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हॉस्टल की लड़की पैसे लेकर चुदवाने लगी 1

मार्च 1, 2024 by hamari

Shy Innocent Girl

मेरा नाम मानसी शुक्ला है। जैसा मेरा नाम है वैसे ही मेरा शरीर। मेरा ठीक ठाक हाइट की हैं और तन का रंग भी गोरा है। मैं थोड़ी सी भरी भरी शरीर की हूँ पर मोटी नहीं हूँ। मेरी शक्ल काफी मासूम सी है और स्वभाव भी शर्मीला सा ही है। शुरू से ही मैं पढ़ाई मैं ज्यादा ध्यान देती थी, हालांकि मेरी दोस्ती लड़कों से बहुत कम थी फिर भी मैं सभी से बोल लेती थी। Shy Innocent Girl

बहुत से लड़कों ने मुझको प्रपोज़ किया पर मैं सबको प्यार से मना कर देती थी। जब मैंने कॉलेज में एड्मिशन लिया उस साल से मेरी मासूमियत का वक़्त पूरा होने लगा। मेरी दोस्ती एक लड़की से हुई जिसका नाम अर्चना है. शुरू में लगा कि वो भी मेरी तरह शरीफ है पर जब तक मैं उसे समझ पाती, मैं सेक्स के समुंदर में उतार चुकी थी।

और मुझे बिगाड़ने का पूरा श्रेय मेरी सहेली अर्चना को जाता है। हम दोनों एक ही हॉस्टल रूम में रहती थी। शुरू के एक महीने तो सब नॉर्मल चला फिर मुझे उसकी बातें पता चलने लगी। क्लास के बहुत से लड़कों ने उससे मेरे से सेटिंग कराने को बोला क्यूंकि मैं लड़कों से ज्यादा बात नहीं करती थी, पर मैंने सबको मना कर दिया।

एक दिन रात को मेरी आँख खुली तो देखा कि अर्चना कम्प्यूटर पर ब्लू फिल्म देख रही थी और अपनी चूत रगड़ रही थी। मैंने सोचा इसे डराती हूँ और मैं उठ के चिल्लाने लगी- क्या है ये सब?

पर वो ज्यादा तेज़ थी, बोली- चिल्ला क्यूँ रही है तू भी देख ले। अब बच्चों की आदतें छोड़ और बड़ों जैसी हरकतें किया कर।

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उसकी बात सही थी तो मैं भी साथ में ब्लू फिल्म देखने लगी। मैंने पहली बार देखी थी तो कुछ अजीब भी लग रही थी और अच्छी भी। मुझे पता भी नहीं चला और मैं अपनी चूत को ऊपर से रगड़ रही थी। अर्चना ये देख के मुस्कुराने लगी, फिर वो बोली- शर्मा मत, उतार दे लोअर और फिर रगड़।

मैं शरमा रही थी तो उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये. थोड़ा शर्माते हुये मैं भी उसके सामने नंगी हो गयी। फिर मैं फिल्म देखते हुये रगड़ने लगी अपनी चूत को। 5 मिनट के बाद मुझे बहुत अजीब सी गुदगुदी सी होने लगी और शरीर में कम्पकपी से होने लगी। फिर एकदम से काँपते हुए मेरा पानी छूट गया और मैं हाँफने लगी। मैं हंस रही थी और अर्चना फिर बोली- कैसा लगा मानसी?

मैंने कहा- यार, मजा आ गया… ऐसा मजा तो पहले कभी नहीं आया।

उसने पूछा- इससे ज्यादा मजा चाहिये?

मैं बोली- कैसे?

तो वो बोली- मैं तेरे लिए लंड का इंतजाम कर सकती हूँ।

मैं डर गयी और बोली- नहीं यार… वो सब शादी के बाद करना सही होता है। पहले करो तो सब कैरक्टर लेस समझते हैं।

उसने कहा- जब तक कोई पकड़ा ना जाए, कोई कुछ नहीं कहता।

उसकी बात सही थी तो मैं बोली- किसी को पता तो नहीं चलेगा न?

उसने मुझे भरोसा दिलाया कि नहीं पता चलेगा। मैंने डरते हुए हाँ कर दी।

उसने तभी अपने फोन से किसी को फोन मिलाया और सीधा बोली- मेरी सहेली मानसी तुम्हारे लंड से चुदना चाहती है, कल तैयार रहना।

मैंने पूछा- कौन है वो?

वो बोली- कल दर्शन कर लियो दोनों के, लड़के के भी और उसके लंड के भी। अब सो जा अच्छे से, कल बहुत थकान होने वाली है।

मैं कल के बारे में सोचते हुए कब सो गयी, पता ही नहीं चला। अगली सुबह मैं उठी, अर्चना पहले ही उठ चुकी थी, हम दोनों ने आज कॉलेज बँक मार लिया था।

उसने मुझे कहा- तैयार हो जा अच्छे से… आज तेरी अच्छे से चुदाई होगी।

मैंने शरमा के चादर में मुंह छुपा लिया।

वो बोली- अरे अभी से शरमा रही है, आज तो बेशर्म होने की बारी है, जा जल्दी से नहा ले।

मैं नहा धोकर आई तो उसने मेरे लिए अपनी ब्लैक ड्रेस निकाल के रखी थी। वो सिंगल पीस टॉप था, उसमें भी क्लीवेज दिखता था थोड़ा सा।

मैं बोली- मैं ऐसे कपड़े नहीं पहनती।

वो बोली- आज जो मैं बोल रही हूँ… वो कर, इसे पहन ले और बाहर जाते हुये ऊपर से लॉन्ग जाकेट डाल दूँगी, किसी को नहीं दिखेगा।

मैंने पहन लिए वो कपड़े और मेकअप भी कर दिया उसने मेरा। कल तक जो लड़की शरीफ और मासूम दिखती थी, वो आज हॉट लग रही थी। हॉस्टल खाली हो चुका था क्योंकि सभी लड़कियां क्लास लगाने जा चुकी थी।

मैंने पूछा- कितनी देर लगेगी?

तो उसने बताया- ओह हो… मैडम को चुदने की बड़ी जल्दी है?

मैं फिर शरमा गयी।

उसका फोन बजा और उसने बोला- ठीक है, अभी भेजती हूँ।

फिर अर्चना ने रूम से बाहर झाँका और बोली- रास्ता साफ है, हॉस्टल के गेट के बाहर एक गाड़ी खड़ी है.

उसने रूम के छज्जे से मुझे गाड़ी दिखा दी।

फिर मैंने अपना पर्स उठाया, अर्चना मेरे पास आई और बोली- जा मानसी जा… जी ले अपनी ज़िंदगी, और हंसने लगी।

मैं चुपचाप सीधा गाड़ी में आ के बैठ गयी। उसमें बस ड्राईवर था. 20 मिनट के बाद गाड़ी एक ऊंची सी बिल्डिंग के आगे आकर रुकी।

ड्राईवर बोला- मैडम यहीं उतरना है आपको।

मैं उतर गयी और ड्राईवर चला गया। तभी मेरा फोन बजा, मैंने उठाया तो उधर से एक लड़का बोला- मैंने गेट पे बोल दिया है, तुम सीधा अंदर आ जाओ फ्लैट नंबर 804 में। मैं लिफ्ट लेके आठवें फ्लोर पे पहुंची और फ्लैट की बैल बजाई।

जैसे ही गेट खुला मैं एकदम से चौंक गयी। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसने मेरा हाथ पकड़ के अंदर खीच लिया और दरवाजा बंद कर दिया। कमरे में मेरे कॉलेज का एक सीनियर लड़का था जिसका नाम निमेश था। वो दिखने में तो कुछ खास नहीं था पर काफी लंबा तगड़ा था।

मैं चौंककर बोली- सर आप?

वो बोला- हाँ मैं… आओ और सोफ़े पे बैठ जाओ।

मुझे उत्सुकता से ज्यादा अब डर सा लग रहा था।

वो समझ गया था कि मैं डर रही हूँ। उसने बोला- डरो मत, आराम से बैठो।

मैं बेचैनी से बैठ गयी।

वो बड़े सलीके से पेश आ रहा था। निमेश बोला- डरो मत, कुछ नहीं होगा। कुछ पियोगी?

मैं बोली- एक ग्लास पानी दे दो।

उसने पानी दे दिया।

फिर उसने अर्चना को फोन मिलाया और कहने लगा- मानसी आ गयी है फ्लैट पे… पर डर रही है, जरा समझा दो इसे।

निमेश ने फोन मुझे दे दिया। मैं बाल्कनी में जा के बात करने लगी।

अर्चना ने बोला- डर मत, सर बहुत अच्छे हैं, तेरा ख्याल रखेंगे। अब तू जा और चुद ले।

मैंने खुद को समझाया और अंदर आ गयी।

निमेश बोला- मैं तुम्हारे लिए जूस ले आऊँ?

मैंने शर्माते हुये कहा- ठीक है।

फिर जूस पीकर निमेश बोला- तो शुरू करें?

मैंने कहा- मुझे शर्म आ रही है।

निमेश ने कहा- इसमें शर्माने की क्या बात है? यह काम तो सब करते हैं। चलो मैं तुम्हारी शर्म दूर कर देता हूँ।

उसने बोला- मैं आराम से करूंगा, डरो मत।

मैं बोली- क्या मैं बाथरूम जा सकती हूँ।

उसने बाथरूम का रास्ता बता दिया। मैं अंदर गयी, शीशे के सामने खुद को सेट किया और ऊपर की और लॉन्ग जाकेट उतार दी, अपनी ड्रेस सेट की और बूब्स को थोड़ा सा ऊपर करे, बाल भी ठीक करे। फिर मैं रूम में आ गयी. निमेश सोफ़े पर बैठा था और मेरा इंतज़ार कर रहा था। मुझे खुद को इस हालत में देख के शर्म सी आ रही थी।

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निमेश बोला- यार, कितनी खूबसूरत हो तुम! जब से तुम कॉलेज में आई हो, मैं तो तुम्हें ही देखता हूँ, बैठो न।

मैं सामने बैठ गयी.

निमेश बोला- तो शुरू करते हैं.

और उसने पर्दे कर दिया कमरे के। निमेश मेरे पास आया और मुझे देखने लगा। मैं खड़ी हो गयी; मेरा दिल धक धक कर रहा था। वो मेरी और करीब आया तो मैं थोड़ा पीछे हो गयी। निमेश मुस्कुराने लगा। उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये और सिर्फ कच्छा छोड़ दिया। मैं उसके जिस्म को देखे जा रही थी। एकदम बॉडी बना के हीरो लग रहा था, बस उसकी शक्ल हीरो वाली नहीं थी।

निमेश बोला- अब आप अपनी ड्रेस उतारो।

मैंने कहा- मुझे शर्म आ रही है।

उसने कहा- ऐसे तो काम नहीं चलेगा, मैंने भी तो अपने कपड़े उतार दिये।

फिर उसने मेरे कंधे से ड्रेस के फीते खोल दिये और वो नीचे गिर गयी। मैं तो शर्म के मारे धरती में गड़ी जा रही थी क्योंकि अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में खड़ी थी। मैंने अपनी नंगी टाँगे क्रॉस कर के मोड़ ली और नीचे देखने लगी। निमेश समझ गया कि इतना आसान नहीं है मुझे चुदने के लिए तैयार करना।

वो मेरे पास आया, मेरी ठुड्डी को उंगली से उठाया और मेरी आंखों में देख के बोला- आज सब भूल जाओ… बस इस वक्त को एंजॉय करो।

फिर उसने दोनों हाथों से मेरा चेहरा पकड़ा और मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये। मेरी आंखें आश्चर्य से फटी रह गयी। मेरे होंठ उसके होंठों मिले हुये थे. और फिर अपने आप मेरी आंखें बंद हो गयी, मैं उस लम्हे में डूब गयी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

फिर मैं और वो एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। लगभग दो मिनट तक मुझे किस करने के बाद उसने मुझे छोड़ दिया। मैंने आँखें खोली, अब मेरा डर निकल चुका था और मैं मुसकुराते हुए नीचे देख रही थी।

निमेश बोला- यार तुम इतनी मासूम सी हो दिखने में… कि ज़बरदस्ती करने का दिल नहीं कर रहा और मैं मुस्कुरा दी।

लगभग दो मिनट तक मुझे किस करने के बाद उसने मुझे छोड़ दिया। मैंने आँखें खोली, अब मेरा डर निकल चुका था और मैं मुसकुराते हुए नीचे देख रही थी। फिर निमेश ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने कच्छे पे रख दिया। अंदर तो उसका लण्ड खड़ा हो गया था; मेरी तो हथेली में भी नहीं आ रहा था। मैंने चौंक के उसको देखा तो वो मुस्कुराने लगा और कहा- यही तुम्हारी चुदाई करेगा।

मैंने डरते हुये कहा- ये तो अभी से बहुत बड़ा महसूस हो रहा है।

उसने बोला- ये लो पूरा देख लो! और अपना कच्छा नीचे उतार दिया।

अब मेरे सामने एक लंबा तगड़ा लड़का पूरा नंगा खड़ा था और मैं आश्चर्य से उसके शरीर और काले मोटे लण्ड को देख रही थी। मैं खुश भी थी और हैरान भी! उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे हाथ में लण्ड रख दिया। मुझे बड़ी गुदगुदी सी हुयी और हाथ पीछे कर लिया।

निमेश बोला- डरो मत, इसे पकड़ो और सहलाओ।

वो सोफ़े पे टांगें खोल के बैठ गया और मुझे अपने पास बुला कर घुटनों के बल कार्पेट पे बैठा दिया। मैंने उसका लण्ड हाथ में लिया और धीरे धीरे सहलाने लगी। उसका लण्ड तन के और सख्त हो गया और पूरा लण्ड जोश में उफान मार रहा था जैसे कोई साँप हो।

निमेश ने बोला- हाथ से तो मैं भी सहला लेता हूँ, तुम इसे किस करो।

मैंने घूर के उसको देखा और कहा- छीः!

निमेश बोला- छीः नहीं बेबी, होंठों से किस करो टोपे को लण्ड के।

मैंने धीरे से उसके लण्ड के टोपे को किस किया तो वो झटका सा ले गया। निमेश ने जोर की आह भरी, मैं समझ गयी इससे और जोश आ रहा है इसे।

निमेश ने कहा- फिर से करो ऊपर से किस।

मैं जैसे ही किस करने के लिए झुकी, उसने मेरा सिर पीछे से दबा दिया और आधे से ज्यादा लण्ड मेरे मुंह में चला गया. उसका लण्ड उफान मार रहा था और निमेश ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… स्स’ करने लगा। मुझे बड़ी घिन्न सी आ रही थी शुरू में… पर फिर अच्छे से चूसने लगी.

निमेश तो सातवें आसमान पे था, बोला- कितनी बार तुम्हारी फोटो देख के अपने लण्ड को बेवकूफ बनाया है, आज सच में तुम्हारे होंठों के बीच में है। लगभग 3-4 मिनट चूसने के बाद मैंने लण्ड मुंह से बाहर निकाला, वो मेरे थूक से चिकना हो गया था।

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अब बारी मेरी थी, निमेश ने कहा- अब शरमाना कैसा? अपनी ब्रा और पैंटी उतार दो।

मैं उठी और खड़ी हो गयी, मैंने कहा- ये काम तुम करो।

निमेश की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। मैंने ब्रा का हुक खोल दिया और उसने पकड़ के खींच ली और पीछे फेंक दी। वो मेरे गोरे और मोटे बूब्स को देख के पागल सा हो गया और मैं हल्का सा शरमा रही थी। वो मेरे पास आया और मेरे बांयें बूब को हाथ में भर के भींच दिया. मैं कसमसा गयी और उसे देखने लगी।

वो बोला- ऐसे क्या देख रही है?

मैंने कहा- आराम से दबाओ।

वो हंसने लगा और फिर उसने मेरे दोनों बूब्स ज़ोर से भींच दिये. मैं दर्द से तिलमिला उठी, मैंने उसके हाथ हटा दिये।

फिर उसने कहा- बुरा मत मानो, इसी में तो मजा है। और धीरे धीरे हाथ से मसलने लगा.

मेरे बूब्स कठोर होते चले गए और मुझे भी मदहोशी सी होने लगी। तभी उसे पता नहीं क्या शरारत सूझी उसने मेरे निप्पल अपनी उँगलियों से मसल दिये ज़ोर के… और मैं चिल्ला पड़ी दर्द से। वो हंसने लगा।

मैंने गुस्से से कहा- आराम से करना है तो करो, वरना मैं चलती हूँ! और मुंह फेर के खड़ी हो गयी।

निमेश पीछे से आया और मेरे बूब्स को पकड़ को आराम आराम से दबाने लगा और बोला- सॉरी बेबी!

मैं सिसकारियाँ लेने लगी, अब मुझे भी जोश चढ़ने लगा था, मैं उसका पूरा साथ देने लगी। उसने मुझे सोफ़े पे बैठने को कहा तो मैं बैठ गयी, वो मेरे पास आया और मेरे घुटने पकड़ के मेरी टाँगें एकदम से खोल दी और पैंटी को पकड़ के एक झटके में उतार के फेंक दिया।

अब उसके सामने मेरी कुँवारी चूत थी, आधे मिनट तक तो वो देखता ही रहा, मैंने कहा- ऐसे क्या देख रहे हो?

वो बोला- क्या चीज़ बनाई है खुदा ने, इससे पहले ऐसी खूबसूरत चूत नहीं देखी, जितनी भी मारी है सब खुली हुई थी।

मैंने कहा- इसे भी तुम्हें ही खोलना है… पर प्यार से।

उसने कहा- इस चूत का तो भोसडा बना दूंगा जानेमन, तुम देखती जाओ।

मैं शरमा के मुस्कराने लगी और नीचे देखने लगी।

वो मेरी चूत के पास आके सूंघने लगा और कहा- क्या खुशबू है!

और फिर किस करने लगा।

मुझे तो मानो जन्नत का सुख मिल गया हो, मैं ‘स्ससस स्सश सश्शसस उम्म म्म’ करने लगी। अब निमेश अपनी जीभ से मेरी चूत चाटने लगा और जीभ अंदर बाहर करने लगा। मैं ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगी। करीब 3-4 मिनट तक वो मेरी चूत चाटता रहा और मैं उसका सिर अपनी चूत पे दबाती रही। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। अब वो समझ गया कि मैं लंड लेने के लिए तैयार हूँ।

मैंने कहा- ऐसे ही लगे रहोगे या डालोगे भी? प्लीज डालो न… प्लीज प्लीज प्लीज डाल दो अब तो!

अब मेरी सील टूटने ही वाली थी।

निमेश खड़ा हुआ और बोला- चलो बेडरूम में चलो, मैं सबको वहीं चोदता हूँ।

उसने मेरा हाथ पकड़ा और बेडरूम में ले आया।

उसने कहा- कैसे डालूँ… सामने से या पीछे से?

मैंने कहा- सामने से डालो, मैं सील टूटते हुए तुम्हें देखना चाहती हूँ।

उसने मुझे लिटाया बेड पर और मेरी कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया चूत ऊपर करने को। अब नज़ारा मेरे सामने था। मेरी गोरी और चिकनी टाँगें खुली हुई थी और सामने था लंबा तगड़ा निमेश अपने 7 इंच के लन्ड को सहलाते हुए। वो मेरे ऊपर आया और मेरी चूत पे अपने लण्ड का मुंह रख के रगड़ने लगा। मेरी हालत जोश से खराब हो रही थी और वो मुस्कुरा के मजे ले रहा था।

मैंने कहा- प्लीज डाल दो।

उसने उँगलियों से मेरी चूत का द्वार हल्का से खोला और लण्ड घुसाने की कोशिश करने लगा, सिर्फ लण्ड का ऊपरी हिस्सा ही लगाया था। क्योंकि लण्ड बड़ा था तो मुझे शुरू में हल्का सा दर्द होने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

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मैंने कहा- रुको रुको… दर्द सा हो रहा है।

उसने कहा- अभी से दर्द हो रहा है अभी तो सील भी नहीं टूटी।

और इतना कह के उसने और हल्का सा लण्ड अंदर डाला।

अब दर्द तेज़ होने लगा तो मैं ‘श्शस्स स्सस स्सस’ करने लगी और कहा- अब रुक जाओ, बहुत तेज़ दर्द हो रहा है।

उसने मेरा साथ देते हुए लण्ड बाहर निकाल लिया और कहा- क्या हुआ सील तुड़वानी है या नहीं?

मैंने हाँ में सिर हिला दिया। वो फिर डालने की कोशिश करने लगा और मुझे दर्द होने लगा तो मैंने हाथों से उसकी छाती को धक्का देते हुए फिर पीछे धकेल दिया।

वह गुस्सा हो गया और कहने लगा- ऐसे कैसे चोदूंगा मैं?

मैंने कहा- यार, बहुत दर्द हो रहा है। प्लीज अभी रुक जाओ।

उसने कहा- एक मिनट रुक! और बाहर चला गया।

वापस आया तो उसके हाथ में नारियल तेल की बोतल थी, उसने कहा- इससे चिकना कर देता हूँ, फिर आराम से घुस जाएगा।

मैंने कहा- ठीक है।

उसने मेरी चूत पे तेल डाला काफी सारा और हाथ से मालिश सी करने लगा। मेरी चूत और टाँगें सब चिकनी हो गयी और चमकने लगी। अब निमेश से भी रुका नहीं जा रहा था, वो मेरे ऊपर आया और मेरे हाथ फैला के कहा- थोड़ा सा दर्द सहन कर लो, फिर मजा आने लगेगा। मैंने सिर हिला के हामी भर दी.

उसने अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर डालना शुरू किया तो मेरी दर्द से जान निकालने लगी, मैंने कहा- प्लीज रुको रुको!

तो निमेश ने कहा- मुझे माफ करना!

फिर उसने मेरे मुंह को हाथ से ज़ोर से दबाया और एक झटके में पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। चिकनी चूत होने की वजह से लण्ड मेरी सील तोड़ता हुआ पूरा अंदर चला गया। मुझे ज़ोर से दर्द हुआ और झटका सा लगा, चूत पहली बार चुदी थी तो उसे भी डालने में दिक्कत हुई।

मैं दर्द से छटपटा रही थी और उसने लण्ड अंदर ही डाले रखा और मेरे ऊपर लेट गया। मैं ‘उम्म उम्मह उम्मह…’ कर रही थी और वो ज़ोर से सांस ले रहा था। मेरी भी सांस तेज़ हो गयी थी। फिर उसने मेरे मुंह से हाथ हटाया तो मैंने कहा- प्लीज निकालो, मुझे बिल्कुल मजा नहीं आ रहा… बस दर्द हो रहा है।

उसने कहा- रुको निकलता हूँ।

फिर उसने लण्ड निकाला और तुरंत झटके के साथ दुबारा डाल दिया और फिर लण्ड अंदर बाहर करने लगा। हर बार लण्ड अंदर बाहर होने से मुझे झटके लग रहे थे, मेरा पूरा शरीर ऊपर नीचे हिल रहा था। मेरी आँखों में आँसू थे और बहुत दर्द हो रहा था।

पर निमेश रुकने का नाम नहीं ले रहा था; ‘हम्म हम्म हम्म हम्म…’ आवाज कर रहा था, उसे भी बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी चोदने में।

उसने कहा- थोड़ी देर और बर्दाश्त कर लो, अभी धीरे धीरे मजा आना शुरू हो जाएगा।

मैं गीली आंखों से उसकी आँखों में देखती रही और ‘स्सस्स श्सश स्सस्स…’ करती रही और वो लण्ड को अंदर बाहर अंदर बाहर कर धक्के मारता रहा। मैंने अपने होंठ दाँतों से दबा रखे थे और दर्द सह रही थी। फिर उसने लण्ड निकाल लिया और साइड में लेट गया और हाँफने लगा। मैं भी हाँफ रही थी।

अब मेरा दर्द कम होने लगा था, मैंने उठ के देखा तो उसका लण्ड मेरे खून से सना हुआ था और मेरी चूत पे भी खून था, कुछ बूंदें चादर पे भी पड़ी थी. उसने कहा- मुबारक हो… अब तुम्हारी चुत कुँवारी नहीं रही। मैं ‘आह आह आह उम्म उम्म म्म…’ करके ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी.

और अचानक मेरे पूरे शरीर में अकड़न सी हुई और काँपती टाँगों के साथ मैं एक ज़ोर की ‘आअअअह…’ के साथ फच फ़च करके झड़ गयी। मैं निमेश को अपने नंगे बदन से अलग कर दिया और ज़ोर ज़ोर से सांस लेने लगी। मेरे होंठों पे पहली चुदाई और झड़ने की खुशी थी।

निमेश ने कहा- अब मुझे भी तो झड़ने दो।

मैंने मुसकुराते हुए सिर हाँ में हिला दिया। उसने मेरी गीली चूत में लण्ड डाला और धक्के मारने लगा। वो भी ‘आह आह आह आह… मानसी आह… मानसी बस बस आह आह मानसी…’ कह के फच फच करके मेरी चुत में ही झड़ गया और मेरे ऊपर ही गिर गया। हम लोग कुछ देर इसी नंगी हालत में एक दूसरे पे पड़े रहे और सांस नॉर्मल होने तक ऐसे ही रहे।

मैंने कहा- अब उतरो… अब देख तो लेने दो कि तुमने मेरी चूत का क्या हाल करा है।

वो हटा तो उसका लण्ड पतला हो चला था और उसके वीर्य और मेरी चुत के पानी से सना हुआ था और थोड़ा वीर्य भी टपक रहा था। मैंने अपनी चूत का जायजा लिया तो सब गीला हो गया था और काफी चौड़ी हो गयी थी. और होती भी क्यूँ न… उसका 7 इंच का लंबा मोटा लण्ड अपना काम कर चुका था।

फिर हम दोनों करीब 2 घंटे कमरे में नंगे ही बैठे रहे और बात करते रहे। उसके बाद हम दोनों बाथरूम में एक साथ गए और नहाने लगे। उसने मेरे खूबसूरत गोरे नंगे जिस्म पे पानी की बूंदें फिसलती देखी तो उसका लण्ड फिर खड़ा होने लगा और हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे।

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मेरे अंदर फिर चुदने की चाहत जाग गयी, मैंने कहा- दुबारा चोदोगे?

तो उसने तुरंत खड़े खड़े मेरी चूत में लण्ड ठोक दिया। मैं सीईईई की आवाज के साथ उसकी बांहों में गिर गयी। उसने मुझे बाथरूम की दीवार से सटाया और मेरी चुदाई करने लगा। मेरे मुंह से चुदने की सिसकारियाँ निकाल रही थी.

मेरे मुंह से ‘आहह आहह आहह…’ की आवाज निकाल रही थी, बाथरूम में मेरे चुदने की और लण्ड के चूत पे और गीले जिस्म से गीले जिस्म के टकराने की पट पट पट पट की आवाज गूंज रही थी। मुझे दूसरी बार चुद के बहुत मजा आ रहा था।

फिर उसने बोला- घूम जाओ।

तो मैं दीवार की तरफ घूम गयी और उसने पीछे से चूत में लण्ड डाल के मुझे चोदना शुरू कर दिया। लगभग 15 मिनट चोदने के बाद फिर मैं कम्पकापती हुई तेज़ आह के साथ झड़ गयी। पर वो चोदता रहा और थोड़ी देर बाद वो भी चूत में ही झड़ गया। हम दोनों फिर शावर में एक साथ नहाये, नहा के बाहर आए।

उसने कहा- अभी कपड़े मत पहन ना!

मैंने कहा- अब क्या तीसरी बार भी चोदोगे आज ही?

उसने बोला- अच्छा ठीक, अगली बार चोद लूँगा पर नंगी ही रहो।

मैं मुस्कुरा दी और फिर हम शाम तक नंगे ही रहे उसके फ्लैट में। फिर शाम को मैंने और उसने अपने कपड़े पहने और मैं वापस हॉस्टल जाने के लिए तैयार हो गयी। इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद मुझे चलने तक में भी दिक्कत हो रही थी। तब निमेश ने खाना ऑर्डर किया और हमने खाना खाया।

थोड़ी देर बात की, मैंने निमेश से कहा- प्लीज, इस बारे में कॉलेज में किसी को न बताना, वरना मेरी क्यूट और मासूम लड़की वाली इमेज खराब हो जाएगी।

उसने कहा- चिंता मत करो, यह राज हमारे बीच ही रहेगा।

फिर हमने एक दूसरे को एक लंबी किस दी। निमेश ने मोबाइल से कैब बुलवायी. थोड़ी देर में कैब आ गयी और मैं चुपचाप हॉस्टल आ गयी। अपने रूम पे पहुँच कर मैंने गेट खटकटाया, अर्चना ने दरवाजा खोला और मैं अंदर कमरे में चली गयी।

अर्चना ने पूछा- इतना लड़खड़ा के क्यूँ चल रही है? लगता है आज ये कच्ची कली फूल बन के आयी है और खूब अच्छे से चुदी है आज।

तो मैंने कहा- पूछ मत यार… मेरी चूत की कली को उस साले ने चोद चोद के फूल ही नहीं भोसडा बना दिया और सब कुछ दुख रहा है, पर मजा भी बहुत आया, ऐसा मजा तो कभी नहीं आया आज तक।

फिर हम दोनों सहेलियां हंसने लगी और थोड़ी देर बाद सो गई। मैंने अगले दिन भी कॉलेज बँक मारा क्योंकि ठीक से चला नहीं जा रहा था। अगले दो दिन तक मैं दर्द की वजह से कॉलेज नहीं गयी थी। सिर्फ अर्चना कॉलेज गयी थी।

अगले दिन संडे था, कुछ खास काम था नहीं तो अर्चना ने बोला- चलो आज शॉपिंग चलते हैं।

मैं जानती थी कि अर्चना के पापा गरीब है और मैं भी मिडल क्लास फॅमिली से हूँ तो मैंने कहा- पैसे कहाँ से आएंगे? हम इतने अमीर थोड़े ही हैं कि इतनी महंगी शॉपिंग कर सकें।

अर्चना बोली- तू चल न… खर्चा मैं कर लूँगी।

मैंने कहा- तेरे पास पैसे कहाँ से आए इतने?

उसने बोला- छोड़ न वो सब… और तैयार हो जा।

हम दोनों तैयार होके शॉपिंग के लिए चली गई। हमने खूब खाया पिया और मेरी पहली चुदाई सेलीब्रेट की। फिर हम कपड़े खरीदने चले गए। वहाँ अर्चना ने मुझे एक सेक्सी सी रेड टॉप और ब्लाक स्कर्ट वाली ड्रेस ट्राई करने को कहा।

मैं ड्रेस पहन के आई तो उसने कहा- तुझपे बहुत जँच रही है, तू ले ले।

मैंने पूछा- कितने की है?

तो उसने कहा- तू पैक करवा… मैं पैसे दे रही हूँ।

फिर हम काफी सारी शॉपिंग कर के हॉस्टल आ गए। मुझे जानना था कि ड्रेस कितने की है तो मैंने अर्चना के पर्स में से बिल निकाल लिया चुपके से। मैं हैरान रह गयी, ड्रेस 7500 रुपए की थी, मैंने अर्चना से पूछा- अब सच सच बता कि तेरे पास इतने पैसे आए कहाँ से?

अर्चना समझ गयी कि मैं जान के ही रहूँगी।

उसने बताया- अरे वो एक फ्रेंड पे उधार थे तो उसने वापस किए थे।

मैं समझ गयी कि वो झूठ बोल रही है; मैंने उसे उसकी मम्मी की कसम दी और कहा- सच बोल!

उसने जो बताया, वो सुनके तो मैं हैरान रह गयी। उसने बताया कि निमेश ने उसको दिये थे, उनकी 2 हफ़्तों पहले डील हुई थी 35000 रुपए की, डील ये थी कि अर्चना मुझे निमेश से चुदवाएगी, और अगर मैं सच में सील पैक निकली तो निमेश अर्चना को 35000 रुपए देगा वरना सिर्फ 20000 रुपए। तो चुदाई के अगले दिन निमेश ने अर्चना को 35000 रुपए दिये थे। मेरी आँखों में आँसू आ गए थे, मेरी बेस्ट फ्रेंड ने मेरी जवानी की, मेरी चूत की डील की थी। मैं रोने लगी।

अर्चना ने मुझे चुप कराते हुए कहा- सॉरी यार, पर तू किसी से सेटिंग नहीं कर रही थी तो मुझे तुझे बहला फुसला के चुदवाना पड़ा।

पहले तो मैं बहुत गुस्सा थी पर फिर मैं नॉर्मल हो गयी। मैंने सोचा कि अर्चना सही कहती है, जब तक पकड़े न जाओ सब शरीफ होते हैं, और मैं तो शक्ल से वैसे भी शरीफ और मासूम लगती हूँ। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

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मैंने कहा- मैं एक शर्त पे माफ करूंगी।

उसने पूछा- क्या?

तो मैंने कहा- अगली बार से 60-40 हिस्सा होगा पैसों का, 60 मेरा 40 तेरा, अगर मेहनत मेरी तो ज्यादा हिस्सा भी मेरा।

वो हंसने लगी और बोली- पक्का।

फिर अर्चना बोली- वैसे अगला ऑफर 20000 का है निमेश का, उसका बाप बहुत अमीर है।

मैंने बोला- तूने फिर डील की मेरी?

उसने बोला- नहीं यार… उसका मेसेज आया था। तू बोल?

मैंने कहा- यार हम गलत तो नहीं कर रहे? ये तो धंधा हो गया।

उसने कहा- पागल है क्या? तू सड़क पे जा के थोड़े ही ग्राहक लगा रही है, ये सिर्फ अपनी जरूरत पूरी करने के लिए साइड इन्कम है।

मैंने सोचा कि ‘ठीक ही तो है’ तो मैंने हाँ कर दी और कहा- ये बात किसी और को न पता चले।

वो हंस दी और बोली- निमेश की डिमांड है कि अब जब जाए तो वैसे ही सेक्सी बन के जइयो और वैसे ही मासूम और शर्मीली सी बन के रहीयो। उसे बहुत मजा आया था तुझे ऐसे चोदने में।

मैंने कहा- ठीक है।

अगली सेक्स डेट फिक्स हुई बुधवार की, मैं सुबह उठी और नहा धो के तैयार होने लगी। मैंने वही सेक्सी रेड टॉप और ब्लाक स्कर्ट वाली ड्रेस पहनी। अर्चना ने मेरा मेकअप किया, रेड लिपस्टिक और रेड नेल पोलिश लगाई और बाल भी स्टाइल किए, अब मैं एकदम रेड हॉट लग रही थी। दोस्तों अभी कहानी बाकि है, आगे मेरी कौन सी सील टूटती है जाने के लिए पढ़ते रहिये हमारी वासना डॉट नेट को.

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