Salhaj Sath Hotel Sex
ससुराल में सलहज चुदाई मेरी शादी के 5 साल हो गए थे। मैंने अपनी साली को खूब पेला था। उसकी भी शादी हो चुकी थी। अपनी बीवी अंजू की तो मैं 5 साल से लगातार चूत मार रहा था, पर दिल में यही ख्वाहिश रहती थी की साली की तरह कोई नई चिड़िया हाथ लगे। मेरे ससुर श्री ने एक दिन फोन किया कि साले की शादी देखने जाना है। Salhaj Sath Hotel Sex
दामाद होने के नाते मुझे भी जाना था। मेरा साला जयंत थोड़ा सीधा सरल है। कहीं कोई लड़की उसको बेकूफ़ ना बना दे। इसलिये मेरे ससुर चाहते थे की मैं भी लकड़ी देखने जाऊ। लड़की का नाम आराधना था। बिजनौर में उनके चूड़ियों के कारखाने थे। काफी पैसे वाले थे सब। आराधना के घर वाले मेरे साले को और घर मकान देख गये थे।
अब हम लोगों को जाकर लड़की को देखना था और हाँ या ना में जवाब देना था। मेरा साला जयंत बहुत सीधा था। इतना शर्माता था कि कभी किसी लड़की को आँख उठा के नही ताकता था। कुछ जरूरत से ज्यादा ही सीधा था। इसलिये वो लड़की से बात करपाये या ना कर पाए इसलिये मेरे ससुर ने मुझे भेजा था।
हमारी फॅमिली लड़की के घर पहुँच गयी। लड़की बड़ी पतली दुबली और बिलकुल छमिया टाइप थी। माँ कसम!! क्या सामान है!! चुदी तो जरूर होगी!! इतनी मस्त मॉल है!! चुदी तो जरूर होगी! मैंने मन ही मन सोचा। अपनी होने वाली सलहज को देखकर मेरा लण्ड घमंड करने लगा यानि की तन गया। मुझे नही पता की साले का क्या हाल था। वो कुछ जादा ही शर्मिला था। “Salhaj Sath Hotel Sex”
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आओ बैठो बेटी!! किस कॉलेज से पढ़ी हो?? कितना पढ़ा है?? ससुर जी ने पूछा।
जी बी एस सी फ्रॉम चौधरी चरण यूनिवर्सिटी, मेरठ! आराधना बोली।
बॉप रे!! कितनी मीठी आवाज थी। एक तो छमिया और ऊपर से कितनी मीठी आवाज। हाय इतनी बुर कितनी मीठी होगी। मैंने सोचा। मेरा लण्ड तो बहने लगा।
अपने बारे में बताओ आराधना! मैंने पूछा।
उसने नजरे मुझ पर घुमाई। या खुदा कितनी कातिलाना नजरे थे छमिया की। काफी पतली दुबली थी। फ्रेंड्स, मैं तो मर मिटा था अपनी होने वाली सलहज पर। मन तो कर रहा था कि इसे गिरा के यही चोद लूँ।
जी! मुझे हर तरह का खाना बनाना आता है। इसके अलावा किताबे पढ़ना, तरह तरह के स्वेटर बुनना, घर सजाना और कड़ाई बुनाई का शौक है मुझे। हाँ गाना भी खूब पसंद है!! आराधना बोली।
आराधना!! तुझे चोदने के लिए मैं करूँगा कोई भी बहाना। मैं मन में सोचा।
बहुत अच्छे आराधना!! मैंने मुस्कुराकर कहा।
ससुर की तरफ से हाँ थी। उनको लड़की पसंद आ गयी। अब मेरा साला जयंत उससे बात कर रहा था। सब बात ठीक रही। उसने भी हाँ कर दी।
क्या कहते हो बेटे!! रिश्ता पक्का कर लिया जाए!! ससुर जी बोले.
जी जयंत एक बात आराधना से अकेले में पूछना चाहता है! मैंने कहा.
जाओ बेटी छत पर चली जाओ! उनके घर वाले बोले। जयंत तो शर्म करने लगा।
आराधना जी! इधर आइये! मैंने कहा और माल को एक तरह ले आया। मन तो यही कर रहा था कि यही इसके चुच्चे दबा लो, चोद लूँ साली को। इसकी चूत तो मैं जरूर मारूँगा! मैंने खुद से कहा।
बताइये!! आराधना बोली.
देखिये मेरा साला जानना चाहता है कि आप कुंवारी तो है ना?? क्योंकि वो कुंवारा है, इसलिये सिर्फ सिर्फ कुंवारी लड़की से ही साली करेगा! मैंने कहा।
हँसती खेलती आराधना बिलकुल दुखी हो गयी। उसका हँसता चेहरा बिलकुल उतर गया। उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी।
वीर जी!! मैं कुंवारी नही हूँ!! वो बोली। उसकी आँख में आँशु आ गया। वो रोने लगी। थैंक गॉड वहां कोई नही था। वरना ना जाने क्या होता।
मेरा 3 साल से एक बॉयफ्रेंड था!! आराधना बोली
इसकी माँ की आँख 3 साल में तो ये छमिया 3000 बार चुदी होगी! मैंने सोचा।
प्लीस! वीर जी आप किसी तरह सिचुएशन सम्हालिया! ये बात मेरे घर वालों को पता नहीं चल पाए! आराधना मिन्नते करने लगी।
मैंने उनके कंधे पर हाथ रख दिया।
देखिये!! मैं सिचुएशन सम्हाल लूंगा पर मुझे क्या मिलेगा! मैंने हँसते हुए पूछ लिया।
जो आप कहें! आराधना बोली.
देखिये फिर आपको मेरा खास ख्याल रखना होगा! मैंने कहा धीरे से सिर एक और झुकाया। वो समझ् गयी की खास ख्याल का मतलब क्या है। मैं उसको लूंगा यानि चोदूंगा। यही मेरा इशारा है आराधना जान गयी। “Salhaj Sath Hotel Sex”
ओके वीर जी! वो बोली।
मैंने साले को खूब बढ़िया समझा दिया की बन्दी मस्त है। मैंने उसे बता दिया की उनका बॉयफ्रेंड था, सायद चुदी भी हो। पर साले साहेब! आजकल तो हर लौण्डिया किसी ना किसी से फसी होती है। ऐसा मस्त मॉल तुमको अपनी जात में नही मिलेगी। हाँ बोल दे। साले साहब ने हाँ कर दी।
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दोनों पक्षों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई। रिश्ता पक्का हो गया। जब मैं आने लगा तो आराधना की नजरे मुझसे नही हट रही थी। वो खुश थी। मुझे प्यार भरी नजरों से देख रही थी। अब साले से ज्यादा वो मुझको महत्व दे रहीं थी। चूत का इंतजाम हो गया! मैंने कहा खुद से जब नीचे की सीढियाँ उतरने लगा।
साली को तो मैंने चुपके चुपके खूब लिया था। अब सलहज का नंबर था। शादी का दिन आ गया। जब जयमाल पढ़ने लगा तो मैं सूट बूट में मौजूद था। मेरी होने वाली सलहज बस मुझे ही देखे जा रही थी। मैंने स्टेज पर साले को बधाई देने गया तो मैंने आराधना का हाथ पकड़ लिया। सबकी नजर से बचाते हुए। वो शर्मा गयी। “Salhaj Sath Hotel Sex”
हाय! इस छमिया की चूत कब मारने को मिलेगी! मैं तो मरा जा रहा था। फिर जब जयमाल पड़ा, मैंने साले को खूब ऊपर गोद में उठा लिया। सलहज अब माला नही डाल पा रही थी। मुजें आँख मारने लगी। मैंने साले को नीचे कर दिया। आराधना से माला डाल दी। अब वो मेरी सर्टिफाइड सलहज बन चुकी थी। शादी हो गयी। 2 दिन बाद मैंने साले को फोन किया।
क्यों साले साहब!! मजा आया?? कैसी रही सुहागरात?? मैंने पूछा.
बढ़िया! वो शर्माता बोला।
कैसा माल था?? मैंने इशारों में पूछा.
मस्त था जीजू!! साला बोला।
मेरा साला तो मेरी सलहज को चोद चुका था। चूत भी मस्त थी भाई उसकी। दोंस्तों, अब तो मैं बस दीवाना हो गया था। कब सलहज की चूत मिलेगी, इसी मीठे सपने में खो गया था। कुछ दिन बाद मैं ससुराल गया। तो सास से कहा की सलहज को कुछ शॉपिंग करवा दूँ। मैनें बीवी से भी चलने को कहा। वो बोली उसकी तबीयत खराब है। मैंने सलहज को बाइक पर बैठा लिया।
मार्किट में एक नया मॉल कम मल्टीप्लेक्स भी खुला दिया। सलहज को पटा सकू इसलिये मैंने बॉक्स की 2 टिकटे ले ली। पिक्चर सुरु हुई। सलहज की मैंने खूब चुच्ची मींजी। आऊ आऊ!!। वो पूरी पिक्चर में करती रही। वहाँ सब लड़के अपनी अपनी माल को लेकर आये थे। पिक्चर देखने कौन गया था, सब इस्क़बाजी करने गए थे। “Salhaj Sath Hotel Sex”
आराधना!! देख तूने वादा किया था! आज तो तेरी चूत चाहिए मुझे!! मैंने साफ साफ कह दिया।
मैंने चूत देने को तैयार हूँ! पर कहाँ लोगे मेरी चूत साढ़ू साहब!! आराधना बोली.
चल होटल में दे दे। घर पर तो तुझको चोद नही पाऊँगा! मैंने सलहज से कहा।
हम दोनों ने 2 घण्टों के लिए एक कमरा ले लिया। अंदर जाते ही मैंने दरवाजा बन्द कर लिया। अपनी पतली दुबली सलहज को मैंने बाँहों में जकड़ लिया। कितना मुश्किल होता है चुट मिलना। बोलो साले की शादी के 4 महीने हों गये। साले ने चोद चोदकर सलहज की बुर को पुराना कर दिया होगा।
अब बताओ कितनी लेट में मुझको इसकी चूत मिल रही है। मैंने खुद से कहा। सलहज जी के गालों और होंठों पर चुम्मे की मैंने बौछार कर दी। पीछे से पकड़ लिया। हाथ सीधे मम्मे पर। मैंने सीने से उसको लगा लिया और मम्म्मे दाबने लगा। सलहज शर्मा गयी।
क्यों सलहज जी!! कैसे पेलता है मेरा साला?? मैंने हँसकर पूछा.
बहुत कसके चुदाई करते है!! देखने पर मत जाइये। देखने पर तो बुद्धु लगते है पर 2 2 घण्टे मेरी बुर फाड़ते रहते है और पानी नही चोदते है!! सलहज बोली.
तो ठीक है मैं भी आपको ऐसे ही रगडूंगा!! मैंने आराधना से कहा।
मैने उसको पलंग पर लिटा दिया। पतली दुबली काया की मालकिन थी वो। मैं उसके दूध पीने को इतना उतावला हो गया कि वो ब्लॉउज़ का बटन नही खोल पायी। मैंने ब्लॉउज़ ऊपर सरका दिया। मस्त दुधिया छातियां मुझको मिल गयी। “Salhaj Sath Hotel Sex”
मैं दीवाना होकर उसका दूध पीने लगा। मेरे साले ने उसके खूब दूध पिए थे। मैं तो बहुत लेट पंहुचा था दोंस्तों। खैर जो मिला मैंने पिया। फिर दूसरा मम्मा भी मैंने ऊपर उचका दिया। उसका भी दूध खूब पिया। आपको पहले की बताया कि मेरी सलहज बिलकुल छमिया थी। तीखे नान नक्स।
बस चोद लीजिये, जादा कुछ कहने की जरूरत नही। मुझे इतनी जल्दी थी, मैंने साड़ी ऊपर कर दी। उतारी भी नही। फिर पेटीकोट भी उतारा। काले रंग की पैंटी मिली। हाथ से किनारे खिसका दी। अंततः बुर के दर्शन हुए।
अरे रंडी की चूत!! मेरे मुँह से निकल गया।
सलहज की बुर का भरमा और भोसड़ा बन चूका था। मेरे साले ने उसको हर रात पेला था। जितने मोटे सलहज के होंठ थे, ठीक उतने मोटे बुर के होंठ थे। दोंस्तों मेरा बस चलता तो आप लोगों को कहानी के साथ उसकी बुर की फोटो खींच के भेज देता।
जहाँ ज्यादातर औरतों की भर अंदर खायी में होती है इस अल्टर की बुर तो ऊपर की ओर थी। कचोरी की तरह फूली थी। सीधे मैंने मुँह लगा दिया। बुर चाटने लगा। जीभ से बुर का स्वाद लेने लगा। कई महीने उसकी बुर चूदने का बाद भी बुर मस्त थी। मैं गहराई से बुर पीने लगा। साली भी मस्त हो गयी। “Salhaj Sath Hotel Sex”
दोंस्तों जब कोई माल देख लो और चोदने को ना मिले तो ऐसा ही होता है। इतनी प्यास थी उसकी बुर की की क्या बताऊँ। 40 मिनट तो मैंने केवल बुर पी आराधना की। खूब लपट झपटी हुई। खूब चुम्मा चाटी हुई। उसकी कमर इतनी मस्त थी, बिलकुल गोरी मक्खन जैसी थी। खूब चूमा मैंने।
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फिर मैंने लण्ड डाल दिया और चोदने लगा सलहज को। खूब सम्भोग किया मैंने उस छिनाल के साथ। खूब चोदा रंडी को। पर मैं आउट ना हुआ। फिर मन बदला। दुबली पतली तो थी ही। बस उठा लिया गोद में । सलहज ने ख़ुद लण्ड अपनी बुर में सेट कर दिया। बस फिर क्या था दोंस्तों, बिल्ली दूध ना पिये ऐसा कभी हुआ है। मर्द मुफ्त की चूत मिलने पर ना मारे क्या कभी ऐसा हुआ है। पेलने लगा आराधना को मैं।
हल्की होने से ये सम्भव हो पाया। वरना अपनी बीवी को मैं कभी नही गोद में उठा के चोद पाया था। साली ने मुझे दोनों हाथों से कसके पीठ पर पकड़ रखा था। हप हप्प मैं पेलने लगा साली को। अम्मा अम्मा चिल्लाने लगी वो। मैं दूध भी पीता जा रहा था और हप हप्प पेल भी रहा था। लगा कोई माँ अपने बच्चे को गोद में खिला रही हो। दोंस्तों, बुर फाड़ दी मैंने अपनी प्यारी छिनाल सलहज की। अनगिनत बार मैंने उसे उस दिन चोदा। फिर तो 1 साल बाद ही उसकी बुर के दर्शन हो पाये।