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धनेश एक 50 साल का हट्टा कट्टा आदमी है। उसका कद कोई 5’7″ लम्बाई होगी। दिखने में आकर्षक दिखता है और अच्छे सलीके से रहता है। उसके दांत में दो दिन से दर्द हो रहा था और आज वह डेंटिस्ट से मिलने आया है। उसने अंदर कदम रखा और एक 20 – 21 साल की उम्र की एक लड़की को एक छोटी सी टेबल पीछे बैठा पाया। लड़की उसे देख कर उठी और उससे काम पूछी, धनेश अपनी दर्द के बारे में बताया। Sugar Daddy Porn
“डॉक्टर साब तो अभी आए नहीं 15 मिनिट में आजाएंगे आप बैठिये” उसने वहां पड़े कुछ कुर्सियों की ओर दिखाती बोली। धनेश उसके सामने की एक कुर्सी पर बैठ गया।
लड़की ने उसे परखा की वह वह एक सिल्क की जुब्बा पहने था और जीन्स में था। उसके दायां हाथ में एक सोने की ब्रेसलेट और बाया कलाई के दो उँगलियों में सोने की वजनी अंगूठियां है। उसके खुले गले से गले में का सोने की चैन भी दिख रहीथी। बहुत अमीर होगा लड़की सोची और उसके नाम और उम्र पूछ रजिस्टर में लिखी।
और उसके लिये एक मेडिकल कार्ड बनायीं। धनेश भी उस लड़की को परखा, उसकी उम्र कोई 20 -22 की होगा धनेश सोचा। लड़की दुबली पतली और, सावंली है। नयन नक्श अच्छे है। वह सलवार और कमीज पहनी थी और उसके उपर सलेटी रंग की कोट पहनी।
शायद डाक्टर ने दिया हो। लड़की अपना काम करती इधर उधर घूम फिर रही थी तो धनेश ने देखा की उसके नितम्ब छोटे छोटे है लेकिन मांसल है। उसके नितम्ब लुभावनी अंदाज़ मे आगे पीछे हो रहे थे। उसके चूचियां भी छोटे छोटे है। बस एक हाथ में पूरे आ जाएंगे।
बैठे बैठे बोर होता धनेश ने पुछा “नाम क्या है बेटी तुम्हारा?”
रजिस्टर में कुछ लिखते लड़की ने सर उठाया और उसे देख कर बोली “जी… महक”।
कुछ देर खामोशी रही और फिर पुछा “क्षमा करना बेटी बोर हो रहा हूँ इसीलिए पूछ रहा हूँ.. यहाँ कब से काम कर रही हो?”
“परवाह नहीं अंकल; तीन साल से कर रही हूँ” लड़की हँसते बोली।
उसकी हसी बहुत मोहक है’ सोचा धनेश। और धनेश के पैंट के अंदर सुर सूरी होने लगी।
“क्या सैलरी मिलती है?” धनेश ने फिर पुछा।
वह एक क्षण हीच किचाई और बोली “जी, बारह हज़ार रूपये”।
“कितने बजे तक काम करती हो?” धनेश अपना बोरियत दूर करने की नियत से पूछा।
“सुबह ग्यारह बजे से दोपहर दो तक और शाम छह से दस तक…” लड़की ने उत्तर दिया।
“कहाँ तक पढ़ी हो..?”
“इंटर पास हूँ…” लड़की को भी टाइम पास होता रहा था तो जवाब देने लगी।
यहाँ थोडा सा धनेश के बारे में जानते है। जैसे की ऊपर दिया गया है वह 55 का आदमी है। और एक रियल एस्टेट बिज़नेस करता है। वह पहले एक सरकारी कारखाने में काम करता था। और साइड में एक रियल एस्टेट बिज़नेस के सामान्य सा एजेंट बन गया।
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वह एजेंसी ऐसी थी की उस समय वह प्लॉट्स सेल करती थी वह भी किस्तों में। प्लाट का सेल फाइनल होते ही वह एजेंट को कमीशन देती थी, साथ ही साथ हर बीस प्लाट बेचने पर एक प्लाट फ्री में देती थी। धनेश क्यों की फैक्ट्री में काम करता था और प्लाट किस्तों में मिल रहा है ज्यादा तर वहां काम करने वाले खरीद लेते थे।
धनेश को अच्छा कमाई होती थी और प्लॉट्स मुफ्त में मिल जाते थे। उसका कमाई इतनी थी की वह नौकरी छोड़ कर इसे ही अपना धंधा बना लिया। इस धंधे में उसने अच्छी कमाई की और अपने दोनों बेटों को अच्छा पढ़ाया और अब वह दोनो; एक कनाडा में है तो दूसरा लन्दन में है। दोनों की शादी हो गयी और घर भी बस गए।
धनेश स्वयं विदुर है। उसकी पत्नी पांच साल पहले गुजर चुकी है। हाथ में ढेर सारा पैसा जिस से वह मनमौजी बन गया। बढ़िया खाना बढ़िया पीने के साथ साथ उसे बढ़िया औरतों का भी शौक लग गयी। सुन्दर और जवान औरतों को देख कर उसके लार टपकते थे।
अब डेंटिस्ट के पास इस लड़की महक को देख कर भी उसके यही हाल हुआ। वह कुछ और बात बढ़ाने की सोचा इतने में डॉक्टर आगया तो लड़की सजग हो गयी। फिर धनेश को अंदर भेजी। डॉक्टर ने उसका मुआइना किया और उसे कहा की उसके दांत में सुराख़ पड़गई और अंदर कीड़े भी हो सकते है।
डॉक्टर ने उसे कुछ दवई लिखी और चार दिन तक हर रोज आने को कहा। और उस सुराख़ को भरने की बात कही। दुसरे दिन धनेश 10 बजे चला गया। महक उसे देखकर विश करी और बैठने को बोली। “आप जल्दी आगये अंकल डॉक्टर तो 11 या 11.15 बजे आते है।” महक बोली।
“हाँ मालूम है, आखिर घर में भी बैठना ही है, सोचा यही बैठ लेते है” फिर दोनों के बीच चुप्पी रही।
“आप क्या काम करते है अंकल?” महक ने उसके उँगलियों में अंगूठियां देखती पूछी।
“कुछ नहीं, बस मौज मस्ती करता हूँ…”
“मतलब।…?”
“रियल एस्टेट में बहुत कमाया, सारा पैसा fd में लगाया है, हर तीन महीने में उसका ब्याज आती है और एक अपर्टमेंट है जिस से किराया आ जाता है, बस इसी से काम चलता है” वह बोला।
लड़की में उत्सुकता जागी पूछी “वैसे महीने में कितना income है अंकल?”
“हर महीना एक लाख किराया आता है, और हर तीन महीने में एक बार उतना ही पैसा ब्याज आता है।”
महक आश्चर्य चकित रह जाती है, फिर अपने आप को संभालती है और पूछती है “आपके पत्नी, बच्चे…”
“दो लड़के है, एक कनाडा में है तो दूसरा लन्दन में है। दोनों की शादी हो गयी है और पत्नी पांच साल पहले कैंसर से भगवान को प्यारी हो गयी है” उदास स्वर में बोला। सब मुझे ही पूछोगी, अपना भी तो कुछ बताओ” वह लड़की देखते पुछा।
“हमारा क्या है अंकल, एक निम्न मध्य वर्गीय (lower middle class) फॅमिली है। घर में मैं सबसे बड़ी हूँ और मेरे बाद एक बहेन है 18 साल इंटर में है और एक भाई 14 साल आठवीं में पढ़ रहा है। अम्मी और अब्बू।”
“तुम्हारे अब्बू क्या करते है?” पुछा।
लड़की ने जवाब नहीं दिया, खामोश रह गयी। धनेश ने जवाब के लिए जोर नहीं दिया।
इतने में डॉक्टर साहिबा आगयी और बात वही रुक गयी। डॉक्टर ने उसके इलाज किया और दवा लिख कर चार दिन और आने को कही। इन चार दिनों में धनेश और महक की घनिस्टता बढ गई। लड़की महक ने भी उसमे रूचि लेने लगी। इस बीच धनेश ने मालूम किया की लड़की का बाप बेवड़ा है, नौकरी चले गयी, अब कुछ करता नहीं है। घर का खर्च तो लडकी की कमाई और घर में अम्मी कुछ सिलाई करके कमाती है, उसी से चलता है।
एक दिन वह उस से बोला “आज मेरा आना आखरी दिन है, वैसे तुम्हारे से बात करना बहुत अच्छा लगा। मैं तुम्हे मिस करूंगा” बोला.
“मैं भी अंकल, आपसे अच्छा टाइम पास हो जाता था।
धनेश ऐसे ही किसी मौके का इंतज़ार था बोला “तुम्हे कोई प्रॉब्लम नहीं तो मैं रोज आकर बैठा करूँगा”
“मुझे क्या प्रॉब्लम हो सकती है, मुझे तो ख़ुशी होगी लेकिन आपका समय बेकार जायेगा।
“घर में भी बेकार ही बैठा रहूँगा, वहां के बदले यहाँ बैठूंगा, तो समय गुजर जायेगा” धनेश लड़की की ओर देखता बोला।
आपकी मर्जी अंकल मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है… पर डॉक्टर आने से पहले। .” वह रुक गयी।
“वैसे ही होगा” धनेश कहा और चला गया।
उसके बाद धनेश हर रोज 9.30 बजे आजाता था और 11.00 निकल जाता था। हर रोज लड़की के लिए कभी फल तो कभी चॉकलेट तो कभी नाश्ता ले आता था। और महक न न कहने पर भी उसे जबरदस्ती देता था। लड़की भी ना ना करती शर्माती ले लेती थी।
एक दिन उसने पुछा तुम संडे को क्या करती हो? उस दिन तो छुट्टी होती है न..?”
“कुछ नहीं अंकल घर में ही रहती हूँ, कभी कभी किसी सहेली के पास चली जाती हूँ।”
धनेश ऐसी बातों में अनुभवी खिलाड़ी है तो उसने आठ दस दिन वहां जाना रोक दिया। धनेश को न आते देख कर लड़की तड़पने लगी और बेचैन होने लगी। आखिर उस से रहा नहीं गया रजिस्टर निकाल कर उसका फ़ोन नोट करि और उसे फ़ोन करि।
“हेलो कौन…?” अपने फ़ोन बजने पर धनेश ने पुछा।
“अंकल मैं हूँ, महक; डेंटिस्ट के यहाँ से…”
“ओह महक क्या बात है? डॉक्टर ने बुलाया है क्या…?”
“नहीं अंकल मैंने ही फ़ोन किया, वह क्या है की आप इतने दिन नहीं अये तो सोचा आपकी तबियत कैसी है” बस।
“ताबियत तो ठीक है, बस एक डील आगया..बहुत बड़ा है… इसी लिए… “वैसे तबियत ठीक न होती तो क्या करती?” धनेश ने हँसते पुछा।
“क्या करती कमसे कम तबियत पूछने तो आ जाती” महक ने भी हँसते जवाब दिया।
“तुम मेरे यहाँ तो कभी भी आ सकती हो”.
“वाह ऐसे थोड़े ही आ जाते, दावत दो तो आती हूँ…”
“दावत का क्या चाहे तो आज ही देता हूँ …?”
“ओह.. कब आ रहे है…?” महक फिर से पूछी।
“दो दिन बाद..” उसने बोला और फ़ोन रख दिया।
वह समझ गया की लड़की फँसी है… बस थोड़ा सा और कसना है। दो दिन बाद वह महक के लिए एक महंगा सलवार सूट ख़रीदा और उसे भेंट की “यह तुम्हारे लिए…मेरा डील सक्सेस हुआ है…”
“यह क्या है..?”
“देखो तो…”
उसने पॉकेट खोली तो सलवार सूट पाया और बोली “वाह कितना अच्छा है, बहुत महंगा होगा…” बोली, कुछ रुक कर फिर बोली “नहीं, नहीं इसे मैं नहीं ले सकती.. अगर अम्मी पूछे तो क्या जवाब दूँगी…” वह उसे वापस करती बोली।
“अरे कुछ तो बोलो पर मेरा दिल मत थोड़ो… तुम्हरे लिए बहुत चाहत से लाया हूँ,”
“लेकिन अंकल…”
“कह देना की तुम्हारे यहाँ के फ्लैट में किस्तों में कपडे बेचने वाला आता है, उन्हीसे तुम यह खरीदी है”.
“अम्मी यह कैसी है?” महक ने धनेश की दिए हुई सलवार सूट अम्मी को दिखाकर पूछी।
अम्मी उसे देखकर बोली “बहुत अच्छी है बेटी.. महँगी लगती है.. कहां से लाई?”
जो बात कहने को धनेश ने उसे कहा वह वही कही और बोली ज्यादा महँगी नहीं है अम्मी… मैंने रोजा के लिए खरीदी है…” रोजा उसकी छोटी बहन है..
क्या दीदी ओह तुम मेरी लिए खरीदी है.. कितना अच्छा है.. थैंक यू दीदी..” और उसने दीदी के गालों को चूमि।
“लेकिन तुम अपने लिए ले लेती…” अम्मी बोली।
“नहीं अम्मी, रोजा कॉलेज जाती है.. इसे अच्छे कपड़े होने चाहिए.. उसके पूरे कपडे पुराने होगये है…” वह बोली।
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फिर महक और धनेश नजदीकी और और बढ़ते गयी यहाँ तक की धनेश अब उसके बदन पर हाथ फेरने लगा, गाल को चिकोटी काटने लगा। पहले तो महक को कुछ अजीब लगता था लेकिन अब उसे यह सब अच्छा लगने लगा। आखिर वह भी तो जवान लड़की है। उसके दिल में भी जवानी के उमंग उभरने लगे। अब धनेश महक को कहीं न कहीं घूमने ले जाने लगा।
कभी पार्क तो कभी मॉल तो कभी सिनेमा… महक भी हर संडे को अपने सहेली के यहाँ जाने की कह कर धनेश के साथ घूमने चली जाती थी। मौका देख कर धनेश कभी उसके बदन पर हाथ फेरता तो महक की शरीर में करंट दौड़ती थी। उसे ऐसा लगता की इसमें मदहोशी छा गयी गयी हो, और उसके जांघो के बीच वहां से कुछ रिस रही हो। उस दिन भी रविवार था।
धनेश ने महक को फ़ोन किया और कहा “सुनो तुमने एक बार कहा था की दावत दो तो हमारे घर आओगी.. बोला था न…”
“हाँ तो…” महक पूछी!
“आज तुम्हे दावत दे रहा हूँ तुम आज के दिन मेरे यहाँ बिताओगी” मुझे यहाँ मिलो और उसने उसे एक अच्छा होटल का नाम बताया।
सुबह के गयारह बजे महक ने तैयार होकर, धनेश का दिया हुआ सलवार सूट बहन से पूछ कर पहनी और सहेली के साथ पिक्चर देखने जाने को कह शाम तक आने को कह चली गयी। जब वह ऑटो में वहां पहुंची तो धनेश वहां था और उसने ही ऑटो का भाड़ा चुकाया और उसे लेकर अंदर चला गया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वहां दोनो ने अच्छ खाना खाया। ऐसा खाना तो महक ने ख्वाब में भी नहीं सोचो थी। इतना स्वादिष्ट था। फिर वह उसे लेकर अपने घर आया। उसके घर देख कर महक आश्चर्य में रह गयी। लोग ऐसे घरों में भी रहते क्या? वह सोची। कहाँ उसका दो छोटे छोटे कमरों का एस्बेस्टस की छत का घर कहाँ यह घर। उसके दीवार ही 11 फ़ीट ऊँचे थे। इतने बड़े बड़े कमरे देख कर वह चकित रह गयी।
जब वह सोफे पर बैठी तो उसे लगा की वह उसने धँस रही है। धनेश उसे कोल्ड ड्रिंक पिलाया.. और इधर उधर की बातें करने लगा। धनेश कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था। महक को तो यह सब सपना लग रहा था। कुछ देर बाद धनेश ने महक को एक कमरा दिखा कर कहा “तुम इसमें आराम करो.. मैं मेरे कमरे में हूँ” कह कर उसे वहां छोड़ के गया।
महक धड़कते दिल से कमरे में पहुंची। इतना बड़ा कमरा.. और इतना बड़ा खटिया, उसके उपर मखमली बिस्तर। जब वह उस पर लेटी तो उसे लगा की वह एक फीट अंदर घस गयी। इतना बड़े कमरे में वह अकेली कुछ अजीब लगा और कुछ डर भी। वह उठकर धनेश की कमरे की ओर निकल पड़ी। कमरे में धनेश लुंगी बनियन पहन कर पलंग पर लेटा था।
“अंकल” उसने बुलाया।
धनेश ने सर घुमकर महक को देखा और उठकर बैठा और पूछा “क्या बात है महक आराम नहीं करि?”
“नहीं अंकल, इतने बड़े कमरे में कुछ अजीब सा लगा, कुछ डर भी लगा था…”
“अरे डर किस बात का..आओ इधर लेटो” अपने बिस्तर पर थप थपाया। महक धीरे से आकर वहां लेट गयी और सीधा लेट कर कुछ सोच रही थी। दोनों खमोशी से अगल बगल लेटे थे।
“क्या सोच रही हो?” धनेश उसके ओर पलट कर पुछा।
“कुछ नहीं…”
“ऐसे तुम कितना सुन्दर लग रही हो” धनेश उसके मुहं पर झुकता पुछा।
उसने देखा की महक की होंठों मे हलका सा कम्पन है। उसने अपने गर्म होंठ महक के मुलायम होंठों पर लगा दिया। महक ने कोई प्रतिरोध नहीं किया। महक ने कुछ देर खामोश रही और फिर वह धनेश की सहयोग करने लगी। धनेश की चुम्बन का जवाब वह भी उसके होठों को चुभलाते दी। महक का ऐसा सहयोग पाते ही धनेश मदहोश होगया। वह जमकर उसकी होंठों को चूमते एक हाथ उसके छोटे चूचि पर रखा और जोर से दबाया।
“अहहहहहहह” महक दर्द से कराह उठी। उसके चुम्बन से उसके सास भी फूलने लगा। महक जोर से धनेश से छुडाली और बोली “उफ्फ्फ..अंकल इतना जोरसे..ओह.. मेरी तो जान ही निकल गयी” वह गहरी साँस लेकर बोली।
“ओह! सॉरी.. तुम्हारा सहयोग पाते ही मैं जोश में…”
“तुम्हारी जोश ठीक है, मेरी तो जान निकल गयी…” वह धीरेसे बोली।
धनेश ने उसे उल्टा पलटा कर उसके कुर्ते का हुक खोलने लगा। महक ने ख़ामोशी से अपने कुर्ते की हुक्स खुलवायी। सारे हुक खुलते ही उसने स्वयं अपनी कुर्ता सर के ऊपर से निकाली साथ ही अंदर का स्लिप भी। अब वह ऊपर सिर्फ एक ब्रा में थी तो नीचे सलवार। धनेश उसे सफाई से पीछे सुलाया और उसके ब्रा को उसके चूचियों से ऊपर किया। हमेशा ढक के रहने के कारण उसके चूची सफ़ेद दिख रही थी। छोटे छोटे, मोसम्बि के जैसा और उसके निपल भी छोटा जैसे मूंग फली की दाने की तरह।
“वाह। क्या मस्त चूची है…” उस पर हाथ फेरता बोला।
“झूट अंकल, सबतो कहते है की मेरे छोटे है… उतना सुन्दर नहीं दीखते…”
“वह तो अपनी अपनी नजरिया है…मेरे लिए तो यह मस्त है..आओ तुम्हे दिखाता हूँ” उसने कहा और महक को पलंग पर से उतार कर आदम कद शीशे के सामने लाया.. उसे उसके छबि उसमे दिखाता बोला.. ” देखो कितना सुन्दर लग रही हो”
महक अपने आप को शीशे में देख कर सोची “मैं साँवली हूँ तो क्या कितना सुन्दर हूँ, काश मेरी चूची कुछ और बड़े होते..”
धनेश उसके पीछे ठहर कर अपना तना मस्तान उसके चूतड़ों पर रगड़ रहा था। महक ने सलवार के बावजूद उसके लंड की गर्माहट महसूस किया। धनेश ने उसके दोनो नन्गी चूचियो पर हाथ फेरा और फिर उसकी नन्ही घुंडियों को उँगलियों से मसला। “सससस…ममम..” महक मुहं से एक मीठी कराह निकली।
धनेश ने अपने हाथ ऊपर से नीचे तक उसके बदन पर फेरते उसके नाभि के पास आया और छोटि सि नाभि के छेद में अपने ऊँगली डाल कर घुमाया.. “मममम…” एक सीत्कार और निकली महक मुहं से। हाथों को और नीचे लेकर उसने महक के सलवार के नाडा खींचा.. ‘ससररर’ उसका सलवार उसके पैरों के पास। महक ख़ामोशी से यह सब करवाते मजा ले रही थी। उसके बदन में आग लगी है।
“आह अंकल कुछ करो…” वह कुन मुनाई।
“क्या करूँ…?” वह उसकी आँखों में देखता पुछा।
महक शर्म से लाल होती बोली “जैसे के आपको मालूम नहीं…?”
धनेश ने कमर की ओरसे उसके पैंटी में हाथ डाला और उसके उभरे चूत को सहलाया। साफ़ सफाचट चूत पाकर वह खुश हुआ और पुछा.. “वह कितना सॉफ्ट है तेरी यह मुनिया.. लगता है…आज ही साफ करि हो..”
“हाँ.. आप के लिए ही मैं आज साफ करि हूँ…” वह इठलाती बोली।
उसका उत्तर सुनकर धनेश अचम्भे में रह गया और पुछा “मेरे लिए…तुम्हे मालूम था की मैं ..” वह रुक गया।
महक ने चित्ताकर्षक ढंग से मुस्कुरायी और पलंग की ओर बढ़ते बोली… “हाँ… मुझे पहले से मालूम था की तुम क्यों मेरी दोस्ती कर रहे हो..”
उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं था.. उसने आश्चर्य से पुछा.. “कैसे…”
तब तक महक बेड पर चित लेट गयी लेटने से पहले उसने अपना पैंटी उतार फेंकी और अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर एक हाथ अपनी बुर पर रख बोली “जब तुम्हारा इलाज होने के बाद भी तुम मेरे से बात करने की बहाने आने लगे तब ही मुझे मालूम था की तुम्हारा मकसद क्या है…” अपने बुर पर हाथ चलाते बोली!
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धनेश उसे आश्चर्य चकित होकर देख रहा था।
“हाँ.. फिर भी… आखिर मैं क्या करती। मैं इक्कीस की होगयी हूँ, मेरा बेवड़ा बाप तो मेरी शादी नहीं करेगा। बॉय फ्रेंड की तलाश नहीं कर सकती। वैसे मुझ जैसे सामान्य लड़की को कौन अपना गर्ल फ्रेंड बनाएगा? मेरी नौकरी ही ऐसी है। सुबह दस बजे से रात दस बजे तक। दोपहर दो तीन घंटे रेस्ट मिलती है.. लेकिन मैं घर ना जाकर वही क्लिनिक में रेस्ट करती हूँ.. अब समय कहा है बाहर घूमने फिरने की”।
“आखिर मैं भी जवान लड़की हूँ, मेरी उसमें भी आग लगती है… मेरी उस आग बुझाने के लिए मैं कहाँ जा सकती हूँ…” महक रुकी और फिर से बोली, “ठीक उसी समय तुम मेरे से फ्रेंडशिप करने की इच्छा व्यक्त किया तो सोचा तुम जैसे उम्र दधनेश से मैं सेफ रहूँगी” तो मैंने भी तुम्हे बढ़ावा दिया।”
“तो तुम तय्यार होके आयी हो…?” धनेश उसकी गाल को चिकोटी काटते पूछ. महक ने शर्म से लाल होकार अपने सर झुकाली।
“महक.. जब तुम शरमा रही हो तो बहुत सुन्दर लग रहि हो…” यह बात वह वास्तव में हि कहि। वह सब मॉडर्न लड़िकियों जैसा नहीं थी लेकिन उसका शर्माना धनेश को बहुत भाई। वह लड़की की कमर के पास बैठ कर लड़की को अपनी बुर पर हाथ चलाते देख रहा है।
उसके ऐसे देखने से महक और लाल हो गयी और शरमाते ही पूछी “ऐसे क्या देख रहे हो अंकल…?”
जवाब देने की स्थान पर धनेश महक के जांघो के बीच अपने, मुहं लगाया और महक की उभरी चूत को अपने मुहं में लिया।
“ओह अंकल यह क्या कर रहे हो…?” धनेश के बालों को पकड़ कर पूछी।
“क्या कर रह हूँ.. इतनी अच्छी बुर का स्वाद ले रहा हूँ..” और उसके उभरे फांकों पर अपने जीभ फेरने लगा।
“आआह्ह्ह.. अंकल.. इस्सस… अच्छा लग रहा है.. उफ़ यह क्या हो रहा है मुझे…” महक धनेश की सर को अपनी चूत पर दबाती बोली। धनेश अपना काम में बिजी रहा। उसने अपनी अंगूठियों से स्नेह के फैंको को चौड़ा कर अंदर की लालिमा को देखता नीचे से ऊपर तक अपना जीभ चलाने लगा।
महक को मानो ऐसा लग रहा है जैसे वह स्वर्ग में हो। अनजाने में ही वह अपने कमर ऊपर उठाकर धनेश की चाटने का मज़ा ले रही है। कुछ ही पल धनेश उसके बुर को चाटा होगा की अब उसके बुर में से मदन रस टपकने लगे। यह देख धनेश और गर्म होगया और जोश मे आकर उसके रिसते चूत के अंदर तक अपना जीभ पेलने लगा। महक को ऐसा लग रहा था की उसके सारे शरीर में हज़ारों चींटे रेंग रहे हो।
“ओह अम्मी….आ… यह क्या हो रहा है मुझे.. मै कहीं उडी जा रही हूँ… अंकल.. उफ्फ्फ…” महक अपना चूतड़ ऊपर उठाते बोली।
“आअह्ह्ह्ह .. अंकल.. मममम.. मुझे मालूम नहीं था कि इस खेल में इतना मज़ा है… ससससससस…. मममम करो अंकल.. चाटो मेरी चूत को और चाटो.. ममम.. मुझे कुछ हो रहा है … अंकल मुझे पिशाब लगी है…” छोड़ो मुझे बातरूम जाना है…” वह धनेश को अपने ऊपर से ढकेल ने की कोशिश की।
धनेश और जोर से उसके बुर को अपने मुहं में लेते उसके छोटे छोटे कूल्हों को दबाने लगा और कहा.. “चलो.. मूतो.. मेरे मुहं में मूतो..” कहते महक की क्लीट (clit) को अपने मुहं में लिए और धीरे से उसे दबाया…”
“आअह्ह्ह्ह… अंकल… हो गयी.. में मूत रही हूँ.. अब रोके नहीं जाता.. निकली ….ससस… निकली..” कहते खलास हो गयी। उसके अनचुदी चूत ने पहली बार बगैर चुदे ही अपने चरम सीमा पर पहुंची और महक निढाल होगयी। पूरा आधे घंटे के बाद….
“कैसा लगा मेरी जान…?” धनेश महक को अपने आगोश में लकर उसके गलों को और आँखों को चूमता पुछा।
“कुछ पूछो मत अंकल.. सच मैं तो स्वर्ग में थी… काश यही स्वर्ग है.. वैसे अंकल मुझे पिशाब जैसा लगा वह क्या है.. वह तो पिशाब नहीं था न…”
“नहीं.. महक.. तुम सच में ही बहुत भोली भाली हो.. आज कल के ????, ???? वर्ष की लड़कियां चूद जाते है… और उस रस के बारे में जानते है.. उसे मदन रस कहते है.. या climax पर पहुंचना.. जब लड़की को सेक्स में परम सुख मिलती है तब वह क्लाइमेक्स पर पहुँचती है.. जिसे ओर्गास्म (orgasm) भी कहते है…
कुछ देर दोनों के बीच ख़ामोशी रही। फिर धनेश ने पुछा “महक अब असली काम शुरू करें?”
महक ने लज्जा से लाल होती अपना सर झकाली और धीरे से अपने सर ‘हाँ’ में हिलायी। धनेश ने अपना लुंगी खींच डाला। अंदर उसके मुस्सल तन कर आक्रमण करने के लिए तैयार है। उसे देखते ही महक की प्राण ऊपर के ऊपर और नीचे के नीचे रह गए। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“बापरे… इतना लम्बा और मोटा…” वह चकित हो गयी और बोली.. “अंकल यह तो बहुत बडा है.. मेरी छोटी सी इसमे कैसे जाएगी..?”
“तुमने इस से पहले किसी का देखि हो…?” धनेश उसकी छोटी सी चूची को टीपते पुछा।
“नहीं अंकल.. किसीके नहीं देखि … हाँ मेरा छोटा भाई का देखि हूँ.. वह 14 साल का है लेकिन उसका तो मेरे ऊँगली की उतना भी नहीं है।”
“फिर तुम्हे कैसा मालूम है की मेरा बडा है…” अबकी बार उसने महक की छोटी सी निप्पल तो अपने उँगलियों से मसलते पुछा…
“मेरी एक सहेली है पुष्पा, मेरी ही उम्र की है। वह भी मेरे जैसे ही एक डॉक्टर के पास काम करती है। उस डॉक्टर का क्लिनिक मेरे डॉक्टर के क्लिनिक के सामने है। पुष्पा की शादी दो साल पहले हो चुकी है, वह मेरी पककी सहेली है.. उसीने बताया है कि उसका पति का कितना है। वह कह रहि थी की उसका पति का कोई छः इंच का है और पतला भी, वह कहती है की कभी कभी उसे उतना मज़ा नहीं अति है.. उस कुछ और चाहिए होती है।”
“अच्छा…और क्या कहती है तुम्हारि सहेली….” अब धनेश का एक हाथ उसके मस्तियों को टीप रहा है तो दूसरा उसके जांघों के बीच बुर से खिलवाड़ कर रही है।
“बहुत कुछ नही अंकल बस यही की काश उसका पति का और थोड़ा लम्बा और मोटा होता तो शायद उसे मज़ा आ जाता…”
तब तक महक ने धनेश के खेल का मजा लेते उसके लंड को अपने मुट्ठी में जकड़ी और बोली..” आह अंकल यह कितना अच्छा है.. जी चाह रहा है की चूमूँ..”
“तो चूमों न मेरी बुल बुल रोक कौन रहा है.. आवो मेरे जाँघों में…” और अपनी जांघे फैला दी!
महक उसके जाँघों के बीच आयी और झुक कर अपना मुहं अंकल के लंड के पास ले आयी तो उसके नथुनं को एक अजीब सा गंध आया। वह बोलने को तो बोली लेकिन वास्तव में चूमना था तो कुछ हीच किचाई। फिर भी हलके से उस हलबी सुपाडे को नाजूक होंठों से चूमि और फिर जीभ की नोक से टच करी।
“मममम.. महक.. इस्सस.. ” धनेश सीत्कार करा और उसके सर की अपने जांघों में दबाया।
धनेश का सिसकारी सुनते ही महक में जोश आयी और पूरा सुपाड़ा अपने मुहं में ली। उसे चुभलाते उस पर अपनी जीभ चला रही थी। यहि कहते है न जब सेक्स की बात हो तो प्रकृति (natre) सब सिखा देती है। महक का भी यही हाल था। उसे कोई अनुभव नहीं थी फिर भी एक अनुभवी लड़की की तरह वह धनेश के लवडे को चाट रही थी, चूम रही थी और चूस रही थी।
“मममम.. वैसे ही मेरी बुल बुल.. हहआ.. म… क्या मज़ा दे रही हो.. वैसे ही करो… मेरी जान… और वैसे ही .. पूरा लेलो अपने मुहं में…” कहते धनेश जोर लगा कर अपना पूरा लवड़ा उस अनचुदी लड़की के मुहं में घुसेड़ेने लगा। एक दो बार तो लंड महक की गले में अटक गयी थी।
“आआअह्ह्ह्हह…. अंकल… धीरे से.. मुझे दुःख रहा है.. इतना जोर से मत धकेलो…” वह कही और लंड को मुहं से बाहर निकाली।
लेकिन धनेश इतना उतावला था की वह महक की बात को अनसुना कर उसके मुहं में अपना लंड घुसेड़ने लगा। महक “हआ.. ममम.. उन. अं…कल.क्ल…” कर रही थी। पूरे चार पांच मिनिट तक वह उसके मुहं में अपना मुस्सल अंदर बहार करके फिर.. “आआह्ह्ह महक.. मेरी जान.. मेरि निकल गई…” कहते उसके मुहं में अपने लंड के रस से भरने लगा।
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एक बार तो महक घबरा गयी। धनेश का गर्म वीर्य उसके मुहं मे भरने लगा तो, क्या हो रहा है उसे समझ में नहीं आया। फिर समझ गयी की अंकल ने उसके मुहं में झड़े है। उसका मुहं एक अजीब सी कासीलापन के साथ साथ नमकीन स्वाद फील कर रही थी।
“ओह अंकल.. ये क्या किया अपने। मेरे मुहं में ही झड़ गए.. बहार तो निकालना था”उस वीर्य को गले के निचे उतारने के बाद वह शिकायत भरे स्वर में बोली।
“ओह नो स्वीट हार्ट.. यह अमृत है.. तुम्हे शायद मालूम नहीं… यह रस पीनेसे और इसे अपने चेहरे पर लेपने से लड़की की सुन्दता बढ़ती है” धनेश महक की चूची लो टीपते बोला।
महक इतना भोली थी की “क्या सच अंकल…” कह कर पूछी और फिर अपने शरीर पर गिरी उस लंड रस को निकाल निकाल कर चाटने लगी और अपने गालों पर लेपने लगी। जैसे जैसे वह चाटने लगी अब उसे चाट ने से स्वाद मिलने लगा। वह चटकारे लेकर चाटने लगी। फिर दोनों कुछ देर आराम करे।
आधे घंटे की आराम के बाद धनेश ने महक से पुछा… “महक क्या अब गेम शुरू करे” धनेश का ऐसे पूछते ही महक चित लेट गयी और अपने टंगे पैलादी। अब वह भी उतावली थी। उसे उसकी सहेली पुष्पा की बातें याद आने लगी। “यार जब मर्द अपना लंड अंदर तक घुसाके मारते है तो वह आनंद अलग ही है। तू नहीं समझेगी यह बात। जब तू भी चुदवायेगी न तब समझ में आएगी।”
महक को वह बात यद् आयी और वह बेसब्रेपन से अंकल की डंडे का इंतजार कर रही थी। वह चित लेटते ही धनेश उसके ऊपर चढ़गया। लड़की की जांघों के बीच आकर अपना डंडा महक की चूत पर रख रगड़ने लगा। धनेश का मोटा डिक हेड अपनी फांकों पर रगड़ते ही महक का सरा शरीर सिहर उठी। उसमे एक अजीब मदहोशी छाने लगी। आज उसके साथ जो भी हो रहा था। उस पर वह विश्वास ही नहं कर पा रही थी।
इधर धनेश भी अपना संतोष समां नहीं पा रहा था। 21 — 22 की होने पर भी उसे एक कुंवरी लड़की मिल रही है यह बात उसे हवा मे उडाने लगी। नहीं तो आज कल की लड़कियां तो 15 -16 होते होते अपने classmates से या अपने बॉय फ्रैंड से चुद जति है। जैसे ही धनेश ने अपना लंड फांकों पर चलाकर जोर देने वाला ही था की “अंकल…” कहते महक अपना हाथ अपनी बुर पर रखी। धनेश ने महक को देखा…
“अंकल मुझे डर लग रहा है..” महक बोली।
“डर… किस बात का… क्या तुम्हे पसंद नहीं है…?”
“वह बात नहीं अंकल.. आपका बहुत बड़ा है.. कहीं मेरी…” महक रुक गयी।
“अरी पगली.. लंड जितना बड़ा और लम्बा होता है औरत को उतना मजा मिलती है। तम्हारी सहेली… क्या नाम है उसका.. हाँ पुष्पा .. वह क्या कहती थी.. की उसे अपने पति से उतना मजा नहीं आता .. क्यों की उसका छोटा और पतला है” धनेश एक क्षण रुका और फिर बोला “लेकिन मैं मानता हूँ पहले पहले कुछ दर्द होता है… तुम देखना बाद में तुम्हे जन्नत दिखयी देगी…” धनेश महक की छोटो नंगी चूची को टीपते बोला।
लेकिन महक फिर भी असमंजस में थी। यह देख कर धनेश उसे फिर से अपने गोद में बिठाया और एक हाथ से उसकी छोटी चूचियों से खिलवाड़ करता दूसरे हाथ उसके जांघों में घुसाकर उसकी अनचुदीं बुर को ऊँगली से कुरेदने लगा। साथ ही साथ उसका सारा मुहं को चूमने लगा! महक की होंठ, गाल, आंखे वगैरा।
पांच मिनिट से भी कम समय में महक..”आअह्ह। … हहहहह… ससससस…” सिसकारियां लेते हुए मछली की तरह तड़पने लगी। “अंकल… अंकल…” वह बड़ बढ़ाने लगी। उसकी बुरसे मदन रस एक नाले की तरह बहने लगी। और उसके बुर के अंदर की खुजली बढ़ गयी।
“आह्ह अंकल…. मममम… कुछ करो.. मेरी सुलग रही है… ऎसा लग रहा है..जैसा अंदर आग लगी है.. आआआआह” कहते धनेश से लिपटने लगी।
धनेश ने मौका देख कर उसे फिर से चित लिटाया और उसके जंघों में आ गया और अपना लंड महक की चूत पर रखा। महक इतना गर्म हो चुकी थी की वह खुद अंकल (धनेश) के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर रख कर बोली अंकल.. अब डाल दीजिये…” और अपनी कमर उछाली। महक की उतावली देख कर धनेश एक जोर का शॉट दिया।
“आमम्मा…. ओफ्फोऊ… मैं मरी…. अंकल.. नहीं. निकालो… मुझे नहीं चुदाना .. मममम.. मेरी फटी.” महक चिल्लाई और धनेश को अपने ऊपर से धकेलने की कोशिश की। महक के आँखों में आंसू आ गये। धनेश उसे समझा रहा था की कुछ नही होगा लेंकिन वह नहीं मान रही थी और “प्लीज… अंकल.. निकालो.. उफ्फो कितना मोटा है. मेरी तो फट ही गयी.. नहीं..” कहती वह रोने लगी।
“स्नेह.. देखो इधर मेरी ओर.. देखो..” धनेश उसे अपनी ओर घुमाते बोला। महक की आंखे आंसू से भरे थे। “क्या बहुत दर्द हो रहा है…?” अपने लंड को अंदर ही रख पुछा।
“नहीं तो…! प्लीज अंकल निकालो..” वह रुआंसे स्वर में बोली। अगर धनेश चाहता तो वाह उसे जबरदस्ती चोद सकता था, लेकिन धनेश को यह अच्छा नहीं लगा। साली इतनी तंग है… कमसे कम छह महीने तक तो उसके साथ मजे लूट सकते थे… यह अवसर वह खोना नहीं चाहता था। महक के बुर से अपना लंड बाहर खींचा।
लंड पर महक की बुर के रस के साथ कुछ खून दब्बे भी दोखी। खून देखते ही वह और गभरा गयी.. देखो क्या कर दिये आपने मेरे से.. खून…”
“अरी महक घबरा मत.. मैं सब ठीक कर दूंगा..” कहते वह उठा और व्हिस्की बोतल और रुई ले आया। रुई पर थोड़ा व्हिस्की उंडेलकर उस रुई को महक की चूत की फाँकों के बीच टच किया… “ससस…..मममम जलन हो रही है..” बोली। एक ग्लास में पेग व्हिस्की डाला और उसे महक से पिने को कहा।
“नहीं अंकल.. यह शराब है.. मैं नहीं पीती..” वह अपना मुहं दूसरी ओर फेरली।
पगली.. यह दवा है, पीके तो देख केसा तुम्हारा दर्द कम होता है…” कहते धनेश ने महक से जबरदस्ती पिलाया।
“याक.. कड़वा है..” वह कहि। धनेश फिर उसे अपने बाँहों मे लिया और उसे फिर से गर्माने की कोशिश करने लगा। महक की बुर पर व्हिस्की का रुई का और उसके पेट में एक पेग हिस्की बहुत कारगर सिद्द हुयी। तीन चार मिनिट में स्नेह का सरा दर्द हांफट हो गया पेट में व्हिस्की उसमे फिर से गर्मी भरने लगी।
देखते देखते वह फिर रोमांस में आगयी और धनेश की हरकतों का एन्जॉय करने लगी। उसके चूमने और चाटने का जवाब वह वैसे ही देने लगी। धनेश उसे पीट के बल लिटाकर उसकी चूत में ऊँगली करने लगा। “आअह्ह” वह एक बार कसमसाई। धनेश उसकी सिसकारों का कोई परवाह न करते उसकी बुर को कुरेदने लगा।
अब महक में भी गर्मी बढ़ने लगी और वह धनेश के हरकतों से चटपटाने लगी। देखते ही देखते अब उस लड़की की बुर खूब सारा मदन रस छोड़ने लगी। धनेश उसकी चूची को पूरा का पूरा अपने मुहं में भर लिए और चूसने लगा तो दूसरे हाथ से उसकी दुसरी चूची को जोर जोरसे मसलने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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अब महक से रहा नहीं जा रहा था। वह अपनी नितम्ब उठाते “अंकल.. अब चोदिये न.. प्लीज….” कहते धनेश के लण्ड को मुट्ठी में दबाकर अपनी ओर खींचने लगी।
“नहीं महक… नहीं… मैं चोदने लगूंगा तो तुम फिर से रोने लगोगी … फिरसे निकालो.. निकालो.. चिल्लाने लगोगी…” वह बोलता रहा और अपना काम करता रहा।
“नहीं अंकल अब मैं कुछ नहीं कहूँगी… आपकी इस लंड की कसम … जल्दी डालिये.. मेरी सुलग रही है..”
धनेश उसे इसि हालत में देखना चाहता था… “पक्की बात…” उसकी बुरमें ऊँगली चलते पूछा।
“हाँ अंकल…पक्की बात… जल्दी चोदो मुझे..” वह मिन्नते मांगने लगी।
“ठीक है फिर.. मैं आ रहा हूँ…” कहा और वह महक की जांघों के बीच आ गया। महक झट अपनी फांके उसके मुस्सल के लिए खोली। चूत के अंदर लालिमा लिए नमी को देखते ही धनेश आव देखा न ताव … योनि के मुहाने पर लंड ठिकाया और एक जोर का धक्का दिया…
“Aammmmmaaaaaa….. Mei… Mareeeeee ह..अहा..” कही।
उसका आधा लंड महक की अन चुदी बुर में बोतल की कॉर्क की तरह फंस गयी। अब की बार धनेश उसी एक न सुनी.. उसे मालूम है… उसके लिंग बहुत मोटा और लम्बा है… फिर भी आधा लंड बाहर खींच कर उसके मुहं को बंद कर एक और धक्का दिया… आआह्ह्ह… उसका पूरा मुस्सल जड़ तक लड़की की बुर में।
ह्ह्ह्हआआ…आमम्मामआएमाआ…” महक के मुहं से एक न सुन ने वाली आवाज निकली। धनेश की हाथ अब भी उसके मुहं को दबाये थी। लड़की साँस लेने चटपटाते रह गयी। बहुत देर तक धनेश कोई हरकत नहीं की… सिर्फ स्नेह पर पड़ा रहा… बहुत देर बाद लड़की में फिर हरकत शुरू हुई।
उसकी बुर पानी छोड़ने लगी। एक अजीब सी सुर सूरी भी होने लगी। महक अपनी कमर इधर उधर हिलाते रही और कुछ देर बाद अपनी कमर उठाने लगी। धनेश उसकी कमर उठाने का नजरअंदाज कर बस वैसे ही पड़ा रहा। उसे मालूम है… अब लड़की अपने आप जोश में आएगी।
उसने जैसे सोचा वैसे ही हुआ… “महक कमर उछलते बोली… अब चोदिये भी अंकल…” कहकर अपनि कूल्हे उछालने लगी। अब धनेश शुरू हो गया… वह भी अपनी कमर उठा उठाके उसे चोदने लगा.. जैसे जैसे अंकल की लंड उसके अंदर बाहर होरही है… वैसे ही वह भी अपनी गांड उछालते चुदाने लगी। धनेश का लण्ड.. उसकी तंग चूत की दीवारों को रगड़ते अंदर बाहर होने लगी।
“हहह… महक.. माय लव.. कितना तंग है तुम्हारी चूत..मममम..तुम्हे मजा मिला रहा है न….” धनेश अपनी चुदाई जारी रखते पुछा।
“हाँ अंकल.. अब सच मे मजा आ रहा ही.. चोदिये और अंदर तक डालकर पेलिए.. मममम… इस चुदाई के लिए कितनो दिनों से तड़प रही थी.. चोदो और अंदर तक डालिये…” महक बड बड़ा रही थी।
ले मेरी रानी मौज कर अंकल के चुदाई से.. अब तुम जब चाहो तब एक बार फ़ोन कर देना और यहाँ आजाना.. तिम्हे स्वर्ग दिखा दूंगा… ममम.. स्नेह.. अब रहा नहीं जाता.. छोड़ रहा हूँ.. बोलो कहाँ छोडूं.. अंदर या बाहर” वह पुछा।
“अब मैं सेफ पीरियड में हूँ अंकल.. मैं सुरक्षित हू.. अंदर ही छोड़िये… मेरी सहेली पुष्पा कहती है की मर्द का गर्म वीर्य अंदर लेने से राहत मिलती है.. वह आनंद मैं चाहती हूँ.. डालिये अंदर ही..आआह्ह्ह्हह्ह.. मेरा भी होगया अंकल.. मैं झड़ रही हूँ…” कहते वह भी झड़ गयी..
साथ ही साथ वह अंकल का गर्म लस लसे का आनंद भी ले रही थी। उसके बाद उस दिन धनेश से उसने एक बार फिर से चुदवायी। संतृप्त होकर शाम को वह अपने घर के लिए निकली।
“महक… सच कहना मजा आया…?” धनेश पुछा।
“हाँ अंकल बहुत मजा आया..पहले दर्द बहुत हई थी पर बादमें बहुत आनंद आया.. बादमें तो मैं स्वर्ग में विचर रही थी। थैंक्स अंकल…” महक बोली।
“थैंक्स तो मुझे बोलना चाहिए…वैसे फिर कब मिलोगी…?”
“जल्दी ही मुलाकत होगी अंकल बाई.. बाई… वह बोलकर बाहर को निकली।
उस दिन संडे था। सुबह के दस बजकर पंद्रह मिनिट हुए हैं। महक किचन में खाना बना रही थी और उसकी अम्मी कुछ कपडे सिलवाई कर रही थी। महक ने दिल में सोचि थी की वह आज कहीं नहीं जाएगी, और घर में आराम करेगी। इतने में उसकी मोबाइल बजती है। महक ने देखा कि वह कॉल धनेश का था। वह एक क्षण हीच किचाई और फ़ोन उठाकर बोली “हेलो… कौन…?”
“अच्छा अब मैं कौन होगया…?” उधर से धनेश की आवाज शिकायत भरे स्वर में आयी।
“ओह, अंकल.. आप… सॉरी.. में खाना बना रहि थी तो आपकी फ़ोन बजी जल्दबाजी में मैं आपका नाम नहीं देखि… सॉरी” वह मृदु स्वर में बोली। वह धनेश को कुपित नहीं करना चाहती थी।
“डार्लिंग.. कितने दिन होगये तुम मुझसे मिलकर.. आज मिलोगी…?”
‘सच में ही एक महिने के ऊपर होगये धनेश अंकल से मिलकर’ महक सोची और बोली “बोलिये अंकल…”
“डार्लिंग… बोलना क्या है.. कोई तुमसे मिलने तड़प रहा है…?”
स्नेह को मालूम है की कौन तड़प रहा है.. मुस्कुराते पूछी.. “कौन तड़प रहा है अंकल…?”
“डार्लिंग आजाओ तो उस से मिलवा देता हु… बेचारा बहुत एक्ससिटेड है तुमसे मिलने के लिए…”
“अंकल फ़ोन पर डार्लिंग या डियर मत बोलो… मेरे साइड में ही अम्मी ठहरी है… हाँ आज मिलते है.. कहाँ मिलना है…?” फिर फ़ोन पे बोली… “कोई नहीं अम्मी.. मेरी सहेली है.. पिक्चर देखने चलने को कह रही है…” उधर से धनेश समझ गया की वह अम्मी से बहाना बनारही है.. और “घर आजाओ…” वह फूस फुसाया।
“ठीक है.. एक घंटे में आती हूँ…” कही और अम्मी की ओर घूम कर बोली… “अम्मी… मेरी सहेली पिक्चर के लिए बुला रही है.. मै चलती हूँ.. सब खाना बन गया है…”
अरे बेटी खाना तो खाके जाओ…” उसकी अम्मी बोली।
“नहीं अम्मी.. मेरी सहेली के साथ खालूंगी…”
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फिर वह तैयार होकर पहले वह लेग्गिंग्स और कुर्ती पहन ने को सोची, लेकिन कुछ सोचकर उसने सलवार सूट पहनी और अम्मी की bye .. Bye.. कहकर निकल पड़ी। घंटी की बजने पर जब धनेश ने डोर खोली तो सामने महक को पाया।
“ओह महक… डार्लिंग.. वेलकम…” वह कहा और महक को अपने आलिंगन में लेकर उसके गालों को चूमा।
“ओह अंकल.. हाउ स्वीट ऑफ़ यू…” कही, अपने बाँहों को धनेश के छाती के गिर्द लपेटकर अपने नन्ही चूचीयों को छाति पर दबाते उसके गाल को चूमि।
“और तुम भी बहुत स्वीट हो डियर…” धनेश कहते महक के कमर के गिर्द हांथ लपेट उसे अंदर ले चला। दोनों हाल में आकर सोफे पर बैठे।
“महक तुमने एक महीने तक तड़पाया…” धनेश उसे देखता बोला ।
“सॉरी अंकल… बीच मे दो संडे को भी डॉक्टर साब ने आने को बोले.. उसिलिये… और एक संडे को मेरी मेंसेस चल रही थी… वैसे आप कह रहे थे की कोई मेरे लिए तड़प रहा है..कौन है वह…” मुस्कुराते पूछी।
“मेरे पास आओ बताता हूँ…” वह सिंगल सोफे पर बैठे हे जब की महक 2 सीटर सोफे पर। वह अपने जगह से उठी और धनेश के पास गयी। वह उसकी कलाई पकड़ कर खींच अपने गोद में बिठाया..
“ओह तो यह है जो मुझसे मिलने तड़प रहा है..चलो .. मैं आज उसकी तड़प को मिठा देति हूँ….” वह अपने कूल्हे धनेश के उभरते डंडे पर दबाती बोली।
धनेश उसके कमर में हाथ डाल उसे ऊपर ठीक से खींचा और उसके होठ चूमते पूछा.. “क्या लोगी..?” पहली बार जब वह चुदी तो धनेश ने उसकी दर्द कम करने के लिए उसे एक पेग व्हिस्की पिलायी थी… तब से वह कभी भी धनेश से मिली धनेश उसे एक, डेढ़ पेग पिला देता था। इसीलिए पुछा।
“अभी नहीं अंकल बाद में देखते है…”
“अरे… व्हिस्की नहीं तो चाय तो चलेगा न..?”
“हाँ.. चाय चलेगी… लेकिन चाय मैं बनाउंगी …”
“ठीक है बाबा…चलो …” दोनों उठकर किचेन की ओर चलते हैं।
महक किचेन प्लेटफार्म के पास ठहर कर चाय बना रही थी और धनेश महक की कमर में हाथ डालकर उसकी गर्दन पर चूम रहा था।
“आआह्ह्ह्ह.. अंकल.. हाहा। .. वहां मत चूमिए…” वह तड़पते बोली।
“क्यों…? क्या हुआ…?” अपना चूमना जारी रखते; अब उसने महक की छोटी चूची की अपने हथेली के नीचे दबाते पुछा…”
“नहीं.. ऐसा मत करिये प्लीज….गुद गुदी होती है..”
“गुद गुदी ही तो होती है न.. कुछ और तो नहीं…?”
“कुछ और भी होती है…”
“अच्छा…. क्या…?” उसकी पूरी छाती को टीपते पूछा…”
महक लाज से शरमाने का नखरे करते बोली… “जाओ अंकल मैं आपसे बात नहीं करूंगी… आप बहुत बेशरम हो गए है.. चलो चाय बनगयी है हॉल में चलते है…” कही और एक कप अंकल को थमाकर खुद एक ली और हाल में आकर सोफे पर बैठ गये। पहले की तरह धनेश ने महक को फिर अपने गोद में बिठाया…
दोनों एक दूसरे को प्यार भरी नज़रों से देखते चाय पी रहे थे। पूरे एक महीने के बाद मिलने से महक में भी excitement थी। चाय पीकर कप साइड में रखे और धनेश ने महक की कमीज ऊपर उठाया और पहले उसकी ब्रा की चूचियों के ऊपर खींच कर उसके छोटे छोटे चूची पर हाथ फेरा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“आआअह्हह्हह” अंकल कहते वह छटपटा रही थी। धनेश अपने सर झुका कर महक की चूची को पूरा मुहं में लिया और चुसकने लगा… महक ने अंकल की सर को अपने सीने से दबा लिया.
“क्यों जानू…. कैसी लग रही है…?” वह एक को चूसता दूसरे की घुंडी को उँगलियों में मसलता पूछा।
महक ने कोई जवाब नहि दिया बल्कि सिसकने लगी।
जैसे जैसे धनेश उसे चूस रहा था.. उसका डंडा महक के नितम्बों के नीचे उभर कर उसे ठोकर मार रहा था । जब अंकल का उस्ताद अपने गांड में चुभते ही अब महक से रहा नहीं गया। वह धनेश के गोद से उतरी अपने घुटनों पर नीचे कार्पेट पर बैठ कर अंकल की लुंगी हटा दी।
धनेश अंदर कुछ पहना नहीं था तो उसका नाग सिर उठाकर फुफकार रहा था । पूरा तनकर छत को देख रहा था । उसका सामने की चमड़ी पीछे को रोल होकर हलब्बी गुलाबी सुपाड़ा tube light की रौशनी में चमक रहा था। महक उसकी गोद में झुक उस नाग को मुट्टीमे जकड़ी.. उसे एक दो बार प्यार से चूमि और फिर अपने जीभ उस सुपाडे की गिर्द चलाते एक बार तो उसने उस पिशाब वाली नन्हे छेद में कुरेदी।
“स्स्स्सस्स्स्स…महक..डियर..मममम…हहहहह…” कहते धनेश छटपटाया…
“क्या हुआ अंकल…?” कहती महक ने उसकी वृषणों को हथेलि में लेकर मसलने लगी।
“Saleeeeeeeee….” धनेश एक बार फिर गुर्राया।
उसने अपने ऊपर झुकी महक के सलवार का नाडा खींचा तो सलवार उसके घुटन पर गिरी। फिर उसने उसकी पैंटी का भी वही हाल कर दिया। वह भी सलवार के साथ उसके घुटनों से निकल कर ज़मीन पर पड़ी है धनेश ने पहले उसके नन्हे कूल्हों पर दोनों हाथ फेरा और फिर एक हाथ की ऊँगली पीछे से उसकी बुर मे पेल दिया।
“आआह्ह्ह्ह…” महक ने अपने कूल्हे और फैलाई। अब धनेश की दायां हाथ की ऊँगली महक की बुर को कुरेद रही तो बायां हाथ की तर्जनी ऊँगली से वह उसकी अन चुदी गांड को कुरेद रहा था। धनेश की नजर उसकी छोटी नितंबो वाली गांड पर पहले से ही थी। दो तीन बार उसे लेने की भी कोशिश किया लेकिन हर बार महक ने डर के मारे मना करती रही।
वह महक को रुष्ट नहीं करना चाहता था। कारण उसके मन में लम्बे दिनों तक चुदने लायक महक के साथ साथ महक की बहन रोजा जो 18 वर्ष की है और उसकी सहेली पुष्पा को भी चोदने का इरादा बना लिया था। इसी लिये वह महक को कुपित होते नहीं देखना चाहता था।
अपने ऊपर चल रही दोहरे आक्रमण से महक उत्तेजित होने लगी और अपनी गांड और चूत को धनेश की उंगलियों पर दबाने लगी। अब धनेश की ऊंगली उसकी बुर को चोदने लगे.. वह उसे फिंगर फ़क कर रहा था… इधर महक धनेश की लंड को जोर जोर से चूस रही थी। वह एक दूसरों पर भावविहल्व हो रहे है की… दरवाजे की घंटी बजी। दोनों घबरा कर अलग हुए और एक दूसरे को देखने लगे।
“इस समय कौन आ गया…?” धनेश होंठों में बुद बुदाया; और फिर महक को अंदर जाने का ईशारा करा। महक अपनी सलवर उठाकर नाडा बांधते अंदर को भागी। गांगाराम भी अपने आप को व्यवस्तित करा और अपनी लुंगी को सीधा किया बालों मे उँगलियों का कंघा फिराते दरवाजे की और बढ़ा। इतने मे एक बार फिर घंटी बजी।
धनेश ने दरवाजा खोला और सामने ठहरे आदमी को देख कर बोला। “…अरे जिंदल साब … आप.. आईये.. अंदर आईये..” कहते उसे अंदर बुलाया। दोनों अंदर आकर बैठे। टू सीटर सोफे पर आने वाला बैठा तो उसके दायां तरफ के सिंगल सीट सोफ़े पर धनेश बैठा था।
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“बोलिये जिंदल साब कैसे आना हुआ….?” धनेश ने उसे देखते पुछा। उनकी बातें अंदर से महक सुन रही थी।
“वही धनेश जी.. वह डील फाइनल करना था… बस इसीलिए चला आया…” आने वाला जिसे जिंदलसा ब करके धनेश बुला रहा था कहा।
“लेकिन जिंदल साब रेट वही रहेगा…”
“ठीक है.. जब तुम उसी रेट पर अड़े हो तो वैसे ही सही…” जिंदल साब एक लम्बा सांस लेते बोला।
“दिशा बेटी….” धनेश ने अंदर की ओर देखते बुलाया। अंदर ठहरी महक समझ गयी की अंकल उन्हें ही बुला रहे हैं! वह यह भी समझ गयी की अंकल नहीं चाहते की आनेवाले को उसका असली नाम न मालूम हो…
“आयी अंकल…” कहती महक बाहर आयी और सामने वाले को देख कर नमस्ते कहि और धनेश की ओर देखकर पूछी “क्या है अंकल…”
“बेटी.. दो कप चाय बना देना…”
“जी अंकल…” महक कही और किचेन की ओर चली। दस मिनिट बाद वह एक ट्रे में दो कप चाय और दो ग्लासों में पानी, कुछ बिस्कुट लायी, सेंटर टेबल पर रखी।
“दिशा बैठो बेटी खड़ी क्यों हो…” धनेश बोला।
महक ख़ामोशी से सामने के सोफे पर सिमिट कर बैठ गयी। जिंदल साब को एक कप चाय थमाता बोला “जिंदल साब यह मेरी भांजी है.. मेरी छोटी बहन की लड़की…. इंटर हो गया है.. अब यह यहीं से ग्रेजुएशन करेगी…” महक का परिचय कराया; और महक की ओर मुड़ कर बोला “दिशा बेटी.. यह जिंदल साब है.. कारोबारी (business man) है…”
महक ने एक बार फिर ‘नमस्ते’ कही और जिंदल साब को परखने लगी। वह एक लग भाग 50 के उम्र का आदमी लगता है। सर से गांजा है… सिर्फ साइड और पीछे पतले बाल है… आदमी गोरा है और तोंद भी है। महँगी ड्रेस पहना ही.. शर्ट को टक करा है.. बयां हाथ के दो उंगलियों मे सोने की अंगूठियां है।
कुछ देर वही बैठ कर फिर पूछी “अंकल मैं अंदर जाये क्या…?’
“हाँ बेटी जाओ…” महक उठकर अंदर चली गयी।
पूरा पंद्रह मिनिट बाद धनेश अंदर आया और महक से कहा.. “महक.. एक अच्छा डील आया है … मैं डॉक्यूमॉन्ट बनवाने बाहर जा रहा हूँ… एक डेढ़ घंटे में आजाऊंगा… यह आदमी बहुत बिजी रहता है… मेरा आने तक इसे रोक के रखना… डॉक्यूमेंट पर इसके दस्तखत जरूरी है…. यह बातूनी है.. उसके साथ बैठकर उस से बातें करो और उसे मेरे आने तक रोके रखो… उसे कुछ देदेना… चाय.. व्हिस्की.. कुछ भी… लेकिन रोक के रखना… वह चला गया तो उसे फिर से पकड़ना मुश्किल… समझ गयी” महक कि कन्धा तप तपाता बोला।
“जी अंकल…” महक बोली।
दोनों बाहर आये और धनेश जिंदल साब की ओर देख कर बोला ” जिंदलसाब मैं डॉक्यूमेंट बनाकर लाता हूँ, रुकिए.. महक आप को कंपनी देगी.. अगर कुछ चाहिए तो निस्संकोच पूछियेगा…” कहा और महक की ओर देख सर हिलाकर चला गया।
जिंदल और महक एक दूसरे के आमने सामने बैठ है। कुछ देरी के ख़ामोशी के बाद महक ने ही पूछी “आप क्या करते है अंकल…?”
“मेरा गारमेंट्स की बिज़नेस है…” जिंदल बोला और फिर महक है से पुछा “क्या नाम है बेटी तुम्हारा…?”
“मैं महक हूँ अंकल…” एक क्षण रुकी और बोली “धनेश जी मेरे मामा है.. मेरी अम्मी का बड़ा भाई…:” धनेश ने क्या कही उसे याद करती बोली।
“कहां तक पढ़ी हो…?”
“इंटर हो गया है.. अब डिग्री करना चाहती हूँ…”
“घर में कौन कौन रहते है…?” जिंदल फिर से पुछा…
“मम्मी, पापा, मेरी एक छोटी बहन और एक छोटा भाई…”
“तुम्हरे पापा क्या करते है…?” उसके पूछने पर महक सोची… ‘बाप रे सच में यह तो बहुत बातूनी है’ सोचते बोली…”पापा एक फैक्ट्री में काम करते है… और मम्मी हाउस वाइफ है…” वह पूछने से पहले बोली।
जिंदल ने अपने फॅमिली के बारे मे भी बोला। उसके एक पत्नी और चार बच्चे है… पहले एक लड़का और लड़की फिर एक लड़का और लड़की। पहले लड़का और लड़की की शादी हो गयी और बाकि के दो पढ़ रहे है। उसके बाद दोनों के पास क्या बात करना समझ मे नहीं आया… कुछ देर बाद वह बोला “मैं चलता हूँ…” वह उठने लगा.. तो महक बोली.. अरे रुकिए अंकल.. मामाजी आते ही होंगे.. तब तक आप कुछ लीजिये… चाय, कॉफी या कुछ ठंडा …” वह रुकी।
“यह चाय, कॉफ़ी का समय नहीं अगर व्हिस्की होता तो…” वह भी हिचकिचा रहा था…
“घर में है.. अंकल; (मामाजी) घर में रखते है… अभी लायी.. और महक जल्दी से गयी और एक ट्रे में व्हिस्की बोतल एक गिलास एक कटोरी में ice cubes और कुछ नमकीन ले आयी और टेबल पर रखि।
जिंदल गिलास में व्हिस्की डालते पुछा.. “महक तुम…?”
“ओह नो अंकल.. में नहीं पीती…” वह नाटक करती बोली।
“अरे… आज कल तो middle class के हर घर में लड़कियां भी लेती है.. मेरे घर में भी मेरी दोनों बेटिया और मेरी बड़ी बहु भी लेती है.. खैर .. कम से कम कोई ठंडा ही लो.. मुझे कंपनी देने के लिए।”
महक अंदर गई और एक गिलास में फ्रूटी ले आयी और बैठने लगी तो बोला “महक वहां नहीं; मेरे यहाँ बैठो..” जिंदल ने अपनी बगल में सोफा तप तपाया। महक एक क्षण के लिए असमंजस में रही और धीरे से आकर राव् के बगल में बैठ गयी। दोनों इधर उधर की बातें करते अपने अपने ड्रिंक्स सिप कर रहे थे।
जिंदल अपना आधा पेग खतम करके महक से बोला … “महक डियर. एक गिलास पानी चाहिए थी”। महक अपनी गिलास टेबल पर रखी और पानी लाने किचेन की ओर गयी। जिंदल ने जल्दी से अपने गिलास का व्हिस्की महक के गिलास में उंडेला और फिर अपने गिलास में व्हिसकी डालने लगा। तब तक महक पानी ले आयी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अपने गिलास की व्हिस्की में पानी मिलाकर एक सिप करा और चटकार लेते बोला .. “उम्दा शराब है.. तुम्हारे मामा तो उम्दा शराब की शौकीन है…” कहा… कहते कहते उसने ठहाका लगाकर हंसा और महक कि कांधों को धीरे से दबाया।
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“महक कुछ बोली नहीं.. ख़ामोशी से अपना फ्रूटी सिप करने लगी। उसे फ्रूटी का स्वाद कुछ अलग लगी लेकिन वह समझी की यह स्वाद कूलिंग के वजह से होगी और सिप करने लगी।
जिंदल महक से इधर उधर के बातें करते अपना हाथ नीचे खिसकाया और उसके पीठ को सहलाने लगा.. “अंकल हाथ निकालिये…” वह धीरे से बोली।
“क्यों क्या हुआ डियर…?” वह काम जारी रखते पुछा…
“मुझे अच्छा नहीं लग रहा है…” बोली।
जिंदल कुछ देर ख़ामोशी से रहा और फिर से बोला … “लगता है तुम्हारे मामाजी तो अभी नहीं आएंगे, मैं चलता हूँ…”
“नहीं अंकल रुकिए तो.. मामाजी आ येंगे…” महक कही…
“अच्छी बात है.. तुम्हरे बात पर ठहरता हूँ…” कहा एक क्षण रुका और फिर बोला.. “महक.. तुम बहतु सुंदर लड़की हो…” कहते वह झट महक की ओर झुका और उसके गलों को चूम लिया।
“ओह.. अंकल यह क्या कर रहे है…आप…” कहती महक ने अपने गाल पोंछी।
“क्या कर रहा हूँ..? प्यार ही तो कर रहा हूँ… क्यों यह भी पसंद नहीं…?”
“महक को क्या बोले समझमें नहीं आ रहा था… अंकल ने उससे, उसे रोकने को कहे… कहरहे थे डील बड़ा है.. हाथ से न निकले… लेकन यह है की बार बार उठ रह है..”’ सोच रही थी।
“सच में तुम बहतु सुन्दर हो…” वह फिर उसे चूमा। अबकी बार महक ने अपने गाल नहीं पोंछी और जिंदल को बातों में रखने के लिए बोली…”आप झूट बोल रहे है अंकल…. मैं उतना सुन्दर नहीं हूँ… यह मुझे मालूम है.. मैं दुबली पतली हूँ.. और…” वह रुक गयी।
“हाँ… हाँ.. बोलो और क्या…?”
“जी.. कुछ नहीं…”
“मुझे मालूम है तुम क्या कहना चाहती हो.. यहि न की तुम्हारी चूचियां छोटी है.. अरु तुम्हारे कूल्हे छोटे है.. यही न…”
महक सहमकर रह गयी।
“पगली.. तुम अच्छी लड़की हो… तुम्हारे चुचे छोटे है तो क्या हुआ.. बहूत लुभावनी है.. और तुम्हारे कूल्हे भी… देखो कितना प्यारे हैं…” कहते जिंदल ने महक को एक गुड़िया की तरह उठाकर अपनी गोद में बिठाया…”
“ओह अंकल छोड़ो मुझे… नहीं तो में मामाजी से कहूँगी…” महक ने उसे डराने की कोशिश करि।
“बोलो.. उस से क्या होगा.. में तुम्हारे मामा का कस्टमर हूँ… यह तो पक्का है की वह मुझे पुलिस में नहीं देंगे.. उल्टा मैं यह जो सौदा करने वाला हूँ.. उसे कैंसिल कर दूंगा…”
जिंदल के आखरी शब्द सुनते ही.. वह घबरा गयी। अंकल ने उसे रोकने के लिए कहे और वह है की डील ही कैंसिल करने को कह रहा है… वह सोचमे पड गयी। जैसे धनेश महक को कुपित नहीं देखना चाहता वैसे ही महक भी अंकल को तकलीफ नहीं पहुंचना चाहती…
अंकल के मिलने से.. उसे ज़िन्दगी के मजे मिल रहे है.. पैसे को पैसा.. और ऊपर से कीमती वस्तुएं… गिफ्ट में… वस्तव में वह किसी को नहीं बताई और न दिखाई लेकिन धनेशने उसके लिए एक सोने की चैन भी दिलाया है… यह बात ख्याल में आते ही महक ने जिंदल के साथ प्रतिरोध करना छोड़ दी और अपने आप को ढीला छोड़ दी।
जैसे ही महक ने अपने शरीर को ढीला छोडी तो जिंदल समझ गया की यह लड़की अब प्रतिरोध नहीं करेगी तो वह जोश में आगया और उसके होंठों को अपने में लेकर चूसने लगा। महक ने फिर भी कुछ रेसिस्ट करने को सोची लेकिन फिर चुप हो गयी।
अब उसे भी मजा आने लगा और वह खुद गरम होने लगी। इसके दो कारण थे। एक जिंदल ने उसकी फ्रूटी में व्हिस्की मिलायी थी उसका असर पड रहा है और दूसरा… जिंदल के आने से पहले धनेश और वह मस्ती के आलम में थे… जिंदल ने आकर उन्हें डिस्टर्ब कर दिया।
“अंकल नहीं.. प्लीज ऐसा मत करो…”
“क्यों मेरी जान…? अच्छा नहीं लग रहा है क्या..? अरे तुम जवान हो.. मजे लूटो…” उसने महक के छोटे चूची को पूरी हथेली के नीचे लेकर दबाते बोला।
“अंकल नाराज हो जायेंगे…”
“हर चीज अंकल को मालूम होने की क्या जरूरत है… स्वीटी यह राज़ हम दोनों की बीच की राज़ है.. ओके…”
“फिर भी अंकल को मालूम होगया तो…?”
“कैसे मालूम होगा… क्या तुम बोलने जाओगी की मैं चुद गयी हूँ…”
“छी…. आप कैसे बात करते हैं…”
वह कुछ बोला नहीं.. उसकी कमीज़ उसके सर के ऊपर से निकाल दिया। चूत में आग की धधक के कारण महक ने भी… न…न… कहते अपनी कमिज उतर वाली। जिंदल ने उसे वहीँ हॉल में कारपेट पर नीचे पीठ का बल सुलाया और उसकी सलवार भी खोलने लगा।
“ओह नहीं… मुझे शर्म अति है…” वह सच में ही शर्माने लगी।
“पागल हो गयी क्या.. बगैर इसे उतारे असली काम कैसे होगा…” कहते महक ना….ना.. कहने पर भी उसकि सलवार और पैंटी उतार दिया।
जिंदल खुद अपनी पैंट उतर फेंका और सिर्फ बॉक्सर में रह गया। महक बॉक्सर के अंदर उसके उफनते औजार की उभार दिख रही थी। उस उभार को देखते ही महक एक बार सिहर उठी। वह ललचायी नजरों से उसे ही देख रही थी।
“क्यों महक डार्लिंग देखोगी…” पूछा…
महक शरम से लाल होगयी।
“कुछ नहीं स्वीटी … में तुम्हे पिछे से लेना चाहता हूँ…”
“पर क्यों…?”
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“री पगली… मेरी तोंद के वजह से सीधे में मेरा पूरा अंदर नहीं घुसेगा.. इसिलिये…. पिछे से…” कहा और महक को अपने कोहनियों पर और घुटनों पर झुकाया। कोहनियों पर होने वजह से उसकी गांड ऊपर उठकर बुर सामने दिखने लगी। वह अपने लण्ड के सुपाडे को महक की खुली फांकों पर रगड़ा।
लंड के स्पर्श से महक का शरीर एक बार फिर सिहर उठी। दिल थाम के जिंदल को अंदर प्रवेश होने का वेट कर रही थी। जिंदल ने और एक बार अपनी डिक हेड उसकी फांकों पर चलाया… “ममममम….” कहती महक ने कमर को पीछे ठेली।
जिंदल ने अपना कमर का दबाव दिया… ‘फक’ की आवाज़ के साथ उसका लंड का टोपा अंदर चली गयी। sudden आक्रमण से महक एक बार तडपडाई… जिंदल ने कमर को पीछे किया एक और शॉट दिया… “अम्म्मा…” वह चिल्लाई। फिर उसके बाद दोनों में खूब चुदाई हुई… महक ने भी कमर को पीछे ढकेल ढकेल कर चुदने लगी। पूरा दस मिनिट की मेहनत के बाद उसने पुछा.. “मैं खल्लास होने वाला हूँ…” वह बोल रहा था की महक बोली.. “अंकल अंदर नही…प्लीज…” वह बोल ही रही थी की वह अपना गरम लावा से उसकी बुर को भरने लगा।
“ओह अंकल यह क्या किये आपने.. मैं अब unsafe पीरियड में हूँ…”
“डोंट वोर्री महक.. मेरी नसे बहुत पहले ही बंद हो चुके है.. मेरा वीर्य से तुम्हे कुछ नहीं होगा…” उसके ऐसे कहने से महक ने एक लम्बी सांस ली।
फिर दोनों सुस्त होकर अगल बगल पड़े रहे।
Aldrin Tirkey says
Very nice next part pls 👍