Dehati Kamuk Ladki Chudai
मेरा नाम प्रकाश है। मैं यूपी के एक छोटे से गांव में रहता हूं मैने 10th तक पढ़ाई गांव से ही की है उसके आगे की पढ़ाई के लिए मैं शहर चला गया था। गांव मे मेरी छवि एक सीधे साधे लड़के की है। मैं ज्यादा किसी से बात नही करता था सिर्फ पढ़ाई करता था। Dehati Kamuk Ladki Chudai
ये बात तब की है जब 12th खत्म होते ही मुझे चिकन पॉक्स हो गया फिर मुझे घर आना पड़ा मेरे घर में 4 लोग है मैं, मेरा छोटा भाई, मां, पापा। तो हुआ यों कि मुझे चिकन पॉक्स हो गया तो मेरा ईलाज गांव मे ही चला ढेर सारे इंजेक्शन और दवाई के बदौलत मै 15 दिन में ठीक हो गया।
लेकिन बहुत कमजोर हो गया था 5वें और 6वें दिन का तो मुझे कोई होश ही नहीं था सभी बताते हैं कि मैं 2 दिन पूरा बेहाश था। अब डॉक्टर ने बोल दिया की मै 6 महीने यहीं आराम करूं और अच्छा खाना खाऊं मतलब 6 महीने मेरी पढ़ाई चौपट थी। अब 16 दिन से सारे रिश्तेदार पड़ोसी देखने आने लगे हाल चाल लेते चले जाते।
उनमें से एक लड़की बुरा सा( गुस्सा हुआ) मुंह बनाके रोज आती और दवा, कभी जुस कभी कभी देती थी और दिन मे 2, 3 बार आती लेकिन कुछ नहीं बोलती थी। मैने सोचा इसका कौन सा भाई बीमार है जो इतना दुखी है, जो हमेशा चेहरे पर 12 बजा रहता है। फिर मुझे ध्यान आया कि ये मेरी पड़ोसन है 2 साल में बड़ी हो गई है इसलिए पहचान नही पा रहा हूं।
खैर ऐसे ही 15 दिन और निकल गए और अब मैं कुछ ठीक लग रहा था। कुछ दिन बाद मेरे घर के बगल में खाली मैदान में सर्कस दिखाया जाना था मेरा घर एक मंजिल का है दूसरी मंजिल पर सिर्फ दो रूम है मेरा घर काफी बड़ा है इसलिए सर्कस देखने के लिए बहुत सारी कुर्सियां केवल महिलाओ के लिए लगा दी गई शाम 7 बजे सर्कस शुरू होना था तो मैं भी एक कोने की कुर्सी पर बैठ गया।
कुछ देर बाद मेरी बाई ओर की कुर्सी पर कोई लड़की आकार बैठी थोड़ी देर बाद उसका हाथ मेरे हाथ से लग गया मैने हाथ हटा बाई ओर देखा तो वही लड़की थी और सामने देख रही थी फिर कुछ देर बाद उसने हाथ मेरे बाए कंधे पर रखा मैं वहा से हट गया और दूसरी मंजिल पर जाने के लिए बांस की सीढ़ी है उसे चढ़ कर मै उपर चला आया.
वहा सिर्फ एक टंकी है और टंकी साइड 4 फीट दीवाल है लेकिन बस टंकी तक जिस साइड सर्कस चल रहा था उस साइड सिर्फ 2 ईंट है उधर भी बच्चे चटाई बिछा कर सर्कस देख रहे थे तो मैं भी उधर ही पालथी मार कर बैठ गया, कुछ देर बाद मेरे पीछे सट कर कोई बैठ गया.
मैने देखा तो वही लड़की थी मैं फिर जाने लगा तो वो मेरे पीठ पर लद गई उसे देख कुछ बच्चे भी चढ़ गए अब मैं नीचे लेटा था वो मेरे पीठ पर और उसके पीठ पर बच्चे इतने मे सोर गुल में उसने मेरे कान मे आई लव यू कह दिया। ये पहली बार मै उसका आवाज सुन रहा था, फिर मैं सबको साइड कर उठा और उसको डांटते हुए बोला।
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मैं: पागल है क्या, जाके बोले मम्मी को, सारा प्यार का भूत निकाल देंगी।(इतना बोलते हुए मै सीढ़ी की तरफ बढ़ा).
वो: किसी को बताए तो यहीं से कूद जाएंगे.
इतना सुनते ही मेरे कदम ठिठक गए। वो मेरे पास आते हुए।
वो: किसी को बताने से पहले सोच लेना।
मैं: दिमाग खराब है क्या बोल रही हो कुछ पता है, हमको तुम्हारा नाम तक नही पता है बड़ा आई इश्क लड़ाने।
वो: प्रीती नाम है मेरा अपने दिल पर लिख लीजिए हमेशा के लिए। (वो ये सब काफी बिंदास होकर बोल रही थी जबकि मेरे आवाज में घबराहट साफ देखी जा सकती थी).
मैं: पागल है क्या दिल पर लिख लो कुछ भी बकवास कर रही हो। बिना सोचे समझे।(उसने मेरी घबराहट को समझ लिया था).
वो: मैंने सोच लिया है आपको सोचने के लिए कल तक का समय दे रही हूं, कल इसी समय मुझे मेरा जवाब चहिए और जवाब हां में चाहिए। (इतना बोलकर वो सीढ़ी उतर कर चली गई).
मै वही बैठ कर सोचने लगा की अभी हुआ क्या फिर मैंने अपने दिमाग पर जोर दिया तो मुझे याद आया कि इसका घर तो मेरे घर के दाई बगल मे है 5, 6 साल पहले जिस लड़की की नाक बहती रहती थी वो क्या इतनी बड़ी हो गईं की मुझे परपोज कर दी। मैने तो उसे गौर से कभी देखा भी नही।
उसके घर में दादा, पापा, मम्मी, एक बड़ा भाई जो मुझसे 4 साल बड़ा है, रहता है। ये सब सोचते हुए मै अपने रुम मे आकर सो गया। फिर अगले दिन दोपहर को मैने उसे कपड़े पसारते देखा एक लड़की जो 17, 18 की है छोटे छोटे चूंचे कमर तक बाल गोरी चिटी गोल चेहरा कटीले नयन नक्श अभी अच्छे से जवान भी हुई नही है क्या चाहती है मुझसे। शायद अटैरक्शन होगा।
इतने में उसने एक नजर मेरे रूम के खिड़की पर डाला जहां से मैं उसे देख रहा, मैंने उसे थपड़ का इशारा हाथ से किया फिर वो नीचे चली गई। आज वो पूरा दिन मेरे घर नही आई वरना लगभग रोज ही आती थी इस वजह से मेरा दोपहर की दवाई और जूस भी छूट गया।
मैंने सोचा चलो हो सकता है पीछा छूट चुका। लेकिन शाम होते ही फिर सर्कस चालू हुआ मै फिर उपर चला गया, पर मेरी नजर पहली मंजिल की छत पर ही था कुछ ही देर मे वो आ गई अब मैंने सोचा कि मैं बांस की सीढ़ी ही ऊपर खींच लेता हूं जिससे वो ऊपर नही आ पाएगी.
लेकिन सीढ़ी काफी भारी थी मेरे काफी ताकत लगाने के बाद भी नही ऊपर हुआ ये करते हुए उसने मुझे देख लिया फिर वो सीढ़ी की तरफ आने लगी तो मैं उठ कर बच्चों के पास चला गया, 3, 4 बच्चे आज भी ऊपर से सर्कस देख रहे थे। वो मेरे पास पीठ पर लद कर बैठ गई।
वो: ज्यादा होशियार बन रहे थे सीढ़ी क्यों हटा रहे थे।
मैं :(उसे दूर हटाते हुए) हटा है क्या हटा होता तो तुम यहां आ पाती।
वो: ये सब छोड़ो, क्या सोचा तुमने।
मैं नीचे आने के लिए उठा लेकिन सीढ़ी के पास आते ही उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया।
मैं: (डरते हुए) छोड़ो पागल हो क्या कोई देख लेगा बच्चे भी यही हैं।
वो:(मुझे धकेलते हुए) यहां चलो यहां कोई नही देखेगा। (ये कहते हुए उसने मुझे टंकी और दीवाल के बीच कोई 3, 4 फीट के गैप में धकेल दिया। यहां कोई नही देख देख सकता था बच्चे भी 30 फीट दूर थे.)
मैं: (उसे खुद को छुड़ाते हुए) थोड़ा दूर से बात करो।
वो: ठीक है पहले मेरा जवाब दो।
मैं: कौन सा जवाब।
वो: ज्यादा बनो मत, बोलो की मुझसे प्यार करते हो।
मैं: पहले ये बताओ ये सब कब हुआ और तुम्हारी उम्र ये सब करने की नही है, कितना एज हुआ है तुम्हारा, ये सब इस उम्र में अट्रैक्शन हो जाता है।
वो: 18 साल पिछले हफ्ते ही हुआ है, आधार कार्ड दिखाए क्या। और कोई अट्रैक्शन नही है सच्चा प्यार है।
मैं: प्यार का मतलब समझती हो।
वो: हां समझते हैं। बात को घुमाओ मत, बोलो की मुझसे प्यार करते हो वरना यही से कूद जाऊंगी।
मैं: पहले ये बताओ ये सब हुआ कैसे। मतलब मुझसे तुम्हें प्यार कैसे हुआ मै तो 2 साल मे यहां सिर्फ होली दीवाली पर ही आया हूं।
वो: तुमसे प्यार मुझे 3 साल पहले ही हुआ था जब मैं 9th मे पढ़ती थी मेरी सारी सहेलियां तुम्हारा नाम लेकर मुझे चिढ़ाती थी। तभी से तुम से प्यार हो गया। तुम हो भी तो काफी पढ़ने मे तेज सीधा ईमानदार, हैंडसम। वो मुस्कान तो तुमको परपोज ही करने वाली थी वो तो मैंने तुमको बचा लिया।
मैं: कौन मुस्कान।
वो: तुम्हारे क्लास वाली।
मैं:(मजाक करते हुए) अरे हां कितनी सुंदर थी वो।
वो: (मेरे निप्पल ऐंठते हुए) तेज मत बनो अब जवाब दो।
मैं:(उसे छुड़ाते हुए) ठीक है लेकिन 3, 4 साल पहले तो तुम्हारा नाक ही बहता रहता था उस उम्र में प्यार कैसे हो गया, और 2 साल में भूली नही तुम।
वो: (मुक्का मारते हुए) ही ही ही वेरी फनी। अब जवाब दो।
मैं: मैं हां बोल दूं तो ये किस प्रकार का प्यार होगा।
वो: सच्चा वाला प्यार।
मैं: ठीक है हां बोल दिया अब जाओ।
वो: ऐसे नही पुरा बोलो आई लव यू प्रीती।
मैं: आई लव यू प्रीती।
वो:(खुश होते हुए मुझसे लिपट गई) आई लव यू टू लव।
मैं:(उसे हटाते हुए) अब चलो।
वो: एक किस दे दो ना।
मैं: अभी तो सच्चा प्यार था।
वो: अरे इतना तो चलता है।
मैं: ठीक है कर लो।
उसने होंठो पे सीधा चूम लिया।
मैं: ये क्या था।
वो: किस। अब तुम भी मुझे करो ना।
मैं:(उसके माथे को चूमते हुए) चलो अब निकलो।
वो: ये क्या था जैसा मेने किया वैसा करो।
मैने पहले आंखों को चूमा फिर गालों को फिर होंठों छू कर हटा लिया।
वो:(आंखों में आसूं ली हुई) 1 मिनट तक होंठों को चूमने दो ना प्लीज़।
मैं: (उसके आसूं ओंठो से चूमते हुए) ओके। कर लो।
वो मेरे होंठों पर टूट पड़ी, मैंने उसे रोकते हुए।
मैं: ऐसे नही करते, मैने उसके होंठों को चूसना शुरु किया बोला धीरे धीरे से 1 मिनिट में ही उसकी सांसे उखड़ने लगी।
मैं: क्या हुआ।
वो: अपनी सांसे कंट्रोल करते हुए कहा से सीखा ऐसा किस करना जरूर शहर मे कोई गर्लफ्रेंड होगी।
मैं मन में सोचते हुए तुझे क्या पता ये सब मैंने कहाँ से सीखा है। इतने में ही होश उड़ गए। फिर एक फाइनल स्मूच उसके गर्दन पर की और जल्दी से नीचे उतर कर खाना खाकर सो गया। फिर अगले दिन दोपहर में दवाई और जूस बनाकर चली गई।
इतने नजदीक से दिन में पहली बार गौर से देखा काफी सुंदर थी। फिर शाम को मैं ऊपर था वो फिर आ गई फिर कोने मे ले गई आज पूनम की रात थी तो काफी उजाला था आज उसने शूट और सलवार पहना था। आते ही मुझसे लिपट गई।
मैं: ये सच्चा प्यार है या हवस है।
वो: आज मुझे खुलकर प्यार करो। इतना कहकर वो मुझे किस करने लगी फिर मैने भी उसका साथ देना शुरू किया लेकिन वो अच्छे से नही कर पा रही थी तो मेने उसे समझाया।
वो: आज मुझे करना है।
मैं: क्या करना है।
वो: वो सब जो गर्ल फ्रेंड ब्वॉय फ्रेंड करते हैं।
मैं: क्या करते हैं।
वो: ओहो छेड़ो मत तुमको पता है वो।
मैं: क्या?
वो: सेक्स।
मैं: पागल हो क्या। क्या बोल रही हो पता है पहले कभी की हो, सेक्स क्या होता है पता भी है।
वो: तुम्हारे बिना किसी से कर सकते हैं क्या। हमको नही पता तो तुमको तो पता ही होगा तुम बता दो।
मैं: अरे हमको भी नही पता है और यहा हो भी नही सकता।
वो: तो दीदी से पूंछे क्या उसको तो पता ही होगा।
मैं: पागल हो क्या। देखो सेक्स तो यहां नही हो सकता लेकिन मैं उसके जैसा मजा दे सकता हूं लगभग।
वो: ठीक है।
मैं: तो तैयार हो जाओ रोमांच सफर के लिए।
सबसे पहले मैने उसके चेहरे को दोनो हाथों से पकड़ कर अपने होंठ उसके होंठ के नजदीक ले आया लेकिन सताया नही जब उसके होंठ सूखने लगे फड़फड़ाने लगे तब चूसना शुरु किया फिर गालों से होते हुए उसके गर्दन तक होंठ से चूसने लगा गर्दन चूसते ही उसके होश फाख्ता हो गए वो नीचे गिरने लगी मैंने उसे अपनी बांहों में थाम लिया। कुछ देर मे वो नॉर्मल हुई तो मैं फिर शूरू हुआ.
अब मैंने उसके गर्दन से होते हुए उसके गले को चूसने लगा फिर उसके सीने के ऊपर मैने चूसा मेरे हाथ उसके चूतड सहला दबा रहे थे वो फिर हाफने लगी थी मैंने उसे गोद में उठा लिया और उसके होंठ चूसने लगा उसकी चूत मेरी कमर पर थी मैने उसे अपने कमर पर ही रगड़ा कुंछ ही सेकेंड में वो झड़ कर पस्त हो गई मुझे मेरे पेट पर काफी गीला गीला लग रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं: (उसके आंखों में देखते हुए)कैसा लगा।
वो शर्मा गई और मेरे सिने मे सर छुपा लिया।
मैं: मैं अब जाओ और कल शर्ट और स्कर्ट पहन कर आना और मजा आयेगा।
इस बार वो बिना कुछ बोले जाने लगी तो मेने उसे पकड़ कर एक बोनस स्मूच दे दिया। फिर वो सरमाते हुए चली गई। अगले शाम को वो शर्ट और स्कर्ट पहन कर आई।
मैं: कैसा लगा कल।
वो: ऐसा लगा स्वर्ग मे हूं। काश तुम्हारी बांहों में पुरी जिंदगी बीत जाए।
मैं: तो आ जाओ।
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इतना बोलकर मैं उसको अपनी बाहों में खींच लिया और किस करने लगा फिर उसके शर्ट खोल दी उसने नीचे मैरून कलर की ब्रा पहनी थी उसे भी उतार दिया उसके चूंचे इतने भी छोटे नही दे सबसे पहले मैंने उसके दाएं चूंचे पर जीभ लगाया वो सिहर गई फिर उसे पुरा मुंह में लेने कि कोशिश कि लेकिन पुरा नही आ पाया वो काफी दर्द और उत्तेजना मे आंहे भरने लगी.
फिर मैने दूसरे चूचे को चूसा फिर दोनो चूचों के बीच चूसा फिर हाथों से सहलाया फिर नीचे आकर पेट और नाभि चूसा फिर स्कर्ट उठाकर पैन्टी के ऊपर से चूत को चूमा फिर उससे पूछा उतार दूं उसने शरमा कर हां मे सिर हिलाया फिर उसे घुमाकर उसकी पँटी उतारी और उसके चूतड पर दांतों और होंठ से हमला किया उसके चूतड चांद के उजाले में चमक रहे थे।
फिर उसे आगे घुमाया उसकी चूत देखी खैर उसे चूत कहना गलत होगा वो बूर थी एक दम चिकनी एक भी बाल अभी नही था सारे रोए थे हल्के हल्के मैने सीधा अपना जीभ रख दिया कुछ ही सेकंड में वो भर भरा गई उसके बूर का पानी मेरे जीभ साफ कर रहे थे अब वो मेरी बांहों में थी मैंने उसे कस कर दबोच रखा था। कुछ देर बाद वो नॉर्मल हो गई।
वो: मुझे तो प्यार कर लिया तुमने अब मुझे भी मौका दो तुम्हे प्यार करने का। लड़को को प्यार कैसे करते हैं बताओ।
मैं: तो रोका किसने है जैसा मैने किया वैसे ही तुम भी करो।
मैं अब दीवाल से सटकर बैठा था और उसे अपने गोद मे बिठा लिया था, ऊसके बूर और मेरे लन्ड के बीच सिर्फ पैंट और अंडरवियर थे। फिर उसने किस से स्टार्ट किया और गर्दन होते हुए मेरे निप्पल चूसने लगी फिर पेट से होते हुए लन्ड पर पैंट के ऊपर से होंठ लगा दिया फिर मेरा पैंट अंडरवियर सहित उतर दिया मेरा लन्ड पुरा रॉड बना हुआ था 7 इंच का उसने मेरे लन्ड के तरफ होंठ बढ़ाए मेने उसे रोक दिया।
वो: क्या हुआ क्यों रोका।
मैं: इतने प्यारे होंठ लन्ड चूसने के लिए नही बने हैं। (मैने उसे अपने गोद में बिठा कर होंठ चूसने लगा।)
वो: (मेरे लन्ड पर बैठी थी) तो अब तुमको कैसे प्यार करूं। यही तो अन्दर जाता है इसी को तो सेक्स कहते हैं डाल दो ना प्लीज़।
मैं: पागल इतना बड़ा जाएगा। अभी नही बाद में कभी।
वो: तो अभी तुम्हे कैसे प्यार करूं।
मैं:(उसके हाथों को अपने लन्ड पर रखते हुए) ऐसे धीरे धीरे ऊपर नीचे करो।
वो बड़े आराम से करने लगीं थोड़ी देर बाद गलती से उसका नाखून मेरे सुपाड़े पर लग गया मुझे बहुत दर्द हुआ मुझे दर्द मे देखें सहम गई उसकी आंखों में आसूं आ गए फिर मैने अपना दर्द बर्दास्त किया और उसे चुप कराया चुप कराने में मेरा सुपाड़ा जब उसकी बूर के रस से टच हुआ.
तो सुपाड़े मे जलन थोड़ी कम हुई फिर मेने उसकी चूत मे एक ऊंगली डालने की कोशिश कि लेकिन उसे काफ़ी दर्द हो रहा था तो मैंने सबसे छोटी ऊंगली डाली जो चली गई फिर मैंने अपना सुपाड़ा उसकी रस में मिलाकर उसके बूर पर रगड़ने लगा कुछ देर बाद हम दोनो झड़ गए।
फिर मैंने उसे शर्ट पहनाया और एक लंबा स्मूच देकर चलने को बोला। उसके जाने के बाद मैने देखा कि उसकी ब्रा छूट गई है, फिर मैने सोचा की कल आएगी तो ले जाएगी। मैंने उसे ऊपर ही टंकी के पीछे छोड़ दिया। अगले दिन सुबह उसकी मां गेंहू पसारने आ गई।
आंटी: बउआ जी आप गेंहू की बोरी ऊपर छत पर चढ़ा दीजिए। बांस की सीढ़ी के कारण मुझसे चढ़ेगा नही।
उनके छत पर सरसों का ठंठल जो जलावन के काम आता है वो रखा हुआ था इसलिए वो मेरे छत पर पसारने आई थी. मेरा दिमाग ठनका की ऊपर तो इनकी बेटी का ब्रा है.
मैं:(बहाना बनाते हुए0) पहली मंजिल पर ही पसार लीजिए ना चाची।
चाची: अरे यहां पूरा छत गंदा है।
सच में पुरी छत पर सर्कस देखने वालों ने मूंगफली के छिलके, कागज़, चिप्स फैला रखा था.
मै: ठीक है चाची, मैं लेकर जाता हूं आप सीढ़ी पकड़ना।
चाची: ठीक है।
मैं अब 30 केजी गेंहू ले उपर चढ़ा उपर चढ़ते ही सबसे पहले मैंने ब्रा उठाई और उसे छुपाने की जगह खोजने लगा इतने में चाची की आवाज आधी सीढ़ी से आई।
चाची: मुझे हाथ तो दो बउआ जी।
मैने जल्दी में ब्रा को अपने अंडर वियर में डाल लिया, मेने उस टाइम हाफ पैंट और टी शर्ट पहन रखी थी पैंट काफी लूज थी तो ब्रा रखने की वजह से लन्ड के पास उभार बन गया था। फिर मैने चाची को हाथ पकड़ कर खींचा। चाची मेरे लन्ड के उभार को देख मुस्कुराते हुए।
चाची:(मुझे छेड़ते हुए) काफी जवान हो गए हो बउआ जी, नजर इधर उधर रखते हो।
चाची मुझे पहले भी छेड़ते रहती थीं उनको लगा मेरी ये हालत उनके चूंचे देखने से हुई है। फिर मैं जल्दी से उतर कर अपने रूम में आकर सबसे पहले ब्रा निकली और बैग में छुपा दिया। फिर कुछ देर बाद चाची की आवाज आई।
चाची: सीढ़ी तो पकड़ो बउआ जी।
मैं बाहर आकर सीढ़ी पकड़ा चाची घुटने तक साड़ी उठा उतरने लगी। मैं नीचे देखने लगा।
चाची: ऊपर देखो बउआ जी कही गिरा न दो।
उपर देखा तो चाची की गोरी मोटी जांघें दिखी। फिर वो मुस्कुराते हुए चली गई। शाम को किसी ने गेंहू उतार दिया। फिर शाम को जब सर्कस शुरु हुआ तो वो आ गई।
मैं: आज तेरी वजह से मरते मरते बचा हूं।
वो: क्यूं क्या हुआ?
मैं: (मै उसे ब्रा देते हुए सारी बातें बताई).
वो: क्या सच में तुम मेरी मम्मी के चूंचे देख रहे थे?
मै: पागल है क्या मैं क्यों देखूंगा।
वो: कुछ भी कहो लेकिन मेरी मम्मी के चूंचे हैं बहुत अच्छे, और मेरी दीदी के तो और भी अच्छे हैं, पता नही मेरे कब वैसे होगें, तुम कर सकते हो क्या?
मैं: पागल है क्या कुछ भी बोल रही हो।
वो: नही सच मे मेरी दीदी के चूंचे बहुत अच्छे हैं, तुम देखोगे तो तुम्हारे मुंह में पानी आ जाएगा।
मैं: पागल है क्या। वो मुझे राखी बांधी हैं बचपन में।
मै: खैर छोड़ो।
फिर वो मुझे किस करने लगी आज मैं अपने साथ एक बोरा साथ लाया था जिसपर मैं लेट गया और मेरे ऊपर वो लेट गई, और किस करने लगी आज भी वो शर्ट और स्कर्ट पहन कर आई थी ब्रा पहनकर नही आई थी, मेरे हाथ उसके पीठ, कमर और चूतड पर घूम कर सहला रहे थे। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अब वो मेरे सिने पे चूसते हुए पेट पर पहुंच गई। फिर उसने मेरा पैंट उतार दिया में उसे ऊपर खींच लन्ड पर चूमने से मना कर दिया मै अपनी झांटे हमेशा क्लीन शेव ही रखता हूं। फिर मैं उसे किस करने लगा उसके चूंचे चूसने लगा वो आह आह आवाज कर रही थीं मैं कभी कभी उसके सिने गर्दन पर हल्के से दांत भी लगा देता था।
इसके चूतड चूसते हुए मैने उसे लिटा दिया और पैंटी उतार उसकी जांघों को चूसता काटता उसके बूर पर होंठ रख खूब चूसा, वो बिन पानी के मछली जैसी तड़प गई उसकी आवाज कुछ ज्यादा तेज हो गई लेकिन सर्कस के माइक के आवाज में दब गई। उसके बूर ने पानी उगल दिया।
फिर वो मुझे किस करने लगी और मेरे लन्ड को हाथों से आराम से पकड़ने लगी आज उसने बड़े आराम से सहलाना शुरू किया मैने उसके चूत रस को अपने लन्ड पर लगाने वोला, उसने लगाकर लन्ड सहलाना जारी रखा कुछ मिनट में उसका हांथ दर्द करने लगा तो मैने उसे लिटाया और उसे किस करते हुए इंडेक्स फिंगर उसके बूर में डालने लगा बहुत मुश्किल से आज चली गई लेकिन उसे दर्द बहुत हुआ.
फिर मेने उंगली आगे पीछे करना शुरू किया अब उसे कुछ अच्छा लगना शुरू हुआ तो मैंने उसके बूर पर लन्ड घिसना शुरू किया उसके दोनो जांघों को भींच कर उसमे लन्ड फंसा कर उसके चूत पर लन्ड घिसता रहा 10 मिनिट में हम दोनो ही झड़ गए।
मैं उसके ऊपर लेटा उसे किस कर रहा था उसने मुझे कस कर बांहों में जकड़ रखा था और मेरे कमर को अपने पैरों से बांध लिया। फिर कुछ देर बाद हम नॉर्मल हुए और मैने उसे ब्रा पैंटी पहनाई और अपने कपड़े पहन लिया फिर आज उसने मुझे लंबा स्मूच दिया और हम अलग हुए।
फिर यही सिल सिला जब तक सर्किस चला तब तक चला सर्कस पुरे 15 दिन चला था। सर्कस खत्म होने के बाद हमारा मिलना बंद हो गया बस दिन मे वो दवाई और जूस बनाकर दे जाती, फिर कुछ दिन बाद दवाई भी बंद हो गया। फिर शादियों का सीजन आ गया और वो अपने बुआ के बेटे के शादी में चली गई। अभी भी मुझे 4 महीने गांव में रहना था।
शादी को 3 दिन बीत गए लेकिन वो नही आई। फिर मेरा एक एग्जाम उसी शहर मे पड़ा जिस शहर उसका बुआ का घर था 15 दिन बाद। वो शहर मेरे गांव से कुछ 7, 8 घण्टे के ट्रेन के सफर का था। तो उसकी मां ने कहा कि जा ही रहे हैं तो प्रीती को भी लेते आईऐगा।
मैने कहा ठीक है मेरा एग्जाम 3 बजे खत्म होगा फिर 4 बजे ट्रेन है अगर वो 4 बजे स्टेशन आ जाएगी तो साथ आ जायेगी। मेरा एग्जाम सेंटर स्टेशन से नजदीक ही था मेरा टिकट स्लीपर का कन्फर्म हो गया था अपर बर्थ उसका पता नही था। एग्जाम खत्म होते ही मैं सीधा स्टेशन पहुंचा, कुछ देर बाद वो भी फुफेरे भाई के साथ स्टेशन पहुंच गई।
उसके भाई ने बताया कि उसका भी कन्फर्म है किसी और बोगी का लोअर बर्थ। मैने कहा कोई बात नही एक्सचेंज कर लेंगे। फिर ट्रेन आ गई। मेरे सामने वाले बर्थ पर एक बुजुर्ग थे तो मैने उनको उसका लोअर बर्थ दे दिया और उनका अपर बर्थ ले लिया, उन्होंने धन्यवाद कहा। फिर मैने उसका बैग एक बर्थ पर रखा और एक बर्थ पर दोनो जाकर बैठ गए। बैठते ही वो बोली।
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वो: 20 दिन बाद देख रही हूं।
मैं: उसके गाल सहलाते हुए मै भी।
फिर वो मेरे सिने पर सिर रखकर लेट गई मैं उसके बालों को सहला रहा था। ट्रेन चल रही थी फिर एक स्टेशन पर मैने बर्गर लिया और शाम 7 बजे उसने जो खाना लाया था उसके साथ खा लिया मेने देखा कि उसके होंठों पर साउस लगे थे जिसे मेने हाथों से पोंछ दिया। पर उसने मेरे होंठों पर लगे साउस को होंठों से लगा लिया।
मैं: क्या कर रही हो।
वो: साउस लगा था उसे साफ कर रही हूं।
फिर हम लेट गए उसका सिर मेरे सिने पर था और एक जांघ उसने मेरे जांघ पर चढ़ा रखा था। मैं उसका कंधा सहला रहा था तो मैंने देखा कि उसके कंधे पर ब्रा के स्ट्रिप के निशान बन गए थे।
मैं: तेरे ब्रा का नंबर बड़ने वाला है तूने नई साइज की ब्रा नही ली।
वो: (मुस्कुराते हुए) तूने किए हैं तो तू ही लेगा ना।
मैं: चल ठीक है कभी बाजार चलना तो कहना।
फिर ऐसे ही एक दूसरे को प्यार करते सहलाते चूमते रात 11 बजे हमारे गांव से 25 km दूर स्टेशन पर पहुंच गई हमारी ट्रेन। वहा से हमे दूसरे रूट में 20 km ऑटो लेना होता है फिर वहा से उसका भाई हमे बाइक से घर ले जाता।
ट्रेन से उतरते ही।
वो: यही किसी होटल में रुक जाते हैं रात काफी हो चुकी है फिर फुल मस्ती करेगें।
इतने में मेरा फोन बजा उसके भाई का कॉल था उसने बोला।
उसका भाई: तुम स्टेशन पर ही रुको मैं वही आ जाता हूं ऑटो मिलने में मुश्किल होगी।
मैं: नही ऑटो मिल गई है आप बस 5 km वाले कस्बे पर आ जाओ।
उसका भाई: ठीक है।
फिर मैने एक ऑटो वाले को 200 दिए और बोला की गाड़ी धीमे चलाना और म्यूजिक बजा दे। फिर हम समान लेकर ऑटो में बैठ गए और पर्दा गिरा दिया। अंदर आते ही वो मुझ पर टूट पड़ी और किस करने लगी मैं भी उसका पूरा साथ देने लगा। मैने उसके सलवार में हाथ डाल सीधा उसकी चूत मसलने लगा उसे जोर से भींच दिया.
फिर मैने बीच वाली अंगुली एक इंच डाल दी उसे कुछ देर आगे पीछे करता रहा फिर दो उंगली घुसाने की कोशिश कि तो उसे दर्द होने लगा फिर अंगूठे से उसकी बूर के मुंह को सहलाता रहा। आज मैने उसे दाएं चूचे के ऊपर लवबाइट दी उसने भी मुझे गर्दन और सिने पर लवबाइट दे दी फिर मैने उसके कंधे पर बाइट दी। 45 मिनट हमने खूब मस्ती की उसकी पूरी सलवार गीली हो गई थी फिर जब पहुंचने वाले थे तो हमने अपने कपड़े सही किए।
उतरते ही उसका भाई मिल गया उसने बोला इतनी देर कैसे लगी ऑटो वाले ने बोला क्या सर रात का समय है गाड़ी थोड़ी संभाल कर चलानी पड़ती है। फिर हम बाइक पर बैठ कर घर आ गए। अगले 10 दिन ऐसे ही निकल गए फिर एक दिन उसने एक अनजान नंबर से फोन किया। उसके पास मोबाइल नही था। मैने पूछा कि किसका नंबर है तो उसने बोला उसकी सहेली का। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वो(फोन पर): अब मुझे तुमसे दूरी बर्दास्त नही होती। अब कुछ करो।
मैं: मैं क्या करूं।
वो: तो मैं ही कुछ करती हूं। ये जो मेरी सहेली है उसका फलाने कस्बे मे रुम है वहा हम मिल सकते हैं, मैं अपने घर बोल दूंगी की मैं बाजार जा रही हूं।
(ये कस्बा मेरे गांव से 8km दूर था वहा से मैने 10th किया था, वहा काफी लोग मुझे जानते है।)
मैं: तुम्हारी सहेली क्या करती है कौन है कितने लोग रहते हैं वहा।
वो: शादी शुदा है अपने पति के साथ रहती है खुद का ब्यूटी पार्लर है, पति इसका 8 बजे दूसरे शहर काम पर चला जाता है और शाम 7 बजे आता है, ये खुद 10 बजे जाती है और 4 बजे आती है।
मैं: ओके लेकिन पहले मैं पता कर लूंगा तभी आऊंगा।
वो: ठीक है लेकिन कल का ही प्रोग्राम रखो।
मैं: ओके देखते हैं।
फिर मैने उस कस्बे के दोस्तों को फोन कर पता किया सब ने बताया कि हां एक कपल है पति का नाम विवेक है बाकी सब वही जो उसने बताया। फिर अगले दिन मैं वहा पहुंच गया अपने बाइक से 11 बजे उसका फोन आया तो उसने मुझे रिसीव किया ये नया बना मकान था.
फिर वो मुझे एक 1बीएचके फ्लैट में ले गई चाभी उसके पास थी, वहा जाकर मैंने इंक्वायरी करनी चालू की बगल के फ्लैट में ताला लगा था। इस फ्लैट में पहले एक हॉल उसके दाईं किचन और अन्दर एक रुम था हाल में एक बेसिन और एक बेड लगा था। अंदर जाते ही-
मैं: बाथरूम किधर है।(बोलते हुए मै बेडरूम मे जाने लगा जहा से मैने बाथरूम का दरवाजा देखा).
वो:(उसने मुझे बेडरूम से बाहर लाते हुए) बाथरूम लीकेज है सब लोग नीचे का बाथरूम यूज करते हैं, जाना है तो वही चले जाओ।(इतना बोलते हुए उसने बेडरूम का गेट बाहर से बंद कर दिया).
मैं वही हॉल के बेड पर बैठ गया वो मेरे गोद मे बैठ गई। आज पहली बार उसे ब्रॉड डे लाइट में मेरी बांहों में थी।
मैं: करने से पहले बता दूं कि थोड़ा बहुत दर्द हो सकता है।
वो: पता है मैं सह लूंगी।
उसने किस करना शुरू किया उसकी आंखे बंद थी किस करते हुए हमारे कपड़े उतरने शुरू हो गए। अब मैं सिर्फ अंडर वियर में था और वो सिर्फ ब्रा पैंटी मेने उसे आंखे खोल ने बोला लेकिन वो शर्मा कर पानी पानी हो गई फिर मैने उसके ब्रा पैंटी भी उतार दी और उसने मेरा अंडर वियर। पहली पर उसे दिन को रोशनी में पूरा नंगा देख मैं भौचका रह गया।
नशीली आंखे, नोकदार नाक, गुलाब की पंखुड़ी से मुलायम पतले होंठ पतले होंठों का भी अपना मजा है, सुराही दार गर्दन, उसके चूंचे अब थोड़े बड़े हो गए थे पिंक निप्पल का क्या ही कहना, पतली कमर, सपाट पेट पर गहरी नाभी ऐसे लग रही थी जैसे रेत के समुंद्र में जलाशय।
उसके नीचे उसके उभरे हुए पेडू किसी टीले से लग रहे थे, उसके नीचे उसकी रोयेंदार बूर के होंठ स्कूल के स्लाइडिंग झूले की याद दिला रहे थे। पीछे उसकी चूतड़ों की दरार किसी संकरी घाटी की तरह थे। उसके छोटे छोटे सफेद चूतड रूई की तरह थे उंगलियां उनमें धंस जाती थी। जब उसने आंखे खोली तो वो शर्म के मारे मेरी बांहों में सिमट गई।मैने उसे प्यार से सहलाया और उसे चूमने लगा।
वो: सुसु आई है।
मैं: पहली बार घबराहट में सूसू लगती है।
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मैंने उसे नंगा उठाया और बेसिन पर बिठा दिया उसे और बोला अब कर लो उसने कोई 30 सेकंड बाद मूतना शुरू किया पिसाब का पानी उसके बूर पर चमक रहा था। मैने नल खोल कर उसकी चूत पर पानी मारा और सीधा उसे बेड पर लिटा कर उसके बूर पर चमकते पानी के बूंद को अपने तरसते लबों से पी लिया। फिर मैने सोचा मैं भी सुसु कर लेता हूं। तो मैं भी बेसिन पर जाकर सुसु करना शुरू किया।इतने में उसने आकर मेरा लन्ड पकड़ लिया।
वो: आज तुम नही मैं पकडुगी।
मैं: ठीक है लेकिन धीरे से नही तो पेसाब नही निकलेगा।
वो: ओके।
फिर मैने पिशाब खत्म कर लन्ड पर पानी मारा उसने मेरा लन्ड पकड़े ही घुटनों के बल बैठ गई।
वो: आज मुझे मत रोको इसे प्यार करने से।
मैं: ठीक है। बस दांत मत लगा देना।
वो: ओके, (बोलकर उसने लन्ड पर उसके आस पास चूसने चूमने लगी।)
मैने कल ही बाल साफ किए थे तो लन्ड चमक रहा था। वो काफी प्यार से लन्ड चूस रही थी। कुछ समय बाद मैंने उसे ऊपर उठाया और उसके होंठ चूसने लगा उसके मुंह के अंदर जीभ धकेल उसकी जवान चूसने लगा फिर उसकी गर्दन से होते हुए उसके कान के इयरलॉब से होते हुए उसकी सिने को चूसने लगा.
फिर उसे लिटा कर उसके चूचों पर टूट पड़ा, उसके चूचों को चूसने लगा पूरा मुंह में लेकर चूसना अब मुस्किल हो चला था। फिर उसकी नाभी पेट से होते हुए उसके बूर पर पहुंच गया उसे चूसने चाटने लगा। फिर मैने उसे कंधे से किस करते हुए उसकी पीठ को चूसने लगा, फिर उसके चूतड को चूसते हुए उसके लंबी गुड़ेदार जांघों को चूसने लगा।
फिर मैने अपना लन्ड उसके बूर के होंठ पर रख कर रगड़ा और पूछा तैयार हो, उसने सिर हिला कर हां में जवाब दिया मैने एक धक्का लगा दिया सुपाड़ा घुस गया था लेकिन वो जोर से चीख पड़ी मैंने उसके होंठ अपने होंठों से दबा दिया। फिर मैने एक झटका और मारा तो मेरा आधा लन्ड अन्दर चला गया।
वो मेरे सिने पर मुक्का मार रही थी मेरे पीठ नोंच रही थी लेकीन मेने उसे नही छोड़ा। कुछ देर उसे प्यार से सहलाने पर वो कुछ नॉर्मल हो गई। तो अब मेने आधा लन्ड ही आगे पीछे करने लगा तो अब उसे थोड़ा अच्छा भी लग रहा था फिर मैने पूछा थोड़ा और है डाल दूं उसने हां में सिर हिलाया.
मैने उसके कंधे से पकड़ कर होंठो को बंद कर जोर का धक्का मारा मेरा पूरा लन्ड अन्दर चला गया, उसे काफी दर्द हुआ उसकी आखों से आंसू आ गए मै कुछ देर वैसे ही पड़ा रहा 5 मिनट बाद वो नॉर्मल हुई, तो मैं फिर हल्के हल्के धक्के लगाने शुरु किया। थोड़ी देर तो उसे दर्द हुआ पर फिर उसे मजा आने लगा कुछ देर में वो झड़ गईं और पस्त हो गई, मेरा अभी नही हुआ था.
फिर भी मैंने अपना लन्ड बाहर निकाल लिया देखा तो उसमे खून लगा था उसकी चूत से भी खून निकल रहा था, मेरे लन्ड की चमड़ी भी छील गई थी। मेने अपना लन्ड बेसिन में धोया और उसे बांहों में भर कर सो गया वो काफी पस्त हो गई थी। फिर मेरी नींद खुली जब मुझे लगा कोई मेरा लन्ड चूस रहा है मैं उठा तो देखा वो मेरा लन्ड चूसते हुए मुस्कुरा रही थी।
वो: गुड मॉर्निंग जानू।
मैं: कैसा लगा सुहाग दिन ज्यादा दर्द तो नही है।
वो: थोड़ा दर्द है।
(मैने घड़ी देखा तो 2:40 बजने को थे।)
मैं: अब चलना चाहिए।
वो: रुको पहले तुम्हारा तो रस निकाल दूं।
ये कहकर वो मेरा लन्ड चूसने लगी।
मैं: 69 हो जाओ।
वो: वो कैसे होता है ?
मैने उसे बताया फिर वो मेरे ऊपर से मेरा लन्ड चूस रही थी और मै उसका चूत।
वो: आह आराम से करो दर्द होता है, मेरी सुसु लगता है फट गई है खून निकल रहा था।
मैं: (हस्ते हुए) ये सुसु क्या होता पहले बूर थी अब चूत है सुसु नही है, दर्द मेरे लन्ड मे भी हो रहा लेकिन उत्तेजना के वजह से महसूस कम हो रहा है, देखो छील गया है। और ये चूत है सुसु नही (उसकी चूत मे जीभ डालते हुए).
वो: ठीक है चूत ही है, हां तुम्हारे इसके चमड़ी ज्यादा पीछे चली गई है और लाल भी हो गई है।
वो काफी सावधानी से चूस रही थी फिर 3 बजे तक हम दोनो झड़ गए मैने उसे स्पर्म मुंह में जाने से पहले ही हटा दिया और उसके हाथ से करते हुए झड़ गया।फिर उसने मेरे लन्ड को साफ किया और मैने उसके चूत को फिर हम कपड़े पहन लिए।
मैं: ज्यादा दर्द हो तो गर्म पानी से सिकाई कर लेना।
वो :ओके, मैं 2, 3दिन यहीं रुक जाती हूं घर पर बोलकर। कल फिर आ जाना ओके।
मैं: ओके।
आने से पहले एक लंबा स्मूच कर वहा से निकल गया. फिर अगले दिन 11 बजे मै फिर पहुंच गया आज बेडरूम में ताला था।
मैं: अब दर्द कैसा है ?
वो: अब नही है।
फिर हमने उस दिन 2 बार चुदाई की, आज उसे कुछ कम दर्द हुआ और मैने उसे खूब मजा कराया, उसने पानी चूत में लेने की गुजारिश की तो मैने उसे समझाया। अगले दिन फिर आने को बोला उसने मैने कहा ठीक है। फिर शाम को मैने उसकी मां को कहते सुना की प्रीती अपनी दीदी के यहां गई है।
ये सुनकर मेरा माथा ठनका मैने सोचा क्या ये मम्मी से झूठ बोलकर कही और रह रही है, लेकीन ऐसा कैसे हो सकता है आज कल फोन का जमाना है। फिर मेरा माथा ठनका जब मुझे उसके जीजा का नाम सोचा की कही विवेक तो नही, फिर मैने अपने उस कस्बे के दोस्त को फोन कर पार्लर वाली का नाम जानने बोला कुछ देर में उसने बताया कि उसका नाम दिव्या है।
ये सब सोच कर मुझे बहुत गुस्सा आया थोड़ा डर भी लगा, लगा की अभी फोन करके उसका राज उजागड़ कर दूं। लेकिन फिर लगा उसकी इतनी हिम्मत तो नही होगी कि वो हमारे बारे में ये सब अपनी दीदी को बताएगी। रुम तो उसके दीदी का है ये तो पक्का है अब जानना ये है कि क्या उसकी दीदी को हमारे बारे मे पता है अगर पता चल गया तो मै तो शर्म के मारे मर ही जाऊंगा।
ये सब सोचते सोचते मैं सो गया। सुबह हुई तो मैने सोचा आज जाऊंगा और कस कर डांट लगाऊंगा। फिर 11 बजे मै पहुंच गया। गेट खोलते ही उसने मुझे बाहों में भर लिया और बोला की आज कुछ नया करते है. मैं काफी गुस्से में था लेकिन उसका प्यार देख मेरा गुस्सा कम हो गया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैने सोचा इसकी मन की कर लेने दो उसके बाद इसका भंडा फोड़ कर डांट लगाऊंगा। उसने मुझे किस करतेहुए मेरे आंखों पर दुपट्टा बांध दिया और मेरे सारे कपड़े उतार कर अपने सारे कपड़े उतारने लगी फिर मुझे बेड पर लिटा कर मुझे उपर से चूमते हुए मेरे लन्ड पर आकार चूसने लगी.
फिर मुझे लन्ड पर किसी और की जीभ महसूस हुई क्योंकि प्रीती का मुंह गीला था और अभी अचानक मुझे लगा की किसी सूखे जुबान से मेरे लन्ड को टच किया गया है कुछ सेकंड में ही मुझे किसी का मोटा होंठ सुपाड़े पर फील हुआ मैने जल्दी से बोला कौन है।
मैने जल्दी से दुपट्टा खोला तो प्रीती के अलावे कोई नही था मैने उठना चाहा तो वो मेरे ऊपर चढ़ गईं और मुझे किस करने लगी। मैंने उसे हटाते हुए देखो झूठ मत बोलो मुझे पता चल गया है की ये फ्लैट तेरी किसी सहेली का नही तेरी दीदी का है।
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वो:(मेरे लन्ड पर बैठते हुए) ओह तो पता चल गया। (मेरा आधा लन्ड उसकी चूत में था।) अब पता चल ही गया तो सामने आ जाओ।
उसके इतना बोलते ही बेड के नीचे से उसकी दिव्या दीदी निकल आई मेरा दिमाग काम करना बंद कर चुका था मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया। मेने जल्दी में उसको धकेला और बेडशीट में खुद को लपेट लिया सर से पांव तक। मुझे रोना आ चुका था मैं सिसक सिसक कर रोने लगा।
मुझे रोता देख प्रीती जो अभी तक हंस रही थी उसकी आवाज बंद हो चुकी थी। फिर जब मैं काफ़ी देर रोता रहा तो दिव्या दीदी ने मेरा सर अपने गोद मे लिया और मेरा सिर बेड शीट से बाहर निकाला मैने मेरा चेहरा उनके गोद में छुपा लिया मेरे आंसू से उनकी सूट सलवार गीली हो गई थी। वो मेरे सर पर हाथ फेरते हुए ओ बउआ अब चुप हो जा देख मेरा कपड़ा गीला हो गया है।
मैं: (सिसकते हुए) पहले ये बताईए आपने ऐसा क्यों किया। खास कर तुम (प्रीती की तरफ इशारा करते हुए) तुम्हें तो मैं कभी माफ नही करूंगा, सच्चा प्यार बोलकर तुमने ये सिला दिया (मेरा चेहरा अब भी उनकी गोद में धंसा था)।
दिव्या: अरे उसकी गलती नही ये मेरा प्लान था और जरूरत भी।
मैं: लेकिन आपको हमारे बारे में बताया तो इसी ने होगा ये ना बताती तो ये सब ना होता।
दिव्या: इसने नही बताया।
मैं: तो आपको पता कैसे चला?
दिव्या: तुम्हे क्या लगता है कही जंगल में मोर नाचता है तो कोई नही देखता किसी ना किसी को पता चल ही जाता है।
मैं: आपको कैसे पता चला ये बताओ।
दिव्या: जब कुछ दिन पहले जब ये यहां आई तो इसके सारे ब्रा पैंटी छोटे हो चुके थे शरीर में भराव आ गया था चेहरे पर ग्लो आ गया था होंठ हमेशा लाल और उभरने लगे थे कमर मे भी अजीब लचक दिखी। हमेशा अपने आप मुस्कुराते रहती थी। फिर उसी दिन शाम को जब मैं उसके लाई ब्रा पँटी ट्राई करने बोली तो वो अन्दर जाकर ट्राई करने लगी.
मुझे डाउट हुआ की हमेशा मेरे सामने नंगी घूमने वाली लड़की आज अन्दर जाकर ट्राई कर रही है। मैने रुम मे झांक कर देखा तो उसने अपनी ब्रा उतारी थी और दूसरी ट्राई कर रही थी, नंगी चूचों को गौर से देखा तो पता चला कि चूंचे अब चूची बनने वाले हैं फिर अचानक अंदर चली गई तो वो डर गई और अपने सीने पर दुपट्टा डाल लिया.
मैंने दुपट्टा खींचा तो मुझे उसके सिने और कंधे पर लव बाइट के हल्के निशान दिखे। मैने पूछा तो कहा शायद कोई कीड़ा काट लिया है, फिर मैने जोर देकर समझा कर सब कुछ ट्राई कर लिया पर उसने नही बताया। फिर मैने प्रोमिश किया की कौन लड़का है मुझे बताओ मैं किसी को नही बताऊंगी.
तो तब जाकर इसने तुम्हारा नाम बताया। पहले तो मुझे विश्वास ही नही हुआ की तुम हो, मुझे लगा ये तुम्हारा नाम लेकर किसी को बचाना चाहती है।, फिर जब उस दिन इसने बताया कि ये तुम्हारे साथ ही बुआ के यहां से आई है तो लगा हो सकता है।
मैं: सब कुछ जानते हुए आपने ऐसा क्यों किया।
दिव्या: मजबूरी सबकुछ करवा देती है बउआ जी।
मैं: कैसी मजबूरी।
वो: अब कुछ छुपाना नही सब सच बताती हूं.
दरअसल तुम्हें तो पता ही है मेरी शादी को 4 साल से ज्यादा हो चुकी है अभी तक कोई बच्चा नही हुआ है तो मेरी सास और आस पड़ोस के लोग मुझे ताने मारते हैं इसलिए मैं अपने ससुराल छोड़कर 5 महिने से यहां रहती हूं मेरी सास ने मुझे धमकी दी है कि अगले साल तक कुछ नही हुआ तो अपने बेटे की दूसरी शादी कर देगी। ये कहते हुए वो फफक पड़ी उन्हें रोता देख प्रीती भी उसके पीठ से पकड़ रोने लगी।
मै: रोना बन्द कीजिए। किसी डॉक्टर को दिखाया आपने।
दिव्या: मैने तो बहुत कहा पर ये मानते ही नही।
मैं: तो मुझे क्यूं चुना इसके लिए।
दिव्या: अरे जब इसने तुम्हारे बारे में बताया तो तभी मेरे दिमाग में आइडिया आया, मैंने इसे बताया तो ये रोने लगी कि मैं उसके साथ ऐसा नही कर सकती है वो इसके लिए कभी नही मानेगा, फिर मैने इसे बताया तो ये मान गई। अब सब कुछ तुम्हारे हाथ मे है एक बार ट्राई कर लेते हैं शायद मेरे अन्दर कोई प्राब्लम ना हो, अगर तुम चाहोगे तो मेरी जिंदगी सवर जायेगी। (वो कपस रही थी).
मैं: (उन्हें चुप कराते हुए )ठीक है मुझे सोचने का समय चाहिए।
प्रीती: ठीक है 10 मिनट दिए।
मैं: (उसकी तरफ देखते हुए, वो अभी तक पूरी नंगी थी) जाओ पहले कपड़े पहनो।
प्रीती: नही पहनती मैं, ऐसे ही रहूंगी (ये बोलकर मेरा बेडशीट खींचने लगी।)
मैने अब सारा ध्यान सोचने पर लगा दिया, दिव्या दी 25, 26 साल की होंगी प्रीती बिल्कुल सही थी इनके चूचे काफी शानदार है।उन्होंने पीला सूट सलवार पहन रखा था प्रीती बिल्कुल इनकी जेरॉक्स थी फर्क इतना था कि इनका शरीर भरा हुआ था और वो दुबली पतली थे इनके बोब्बे काफी बड़े गांड़ बाहर को निकली हुई, और होंठ मोटे थे उनको गौर से देखा तो उनके चूचे के बीच का लाइन दिख रहा था, फिर पहली बार उनकी आंखों में देखा मै शर्मा गया।
दिव्या: क्या सोचा बाबू।
प्रीती: हां है मै समझ गई।
दिव्या दी काफी खुश हो गई और उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और किस करने लगी।
दिव्या: थैंक्यू थैंक्यू सो मच।
प्रीती: मुझे भी थैंक्स बोलो।
मैं: (उसकी चूंटी कटते हुए) तुम्हें तो मै बाद में देखूंगा।
प्रीती: अब इसे ही बैठी रहोगी या कपड़े भी खोलोगी।
दिव्या: मुझे शर्म आती है। तुम लोग ही उतार दो। फिर मैंने उनका सूट उतार दिया.
मैं: (उनके चूचे देखते हुए) वाओ दीदी आपके दूदू कितने अच्छे हैं।
प्रीती: अब दूदू क्यूं बोल रहा है? अब बोल चूंचे क्यूं नही बोल रहा है।
मैं: (हस्ते हुए) ब्रा भी खोल दूं।
दिव्या: हां खोल दे।
मैं: (ब्रा खोलकर) वाओ कितने सुन्दर हैं।
प्रीती: बोला था ना मुंह में पानी आ जाएगा (इतना बोलते हुए उसने एक निप्पल को मुंह में भर चूसने लगी।)
मैं: मैं भी लू।
दिव्या: (मेरा मुंह अपने चूंचे से लगाते हुए) पूछ क्यों रहा है।
अब मैं और प्रीती एक एक चूंचे चूस रहे थे। वो सिसकारी भरने लगी। फिर कुछ देर बाद उन्होंने मेरा चेहरा पकड़ा और किस करने लगी मैं भी उनका साथ देने लगा। फिर मैं उनके गर्दन, कान, गले को चूसते हुए दोनों चूचों को बारी बारी से सहलाने पीने, चूसने और काटने लगा। फिर मैं उनका पेट नाभि चाटा। फिर मैने उनका सलवार और पैंटी उतार दी उनकी चूत काफ़ी गोरी और फूली हुई थी, उन्होंने शायद वैक्स किया होगा।
मैं: (उनके चूत पर जीभ रखते हुए) वाओ दीदी आपकी पूपू कितनी स्वाडिस्ट और मुलायम है।
दिव्या: वाह बेटा चूत चाट रहे हो और दीदी भी बोल रहे हो। अब से मुझे दीदी नही सिर्फ दिव्या बोलो।
प्रीती: ये पूपु क्या होता है, जब मैने सुसु कहा था तो मेरा मजाक उड़ाया था, अब खुद पूपू बोला जा रहा है।
मैं: (हस्ते हुए) बचपन मे दीदी पुपू ही बोलती थी सारी दिव्या।
अब मैं उनकी चूत चाटने में बिजी हो गया और प्रीती मेरा लन्ड चूसने लगी फिर उसने दिव्या को भी लन्ड चूसने को बोली।
दिव्या: अब जो कर वा लो तुम लोग, मैने कभी अपने पति का नही चूसा।
इतना बोल कर उन्होंने ने सुपाड़े पे होंठ रख दिया और हल्के हल्के चूसने लगी। क्या बताऊं दोस्तो जब मोटे होंठ वाली लड़की लन्ड चूसती है तो अलग ही आनंद आता है। मै तो जैसे जन्नत में था। फिर मैने उन्हे लिटाया और उनके चूत पर लन्ड से घिसने लगा प्रीती गौर से देख रही थी। फिर मैंने थोड़ा धक्का लगा सुपाड़ा घुसा दिया वो सिसक उठी फिर मै उन्हें किस करते हुए धीरे धीरे पुरा लन्ड घुसा दिया, वो काफी सिसकी ले रही थी मैंने पूछा दर्द हो रहा है क्या?
दिव्या: नही मजा आ रहा है।(3 मिनट बाद)थोड़ा जोर से करो।
अब मैंने सिर्फ पहले सिर्फ प्रीती के साथ ही सेक्स किया था और धीरे धीरे किया था, अब मुझे अचानक जोर से करना था। फिर भी मैं जोर से करने लगा उनकी चूंची पीने काटने लगा, जोर जोर से धक्के देने लगा अब उनकी सिसकियां आन्हे में बदल गईं थी फिर वो चीखने लगी तो उन्होंने ने बोला थोड़ा धीरे करो। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
फिर ऐसे ही कभी धीरे कभी तेज करते हुए 10 मिनट मे वो झड़ गई। लेकिन मै नही झड़ा था। तो मैं लन्ड डाले हुए ही उनको फिर से गर्म करने लगा उनके चूंचे चाटे उनके गर्दन होंठ चूसे। फिर मै चुदाई करने लगा और फिर 10 मिनट बाद हम दोनो साथ मे झड़ गए उन्होंने अपने पैर से मेरे कमर को लपेट लिया. मेरा सारा माल उनकी चूत में निकल गया। फिर कुछ देर बाद जब उनकी सांसे नॉर्मल हुई तो।
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दिव्या: आह बाप रे कितने दिन बाद मेरी इतनी अच्छी चुदाई हुई है।
उनके मुंह से मैं चुदाई शब्द सुन झेंप गया। अब प्रीती मेरा लन्ड चूसने लगी।
मैं:( उससे अपना लन्ड छुड़ाते हुए) अब चलता हूं।
प्रीती: ओहो अभी कहा अब मेरी बारी है।
दिव्या: ये अब तुम दोनो का मैटर है तुम दोनो जानो मेरी कमर में तो दर्द हो गया मैं जा रही हूं सोने।(और वो मुझे किस कर रूम में चली गईं).
प्रीती: मेरा लन्ड सहलाते हुए अब गुस्सा छोड़ भी दो। वैसे मजा तो तुमको आ ही रहा था। है कि नही।
मैं:(मुस्कुराते हुए) बिल्कुल (मन ही मन सोचा आज इसको सबक सिखाता हूं).
फिर वो मुझे किस करने लगी और मेरे ऊपर लेट कर मेरे लन्ड पर बैठ गईं फिर मैने उसे नीचे लिटा उसके ऊपर चढ़ उसकी धीरे धीरे चुदाई करने लगा फ़िर उसके मुंह पर हाथ रख अचानक उसकी जोर जोर से चुदाई करने लगा वो चीखने लगी 10, 20 धक्कों में ही वो रोने लगी, चीखने लगी। उसकी आंखों से आंसू आने लगे। फिर मेरे हाथ जैसे तैसे हटा कर।
प्रीती: (रोते और अपने पैर सिकोड़ते हुए और मुझसे छुटने की कोशिश करते हुए) राझस हो क्या ऐसे क्यूं कर रहे हो।
मैं: (अब मैं भी रुक गया था )ये था मेरा बदला जो तुमने मेरे साथ किया उसका।
प्रीती:(अपने पैर फैलाते हुए और मुझको अपने सीने से लगाते हुए) तो तुमको बदला लेना है ले लो आज जान से मार दो मुझे। (वो फफक कर रो रही थी).
फिर मुझे भी लगा कि मैंने कुछ ज्यादा ही कर दिया, दो दिन मैंने उसे बड़े आराम से हल्के हल्के ही चोदा और आज अचानक गुस्से मे तेज कर दिया।
मैं :(उसे किस करते हुए) सॉरी बेबी गुस्से मे कुछ ज्यादा हो गया माफ कर दो।
फिर मैं उसे प्यार करने लगा।
प्रीती:(रोना बंद करते हुए) कोई बात नही।
फिर वो मुझे प्यार करने लगी और कुछ देर बाद जब नॉर्मल हुई तो अपनी कमर हिला कर चूतड उठाने लगी। फिर मैं उसकी आंखों में देखते हुए धीरे धीरे चोदने लगा, वो सिसकारियां भरने लगी। फिर कुछ देर बाद वो झड़ गईं तो मैंने लन्ड निकाल लिया।
प्रीती: निकाल क्यूं लिया मुझे भी फील करना है कैसा लगता है अंदर स्पर्म जाकर।
मैं: पागल है क्या, अन्दर गया तो तू नही तेरी दीदी मौसी बन जायेगी, अब बोल तू मौसी बनना चाहती है कि अपनी दीदी को मौसी बनाना चाहती है?
प्रीती: फिलहाल तो मैं ही मौसी बनना चाहती हूं।
मैं: तो फिर हाथ से कर या मैं खुद कर लूं।
प्रीती: हाथ से कर वेस्ट क्यों करना, रुक मै दीदी को बुलाती हूं।
मैं: पागल है क्या उन्हे क्यों बोल रही है।
(मेरे बोलते बोलते वो अंदर चली गई मैं वही रुका रहा, फिर कुछ मिनट बाद वो बाहर आकर बोली.)
प्रीती: दीदी ने बोला है स्पर्म वेस्ट ना कर और अन्दर जाकर उसके अन्दर डाल दे वो आलस मे है।
(मैंने भी सोचा ठीक है) फिर हम दोनो अंदर गए मैंने देखा कि वो बिना कपड़ों के ही पैर मोड़ कर सोई हुई हैं। मैंने उनके पैर फैलाए उनकी चूत पर जीभ लगा थोड़ा गीला किया फिर लन्ड सीधा चूत मे घुसा दिया। वो अचानक चीखते उठी।
दिव्या: आह, पागल है क्या ऐसे बिना बताए कोई डालता है क्या अचानक।
मैं: बिना बताए, पर इसने तो कहा की दीदी बुला रही है स्पर्म वेस्ट ना करो।(प्रीती की तरफ गुस्से से देखते हुए वो हंस रही थी।)
दिव्या:आह, मुझे कब बताया, मै तो सो रही थी की अचानक तुमने पुरा डाल दिया। ऐसा नही करते।
मैं: (लन्ड निकालते हुए) सॉरी दीदी इसने बेवकूफ बनाया।
दिव्या: मैंने कहा निकालने को, वैसे अच्छा ही किया जो स्पर्म वेस्ट नही किया।
मैंने फिर से लन्ड डाल दिया और धीरे धीरे चोदने लगा। कुछ देर बाद वो जोर जोर से चोदने को कह रही थी। फिर मैं जोर जोर से चोदने लगा। वो आह आह चिलाने लगी मेरे बाल नोचने लगी मेरे पीठ पर नाखून से नोंचने लगीं मैं समझ गया इनको जबर्दस्त ओर्गासम हुआ है फिर कुछ देर बाद मैंने भी अपना सारा वीर्य उनके चूत में डाल उनके उपर गिर पड़ा। कुछ देर तक हम वैसे ही पड़े एक दूसरे को प्यार करते रहे फिर हमारे बीच प्रीती भी आ गई और हम दोनो को किस करने लगी। फिर मैने घड़ी देखा तो 4 बज चुके थे।
मैं:(अपना लन्ड निकालते हुए)अब मैं चलता हूं।
फिर हमने एक दूसरे को चूमते हुए बाथरूम में जाकर साफ किया और कपड़े पहन लिए।
प्रीती:(मुझे बांहों में भरते हुए) गुस्सा तो नही हो कल आओगे ना?
(मैं कुछ नही बोला).
प्रीती: दीदी देखो ना लगता है गुस्सा है कल नही आएगा कुछ बोलो ना।
दिव्या: (मुझे बांहों में भरते हुए अपने चूचों में मेरा चेहरा भरते हुए) आएगा क्यूं नही। अपनी दीदी से प्यार नही करता क्या।
(मैं अब भी चुप था).
दिव्या: देख, मै तेरी दिव्या सिर्फ़ चुदाई के समय हूं, बाकि मै अब भी तेरी दीदी हूं, मेरी बात मान और कल सुबह जल्दी आ जाना मैतेरे लिए कुछ स्पेशल बना कर रखूंगी। जरूर आना! (फिर मुझे एक लम्बा स्मूच किया।)
मैं: ठीक है दीदी।
प्रीती: (हस्ते हुए) हां, कल अपनी दीदी को चोदने जरूर आना।
दिव्या: कुछ भी भी बोलती है। पागल।
फिर मै चला। आया। अगले दिन मैं10 बजे पहुंच गया। आज दिव्या ने पीली साड़ी पहन रखी थी जिसमें वो बेहद खूबसूरत लग रही थी। जाते ही प्रीती मुझे किस करने लगी।
दिव्या: क्या करती हो आते उसे प्यार करना शुरू। उसे कुछ खिलाओ पिलाओ, नही तो कमजोर जो जायेगा। फिर दिव्या दी मुझे ड्राई फ्रूट, जूस पीने को देती हैं। फिर कुछ देर हम बात करते हैं।
प्रीती: (अपने कपड़े उतारते हुए) अब बात खत्म हुई हो तो हम शुरू करे।
दिव्या: इसे तो हमेशा जल्दी ही रहती है। मै तो अपने नही उतारूंगी तुम दोनो ही उतार दो।
फिर प्रीती ने मेरे भी कपड़े उतार दिए। फिर मैने दिव्या दी को खड़ा किया और उन्हें किस करने लगा फ़िर एक हांथ से उनके कमर पकड़ दूसरे हाथ को उनके चूंचे पर रख सहलाने लगा। फिर धीरे उनकी साड़ी उतार दी वो सरमाने लगीं फिर मै उनके चूंचो के बीच के दरार को चाटने लगा.
फिर मैं उनके गर्दन को चूसते हुए उनके नाभी तक आ गया और उनके नाभि चूसने लगा और फिर मैं उनके पेटीकोट उठा उनकी चूत पर जीभ लगा दिया उन्होंने आज पँटी नही पहनी थी। इतने मे किचेन से सिटी की आवाज आई।
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दिव्या: एक मिनिट रुको लगता है चावल हो गया है मै अभी आती हूं।
फिर वो किचेन में चली गई।
प्रीती: कल से देख रही हूं तुम तो मुझे प्यार ही नही कर रहे हो, सारा प्यार तुम उनको कर रहे हो।
मै: (हंसते हुए) मौसी बनना है ना।
प्रीती: हां बनना है।
फिर मै उसे बांहों में भर चूसने लगा ऊपर से नीचे तक खूब चूसा चाटा उसकी चूत चाटी फिर जब उसकी चूत पूरी गीली हो गई तो मेने अपना लन्ड उसकी चूत मे हल्के से घुसा दिया और उसकी चुदाई करने लगा।
दिव्या: (किचेन से निकलते हुए) तुम लोग शुरू हो गए कम से कम खाना तो खा लेते।
मैंने उन्हें बेड पर तीरते हुए अभी नही। फिर कुछ देर बाद प्रीती झड़ गई तो मैं दिव्या दी के पेटी कोट उठा उनको बेड पर लिटा दिया और उनकी चूत चाटने लगा फ़िर कुछ देर बाद प्रीती उठी और उनका ब्लाउज और ब्रा खोल उनके चूचे चूसने लगी फिर मेने उनका पेटीकोट उतारा और अपना लन्ड उनके चूत में डाल उनकी चुदाई करने लगा कुछ देर बाद मैं उनके अन्दर झड़ गया। कुछ समय बाद।
दिव्या: अब उठो खाना खा लो मैं निकाल देती हुं।
वो उठ कर अपने कपड़े पहनने लगी। मैंने उन्हें बांहों में भरते हुए।
मैं: ऐसे ही खाते हैं ना प्लीज़।
प्रीती: हां दी मजा आयेगा। प्लीज़ प्लीज़।
दिव्या: ओके, तुमलोग जो न करवाओ हमसे।
फिर उन्होंने चिकन और चावल निकाला तीनों के लिए।
दिव्या: मुझे लेग पीस देते हुए लो बाबू एक तुम्हारा एक तुम्हारे जीजा के लिए रख देती हुं वो खोजेंगे।
मैं: (मना करते हुए) नही दीदी आप लेलो, या इसे देदो।
प्रीती: हां मुझे दे दो इसे अब सिर्फ तुम्हारा लेग पीस अच्छा लगता है।
मैने उसके चूंचे मसल दिए।
प्रीती: आह।
फिर हम तीनो ने खाना खाया और दीदी किचेन में बर्तन रख आई।
दिव्या: अब मेरी बात सुनो अभी कुछ देर आराम कर लेते हैं उसके बाद कुछ करेंगे।
फिर हम सब एक साथ सो गए नंगे ही। फिर मेरी नींद 2 बजे खुली जब बर्तन की आवाज हुई मैने देखा कि दीदी उठ कर नंगी ही बर्तन धो रही हैं प्रीती अभी भी सो रही थी। फिर मै बाथरूम जाकर फ्रेश होकर आ गया। तब तक दीदी बर्तन धो चुकी थी।
वो किचेन से निकलते ही मुझे बांहों मे भर चूसने लगी, मै भी उनको उनकी गांड़ दबाते हुए चूसने चूमने लगा उनके बोबे पीने काटने लगा उनकी चूत चाटी फिर वो मेरा लन्ड घुटने पर बैठ चूसने लगी। उनके चूचे देख मुझे उनके चूचे चोदने का मन करने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मै बोलना चाहता था लेकिन बोल नही पा रहा था फिर उन्होंने लन्ड मुंह मे लिए ऊपर देखा तो मेरी नजरों को देख वो शायद समझ गई, इसलिए उन्होंने मेरे लन्ड को अपने बोबो में दबा ऊपर नीचे करने लगी फिर मुझे बेड के किनारे बिठा मेरे लन्ड को अपने बोबो से भींच मजा देने लगीं। मेरी आंखें मजे से बन्द हो गई थी। इतने में प्रीती उठ कर बैठ गई और।
प्रीती: मुझे भी ऐसा करना है।
हम दोनो हंसते हुए तुझसे नही होगा तेरे अभी छोटे हैं।
प्रीती: नही मुझे भी करना है।
दिव्या: ठीक है कर ले।
फिर प्रीती अपनी छोटे छोटे चूंचे से मेरे लन्ड को पकड़ ऊपर नीचे करने लगी कुछ देर बाद मैंने उसे ऊपर उठाया और उसको चुसने लगा। फिर उसको सुसु जाना था तो वो उठ कर चली गई। फिर मै और दिव्या गुत्थम गुत्था हो गए मेने उनका पैर फैलाया और उनकी चूत चाटने लगा, उनके चूतड को चूसने चाटने, दबाने और काटने लगा फिर, उनके जांघों को चूसने और काटने लगा, फिर प्रीती बाथ रूम से बाहर आते हुए।
प्रीती: क्या जी अपनी दीदी का लेग पीस खा रहे हो।
फिर वो हमारा सेक्स देखने लगी।
फिर मैंने उन्हे डॉगी स्टाइल में किया और चोदने लगा, फिर मैने उन्हे अपने ऊपर बिठा चोदने लगा। फिर मेने उन्हें गोद में उठा चोदना शुरू किया आज मैंने हर वो पोजिशन ट्राई कर ली जो मैं जानता था, क्योंकि प्रीती के साथ तो मैंने सिर्फ मिशनरी पोजीशन में ही किया था या कभी कभी उसे अपने ऊपर बिठा कर, क्योंकि वो काफी नाजुक थी।
लेकिन इनके साथ मै सब कुछ करना चाहता था, कभी टांग उठा कर तो कभी टांग कंधे पर रख कर वो आह आह आह करती रही पूरे टाईम। फिर मिशनरी पोजीशन में मैं उन्हें जोर जोर से चोदते हुए उनके अन्दर झड़ गया वो 2, 3, बार पहले ही झड़ चुकी थीं। हम दोनों ही काफी थक चुके थे। फिर कुछ देर बाद जब सब नॉर्मल हुआ तो मैं उनके ऊपर से उतर उनके बगल मे लेट गया, फिर मेरे बगल मे प्रीती भी आकर लेट गई।
दिव्या: एक बात बता तू इतना सीधा सादा है तो इतना सब कुछ कहा से सीखा।
मैं: क्या।
दिव्या: ज्यादा बन मत यहीं, इतना अच्छा चुदाई करना, इतने सारे पोजिशन, फ्रेंच किस करना, हिक्की देना, बोबे चोदना और वो चाटना।
मै: (उनके बोबे मे सर छुपाते हुए) सब आपका आशीर्वाद है दीदी।
दिव्या: और जिस तरह से तू मेरे गांड़ से प्यार जाताता है, लगता नही है मेरी गान्ड ज्यादा दिन कुंवारी रहेगी।
मैं:( शर्माते हुए) ये क्या बोल रही हो आप भी। वो तो मुझे ऐसे ही प्यार करने की आदत है।
दिव्या: (मेरे पेट पर हाथ फेरते हुए) अच्छा बच्चू, और ये आदत कहां से लगी।
मै: (प्रीती की तरफ इशारा करते हुए) इससे।
प्रीती: मैने कुछ नही किया, मेने कौनसी आदत लगा दी।
मैं और दी हंसते हुए लगता है इसके सिर से बाउंसर की तरह निकल गया।
प्रीती को गांड़ वाली कन्वर्सेशन बिल्कुल समझ नहीं आई।
प्रीती: वो सब छोड़ो, अब ये सब पोजिशन मेरे साथ करो।
मैं: (उसकी चूत चाटते हुए) पागल है क्या तू काफी नाजुक है।
प्रीती: नही मुझे कुछ नहीं सुनना, मुझे करना है।
मैं: ठीक मैं तेरे साथ रोज एक नया सेक्स पोजिशन मे सेक्स करूंगा, आज बोल कौन सा।
प्रीती: वो गोद में उठा कर।
फिर मेने उसे गोद मे उठा कर चोदने लगा फ़िर मैं कुछ देर में थक गया तो उसे लिटा कर चोदने लगा, फिर कुछ देर में वो झड़ गई तो मेने लन्ड बाहर निकाल लिया।
प्रीती: (मेरे कान मे धीरे से) निकाल क्यूं लिया मुझे फील करना है अंदर जाकर कैसा लगता है।
मैं: पागल है क्या। कितनी बार समझाया है।
दिव्या: क्या हुआ क्या बोल रही है।
मैं: ये आपको मौसी बनाने के चक्कर मे है। इसे अंदर स्पर्म फील करना है।
दिव्या: नही बेटा ऐसी गलती कभी मत करना। शादी के बाद ये सब।
प्रीती: तो क्या दीदी मुझे स्पर्म अपने अन्दर फील करने के लिए शादी तक रुकना पड़ेगा?
मैं: अरे नही जिस दिन तेरे पीरियड आयेंगे उसके अगले 2, 4 दिन तक तुझे स्पर्म फील कराता हूं।
दिव्या; वाह बेटे तुझे तो सब पता है।
प्रीती: ठीक है (मेरे लन्ड को सहलाते हुए)तो इसका रस उधर निकाल मुझे मौसी बनना है।
दिव्या: पागल है क्या मेरे में अब हिम्मत नहीं है इसने सारे पोजिशन मुझ पर आजमा कर मेरी जान निकाल दी है।
प्रीती: (मेरे लन्ड को पकड़े हुए) तो इसका क्या करें।
दिव्या: ला मुंह से कर देती हूं।
फिर वो मेरे लन्ड को चुसने लगी 10 मिनट में वो थक गई तो मैंने उनके बोबो को छुआ तो वो समझ गई। फिर उन्होंने लन्ड को अपने बोबो से भींच ऊपर नीचे करने लगी मैं उनके बोबे चोदने लगा। कुछ देर में मैं झरने वाला था आह आह करने लगा तो प्रीती ने बोला मुझे मौसी बनना है स्पर्म वेस्ट मत करना और ये बोल उसने मेरा लन्ड पकड़ भींच दिया, मैं झड़ते झड़ते रह गया।
दिव्या: ओहो ये क्या किया।
प्रीती: मुझे मौसी बनना है तुम अन्दर लो स्पर्म वेस्ट मत करो।
दिव्या: ओहो लाओ डालो अब।
फिर मैंने लन्ड उनकी चूत में घुसा दिया उनकी चीख निकल गई। फिर कुछ देर बाद मैंने सारा वीर्य उनके अन्दर निकाल दिया। थोड़ा नॉर्मल होने के बाद।
मै: ये बताईए आप जीजाजी के साथ सेक्स कर रहे हो ना।
दिव्या: अरे कहां यार, टाईम ही नही मिलता।
मै: हां ये जब यन्हा रहेगी तो क्या ही मूड बनेगा किसी का।
प्रीती: मैंने क्या किया मै तो हॉल में सोती हूं।
दिव्या: अच्छा याद दिलाया, ऐसा कर कुछ दिन तू भी आराम कर ऐसे रोज रोज सेक्स नही करते, तब तक मै आज तो नही कल परसों तक उनके साथ कर लूंगी।
मै: ठीक है। अब चलता हूं।
सब अपने कपड़े पहनने लगे। फिर दीदी ने मुझे स्मूच किया और धन्यवाद कहा। फिर मै 5 दिन नही गया तो 5वें दिन शाम को प्रीती का फोन आ गया की। मुझे बड़ी याद आ रही है तेरी कल आ जाना। मै अगले दिन वहां पहुंच गया। पहुंचते ही पता चला कि प्रीती को पीरियड्स आ गए हैं कल रात को ही। मेरी तो हंसी छूट गई। फिर दिव्या दी ने मुझे नाश्ता जूस दिया फिर हम एक दूसरे को चूमते चूमते शुरू हो गए।
दिव्या: प्रीती तू अन्दर चली जा।
प्रीती: नही मुझे भी करना है।
दिव्या: पीरियड में सेक्स नही करते बेटा, तुझे बताया था ना।
प्रीती: (रूआंसी सी होकर) नही मुझे कुछ नहीं सुनना मुझे करना है।
दिव्या: अब तुम ही समझाओ इसे।
मैं: उसे अपनी बांहों मे खीच कर प्यार करने लगा फिर वो मान गई और अन्दर चली गई।
फिर हम शुरू हो गए। उनको मिशनरी पोजीशन में चोद रहा था कि अचानक प्रीती आ गई और बोली।
प्रीती: पीरियड में ऐनल सेक्स कर सकते हैं।
मैं: क्या, पागल है क्या, तूझे किसने कहा।
प्रीती: मैंने इंटरनेट पर पढ़ा। मुझे करना है बस।
मैं: आप ही समझाओ अब।
दिव्या: पागल है क्या? इसमें बहुत दर्द होता है।
प्रीती: आपने किया है क्या?
दिव्या: नही।
प्रीती: तो आपको कैसे पता। मुझे करना है तो करना है।(ये बोलकर वो अपनी गुलाबी गांड़ मेरी तरफ कर बेड पर बैठ गईं).
मै:(उसके चूतड पर चाटा लगाते हुए) ऐसे जिद नही करते। तू अभी बहुत नाजुक है ऐसा करने मे तुझे बहुत दर्द होगा।
प्रीती: तो फिर तुम पहले दीदी के साथ करो अगर मुझे लगा की ज्यादा दर्द हो सकता है तो मै जिद नही करूंगी।
मैं: क्या बकवास है।
दिव्या: मै नही करने वाली ये सब।
प्रीती: प्लीज़ दी मैंने कितना किया आपके लिए, आप मेरे लिए इतना सा नही कर सकती।
दिव्या: ठीक है।
मै: लेकिन कोई मुझसे तो पूछ लो, मुझे नही करना।
दिव्या: तूने मेरे लिए इतना कुछ किया है, तो मै कल रात से तुझे कुछ गिफ्ट देने की सोच रही थी, (अपनी गान्ड मेरी तरफ करते हुए) इसे अपना गिफ्ट समझ कर ले ले। एक भाई को उसकी दीदी की तरफ से गिफ्ट।
मैं: (उनकी गांड़ दबाते, सहलाते हुए) ठीक है।
फिर मैंने प्रीती को सरसों तेल लाने को बोला, वो किचेन में चली गई। फिर मैंने दिव्या दी के कान मे बोला की मैं काफी प्यार से करने की कोशिश करंगा, लेकिन आप कुछ ज्यादा जोर से चिलाना ताकि वो डर जाए।
दिव्या: ओके।
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फिर प्रीती तेल लेकर आ गई मैने तेल उनकी गांड़ में लगाया और खूब सहलाया फिर सूपड़ा उनके गांड़ के छेद पर रख दबा दिया, वो दर्द से चींख पड़ी फिर मैने थोड़ा और लन्ड दबाया तो वो रोने चीखने लगीं, फिर मैंने एक शॉट लगा आधे से ज्यादा लन्ड डाल दिया वो चीख कर बेहोश सी होने लगी (मैने सोचा अच्छी ऐक्टिंग कर रही हैं). उनको रोता चीखता देख प्रीती सच मे डर गई.
प्रीती: मुझे नही करवाना, तुम लोग ही करो (ये बोलकर वो रूम मे चली गई).
फिर मेने उन्हें हिलाया तो देखा वो सच मे बेहोश हो गई थी फिर मेने उन्हें पानी मार उठाया और उनको सॉरी बोला।
दिव्या; (दर्द से करहाते हुऐ) अरे कोई बात नही पहली बार तो दर्द होता ही है। चलो कम से कम प्रीती तो डर गई।
मैं: हां अब वो कभी भी गान्ड मारने को नही बोलेगी।
दिव्या: हां।
फिर मैं उन्हें प्यार करते हुए अपना लन्ड पुरा उनके गांड़ मे घुसा दिया और उनकी चूत सहलाते हुए गांड़ चुदाई शुरु कर दिया फिर मेने उनके चूत में लन्ड डाल चोदने लगा फिर मैं उनके चूत में झड़ गया।
फिर दो महीने तक हमारी चुदाई चली फिर एक दिन उन्होंने बताया कि प्रेग्नेंट है। हम तीनों उस दिन काफी खुश हुऐ दीदी तो मुझे चूमे ही जा रही थी उसकी आंखों से आसूं रुकने का नाम ही नही ले रहे थे। दोनो ने उस दिन मुझे काफी प्यार किया। फिर मै अब भी कभी कभी जाकर उनकी चुदाई करता हूं। प्रीती का भी जब मन चुदाई का करता है तो वो अपने दीदी के रुम पे चली जाती है और मुझे बुला लेती है।
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