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मैं एक तलाक़ शुदा औरत हूँ जिसने बड़ी मुश्किल से अपने पति से अपने जीने का हक़ छीना है. मुझे तलाक़ के बाद एक चार कमरों का फ्लॅट, एक गाड़ी और अछी ख़ासी नकद रकम मिली जो हमारे गुज़ारे के लिए काफ़ी थी. मेरा बेटा अपनी ग्रॅजुयेशन कर चुक्का था और अगले महीने शादी करना चाहता था. Hard Anal Porn
मेरा बेटा अमित 22 साल की उमर और देखने में बहोत ही सुन्दर था, 6″ फ्ट की हाइट, भूरी आँखें और उसका बदन देखने काबिल था. उसका सबसे खास और प्यारा दोस्त शुभम की 6.01 फिट थी और बहोत ही ताकतवर था. शुभम भी 22 साल का था और उसकी आँखों भी भूरी थी मेरे बेटे की तरह.
मेरा बेटा अपनी प्रेमिका श्वेता से शादी करना चाहता था, जो मुझे बिल्कुल भी पसंद नही थी, लेकिन मैने अपने बेटे के आगे मजबूर थी. ना जाने क्यों मुझे हमेशा यही लगता था कि वो मेरे बेटे के पैसों के पीछे है. वैसे श्वेता देखने मे काफ़ी सुंदर थी, हिएत् 5.07, पतला बदन, पतली कमर उसका फिगर 36-24-36 था.
उसे मिनी स्कर्ट्स और इस तरह के कपड़े पहनने का बड़ा शौक था. मेने अक्सर उसकी मिनी स्कर्ट में से उसके चूतर के बाहर झँकते देखे थे. मेरा भी फिगर कुछ कम नही था, 44 साल की उमर में भी मेने अपने शरीर को संभाल कर रखा था. 35.25.36 मेरा फिगर था. मैं रोज़ दो घंटे स्विम्मिंग करती थी जिससे मेरा शरीर शेप में रह सके.
अमित और श्वेता अगले महीने शादी करना चाहते थे इसलिए हमने शॉपिंग भी बहुत की थी. वो अपने हनिमून पर मनाली जाना चाहते थे. एक दिन में शॉपिंग करने के लिए घर से निकली पर मुझे याद आया कि में कुछ समान घर में भूल गयी हूँ.
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जैसे ही में घर में दाखिल हुई मुझे अमित और शुभम की आवाज़े सुनाई दी. मैं एक बेडरूम की ओर बढ़ी और उनकी आवाज़े सुनने की कोशिश करने लगी. इतने में मेने शुभम की आवाज़ सुनी, “हां मेरे लंड को इसी तरह चूसो, बड़ा मज़ा आ रहा है.”
मेने कमरे में झाँक कर देखा, शुभम बेड के किनारे पर बैठा हुआ था और मेरा बेटा घुटनो के बल बैठ कर शुभम के लंड को चूस रहा था. मुझे विश्वास नही हो रहा था कि मेरा बेटा जिसकी शादी एक महीने मे होने वाली थी वो अपने दोस्त का लंड चूस रहा था.
“अमित तुम तो यार श्वेता से भी अच्छा लंड चूस्ते हो?” शुभम ने कहा.
में जो सुन रही थी उसपर मुझे विश्वास नही हो रहा था क्या श्वेता और अमित दोनो शुभम के लंड के चूस्ते थे.
“मेरा पानी छूटने वाला है अमित!” शुभम बोला.
“आज तुम तुम्हारा पानी मेरे मूह पर छोड़ो,” कहकर अमित ने शुभम के लंड को अपने मूह मे से निकाल दिया.
में शुभम के लंड को देख कर चौंक गयी, मुझे अंदाज़ा तो था कि उसका लंड मोटा और लंबा है लेकिन आज रूबरू देख कर मैं चौंक गयी. उसका लंड करीब 10″ इंच लंबा और 4″ इंच मोटा था. अमित भी उसके लंड को अपने हाथों में नही ले पा रहा था.
अमित उसके लंड को हिला रहा था और साथ ही चूस्ते जा रहा था, अचानक ही शुभम के लंड ने अपना पानी छोड़ दिया. मेने आज तक किसी को इस तरह पानी छोड़ते नही देखा था. शुभम ने कम से कम 7 बार पिचकारी छोड़ी होगी. अमित ने उसके लंड को चूस कर एक दम निढाल कर दिया था.
“आज तक मेने किसी लंड को इतना पानी छोड़ते हुए नही देखा.” अमित बोला.
“तुम्हे क्या अछा लगता है मेरा पानी छोड़ने का तरीका या तुम्हारे मूह में झड़ना.” शुभम ने पूछा.
“इस सवाल का जवाब देना बहोत कठिन है, जब तुम्हारा लॉडा हवा में पानी फैंकता है तो भी अच्छा लगता है और जब वो मेरे मूह में पिचकरी छोड़ता है तो ऐसा लगता है कि मेरे गले की सारी प्यास बुझ गयी है.” अमित ने शुभम के लंड को और जोरों से चूस्ते हुए कहा.
“क्या तुम मेरी गांद मारने को तय्यार हो? मुझे सही में तुम्हारा लॉडा अपनी गांद में चाहिए,” मेरे बेटे ने शुभम से पूछा.
मैं यही सोच रही थी कि मेरा बेटा इतना बड़ा लॉडा अपनी गांद में कैसे लगा, वहीं शुभम ने क्रीम की शीशी निकाल अपने लौदे पर लगा फिर मेरे बेटे की गांद पर मल दी. मेरा बेटा दरवाज़े के हॅंडल को पकड़ झुक गया और शुभम ने अपना खंबे जैसा लॉडा उसकी गांद में घुसेड दिया.
शुभम पहले तो धीरे धीरे गांद मारता रहा फिर जैसे ही उसने रफ़्तार पकड़ी मुझे विश्वास नही हुआ कि मेरा बेटा इतना मोटा और लंबा लंड झेल सकता है. शुभम पहले तो धीरे धीरे अमित की गांद मार रहा था फिर उसने रफ़्तार पकड़ ली. मुझे विश्वास नही हो रहा था कि मेरा बेटा इतना मोटा लंड अपनी गांद में झेल लेगा.
“हाआआं ज़ोर सीईई मेरी गाआआंद मरूऊओ, पुर्र्ररा घःऊशाआआआआ दो” अमित ज़ोर ज़ोर से शुभम से कह रहा था.
“तुम्हारी गांद बहोत अछी है. सही में मुझे उतना ही मज़ा आ रहा जितना मुझे श्वेता की गांद मारने में आता है.” शुभम ने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ाते हुए कहा.
“क्या तुम चाहते हो कि आज में तुम्हारी गांद का कचूमर बना दू,” शुभम ने तेज़ी से अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए कहा.
“हां आज ज़ोर से मेरी गांद मारो चाहे मेरी गांद फॅट ही क्यों ना जाए.” मेरा बेटा गिड़गिदते हुए शुभम से बोला.
शुभम ने अपना लंड थोड़ा सा बाहर खींचा और ज़ोर से अमित की गांद में पेल दिया.
“हां फाड़ दो मेरी गांद दो, छोड दो अपना पानी मेरी गांद में.” कहकर अमित अपने लंड पर मूठ मारने लगा.
“तुम्हारी गांद सही में बड़ी जानदार है, मुझे तुम्हारी गांद मारने में उतना ही मज़ा आ रहा है जितना मुझे श्वेता की गांद मारने में आता है,” कहकर और ज़ोर से उसने अपना लंड अंदर पेल दिया.
शुभम ने अपनी रफ़्तार तेज कर दी, और वो ज़ोर ज़ोर से अपना लंड अमित की गांद के अंदर बाहर कर रहा था, “ले मेरा पूरा लंड ले ले मेरा छूटने वाला है.” कहकर शुभम ने अपना पानी अमित की गांद में छोड़ दिया. शुभम रुकने का नाम नही ले रहा था. उसका लंड अब भी भी अमित की गांद के अंदर बाहर हो रहा था, में पहली बार किसी को इतनी ताक़त से और ज़ोर से चोद्ते देख रही थी.
“आज में तुम्हारी गांद की धज्जियाँ उड़ा दूँगा,” शुभम और तेज़ी से गांद मारते हुए बोला.
“हाआआं फ़ाआआद दो मेर्रर्र्ररी घाआआआआआआण्ड को.” अमित उसका साथ देते हुए बोला.
शुभम का लंड तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था. उसके चेहरे के खींचाव को देख कर लग रहा था कि वो दुबारा छूटने वाला है. शुभम और ज़ोर ज़ोर से लंड पेल रहा था. दोनो की साँसे फूली हुई थी.
“ये मेराआआ छूटा” कहकर शुभम ने वीर्य अमित की गांद में उंड़ेल दिया.
“आआआआआआआआण मुझे महसूस हो ऱाःआआआआआआआ है, छोद्दद्ड दो सारा पानी मेरी गाआआंद में छोड़ दो.” अमित हानफते हुए बोल रहा था.
इनकी चुदाई देख में दंग रह गयी थी. मैं सोच रही थी क्या श्वेता को ये सब मालूम है? श्वेता भी तो शुभम से चुदवाती है, तो ज़रूर मालूम होगा. में चुपचाप अपने कमरे में आ गयी. मेरी चूत भी इनकी चुदाई देख गीली हो गयी थी. मेरा खुद का मन चुदवाने को कर रहा था. शाम को में शॉपिंग के लिए घर से निकली, मेरे ख़यालों में अभी भी अमित और शुभम का नज़ारा घूम रहा था.
मेने सोच लिया था कि में उनपर ज़्यादा नज़र रखूँगी, शायद श्वेता की चुदाई देखने का मौका मिल जाए. दो दिन बाद में काम पर से घर लौटी तो मुझे अमित के कमरे से आवाज़ें सुनाई दे रही थी. मेने धीरे से खिड़की से झाँका तो देखा बिस्तर पर शुभम, अमित और श्वेता के बीच में बैठा हुआ था. तीनो नंगे थे और उनके कपड़े कमरे में चारों तरफ बिखरे पड़े थे. श्वेता घुटनो के बल होकर शुभम का लंड चूस रही थी.
“अब मेरी बारी है.” कहकर अमित ने श्वेता से शुभम का लंड लिया और चूसने लगा.
श्वेता बिस्तर के नीचे उतर अमित के लंड को अपने मूह में ले चूसने लगी. में असचर्या चकित थी कि मेरा बेटा और उसकी होने वाली बीवी दोनो ही लॉडा चूस रहे थे. अमित और श्वेता दोनो लंड को तब तक चूस्ते रहे जब तक शुभम और अमित के लंड ने पानी नही छोड़ दिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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शुभम ने अपने वीर्य से अमित का मूह भर दिया और अमित ने अपने वीर्य की पिचकारी श्वेता के मूह मे छोड़ दी. शुभम ने फिर श्वेता को बिस्तर के किनारे पर बिठा उसकी टाँगे फैला दी. उसने दोनो टाँगे को और फैला अपनी जीव श्वेता की चूत पर रख उसे चाटने लगा. शुभम अब ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को चूस रहा था, वो अपनी जीव उसकी चूत के अंदर डाल चोद रहा था. थोड़ी देर में ही श्वेता के मूह से मादक सिसकारियाँ फुट रही थी.
“हाआआं चााआआतो और्र्र्ररर ज़ोर से चूवसो हाआआऐं यहीयईिन.” श्वेता का शरीर अकड़ने लगा, वो अपनी गर्दन उन्माद में इधर उधर कर रही थी.
लगता था कि शुभम इस खेल का पुराना खिलाड़ी था उसे अच्छी तरह मालूम था उसे क्या करना है, वो ज़ोर से अपनी जीव रस्मी की चूत में घुसा अपने होठों से पूरी चूत को मूह में ले लेता. वो ज़ोर ज़ोर से तब तक श्वेता की चूत चाट रहा था जब तक श्वेता की चूत ने पानीनही छोड़ दिया और वो थक कर उसे रुकने को कहने लगी, “प्लीज़ रुक जाओ बसस्स्स्सस्स और नही में और सहन नही कर सकती.”
में अगले चार घंटे तक इस चुदाई का नज़ारा देखती रही. चारों आसान बदल बदल कर चुदाई कर रहे थे, जैसे पूरी कामसुत्रा का अनुभव करना चाहते हो. में खुद गिनती भूल गयी कि कौन कितनी बार झाड़ा. थोड़ी देर सुसताने के बाद शुभम का लंड फिर तन कर खड़ा हो गया था, श्वेता भी उसका लंड अपनी चूत में लेना चाहती थी.
शुभम बिस्तर पर लेट गया और श्वेता उसपर चढ़ उसके लंड को चूत के छेद पर लगा खुद उसके लंड पर बैठ गयी. शुभम का पूरा लंड श्वेता की चूत में घुस चुक्का था. उसने शुभम के लंड को खुद की चूत में जगह बनाने का समय दिया और फिर खुद धक्के लगाने लगी. उसके कुल्हों को पकड़ शुभम भी नीचे से धक्के लगा रहा था. श्वेता के मूह से सिसकारियाँ फुट रही थी, “आआआआआआआआआआण ओह य्आआआआआ आईसस्स्स्स्सीईई ही.”
इतने में अमित श्वेता के पीछे आ गया और उसे थोड़ा नीचे झुका उसकी गांद को सहलाने लगा. उसने अपनी दो उंगली उसकी गांद में घुसा दी, “ऊऊऊऊऊऊऊऊ माआआआ,” श्वेता दर्द से कराही. अमित ने थोड़ी वॅसलीन ले अपने लंड और उसकी गांद पे लगा दिया, और फिर अपना 6′ लंड उसकी गांद मे पेल दिया.
अब शुभम श्वेता को नीचे से चोद रहा था और अमित पीछे से. मेने आज तक दो लंड एक साथ नही लिए थे, ये सीन देख के मेरी चूत में पानी आ गया. मेने आने वाले दिनो में कई बार श्वेता, अमित और शुभम को एक साथ चुदाई करते देखा. मुझे भी किसी से चुदवाये कई साल हो गये थे और मेरा भी शरीर गरमा उठता था.
ऐसा लगता था कि तीनो को सेक्स के अलावा कुछ सुझाई ही नही देता था. मैं नही जानती थी कि ये सब कुछ कितने दिनो तक चलेगा. अगले महीने अमित और श्वेता की शादी होने वाली थी. एक दिन जब वो तीनो चुदाई मे मशगूल थे मैं हर बार की तरह उन्हे छुप कर देख रही थी.
मैं अपने ही ख़यालों में खोई हुई थी कि अचानक मेने देखा कि शुभम मुझे ही देख रहा था. शायद उसने मुझे छुपकर देखते पकड़ लिया था. क्या वो सब को ये बता देगा ये सोचते हुए में वापस अपने कमरे मे आ गयी. कुछ दिन गुज़र गये पर शुभम ने किसी से कुछ नही कहा.
मैं समझी शायद उसने मुझे ना देखा हो पर उस दिन के बाद मेने छुपकर देखना बंद कर दिया. शनिवार के दिन अमित और श्वेता अपने कुछ दोस्तों के साथ पिक्निक मनाने चले गये. मेने सोचा कि चलो आज घर में कोई नही में भी थोड़ा आराम कर लूँगी.
मेने अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगी हो गयी. एक रोमॅंटिक नॉवेल ले मैं सोफे पर लेट पढ़ने लगी. बेखायाली मे मुझे याद नही रहा कि मेने दरवाज़ा कैसे खुला छोड़ दिया. मुझे पता तब चला जब मेने शुभम की आवाज़ सुनी, “किताब पढ़ी जा रही है.”
मेने तुरंत अपना हाथ अपने नाइट गाउन की तरफ बढ़ाया पर शुभम ने मेरे गाउन को मेरी पहुँच से दूर कर दिया था. मेने झट से एक हाथ से अपनी चुचियों को ढका और दूसरे हाथ से अपनी चूत को ढका.
“तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम तो अमित के साथ पिक्निक पर जाने वाले थे?” मेने थोड़ा चिंतित होते हुए पूछा.
“पता नही क्यों मेरा मन नही किया उनके साथ जाने को. उस दिन के बाद मेने सोचा आप अकेली होंगी चल कर आपका साथ दे दूं. आपको ऐतराज़ तो नही?” शुभम ने जवाब दिया.
“ज़रूर ऐतराज़ है. आज में अकेले रहना चाहती हूँ. अब तुम यहाँ से चले जाओ.” मेने अपनी आवाज़ पर ज़ोर देते हुए कहा.
शुभम ज़ोर से हँसने लगा और अपने कपड़े उतार दिए, “मैं थोड़ी देर आपके साथ बिताकर चला जाउन्गा.”
मैं उसके व्यवहार को लेकर चिंतित हो उठी. जब उसने कपड़े उतार शुरू किए तो में चौंक पड़ी. मेने गौर से उसके लंड की तरफ देखा, मुरझाए पन की हालत में भी वो कम से कम 6′ इंच लंबा दिख रहा था. मेने अपनी नज़रें हटाई और पेट के बल लेट गयी जिससे उसकी नज़रों से अपने नंगे बदन को छुपा सकु.
“इसमे इतनी हैरानी की क्या बात है. तुम मुझे इससे पहले भी नंगा देख चुकी हो.” उसने कहा.
उसे पता था कि में उन लोगो को छुप कर देख चुकी हूँ और में इनकार भी नही कर सकती थी. उसने एक बार फिर मुझे चौंका दिया जब वो मेरे नग्न चुत्तदो को सहलाने लगा. साइड टेबल पर पड़ी तेल की शीशी को देख कर वो बोला, “मनीषा तुम्हारे चूतड़ वाकई बहोत शानदार है और तुम्हारा फिगर. लाओ में थोडा तेल लगा कर तुम्हारी मालिश कर देता हूँ.”
मेने महसूस किया तो वो मेरे कंधों पर और पीठ पर तेल डाल रहा है. फिर वो थोड़ा झुकते हुए मेरे बदन पर तेल मलने लगा. उसके हाथों का जादू मेरे शरीर मे आग सी भर रहा था. उसका लंड अब खड़ा होकर मेरे चुतदो की दरार पर रगड़ खा रहा था. मेने अपने आप को छुड़ाना चाहा पर वो मुझे कस कर पकड़े तेल मलने लगा.
मेरे कंधों और पीठ पर से होते हुए उसके हाथ मेरी पतली कमर पर मालिश कर रहे थे. फिर और नीचे होते हुए अब वो मेरी नग्न जांघों को मसल रहे थे. अब वो मेरी गांद पर अपने हाथ से धीरे धीरे तेल लगाने लगा. बीच मे वो उन्हे भींच भी देता था. एक अजीब सी सनसनी मेरे शरीर में दौड़ रही थी.
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शुभम काफ़ी देर तक यूँही मेरी मालिश करता रहा. गांद की मालिश करते हुए कभी वो मेरी जांघों के बीच मे भी हाथ डाल देता था. फिर उसने मुझे कंधे से पकड़ा और पीठ के बल लिटा दिया. इससे पहले कि में कोई विरोध करती उसने मेरे होठों को अपने होठों मे ले चूसना शुरू कर दिया.
अब मुझसे अपने आपको रोक पाना मुश्किल लग रहा था आख़िर इतने दिनो से में भी तो यही चाहती थी. मेने अपने आपको शुभम के हवाले करते हुए अपना मुँह थोड़ा खोला और उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल घूमाने लगा. शुभम मेरे निचले होठों को चूस्ते हुए मेरी थोड़ी फिर मेरी गर्दन को चूम रहा था. जब उसने मेरे कान की लाउ को चूमा तो एक अजीब सा नशा छा गया.
अपनी जीब को होले होले मेरे नंगे बदन पर फिराते हुए नीचे की और खिसकने लगा. जब वो मेरी चुचियों के पास पहुँचा तो वो मेरी चुचियों को हल्के से मसल्ने लगा. मेरे तने हुए निपल पर अपनी जीब फिराने लगा. अजीब सी गुदगुदी मच रही थी मेरे शरीर मे. कितने सालों से में इस तरह के प्यार से वंचित थी.
शुभम मेरी आँखों में झँकते हुए कहा, “तुम्हारी चुचियों बड़ी शानदार है.”
में उसके छूने मात्र से झड़ने के कगार पर थी. शुभम ने मुझे ऐसे हालत पे लाकर खड़ा कर दिया था कि मेरी चूत मात्र छूने से पानी छोड़ देती. वो मेरी चुचियों को चूसे जा रहा था और दूसरे हाथ से मेरी जांघों को सहला रहा था. झड़ने की इच्छा मेरे में तीव्र होती जा रही थी. मेरी चूत में आग लगी हुई थी और उसका एक स्पर्श उसकी उठती आग को ठंडा कर सकती थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मेने उसे अपनी बाहों में जकड़ते हुए कहा, “शुभम प्लीज़ प्लीज़…..”
“प्लीज़ क्या मनीषा बोलो ना? तुम क्या चाहती हो मुझसे? क्या तुम झड़ना चाहती हो?’ जैसे उसने मेरी मन की बात पढ़ ली हो.
“हां शुभम मेरा पानी छुड़ा दो, में झड़ना चाहती हूँ.” मेने जैसे मिन्नत माँगते हुए कहा.
वह मेरी दोनो चुचियों को साथ साथ पकड़ कर मेरे दोनो निपल को अपने मुँह में लेकर ज़ोर से चूसने लगा. अपना मुँह हटा कर वो फिर से वही हरकत बार बार दोहराने लगा जब तक में अपने कूल्हे ना उचकाने लगी. जैसे ही उसका हाथ मेरी चूत पर पहुँचा उसने अपनी उंगली मेरी गीली हुई चूत में घुसा दी. फिर वह अपनी दो और उंगली मेरी चूत में घुसा कर अंदर बाहर करने लगा.
शुभम फिर मेरी टाँगो के बीच आ गया और मेरी चूत को अपने मुँह मे ले लिया. उत्तेजना के मारे मेरी चूत फूल गयी थी. वो मेरी चूत को चूस और चाट रहा था. शुभम अपनी लंबी ज़ुबान से मेरे गंद के छेद से चाटते हुए मेरी चूत तक आता और फिर अपनी ज़ुबान को अंदर घुसा देता.
उसकी इस हरकत ने मेरी टाँगो का तनाव बढ़ा दिया और एक पिचकारी की तरह मेरी चूत ने उसकी मुँह मे पानी छोड़ दिया. मेरा शरीर मारे उत्तेजना के कांप रहा था और मुँह से सिसकारिया निकल रही थी. शुभम ने अच्छी तरह मेरी चूत को चाट कर साफ किया और फिर खड़े होते हुए मेरी ही पानी का स्वाद देते हुए मेरे होठों को चूम लिया.
“देखा तुम्हारी चूत के पानी का स्वाद कितना अच्छा है. और तुम्हारी चूत पानी भी पिचकारी की तरह चोदती है.” उसने कहा.
“हां अमित मेरी चूत उत्तेजना में फूल जाती है और पानी भी इसी तरह छोड़ती है. मेरे पति का अच्छा नही लगता था इसीलिए वो मेरी चूत को चूसना कम पसंद करता था.” मेने कहा.
“में समझ सकता हूँ. अब में तुम्हे आराम से प्यार करना चाहता हूँ और तुम भी मज़े लो.” कहकर शुभम मेरी चेहरे पर हाथ फिराने लगा.
शुभम उठ कर खड़ा हो गया और उसका लंड और तन कर खड़ा हो गया. में अपनी जिंदगी में सबसे लंबे और मोटे लंड को देख रही थी. शुभम का लंड मेरे पति के लंड से दुगना था लंबाई मे. वो कमसे कम 9’इंच लंबाई मे और 5′ इंच मोटाई मे था. मेरा जी उसके लंड को मुँह मे लेने को मचल रहा था और में डर भी रही थी क्योंकि मेने आज तक इतने लंबे लंड को नही चूसा था.
उसने मुझे धीरे से सोफे पर लिटा दिया. में आराम से लेट गयी और अपनी टाँगे फैला दी. उसने अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पर रखा और धीरे से अंदर घुसा दिया. मेने कस कर शुभम को अपनी बाहों में जाकड़ लिया था. उसके लंड की लंबाई से मुझे डर लग रहा था कि कहीं वो मेरी चूत को सही मे फाड़ ना दे.
शुभम धीरे से अपने लंड को बाहर खींचता और फिर अंदर घुसा देता. मेने अपनी टाँगे उठा कर अपनी छाती से लगा ली जिससे उसको लंड घुसाने में आसानी हो. जब उसका लंड पूरा मेरी चूत मे घुस गया था तो वो रुक गया जिससे मेरी चूत उसके लंड को अड्जस्ट कर सके. मुझे पहली बार लग रहा था कि मेरी चूत भर सी गयी है.
शुभम ने मेरी आँखों मे झाँका और पूछा, “मनीषा तुम ठीक तो हो ना?”
मेरे मुँह से आवाज़ नही निकली, मेने सिर्फ़ गर्दन हिला कर उसे हां कहा और अपने बदन को थोड़ा हिला कर अड्जस्ट कर लिया. मुझसे अब रहा नही जा रहा था.
“पल्ल्ल्ल्ल्लेआआअसए अब मुज्ज़ज्ज्ज्ज्झे चूऊओदो.” मेने धीरे से उससे कहा.
शुभम ने मुस्कुराते हुए अपने कूल्हे हिलाने शुरू कर दिए. पहले तो वो मुझे धीरे धीरे चोद्ता रहा, जब मेरी चूत गीली हो गयी और उसका लंड आसानी से मेरी चूत मे आ जा रहा था अचानक उसने मेरी टाँगे उठा कर अपने कंधों पर रख ली और ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा.
उसका हर धक्का पहले धक्के ज़्यादा ताकतवर था. उसकी साँसे तेज हो गयी थी और वो एक हुंकार के साथ अपना लंड मेरी चूत की जड़ों तक डाल देता. अब में भी अपने कूल्हे उछाल उसका साथ दे रही थी. में भी अपनी मंज़िल के नज़दीक पहुँच रही थी.
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“चूऊऊदो राआआआवी आईसस्स्स्स्स्ससे ही हााआअँ ओह मेयरययाया छुउतने वायायेएयेयायायाल हाईईइ.” में उखड़ी सांसो के साथ बड़बड़ा रही थी.
“हाआआं प्रीईएटी चूऊऊद डूऊऊ अपनााआ पॅनियीयैयियी मेरे लिईई.” कहकर वो ज़ोर ज़ोर से चोदने लग गया.
शुभम मुझे जितनी ताक़त से चोद सकता था चोद रहा था और मेरी चूत पानी पर पानी छोड़ रही थी. मेरा शरीर उत्तेजना मे कांप रहा था, मेने अपने नाख़ून उसके कंधों पे गढ़ा दिए. मेरी साँसे संभली भी नही थी की शुभम का शरीर अकड़ने लगा.
“ओह प्रीईईटी मेरााआआआ भी चूऊऊथा ओह ये लो.” शुभम ने एक आखरी धक्का लगाया और अपना वीर्य मेरी चूत मे चोद दिया. पिचकारी पिचकारी मेरी चूत मे गिर रही थी. जैसे ही हम संभले मेने अपनी टाँगे सीधी कर ली. शुभम तक कर मेरे शरीर पर लुढ़क गया, हम दोनो का शरीर पसीने से तर बतर था.
“चलो नहा लेते है.” शुभम ने मुझे चूमते हुए कहा.
अब मुझे अपने किए हुए पर शरम नही आ रही थी. में नंगी ही उठी और शुभम का हाथ पकड़ बाथरूम की ओर बढ़ गयी. हम दोनो गरम पानी के शवर की नीचे खड़े हो अपने बदन को सेकने लगे. हम दोनो एक दूसरे की बदन को सहला रहे थे और एक दूसरे की बदन पर साबुन मल रहे थे.
मेने शुभम के लंड और उसकी गोलियों पर साबुन लगाना शुरू किया तो उसका लंड एक बार फिर तन कर खड़ा हो गया. में उसके मस्ताने लंड को हाथों मे पकड़े सहला रही थी. मुझमे भी फिर से चुदवाने की इच्छा जाग उठी. मैं उसके लंड को अपनी चूत पर रख रगड़ने लगी.
शुभम भी अपने आपको रोक नही पाया उसने मुझे बाथरूम की दीवार के सहाहे खड़ा किया और मेरे चुतदो को अपनी ओर खींचते हुए अपना लंड मेरी चूत मे घुसा दिया. उसके हर धक्के के साथ मेरी पीठ दीवार मे धँस जाती. में अपने बदन का बोझ अपनी पीठ पर डाल अपनी चूत को और आगे की ओर कर देती और उसके धक्के का साथ देती. थोड़ी ही देर में हम दोनो का पानी छूट गया.
हम दोनो एक दूसरे को बाहों मे लिए शवर के नीचे थोड़ी देर खड़े रहे. फिर में उसे अलग हुई तो उसका लंड मुरझा कर मेरी चूत से फिसल कर बाहर आ गया. मेरे मन में तो आया कि में उसके मुरझाए लंड को अपने मुँह मे ले दोनो के मिश्रित पानी का स्वाद चखू पर ये मेने भविष्य के लिए छोड़ दिया.
पूरा दिन हम मज़े करते रहे. कभी हम टीवी देखते तो कभी एक दूसरे को छेड़ते. पूरे दिन हम कई बार चुदाई कर चुके थे. मेने रात के लिए भी शुभम को रोक लिया. रात को एक बार फिर हमने जमकर चुदाई की और एक दूसरे की बाहों मे सो गये.
दूसरे दिन मे सो कर उठी तो मन में एक अजीब सी खुशी और शरीर मे एक नशा सा भरा था. मेने शुभम की तरफ देखा जो गहरी नींद मे सोया हुआ था. उसका लंबा मोटा लंड इस समय मुरझाया सा था. उसके लंड को अपने मुँह मे लेने से मे अपने आपको नही रोक पाई.
में उसके बगल मे नंगी बैठी थी. मेरी चूत और निपल दोनो आग मे जल रहा था. मेने अपना हाथ बढ़ाया और शुभम के लंड को पकड़ अपने मुँह मे ले लिया. मैं ज़ोर ज़ोर से लंड चूसने लगी इतने में शुभम जाग गया और उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी, “हााआअँ प्रीईटी चूऊसो ईसीईईई चतत्तटो मेरी लंड को.”
उसकी टाँगे अकड़ रही थी और में समझ गयी कि थोड़ी देर की बात है और वो झाड़ जाएगा. कई सालों बाद में किसी मर्द के वीर्य का स्वाद चखने वाली थी. में उसके लंड को चूसने मे इतना मशगूल थी कि कोई कमरे मे दाखिल हुआ है इसका मुझे ध्यान ही नही रहा.
में बिस्तर पर बैठी और झुकी हुई शुभम का लंड चूस रही थी कि मेने किसी के हाथों का स्पर्श अपनी जांघों पर महसूस किया. शुभम के लंड को बिना मुँह से निकाले मेने अपनी नज़रे उप्पर उठाई तो देखा कि मेरी बहू श्वेता एकदम नंगी मेरी जांघों के बीच झुकी हुई थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
श्वेता मेरी जाँघो को चूमने लगी और उसके हाथ मेरे कूल्हे और कमर को सहला रहे थे. मैने अपना ध्यान फिर शुभम का लंड चूसने मे लगा दिया और इतने में ही श्वेता मेरी चूत को मुँह में भर चूसने लगी. उसकी जीब ने तो जैसे मेरी चूत की आग को और भड़का दी.
में अपने कूल्हे पीछे की ओर कर उसकी जीब का मज़ा लेने लगी. इतने अपनी जीब के साथ श्वेता अपनी दो उंगली मेरी चूत मे डाल अंदर बाहर करने लगी. मेरा शरीर उत्तेजना मे भर गया. मेने ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को चूस रही और साथ साथ ही श्वेता के मुँह पर अपनी चूत दबा रही थी. थोड़ी ही देर में मेरी चूत ने श्वेता के मुँह पर पानी छोड़ दिया.
अचानक शुभम ने मेरे सिर पर हाथ रख उसे अपने लंड पे दबा दिया. उसके लंड को गले तक लेने मे मुझे परेशानी हो रही थी कि उसके लंड ज़ोर की पिचकर छोड़ दी. इतना पानी छूट रहा था की पूरा वीर्य निगलना मेरे बस की बात नही थी. उसका वीर्य मेरे होठों से होता हुआ मेरी चुचियों पर गिर पड़ा. श्वेता ने आगे बढ़ मेरे चुचियों परे गिरे वीर्य को चाट लिया और मेरी चुचियों को चूसने लगी.
“क्या इनकी चुचियाँ काफ़ी बड़ी नही है?” श्वेता ने मेरे निपल्स को भींचते हुए शुभम से पूछा.
शुभम के लंड से छूटा वीर्य अभी भी मेरे होठों पे लगा हुआ था. में बिस्तर पर आराम से लेट गयी थी, तभी शुभम ने मेरे होठों को चूम कर मुझे चौंका दिया. उसने मेरे होठों को चूस्ते हुए अपनी जीब मेरे मुँह मे डाल दी. मैं इतनी उत्तेजित हो गयी कि मुझे लंड लेने की इच्छा होने लगी.
शुभम ने मेरी चूत को अपनी उंगलियों से फैला एक ही ज़ोर के धक्के मे अपना लंड मेरी चूत मे अंदर तक पेल दिया. उसके एक ही धक्के ने मेरी चूत का पानी छुड़ा दिया. श्वेता मेरे उप्पर आ गयी और मेरे चेहरे के पास बैठ कर अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी, मैं डर गयी, “प्लीज़ श्वेता ऐसा मत करो, मेने आज तक ये सब नही किया है.” मेने विरोध करते हुए कहा.
“बेवकूफ़ मत बनो. वक्त आ गया है कि तुम ये सब सीख लो. वैसे ही करते जाओ जैसे मेने तुम्हारी चूत चूस्ते वक़्त किया था.” श्वेता ने कहा.
“श्वेता अगर तुमने जिस तरह से मेरे लंड को चूसा था उससे आधे तरीके से भी तुम चूत चतोगी तो श्वेता को मज़ा आ जाएगा.” शुभम ने मेरी चूत मे धक्के लगाते हुए कहा.
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मेने अपना सिर थोडा सा उप्पर उठाया और अपनी जीब बाहर निकाल ली. मुझे पता नही था कि चूत कैसे चाती जाती है इसलिए मैं अपनी जीब श्वेता की चूत के चारों और फिराने लगी. श्वेता की चूत इतनी मुलायम और नाज़ुक थी की में अपने आप को रोक नही पाई और ज़ोर से अपनी जीब चारों तरफ घूमने लगी, श्वेता के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. श्वेता को भी मज़ा आ रहा था.
मुझे खुद पर विश्वास नही हो रहा था, मुझे उसकी चूत का स्वाद इतना अच्छा लगा कि मेने अपनी जीब को एक त्रिकोण का आकर देकर उसकी चूत मे घुसा दी. अब मैं उसकी चूत मे अपनी जीब अंदर बाहर कर रही थी. श्वेता को भी मज़ा आ रहा था. उसने अपनी जंघे और फैला दी जिससे मेरी जीब को और आसानी हो उसकी चूत के अंदर बाहर होने मे.
जैसे जैसे मे श्वेता की चूत को चूस रही थी मेरी खुद की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. शुभम एक जानवर की तरह मुझे चोदे जा रहा था. उसका लंड पिस्टन की तरह मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था. उत्तेजना मे मेने अपनी दोनो टाँगे शुभम की कमर पे लपेट ली और वो जड़ तक धक्के मारते हुए मुझे चोदने लगा.
शुभम ने एक ज़ोर का धक्का लगा अपना वीर्य मेरी चूत मे छोड़ दिया और उसी समय मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया. मेरी चूत हम दोनो के पानी से भर गयी थी. मेने नज़रें उठा अपना ध्यान श्वेता की ओर कर दिया. अब मे अपनी जीब जोरों से उसकी चूत के अंदर बाहर कर रही थी.
मेने उसकी चूत की पंखुड़ियों को अपने दांतो मे ले काट लेती तो वो मारे उत्तेजना के चीख पड़ती, “ओह काआतो मेरिइई चूओत को ओह हाआअँ घुसााआआअ दो आआपनी जीएब मेर्रर्र्ररर चूऊत मे आआआः आचाा लग रहा है.” श्वेता ने उत्तेजना मे अपनी चूत मेरी मुँह पर और दबा दी और अपनी चूत को और मेरे मुँह मे घुसा देती.
मैने उसके कुल्हों को पकड़ और ज़ोर से उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया. श्वेता ने अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबाते हुए अपना पानी छोड़ दिया. आख़िर वो थक कर मेरे बगल मे लेट गयी. हम तीनो थके निढाल बिस्तर पर लेटे हुए थे कि श्वेता बोल पड़ी, “मनीषा आज तक किसी ने मेरी चूत को इस तरह नही चूसा जैसे तुमने. सबसे बड़ी बात ये है कि चूत चूसने का तुम्हारा पहला अनुभव था.”
“और लंड चूसने मे भी, मेरे लंड ने पहली बार इतना जल्दी पानी छोड़ा होगा.” शुभम ने कहा.
“मुझे खुद समझ मे नही आ रहा है. पिछले दो दीनो मे जितनी चुदाई मेने की है उतनी में पिछले दो सालों मे नही की.” मेने कहा.
“अब तुम क्या सोचती हो?” शुभम ने पूछा.
“मुझे खुद को अपने आप पर विश्वास नही हो रहा है कि मेने अपनी होने वाली बहू के साथ शारारिक रिश्ता कायम किया है और मेरे बेटे के गहरे दोस्त से चुदवाया है. समझ मे नही आता कि अगर मेरे बेटे अमित को पता चला तो उससे क्या उससे क्या कहूँगी.” मेने कहा.
“ये सब आप मुझ पर छोड़ दें, अमित को में संभाल लूँगी. फिलहाल तो में फिर से गरमा गयी हूँ.” श्वेता ने कहा.
श्वेता बिस्तर पर पसर गयी और अपनी टाँगे फैला दी, “मनीषा अपनी जीब काजादू मेरी चूत पर एक बार फिर से चला दो. आओ और मेरी चूत को फिर से चूसो ना.”
मेने अपनी होने होली वाली बहू को प्यार भरी नज़रों से देखा और उसकी टाँगो के बीच आते हुए अपनी जीब उसकी चूत मे अंदर तक घुसा दी. श्वेता को अपनी चूत चूसवाना शायद अच्छा लगता था. वो सिसक पड़ी.
“ओह हााआआं चूऊऊऊओसो और ज़ोर से अहह ऐसे ही.”
शुभम मेरे पीछे आ गया और मेरी कुल्हों को पकड़ पीछे से मेरी चूत मे अपना लंड घुसा दिया. मेरी चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी. शुभम ने मेरी चूत का पानी अपनी उंगली मे लगा मेरी गांद के छेद मे डाल उसे गीला करने लगा. पहले तो मुझे अजीब सा लगा पर में वैसे ही पड़ी रही.
“ऐसे ही रहना हिलना मत.” कहकर शुभम बाथरूम मे चला गया.
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जब वो वापस आया तो उसने फिर अपना लंड मेरी चूत मे घुसा दिया और मेरी गांद के छेद पे अपनी उंगलियाँ फिराने लगा. फिर वो कोई क्रीम मेरी गांद पर मलने लगा. उसने थोड़ी सी क्रीम मेरी गांद के अंदर डाल दी और मलने लगा साथ ही अपनी उंगली को मेरी गांद के अंदर बाहर कर रहा था. मेरी गांद पूरी तरह से चिकनी हो गयी थी और उसकी उंगली आसानी से अंदर बाहर हो रही थी.
श्वेता जो अब तक शुभम की हारकोतों को देख रही थी अचानक बोल पड़ी. “हाआन्न शुभम डाल दो अपना लंड इसकी गांद मे. में देखना चाहती हूँ कि तुम मनीषा की गांद कैसे मारते हो?”
“मनीषा क्या तुम भी अपनी गांद मे मेरा लंड लेना चाहोगी?” शुभम ने अपने लंड को मेरी गांद के छेद पर रखते हुए कहा.
“नही शुभम ऐसा मत करना. मेने पहले कभी गांद नही मरवाई है.” मेने अपना सिर यहाँ वहाँ पटकते हुए कहा, “तुम्हारा लंड काफ़ी मोटा और लंबा और है, ये मेरी गांद को फाड़ डालेगा.”
“हिम्मत से काम लो. अगर में इसका लंड अपनी गांद मे ले सकती हूँ तो तुम भी ले सकती हो फरक सिर्फ़ आदत का है.” श्वेता मेरे निपल मसल्ते हुए बोली.
शुभम ने ढेर सारी क्रीम लगाकर अपने लंड को भी चिकना कर लिया था. फिर उसने थोड़ा सा थूक अपने लंड पर लगा अपना लंड मेरी गांद मे घुसा दिया. मेरे आँख से आँसू निकल पड़े और में दर्द में चीख पड़ी, “उईईई मररर्र्र्ररर गाइिईईईई निकॉयेयीयायायाल लूऊओ प्ल्आस्ईए दर्द्द्द्द्दद्ड हूऊ रहा.”
मेरी चीखों पर ध्यान ना देते हुए शुभम ने अपना हाथ आगे कर अपनी दो उंगली मेरी चूत मे डाल दी. उसके इस स्पर्श ने शायद मेरी गांद मे उठते दर्द को कम कर दिया. में अपने कूल्हे पीछे धकेल उसका साथ देने लगी. शुभम अब पूरे जोश से मेरी गांद की धुलाई कर रहा था.
उसकी उंगलियाँ मेरी चूत को चोद रही थी और उसका लंड मेरी गांद को. वही श्वेता ने अपनी चूत मेरे मुँह के आगे एक बार फिर कर दी और में उसकी चूत को चूसे जा रही थी. श्वेता की निगाहें शुभम के लंड पर थी जो मेरी गांद के अंदर बाहर हो रहा था, “घुस्स्स्स्स्ससा दो अपना लंड फाड़ डूऊऊऊऊ आज इसकी गांद को.” श्वेता बड़बड़ा रही थी.
मेरे शरीर मे गर्मी इतनी बढ़ती जा रही थी. मेरी चूत मे उबाल आ रहा था. मैं अपने पूरे जोश से शुभम के धक्कों का साथ दे रही थी. मेरी चूत इतनी पहले कभी नही फूली थी जितनी की आज.
“हे भ्गवान.” मेने अपने आपसे कहा. “मेरा फिर छूटने वाला है,” मुझे विश्वास नही हो रहा था. शुभम पूरी ताक़त से अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. मेने अपनी टाँगे उसकी कमर के चारों और लपेट ली थी और बड़बड़ा रही थी, “ओह हाआआं और काआआस के चूऊऊदो हूऊऊ आआआआः मेर्रर्र्र्ररर चूऊऊऊथा.”
शुभम मेरी गांद मे अपने लंड के साथ अपनी उंगली से मेरी चूत को चोद रहा था. मेने अपना मुँह श्वेता की चूत पर रख दिया और एक पागल औरत की तरह उसकी चूत को चूसने लगी. शुभम ने एक ज़ोर का धक्का मारा और अपना वीर्य मेरी गंद मे छोड़ दिया. मेरी गांद ने आज पहली बार वीर्य का स्वाद चखा था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
में ज़ोर ज़ोर से श्वेता की चूत चूस रही थी, उसकी चूत पानी छोड़े जा रही थी और में हर बूँद का स्वाद ले उसे पी रही थी. हम तीनो थके निढाल, पसीने से तर बतर बिस्तर पर पसर गये. इतनी भयंकर सामूहिक चुदाई मेने अपनी जिंदगी मे नही की थी. मुझे शरम भी आ रही थी साथ ही एक अंजनी खुशी भी कि मैं अपने शारारिक सुख का भी अब ख्याल रख सकती थी तभी श्वेता ने कहा, “मनीषा तुम हमारे साथ हमारे हनिमून पर क्यों नही चलती?”
“श्वेता तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नही हो गया है? तुम चाहती हो कि में अपनी हँसी उड़वाउ. लोग क्या कहेंगे कि बेटे के हनिमून पर एक मा उनके साथ क्या कर रही है?” मेने कहा.
मैं मज़ाक नही कर रही. शुभम हम लोगो का साथ आ रहा है. हमने चार लोगो के हिसाब से कमरा बुक करवाया है. तुम हमारे साथ एक दम फिट बैठोगी.” श्वेता ने कहा.
“श्वेता सही कह रही है मनीषा. हमने चार लोगो की बुकिंग कराई है. मैं वैसे भी किसी को अपने साथ ले जाने वाला था, तो तुम क्यों नही चलती.” शुभम ने मेरी चुचियों को मसल्ते हुए कहा.
“तुम ये कहना चाहते हो कि अमित चाहता है कि शुभम और एक दूसरी औरत उसके साथ उसके हनिमून पर चले और साथ साथ एक ही रूम मे रुके.” मेने पूछा.
“हां ये सही है. तुम जानती हो कि हम तीनो आपस मे चुदाई करते है. और तुम भी हम दोनो का साथ दे चुकी हो तो क्यों ना हम चारों साथ साथ चले.” शुभम ने कहा और श्वेता ने भी अपनी गर्दन हिला दी.
“अगर में तुम लोगो की बात मान भी लेती हूँ तो अमित क्या सोचेगा? मैं कैसे उसके सामने एक ही कमरे में तुम दोनो के साथ चुदाई करूँगी?” मेने पूछा.
“मेने कहा ना कि अमित में संभाल लूँगी.” श्वेता ने कहा.
“मैं इस तरह फ़ैसला नही कर सकती. मुझे सोचने का वक़्त चाहिए. में सोच कर तुम लोगों को बता दूँगी.” मेने जवाब दिया.
मेने देखा कि शुभम का लंड एक बार फिर खड़ा हो रहा था. श्वेता ने मेरी निगाहों का पीछा किया और झुक कर शुभम के लंड को अपने मुँह मे ले लिया. वो उसके लंड को चूसने लगी और उसका लंड एक बार फिर पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया.
“क्या ये सब कभी रुकेगा कि नही?” मेने अपने आप से पूछा.
“मनीषा में एक बार फिर तुम्हारी गांद मारना चाहता हूँ.” शुभम ने अपने लंड को सहलाते हुए कहा.
शुभम और श्वेता ने मिलकर मुझे घोड़ी बना दिया. “मनीषा में आज तुम्हारी गांद मे अपना लंड डाल अपना वीर्य तुम्हारी गांद मे डाल दूँगा.” शुभम मेरे कान मे फुसफुसाते हुए मेरे कान की लाउ को चुलबुलाने लगा.
मेरा शरीर कांप गया जब उसने अपने लंड को मेरे गंद के छेद पर रगड़ना शुरू किया. वो एक बार मेरी गंद मे अपना लंड घुसा चुक्का था फिर भी मेरे मुँह से हल्की चीख निकल गयी, “ओह मार गेयीयीयियी.”
शुभम का लंड मेरी गंद मे जगह बनाता हुआ पूरा अंदर घुस गया. वो मेरे कुल्हों को पकड़ धक्के लगा रहा था. तभी श्वेता मेरी टाँगो के बीच आ गयी और मेरी चूत को चाटने लगी. उसकी तर्जुबेकर जीब मेरी चूत से खेलने लगी. वो अपने लंड को मेरी गंद के अंदर बाहर करता रहा जब तक कि उसका 9′ इंची लंड पूरा नही घुस गया. फिर उसने रफ़्तार पकड़ ली और ज़ोर के धक्के लगाने लगा.
मेने भी ऐसा आनंद अपनी जिंदगी मे नही पाया था. एक तो श्वेता की जीब मेरी चूत मे सनसनी मचाए हुए थी और दूसरी और शुभम का लंड मेरी गंद की धज्जियाँ उड़ा रहा था. मैं भी उत्तेजना में अपने मम्मे मसल रही थी और ज़ोर से अपने कुल्हों को पीछे धकेल उसका साथ दे रही थी.
शुभम ज़ोर से चोद रहा था और श्वेता पूरी ताक़त से चूस रही थी. जब श्वेता ने मेरी चूत के मुहानो को अपने दांतो से भींचा उसी वक़्त मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. मुझे याद नही कि ये आज मे 6 बार झड़ी थी या 7वी बार. शुभम ने चोदना जारी रखा.
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मुझे उसका लंड अपनी गंद मे अकड़ता महसूस हुआ मैं समझ गयी कि उसका भी छूटने वाला है. मुझसे अब सहा नही जा रहा था. में पागलों की तरह अपना सिर बिस्तर पर पटक रही थी, बिस्तर की चादर को नोच रही थी और गिड़गिदा रही थी कि वो दोनो रुक जाए. शुभम ने अपने तगड़े लंड को मेरी गंद से बाहर खींचा और सिर्फ़ अपने सूपदे को अंदर रहने दिया. उसने दोनो हाथों से मेरे मम्मे पकड़े और एक ज़ोर का धक्का लगाया. उसका लंड मेरी गंद की दीवारों को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया.
उसने ऐसा दो तीन बार किया और अपना वीर्य मेरी गांद मे छोड़ दिया. मुझे नही पता कि उसके लंड ने कितना पानी छोड़ा पर मेरी चूत पानी से लबाब भर गयी थी. उसका वीर्य मेरी गांद से होते हुए मेरी चूत पर बह रहा था जहाँ श्वेता अपनी जीब से उस वीर्य को चाट रही थी. शुभम और श्वेता उठे नहाए और कपड़े पहन कर चले गये, और छोड़ गये मुझे अकेला अपनी सूजी हुई गांड और चूत के साथ जो रस से भरी हुई थी. उनके साथ हनिमून पर मे जाउ कि नही इसी ख़याल मे कब मुझे नींद आ गयी मुझे पता नही.
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