Bhojpuri Wife XXX Kahani
मेरा नाम अक्षरा सिंह है। मेरी शादी को दो साल हो चुके है, मेरे पति का नाम पवन है। मैं बहुत ही सेक्सी हूँ, जब मेरी शादी हुई थी तब मैं एकदम दुबली-पतली थी, लेकिन अब कुछ मोटी हो गई हूँ, पर आज भी मैं बहुत ही ज़्यादा सेक्सी हूँ और खूब मज़े ले-ले कर चुदवाती हूँ। Bhojpuri Wife XXX Kahani
मेरी उम्र अब चौबीस साल है। जब मेरी शादी हुई थी तब मेरी उम्र बाईस साल और उनकी उम्र पच्चीस साल की थी। दोस्तो, मेरी मुश्किल ये है कि मेरे पति का लण्ड बहुत ही छोटा है। उनका लण्ड खड़ा होने के बाद भी केवल चार या साढ़े चार इंच लंबा और बस डेढ़ इंच मोटा हो पाता है।
जब मेरी शादी हुई थी तब मेरी चूत बहुत टाइट और छोटी थी। सुहागरात को जब उन्होंने अपने छोटे से लण्ड से मुझे चोदा तो भी मेरी चूत से खून आ गया था। सुहाग-रात को उन्होंने मुझे पांच बार चोदा था। जैसा कि मैंने आपको बताया, मैं बहुत ही सेक्सी औरत हूँ। उनके छोटे से लण्ड से मेरी प्यास नहीं बुझ पाती थी।
मैं खूब मोटा और लंबा लण्ड अपनी चूत में लेना चाहती थी। लेकिन शरम के मारे कुछ कह नहीं पाती थी। लगभग डेढ़ साल तक मैं उनसे खूब चुदवाती रही, लेकिन मुझे पूरी तरह मज़ा नहीं आता था। वो मुझको चोदते समय बहुत जल्दी झड़ जाते थे, मेरी चुदाई कभी भी पांच-दस मिनट से ज़्यादा नहीं कर पाते थे।
मैं इस बात को समझती थी कि उनका लण्ड छोटा है, इसलिए वो मुझे पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाते थे। और एक दिन आख़िरकार मैंने उनसे हिम्मत करके कहा- पवन, प्लीज़ बुरा मत मानना, तुम्हारा लण्ड तो किसी बच्चे की तरह है और बहुत ही छोटा है… मुझे तुम्हारे लण्ड से पूरा मज़ा नहीं आता और मैं भूखी ही रह जाती हूँ…
मैंने कई मर्दों को पेशाब करते हुए देखा है, उन सबका लण्ड ढीला रहने पर भी तुम्हारे लण्ड से बहुत लंबा और मोटा था… मैं सोचती हूँ, वो जब खड़ा होता होगा तब कितना लंबा और मोटा हो जाता होगा, शायद इसीलिए मुझे तुम्हारे लण्ड से चुदवाने में मज़ा नहीं आता…
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पवन प्लीज़, मैं अपनी चूत में और ज़्यादा लंबे और मोटे लण्ड को अंदर लेना चाहती हूँ… अपनी शादी को अब डेढ़ साल हो गए हैं, मैं अब तक शरम के मारे तुमसे कुछ बोल नहीं पा रही थी, लेकिन अब मैं अपनी भूख को ज़्यादा दिन बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूँ…
जब तुमने मुझे सुहाग-रात के दिन चोदा था तब मेरी चूत एकदम टाइट थी और मुझे केवल दो-चार दिनों तक ही थोड़ा बहुत मज़ा आया… जान, मैं कई दिनों से ही तुम्हारे छोटे लण्ड के बारे में कहना चाहती थी, लेकिन मैं शरम के मारे और तुम्हे बुरा ना लगे इसलिए कुछ भी नहीं बोली… अब हमारी शादी को डेढ़ साल हो गए हैं और मैं तुमसे खुल कर बात कर सकती हूँ, इसलिए मैं आज तुमसे तुम्हारे लण्ड के बारे में कह रही हूँ…
उन्होंने कहा – अक्षरा मेरी जान, मैं अपनी कमी जानता हूँ और तुम्हारे दर्द को भी समझ सकता हूँ… मैंने बहुत इलाज़ कराया, लेकिन ये नहीं बढ़ा… मैं क्या करूँ, तुम ही कुछ बताओ? मैं तुम्हें तलाक़ नहीं दे सकता, क्यूंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ… तुम मुझे छोड़ कर मत जाना, नहीं तो मैं मर जाऊँगा…
मैंने कहा- मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ और तुम्हारा दर्द समझ सकती हूँ, लेकिन क्या करूँ, तुम्हारी चुदाई से मेरी भूख शांत नहीं होती… पहले थोड़ा-बहुत मज़ा भी आता था लेकिन अब तो वो भी नहीं आता…
वो सोच में पड़ गए… मैं बहुत अच्छे से जानती हूँ दोस्तो, आप ये जानने के लिए बहुत उत्सुक होंगे कि मेरे पति पवन ने आखिर मुझसे फिर क्या कहा? सभी औरतें ये भी सोच रही होंगी कि क्या सही में कोई औरत इतनी हिम्मत कर सकती है कि अपने पति से ये सब बोल सके.
तो मेरी प्यारी सहेलियों मैं आपको बताना चाहूंगी कि पति को धोखा देकर गैर मर्द से चुदने से कहीं अच्छा है उसका विश्वास हासिल करके अपनी समस्याओं का निराकरण करना। अगर कोई छोटे लण्ड वाले पति की पत्नी ये कहे कि उसकी चूत प्यासी नहीं है तो हम सभी जानते है ये सफ़ेद झूठ होगा…
तो मेरे प्यारे दोस्तो, और मेरी सहेलियों मुझे जरूर बताएं कि क्या मैं गलत थी? आपकी बहुमूल्य राय का मैं बेसब्री से इंतज़ार करुँगी।
कुछ देर बाद वो बोले- अगर मैं एक मोटी मोमबत्ती ला कर तुम्हें मोमबत्ती से चोद दूँ, तो कैसा रहेगा?
मैं कुछ देर सोचने के बाद राज़ी हो गई। दूसरे दिन वो बाज़ार से एक मोमबत्ती ले आए। जब उन्होंने मुझे वो मोमबत्ती दिखाई, तो मैंने कहा- ठीक तो है। वो मोमबत्ती लगभग आठ इंच लंबी और डेढ़ इंच मोटी थी।
फिर मैंने कहा– लेकिन, ये तो आदमियों के लण्ड से बहुत पतली है… चलो फिर भी, इस से मेरी भूख कुछ हद तक तो शांत हो ही जाएगी… आओ बेडरूम में चलते हैं… तुम ये मोमबत्ती मेरी चूत में डाल कर खूब चोदो मुझे आज…
इसके बाद हम बेडरूम में आ गए और मैं बेड पर लेट गई। उन्होंने मेरी साड़ी उठाई और मेरी पैंटी उतार कर मेरी चूत को चाटने लगे। मेरी चूत में तो हमेशा ही आग लगी रहती थी, दो-तीन मिनट में ही मैं पूरे जोश में आ गई और सिसकारियाँ भरने लगी।
फिर मैं बोली- पवन, अब देर मत करो। मैं बहुत दिनों से भूखी हूँ। डाल दो पूरी मोमबत्ती मेरी चूत में और ज़ोर-ज़ोर से चोदो इस मोमबत्ती से मुझको।
वो बोले- ठीक है, मेरी जान मैं तुम्हारी चूत में ये मोमबत्ती डाल कर चोदता हूँ और तुम मेरा लण्ड चूसो।
वो फ़ौरन नंगे होकर मेरे ऊपर 69 की पोज़िशन में हो गए। मैं उनका लण्ड चूसने लगी और उन्होंने मोमबत्ती को मेरी चूत में डालना शुरू कर दिया। मोमबत्ती उनके लण्ड से बहुत ज़्यादा मोटी नहीं थी इसलिए आराम से मेरी चूत में लगभग पांच इंच तक घुस गई।
मेरे मुँह से केवल एक हल्की सी सिसकारी भर निकली। उन्होंने मोमबत्ती को मेरी चूत में और ज़्यादा नहीं डाला और अंदर-बाहर करने लगे। मैं सिसकारियाँ भरने लगी। पांच मिनट तक वो मोमबत्ती को मेरी चूत में अंदर-बाहर करते रहे। मैं बहुत ज़्यादा जोश में आ गई और उनके लण्ड को और तेज़ी के साथ चूसने लगी। वो समझ गए कि अब मैं झड़ने वाली हूँ और दो मिनट में ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
मैंने कहा- पवन, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है, पूरा अंदर डालो ना इस मोमबत्ती को मेरी चूत में।
उन्होंने मोमबत्ती को थोड़ा और ज़्यादा मेरी चूत के अंदर डाला तो मुझे कुछ दर्द महसूस हुआ। वो मोमबत्ती अब तक मेरी चूत में छः इंच तक घुस चुकी थी।
मैंने कहा- रुक जाओ, पवन, अब और ज़्यादा मत डालो… दर्द हो रहा है… इतना ही अंदर डाल कर चोदो मुझे।
उन्होंने मोमबत्ती को तेज़ी से मेरी चूत में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। मैं सिसकारियाँ भरने लगी। वो भी बहुत जोश में आ गए थे और मेरे मुँह में ही झड़ गए। मैंने उनके लण्ड का सारा पानी निगल लिया। वो मोमबत्ती को मेरी चूत में और ज़्यादा तेज़ी के साथ अंदर-बाहर करने लगे।
आठ-दस मिनट बाद ही मैं फिर से झड़ गई और बोली- पवन, बहुत मज़ा आ रहा है… काश, तुम पहले ही ये मोमबत्ती ले आते और मेरी चूत में डालकर चोदते तो मैं इतने दिन भूखी ना रहती… पवन, अब देर ना करो, डाल दो पूरी मोमबत्ती मेरी चूत में और खूब ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर करो…
उन्होंने उस मोमबत्ती को मेरी चूत में पूरा अंदर डाल दिया और तेज़ी से अंदर-बाहर करने लगे। मुझे थोड़ी देर के लिए कुछ दर्द हुआ, लेकिन बाद में मज़ा भी आने लगा। थोड़ी ही देर में मैं और ज़्यादा जोश में आ गई और अपना चुत्तड़ उछाल-उछाल कर मोमबत्ती को पूरा अंदर लेने लगी।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। अभी दस मिनट भी नहीं बीते थे कि मैं फिर से एक बार झड़ गई। अब तक मैं तीन बार झड़ चुकी थी। झड़ने के बाद मैं और जोश में आ गई और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी – पवन, मुझ से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। खूब तेज़ी के साथ अंदर-बाहर करो इस मोमबत्ती को मेरी चूत में। वो भी जोश में आ गए थे और उनका लण्ड दूसरी बार फिर से एक दम तन गया था।
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वो बोले- अक्षरा, मैं भी बहुत जोश में आ गया हूँ और मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया है, अगर तुम कहो तो मैं एक बार चोद लूँ।
मैंने कहा- मुझे इस मोमबत्ती से बहुत मज़ा आ रहा है… मेरा मज़ा बीच में मत खराब करो, प्लीज… अभी मुझे मोमबत्ती से ही चोदो, बाद में तुम चाहे जितनी बार चोद लेना…
वो मेरे जोश को देखकर एकदम हक्के-बक्के हो गए और उन्होंने मुझे उस मोमबत्ती से चोदना ज़ारी रखा। मैं पूरे मज़े के साथ मोमबत्ती को अपने चूत के अंदर ले रही थी। उन्होंने और तेज़ी के साथ मोमबत्ती को मेरी चूत में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया।
पांच मिनट भी नहीं गुज़रे कि मैं एक बार फिर से झड़ गई। मैं अब तक चार बार झड़ चुकी थी। वो मुझे तीस-पैंतीस मिनट में चार बार झड़ता हुआ देखकर सोच में पड़ गए। पिछले डेढ़ साल की चुदाई में मैं कभी-कभी ही झड़ती थी।
अपने पति से हुई बातचीत ने मेरे डेढ़ साल की अनबुझी प्यास तो बुझा दी थी पर क्या मैं ऐसे ही मोमबत्ती से चुदवा कर अपनी प्यास बुझती रही या आगे मेरी जिंदगी ने कोई और मोड़ भी लिया… मैं पूरे मज़े के साथ मोमबत्ती को अपने चूत के अंदर ले रही थी।
उन्होंने और तेज़ी के साथ मोमबत्ती को मेरी चूत में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। पांच मिनट भी नहीं गुज़रे कि मैं एक बार फिर से झड़ गई। मैं अब तक चार बार झड़ चुकी थी। वो मुझे तीस-पैंतीस मिनट में चार बार झड़ता हुआ देखकर सोच में पड़ गए। पिछले डेढ़ साल की चुदाई में मैं कभी-कभी ही झड़ती थी।
जाहिर है, इसकी वजह उनके लण्ड का छोटा होना था। अब वो मेरी चूत में मोमबत्ती को अंदर-बाहर जाता हुआ देखने लगे और उनको भी मज़ा आ रहा था। मेरी चूत ने मोमबत्ती को एक दम जकड़ रखा था। मेरे झड़ने के बाद उन्होंने मोमबत्ती को मेरी चूत से बाहर निकाल लिया.
तो मैं बोली – पवन, तुमने मोमबत्ती क्यों निकाल ली। प्लीज, कुछ देर तक और अंदर-बाहर करो, मुझे एक बार और झड़ जाने दो, प्लीज।
उन्होंने मोमबत्ती को दोबारा से मेरी चूत में डाल दिया और बहुत ही ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर करने लगे। इस बार मैं जल्दी नहीं झड़ रही थी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं अपना चुत्तड़ उठा-उठा कर पूरी मोमबत्ती को अपने चूत में ले रही थी।
लगभग दो मिनट के बाद मैंने अपना चुत्तड़ बहुत तेज़ी के साथ ऊपर उठाना शुरू कर दिया तो वो समझ गए कि मैं अब फिर से झड़ने वाली हूँ। उन्होंने मोमबत्ती को और तेज़ी के साथ मेरी चूत में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया।
दो-तीन मिनट में ही मैं फिर से झड़ गई। इस बार मेरी चूत से ढेर सारा पानी आया। जहाँ तक मुझे याद है ये पहली बार था, जब मेरी चूत ने कामरस छोड़ा था। मैंने बेहद उत्तेजना में उनसे कहा- प्लीज, मेरी चूत का सारा पानी तुम चाट लो, बहुत मेहनत के बाद निकला है।
उन्होंने भी बिना सोचे मेरी चूत का सारा पानी चाट लिया और बोले- अक्षरा, अब मैं तुम्हारी फ़ुद्दी चोद लूँ?
मैंने कहा– मेरी जान, तुमने आज मुझे ज़िंदगी का वो मज़ा दिया है जिसके लिए मैं डेढ़ साल से तड़प रही थी, अब तुम जितनी बार चाहो मुझे चोदो, मैं एकदम तैयार हूँ।
उनका लण्ड तो पहले से ही खड़ा था। उन्होंने मेरी चूत में अपने लण्ड को डाला तो मोमबत्ती से चुदवाने की वजह से उनका लण्ड मेरी चूत में एकदम आराम से घुस गया। उनके लण्ड पर मेरी चूत की कोई पकड़ नहीं थी और मुझे कुछ भी पता नहीं चल रहा था। उन्होंने मुझे चोदना शुरू तो कर दिया लेकिन उनको कोई मज़ा नहीं आ रहा था।
वो बोले– जान, मोमबत्ती से चुदवाने के बाद तुम्हारी चूत तो एक दम ढीली हो गई है… मुझे मज़ा नहीं आ रहा है।
मैं बहुत जोश में थी और बोली- मेरी गाण्ड अभी तक एक दम टाइट है… प्लीज, अगर तुम चाहो तो मेरी गाण्ड मार लो… लेकिन एक शर्त है।
उन्होंने पूछा– क्या?
मैंने कहा- हम एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और हमें एक-दूसरे के दर्द का एहसास भी है… मुझे मोमबत्ती से चुदवाने में बहुत मज़ा आया, लेकिन असली लण्ड से जो मज़ा आएगा वो मोमबत्ती में कहाँ है… तुम मेरे लिए किसी आदमी का इंतेज़ाम कर दो जिसका लण्ड लंबा और मोटा हो। मैं प्रॉमिस करती हूँ कि तुम्हारे अलावा मैं पूरी ज़िंदगी केवल उस आदमी से ही चुदवाऊँगी…
एक बार फिर वो सोच में पड़ गए और थोड़ी देर बाद वो बोले- क्या तुम हवस और वासना के चलते कुछ ज्यादा ही नहीं कह गई? दुनिया में क्या कोई ऐसा पति होगा जो अपनी पत्नी को किसी गैर मर्द से चुदवायेगा? यह शायद गलत सवाल है… पूछना यह चाहिए कि क्या ऐसी औरत होगी, जो अपने पति से किसी दूसरे मर्द का इंतज़ाम करने के लिए कहेगी, अपनी चूत की आग शांत करने के लिए…
जाहिर है दोस्तो, आपके दिमाग में काफी सवाल उमड़ रहे होंगे, मेरी काफी सहेलियाँ मुझे रांड, छिनाल और न जाने क्या-क्या उपाधियाँ दे रहीं होगीं… पर मुझे ये उपाधियाँ देने वाली मेरी सहेलियों से मेरा सवाल है कि क्या शादी के बाद आपकी चूत ने सिर्फ आपके पति का ही लण्ड लिया है और लिया है तो क्या आपके पति को पता है?
अरे हाँ, बस एक सवाल और क्या सुहागरात में आपकी चूत से मेरी ही चूत की तरह खून निकला था, सीधे शब्दों में क्या आपकी चूत सुहागरात तक अनचुदी थी? मेरी प्यारी सहेलियों अगर आपके दोनों सवालों का जवाब हाँ हैं, तो यकीनन आप मुझे रंडी, छिनाल, वेश्या, धंधे-वाली जो चाहें बोल सकती हैं पर अगर एक का भी जवाब नहीं है तो बुरा मत मानियेगा और माफ करिए, आपको कुछ कहने का हक़ नहीं है…
एक बार फिर वो सोच में पड़ गए और थोड़ी देर बाद वो बोले- ठीक है मेरी जान, मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूँ और तुम्हारी ख़ुशी और संतुष्टि के लिए कुछ भी कर सकता हूँ।
मैंने कहा- मैं जानती हूँ जानेमन, आई लव यू टू ! चलो ठीक है, अब तुम मेरी गाण्ड मार लो।
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मैं पेट के बल लेट गई। उन्होंने अपने लण्ड पर थोड़ा सा थूक लगाया और मेरी गाण्ड के छेद पर रख दिया। मैंने अपने कूल्हे और ऊपर उठा दिए जिससे उनका लण्ड आराम से पूरा मेरी गाण्ड में घुस जाए। उन्होंने एक धक्का मारा, तो मुझे दर्द होने लगा और मेरे मुँह से एक चीख निकल गई।
उनका लण्ड तो बहुत छोटा था ही, एक ही धक्के में मेरी गाण्ड में आधे से ज़्यादा घुस गया। उन्होंने और ज़्यादा नहीं डाला और मेरी गाण्ड में अपने लण्ड को अंदर-बाहर करने लगे। मेरा दर्द दो मिनट में ही कम हो गया और मैं शांत हो गई।
मुझे मज़ा आने लगा और मैं अपना चुत्तड़ उठा-उठा कर उनसे गाण्ड मराने लगी। उनको भी मज़ा आने लगा। उन्होंने फिर एक ज़ोरदार धक्का मार दिया तो उनका पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में घुस गया। मेरी गाण्ड बहुत ही टाइट थी।
मेरी चूत की तरह मेरी गांड भी अनचुदी थी, पूरा लण्ड घुसते ही मुझे बहुत तेज़ दर्द होने लगा और मैं चिल्लाने लगी। लेकिन वो बहुत जोश में थे और रुके नहीं। उन्होंने तेज़ी के साथ अपने लण्ड को मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर बाद मेरा दर्द कुछ कम हो गया और मुझे मज़ा आने लगा। मैं अपनी गाण्ड ऊपर उठा-उठा कर उनका साथ देने लगी। आज उनके छोटे से लण्ड से मुझे गाण्ड मराने में बहुत मज़ा आ रहा था।
मैंने कहा- पवन, तुम्हारा छोटा लण्ड तो मेरी गाण्ड के ही लायक है, यह मेरी गाण्ड में बहुत टाइट जा रहा है। मुझे खूब मज़ा आ रहा है… जब मुझे कोई दूसरा चोदेगा तो मेरी चूत तुम्हारे लण्ड के लायक नहीं रह जाएगी, यह एकदम ढीली हो जाएगी… तुम मेरी गाण्ड मार लिया करना, इससे तुम्हें भी मज़ा आएगा और मैं भी गाण्ड मराने का मज़ा ले पाऊँगी।
वो बोले- ठीक है, मेरी रानी।
दस मिनट तक मेरी गाण्ड मरने के बाद वो मेरी गाण्ड में ही झड़ गए। आज मुझे बहुत मज़ा आया था। उन्होंने अपना लण्ड जैसे ही मेरी गाण्ड से बाहर निकाला तो मैंने बड़े प्यार से उनका लण्ड चाटना शुरू कर दिया। इतने प्यार से आज तक मैंने उनका लण्ड कभी नहीं चाटा था।
उन्हें खूब मज़ा आने लगा। उसके बाद हम थोड़ी देर तक आराम करते रहे। वासना आज मेरे ऊपर अपना नंगा-नाच कर रही थी, जिसके चलते पांच मिनट बाद ही मैंने उनके लण्ड को फिर से चूसना शुरू कर दिया।
वो भी बहुत जोश में आ गए और बोले- अक्षरा मेरी जान, आज तुम मुझसे दोबारा चुदवाओगी क्या?
मैंने कहा- हाँ बिलकुल मेरी जान, अभी तुमने मेरी गाण्ड मारी है, अब चूत का भी मज़ा ले लो।
लगभग दस मिनट तक मैं उनका लण्ड चूसती रही। उनका लण्ड फिर से खड़ा हो कर तन गया था। अब उन्होंने मुझे लिटा कर चोदना शुरू कर दिया। उनका लण्ड मेरी चूत में एक दम ढीला पड़ रहा था, लेकिन वो मुझे चोदते रहे।
चूत में लण्ड के ढीला होने की वजह से मुझे बहुत कम मज़ा आ रहा था, उनके लण्ड पर मेरी चूत की पकड़ एकदम ढीली पड़ गई थी। इस वजह से वो जल्दी झड़ नहीं रहे थे और मैं भी नहीं झड़ रही थी। वो मेरी चूचियों को बहुत ज़ोर-ज़ोर से मसल रहे थे।
उन्होंने मुझे आज लगभग एक घंटे तक चोदा। मैं भी आज बहुत खुश थी क्यूंकि उन्होंने मुझे पहले कभी इतनी देर तक नहीं चोदा। वो मुझे कभी भी दस मिनट से ज़्यादा नहीं चोद पाते थे, बहुत ही जल्दी झड़ जाते थे। आज ज़्यादा टाइम लगने की वजह से उनको भी बहुत मज़ा आ रहा था, लगभग दस मिनट और चोदने के बाद वो झड़ गए।
आज मैं भी उनकी चुदाई से बहुत मस्त हो गई थी और इस बीच दो बार झड़ चुकी थी। चोदने के बाद जब वो मेरे ऊपर से हटे तो तुरंत ही मैंने उनके लण्ड को बड़े प्यार से चाटना शुरू कर दिया। आज हम दोनों बहुत खुश थे, थोड़ी देर बाद हम दोनों बुरी तरह थककर सो गए.
दूसरे दिन फिर जब हमारी वासना ने नंगा नाच नाचा, तो वो मुझे फिर से मोमबत्ती से चोदने लगे। कुछ देर मज़े लेने के बाद, एक बार फिर जब मैं बहुत ज़्यादा उत्तेजित होने लगी तो मैं बोली- तुमने कल हुई अपनी बातचीत के बारे में कुछ सोचा?
ना जाने क्या सोचते हुए वो बोले… मेरा एक दोस्त है जिसका नाम खेसारी लाल है, मेरे बचपन का दोस्त है, वो कैसा रहेगा? हम लोग जब छोटे थे तो अपनी नुन्नी (लण्ड) को एक दूसरे की नुन्नी से नापते थे। उस समय मेरे सभी दोस्तो में खेसारी लाल की नुन्नी सबसे लंबी और मोटी थी। उसकी नुन्नी सबसे ज़्यादा गोरी भी थी, अब तक उसकी नुन्नी एक लंबा और मोटा लण्ड बन चुकी होगी।
अगर तुमको खेसारी लाल पसंद हो तो मैं उस से बात कर लूँ, अभी खेसारी लाल की शादी भी नहीं हुई है।
मैंने कहा- खेसारी लाल तो बहुत हैंडसम है और गोरा भी, अगर खेसारी लाल की नुन्नी उस समय सबसे लंबी और मोटी थी तो अब वो खूब लंबा और मोटा लण्ड बन गया होगा… सबसे अच्छी बात है की खेसारी लाल तुम्हारा दोस्त भी है…
फिर मुझे थोड़ी मस्ती सूझी और मैंने कहा- तुम लोग बचपन में केवल एक-दूसरे की नुन्नी ही नापते थे या आपस में गाण्ड मारा-मारी भी करते थे?
वो थोड़ा झेंपते हुए बोले– खेसारी लाल ही कभी-कभी मेरी गाण्ड मारता था।
फिर कुछ देर रुक कर वो बोले- वो अक्सर कहता रहता है यार, तुमने अक्षरा भाभी के रूप में गजब की चीज़ पाई है, तुम पर वो पहले से फिदा है।
उनकी यह बात सुनकर मैं बहुत खुश हो गई और खेसारी लाल के मोटे और लंबे लण्ड के सपने देखते-देखते सो गई।
दूसरे दिन इन्होनें अचानक मुझसे कहा- जान, मेरा समान पैक कर देना, मुझे एक सप्ताह के लिए बाहर जाना है।
चूँकि ये दुकान के काम से अक्सर बाहर जाते रहते थे, मैंने उनका समान पैक कर दिया। दुकान बंद होने के बाद जब रात 8 बजे घर ये आए तो मैंने उत्सुकता से पूछा- मेरी जान, मेरे काम का क्या हुआ?
वो बोले- अभी मैंने खेसारी लाल से बात नहीं की है, वापस आते ही बात कर लूँगा।
मैं उदास हो गई, रात भर से खेसारी लाल के लण्ड के सपने में जो खोई थी। खैर…
ये बोले- तुम मेरा खाना लगा दो।
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मैंने खाना लगा दिया और वो खाना खाने लगे, खाने के बाद जब वो जाने लगे तो मैं उनको दरवाज़े पर छोड़ने आई। मेरा चेहरा एकदम बुझा हुआ था, एकदम उदास थी मैं।
उन्होंने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और बोले- मैंने खेसारी लाल से बात कर ली है, वो लगभग दस बजे तक आएगा… मेरे वापस आने तक तुम खेसारी लाल से जी भर कर चुदवा लेना।
क्या बताऊँ, मैं खुशी से फूली नहीं समा रही थी। मैंने बिना कुछ सोचे उनके होठों पर एक चुंबन जड़ दिया और कहा – ओ मेरी जान, आई लव यू… तुम इंसान नहीं देवता हो।
उनके जाने के बाद मैं बेसब्री से खेसारी लाल का इंतेज़ार करने लगी। मैं खुशी से एकदम पागल हो रही थी। सिर्फ़ मोटा और लंबा लण्ड मिलने की उम्मीद में मेरी चूत लगातार कामरस छोड़े जा रही थी। वासना मेरे ऊपर अपना नंगा-नाच नाच रही थी, चूत की आग ने मुझे इतना मदहोश कर दिया कि मैंने खुद ही अपनी साड़ी और ब्लाउज को उतार फेंका।
फिर मैंने अपने पेटीकोट को ऊपर उठाया और मोमबत्ती लेकर पागलों की तरह अंदर-बाहर करने लगी। कुछ ही देर में मैं दो-तीन बार झड़ गई। रात के लगभग दस बजे घण्टी बजी और मैं धड़कते दिल से दरवाजे की तरफ बढ़ी…
लगभग रात के दस बजे बेल बजी और मैं धड़कते दिल से दरवाजे की तरफ बड़ी… वो खेसारी लाल था। मैं उसे देखकर मुस्कुराई और वो भी मुस्कुराया। उसके अंदर आते ही मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया। सारी लोक-लाज को तुके पर रख, बिना एक भी शब्द कहे… मैंने एकदम से खेसारी लाल को अपनी बाहों में जकड़ लिया।
वो तो था ही मर्द, जब औरत ने अपनी शरम बेच खाई हो तो मर्द क्यूँ पीछे रहेगा… उसने भी आव देखा ना ताव अपने होठों को मेरे होठों पर रख दिया। मैं तो वासना के ज्वर में पहले से ही जल रही थी, सो अब मैंने उसकी पीठ पर अपना हाथ फिरना शुरू कर दिया और वो मेरे होठों को बेतहाशा चूमने लगा। मैंने भी उसके होठों को चूमना शुरू कर दिया।
वासना अब उसके ऊपर भी हावी हो चुकी थी, उसने मेरे होठों को चूमने के बाद मेरे गाल और मेरी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया। मैं बहुत ज़्यादा जोश में आ गई और सिसकारियाँ भरने लगी, मैंने जो पहली बात खेसारी लाल से कही वो थी – उफ़ खेसारी लाल चूम, अपनी भाभी को…
उसने मेरी ब्रा को खोल दिया और उसे उतारने लगा। मैंने भी झट से अपने हाथ ऊपर कर दिए, जिस से वो मेरी ब्रा को उतार सके। बिना एक भी पल देर किए, उसने मेरी ब्रा को उतार कर फेंक दिया, अब मैं केवल पेटीकोट में उसके सामने थी।
फिर खेसारी लाल ने मेरी एक चूची को अपने हाथ में पकड़ कर बुरी तरह से मसलना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से मेरी पीठ को सहलाने लगा। उसने पयज़ामा और कुर्ता पहन रखा था और उसका लण्ड पयज़ामे के अंदर ही खड़ा हो कर तन गया था, मैं उसका लण्ड अपनी चूत के पास महसूस कर रही थी।
जैसा कि मुझे अंदाज़ा था, वो बहुत बड़ा लग रहा था। मैं अभी भी उसकी पीठ को सहला रही थी और उसने मेरी पीठ को सहलाने के बाद मेरी कमर को सहलाना शुरू कर दिया था। थोड़ी देर बाद उसने मेरे पेटीकोट के नाड़े पर अपना हाथ रखा, मैं समझ गई कि अब वो मेरा पेटीकोट खोलने वाला है।
उसने पेटीकोट के नाड़े को झटके से खींच लिया तो मेरा पेटीकोट खुल कर नीचे ज़मीन पर गिर गया। आप तो जानते ही हैं, मैंने पैंटी नहीं पहनी थी… अब उसके सामने मैं एकदम नंगी हो गई थी। उसने सीधे अपना एक हाथ मेरी चूत पर लगाया, तो मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं- उफ़!!! खेसारी लाल हाए… ओह…
वो अब मेरी चूत को सहलाने लगा, मैंने उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसके चूतड़ों पर हाथ फिराने लगी। अब उसने एक उंगली मेरी चूत में डाल दी, मेरी चूत एकदम गीली होने लगी। मैंने अब सब्र खो दिया था, आप कहेंगे मेरा सब्र तो बहुत पहले छूट गया था। खैर, मैं उसके पयज़ामे के नाड़े को खोलने लगी, उसका पयज़ामा खुलने के बाद नीचे ज़मीन पर गिर गया। उसने भी अंदर कुछ नहीं पहना था। वो नीचे से एकदम नंगा हो गया।
मैंने कहा- क्या तुम नीचे कुछ नहीं पहनते हो?
वो बोला- पहनता हूँ भाभी। लेकिन मुझे आज तुम्हारी चूत का न्योता मिला था, मेरा बस चलता तो नंगा ही दौड़ा आता… जल्दी में मैंने केवल कुर्ता और पयज़ामा ही पहना।
अब मैंने अपना हाथ उसके लण्ड पर फिराना शुरू किया। उसका लण्ड बहुत लंबा और मोटा था, लेकिन अभी मैंने उसे देखा नहीं था। केवल अपने हाथों से महसूस कर रही थी। मैंने उसके लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया, उसने मुझे अपनी बाहों में ज़ोर से जकड़ लिया। वो अभी भी अपनी एक उंगली को मेरी चूत में अंदर-बाहर कर रहा था।
मेरे बदन में सिहरन सी हो रही थी, थोड़ी देर में उसने अपनी उंगली बाहर निकाल ली, फिर एक झटके में अपनी दो उंगली मेरी चूत में डाल दी। अब मुझे कुछ दर्द सा होने लगा, मैं सिसकारियाँ भर रही थी, उफ़… आहा… उई… मेरे सहलाने पर उसका लण्ड और ज़्यादा टाइट हो रहा था, मैं उसके बदन से एक दम चिपकना नहीं चाहती थी, लेकिन उसने अभी भी कुर्ता पहना हुआ था।
जैसे ही मैंने उसके कुर्ते को नीचे की तरफ खींचा, तो वो समझ गया। उसने अपना कुर्ता भी एक झटके में उतार दिया। अब हम दोनों के वासना की आग में जलते बदन एकदम नंगे थे… मैं उससे एकदम से चिपक गई, मैंने अभी तक उसका लण्ड नहीं देखा था।
मैंने उसके लण्ड को अपने हाथों में ज़ोर से पकड़ लिया और आगे-पीछे करने लगी। उसका लण्ड एकदम गरम था तपती हुई लोहे की सालाख की तरह, वो मेरी चूत में अपनी दो उंगली डाल कर अंदर-बाहर कर रहा था। इस कामुक माहौल में बहुत ज़्यादा ही जोश में आ गई और दो मिनट बाद ही मेरी चूत से पानी निकल गया।
खेसारी लाल नीचे ज़मीन पर बैठ गया और मेरी चूत के पानी को चाटने लगा, सारा पानी चाटने के बाद भी वो रुका नहीं और मेरी चूत को चाटता रहा, मैं अब पागल सी होने लगी। मैंने उसके बालों में अपना हाथ फिरना शुरू कर दिया और उसके सिर को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ दबा दिया।
पांच मिनट बाद उसने मेरी चूत को चाटना बंद कर दिया और मुझे गोद में उठा कर बिस्तर पर ले गया और बिस्तर के एक किनारे बिठा दिया और वो अब खड़ा होकर मेरे सामने आ गया। उसका लण्ड अब एकदम मेरे मुँह के पास था…
मैंने अब जाकर उसके लण्ड को पहली बार देखा, उसका लण्ड एक दम गोरा था और लगभग आठ इंच लंबा और दो इंच मोटा था। मैंने ऐसा लण्ड पहले कभी नहीं देखा था, मैंने बिना उसके कुछ कहे ही उसके लण्ड को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया।
वो मेरे बालों में अपना हाथ फिराने लगा। कुछ देर चाटने के बाद मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मैं जोश से एक दम पागल हो रही थी। उसका लण्ड अपनी चूत में अंदर लेने के लिए बेताब हो रही थी, वो यह समझ गया।
अब उसने मुझे लिटा दिया और मेरी टाँगों के बीच आ गया, उसने मेरी चूतड़ के नीचे दो तकिये रख दिए तो मेरी चूत एकदम ऊपर उठ गई। फिर उसने मेरी टाँगों को फैलाया और अपने लण्ड का सूपड़ा मेरी चूत के बीच रख दिया।
मैं बहुत जोश में आ गई बोली- खेसारी लाल, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है… डाल दो अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में और खूब चोदो मुझे।
खेसारी लाल ने अपने लण्ड को मेरी चूत के अंदर डालना शुरू कर दिया। उसका लण्ड मेरी चूत में केवल दो इंच ही घुसा था कि मुझे हल्का-हल्का दर्द होने लगा। लेकिन खेसारी लाल ने मेरी चूत में अपने लण्ड को घुसना जारी रखा, मैं पहले मोमबत्ती से चुदवा चुकी थी इसलिए मुझे अभी ज़्यादा दर्द नहीं हो रहा था.
थोड़ा-बहुत जो दर्द इस लिए हो रहा था वो इसलिए क्यूंकी खेसारी लाल का लण्ड मोमबत्ती से बहुत ज़्यादा मोटा था। अब फिर से खेसारी लाल ने एक धक्का लगाया तो उसका लण्ड मेरी चूत में चार इंच तक घुस गया, मेरे मुँह से हल्की-हल्की चीख निकालने लगी।
उसने जब थोड़ा सा और अंदर डाला तो मेरे मुँह से एक ज़ोरदार चीख निकल गई। खेसारी लाल का लण्ड अब तक मेरी चूत में छे इंच तक घुस चुका था। उसने और ज़्यादा लण्ड घुसने की कोशिश नहीं की और मुझे ऐसे ही चोदने लगा। पहले उसने धीरे-धीरे धक्का लगाया, जब मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो मैं जोश में आ गई।
अब मैंने अपने चूतड़ ऊपर उठना शुरू कर दिया तो उसने तेज़ी के साथ मुझे चोदना शुरू कर दिया। थोड़ी देर तक चुदवाने के बाद मुझे और ज़्यादा मज़ा आने लगा। मैंने अब अपने चूतड़ उठा-उठा कर खेसारी लाल का साथ देना शुरू कर दिया। मेरे चूतड़ उठाते ही खेसारी लाल ने और तेज़ी के साथ चोदना शुरू कर दिया।
वो अपने दोनों हाथों से मेरी चूचियों को पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था और धक्के पर धक्के लगते हुए मुझे चोद रहा था। बीच-बीच में वो एक धक्का ज़ोर से मार देता था जिससे उसका लण्ड मेरी चूत में और ज़्यादा अंदर तक घुस जाता था।
मेरी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं, मेरा सारा बदन उसकी चुदाई से ज़ोर-ज़ोर से हिल रहा था। मैं बहुत जोश में आ गई थी और मुझे अब दर्द का कोई एहसास नहीं रह गया था। आठ-दस मिनट की चुदाई के बाद उसका पूरा लण्ड मेरी चूत में घुस चुका था, मैं उसके लण्ड के सुपाड़े को अपनी बच्चेदानी के मुँह पर महसूस कर रही थी, जिससे मुझे और ज़्यादा मज़ा आ रहा था।
मैं अपने चूतड़ उठा-उठा कर उसके हर धक्के का जवाब दे रही थी। दो-तीन मिनट बाद मैं झड़ गई, लेकिन वो रुका नहीं, बस मुझे चोदता ही रहा। दस मिनट तक चुदवाने के बाद मैं फिर से झड़ गई। मेरी चूत एकदम गीली हो चुकी थी। खेसारी लाल मेरे ऊपर से हट गया तो मैंने पूछा- अभी तो तुम्हारे लण्ड का पानी भी नहीं निकला है, तुम हट क्यों गए।
वो बोला- भाभी, तुम्हारी चूत एकदम गीली हो गई है… पहले इसे कपड़े से साफ कर दूँ, उसके बाद फिर चोदूंगा।
उसने बेड पर से चादर उठा ली और मेरी चूत साफ करने लगा। मेरी चूत को साफ करने के बाद उसने अपना लण्ड फिर से मेरी चूत में डालना शुरू किया, साफ होने के बाद मेरी चूत एकदम सूख गई थी, इसलिए मुझे फिर से दर्द होने लगा। खेसारी लाल ने एक मर्द की तरह मेरे दर्द की कोई परवाह नहीं की और अपना लण्ड मेरी चूत में घुसता रहा।
मैं थोड़ा सा चिल्लाई लेकिन वो रुका नहीं, पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसने के बाद वो मुझे चोदने लगा। थोड़ी देर में मेरा दर्द फिर से कम हो गया तो मैं उसका साथ देने लगी। मैंने अपने चूतड़ को उसके हर धक्के के साथ उठना शुरू कर दिया।
मेरे चूतड़ उठाते ही उसका लण्ड एकदम जड़ तक मेरी चूत में घुस जाता था और मैं उसके दोनों बॉल्स को अपनी गाण्ड पर महसूस करने लगती थी। लगभग बीस मिनट तक वो मुझे इसी तरह चोदता रहा। इस बीच मैं दो बार और झड़ चुकी थी, मेरी चूत फिर से गीली हो गई थी।
खेसारी लाल ने अपना लण्ड बाहर निकाल कर मेरी चूत को फिर से साफ किया, फिर उसने अपने लण्ड के सुपाड़े को मेरी चूत के बीच रखा। उसने अपने दोनों हाथों से मेरी चूचियों को ज़ोर से पकड़ लिया और एक ज़ोरदार धक्का मारा। मेरे मुँह से एक ज़ोर की चीख निकली और उसका पूरा का पूरा लण्ड मेरी चूत में समा गया।
उसने बिना देर किए मेरी चुचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलते हुए बहुत ही तेज़ी के साथ मेरी चुदाई शुरू कर दी, मैं हिचकोले खाने लगी। उसका पूरा लण्ड मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। मैं एकदम ज़न्नत का मज़ा ले रही थी। जब उसका पूरा लण्ड मेरी चूत में जाता तो मैं उसके दोनों बॉल्स को अपनी गाण्ड पर महसूस करती।
मैं भी अपना चूतड़ उठा-उठा कर उसके ताल से ताल मिलने लगी। लगभग बीस मिनट तक वो मुझे चोदता रहा और फिर मेरी चूत में ही झड़ गया। इस दौरान मैं दो बार फिर झड़ चुकी थी, अपने लण्ड का पूरा पानी निकल जाने के बाद वो हटा तो मैंने उसका लण्ड चाट-चाट कर साफ कर दिया।
मैं एकदम थक कर चूर हो गई थी और बेड पर ही लेट गई, वो भी मेरे बगल में लेट गया। दोस्तो, मुझे आज ज़िंदगी में पहली बार चुदाई का असली मज़ा मिला था… पूरे तीस मिनट तक आराम करने के बाद खेसारी लाल ने फिर से मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
मैं भी समझ गई की वो मुझे फिर से चोदना चाहता है। मैं फ़ौरन उसके ऊपर आ कर 69 की पोज़िशन में हो गई। मैंने उसके लण्ड को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और वो मेरी चूत को चाटने लगा। पांच मिनट बाद ही हम दोनों फिर से तैयार हो गए। इस बार खेसारी लाल ने मुझे डॉगी स्टाइल में कर दिया और खुद मेरे पीछे आ गया, उसने मेरी चूत को फैला कर अपना लण्ड बीच में फँसा दिया और मेरी कमर को ज़ोर से पकड़ लिया।
फिर वो मुझसे बोला- तुम तैयार हो जाओ, जानेमन। तुमको अब फिर से दर्द होने वाला है। मैं अब बिना रुके तुम्हारी चूत में अपना पूरा लण्ड डाल कर तुम्हारी चुदाई करने वाला हूँ।
मैंने कहा- मेरी जान, मैं तैयार हूँ… मैंने आज ज़िंदगी में पहली बार चुदाई का मज़ा तुमसे पाया है… शादी के बाद आज तक मैं एकदम भूखी थी… आज तुमने मेरी भूख को शांत किया है… तुमने आज मेरी चुदाई करके मेरे जोश को और भी भड़का दिया है… चिल्लाने दो मुझे… तुम मेरे चिल्लाने की परवाह मत करना… डाल दो अपना पूरा लण्ड एक झटके से ही मेरी चूत में… खूब ज़ोर-ज़ोर से चोदो मुझे…
उसने मेरी कमर को पकड़ कर एक ज़ोरदार धक्का मारा, अभी उसका केवल आधा लण्ड ही मेरी चूत में घुस पाया था की मेरे मुँह से चीख निकल गई पर वो रुका नहीं। वो धक्के पर धक्का लगाने लगा और में चिल्लती रही पर वो ना रुका।
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आठ-दस धक्कों के बाद उसका पूरा लण्ड मेरी चूत में घुस गया और उसने मुझे तेज़ी के साथ चोदना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में जब मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो मैं भी अपने चूतड़ आगे-पीछे करके उसका साथ देने लगी। वो मुझे आँधी की तरह चोद रहा था, इस बार उसने मुझे लगभग दस मिनट तक बिना रुके चोदा। अभी तक मैं तीन बार झड़ चुकी थी, मेरी चूत एक दम गीली हो चुकी थी। रूम में फ़च-फ़च और धाप-धाप की आवाज़ हो रही थी, खेसारी लाल का भी पानी अब निकालने ही वाला था।
उसने मेरी कमर को और ज़ोर से पकड़ लिया और अपनी स्पीड बहुत तेज़ कर दी, मैंने भी अपने चुत्तड़ और तेज़ी के साथ आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। लगभग पांच मिनट और चोदने के बाद खेसारी लाल मेरी चूत में झड़ गया और मैं भी एक बार फिर खेसारी लाल के साथ ही साथ झड़ गई। सारा पानी मेरी चूत में निकालने के बाद खेसारी लाल ने अपना लण्ड बाहर निकाला, तो मैंने उसे चाटना शुरू कर दिया। मैंने उसका लण्ड खूब चटा और एक दम साफ कर दिया। दोस्तो, मैंने पवन के आने तक खेसारी लाल से एक सप्ताह तक खूब चुदवाया और खूब मज़ा लिया।
राज says
बहुत मस्त कहानी