Kamuk Muslim Aurat
मै अर्जुन मऊ का रहने वाला हूँ। आपको अपनी लाइफ की स्टोरी सुना रहा हूँ। मैं अभी केवल 18 साल का हूँ। पर मैं कई लड़कियों को चोद चूका हूँ। कई दिन बीत चुके थे, मुझे बड़े दिन से कोई चूत चोदने को नही मिली थी। की इतने में मेरे घर के सामने के मकान में एक नया माल रहने आ गया। Kamuk Muslim Aurat
असल में मेरे के सामने एक मुस्लिम परिवार रहता था। मैं हिन्दू था, पर फिर भी हम दोनों एक दूसरे के घर जाते थे। सामने वाले परिवार के मुखिया जावेद थे। उनकी 6 लड़कियाँ थी। मैं जाकर जावेद चाचा से दुआ सलाम करता था। उनकी 1 लड़की सादी के लिए बची थी जबकि सारी लड़कियां अपनी अपनी ससुराल रहती थी।
मैं जावेद चाचा को होली पर आने घर बुलाता था, वहीँ ईद में उसके घर जाता था। मैं कई दिन से सोच रहा था की काश कहीं कोई चूत मिल जाती इतने में जावेद चाचा की दूसरे नंबर की लड़की खुशबू बानो अपने तीन बच्चो को लेकर वहां आ गयी। बड़ा कटीला माल था दोंस्तों।
मेरा कमरा भी पहली मंजिल पर था और खुशबू बानो भी जावेद चाचा के पहली मंजिल पर आकर रहने लगी। उसका उसके मर्द परवेज से कुछ झगड़ा हो गया था। इसीलिए कुछ दिनों के लिए खुशबू अपने अब्बू के घर आ गयी थी। वो देखने में अच्छा खासा मॉल थी।
सुबह 8 बजे ही नहाती थी और छत पर आकर धुप सुखाती थी। मैं उसको अब हर दिन ताड़ने लगा। एक दिन वो बाथरूम में नँगी नहा रही थी, मैं अपनी पहली मंजिल की बालकनी में आ गया और घूर घूरकर उसे देखने लगा। उसने मुझे देख दिया तो सारी खिड़किया बन्द कर ली।
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40 साल की खुशबू जान गई की मैं उसे बुरी नियत से देखता हूँ। हालाँकि उसने जावेद चचा से मेरी कोई शिकायत नही की। एक दिन वो ना जाने किस मूड में थी। अपनी बालकनी में खड़ी हो गयी। और मेरी बालकनी की ओर घूरने लगी। मैं भी बालकनी में आ गया।
मैं भी खुशबू को घूरने लगा और आँखों ही आँखों में पूछने लगा की बोल देगी। खुशबू भले ही 40 साल की थी, पर देखते में 30 की थी लगती थी। आज भी चोदने लायक मॉल थी। उसका अक्सर अपने आदमी परवेज से झगड़ा हो जाता था। मियां बीबी में कम पटती थी।
इसीलिए वो कुछ दिन अपने अब्बू के घर रहने आयी थी। उस दिन दोंस्तों, ना वो भागी और ना मैं भागा। बस इसी तरह दोंस्तों, मेरा खुशबू बनो से टांका भीड़ गया। अब हम एक दूसरे को खूब आँखों ही आँखों में देखने लगे और खूब नजरों ही नजरों में चोदने लगे। हमारी शरारते धीरे धीरे बढ़ गयी।
हम दोनों एक दूसरे को लव लेटर देने लगे। मैं कागज पर लेटर लिखता, उसे ईंट में गोल गोल मोड़ देता और खुशबू बानो के पास भेज देता। खुशबू भी ऐसा ही करती। पहले तो प्यार मुहब्बत की बाते हुई फिर जैसा होता है वही हुआ। अब चूत चुदाई की बाते होने लगी।
हम दोनों अब साफ साफ गन्दी गन्दी बाते करने लगी। मुझे अपनी चूत दोगी, चोद चोदके फाड़ डालूंगा मैंने लेटर से पूछा। तुम क्या फाड़ोगे, मेरी तो पहले से फटी है, 3 बच्चे क्या बिना चुदवाये हो गये, उधर से जवाब आया। अरे भोसड़ी के !! लौण्डिया तो बड़ी तेज है!! अब तो इसकी चूत ले ही लो मैंने सोचा।
हम दोनों ने अब एक दूसरे के मोबाइल नॉ ले लिए। मैंने उससे कहा कि कल 12 बजे किसी बहाने से मार्किट जाए , तब मैं उसे चोदूंगा। जुगाड़ फिट हो गया दोंस्तों, खुशबू बनो बुरका पहनकर 12 बजे अगले दिन बजार गयी। मैं पीछे बाइक पर निकला। कुछ देर बाद रोड पर खुशबू उतर गई।
मैंने उसे बैठा लिया। मैं उसे लेकर एक दोस्त के कमरे पर आया। यहाँ एक कमरा हमेशा खाली रहता है। हम दोनों अंदर गये और एक दूसरे पर कूद पड़े। मैं भी जितना बेक़रार था, खुशबू भी उतना ही बेक़रार थी। उसने बुरका उठा दिया। मैंने उसके लबो पर चुम्बनों की बरसात कर थी।
आज तो मैं इसको इतना चोदूंगा की अपने मर्द को चोदकर सिर्फ मुझसे ही चुदवाएगी। मैंने सोचा। खुशबू और मैं एक दूसरे को पागलों की तरह चूमने चाटने लगे। मेरे हाथ उसके बड़े बड़े मम्मो पर चले गए। मैं उनको दबाने लगा। उसने बुरका निकाल दिया। सायद खुशबू के पास बुर थी तभी उसने बुर्क़ा पहन रखा था।
खुशबू अब नारंगी रंग के चमकदार सलवार सूट में थी। मैंने उसको एक तख्ती पर खींच लिया। हम दोनों ने एक दूसरे को गले घर लिया। वो मुझको अपना शौहर समझके चूमने चाटने लगी। मैंने जल्दी से उसके हाथ ऊपर किये, उसका सूट निकाल दिया, फिर ब्रा भी निकाल दी। बॉप रे!! 3 बच्चे पैदा होने से बाद बनी खुशबू की छातियां कसी थी। मेरी तो आँखें खुल गयी उसकी मस्त गोल छातियां देखकर।
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खुशबू! मैं आज तुझे खूब चोदूंगा! मैंने जोश में कहा.
अर्जुन!! तू जितना मन करे चोद ले मुझे!! खुशबू बनो बोली।
हालाँकि दोंस्तों कहाँ मैं 16 साल का नया लड़का था और कहाँ वो 40 साल की औरत थी। पर दोंस्तों अय्यासी तो अय्यासी ही होती है। चुदाई तो बस चुदाई ही होती है, जिसके लिए बस एक बुर चाहिए होती है और बस एक लण्ड। और दोंस्तों जब मेरे पास था लण्ड तो मैं क्यों नही करता घमंड।
बस यही सब सोचकर मैं खुशबू बनो के मस्त मम्मो पर टूट पड़ा। मुँह में भरके उसकी मस्त गोल छातियां पीने लगा। उफ़्फ़ क्या काले काले घेरे थे। मैं खूब मस्ती से उसकी दोनों छातियाँ लेकर पीने लगा। मुझे लग रहा है कि खुशबू बानो कई दिन ने नही चुदी थी, कई दिनों से उसने लण्ड नही खाया था।
खुशबू ने खुद अपनी सलवार का नारा खोल दिया। सलवार उतार दी, अपनी चड्डी भी उसने उतार दी। मैंने खुशबू बानो की चड्डी ले ली और बुर की जनाना खुश्बू को सूंघने लगा। उफ्फ्फ्फ़! क्या मदमस्त महक थी दोंस्तों। मैंने चड्डी सूंघ कर एक ओर रख दी।
मैं फिर से उसकी छातियाँ पीने लगा। मैंने देखा खुशबू जल्दी जल्दी अपनी चूत के छेद में अपनी दो उँगलियाँ डालने लगी और जोर जोर से अपनी बड़ी सी बुर फेटने लगी। ये मादक काम देखकर मैंने उनकी छातियां छोड़ दी। मैंने उसके भोंसड़े पर आ गया। खुशबू बानो बड़ी चुदासी हो गयी थी। वो जल्दी जल्दी अपनी बुर फेटने लगी।
अर्जुन!! मुझे जल्दी चोदो!! अर्जुन!! अब मुझे अपना लण्ड खिलादो!! खुशबू बानो एकाएक कहने लगी। मैंने उसका हाथ बुर पर से हटाया। अपने कपड़े निकाले। लण्ड बुर पर लगाया और खुशबू बानो की चूत की आग शांत करने लगा। मैं धकाधक उसे लेने लगा। खुशबू मस्त हो गयी।
ले साली! कितना लण्ड खाएगी!! ले आज जी भरके लण्ड ले ले! मैं खुशबू को धकाधक चोदने लगा। 3 बच्चे उसके हो चुके थे, पर खुशबू का फिगर आज भी मेन्टेन था। मैं उसे जोर जोर से हौकने लगा। खूब चोदा साली को। एक मुस्लमान होकर एक हिन्दू का लण्ड मजे से ले रही थी।
उसे मैंने कोई 25 मिनट चोदा होगा, तभी मेरा बदन अकड़ने लगा। खुशबू ने अपने नाख़ून मेरी नँगी पीठ पर गड़ा दिए। और अब तो और जोश में आ गया। पकापक पकापक चोद चोद के मैंने उसकी बुर में बुरादा भर दिया। मैंने अपना माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया। मैंने लण्ड निकाला।
खुशबू की चूत से कुछ देर बाद मेरा माल बाहर आ गया। उसने अपनी उँगलियों से मेरा माल उठा लिया और पूरा पी गयी। दोंस्तों, ऐसी भयंकर रंडी जैसी चुदक्कड़ औरत मैंने बड़ी दिनों बाद देखि थी। मन हुआ की दोनों टांगे उसकी चीर दूँ और अपने सामने उसके भोंसड़े को फटते हुए देखो।
ऐसी रंडी जैसी चुदक्कड़ औरत को पाकर मैं बहुत खुश था। मैंने फैसला किया कि इसकी बुर को खूब ऊँगली करूँगा। पैर खोल रंडी!! मैने जोश में कहा और खुशबू के दोनों पैर खूब खोल दिए। मैंने अपनी बीच वाली दो उँगलियाँ ली और उसके भोंसड़े में डाल दी और मथने लगा।
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पहले तो छिनाल को कुछ महसूस नही हुआ, फिर जब 20 मिनट हो गए उसकी बुर मथते मथते तो रंडी काँपने लगी। मैंने साफ साफ देखा की राण्ड का पेट मचलने लगा। उसका पेड़ू भी हिलने लगा, जैसे भूकंप आने वाला हो। खुशबू के दोनों पैर ऑटोमैटिक किसी मशीन की तरह अपने आप खुलने और बंद होने लगे।
मुझे ये देखकर बड़ा मजा आया। मैं और भी जोश से खूब गहराई तक खुशबू की बुर मथने लगा। सायद उसका जी पॉइंट एक्टिव हो गया। जब 30 मिनट हो गए तो खुशबू कापने कराहने लगी। मैंने अपनी लम्बी लम्बी उंगलियों से उसकी बुर चोदना को चोदना जारी रखा। अचानक से उसकी बुर फैलने और सिकुड़ने लगी।
मैं जान गया कि मैं सफलता के बेहद करीब हूँ। मैं और जोश से भड़कर खुशबू की बुर में जल्दी जल्दी ऊँगली करने लगा। फिर कुछ देर बाद उसकी बुर से दूध भरी गाढ़ी मलाई दोंस्तों खूब सारी निकल आयी और नीचे उसकी गाण्ड से होके नीचे की ओर बहने लगी।
मैं अपना मुँह लगा दिया और खुशबू छिनार की पूरी मलाई चाट गया। बड़ा मस्त अनुभव था, दोंस्तों। मीठा स्वाद था। मैंने आधे घण्टे तक उसकी चूत अपने हाथों से मथी थी, मुझे उसका फायदा मिला। मैंने खुशबू राण्ड की सारी दुधिया मलाई पी ली दोंस्तों।
बिलकुल फेविकोल जैसी सफ़ेद मलाई थी दोंस्तों। अब तो मेरा उत्साह आसमान छूने लगा, मैं अब उसकी रंडी की जो 3 बच्चो की माँ थी, उसकी मलाई से भीगी बुर पिने लगा। मेरे मुँह में उसकी क्रीम लग गयी। मैंने आज तक दोंस्तों कई लड़कियां चोदी थी, पर ये पहली बार था मैंने किसी छिनार की क्रीम देखि थी।
मै हैैरान था और यही सोच रहा था कि साली ये क्रीम आखिर बनती कहाँ है। मैंने फिर से खुशबू की बुर पीने लगा। खूब जीब से चाट चाटकर मैं उसकी बुर पीता रहा। फिर उसकी चूत जल्दी जल्दी फैलने सिकुड़ने लगी। मैं जान गया कि लगता है फिर से कोई चमत्कार होगा।
मैंने पानी चारों उँगलियाँ खुशबू बानो के भोंसड़े में पेल दी। और जोर जोर से उसकी बुर अपनी चारो उंगलियों से मथने लगा। लग रहा था कहीं मैं उसका भोसड़ा ही ना फाड़ दू। मैं और और जल्दी जल्दी खुशबू की बुर अपनी उँगलियों से चोदने लगा।
फिर अचानक से एक नया चमत्कार फिर हुआ। खुशबू के भोंसड़े से पिच्च पिच्च करके लम्बी लम्बी पिचकारियाँ छूट गयी। मैंने अपना मुँह सामने लगा दिया और उसके बुर के मधुर रस को मैंने पी लिया। दोंस्तों, ये उसका मूत नही था। बल्कि उसकी चूत का पानी था, जो बड़ी देर तक ऊँगली करने से चूत की ग्रन्थि से निकलता है।
मैं किस्मतवाला था कि मैंने खुशबू बानो के 2 2 चमत्कार देखे। मैंने इतनी मेहनत की है!! चल मेरा लौड़ा चुस रंडी!! मैंने खुशबू से कहा. अब तक दोंस्तों, खुशबू मेरे अन्दर में आ चुकी थी। मेरी चुदासी रखेल बन चुकी थी। मेरी सेक्स गुलाम बन चुकी थी। मेरे बदन में आग सी जलने लगी।
साली इस 3 बच्चों की माँ को तो मैं इतना चोदूंगा, की इसकी माँ चुद जाएगी। मैंने खुशबू रानी के सारे बाले खोल दिए। उसे अपनी औरत मैं समझने लगा। खुशबू पर भी चुदाई का जो जूनून चढ़ा दोंस्तों, की वो भी मेरी गुलाम हो गयी। मैंने तखत पर लेट गया। नँगी खुशबू मेरे लौड़े को चूसने लगी। वो जल्दी जल्दी अपने हाथों से मेरे लण्ड को मलने लगी।
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मेरे लण्ड को चूसने लगी। मैंने उसका सिर पकड़ लिया और उसके मुंह को चोदने लगा। फिर मैंने दोंस्तों, खुशबू बानो को अपने लण्ड पर बैठा लिया और चोदने लगा। मेरे जोरदार धक्कों से उसके चूतड़ मस्त मस्त मटकने लगे, उनकी दोनों छातियां खट खट उछलने लगी। एक शादी शुदा मुस्लिम औरत को मैं हिंदू होकर बजा रहा था। उसका धर्म बिगाड़ रहा था। उसको कसके चोद रहा था। मैं उसे लण्ड पर बैठाके चोद चोद कर जब थक गया तो अब खुशबू उचक उचककर खुद चुदवाने लगी।
मैंने अपने दिल के सारे अरमान उस दिन पूरे कर लिए दोस्तों। खूब चोदा उस छिनार को। चल रंडी!! अब कुतिया बन!! मैंने जोश में उसे गाल पर एक चांटा मार कर कहा। खुशबू बनो कुतिया बन गयी दोंस्तों। फिर क्या ये ले!! ये ले छिनार!! कह कह के मैंने चूत से धुआं निकाल दिया। गप्प गप्प पक्क पक्क चोद चोदकर मैंने उसकी चूत पाव की तरह सुजा दी दोंस्तों। मैं उस दिन खुशबू बानो की चुदाई को कभी नही भूल सकता।