Hindi Group Sex Story
ये कहानी करीब आज से छः महीने पहले शुरू हुई जब हमारे बगल के फ्लॅट में नये पड़ोसी रहने के लिए आए. हमारे नए पड़ोसी मिस्टर. शशांक एक कन्सल्टेंट हैं, और उनकी पत्नी शालिनी जो एक घरेलू महिला थी. वैसे तो गुरुग्राम इतना बिज़ी सहर है की यहाँ किसी को किसी के लिए फ़ुर्सत ही नही है. नए पड़ोसी होने के नाते हमारी जान पहचान बढ़ी और हम दो परिवार काफ़ी घुल मिल गये थे. Hindi Group Sex Story
में और मेरी पत्नी दिव्या के विचार एक समान थे. हम दोनो ओपन सेक्स में विश्वास रखते थे. शादी के पहले ही हम दोनो सेक्स का मज़ा ले चुके थे. हम दोनो अपनी पुरानी सेक्स घटनाओं के बारे में अक्सर एक दूसरे को बताते रहते थे. चुदाई के किस्से सुनाते या सुनते वक़्त दिव्या इतनी उत्तेजित हो जाती कि उसकी चूत की प्यास मिटाना कभी मुश्किल हो जाता था.
मेने और दिव्या ने इस शनिवार शशांक और शालिनी को अपने यहाँ खाने की दावत दी. दोनो राज़ी हो गये. शशांक एक शानदार व्यक्तित्व का मालिक था, 6.2 हाइट, कसरती बदन. शालिनी भी काफ़ी सुन्दर थी, गोल चेहरा, लंबी टाँगे और खास तौर पर उसकी नीली आँखें. पता नही उसकी आँखों मे क्या आकर्षण था कि जी करता हर वक़्त उसकी आँखों में इंसान झाकता रहे.
शनिवार की शाम ठीक 7.00 बजे शशांक और शालिनी हमारे घर पहुँचे. शशांक ने शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहन रखी थी, जिससे उसका कसरती बदन सॉफ झलक रहा था. शालिनी ने कॉटन का टॉप और जीन्स पहेन रखी थी. उसकी कोटन के टॉप से झलकते उसके निपल साफ बता रहे थे कि उसने ब्रा नही पहन रखी है.
जीन्स भी इतनी टाइट थी कि उसके चूतड़ की गोलाइया किसी को भी दीवाना कर सकती थी. उसे इस सेक्सी पोज़ में देख मेरे लंड में सुरसूराहट होने लग गयी थी. मेने देखा कि दिव्या शशांक की ओर आकर्षित हो रही है. वो अपने अधखुले ब्लाउस से शशांक को अपने चुचियों के दर्शन करा रही थी.
आज दिव्या अपनी टाइट जीन्स और लो कट टॉप में कुछ ज़्यादा ही सुन्दर दिख रही थी. वहीं शालिनी भी मेरे साथ ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे हम कई बरसों पुराने दोस्त हों. हम चारों आपस में ऐसे बात कर रहे थे कि कोई देख के कह नही सकता था कि हमारी जान पहचान चंद दिनो पुरानी है.
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पहले शराब का दौर चला और फिर खाना खाने के बाद हम सब ड्रॉयिंग रूम में बैठे थे. मेने स्टेरीयो पर एक री-मिक्स की कसेट लगा दी. शालिनी ने खड़ी हो शशांक को डॅन्स करने के लिए कहा, किंतु उसने उसे मना कर दिया शय्याद उसे नशा हो गया था, मगर उसने शालिनी को मेरे साथ डॅन्स करने को कहा. शालिनी ने मुझे खींच कर खड़ा कर दिया.
हम दोनो गाने की धुन पर एक दूसरे के साथ नाच रहे थे. शालिनी ने अपने दोनो हाथ मेरी गर्दन पर रख मुझसे सतते हुए नाच रही थी. उसके बदन की गर्मी मुझे मदहोश कर रही थी. मेने भी अपने दोनो हाथ उसकी कमर पे रख उसे अपने और करीब खींच लिया.
उसके बदन की गर्माहट और बदन से उठती खुश्बू ने मुझे मजबूर कर दिया और मैने कस्के के उसे अपनी छाती से चिपका लिया. मेरा लंड उसकी चूत पे ठोकर मार रहा था. तभी मुझे ख़याल आया कि मेरी बीवी और उसका पति भी इसी कमरे में हैं, मेने गर्दन घुमा के देखा तो पाया कि दिव्या शशांक को खींच कर डॅन्स के लिए खड़ा कर चुकी है.
शायद मेरी बीवी की सुंदरता और खुलेपन ने शशांक को डॅन्स करने पे मजबूर कर दिया था, इसीलिए वो दिव्या को मना नही कर पाया. दोनो एक दूसरे को बाहों में ले हमारे पास ही डॅन्स कर रहे थे. नाचते नाचते दिव्या ने लाइट धीमी कर दी. कमरे में बहोत ही हल्की रोशनी थी. हम चारों कामुकता की आग में जल रहे थे.
शालिनी मुझसे और चिपकती मेरे कानो में बोली, “अछा है थोड़ा अंधेरा हो गया.” मेने उसे और कस के अपनी बाहों में ले अपने होठ उसके होठों पे रख दिए. उसने भी सहयोग देते हुए अपना मूह खोल दिया और जीभ मेरे मुँह में डाल दी. हम दोनो एक दूसरे की जीभ चुभलने लगे.
मेरे दोनो हाथ अब उसके चूतड़ को सहला रहे थे. शालिनी के हाथ मेरी पीठ पर थे और वो कामुक हो मेरी पीठ को कस के भींच लेती. मेरा लंड पूरा तन कर उसकी चूत को जीन्स के उपर से ही रगड़ रहा था. शालिनी ने आपने आप को मुझे सोन्प दिया था. मेने पीछे से अपने दोनो हाथ उसकी जीन्स में डाल दिए और पाया की उसने पॅंटी नही पहनी है.
मेरे हाथ अब उसके मुलायम चुतताड को ज़ोर से भींच रहे थे, वो भी उत्तेजित हो अपनी चूत मेरे लंड पे रगड़ रही थी. मेरी बीवी दिव्या का ख़याल आते ही मेने गर्दन घुमा के देखा तो चौंक पड़ा. दोनो एक दूसरे से चिपके हुए गाने की धुन पर डॅन्स कर रहे है. शशांक के हाथ दिव्या के शरीर पर रैंग रहे थे. दिव्या भी उसे अपने बाहों में भर उसके होठों को चूस रही थी.
में शालिनी को बाहों में ले इस पॉस्षन में डॅन्स करने लगा कि मुझे दिव्या और शशांक साफ दिखाई पड़े. शशांक का एक हाथ दिव्या की चुचियों को सहला रहा था और दूसरा हाथ दूसरी चुचि को सहलाते हुए नीचे की और बढ़ रहा था, और नीचे जाते हुए अब वो उसकी चूत को उसकी टाइट जीन्स के उपर से सहला रहा था.
मुझे हैरानी इस बात की थी उसे रोकने के बजाई दिव्या शशांक को सहयोग दे रही थी, उसने अपनी टाँगे थोड़ी फैला दी जिससे शशांक के हाथों को और आसानी हो. पर में कौन होता हूँ शिकायत करने वाला में खुद उसकी बीवी को बाहों में भरे उसे छोड़ने के मूड में था.
मेरे भी हाथ शालिनी के चुतताड को सहला रहे थे. शालिनी उत्तेजना में मुझे चूमे जा रही थी. तभी मेने देखा कि शशांक ने अपना एक हाथ दिव्या के टॉप में डाल कर उसके मम्मो पे रख दिया था. जब उसने दिव्या की तरफ से कोई रे-आक्षन नही देखा तो उसने हाथ पीठ की और लेजाकार उसकी ब्रा के हुक खोल दिए.
मुझे उसे पारदर्शी टॉप से साफ दिखाई दे रहा था कि शशांक के हाथ अब दिव्या के मम्मो को सहला रहे थे. महॉल में जब चुदाई का आलम फैलता है तो सब पीछे रह जाता है. मेने भी आगे बढ़ शालिनी के चूतड़ से हाथ निकाल उसकी जीन’स के बटन खोल जीन’स उतार दी. फिर पॅंटी में उंगिलिया फँसा उसकी पॅंटी भी उतार दी.
“में सोच रही थी कि तुम्हे इतनी देर क्यों लग रही है.” शालिनी अपनी टाँगो से अपनी जीन्स और पॅंटी को अलग करते हुए बोली. “प्लीज़ मुझे प्यार करो ना!”
मेने अपना हाथ बढ़ा उसकी चूत पे रख दिया. हाथ रखते ही मेने पाया कि उसकी चूत एक दम सफ़ा चट थी. उसने अपने चूत के बाल एक दम शेव किए हुए थे, जो में हमेशा दिव्या से कहता था पर वो मेरी ये बात नही मानी. बिना झांतों की एक दम नई चूत मेरे सामने थी, मेने अपना हाथ का दबाव बढ़ा उसकी चूत को ज़ोर से रगड़ने लगा. मेने अपनी एक उंगली उसकी चूत के मुहाने पर घुमाई तो पाया कि उसकी चूत गीली हो चुकी थी.
“तुम अपनी उंगली मेरी चूत में क्यों नही डालते जिस तरह मेरे पति ने अपनी उंगली तुम्हरी बीवी की चूत में डाली हुई है.” उसने कहा, में घूम कर देखा तो पाया कि शशांक का एक हाथ मेरी बीवी की चुचियों को मसल रहा है और दूसरा हाथ उसकी खुली जीन्स से उसकी चूत पे था. उसके हाथ वहाँ क्या कर रहे थे मुझे समझते देर नही लगी.
आचनक मेरी बीवी दिव्या ने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ देखी. वो एक अंजान आदमी के हाथों को अपनी चूत पे महसूस कर रही थी और में एक पराई औरत की चूत में उंगली कर रहा था. वो मेरी तरफ देख मुस्कुरई और मैं समझ गया की आज की रात हम दोनो के ख्वाब पूरे होने वाले हैं. दिव्या ने मुस्कुराते हुए अपनी जीन्स और पॅंटी पूरी उतार कर नंगी हो गयी.
जैसे ही उसने अपनी जीन’स और पॅंटी उत्तरी उसने शशांक के कान में कुछ कहा, शशांक ने उसकी ब्रा और टॉप भी उतार दी. अब वो एक दम नंगी उसकी बाहों में थी. शशांक के हाथ अब उसके नंगे बदन पर रेंग रहे थे. “लगता है हम उनसे पीछे रह गये.” कहकर शालिनी मुझसे अलग होते हुए अपनी जीन्स और टॉप उतार दिया.
जैसे हम किसी प्रतिस्पर्धा मे हो, शालिनी अपनी पॅंटी भी उतार नंगी हो गयी. “लगता है कि हमें उनसे आगे बढ़ना चाहिए,” कहकर शालिनी ने मेरी जीन्स के बटन खोल मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया. शालिनी मेरे लंड को सहला रही थी और मेरा लंड उसके हाथों की गर्माहट से तनता जा रहा था. शालिनी एक अनुभवी चुड़ाकड़ महिला की तरह के मेरे लंड से खेल रही थी.
में भी अपनी जीन्स और अंडरवेर से बाहर निकल नंगा शालिनी के सामने खड़ा था. शालिनी ने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया, जो तन कर 8-5 इंच का हो गया था….. “बहुत मोटा और लंबा है” कहकर शालिनी लंड को दबाने लगी. मेने घूम कर देखा तो पाया कि मेरी बीवी मुझसे आगे ही थी.
दिव्या शशांक के सामने घुटनो के बल बैठे उसके लंड को हाथों में पकड़े हुए थी. शशांक का लंड लंबाई में मेरी ही साइज़ का था पर कुछ मुझसे ज़्यादा मोटा था. दिव्या उसके लंड की पूरी लंबाई को सहलाते हुए उसके सूपदे को चाट रही थी. मुझे पता था कि दिव्या की इस हरकत असर शशांक पर बुरा पड़ने वाला है.
दिव्या लंड चूसने मे इतनी माहिर थी की उसकी बराबरी कोई नही कर सकता था. उसका लंड चूसने का अंदाज़ ही अलग था. वो पहले लंड के सूपदे को अपने होंठो में ले चुस्ती फिर धीरे धीरे लंड को अपने मुँह में भींचती हुई नीचे की और बढ़ती जिससे लंड उसके गले तक चला जाता.
फिर अपनी जीभ से चाटते हुए लंड उपर की ओर उठती. यही हरकत जब वो तेज़ी से करती तो सामने वाले की हालत खराब हो जाती थी. इसी तरह से वो शशांक के लंड को चूसे जा रही थी. जब वो उसके सूपदे को चूस्ति तो अपने थूक से सटे हाथों से ज़ोर ज़ोर से लंड को रगड़ती. में जानता था कि शशांक अपने आपको ज़्यादा देर तक नही रोक पाएगा.
करीब 10 मिनिट तक दिव्या शशांक के लंड की चुसाइ करती रही. में और शालिनी भी दिलचस्पी से ये नज़ारा देख रहे थे. शशांक ने अपने लंड को दिव्या के मुँह से बाहर निकाला और मेरे और शालिनी के पास आ खड़ा हो गया. शालिनी मेरे लंड को सहला रही थी और शशांक ने अपने होठ शालिनी के होठों पे रख उन्हे चूमने लगा.
शालिनी उससे अलग होते हुए बोली, “शशांक किशोर को बताओ ना कि मुझे किस तरह की चुदाई पसंद है.” फिर कामुकता का एक नया दौर शुरू हुआ. शशांक अपनी बीवी शालिनी के पीछे आकर खड़ा हो गया और मुझे उसके सामने खड़ा कर दिया. फिर शालिनी के माथे पे आए बालों को हटाते हुए मुझसे कहा, “किशोर इसके होठों को चूसो?”
मेने एक अग्यकारी शिष्य की तरह आगे बढ़ अपने होठ शालिनी के होटो पर रख दिए. शालिनी ने अपनी जीब मेरे मुँह में डाल दी. हम दोनो एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे. “अब इसकी चुचियों को चूसो?” शशांक ने कहा. में नीचे झुक शालिनी की चुचि को हाथों में पकड़ उसका निपल अपने मुँह में ले चूसने लगा. उसकी चुचियाँ बहोत भारी तो नही पर कसी ज़रूर थी. गोल चुचि और काले सख़्त निपल काफ़ी मज़ा दे रहे थे.
“दूसरे को नज़र अंदाज़ मत करो” कहकर उसने शालिनी की दूसरी चुचि पकड़ मेरे मुँह की आगे कर दी. मेने अपने होठ बढ़ा उसके दूसरे निपल को अपने मुँह मे ले चूसने लगा. करीब 5 मिनिट तक में उसके चुचियों को चूस्ता रहा, कि मेने पाया की शशांक के हाथ मेरे कंधों पे थे और मुझे नीचे की और दबा रहा था, मुझे इशारा मिल गया.
कैसे एक पति दूसरे मर्द को अपनी बीवी से प्यार करना सिखा रहा था. में नीचे बैठते हुए पहले उसकी नाभि को चूमा और फिर उसकी कमर को चूमते हुए अपने होठ ठीक उसकी चूत के मुख पे रख दिए. जब में उसकी चूत पे पहुँचा तो में दंग रह गया.
शशांक ने शालिनी के पीछे से अपने दोनो होठों से उसकी चूत की पंखुड़ियों को पकड़ के इस कदर फैला दी थी, जिससे मुझे उसकी चूत को चाटने मे आसानी हो. जैसे ही मेने अपने जीभ उसकी चूत पे फिराई में पाया कि मेरी बीवी दिव्या ठीक मेरे बगल में बैठी थी और उसकी निगाहें शालिनी के चूत पे टिकी हुई थी.
शशांक को अच्छी तरह पता थी की मर्द की कौनसी हरकत उसकी बीवी की चूत में आग लगा सकती थी, “अब अपनी जीभ से इसकी चूत के चोरों और चॅटो?’ उसने कहा. आज में कई सालों के बाद किसी दूसरी औरत की चूत को चाट रहा था, वो भी जब की मेरी बीवी 6 इंच की दूरी पे बैठी मुझे निहार रही थी.
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मेने अपना एक हाथ बढ़ा दिव्या की चूत पे रखा तो पाया कि उत्तेजना में उसकी चूत भी गीली हो चुकी थी. मेने अपनी दो उंगली उसकी चूत में घुसा अंदर बाहर करने लगा. में शालिनी की चूत को चाते जा रहा था, दिव्या मेरे लंड को पकड़ सहलाने लगी.
“अब इसकी चूत को नीचे से उपर तक चॅटो और करते जाओ?” शशांक ने शालिनी की चूत और फैलाते हुए कहा. मैने वैसे ही किया जैसा उसने करने को कहा, शालिनी की चूत से उत्ति मादक खुश्बू मुझे और पागल किए जा रही थी. “अब अपनी जीब पूरी शालिनी की चूत में डाल दो?” शशांक ने कहा.
शालिनी ने भी अपनी टाँगे और फैला दी जिससे मुझे और आसानी हो सके. में अपनी जीब उसकी चूत में घुसा उसे ज़ोर से चोद रहा था. शालिनी की सिसकारिया शुरू हो चुकी थी, “हाआँ राआज चूसूऊऊ मेरी चूत को निचोड़ लो मेरे चूत का सारा पानी, ओह ह्बीयेयेययाया” शशांक शालिनी के चूत को फैलाए उसके पीछे खड़ा था.
में और तेज़ी से उसकी चूत को चूसने लगा. इतने में शालिनी का शरीर आकड़ा और जैसे कोई नदी का बाँध खोल दिया गया हो उस तरह से उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. मेरा पूरा मुँह उसके रस से भर घाया. शालिनी ज़मीन पे बैठ अपनी उखड़ी सांसो को संभालने लगी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
थोड़ी देर सुसताने के बाद उसने मेरे चेहरे को अपने नज़दीक कर मुझे चूम लिया, “किशोर अब में चुदवाने के लिए तय्यार हूँ” इतना कहकर शालिनी मेरा हाथ पकड़ मुझे सोफे के पास ले गयी.शालिनी सोफे पे झुक कर घोड़ी बन गयी, और थोड़ा नीचे झुकते हुए उसने अपने गोरे चुतताड उपर उठा दिए. उसकी गुलाबी और गीली चूत और उठ गयी थी.
मैने अपने हाथ से उसके चुतताड सहलाने लगा. फिर मेने अपना लंड उसके चूत पर रख घिसने लगा. मेने गर्दन घुमा कर देखा कि शशांक और दिव्या मेरे बगल मैने खड़े एक दूसरे की नंगे बदन को सहला रहे थे, मगर उनकी आँखें मेरे लंड पे टिकी हुई थी. मेने अपने लंड को धीरे से शालिनी की चूत मैने घुसा दिया.
शालिनी की चूत काफ़ी गीली थी और एक बार वो झाड़ भी चुकी थी फिर भी मुझे बहोत ज़ोर लगाना पड़ रहा था उसकी चूत में लंड घुसाने में. इतनी किसी चूत थी उसकी. मेने एक ज़ोर का धक्का मार अपना लंड उसकी चूत की जड़ तक डाल दिया और उसे चोदने लगा.
मेने देखा की शशांक और दिव्या हमारे पास आगाये. दिव्या ने ठीक शालिनी के बगल मे सोफे पर लेट अपनी टाँगे फैला दी. उसकी चूत का मुँह और खुल गया था. उसकी गुलाबी चूत इतनी प्यारी थी और जैसे कह रही हो कि आओ मुझे चोदो. शशांक उसकी टाँगो के बीच आ अपना खड़ा लंड उसकी चूत पे घिसने लगा.
में शालिनी की चूत को पीछे से चोद रहा था इसलिए मुझे साफ और अच्छी तरह दिखाई दे रहा था कि शशांक किस तरह अपना लंड दिव्या की चूत पे रगड़ रहा था. शालिनी ने अपना एक हाथ बढ़ा शशांक के लंड को अपने हाथों में ले लिया और उसे दिव्या की चूत के मुँह पे रख दबाने लगी.
क्या नज़ारा था, एक औरत दूसरे मर्द से चुदवा रही थी और अपने पति का लंड उस मर्द की बीवी की चूत पे रगड़ उसे चोदने को कह रही थी. में उत्तेजना के मारे शालिनी के चुतताड पकड़ कस कस के धक्के लगा रहा था. शालिनी ने दिव्या की चूत को अपने हाथों से और फैला दिया और शशांक के लंड को ठीक वही पे रख दिया. शशांक ने इशारा समझ एक ही धक्के में अपना लंड पूरा पेल दिया.
शशांक मेरी बीवी दिव्या को ज़ोर के धक्को के साथ चोद रहा था और में उसकी बीवी शालिनी के चूत मे अपना लंड पेल रहा था. मेने अपने धक्को स्पीड बढ़ाई की शालिनी पीछे की ओर घूम कर बोली, “किशोर थोड़ा धीरे धीरे चोदो और अपनी बीवी को देखो.”
मेने देखा कि दिव्या की टांग मूड कर उसकी चुचियों पे थी और शशांक धीमे धक्को के साथ उसे चोद रहा था. उसका मोटा लंड वीर्य रस से लासा लाइट में चमक रहा था. इतने में शालिनी ने अपनी एक उंगली दिव्या की चूत में डाल अंदर बाहर करने लगी. शालिनी की उंगली और शशांक का लंड एक साथ दिव्या की चूत में आ जा रहे थे.
दिव्या भी पूरी उत्तेजना में अपने चुतताड उछाल शशांक के धक्को का साथ दे रही थी. इतनी ज़ोर दर चुदाई देख मेने भी अपने धक्को में तेज़ी ला दी. शालिनी भी अपने चुतताड पीछे की ओर धकेल ताल ताल से मिला रही थी. मेने अपनी एक उंगली शालिनी की चूत में डाल गीली की और फिर उसके गांद के छेद पे घुमा कर धीरे से अंदर डाल दी.
शालिनी सिसक पड़ी, “ओह किशोर कियेयीययाया कर रहे हो?” मेने उसकी बात पे ध्यान नही दिया और उसे ज़ोर से चोद्ते हुए अपनी उंगली उसकी गांद के अंदर बाहर करने लगा. अब उसे भी मज़ा आने लगा था. वहीं पर शशांक भी जम कर दिव्या की चुदाई कर रहा था. मेने शालिनी के शरीर को अकड़ता पाया, उसने मेरे लंड को अपनी चूत की गिरफ़्त में ले लिया.
में ज़ोर ज़ोर के धक्के लगा रहा था, मेरा भी पानी छूटने वाला था. मेने दो चार धक्के मारे और मेरे लंड ने शालिनी की चूत में बौछार कर दी, साथ ही शालिनी की चूत ने भी अपना पानी छोड़ दिया. में फिर भी धक्के मारे जा रहा था और अपनी बीवी दिव्या को देख रहा था, उसकी साँसे तेज थी और वो सिसक रही थी, “ओह आहह शशांक चोदो मुझे और जूऊओर से हााआअँ ऐसे ही छोड्ड्ड्ड्ड्ड्डो और ज़ोर सूऊऊ.”
में समझ गया कि दिव्या का समय नज़दीक आ गया है, उसने ज़ोर से अपने चुतताड उपर उठा शशांक के लंड को अपने गिरफ़्त मे ले अपना पानी छोड़ दिया. शशांक का भी काम होने वाला था उसने अपना लंड दिव्या की चूत से बाहर निकाल हिलाने लगा और फिर दिव्या के पेट और छाती पर अपने वीर्य की बरसात कर दी.
शशांक अपना लंड फिर उसकी चूत में घुसा धक्के मारने लगा. थोड़ी देर बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला तो वो दिव्या की चूत के पानी और खुद के सफेद वीर्य से लिथड़ा हुआ था. शशांकने थोड़ा साइड में हो अपना लंड दिव्या के मुँह में दे देता है. और शालिनी अपने आप को अड्जस्ट कर अपना मुँह दिव्या की चूत पर रख उसे चाटने लगी.
मेरे लंड फिर तनाव आ गया था और में ज़ोर के धक्को के साथ शालिनी को चोदे रहा था. शालिनी मेरी बीवी की चूत को चूस रही थी और दिव्या शशांक के लंड को. महॉल में काम की आग दहेक रही और तीनो उत्तेजना से भरे पड़े थे. दो चार कस्के धक्के मार मेने एक बार फिर अपना पानी शालिनी की चूत में छोड़ दिया.
दिव्या की चूत ने भी शालिनी के मुँह में अपना पानी छोड़ दिया वही दिव्या शशांक के लंड से छूटे पानी को पी रही थी. हम चारों पसीने में लठ पथ थे और साँसे तेज हो गयी थी. ऐसी जमकर चुदाई शायद सभी ने पहली बार की थी. हम सब लेट कर सुसताने लगे. शालिनी ने मुझे बाहों भर चूमते हुए कहा, “किशोर ऐसी चुदाई मेने आज पहली बार की है, तुम्हारे चोदने का अंदाज सही में निराला है.”
“शालिनी ये तो मुझे शशांक ने सिखाया कि तुम्हे किस तरह की चुदाई पसंद है.” मेने उसे चूमते हुए जवाब दिया. रात के 12.00 बज चुके थे और दूसरे दिन काम पर भी जाना था. शशांक और शालिनी खड़े हो अपने कपड़े पहनने लगे. कपड़े पहन दोनो ने हमसे विदा ली और अपने घर चले गये. में और दिव्या भी एक दूसरे को बाहों में ले सो गये.
अगले कुछ दीनो तक हमारी मुलाकात शशांक और शालिनी से नही हो पाई. उस रात की चुदाई ने हमारी सेक्स लाइफ को एक नया मोड़ दिया था. अक्सर रात को बिस्तर में हम उस रात की चर्चा करते और जमकर चुदाई करते. हम दोनो की इच्छा थी कि शशांक और शालिनी के साथ एक रात और गुज़ारी जाए.
तीसरे दिन शाम के 6.00 बजे शशांक हमारे घर आया. उसने बताया कि वो ऑफीस के काम इतना मशगूल था इसलिए हम लोगो से नही मिल पाया. बातचीत के दौरान मेने शशांक को बताया अगले वीकेंड पर में दिव्या गोआ घूमने जा रहे है. मेने शशांक से कहा, “शशांक तुम और शालिनी क्यों नही साथ चलते हो?”
शशांक कुछ देर सोचते हुए बोला में तय्यार हूँ पर हम लोग आपस में एक शर्त लगाते है. जो शर्त हार जाएगा उसे घूमने का सारा खर्च उठाना पड़ेगा बोलो मंजूर है.”
“पर शर्त क्या होगी?” मेने शशांक से पूछा.
“शर्त ये होगी कि अगले 10 दिन तक हम सफ़र तय्यारी करेंगे. इन 10 दीनो में हम चारों चुदाई गुलाम होंगे. हम दूसरे से कुछ भी करने को कह सकते हैं, जो पहले काम के लिए मना करेगा वो शर्त हार जाएगा.” उसने कहा.
दिव्या ये बात सुनते ही उछल पड़ी “मुझे मंजूर है.” जब दिव्या हां बोल चुकी थी तो में कौन होता था ना करने वाला बल्कि में तो तुरंत शालिनी के ख़यालों में खो गया कि में उसके साथ क्या क्या कर सकता हूँ, और अगर उसने इनकार किया तो छुट्टियाँ फ्री में हो जायगी, पर मुझे क्या मालूम था कि आगे क्या होने वाला है.
“ठीक है शशांक हमे मंजूर है.” मेने कहा.
“तो ठीक है हमारे शर्त कल सुबह से शुरू होगी.” कहकर शशांक चला गया.
मुझमे और शशांक में शर्त लग चुकी थी. अब हम अपनी ख्वाशे आज़माने का इंतेज़ार करने लगे. दूसरे दिन शशांक शाम को हमारे घर आया और शर्त को शुरू कर दिया. उसने दिव्या को अपने पास बुलाया, “दिव्या तुम अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ.”
दिव्या ने अपने पूरे कपड़े उतारे और नंगी हो गयी. शशांक ने उसकी चूत पे हाथ फिराते हुए कहा, “दिव्या पहले तुम अपनी झटें सॉफ करो, मुझे चूत पे बाल बिल्कुल भी पसंद नही है.”
दिव्या वहाँ से उठ कर बाथरूम में चली गयी. थोड़ी देर बाद दिव्या बाथरूम से बाहर निकल कर आई. मेने देखा की उसकी चूत एकदम चिकनी और साफ लग रही थी. बाल का नामो निशान नही था. शशांक ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसे चूमते हुए उसकी चूत में अपनी उंगली डाल दी.
“वाह क्या चूत है तुम्हारी!” कहकर शशांक अपनी दूसरी उंगली उसकी चूत में डाल अंदर बाहर करने लगा. “शायद में पहला व्यक्ति होऊँगा जो तुम्हारी बिना बालों की चूत को चोदेगा.” शशांक ने दिव्या को खड़ा किया और खुद खड़ा हो अपने कपड़े उतारने लगा. उसका खड़ा लंड शॉर्ट्स के बाहर निकल फुन्कर रहा था. दिव्या आगे बढ़ उसके लंड को अपने हाथों में ले सहलाने लगी.
दोनो एक दूसरे के अंगो को सहला रहे थे, भींच रहे थे. कमरे में मेरी मौजूदगी का जैसे किसी को अहसास नही था. “आज में तुम्हे चोदुन्गि कि तुम जिंदगी भर याद करोगे?” इतना कहकर दिव्या शशांक को खींच कर बिस्तर पे ले गयी. दिव्या ने शशांक को बिस्तर पर लिटा दिया. उसका लंड पूरा तन कर एक दम तंबू के डंडे की तरह खड़ा था.
दिव्या उसकी टाँगो को फैला बीच में आ गयी और उसके लंड को चूमने लगी. में पीछे खड़ा ये नज़ारा देख रहा था. दिव्या के झुकते ही उसकी गोरे चुतताड उप्पेर उठ गये थे और उसकी गुलाबी चूत साफ दिखाई दे रही थी. में देख रहा था कि दिव्या ने शशांक के लंड को अपने हाथों से पकड़ा उसके सूपदे को चाट रही थी. फिर उसने अपना पूरा मुँह खोल उसके लंड को अपने गले तक ले लिया.
इतना कामुक और उत्तेजित नज़ारा देखकर मुझसे रहा नही जा रहा था. मेरा लंड मेरी पॅंट में पूरा तन गया था. में भी अपने कपड़े उतार अपने लंड सहलाने लगा. दिव्या एक कामुक औरत की तरह शशांक के लंड की चुसाइ कर रही थी. शशांक ने जब मुझे अपने लंड से खेलते देखा तो कहा, “किशोर ऐसा करो तुम अपनी बीवी को थोड़ी देर चोद कर उसकी चूत को मेरे लंड के लिए तय्यार करो.?”
मुझे एक बार तो बहोत बुरा लगा कि एक दूसरा मर्द मुझे ही मेरी बीवी को चोदने के लिए अग्या दे रहा है पर लंड की अपनी भूक होती है और उपर से हमारी शर्त. में झट से दिव्या के पहुँचा और उसके चुतताड पकड़ एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी बिना बलों की चूत मे पेल दिया.
मेरे लंड के अंदर घुसते हुई दिव्या ने अपने चूतड़ और पीछे की ओर करते हुए मेरे लंड को और अंदर तक ले लिया. में ज़ोर के धक्के लगा दिव्या को चोद रहा था और वो हर धक्के साथ उतनी ही तेज़ी से शशांक के लंड को चूस रही थी. “किशोर लगता है अब दिव्या तय्यार हो गयी है.” शशांक ने दिव्या की चुचियों को मसल्ते हुए मुझे हटने का इशारा किया.
दिव्या ने अभी आखरी बार उसके लंड को चूम उठ कर घूम कर बैठ गयी. दिव्या ने अपने दोनो पाँव शशांक के शरीर के अगाल बगल रख बैठ गयी. उसकी पीठ शशांक की ओर थी और उसके चेहरा मेरे सामने था. दिव्या मुझे आँख मार थोड़ा सा उठी और शशांक का लंड अपने हाथों में ले उसे अपनी चूत पे रगड़ने लगी.
थोड़ी देर लंड को अपनी चूत पे रगड़ने के बाद वो एक हाथ से अपनी चूत का मुँह फैलाते हुए नीचे की और बैठने लगी. शशांक का पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में समा चुका था. अब दिव्या अपने दोनो चुचियों को पकड़ एक ब्लू फिल्म की अदाकारा की तरह उछल उछल कर शशांक को चोद रही थी.
जैसे ही वो उपर की ओर उठती तो उसकी छूट थोड़ा सुकड जाती और जब वो ज़ोर से उसके लंड पे बैठती तो चूत खुल कर लंड को अपने में समेट लेती. दोनो उत्तेजना में भर चुके थे, शशांक के हाथ उसकी कमर पर थे और धक्के लगाने में सहयता कर रहे थे.
उनके शरीर की अकड़न देख कर में समझ गया कि दोनो का पानी छूटने वाला है, इतने में शशांक ने दिव्या को रुकने के लिए कहा. दिव्या रुक गयी. शशांक उसे खींच अपनी छाती पे लिटा लिया. दिव्या अब शशांक की छाती पर पीठ के बल लेटी थी. शशांक ने दिव्या की टाँगो को सीधा कर फैला दिया जिससे उसका लंड चूत में घुसा हुआ साफ दिखाई दे रहा था.
“किशोर आकर अपनी बीवी की चूत को चूस्कर उसका पानी क्यों नही छुड़ा देते?” कहकर शशांक ने दिव्या की चूत को अपने हाथों से और फैला दिया. में अपने आपको रोक ना सका और उछल कर उन दोनो की टाँगो के बीच आ अपना मुँह दिव्या की चूत पे रख दिया. में ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को चूस रहा था और चाट रहा था. मेरी जीभ की घर्षण ने दोनो के बदन में आग लगा दी.
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थोड़ी देर में शशांक ने अपने चूतड़ उपर की ओर उठाई जैसे कि अपना लंड और उसकी चूत में जड़ तक समाना चाहता हो, में समझ गया कि उसका पानी छूटने वाला है. दिव्या ने भी अपनी चूत का दबाव शशांक के लंड पर बढ़ा अपना पानी छोड़ दिया. शशांक ने भी दिव्या की कमर को ज़ोर से पकड़ अपने वीर्य को उसकी चूत उंड़ेल दिया.
में दिव्या की चूत ज़ोर से चूसे जा रहा था और साथ ही साथ अपने लंड को रगड़ रहा था. जब शशांक के लंड ने अपना सारा पानी दिव्या की चूत में छोड़ दिया तो शशांक ने दिव्या को अपने से नीचे उतार दिया और मेरी तरफ देखते हुए कहा, “किशोर अब तुम दिव्या को चोदो?”
दिव्या मेरे सामने अपनी टाँगे फैलाए लेटी थी. उसकी गुलाबी चूत मेरे सामने थी साथ ही मुझे उसकी चूत से टपकता उसका अवाम शशांक का वीर्य साफ दिखाई दे रहा था. दूसरे के वीर्य से भीगी अपनी बीवी की चूत में लंड डालने का मेरा कोई इरादा नही था. जब शशांक ने मुझे हिचकिचाते हुए देखा तो इशारे से मुझे शर्त याद दिलाई. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मेरे पास कोई चारा नही था, इसलिए में दिव्या की टाँगो के बीच आ गया और एक ही धक्के में अपने खड़े लंड को उसकी चूत में जड़ तक समा दिया. मेने देखा मेरा लंड शशांक के वीर्य से लिथड़ा हुआ दिव्या की चूत के अंदर बाहर हो रहा था. दिव्या ने अपनी उखड़ी सांसो को सम्हाल अपनी आँखे खोल मुझे देख कर मुस्करा दी.
फिर उसने पलट कर शशांक की ओर देखा, शशांक उसकी और बढ़ कर उसके होठों को चूसने लगा. में अपनी बीवी को कस के चोदे जा रहा था और वो दूसरे मर्द के होठों का रास्पान कर रही थी. शशांक अब नीचे की और बढ़ कर उसकी एक चुचि को मुँह मे ले चूस रहा था.
इतने में शशांक झटके में उठा, “तुम दोनो एंजाय करो.” कहकर वो अपने कपड़े पहन वहाँ से चला गया. मेने दिव्या की ओर देखा, उसने अपनी टाँगे मोड़ अपनी छाती पर रख ली और अपनी उंगली को मुँह में गीला कर अपनी चूत में घुसा दी. में और तेज़ी से उसे चोदने लगा और वो अपनी उंगली से खुद को चोद रही थी.
मुझे पता था कि थोड़े ही देर में उसकी चूत फिर पानी छोड़ देगी और मेरा लंड उसकी चूत में पानी छोड़ देगा. थोड़ी ही देर में हम दोनो का शरीर अकड़ने लगा और दिव्या ने अपनी नसों के खींचाव से मेरे लंड को पूरा भींच लिया. उसकी चूत ने इतनी जोरों का पानी छोड़ा कि मुझे ऐसा लगा की मेरे लंड पर कोई बाँध खुल गया है.
मेने भी उसे जोरों से भींचते हुआ अपना वीर्य उगल दिया. हम दोनो आपस में शर्त तो लगा चुके थे, पर इस शर्त की हद कहाँ तक हमें ले जाएगी ये मुझे कुछ दिनो के बाद पता चला. मैने और दिव्या ने शशांक और शालिनी का अपने दोस्तों मे परिचय कराने के लिए एक छोटी सी पार्टी रखी थी.
मेने सोच लिया था कि मैं शालिनी वो सब करने को कहूँगा जो वो नही करना चाहती. अगर उसने ना कही तो में शर्त जीत जाउन्गा. पार्टी के दिन में ऑफीस में यही सोचता रहा और शाम तक मेने सब कुछ सोच लिया था कि मुझे क्या करना है.
शालिनी के ख्यालो में खोए हुए जब में शाम को घर पहुँचा तो मेरा लंड पूरा खंबे की जैसे तना हुआ था. दिव्या ने मुस्कुराते हुए दरवाज़ा खोला और मुझे बाहों मे भर चूम लिया. मेरा लंड उसकी चूत पे ठोकर मार रहा था. दिव्या ने दरवाज़ा बंद किया और घुटनो के बल बैठते हुए मेरी पॅंट के बटन खोलने लगी.
में दीवार का सहारा ले खड़ा हो गया और दिव्या मेरे लंड को बाहर निकाल चूसने लगी. वो मुझे ज़ोर ज़ोर से चूस रही थी और में उसके बालों को पकड़ अपने लंड पर उसके मुँह का दबा रहा था. थोड़ी देर मैने मेरे लंड उसके मुँह मे वीर्य छोड़ दिया जिससे वो सारा गटक गयी.
अपने होठों पे लगे मेरे वीर्य को अपनी जीभ से साफ करते हुए वो बोली, “किशोर जानते हो आज में बाज़ार से क्या लेकर आई हूँ?” इतना कह वो मुझे घसीट कर बेडरूम मे ले गयी. बेडरूम मे पहुँच मेने देखा कि बिस्तर पर एक बहोत ही काले रंग का 9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा डिल्डो पड़ा था.
दिव्या ने बताया कि वो ये डिल्डो शालिनी के साथ बाज़ार से लाई है. ये बॅटरी से चलता है. दिव्या इसे आजमाना चाहती थी, मेने ड्रॉयर से बॅटरी निकाल उसमे लगा दी. दिव्या बिस्तर पर लेट गयी और अपने गाउन को कमर तक उठा दिया और अपनी चूत को फैला दिया.
मेने देखा कि कई दीनो से दिव्या ने पॅंटी पहनना छोड़ दिया था. “में चाहती हू कि तुम इसे मेरी चूत में डालकर मुझे इससे चोदो.” कहकर दिव्या ने डिल्डो मेरे हाथों मे पकड़ा दिया. मेने पहले उसकी सफ़ा चट चूत को चूमा फिर डिल्डो को उसकी चूत के मुहाने पे रख दिया. डिल्डो मेरे लंड से भी मोटा था और में सोच रहा था कि वो दिव्या की चूत में कहाँ तक जाएगा.
में डिल्डो उसकी चूत पे रख अंदर घुसाने लगा. दिव्या अपनी टाँगे हवा में उठाए हुए थी. थोड़ी देर मैने ही पूरा डिल्डो उसकी चूत मे घुसा दिया. उसका ऑन का स्विच ऑन कर दिया. अब वो दिव्या को मज़े दे रहा था और उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी, “ओह अहह.”
इतने में ही फोन की घंटी बज़ी. दिव्या झट से बिस्तर पर से उठ फोन सुनने लगी. फोन पर उसकी फ्रेंड थी जो थोड़ी देर मे हमारे घर आ रही थी. दिव्या ने अपने कपड़े दुरुस्त किए और डिल्डो को बेड के साइड ड्रॉयर मे रख दिया. दरवाज़े की घंटी बज़ी और दिव्या अपने फ्रेंड को रिसीव करने चली गयी.
मेने भी रात के कार्यक्रम को अंजाम देने की लिए शालिनी का फोन मिलाया. उसने पहली घंटी पर ही फोन उठाया और हंसते हुए पूछा, “दिव्या को अपना नया खिलोना कैसा लगा?” मेने उसकी बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया. मेने उसे बताया कि उसे रात की पार्टी में टाइट ब्लॅक ड्रेस पहन कर आनी थी और उसे नीचे कुछ भी नही पहनना था.
ना ही किसी तरह की ब्रा और ना ही पॅंटी. और साथ ही संडले भी एक दम हाइ हील की होनी चाहिए. उसने बताया कि ऐसी ही एक ड्रेस उसके पास है. शालिनी ने पूछा कि उनके कुछ दोस्त उनके साथ रहने के लिए आ रहे है, क्या वो उन्हे साथ में पार्टी में ला सकती है. में उसे हाँ कर दी.
सब से पहले पहुँचने वालों में शशांक और शालिनी ही थे, वी करीब 7.00 बजे पहुँच गये थे. उनके साथ उनके दोस्त राकेश और दामिनी थे. दोनो की जोड़ी खूब जाँच रही थी. राकेश थ्री पीस सूट में काफ़ी हॅंडसम लग रहा था. और दामिनी का तो कहना ही क्या, उसने काले रंग की डीप कट ड्रेस पहन रखी थी जो उसके घुटनो तक आ रही थी.
गोरा रंग, पतली कमर और सुडौल टाँगे. दामिनी काफ़ी सुन्दर दिखाई दे रही थी. पर शालिनी को देख कर मेरी साँसे उपर की उपर रह गयी. जैसे मेने कहा था उसने लो कट की काले कलर की टाइट ड्रेस पहेन रखी थी. और वो दामिनी की ड्रेस से भी छोटी थी. उसके घुटनो से थोड़ा उपर की ओर तक. ड्रेस इतनी छोटी थी कि बिना ड्रेस को उपर किए उसकी साफ और चिकिनी चूत दिखाई दे सकती थी.
पता नही शालिनी ने कैसे हिम्मत की होगी बिना ब्रा और पॅंटी के ये ड्रेस पहनने की. दिव्या अपनी लाल ड्रेस में आई जो उसने इसी पार्टी के लिए नई खरीदी थी. सबका परिचय करने के बाद में अपने काम में जुट गया. में शालिनी को इशारा कर बार काउंटर की ओर बढ़ गया, और ड्रिंक्स बनाने लगा. जब में ड्रिंक्स बना रहा था तब शालिनी ने मेरे पीछे आ मेरे कान में कहा कि उसने वैसे ही किया जैसा मेने उसे करने को कहा था.
वो मेरे सामने आ अपनी टाँगे थोड़ी फैला खड़ी हो गयी, जैसे बताना चाहती हो कि वो सही कह रही है. मेने जान बुझ कर अपने हाथ में पकड़ा बॉटल ओपनर नीचे ज़मीन पर गिरा दिया. जैसे ही में वो ओपनर उठाने को नीचे झुका शालिनी ने अपनी ड्रेस उठा अपनी बालों रहित चूत को मेरे मुँह के आगे कर दिया.
उसके इस अंदाज़ ने मेरे लंड को तना दिया. में थोडा सा आगे बढ़ हल्के से उसकी चूत को चूमा और खड़ा हो गया. अच्छा हुआ मेरी इस हरकत को कमरे में बैठे लोगों ने नही देखा. धीरे धीरे लोग इकट्ठे होते जा रहे थे. शालिनी मेरे साथ मेरे पीछे खड़े मुझे ड्रिंक्स बनाने में सहायता कर रही थी.
बार की आड़ लेकर मुझे जब भी मौका मिलता में उसकी चुतताड और उसकी गांद पे हाथ फिरा देता. एक बार जब हमारी तरफ कोई नही देख रहा था तो उसने मेरा हाथ पकड़ अपनी चूत पे रख दिया और कहा, “किशोर मेरी चूत को अपनी उंगली से चोदो नो.”
मेरा लंड मेरी पॅंट में एक दम तन चुका था. अब में उसकी गर्मी शांत करना चाहता था. पहले दिव्या को उसके नई डिल्डो के साथ और अब पिछले 30 मिनिट उसके साथ खेलते हुए मेरा लंड पूरी तरह से तय्यार था. मेने दिव्या के तरफ देखा वो राकेश और दामिनी के साथ बातों मे मशगूल थी. शशांक भी दिव्या के ख़यालों मे खोया हुआ था.
ये उपुक्त समय था शालिनी को गेस्ट रूम मे ले जाकर चोदने का. मेने शालिनी से कहा, “तुम गेस्ट रूम मे चलो में तुम्हारे पीछे आता हूँ.” शालिनी बिना कुछ कहे गेस्ट रूम की ओर बढ़ गयी. मगर मेरा इरादा केवल शालिनी को चोदने का नही था बल्कि में चाहता था कि उसकी चुदाई शशांक अपनी आँखों से देखे.
में उसके पास गया और उसे साइड मे ले जाकर उससे कहा, शशांक आज मे तुम्हारी बीवी की गांड मारूँगा और में चाहता हूँ कि तुम ये सब अपनी आँखों से देखो. ऐसा करना तुम खिड़की के पीछे छिप कर सब देख सकते हो, मेने खिड़की के पट थोड़े खुले छोड़ दिए है.” इतना कहकर में गेस्ट रूम की तरफ बढ़ गया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
में कमरे मे पहुँचा तो शालिनी मेरा इंतेज़ार कर रही थी. मेने दरवाज़ा बंद किया और उसे बाहों मे भर उसके होठों को चूमने लगा. मेने उसके बदन को सहलाते हुए उसकी पीठ पर लगी ज़िप खोल दी, “शालिनी अपनी ड्रेस उतार दो.” शालिनी ने अपनी ड्रेस उतार दी. उसने नीचे कुछ नही पहना था.
अब वो नंगी खड़ी मेरी ओर देख रही थी. शालिनी नंगी इतनी सुंदर लग रही थी कि किसी भी मर्द को मदहोश कर सकती थी. मेने अपने दोनो हाथों से उसकी चुचियाँ पकड़ कर उसे अपने नज़दीक खींच लिया, और उसके कान में फुसफुसाया, “शालिनी आज में तुम्हारी गांद मारना चाहता हूँ.”
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुरा दी और कहा, “किशोर में पूरी तरह से तुम्हारी हूँ. तुम्हारा जो जी चाहे तुम कर सकते हो.” शालिनी अब घुटनो को बल बैठ कर मेरी पॅंट के बटन खोलने लगी. बटन खुलते ही मेरा लंड फुन्कर मार बाहर निकल आया. शालिनी बड़े प्यार से उसे अपने मुँह मे ले चूसने लगी. वो इतने प्यार से चूस रही थी जैसे वो मेरे लंड को अपनी गांड के लिए तय्यार कर रही हो.
मेने अपनी जिंदगी में कभी किसी औरत की गांद नही मारी थी. मेने कई बार दिव्या को इसके लिए कहा पर हर बार उसने सॉफ मना कर दिया. एक बार मेरे काफ़ी ज़िद करने पर वो तय्यार हो गयी. पर मेरी किस्मत जैसे ही मेने अपना लंड उसकी गांड मे घुसाया वो दर्द के मारे इतनी ज़ोर की चीखी, के घबरा कर मेने अपना लंड बाहर निकाल लिया. उसके बाद मेने दुबारा कभी इस बात की हिम्मत नही की.
मगर आज लग रहा था कि मेरी बरसों की मुराद पूरी होने वाला है. मेने बिना समय बिताई अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया और शालिनी से कहा, “बैठो अब तुम मेरे लंड को अपनी गांड के लिए तय्यार करो?” वो खड़ी हो गयी और मेरे लंड को पकड़ मुझे बाथरूम की तरफ घसीटने लगी, “किशोर तुम्हारे पास कोई क्रीम है.”
बाथरूम में पहुँच कर मेने स्टॅंड पर से वॅसलीन की शीशी उठा उसे दे दी. मेने सब तय्यारी कल शाम को ही कर ली थी. शालिनी मुस्कुराते हुए शीशी मे से थोड़ी क्रीम ले मेरे लंड पर मसल्ने लगी. मेरे लंड मसल्ते हुए वो मेरे सामने खड़ी बड़ी कामुक मुस्कान के साथ मुझे देखे जा रही थी.
शालिनी शायद समझ चुकी थी कि मेने अपनी ज़िंदगी मे कभी किसी की गांद नही मारी है. उसने हंसते हुए मुझे बताया कि गांद मरवाने में उसे बहोत मज़ा आता है. उसने बताया कि शशांक भी अक्सर उसकी गांड मारते रहता है. जब मेरा लंड क्रीम से पूरा चिकना हो चुक्का था तो उसने क्रीम की शीशी मुझे पकड़ा कर घूम कर खड़ी हो गयी.
शीशे के नीचे लगे शेल्फ को पकड़ वो नीचे झुक गयी और अपनी गांद मेरे सामने कर दी. शालिनी ने शीशे में से मेरी और देखते हुए अपने टाँगो को थोड़ा फैला दिया जिससे उसकी चूत और खुल गयी. शालिनी मेरी ओर देखते हुए बोली, “किशोर अब इस क्रीम को मेरी गान्ड पर अछी तरह चुपद कर मेरी गांड को भी चिकना कर दो?”
मेने थोड़ी सी क्रीम अपनी उंगलियों पे ली और उसके गांड पे मलने लगा. जैसे ही मेरी उंगलियों ने उसके गांड को छुआ वो एक मादक सिसकारी लेते हुए अपने सिर को अपने हाथों पे रख दिया, “किशोर अब तुम अपनी एक उंगली मेरी गांड मे डाल दो और उसे गोल गोल घूमाओ.”
में अपनी एक उंगली उसकी गांड मे डाल गोल गोल घुमाने लगा. थोड़ी देर बाद उसने कहा, “अब तुम थोड़ी और क्रीम अपनी उंगली पे ले अपनी दो उंगलिया मेरी गांड मे डाल अंदर बाहर करने लागो.” उसने जैसा कहा मेने वैसा ही किया. मुझे बहोत मज़ा आ रहा था, एक किसी की बीवी की गांद मरने का मौका उप्पर से वो ही मुझे सीखा रही थी कि गांड कैसे मारी जाती है. काश शशांक ये सब देख पता कि कैसे मेरी दो उंगलियाँ उसकी बीवी की गांड मे अंदर बाहर हो रही थी.
थोड़ी देर बाद जब उसकी गांड पूरी तरह से चिकनी हो गयी थी, “किशोर अब तुम मेरी गांड मार सकते हो, ये तुम्हारे लंड के लिए पूरी तरह से तय्यार है.” मेने उसे सीधा किया और अपनी गोद मे उठा उसे बिस्तर पे ले आया. मेने कनखियों से खिड़की की तरफ देखा तो मुझे शशांक की परछाई दिखाई दी. मेने शालिनी को इस अंदाज़ मे घुटनो के बल बिस्तर पर लिटाया की उसकी गांद खिड़की की तरफ हो और शशांक को सब कुछ साफ नज़र आए.
शालिनी बिस्तर पर पूरी तरह अपनी छातियों के बल लेट गयी जिससे उसकी गान्ड और उपर को उठ गयी थी. में उसकी टाँगो के बीच आ गया और अपना खड़ा लंड उसकी गांड के गुलाबी छेद पे रख थोड़ा सा अंदर घुसा दिया. जैसे ही मेरा लंड का सूपड़ा उसकी गांड के छेद में घुसा उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी, “ऊऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई मर गयी”.
शालिनी ने अपने दोनो हाथ पीछे कर अपने चूतड़ पकड़ अपनी गांड को और फैला लिया. उसकी गांड और मेरा लंड पूरी तरह से क्रीम से सने हुए थे. मेने उसके चुतताड को पकड़ अपने लंड को और अंदर घुसाया, पर उसकी गांड इतनी कसी हुई थी की मुझे अंदर घुसाने में तकलीफ़ हो रही थी.
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शालिनी ने अपने चूतड़ और फैला दिए, “किशोर थोड़ा धीरे और प्यार से घुसाओ.” मेने अपने लंड को बड़े धीरे से उसकी गांड मे घुसाया तो मुझे लगा कि उसकी गांद के दीवारें और खुल रही है और मेरे लंड के लिए जगह बना रही है. मुझे ऐसा लगने लगा कि मे उसकी गांड मे लंड नही डाल रहा हूँ बल्कि उसकी गांड मेरे लंड को निगल रही है. थोड़ी ही देर में मेरा पूरा लंड उसकी गांड मे समाया हुआ था.
अब मे अपने लंड को उसकी गांड मे धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहा था. में अपने लंड को बाहर खींचता और जब सिर्फ़ सूपड़ा अंदर रहता तो एक ही धक्के मे अपना लंड उसकी गांड मे पेल देता. शालिनी भी अपने चुतताड को पीछे की और धकेल मज़ा ले रही थी, “आआआआण ऱाआआआआआज़ डाळ्ळ्ळ दो अपनीईए लुंद्द्द्दद्ड को मेरी गाआाअंड मे. फ़ाआड़ दो इसे. लगाओ ज़ोर के धककककककके.”
मुझे भी जोश आता जा रहा था. मेने शालिनी के कंधो को पकड़ उसे और अपने से चिपटा लिया. अब मेरा मुण्ड और गहराइयों तक उसकी गांड मे जा रहा था. में जैसे ही अपना लंड और घुसाता वो अपने को और मेरे बदन से चिपका लेती. में इसी अवस्था में अपने लंड को उसकी गांड के अंदर बाहर कर रहा था कि मेने उसके हाथों को अपने आन्द्वों पे महसूस किया.
वो धीरे धीरे मेरे गोलों को सहला रही थी. उसके हाथों की गर्मी मुझमे और उत्तेजना भर रही थी. मेरा लंड अब तेज़ी से उसकी गांद के अंदर बाहर हो रहा था. मुझे मालूम था कि मेरा छूटने का समय नज़दीक आता जा रहा है. पर शायद उसका पानी नही छूटने वाला था, उसने अपना हाथ मेरे आंडो पे से हटा अपनी चूत को रगड़ने लगी. मे और ज़ोर से धक्के मार रहा था.
जब उसका छूटने का समय नज़दीक आया तो वो अपनी दो उंगलियाँ अपनी चूत मे डाल कर अंदर बाहर करने लगी और चीखने लगी, “हाआआं मरो मेरी गाअंड को और ज़ोर सीईईई. राआआआअज चोद दो अपना पूरा पानी मेर्रर्र्र्ररी चूऊऊथ मे.” में ज़ोर से उसकी गांड मे अपना लंड पेले जा रहा था.
बहुत ही दिलकश नज़ारा था, जब मेरा लंड उसकी गांड से निकलता तो उसका छेद सिकुड जाता और जब मे पेलता तो और खुल जाता. में ज़ोर के धक्के लगा रहा था. मेने महसूस किया कि उसका शरीर आकड़ा और उसकी गान्ड ने मेरे लंड को अपनी गिरफ़्त मे ले लिया. में समझ गया कि उसका पानी छूट रहा है.
मेने ज़ोर का धक्का लगाया और मेरे लंड ने भी अपने वीर्य की पिचकारी उसकी गांद मे छोड़ दी. जैसे ही मेरा लंड वीर्य उगलता मे अपने लंड को और उसके जड़ तक समा देता. मुझे आज पहली बार एहसास हुआ की गांड मारने मे कितना मज़ा आता है. में शालिनी की गांड मे अभी भी अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था.
उसकी गांड क्रीम और मेरे वीर्य से इतनी गीली हो चुकी थी की मुझे अपना लंड जड़ तक घुसने मे कोई तकलीफ़ नही हो रही थी. पर हमें नीचे पार्टी में भी शामिल होना था, इसलिए मेने अपना लंड धीरे धीरे उसकी गांद से निकालना शुरू किया.
जब मेरा लंड उसकी गांड से बाहर निकल आया तो शालिनी ने घूम कर मुझे चूम लिया, “में जानती हूँ तुमने आज पहली बार किसी की गांड मारी है और तुम्हे खूब मज़ा आया है. मुझे भी मज़ा आया है, आज के बाद तुम जब चाहो मेरी गांड मार सकते हो.”
शालिनी के इन शब्दों ने जैसे मेरे मुरझाए लंड मे जान फूँक दी. मेरे लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया. में समझ गया कि मुझे शालिनी की गांड मारने का और मौका भविष्या मे मिलेगा. मेने और शालिनी ने अपने आप को टवल से साफ किया और अपने कपड़े पहन लिए.
में शालिनी से पहले पार्टी में पहुँचा तो मेरा सामना शशांक से हो गया, “लगता है तुम्हारी और शालिनी में अच्छी ख़ासी जमने लगी है. अब मेरा समय है कि में दिव्या के सेक्स ज्ञान को और आगे बधाउ.” शशांक अब दिव्या को खोज रहा था. दिव्या कमरे के एक कौने मे खड़ी राकेश और दामिनी से बातें कर रही थी.
हक़ीकत में राकेश बार स्टूल पे बैठा था और दिव्या उसके पास एक दम सत कर खड़ी थी. राकेश के दोनो हाथ उसकी कमर पर थे. मैने देखा कि शशांक दिव्या के पास गया और उसके कान में कुछ कहा. दिव्या उसकी बात सुनकर राकेश से बोली, “सॉरी, में अभी आती हूँ.” कहकर वो गेस्ट रूम की ओर बढ़ गयी.
शशांक मेरी तरफ आया और कहा, “अब तुम्हारी बारी है देखने की.” कहकर वो गेस्ट रूम की ओर बढ़ गया. एक बार तो मेरी समझ में नही आया कि में क्या करूँ फिर में भी उसके पीछे बढ़ गया. में भी देखना चाहता था कि वो मेरी बीवी के साथ क्या करता है.
शशांक के जाते ही में भी उसके पीछे जा खिड़की के पीछे वहीं छुप गया जहाँ थोड़ी देर पहले शशांक खड़ा था. शशांक और दिव्या कमरे में पहुँच चुके थे, और दिव्या उसे राकेश और दामिनी के बारे में बता रही थी. दिव्या बता रही थी राकेश कितना हासमुख इंसान था उसके किस तरह जोक्स सुना कर हंसा रहा था.
शशांक ने दिव्या से पूछा, “क्या तुम्हे राकेश अच्छा लगता है?”.
“हाँ राकेश एक अच्छा इंसान है और दामिनी भी. दोनो काफ़ी अच्छे है.” दिव्या ने जवाब दिया.
“नही सच बताओ क्या तुम राकेश से चुदवाना चाहती हो, मुझे और शालिनी को मालूम होना चाहिए. हम लोग पिछले साल भर से दोस्त है और तुम्हे नही मालूम राकेश कितनी अछी चुदाई करता है.” शशांक ने कहा.
दिव्या ने उसकी बात कोई जवाब नही दिया पर वो इतना ज़रूर समझ गयी शशांक और शालिनी आपस में राकेश और दामिनी के साथ चुदाई करते है. दिव्या ने शशांक को बाहों मे भर लिया और उसके होठों को चूमने लगी. शशांक ने भी उसे बाहों भर अपना एक हाथ उसकी ड्रेस के अंदर डाल दिया. “तो आज तुमने भी पॅंटी नही पहन रखी है.” कहकर वो उसके चुतताड सहलाने लगा.
हे भगवान में शालिनी में इतना खोया हुआ था कि मुझे इस बात का पता ही नही चला कि मेरी बीवी बिना पॅंटी के इतनी देर से पार्टी में घूम रही है.
“तो तुम्हे तुम्हारा नया खिलोना कैसा लगा. शालिनी के पास भी वैसा ही खिलोना है, और उसे बहोत पसंद है. क्या तुम उसे ट्राइ कर चुकी हो?” शशांक ने उसके कुल्हों को भींचते हुए कहा.
“कुछ खास अच्छी तरह से नही.” दिव्या ने जवाब दिया.
शशांक ने उसे अपना नया डिल्डो लाने को कहा. दिव्या अपने बेडरूम से उसे लाकर शशांक को पकड़ा दिया. शशांक ने दिव्या को कमरे मे पड़ी एक आराम कुर्सी पर बिठा दिया. शशांक अब जोरो से उसे चूमने लगा. मेने देखा कि उसका एक हाथ उसके टाँगो को सहलाते हुए अब उसकी जाँघो पर रैंग रहा था. फिर उसने उसकी दोनो टाँगो को थोड़ा फैला दिया जिससे उसकी चूत पूरी तरह खुल कर नज़र आने लगी.
मेरी बीवी कुर्सी पर और पसर गयी और अपने टाँगे और फैला दी जिससे शशांक को आसानी हो सके. शशांक ने उसकी टाँगो को उपर उठा कर कुर्सी के हथे पे रख दिया. जैसे ही शशांक ने अपना मुँह उसकी चूत का स्वाद लेने के लिए बढ़ाया दिव्या उसकी और कामुक नज़रों से देखने लगी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कुर्सी ठीक खिड़की के बगल मे थी इसलिए मुझे अंदर का नज़ारा साफ दिखयी पड़ रहा था कि, किस तरह शशांक मेरी बीवी की चूत को चट रहा था. शशांक चूत चाटने मे माहिर था और थोड़ी ही देर में दिव्या के मुँह से सिसकारी गूंजने लगी. शशांक ने अब अपनी दो उंगलिया अपनी जीब के साथ दिव्या की चूत मे डाल दी, और अंदर बाहर करने लगा.
करीब 15 मिनिट तक उसकी चूत को चाटने के बाद शशांक उठा और डिल्डो को ले आया और उसका बटन ऑन कर उसे चालू कर दिया. मेरी बीवी कुर्सी पर पसरी हुई कामुक नज़रों से शशांक को देख रही थी. वो जानती थी की एक दूसरा मर्द अब उसकी चूत में एक खिलोने को डालने वाला है.
शशांक घुटने को बल बैठ दिव्या की टाँगो के बीच आ गया और उसकी गीली हो चुकी चूत में डिल्डो को डालने लगा. उसने धीरे धीरे अंदर घुसाया और अब वो प्लास्टिक का खिलोना दिव्या की चूत मे पूरा घुस चुका था. डिल्डो की हरकत का असर मेरी बीवी के चेहरे पे साफ दिखाई दे रहा था, वो अपनी टाँगो को पूरा भींच डिल्डो का मज़ा लेने लगी.
मेरा लंड भी ये सब देख एक बार फिर तन चुक्का था, जबकि 20 मिनिट पहले ही में शालिनी की गांड में झाड़ कर अलग हुआ था. शशांक अब खड़ा होकर अपने पॅंट के बटन खोलने लगा. वो दिव्या के चेहरे के पास आ अपना एक घुटना कुर्सी के हथे पे रख दिया. उसका लंड दिव्या के चेहरे पे झटके मार रहा था. दिव्या ने मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखा और अपना मुँह खोल उसके लंड को अंदर ले लिया.
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“दिव्या में चाहता हूँ की तुम मेरा लंड ठीक उसी तरह चूसो जैसे तुमने पहली बार चूसा था. एक हाथ से मेरे लंड को चूसो और दूसरे हाथ से मेरी गोलियाँ को सहलाओ. सच में बहोत मज़ा आया था जब तुमने ऐसा किया था. दिव्या ने वैसा ही कर उसके लंड को जोरो से चूस रही थी. दोनो की गहराती होती साँसे और बदन की हरकत बता रही थी को दोनो ही छूटने के करीब है.
एक तो दिव्या की चूत मे डिल्डो की हरकत उपर से शशांक का लंड. दिव्या उत्तेजित हो शशांक के लंड को अपने गले मे ले चूस रही थी. शशांक भी उसके मुँह मे लंड पूरा अंदर दे चोद रहा था. अचानक बिना बताए शशांक ने अपना लंड उसके मुँह से निकाला और अपना पानी दिव्या की चुचियों पर और चेहरे पे छोड़ दिया.
में तीन फुट की दूरी पर खड़ा देख रहा था कि आपत्ति जताने के बजाए दिव्या उस के पानी को अपने पूरे चेहरे पे रगड़ने लगी. फिर उसके रस से भरी अपनी उंगलियों को चाटने लगी. उसकी हरकत ने मेरे लंड में जोश भर दिया और में अपने लंड को पॅंट के उपर से रगड़ने लगा.
जब शशांक का पूरा वीर्य झाड़ गया तो वो उठ कर खड़ा हो गया. दिव्या अब भी कुर्सी पर लेटी हुई डिल्डो का मज़ा ले रही थी. शशांक ने दिव्या का हाथ पकड़ उसे उठाया और बाथरूम मे ले गया. मेने देखा कि वो एक दूसरे को साफ कर रहे थे. बाथरूम से बाहर आकर शशांक ने अपने कपड़े ठीक किए पर जब दिव्या अपने ड्रेस देखने लगी तो पाया कि शशांक के वीर्य के धब्बे उसकी ड्रेस पर भी गिर पड़े थे.
दिव्या को उदास देख शशांक ने कहा, “डियर उद्दास नही होते, ऐसा करो जो उस रात तुमने ड्रेस पहनी थी वही पहन लो, तुम पर वो ड्रेस खूब जाँच रही थी.”
दिव्या बेडरूम में गयी और अपनी टाइट जीन्स और टॉप पहन का आ गयी. शशांक ने उसे बाहों में भर लिया और उसकी ड्रेस की पीठ की ज़िप खोल दी. उसका टॉप शशांक उतार दिया फिर उसे घुमा कर उसकी जीन्स के बटन खोल दिया. उसकी जीन्स नीचे गिर गयी और दिव्या ने उसे पाओ से निकाल दी. माइक दिव्या को लेजाकार उसी कुर्सी के पास खड़ा कर दिया.
शशांक कुर्सी पर बैठ गया और मेरी बीवी उसके सामने नंगी खड़ी थी. उसकी चूत एक दम फूली हुई लग रही थी कारण की वो डिल्डो अभी भी उसकी चूत मे घुसा हुआ था. जैसे ही दिव्या वो डिल्डो बाहर निकालने के लिए अपना हाथ बढ़ाया, “तुम्हे इसे बाहर निकालने की इज़्जजत किसने दी.” अब ये साफ हो गया था शशांक चाहता था कि वो डिल्डो उसकी चूत मे ही घुसा रहे.
शशांक ने अब उसकी जीन्स अपने हाथों मे ले ली. उसके बदन को सहलाते हुए वो उसे जीन्स पहनाने लगा. दिव्या ने भी अदा से पहले अपनी एक टांग उसमे डाली फिर दूसरी. इसी दौरान एक बार डिलिडो उसकी चूत से फिसलने लगा तो शशांक वापस उसे पूरा अंदर घुसा दिया.
दिव्या ने अपनी टाइट जीन्स उपर खींच उसके बटन बंद करने लगी. पर उसके काफ़ी तकलीफ़ हुई कारण डिल्डो जो उसकी चूत मे घुसा हुआ था. उसने अपना रेड टॉप भी पहन लिया. इतनी टाइट जीन्स मे वो बहोत सेक्सी लग रही थी. शशांक और दिव्या पार्टी मे जाने को तय्यार हो गये.
में भी खिड़की से हटा और हॉल मे आ गया. शराब और शबाब जोरो से चल रही थी. किसी ने ध्यान नही दिया की तीन लोग इतनी देर पार्टी से गायब थे. में शालिनी के पास आ गया जो राकेश और दामिनी के साथ बातें कर रही थी. जैसे ही शशांक और दिव्या हॉल में आए में अपने आपको उसकी चूत के तरफ देखने से नही रोक पाया.
सिर्फ़ में जानता था की उसकी चूत में एक डिल्डो घुसा हुआ है. उसकी जीन्स उस जगह से थोड़ी उठी हुई थी ये मुझे साफ दिखाई पड़ रहा था. पता नही और किस किस का ध्यान इस बात की ओर जाता है. दिव्या मेरे पास आई और गले में बाहें डाल कर मेरे होठों को चूम लिया. ऐसा वो सबके सामने करती नही थी पर शायद एक तो चूत में डिल्डो और दूसरा उसकी चूत ने अभी तक पानी नही छोड़ा था इसलिए उसके शरीर में उत्तेजना भरी हुई थी. मेने अंजान बनते हुए दिव्या से पूछा, “तुमने कपड़े क्यों बदल लिए?”
“बस कपड़ों पर कुछ गिर गया था.” दिव्या ने जवाब दिया. कम से कम वो झूठ तो नही बोल रही थी. इतने मे शशांक ने मेरी तरफ मुस्कुरा के देखा. उसकी आँखों मे एक शैतानी चमक थी. में समझ गया कि आज रात बहोत कुछ होने वाला है.
करीब एक घंटे तक दिव्या इस तरह पार्टी में चारों तरफ घूमती रही जैसे कुछ हुआ ही ना हो. चूत मे डिल्डो लिए एक अच्छे मेहमान नवाज़ की तरह सब से मिल रही थी. सबको ड्रिंक्स, स्नॅक्स सर्व कर रही थी. मुझे पता थी कि उसकी चूत में आग लगी हुई है और वो कभी भी पानी छोड़ सकती है.
इतने में शालिनी मेरा हाथ पकड़ अपने साथ डॅन्स करने के लिए ले आई. हम हॉल क एक कोने में डॅन्स कर रहे थे जहाँ ज़्यादा लोग हमारे पास नही थे. में मौके का फ़ायदा उठा अपना हाथ उसकी ड्रेस में डाल उसकी चूत से खेलने लगा.
शालिनी ने मेरे कान में फुसफुसते हुए कहा, “किशोर में जानती हू शशांक ने दिव्या के साथ क्या किया है. ये उसका पुराना खेल है. वो दिव्या की ऐसी हालत कर देगा कि वो अपनी चूत का पानी छुड़ाने के लिए कुछ भी करने को तय्यार हो जाएगी. पता नही शशांक के दिमाग़ में क्या शरारत भरी हुई है.
इतने में राकेश ने मेरी बीवी से डॅन्स करने के लिए कहा. दिव्या ने शशांक की ओर देखा और शशांक ने आँख से इशारा करते हुए उसे जाने को कहा. मेने देखा की दिव्या का बदन मारे उत्तेजना के कांप रहा था. वो बड़ी मुश्किल से अपने आपको रोक रही थी.
इतने में दामिनी ने भी मुझे डॅन्स करने के लिए कहा. में समझ गया कि ये इशारा शशांक ने उसे किया है. अब हम चारों राकेश के पास आ डॅन्स करने लगे. में समझ गया कि शशांक के मन में सामूहिक चुदाई का प्रोग्राम है. दामिनी इतनी सेक्सी और गरम थी कि मेने उसे चोदने का पक्का मन बना लिया था, पर मुझे दिव्या का नही पता था कि वो राकेश से चुड़वागी की नही.
पर मुझे इसकी चिंता नही थी. मुझे पता था कि दिव्या की चूत में इतनी देर से डिल्डो होने की वजह से उसकी चूत की हालत खराब हो चुकी होगी. दिव्या अपनी चूत का पानी छोड़ने के लिए अब किसी घोड़े से भी चुदवा सकती है. दामिनी ने मेरी तरफ कामुक निगाह से देखा और कहा, “किशोर आज तक में शशांक जैसे मर्द से नही मिली. वो चुदाई की कलाओं में इतना माहिर है कि वो किसी औरत को कोई भी मर्द से चुदवाने को उकसा सकता है.”
समझ गया कि वो दिव्या की बात कर रही है. हम चार जने ही फ्लोर पर डॅन्स कर रहे थे. दामिनी ने धीरे से मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पे रख दिया. जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत को छुआ में चौंक कर उछल पड़ा. उसकी भी चूत में एक डिल्डो घुसा हुआ था.
“ये ठीक वैसा ही है जैसा तुम्हारी बीवी की चूत में घुसा हुआ है.” उसने मेरे हाथों का दबाव अपनी चूत पे बढ़ाते हुए कहा. में समझ कि ये सब शशांक का काम है. उसने दो औरतों को इतना उत्तेजित कर दिया था कि वो चुदवाने के लिए कुछ भी कर सकती थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
नाचते हुए में दिव्या और राकेश की ओर देखा. राकेश का एक हाथ मेरी बीवी को चूत पर था और वो उस डिल्डो और अंदर तक उसकी चूत मे घुसा रहा था. फिर मेने देखा कि दिव्या उसका हाथ पकड़ उसे हॉल के बाहर ले जा रही है. में सोच रहा था कि पता नही अब आगे क्या होने वाला है? में भी दामिनी को अपने साथ ले उनके पीछे चल दिया.
दिव्या और राकेश कमरे में पहुँचे. और उनके पीछे पीछे शशांक और शालिनी फिर में और दामिनी भी कमरे में आ गये. अब ये बात सबपे खुलासा हो चुकी थी कि आज सब एक दूसरे की चुदाई करेंगे. दामिनी मेरे पास आकर मुझसे सॅट कर खड़ी हो गयी. उसकी आँखों में भी उत्तेजना के भाव थे.
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लगता था कि शशांक ने उसे भी डिल्डो को छूने की मनाही की हुई थी. बॅटरी पे चलता रिमोट उसकी चूत में आग लगाए हुए था. पता नही शशांक ने क्या जादू इन दोनो पे किया हुआ था. शशांक ने भी शायद उनकी आँखों मे छुपी वेदना को पढ़ लिया था, “तुम दोनो चिंता मत करो आज तुम दोनो की चूत से पानी की ऐसे बौछार छूतेगी जैसे इस कमरे में बढ़ आ गयी हो. आज तुम को चुदाई का वो आनंद आएगा कि तुम दोनो जीवन भर याद करोगी.”
“लेकिन दिव्या की पहली बारी है, क्योंकि आज की दावत उसकी तरफ से थी. लेकिन ये बाद मे पहले में चाहता हूँ कि दिव्या अपने क़ाबिले तरीफ्फ मुँह से राकेश के लंड से एक एक बूँद पानी निचोड़ ले. लेकिन वो अपनी जीन्स नही उतारेगी और नही अपनी चूत पर हाथ रख सकेगी.
अगर राकेश ने इसके काम की तारीफ की तो मे इस विषय पर सोचूँगा. किशोर और दामिनी खड़े होकर उन्हे देख सकते है लेकिन यही बात दामिनी पर भी लागू होती है. तब तक में और शालिनी मेहमानो का ख़याल रखेंगे. जब राकेश का काम हो जाए तो किशोर मेरे पास आगे क्या करना है पूछ सकता है.” इतना कहकर शशांक और शालिनी वापस हॉल में चले गये.
दिव्या राकेश का हाथ पकड़ उसे गेस्ट बेडरूम मे ले गयी. मुझे विश्वास नही आ रहा था कि थोड़े दिन पहले तक जो औरत ने सिवाय मेरे किसी से नही चुडवाया था आज वो फिर एक गैर मर्द का लंड चूसने जा रही है. मेने मूड कर दामिनी की तरफ देखा उसकी भी हालत खराब थी. दामिनी भी रूम की तरफ बढ़ी तो में उसके चुतताड को देखने लगा.
कितने गोल और भरे हुए थे. में जानता था कि उसकी चूत मे डिल्डो होने की वजह से वो अपनी टाँगे सिकोड कर चल रही थी. जैसे ही हम रूम मे पहुँचे मेने दरवाज़ा लॉक कर दिया. दिव्या उत्तेजना मे इतनी पागल थी की बिना समय बिताए वो घुटने के बल बैठ कर राकेश की जीन्स के बटन खोलने लगी.
वो जानती थी कि जितनी जल्दी वो राकेश का लंड चूस कर उसका पानी छुड़ाएगी उतनी जल्दी ही उसकी चूत को पानी छोड़ने का मौका मिलेगा. दिव्या ने जल्दी जल्दी राकेश की जीन्स के बटन खोले और उसकी जीन्स और अंडरवेर को नीचे खिसका दिया. जैसे कोई साँप बिल के बाहर आ गया हो उस तरह उसका 10″ इंची लंड जो 3″ मोटा होगा फुन्कर कर खड़ा हो गया. दिव्या उस विशालकाय लंड को अपने हाथों मे ले सहलाने लगी.
पर देखने लायक उसके लंड की दो गोलियाँ थी जो टेन्निस बॉल की तरह नीचे लटकी हुई थी. इतनी बड़ी और भरी हुई थी कि शायद पता नही कितना पानी उसमे भरा हुआ है. दिव्या अब उसके लंड को ज़ोर से रगड़ रही थी. उसे पता था कि उसका पति और राकेश की बीवी उसे देख रहे है.
में जानता था कि दिव्या के घुटनो के बल बैठते ही डिल्डो और अंदर तक उसकी चूत में घुस गया था. दिव्या ने अपनी ज़ुबान बाहर निकली और उसके लंड के सूपदे पे घूमने लगी. मेरे और दामिनी के शरीर में गर्मी बढ़ती जा रही थी. दामिनी ने मेरी गले में बाहें डाल मेरे होठों को चूसने लगी. उसके जिस्म मे फैली आग और बदन से उठती खुश्बू मुझे पागल कर रही थी. मेने भी उसे सहयोग दे अपनी जीब उसके मुँह में डाल घूमने लगा.
में उसके होठों और जीब को चूस रहा था तो वो अपनी टाँगे फैला मुझसे बोली, “किशोर मेरे बदन को सहलाओ ना प्लीज़.” मेने उसकी ड्रेस के सामने की ज़िप को नीचे कर दिया और उसकी चुचियों को बाहर निकाल लिया. उसके निपल इतने काले थे कि क्या बताउ. मेने उसकी एक चुचि को अपने हाथों मे पकड़ रगड़ने लगा और चूसने लगा.
उसके शरीर की कपन बता रही थी कि उसने अपने आप को मुझे सौंप दिया था लेकिन में उसकी चूत से नही खेल सकता था. मेने उसकी पॅंटी के उपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा और अपने हाथ के दबाव से डिल्डो को और अंदर की तरफ धकेल दिया. में उसकी पॅंटी को उतार उसकी चूत को छूना चाहता था पर उसने मुझे रोक दिया, “किशोर नही शर्त का उसूल है कि तुम उसकी बात को टालोगे नही.”
मेने घूम कर दिव्या की तरफ देखा कि वो क्या कर रही है. मेने देखा की दिव्या अपने मुँह को खोले राकेश के लंड को चूस रही है और एक हाथ से उसकी गोलियों को सहला रही है. इतने में ही दिव्या ने अपने मुँह को पूरा खोला और राकेश के 10″ इंची लंड को पूरा अपने गले तक ले लिया.
अब उसके होंठ राकेश की झांतो को छू रहे थे. दिव्या धीरे से अपने मुँह को पीछे की ओर करके उसके लंड को बाहर निकालती और फिर गॅप से पूरा लंड ले लेती. दिव्या के दोनो छेद में लंड घुसा हुआ था. असली 10″इंची लंड उसके मुँह मे और नकली प्लास्टिक का 11″ इंची उसकी चूत मे.
दिव्या अब जोरों से राकेश के लंड को चूस रही थी. मेरी और दामिनी की आँखें इस दृश्या से हटाए नही हट रही थी. इतने मे दामिनी भी घुटनो के बल बैठ कर मेरी जीन्स के बटन खोलने लगी. उसके घुटने को बल बैठते ही डिल्डो उसकी चूत के अंदर तक समा गया और उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी, “आआआआअहह”.
दामिनी ने मुझे घुमा कर इस अंदाज़ मे खड़ा कर दिया कि में उसके पति के सामने खड़ा था. अब वो मेरा लंड अपने मुँह मे ले जोरों से चूस रही थी. दोनो औरतें अपनी चूत में डिल्डो फँसे किसी मर्द का लंड का चूस रही थी. आज की शाम दिव्या के लिए राकेश दूसरा मर्द था जिसका लंड वो चूस रही थी और मेरे लिए दामिनी दूसरी औरत. एक की मेने गांद मारी थी और दूसरी मेरा लंड चूस रही थी.
मेने देखा की मेरे लंड को वो औरत चूस रही थी जिससे में चंद घंटे पहले ही मिला था, और मेरी बीवी उसके पति के लंड को चूस रही थी. दोनो औरतें एक दूसरे के पति के लंड को चूसे जा रही थी. धीरे धीरे उनके चूसने की रफ़्तार बढ़ने लगी इतने मे राकेश के मुँह से एक सिसकारी निकली, “ःआआआआआआआआआण ऐसे ही चुसूओ चुस्ती जाओ.”
दामिनी ने अपने पति की सिसकारियाँ सुनी तो अपने मुँह से मेरे लंड को निकाल अपने पति को देखने लगी. जैसे जैसे दिव्या की चूसने की रफ़्तार बढ़ रही थी वैसे ही राकेश के शरीर की अकड़न बढ़ रही थी. उसका शरीर आकड़ा और उसके लंड ने अपने वीर्य की बौछार दिव्या के मुँह मे कर दी. मेने देखा की बिना एक बूँद भी बाहर गिराए दिव्या उसके सारे पानी को पी गयी.
दिव्या की हरकत देख दामिनी भी जोश मे भर गयी और मेरे लंड को ज़ोर से चूसने लगी. मुझसे अब रुका नही जा रहा था. मेने दामिनी के सर को पकड़ा और पूरी तरह अपने लंड पे दबा दिया. मेरा लंड उसके गले तक घुस गया और तभी लंडने जोरों की पिचकारी उसके मुँह में छोड़ दी.
हम चारों को अपनी साँसे संभालने मे थोडा वक़्त लगा. हम चारों ने कपड़े पहने और वापस पार्टी में आ गये जो करीब करीब समाप्त होने के कगार पर थी. हम दोनो मर्दों के चेहरे पे तृप्ति के भाव थे पर दोनो औरतें अभी भी प्यासी थी. एक तो उनकी चूत ने पानी नही छोड़ा था और दूसरा उनके मुँह में हम दोनो के लंड का पानी.
वो बार बार अपने जीभ से होठों पे हमारे लंड के पानी को पोंछ रही थी. वो दोनो जाकर शशांक के पास खड़ी हो गयी जो पार्टी में आई किसी महिला से बातों में व्यस्त था. हम दोनो भी शशांक के पास पहुँच गये. शायद दोनो औरतों की तड़प उससे देखी नही गयी.
वो भी जानता थी कि दिव्या और दामिनी पिछले तीन घंटे से डिल्डो अपनी चूत मे लिए घूम रही और अब उनकी चूत भी पानी छोड़ना चाहती होगी. “चलो सब मेहमानो को अलविदा कहते हैं और हम अपनी खुद की पार्टी शुरू करते है. शशांक ने कहा, “मेरा विश्वास करो दिव्या आज की रात बहोत ही स्पेशल होगी. जो मज़ा तुम्हे आज मिलेगा उस मज़े की कभी तुमने कल्पना भी नही की होगी.
में सोच रहा था पता अभी और शशांक के दिमाग़ में क्या है. दिव्या हॉल में सभी मेहमानो का ख्याल रखने लगी. थोड़ी ही देर में सब मेहमान एक के बाद एक जाने लगे. दिव्या जैसे ही किसी काम से नीचे को झुकती तो उसकी गांद थोड़ा सा उपर को उठ जाती. शशांक उसे ही घूर रहा था, “किशोर अब में तुम्हारी बीवी की गांड मारूँगा जैसे तुमने मेरी बीवी की मारी थी.”
में ये सुन कर दंग रह गया. शशांक मेरी बीवी की कुँवारी गांड मारेगा जैसे मेने उसकी बीवी की मारी थी. फ़र्क सिर्फ़ इतना था कि उसकी बीवी की गांड कुँवारी नही थी, वो इतनी खुली थी गांड मरवाने में उसे कोई तकलीफ़ नही हुई थी. पर क्या दिव्या सह पाएगी. ये सोच कर ही मेरे बदन में एक सर्द ल़हेर दौड़ गयी.
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15 मिनिट में सभी मेहमान चले गये. “चलो अब सब मिलकर इन औरतों का ख़याल रखते है, लेकिन सबको जैसा में कहूँगा वैसा ही करना होगा.” हम सब ने हां में गर्दन हिलाई और सब कोई वापस गेस्ट बेडरूम मे आ गये. रूम मे आते ही शशांक बिस्तर पर बैठ गया. उसने दिव्या और दामिनी को अपने सामने खड़े होने को कहा.
फिर वो अपने हाथ दोनो की चूत पर रखकर डिल्डो को अंदर घुसाने लगा. दिव्या की जीन्स के उपर से और दामिनी की पॅंटी के उपर से. “शालिनी अब तुम राकेश का लंड आज की शानदार चुदाई के लिए तय्यार करो, पर ध्यान रखना कि इसका पानी नही छूटना चाहिए.”
शशांक की बात सुनकर शालिनी राकेश को उसकी कुर्सी के पास ले गयी जहाँ थोड़ी देर पहले शशांक बैठा था. थोड़ी ही देर में शालिनी ने राकेश का लंड बाहर निकाल लिया था और उसे अपने मुँह में ले चूस रही थी. अब सिर्फ़ में ही बचा था कि जो कुछ भी नही कर रहा था.
फिर मेने सुना शशांक दिव्या को दामिनी के कपड़े उतारने को कह रहा था. दिव्या ने अपना हाथ बढ़ा दामिनी के टॉप की ज़िप खोल दी जो थोड़ी देर पहले इसी तरह मेने खोली थी. पर दिव्या ने टॉप उसके कंधे से उठा उतार दिया और दामिनी की चुचियाँ फिर एक बार नंगी हो गयी. अजीब कामुक द्रिस्य था मेरी बीवी किसी और औरत के कपड़े उतार रही थी.
शशांक खड़ा हुआ और दोनो औरतों के पास आ गया. उसने मेरी बीवी का एक बाया हाथ पकड़ा और दामिनी की दाई चुचियों पे रख दिया, फिर उसने दिव्या का दाया हाथ पकड़ दामिनी की चूत पे रख दिया. मेरी बीवी की समझ मे नहीं आ रहा था कि शशांक क्या चाहता है. दोनो औरतों ने आज तक किसी औरत के साथ सेक्स नही किया था.
शशांक ने दिव्या की तरफ देखते हुए कहा, “में चाहता हूँ कि तुम दामिनी की चूत चूस कर उसका पानी छुड़ा दो फिर हम सब मिलकर तुम्हारी चूत पर ध्यान देंगे.” ये कहकर शशांक ने दिव्या को दामिनी के सामने घूटनो के बल बिठा दिया और उसके चेहरे को दामिनी की गीली हुई पॅंटी पे धकेल दिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
एक बार तो शालिनी और राकेश भी रुक से गये और में भी हैरत में खड़ा सोच रहा था कि क्या सच मूच मेरी बीवी इस औरत की चूत चूसेगी. पर दिव्या जो पिछले 4 घंटे से अपनी चूत में डिल्डो लिए घूम रही थी और उसकी चूत पानी चोदने को बेताब थी, दिव्या ने अपने हाथ दामिनी की पॅंटी की एलास्टिक में फँसाए और उसे नीचे उतार दिया.
जैसे ही दामिनी की पॅंटी नीचे सर्काई तो सबने देखा की उसकी चूत भी साफ की हुई थी. बाल का नामो निशान नही था चूत पर. दिव्या ने उसकी पॅंटी को और नीचे खस्कते हुए उसके पैरों के बाहर निकल दिया. अब दामिनी पूरी तरह से नंगी खड़ी थी. दिव्या ने अपने हाथ उसके कुल्हों पे रख उसे अपने पास खींचा और अपना मुँह उसकी चूत पे रख दिया.
वो अब अपनी उंगली से उसकी चूत का मुँह खोल अपनी जीब डिल्डो के साथ अंदर घूमने लगी. दिव्या अब जोरों से दामिनी की चूत को चाट और चूस रही थी और साथ ही उसकी चूत में फँसे डिल्डो को जोरों से अंदर बाहर कर रही थी. “ओह आःआआआआआआ और ज़ोर सीईईईई आआआआआआआआण चूऊऊसे मेर्रर्र्ररी चूत को चूद्द्द्दद्ड दो मेरा पानी.” दामिनी सिसक रही थी.
दामिनी की साँसे तेज हो रही थी साथ ही उसकी चुचियाँ उसकी छाती पर फुदक रही थी. दिव्या अपनी जीब की ओर डिल्डो की रफ़्तार बढ़ते जा रही थी, और साथ ही दामिनी की चूत पानी छोड़ने के कगार पर आ रही थी. दामिनी ने अपने दोनो हाथ दिव्या के सिर पर रख उसे ज़ोर से अपनी चूत पे दबा दिया.
उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया. फूच फूच की आवाज़ के साथ उसकी चूत पानी छोड़ रही थी. दिव्या का पूरा चेहरा दामिनी की चूत से छूटे पानी से भर गया था. दिव्या और जोरो से चूस्ते हुए उसकी चूत के सारे पानी को पी रही थी. आख़िर में थक कर दामिनी बिस्तर पर निढाल पड़ गयी और गहरी साँसे लेने लगी.
दिव्या उठ कर खड़ी हो गयी. उसने अभी भी कपड़े पहने हुए थे. आज उसने पूरे दिन में पहले शशांक के लंड को चूसा था और बाद में राकेश के लंड को. और अब वो हम सब के सामने दामिनी की चूत का पानी पीकर खड़ी हुई थी. उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे पर उसके जिस्म की प्यास अभी बाकी थी.
में आगे बढ़ा और अपनी बीवी को बाहों भर लिया. मेने अपने होठ उसके होठों पर रखे तो मुझे दामिनी की चूत से पानी की महक और स्वाद आया. में उसके होठों को चूसने लगा. मेने अपना हाथ दिव्या की जीन्स के उपर से उसकी चूत पर रखा तो पाया वो पहले से ज़्यादा गीली हो चुकी थी. जैसे ही मेने उसकी चूत को सहलाया वो सिसक पड़ी, “ओह अहह ह्म्म्म्ममममम.”
शशांक ने हम दोनो को अलग किया और मेरी बीवी को चूमते हुए उसे बिस्तर के पास ले गया. फिर उसने दिव्या से पूछा, “क्या तुम गांड मुझसे मरवाना पसंद करोगी?” दिव्या पहले तो उसकी तरफ देखी फिर मेरी तरफ. उसके पास को जवाब नही था कारण अगर वो ना कहती तो हम शर्त हर जाते.
में भी थोड़ी देर पहले उसकी बीवी की गांड मार चुका था इसलिए मेरे पास भी ना करने की कोई वजह नही थी. में सिर्फ़ वहाँ पर खड़ा अपनी बीवी की गांड मारते देख सकता था. शशांक ने दिव्या के होठों को चूस्ते हुए उसके रेड टॉप के बटन खोल उसके टॉप को उतर दिया.
अब वो अपने एक हाथ से उसकी चुचि को दबा रहा था और दूसरे हाथ से उसकी निपल को भींच रहा था. दिव्या के मुँह से सिसकारी फुट रही थी, “हा दबाओ नो पर धिर्र्र्र्रररे हाया आईसीईई ही ओह अहह”. दिव्या की चुचियों को मसल्ते हुए शशांक ने अपने हाथ उसकी जीन्स पे ले जाकर बटन खोलने लगा.
शालिनी आगे बढ़ कर उनके पास नीचे बैठ गयी और दिव्या की जीन्स को नीचे का उतारने लगी. दोनो ने मिलकर मेरी बीवी को पूरा नंगा कर दिया. दिव्या पूरी तरह नंगी खड़ी थी. उसकी चूत में घुसा डिल्डो साफ नज़र आ रहा था. शशांक और शालिनी ने मिलकर उसे बेड की किनारे पर झुका दिया.
शालिनी अब उसके सामने आकर बिस्तर पर बैठ गयी और दिव्या की चुचियों को चूसने लगी. थोड़ी देर चूसने के बाद वो बिस्तर पर इस तरह से लेट गयी की दिव्या का मुँह ठीक उसकी चूत पे था. शालिनी ने दिव्या के सिर को पकड़ उसे अपनी चूत पे दबा दिया.
दिव्या अब बिस्तर के किनारे पर झुकी शालिनी की चूत चूस रही थी. इस तरह झुकने से उसकी गांद हवा में और उपर को उठ गयी थी. पीछे से उसकी चूत में फँसा डिल्डो तो दिख ही रहा था साथ ही उसकी गांड का छेद भी दिखाई दे रहा था. हम सब जानते थे कि अब शशांक अपना लंड उसकी गांड मे घुसाएगा, पर उसके मन में तो कुछ और ही था.
शशांक मेरी तरफ मुस्कुरा के देख रहा था, “किशोर आज शाम को मेरी बीवी ने तुम्हे सीखा ही दिया होगा कि एक अछी गांद को चुदाई के लिए कैसे तय्यार किया जाता है. बाथरूम मे जाओ और क्रीम ले आओ और बताओ कि तुमने क्या सीखा.” फिर उसने दामिनी की तरफ देखकर कहा, “तुम मेरे लंड को तयार करोगी?”
बिना कुछ कहे में बाथरूम मे जाकर वही क्रीम ले आया जो में शालिनी पे इस्टामाल की थी. दामिनी मेरे पास आई और मुझे थोड़ी क्रीम उसके हाथों पे देने को कहा. कैसी शर्त थी की में अपने हाथों से अपनी बीवी की गांड को किसी दूसरे मर्द के लंड के लिए तैय्यार करूँ. पर में शर्त हारना नही चाहता था सो में क्रीम लिए दिव्या के पास आ गया.
मेने खूब सारी क्रीम अपनी उंगलियों मे ली और उसे दिव्या की गांड के चारों तक मलने लगा. फिर में अपनी एक उंगली उसकी गांड में डाल दी, “ओह मर गयी.” दिव्या के मुँह से हल्की सी चीख निकल गयी. दिव्या अब भी शालिनी की चूत को चाते जा रही थी.
मेने थोड़ी और क्रीम अपनी उंगली में ली और दो उंगलिया उसकी गांड में डाल दी. अब में अपनी उंगलियों को उसकी गांड में चारों तरफ गोल गोल घुमा रहा था. शशांक मेरे पास खड़ा मेरी सभी हरकत को देख रहा था और उसके पैरों में बैठी दामिनी उसके लंड को क्रीम से चिकना कर रही थी.
अब मेरी उंगलियाँ आसनी से दिव्या की गांड में अंदर तक जा रही थी. जब में उंगली घुमाता तो उसकी चूत में फँसे डिल्डो का अहसास होता मुझे. में और अंदर तक क्रीम को मलने लगा. दिव्या को भी शायद मज़ा आने लगा था. वो जोरों से शालिनी की चूत चूस्ते हुए अपने टाँगे और फैला दी जिससे में और आसानी से उसकी गांड में उंगली कर सकूँ.
दामिनी भी अब तक आक्ची तरह से शशांक के लंड को क्रीम से चिकना कर चुकी थी. शशांक अपनी जगह से हिला और मुझे साइड में कर दिया. अब उसका लुंक क्रीम से चिकना था. उसका तना हुआ लंड एक हथियार की तरह चमक रहा था. जैसे ही शशांक ने अपना लंड दिव्या की गांड पे रखा वो सिसक कर और जोरों से शालिनी की चूत को चूसने लगी. वो उसकी चूत को ऐसे चूस रही थी की जैसे वो इस कला में बरसों से माहिर हो.
दामिनी और राकेश भी पास में आकर खड़े हो गये. वो भी किसी कुँवारी गांद की चुदाई देखना चाहते थे. मुझे अंदर से शर्म आ रही थी कि अपनी गांड में सबसे पहले मारू उसके बजाय मेने ही अपनी बीवी की गांड को दूसरे मर्द के लंड के लिए तय्यार किया था. शशांक ने दिव्या के कुल्हों को पकड़ उसके गांड के छेद को और फैला दिया.
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शशांक के दोनो हाथ दिव्या के कुल्हों को पकड़े हुए थे. दामिनी ने आगे बढ़ कर शशांक के लंड को ठीक दिव्या की गांड के छेद पर रख दिया और शशांक अब अपने लंड को अंदर घुसाने लगा. दामिनी अभी भी उसके लंड को पकड़े हुए थी. इतनी सारी क्रीम लगने से उसका लंड और दिव्या की गांड पूरी तरह चिकनी हो गयी थी जिससे शशांक के लंड का सूपड़ा उसकी गांड में आसानी से घुस गया.
दामिनी ने अपना हाथ उसके लंड पर से हटा लिया. अब जबकि सूपड़ा घुस चुका था शशांक धीरे धीरे अपने लंड को और अंदर तक घुसाने लगा. उसके हर धक्के के साथ दिव्या की सिसकार गूँजती, “ओह अहह थोड़ाआ धीरी दर्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड हो रहाआआआआअ है.” थोड़ी देर में उसका पूरा लंड दिव्या की गांद में घुस चुका था. अब उसकी गांद कुँवारी नही रही थी.
दिव्या अब भी शालिनी की चूत चूसे जा रही थी. जब शशांक का पूरा लंड उसकी गांद मे घुस गया तो ज़ोर की सिसकारी निकली, “ओह ह्बीयेयेयेयान.” शशांक दिव्या की गांड की दीवारों को रौन्द्ता हुआ जड़ तक समा गया था. शशांक ने दामिनी और मेरा धन्यवाद दिया कि हम दोनो ने दिव्या की गांड मारने उसकी सहायता की.
कैसा उसका लंड उसकी गांद में अंदर तक घुसा हुआ है और कैसे उसकी गांद उसके लंड को भिंचे हुए है. उसने बताया कि उसे दिव्या की चूत में फँसे डिल्डो का भी अहसास हो रहा है और ये उत्तेजना उसके लंड से लेकर उसकी गोलियों तक जा रही थी. शशांक जान बुझ कर ये सब बातें बता कर मुझे चिढ़ा रहा था. “हरामी साला” मेरे मुँह से गाली निकली.
लेकिन अब तक में अपना लंड अपनी पॅंट मे से निकाल सहला रहा था. सब जानते थे कि मेरी बीवी की गांड की चुदाई ने मुझे भी उत्तेजित कर दिया था. पर जो होने वाला था उसके आगे ये कुछ भी नही था. दामिनी अब उन से दूर जा कर खड़ी हो गयी. शशांक का लंड दिव्या की गांड मे अंदर बाहर हो रहा था. शशांक अपने लंड करीब 3″ इंच बाहर खींचता और अपने 8″ इंच के लंड को पूरा जड़ तक पेल देता.
शशांक जानबूझ कर धीरे धीरे धक्के लगा रहा था. पर समय के साथ उसकी रफ़्तार तेज हो रही थी. अब वो 5″ इंच लंड को बाहर निकालता और पूरा पेल देता. थोड़ी देर में वो अपने लंड का सूपड़ा सिर्फ़ अंदर रहने देता और एक झटके पूरा लंड दिव्या की गांड में डाल देता.
दिव्या की गांड पूरी तरह खुल गयी और हर झटके को वो अपने कुल्हों को पीछे कर ले रही थी, “हाआआआअ डाल दो पूरा लंड मेयीयीयियी गाआअंड मे ओह आआआआआआआण और जूऊऊर से ःआआआआआआआण चोदो फद्दद्ड दो मईएरर्र्र्र्ररी गांड को.”
दिव्या मियाँ बीवी के बीच सॅंडविच बनी हुई थी. नीचे से शालिनी अपनी चूत को उपर उठा उसके मुँह मे भर देती और पीछे से शशांक उसके कुल्हों को पकड़ ज़ोर से लंड पेल देता. जैसे ही उसका लंड अंदर तक जाता दिव्या का मुँह शालिनी की चूत पे और ज़ोर से दब जाता. शशांक उसकी गांड भी मार रहा था और उसकी चूत में फँसे डिल्डो को और अंदर की ओर घुसा देता.
अब राकेश भी इस खेल में शामिल होना चाहता था. उसने भी अपने कपड़े उतार दिए और अपने लंड को सहलाने लगा. अपने लंड को सहलाते हुए वो शालिनी के चेहरे के पास आ गया. राकेश अपने लंड को उसके मुँह के पास कर उसके होठों पर रगड़ने लगा. शालिनी ने अपने हाथ से उसका लंड पकड़ अपने मुँह में ले लिया.
अब उसका दोनो छेद पूरी तरह भरे हुए थे. वो जोरो से राकेश के लंड को चूसने लगी. अब में और दामिनी ही बचे थे. दामिनी ने भी अपने कपड़े उतार दिए. में भी कपड़े उतार पूरा नंगा हो अपने लंड को सहला रहा था. दामिनी मेरे पास आ कर मेरे नंगे बदन से सॅट गयी और सहलाने लगी.
हम भूके कुत्तों की तरह एक दूसरे के बदन को नोच रहे थे मसल रहे थे, पर हम अपनी नज़रें बिस्तर से नही हटा पा रहे थे जहाँ एक का पति एक की पत्नी से अपना लंड चूस्वा रहा था और मेरी बीवी एक की बीवी की चूत चूस रही थी और उसके पति से अपनी गांड मरवा रही थी.
अचानक दिव्या ने अपना मुँह शालिनी की चूत से उपर उठाया और ज़ोर से चीख पड़ी, “ओह ये नही हो सकता”. में सोच मे पड़ गया कि अचानक उसे क्या हुआ, क्या उसका पानी छूटने वाला है या उसकी गांद दर्द कर रही है. “हे भगवान प्ल्स ऐसा मत करो.” वो फिर बोली और उसकी आँखों मे आँसू आ गये.
तब शशांक ने उसके चीखने की वजह बताई, “किशोर डरो मत यार उसके डिल्डो की बॅटरी ख़त्म हो गयी है. बेचारी.” अब मेरी समझ मे आया कि जब उसका पानी छूटने वाला था तब ही डिल्डो की बॅटरी ख़त्म हो गयी. और कितना चलती 5 घंटे सो तो वो उसे अपनी चूत मे डाले घूम रही थी.
दिव्या फिर अपने उत्तेजना के अंतिम कगार से वंचित रह गयी. शशांक उसकी गांद मे ज़ोर के धक्के मारते हुए बोला, “दिव्या डार्लिंग चिंता मत करो, में वादा करता हूँ आज तुम्हे चुदाई को वो आनंद आएगा कि तुम्हारी चूत खुले बाँध की तरह पानी फैंकेगी.” दिव्या ने अपना चेहरा उठा और शशांक की ओर देखा. उसकी समझ मे नही आ रहा था कि और क्या उसके दिमाग़ मे है.
हमने देखा कि अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए दिव्या खुद अपने बंद हुए डिल्डो को पकड़ अंदर बाहर करने लगी, पर शशांक ने उसका हाथ हाथ हटा दिया. अब शशांक ने दिव्या को उसकी छातियों से पकड़ा और पीछे की ओर हो गया. थोड़ी देर इस तरह होने के बाद उसने अपनी टाँगे सीधी की और पीठ के बल लेट गया.
अब वो ज़मीन पर लेटा था और दिव्या उसके उपर उसका लंड अपनी गांड मे लिए लेटी थी. दिव्या ने अब अपनी टाँगे फैला दी जिससे शशांक का लंड उसकी गांद मे घुसा हुआ दिख रहा था और साथ ही चूत मे फँसा डिल्डो भी. शालिनी अब राकेश के लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल अपने हाथो से उसे मसल रही थी.
पर वो खुद छूटने की कगार पर थी सो वो खड़ी हो गयी और दिव्या के चेहरे पर अपनी दोनो टाँगे चौड़ी कर अपनी चूत उसके मुँह पर रख दी, “जो तुमने शुरू किया है उसे तुम्हे ही ख़त्म करना पड़ेगा. मेरी चूत जोरो से चूसो और मेरा पानी छुड़ा दो.” दिव्या अपनी जीभ का तीकोण बना उसे चोद रही थी. शालिनी और थोड़ा झुकते हुए अपनी चूत को और दबा देती. उसका चेहरा पीछे की और था और उसके बाल शशांक के पेट को छू रहे थे.
“आआआआआआआआआण चूऊऊऊओसे ओह अहह ह्बीयेयेयान जूऊर्रर्र्र्र्र्र्ररर सीईईईईई हूऊऊओ” कहकर शालिनी की चूत ने दिव्या के मुँह मे पानी छोड़ दिया. दिव्या गटक गटक कर उसका पानी पी रही थी. जब एक एक बूँद उसकी चूत से छूट चुकी थी तो वो निढाल हो बिस्तर पर गिर गयी.
शशांक अभी तक उसी तरह अपना लंड दिव्या की गांड मे घुसाए लेटा था. फिर उसने अपनी आखरी चाल चली, “राकेश मेरा तो पानी अब छूटने वाला है ऐसा द्रिश्य देख कर. क्यों नही तुम अपना लंड इसकी चूत मे डाल देते हो.” अब मेरे और राकेश के समझ मे आया कि शशांक क्या चाहता था.
राकेश उछल कर दिव्या की टाँगो के बीच आ गया. उसने अपना हाथ दिव्या की चूत मे फँसे डिल्डो पर रखा. पर उसे बाहर निकालने की बजाय वो उसे अंदर बाहर करने लगा. थोड़ी देर बाद राकेश ने अपने लंड को दिव्या की चूत के मुँह पे लगा धीरे धीरे अंदर करने लगा और साथ ही डिल्डो को बाहर खींचने लगा.
जितना उसका लंड अंदर जाता उतना ही वो डिल्डो को बाहर खींच लेता. मेने देखा कि डिल्डो पूरी तरह से दिव्या की चूत के पानी से लसा हुआ था और चमक रहा था. जब राकेश का पूरा लंड उसकी चूत मे घुस गया तो उसने डिल्डो बाहर निकाल कर मेरे हाथ मे पकड़ा दिया.
मुझे विश्वास नही हो रहा था जो डिल्डो मेरी बीवी की चूत में पिछले 5 घंटे से घुसा हुआ था वही अब उसके पानी से लासा हुआ मेरे हाथ में है. मेने बिना हिचकिचाते हुए उसे अपने मुँह मे ले चाटने लगा. मुझे उसकी चूत के पानी का स्वाद सही में अछा लग रहा था. जब मेने उसे चाट कर साफ कर दिया तो उसे बिस्तर पर रख दिया.
दामिनी अब तक मेरे लंड को पकड़े हुए थी. उसने मेरी तरफ़ देखा और घुटनो बल बैठ कर मेरे लंड को अपने मुँह में ले चूसने लगी. वो एक हाथ से मेरा लंड पकड़ चूस रही थी और दूसरे हाथ की उंगलियों से अपनी चूत को चोद रही थी. पर उसकी नज़रें शशांक और इनलोगो पर गढ़ी थी जहाँ मेरी बीवी की दोहरी चुदाई हो रही थी.
मेने अपना ध्यान दामिनी से हटाया और फिर दिव्या पर केंद्रित कर दिया. मेने देखा की राकेश आधा खड़ा हो अपने लंड को दिव्या के मुँह मे दे धक्के मार रहा था. दिव्या भी पूरी ज़ोर से उसे चूस रही थी. जब उसका लंड पूरी तरह से तन गया तो उसने दिव्या के थूक से लसे अपने लंड को ले दिव्या की टाँगे के बीच आ गया.
दिव्या अपनी टाँगे थोड़ी और चौड़ी कर पीछे को पसर गयी. राकेश एक हाथ से अपने लंड को पकड़ दिव्या की चूत पे रगड़ने लगा. अब मेरे बीवी की दो लंड से चुदाई होने वाली थी. एक उसकी गांड में और दूसरा उसकी चूत मे. राकेश ने दिव्या की एक टांग को जाँघो से पकड़ा और अपनी कोहनी पे रख दी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
इससे दिव्या की चूत और खुल गयी. थोड़ी देर अपने लंड को रगड़ने के बाद उसने एक ही धक्के मे अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया. अब वो धक्के लगा उसकी चूत को चोद रहा था. दिव्या शशांक के छाती पर लेटी अपनी जिंदगी की सबसे भयंकर चुदाई का आनंद ले रही थी. उसका चेहरा इधर उधर हो रहा था और साथ ही उसके मुँह से सिसकारियाँ फुट रही थी.
में अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था कि जब एक लंड चूत की जड़ों तक पहुँचता है और दूसरी तरफ दूसरा लंड गांड की जड़ों तक पहुँचता है तो शरीर में दोनो लंड के संगम का आनंद कैसा रहता होगा. दिव्या इसी संगम का आनंद उठा रही थी, “में तुम दोनो के लंड को अपने मे महसूस कर रही हूँ, राकेश ज़ोर से चोदो मुझे हाआअँ और ज़ोर से रूको मत बस चोद्ते जाओ.”
शशांक ने एक ज़ोर की हुंकार भरी और अपने कूल्हे उपर को उठा दिया. राकेश भी दिव्या के कुल्हों को पकड़ अपने लंड को अंदर तक पेल दिया. में समझ गया कि दोनो छूटने के कगार पर है. दिव्या का भी समय नज़दीक आता जा रहा था, “हाआआआआआअँ और ज़ोर सीईईईई ओह उईईईईईईईईईईई.” मेरे खुद को अपने को रोकना मुश्किल हो रहा था.
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दामिनी इतनी ज़ोर से मेरे लंड को चूस रही थी और साथ ही अपने दाँतों का भी इस्तेमाल कर रही थी. पर दामिनी की आँखें अपने पति के लंड पे जमी तो जो मेरी बीवी की चूत मे एक पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था. और फिर वो हुआ जिसका सबका इंतेज़ार था, दिव्या ज़ोर से चीखी “ओह आआआआआआआण ओह हेयययययययययी .” कहकर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. उसका शरीर इस तरह अकड़ रहा था कि क्या बताउ. इतने में शशांक के लंड ने भी उसकी गांद मे अपना वीर्य उगल दिया. राकेश ने दिव्या की दोनो चुचियों को ज़ोर से मसला.
और उसके लंड ने उसकी चूत मे बौछार कर दी. में कल्पना कर रहा था कि दिव्या की चूत और गांद वीर्य से भरी कैसी होगी कि मेरा भी शरीर भी आकड़ा और मेने अपना वीर्य दामिनी के मुँह मे उगल दिया. दामिनी ने मेरे लंड को अपने मुँह से निकाला और बेड पर डिल्डो को उठा अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी. थोड़ी देर में उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया. कसम से ऐसी सामूहिक चुदाई की कल्पना नही की थी मेने. मुझे इस बात की ख़ुसी थी कि हम शर्त जीत ना सके तो क्या पर हारे भी नही थे. अब देखते है छुट्टियों पे क्या गुल खिलते है.