Lucknow Hot Girl
मेरा नाम मिशा अग्रवाल है। मैं लखनऊ की रहने वाली हूँ और लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ रही हूँ। अपनी फेमिली के साथ रहती हूँ। मेरी जॉइंट फेमिली है जिसमे मेरे चाचा, चाची, पापा, मम्मी, मेरी बहन रूचि, मेरा छोटा भाई, हमारा नौकर मोहन और दादा दादी साथ में रहते है। Lucknow Hot Girl
मेरी उम्र अब 25 साल की हो चुकी है। मेरा रंग हल्का सावला है जिस वजह से कोई लड़का मुझे शादी के लिए पसंद नही कर रहा है। पर सेक्स और वासना की भूख तो मुझे लगती ही है। मेरे मस्त मस्त दूध 38” के है और फिगर 38 32 36 का है। पहले मेरे दूध 36” के हुआ करते थे पर चाचा और ताऊ जी ने दबा दबाकर मेरे दूध अब 38 के कर दिए है।
चाचा और ताऊ जी दोनों मुझे अनेक बार चोद चुके है जिसकी वजह से चूत काफी फट गयी है। मैं भी मजबूर हूँ। मेरे जिस्म में रात में रोज ही आग सी लग जाती है और दिल करता है जो भी मर्द मिल जाए बस उसी से चुदवा लूँ और अपनी हवस और प्यास को शांत कर लूँ।
मैं अपने बॉयफ्रेंड्स, चाचा और ताऊ से अनेक बार चुदवा चुकी थी। काफी सेक्स किया था तभी मेरी नजर एक दिन हमारे नौकर मोहन पर पड़ गयी। ये बात कुछ दिन पहले की है। मोहन हमारा पुराना नौकर था और बहुत वफादार आदमी था। बहुत इमानदार था और कभी कोई चोरी नही करता था।
उस दिन हमारे घर राशन आया था। जब पापा से मोहन से कहा की गेंहू और चावल की बोरियां उठाकर अंदर स्टोर रूम में रख दे तो मोहन एक ही बार में किसी सच्चे मर्द की तरह भारी भारी बोरियों को अपनी पीठ पर उठाकर रखने लगा।
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उसी वक्त मुझे उसकी मर्दाना ताकत का पता चला। एक शाम मोहन हमारे बगीचे में पानी लगा रहा था। वो पेड़ों को सीचने में पूरी तरह से भीग गया तो बगीचे में ही पानी के पाइप से कपड़े उताकर नहाने लगा। उस वक्त मैं उसके सामने ही थी।
मुझे अपने नौकर मोहन के सुडौल और मस्त बदन का दर्शन हो गया। मोहन का जिस्म काफी कसरती था। वो साढ़े 5 फिट लम्बा मर्द था पर उसका बदन बड़ा कसरती था। भरी हुई मर्दाना छाती और मस्त डोले थे। मुझे ये पता करने में देर नही लगी की उसका लंड भी काफी मोटा और मजबूत होगा।
उस शाम को वो अपने कपड़े में लेटा हुआ था और घर पर कोई नही था। मैं धीरे से कुर्ती और पजामी पहनकर उसके कमरे में चली गयी। हमारा नौकर मोहन सेक्स पिक्स वाली किताब देख रहा था। जैसे ही मैंने दरवाजे पर नोक किया उसने जल्दी से किताब को अपनी तकिया के नीचे छुपा दिया।
“मिशा बेटी आप??” वो चौंककर बोला.
“हाँ घर में कोई नही है जो मुझसे बात कर सके इसलिए तुम्हारे कमरे में चली आई हूँ। पर मोहन अंकल अभी आप कौन सी किताब पढ़ रहे थे?? मुझे भी देखना है” मैंने कहा.
“वो किताब बच्चो के लिए नही है बेटी!!” मोहन बोला.
“नही मुझे भी पढनी है” मैंने कहा और उसके तकिया से पोर्न पिक्चर वाली किताब निकाल ली। जब उसे खोला तो औरतो और मर्दों की मस्त मस्त चुदाई वाली फोटो देखकर मेरे तो होश उड़ गये। मैं भी देखने लगी। मोहन मुंह छिपाने लगा।
“क्यों अंकल आप तो बड़े सेक्सी मर्द निकले। चूत चुदाई तुमको बहुत पसंद है। है ना??” मैंने कहा.
“बेटी!! तू तो जानती है की मेरी शादी नही हुई। बस इन्ही तस्वीरों को देखकर मुठ मार लेता हूँ और दिल बहला लेता हूँ” मोहन बोला.
“फोटो से क्यों काम चला रहे हो अंकल! जब जवान लड़की की चूत तुमको मिल सकती है” मैंने कहा और अपने दूध पर से दुप्पटा हटा दिया।
अब मोहन मेरे 38” के बड़े बड़े सन्तरो को देखने लगा। फिर मैं उसके सामने ही अपने दूध हाथ में उठाकर उसे दिखाने लगी। कुछ देर तो चुप रहा। उसके बाद मोहन भूल गया की मैं उसके मालिक की बेटी हूँ। मुझे उसके पकड़ लिया और बड़ी जल्दी जल्दी मेरे गाल और गालो पर किस करने लगा।
मैं भी उससे पट गयी और उसे दोनों हाथ खोलकर सब कुछ करने दे रही थी। ऐसा लगा की वो कितने सालो से प्यासा था। 10 मिनट उसके बड़ी जल्दी जल्दी पागलो की तरह मेरे गाल, ओंठो, सीने, आँखों सब जगह किस किया। फिर मेरा भी दिल धड़कने लगा।
फ्रेंड्स उस समय मैंने अपने बालो में दो छोटी की थी। मोहन ने मेरे बाल कसके पकड़े और मेरे चेहरे को बड़ी जोश भरे अंदाज से उपर उठाया और इससे पहले मैं उसे रोक सकती उसने अपना मुंह मेरे मुंह पर रख दिया और बड़ी जोशीले अंदाज से होठ चुसाई करने लगा। मुझे भी अच्छा लगने लगा और मैं भी मुंह चला चलाकर उसके साथ किस करने लगी। पूरे 6 मिनट उसने मुझे चूसा।
“मिशा बेटी!! अगर तू आज अपनी भरी हुई चूत दे दो तो बड़ा अहसान होगा!!” मोहन मेरी आँखों में किसी आशिक की नजरो से बोला।
मेरे मस्त मस्त यौवन को भोगने की ललक और लालसा उसकी आँखों में साफ़ साफ़ दिख रही थी। उसका भी BP हाई हो गया था और मेरा भी हाई हो रहा था। हम दोनों का दिल धकड़ रहा था जोर जोर से।
“मोहन अंकल!! मैं भी आपसे चुदने को मर रही हूँ। कितने दिन हो गये ना तो चाचा जी ने मुझे चोदा और ना ही ताऊ जी ने। आप आज भी मुझे अपने मोटे लंड से चोद लो!!” मैं बोली उसकी आँखों में आँख मिलाते हुए।
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उसके बाद मोहन से दरवाजे को बंद कर दिया और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। वो मेरे करीब आकर लेट गया और बांहों में मुझे ले लिया और फिर मेरे बदन पर हर जगह किस करने लगा। मैं भी उसे चूमने चूसने लगी। मेरे 38” के बड़े बड़े चूचो पर वो हाथ लगाने लगा।
मेरे यौवन को वो छूकर और सहलाकर चेक करने लगा। फिर मेरी बड़ी बड़ी चूचियों को हाथ से दबाने लगा। मैं “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा सी सी सी” करने लगी। मोहन मेरी कुर्ती के उपर से मेरी चूचियों पर चुम्मा देने लगा। मुझे गुदगुदी होने लगी।
फिर हम दोनों ने अपने अपने कपड़े उतार दिए। मैंने उस दिन लाल रंग की पेंटी ब्रा का सेट पहना था। मोहन काले कच्छे में आ गया। फ्रेंड्स मेरा रंग सावला जरुर था पर जिस्म उपर से नीचे से भरा हुआ था। मेरे 38 32 36 के फिगर को मोहन हाथ से छूकर देखने लगा।
मैंने उसे नही रोका क्यूंकि आज मेरा भी उससे कसके चुदवाने का दिल था। इस वक्त उसके दोनों हाथ मेरे हाथो, दूध, कमर और जांघो पर सरपट सरपट दौड़ रहे थे। मेरी 38” की बड़ी बड़ी चूचियां लाल ब्रा में कैद थी जिस पर भी वो हाथ लगा रहा था।
मुझे बार बार किस किये जा रहा था। मैं तो अंगडाई ले रही थी। सबसे पहले मेरे नौकर ने मेरे बाजुओं पर चुम्मी लेना शुरू किया, फिर कन्धो पर चुम्मा देने लगा। मेरी चूचियों को दोनों हाथ से मसलने लगा। मेरे पेट पर हाथ लगाने लगा।
““……अई…अई….अई…..इसस्स्स्स्स्स्स्स्……मोहन अंकल!! कितना मजा आ रहा है…..उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” मैं कहने लगी।
वो बिलकुल से कामातुर हो गया और पेट की नाभि पर हाथ घुमाते हुए किस करने लगा। फिर पेंटी के उपर से चूत पर हाथ लगाने लगा। फिर उसने मेरी ब्रा को उतरवा दिया। अपनी बनियान को उसने उतार दिया और मुझसे ऐसे चिपक गया की जैसे मैं उसकी गर्लफ्रेंड हूँ।
फ्रेंड्स मोहन 40 साल का अधेड़ मर्द था और मैं 25 साल की नव युवती थी। ऐसे में वो मुझसे 15 साल बड़ा था पर मुझे मजा बराबर आ रहा था। मुझ पर लेटकर वो मेरे नंगे दूध को हाथ में लेकर दबाने लगा और चुम्मा लेने लगा। मेरे गले और चेहरे पर उसने हजारो बार किस किया।
फिर मेरे बड़े बड़े 38” के चूचे पकड़कर दबाने लगा। एक बार फिर से मैं “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…”करनी लगी। वो मेरे आमो को पास से देखने लगा। मैं सांवली रंग की जरुर थी पर मेरी चूचियां काफी सेक्सी और गोरी थी।
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मोहन कुछ देर तक हाथ से दबा दबाकर देखता रहा फिर काली निपल को मुंह में लेकर चूसने लगा। मैंने अपने दोनों हाथ खोलकर उसका तहे दिल से स्वागत किया और सिसकियाँ लेने लगी। वो तो मेरे पूरे आम को मुंह में लेना चाहता था पर ऐसा सम्भव न था। क्यूंकि 38” की चूचियां काफी विशाल आकार की होती है।
मेरे संतरे तो सफ़ेद थे पर निपल्स के चारो तरह काले काले चिकने गोले तो कयामत ढा रहे थे। मोहन जल्दी जल्दी चूसने लगा। वो अब मेरी धारदार और उफनती मदमस्त जवानी का मजा ले रहा था मेरे रसीले स्तन चूस चूसकर। इस तरह मैं काफी गर्म हो गयी थी। मेरी चूत किसी गर्म अंगारे वाली भट्टी की तरह सुलग गयी और अपनी चूत चुदवाने की इक्षा मेरे तन मन में भर गयी।
“चूसो अंकल!!! आज तुम भी अपना अरमान पूरा कर लो!! सी सी सी सी..हा हा…. मैं कहने लगी.
मोहन मेरी बात सुनकर और जोश में आकर मेरे निपल्स और दूध को पीने लगा। काफी देर तक उसने चुसाई जारी रखी और इसी बीच कई बार मेरे संतरे पर दांत गड़ाकर काट लिया। मैं तेजी से चीख पड़ी। मेरे पेट को दोनों हाथ से सहलाये जा रहा था और चुम्मा देते हुए नीचे बढ़ रहा था। फिर उस चूत के भूखे नौकर को मेरी गड्ढेदार नाभि दिख गयी और अब मोहन उसका भी दीदार करने लगा।
“मिशा बेटी!! तेरी नाभि बहुत सेक्सी है” वो बोला.
“चाट लो अंकल चूस डालो इसे भी!!” मैंने कहा.
मोहन के मन में कामवासना और चुदाई की ज्वाला फिर से धधक गयी। मेरी नाभि में ऊँगली करने लगा और हिलाने लगा। मैं कांपने लगी। चूत गीली होने लगी। फिर उसने अपनी जीभ नाभि में घुसा दी और मुझे सताने लगा।
““आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…अंकल!! आप तो बड़े रंगीले मर्द हो!! सी सी सी सी..हा हा हा..” मैं बोली.
मोहन ने 5 मिनट तक मेरी गड्ढेवाली नाभि को चूस चूसकर पिया और मुझे पूरी तरह से चोदन के लिए गर्म कर दिया। फिर हाथ से मेरी लाल पेंटी के उपर से चूत को घिसने लगा। मैं मचल गयी। अब वो बिलकुल नीचे मेरी चूत पर आ गया और पेंटी के उपर से मेरी चूत को काफी देर चाटता रहा।
इस तरह से सताने की वजह से मैं झड़ गयी और मेरी पेंटी मेरे ही मक्खन से भीग गयी। अब मजबूरन उसे मेरी पेंटी को उतारना पड़ा। मैंने खुद ही अपने दोनों पैर खोल दिए जिससे अच्छे से वो मेरे भोसड़े का दीदार कर सके।
“वाह मिशा बेटी!! क्या मस्त फुद्दी है तेरी!!” मोहन नौकर बोला.
“अंकल सोच क्या रहे हो!! चाट लो ना!! देखो जादा देर न करो वरना अभी कोई आ जाएगा” मैं बोली.
फिर भी वो मेरे रस से भीगे भोसड़े का दीदार करता रहा। फिर जीभ लगाकर चाटने लगा। मैं कामातुर और चुदासी होकर बेड की चादर को मुंह में लेकर काटने लगी। मैं “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..”करने लगी।
मोहन मेरे मक्खन को चाट चाटकर पीने लगा। मैंने भी उसे मना नही किया। पूरी तरह से चुसवा रही थी। नौकर की जीभ अपना कमाल दिखा रही थी। वो मेरी चुद्दी के रोम रोम को पी रहा था और घी समझकर चाट रहा था। मुझे अत्यधिक मजा मिलने लगा।
मैं अपने पेट को उपर उठाने लगी। अपनी कमर और चूत भी जोश में आकर उठा रही थी। मेरी आहे अब बहुत तेज हो गयी थी। मोहन तो चाटता ही चला गया। मैं फिर से झड़ने वाली हो गयी। उसी वक्त उसने अपने निकर को जल्दबाजी में उतारा।
मैंने उसके लौड़े को देखा। 6” लम्बा काला लौड़ा था। मोहन ने जल्दी से लंड मेरी चूत में सेट किया और धक्का मारा। अईईई—मैं बोली और लंड खा गयी। अब वो मुझे जल्दी जल्दी लेने लगा। जिस बिस्तर पर मैं चुद रही थी वो चर चर्र करने लगा।
जैसे जैसे मैं चुदने लगी मुझे बड़ा बेहतरीन लग रहा था। वाह!! क्या गजब का अहसास था। मोहन अपनी गांड उठा उठाकर मुझे पेल रहा था। आ आ हा हां बोलकर ताबडतोड़ धक्के मेरे भोसड़े में दे रहा था। उसके लंड की मोटाई को मैं अपनी रसीली योनी में महसूस कर रही थी।
मोहन नौकर ताबड़तोड़ मेरी चुदाई कर रहा था और मैंने अपनी दोनों टाँगे खोलकर उठा दी थी। वो मुझे गालो, गले और ओंठो पर चुम्मी पर चुम्मी दिए जा रहा था। “मिशा बेटी!! लव यू!!” वो बोले जा रहा था। इधर मैं “ हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ—ऊँ…ऊँ सी… हा हा हा.. ओ हो हो….” किये जा रही थी।
“मोहन अंकल!! यू आर सो ग्रेट!! keep fucking me!! यस यस यस सी सी सी….” मैं कहे जा रही थी। हम दोनों गुत्थम गुत्थी होकर सम्भोग में डूब गये। फिर मोहन ने मेरे 38” के दूध को फिर से दोनों हाथो से पकड़ लिया और अपनी गर्लफ्रेंड की तरह मसलने लगा। वो धक्के पर धक्के दिए जा रहा था।
उसके धक्को को मैं बड़े हर्ष और उल्लास से स्वीकार कर रही थी। मेरी आहे और तेज चलती सांसों की हवा उसके चेहरे पर पड़ रही थी। वो रंगीन पल था जो मैंने अपने नौकर के हाथ बिताया था। मोहन से कम से कम 80 90 धक्के मेरी रसीली चूत में मारे और अब स्खलित होने वाला था।
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“हाँ अ अ सी सी बेटी!! कहाँ माल गिराऊं!!” वो लम्बी सांसे भरते हुए पूछने लगा.
“अंकल!! चूत में ही गिरा दो!!” मैंने कहा.
फिर उसने आखिर में लम्बा धक्का गच्च से चूत में मारा। उसका लंड मेरी बच्चेदानी तक पहुच गया, मुझे फील हुआ। फिर उस चोदू नौकर ने अपना माल मेरी चूत में ही छोड़ दिया। फिर लौड़ा अपने आप बाहर आ गया। मोहन मेरे बाजू ही लेट गया। वो हांफ रहा था। उसकी सांसे भारी और लम्बी थी। मैं बैठ गयी और उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी।
“….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…चूस और चूस मिशा बेटी!!” वो बोला.
मैं उसके लंड को मुठ देने लगी और मुंह में लेकर चूसने लगी। उसकी गोलियां अब सेक्स करने के उपरान्त ढीली हो गयी थी। मैं उसकी गोलियों से भी खेलने लगी थी। उसके पेट पर मैं किस करने लगी। कुछ देर मस्ती करती रही। फिर मोहन नौकर ने मुझे कुतिया बनाकर मेरी गांड चोद डाली। फ्रेंड्स अब तो कई महीने हो गये है। हम दोनों के नाजायज चुदाई वाले रिश्ते के बारे में घर में अभी तक कोई नही जानता है। जब घर में कोई नही होता है मोहन के कमरे में जाकर चुदवा लेती हूँ।
Samer says
Kise aunty girl bhabhi ko chodae karani ho to call ya watsoop pe massage karo
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