Desi Chut Chudai
मैं हूं अरुण कुमार और हम अमृतसर में एक संयुक्त परिवार में रहते हैं – जॉइंट फैमिली। मेरी ससुराल जयपुर में है। ससुराल में सास, ससुर और एक इकलौता साला है। मेरी पत्नी की एक बुआ है जो जयपुर में ही ब्याही है। उसके पति, मेरी पत्नी मीरा के फूफा, मिलिट्री में हैं। Desi Chut Chudai
2014 में, जिस साल मेरी शादी हुई, मीरा के फूफा बंगलौर में पोस्टेड थे। हमारी शादी के समय उनकी एक छः या सात साल की बेटी थी श्रृष्टि – मेरी साली। आगे के चार दांत टूटे हुए थे। हमारी शादी के दौरान और बाद में श्रृष्टि जीजा जी जीजा जी करके मेरे पीछे पीछे घूमती रही।
मेरी पत्नी मीरा और श्रृष्टि की उम्र में 14 साल का फर्क था। बड़ा शौक था श्रृष्टि को अपने जीजी की शादी का और अपने जीजू का। वक़्त गुज़रता गया। इस बीच कई बार मेरा जयपुर जाना हुआ – एक दो बार ही मीरा के फूफा फूफी और श्रृष्टि से मुलाकात हुई।
श्रृष्टि अब बड़ी हो रही थी। मेरे पत्नी मीरा के साथ श्रृष्टि की बड़े अच्छी पटरी खाती थी। दोनों अक्सर मोबाइल पर बातें किया करती थी। 2016 के बाद मेरा जयपुर जाना नहीं हुआ। मीरा जाती रहती थी। हफ्ता दस दिन बिता कर आ जाती थी। साल 2021 में 19 – 20 साल की श्रृष्टि कालेज में पहुंच चुकी थी।
2021 में हमारा जयपुर जाना हुआ। मेरे ससुर का दिल का ऑपरेशन हुआ था। वो ठीक थे लेकिन मीरा के जिद थी की मैं भी इस बार उनका हाल चाल पूछने चलूं – पांच साल से मैं जयपुर गया नहीं था। मीरा के पिता का घर काफी बड़ा है, पुराने किस्म का। एक लाइन में चार पांच कमरे।
दो कमरों के साथ बाथ रूम टॉयलेट जुड़े थे। एक तरफ रसोई थी। बीच में आंगन। और आंगन के एक तरफ एक और बाथ रूम और टॉयलेट – और जो सबके प्रयोग में आता है। टॉयलेट के साथ जुड़े एक कमरे में मीरा के पिता थे, मेरे ससुर। दूसरा कमरा हमारे पास था।
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मैं तो रात को दस बजे तक सो जाता था, मीरा ग्यारह ग्यारह बारह बारह बजे तक आती थी – अपने मां और बाउजी के पास बैठी रहती थी। हमारे पहुंचने के चार दिन बाद मीरा के फूफा फूफी भी जयपुर आ गए। श्रृष्टि साथ ही थी। श्रृष्टि अब पूरी तरह से जवान हो चुकी थी – गज़ब की सुन्दर। चूचियां तन चुकी थे और चूतड़ भर चुके थे।
अपनी जीजी से खूब खुल के मिली। वो लोग तो आपस में फोन पर बात भी करते रहते थे। श्रृष्टि बड़े ही प्यार से “जीजू” बोल मेरे गले मिली – तनी हुई चूचियों को मेरे सीने दबा कर। मेरा तो लंड ही खड़ा होने लग गया। सब से मिल मिला कर वो लोग चले गए श्रृष्टि भी चली गयी।
चार दिन हो गए थे, मैंने मीरा का एक चुम्मा भी ढंग से नहीं किया था, चुदाई तो दूर की बात थी। चौथे दिन, जिस दिन मीरा के फूफा फूफी पहुंचे, रात को बारह बजे मैंने मीरा को पकड़ लिया और चुदाई की जिद करने लगा। मीरा का चुदाई का मन नहीं था और मेरा लंड खड़ा था।
मीरा बोली, “अरुण क्या कर रहे हो रात के बारह बज रहे हैं, मुझे नींद आ रही है। मैं थक गयी हूं”।
मैंने कहा “हफ्ता हो गया चुदाई को, इतने दिन तो हम कभी नहीं रहे बिना चुदाई के”। मैंने खड़ा लंड उसके हाथ में दे दिया और बोला, “ये देखो इसकी हालत”।
मीरा ने लंड पकड़ कर कहा, “आज चुदाई रहने दो, मुट्ठ मार कर हाथ से निकाल देती हूं, अरुण सच में ही बहुत थकी पड़ी हूं। कल पक्का, कह कर वो मेरा लंड आगे पीछे हिलाने लगी। मैं सीधा लेट गया। दस मिनट में ही मुझे मजा आ गया और मेरा वीर्य मीरा के हाथ में ही निकल गया।
मैंने कहा, “क्या मीरा, बर्बाद कर दिया, ऐसे थोड़ी मजा आता है।”
मीरा ने हाथ पोंछते हुए कहा, “प्लीज़ अरुण कल पक्का, वादा। तुम्हारी मुट्ठ मारने के बाद मेरा भी चुदाई का करने लगा है”।
अगले दिन दोपहर को मीरा के फूफा फूफी फिर आये श्रृष्टि साथ ही थी। शाम को सात बजे जब वो जाने लगे तो श्रृष्टि ने कहा की वो जीजी के पास ही रहेगी।
“किसी को क्या ऐतराज़ हो सकता, श्रृष्टि अपने ननिहाल में ही तो रुक रही थी।”
मगर इस बार श्रृष्टि का व्यवहार मेरे प्रति कुछ अलग सा था। बार बार वो मुझे छू रही थी। अपनी चूचियां मेरे साथ सटा रही थी। एक बार जब उसे ऐसा किया तो वहा कोई नहीं था और मैंने उसकी चूची दबा दी। श्रृष्टि कुछ नहीं बोल – केवल हंस दी। वहां से गयी भी नहीं।
मैंने इधर उधर देखा कोइ नहीं था, मैंने उसके होठों पर एक चुम्मा जड़ दिया और उसके चूतड़ पकड़ कर जोर से दबा दिए – इतनी जोर से कि श्रृष्टि के मुंह से हल्की चीख निकल गयी …..उई जीजू। उसके बाद श्रृष्टि बिना कुछ कहे चली गयी। अब मुझे डर लगा की ये किसी को बता ही ना दे।
थोड़ी देर बाद मैं कमरे से बाहर निकला तो देखा श्रृष्टि मीरा के साथ हंसती हुई आ रही थी। श्रृष्टि ने मेरी ओर भी हंस कर ही देखा – मतलब उसने श्रृष्टि से इस चुम्मे और चूतड़ दबाने के बारे में कोइ बात नहीं की। खाना खा कर श्रृष्टि ने अपना फोल्डिंग बेड भी हमारे कमरे में लगा दिया। मैंने पूछा, “श्रृष्टि क्या हमारे कमरे में सोयेगी?”
मीरा ने कहा, “क्या करूं जिद कर रही है।”
मैंने कहा “ये क्या बात हुई, और आज का हमारा प्रोग्राम, हमारी चुदाई।”
मीरा बोली “चुदाई कल कर लेंगे, अब ये जिद कर रही है तो मैं बताओ मैं क्या करूं”।
“जिद कर रही क्या मतलब ? ये बच्ची तो नहीं जो पति पत्नी के कमरे में सोना चाहती है। कल रात से लंड हाथ में ले कर घूम रहा हूं।”
मेरी इस बात पर मीरा हंस पड़ी, “तो एक दिन और लंड हाथ मैं लेकर घूम लो, कल चुदाई कर लेंगे पक्का – वादा”।
मुझे सच में ही गुस्सा आ रहा था। श्रृष्टि के साथ चुहुलबाजी के बावजूद, श्रृष्टि को चोदने का ना ख्याल मेरे दिल में आया था ना मेरी ऐसे कुछ मंशा थी। मैं तो बस अपनी बीवी मीरा की चुदाई करना चाहता था।
मैंने गुस्से में ही कहा, “और अगर उसने कल भी हमारे कमरे में ही सोने की इच्छा जताई तो?”
मीरा असहाये सी बोली, “तो बताओ अरुण, मैं क्या करूं?”
मैंने भी कहा, “तुम कुछ मत करो मैं ही करता हूं। मैं ही कहीं और सो जाऊंगा”।
अब मीरा बोली, “बड़े ज़िद्दी हो अरुण, चलो अब गुस्सा छोड़ो। रात को जब श्रृष्टि सो जाए तो कर लेना मेरे साथ चुदाई।”
“हालांकि इस बात से मैं खुश नहीं था लेकिन फिर भी मैं मान गया।”
रात को श्रृष्टि आ गयी। मैं और मीरा नींद आने का बहाना करने लगे। जल्दी ही श्रृष्टि भी साथ लगे फोल्डिंग बेड पर लेट गयी। मैंने लाइट बंद की और मीरा की बगल में लेट गया। मैं मीरा की चूचियां दबा रहा था, उसकी चूत सहला रहा थ। मीरा ने भी मेरा लंड हाथ में ले लिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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मीरा अब एक हाथ से मेरे लंड को धीरे धीरे दबा रही थे। उसका दूसरा हाथ मेरे हाथ की ऊपर था जो उसकी चूची पर था। मीरा की चूत पानी छोड़ चुकी थी। मीरा पूरी गर्म हो चुकी थी। मीरा ने मेरा लंड जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया। मीरा को अब लंड चाहिए था। उसने केवल सलवार उतारी। मैंने भी केवल पायजामा ही उतारा और तकिया मीरा के चूतड़ों के नीचे रख कर चूत ऊंची की और टांगें फैला कर लंड चूत के अंदर डाल दिया।
मैं धक्के लगा रहा था। मीरा मस्ती में चूतड़ हिला रही थी। मीरा ने मुझे कस कर पकड़ा हुआ था। तभी लाइट जल गयी। हैरान सा मैं एकदम मीरा के ऊपर से उतर कर खड़ा हो गया। लंड मेरा खूंटे की तरह खड़ा था। मीरा की गीली चूत का छेद सामने था। दो मिनट तो हमे समझ ही नहीं आया की हुआ क्या है। हम परेशान कि क्या कहें, क्या करें।
मीरा ने श्रृष्टि कि तरफ देख कर कहा, “यह क्या बदतमीजी है श्रृष्टि?”
श्रृष्टि हमारे पास आ गयी और मीरा से बोली, “जीजी, मुझे भी जीजू से चुदना है।”
मीरा अभी भी सकते की हालत में थी। वो अभी भी ऐसे ही लेटी हुई थी – नंगी, टांगें चौड़ी और गीली खुली चूत का छेद सामने।
हैरान मीरा बोला, “क्या बक रही है श्रृष्टि ? समझ भी रही है क्या बोल रही है”?
“हां जीजी समझ रही हूं। मुझे जीजू से चुदाई करवानी है, इनका लंड अपनी चूत में लेना है”। श्रृष्टि मेरे लंड की तरफ हाथ कर के बोली।
अब जा कर मीरा को ध्यान आया कि वो नंगी है, टांगें उसकी फ़ैली हुई हैं और चूत दिखाई दे रही है। उसने हड़बड़ा कर टांगें सीधी की और चद्दर ऊपर ले कर नंगी गीली चूत को ढका। मैं अभी भी ऐसे ही खड़ा था बिना पायजामे के। लंड मेरा बैठ चुका था।
मीरा श्रृष्टि से बोली, “शर्म आनी चाहिए तुझे। अरुण तुझ से कितने बड़े हैं।”
श्रृष्टि तो जैसे बेशर्म ही हो चुकी थी, “जीजी मैंने कब कहा जीजू बड़े नहीं हैं। जीजू अगर बड़े हैं तो क्या मैं बच्ची हूं ? मैं जवान हूं, मेरी उम्र की लड़कियों की तो शादी भी हो जाती है। मेरे साथ की कई लड़कियां तो चुदवाती भी हैं। फिर मैं तो अभी चुदी भी नहीं मेरा भी चुदाई का मन करता है। इस बार जीजू को देखते ही मेरा मन इनसे चुदने का होने लगा। अब बताओ जीजी इसमें मेरा क्या कसूर है।
“जीजी प्लीज, जीजू को मेरी सील तोड़ने दो I चोदने दो जीजू को मुझे। प्लीज जीजी।”
अजीब स्थिति थी। एक जवान लड़की अपने जीजू से चुदने के लिए अपनी बहन से मिन्नतें कर रही थी। अब तक तो मैंने श्रृष्टि को चोदने के बारे सोचा भी नहीं था। मगर अब मेरी मर्ज़ी भी उसे चोदने के होने लगी थी। इसकी सील तोड़ने वाली बात पर तो मेरा बैठ गया लंड फनफनाने लगाI
मीरा चुप थी। उसने अपनी चूत तो चद्दर से ढक ली थी, मगर अब तक कपडे नहीं पहने थे। शायद श्रृष्टि से शर्मा रही थी। उधर मेरा लंड अब तन चुका था। मैंने श्रृष्टि को फोल्डिंग पर बैठने के लिए बोला और मीरा के कान में धीरे से कहा, “मीरा ये आज गर्म है। इसकी चूत में आग लगी हुई है। ये चुदवाएगी तो जरूर। किसी ऐरे गैर के हत्थे चढ़ गयी तो वो इसकी चूत का कचरा कर देगा”।
मीरा गुस्से से जोर से बोली, “तो मैं क्या करूं अगर इसकी चूत में आग लगी हुई है तो? तुम्हें इसको चोदने दूं वो भी अपने सामने? ये नहीं हो सकता। जाये जा कर किसी से भी चुदवा ले, लेकिन तुमसे? वो भी मेरे सामने –बिलकुल भी नहीं”।
फिर वो श्रृष्टि से गुस्से से बोली, “श्रृष्टि जा तू यहां से”।
श्रृष्टि तो जैसे कुछ और ही सोच कर आयी थी। वो मीरा के हाथ ही जोड़ने लग गयी। “बस एक बार जीजी। मैंने हमेशा ही अपनी चूत में जीजू का लंड महसूस किया है। बस जीजी एक बार चोदने दो जीजू को मुझे, बस एक बार प्लीज़”।
मैं हैरान था की ये हो क्या रहा है। इतना उतावलापन मुझ से चुदवाने के लिए – वो भी एक कुंवारी लड़की को? अब तो मीरा भी परेशान हो रही थी वो बोली, “बेवकूफ लड़की सोचा भी की अगर किसी को पता लग गया तो क्या होगा”?
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श्रृष्टि टस से मस होने के मूड में नहीं थी। बोली, “जीजी किसी को कैसे पता चलेगा। किसी को ना पता चले इसी लिए तो जीजू से चुदवाना चाहती हूं। इस कमरे के अंदर जीजू से मेरी चुदाई की बात हम तीनो में ही तो रहेगी। प्लीज जीजी मान जाओ, सिर्फ एक बार जीजू को चोदने दो मुझे”।
जब श्रृष्टि नहीं मानी तो तो मीरा ने अपने माथे पर हाथ मार कर बोली, “अजीब मुसीबत है – क्या पागलपन है इस लड़की का”?
और मीरा मुझ से बोली, “जाओ अरुण, चोदो इस पागल को बुझाओ इसकी चूत की प्यास, तोड़ो इस पागल लड़की की चूत की सील।”
मेर लंड तो कुलबुला ही रहा था, मगर में मीरा की नाराज़गी मोल ले कर श्रृष्टि को नहीं चोदना चाहता था।
मैंने कहा,” मीरा मैं तुम्हारी अधूरी चुदाई छोड़ कर उठा हूं जब तक तुम्हारी चूत की आग ठंडी ना कर लूं, मैं श्रृष्टि को नहीं चोद सकताI”
मीरा को अब सच ही गुस्सा आ गया। “भाड़ में गयी मेरी आधी अधूरी पूरी चुदाई। कोइ आग नहीं लगी हुई मेरी चूत में। ठंडी हो चुकी है मेरी चूत की आग इस पागल श्रृष्टि की हरकतें देख कर”। मीरा श्रृष्टि की तरफ इशारा कर के बोली।
मैंने कहा, “अगर इसकी हरकतों के कारण तुम्हारी चूत ठंडी हुई है तो गरम भी यही करेगी।”
मैंने श्रृष्टि को कहा, “जा श्रृष्टि जीजी की चूत चूस और गरम कर।”
श्रृष्टि मीरा की तरफ बढ़ी, मगर मीरा ने रोक दिया।
श्रृष्टि बोली, “जीजी नाराज़ क्यों हो। हाथ जोड़ कर बस एक बार जीजू को एक चुदाई के लिए मांग ही तो रही हूं छीन तो नहीं रही। प्लीज़ जीजी, गुस्सा थूक दो और खुशी से करने दो मुझे जीजू से चुदाई”।
श्रृष्टि ने मीरा की सलवार का नाडा खोलने की कोशिश करते हुए कहा, “प्लीज़ जीजी उतार दो सलवार और चूसने दो मुझे अपनी प्यारी सी चूत।”
श्रृष्टि ने फिर सलवार का नाडा खोलने की कोशिश की तो मीरा बोली, “रहने दे मैं खोल लूंगी नाड़ा – उतार लूंगी सलवार। तू मानेगी नहीं आज बिना अपनी सील तुड़वाये।”
मीरा ने सलवार उतार दी और लेट गयी और टांगें उठा कर चौड़ी की और अपनी उंगलियों से अपनी चूत की फांकें खोल कर श्रृष्टि से बोली, “ले ये – ये रही मेरी फुद्दी आजा चूस ले इसको पागल लड़की। इतना शौक चढ़ा है आज तुझे जीजू से चुदवाने का?”
श्रृष्टि ने मीरा की चूत की खुली चूत की फांकों में अपना मुंह घुसाया और चूत का दाना चूसने लगी। श्रृष्टि की चुसाई से तो ये लग रहा था की अगर ये श्रृष्टि चुदी नहीं भी है तो भी अपनी सहेलियों के साथ चूत चुसाई जरूर करती है। कितना बढ़िया चूस रही थी श्रृष्टि मीरा की फुद्दी को। स्कूल कालेज में लड़कियां अक्सर ये करती ही हैं।
श्रृष्टि की चुसाई से मीरा गर्म होने लगी। अब वो श्रृष्टि का सर अपनी चूत पर दबा रही थी और चूतड़ भी हिला रही थी। मैंने अपना खड़ा लंड मीरा के मुंह के आगे किया और उसने फौरन लंड मुंह में ले लिया। दस मिनट की चुसाई के बाद मीरा तैयार हो गयी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
श्रृष्टि का मुंह अपनी चूत से हटा कर मीरा मुझ से बोली, “आओ अरुण करो चुदाई”।
“लगा दी आग इसने, तैयार कर दी मेरी चूत चुदाई के लिए इस चुदाई की दिवानी श्रृष्टि ने” मीरा ने अपनी चूत की तरफ इशारा कर कर बोली।
मीरा बेड के किनारे पर लेट गयी। चूतड़ों तक शरीर बेड पर। चूतड़ों के नीचे मीरा ने तकिया रख कर अपनी चूत उठा दी। टांगें उठा कर फैला दी। अब चूत का छेद सामने था। श्रृष्टि उत्सुकतावश सब देख रही थी। मैंने मीरा की टांगें जांघों से पकड़ कर थोड़ी और चौड़ी की और लंड मीरा की चूत के छेद पर रखा और एक ही झटके से चूत के अंदर डाल दिया। श्रृष्टि ने एक हल्की सिसकारी ली “आआह आआह।”
“लंड मीरा की चूत में गया था और मजा कुवांरी चूत श्रृष्टि को आ रहा था।”
मैंने धुआधार धक्के लगाने शुरू किये। दस मिनट की चुदाई के बाद मीरा आआह…आआह की सिसकारियां लेने लगी और जोर जोर से चूतड़ हिलाने लगी। अगले दस मिनट की चुदाई के बाद एक लम्बी आआ…आआह.. अरुण आआह की सिसकारी के साथ मीरा झड़ गयी। चूतड़ हिलने बंद हो गए। मैं नहीं झडा था। मैंने अपना मजा रोक लिया था। मैं अपना गर्म लेसदार पानी श्रृष्टि की चूत में छोड़ना चाहता था।
“कुंवारी लड़की की पहली चुदाई होनी है तो पूरी तरह से तो हो।” मैंने धीरे से लंड मीरा की चूत में से निकाला और श्रृष्टि को मीरा की चूत चूसने का इशारा किया। श्रृष्टि घुटनों के बल फर्श पर बैठ कर मीरा की चूत खोल कर जोर जोर से चाटने लगी। इतनी जोर जोर से की सपड़ सपड़ सपड़ की आवाज़ें आ रही थी।
मीरा की मस्ती उतरी तो उसने श्रृष्टि का सर अपनी चूत से हटा दिया, और मेरे खड़े लंड को देख कर उसे बोली “जा लेले अपने जीजू का लंड अपनी कुंवारी चूत में – तुड़वा अपनी चूत की सील। तेरे जीजू ने अपने लंड का गर्म पानी भी तेरी चूत में डालने के लिए संभाल कर रखा है”, और फिर मेरी और देख कर बोली, “क्यों अरुण।”
मुझे थोड़ी शर्म आयी जैसे चोरी पकड़ी गयी हो। मीरा उठी और श्रृष्टि को पकड़ कर उसके होंठ चूसती हुई बोली, “कितनी उतावली है श्रृष्टि तू चुदवाने के लिए। क्या सच में ही आज तक नहीं चुदी तेरी ये चूत?” मीरा का गुस्सा उतर चुका था। मीरा ने श्रृष्टि की चूत में उंगली डालते हुए पूछा।
श्रृष्टि ने गले पर हाथ रख कर कहा, “कसम से जीजी नहीं चुदी। बिलकुल कोरी है। जीजू ही पहले हैं – जीजू ही ताला खोलेंगे मेरी चूत का आज, वो भी तुम्हारे सामने।”
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मीरा ने श्रृष्टि को लिटा दिया जैसे वो खुद लेटी थी। चूतड़ों तक का शरीर बेड पर। चूतड़ों के नीचे तकिया रख दिया। टांगें ऊपर की और चौड़ी कर दी। श्रृष्टि की चूत का गुलाबी छेद इतना टाइट था की दिख ही नहीं रहा था। मैंने आगे बढ़ कर श्रृष्टि के चूतड़ चौड़े कर दिए। गांड का छेद भी चूट के छेद की तरह ही टाइट था। हल्का गुलाबी भूरा बिलकुल बंद।
मैंने अपनी उंगली पर थूक लगाया और श्रृष्टि की गांड में उंगली डालने के कोशिश की। श्रृष्टि चिहुंक गयी, नहीं जीजू दर्द करता है। मैंने गांड के छेद पर अपनी जुबान फेरनी शुरू की और श्रृष्टि को मजा आने लगा आअह जीजू बड़ा मजा आता है इससे। फिर करो जीजू आअह।
मीरा ने मुझे हटाया और फर्श पर बैठ कर श्रृष्टि की चूत चूसने लगी। उसकी चूत के दाने को दांतों से हल्का हल्का काटने लगी। मस्ती के मारे श्रृष्टि जोर जोर से आआह… जीजी… ओओह… जीजी ली सिसकारियां ले रही थी। मीरा ने श्रृष्टि की चूत से मुंह हटा कर श्रृष्टि से कहा, “धीरे श्रृष्टि धीरे, बाहर तक आवाज जा रही होगी।”
जल्दी ही श्रृष्टि की चूत तैयार हो गई। खूब लेसदार पानी छोड़ चुकी थी। श्रृष्टि जोर जोर से चूतड़ ऊपर नीचे कर रही थी। लंड मांग रही थी।
मीरा बोली, “अरुण ये तैयार है। डालो लंड इसकी चूत में और मजे लो कोरी चूत के आज”।
मैंने मीरा से कहा, “मीरा एक बार लंड चुसवा लूं श्रृष्टि से? इसके होठों ने भी तो लंड का स्वाद नहीं चखा होगा।”
मीरा बोली, “जाओ चुसवाओ, मजे लो। चल उठ श्रृष्टि, आजा जीजू के लंड का टेस्ट ले ले।”
मैंने श्रृष्टि को बिठाया और अपना लंड उसके मुंह के सामने कर दिया। श्रृष्टि ने लंड मुंह में लिया और चूसने लगी। बड़ी ही जोर जोर से चूस रही थी मेरा लंड श्रृष्टि। श्रृष्टि ने लंड मुंह से निकाला और मुझे कहा, “जीजू चोदो अब मुझे। डालो मेरी चूत में लंड। आपका लंड लेने के लिए मरी जा रही हूं मैं।”
मैंने श्रृष्टि की चूत में उंगली डालने की कोशिश की तो मुझ लगा चूत बहुत टाइट है। मैंने खूब सारा थूक चूत पर डाला और लंड चूत पर रख कर हलके धक्के से लंड अंदर डालने की कोशिश की। लंड अंदर नहीं घुसा। थोड़ा और जोर लगा कर धकेला तो श्रृष्टि के गले से “आआह दुखता है” की आवाज निकली।
मीरा बोली, “अरुण थोड़ा और थूक डालो इसकी चूत में, चिकना करो। ऐसे नहीं जाएगा तुम्हारा मोटा लंड”।
मैंने थूक से चूत को और चिकना किया और लंड को जोर से अंदर की तरफ धकेला। श्रृष्टि ने अपने मुंह पर हाथ रख कर अपनी चीख रोकी।
मैंने मीरा से कहा, “मीरा इसकी चूत बहुत टाइट है। अगर लंड जबरदस्ती डाला तो इसको दर्द होगा। कहीं जोर से चिल्ला ही ना पड़े”।
मीरा ने कुछ सोचा, “अरुण, अब यहां तक पहुंच कर इसकी चुदाई तो जरूर होनी चाहिए। दर्द के बावजूद इसकी चूत में आग लगी हुई होगी। मैं करती हूं इसका इलाज”।
मीरा बेड के ऊपर चढ़ी, अपनी दोनों टांगे फैला कर श्रृष्टि के सर दोनों तरफ रख दी और अपनी चूत की फांकों को चौड़ा कर के चूत श्रृष्टि के मुंह पर रख दी। मीरा की पीठ मेरी और थी। सर घुमा कर बोली, “अरुण एक बार थूक से और चिकना कर लो इसकी चूत को और डाल दो अंदर। अगर अब चिल्लाई तो मैं देख लूंगी”।
मैंने थूक श्रृष्टि की चूत के छेद पर मला, एक दो बार उंगली अंदर की। फिर दो उंगलिया थोड़ी सी अंदर की। दो उंगलयां गयी तो सही मगर श्रृष्टि की फुद्दी बड़े टाइट थी। मैंने इस बार लंड श्रृष्टि की चूत के छेद पर रखा और जोर लगा कर धकेल दिया। लंड रगड़ खाता हुआ छेद के अंदर चला गया और श्रृष्टि ने जोर से चीखने की कोशिश की मगर मीरा ने अपनी चूत उसके मुंह पर दबा दी। श्रृष्टि की चीख मीरा की चूत में ही दब गयी।
मीरा ने कहा, “अरुण चोदो अब इसको दबा कर – रगड़ो इसकी चूत। इसके चिल्लाने की परवाह मत करना। जल्दी ही इसे मजा आने लगेगा”।
मैंने श्रृष्टि की टांगे और चौड़ी की और चुदाई करने लगा आ..आह.. उऊंह… आआह… उऊंह। श्रृष्टि ने चिल्लाने की कोशिश मगर मीरा ने अपनी चूत को श्रृष्टि के मुंह से सटाये रखा – और तब तक सटाये रखा जब श्रृष्टि के मुंह से चीखों की जगह मजे की सिसकारियां नहीं निकलने लगी।
“आआह… जीजी …आआह …जीजू अब आया मजा आ आअह… जीजी …आअ… मजाआ गया ये होती है चुदाई आह जीजू चोदो, और चोदो। जल्दी ही श्रृष्टि अपने चूतड़ जोर जोर से हिलाने लगी। मीरा श्रृष्टि के ऊपर से उठ गयी और उसकी चूचियां चूसने लग गयी।
श्रृष्टि मस्त थी “आआह… जीजू मजा आ गया जीजी वाह्ह्ह…जीजी मजा आ गया”।
मीरा ने श्रृष्टि की चूचियां चूसते चूसते एक हाथ मीरा के होठों पर रख दिया – मगर दबाया नही। सिसकारियों की आवाजे दब रही थी – धीरे हो गयीं थीं। श्रृष्टि ने मेरी कमर पकड़ ली और जोर जोर से ऊपर नीचे होने लगी। “क्या झड़ने वाली थी”?
दस मिनट की ज़बरदस्त चुदाई के बाद श्रृष्टि एक लम्बी सिसकारी आआआह…. जीजी… गयीईइ… जीजू आआह… के साथ झड़ गयी। साथ ही मैंने भी अपना गर्म लेसदार पानी श्रृष्टि की चूत में डाल दिया। श्रृष्टि निढाल हो गयी थी। मस्त मजा आया लगता था। मैंने धीरे से लंड चूत में से बाहर निकाला – थोड़ा खून लगा हुआ था।
मैंने मीरा को कहा, “मीरा ये श्रृष्टि कुंवारी ही थी। सील नहीं टूटी थी। खून निकला है। देखो तो आ कर।”
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मीरा आई और श्रृष्टि की चूत को खोल कर देखा। थोड़ा खून लगा हुआ था। मीरा एक साफ़ कपड़ा लाई और श्रृष्टि की चूत साफ़ की। अभी भी बूंद बूंद खून रिस रहा था। मीरा ने चूत को हल्का हल्का दबाया। जल्दी ही खून रिसना बंद हो गया। मीरा फर्श पर बैठ गयी और श्रृष्टि की चूत धीरे धीरे चाटने लगी।
श्रृष्टि ने आंखें खोली और “बोली जीजी आप के कारण आज स्वर्ग दिखा दिया जीजू ने, मजा ही आ गया चुदाई करवाने का”।
मैं अभी वही खड़ा था। श्रृष्टि उठी और मेरा लंड चूस लिया। फिर मीरा की तरफ मुड़ी और उसके होंठ चूसने लगी। फिर अलग हो कर नंगी ही बेड पर बैठ गयी।
मीरा अपने पर्स में से एक गोली लाई और श्रृष्टि को पकड़ा दी। साथ एक गिलास पानी भी ले आयी, “ले खा ले।”
“ये क्यों जीजी”? श्रृष्टि ने पूछा।
मीरा ने बोला, “श्रृष्टि, तेरे जीजू ने मलाई तेरे अंदर छोड़ी है। कहीं प्रेगनेंट ही ना हो जाये इस लिए है ये गोली। आगे से कभी भी अगर चुदाई करवाए तो याद रखना – या तो कंडोम या फिर गर्भनिरोधक गोली”।
श्रृष्टि ने गोली निगली और मीरा का हाथ पकड़ कर बोली, “धन्यवाद जीजी”।
फिर रुक कर बोली, “जीजी आज रात एक बार और चुदाई हो सकती है?”
मीरा हंसी, “श्रृष्टि, मेरी छोटी सी बहना, अब मैं क्या कहूं। अब जब तू एक बार मेरे सामने, मेरे साथ ही चुद चुकी है अब और मजे ले ले”।
“एक काम कर तू इस बेड पर जीजू के साथ आ जा, मैं वहां फोल्डिंग पर चली जाती हूंI मजे करो आज की रात – जितनी बार मर्जी चुदाई करो, जैसे मर्ज़ी चुदाई करो।”
फिर मीरा मेरी तरफ देख कर हंस कर बोली, “लो अरुण और चोद लो इसकी टाइट चूत को आज जितनी बार भी चोद सकते हो।” और फिर मीरा ने अपने पर्स में से चेहरे पर लगाने वाले वैसलीन की डिबिया निकल कर दी और बोली, “और ये लो, अगर ये मान जाए तो आज इसकी गांड चुदाई का भी मुहूर्त कर देना”।
श्रृष्टि ने ये सुनते ही फिर से मीरा के होठों पर एक चुम्मा जड़ दिया, “मेरी प्यारी जीजी”।
“मुझे तो अपने भाग्य पर विश्वास ही नहीं हो रहा था।”
उस रात जलती लाइट में ही श्रृष्टि की दो बार और चुदाई हुई।
फिर मैंने श्रृष्टि से पूछा, “श्रृष्टि गांड चुदवाएगी”।
श्रृष्टि बोली, “जीजू, याद नहीं जीजी ने क्या कहा था ? जितनी बार मर्जी चुदाई करो, जैसे मर्ज़ी चुदाई करो। जीजू आज की रात आप जो करना चाहो। चूत चोदना चाहो चूत चोदो । गांड चोदना चाहो गांड चोदो। बोलो जीजू कैसे लेटूं गांड चुदवाने के लिए”।
मीरा तो जाग ही रही थी। एक चूत चुद रही हो, वो भी जलती लाइट में तो दूसरी चूत को कहां चैन आ सकता है।
मीरा उठ कर आ गई, “मैं बताती हूं श्रृष्टि कैसे गांड चुदवाते हैं। देख ऐसे बेड पर उल्टी लेट जा।”
और मीरा अपने घुटनों और कुहनियों के बल बेड के किनारे पर उलटा लेट गयी और चूतड़ पीछे कर के उठा दिए। मीरा के चूतड़ देख कर श्रृष्टि मस्त हो गयी। श्रृष्टि ने मीरा के चूतड़ खोले और गांड का छेद चूसने लगी। श्रृष्टि चूतड़ चूसती ही जा रही थी चूसती ही जा रही थी। मीरा भी उसको मना नहीं कर रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मीरा ने सर घुमा कर श्रृष्टि से कहा, “बस श्रृष्टि अब तो मुझे भी गांड चुदवानी पड़ेगी। आग लगा दी तूने मेरी गांड में। अजा दोनों गांड चुदवाएंगी इक्क्ठे”।
श्रृष्टि भी मीरा के बगल में चूतड़ से चूतड़ सटा कर वैसे ही उकडू हो कर लेट गयी। दो दो मांसल गांड के छेद देख कर मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने बारी बारी से दोनों की गांड के छेद चाटे। श्रृष्टि भी मस्त हो चुकी थी।
“जीजू बस करो अब, लंड डालो मेरी गांड में।”
मैंने ढेर सारी वैसलीन मीरा और श्रृष्टि की गांड के छेद पर मली। पहले मैंने श्रृष्टि के छेद में लंड डालने की कोशिश की। लंड अंदर नहीं जा रहा था। बड़ी कोशिशों के बाद लंड का टोपा बैठ अंदर गया। श्रृष्टि ने दर्द के कारण कमर आगे की मगर मैंने कमर कस कर पकड़ ली।
श्रृष्टि को एक बार तो दर्द होना ही था। पहली बार गांड चुदवाने में सब को होता है। मीरा को भी हुआ था। अब तो मीरा खूब मस्ती से गांड चुदवाती है। मैंने श्रृष्टि की कमर पकड़ी और धीरे धीरे लंड पूरा अंदर बिठा दिया। श्रृष्टि ने दर्द के कारण सर नीचे किया हुआ था।
मीरा श्रृष्टि से बोली, “श्रृष्टि गांड ढीली छोड़ दे”।
फिर मीरा दुबारा बोली, “अच्छा श्रृष्टि एक काम कर। एक हाथ से अपनी चूत को रगड़, चूत गर्म होगी तो गांड अपने आप ढीली हो जाएगी”।
मीरा का ये तरीका कामयाब रहा। अब श्रृष्टि की गांड में लंड थोड़ा आगे पीछे हो रहा था। मैंने एक बार लंड बहार निकल कर थोड़ी वेसलीन और लगाई और लंड जड़ तक बिठा दिया। श्रृष्टि एक बार चिहुंकी आह जीजू, मगर फिर शांत हो गयी। श्रृष्टि जोर जोर से चूत का दाना रगड़ रही थी, और मैं लगातार गांड में धक्के लगा रहा था।
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जल्दी ही श्रृष्टि ने चूतड़ हिलने शुरू कर दिये और आह आह आह जीजू की सिसकारियां लेने लगी। कुछ ही और धक्कों के बाद एक लम्बी सिसकारी के साथ श्रृष्टि झड़ गयी आआह जीजू गयी मैं। मैंने श्रृष्टि की कमर पकड़ कर जोरदार धक्के लगाए। श्रृष्टि हिलना बंद हो गयी थी। अब मीरा चूतड़ हिला रही थी। श्रृष्टि बेड पर ढेर हो चुकी थी। मीरा की गांड चोदने में कोई कठिनाई नहीं थी। मीरा को गांड चुदवाने का शौक था और वो अक्सर मुझसे हफ्ते पंद्रह दिन में जब मन करे गांड चुदवा लेती थी।
मीरा की गांड में लंड डालते ही मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए। मीरा चूतड़ हिला हिला कर लंड अंदर ले रही थी। उधर मीरा एक हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी, इधर मैं मीरा की कमर पकड़ कर ज़बरदस्त धक्के लगा रहा था। एकाएक मीरा ने इतनी जोर से चूतड़ हिलाये की लंड गांड के छेद से बाहर निकलता निकलता रह गया। दोनों ही आअह… आआह… उऊंह की आवाजों के साथ झड़ गए। मेरा गर्म गर्म पानी मीरा की गांड के अंदर निकला और मीरा बोली, “आआह… अरुण कितना गर्म है।” अब सब शांत था। ना अब मीरा और श्रृष्टि में चुदने का दम था, ना मुझमे चोदने का।
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