं जाना चाहती, इसलिए मैंने उन्हें कह दिया कि आज हम नहीं आएंगे।
मैं कहा ओ के अम्मी जैसे आप चाहते हैं। में नाश्ता फिनिश करके अपने रूम में आ गया। रूम में आकर मैंने अपना सेल साइड टेबल से उठाया तो उस पे जन्नत की मिस कॉल थीं। टाइमिंग देखी तो रात और अब से कुछ देर पहले की भी मिस कॉल थीं। मैंने जन्नत को कॉलबैक की तो कॉल अटेंड होने पे दूसरी ओर से जन्नत की घबराई हुई आवाज़ आई: रिजवान तुम ठीक तो हो ना?
“हाँ हूँ मैं ठीक हूँ” मैने जवाब दिया.
“रात से कॉल कर रही हूँ यार, मेरी जान निकली हुई है, बंदा रिप्लाई ही कर देता है, तुम्हें पता भी था कि मैं परेशान होउंगी।”
“सॉरी मेरा सेल ही साईलनट पे था.”
“राबिया बाजी कुछ कहा तो नहीं? या कोई प्रोब्लम तो नहीं बनी? सोच सोच के पागल हो रही हूँ कि मैं उन्हें अब फेस कैसे करूंगी?” जन्नत एक ही सांस में कितने सवाल कर गई।
(मैंने मन में सोचा, मैं जितना तुम्हारा शुक्रिया अदा करूँ उतना ही कम है, तुम न होती तो मैं बाजी के प्यार को कभी प्राप्त ही नहीं कर सकता था, यह तुम ही तो थी जिसके प्यार की चोटों ने इस पत्थर दिल को पिघला दिया.)
मैं कहा: यार कुछ नहीं होता, उन्होने किसी को भी यह बात नहीं बताई, सब सामान्य है, तुम परेशान न हो।
“थैंक्स गॉड, पर मुझे अभी अम्मी ने बताया कि तुम लोग आज नहीं आओगे, ऐसा क्यों?” जन्नत ने पूछा.
“अम्मी की तबीयत कुछ ठीक नहीं है इसलिए नहीं आ रहे, तुम परेशान न हो, बाकी सब ठीक है” मैने जन्नत को तसल्ली दी.
जन्नत ने यह सुन एक गहरी साँस ली और कहा: “ओके ठीक है, बट आई एम मिसिंग यू सो मच इतनी घबराई हुई हूं और चाहती हूँ कि तुम मेरे पास हो।”
“कुछ दिन बाद कॉलेज भी प्रारंभ हो रहे हैं, तब रोज ही मिलना होगा” मैने जबाव दिया.
“रिजवान ये दिन बहुत मुश्किल से गुज़रेंगे”। जन्नत ने उदास होते हुए कहा.
अब रिजवान उस मासूम परी को अपने स्वार्थ का कैसे बताता कि जिस रिजवान को वह पागलों की तरह चाहती है, वह रिजवान तो एक बहुत स्वार्थी इंसान है, जिसने अपने आराम के लिए हमेशा अपनी सबसे अच्छी दोस्त का इस्तेमाल किया।
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ऐसे ही थोड़ी देर बातचीत के बाद हमने कॉल डिस्कनेक्ट की और मैं यह सोचने लगा कि कैसे जन्नत को कहूँ कि मैंने उससे कभी प्यार किया ही नहीं। अब मैं जन्नत को और धोखा नहीं देना चाहता था। रात 11। 30 बजे, मैं अपने बेड पे लेटा अपनी पोजिशन बार बार चेंज कर रहा था। समय था कि बीतने का नाम ही नहीं ले रहा था। दिल की धड़कन भी शायद यादृच्छिक सी हुई पड़ी थी। बार बार समय चेक करता कितनी विवश्ता थी। जीवन के हसीन पल जैसे समय के मोहताज हो के रह गए थे।
फिर जैसे ही 12 बजे मैं अपने रूम से निकला और बाजी के रूम की ओर चल पड़ा और जाकर बाजी के डोर को नोक किया। कुछ ही देर में बाजी ने डोर ओपन किया और एक साइड में हो गई और मुझे अंदर आने का रास्ता दिया। मेंने अंदर प्रवेश किया तो उन्होंने डोर बंद कर दिया। ऐसा उन्होंने पहली बार किया था। अब जैसे हम दोनों प्यार के रास्ते पे एक दूसरे का हाथ थामे, एक दूसरे से कदम से कदम मिला के चल रहे थे, मैं बहुत खुश था, बहुत खुश। चेयर पे जा के बैठ गया और बाजी अपने बेड पे। कहानी अभी बाकि है दोस्तों, आगे की कहानी अगले एपिसोड्स में…
Swati says
Amazing story.. plz spend more time with sis.. and marriage with baji in the end .. and continue the story. Neeed more more more chepter
King says
Tumhari instgram id ya kuch do jisse m tumhe contact kr sku jaha bat kr sku
Sanju says
Kya tum ladki ho
raj says
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Swati says
When will be next part coming or its closed now