Jawan Aurat Train
मेरा नाम परी है और में सीतापुर की रहने वाली हूँ. दोस्तों में सेक्सी की बहुत भूखी हूँ, लेकिन एक रंडी नहीं और मेरी यह आज की कहानी मेरी पराए मर्द से पहली चुदाई की एक घटना है. दोस्तों में अब 42 साल की हूँ और अनिरुद्ध जीजाजी 58 साल के है और मेरे फिगर का साईज 44-40-48 है. मेरी लम्बाई 5 फीट 7 इंच है और अनिरुद्ध 6 फीट 1 इंच लंबे चौड़ी छाती और थोड़ी मोटे है, लेकिन बहुत अच्छे स्वभाव के है. Jawan Aurat Train
दोस्तों अब में आप सभी को मेरा पहला सेक्स अनुभव बताती हूँ. यह मेरा सेक्स अनिरुद्ध से कैसे शुरू हुआ? दोस्तों बात 1990 की है तब में 25 साल की थी. उन दिनों मेरे पति भी आर्मी में थे तभी उनको कुछ बीमारी लग गई और वो बहुत ज्यादा बीमार हो गये और तब ज्यादा मोबाइल नहीं होते थे.
तभी मुझे टेलिग्राम से यह मैसेज मिला और में बहुत घबरा गई और मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था. में बस रो रही थी और सोच रही थी कि कैसे अपने पति के पास उनसे मिलने जाऊँ? क्योंकि सफ़र बहुत लंबा था और अंजान था. उसी टाईम मेरे घर पर अपनी पत्नी के साथ अनिरुद्ध मतलब मेरे जीजाजी आ गये मुझसे मिलने.
तो मुझे रोते देखकर उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या बात है तुम रो क्यों रही हो? तो मैंने उनको सब बता दिया. उस समय अनिरुद्ध भी आर्मी में थे और वो मुझसे बोले कि इसमें रोने की क्या बात है अगर तुम्हे उससे मिलना है तो चल में तुम्हे वहां पर लेकर चलता हूँ.
फिर दीदी ने ही मुझे कुछ सात्वना दी और उन्होंने मेरे घर पर बात करके मेरे भाई को बुला लिया और मेरे भाई ने मेरे साथ जाने के बजाए अनिरुद्ध को मेरे साथ ले जाने के लिए बोला और मेरे दोनों बच्चों को वो अपने साथ गावं ले गया. फिर उसी रात को अनिरुद्ध मेरे पास रहे और सुबह हम लोग एक बस से दिल्ली आ गये.
और फिर वहाँ हमने ट्रेन में फर्स्ट क्लास में सीट बुक करवा ली और रात को दस बजे हमारी ट्रेन चली और टिकिट चेक होने के बाद अनिरुद्ध ने दरवाजा बंद करके मुझे ऊपर सुला दिया और खुद नीचे सो गये और बस यही सफर मेरे लिए पहली पराए मर्द से सेक्स की वजह बन गया. रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी और अनिरुद्ध सो गये थे. शायद वो सोने का नाटक कर रहे थे.
तभी में बाथरूम जाने के लिए नीचे उतरी तो मैंने देख कि अनिरुद्ध का लंड एकदम तना हुआ है और खंबे की तरह खड़ा है. में उनका लंड देखकर एकदम हैरान हो गई और मन ही मन सोचने लगी कि इतना बड़ा लंड आदमी का कैसे हो सकता है?
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मैंने बहुत बार चाहा लेकिन मेरी नज़र अनिरुद्ध के लंड पर से हट ही नहीं रही थी. उनके लंड को बेड शीट के नीचे से देखकर ही मेरी चूत गीली हो रही थी, लेकिन अब तक में किसी पराए मर्द से चुदी नहीं थी तो इसलिए में आगे नहीं बड़ पा रही थी.
और फिर जैसे तैसे करके में बाथरूम में चली गई और जब में वहां से वापस आई तो मैंने देखा कि उनका लंड अब भी वैसे ही तना हुआ है और अब में बहुत डरते डरते हुए उनकी सीट पर बैठ गई और बहुत हिम्मत करके उनकी आँखों में आंखे डालकर देखने लगी कि तभी वो मुझसे बोले..
अनिरुद्ध : क्यों परी नींद नहीं आ रही क्या? वो मेरे उनके पास बैठते ही बोले.
में : जी हाँ, मुझे नींद नहीं आ रही, थोड़ा डर लग रहा है, लेकिन दोस्तों पता नहीं उनकी क्या हालत होगी?
फिर अनिरुद्ध मेरा हाथ पकड़ते हुए बोले कि डर लग रहा है तो एक काम करो थोड़ा पानी पी लो, मैंने थोड़ा पानी पिया और उसी बीच मैंने महसूस किया कि वो मुझसे थोड़ा और सटकर बैठ गए और फिर हम कुछ इधर उधर की बातें करने लगे.
दोस्तों तब मैंने महसूस किया कि अनिरुद्ध ने अपना लंड मेरी गांड से बिल्कुल सटा रखा था और मुझे अच्छा भी लग रहा था, लेकिन में उनसे कुछ कह नहीं पा रही थी. तभी इतने में एक स्टेशन आ गया. वहाँ पर अनिरुद्ध ने दो कप चाय ली और फिर हमने चाय पी. और उस समय रात के करीब दो बज रहे थे.
फिर चाय पीने के बाद अनिरुद्ध ने मुझसे कसम देकर पूछा कि परी क्या तू मुझे एक बात सच सच बताएगी?
में : हाँ अगर मुझे पता है तो में आपको जरुर बताउंगी.
अनिरुद्ध : तू अभी कुछ देर पहले क्या देख रही थी? क्यों तुझे अच्छा लगा क्या? सच बोलना प्लीज़ अगर तुझे अच्छा लगा तो में तुझे और भी मज़ा दूँगा और अगर नहीं लगा तो में कुछ नहीं कहूँगा?
दोस्तों यह बात कहकर अनिरुद्ध ने मेरा एक हाथ अपने हाथों में लेकर ज़ोर से दबा दिया और थोड़ा मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखने लगे. फिर जैसे तैसे करके मैंने कहा कि हाँ मुझे अच्छा लगा तो बस फिर क्या था अनिरुद्ध मेरे ऊपर लट्टू हो गये? और अब उन्होंने मुझे अपनी गोदी में कैच कर लिया.
फिर में एकदम से उनके ऐसा करने से बहुत आश्चर्यचकित हो गई क्योंकि वो मुझे अपनी छाती पर ज़ोर से दबाने लगे और जिसकी वजह से मेरी छाती उनकी छाती से दब रही थी और मुझमें एक अजीब सा अहसास ला रही थी और मेरे बदन पर उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी.
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और अब अनिरुद्ध मेरे बूब्स को दबाने लगे और मेरी चूत को मसलने लगे और मेरे कपड़े उतारने लगे और फिर वो खुद भी नंगे हो गये और अब उनका लंबा, मोटा, तना हुआ लंड मेरी आँखों के सामने उछल रहा था. फिर उन्होंने मुझे अपनी बाहों में लेकर अब सीट पर लेटा दिया और फिर मेरी चूत को चाटने लगे.
दोस्तों वैसे तो मेरे पति ने भी मेरी चूत बहुत बार चाटी थी, लेकिन आज मुझे चूत चटवाने का असली मज़ा अनिरुद्ध से आया. मैंने उनके कुछ देर चाटने के बाद पानी छोड़ दिया और तब अनिरुद्ध ने मुझसे अपना लंड चुसवाया और में उनके लंड का टोपा अंदर बाहर करके उनका लंड चूस रही थी.
मुझे उनका लंड पूरा मुहं में लेने में दिक्कत हो रही थी क्योंकि उनका लंड बहुत मोटा था. वो बहुत मुश्किल से मेरे मुहं के अंदर जा रहा था, लेकिन उतनी ही आसानी से मेरे हलक में पहुंच रहा था और ज्यादा लंबा होने की वजह से मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और मेरी आँखों से आंसू बाहर आने लगे थे.
फिर करीब कोई दो पांच मिनट लंड को चूसने के बाद अनिरुद्ध ने मुझको खिड़की के सहारे घोड़ी बना दिया और अब एक बार मेरी चूत चाटकर एक ही ज़ोर के धक्के में अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया और अब में दर्द होने की वजह से बहुत ज़ोर से चीखने चिल्लाने लगी थी.
और अपनी चूत को आगे की तरफ करके लंड को बाहर निकालने की नाकाम कोशिश करने लगी, लेकिन अनिरुद्ध की मजबूत पकड़ और मेरी चूत में फंसे हुए लंड से में थोड़ा भी आगे नहीं बढ़ सकी और अब वो मोटा और सख्त लंड मेरी चूत में लगातार आगे पीछे होने लगा था.
लेकिन अब जल्दी ही मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा और में सिसकियाँ लेने लगी उफफफफ्फ़ अहाह्ह्ह्हह्ह हाँ और ज़ोर से चोदो जीजू उईईईईईईइ माँ मेरी चूत को और ज़ोर से मारो अहह्ह्हह्ह्ह्ह अनिरुद्ध में गई. कुछ देर की चुदाई के बाद अनिरुद्ध ने मेरी चूत में अपना वीर्य डाल दिया.
और फिर वो कुछ देर वैसे ही मेरी चूत में अपना लंड रखकर रुक गया और उसके कुछ देर बाद अनिरुद्ध ने मेरी चूत से अपना लंड बाहर निकाला और मेरी चूत को साफ किया और अपना लंड भी साफ किया. फिर हम दोनों एक ही सीट पर पूरे नंगे बैठकर एक दूसरे की बाहों में आकर प्यार करने लगे और चूमने चाटने लगे.
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फिर उस पूरी रात को दूसरी सुबह तक हमने करीब तीन बार जमकर सेक्स किया. मुझे उसकी चुदाई में बहुत मज़ा आया और फिर में अपने कपड़े पहनकर बहुत थककर गहरी नींद में सो गई, लेकिन अनिरुद्ध नहीं सोए और दोपहर को जब में नींद से उठी तो मैंने देखा कि ट्रेन एक स्टेशन पर खड़ी हुई थी और अनिरुद्ध ने खाना मँगवाया और ख़ाना खाकर हम दोनों फिर से सो गये. उस रात को फिर से एक बार मेरी उस ट्रेन में बहुत जमकर चुदाई हुई और इस तरह से में अनिरुद्ध से चुदते हुए अपने पति के पास पहुँच गई और वहां से वापसी में भी हमने दो बार बहुत मस्त चुदाई की.
और उसके बाद जब तक मेरे पति जॉब पर रहे में कभी उनके साथ नहीं गई, में बस छुट्टियों में ही उनसे चुदवाती और बच्चों की पढ़ाई का बहान करके में उनकी गैरमोजूदगी में अनिरुद्ध से बहुत मस्त चुदवाती रही और बहुत बार अनिरुद्ध ने मुझे अपने फार्म हाउस में भी अपने साथ ले जाकर वहां पर चोदा है और मैंने उसकी चुदाई के बहुत मज़े लिए और हर कभी कोई अच्छा मौका देखकर उससे चुदवाती रही और एक बार बरसात में भीगते हुए भी अनिरुद्ध से मेरी चुदाई हुई. उसने मेरी चूत को अब चोद चोदकर पूरी तरह से भोसड़ा बना दिया. दोस्तों ये थी मेरी चुदाई की सच्ची घटना.