Mast Cuckold Kahani
मेरी पिछली सभी कहानियाँ आपने खूब-खूब सराही, पसंद की। मेरे पास इस सन्दर्भ में बहुत सारे इमेल भी आये, मर्दों के भी मेल थे जो मेरी बीवी से दोस्ती करना चाहते थे, उसके फोटो देखना चाहते थे। और मैं यहाँ यह भी स्पष्ट बता दूँ कि बहुत उसे चोदने की भी ख्वाहिश रखते थे और उन्होंने अपनी खुद की कद-काठी का भी उल्लेख किया तो किया. Mast Cuckold Kahani
साथ ही साथ अपने लण्ड के बारे में भी विस्तार से बताया कि मेरा लण्ड 9 इंच का है, मूसल जैसा मोटा है इत्यादि। तो लड़कों के इस तरह के पत्र स्वाभाविक भी थे, लेकिन मेरे लिए आश्चर्यजनक बात यह थी कि लड़कियों के भी बहुत ज्यादा इमेल आये, जो दोस्ती करना चाहती थी और उनमें से कुछ मेरी मित्र भी बन गई फेसबुक पर.
दो तीन लड़कियों से फोन पर बात भी हुई और उन्होंने मुझसे फोन पर ही उत्तेजक कहानियों की फरमाइश भी की जिसे मैंने पूरा भी किया। इस तरह से मैंने जिंदगी में पहली बार फोन सेक्स का आनंद भी लिया जो मेरे लिए भी अत्यधिक उत्तेजक रहा और उन लड़कियों का तो बुरा हाल हो ही गया उत्तेजना के मारे, जो उनकी आवाज से बयान हो रहा था।
फेस बुक के अलावा लोगों ने मुझ से मेल पर भी संपर्क किया, उन में से ही एक युगल भी था, उन्हें भी कहानी पसंद आई और उस बारे में काफी बातें भी की और मुझे यह जान कर बहुत ही ताज्जुब हुआ कि उन दोनों पति पत्नी को सबसे ज्यादा उत्तेजक बात यह लगी कि पति की मौजूदगी में दूसरे मर्द के साथ सेक्स।
और वो हर बार उसी बारे में बात करते, मैं भी बहुत अच्छी सेक्स चेट कर लेता हूँ, इसलिए उन दोनों पति-पत्नी को मेरी बातें, मेरे सेक्स के आइडिया बहुत ही उत्तेजक लगते थे। फिर मैंने उन्हें पति-पत्नी के कुछ उत्तेजक खेल सिखाये तब तो वो दोनों पागल ही हो गए।
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फिर उन्होंने मुझे अपना फोन नम्बर दिया, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि बात इतनी आगे बढ़ जायेगी। पहले उसके पति ने बात की उसका नाम हर्ष है और उसकी बीवी का नाम बहुत ही खूबसूरत है ‘भावना’ यह नाम मुझे बहुत पसंद आया।
हर्ष अपनी बीवी के बारे में बताने लगा कि वो कैसी दिखती है, उसके शौक क्या हैं, वो बार बार घूम फिर कर उसके सेक्सी फिगर, की बातें ही कर रहा था। फिर धीरे धीरे वो उसके वक्ष, कमर, उसके उभरे हुए चूतड़ों, यहाँ तक कि चूत की बातें भी करने लगा, मैं भौंचक्का सा उसकी बातें सुन रहा था।
और फिर एक दिन हर्ष ने भावना को को भी फोन पकड़ा दिया। दोस्तो, मैं खुद उससे बातें करने को बहुत ही उत्सुक था, उसकी आवाज थोड़ी रौबदार और आत्म-विश्वास से भरी हुई थी लेकिन मेरा दिल धड़कने लगा था उससे बात करते हुए! वो बस एक ही बात बार बार कहे जा रही थी- तुम्हें सेक्स के इतने अच्छे-अच्छे आइडिया कहाँ से आते हैं?
और यह भी कि मेरी कहानी वो बहुत बार पढ़ चुकी है, और हर बार उत्तेजित हो जाती है। मैंने अपने पाठकों को पहले भी बताया था कि सेक्स की दुनिया में अगर अपने एक कदम आगे बढ़ाया है तो फिर आप उस दिशा में आगे ही बढ़ते जायेंगे, क्योंकि आगे आपको वासना की उत्तेजक दुनिया दिखाई देगी और पीछे कुछ भी नहीं !
और यही मेरे साथ भी होता जा रहा था, उसके मर्द तक से बात करने तक तो सब कुछ ठीक था, मैं उसके मजे भी ले रहा था। ईमानदारी से कहूँ तो मैं उसे यों ही टरका देता था, वो जो पूछता था, मैं बता देता था लेकिन जिस दिन उसने भावना से मेरी बात कराई, उस दिन पहली बार मुझे कुछ कुछ होने लगा और बातों में रस आने लगा।
यहाँ सबसे अजीब बात यह थी कि हर्ष उसका पति ही मुझे उससे बात करा देता था और भावना भी अपने पति की मौजूदगी में मुझसे कामुक और अश्लील बातें कर लिया करती थी या यों कहें कि वो दोनों एक साथ फोन पर होते थे मेरे साथ ! और वो मुझ से ऐसे बातें करता था- दीपक यार, बताओ, हम बिस्तर पर हैं और मैंने इसके कपड़े उतार दिए हैं, दीपक तुम बताओ कि मैं क्या करूँ आगे। मुझे ये बातें थोड़ी बनावटी और नाटक लगती थी और मैं ज्यादा भाव नहीं देता था।
लेकिन जैसे ही भावना फोन पर आती, मेरी सारी समझदारी धरी रह जाती और उसके साथ बातों में मुझे भी रस आता था। और धीरे धीरे बातों में कामुकता और अश्लीलता बढ़ती गई, बढ़ती ही गई। और फिर एक दिन वो हुआ जिसकी मुझे सपने में भी उम्मीद तो नहीं थी, लेकिन इच्छा जबरदस्त थी…
हर्ष बोला- यार दीपक, प्लीज़! प्लीज़! तुम भी एक बार हमारे इस सेक्स में शामिल हो जाओ न यार!
मेरी कहानी का उल्लेख करते हुए बोला- मैं भी चाहता हूँ कि मेरे सामने तुम मेरी पत्नी यानी भावना के साथ…..?
दोस्तो, अब क्या लिखूँ? मुझे लिखते हुए शर्म आ रही है, लेकिन आप लोग खुद ही समझदार हो कि वो मुझे अपनी बीवी मुझे सौंपने को कह रहा था, वो भी बिस्तर पर! मैं तो सुन कर ही सन्न रह गया, तुरंत कुछ कहते ही नहीं बना! और मैं एकदम शांत हो गया।
मेरी लम्बी चुप्पी को भी उसी ने तोड़ा, वो बोला- यार क्या हुआ? तुम तो सेक्स-एक्सपर्ट हो, और अब तो इतने दिनों की दोस्ती भी है, अगर हम एक साथ कोई मस्ती करते हैं तो इसमें तुम्हें परेशानी क्या है?
अब मैं बोला- लेकिन यार क्या यह ठीक होगा, बोलना-लिखना अलग बात होती है।
“ओह !” अब वो थोड़ा व्यंगात्मक लहजे में मुझे चिढ़ाते और चैलेंज करते हुए बोला- यानि तुम सिर्फ बातों के ही शेर हो?
मैंने कहा- नहीं यार, ऐसी बात नहीं है, मैंने सोचा नहीं था कि अपनी बातें यहाँ तक पहुँच जाएँगी। ठीक है यार, मैं इस बारे में सोच कर जवाब दूँगा।
और यह कह कर हमारी उस दिन की बातचीत तो ख़त्म हो गई। लेकिन मुझे ठण्डे दिमाग से सोचने का मौका ही नहीं मिला, दूसरे ही दिन जब मैं ऑफिस में था, भावना का ही फोन आ गया। और दोस्तो, इतिहास गवाह है कि स्त्री के आगे सब नतमस्तक है, उसकी बातों या कहें कि उत्तेजक बातों ने मेरे ठण्डे दिमाग को गर्म कर दिया और उसे तो मैं ना कह ही नहीं सका।
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उनका शहर मेरे शहर से बहुत ज्यादा दूर तो नहीं था लेकिन फिर भी पारिवारिक आदमी हूँ तो ऑफिस टूर का बहाना तो बनाना ही था। झूठ की शुरुआत हो चुकी थी, डर भी था कि क्या पता कोई क्रिमिनल फ़ैमिली हो जो मुझे फांस रही हो! हालांकि मैंने पहले ही यह बात साफ़ कर दी थी, जो सही भी थी, कि मैं कोई बहुत पैसे वाला आदमी नहीं हूँ, एक सरकारी विभाग में छोटा मोटा अधिकारी हूँ।
और वैसे भी हमारे बीच में सेक्स के अलावा और कोई बात कभी होती ही नहीं थी, फिर भी सावधानी जरूरी थी। उसका भी समाधान हो गया, उसी शहर में मेरा एक पक्का दोस्त पुलिस में अधिकारी था उससे मैंने बात कर ली थी। आखिर मैं धड़कते दिल के साथ उनके घर पहुँच ही गया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उनका घर शहर के बाहर की एक पॉश कोलोनी में था और बंगलेनुमा बना हुआ था। हर्ष खुद मुझे लेने बस स्टैण्ड पर आया था, आते ही वो मेरे गले मिला और बहुत ही गर्म जोशी से मेरा स्वागत किया। वो साथ था तो घर पहुँचने में कोई परेशानी नहीं हुई, सारे रास्ते वो अपनी बीवी की बातें ही करता रहा, मैं झूठ-मूठ की सफाई देता रहा कि मेरा यहाँ आने का मकसद तो आप लोगों से मिलने का ही था, सेक्स कोई जरूरी नहीं है।
लेकिन यह बात झूठ थी, मेरे मन में उसकी बीवी को लेकर लड्डू फूट रहे थे। हर्ष खुद भी बहुत स्मार्ट और लंबा-चौड़ा था, लेकिन गज़ब का कामुक व्यक्ति था। और फिर हम घर पहुँचे तो गेट भावना ने ही खोला। ओह माई गॉड! क्या औरत थी! वैसे औरत कहना गलत होगा, यूँ कहें कि क्या लड़की थी !
सांवला रंग, तीखे नैन-नक्श, खुले और लम्बे बाल, पतली कमर, महंगे परफ्यूम से महकता बदन, उसने सलीके से साड़ी पहनी हुई थी जो उसकी नाभि से काफी नीचे बंधी हुई थी, बहुत ज्यादा खुले गले गले का ब्लाउज और उसमें से उबले पड़ रहे उसके उन्नत वक्ष क़यामत ढ़ा रहे थे, वो सांवली सलोनी इतनी सेक्सी लग रही थी कि बस दोस्तो, मैं कैसे उसका वर्णन करूँ, कुछ समझ नहीं आ रहा मुझे !
अरे हाँ! अभी हाल में ही जो एक मूवी आई है ना ‘स्त्री 2’ वो काफी कुछ उसकी हेरोइन तम्मना भाटिया से मिलती जुलती है। मैंने उसे हाय-हेलो किया, हाथ मिलाया, लेकिन मामला कितना ज्यादा उत्तेजक होने वाला था इसका अंदाजा अब आपको अगली घटना से होगा।
जब हर्ष ने कहा- यार भावना, ये सिर्फ हमारे लिए इतनी दूर से आये हैं! ऐसे फोर्मल स्वागत ही करोगी क्या?
और पता है दोस्तो, आगे क्या हुआ! उसने अपनी बाहें फैला कर मुझे अपने आलिंगन में कस लिया और मेरा चेहरा चूमते हुए बोली- वेलकम दीपक! यार बहुत स्मार्ट हो दिखने में भी! बहुत मेंटेन कर रखा है अपने आप को!
अब मैं थोड़ा बोला- जिनका भी सेक्स में रुझान होता है, वे लंबे समय तक जवान ही रहते हैं।
“हाऊ स्वीट! कितनी प्यारी बातें करते हो तुम!”
और वो और कस कर चिपक गई, और इस बार उसने होंठों को चूम लिया और यह सब अपने पति के सामने ! मैं तो सन्न रह गया था, अचम्भे था और मेरे हाथ उसे छूने में भी संकोच कर रहे थे। मुझे हर्ष की प्रतिक्रिया का डर था कि घर में घुसते ही यह क्या हो रहा है, उसकी बीवी क्या कर रही है।
इसलिए मैं रुक गया था और उसके पति यानि हर्ष की प्रतिक्रिया भी आ गई और उसने ही मेरे हाथ पकड़ कर उसकी कमर के इर्द गिर्द कर दिए, बोला- यार, किससे शरमा रहे हो? वैसे ही कह रहे हो कि कम समय के लिए आये हो ! और फिर मैंने तुम्हें बुलाया ही इसके लिए है। और हाँ जब तक तुम इस घर में हो, इसे तुम्हें ही संभालना है, और इसे तो मैंने पहले ही समझा दिया है, क्या भावना तुम्हें अच्छी नहीं लगी?
ओह दोस्तो, ये आने वाली क़यामत के संकेत थे, यहाँ बहुत कुछ और जबरदस्त सेक्सी होने वाला था क्योंकि यह युगल बहुत ही कामुक और उत्तेजक था और बिल्कुल भी समय बर्बाद करने में मूड में नहीं था। और असल बात यह थी कि मैं खुद भी इसी काम के लिए आया था।
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अब मैंने भी भावना को अपनी बाहों में कस लिया और अपना कामुक अंदाज़ भी जाहिर कर दिया। उसने मेरे होठों को चूमा था, मैंने उसके खुले बाल कस के पकड़ के बेदर्दी से उसके सर को पीछे की तरफ झुका दिया ऐसा करने से उसके उभार लगभग बाहर छलक गए.
और मैंने अपने होंठ उसके वक्ष पर लगा दिए और बारी बारी से दोनों उरोजों पर इतना दीर्घ चुम्बन किया कि उसके वक्ष पर लाल निशान बन गए और उसकी सिसकारी निकल गई। इस दौरान मेरा दूसरा हाथ उसकी कमर से लेकर कूल्हे तक को सहलाता रहा, दबाता रहा।
हर्ष को देख कर ही मज़ा आ रहा था, ऐसा उसकी आँखों की चमक बता रही थी। मुझे भी लगा कि पहले अन्दर तो चलें, मेरे पास तो बहुत समय है क्योंकि भावना की खूबसूरती और जोश, और उसके पति की खुली छूट ने मुझे दीवाना बना दिया था।
हम बड़े से ड्राइंग रूम में आये, भावना मेरे लिए बारी बारी से पानी, चाय, नाश्ता लाती रही, हर्ष भी उसका भरपूर सहयोग कर रहा था, पर मारे उत्तेजना के और आने वाले पलों की कल्पना मात्र से मैं उत्तेजित हो रहा था, मुझसे कुछ भी खाया-पीया ही नहीं जा रहा था।
जैसे तैसे इन सबसे फ्री हुए और हर्ष का उतावलापन देखो कि सबसे पहले वो ही बोला- तो… अब चले बेडरूम में? क्या कहते यार दीपक?
मैंने भावना की तरफ देखा और बोला- बोलो भाभी, क्या कहती हो?
और पता है उसने क्या कहा- जल्दी से आओ!
और खुद ही उठ कर चल दी, फिर हम दोनों भी चल दिए। बेडरूम बहुत ही शांत, ए सी चला हुआ था तो ठण्डा था, डबलबेड भी बड़ा था, पास ही दो सोफे लगे हुए थे मैंने पूरे कमरे का मुआयना किया।
हर्ष भावना को कंधे से पकड़ कर मेरे सामने ले आया और बोला- लो संभालो इसे!
भावना चुपचाप मेरे सामने खड़ी हो गई एकदम सावधान की मुद्रा में!
मैंने उसके गाल सलाए जो बहुत गर्म हो रहे थे। मेरा स्पर्श पाते ही उसने अपनी आँखें बंद कर ली, मैं उसके गाल सहलाते हुए उसकी गर्दन और वक्ष की गोलाइयों को सहलाते हुए हर्ष से बोला- कहाँ से शुरू करूँ दोस्त?
वो सोफे पर जाकर बैठ गया था, वो सिसकारी सी लेते हुए बोला- पहले तो इसका फुल बोडी चेकअप करो, जैसा तुमने अपनी कहानी में लिखा था।
भावना भी बोल पड़ी- हाँ प्लीज़, करो ना !
वो दोनों ही मेरी पहली कहानी से बहुत जबरदस्त प्रभावित दिखाई दे रहे थे। और मेरा हाल तो पूछो ही मत, एक निहायत ही उत्तेजक यौवना पत्नी मेरे सुपुर्द की जा चुकी थी जिसके साथ मुझे बिना किसी डर के कुछ भी करने की छूट मिल चुकी थी और मेरे अन्दर नई नई उत्तेजक योजना बन रही थी। मैंने दोनों हाथों से उसके गाल सहलाए और कहा भावना- तुम मुझे पूरा सहयोग करोगी?
उसने सिर्फ सर हिला कर सहमति जताई। अब मैंने वासना के कामुक खेल के शुरुआत करते हुए सबसे पहले उसका साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया, फिर अपने हाथों को उसके बदन से सटा कर उसके अनावृत पेट पर ले गया और नाभि सहलाई। इससे उसकी साँसें तेज़ हो गई, हर्ष भी चौकन्ना होकर देख रहा था, मैं अब अपना एक हाथ उसकी साड़ी के अन्दर डाल दिया।
वो चिहुंक उठी, उसे लगा मेरा हाथ उसकी चूत में जा रहा है, लेकिन मुझे इतनी जल्दी सब कुछ नहीं करना था, मैंने तो बस उसकी साड़ी की पलीट्स बाहर निकाल दी। अब उसकी साडी ढीली हो चुकी थी, जिसे मैंने आहिस्ता आहिस्ता उसके बदन से अलग कर दिया और इकठ्ठा कर के हर्ष की तरफ फेंक दिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अब भावना ब्लाउज और पेटीकोट में थी, साड़ी हटते ही उसकी कामुक देह का आभास होने लगा था, अब मैंने उसके ब्लाउज के हुक खोल दिए और उसके खुले पल्ले अलग कर के छोड़ दिए उसे पूरा निकाला नहीं। अब मैं घूम कर उसके पीछे चला गया और उसे कंधे से पकड़ कर उसके पति हर्ष के सामने ला खड़ा किया.
हर्ष को भी यह अच्छा लगा और अब मैंने पीछे से ही उसके ब्लाउज को उसकी बाहों से निकाल दिया और हर्ष को दे दिया, फिर उसकी पीठ सहलाते हुए ब्रा के हुक भी खोल दिये। उसके उरोज इतने उभरे और मोटे मोटे थे कि ब्रा तो खुद ही झटके से उछल कर अलग हो गई जिसे हर्ष ने ही निकाल कर अपने पास रख लिया।
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मैंने मुस्कुराते हुए उसे जब थैंकयू कहा तो इतने गंभीर माहौल में भी भावना और हर्ष दोनों को ही हंसी आ गई और वो यह भूल गई कि उसके वक्ष अनावृत हो चुके हैं। मेरा हमेशा का नियम है कि मैं जब भी ब्रा में कैद कबूतरों को आज़ाद करता हूँ तो दोनों को अच्छे से सहलाता हूँ, इससे स्त्री को बहुत सुख मिलता है। कुंवारे लड़के इस बात को नोट कर लेना।
यहाँ भी भावना को बहुत मज़ा आ रहा था जो उसकी आहों से पता चल रहा था। लेकिन मेरा काम अभी बाकी था, मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोजा, उसकी गाँठ खोली और उसे पूरा चौड़ा कर दिया और फिर एक बार उसे पूरा ऊपर उठा दिया, फिर हर्ष को कहा – यार देख, पेटीकोट का एक साथ नीचे पैरों में गिरते हुए देखना बहुत ही सेक्सी होता है। ओ के? मैं छोड़ रहा हूँ इसे !
वो बेसब्री से बोला- हाँ प्लीज़! मैं देख रहा हूँ!
और मैंने पेटीकोट को नीचे गिर जाने दिया। वो सरसराता हुआ अपने पीछे चिकनी नंगी जांघें और पिंडलियाँ छोड़ता हुआ पैरों पर जा गिरा। और दोस्तो, मैं आपको आँखों देखी बता रहा हूँ कि अब भावना 99% नंगी हो चुकी थी। आपको पता है यह बात में क्यों कह रहा हूँ?
क्योंकि ये आजकल की लड़कियाँ इतनी ज्यादा छोटी अंडरवियर पहनती हैं कि बाप रे! और ये आती भी बहुत महंगी हैं और छुपाती भी कुछ नहीं! और इसने भी इसी तरह की चड्डी पहन रखी थी जिसमें अगल-बगल और चूतड़ पर तो सिर्फ डोरी ही थी। बस आगे योनि-लबों पर ही जरा सा कपड़ा था, वो भी पारदर्शी और जाली वाला!
खैर यह जो भी था! मैंने उसे खिसकाने के लिए जैसे ही हाथ लगाया कि भावना की शर्म जाग गई वो भाग कर पलंग पर जा छिपी। सच बताऊँ ! मुझे हंसी आ गई कि यार अब इसके शरीर पर बचा ही क्या है! लेकिन मुझे उसका भागना ना जाने क्यों अच्छा भी लगा, शर्मो हया लड़कियों पर फ़बती है।
वो बिस्तर पर अपने हाथ पैर सिकोड़ कर पड़ी हुई थी, हर्ष ने मुझे भी इशारा किया वहाँ जाने का और खुद भी अपना सोफा पलंग के नज़दीक ले गया। और मैं तो उसको अब छोड़ना ही नहीं चाहता था, इसलिए उसके पीछे पीछे पलंग पर आ गया, वो अब औन्धी लेट गई थी।
मैं उसके पास गया और उसके बदन को सहलाते हुए उसकी नाम मात्र की डोरी नुमा पैंटी भी खींच कर निकाल दी और अब वो शत-प्रतिशत, पूर्ण नग्नावस्था में पलंग पर पसरी हुई थी। मेरा चेहरा उत्तेजना के मारे लाल हो रहा था, हर्ष की भी हालत ऐसी ही थी। कुदरत का क्या करिश्मा था कि एक नारी की नग्न काया मर्दों को बेकाबू और उत्तेजित कर देती है।
उसने अपनी बीवी के चूतड़ सहलाते हुए मुझसे पूछा- कैसी है मेरी जानेमन? तुम्हें पसंद आई?
मैंने भी उसके नंगे जिस्म को सहलाया और कहा- शानदार और क़यामत है!
साथ में एक बात और जोड़ दी- लेकिन अभी तो आधी ही देखी है!
हर्ष बोला- ओह कोई बात नहीं, लो पूरी देख लो।
कहते हुए उसने उसे सीधा कर दिया और जैसे ही वो सीधी हुई, दोस्तो, आप खुद ही सोच सकते हो कि एक कामुक पुरुष की निगाह नारी के किस अंग पर जायेगी, बिल्कुल सही सोचा, उसकी चूत पर… और यार क्या बताऊँ! चिकने सपाट पेट और मांसल और गदराई गदराई जांघों के बीच काफी उभरी हुई और एकदम सफाचट, चिकनी चूत मेरे सामने थी।
जो पाठक मेरी पिछली कहानी पढ़ चुके हैं उन्हें तो मालूमही होगा कि मुझे झांटों वाली चूत पसंद है। लेकिन यार सच कहूँ, इतनी उजली, उभरी, और साफ़ चूत देख कर मेरा तो शरीर काँप गया और पहले से हो कड़क हो रहा लण्ड भी पत्थर जैसा और कठोर हो गया।
दोस्तो, मेरे सामने पलंग पर निर्वस्त्र और नग्नावस्था में पसरी पड़ी भावना और और मेरे बीच में अब यदि कोई दूरी बची हुई थी तो वो थी उसके पति हर्ष की मौजदगी की वजह से मेरा संकोच, अन्यथा उसकी ऐसी अवस्था को देख कर कोई भी पुरुष अपने आप को रोक ही नहीं सकता था।
और यह संकोच भी खुद हर्ष ने ही दूर कर दिया, वो बोला- दीपक, अब बताओ कैसी लगी मेरी जानेमन?
मैं बोला- यार यू आर लकी! क़यामत है ये तो! क्या लग रही है! क्या फिगर है! क्या उत्तेजक अंग हैं!
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हर्ष बोला- ऐसे ही बोल रहे हो, केवल देखने भर से कोई अंदाजा होता है क्या, देखने को तो नेट पर एच डी क्वालिटी के ऐसे हज़ारों फोटो हैं।
और उसने खुद ही मेरा हाथ पकड़ कर उसकी चूत पर रख दिया- यार, तुम्हारे लिए ही कल ब्यूटी पार्लर से साफ़ करा के आई है!
और वास्तव में चूत निहायत ही चिकनी थी, मैंने पूछा- बाप रे! क्या यहाँ की भी थ्रेडिंग होने लगी है आजकल?
इस बार भावना बोली- हाँ, आज कल ब्यूटी पार्लर में सब कुछ होता है। और बेचारी लड़कियाँ अपने सारे शरीर से रोयें तक साफ़ करा रही हैं लड़कों के लिए, इसके अलावा बॉडी को फिट रखने के लिए जिम जाती हैं, स्पा, मसाज, कराती हैं, अपने ब्रेस्ट को शेप कराना, और अब तो चूत को भी सर्जरी से टाईट किया जा रहा हे और शेप दी जा रही है।
मैंने हर्ष को समझाया- यार, यह हेयर रिमूव करना, मसाज और काफी निजी काम तुम्हें करने चाहिए! ये भी फॉर प्ले का ही हिस्सा होते हैं और इसमें दोनों को ही मजा भी आयेगा।
इन्ही बातों के दौरान मैं भावना के जिस्म को सहलाता भी जा रहा था और अब वो भी मेरे उत्तेजक स्पर्श से कसमसाने लगी थी क्योंकि उसकी जांघें ऊपर-नीचे हो रही थी और पैर भी चौड़े हो गए थे, मुझे भी अपना हाथ उसकी चूत में काफी नीचे तक ले जाने की जगह मिल गई थी।
उधर हर्ष भी उत्तेजित हो गया था, उसका हाथ अब उसके लण्ड पर था और पैंट के अंदर ही अंदर वो खड़ा हो चुका था, वो मुझ से बोला- यार दीपक, मुझे जो जो करना है वो तुम मुझे बाद में विस्तार से समझा देना, ओके ! लेकिन प्लीज़ अभी तो यह तुम्हारे लिए है और मुझे तुम दोनों को देखना है।
तुम इसे खूब प्यार करो, तुम्हें इसकी बेचैनी दिखाई नहीं दे रही? और प्लीज़ इसके एक एक अंग को देखो और चेक करके बताओ ! पता है भावना की चूत गीली हो गई थी तुम्हारी बीवी का उत्तेजक बॉडी चेकअप पढ़ कर, और मुझे देखना है प्लीज़ यार, अब वक्त बर्बाद मत करो !
“ओके!” मैंने कहा, मैं एकबार वाशरूम हो आता हूँ, किधर है?
भावना ने इशारे से बताया- वो कमरे के साथ ही है ना!
दोस्तो, आपको एक राज़ की बात बताऊँ कि वैसे तो मैं सेक्स का बहुत बड़ा खिलाड़ी हूँ लेकिन इस सेक्सी युगल ने मेरे छक्के छुड़ा दिए थे और मेरा लण्ड बिल्कुल झड़ने ही वाला था, मैंने सोचा कि दोनों के सामने इज्जत खराब हो जायेगी इसलिए तुरंत वाशरूम की तरफ भागा, वहाँ जाते ही फ्लश में वीर्य का फव्वारा छूट गया और मैंने हाथ से रगड़ रगड़ कर उसे पूरा खाली कर दिया।
अब मेरी उत्तेजना भी थोड़ी कम हो गई। यह जरूरी भी था यदि मुझे भावना के साथ लम्बा सेक्सी खेल खेलना था तो! उसके बाद मैंने अपने लण्ड को अच्छे से धोकर साफ़ कर लिया और तौलिए से रगड़ कर पौंछ कर वापिस बेडरूम में आ गया। वहाँ हर्ष भावना के साथ चिपक कर लेटा हुआ था, शायद वो मेरे बारे में ही कुछ बात कर रहे थे, मैंने पूछा- दोस्त, कोई परेशानी हो तो पहले ही बता देना यार!
“नहीं यार! ऐसा कुछ नहीं है!” वो पलंग से उठते हुए बोला।
मैंने देखा कि वो दोनों ही उत्तेजित हो चुके थे और मैं अभी ठीक ठाक था, यह मेरे लिए अच्छा था और मैं पलंग पर चला गया जहाँ वो हुस्न-परी वस्त्र-विहीन लेटी हुई थी। उसके पास पहुँचते ही मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसके मुखड़े को अपने हाथों में भर कर उठा लिया और उस पर चुम्बनों की बरसात कर दी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उसका माथा, गाल, सुडौल नाक, कान, ठोड़ी और अंत में उसके रसीले होठों को अपने होठों में भर लिया और मेरे लण्ड में झड़ने के बाद इतनी जल्दी वापिस हलचल शुरू हो जायेगी, यह मैंने सपने में भी नहीं सोचा था, मैंने तुरंत अपने आप को सम्भाला और उसके अनावृत बदन से खेलने का निश्चय किया।
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फिर मैंने पास ही पड़े चार तकिये उसके कमर के नीचे लगा कर उसे इस तरह लेटा दिया कि उसकी गर्दन तकिये से पीछे की तरफ हो गई, और उसके उन्नत उभार तकिये के ऊपर होने की वजह से और ज्यादा ऊँचे उठ गये और पेट एक फिसल पट्टी की तरह से बन गया।
अब मैंने उसके पैर जितने चौड़े वो कर सकती थी उतने कर दिए और उसके हाथ भी उठा कर सर के ऊपर ही कर दिए। उसकी बगल भी निहायत ही साफ़ और रोम-रहित थी इस तरह अब भावना बहुत ही अश्लील और उत्तेजक मुद्रा में पड़ी हुई थी, उसकी छातियाँ इतनी ज्यादा तन गई थी कि उनमें से उसकी रक्त शिराएँ भी चमक रही थी.
उसके बाएँ वक्ष पर एक गहरा काला तिल भी था, और यह मेरा निजी अनुभव है कि वक्ष पर तिल वाली लड़कियाँ बहुत ज्यादा उत्तेजक और कामी प्रवृति की होती हैं और उनके पति उनसे सदैव सुखी और संतुष्ट रहते हैं। अपनी बीवी को हर्ष इस स्थिति में देख कर और उत्तेजित हो गया था.
अब मैं उठ कर पलंग के पीछे चला गया, और वहाँ से उसके दोनों उभार थाम लिए और उन्हें पहले तो प्यार से सहलाया, फिर थोड़ा दवाब बढ़ाते हुए उसके निप्पल जो टाईट हो चुके थे, को धीरे धीरे मसला। मेरी निगाह लगातार उसके चेहरे पर उभरते भावों पर थी,कि मेरी किन हरकतों से उसे आनन्द आ रहा था और किससे कष्ट या परेशानी हो रही थी.
इसलिए मैं वो ही हरकतें ज्यादा कर रहा था जो उसे उत्तेजक कर रही थी। वक्ष को अच्छी तरह सहलाने के बाद मैं उसके बगल में आ गया और अब उसके एक वक्ष को दोनों हाथों से कस के पकड़ कर निप्पल को मुँह में लेते हुए चूसना शुरू कर दिया।
उसकी आहें तेज़ हो गई थी, बीच बीच में मैं दूसरे स्तन को भी सहला और दबा रहा था, और हर्ष ये सब देख कर इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि उसने अपना लण्ड बाहर निकाल कर हाथ में ले लिया और सहलाने लगा। और फिर पास आकर खुद भी भावना के उरोज़ों को थाम लिया।
तभी मुझे एक आइडिया सूझा, मैंने हर्ष को भावना का दूसरा चुचूक चूसने का इशारा किया जैसे मैं चूस रहा था ऐसे ही दबा दबा कर! और मेरे इशारा पाते ही वो भी शुरू हो गया। और भावना! उसका तो हाल बुरा हो चुका था! बहुत कम घरेलू औरतें ऐसी होती हैं जिनके दोनों वक्ष एक साथ खींचे, सहलाये और चूसे जा रहे हों।
वो अब बेकाबू होती जा रही थी और अपने कूल्हे और चूतड़ उछालने लगी थी। मैंने अपने हाथों से उसकी चूत पकड़ कर उसे शांत करने की कोशिश की लेकिन वो अब मेरे कपड़े ही खींचने लगी और खोलने की कोशिश करने लगी। अब मुझे भी लगा कि यह बेचारी कब से नंगी पड़ी है, और मैं पूरे कपड़ों में हूँ, यह गलत है।
यही सोच कर मैं उठ खड़ा हुआ और अपने सारे कपड़े एक एक करके उतार दिए और पूर्ण नग्न हो गया। मेरा लण्ड भी अब वापिस खड़ा और सख्त हो गया था। अब मैंने उसे उठने का इशारा किया, वो बैठी हो गई तो मैंने अपना लण्ड उसे पकड़ा दिया।
मुझे सबसे ज्यादा मज़ा आता है जब मेरा सख्त लण्ड किसी औरत की नाज़ुक नाज़ुक हाथों द्वारा सहलाया जाता है। मैं उत्तेजना के मारे पसर गया और वो मेरे ऊपर चढ़ बैठी और सहलाते सहलाते उसे मुँह में ले लिया। मेरी चीख निकल गई। यह तो अच्छा हुआ था कि मैं एक बार लण्ड झाड़ आया था, वरना कभी का पानी छूट जाता इसका और मज़ा भी नहीं आता।
अब वो इत्मीनान से लण्ड के मज़े ले रही थी। कुछ देर बाद मैंने अपने आप को उससे छुड़ा लिया और उसे पकड़ कर उन्हीं चार तकियों पर इस बार उलटा करके इस तरह लेटाया कि उसके कूल्हे तकियों पर जा टिके और पहले से उभरे हुए चूतड़ और ज्यादा उभर गए। मेरी उत्तेजना चरम पर थी, अब मैंने उसके उभरे चूतड़ों पर दनादन चांटे और चपत लगानी शुरू की.
वो हर चांटे पर उछल पड़ती थी और इस अंदाज़ में कि और मारो! फिर मैं और मारता था। अब हर्ष भी पास आ गया और वो भी शुरू हो गया! मेरे ये चांटे और चपत चोट पहुँचाने के लिए नहीं थे, बहुत हल्के और उत्तेजक थे। फिर मैंने उसके कड़े चूतड़ों के दोनों उभारों को खींच कर दो फाड़ किया.
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और उस जगह पर अपने दोनों हाथों के अंगूठों से बारी बारी से सहलाया। भावना की उत्तेजक आवाजों से वो कमरा गूंजने लगा। वो अचानक उठी, पलटी और चूत फैला कर चिल्लाने लगी- प्लीज़ फक मी! प्लीज़ फक मी! मैंने अनजान बनते हुए कहा- क्या कह रही हो? मेरी समझ में नहीं आ रहा है। तो उसका सब्र जवाब दे गया और वो देसी भाषा पर आ गई- ओह दीपक! मुझे चोदो यार! चुदाई करो जल्दी! अब रहा नहीं जा रहा! अपने लण्ड से प्यास बुझा मेरी चूत की जल्दी! जल्दी!
और यहां मेरा भी हाल बुरा था, मैंने भी समय व्यर्थ न गंवाते हुए जल्दी से लण्ड पर कंडोम चढ़ाया, हर्ष को भावना के पैर चौड़े करने को कहा और उसकी चूत के दोनों होंठ पूरे फैलाते हुए अपना लण्ड घुसा दिया और भावना ने जोर से सिसकारी निकालते हुए मुझे इतने जोर से भींच लिया कि उसके नाख़ून से मेरी पीठ पर खून तक निकल आया। वो इतना ज्यादा हल्ला मचा रही थी कि आखिर मैंने अपने होंठों से उसका मुँह बंद किया और फिर उसकी चुदाई जारी रखी…