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कच्ची उम्र में प्यार और रोमांस

मई 4, 2025 by hamari Leave a Comment

Virgin Girl Pahli Chudai

सौम्या गर्मियों की छुट्टी में अपनी मौसी के गांव आई थी। उस समय उसकी उम्र तकरीबन 18 साल की रही होगी। उसकी मौसी की लड़की मोना उससे एक साल ही छोटी थी लोकिन वो उसे दीदी कहकर बुलाती थी। सौम्या मोना के साथ पूरे गांव में फ्राक पहनकर घूमा करती थी। हांलाकि गांव वाले उसे इस लिबास में देखकर फब्तियां कसा करते थे, लेकिन वो किसी की परवाह नहीं करती थी। Virgin Girl Pahli Chudai

एक दिन सौम्या और मोना गांव की चौपाल पर पहुंची जहां पहले से ही चार-पांच लड़के खड़े थे। उनमें एक लड़का अपेक्षाकृत कुछ बड़ा था, जिसका नाम सुजीत था। सौम्या को गांव में घूमते इतने दिन हो गए थे कि वो पहले से ही सभी को जानती थी।

सुजीत ने उससे पूछा आइस-पाइस खेलोगी?

वो कैसे खेलते हैं? सौम्या ने पूछा।

हममें से एक लड़का चोर बनेगा और बाकी सभी छुप जाएंगे। चोर बना लड़का जिसे पहले ढूंढ़ लेगा अगली बार वो दाम देगा। सुजीत ने बताया।

ठीक है, सौम्या ने कहा।

चोर बनने का नंबर नीरज का आया और वो दाम देने चला गया। सभी छुपने की जगह ढूंढने लगे। सुजीत ने सौम्या का हाथ पकड़कर कहा, मेरे साथ आओ। मैं तुम्हे ऐसी जगह छुपाउंगा कि नीरज तो क्या उसका बाप भी नहीं ढूढ पाएगा। सौम्या सुजीत के साथ चली गई। सुजीत उसे पास के एक घर के एकदम पीछे वाले कमरे में ले गया, जहां बहुत अंधेरा था।

सौम्या ने कहा, यहां तो बहुत अंधेरा है मुझे डर लग रहा है।

घबराओ मत मैं तुम्हारे साथ हूं। सुजीत ने कहा.

और सौम्या का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया। सुजीत सौम्या के पीछे खड़ा था और सौम्या के चूतड़ उसकी जांघों को छू रहे थे। सुजीत ने अपना एक हाथ सौम्या के कंधे पर रख लिया। अचानक उसका हाथ फिसलकर सौम्या की चूंचियों पर आ गया तो सौम्या बोली-

सौम्या= यहां से हाथ हटाओ न गुदगुदी होती है।

सुजीत= लेकिन यहां हाथ लगवाने में मजा भी बड़ा आता है।

सौम्या= तुम झूठ बोलते हो।

सुजीत= कसम से सौम्या अच्छा अगर तुम्हे ठीक न लगा तो मैं हाथ हटा लूंगा।

ठीक है। सौम्या ने कहा।

सौम्या के इतना कहते ही सुजीत ने उसकी चूंचियां पकड़ ली और दबाने लगा। सौम्या की चूंचियां हाथ में आते ही सुजीत का लंड झटके से सौम्या के चूतड़ों से टकराया तो वह उछल पड़ी। सुजीत धीरे-धीरे उसकी चूंचियों को दबाने लगा और अब तो सौम्या को भी मजा आने लगा।

सुजीत ने अपना एक हाथ सौम्या की फ्राक में डाल दिया। सौम्या की नंगी चूंचियां हाथ में आते ही उसका लंड एक बार फिर झटके के साथ सौम्या के चूतड़ों से टकराया, तो सौम्या उछलकर बोली- ये तुम बार-बार मेरे चूतड़ों पर डंडा क्यों मार रहे हो।

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सुजीत= ये डंडा नहीं पगली मेरा लंड है। अच्छा ये बताओ तुमने कभी किसी का लंड देखा है।

सौम्या= तुम्हे लड़कियों से ऐसी बात करते हुए शर्म नहीं आती। सौम्या ने शर्मा कर कहा।

सुजीत= देखो सौम्या आदमी अगर शर्म से काम ले तो बहुत सी मजेदार चीजों से वंचित हो जाता है। बताओ न तुमने किसी का लंड देखा है।

सौम्या= बड़ों का तो नहीं लेकिन बच्चों का जरूर देखा है। सौम्या ने शरमाते हुए जवाब दिया।

सुजीत= हाथ में लोगी।

इतना कहकर सुजीत ने सौम्या को कुछ कहने का मौका दिए बिना अपना लंड निकाला और उसके हाथ में रख दिया। जब सौम्या ने सुजीत का लंड पकड़ा तो उसे ऐसा लगा मानो उसने गरम-गरम लोहे की राड पकड़ ली हो, दूसरे ही क्षण उसने घबराकर सुजीत का लंड छोड़ दिया। तभी शोर मच गया था। नीरज ने किसी को ढूंढ लिया था, और दोनो बाहर आ गए। अब उस लड़के की चोर बनने की बारी आई और सुजीत सौम्या को पुरानी जगह पर ले आया।

सुजीत सौम्या की चूचियां दबाने लगा और सौम्या उसके लंड से खेलने लगी। कभी वो उसको मुट्ठी में दबा लेती तो कभी उसके सुपाड़े को हटाकर देखती। सुजीत का लंड हाथ में लेकर सौम्या अपने पूरे जिस्म में अजीब सी सनसनी महसूस कर रही थी। इधर सुजीत उसकी चूचियों को हौले-हौले सहला रहा था, दबा रहा था। तभी सुजीत जोर-जोर से उसकी चूचियों को दबाने लगा तो सौम्या चिल्लाई,

सौम्या= क्या करते हो , जोर से दबाने से दर्द होता है न।

सुजीत= सॉरी अब धीरे-धीरे दबाऊंगा। सुजीत ने कहा और सौम्या की चूचियां फिर से दबाने लगा।

अचानक सुजीत सौम्या की फ्राक के ऊपरी बटन खोलने लगा तो सौम्या बोली- बटन क्यों खोल रहे हो।

सुजीत= तम्हारी चूचियां बाहर निकालने के लिए।

सौम्या= क्यों?

सुजीत= उन्हे चूसूंगा। सुजीत ने धीरे से कहा।

सौम्या= न बाबा न। सौम्या कांप कर बोली।

सुजीत= क्यों क्या हुआ ? सुजीत ने पूछा.

सौम्या= तुमने मेरी चूचियों को चूसते समय काट लिया तो?

सुजीत= क्या पहले भी किसी ने तुम्हारी चूंचियों पर काटा है?

सौम्या= चूंचियों पर तो नहीं हां मगर मेरे अंकल प्यार करते समय गाल पर जरूर काट लिया करते थे।

सुजीत= घबराओ मत मैं तुम्हारे अंकल जैसा नहीं हूँ, मैं तुम्हारी चूंचियों को बड़े प्यार से चूसूंगा।

फिर ठीक है। सौम्या ने कहा।

सौम्या के इतना कहते ही सुजीत ने उसकी फ्राक के बटन खोलकर चूंचियों को बाहर निकाल लिया। सौम्या की चूंचियां अभी विकसित होना शुरू ही हुई थीं। उनका आकार छोटे संतरे जैसा था। अग्रभाग पर छोटा सा गुलाबी निपल। सुजीत उसकी चूंचियों को पहले तो धीरे-धीरे सहलाता रहा और फिर एक चूंची अपने मुंह में भरकर धीरे-धीरे चूसने लगा।

सुजीत के ऐसा करते ही सौम्या के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी। उसके हाथ से सुजीत का लंड छूट गया और सुजीत के सिर को सहलाने लगी। सुजीत कभी एक चूंची को मुंह में भरकर चूसता तो कभी दूसरी को। आनंद से सौम्या की आंखें मुंद गईं। वह आनंद के सागर में गोता लगा ही रही थी कि तभी अचानक बाहर शोर मच गया। सौम्या जल्दी से अपनी फ्राक के बटन बंद कर सुजीत के साथ बाहर आ गई। वहां पहले से ही सभी लोग जमा हो गए थे।

मोना ने सौम्या से कहा- दीदी अब घर चलो।

सौम्या= तुम चलो मैं अभी थोड़ा और खेलूंगी।

मोना= ठीक है मगर जल्दी आ जाना वरना मां नाराज होंगी। इतना कहकर मोना वहां से चली गई। नया लड़का दाम देने चला गया और सभी छुपने लगे। सुजीत सौम्या को लेकर पुरानी जगह आ गया। अचानक उसने कहा-

सुजीत= क्यों न हम खेल बंद करवा दें। जिससे बार-बार बाहर नहीं भागना पड़ेगा और तुम्हे जी भर कर मजा दूंगा।

ठीक है। सौम्या ने कहा।

इसके बाद सुजीत बाहर आया और उसने सभी को बुलाकर खेल बंद करने को कहा। उसके सारे दोस्त चले गए, मगर सौम्या वहीं खड़ी रही। सबके जाने के बाद सुजीत सौम्या को लेकर फिर उसी अंधेर कमरे में आ गया। न जाने क्यों इस बार सुजीत के साथ आने पर सौम्या का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।

उसके मन में अनजाना सा खौफ था, मगर उस आनंद के सामने वह खौफ छोटा पड़ गया जो कुछ समय पहले सुजीत से उसे मिल रहा था। वह चुपचाप सुजीत के साथ चली आई। इस बार जब सौम्या उसके साथ वहां आई तो न जाने क्यों उसका दिल धड़क रहा था।

सुजीत ने सौम्या की चूंचियों को बाहर निकाला और चूसने लगा। सौम्या सुजीत के लंड से खेल रही थी और उसके मुंह से सिकारियां निकल रहीं थीं। तभी सुजीत ने अपना एक हाथ सौम्या के जांघिए में डाल दिया और उसके चूतड़ों को सहलाने लगा।

जब कभी सुजीत उसके चूतड़ों की बीच की रेखा पर उंगली फिराता तो सौम्या सिहर उठती। अपनी चूंचियों पर सुजीत के होंठों का स्पर्श पाकर तथा सुजीत के लंड को हाथ में लेकर न जाने क्यों सौम्या अपनी चूत पर खुजली सी महसूस करने लगी। तभी सुजीत ने उसकी चूचिंयों से मुंह हटाया तो सौम्या बोली, रुक क्यों गए चूसते रहो न।

सुजीत ने कहा, वो तो मैं चूसूंगा ही, मगर क्या तुम मेरे लंड को मुंह में ले सकती हो।

ना बाबा ना।

क्यों?

क्यों मतलब उसी से तुम पेशाब करते हो उसे मैं मुंह में लूं। मुझे घिन आती है।

सौम्या तुम शायद नहीं जानती कि मैं अपने लंड की कितनी सफाई रखता हूं।

फिर भी तुम उसी से पेशाब करते हो न, मैं उसे मुंह में नहीं ले सकती।

सुजीत ने जबरजस्ती की तो सौम्या बोली, देखो अगर तुम जबरजस्ती करोगी तो मैं यहां से चली जाऊंगी।

अच्छा नहीं करता जबरजस्ती। मगर मुझे तो करने दोगी।

क्या?

यहां की चुम्मी लेने। सुजीत ने सौम्या की चूत पर फ्राक के ऊपर से ही हाथ फिराकर कहा।

छी: तुम्हे इस गंदी जगह मुंह लगाते घिन नहीं आएगी।

घिन कैसी। सौम्या तुम नहीं जानती कि जब कोई लड़का किसी लड़की की चूत चूमता है तो उसे कितना मजा आता है। प्लीज चूमने दो न।

ठीक है। सौम्या ने कहा चूम लो।

सौम्या के इतना कहते ही सुजीत ने उसकी फ्राक ऊपर उठाकर चड्ढी सरका दी। हालांकि वहां अंधेरा था फिर भी सौम्या का चेहरा शर्म से लाल हो गया। सुजीत ने सौम्या की चूत पर हाथ फिराया। उसकी चूत का रंग भी उसके रंग के समान ही गोरा था और वो एकदम चिकनी थी, उस पर अभी हलके-हलके रोंए आना शुरू हुए थे।

सुजीत सौम्या की फाम सी मुलायम और मक्खन सी चिकनी चूत पर हाथ फिरा कर पगला सा गया। उसने सौम्या की दोनों टांगों को थोड़ा सा खोला और उसके चूतड़ों पर अपने हाथ टिका कर चिकनी चूत पर मुंह रख दिया। सौम्या सिहर उठी वो तो सोच भी नहीं सकती थी कि जब कोई लड़का किसी लड़की की चूत चूमता है, तो इतना मजा आता है।

यह आनंद उस मजे से कई गुना ज्यादा था जो चूंची चुसवाने में मिल रहा था। सुजीत सौम्या की चूत को पहले तो धीर-धीरे चूमता रहा फिर अपनी जीभ निकालकर चाटने लगा। जब सुजीत ने जीभ निकाल कर उसकी चूत के बीच वाले हिस्से को चाटा तो सौम्या सिसकारियां लेने लगी। फिर सुजीत ने सौम्या की चूत के बीच के भाग में उभरे चने के दाने के सामान रचना पर अपनी गीली जीभ फिराई और उसे जीभ से सहलाने लगा।

सहलाते-सहलाते उसने धीरे से उस हिस्से को अपने होंठों के बीच दबाकर चूसना शुरू किया तो सौम्या आनंद से पागल हो गई। उसे ऐसा लगा कि उसके शरीर में खून की जगह गरम-गरम लावा बह रहा है। उसके मुंह से जोर-जोर से सिकारियां निकलने लगी। तभी सुजीत ने अपना मुंह सौम्या की चूत से हटा लिया तो सौम्या तड़पकर बोली रुक क्यों गए चाटते रहो न।

क्या? सुजीत ने पूछा।

मुझे उसका नाम बोलने में शर्म आती है।

देखो सौम्या जब तक तुम नहीं बताओगी मैं नहीं चूसूंगा। सुजीत ने शरारत से कहा।

मेरी चूत। सौम्या कंपकंपाते स्वर में बोली।

सुजीत ने फिर से उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए और चाटने लगा। अचानक सुजीत ने अपनी जीभ सौम्या की चूत के छेद में डाल दी तो सौम्या को इतना मजा आया कि उसने सुजीत का सिर अपनी जांघों के बीच दबा लिया। ताकि वो जीभ का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा उसकी चूत में घुसेड़ सके।

सौम्या का आनंद चरम पर था और उसके शरीर में अजीब सी सनसनी दौड़ रही थी। उसे ऐसा लग रहा था कि वह किसी और ही दुनिया में है। वह आनंद के गहरे सागर में गोते लगा ही रही थी कि उनके कानों में मोना की आवाज पड़ी। वो सौम्या को ही पुकार रही थी।

सौम्या और सुजीत दोनों चौंक पड़े। सुजीत ने उसकी चूत से मुंह हटा लिया और सौम्या ने जल्दी-जल्दी चड्ढी पहन ली। वह बाहर जाने लगी तो सुजीत ने उसे रोक लिया। सौम्या बोली, जाने दो वरना मोना यहीं आ जाएगी और सब गड़बड़ हो जाएगा।

ठीक है जाओ मगर वादा करो कल दोपहर मेरे घर आओगी। मां तीन से पांच के बीच सोती है। उस समय हमें देखने वाला कोई नहीं होगा। उसी समय आना।

ठीक है आऊंगी, मगर अभी जाने दो। सुजीत ने सौम्या का हाथ छोड़ दिया और सौम्या चली गई। जाने से पहले सुजीत उसके चूतड़ों पर हाथ फेरना नहीं भूला था।

अगले दिन सौम्या करीब आधा घंटा देरी से सुजीत के घर पहुंची। सुजीत बड़ी बेसब्री से उसका इंतजार ही कर रहा था, कि तभी उसने खिड़की से सौम्या को आते देखा। सौम्या ने पैंट और टॉप पहन रखा था। कुछ देर बाद सौम्या सुजीत की नजरों से ओझल हो गई फिर उसके कमरे में प्रविष्ट हुई।

सुजीत ने उसके आते ही पूछा- बड़ी देर कर दी।

क्या करूं मोना को नींद ही नहीं आ रही थी। अभी भी उसे सोता छोड़कर आई हूं, जो भी करना हो जल्दी कर लो वरना वो जाग गई तो मुझे ढूंढेगी।

मैं तो वहीं करूंगा जिसमें तुम्हे मजा आता है।

मुझे तो अपनी चूत चटवाने में ही ज्यादा मजा आता है।

तो ठीक है मैं यही करूंगा।

इतना कहकर सुजीत ने सौम्या के तमाम कपड़े उतार दिए और उसे बिस्तर पर लेटा दिया। पहले तो कुछ देर वो उसकी चूंचियां दबाता रहा। फिर उसने सौम्या की चूंचियो को बारी बारी से चूसा और उसकी चूत पर हाथ फिराता रहा। तभी सौम्या बोली जल्दी से मेरी चूत चाटना शुरू करो न।

और सुजीत ने उसकी टांगों को थोड़ा फैलाया और उसकी चूत के होंठो पर अपना मुंह रख दिया, सौम्या ने मारे आनंद के अपनी आंखे मूंद ली। उसके मुंह से आनंद भरी सिसकारी निकलने लगी। सुजीत ने अपनी जीभ निकाल कर सौम्या की चूत के बीच वाले हिस्से पर फिराना शुरू किया.

तो सौम्या के मुंह से निकलने वाली सिसकारियों की आवाज भी तेज हो गई। सुजीत ने उसकी चूत के बीच वाले भाग को अपने होंठो के बीच दबाकर चूसना शुरू किया तो सौम्या आनंद से पागल हो गई। सुजीत ने अपनी जीभ सौम्या की चूत के छेद में घुसा दी और धीरे धीरे जीभ से चूत के छेद को सहलाने लगा।

सौम्या को इतना मजा आया कि उसने सुजीत के सिर को जोर से अपनी जांघों के बीच दबा लिया। सौम्या को इतना मजा आ रहा था कि उसके मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं। आह…सी…सी… ओह सुजीत जोर से चाटो न। आह… सी…सी.. मैं मर जाउंगी सुजीत। मेरे शरीर में कुछ हो रहा है।

सौम्या बिस्तर पर मचल रही थी और सुजीत उसकी चूत को चाटने में जुटा हुआ था। सौम्या चरम पर पहुंचने ही वाली थी और उसका शरीर ऐंठने लगा था। उसे लग रहा था कि इससे बड़ा आनंद और कोई हो ही नहीं सकता, तभी सुजीत ने अपना मुंह सौम्या की चूत से हटा लिया तो वो तड़पकर बोली… हाय सुजीत रुक क्यों गए चाटते रहो न मेरी चूत। मुझे बहुत मजा आ रहा है।?

नहीं पहले तुम मेरा लंड अपने मुंह में लो तभी मैं तुम्हारी चूत चाटूंगा। सुजीत ने आंखों में शरारत भरकर कहा।

नहीं मैं तुम्हारा लंड मुंह में नहीं ले सकती, मुझे घिन आती है। सौम्या सुजीत की इस मांग से सकपका गई। वह नहीं चाहती थी कि सुजीत उसकी चूत से एक पल के लिए भी अपना मुंह हटाए।

जब मुझे तुम्हारी चूत चाटते हुए घिन नहीं आई तो फिर भला तुम्हे मेरा लंड मुंह में लेने में कैसे घिन आएगी? सुजीत ने कहा।

फिर भी तुम उसी से पेशाब करते हो, मैं उसे मुंह में नहीं ले सकती। सौम्या की आवाज में अब भी लरज थी।

देखों सौम्या ये तो सौदा है। तुम मुझे मजा दो और मैं तुम्हे मजा देता हूं, वरना मैं तो चला सोने। अब सुजीत ने सौम्या के सामने सीधे-सीधे शर्त रख दी।

सुजीत की इस बात पर सौम्या सोचने लगी। सुजीत जानता था कि सौम्या मना नहीं कर सकती। उसने उसे आनंद की जो अनुभूति करवाई थी, उसके लिए सौम्या कुछ भी करने को तैयार हो जाती। यह तो केवल लंड चूसने का मामला था। खैर कुछ ही पल सौम्या ने सोचने में लगाए और अपना सिर सहमति में हिला दिया।

सौम्या उसके लंड को मुंह में लेने को तैयार हो गई। तब सुजीत उसके सामने लेट गया। उसने सुजीत की पैंट के बटन खोलकर उसका लंड बाहर निकाला। कुछ देर उसे वैसे ही देखती रही। सुजीत ने उसकी तरफ प्रश्नवाचक नजरों से देखा। सौम्या से उसकी नजरें मिली तो एक बार फिर उसे सहमति में सिर हिलाया और उसे अपने मुंह में डाल लिया।

अब आनंद के सागर में गोते लगाने की बारी सुजीत की थी। सौम्या की गीली जीभ का स्पर्श अपने लंड पर पाते ही सुजीत के मंह से एक सिसकारी सी निकल गई। थोड़ी देर बाद सौम्या को भी सुजीत का लंड चूसने में मजा आने लगा और वो बड़े चाव से उसका लंड चूसने लगी।

सुजीत के मुंह से जोर-जोर से सिसकारियां निकलने लगी। कभी सौम्या उसके लंड को जोर-जोर से चूसने लगती तो कभी वो लंड के ऊपर की चमड़ी हटाकर चाटने लगती। सुजीत को बहुत मजा आ रहा था कि तभी सौम्या को शरारत सूझी और उसने सुजीत को लंड पर दांत गड़ा दिए। सुजीत ने तड़पकर उसके मुंह से अपना लंड बाहर खींच लिया।

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सौम्या ने पूछा, क्यों मजा नहीं आया?

मजा तो आ रहा था, लेकिन तुम्हारे दांतों ने सब किरकिरा कर दिया।

अचछा अब नहीं काटूंगी। कसम से सौम्या सुजीत के लंड को प्यार से सहलाते हुए बोली।

ठीक है। सुजीत ने कहा और सौम्या उसके लंड पर झुकने लगी तभी उसके मन में कोई विचार आया और वह रुक गई। सुजीत ने उसकी तरफ प्रश्रवाचक नजर से देखा तो वह बोली, क्या ऐसा नहीं हो सकता कि तुम मेरी चूत चाटो और उसी समय मैं तुम्हारा लंड भी चूंसू? दोनों को एक साथ मजा आएगा।

हो क्यों नहीं सकता। सुजीत ने कहा.

फिर सौम्या को लेटा कर इस पोजिशन में आ गया कि उसका लंड सौम्या के मुंह के सामने था और सौम्या की चूत उसके मुंह के सामने। सुजीत ने सौम्या की चूत पर अपना मुंह रख दिया और सौम्या ने उसका लंड मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। सुजीत कभी सौम्या की चूत को चाटने लगता तो कभी उसके बीच उभरे चने के दाने समान रचना को मुंह में दबा कर चूसने लगता।

सौम्या भी कहां पीछे रहने वाली थी वो कभी सुजीत के लंड को चूसने लगती तो कभी उसके ऊपर की चमड़ी हटाकर चाटने लगती। सुजीत के दोनों हाथ सौम्या के चूतड़ों पर घूम रहे थे। वह अपने हाथों से धीरे-धीरे उन्हें सहलाता जा रहा था। सुजीत की जीभ सौम्या की चूत पर कमाल दिखा रही थी।

सौम्या के शरीर में कंपकंपाहट सी हो रही थी। उसे ऐसा लग रहा था कि सुजीत जिंदगी भर ऐसे ही सौम्या की चूत चाटता रहे और वह मुंह में उसका लंड लेकर पड़ी रहे। अचानक सुजीत ने जीभ से सौम्या की चूत के छेद को सहलाना शुरू किया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

फिर जब जीभ को चूत के अंदर की तरफ ठेला तो सौम्या मस्ती में चूर होकर सुजीत के लंड को लॉलीपॉप की तरह जोर-जोर से चूसने लगी। अचानक सुजीत को ऐसा लगा कि उसके शरीर में लावा सा उबल रहा है उसने झट से सौम्या के मुंह से अपना लंड निकाल लिया तो सौम्या बोली, निकाल क्यों लिया? कितना मजा आ रहा था।

अगर मेरा लंड थोड़ी देर और तुम्हारे मुंह में रहता तो सारा वीर्य मुंह में ही चला जाता।

ये वीर्य क्या होता है? सौम्या ने हैरानगी से पूछा।

तुम नहीं जानती?

कसम से मुझे नहीं पता। सौम्या मासूमियत से बोली।

अच्छा बताता हूं पहले यह बताओ चूत मरवाओगी।

वो कैसे करते हैं और मुझे तो अपनी चूत चटवाने में ही ज्यादा मजा आता है।

एक बार चूत मरवा कर तो देखो फिर कहना कि मजा आया या नहीं।

ठीक है, मगर पहले यह तो बताओ कि वीर्य क्या होता है। सौम्या अभी उसी सवाल पर अटकी थी।

सुजीत ने कहा जब किसी लड़के का लंड चूसा जाए या उसे चूत में डालकर घर्षण किया जाए तो लिसलिसा सा सफेद तरल पदार्थ निकलता है। उसे ही वीर्य कहते हैं।

हे भगवान अच्छा हुआ तुमने मेरे मुंह से लंड निकला लिया। छी कितना गंदा होता होगा न वीर्य। अगर मेरे मुंह में चला जातो तो मेरा मुंह भी गंदा हो जाता। सौम्या ने नाक सिकोड़ते हुए कहा।

सौम्या ये पदार्थ दिखने में भले ही गंदा लगता हो, मगर इसी सारी सृष्टि चलती है। तुम्हें पता है न कि औरतें बच्चे पैदा करती हैं।

हां पता है। कुछ महीने पहले मेरी भाभी के भी एक स्वीट सा बेबी हुआ। वह उनके पेट में था। भाभी को अस्पताल ले गए तो उनके पेट से निकाला गया। सौम्या ने कहा।

जानती हो ये बच्चा कैसे बनता है। सुजीत ने पूछा।

नहीं, सौम्या ने न में सिर हिला दिया।

ये बच्चा इसी वीर्य से बनता है जिसे तुम गंदा कह रही हो।

कैसे। सौम्या ने पूछा।

जब कोई लड़का किसी लड़की की चूत मारता है, तो आखिरी में ये वीर्य उसकी चूत में गिरता है। लड़की के पेट में उसी से बच्चा बनता है। ये ठीक वैसे ही जैसे जमीन में कोई बीज बोओ तो उससे पौधा निकलता है। सुजीत ने किसी मास्टर की तरह विश्लेषण किय़ा।

अच्छा, सौम्या हैरानगी से केवल इतना कह सकी।

तभी सुजीत बोला, खैर छोड़ो ये बताओ चूत मरवाओगी।

हां ठीक है, अगर तुम कहते हो कि उसमें चूत चटवाने से ज्यादा मजा आता है तो मैं तैयार हूं। सौम्या ने कहा।

सौम्या के इतना कहते ही सुजीत ने उसे पीठ के बल लिटा दिया और उसके चूतड़ो के नीचे तकिया लगा दिया। इसके बाद उसकी टांगों को थोड़ा फैला दिया। सौम्या की कुंवारी चूत का मुंह थोड़ा खुल गया था। सौम्या कनखियों से उसकी एक-एक हरकत देख रही थी।

सुजीत जानता था कि सौम्या की चूत में जैसे ही लंड डालेगा वह ददर के मारे चिल्लाने लगेगी। मगर उसे कोई चिंता नहीं थी। उसका कमरा घर में सबसे पीछे था। दोपहर का समय होने से उसकी मां ही नहीं, पूरा गांव सो रहा था। एक तरह से गांव सुनसान पड़ा था।

उसने सौम्या की टांगों को थोड़ा और फैलाया और उसके बीच आ गया। इसके बाद सौम्या की आंखों में झांककर देखा। सौम्या की आंखों में अब भी कौतुहल झलक रहा था। वह सोच रही थी कि चूत कैसे मरवाते हैं। अब तक तो कोई मजा आया नहीं।

इधर सौम्या मजे के बारे में सोच ही रही थी कि सुजीत ने उसकी चूत की छेद पर अपना लंड टिकाकर जोर से एक धक्का मारा। उसका चौथाई लंड सौम्या की चूत में घुस गया। सौम्या को ऐसा लगा कि जैसे उसकी चूत फट गई हो। वह जोर से चिल्लाने लगी, हाय मर गई। ये तुमने क्या कर डाला। क्या इसी को मजा कहते हैं।

वह सुजीत को लंड निकालने के लिए कहने लगी। लेकिन सुजीत ने एक और धक्का मारा और आधा लंड उसकी चूत में घुस गया।

अब सौम्या दर्द से तड़प उठी। उसकी आंखों में आंसू आ गए। वह गिड़गिड़ाते हुए चिल्लाने लगी। प्लीज अपना लंड बाहर निकाल लो। मुझे नहीं मरवानी अपनी चूत-वूत।

मगर सुजीत कहां सुनने वाला था। वह सौम्या को समझाते हुए बोला। पहली बार में थोड़ा दर्द होता है, फिर मजा आने लगेगा।

तुम्हे मजे की पड़ी है और यहां मेरी जान निकली जा रही है। सौम्या जोर-जोर से रोते हुए बोली।

लेकिन सुजीत नहीं माना वह सौम्या की चूत में धक्का मारता रहा। सौम्या जितना चिल्लाती, रोती और , रोती और गिड़गिड़ाती वह उतने जोश से धक्के पर धक्का मारता। कमरे में सौम्या की चीख के साथ ही गचागच-फचाफच की आवाज भी गूंज रही थी।

अचानक सुजीत का सारा शरीर ऐंठा और उसके लंड से वीर्य की पिचकारी निकलकर सौम्या की चूत में गिरी। यही एक क्षण था जब सौम्या को मजा आया। सुजीत के वीर्य की गरम धार ने मानो उसकी सारी पीड़ा हर ली हो। उसे ऐसा लगा कि खुद उसका शरीर भी ऐंठने लगा है।

इस पल उसे इतना ज्यादा मजा आया कि उसने जोर से सुजीत का लंड अपनी चूत में भींच लिया। थोड़ी देर तक सुजीत उसके ऊपर वैसे ही पड़ा रहा। वह इस प्रकार हांफ रहा था मानों मीलों चढ़ाई करके आया हो। सांस नियंत्रित करने के बाद वह उठा और सौम्या से कहा, मजा आया?

मजा तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी। मगर आखिरी में जो मजा आया, वह मैं बता नहीं सकती। सौम्या ने आंसू पोछते हुए कहा।

पहली बार में हर लड़की के साथ ऐसा ही होता है। फिर वह लंड की ऐसी अभ्यस्त हो जाती है कि उसकी चूत बड़े से बड़ा लंड निगल जाती है। सुजीत हंसते हुए बोला।

सौम्या ने उठकर अपने कपड़े पहनने लगी तो बिस्तर पर खून के धब्बे देखे। खून देखकर उसे गश आने लगा। वह बोली, यह खून कहां से आया।

सुजीत ने कहा कि जब कोई लड़की पहली बार चूत मरवाती है तो छेद पर लगी एक झिल्ली टूट जाती है और उसी से खून आता है।

सौम्या को अपनी माहवारी की याद आ गई और वह घबराकर बोली क्या हर बार ऐसे ही खून आएगा।

सुजीत ने कहा नहीं आज पहली और आखिरी बार था।

सौम्या ने चैन की सांस ली कपड़े पहनने लगी। कपड़े पहनकर जाने लगी तो सुजीत ने पूछा,

कल फिर आओगी?

हां आउंगी। अब तो मुझे भी तुम्हारा लंड चाहिए।

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यह कहकर सौम्या वहां से चली गई। सुजीत उसे जाते हुए तब तक देखता रहा, जब तक वह नजरों से ओझल नहीं हो गई। सौम्या की चाल बदल सी गई थी। दूसरे दिन सुजीत सौम्या का रास्ता देखता रहा लेकिन वह नहीं आई। सुजीत मन ही मन बड़बड़ात रहा, साली मादरचोद दे गई धोखा। शाम करीब चार बजे खिड़की से उसे सौम्या आती दिखी।

वह अलमस्त चाल से चली आ रही थी। उसने पचलून और शर्ट पहन रखा था तथा काफी खूबसूरत लग रही थी। थोड़ी देर बाद सुजीत को वह नजर आना बंद हो गई तथा कुछ ही देर में बाहर वाले कमरे से उसकी और मां की बात करने का आवाज सुनाई दी। कुछ देर बाद सौम्या उसके कमरे में थी। उसे देखते ही सुजीत ने मुंह घुमा लिया तो सौम्या बोली, नाराज हो क्या?

नाराज नहीं होउंगा क्या? पूरे दिन तुम्हारा रास्ता देखता रहा और तुम अब आ रही हो।

क्या करुं मोना सो ही नहीं रही थी। थोड़ी देर पहले ही उसकी झपकी लगी और मैं चली आई। अब नाराज मत होओ जो भी करना हो कर लो।

अब तो कुछ नहीं किया जा सकता क्योंकि मां उठ गईं है। तुम कल आना।

सौम्या कुछ देर सुजीत से बातें करती रही। वह अपने बारे में उसे बताने लगी कि छुट्टियां खत्म हो रही है। उसे कुछ ही दिन बाद वापस लौटना पड़ेगा। इसी साल वह शहर के कॉलेज में एडमिशन लेने वाली है।

सुजीत ने उसके मां-बाप के बारे में पूछा तो सौम्या बोली- मेरे पिताजी नहीं है। कई साल पहले एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई थी। मां हैं। बड़ा कारोबार है। मां ही सारा कारोबार संभालती हैं। मैं इकलौती संतान हूं।

सुजीत ने कहा, अरे वाह तुम तो काफी पैसे वाली हो।

हां हूं तो मगर बचपन से ही प्यार के लिए तरस रही हूं। पिताजी थे तो मां पार्टी, सहेलियों में व्यस्त रहती थीं। अब कारोबार में व्यस्त रहती हैं। मेरे लिए उनके पास जरा भी समय नहीं। सुजीत ने कहा तो क्या हुआ, तुम्हारे तो मजे हैं। जैसे चाहो जिंदगी जियो। जो चाहे करो। किसी की रोक-टोक नहीं। कोई चिंता फिकर नहीं।

तुम नहीं जानते सुजीत अकेले जिंदगी गुजारना कितना मुश्किल होता है।

हां लेकिन पैसे पास हों तो सब आसान लगने लगता है, सुजीत ने कहा। मेरे पिताजी को ही लो दिनभर खेतों में काम करते हैं। शाम को घर आते हैं। मां पूरे दिन घर के काम में लगी रहती है। दोनों मुझे बहुत प्यार करते हैं, मगर पैसे की कमी से हर छोटी-बड़ी इच्छा मारना पड़ती है। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

तुम फिर भी सुखी हो सुजीत। तंगहाली है तो क्या, कम से कम मां-बाप का प्यार तो है। सौम्या ने आह भरते हुए कहा।

सुजीत बोला, हां वो तो है और मैं संतुष्ट भी हूं अपनी जिंदगी से।

तो तुम्हारा भविष्य को लेकर क्या प्लान है।

कुछ नहीं इंटर कर लिया है और अब चाहता तो हूं आगे पढ़ाई करूं मगर इसके लिए शहर जाना होगा और घर के हालात ऐसे नहीं हैं कि पिताजी बाहर रहने का खर्च उठा सकें।

फिर क्या करोगे? सौम्या ने पूछा।

करना क्या है। तुम्हारे ही शहर के एक कॉलेज में छात्रवृत्ति के लिए आवेदन दिया है। यदि मिल गई तो पढ़ाई, नहीं तो खेती तो है ही। वही करूंगा। सुजीत ने जवाब दिया।

तुम्हें छात्रवृत्ति जरूर मिलेगी। आखिर तुम्हें शहर जो आना है। आखिर मेरी और मेरी चूत की जरूरत कौन पूरी करेगा। यह कहकर सौम्या खिलखिलाकर हंस पड़ी।

सुजीत ने कहा तुम्हें मजाक सूझ रहा है और यहां मैं चिंता में हूं कि पता नहीं क्या होगा?

कुछ नहीं होगा, सब ठीक हो जाएगा। सौम्या ने कहा।

अच्छा मैं चलती हूं। मोना उठ गई होगा। सौम्या ने कहा और चलने लगी।

सुजीत बोला कल आओगी न। आज की तरह धोखा तो नहीं दे जाओगी।

सौम्या अगले दिन आने का वादा करके वहां से चली गई। अगले दिन दोपहर को जब वह वहां पहुंची तो सुजीत नहीं मिला। उसने घर के सारे कमरे छान मारे लेकिन सुजीत का कहीं पता नही था। अंत में वह मन ही मन बड़बड़ाती हुई वहां से चली गई। वह चूत मरवाने के बारे में जाने क्या-क्या सोच कर वहां गई थी।

सुजीत के न मिलने से उसके सारे मंसूबो पर पानी फिर गया। मौसी के घर आ कर वह मोना के कमरे में लेट गई। डबलबेड बिस्तर पर पास ही मोना सो रही थी। अचानक सौम्या को एक ख्याल आया और उसने अपनी शर्ट के ऊपर के बटन खोल और मोना के हाथ से अपनी चूचिंयां दबवाने लगी। सौम्या के मुंह से सिसकारिया निकल रही थी। तभी मोना की नींद खुल गई और उसने कहा,

ये क्या कर रही हो दीदी। मोना का स्वर सुनकर सौम्या एक बार तो सकपका गई लेकिन दूसरे ही पल बोली, मेरी अच्छी बहन किसी से ये बात कहना मत।

लेकिन दीदी ये तो गंदी बात है।

तुम्हे नहीं मालूम इस खेल में कितना मजा आता है। तुमने कभी किसी के साथ यह खेल खेला है? मोना ने नकारात्मक सिर हिला दिया तो सौम्या बोली,

मेरे साथ खेलोगी?

मोना ने हां में सिर हिलाया। तब सौम्या ने पहले तो उसके तमाम कपड़े उतार दिए। फिर अपने कपड़े भी उतार दिए।

मोना की चूत भी सौम्या की चूत के सामान ही चिकनी थी। उसकी चूत थोड़ी फूली हुई थी और चूत के बीच से उभरा हुआ चने के दाने समान रचना सौम्या की चूत की अपेक्षाकृत थोड़ा बड़ा था। मोना काफी शरमा रही थी। सौम्या ने कहा, तू तो ऐसे शरमा रही है जैसे मैं कोई लड़का हूँ। सौम्या ने मोना की चूत पर हाथ फेरते हुए कहा, जानती हो इसे क्या कहते हैं।

हां मोना ने कहा।

क्या कहते हैं?

इसे चूत कहते हैं।

अरे जियो मेरी जान मैं तो तुझे काफी सीधी सादी लड़की समझती थी।

मोना शरमा सी गई। तो सौम्या बोली, अरे मुझसे कैसा शरमाना। मैं भी तेरी तरह लड़की ही हूं ना। आज मैं तुम्हें ऐसा मजा दूंगी कि तुमने कभी सोचा भी न होगा।

इतना कहकर सौम्या ने मोना को चित लिटा दिया और उसकी चूंचियों को धीरे-धीरे दबाने लगी। मोना कसमसाने लगी थी। सौम्या धीरे-धीरे उसकी चूंचियों को दबाती रही, फिर एक चूंची पर अपना मुंह रख दिया। मोना के सारे शरीर में गुदगुदी वाली सिहरन दौड़ गई।

सौम्या ने आहिस्ता से उसकी एक चूंची को अपने मुंह में लिया और चूसने लगी। एक हाथ मोना की चूत पर रख दिया और सहलाने लगी। बॉसौम्या बारी-बारी मोना की दोनों चूंचियों को कुछ देर तक चूसती रही। मोना के मुंह से सिसकारी सी निकलने लगी-

ओह दीदी…ऐसे ही… चूसती रहो… अच्छा लग रहा है।

सौम्या ने उसकी चूंचियों से मुंह हटाया तो मोना उसकी तरफ प्रश्नवाचक नजरों से देखने लगी। वह सौम्या के अगले कदम का इंतजार कर रही थी। सौम्या ने कहा घबरा मत मेरी जान अब तुझे जन्नत की सैर करवाती हूं।

इतना कहकर सौम्या मोना की जांघो की तरफ खिसक आई। उसने मोना की चूत पर धीरे से हाथ फिराया। मोना समझ नहीं पा रही थी कि वह क्या करने वाली है। अचानक सौम्या ने अपना मुंह मोना की चूत पर रखा तो वह सिहर उठी। उसे तो कल्पना भी नहीं थी सौम्या उसकी चूत को चूम लेगी। सौम्या ने केवल चूमने पर ही बस नहीं किया बल्कि कई बार उसकी चूत को यहां-वहां चूमा।

मोना कंपकंपाते हुए बोली, दीदी यह क्या कर रही हो। यह गंदी जगह होती है।

मगर सौम्या कुछ नहीं बोली उसे पता था कि मोना को मजा आ रहा है। उसने जीभ निकाली और चूत के बीच की रेखा पर फिराने लगी। गुदगुदी और मजे के कारण मोना के रोंये खड़े हो गए। सौम्या ने यहीं बस नहीं किया वह जीभ से मोना की चूत तो चाटने लगी। मोना की चूत का हलका नमकीन स्वाद उसे काफी पसंद आ रहा था। उसने मोना की पूरी चूत को चाटा और फिर हलके से उसकी टांगों को फैलाकर बीच में जीभ से सहलाने लगी।

…और मोना वह तो मानो इस दुनिया में ही नहीं थी। आनंद के कारण उसके मुंह से जोर-जोर से सिसकारियां निकल रही थी। सौम्या उसकी चूत के बीच उभरे हिस्से को मुंह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगी। वह कल्पना कर रही थी कि मानो सुजीत का लंड चूस रही हो। आनंद के कारण मोना का पूरा शरीर कांपने लगा। अचानक सौम्या ने उसकी चूत से मुंह हटा लिया तो मोना जैसे किसी सपने से जागी।

उसने कहा दीदी रुक क्यों गई, बहुत मजा आ रहा था। प्लीज और चाटो न।

सौम्या ने कहा तुमने खूब मजा ले लिया। अब मेरी बारी है।

मोना ने पूछा, मतलब?

तो सौम्या बोली- जैसा-जैसा मैने तुम्हारे साथ किया है, वैसा ही तुम मेरे साथ भी करो।

इतना कहकर सौम्या लेट गई और मोना का मन तो नहीं हो रहा था, मगर उसके सामने सौम्या की बात मानने के अलावा कोई और रास्ता था भी नहीं। उसने पहले बारी-बारी सौम्या की चूंचियों को दबाया और फिर उन्हें चूसने लगी। सौम्या की चूंचियां चूसने में उसे भी मजा आने लगा। सौम्या उसके सिर पर हाथ रखकर सहला रही थी। काफी देर तक मोना उसकी चूंचिया ही चूसती रही तो सौम्या बोली,

बस कर मेरी लाड़ो अब क्या खा जाएगी, इन्हें। नीचे आ जरा मेरी चूत पर भी अपनी जीभ का कमाल दिखा।

मोना नीचे सरक गई, मगर वह झिझक रही थी। सौम्या की चूत पर मुंह लगाने में उसे घिन सी आ रही थी। वह सोच रही थी कि इसी अंग से पेशाब की जाती है, वह इसे कैसे चूम सकती है। सौम्या ने जब देखा कि मोना का हाथ तो उसकी चूत पर है, मगर वह वैसे ही बैठी है तो उसने कहा,

क्या हुआ मोना , तू चाटती क्यों नहीं?

दीदी मुझे घिन सी आ रही है। मैं नहीं चाट पाउंगी। प्लीज आप ही मेरी चूत तो चाटो न। मैं हाथ से सहलाकर आपको मजा देती हूं।

सौम्या ने कहा, वाह हाथ से कहीं मजा आता है। देख मोना ये तो सौदा है। तू मुझे पूरा मजा दे, तभी मैं तुझे मजा दूंगी। नहीं तो तेरी मर्जी मैं तो चली सोने।

सौम्या ने इतना कहकर मुंह घूमा लिया तो मोना बोली, अरे दीदी आप तो नाराज हो रही हो।

नाराज नहीं होउं तो क्या करूं। अभी जब मैं तेरी चूत चाट रही थी तो कैसे उछल-उछलकर मजा ले रही थी। मेरी बारी आई तो तुझे घिन आने लगी।

ठीक है दीदी, तुम कहती हो तो मैं भी चाट लूंगी।

अरे वाह सौम्या चहककर बोली। यह हुई न बात।

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इसके बाद सौम्या फिर चित होकर लेट गई। मोना को उसकी टांगे भी नहीं फैलानी पड़ी। सौम्या ने खुद ही खोल दी। इसके बाद मोना ने उसकी चूत पर मुंह रख दिया और चूमने लगी। सौम्या की चूत पर पहले मुंह लगाने में उसे घिन आ रही थी, मगर जब चूमना शुरू किया तो चूमती ही चली गई। चूमने के साथ जीभ से आहिस्ता-आहिस्ता चाटने भी लगी। मोना ने कुछ देर सौम्या की चूत को चाटा। इसके बाद बोली

दीदी अब मेरी बारी है।

सौम्या बोली रुक, हम दोनों एक साथ एक-दूसरे को मजा देंगे।

इसके बाद सौम्या ने मोना को एक करवट पर लिटाया और खुद अपना मुंह उलटी तरफ करके इस तरह लेटी कि मोना की चूत उसके मुंह के सामने और उसकी चूत मोना के मुंह के सामने थी। इसके बाद वह बोली,

चल शुरू हो जा मेरी जान। दिखा दे अपना पूरा हुनर।

दोनों ने एक दूसरे की चूत तो चाटना और चूसना शुरू कर दिया। काफी देर तक दोनों एक दूसरे की चूत पर अपनी जीभ से चित्रकारी सी करती रहीं।

इसके बाद सौम्या उठी और कहा अब तुझे दूसरी तरह से मजा देती हूं।

उसने मोना को लिटाया और उसकी चूत पर अपनी चूंची रगडऩे लगी। जब कभी वह निपल को मोना की चूत में घुसडऩे की कोशिश करती तो मोना को इतना मजा आता कि वह आनंद से चूत को भींच लेती। कुछ देर तक सौम्या ऐसे ही खिलवाड़ करती रही फिर बोली, चल उठ अब मेरी बारी।

इतना कहकर सौम्या लेट गई। मोना जब सौम्या की चूत की तरफ आई और अपनी चूंची से उसे रगडऩा शुरू किया तो अचानक सौम्या को एक खयाल आया और वह बोली,

ऐसे नहीं। तू एक काम कर मेरे ऊपर लेट जा और अपनी चूत का दाना मेरी चूत पर रगड़।

मोना ने कहा मगर दीदी तुमने तो ऐसा नहीं किया था।

सौम्या बोली, अरे पगली मेरी चूत का दाना छोटा है, अंदर ही दबकर रह गया। तेरी चूत का दाना काफी उभरा हुआ है।

मोना समझ गई और वह अपनी चूत को सौम्या की चूत से मिलाकर उसके ऊपर लेट गई। इसके बाद चूत को सौम्या की चूत पर रगडऩे लगी। सौम्या को वैसा मजा तो नहीं आ रहा था जैसा सुजीत के लंड को चूत में लेकर आया था, मगर मजा तो आ ही रहा था। दोनों शाम ढले तक यही खेल खेलती रहीं। इसके बाद थककर एक-दूसरे की बांहों में नंगी ही सो गईं।

अगले दिन सौम्या सुबह उठी ही थी कि पोस्टमैन आ पहुंचा। उसने एक चिट्ठी सौम्या की मौसी को थमा दी। चिट्ठी सौम्या के नाम थी और उसकी मां ने भेजी थी। मौसी चिट्ठी खोलकर पढऩे लगी। उन्होंने सौम्या को आवाज लगाई, तो सौम्या सामने आ खड़ी हुई। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

क्या हुआ मौसी, सौम्या ने पूछा।

तेरी मां की चिट्ठी आई है, तुझे तुरंत बुलाया है। कॉलेज में एडमिशन हो गया है, तेरा उसी के लिए कुछ औपचारिकताएं करना है।

अरे वाह सौम्या खुशी से झूम सी उठी, मजा आ गया। वह हमारे यहां का सबसे बड़ा कॉलेज है। मुझे उसमें दाखिला मिल ही गया।

सौम्या तू शाम की बस से ही रवाना हो जा। मैं तैयारी कर देती हूं।

ठीक है मौसी, इतना कहते-कहते सौम्या अचानक उदास हो गई। उसे सुजीत का ध्यान आ गया था।

क्या हुआ, चेहरे पर उदासी क्यों आ गई। मौसी ने लाड़ से पूछा।

कुछ नहीं मौसी, अब आपको और मोना को छोड़कर जाना पड़ेगा न, इसलिए। सौम्या बात बनाते हुए बोली।

अरे तो कौन सा दूर है। और फिर मोना का इंटर भी इस साल हो जाएगा, उसका दाखिला भी तेरे ही कॉलेज में करवा दूंगी। तब दोनों बहनें मिलकर रहना।

ओ मां तुम कितनी अच्छी हो, वहां खड़ी मोना यह कहकर मां से लिपट गई। उसे कल दोपहर सौम्या के साथ बिताए पल याद आ गए। वह सोच रही थी कैसे कटेगा एक साल और वह फिर सौम्या के साथ होगी और मजे करेगी।

मौसी बोली, तुम दोनों नहा लो, तब तक मैं खाने का इंतजाम करती हूं। यह कहकर वे अंदर चली गईं।

मोना ने सौम्या से कहा, दीदी आज दोपहर हम फिर एक साथ सोएंगे दीदी। कल बहुत मजा आया था।

नहीं मोना आज मुझे कहीं जाना है। अब जब तू वहां आएगी तब करेंगे। सौम्या सुजीत के बारे में सोचते हुए बोली।

सौम्या की बात सुनकर मोना का चेहरा लटक गया, तो सौम्या बोली, उदास मत हो मेरी लाड़ो। अभी तो तेरी छुट्टी चल ही रही है न। कुछ दिन बाद तू वहां आ जाना। अब खुश हो जा।

मोना हंस दी। सौम्या सोच रही थी कि आज भी सुजीत नहीं मिला तो वह क्या करेगी। अब उसने केवल एक बार चुदवाया था और उसमें भी पूरे समय दर्द से ही चिल्लाती रही। अब वह पूरी तरह खुलकर चुदाई करवाना चाहती थी। उसने सोच लिया, दोपहर में जैसे ही मोना सोएगी वह सुजीत के पास जाएगी।

दोपहर हुई मौसी अपने कमरे में सोने चली गईं और वह मोना के साथ उसके कमरे में। मोना ने उससे एक बार फिर कहा कि दीदी कल वाला खेल खेलो न। सौम्या ने मना कर दिया, नहीं आज मुझे कहीं जाना है। तू अभी सो जा। कुछ देर बाद आउंगी तब खेलेंगे। मोना को इस तरह बहला कर सौम्या निकल गई और सीधे सुजीत के घर जा पहुंची।

उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसके मन में आशंकाओं के बादल मंडरा रहे थे, सुजीत आज भी नहीं मिला तो वह क्या करेगी? मगर उसकी सारी आशंकाएं गलत साबित हुई। सुजीत अपने कमरे में ही था और कोई किताब पढ़ रहा था। सौम्या के आने की आहट सुनकर नजरें उठाईं और सौम्या से नजरें मिलते ही उसके होंठों पर शरारती मुस्कान थिरक उठी।

सौम्या बोली, मादरचोद कल कहां चले गए थे। मैं कितना परेशान हुई पता है।

क्यों परसो जब तुम नहीं आई तो मैं नहीं परेशान हुआ। सुजीत ने हंसते हुए कहा।

अ’छा तो बदला लिया जा रहा था। सौम्या झूठमूठ गुस्सा होने का नाटक करते हुए बोली कि मैं जा रही हूं। तुम पड़े रहो अपना लंड पकड़कर।

अ’छा बाबा लो कान पकड़ता हूं। अब ऐसा नहीं करूंगा। अब तो रुक जाओ।

अचानक सौम्या उदास हो गई। तो सुजीत ने पूछा क्या हुआ, बोला न अब नहीं करूंगा ऐसा।

अब ऐसा कर भी नहीं पाओगे सुजीत ।

क्यों, सुजीत ने पूछा।

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क्योंकि मैं आज शाम की बस से ही वापस जा रही हूं। सौम्या ने उदास स्वर में जवाब दिया, मेरा एडमिशन शहर के बड़े कॉलेज में हो गया। उसके लिए जाना पड़ेगा।

कौन से कॉलेज में हुआ तुम्हारा एडमिशन? सुजीत ने पूछा।

सौम्या ने कॉलेज का नाम बताया तो सुजीत खुशी से उछल पड़ा। उसने सौम्या को बांहों में भर लिया।

क्या हुआ मेरे जाने से इतना खुश क्यों हो रहे हो?

तुम्हें नहीं पता सौम्या मैने भी उसी कॉलेज में एडमिशन और छात्रवृत्ति के लिए आवेदन दिया है। भगवान ने चाहा तो मैं कुछ ही दिनों में तुम्हारे पास होउंगा।

अब सौम्या भी खिल उठी। वह खुशी से बोली, अरे फिर तो मजा आ जाएगा।

तब तक सुजीत का हाथ सौम्या की फ्राक ऊपर कर उसकी चड्ढी में पहुंच चुका था और वह धीरे-धीरे उसके चूतड़ों को सहला रहा था।

सुजीत पता नहीं क्यों मगर मुझे लग रहा है कि मुझे तुमसे प्यार हो गया है।

हां सौम्या मैं भी तुम्हें चाहने लगा हूं। अब ऐसा लगता है कि जिंदगी में और किसी लड़की की जरूरत ही नहीं है।

सुजीत आमतौर पर लड़के-लड़की में पहले प्यार होता है, फिर चूत-लंड का खेल। मगर हमारे मामले में उलटा हुआ। पहले चूत-लंड का खेल हुआ और फिर प्यार।

इधर सुजीत का हाथ सौम्या के जांघिए में थिरक रहा था, तभी अचानक सौम्या के जांघिए की इलास्टिक टूट गई और वह सरककर नीचे आ गिरा।

सौम्या चिल्लाई, यह तुमने क्या कर दिया। अब मैं घर कैसे जाउंगी।

क्या मतलब कैसे जाउंगी। जांघिया यहीं छोड़ जाओ। तुम्हारी निशानी के तौर पर मेरे पास रहेगा। तुम ऐसे ही चली जाओ। फ्राक तो पहन ही रखी है न।

अछा और अगर हवा से मेरी फ्राक उड़ी और किसी ने मेरी चूत और चूतड़ देख लिए तो।

संभलकर जाओगी तो ऐसा नहीं होगा। सुजीत ने मासूमियत से जवाब दिया।

अच्छा तो मैं जाऊं? सौम्या ने शरारत से पूछा।

क्यों चूत नहीं मरवाओगी क्या। सुजीत ने कहा।

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देखो सुजीत मैं आई तो इसीलिए थी। उसदिन आखिरी में ही पूरा मजा आया और आज मैं खुलकर मजा लेना चाहती हूं। मगर जो भी करना है जल्दी करो, क्योंकि मोना से बहाना बनाकर आई हूं। ज्यादा देर हो जाएगी तो वह मुझे ढूंढने लगी।

सौम्या के इतना कहते ही सुजीत ने उसकी फ्राक भी उतार दी। जांघिया तो उसका पहले ही उतर चुका था। इसके बाद सुजीत ने अपने भी सारे कपड़े उतार दिए और सौम्या को बिस्तर पर लेटा दिया। सौम्या बलिहारी होने वाली नजरों से सुजीत के तन चुके लौड़े को निहार रही थी।

सुजीत आया और धीरे-धीरे उसकी चूंचियों को दबाया और फिर होंठ एक चूंची पर रख दिए। इधर उसका हाथ सौम्या की चिकनी चूत पर थिरक रहे थे, उधर वह सौम्या की चूंची को बड़े प्यार से चूस रहा था। सौम्या के सारे शरीर में सनसनी दौडऩा शुरू हो गई। सुजीत ने बारी-बारी सौम्या की दोनों चूचियों को चूसकर उसे काफी उत्तेजित कर दिया।

इसके बाद सिर नीचे लाया और मुंह उसकी चूत पर रख दिया। सौम्या की चूत की खुशबू आज कुछ अलग ही थी। सुजीत जीभ निकालकर मजे से उसे चाटने लगा। इधर सौम्या का हाथ सुजीत के सिर पर था और वह उसके बालों को प्यार से सहला रही थी।

सुजीत काफी देर तक सौम्या की चूत तो चाटता रहा, बीच के हिस्से को मुह में दबाकर चूसता रहा। कभी-कभी अपनी जीभ गोलकर उसकी चूत के छेद में घुसेड़ देता और सौम्या के मुंह से निकलने वाली सिसकारियों की आवाजें तेज होती जा रही थीं। आखिर सुजीत ने सौम्या की चूत से मुंह हटाया और उसके ऊपर लेटने लगा तो सौम्या बोली- रुको।

क्यों क्या हुआ, आज दर्द नहीं होगा।

नहीं उसके लिए नहीं।

तो फिर क्या बात है।

कुछ नहीं पहले तुम लेटो।

ठीक है। यह कहकर सुजीत लेट गया।

सौम्या ने उसका लंड अपने हाथ में थाम लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगी। फिर उसने जीभ निकाली और लंड पर फिराने लगी। सुजीत की कमर अपने आप थिरकने लगी। कुछ देर तक वह जीभ से खिलवाड़ करती रही फिर उसने सुजीत का लंड मुंह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। सुजीत को इतना मजा आ रहा था कि वह जोर-जोर से अपनी कमर हिलाने लगा। कुछ देर सौम्या उसके लंड को चूसती रही और फिर सुजीत ने खुद ही उसके सिर को हटा दिया।

बस करो सौम्या, अब और नहीं सह पाउंगा।

क्यों क्या हुआ। सौम्या शरारत से बोली।

हुआ तो कुछ नहीं, मगर कुछ देर और यह तुम्हारे मुंह में रहता तो हो जाता, सुजीत ने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा, चलो अब तुम लेट जाओ और इसे अपनी चूत में ले लो।

सौम्या बोली नहीं मैं नहीं लेटूंगी। हमेशा मैं ही क्यों नीचे लेटूं। अगर तुम्हें आता है तो ऐसे ही चूत मारकर दिखाओ। सौम्या शरारत के मूड़ में आ गई।

सुजीत ने कहा, अच्छा यह बात। चुनौती दे रही है।

यही समझ लो, सौम्या ने हंसते हुए कहा।

ठीक है, सुजीत ने कहा। ऐसा हो तो सकता है कि मैं ही नीचे लेटा रहूं, मगर मेहनत तुम्हें करना होगा। मंजूर है।

ठीक है मंजूर है। सौम्या बोली।

तो सुजीत ने उससे कहा कि उसकी कमर के दोनों तरफ अपने पैर करके बैठ जाए। सौम्या ने ऐसा ही किया तो सुजीत ने अपना लंड हाथ में पकड़ा और सौम्या की थोड़ा उठने को कहा। सौम्या के घुटने उसकी कमर के दोनों तरफ थे, वह घुटनों पर ही थोड़ा उठी तो सुजीत ने उसकी चूत के छेद पर अपना लंड टिका दिया और बोला बस अब बैठ जाओ। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

सौम्या जैसे ही बैठी, एक झटके में पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। सौम्या की चूत में अचानक दर्द की एक लहर सी उठी तो वह चिल्लाकर बोली।

मादरचोद यह क्या किया, फिर से मेरी चूत फाड़ दी। यह कहकर वह उठने लगी तो सुजीत ने उसकी कमर को थामकर वापस बैठा लिया।

सौम्या कुछ देर हाथ-पैर झटकती रही, मगर अचानक ही उसे चूत में राहत सी महसूस होने लगी और सुजीत का लंड सुरसुरी पैदा करने लगा तो उसने हाथ-पैर पटकने बंद कर दिए।

क्यों मजा आने लगा, सुजीत ने एक आंख मारते हुए कहा।

हां आ तो रहा है, मगर शुरुआत में तो जान ही निकाल दी थी। बोल नहीं सकते थे। एक झटके में पूरा डाल दिया।

सुजीत हंसते हुए बोला, मैने कहां डाला, तुम्हीं ने तो किया है। और चुनौती दो।

चुनौती की तो बहन की चूत। सौम्या गाली बकते हुए बोली। अब जल्दी बताओ करना क्या है। मुझसे रहा नहीं जा रहा है।

अब क्या करना है, बस मेरी कमर पर उछलो, मजा खुद-ब-खुद आने लगेगा।

सुजीत के इतना कहते ही सौम्या उसकी कमर पर कूदने लगी और सुजीत का लंड उसकी चूत के अंदर बाहर होने लगा। सौम्या आनंद के सागर में गोते लगा रही थी और धीरे-धीरे उसकी कूदने की स्पीड भी बढऩे लगी। इधर सुजीत अपने हाथ से उसकी दोनों चूंचियों को दबाकर, सहलाकर उसके मजे को और भी बढ़ा रहा था।

सौम्या काफी देर सुजीत के लंड पर कूदती रही, कमरे में उसकी चूत से निकलने वाली फचाफच-गचागच की आवाज गूंजती रही। अचानक सौम्या का सारा शरीर ऐंठने लगा। उसे ऐसा लगा कि वह आनंद के चरम पर है, तभी सुजीत के लंड से वीर्य की पिचकारी छूटी और सौम्या की चूत में गिरी।

सौम्या आनंद के चरम पर पहुंच चुकी थी। उसने जमकर सुजीत की कमर को अपनी टांगों के बीच कस लिया और निढाल होकर उसके ऊपर गिर गई। सौम्या पसीने से तरबतर हो रही थी। उसकी चूत में आनंद की लहरें उठ रही थीं, आंखें बंद करके वह उन्हें पी रही थी। काफी देर तक वह वैसे ही सुजीत के लंड को चूत में लिए पड़ी रही। इधर सुजीत का लंड सिकुड़कर उसकी चूत से अपने आप बाहर आ गया तो वह उठी और उसके लंड को देखते हुए बोली, अरे इसे क्या हुआ।

कुछ नहीं। चुदाई के आखिरी में जब वीर्य निकलता है तो लंड इसी तरह सिकुड़ जाता है।

अरे मगर पिछली बार तो ऐसा नहीं हुआ था। सौम्या ने हैरत से कहा।

हुआ था, मगर दर्द के कारण तुम ध्यान नहीं दे पाई और जल्दबाजी मे चली भी गई थी।

अ’छा अब यह फिर कब तनेगा।

जब तुम चाहो, अगर तुम चाहो तो यह फिर खड़ा हो जाएगा।

न बाबा न आज के लिए इतनी मेहनत काफी है। शहर आओ फिर मैं देखती हूं कि यह कितनी बार खड़ा होता है।

सुजीत मुस्कुरा दिया। सौम्या उठी और अपनी फ्राक पहन ली। और बोली,

अ’छा मैं चलती हूं।

ठीक है, सुजीत ने कहा और उठकर प्यार से सौम्या की चूत को एक बार सहला दिया।

सौम्या बोली, सुजीत जल्दी आना। मैं तुम्हारा इंतजार करुंगी। और इतना कहकर वह निकल गई। उसकी आंखों में आंसू थे, जो वह सुजीत को नहीं दिखाना चाहती थी। आंसू सुजीत की आंखों में भी मचल रहे थे, मगर वह उन्हें पी गया।

और उसी शाम सौम्या शहर चली आई। अगले ही दिन जाकर उसने कॉलेज की औपचारिकताएं पूरी की और उसका दाखिला हो गया। हालांकि वह शहर के जाने-माने उद्योगपति की पुत्री थी, इसलिए ज्यादा दिक्कत तो नहीं आई, मगर कॉलेज में जाते ही उसका सामना वहां के मनचले लड़कों से हो गया।

अर्पित और विवेक। दोनों कॉलेज के गुंडे थे और पिछले चार साल से एक ही क्लास में फेल हो रहे थे। अब वे सौम्या की क्लास में थे। सौम्या वहां अपनी मां माधुरी देवी के साथ कार से पहुंची थी, मगर उसका पहनावा उसकी जवानी की नुमाईश कर रहा था। उसने घुटनों तक की स्कर्ट और टॉप पहन रखा था, जिसमें पीछे केवल एक गांठ बंधी थी।

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टॉप में सामने से उसकी चूंचियां का ऊपरी हिस्सा नजर आ रहा था और स्कर्ट छोटी होने के कारण उसकी गोरी चिकनी पिंडलियां, उसका यह पहनावा किसी को भी उत्तेजित करने के लिए काफी था। सौम्या की कार जैसे ही कॉलेज में आकर रुकी, वैसे ही कई लड़कों का ध्यान उस तरफ गया।

एक तरफ दीवार पर अर्पित और विवेक बैठे थे, जैसे ही सौम्या कार से उतरी उसकी छोटी स्कर्ट थोड़ा सा ऊपर हुई और उसका लाल जांघिया नजर आ गया। बस दोनों मनचलों के लिए इतनी झलक ही दिलों और लौड़ों में आग लगाने के लिए काफी थी।

दोनों की सीटियां एक साथ बजी और जैसे ही सौम्या ने उनकी तरफ देखा, अर्पित ने उंगली और अंगूठे से गंदा सा इशारा किया। सौम्या ने घृणा से मुंह घुमा लिया। तब तक उसकी मां भी दूसरी तरफ से उतरी, उसने सौम्या के चेहरे पर असामान्य भाव देखे और पीछे गंदा इशारा कर रहे अर्पित पर भी उसकी नजर पड़ गई।

माधुरी देवी 40-45 की उम्र में पहुंच चुकी अधेड़ महिला थीं, इसके बाद भी उनका शरीर गठा हुआ था। पति की मौत के बाद सफेद साड़ी ही उनका पहनावा था। चेहरे पर रईसी का रुआब और जबड़े एकदम भिंचे। माधुरी देवी को देखकर अर्पित और विवेक दोनों सकपका गए। जब तक वे कुछ कहतीं दोनों वहां से रफूचक्कर हो गए।

माधुरी देवी का चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था। वे सौम्या से बोली, इसी कॉलेज में दाखिला लेने के लिए तुम इतना उतावली हो रही हो। देख रही हो यहां के लड़कों की हरकतें। इसीलिए मैं कह रही हूं कि लड़कियों के कॉलेज में दाखिला लो।

दोनों की हरकतें सौम्या के लिए भी असहनीय थीं और वह भी इस कॉलेज में अब ठहरना तक नहीं चाहती थी, मगर तभी उसे सुजीत का ख्याल आ गया और वो बोली, नहीं मां इस तरह के शोहदें तो हर तरफ होते हैं। लड़़कियों के कॉलेज के सामने भी बैठे ही रहते हैं। क्या ग्यारंटी की वहां इस तरह के वाकये से दो-चार नहीं होना पड़ेगा। और यह शहर का सबसे अच्छा कॉलेज है। कुछ मनचले हैं तो क्या, मुझे अपना भविष्य देखना है।

बेटी की जिद के आगे माधुरी देवी की नहीं चल पाती थी। उन्होंने उसे बड़े लाड़ से पाला था। वे ठंडी सांस लेते हुए बोली,

ठीक है, जैसा तुम चाहो। इतना कहकर वे सौम्या को लेकर प्रिंसिपल के कमरे की तरफ बढ़ गईं। उनकी बात पहले से ही हो चुकी थी, इसलिए सौम्या के केवल आवेदन पत्र पर साइन करना पड़ा। प्रिसिपल ने उसका दाखिला पत्र हाथों-हाथ उसके हाथ में थमा दिया और कहा, एक पखवाड़े में कॉलेज शुरू हो जाएंगे। तब तक छुट्टी मनाओ।

तभी माधुरी देवी बोल पड़ी, सर आपके यहां कुछ लड़कों का व्यवहार मुझे पसंद नहीं आया। वे बदतमीजी कर रहे थे।

प्रिंसिपल ने कहा, आप चिंता न करें मैडम, मैं उनका इलाज कर दूंगा। आगे से वे ऐसी कोई भी हरकत नहीं करेंगे। आप निश्चिंत होकर इसे कॉलेज भेजिए।

तभी सौम्या बोल पड़ी, सर आपके यहां छात्रवृत्ति का क्या नियम है।

क्यों तुम्हें छात्रवृत्ति की क्या जरूरत पड़ गई।

मुझे नहीं, मौसी के गांव का एक गरीब लड़का है, उसने आपके यहां आवेदन दिया है।

क्या नाम है उसका है, प्रिंसिपल ने पूछा।

जी सुजीत, सौम्या ने जवाब दिया। क्या उसकी छात्रवृत्ति मंजूर हो गई?

तभी माधुरी देवी बोल पड़ीं, तुम्हें इससे क्या मतलब सौम्या। तुम्हारा दाखिला हो गया न।

नहीं मां वह मौसी के घर के काम करता था। बेचारा गरीब है। पिता पढ़ा नहीं सकते, मगर वह पढऩा चाहता है। अगर आप थोड़ी सिफारिश कर दें तो पढ़ लेगा।

सौम्या तुम इस तरह के लड़कों को नहीं जानती, इसलिए उससे ज्यादा सहानुभूति दिखाने की जरूरत नहीं।

मुझे कोई सहानुभूति नहीं है, मगर मौसी ने कहा था कि मैं उसके लिए आपसे बात करूं।

छोटी ने कहा था, फिर देखना पड़ेगा। माधुरी देवी यह कहकर प्रिंसिपल की तरफ घूमी और पूछा, उसके आवेदन पर कुछ हुआ सर।

मैडम आवेदन तो आया है और उसका पिछला रिकॉर्ड भी काफी बेहतर है। हमे ऐसे विद्यार्थियों को अपने कॉलेज में दाखिला देकर खुशी ही होती है, मगर ट्रस्टियों से पूछना पड़ेगा।

आप दाखिला दे दीजिए, मैं ट्रस्टियों से बात कर लूंगी। आखिर मैं भी तो एक सदस्य हूं न। माधुरी देवी ने कहा।

जी मैडम आप कहती हैं तो मैं अभी फायनल किए देता हूं। यह कहकर प्रिंसिपल ने सुजीत की फाइल मंगवाई और उस पर साइन कर दिय.यह देखकर सौम्या का दिल बल्लियों उछलने लगा और वह कल्पना लोक में तैरने लगी कि 15 दिन बाद वह फिर से सुजीत की बांहों में होगी।

उससे अपनी खुशी संभाली नहीं जा रही थी, मन ही मन वह झूम रही थी, बाहर से खामोश बैठी रही। जब वे बाहर निकलीं तो अर्पित और विवेक को गेट के सामने मंडराते देखा। सौम्या की नजर उन पर पड़ चुकी थी और उन दोनों ने नजरें मिलते ही सौम्या को फिर से गंदा इशारा किया। माधुरी देवी ने यह नहीं देखा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

सौम्या ने मन ही मन चैन की सांस ली, उसने सोचा यदि मां फिर से इनकी हरकतें देख लेती तो उसका कॉलेज आना मुश्किल में पड़ जाता। प्रिंसिपल साहब माधुरी देवी को छोडऩे बाहर तक आए थे। उन पर नजर पड़ते ही दोनों लड़के वहां से खिसक लिए। सौम्या ने मन ही मन ठान लिया कि कॉलेज आने के बाद दोनों को सबक जरूर सिखाएगी और इस काम में सुजीत और अपनी सहेलियों की भी मदद लेगी।

दिशा, सौम्या की पुरानी सहेली थी। दोनों स्कूल के समय से साथ थे, हांलाकि उसकी उम्र सौम्या से एक साल ‘यादा थी, मगर दोनों साथ ही रहती थीं। सौम्या जितनी शर्मीली और अंतर्मुखी थी, दिशा उतनी ही तेज-तर्रार। स्कूल के समय से ही उसकी दोस्ती कई लड़कों के साथ थी और आज भी नित नए लड़कों से दोस्ती करना उसका शौक है। दिशा को जानने वाले तो यहां तक कहते हैं कि वह पुराने लंड को ज्यादा दिनों तक नहीं झेल पाती।

उसकी चूत को हर दिन नया लंड चाहिए। जब तक इसे कोई नया लंड न मिल जाए, इसकी चूत की प्यास ही ठंडी नहीं होती। सौम्या, लड़कों के मामले में दिशा की इस बेबाकी को जानती तो थी, मगर कोई मतलब नहीं रखती थी और दिशा भी उसे अपनी रास लीला से दूर ही रखती थी। इसीलिए दोनों आज भी अच्छी सहेलियां थी। इस वक्त सौम्या, दिशा के ही घर पर थी। उसके कमरे में बैठी थी और दोनों सहेलियों में छुट्टियों की बातें हो रही थीं।

हां तो मेरी जान क्या कह रही थी तू, गांव में तुझे कोई लड़का मिला। दिशा ने सौम्या को छेड़ते हुए कहा।

कुछ देर पहले ही सौम्या ने मधू को सुजीत से मिलने और दोस्ती होने की बात बताई थी। तब से ही मधू उसे छेड़ रही थी कि मामला केवल दोस्ती तक ही है या बिस्तर तक भी पहुंचा।

दिशा ने जब फिर से यही बात दोहराई तो सौम्या दिखावटी गुस्सा करते हुए बोली, देख अगर तू बार-बार यही सब पूछेगी तो मैं चली जाऊंगी।

अ’छा मत बता, तेरी मर्जी। मगर मैं मान ही नहीं सकती कि किसी लड़के, लड़की में दोस्ती हुई हो और बाद में चूत-लंड तक बात न पहुंची हो। तू तो गांव में काफी दिन रही।

मधू, तू भी न कैसी गंदी बातें करती है।

अरे चल अब बता भी दे। अपनी अच्छी सहेली से कैसा शरमाना।

मधू ने बार-बार जोर दिया तो सौम्या ने शरमाते-शरमाते बता ही दिया कि कैसे खेल-खेल में उनके बीच चूत-लंड का खेल भी शुरू हो गया और वह दो बार चूत भी मरवा चुकी है।

अरे वाह, तू बड़ी ही छुपी रुस्तम निकली। यहां कितने लड़के तेरे पीछे पड़े रहते हैं, तू किसी को घास तक नहीं डालती और चूत खोली भी तो गांव के लड़के के सामने।

बस दिशा पता नहीं कैसे ये सब हो गया और अब मुझे लगता है कि शायद यही मेरी तकदीर में था। मैं अब सुजीत से प्यार करने लगी हूं और वह भी मुझे टूटकर चाहता है।

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सौम्या के मुंह से सुजीत की तारीफ और दोनों के बीच खेल का वर्णन सुन दिशा की चूत में खुजली होने लगी, मानो उसकी चूत सुजीत का लंड मांग रही हो। सुजीत की गोरे-चिट्टे लंड के वर्णन ने दिशा को और भी उत्तेजित कर दिया था। उसने मन ही मन ठान लिया कि कैसे भी हो सुजीत का लंड अपनी चूत में लेकर रहेगी, ऊपर से अपनी भावनाएं दबाते हुए पूछा, अच्छा यह तो बता कब आ रहा है तेरा परदेशी।

अरे हां यह तो बताना ही भूल गई। वह दो-तीन दिन में कभी भी आ सकता है। उसने हमारे ही कॉलेज में दाखिला लिया है। उसके रहने का इंतजाम तुझे ही करना है। मैने तेरे घर का ही पता दिया है।

अरे बाप रे, यह क्या किया तूने। मेरे घर पर कहां रहेगा?

माना मेरे मां-बाप गांव गए हैं, मगर पास-पड़ोस वालों ने बता दिया तो मेरी खैर नहीं।

देख मैं कुछ नहीं जानती यह तुझे ही करना है। चाहे तो आज से ही उसके लिए कोई कमरा देखना शुरू कर दे।

कमरा तो खैर मेरे ही घर में एक खाली है, जो किराए पर भी देना है। मगर पता नहीं, मां-बाप तैयार होंगे या नहीं।

सब तैयार हो जाएंगे, तू मना लेना। वैसे भी सुजीत काफी शरीफ लड़का है।

वह तो देख ही रही हूं कि जनाब कितने शरीफ हैं कि खेल-खेल में एक लड़की की चूत ले ली।

तू भी न बस। अरे वह तो बस हो गया। ऐसा कोई इरादा नहीं था हमारा। सौम्या ने शरमाते हुए कहा।

चल ठीक है, तू कहती है तो मैं ये कमरा उसे दे दूंगी। मधू थके से स्वर में बोली, मगर उसका मन बल्लियों उछल रहा था। उसे लगने लगा कि भाग्य भी उसका साथ दे रहा है और अब सुजीत का लंड आसानी से उसकी चूत में चला जाएगा।

अभी दोनों बातें ही कर रही थीं कि दरवाजे पर दस्तक हुई।

मधू ने उठकर दरवाजा खोला तो लोहे की छोटी से पेटी लिए एक लड़के को खड़ा पाया।

मधू उसकी तरफ सवालिया निशान से देख ही रही थी कि तभी अंदर बैठी सौम्या की नजर भी उस पर पड़ गई और वह उछलते हुए बोली, अरे सुजीत तुम। आज कैसे आ गए। तुम तो दो दिन बाद आने वाले थे न।

बस वो खेतों का सारा काम हो गया था, तो मैने सोचा कि निकल चलता हूं। रहने और खाने का भी इंतजाम करना है। इन दो दिनों में वह कर लूंगा।

उसकी चिंता तुम मत करो। तुम्हारे रहने का इंतजाम मैने कर दिया है। सौम्या चहककर बोली।

कैसे? सुजीत ने पूछा।

ये मेरी सहेली है, सौम्या ने मधू की तरफ इशारा करते हुए कहा। यह इसी का घर है और यहां एक कमरा खाली भी है जो तुम्हें किराए पर मिल जाएग.

मधू अब तक सुजीत को ही निहार रही थी और उसकी चूत की खुजली बढऩे लगी थी। वह खयालों में खो गई कि जब सुजीत यहां रहेगा तो वो कैसे जवानी का जलवा दिखाकर उसे पटाएगी और अपनी चूत मारने के लिए राजी करेगी।

तभी सौम्या ने उसे कोहनी मारते हुए, ऐ कहां खो गई।

आं..कहीं नहीं बस तेरी किस्तम पर जल रही हूं।

जलती है तो जलती रह, मगर खबरदार इस पर लाइन मारने की कोशिश मत करना। सौम्या ने मुस्कुराते हुए कहा।

सुजीत यह सुनकर शरमा सा गया और नजरें चुराने लगा, तभी मधू चहककर बोली।

अरे मेरी बन्नो, मैं क्यों इन पर लाइन मारूंगी, मुझे क्या कमी है लड़कों की। तू अपने परदेशी को अपने पास ही रख।

यह कहकर वो अपनेपन से सुजीत का हाथ पकड़कर घर के भीतर खींच लाई। सुजीत दोनों सहेलियों की बात सुनकर बेचारगी से सौम्या का चेहरा देख रहा था। सौम्या उसकी हालत पर मुस्कुरा रही थी। अंदर कुर्सी पर बैठाकर मधू बोली, तुम दोनों बातें करों, मैं चाय लेकर आती हूं। यह कहकर वह कमरे से निकलकर चली गई।

दिशा के जाते ही सुजीत ने सौम्या को बांहों में भर लिया। सौम्या कसमसाते हुए बोली, क्या करे हो। क्यों इतने उतावले हो रहे हो। दिशा आ जाएगी तो क्या सोचेगी।

सुजीत शरारती ढंग से मुस्कुराकर बोला, दिशा अब इतनी जल्दी नहीं आने वाली। वह जानती है कि दो प्रेमी कई दिनों बाद मिल रहे हैं। वह हमें मौका देने के लिए ही तो कमरे से बाहर गई है।

यह कहकर सुजीत ने सौम्या के होंठ चूम लिए और इधर उसका हाथ सौम्या के चूतड़ों तक पहुंच चुका था। सौम्या ने उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश करते हुए कहा, अच्छा बाबा माना कि दिशा नहीं आएगी, मगर दरवाजा तो बंद करो लो कम से कम। अगर आ भी गई तो जान जाएगी कि अंदर क्या चल रहा है और चली जाएगी।

सुजीत ने कहा, हां यह ठीक है। इसके बाद वह मुड़ा और दरवाजा बंद करने लगा। जैसे ही दरवाजा बंद करके घूम तो पाया कि सौम्या पलंग पर लेटी है और उसकी तरफ मुस्कुराते हुए देख रही है।

क्या इरादा है, सुजीत ने पूछा।

वही, जो तुम्हारा है। अब जल्दी से आओ और मेरी चूंचियों और चूत पर अपना कमाल दिखाओ। दिशा को इतनी ज्यादा देर भी नहीं लगने वाली।

इधर दिशा कहकर तो गई थी कि चाय लेकर आती है, मगर वह कमरे के बाहर निकलते ही ओट में हो गई थी। उसने अंदर से दोनों की आवाजें सुनी और मन ही मन कुछ सोच लिया। जैसे ही सुजीत ने दरवाजा बंद किया वह दरवाजे पर पहुंच गई। उसकी आंख दरवाजे की झिरी पर जम गईं।

अंदर सुजीत ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और सौम्या ने जल्दी-जल्दी अपने कपड़े भी अलग कर दिए। अब सौम्या बिस्तर पर नंगी लेटी थी। सुजीत गौर से उसकी चूत देख रहा था, मगर दरवाजा बंद होने के कारण कमरे में थोड़ा अंधेरा हो गया था। चूंकि सुजीत की पीठ दरवाजे की तरफ थी, इसलिए दिशा को उसका लंड नजर नहीं आ रहा था। वह बेताब थी सुजीत का लंड निहारने को। तभी सौम्या की आवाज आई, क्या कर रहे हो, जल्दी आओ न। दिशा के आने के पहले जो करना है जल्दी कर लो।

सुजीत उसके पास पहुंच गया और सौम्या की चूत पर हाथ फिराने लगा। सौम्या मुस्कुरा रही थी। अचानक सुजीत उठा और घूमकर स्टडी टेबल के पास पहुंचा। इसी क्षण दिशा को उसका लंड नजर आ गया। हलकी रोशनी में भी सुजीत के लंड का आकार और उसकी मोटाई देखकर दिशा के मुंह में पानी आ गया।

उसकी चूत में सुरसुरी सी होने लगी और उसका मन हुआ कि अभी कमरे में घुस जाए और सुजीत का लंड अपने मुंंह में लेकर खा डाले। इधर सुजीत ने स्टडी टेबल पर रखा टेबल लैंप बिस्तर की तरफ घुमाया और उसे जला दिया। इसके बाद उसकी रोशनी का दायरा सौम्या की चूत पर फोकस कर दिया। सौम्या बोली,क्या कर रहे हो?

कुछ नहीं, तुम्हारी चूत को गौर से देखना चाहता हूं। इसके पहले मौका ही नहीं मिला।

सुजीत के यह कहते ही सौम्या मुस्कुरा दी। सुजीत सौम्या के पास पहुंचा और उसकी चूत को निहारने लगा। सौम्या की गोरी, चिकनी चूत देखकर सुजीत का लंड झटके लेने लगा। उसने सौम्या की चूत की दोनों फांके फैलाई तो अंदर गुलाबी रंग चमक उठा। वह चूत को अलग-अलग एंगल से फैला-फैलाकर देखता रहा और इधर सौम्या उसकी उंगलियों की हरकतों से ही सिसकारियां भरने लगी थी। अचानक वह बोली, अब बस करो। जल्दी से चाटना शुरू करो न।

सुजीत ने भी मुंह सौम्या की चूत पर रख दिया और उसकी दरार को खोलकर गुलाबी हिस्से को जीभ से चाटने लगा। इधर सौम्या सिसियाने लगी और उधर दरवाजे के बाहर खड़ी दिशा दिलचस्प नजरों से सुजीत का यह कमाल देख रही थी। उसे अब तक यह सुख ही नहीं मिला था। जितने भी लड़कों से उसने चूत मरवाई थी, किसी ने भी उसकी चूत को इतने प्यार से चूमा-चाटा नहीं था। दिशा की चूत में अब जोरदार खुजली हो रही थी।

इधर सुजीत सौम्या की चूत को चाटते-चाटते अपनी जीभ उसकी चूत के छेद में घुसेडऩे लगा और सौम्या के मुंह से सी…सी… की जोरदार आवाज निकल रही थी, जो बाहर खड़ी दिशा के कानों में भी पड़ रही थी। उसकी चूत को चाटते-चाटते ही सुजीत घूम गया और सौम्या ने उसका लंड पकड़कर अपने मुंह में डाल लिया।

यह दृश्य देखकर दिशा का हाथ अपने आप ही अपनी चड्ढी में पहुंच गया और उसे सौम्या से जलन होने लगी, जो इस समय सुजीत का लंड जोर-जोर से चूस रही थी। कुछ देर तक दोनों एक दूसरे के यौनांग मुंह से चाटते-चूसते रहे। इसके बाद सुजीत हटा और अपना लंड सौम्या की चूत के छेद पर टिकाकर उस पर लेट गया।

सौम्या तो मानो इसी पल की प्रतीक्षा कर रही थी। सुजीत के लंड का स्पर्श ही अपनी चूत के छेद पर पाते ही उसने अपनी आंखें मूंद ली। सुजीत ने उसकी चूंची को मुंह में लिया और कमर को एक धक्का लगाया। सौम्या की चिकनी चूत में उसका लंड फिसलता चला गया। अंदर सौम्या के मुंह से जोरदार सिसकारी निकली और बाहर दिशा के मुंह से।

सुजीत सौम्या की चूंचियों को चूसते हुए उसकी चूत में लंड को अंदर-बाहर कर रहा था। सुजीत का लंड हर धक्के के साथ सौम्या की चूत में जाता और बाहर आता। कमरे में चुदाई की आवाज गूंज रही थी और गूंज रही थी सौम्या के मुंह से निकलने वाली आनंदकारी सिसकारियों की आवाजें। सौम्या ने अपनी दोनों टांगों को सुजीत की कमर पर कस लिया और खुद भी नीचे से कमर उचका-उचकाकर धक्के का जवाब देने लगी।

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दोनों पसीने से लथपथ हो रहे थे, अचानक सुजीत के मुंह से तेज सिसकारी की आवाज निकली और उसने अपना पूरा लंड सौम्या की चूत में जड़ तक ठेल दिया। उसके लंड से वीर्य छूटकर सौम्या की चूत की दीवारों से टकरा रहा था और इधर सौम्या का शरीर भी ऐंठने लगा और उसने कसकर सुजीत के लंड को अपनी चूत में जोर से भींच लिया।

बाहर दिशा की हालत खराब हो चुकी थी। वह दरवाजे के सामने से हटी और कुछ ही देर में चाय लेकर आ गई। तब तक सौम्या और सुजीत भी कपड़े पहन चुके थे। दिशा ने जैसे ही दरवाजा खटखटया, सौम्या ने तुरंत खोल दिया। दिशा ने उसकी तरफ आंख मारते हुए फुसफुसाकर पूछा, क्या हो रहा था, मेरी जान?

कुछ नहीं, सौम्या ने शरमाते हुए जवाब दिया। बस इधर-उधर की बातें चल रही थीं।

मैं जानती हूं कि दरवाजा बंद करके कौन सी इधर-उधर की बातें की जाती हैं। दिशा फिर फुसफुसाई।

सौम्या ने शरम से नजरें झुका ली। सुजीत बिस्तर पर बैठा दोनों सहेलियों को टुकुर-टुकुर देख रहा था। उसे उनकी बातों की आवाज तो नहीं आ रही थी, मगर वह समझ गया कि क्या बातें हो रही थीं। दिशा ने चाय का प्याला उसकी तरफ बढ़ाया तो उसके होंठों पर शरारती और भेदभरी मुस्कुराहट थी। सुजीत ने उससे नजरें चुराते हुए चाय का प्याला थाम लिया। तीनों ने चुपचाप चाय पी और फिर सौम्या बोली, दिशा मैं चलती हूं। इसका ध्यान रखना। फिर सुजीत की तरफ मुड़कर बोली, अब यहां नहीं आउंगी। दो दिन बाद कॉलेज में ही मिलते हैं।

ठीक है, सुजीत ने कहा।

और सौम्या चली गई। कुछ देर बाद दिशा भी खाली कप लेकर चली गई और सुजीत अकेला रह गया कमरे में। वह अपना सामान निकाल कर करीने से जमाने लगा। दिशा अपने कमरे में लेटी योजना बना रही थी कि कैसे सुजीत का लंड अपनी चूत में उतार सके।

दिशा सारी रात बस इसी सोच में डूबी रही। इधर सुजीत अपने कमरे में रातभर सौम्या के खयालों में करवटें बदलता रहा। उसे रह-रहकरस सौम्या के साथ बिताए हसीन लमहे याद आ रहे थे। सौम्या की मखमली चूत और गेंद सी चूचिंयों के स्पर्श का अहसास उसे सोने नहीं दे रहा था।

वह जानता था कि अब सौम्या के साथ अकेले होना और हसीन पलों का मौका निकालना आसान नहीं होगा। सुजीत सौम्या की जुदाई और उसकी याद में तड़प रहा था तो दिशा सुजीत का लौड़ा अपनी चूत में लेने की योजनाएं बनाने की सोच में करवटें बदलती रही।

रात दोनों की ही जागते बीत गई और दिशा के जेहन में एक खयाल घर कर गया कि सुबह उठते ही सुजीत को अपनी जवानी का जलवा दिखाकर पटा लेगी और उसकी चूत में सुजीत का लंड होगा। यह खयाल आते ही दिशा का जिस्म रोमांच से भर उठा और वह मन ही मन मुस्कुरा उठी कि अब बच्चू बचकर कहां जाएगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

दिशा जानती थी कि दूसरे लड़कों की तरह सुजीत भी दिशा के जिस्म की एक झलक देखते ही दीवाना हो जाएगा और उसके साथ वह सब करने के लिए खुद ही मिन्नतें करने लगेगा, जो वह चाहती थी। यही सोचते-सोचते दिशा निद्रा देवी की गोद में चली गई और सुजीत के साथ बिस्तर पर होने वाले उस खेल के सुखद आनंद वाले सपने में डूब गई।

सुजीत भी सौम्या की याद में कब तक जागता। आधी रात के बाद नींद ने उसे अपने आगोश में ले ही लिया। सुबह जब सुजीत उठा तो साढ़े आठ बज रहे थे। चूंकि कॉलेज अगले दिन से खुलने वाले थे, इसलिए उसे घर पर ही रहना था। सौम्या पहले ही कह गई थी कि वह उससे कॉलेज के दिन ही मिलेगी। उसके आने की भी कोई संभावना नहीं थी। उसने आसपास थोड़ा घूमने का सोचा और बिस्तर छोड़कर बाथरूम में घुस गया।

कुछ देर बाद वह नहा धोकर निकला और आईने के सामने खड़े होकर बाल संवारने लगा। तभी दिशा उसके कमरे में चाय का कप लेकर दाखिल हुई। किसी के आने की आहट सुनकर सुजीत पलटा तो सामने दिशा को चाय का प्याला लिए खड़ा पाया। दिशा को देखकर सुजीत सकपका गया। दिशा ने मैक्सी पहनी हुई थी और गले से नीचे दो बटन खुले थे, जिससे उसकी चूंचियों का ऊपरी हिस्सा नुमायां हो रहा था। सुजीत ने हड़बड़ाते हुए पूछा, जी, आप। यहां?

क्यों नहीं आ सकती क्या? दिशा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

नहीं जी आ क्यों नहीं सकती। आखिर घर तो आपका ही है। आपने जो किया उसके लिए मैं हमेशा आपका शुक्रगुजार रहुंगा।

अरे-अरे मैं यहां शुक्रिया लेने नहीं बल्कि चाय देने आई हूं। मुझे पता है कि तुम्हारे पास अभी चाय का सामान नहीं होगा। दिशा की मुस्कान और गहरी हो गई।

सुजीत ने खामोशी से उसके हाथ से चाय का प्याला ले लिया और बिस्तर पर बैठकर चुस्कियां लेने लगा। दिशा अब भी वहीं खड़ी उसे ही देखे जा रही थी। दिशा की नजरों से सुजीत असहज हुआ जा रहा था। वह सोच रहा था कि अब तक वह खड़ी क्यों है, जा क्यों नहीं रही, मगर वह उसे जाने के लिए कह नहीं सकता था।

सुजीत सोचों में गुम ही था कि अचानक दिशा जोर से चिंहुंकी,

ऊई मां, मर गई?

क्या हुआ, सुजीत ने हकबकाते हुए पूछा।

कुछ नहीं लगता है किसी चींटी ने काट लिया, दिशा सिसकते हुए बोली।

कहां? बस यूं ही सुजीत के मुंह से निकल गया।

दिशा तो मानो इसी का इंतजार कर रही थी, वह सुजीत के करीब पहुंची और मैक्सी के दो और बटन खोलकर अपनी एक चूंची बाहर निकालकर बोली, सुजीत को दिखाते हुए बोली, यहां…यहां काटी है।

दिशा की इस हरकत से सुजीत हड़बड़ा गया। वह सोच भी नहीं सकता था कि दिशा यूं ही अचानक उसके सामने अपनी चूंची खोलकर रख देगी। दिशा की चूंची गोरी और आगे गुलाबी निपल, जैसा की दिशा सोचती थी, वाकई किसी की भी नीयत पलभर में बिगाड़ऩे के लिए काफी थी, मगर सुजीत ने हड़बड़ाकर मुंह दूसरी तरफ फेर लिया।

दिशा बोली, क्या हुआ। देखो न मुझे चींटी ने काटा। कुछ करो न।

आप अपनी चूंची को मैक्सी में डाल लीजिए मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।

क्यों क्या हुआ, दिशा घूमकर सुजीत की तरफ आ गई और मासूमियत से पूछा मैने क्या किया।

आप जो कर रही हैं या जो करना चाह रही हैं, वह ठीक नहीं है।

क्या ठीक नहीं है, दिशा अब भी मासूम होने की एक्टिंग कर रही थी। नंगी चूंची अभी उसके हाथ में ही थी।

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सुजीत दिशा को इस हालत में देखकर काफी असहज हो गया। वह बोला, देखिए दिशा जी आप सौम्या की सहेली हैं, इस नाते मैं आपकी काफी इज्जत करता हूं, मगर आप इसे अंदर कर लीजिए। मैं वैसा लड़का नहीं हूं। मैं सौम्या के अलावा किसी और के साथ यह सब नहीं कर सकता।

क्यों क्या मैं खूबसूरत नहीं हं, दिशा को अंदर ही अंदर झुंझलाहट हो रही थी, मगर प्रकट में वह उसी तरह मुस्कुराते हुए बोली।

बहुत खूबसूरत हैं, कोई भी लड़का आप पर मर-मिट सकता है, मगर मैने सौम्या से प्यार किया है और उसी का होकर रहूंगा। सुजीत ने शांत स्वर में जवाब दिया।

दिशा कुछ देर उसका चेहरा देखती रही और फिर बोली, सुजीत मैं तुम्हें पाना चाहती हूं। बस एक बार तुम मेरे जिस्म को भरपूर प्यार दो, यह कहते-कहते दिशा ने अपनी मैक्सी उतार दी।

दिशा का गोरा जिस्म सोने की तरह चमक रहा था.

दिशा गंभीरता ओढ़ते हु.

सुजीत ने केवल हां में सिर हिला दिया। दिशा वहां से चली गई। उसके जाने के बाद सुजीत ने चैन की सांस ली। वह कुछ देर बिस्तर पर बैठा रहा, फिर बाहर निकल गया। सुजीत को देख कर दिशा बोली, अरे पागल, मैं तो तुम्हारी परीक्षा ले रही थी और अब मुझे भरोसा है।

फिर ऐसा क्यों और हां तुम कहीं नहीं जा रहे हो, यहीं रहोगे। समझे। करुंगी। यह कहकर वह चलने के लिए पलटी, मगर फिर घूमकर बोली, अरे क्या फर्क पड़ता है, मैं तो वैसे ही बदनाम हूं। मैं नहीं चाहती थी कि मेरी पक्की सहेली को भी कोई ऐसा ही लड़़का मिल जाएl इसलिए ये सब किया। वादा करो सौम्या से इसका जिक्र नहीं करोगे।

जी मैं उससे कुछ नहीं कहूंगा। मगर आप फिर ऐसा कभी मत करना।

अरे पागल, मैं तो तुम्हारी परीक्षा ले रही थी और अब मुझे भरोसा है। फिर ऐसा क्यों करुंगी। यह कहकर वह चलने के लिए पलटी, मगर फिर घूमकर बोली, और हां तुम कहीं नहीं जा रहे हो, यहीं रहोगे। समझे।

सुजीत ने केवल हां में सिर हिला दिया। दिशा वहां से चली गई। उसके जाने के बाद सुजीत ने चैन की सांस ली। वह कुछ देर बिस्तर पर बैठा रहा, फिर बाहर निकल गया। अगले दिन सुजीत कॉलेज पहुंचा तो पाया सौम्या मेन गेट पर ही उसका इंतजार कर रही थी। सौम्या को देखते ही सुजीत खिल उठा और मुस्कुरा दिया। सौम्या ने भी मुस्कुरा कर सुजीत का स्वागत किया।

वह इस बात से अनजान थी कि अर्पित और विवेक अपनी मंडली के साथ तब से ही उसके आसपास न सिर्फ मंडरा भी रहे थे बल्कि उस पर फब्तियां भी कस रहे थे, जब से वह वहां आई थी। सौम्या सुजीत के खयालों में इतनी खोई थी कि उसे उन लोगों का अहसास भी नहीं था।

सुजीत के आते ही सौम्या ने उसका हाथ पकड़ लिया और यह देखकर अर्पित और विवेक दोनों जलभुनकर खाक हो गए। अर्पित ने विवेक से कहा, देख रहा है, हमें देखकर ये और इसकी मां कैसे उछल रही थी और अब सरेआम एक लड़के का हाथ पकड़कर घूम रही है।

घूमने दे अर्पित। इसको साली को एक दिन सबक जरूर सिखाएंगे। इस मादरचोद की गांड और चूत दोनों में लौड़ा न पेला तो मेरा नाम विवेक नहीं।

तू सही कहता है और यह गांव का छोकरा, इसकी साले की गांड में तो मूसल डालूंगा। मादरचोद को आए देर नहीं हुई और कॉलेज की पटाखा को पटा लिया।

वे इस तरह की बातें करते रह गए और सुजीत का हाथ पकड़े-पकड़े ही सौम्या कॉलेज में दाखिल हुई और प्रिंसिपल के कमरे तक छोड़ दिया। रास्ते भर वह सुजीत को कॉलेज की खूबियां गिनाती रही। सुजीत केवल हां-हूं में जवाब देता रहा। वह तो सौम्या का साथ पाकर ही इतना खुश था कि उसे होश ही कहां था दूसरी ओर देखे।

एक तरफ कॉलेज के लड़के सुजीत के भाग्य से ईष्र्या कर रहे थे और दूसरी ओर लड़कियां सुजीत का सादगी भरा रूप और उसके आकर्षक व्यक्तित्व पर मर मिटी थीं। वे समझ नहीं पा रही थीं कि गांव से आए इस छोकरे से सौम्या पहले ही दिन इतनी बेतकल्लुफ कैसे हो गई।

उन लड़कियों में कुछ सौम्या की स्कूल टाइम की सहेलियां भी थीं, जो सौम्या की तुनकमिजाजी को अच्छे से जानती थीं और यह भी जानती थीं कि सौम्या किसी लड़के को तो मुंह लगा ही नहीं सकती। ये लड़कियां सौम्या की सुजीत के साथ बेतकल्लुफी पर हैरत में भी थीं और जल भी रहीं थीं।

वे सोच रही थीं कि काश वे सौम्या के स्थान पर होती तो सुजीत का हाथ पकड़कर प्रिंसिपल के कमरे तक नहीं ले जा रही होती, बल्कि किसी एकांत स्थान पर ले गई होती और वहां बैठकर प्यार की बातें कर रही होती। उन लड़कियों को क्या पता था कि सौम्या और सुजीत प्यार की उस सीमा को भी पार कर चुके हैं जो वे सोच भी नहीं रही थीं और वह भी पहली ही मुलाकात में।

सुजीत प्रिंसिपल के सामने बैठा था और सौम्या बेसब्री से बाहर उसका इंतजार कर रही थी। तभी दिशा वहां आ पहुंची। उसने आते ही सौम्या को गले लगा लिया और पूछा, यहां क्या कर रही है? क्लास में नहीं चलना क्या?

सुजीत सर के कमरे में गया है, उसका ही इंतजार कर रही हूं।

अरे वाह मेरी बन्नो, इतना प्यार। लैला-मजनू को फेल कर दिया तुम दोनों ने तो।

सौम्या केवल मुस्कुरा दी, मगर उसकी मुस्कान में भी एक अलग तरह का गर्व झलक रहा था। अचानक दिशा बोली, सौम्या संभलकर रहना, ये लड़के जो होते हैं न बड़े ही हरामी होते हैं। नई लड़की देखकर इनके मुंह में पानी आ जाता है। उसकी चूंची और चूत से जीभर खेलते हैं और फिर कोई और लड़़की मिलते ही छोड़ देते हैं।

मेरा सुजीत ऐसा नहीं है, दिशा। सौम्या ने गर्दन ऊंची कर घमंड से कहा।

हर लड़का ऐसा ही होता है, सौम्या। मैं अच्छे से इनकी जात जानती हूं। जहां नई चूत देखी नहीं कि जीभ निकालकर दुम हिलाने लगते हैं।

तू कुछ भी कह दिशा, मगर मुझे सुजीत पर पूरा भरोसा है।

और अगर यह भरोसा मैं तोड़ दूं तो? दिशा ने पूछा।

कैसे? सौम्या ने उसकी तरफ मुंह घुमाकर कहा।

देख सौम्या तू तो मुझे जानती ही है। मुझे एक लड़के साथ कभी संतुष्टि नहीं मिली। मैं कपड़ों की तरह उन्हें बदलती हूं। तू कहे तो मैं सुजीत पर लाइन मारती हूं। अगर वह दूसरे लड़कों की तरह हुआ तो जीभ निकालते हुए मेरे पास चला आएगा, नहीं तो मुझे बड़़ी खुशी होगी कि मेरी सहेली को एक सच्चा प्रेमी मिल गया।

तुझे जो करना है कर ले दिशा, मुझे भरोसा है कि सुजीत तेरा नंगा जिस्म देखकर भी नहीं पिघलेगा।

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दिशा, सौम्या के क्या बताती कि पिछली रात कुछ ऐसा हो चुका है, जब सुजीत ने उसका नंगा जिस्म ठुकरा दिया था। मगर वह एक चांस और लेना चाहती थी। इस बार सौम्या को इसलिए बता रही थी कि कहीं सुजीत उसे बता दे तो उसके पास यह बहाना रहेगा कि दोनों उसकी परीक्षा ले रही थीं। प्रकट में वह बोली, मैं आज से ही उसे भाव देना शुरू कर देती हूं। तू देख लेना दो दिन बाद वह मेरे बिस्तर पर होगा और मेरी चूत चाट रहा होगा।

तू वहम में है दिशा। माना तू बहुत खूबसूरत है, मगर वह सुजीत है। तेरी जैसी हजार लड़कियां भी चुत खोलकर खड़ी हो जाएं तो भी वह मेरा ही रहेगा।

तो लगी शर्त, दिशा ने हाथ बढ़ाकर कहा।

लग गई। सौम्या ने उसके हाथ पर हाथ मारकर कहा।

शर्त जीत गई तो क्या मिलेगा। दिशा ने पूछा।

जो तू कहेगी। सौम्या ने आत्मविश्वास भरे लहजे में जवाब दिया।

दिशा ने सोच लिया कि यदि सुजीत उसकी खूबसूरती के जाल में फंस जाता है तो वह सौम्या को अर्पित और विवेक के साथ चूत-लंड का खेल खेलने के लिए राजी कर लेगी। दोनों कई बार उसे सौम्या की चूत दिलवाने की गुजारिश कर चुके थे, मगर हर बार वह अपनी भोली सहेली का पक्ष लेती।

सुजीत के आने के बाद उसी भोली सहेली से वह जलने लगी थी और अब वह उससे पता नहीं किस बात का बदला लेना चाहती थी। तभी सुजीत प्रिंसिपल के कमरे से बाहर आ गया और दोनों की बातचीत बंद हो गई। दिशा ने मुस्कुराकर सुजीत का अभिवादन किया और पूछा, जब एक ही कॉलेज आना था तो रुक नहीं सकते थे। दोनों साथ आते।

जी मुझे सुबह जल्दी उठने और निकलने की आदत है। पैदल-पैदल यहां तक चला आया। फिर प्रिंसिपल सर से मिलकर आवेदन भी भरना था।

दिशा कुछ कहती इसके पहले सौम्या बोल पड़ी, हो गया दाखिला।

हां हो गया और सर ने कहा मैं आज से ही क्लास में बैठ सकता हूं।

तो चलो। सौम्या ने फिर से उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, देर किस बात की है। क्लास शुरू हो चुकी है। तीनों क्लास की तरफ चल दिए। दोस्तों अभी के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले भाग में…

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