Live Kamsutra Sex Positions
मैं और मेरे पति पिछले पच्चीस सालों से इस छोटे से शहर में रहते हैं. शादी के बाद पंद्रह -बीस साल तक तो हम सेक्स में बहुत मजा करते थे. मगर बाद में धीरे धीरे हम सेक्स के मामले में ठन्डे होते गए. हमारे एक बेटी हुई. जिसकी हमने तीन साल पहले शादी कर दी. अब अकेलापम हमें खाने को दौड़ता. सेक्स में हम ठंडे हो गए तो और भी खालीपन लगता. Live Kamsutra Sex Positions
मैं और मेरे पति बहुत कोशिश करते मगर सेक्स को लेकर कोई उत्तेजना नहीं आती हम दोनों में. महीने में एकाध बार ही कोई इच्छा होती. हमारी बिल्डिंग में दो मंजिले थी और हर मंजिल पर दो फ्लेट थे. एक दिन हमारे सामने वाले खाली फ्लेट में सामान आता दिखाई दिया.
मैंने बाद में दरवाजे से बाहर देखा तो एक जवान लड़की दिखी. उसने बताया कि वो यहाँ रहने आई है. उसकी शादी हो चुकी है मगर उसके पति विदेश में नौकरी करते हैं. साल भर बाद उसे भी बुला लेंगे. उसका नाम माधुरी था. माधुरी बेहद खुबसूरत और छरहरी थी.
ख़ूबसूरत तो मैं भी बहुत थी मगर दिल में यही था कि अब मेरी उमर हो गई है. इसी कारण खुद की सुन्दरता नहीं दिखाई देती थी मुझे. मेरी और माधुरी की दोस्ती हो गई. मेरे पति अशोक भी खुश हुए कि मेरा दिल लगने लगेगा. हम दोनों रोज शाम की चाय एक साथ लेती और फिर अशोक के आने तक गपें लगाती.
एक दूजे की पसंद ना पसंद तक जल्दी ही हम दोनों को पता चल गई. कुछ दिनों में हम और आपस में खुलकर बाते करने लगी. फिर एक दिन मेरे मुंह से यह सब भी निकल गया हमारी सेक्स लाइफ के बारे में. माधुरी ने हैरानी से कहा ” आप दोनों इतने ख़ूबसूरत हो फिर ऐसा क्यूँ?” मैंने सब कुछ डीटेल में बता दिया उसे. माधुरी उस दिन चुपचाप चली गई;
दो दिन बाद माधुरी मेरे साथ चाय पीते पीते मुझ से हम दोनों के सेक्स के सभी तरीके पूछे जो हम अपनाते थे. मैं पहले झिझकी मगर बाद में सब बता दिया. माधुरी कुछ देर तक सोचती रही और बाद में बोली ” भाभी , मैं आपको वो सब बातें बताउंगी जिस से आपकी सेक्स लाइफ फिर से रंगीन और जावानो जैसी हो जायेगी. हम कल से शुरुवात करेंगे.”
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मैं माधुरी के जाने के बाद सोचती रही कि आखिर वो क्या बताएगी. सारी रात मैं अगले दिन की राह में सोई नहीं. दोपहर को माधुरी ने मुझे अपने घर बुलाया. मैं माधुरी के बेडरूम में पहली बार गई आज. माधुरी के बेडरूम में एक कोने में कुछ किताबें रखी हुई थी जो सेक्स से रिलेटेड ही थी. सभी के कवर पर मर्द और औरतों कम से कम कपड़ों में लिपटे दिख रहे थे.. पलंग पर लाल रंग की चद्दर बिछी हुई थी.
माधुरी ने कहा ” भाभी , मेरे नसीब में सेक्स पूरे एक साल बाद आयेगा. मैं इन किताबों से ही काम चलाती हूँ. माधुरी ने एक किताब ली और मुझे अपने पास बिठाकर उसके पन्ने पलटने लगी. एक पन्ने पर कोई लेख था. माधुरी ने कहा ” भाभी, सबसे पहले हम इसी लेख से शुरू करते हैं. इसमें एक दूसरे को उत्तेजित करना सिखाया गया है.”
मैं उन तस्वीरों को देखने लगी और साथ ही उस लेख को भी पढने लगी. फोटो देखते हुए कुछ अजीब सा लगा मगर फिर सब शांत हो गया. मुझमे कोई उत्तेजना नहीं आई जैसा माधुरी ने कहा था. मैंने माधुरी को सब कहा. माधुरी मेरे एकदम पास बैठी हुई थी.
माधुरी ने मेरे गले में अपने हाथ डाले और मेरे गालों से अपने गाल टच करते हुए बोली “आप इतनी ठंडी कैसे हो भाभी. इन फोटो को देखने के बाद तो मैं तकिया दबाकर और अपनी टांगों को आपस में रगड़कर सोती हूँ.”
मैं कुछ ना बोली. क्यूंकि बोलने जैसा कुछ था ही नहीं. माधुरी ने अचानक मेरे गालों को चूमा और बोली “भाभी सेक्स के लिए गरम होना सीखो जैसा आप पहले होती थी.” माधुरी का मेरे गाल चूमना मुझे थोड़ी सिहरन दे गया. अगले दो दिन मेरा माधुरी से मिलना नहीं हो सका क्यूंकि मेरे घर कोई रिश्तेदार आये हुए थे. तीसरे दिन मैं खुद ही चाय बनाकर माधुरी के घर चली गई. माधुरी और हम चाय पीने लगे.
माधुरी बोली “भाभी, मैंने कुछ सोचा है आपके लिए. कल रात मैंने टीवी पर एक अंग्रेजी फिल्म देखी थी. उसमे ऐसी औरतों को गरम होना बताया गया था जैसा आपका केस हैं. इस से आप भी फिर से सेक्स के लिए फ्रेश होना और गरम होना सीख जाओगी और मेरा भी अकेलापन कुछ हद तक पूरा हो जायेगा.”
मैंने चौंक कर उस की तरफ देखा कि ये क्या कहना चाहती है. माधुरी ने मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा और बोली ” भाभी, इस तरह से भोली और ठंडी रहोगी तो कैसे आगे बढ़ेगी गाडी बिस्तर में मजा करने की. आओ हम शुरुवात करते हैं.”
माधुरी ने मुझे अपनी बाहों में भरा और बोली “आप ये समझो कि मैं आपके वो हूँ और हम सेक्स की शुरुवात कर रहे हैं. ओके रेडी.”
मैं मुस्कुराई और शर्मा गई. माधुरी ने मुझे अपनी बाहों में और जोर से जकड़ा और बोली ” डार्लिंग इतना भी क्या शरमाना मुझ से. मेरी जान तुम तो आज मुझे कहीं का नहीं रखोगी इतना गज़ब ढा रही हो”.
मैं दूर होने लगी तो माधुरी ने मुझे अलग किया और बोली “भाभी, ऐसे कपडे नहीं पहनना है आपको रात को. आप छोटे छोटे कपडे पहना करो. जैसे एकदम छोटा स्कर्ट, स्पोर्ट्स ब्रा. वैसे सबसे सेक्सी टॉप ट्यूब टॉप होता है. मर्द एकदम से पिघल जाते हैं ट्यूब टॉप में महिला को देखकर. रुकिए मैं आपको ये दोनों ही लाकर पहनाती हूँ.”
माधुरी ने मुझे एक बहुत ही छोटा सक्र्त पहना दिया और ऊपर एक गोल कपड़ा जिसे उसने ट्यूब टॉप जहा पहना दिया. मैंने जब खुद को आईने में देखा तो हैरान रह गई. मैं एकदम अलग लग रही थी. माधुरी ने अब खुद अपनी लम्बी कमीज उतारकर एक स्लीवलेस बनियान पहन ली और एक हाल्फ पेंट पहन लिया.
और मुझे फिर से बाहों में भर लिया और बोली “डार्लिंग इतना भी क्या शरमाना मुझ से. मेरी जान तुम तो आज मुझे कहीं का नहीं रखोगी इतना गज़ब ढा रही हो.. इस हॉट स्कर्ट और ट्यूब टॉप में तुम किसी कातिल हसीना से कम नहीं लग रही हो. ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने रसमलाई है और मैं बहुत ही भूखा हूँ.”
मैं हंस पड़ी. तभी माधुरी ने मेरे गाल पर एक लंबा चुम्बन लिया. मैं सरसरा उठी. माधुरी ने मुझे और कसकर अपनी बाहों में जकड लिया और ट्यूब टॉप के कारण नंगे कन्धों और गले को हौले हौले चूमने लगी. माधुरी के नाजुक होंठ मेरे ऊपर असर करने लगे.
माधुरी बोली “ऐसे ही शुरुवात होती है भाभी. कम से कम कपडे किसी भी मर्द की नीयत ख़राब कर सकते हैं.”
मैं माधुरी की इस बात को मन ही मन मान गई कि मैं अब रात को ऐसे ही कपडे पहनूंगी. मैं बार बार आईने में खुद को देखती तो हैरान हो जाती. मेरी नंगी गोरी टांगें बहुत सेक्सी दिख रही थी. उस पर से मेरा स्तनों के ऊपर का नंगा बदन और कंधे किसी अंग्रेजी फिल्म की हीरोइन से कम नहीं बता रहे थे. मैंने अपने आपको कभी ऐसा महसूस नहीं किया था जैसा आ कर रही थी. ये सब माधुरी का कमाल था. मैं थोड़ी देर बाद घर लौट आई.
माधुरी ने मुझसे कहा “हम लगातार ये ट्रेनिंग जरी रखेंगे भाभी.”
रात को मैंने माधुरी के दिए वे दोनों कपडे पहन लिए और चद्दर ओढ़कर लेट गई. अशोक आये और मुझे चद्दर ओढा देखकर बोले “गर्मी के मौसम में तुमने चद्दर ओढ़ रखी है”, मैंने शरारत से मुस्कुराकर कहा “तुम ही हटा दो अगर गर्मी है तो” अशोक थोड़ा रुके और फिर उन्होंने चद्दर खिंच कर दूर हटा दी.
उन्होंने जैसे ही मुझे शोर्ट स्कर्ट और टीब टॉप में देखा उनकी आँखें फटी की फटी रह गई. मेरा आधा खुला हुआ गोरा चिकना बदन, मेरे ट्यूब टॉप के नीचे छुपे हुए स्तन जो अपनी गोलाई के कारण किसी बहुत बड़े रसगुल्लों की तरह नज़र आ रहे थे. मैंने अपनी टांगों को यहाँ वहाँ माधुरी के सिखाये अनुसार फैलाना शुरू किया. अशोक की आँखों से मुझे यह लगने लगा कि उनकी नीयत शायद कुछ कुछ डोल रही है.
उन्होंने मुस्कुराकर कहा “ये नया अवतार कैसे?”
मैंने कहा “मैं वो ही हूँ, बस थोडा बहक गई हूँ”.
अशोक ने आगे बढ़कर मुझे बैठाया और फिर बाहों में भर लिया. मैंने तुरंत अपने गाल अशोक के आगे कर दिए. अशोक ने उन्हें चूमा. एक बार नहीं बार बार चूमा. मैंने मन ही मन माधुरी को धन्यवाद् किया. अब मैंने अशोक के गाल चूम लिए. इन चुम्बनों का हम दोनों पर थोडा असर हुआ. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने अब अशोक की टी शर्ट उतार दी और शोर्ट भी उतार दिया. अशोक मुझे लेकर अपने लिपटा कर मेरे खुले कन्धों को बेतहाशा चूमने लगे. मुझे नशा आने लगा था. मैंने धीरे से ट्यूब टॉप माधुरी के बताये अनुसार नीचे खिंच लिया. मेरे स्तनों का उपरी गोल हिस्सा थोड़ा सा बाहर झाँकने लगा.
अशोक ने एक ललचाई नज़र मुझ पर डाली और उन गोलाइयों को इतना जोर से चूमा कि मेरा सीना गीला कर दिया. हम दोनों इसी चुम्बनों के दौर से मदहोश हो गए. एक लम्बे अरसे के बाद आज हम दोनों को इतना नशा आया था. करीब आधे घंटे के बाद अशोक मुझे अपनी बाहों में भरकर पलंग में लेट गए और मेरी गर्दन के नीचे और खुले हुए सीने को काफी देर तक चूमते रहे.
मुझे बहुत अच्छा लगा मगर मैं पता नहीं क्यूँ अशोक को चूम नहीं पाई और खुद को ही चुमवाती रही. मैंने मन ही मन तय किया कि कल माधुरी से इसके बारे में बात करुँगी. अगले दिन दोपहर के खाने के बाद ही मैं माधुरी के घर चली गई. माधुरी मेरे चेहरे से समझ गई कि कोई खुश खबर है. मैंने माधुरी को बीती रात की सब बात बता दी. माधुरी बहुत खुश हो गई. मैंने माधुरी को अपनी कमजोरी बताई.
माधुरी ने कहा “भाभी, इसका इलाज भी मेरे पास है. आज मैं वो ही बताने वाली हूँ.”
मैं खुश हो गई. माधुरी ने और मैंने कल वाले ही कपडे पहन लिए. माधुरी ने मुझे बाहों में लिया और बोली “भाभी ऐसे सूखे होंठों को कौन चूमेगा. आओ मैं आपको कुछ बताती हूँ.” माधुरी ने अपने पर्स में से लिपस्टिक निकाला और गहरे लाल रंग से मेरे होंठों को रंग दिया मगर बाद में साफ़ कर दिया और कहा “लिपस्टिक के साथ चुम्बन मैं कल बताउंगी.”
उसने मुझे फिर बाहों में लिया और मेरे होंठों के एकदम करीब अपने होंठ लाते हुए बोली “स्वीट डार्लिंग, इन होंठों में ना जाने कितना गुलाब का जूस भरा हुआ है मैं नहीं जानता. अगर तुम अपने इन दोनों प्यालों को मेरे हवाले कर दो तो मेरी सब प्यास बुझ जायेगी”.
मैंने माधुरी से कहा “मगर माधुरी, मैं काँप जाती हूँ शुरू से ही जब अशोक मेरे होंठ चूमा करते थे. पता नहीं ऐसा क्यूँ होता है. मुझे लगता है मेरी सांस बंद हो जाएगी.”
माधुरी बोली “भाभी, ऐसा कई के साथ होता है. इसका इलाज है पहले एक दूजे के होंठ को अपने होंठ से सिर्फ छूना और धीरे धीरे सहलाना. कुछ देर ऐसा करने के बाद फिर होंठों को होंठों पर रख दो. फिर धीरे धीरे होंठों से होंठों को थोड़ा दबाव और हटा लो. फिर दबाव बनाओ और फिर हटाओ.
ऐसा करने से नशा बढ़ने लगेगा. बाद में एक दूसरे को कसकर बाहों में जकड़कर अपने अपने होंठों को पूरा फैला दो. इसके बाद धीरे धीरे आगे बढ़कर होंठों को होंठों से मिला दो और फिर चूमना शुरू कर दो. पांच सेकण्ड के बाद फिर होंठ दूर ले जाओ. पांच सेकण्ड रुको और फिर ऐसा ही चूमो.
इस तरह ऐसा नशा आयेगा कि फिर इसके बाद ये पांच सेकण्ड एक मिनट में बदल जाएगा. भाभी असली नशा सेक्स का फ्रेंच किस यानि होंठों से होंठों के चुम्बनों से ही आता है. आप जितना होंठों से होंठों को चुमोगी ना उतना ही आपको उत्तेजना आएगी और आपको ऐसा लगेगा कि आपके बीतर कोई तरंग उठ रही है और आपके नीचले हिस्से में जल्दी ही कुछ बहने लगेगा.”
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मैं माधुरी की बातें सुनकर मन ही मन रात के लिए योजना बनाने लगी. मैंने अब खुद ही अपने होंठ माधुरी के सामने फैला दिए. माधुरी ने जैसा बताया था. हम दोनों ने पहले एक दूजे के होंठों को छुआ, फिर थोड़ा सहलाया, फिर दबाव बढाया और बाद में धीरे धीरे थोड़ी थोड़ी देर के लिए चूमना शुरू किया रुक रूककर.
माधुरी ने कहा वैसे ही मुझे नशा आने लगा. मेरे मुंह से आह, और सी सी की मीठी सी आवाज आने लगी. ऐसी ही आवाज माधुरी के मुंह से भी आने लगी. मैंने और माधुरी ने होंठों के चुम्बनों का यह दौर करीब दस मिनट तक जारी रखा. मुझे इतना नशा आ गया कि मैं माधुरी की बाहों में झूम गई. माधुरी मुझे पलंगपर लिटाकर मेरी बाजु में लेट गई. मेरी धड़कन बेकाबू थी. शरीर पसीने पसीने हो रहा था.
माधुरी ने मुझे अपनी बाहों में पकड़ा और मेरे गाल चूमकर बोली “आराम कर लो भाभी. इसे नशा कहते हैं सेक्स का.”
मैं मन ही मन माधुरी का बार बार शुक्रिया कर रही थी जिसने मुझे और अशोक को एक नयी सेक्स की जिंदगी दी थी.
माधुरी ने कहा “भाभी, कल मैं और अलग अलग तरीके बतलाऊंगी चुम्बनों के. कल आप एक नयी दुनिया में खुद को महसूस करोगी तमाम अलग अलग चुम्बनों के करने के बाद.”
इतना कहकर माधुरी ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और एक ही पल में मेरे होंठों को एकदम गीला कर दिया. माधुरी ने जैसा कहा था इस चुम्बन से मुझे ऐसा लगा जैसे सच में मेरे अन्दर एक गीलापन हो रहा है. मैंने सोचने लगी कि मैं जो सीख रही हूँ माधुरी से वो तो ठीक है मगर माधुरी के साथ जो मैं कर रही हूँ वो कोई गलत तो नहीं है. मैंने माधुरी से ये पूछ ही लिया.
माधुरी ने जवाब दिया “भाभी इसमें कुछ भी गलत नहीं है. दो औरतो का ऐसा करना स्वाभाविक प्रक्रिया है. कामसूत्र में भी लिखा गया है कि एक महिला को अगर सेक्स के बारे में कुछ सीखना हो तो अपनी किसी रिश्तेदार महिला या सहेली से सीखना चाहिए और आपस में दोहराना भी चाहिए.
जब कामसूत्र जैसा ग्रन्थ जो कि हजारो साल पहले लिखा गया था, भी ऐसा कहता है तो इसमें गलत कैसे हो सकता है. इतिहास में भी ऐसी कई घटनाएं लिखी गई है अलग अलग किताबों में कि राजा महाराजा अक्सर एक साथ दो दो औरतो को लेकर सोते थे.
अपने पति के विदेशो में जाने के बाद कई औरतें अपनी सेक्स की भूख इसी तरह अपनी किसी महिला मित्र या रिश्तेद्र के साथ बरसो से मिटाती आई है. आप इतना मत सोचो कि ये गलत है. आप तो बस अपने जिस्म को जो अच्छा लग रहा है वो करती जाओ.”
माधुरी के जवाब के बाद मेर मन हल्का हो गया. रात को एक बार फिर मैंने ट्यूब टॉप और हॉट शोर्ट में थी. मैंने माधुरी से सखा गे चुम्बनों का तरीका अशोक के साथ अपनाया. मैंने अशोक के होंठों को अपने होंठों से उसी तरह से शुरू किया और थोड़ी देर के बाद मेरे और अशोक के होंठों आपस में मिल चुके थे और हम दोनों रुक रूककर एक दुसरे के होंठों का रस पी रहे थे.
अशोक जबर्दस्त नशे में आ गए और करीब दो घंटों तक मुझे नहीं छोड़ा. अशोक ने मेरे सारे जिस्म को बहुत गर्मी से चूमा. अशोक जब भी मेरी गर्दन के नीचे के हिस्से को और मेरे कन्धों को चूमते तो मुझे बुत मजा आता. जैसा माधुरी ने कहा मैं अशोक से कहती जाती “और गरम चुम्बन दो मुझे अशोक डार्लिंग. मेरी गरदन को भिगो दो तुम. मेरे कन्धों में जितना रस भरा है वो सारी मिठास तुम पी लो आज.”
अशोक पर और नशा आ जाता और वो और गर्मी से मुझे चूमने लग जाते. माधुरी ने आज मेरी इस रात को एक तरह से दूसरी सुहागरात जैसा कर दिया था. मुझे अब कल का इंतज़ार था अजब माधुरी मुझे अलग अलग चुम्बन सिखानेवाली थी. अगले दिन जब मैं माधुरी से मिली तो अशोक और मेरे बीच की रात भर की मस्ती उसे बता दी.
माधुरी ने मुझे बाहों में लिया और बोली “भाभी जान, दो दिन की ट्रेनिंग में आपकी रातें तो रंगीन हो गई है. क्या क्या गुल खिल रहे हैं मजा आ गया सुनकर ही.”
माधुरी ने अपने बेडरूम में मुझे ले जाकर कुछ नए कपडे पहनने के लिए दिए.
माधुरी ने कहा “भाभी ये टू पीस बिकनी है.”
एकदम छोटी ब्रा जिसे पहनने के बाद मेरे बूब आधे बाहर ही दिख रहे थे. मुझे बहुत शर्म महसूस हुई मगर माधुरी ने हौसला बढ़ाया. मैंने जब पेंटी पहनी तो मैं खुद को आईने में नहीं देख सकी. मेरे पीछे का हिस्सा करीब पूरा दिखने लगा था और आगे केवल मेरा ख़ास हिस्सा ही छुपा हुआ था. बाकी सब कुछ खुला था. मेरे उस हिस्से पर बाल थे इसलिए वे बाहर झाँकने लगे.
माधुरी बोली “भाभी ये बाल सब हम कल हटा देंगे फिर देखना आप कैसा दिखती हो.”
मैं अन्दर ही अन्दर शरमा रही थी इन कपड़ों में. मगर माधुरी ने मेरा साहस बढाए रखा. अब माधुरी खुद यही बिकनी पहनकर आई. माधुरी दुबली पतली थी इसलिए वो किसी सेक्स की देवी से कम नहीं लग रही थी. माधुरी और मैं एक बार फिर एक दुसरे से चिपक कर खड़ी थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
माधुरी ने एक अंगूर का गुच्छा लिया और उसमे से एक अंगूर खुद के मुंह में आधा डाला और मेरी तरफ अपना मुंह बढ़ा दिया. मैंने उस आधे अंगूर को अपने होंठों से दबा दिया. माधुरी ने उस अंगूर को मेरे मुंह में धकेल दिया. इसके पहले कि मैं उसे चबाने का सोचती माधुरी ने मुझसे मेरा मुंह खोलने को कहा.
मैंने मुंह खोला तो माधुरी ने उस अंगूर को अपनी जीभ को मेरे मुंह में डालकर अपने मुंह में वापस ले लिया. मुझे यह अच्छा लगा. दो तीन बार हम दोनों ने ऐसा किया, बाद में माधुरी ने अंगूर को चबाया और मेरे मुंह में डाल दिया. मैंने उसे थोडा और चबाया और माधुरी के मुंह में डाल दिया.
इस तरह हम दोनों काफी देर तक एक एक साथ साथ अंगूर खाती रही. इसके बाद माधुरी ने फ्रिज से आइसक्रीम निकाली और हम दोनों सोफे पर आमने सामने आपस में एकदम करीब आकर बैठ गई. माधुरी ने आइसक्रीम एक चम्मच से मेरे मुंह में डाली और एक चम्मच अपने मुंह में डाली और मेरे साथ होंठों का चुम्बन शुरू कर दिया.
माधुरी कुछ ज्यादा उत्तेजित हो गई और मुझे बाहों में पकड़कर सोफे पर ही लेट गई और मेरे साथ होंठों को चूमना जारी रखा. मैंने माधुरी के मुंह से आती आह , उई, और सी सी की आवाजों से यह अंदाजा लगाया कि वो इतने दिनों से अकेली सो रही है इसलिए उसकी आज यह हालत हो रही है. इसलिए मैंने भी माधुरी की इस हरकत को रोका नहीं. माधुरी कुछ बेकाबू हो गई और वो मुझे लगातार पकड़कर हर जगह मुझे चूमने लगी.
फिर एकाएक माधुरी ने मुझ से अलग होते हुए कहा “माफ़ करना भाभी, मुझे आज सुबह से राकेश की बहुत याद रही थी इसलिए ऐसा हो गया.”
मैंने माधुरी को कहा “इसमें क्या माफ़ी. ऐसा हो जाता है जब किसी की याद आती है तो.”
रात को मैंने अशोक के साथ अंगूर वाला किस किया. अशोक ने बहुत जोश और गर्मी के साथ मेरे साथ इस चुम्बन को काफी देर तक किया. अशोक बाद में इतना उत्तेजित हो गए कि उन्होंने एक एक कर मेरी साडी , ब्लाउज, पेटीकोट और ब्रा को खोलकर दूर फेंका और मेरे साथ पलंग में आ गए.
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अशोक ने मेरे होंठों को अपने होंठों से मिलाया और हम दोनों बहुत उत्तेजित होने लगे. मेरा जननांग अन्दर से तड़पने लगा. मैंने अशोक के लिंग को अपने हाथ से पकड़ा और अपने अन्दर डाल दिया. कुछ ही देर के बाद मैं और अशोक किसी दूसरी दुनिया में उड़ रहे थे. अशोक ने आज बरसों बाद मुझे सारी रात नहीं सोने दिया.
आज की रात मैं और अशोक अपनी बरसों की भूख मिटाने में कामयाब हो गए थे. इसका सारा श्रेय माधुरी को था. अब अगले आठ दस दिन माधुरी ने मुझे कुछ नया तो नहीं सिखाया मगर लगातार हम दोनों सेक्स को लेकर बाते करती और रात को अशोक के साथ सेक्स के बारे में माधुरी को बताती.
माधुरी भी अपने पति राकेश के साथ सेक्स की सब घटनाएं बताती रहती. इस कहने सुनने के बीच कई बार हम दोनों एक दूसरे को बाहों में ले लेती. आपस में चूम लेती. कभी गाल तो कभी होंठों चूम लेती. कभी माधुरी के कहने पर कई बार हम दोनों बहुत ही कम कपड़ों में एक साथ बिस्तर में लेट जाती और सेक्सी बातें करती.
दोपहर से कब शाम हो जाती पता ही नहीं चलता था. अशोक भी बहुत खुश रहने लगे थे. वे अब घर आते ही कई बार मुझे अचानक पकड़ लेटे और चुम्बनों की बरसात कर देते. मैं भी वैसा ही जवाब देती. हमरी जिंदगी जैसे बीस साल पीछे चली गई थी. बहुत अच्छा लगने लगा था.
माधुरी भी मेरी राह देखती दोपहर को. वो मेरे जाते ही मुझ से लिपट जाती और नमस्ते की जगह एक होंठों का लंबा चुम्बन लेती. माधुरी मुझे नए नए तरीके बताती सेक्स और ड्रेस के और मैं उन्हें अपनाते हुए अशोक के साथ खूब मज़े ले रही थी.
एक दिन माधुरी के बताये अनुसार मैंने एक पतले कपडे की पारदर्शी चुन्नी ली, उसे गीला किया और फिर अपने जिस्म के सभी कपडे उतारकर उस चुन्नी को लप्रेट लिया और अशोक के सामने आ गई. मेरा शरीर का एक एक हिस्सा उस गीली चुन्नी में से झाँक रहा था क्यूंकि चुन्नी गीली होने की वजह से मेरे जिस्म पर चिपक गई थी.
मेरे शरीर की सभी गोलाईयां दिख रही थी. अशोक पागल हो उठे. उन्होंने मुझे इतना चूमा कि मेरी सांस फूल गई. अशोक ने चुन्नी को युहीं रहने दिया और मेरी टाँगें पकड़कर फैला दी और मेरे ऊपर लेट गए और अगले ही पल उनका लिंग मेरे जननांग में घुस रहा था. आज हम दोनों का मूड बहुत ही जवान हो गया था.
आखिर में अशोक ने पिचकारी मेरे भीतर छोड़ दी. मैं थक कर चूर हो गई थी. अशोक मुझे पकड़कर मेरे होंठों को अपने होंठों से मिलाकर सो गए. एक दिन माधुरी की तबियत खराब हो गई. उसे तेज बुखार आ गया. मैं माधुरी के घर सारा दिन उसके पास बैठी रही.
रात को जब वो सो गई तब घर आ गई. अशोक को जब पता चला तो उन्होंने कहा कि कल की रात अगर माधुरी की तबियत बराबर ना हो तो मैं उसी के घर सो जाऊ. माधुरी की तबियत कुछ ठीक हुई मगर मैंने अशोक के कहे अनुसार माधुरी को कह दिया कि मैं आज की रात तुम्हारे यहाँ रह जाउंगी. माधुरी खुश हो गई.
रात को मैं और माधुरी एक ही पलंग पर सोई. कुछ देर बाद माधुरी मेरे करीब आकर मुझसे सटकर लेट गई. मैंने माधुरी के सर पर हाथ फेरना शुरू किया. माधुरी ने मेरे हाथ पकड़ लिए. वो मुझ से लिपट गई. मैंने प्यार से माधुरी को गालों पर एक चुम्बन दे दिया. माधुरी ने वापस ऐसा ही जवाब दिया.
मेरी जिंदगी में बाहर लानेवाली माधुरी के लिए मेरे मन में बहुत प्यार आने लगा. मैंने माधुरी के होंठों को धीरे से चूम लिया. माधुरी ने अब मेरे होंठों को चूमा. इसके बाद यह दौर आगे बढ़ने लगा. हम दोनों एक दूजे को गालों, होंठों, गरदन के नीचे यहाँ वहाँ चूमने लगे.
माधुरी ने खुद के उर मेरे सारे कपडे उतार दिए. हम दोनों अचानक ही उत्तेजित हो गई. हमारी साँसे तेज चलने लगी. हम दोनों बार बार एक दूजे को और अधिक जोर से खुद की तरफ खींचने लगी, दबाने लगी. इस बीच हम दोनों बार बार होंठों से एक दूजे को चूमे जा रहे थे.
थोडा वक्त इसी तरह से बीता. फिर अचानक मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे जननांग के अन्दर कोई झरना फूट रहा हो. मैंने अपनी टांगें दबाकर रोकने की कोशिश की. शायद ऐसा ही माधुरी को भी लगा. वो मुझ से लिपट गई. हम दोनों तड़पने लगी. हमारे दोनों के मुंह से आह, उई, सी सी की आवाजें आने लगी.
माधुरी अचानक से ही उठकर मेरे ऊपर लेट गई. मैं चौंक गई. मैंने ऐसा कभी ना देखा था ना ही सुना था. माधुरी के बूब्स यानि की स्तन मेरे स्तनों के ऊपर सटकर चिपक गए. हम दोनों को हमारे बूब्स का इस तरह से एक दूजे से चिपकना बहुत अच्छा लगा. माधुरी का निचला हिस्सा मेरे हिस्से के ऊपर टच हो गया.
माधुरी ने मेरे जननांग पर अपने जननांग से दबाव बढ़ाया और मुझे चूमने लगी. मैंने भी गरमजोशी से माधुरी को जवाब देना शुरू किया. माधुरी ने मेरी टांगों को फैला दिया और अपने निचले हिस्से को मेरी जाँघों के बीच फंसा दिया. अब हम दोनों के जननांग एक दूजे से एकदम सट गए. हम दोनों को एक मखमली अहसास हुआ.
माधुरी ने दो चार बार अपने जननांग को मेरे जननांग पर धीरे धीरे रगडा कि मेरे अन्दर का झरना बहने लगा. इसी वक्त माधुरी के भीतर से भी शायद झरना बहरकर बाहर आ गया. हम दोनों को उस जगह बहुत ही गीला मलाईदार रस महसूस हुआ. हम दोनों अचानक जोर से तडपी और एक दूजे से लिपट गई. आज की रात हम दोनों के जीवन की एक अनोखी रात थी.
सुबह जब मैं घर लौटने को हुई तो माधुरी ने कहा “भाभी, तुम कभी कभी मेरे साथ इस तरह लेट जाना प्लीज. मेरी प्यास बुझ जायेगी. मैं रातों को बहुत तड़पती हूँ.”
मैंने माधुरी को एक चुम्बन दिया गरदन के नीचे और कहा “तुमने मेरे जीवन में फिर से जवानी लौटाई है. क्या मैं मेरी जान के लिए इतना भी नहीं करुँगी. सप्ताह में एक रात तुम्हारे साथ सो जाया करुँगी.”
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माधुरी बहुत ही खुश हो गई. इसके बाद मैंने माधुरी के साथ अगले दो महीनों तक हर सप्ताह एक रात बितानी शुरू कर दी. माधुरी अब मेरे बिन नहीं रह पाती थी. जब भी समय मिलता वो मेरे पास आ जाती. धीरे धीरे ऐसा हो गया कि माधुरी जब भी मेरे घर आती या मैं उसके घर जाती तो माधुरी मुझसे लिपटकर ही बैठती.
मुझे ऐसा लगने लगा कि अब माधुरी का पति आयेगा तो ये मुझे किस तरह छोड़ेगी? एक तरफ अशोक और मेरी जिंदगी रंगीन हो गई थी दूसरी तरफ माधुरी की जिंदगी भी रंगीन हो गई थी. मैं इन दोनों के बीच में बेलेंस शुरू शुरू में तो कर सकी मगर बाद में मेर बेलेंस डगमगाने लगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कभी रात को अशोक के साथ इतनी थकान हो जाती तो दोपहर को माधुरी के साथ मेरा जोश कम होता तो माधुरी शिकायत कर देती. मेरे जवाब से वो झल्ला जाती मगर फिर मैं उसे चूमकर शांत कर देती. इसी तरह चलता रहा. एक दिन मैं माधुरी के बेडरूम में एक किताब पढ़ रही थी जिसमे सेक्स की कई तस्वीरें थी और कई कहानीयाँ भी थी.
तभी एक कहानी मैंने पढ़ी जिसमे दो सहेलीयां एक ही लड़के के साथ रहती है क्यूंकि वे दोनों सहेलियां एक दूसरे से अलग नहीं रहना चाह रही थी. वो लड़का बाद में दोनों को एक साथ अपने साथ रहने के लिए बुला लेता है. इस कहानी में बाद में दूसरी लड़की को भी उस लड़के से और लड़के को दूसरी लड़की से प्यार हो जाता है और तीनों बाद में एक ही बेडरूम शेयर करना शुरू कर देते हैं.
इस कहानी में बाद में तीनों एक साथ किस तरह सेक्स करते हैं यह बहुत ही उत्तेजित करने वाले तरीके से बताया गया था. इस कहानी में कई ऐसी तस्वीरें भी थी जिस में तीन लोग (एक मर्द और दो औरतें) एक साथ सेक्स करते दिखाई दे रहे थे. मैं कहानी पढ़ते पढ़ते खुद को और माधुरी को दो सहेलीयां और अशोक को वो लड़का समझने लगी.
ऐसा सोचते सोचते मेरे दिल में यह ख़याल भी आ गया कि माधुरी की स्थिति वैसी ही है. वो अब मेरे बिना नहीं रह पा रही है. मुझे भी माधुरी बहुत पसंद थी और उसका बिस्तर में साथ बहुत ही मीठा लगने लगा था. विशेषकर उसके बूब्स के साथ खुद के बूब्स का सहलाना मुझे किसी दूसरी दुनिया में पहुंचा देता था.
मेरे मन में आया कि अगर माधुरी हमारे साथ ही रहने लगेगी तो बहुत सही हो जायेगा. बस अशोक को ही मनाना पड़ेगा. अशोक वैसे भी माधुरी को कई बार थेंक्स कहते रहते थे कि तुम ने हम दोनों की दुनिया बदल दी है. मैंने सोचा यह बात मदद करेगी माधुरी को हमारे साथ रहने में. मैंने एक रात को मौका देख अशोक को सब बात बता दी.
अशोक एक बार तो भयंकर गुस्सा हो गए मगर बाद में मेरे दिल को चोट ना पहुंचे मुझसे पुछा “जानूं, ये सब तुम अपने दिल की आवाज से कह रही हो या माधुरी के हिसाब से!”
मैंने जवाब दिया “मैंने अपने दिल के अन्दर जो ख़याल आया उसी हिसाब से मैंने कह दिया है. माधुरी की तड़प को नहीं देखा जा सकता मुझ से. मैंने पिछले पांच छह दिन से लगातार इस बात को लेकर सोचा है और फिर फैसला किया है.”
अशोक बोले “अगर माधुरी का पति आ गया तो!”
मैंने कहा “माधुरी को उसके आने के आसार नहीं लग रहे. उसका पति अब उसे ख़त भी नहीं लिखता और ना ही माधुरी के ससुराल वाले उस से मिलने आते हैं.”
अशोक ने मेरे गाल चूमे और बोला “मगर तुम माधुरी को सहन कर पाओगी जब वो हम दोनों के साथ रहेगी तो?”
मैंने जवाब दिया “मैंने और माधुरी एक दूसरे के बहुत करीब आ चुके हैं अशोक. हम में आपस में इतनी अंडरस्टेंडिंग है कि हम दोनों एक दूसरे को लेकर कभी अलग अलग सोच नहीं रखेंगी और कोई जलन वाली बात हो ही नहीं सकती. मगर तुम को किसी बात का बुरा ना लगे.”
अशोक ने मेरी सब बातें बहुत ध्यान से सुनी और दो दिन का समय माँगा जो मैंने अशोक के होंठ चूमकर दे दिया. अगले दिन दोपहर को माधुरी मेरे घर पर थी और हम दोनों पलंग में एक साथ सो रही थी. मैंने माधुरी को उस कहानी से लेकर, मेरे कई दिन तक सोचने और बाद में अशोक को सब बताने और अशोक का दो दिन का समय मांगने तक की सारी बात बता दी.
माधुरी मुझे देखती रही कितनी ही देर तक. बाद में माधुरी ने मुझे कसकर बाहों में लिया और बोली “मेरे लिए आपने जो सोचा है वैसा शायद आज तक दुनिया में किसी ने नहीं सोचा होगा. मैं वादा करती हूँ कि अगर मैं आप दोनों के स्थ रहने आई तो मैं आप दोनों के बीच कभी दीवार नहीं बनूँगी.”
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मैं माधुरी की बात से बहुत खुश हुई. दो दिन बाद अशोक ने मुझे माधुरी को हमारे साथ आने का कह दिया. मैंने माधुरी को यह खबर सुना दी. उसी दिन शाम माधुरी के घर का सारा सामान हम हमारे घर ले आये तीनों मिलकर. हम सभी रात को पहली बार एक ही पलंग पर सोने के लिए आये.
मैंने अशोक को बीच में लिटाया, मैं और माधुरी दोनों अशोक के एकदम करीब आकर उस से लिपटकर लेटी. पहली रात हमने कुछ नहीं किया बस इसी तरह से सो गए. अगले दिन शाम को मैं और माधुरी हमेशा की तरह साथ साथ थे. उस दिन गर्मी बहुत ज्यादा थी इसलिए हम दोनों सभी कपडे उतारकर बाथरूम में एक साथ फव्वारा चलाकर नहा रही थी.
हमें समय का पाता ही नहीं चला क्यूंकि पानी में हमें बहुत मज़ा आ रहा था. आपस में लिपटकर लगातार एक दूजे के गीले जिस्म को चूमना मन को भा रहा था. अशोक आ गए. अशोक के पास हमेशा बाहर के दरवाजे की एक चाबी रहती है. वे दरवाजा खोलकर अंदर आ गए.
हम नहीं दिखे तो उन्होंने सोचा शायद हम कहीं बाहर गए होंगे. वे हमेशा की तरह बाथरूम में नहाने के लिए जैसे ही मेरे बेडरूम में आये, उन्हें बाथरूम में फव्वारे चलने की आवाज सुने दी और साथ ही मेरी और माधुरी ले नहाने के साथ साथ एक दूजे को चूमने से निकल रही सी सी और आह की आवाजें सुनाई दी.
वे सब समझ गए. उन्होंने अपने कपडे उतारे और बाथरूम का दरवाजा खटखटाया. मैंने अशोक के आवाज सुनकर माधुरी से लिपटे हुए ही बाथरूम का दरवाजा खोल दिया. अशोक ने हम दोनों को पहली बार इस तरह से देखा. वो हम दोनों को देखने लगे. माधुरी ने मेरे होंठों को अपने गीले होंठों से चूमना जारी रखा.
अशोक इस मुद्रा से बेहद उतेजित हो गए और हम दोनों के पास आ गए. मैंने और माधुरी ने अशोक को अपने साथ मिला लिया. हम दोनों ने अशोक को अब हर जगह चूमना शुरू किया. अशोक ने भी इसी तरह जवाब दिया. अशोक ने भी मुझे और माधुरी को बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया.
हम तीनों ने इस के बाद फव्वारा बंद कर दिया. हम तीनों बाहर आ गए. मैं कुछ थकान महसूस करने लगी थी इसलिए सोफे पर बीत गई. अशोक ने माधुरी को अपने से लिपटा लिया और उसी सोफे पर आकर बैठ गए दोनों लिपटे हुए. अशोक ने मुझे अपने पास आने का इशारा किया मगर मैंने कुछ देर बाद आने का कहा.
अशोक माधुरी के ऊपर लेट गए और माधुरी ने तुरंत अपनी टांगें फैला दी. पता नहीं क्यूँ मुझे उन दोनों को इस तरह से लेता देख बहुत अच्छा और मीठा लगा. थोड़ी देर की मेहनत के बाद अशोक माधुरी के जननांग के भीतर अपने कड़क और लम्बे और गरम हो चुके लिंग को घुसा चुके थे.
मैं उन दोनों के पास जाकर लेट गई. अशोक ने मेरी तरफ अपना मुंह बढाया और मेरे होंठ चूम लिए. मैंने अशोक के बाद माधुरी के होंठ चूमे. अशोक माधुरी की मर्द्वाली प्यास बुझा रहा था. माधुरी को जबरदस्त मजा आ रहा था. वो बार बार मुझे और अशोक को चूमती और मुझे अपनी तरफ खींचकर अपने को चूमने को कहती.
मैं माधुरी को चूम चूमकर उसके मजे को और बढ़ा रही थी. थोड़ी देर में अशोक ने माधुरी को आजाद कर दिया. माधुरी ने अपनी जगह मुझे लेटने को कहा. अब अशोक मेरे ऊपर था और अशोक का लिंग मेरे जननांग में एकदम भीतर गहराई तक. अब माधुरी मेरे मजे को मेरे को चूमकर बढ़ा रही थी.
जब हम दोनों ही थके तो अलग हो गए. कुछ देर तीनों आराम से वहीँ लेट गए. मुझे उस किताब में पढ़ी कहानी का एक सीन याद आ गया. मैंने अशोक और माधुरी को वो सीन समझाया. हम सब तैयार हो गए. मैं पलंग पर लेट गई और माधुरी को मेरे ऊपर लिटा लिया. हम दोनों के बूब्स आपस में मिल गए.
अब हम दोनों एक साथ अपनी टाँगें जितना हो सका फैला दी. अशोक खड़े रहे और खुद को हम दोनों की टांगों के बीच में फंसा लिया. अब अशोक के लिंग के सामने हम दोनों के जननांग खुले हुए थे. अशोक ने कंडोम लगा लिया और चिकने के बढ़ने से वो बारी बारी से हम दोनों के जननांगों के अंदर अपना लिंग डाल देते और हम दोनों एक साथ मजा लेने लगे अशोक के लिंग से.
हम तीनों को खूब मजा आया इस सेक्स के तरीके से. जब हम तीनों ही उत्तेजित हो गए तो अशोक ने मेरे कहने से लिंग पर से कंडोम हटा दिया. अब अशोक का लिंग मेरे और माधुरी के जनांगों के आपस में टच होनेवाली जगह के बीच में था., हम दोनों को एक साथ अशोक का लिंग आगे पीछे होता महसूस होने लगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मुझे और माधुरी को बहुत गुदगुदी होने लगी. अशोक को भी यह तरीका बहुत ही जोरदार लगा. अब अचानक अशोक के लिंग में से जो मलाई बाहर आई तो उसका गेलापन हम दोनों को महसूस हुआ और ठंडक देने लगा. हम तीनों ने तय किया कि ये सेक्स करने का तरीका हम रोजाना अपनाएंगे..
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माधुरी ने अब अपने पति को तलाक दे दिया है. हम तीनों एक साल से एक साथ रह रहे हैं. हर रोज सेक्स करते हैं. कभी दो तो कभी तीनों एक साथ. मिलजुलकर. कोई जलन नहीं है और तीनों ही बहुत खुश हैं. मैं आपसे भी कहूँगी जिंदगी में एक बार इस थ्रीवे सेक्स का मजा जरुर लिजिय वरना सेक्स की जिंदगी अधूरी है. कामसूत्र भी यही कहता है. तो फिर आपको इसमें आपत्ति क्यूँ हो. हाँ मगर एक बात है…इस में औरत को ही आगे होकर दूसरी औरत को मनाना पड़ता है क्यूंकि किसी मर्द के कहने से दूसरी औरत कभी तैयार नहीं होती.
ऐसा भी किया जा सकता है कि आप अपने पति से ऐसी पसंद पूछ सकती हो जिसे आप आसानी से पता सकती हो. मगर कीजिएगा जरुर कम से कम एक या दो रात के लिए. आपको जिंदगी में सेक्स का मजा पूरा तभी होगा वरना जिंदगी आखिर तक अधूरी रहेगी एक मर्द और दो औरतों के सेक्स बिना. हेप्पी थ्रीवे सेक्स. आज ही से दूसरी औरत खोजना शुरू करो दोनों मिलकर और औरत तैयार रहे दूसरी औरत को मानाने के लिए. लाज शर्म भूल जाइए. वरना आप जिंदगी का सबसे हसीं लम्हा खो बैठेंगी. मिल जाओ तीन और कर लो सेक्सी जिंदगी रंगीन.
Anu says
WhatsApp me 9122654613
MINAKSHI says
में तो खुद करना चाहती हूँ पर मेरे पती तेयार नही है मेरी सहेली भी ह जो विडो है वो भी तैयार है फिर भी नहीं मानते क्या करू