Double Penetration
मैं बहुत सीधी सादी औरत हूँ, मेरी शादी को पाँच साल हो गए है और मेरे पति बड़े व्यापारी हैं, उनका काम घर पर भी चलता है, अपने लैपटॉप पर वो रात को 12-1 बजे तक काम करते रहते हैं ! तो मैं रात को देर तक अपने लैपटॉप पर ऑनलाइन चैटिंग करती रहती हूँ। वैसे तो मेरे प्रोफाइल में ज्यादा लड़कियों को ही ऐड किया हुआ है, उनसे सेक्स के विषय पर बात करते हुए अपने आपको थोड़ा रिलेक्स कर लेती हूँ ! Double Penetration
वैसे मेरे पति को मुखमैथुन का बहुत शौक है मुझे ऐसा करना होता ही है, वैसे शुरू में तो मुझे कोई कोई परेशानी नहीं होती थी, पर मुझे नीचे की भी शांति की जरुरत होती है, इस बारे में मेरे पति से कहती हूँ तो वो टाल जाते हैं, कहते हैं- थोड़ा कर दो, फिर करता हूँ !
वो कभी करते भी हैं तो कम समय में ही झर जाते हैं तो कुछ हो भी नहीं पाता है ! मुझे संतुष्टि नहीं मिलती है, मुझे और ज्यादा सेक्स की जरुरत होती है तो थोड़ा खुद हाथ से शांत कर लेती हूँ, पर जो शांति लिंग से मिलती है वो मुझे शादी के एक साल तक ही मिल पाई !
मैं परेशान रहने लगी लगी कि औरत की चुदास को शांत करना बहुत मुश्किल काम है, यह बात एक औरत के अलावा कोई नहीं जान सकता, कम से कम मर्द नहीं समझ सकता है, उसको वीर्य पतन तक ही मतलब होता है, उसके बाद औरत का क्या हाल है वो जाने बिना ही सो जाते हैं, यह मैंने बहुत सालों बाद अनुभव किया है!
पूरी दुनिया में ऐसे लाखों औरतें है जो इस परेशानी से जूझ रही हैं पर कोई चारा नहीं है तो बस बर्दाश्त करके घुट घुट कर जी रही हैं ! मैं अपने बारे में बताती हूँ ! मुझे देख कर कॉलेज के ज़माने में लड़के मुझ पर मरते थे और आज भी कई लड़के और मर्द अपनी जान देने के लिए तैयार रहते हैं। मेरा गोरा रंग और सुंदर नयन-नक्श ! मेरे स्तन 32 आकार के हैं।
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मेरी उम्र हालाँकि 28 है पर मैं आज भी 22 की लगती हूँ ! मेरे पति रुपेश जो 34 साल के हैं, वैसे है वो भी काफी खूबसूरत ! पर मुझे सेक्स में शांत नहीं कर पाते हैं और एक बात मेरे पति रुपेश का कोई चक्कर भी है शायद, ऐसा मुझे शक है ! क्यूंकि इतनी सुंदर बीवी को कोई ठीक से न चोदे तो उसको आप क्या समझेंगे? कि या तो वो मूर्ख है या कोई चक्कर है ! खैर, अब मैं कहानी पर आती हूँ !
रुपेश का यों बार-बार बाहर जाना कभी मुंबई, कभी दिल्ली तो कभी विदेश, महीने में 10 से 15 दिन दिन का टूर होता है जो मुझे परेशान रखता है। चाहे मुखमैथुन ही सही, पर उनका सुंदर लिंग देखने को तो मिल जाता है न! और फिर हिंदी सेक्सी कहानियाँ और चैटिंग पर सेक्स की बात करके मेरा क्या हाल होता होगा, मेरे सारी बहनें जो हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर आती हैं, जान सकती हैं।
हाँ, वैसे मेरे मर्द दोस्त भी समझ सकते हैं कि हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर क्या होता है? उसके बाद क्या हाल होता है? अगर लिंग न मिले चूसने को और खाने को? नीचे चूत कैसे फड़कती है, बिना लिंग के चूत? यह मुझसे बेहतर कोई नहीं जान सकता है ! कहानी की शुरुआत होती है बहुत भावुक माहौल से ! एक बार ये इंदौर गए थे और रास्ते में बस-दुर्घटना हो गई। यह खबर देने के लिए इनका दोस्त दीपू आया, मैं नहा रही थी, बाथरूम मैं थी.
“भाभी ! भाभी !” आवाज दी उसने- आप कहाँ हैं?
मैंने कहा- मैं बाथरूम मैं हूँ !
उसकी आवाज मैं बहुत खौफ और दर्द था, वो रुआंसा हो रहा था।
मैंने कहा- क्या हुआ दीपू जी?
मैंने बाथरूम से ही कहा।
दीपू ने कहा- रुपेश का फोन आया क्या?
मैंने कहा- नहीं !
“तुमने किया क्या?”
मैंने कहा- नहीं !
मैंने कहा- क्या हुआ? जल्दी बताओ?
“कैसे बताऊँ भाभी ! जिस गाड़ी से रुपेश जा रहा था, वो दुर्घटनाग्रस्त हो गई है, मैंने अभी समाचार में सुना है, और बहुत बड़ा नुकसान हुआ है ! और रुपेश का फोन भी नहीं लग रहा है !”
मैं बेहोश होने लगी, मैं नहा रही थी, बस तौलिये में थी, मेरे हाथ मैं नाइटी लगी, और ऐसे ही बाहर आ गई, मुझे होश भी नहीं रहा कि मैं कैसे हूँ ! और रोते हुए दीपू से लिपट गई।
दीपू मुझे दिलासा देने लगा- कुछ नहीं होगा भाभी ! आप चिंता न करो !
मैं सिर्फ पैंटी में थी और वक्ष पर तौलिया था जो आधे ही चूचों को ढक रहा था ! मेरे पीठ नंगी थी जिस पर दीपू हाथ फेर रहा था मुझे दिलासा देने के लिए ! मैं उससे चिपक कर रो रही थी, मुझे यह भी होश नहीं था कि मैं पूरी तरह से नंगी हूँ और मेरे उरोज़ उसके जिस्म से चिपक रहे हैं, पर उस समय ऐसा नहीं था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
इतने में मेरा फोन बजा, मैं कमरे की तरफ भागी, मेरे साथ-साथ दीपू भी था। शुक्र है, रुपेश का फोन था। मैंने जल्दी से फोन उठाया- तुम कहाँ हो रुपेश? क्या कर रहे हो? क्या हाल है? सारे सवाल एक साथ दाग दिए मैंने !
रुपेश ने कहा- घबराना मत ! मुझे कुछ नहीं हुआ है, मुझे पता था कि तुमको खबर जरूर लग गई होगी !
“तो तुम्हारा फोन क्यों नहीं लग रहा था?”
रुपेश ने कहा- मेरा फोन ख़राब हो गया है, टूट गया है, मैं दूसरे मोबाइल में सिम डाल कर तुमको फोन कर रहा हूँ ! और फिर से इंदौर जा रहा हूँ दूसरी गाड़ी में ! वैसे बहुत से यात्रियों को चोट आई है और तीन तो मर भी गए हैं, पर मुझे कुछ नहीं हुआ है।
मैंने कहा- चलो ठीक है कि तुमको कुछ नहीं हुआ यार ! दीपू ने खबर दी, मैं मर जाती तुम्हारे बिना !
और फिर से रोने लगी। इतने में फोन कट गया लाइन की खराबी के कारण ! मुझे रोता देख दीपू फिर से मेरे पीठ पर हाथ फेरने लगा और मैं उससे लिपट गई। अब तक मैं नंगी थी और मुझे यह अहसास भी नहीं था। क्या आप मानेंगे मेरी बात को? पर यही सच है !
दीपू अब तक सब सुन भी चुका था, मेरे नंगे बदन को देख भी चुका था और मुझे अपनी बाहों में लेकर मुझे अपने मर्द होने का अहसास करवा रहा था। उसके लिंग का अहसास मुझे नीचे होने लगा था और मेरे उरोज उसके जिस्म से बहुत जोर से जकड़े हुए थे। मैंने उससे छुटने का प्रयास किया पर छुट नहीं पाई।
वो बोला- काफी खुबसूरत हो भाभी आप तो ! आपके क्या बूब्स हैं ! जैसे रुपेश ने कभी छुआ नहीं हो ! बहुत सख्त हैं आपके बूब्स !
मैं शरमा गई, मुझे तब अहसास हुआ कि मैं नंगी हूँ।
मैंने कहा- छोड़ो दीपू भैया, मुझे शर्म आती है !
वैसे मैं तब तक मस्त हो गई थी ! मैं नहीं चाहती थी कि दीपू मुझे छोड़े! उसके लिंग का अहसास मेरे पूरे शरीर में हो रहा था, मुझे पता नहीं क्या हो रहा था ! मैं पहली बार किसी अन्य मर्द की बाहों में थी, उसने मुझे कस कर पकड़ रखा था।
“भाभी, मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ ! कई बार आपको पाना चाहा, कहना चाहा, पर हिम्मत नहीं हुई ! आज ऐसा मौका मिला कि आप खुद मेरे बाहों में हैं और कह रही हैं छोड़ दो ! मैं कैसे छोड़ूँ आपको !”
मैंने छुटने का प्रयास कम कर दिया, मैं उसकी बाहों में मजा करने लगी, वो मेरे स्तनों को दबा रहा था।
मैंने कहा- दीपू, दर्द होता है, धीरे करो ना !
यह सुन कर दीपू की हिम्मत बढ़ गई और उसने अपनी पैंट उतार दी, मेरा हाथ उसके लिंग पर जा रहा था, मैं उसका लिंग हाथ में लेकर सहलाने लगी। अब बस यह चाह रही थी कि वो अपनी चड्डी हटा दे और मेरी चूत में अपना लिंग डाले ! वैसे दीपू का लिंग रुपेश के लिंग से कुछ छोटा ही लग रहा था।
मैंने बिस्तर पर लेटते हुए कहा- दीपू, अब देर न करो ! मैं बहुत प्यासी हूँ, जल्दी से डालो न !
दीपू भी पूरा सेक्स में मस्त हो चुका था, उसको भी कुछ नहीं सूझा उसने अपनी चड्डी खिसकाई, लिंग मेरी चूत के ऊपर रखा और जोर का धक्का दिया, एक ही बार में पूरा लिंग डाल दिया मेरे अन्दर !
मैं दर्द से रो पड़ी- क्या करते हो दीपू? थोड़ा धीरे !
दीपू ने कहा- नहीं रहा जाता भाभी ! मैंने कई बार आपके नाम से हाथ से सेक्स किया है अपने हाथ से !
और फिर वो मुझे जोर जोर से चोदने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था, ऐसे कभी भी रुपेश ने नहीं चोदा था मुझे ! वो बड़ी बेरहमी से चोद रहा था।
मैं झड़ गई, मैंने कहा- दीपू, मैं झड़ रही हूँ !
पर वो अभी नहीं झड़ा था, वो करता रहा, मुझे मजा आ रहा था, चुदाई का सच्चा सुख आज दीपू ने दिया था, मैं बस आह आह कर रही थी।
दीपू ने कहा- भाभी, मैंने आज पहली बार चूत मारी है ! अब तक तो हाथ से ही काम चल रहा था !
दीपू अभी कुंवारा था ! मैं फिर से झड़ गई। तीन बार मुझे झाड़ने के बाद दीपू ने कहा- भाभी, मैं अब झड़ने वाला हूँ ! वीर्य कहाँ निकालूँ?
मैंने कहा- मेरे जानू, तुमने मुझे निहाल कर दिया है, अब मेरी चूत को भी निहाल कर दे !
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इतना कहते ही दीपू आह आह भाभी करते हुए मेरी चूत में ही झड़ गया और उसके गर्म वीर्य की धार से मैं एक बार और झड़ गई। मेरे शरीर में अकड़न हो रही थी, अलग सा मजा आ रहा था, वो मेरी चूत में लिंग डाल कर ऐसे ही पड़ा रहा और हमारी कब आँख लग गई, पता ही नहीं लगा !
जब आँख खुली तो फिर से ऐसे ही सेक्स किया, अब मैंने उसका सारा लिंग अपनी जुबान से चाट कर साफ किया और कहा- दीपू, फिर से चोद दो ! मजा आ गया ! वो फिर से तैयार था, फिर उसने जोर जोर से मुझे पेला, मैं दो बार झड़ गई। अब उसका निकलने वाला था, वो बोला- भाभी अब क्या करूँ?
मैंने कहा- आओ, मेरे मुँह में आ जाओ !
और उसने सारा वीर्य मेरे मुँह में छोड़ दिया, मैं सारा वीर्य गटक गई, क्या अच्छा स्वाद था !
मैंने उसको बाहों में लिया और कहा- रुपेश तो बस मुखचोदन करता है, मुझे तो प्यासी रख देता है।
दीपू ने कहा- भाभी, अब तुम कभी प्यासी नहीं रहोगी, अब तुम जब भी बुलाओगी, आपका यह सेवक हाजिर रहेगा !
रुपेश के आने के बाद जब भी वो बाहर रहता था हम दोनों यह मधुर-मिलन करते थे ! पर उसके आने जाने से मेरे पड़ोस में रहने वाले एक लड़के विजय को शक हो गया। विजय मुझसे 8 साल छोटा है वो करीब 19 साल का होगा ! उसने कहा- भाभी, भाई जब भी बाहर जाते हैं तो दीपू भाई क्यों आते हैं आपके यहाँ और रात भर क्या करते हैं?
मैं डर गई, मैंने कहा- तू किसी को नहीं कहना !
वो बोला- क्या आप मेरे साथ भी वो सब कुछ करोगी जो दीपू भाई के साथ करती हो?
मैंने कहा- तू अभी छोटा है !
वो बोला- नहीं भाभी, मैं छोटा नहीं हूँ। कभी आप मेरा लिंग देखना, तब कहना, नहीं तो रुपेश भैया को सब बता दूंगा।
मैं डर गई- अच्छा बाबा, मैं करुँगी, कल तुम्हारे रुपेश भैया जा रहे हैं, तू आ जाना !
बस वो खुश हो गया। रुपेश चार बजे निकल गया, मुझे ऐसा उम्मीद थी कि विजय ये सब जरूर देख रहा होगा, उसको रुपेश के जाने का इन्तजार था ! जैसे ही रुपेश गया, थोड़ी देर में घंटी बजी, मुझे लगा कि विजय ही होगा। मैंने दरवाजा खोला। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“हेल्लो भाभी, मैं आ गया !”
“अरे विजय? तुम बड़ी जल्दी आ गए? अभी ही तो वो गए हैं।”
“हाँ, मैं सब देख रहा था और इन्तजार भी कर रहा था कि कब रुपेश भैया जायें और मैं आपके पास आऊँ।”
मैंने कहा- अरे विजय, यह सब ठीक नहीं है, तुम बहुत छोटे हो इस काम के लिए ! वैसे क्या उम्र है तुम्हारी?
विजय ने कहा- मैं अभी 18 का हुआ हूँ !
मैंने कहा- बस? मैं तो तुमको 19-20 का समझती थी, तुम तो और भी छोटे हो यार ! कैसे मैं तुमको बिगाड़ूँ?
“नहीं भाभी, मैं पहले से बिगड़ा हुआ हूँ, मैंने ऐसे सेक्स नहीं किया है पर आपके नाम से कई बार हस्तमैथुन किया हुआ है, एक बार मेरा लंड देख लो, अगर पसंद न आये तो मना कर देना !” यह कहते ही उसने अपना पजामा उतार दिया और सिर्फ चड्डी में आ गया और उसका लिंग तम्बू बना हुआ था।
मैंने कहा- यार, तुम्हारा तो बड़ा लगता है रुपेश से और दीपू से दोनों से ! तुम तो मर्द हो ! यह भी उतार कर दिखा अपना लिंग !
वो बोला- खुद ही उतारो ना भाभी !
मैंने हाथ लगा कर देखा, उसका बहुत बड़ा था। मैंने उसकी चड्डी उतार दी, मैं उसका लिंग देख कर दंग रह गई, उसका लिंग बड़ा और बहुत सुंदर था। एकदम गोरा ! मेरे मुँह से निकल गया- वाह, क्या लौड़ा है विजय तुम्हारा ! और मेरे अंदर बेचैनी होने लगी ! मुझसे रहा नहीं गया, मैंने जल्दी से उसका लिंग अपने मुँह में ले लिया। क्या अच्छा लिंग था उसका !
मैंने एक बार और कहा- विजय बहुत सुंदर लिंग है तुम्हारा ! आई लव यू विजय ! यार तुमने जन्नत दिखा दी !
और जोर जोर से उसका लिंग मुँह में लेने लगी, वो मेरे कबूतर दबाने लगा था ! मुझे आज बहुत अलग अहसास हो रहा था, मैं आपको अपने मुँह से बयान नहीं कर सकती हूँ, मुझे एक नशा सा हो रहा था, मैंने उसके लिंग को इतना चूसा कि वो किनारे आ गया।
“अरे भाभी ! मैं तो गया, बस रुको रुको !”
मैं कहाँ मानने वाली थी, और वो मेरे मुँह में ही झड़ गया। मैं उसका बहुत स्वाद वीर्य पी गई।
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“क्या बात है विजय ! तुम बहुत नशीला लिंग लिए हुए घूम रहे थे इतने दिनों से ! क्यों मुझे इसके दर्शन नहीं करवाए? मैं कभी भी दीपू के साथ नहीं करती ! अब मैं शायद तुम्हारे भैया के साथ भी नहीं कर पाऊँगी ऐसा, जैसा सुख तुम्हारे लिंग ने मुझे दिया है, मैं रुपेश का भी मुँह में लेती हूँ पर उसकी इच्छा के कारण, पर तुम्हारा मैंने अपनी प्यास शांत करने के लिए लिया है।”
और फिर से उसका लिंग चूम लिया। थोड़ी देर तक ऐसे ही उसको मुँह में लेकर रखा, उसका लिंग फिर से तन गया.
मैंने कहा- विजय, अब बस देर न करो, मुझे अपने लिंग की सैर करा दो ! मेरी चूत बहुत प्यासी है, इसको भी थोड़ा अपने रस से सराबोर कर दो !
थोड़ी देर तक वो मेरी चूत चाटता रहा, मुझे असीम आनंद आ रहा था, मैं आह.. आह.. कर रही थी, मेरे मुँह से सीत्कारें निकल रही थी, और वो भी मस्त था ! उसको भी जन्नत का सुख मिल रहा था !
वो बोला- भाभी, आज मुझे बहुत मजा आ रहा है, मैंने कभी इसके पहले चूत नहीं देखी और आपकी जैसी खूबसूरत भाभी के साथ सेक्स करने के बाद मैं कभी भी किसी के साथ सेक्स नहीं कर सकूँगा, आपका बहुत बहुत शुक्रिया कि आपने मुझे ये सब करने दिया।
मैंने कहा- अब मत तड़पाओ ! अपना लिंग मेरी चूत में डालो ! ..आह नहीं… रहा जाता है अब !
मैं उसकी जीभ की हरकत से बहुत उत्तेजित हो गई थी और मैं झड़ने वाली थी और वो कर रहा था ! “आह …आह …आह मैं झड़ रही हूँ… विजय आह ..आह और मैं झड़ गई।” उसने मेरा सारा रस पी लिया, अब उसको जोश चढ़ गया, वो बोला- क्या मजा है भाभी आपकी चूत के रस का ! मैं अब पहली बार आपकी चूत में अपना डाल रहा हूँ !
वो मेरे दोनों जांघों के बीच आ गया और अपना लिंग डालने लगा। पर यह क्या ! वो निशाना चूक रहा था। मैंने अपने हाथ से उसका लिंग पकड़ कर लिंग अंदर डलवा लिया, मुझे हल्का दर्द का अहसास हुआ, मैं सिसक कर रह गई, मैं बोली- आह ! कितना सुंदर और बड़ा है तुम्हारा विजय ! मजा आ गया ! और उसने थोड़ी देर अंदर डाले रखा।
मैंने कहा- थोड़ा शुरू करो अब काम !
और इतना कहते ही उसने धक्के लगाना चालू कर दिया। मैं उसके लिंग का अंदर तक अहसास कर रही थी और चरम आनंद को अनुभव कर रही थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था। वो बस जोर जोर से धक्के लगा रहा था और मैं आह …आह कर के उसके लिंग के मजे ले रही थी !
“काश विजय, तुम पहले मिल जाते तो मुझे इतना नहीं तड़पना होता !”
विजय बोला- भाभी तुमने भी कभी मेरे ऊपर ध्यान नहीं दिया, मैं तो दो साल से आपको चोदने का सोच रहा था !
“सच? तो क्या तुम 16 साल के थे तब से ही इतना सब जानते थे क्या?”
“हाँ भाभी, मैं सब जनता था ! मुझे 13 साल से ही सब जानकारी है, मैंने कई सारी नंगी फिल्म देखी हैं, क्या आपने भी देखी है ऐसी फिल्म?
मैंने हाँ में सर हिला दिया।
“तो कल साथ देखते हैं।” और वो धक्कों की गति बढ़ाने लगा।
“यार विजय तुम को देख कर ऐसा नहीं लगता कि तुम पहली बार ऐसा कर रहे हो किसी के साथ? तुम तो किसी मर्द की तरह से मुझे चोद रहे हो ! मैं दो बार झड़ गई हूँ !”
और यह कहने के साथ ही मैं एक बार और झड़ गई, मेरे झड़ने के साथ ही विजय भी झड़ गया ! हम कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे, इतने में घंटी बज गई, मैंने कहा- कौन होगा इस वक्त? घड़ी में देखा तो 7 बज चुके थे ! हमने जल्दी से कपड़े पहने और मैं दरवाजे के पास गई। इतने में एक बार और घंटी बज गई। मैंने जल्दी से दरवाजा खोला, सामने दीपू था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“अरे इतना टाइम क्यों लगा है दरवाजा खोलने में? मेरा लण्ड खड़ा है तुमको चोदने के लिए !” यह कहते हुए वो अंदर आया- अरे यह कौन है? और यहाँ क्या कर रहा है?
“यह विजय है और अब यह सब जनता है हमारे बारे में ! और मैं इसके साथ अभी अभी सेक्स कर रही थी, मुझे बड़ा मजा आया इसके साथ सेक्स करने में !”
यह सुनते ही दीपू को गुस्सा आ गया, वो बोला- ये क्या कह रही हो तुम?
मैंने कहा- यह तुम्हारे और मेरे बारे में सब जान गया था और रुपेश को कहने की कह रहा था तो मैंने इसको सेक्स करने दिया, पर अब से यह भी हमारे साथ रहेगा !
“चलो ठीक है ! ग्रुप सेक्स ! चलो मजा आएगा !”
विजय ने कहा- भाभी, मैं घर हो आता हूँ ! माँ को कह आता हूँ कि रुपेश भैया के यहाँ कोई नहीं है, भाभी को डर लग रहा है तो मैं वहीं सो जाऊँगा।
वैसे विजय मुझसे इतना छोटा है कि कोई हम पर शक भी नहीं कर सकता है.
मैंने कहा- ठीक है !
उसके जाने के बाद दीपू ने मुझे जकड़ लिया- जान बहुत दिनों से प्यासा हूँ !
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और मुझे जल्दी जल्दी नंगा किया और… अपना लिंग सीधा ही मेरी चूत में डाल दिया। मैं फिर से जोश में आ गई, हम दोनों ने खूब मस्ती से सेक्स किया करीब आधे घंटे में विजय वापिस आ गया और वो सोफे पर बैठ गया !
रात के करीब 9 बजे थे, रुपेश का फोन आया, बोला- क्या कर रही हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं यार ! बस टीवी देख रही थी।
वो बोला- क्या?
मैंने कहा- सेक्सी फिल्म जो तुम कल लेकर आये थे, वो !
वो बोला- चलो अच्छा है, तुम्हारा मन तो लग रहा है ना?
मैंने कहा- बहुत अच्छा मन लग रहा है। वैसे कब आरहे हो तुम?
रुपेश बोला- यार, मुझे इसके बाद लन्दन जाना है तो क्या मैं यहीं से चला जाऊँ? वैसे 7 दिन मैं आ जाऊँगा।
मैंने कहा- ठीक है, हो आना पर मेरे लिए क्या लाओगे गिफ्ट?
वो बोला- जान तुम जो कहो वो !
मैंने कहा- कुछ भी अच्छा सा !
“ठीक है।”
और फोन कट गया।
मैंने दीपू और विजय को कहा- चलो मजे करो ! रुपेश अब 7 दिन और बाहर रहेगा। क्यों विजय? खुश हो या नहीं?
वो मेरे पास आया- तो ख़ुशी मनाते हैं ! चलो अंदर !
और वो मुझे अपनी गोद में उठा कर अंदर ले गया। वैसे मैंने कुछ पहन तो रखा नहीं था क्यूंकि दीपू सेक्स कर रहा था, दीपू का लिंग अभी भी सुस्त पड़ा था। विजय मुझे चूमने लगा, दीपू भी यह सब देख रहा था !
मैंने विजय को कहा- अब से सात दिन तक कोई भी कपड़े नहीं पहनेगा ! उतारो ये सब ! जब बाहर जाना हो तो ही पहनना !
और जैसे ही विजय ने कपड़े उतारे, दीपू उसका लिंग देख कर दंग रह गया और बोला- वाह, क्या लिंग है विजय, तुम्हारा लिंग बड़ा सुंदर है। क्या मैं हाथ लगा कर देख सकता हूँ? और दीपू ने उसका लिंग छूकर आगे पीछे करने लगा। यह करने से दीपू का भी लिंग कड़क होने लगा था।
मैंने विजय का लिंग मुँह में ले लिया और कहा- लाओ यार, अब मुझे मजा करने दो !
विजय काफी जोश में था और जैसे ही मैंने उसका लिंग मुँह में लिया, वो धक्के मारने लगा। दीपू ने आव देखा न ताव, मेरी चूत में अपना लिंग डालने का कोशिश करने लगा और अंदर डाल कर बोला- क्या चूत है भाभी तुम्हारी ! मजा आता है ! अभी तुमने विजय का इतना बड़ा लिंग अंदर डलवाया था पर इसका असर नहीं हुआ, वापस वैसे की वैसे हो गई जैसे पहली बार कर रहे हों।
“हाँ दीपू भाई ! वाकई ! तुम सच कह रहे हो !”
विजय बोला- बहुत मस्त चूत है भाभी की ! मजा बहुत आता है !
मैं मस्ती से विजय का लिंग मुँह में लेकर आनन्द ले रही थी क्यूंकि एक साथ दो दो लिंग का मजा मुझे मिल रहा था। आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था और बहुत किस्मत वाली होती है जिसको दो लिंग का मजा एक साथ मिलता है। और मैं तो बस मजे करने के लिए ही बनी हूँ, ऐसा मुझे लग रहा था, आज तो मेरे दिन भर से चुदाई चालू है।
दीपू ने जोर जोर से करना चालू कर दिया, बोला- भाभी, मैं तुम्हारी हॉट चूत का सामना अब नहीं कर पाऊँगा, बाकी का काम अब विजय को करना होगा, तुम्हारी बाकी प्यास अब विजय बुझाएगा। मैं इस मंजर को देख कर बहुत उत्तेजित हो गया हूँ तो आज जल्दी झड़ रहा हूँ, मुझे माफ़ करना।
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मैंने कहा- कोई बात नहीं, दीपू भाई, अभी मेरा विजय है, आ जाओ तुम मेरे मुँह में झाड़ना ! और विजय तुम मेरी चूत की प्यास बुझा दो ! बहुत आग लगी है और जब से मैंने तुम दोनों के लिंग एक साथ देख लिए है मैं परेशान हो रही हूँ !
दीपू मेरे मुँह में धक्के मारने लगा और विजय मेरी चूत में। मुझे मजा आने लगा, मैं आह उह्ह करने लगी और झड़ गई ! वैसे दीपू मेरी चूत में था, तब तो झड़ने का बोल रहा था पर मुँह में वो धक्के लगा रहा था और अभी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था और विजय तो किसी अंग्रेजी फिल्म के हीरो की तरह था, काफी मजबूत !
अभी उसका आधा काम भी नहीं हुआ था, मुझे चरम आनन्द आ रहा था, मैं अपने मुँह से नहीं कह सकती कि मैं किस सुख को भोग रही थी। मैं दो-दो लिंग को देख कर यों ही काफी मजे में थी और फिर ऐसे लिंग जो झड़ने का नाम नहीं ले रहे हो तो क्या हाल हो, कोई भी सोच सकता है।
थोड़ी देर में दीपू मेरे मुँह में झड़ गया, मैं उसके साथ एक बार और झड़ गई और सारा वीर्य पी गई। मुझे अब और मजा आने लगा था, विजय जोर जोर से कर रहा था, मैंने कहा- विजय, और जोर से ! और जोर से ! मजा आ रहा है। दीपू अब सारा का सारा माल मेरे मुँह में निकाल कर हमारा खेल के मजे लेने लगा। मैं ये सब देख कर बहुत खुश थी कि एक कर रहा है, एक देख रहा है।
और अब विजय बोला- अब मैं भी झड़ने वाला हूँ भाभी !
मैंने कहा- विजय, मुँह में ही झड़ना ! मुझे तुम्हारे वीर्य का स्वाद बहुत अच्छा लगता है।
और वो मुँह में आ गया और थोड़े धक्के लगाने के साथ झड़ गया, उसके वीर्य से मेरा मुँह पूरा भर गया, मैं स्वाद ले लेकर अंदर उतारने लगी। अब हम थक चुके थे और ऐसे ही सो गए। सुबह करीब सात बजे नींद खुली, मैंने दोनों को उठाया, हम सब बिना कपड़ों के थे और विजय का लिंग सुस्त भी काफी बड़ा नजर आ रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं उसका लिंग हाथ में लेकर खेलने लगी, थोड़ी देर में उसका कड़क होने लगा पर हम सब उठ कर फ्रेश होने के लिए चले गए, साथ ही हम लोगों ने नहाने का सोचा और एक दूसरे को साबुन से नहलाया, दोनों ने मिल कर मेरे बूब्स को खूब साबुन लगाया और दबाते रहे और चूत को साबुन से रगड़ कर अच्छे से साफ कर दिया और मैंने दोनों के लिंग को खूब साबुन से रगड़ कर साफ कर दिया।
इस तरह करते रहने से दोनों के लिंग फिर से खड़े हो गए और हमने बाथरूम में ही चुदाई चालू कर दी ! इस बार विजय ने अपना लिंग मेरी चूत में डाल कर कहा- भाभी, चलो तुमको आज अलग मजा देते हैं।
मैंने कहा- क्या?
तो वो बोला- दोनों लिंग एक साथ तुम्हारी चूत में डालते हैं।
मैंने कहा- नहीं विजय ! ऐसा मत करना, मैं मर जाऊँगी।
विजय ने कहा- दीपू भाई, आओ, अब तुम भी डालो !
विजय ने पीछे से अपना लिंग मेरी चूत में डाल दिया और दीपू आगे से डालने लगा पर विजय के बड़े और मोटे लिंग के कारण नहीं जा सकता था। विजय ने अपना काम चालू कर दिया, दीपू चुपचाप उठा और मुँह में लग गया। मुझे फिर से जोश चढ़ने लगा.
और सोचने लगी- काश रुपेश इन दोनों को मुझे चोदने की इजाजत दे दे तो क्या मजा आये ! रुपेश के सामने इनसे चुदती रहूँ रोज ! क्यूंकि अगर रुपेश के सामने नहीं चुदूँ तो कभी-कभी ही मौका मिल सकता था और मेरा हाल तो यह था कि मुझे जितना ज्यादा सेक्स मिल रहा था उतनी ही प्यास बढ़ रही थी। थोड़ी देर में मेरे हाथ-पैर कड़क हो गए, मैं झड़ गई।
विजय बोला- भाभी, आप तो बहुत जल्दी झड़ गई?
मैंने कहा- मेरे राजा, मैं झड़ तो गई हूँ पर मेरे प्यास नहीं बुझी है। तुम तो करते रहो।
मेरी चूत गीली होने से विजय को और मजा आ गया और वो और जोश से करने लगा और करीब 5 मिनट के बाद मैं फिर से झड़ गई और इस बार विजय भी झड़ गया, वो मेरी चूत में ही झड़ गया, मेरी चूत उसके वीर्य से भर गई। वो उठा अपना लिंग मेरे मुँह में डाल कर बोला- साफ कर दो भाभी !
और दीपू से बोला- भैया, भाभी को अब तुम संभालो ! काफी हॉट है यार भाभी तो ! रुपेश भाई तो कुछ भी नहीं कर पक़ते होंगे अकेले !
तो मैंने कहा- हाँ विजय, वो तो मेरी चूत में डालते ही झड़ जाते हैं।
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और अब दीपू आ गया मुझे चोदने ! चूँकि विजय का वीर्य से मेरी फ़ुद्दी गीली थी तो दीपू का लिंग अंदर बाहर बहुत आराम से हो रहा था। वो बार बार बाहर निकाल कर मेरे मुँह में अपना लिंग डाल रहा था तो मुझे मेरी चूत के रस और विजय के लिंग के रस का स्वाद मिला कर करवा रहा था, काफी अच्छा लग रहा था। मैं फिर से कड़क होने लगी और झड़ गई। थोड़ी देर में दीपू भी मेरी चूत में ही झड़ गया और आकर बोला- लो भाभी मजे से चूस लो हम तीनों के रस का स्वाद !
हम फिर से नहाये और बाहर आ गए। कुछ खाना वगैरह का आर्डर दे दिया क्यूंकि मैं बहुत थक गई थी ! साथ बैठ कर नाश्ता किया और विजय बोला- भाभी, मैं घर जाता हूँ ताकि कोई भी परेशानी न हो, और जरुरत के सामान भी ले आता हूँ। मैंने कहा- ठीक है, पर दीपू तुम यहीं रहो अब सात दिन ! रोज विजय चला जायेगा और जो भी जरुरी सामान है लेकर आ जायेगा। दीपू को कोई परेशानी नहीं थी तो उसको तो मजा आ गया। फिर हम रोज ऐसे ही मजे करते रहे और कब सात दिन गुजर गए पता ही नहीं चला।
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