• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer

HamariVasna

Hindi Sex Story Antarvasna

  • Antarvasna
  • कथा श्रेणियाँ
    • Baap Beti Ki Chudai
    • Desi Adult Sex Story
    • Desi Maid Servant Sex
    • Devar Bhabhi Sex Story
    • First Time Sex Story
    • Group Mein Chudai Kahani
    • Jija Sali Sex Story
    • Kunwari Ladki Ki Chudai
    • Lesbian Girl Sex Kahani
    • Meri Chut Chudai Story
    • Padosan Ki Chudai
    • Rishto Mein Chudai
    • Teacher Student Sex
  • Girlfriend Boyfriend Sex Story
  • Bhai Bahan Sex Stoy
  • Hindi Sex Story
  • माँ बेटे का सेक्स
  • अपनी कहानी भेजिए
  • ThePornDude
You are here: Home / Hindi Sex Story / चलती ट्रेन में अपने सामने पत्नी चुदवाई

चलती ट्रेन में अपने सामने पत्नी चुदवाई

सितम्बर 17, 2024 by hamari

Train Cuckold Sex

मेरा नाम विदिशा है। सभी मुझे विदिशा कह कर ही पुकारते हैं। मेरे दोनों बेटे भी घर में पति के सामने भी विदिशा कह कर ही पुकारते हैं। उनका कहना है कि मैं किसी भी तरह से उनकी मॉं नहीं लगती, हम उम्र ही लगती है। दूसरों के सामने ज़रूर मॉं कह कर पुकारते हैं। ख़ैर यह कहानी बेटे के बारे में नहीं। Train Cuckold Sex

पति के सामने चलती ट्रेन में दो आदमियों द्वारा चुदाई की कहानी है। मैंने स्कूल पास किया और कुछ ही महीनों के अंदर एक सरकारी दफ़्तर में काम कर रहे एक क्लर्क से शादी हो गई। जैसा क़रीब क़रीब सभी लड़कियों के साथ होता है, शादी के पहले कई लड़कों और आदमियों ने मेरी चूची मसली, चूतड़ दबाया।

लेकिन मेरी क़िस्मत! अपनी एक सहेली के बाप को मैं बहुत पसंद करती थी। मैं उसके साथ चुदाई के लिए भी तैयार थी। एक बार उसे पूरा मौक़ा मिला। हम क़रीब दो घंटो अकेले साथ रहे लेकिन उसकी हिम्मत ही नहीं हुई कि मुझे नंगा भी कर सके।

मेरे पति की क़िस्मत, मेरी चूत उनके लंड के लिए कुंवारी ही रही। और मेरे पति संतोष तिवारी ने सुहाग रात को चोदते चोदते रुला दिया। नहीं नहीं करते रहने पर भी हरामी ने पहली रात ही तीन बार चोदा। सच कहूँ तो बहुत मस्त कर दिया तिवारी बाबू ने। मैं अपने सभी पुराने आंशिक को भूल गई।

शादी के ६ साल के अंदर ही मैंने तिवारी जी के दो बेटों को जन्म दिया। दूसरे बेटे के जन्म के एक साल के अंदर ही मेरे पति बड़ा बाबू बन गये। लेकिन साथ ही तबादला भी हो गया। एक छोटे शहर से हम बनारस आ गये। मैं क्या, मेरे पति के लिए भी बनारस बहुत बड़ा शहर था। नये लोग नई जगह।

इसे भी पढ़े – छात्रा टीचर साथ होटल में चुदवाने गई

वहाँ एक आदमी ने हमारी बहुत मदद की। यहाँ बता दूँ कि मेरे पति पीडब्ल्यूडी में बड़े बाबू थे। मदद करने बाले आदमी का नाम आनंद पासवान था। मेरे पति उनसे पहले कई बार मिल चुके थे। इसलिए उन्होंने आनंद की मदद ली। तबादला होने के बाद तिवारी जी पहली बार बनारस आये तो आनंद ने उन्हें अपने ही घर में रखा।

एक बढिया सोसाइटी में तीन कमरे का मकान भी भाडे पर दिलवा दिया। एक महिना के बाद तिवारी जी हमें भी बनारस ले कर आ गये। मैं आनंद और उनके परिवार से पहली बार ही मिल रही थी लेकिन आनंद हमारे साथ ऐसा व्यवहार कर रहा था मानो हमें सालों से जानता हो।

उसकी घरवाली गौतमी मुझे बहुत पसंद आई। मैंने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया कि आनंद की जवान बेटी निशा मेरे पतिदेव के साथ काफ़ी घुलमिल गई है। एक दिन दोपहर में हम और गौतमी घर में अकेले थे। वो मुझसे १०-१२ साल बड़ी थी।

गौतमी – विदिशा, तुम इतनी खुबसूरत हो फिर अपने बदन पर ध्यान क्यों नहीं देती हो। अगर ऐसा ही चलता रहा तो कुछ ही महिनों में तुम मेरी दीदी लगने लगेगी।

मैं – दीदी, जब तक बच्चे नहीं हुए थे तब तो किसी ने मेरी ओर नहीं देखा। फिर अब २-२ बच्चे बाली औरत की ओर कौन देखेगा? किसके लिए अपनी जवानी को सँभालूँ?

गौतमी – तु नहीं जानती है कि तु कितनी सुंदर और मस्त है। लेकिन तु ऐसे ढीले ढाले कपड़ों में रहती हो कि कोई तुम्हारी ओर ध्यान ही नहीं देता।

मैं नहीं चाहती थी, लेकिन गौतमी ज़िद कर मुझे एक जीम् में ले जाने लगी। दोपहर में ४ से ५ तक मेरे बच्चों को गौतमी की बेटी निशा सँभालती थी। और हम दोनों एक घंटा कसरत करते थे। मैंने ध्यान दिया कि कसरत सिखाने समय वहाँ का इंसट्रक्टर हमारे बदन को जहां तहां दबाता था, सहलाता था। मैंने गौतमी से शिकायत की।

गौतमी— सहलाता है, दबाता है तो उसे मज़ा लेने दो। हमें भी तो मज़ा आता है। अगर हम थोड़ी छूट दे दें तो हमें चोदेगा भी। देखती नहीं कैसा गठीला बदन है इस जवान आदमी का। तुम्हारे तिवारी जी बहुत ही खुबसूरत जवान है। लेकिन वैसे लोगों को मेरी बेटी निशा जैसी जवान लड़की बहुत पसंद करेंगी। लेकिन हमारे जैसी २-२ बच्चों की मॉं को ऐसा ही हट्टा कट्ठा आदमी खुश कर सकता है। बोल चुदवायेगी?

मैं – चुप हरामजादी। तुझे चुदवाना है चुदवा ले, मैं आनंद से नहीं कहु्गीं।

तब उसने ऐसी बात कही जो मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी।

गौतमी – तु बोलेगी तो भी कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। तुम्हारा आनंद खुद अपना काम निकलवाने के लिए मुझे कई लोगों के पास भेजता है। विदिशा, सच कहती हूँ, नये आदमी, नये नये लंड से चुदवाने में बहुत मज़ा आता है।

गौतमी की बातों से मैं नाराज़ नहीं हुई। हॉ इतना ज़रूर हुआ कि मैंने इंसट्रक्टर को कभी रोका नहीं। वो कसरत सिखाने के बहाने चूची और चुत्तरों को दबाता रहा। लेकिन उसने हम दोनों में से किसी के साथ चुदाई करने की बात नहीं की। तीन महिना गुज़रते गुजरते मुझे अपने बदन में खुद बहुत फ़र्क़ आने लगा।

हमने तीन और महिना वहाँ ट्रेनिंग ली उसके बाद घर में ही कसरत करने लगी। तिवारी जी ने कहना शुरु किया कि मेरे साथ की चुदाई में उन्हें जो मज़ा अब आता है वो मज़ा पहले कभी नहीं आया था। मैंने एक बात और देखी। आनंद का मेरे घर आना जाना बहुत बढ़ गया। पहले भी मेरे लिए बच्चों के लिए उपहार लाता था।

लेकिन अब बहुत मंहगे उपहार लाने लगा था और वो भी जल्दी जल्दी। लेकिन उसने एक बार भी मेरे साथ प्यार का इज़हार नहीं किया। ना ही उसने कभी मुझे छुने की कोशिश ही की। होली में भी उसने सिर्फ़ गालों में ही रंग लगाया। जब कि मैंने देखा कि तिवारी जी ने आनंद की जवान बेटी निशा के गालों पर ही नहीं उसकी दोनो चूचियों को भी मसला और चूतड़ों को भी दबाया।

देखा कि निशा भी प्यार से तिवारी जी को जहां तहाँ रंग लगा रही है। मैं थोड़ा अलग हट गई। मुझे आस पास ना देख निशा ने तिवारी जी को अपनी ओर खींचा और दोनो बॉंहों में बांध खुब चुमा। पैंट के उपर से लौडा को भी मसला। मैंने तिवारी जी या निशा या गौतमी से इस बारे में कुछ नहीं कहा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मुझे ऐसा लगा कि तिवारी जी और निशा चुदाई कर चुके हैं। रात में भी मैंने तिवारी जी से कुछ नहीं कहा। लेकिन जब वो मुझे चोद रहे थे, तभी मैंने फ़ैसला किया कि पहला मौक़ा मिलते ही आनंद या किसी और से ज़रूर चुदवाऊँगी। मुझे और मेरी बूर को दूसरे लंड की ज़रूरत महसूस होने लगी थी।

तब तक मेरी और गौतमी के दोस्ती को २ साल से ज़्यादा हो गया था। गौतमी ने मुझे कभी उस जीम के ट्रेनर या किसी और से चुदवाने की ज़िद नहीं कि। लेकिन वो अक्सर दूसरे के साथ की अपनी चुदाई के क़िस्से को खुब मज़े लेकर सुनाती थी। गौतमी के अनुसार उसने शादी के पहले २ आदमियों से और बाद में सात दूसरे आदमियों से चुदवाया था, चुदवाती थी। और उसके पति आनंद को सब मालूम था।

होली को दो महिना हो गये और अचानक एक दिन तिवारी जी ने कहा कि उनकी छुट्टी मंज़ूर हो गई है। उन्होंने कहा कि अगले हफ़्ते हम पहले चेरापूंजी और बाद में दार्जिलिंग जाँयेंगे। दो दिन बाद ही मेरे सास ससुर आ गये। इनके आने की मुझे कोई खबर नहीं थी। रात में मैंने पुछा।

तिवारी जी – इस बार टूर पर सिर्फ़ हमदोनों ही जायेंगे। बच्चे मॉं बाबू के साथ रहेंगें।

मैंने बहुत ज़िद की बच्चों को साथ ले जाने की। लेकिन तिवारी जी अपनी ज़िद पर अड़े रहे। अगले शनिवार की सुबह हम नई दिल्ली पहुँचे और दोपहर २ बजे एक ट्रेन के डब्बे में घुसे। गर्मी का महिना था लेकिन डब्बा में घुसते ही मेरा पूरा बदन सर्द हो गया।

मैं पहले भी ट्रेन में कई बार बैठी थी। लेकिन उस दिन जिस डब्बे में घुसी वैसे डब्बे में पहले कभी नहीं बैठी थी। अपनी सीट पर बैठी। हमारे सामने वाली सीट ख़ाली थी। तिवारी जी ने बताया कि हम राजधानी एक्सप्रेस में बैठे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह सबसे मंहगी ट्रेन है।

इसे भी पढ़े – रंगीन मिजाज सरकारी अफ़सर को खुश किया

मैं – इतना खर्चा करने की क्या ज़रूरत थी?

तिवारी जी – रानी, जहॉं दूसरे ट्रेन ४०-४२ घंटा समय लेंगे यह ट्रेन हमें २६ घंटा में ही पहुँचा देगी। सच कहता हूँ तुम्हें बहुत बढिया लगेगा।

मैं – बढिया तो तब लगेगा जब मैं ज़िंदा रहुंगी। इस ठंडी में मैं मर ही जाउंगी।

मैं बोल ही रही थी कि पर्दा हटाकर २ जवान आदमी अंदर घुसे। एक ने उपर के बर्थ से एक कंबल उठाकर मेरे उपर रखा।

वो आदमी – मैडम, डरिये मत, हम आपको नहीं मरने देंगे। ये कंबल ओढ़ लीजिए। थोड़ी ही देर में आप गर्म हो जायेंगीं।

दोनों आदमी सामने के बर्थ पर बैठ गये। वे दोनों बैठे और ट्रेन चलने लगी।

तिवारी जी – आप लोग थोड़ी और देर से आते तो आपकी ट्रेन छूट जाती।

एक आदमी – हमारी क़िस्मत इतनी ख़राब नहीं कि आप दोनों जैसे खुबसूरत जोड़ी के साथ समय गुज़ारने का मौक़ा छूट जाये। हम चेरापूंजी जा रहे हैं। आप लोग?

तिवारी जी – हम भी चेरापूंजी तक चल रहे हैं।

दूसरा आदमी – अच्छा है, सफ़र बढिया गुजरेगी।

तिवारी जी ने देखा कि नहीं मालूम नहीं। मुझे साफ़ दिखाई दिया कि दूसरे आदमी ने मुझे देखते हुए वींक किया। मैंने मन ही मन कहा कि, ‘अगर तुम दोनों में हिम्मत है तो मैं अपने पति के सामने तुम दोनों से चलती ट्रेन में चुदवाने को तैयार हूँ।’ मैंने ध्यान दिया। एक २५-२६ साल का था और दूसरा २८-३० साल का।

दोनों का बदन बढ़िया था। न तो दोनों में से कोई तिवारी जी जैसा खुबसूरत ही था न ही किसी का आनंद जैसा बढिया परसॉनालिटी ही था। लेकिन दोनों बढिया दीख रहे थे। दोनो ने सिल्क का पैजामा कुर्ता पहना था। दोनो के गले में सोने की मोटी चेन थी। दोनों हाथों में दोनो ने ५-५ अंगुठीयॉं पहना था।

दोनो ने अपना अपना एक बडा सूटकेस अपने बर्थ के नीचे रखा। एक एक ब्रीफ़केस को बगल में दबाकर दोनो हमारे सामने बैठ गये। साफ दीख रहा था कि दोनों बहुत अमीर थे। मैं चुप बैठ सुन रही थी। दोनों ने तिवारी जी को बातों में उलझा कर रखा। तिवारी जी से उन लोगों ने सारी जानकारी ले ली कि हम कहाँ रहते हैं, तिवारी जी कहॉं काम करते हैं, इत्यादि।

अपने बारे में उन्होंने बताया कि वे सुपारी का धंधा करते हैं। उत्तरी राज्यों को सुपारी सप्लाई करते हैं। हर महिना कम से कम २ बार दिल्ली का दौरा करते हैं, नया ऑर्डर लेते हैं और पुराना बकाया वसुल करते हैं। उन्होंने बताया कि दोनों सगे भाई हैं। दोनों की शादी हो गई है।

बड़े भाई का नाम अरुण था और छोटे भाई का नाम था वरुण। दोनों में मुझे बड़ा भाई अरुण ज़्यादा पसंद आया। वेटर ने पहले हम चारों को पानी का बोतल दिया। वेटर चाय का ट्रे लेकर आया तो उन्होंने ने ही हमारे लिए चाय बनाया। चाय का कप मेरे हाथों में थमाते समय छोटे भाई ने मेरी अंगुलियों को दबा दिया। न तो मैं मुस्कुराई न ही चेहरा ही बनाया।

हमने चाय पीया। मुझे पेशाब लगा। मैंने धीरे से तिवारी जी से कहा। हम दोनों अपने सीट से खड़े हुए। तिवारी जी पहले पर्दा हटाकर बाहर गये। तुरंत छोटे भाई ने मेरा हाथ दबा कर कहा, “बहुत ही ज़्यादा सुंदर हो रानी।” अपना हाथ झटक कर मैं भी बाहर आ गई।

मैंने तिवारी जी से कोई शिकायत नहीं की। दस मिनट बाद हम वापस लौटे। लौटते समय मैं दोनों से दूर ही रही। ट्रेन को चालू हुए एक घंटा से ज़्यादा हो गया था। मुझे अब वैसी ठंड नहीं लग रही थी। मैंने कंबल हटा दिया। दोनों ने फिर तिवारी जी को बातों में उलझाया।

अरुण – हमारा आप जैसे सरकारी दफ़्तरों में काम करने बाले बहुत लोगों से पाला पड़ता है। सच सच बताइये तिवारी जी। इस राजधानी ट्रेन में चेरापूंजी जाने आने का खर्चा, एक हप्ता बढिया होटल में रहने का खर्चा आप अपनी तनख़्वाह से नहीं कर सकते। फिर कौन आपका खर्चा उठा रहा है?

तिवारी जी ने बहुत कहा कि वे खुद अपने पैसे से सब खर्चा उठा रहे हैं लेकिन वे नहीं माने।

वरुण – ठीक है, आप नहीं बताना चाहते तो मत बोलिए। लेकिन हम विश्वास से कह सकते हैं कि आप दोनों की छुट्टी का पूरा खर्चा आपका कोई ठीकेदार ही उठा रहा है। लेकिन आप ने कभी सोचा है कि वो आदमी आप के उपर इतना खर्च, कम से कम २००००/- का खर्चा क्यों कर रहा है?

मुझे नहीं मालूम था कि ये ट्रेन का किराया या होटल का खर्चा का इंतज़ाम तिवारी जी ने खुद किया है या आनंद या फिर किसी दूसरे ठीकेदार ने किया है। तिवारी जी ने सीधा जवाब नहीं दिया। बात चीत फिर धन दौलत कमाने के तरीक़ों पर आ गई।

तिवारी जी- हम भी बहुत पढ़ाई करते हैं। मेहनत करते हैं लेकिन कुछ लोगों को छोड़ बाक़ी लोग ग़रीबी में ही रहते हैं।

अरुण – पढ़ाई करना, मेहनत करना ज़रूरी है लेकिन सफल होने के लिए कुछ और भी चाहिए।

अरुण ने मेरी तरफ़ देखते हुए कहा। मैं चुप नहीं रहना चाहती थी।

मैं – पढ़ाई और मेहनत के सिवा और क्या चाहिए?

अरुण – बढिया क़िस्मत और उससे भी ज़रूरी है सही समय पर मौक़ा का भरपूर फ़ायदा उठाना।

बढिया क़िस्मत तो हम समझ गये लेकिन मौक़ा का फ़ायदा उठाने बाली बात समझ नहीं आई।

मैं – बढिया क़िस्मत तो ठीक है। लेकिन ये मौक़ा का फ़ायदा उठाना, मतलब?

दोनों भाइयों ने एक दूसरे की तरफ़ देखा।

वरुण – मैडम, आप अपना ऑंचल नीचे गिराइये, हम आपको ५००/- देंगे।

“आप पागल हो गये हैं क्या?” हम दोनों ने साथ कहा।

अरुण – हम जानते थे कि आप दोनों ऐसा ही जवाब देंगे। इसीलिए कहा ना कि बहुत कम ही लोग मौक़ा का फ़ायदा उठाते हैं।

दोनों भाइयों को एक दूसरे की बढिया समझ थी।

वरुण – आप शायद हमेशा साड़ी ही पहनती है। तो आप जानती होंगी कि दिन भर में सैंकड़ों बार ऑंचल आप से आप कंधा और छाती से सरक जाता है। हम आपको ५००/- दे रहें है फिर भी आप मौक़ा का फ़ायदा नहीं उठा रही हैं। हमारे घर की कोई भी औरत होती तो आपके तिवारी जी के एक बार कहने पर तुरंत ऑंचल गिरा कर ५००/- छीन लेती।

बात तो उसने ठीक ही कही। ऑंचल ऐसे ही बार बार चूचियों के उपर से फिसलता रहता है।

अरुण – चलिए हम आप को एक और मौक़ा देते हैं। ५०० नहीं १०००/- देंगे, आँचल को नीचे गिरने दीजिए।

एक हज़ार छोटी रक़म नहीं थी। बच्चों के पूरे महीने के दूध के खर्चा से ज़्यादा था। मैंने तिवारी जी से ऑंख के इशारे रे पूछा। उन्होंने ना हॉं कहा ना ही मना किया। मैंने ऑंचल को हाथ नहीं लगाया। बदन को हल्का सा झटका दिया और ऑंचल नीचे गिर गया। मैंने चूचियों को सामने की ओर ठेला। दोनों भाई घूर मेरी जवानी को देखते रहे। मैं उनके सामने पहली बार मुस्कुराई।

मैं – लगता है पहली बार ही देख रहे हो!

वरुण – नहीं ऐसी बात नहीं। घर में पत्नी है, बहन है, भाभी है और मॉं भी है। जब बाहर रहता हूँ तो कोई भी दिन ऐसा नहीं होता जब हमारे साथ औरत न रहती हो। पिछली पूरी रात एक औरत हम दोनों भाई के साथ थी। स्टेशन के लिए निकलने के पहले भी एक कॉलेज की लड़की को हम दोनों ने चोदा। लेकिन सच कहता हूँ, जितनी बढिया चूची आपकी है वैसी चूची पहले कभी नहीं देखी।

इस आदमी ने खुल कर चुदाई और चूची की बात की। मैंने पहले ही फ़ैसला कर लिया था कि तिवारी जी मुझे छोड़ दें तो छोड़ दें। लेकिन ये दोनों अगर हिम्मत करेंगे तो मैं चलती ट्रेन में ही पति के सामने चुदवा लुंगी। अरुण ने मेरे हाथ में एक हज़ार रखा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

इसे भी पढ़े – ट्रेन में मेरी रंडी बहन और बीवी काले आदमी से चुदी

अरुण—- मैडम, एक हज़ार तो आपने ले लिया। अब ब्लाउज़ को बदन से बाहर निकालिए हम आपको ५ हज़ार देंगे।

तिवारी जी चुप रहे।

मैं – नहीं, कभी नहीं। क्या आपके घर की औरतें ऐसा करती हैं?

मेरी बात सुन दोनों ज़ोर से हंसे।

वरुण – तिवारी जी। आप होटल के बदले हमारे घर में हमारे साथ रहिए। हमारे घर में ५२ साल की हमारी मॉं से लेकर १८ साल की मस्त जवान बहन को मिलाकर सात औरते हैं। सभी एक से बढकर एक मस्त माल है। ५२ साल की उम्र में भी हमारी मॉं जवान लड़कों को पागल करती हैं। तिवारी जी आपको जो भी पसंद आये उसे ५०००/- देकर ब्लाउज़ खोलने बोलिए, वो तुरंत ब्लाउज़ बाहर निकाल फेकेगी।

मुझे सुनकर भी विश्वास नही हो रहा था कि कोई आदमी अपनी ही मॉं के बारे में, घर की दूसरी औरतों के बारे में ऐसी बात कह सकता है। मैं दोनों को घूर घूर कर देख रही थी। जब मैं ने जोर से कहा कि ब्लाउज़ नहीं उतारुंगी तो उन्होंने हमें अपने साथ रहने का निमंत्रण दिया। और यह कहा कि तिवारी जी ५०००/- देकर उनके घर की किसी भी औरत का ब्लाउज़ खोल सकते हैं।

अरुण – ५०००/- नही, १००००/- देता हूँ, ब्लाउज़ खोल कर बाहर निकाल दो।

ब्लाउज़ उतरवाने की उनकी जिद देख मुझे विश्वास हो गया कि ये दोनों मुझे पूरा नंगा कर चोदना चाहते हैं। सीधे सीधे चुदाई की बात ना कर ये दोनों भाई तिवारी जी की मर्ज़ी से मुझे चोदना चाहते थे। मैं चुदाई के लिए पूरी तैयार थी। अरुण की १००००/ – देने की बात सुन मैं ने तिवारी जी की ओर देखा। दस हज़ार हमारे लिए बहुत बड़ी रकम थी।

मैं – अगर तिवारी जी बोलेंगे तो मैं ब्लाउज़ बाहर निकाल दूँगी।

वो दोनों हमारे साथ खेल रहे थे। मुझे भी इस खेल में मजा आने लगा था। मेरी बात सुन वरुण ने मुझे दिखाते हुए अपना ब्रिफकेस खोला। ब्रीफ़केस में नोटो के बंडल थे ही। उसमे कुछ मैगज़ीन जैसी किताबें भी थी। उसने एक वैसी किताब निकाल कर तिवारी जी को दी।

वरुण – ये किताब पढिये, आपका मन लगेगा। हम मैडम को नंगा होने नही सिर्फ़ ब्लाउज़ ही खोलने के लिए बोल रहे है। यहाँ हम चारों के अलावा और कोई नही है। हम शायद फिर कभी नहीं मिलेंगे। आप अपनी सुंदर घरवाली को बंद कमरे में हज़ारों बार नंगा देंखते हैं, चुदाई करते हैं।

वरुण – कभी दूसरे के सामने अपने घर की औरतों को नंगा कर देखिए कितना मजा आता है। और वैसे भी दस हज़ार छोटी रक़म नहीं है। न आप बदनाम होंगे ना ही आपकी घरवाली पर कोई अंगुली उठायेगा। मान जाइये तिवारी जी। हमें भी अपनी खूबसूरत पत्नी की ख़ूबसूरती का दीदार करने दीजिये ।

क़रीब २ मिनट बिलकुल शांति रही। मैंने तिवारी जी के हाथ से वो मैगज़ीन ली। कवर पेज पर की फ़ोटो देख कर मेरी चूत गीली हो गई, चूचियॉं टाईट हो गई। एक बिल्कुल नंगी औरत के चूत में एक लौडा और दूसरा लौडा उसकी मुँह में था। मैं पन्ने पलटने लगी।

मैं- मैंने ऐसी किताब पहले नहीं देखा कभी।

मेरी बात सुन अरुण ने अपना ब्रीफ़केस खोला और उस में से ४ वैसी ही किताबें निकाल कर मुझे दिया।

अरुण – कभी कभी ऐसी किताबें भी पढ़नी चाहिए। इन किताबों में ऐसी ऐसी कहानियों रहती है। चुदाई के ऐसे ऐसे तरीक़े रहते हैं कि जिनके बारे में हम हिन्दुस्तानी कभी सोच भी नहीं सकते। नये नये तरीक़ों से चुदाई करते रहने से पति-पत्नी कभी बूढ़े नहीं होते कभी।

अरुण बातें कर रहा था लेकिन छोटे भाई को मेरी जवानी देखने की जल्दी थी। दस हज़ार का बंडल वो पहले ही निकाल चूका था, एक हज़ार और निकाला। ग्यारह हज़ार तिवारी जी के हाथ में देते हुए बोला, “अब और नख़रा मत कीजिए। घरवाली को बोलिए ब्लाउज़ बाहर निकालने।”

तिवारी जी ने एक बार अपने हाथ में रखे रुपया को देखा और फिर मुझे देखा।

तिवारी – विदिशा, ब्लाउज़ बाहर निकाल इन्हें भी दिखा दो तुम्हारी चूचियों कितनी मस्त है। लेकिन अब आप दोनों कुछ और उतारने की बात नहीं करेंगे।

ना मैंने कुछ जबाब दिया न ही दोनों भाइयों ने। मैं उन दोनों की तरफ़ देखती हुई ब्लाउज़ के बटन खोलने लगी। चार बटन खोलने में मैं ने क़रीब दस मिनट का समय लिया। ब्लाउज़ निकाल कर मैंने अरुण के उपर फेंका। दोनों हाथों से चूचियों को मसलने लगी।

मैं – ठीक से देखकर बताओ कि मेरा ये माल तुम्हारे घर की किस माल के समान है।

मैंने चूचियों से हाथ का हटा दिया।

अरुण – भाई, हम कई सालों से चुदाई कर रहे हैं, कम से कम २०० माल को चोदा है लेकिन ऐसी मस्त चूचियॉं पहले नहीं देखी। लाख लाख रुपये की माल है।

मैं -और तुमने क्या दिया? कुछ नहीं।

अरुण – रानी, ये ब्रा भी उतार दो बीस हज़ार दूँगा।

अरुण ने ब्रीफ़केस खोला और १००-१०० के २ बंडल निकाल कर तिवारी जी के हाथ में रखा।

तिवारी – तुमने ये (ब्रा) कब कहॉं से ख़रीदा? बहुत ही ज़्यादा मस्त लग रही हो इस ब्रा में।

मैं – तीन दिन पहले ही गौतमी के साथ बाजार गई थी। उसने ही खरिदवाया। पहनने में भी बढिया है।

तभी पर्दा हिला। मैं ने झट कंबल को अपने उपर खींचा और तिवारी जी ने रुपया को भी कंबल के अंदर कर लिया। मैं मन ही मन मुस्कुराई। तिवारी जी ने ब्रा खोलने का भी एडवांस ले लिया था। मुझे विश्वास था कि ब्रा खोलने के बाद वे साड़ी उतारने बोलेंगे। फिर पेटीकोट उतरेगा और बाद में तिवारी जी अपनी ऑंखों के सामने घरवाली को दो-दो आदमियों से चुदवाते देखेंगे।

मेरी क़िस्मत बढिया थी। वेटर ने मुझे माइक्रो ब्रा पहने नहीं देखा। ब्रा क्या था, सिर्फ़ चूचियों की घुंडी और उसके चारों तरफ़ मुश्किल से एक इंच घेरा को ही ढँक कर रखा था। चारों तरफ़ से मॉंसल चूचियों खुली थी। वेटर ने पहले सूप परोसा। तिवारी जी बाहर गये और उनके बाहर जाते ही।

वरुण – रानी अब बर्दाश्त करना मुश्किल है।

मैं – तो वेटर के सामने चोदोगे? जैसा खेल रहे हो खेलते रहो। तिवारी जी को जैसे ब्लाउज़ खोलने के लिए तैयार किया वैसे ही दूसरे काम के लिए भी तैयार करो। वो बोलेगा तो मैं सब कुछ करने को तैयार हूँ। उन्हें कम उम्र की माल बहुत पसंद है।

मैं बोलना चाहती थी कि अपनी कमसीन बहन की जवानी की बात कर उन्हें उकसाओ लेकिन बोल नहीं पाई। जब तिवारी जी अंदर आये तो हम तीनों अपनी जगह पर बैठ सूप पी रहे थे। सूप पीते हुए दोनों भाई अपने परिवार की बातें करने लगे। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

इसे भी पढ़े – कामवाली की कुंवारी बेटी पहली बार चुदी

अरुण – आप दोनों को एक राज़ की बात बताता हूँ। आप लोग किसी को बोलेंगे तो जल्दी कोई नहीं मानेगा।

मैं – कौन सी राज की बात?

वरुण – भैया की शादी हमसे ५ साल पहले हुईं। जैसे विदिशा जी, आप को देखकर हम दोनों पागल हो रहे हैं वैसा ही पागल मैं भाभी को देखकर हो गया था। भैया की शादी के तीन साल पहले से हम दोनों मिलकर ही किसी की चूदाई करते थे।

वरुण – लड़की एक ही होती थी लेकिन वो हम दोनों को खुश करती थी। हमारी मॉं और दूसरी औरतों ने बहुत टोका लेकिन हमने कह दिया कि हम अपनी घरवाली को भी मिलकर ही चोदेंगें।

हम दोनों उसकी बात सुन तो रहे थे लेकिन मुझे लग रहा था कि वे जो बोल रहे हैं सब झूठ बोल रहे हैं।

अरुण – तिवारी जी, विदिशा आप दोनों का चेहरा देख लग रहा है कि आपको हमारी बात पर विश्वास नहीं हो रहा है। हाथ कंगन को आरसी क्या? चलिए आप दोनों चेरापूंजी में हमारे मेहमान है। आप दोनों जितने दिन रहना चाहे हमारे साथ रहिऐ।

अरुण – सिर्फ़ हम दोनों की घरवाली ही नहीं, विदिशा भी उनके साथ रहेगी। तीन औरतें और हम तीन मर्द। एक ही कमरे में एक ही बेड पर। हम तीनों उन तीनों औरतों को चोदेंगें।

मैं – आप दोनों पागल हो।

वेटर अंदर आया और ख़ाली सूप का कटोरा लेकर चला गया। लेकिन कुछ ही देर बात खाना लेकर आया। एक भाई ने वेटर को २००/- दिया और वेटर ने हमें सब कुछ जितना चाहते थे खिलाया। खाने के बाद हमने आईसक्रीम भी खाया। आईसक्रीम खाकर मैंने कंबल हटाया। खड़े होकर ब्लाउज़ पहना और अकेले ही बाहर चली गई। पेशाब कर वापस आई।

अरुण – अब वेटर हमें रात में डिसटर्ब नहीं करेगा। ब्लाउज़ उतार दो।

मैंने तिवारी जी की ओर देखा।

तिवारी जी – ब्लाउज़ ही नहीं ब्रा भी खोल दो।

मैं समझ गई कि जब मैं बाहर गई तब ज़रूर इन दोनों भाई ने तिवारी जी के साथ कोई डील किया होगा। मुझे ना रुपये चाहिए था ना ही कुछ और। मेरी ऑंखों के सामने निशा की हरकत। तिवारी जी को चूमने, लौडा दबाने की हरकत बार बार सामने आ रही थी।

मैं पति के सामने पूरी रात इन दोनों से चुदवाना चाहती थी। लेकिन सच तो यह था कि मेरे पीछे कोई डील नहीं हुआ था। अरुण ने जो तीनों औरतों को एक दूसरे के सामने चुदाई की बात की थी तिवारी जी को वह बात सच लग रही थी। वे अपनी घरवाली को इन दोनों से चुदवा कर दोनों की कम उम्र की घरवालियों को चोदना चाहते थे। मैंने ब्लाउज़ खोल कर फिर अरुण के उपर फेंका। तिवारी जी की गोदी में बैठ गई।

मैं – तिवारी जी, ब्रा तुम ही निकाल दो।

और तिवारी जी ने देरी नहीं की। उन्होंने हुक खोला, ब्रा स्ट्रैप को मेरी बॉहों से निकाला। वरुण ने झट ब्रा तिवारी जी के हाथ से ले सुंघने लगा। अब मैं उन लोगों के सामने कमर से उपर बिलकुल नंगी बैठी थी। वे चाहते तो हाथ बढ़ाकर चूचियों को मसल सकते थे। लेकिन दोनों को अपने ब्रीफ़केस पर ज़्यादा भरोसा था। वरुण ने अरुण से धीरे धीरे कुछ बात की। उसने फिर ब्रीफ़केस खोल कर बहुत सा बंडल निकाला।

वरुण— तिवारी जी, आपकी बहुत बहुत मेहरबानी कि आपने इतने बढ़िया चूचियों का दीदार करवाया। आपकी विदिशा से बढिया चूची किसी और की हो नहीं सकती। आप ये सारा रुपया रख लीजिए। इससे भी आपका मन नहीं भरता है तो तो हमारे घर चलिए। मज़ाक़ नहीं कर रहा हूँ, अपनी १९ साल की कमसीन बहन आपको दे दूँगा। आप उसे जितना चाहे चोदिये कोई मना नहीं करेगा। लेकिन अभी हमें इस खुबसूरत हसीना को प्यार करने दीजिए।

अरुण— हॉं तिवारी जी, ट्रेन की बात ट्रेन में ही रहेगी। आपकी ये घरवाली सैकड़ों बार चूद चूकी है लेकिन हमारी बहन शायद अभी कुँवारी ही है। आप जितने दिन चाहे हमारे घर रहकर मेरा बहन को, साथ ही हमारी घरवालियों को भी चोदिये बदले में आप हमें अपनी ये घरवाली दे दीजिए। आपका फ़ायदा ही फ़ायदा है।

कुछ देर चुप्पी रही। मैंने देखा कि तिवारी जी ने सारे बंडल को उठाया। मैं ने गिनती की। १५-२० बंडल रहे होंगे।

तिवारी जी – रानी, अगर तुम चाहो तो दोनों से प्यार कर सकती हो।

मैं तिवारी जी के गोदी में ही बैठी थी।

मैं – तुम्हारी घरवाली हूँ। तुम जो बोलोगे करुंगी। वैसे मुझे तुम्हारे साथ की चूदाई बहुत बढिया लगती है। तुम निशा को चोदो या उसकी मॉं गौतमी को मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। क्योंकि मैं जानती हूँ कि मैं जब चाहुंगी तुम्हारा लौडा मुझे खुश करने के लिए तैयार है।

मैं – मुझे मालूम है कि तुम बहुत पहले से निशा को चोद रहे हो। मैं तो कहुंगी कि अब किसी होटल में ले जाकर चोदने से बढिया है कि तुम निशा को अपने घर में ही लाकर चोदो। मैं उसे तैयार कर लुंगी।

मैंने गर्म लोहा पर हथौड़ा चलाया था। तिवारी जी को विश्वास नहीं हो रहा था कि मुझे उनकी और निशा की चुदाई के बारे में जानकारी है। तिवारी जी ने मुझे खड़ा होने कहा और खूद अपने हाथों से मेरा साड़ी खोला और बाद में साया भी नीचे गिरा दिया। मैं दोनों के सामने नंगी खड़ी थी।

तिवारी जी – तीन रात पहले चोदा था तों झॉंट थे। मुझे मालूम ही नहीं था कि तुम्हारी चूत इतनी प्यारी है।

मैं – परसों गौतमी के घर गई थी। उन्होंने ने क्रीम से बूर को चिकना किया। अब मेरे घरवाला ने तुम लोगों के लिए मुझे नंगा कर ही दिया है तो फिर किसका इंतज़ार कर रहे हो।

तिवारी जी का हाथ बूर पर था ही दोनों अरुण और वरुण खड़े हुए। दोनों नंगे हुए। दोनों का लौडा देख मैं खुश हो गई। तब तक मैंने एक ही लंड से चुदवाया था। गौतमी ने कहा था कि लंबा लौडा देखने में। पकड़ने में जरुर बढिया लगता है लेकिन चुदाई का असल मज़ा तभी आता है जब लौडा मोटा हो।

लौडा जितनी देर बूर में कड़क रहता है चूदाई का मज़ा उतनी ही देर रहता है। दोनों भाई का लौडा तिवारी जी के लंड से डेढ़-दो इंच छोटा था लेकिन तिवारी जी के लौडा से बढिया मोटा था। मैं फिर तिवारी जी की गोदी में दोनो पॉंव को पूरा फैला कर बैठ गई और एक एक हाथ में एक लौडा लेकर सहलाने, दवाने लगी। वरुण को बूर में लौडा पेलने की जल्दी थी।

इसे भी पढ़े – बच्चे के लिए दूधवाले को एक रात का पति बनाया

वरुण – रानी पहले एक बार लौडा अंदर पेलने दो फिर जो करना है करना।

मैं ने तिवारी जी से उठने कहा। तिवारी जी खड़े हो गये। मैं ने वरुण का लौडा छोड़ा। अरुण के लौडा को पकड़ कर मैं बर्थ पर लेट गई।

मैं – वरुण, अरुण बड़ा है, किसी भी माल पर पहला हक़ बड़े भाई का होता है। अरुण, पहले तुम चोदो।

तिवारी जी देखते रहे और अरुण मेरा टॉंगो के बीच आया। दोनों चूचियों को दबाते हुए कई बार गालों और होंठों को चूमा और एक बहुत ज़ोर का धक्का मारते हुए लौडा को बूर में पेलने लगा। “आह, मज़ा आ गया।” मुझे सच बहुत बढिया लगा। अरुण मुझे खुद जमा जमा कर पेल रहा था।

मैंने देखा कि तिवारी जी ने पर्दा को ठीक से बंद किया कि बाहर से किसी को कुछ दिखाई न दे। वरुण नंगा खड़ा हो कर हमारी चुदाई देख रहा था। उसका लौडा भी टाईट था। मैं ने एक हाथ से वरुण के लौडा को पकड़ सहलाने लगी।

मैं – तिवारी जी, सच बोलिए, अपनी ऑंखें के सामने अपनी घरवाली से चुदवाते देख आपको बहुत ग़ुस्सा आ रहा है ना! आप ने इन्हें रोका क्यों नहीं। आपको ग़ुस्सा आ रहा है तो आये। अरुण बढिया पेल ह रहा है आपके सामने चुदवाने में मुझे बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा है।

मुझे लगा कि मेरी बात सुन तिवारी जी नाराज़ होंगे। लेकिन नहीं।

तिवारी जी – जब इन लोगों ने ब्लाउज़ खोलने कहा तब मुझे बहुत ही ज़्यादा ग़ुस्सा आया था। लेकिन अब सच कहता हूँ तुम्हें दूसरों से चुदवाते देख एक अजीब सा मज़ा मिल रहा है।

मैं भी कमर उचका कर, चुत्तर को उछाल कर अरुण के हर धक्का का जबाब दे रही थी।

अरुण – वरुण, सच कहता हूँ भाई, ये विदिशा सच सबसे बढिया माल है। चुत टाईट तो है ही बहुत रसीली और बहुत गर्म भी है।

अरुण खुब प्यार से, दोनों हाथों से मेरे बदन को सहलाते हुए पूरी ताक़त से पेल रहा था। उसने तिवारी जी को देखा जो सामने की सीट पर बैठ कर घरवाली की चूदाई देख रहा था।

अरुण – तिवारी जी, चेरापूंजी में आप दोनों हमारे घर में ही रहेंगे। चेरापूंजी से आप दार्जिलिंग जायेंगे लेकिन विदिशा आपके साथ नही जायेगी। विदिशा हमारे साथ रहेगी और आप के साथ हमारी बहन वीणा जायेगी। वो आपकी घरवाली जैसी रहेगी। वापसी में आप विदिशा को ले जाइयेगा।

अरुण के घर में रहने में मुझे कोई समस्या नहीं थी। १५ मिनट से ज़्यादा की चुदाई हो गयी।

वरुण – भैया बूर के अंदर पानी मत गिराइयेगा।

मैं – हॉं अरुण, बूर में रस भर जायेगा तो फिर वरुण को मज़ा नहीं आयेगा। तुमने बहुत चोद लिया अब भाई को चोदने दो। मुझे अपनी बूर का स्वाद लेने दो।

लेकिन अरुण का मन नहीं भरा था। उसने ५-७ मिनट और खुब जमा जमा कर चोदा।

मैं- अरुण, बहुत ही बढ़िया से पेल रहे हो। बहुत मज़ा आ रहा है।

सच, जो मज़ा अरुण के साथ आ रहा था वैसा मज़ा तिवारी जी ने कभी नहीं दिया था। मुझे गौतमी की बात याद आ गई।”नये लोग. नया लंड बहुत मज़ा आता है।” मैंने फ़ैसला किया कि मैं भी गौतमी के साथ नये नये लंड से मज़ा लुंगी। अरुण बहुत तेज़ी से पेल रहा था। अचानक उसने लौडा बाहर खींचा।

मेरे उपर से उठकर वो मेरे बग़ल में आया और मैंने अपनी बूर से लथ पथ लौडा को पकड़ा और धीरे धीरे मुँह के अंदर लेने लगी। मैं लौडा मुँह में ले रही थी और वरुण बूर में लौडा पेलने लगा। वरुण ने चुदाई शुरु की और तिवारी जी अपने कपड़े उतारने लगे। मैं यह देख खुश हुई की तिवारी जी का लौडा पुरा टाईट है।  ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

अरुण मुझे मुँह में चोद रहा था और वरुण का लौडा बूर में अंदर बाहर हो रहा था। मैंने अरुण का लौडा छोड़ा और तिवारी जी के लौडा को सहलाने लगी। ५-७ मिनट मुँह में रहने के बाद अरुण का लौडा पानी छोड़ने लगा। मैं तिवारी जी का लौडा अक्सर चूसती थी लेकिन तब तक लौडा के पानी का एक बूँद भी मुँह में गिरने नहीं दिया था।

लेकिन चलती ट्रेन में पति के सामने चुदवाने में मैं बहुत ही मस्ता गई थी। कुछ नया नया करने का जी कर रहा था। तिवारी जी का लौडा छोड़ अरुण के लौडा को जड़ से पकड़ मुँह में दबाये रखा। अरुण लौडा बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था लेकिन मैंने पूरी ताक़त से अंदर दबा रखा था।

गरम गरम बुंदे जीभ पर गिर रहा था। एक अजीब सा मज़ा आ रहा था। जब मुझे लगा कि लंड ने सारा पानी छोड़ दिया, लौडा ढीला होने लगा तब मैं ने मुँह खोला। लौडा बाहर निकल गया। मैंने मुँह पूरा खोला। तीनों ने देखा कि मेरे जीभ पर सफ़ेद गाढ़ा रस का लेयर है। वे तीनों देखते रहे और मैंने सारा रस अंदर ले लिया। मैं मुस्कुराई।

मैं – अरुण, यह पहला मौक़ा है जब मैं ने रस मुँह में गिरने दिया लेकिन राजा मज़ा आ गया। बहुत ही स्वादिष्ट माल था। आज सबका माल खाऊँगी।

तीनों आश्चर्य से मुझे देखते रहे। वरुण अपने को सँभाल नहीं पाया और बूर में ही रस गिरा दिया।

मैं – वरुण, कोई बात नहीं, अभी पूरी रात बाक़ी है।

वरुण हटा और एक मिनट के अंदर तिवारी जी मुझे चोदने लगे। अरुण ने अपना ब्रीफ़केस खोला और मेरे मुँह के उपर उसे ख़ाली कर दिया। उस रात मैंने तीनों में से किसी को सोने नहीं दिया। बारी बारी से तीनों मुझे चोदते रहे। मैंने सबका रस पिया। सभी के लौडा को बहुत बहुत देर तक चूसा और तीनों ने मेरी बूर चूसी चाटी।

आख़िर तीनों सुबह ५ बजे के बाद सोये लेकिन मुझे नींद नहीं आई। मैं यही सोचती रही कि मैं इतनी बेशर्म कैसे हो गई। बहुत सोचने के बाद इसी नतीजे पर पहुँची कि निशा और तिवारी जी कि चुदाई तो एक बहाना है मैं खुद ही बहुत चुदासी है.

“मैडम, चाय लेंगी या कॉफी?”

अचानक आवाज़ सुन मैंने देखा। रात बाला ही वेटर ट्रे और थर्मस लेकर खड़ा था। मैं ने बग़ल में देखा। अरुण एक कंबल ओढ़ कर सो रहा था। मैंने भी अपने को कंबल से ढक रखा था। मैं ने कंबल को झटका। कंबल नीचे गिरा।

“मेरे लिए एक चाय बनाओ।”

उसने मेरे लिए चाय बनाया। चाय बना कर दोनों हाथों से दोनों चूचियों को दबाते हुए मुझे चुमा। फिर बूर को मसलते हए बोला, “ मैडम, ऐसे ही रहो जल्दी आता हूँ।”

और दस मिनट के बाद एक नया लौडा मेरी बूर के अंदर घुस रहा था। मैंने अपनी दोनों हाथों से उसे खुब ज़ोर से बॉंधा।

मैं – इन तीनों ने मुझे रात भर चोदा लेकिन तुम सबसे बढिया से चोद रहे हो। ट्रेन से उतरने के पहले मुझे एक बार और ये लौडा बूर के अंदर चाहिए।

“मिलेगा मैडम मिलेगा। मेरे और मेरे लौडा की आप पहली औरत हैं।”

इसे भी पढ़े – चुदाई सुख से वंचित चाची को पेल लिया

और उस वेटर ने सबसे लंबी चुदाई की। वेटर मुझे खुश कर बाहर गया। रात दोनों भाइयों ने जितना रुपया दिया उसे समेट कर अरुण के ब्रीफ़केस में वापस रख दिया। दिन में भी मैंने दोनों भाइयों से एक एक राउंड चुदवाया। चेरापूंजी पहुँच कर जैसा कहा था अरुण ने मुझे और तिवारी जी को अपने ही घर में रखा। तिवारी जी ने अरुण की बहन को अपनी घरवाली समझ ७ दिन रात खुब चोदा। रात में मुझे चोदते समय अरुण और वरुण ने पूछा कि उसने सारा रुपया वापस क्यों कर दिया।

मैं- मुझे सिर्फ़ बढिया लौडा और तुम्हारे जैसा मस्त चोदने वाला चाहिए, धन दौलत नहीं।

दस दिन बाद जब वे घर लौटे तो मैंने कहा, “तिवारी जी, मैं आपकी घरवाली हूँ, कोई रंडी नहीं हूँ। उन दोनों ने जो भी रुपया दिया था वो सारा मैंने वापस कर दिया। आप निशा को चोदो या ना चोदो। मैं जल्दी ही निशा के बाप से इसी घर में आपके सामने चुदवाऊँगी।”

ये Train Cuckold Sex की कहानी आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ फेसबुक और Whatsapp पर शेयर करे……………..

अपने दोस्तों के साथ शेयर करे-

Related posts:

  1. दुकान में गांड मरवाने लगी एक औरत
  2. झारखण्ड की प्यासी हाउसवाइफ को लंड चाहिए
  3. बुड्ढा बनिये ने जवान औरत साथ संभोग का मजा लिया
  4. एक बार मेरी बुर में लंड घुसाइये भैया 1
  5. पति सेक्स के टाइम वहशी बन जाता 2
  6. दीदी आओ हमारा लंड भी खा लो

Filed Under: Hindi Sex Story Tagged With: Blowjob, Boobs Suck, Hardcore Sex, Hindi Porn Story, Horny Girl, Kamukata, Mastaram Ki Kahani, Non Veg Story, Sexy Figure, Train Mein Chudai

Primary Sidebar

हिंदी सेक्स स्टोरी

कहानियाँ सर्च करे……

नवीनतम प्रकाशित सेक्सी कहानियाँ

  • Birthday Par Suhagrat Girlfriend Sath
  • बचपन की दोस्त की नशीली चूत चोदी
  • Mota Kela Laya Maa Ki Chut Me Dalne Ke Liye
  • शादीशुदा लड़की की कुंवारी गांड कैसे चोदी
  • Reena Bhabhi Ka Sexy Figure

Desi Chudai Kahani

कथा संग्रह

  • Antarvasna
  • Baap Beti Ki Chudai
  • Bhai Bahan Sex Stoy
  • Desi Adult Sex Story
  • Desi Maid Servant Sex
  • Devar Bhabhi Sex Story
  • First Time Sex Story
  • Girlfriend Boyfriend Sex Story
  • Group Mein Chudai Kahani
  • Hindi Sex Story
  • Jija Sali Sex Story
  • Kunwari Ladki Ki Chudai
  • Lesbian Girl Sex Kahani
  • Meri Chut Chudai Story
  • Padosan Ki Chudai
  • Rishto Mein Chudai
  • Teacher Student Sex
  • माँ बेटे का सेक्स

टैग्स

Anal Fuck Story Bathroom Sex Kahani Blowjob Boobs Suck College Girl Chudai Desi Kahani Family Sex Hardcore Sex Hindi Porn Story Horny Girl Kamukata Kunwari Chut Chudai Mastaram Ki Kahani Neighbor Sex Non Veg Story Pahli Chudai Phone Sex Chat Romantic Love Story Sexy Figure Train Mein Chudai

हमारे सहयोगी

क्रेजी सेक्स स्टोरी

Footer

Disclaimer and Terms of Use

HamariVasna - Free Hindi Sex Story Daily Updated