Kamuk Devar Bhabhi Chut
मेरा नाम संजय है और में 22 साल का हूँ। मेरे घर में मेरे अलावा मेरे मम्मी पापा ही है। में जब भी कोई सुंदर लड़की को देखता हूँ तो सबसे पहले उसकी चूची पर नजर पड़ती है और मेरी कोशिश रहती है कि किसी भी तरह उसकी चूची की झलक मिल जाए. Kamuk Devar Bhabhi Chut
और आते जाते हर लड़की की ब्रा की स्टेप्स को देखकर गर्म हो जाता या कभी कोई लड़की कहीं मॉल में झुकी हुई मिलती तो उसके पास पहुँचकर उसकी पेंटी की झलक ले लेता था। यह बात उन दिनों की है, जब में 18 साल का था और 12वीं क्लास में था।
मेरी किस्मत देखो, जब मैंने 12वीं क्लास की बोर्ड में एड्मिशन लिया तो 42 लड़कियों की साइन्स की एक क्लास में कुछ लड़को को एंट्री दी तो उनमें मेरा नाम भी था। हम 5 लड़के थे और 42 लड़कियाँ थी। अब पूरे दिन पढ़ाई ना के बराबर होती थी, बस एक ही काम था लड़कियों के जिस्मों को निहारना और फिर जब घर लौटकर आता तो इतना गर्म होता कि पूछो मत।
फिर ऐसे ही एक दिन जब में घर पहुँचा तो मैंने देखा कि मेरे दूर के कज़िन अपनी वाईफ के साथ आए हुए है। मेरे कज़िन की शादी को 3 साल होने हो गये थे, लेकिन अभी तक उनके कोई भी बच्चा नहीं हुआ था और भाभी को इस वजह से काफ़ी ताने सुनने पड़ते थे।
अब में आपको भाभी के बारे में बता दूँ कि भाभी यही कोई लगभग 25 साल की थी और गजब की सुंदर थी, उसका फिगर साईज 34-30-38 था। फिर जब में घर पहुँचा तो पता चला कि भैया को शहर में कुछ काम है और उन्हें किसी से मिलने जाना है।
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अब में थका हुआ था तो में सीधा अपने रूम में पहुँचा और कपड़े बदलकर लेट गया। फिर थोड़ी देर के बाद जब भैया चले गये तो मेरी मम्मी भाभी को लेकर ड्रॉईग रूम से बेडरूम में ले आई कि चलो वहाँ बैठकर बात करेंगे। फिर वो लोग कमरे में आए, जहाँ में आँख बंद करके लेटा हुआ था।
अब मेरी मम्मी पलंग के बराबर में जो कुर्सी पड़ी हुई थी, उस पर बैठ गयी थी और भाभी को पलंग पर बैठाकर आराम करने को कहा। अब भाभी पलंग पर बैठ गयी थी और फिर वो दोनों बातें करने लगी। तब एकाएक मम्मी ने भाभी से पूछा कि बेटी बुरा मत मानना, लेकिन शायद अब तुम्हें अपना परिवार बढ़ाने की सोचनी चाहिए, क्योंकि ज़्यादा उम्र होने पर बच्चा होने में कई तकलीफ हो जाती है। तो इतना कहना था कि भाभी की आँखों में आसूं आ गये।
तब मम्मी बोली कि बेटी मेरा मतलब तुम्हें दुख पहुँचाने का नहीं था, अगर मेरी बात बुरी लगी हो तो मांफ करना। तब भाभी बोली कि नहीं आंटी मुझे आपकी कोई बात बुरी नहीं लगी, लेकिन में क्या करूँ? मैंने अपनी तरफ से सारी कोशिश कर ली, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ, लगता है उन्हें कोई परेशानी है.
मैंने कई बार उनसे डॉक्टर से मिलने के लिए कहा, लेकिन वो मानते नहीं, लगता है कि मेरा जीवन तो सबके ताने सुनते सुनते ही खत्म हो जाएगा। तब मेरी माँ ने कहा कि बेटी धीरज से काम ले, भगवान ने चाहा तो जल्द ही सब ठीक हो जाएगा, तू बस अपनी कोशिश करती रह।
अब इस दौरान जब मेरी माँ उन्हें दिलासा दे रही थी। फिर भाभी ने कुछ झुकते हुए अपना सिर मेरी माँ के कंधे पर रखा हुआ था। अब इस वज़ह से भाभी की गांड काफ़ी ऊपर उठ गयी थी। मुझे पता नहीं कब, लेकिन अचानक मेरा हाथ उनकी गांड के नीचे आ गया और जब वो नीचे बैठी तो मेरा हाथ उनकी गांड के नीचे दब गया था।
अब मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया था, लेकिन मैंने अपना हाथ हिलाने की कोशिश नहीं की। फिर थोड़ी देर तक में ऐसे ही अपने हाथ पर उनकी गांड का भार सहता रहा। फिर मैंने थोड़ी हिम्मत करके अपने हाथ की उंगलियों को टेड़ा करके अपनी उंगली उनकी गांड की गहराई में घुसा दी।
अब मुझे बहुत डर लग रहा था कि कहीं भाभी कुछ बोल पड़ी तो माँ मेरा बुरा हाल कर देंगी, लेकिन भाभी चुपचाप माँ से बात करती रही। अब मेरी हिम्मत बढ़ गयी थी और फिर में अपने पूरे हाथ का दबाव उनके चूतड़ पर देने लगा, लेकिन में इससे ज़्यादा उस समय कुछ ना कर सका। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अब शाम होने को आ रही थी। अब सब भैया के आने का इंतज़ार कर रहे थे, लेकिन देर शाम भैया का फोन आया कि उन्हें बिजनेस के सिलसिले में क्लाइंट के साथ बाहर जाना पड़ रहा है और उन्हें शायद 1-2 दिन लग जाएँगे। तब भाभी कुछ नाराज हो गयी कि में यहाँ अकेली रह जाऊंगी और शायद आंटी (मम्मी) को अच्छा नहीं लगेगा.
लेकिन मेरी मम्मी ने उनसे कहा कि बेटी कोई बात नहीं तू यहीं रुक और उसे अपना काम निपटाने दे, तो इस तरह भाभी रुक गयी। फिर रात को हम सबने मिलकर डिनर किया। अब मेरे और भाभी के बीच में काफ़ी बातें होने लगी थी और अब हम भी एक दूसरे से मज़ाक करने लगे थे।
चूँकि हमारे घर में दो ही कमरे थे, एक पापा मम्मी का और एक मेरा। तब मम्मी ने कहा कि में और तुम एक साथ सो जाते है और में और मेरे पापा एक साथ, लेकिन भाभी को यह अच्छा नहीं लग रहा था कि मेरे पापा उनकी वजह से अलग कमरे में सोए।
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तब उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं है आंटी में और संजय दूसरे कमरे में सो जाएँगे, एक रात की ही तो बात है। फिर रात को काफ़ी बातें करने के बाद सब सोने की तैयारी करने लगे। अब मेरे मम्मी पापा अपने बेडरूम में चले गये थे और अब में भाभी के साथ उस रूम में अकेला हो गया था।
फिर मेरी मम्मी जाते-जाते बोली कि बेटी किसी बात की परेशानी मत मानना और जो चीज चाहिए मुझसे माँग लेना। तो तब भाभी ने ओके कहा और बाथरूम में चली गयी। फिर थोड़ी देर के बाद जब वो लौटी तो उन्होंने मम्मी का नाईट गाउन पहन रखा था चूँकि वो उनके साईज का नहीं था, इसलिए वो उनके हिसाब से काफ़ी ढीला था।
फिर में और भाभी पलंग पर लेट गये और एक दूसरे को गुड नाईट बोलकर लाईट ऑफ कर दी। अब मुझको तो बिल्कुल भी नींद नहीं आ रही थी, क्योंकि दोपहर के अनुभव ने मुझे पागल सा कर दिया था। अब में उनके सोने का इंतज़ार करने लगा था।
फिर 1 घंटे के बाद जब भाभी ने कोई हलचल नहीं की तो मुझे यह विश्वास हो गया कि वो सो गयी है। फिर मैंने अपना एक हाथ उनकी चूची पर बहुत हल्के से रखा। दोस्तों में बता नहीं सकता क्या एहसास था? इतने सॉफ्ट की मन कर रहा था कि अभी बाहर निकालकर चूसना शुरू कर दूँ।
फिर जब काफ़ी देर तक मेरे हाथ का उन पर कोई असर नहीं दिखा तो तब मैंने हिम्मत करके उनके गाउन के अंदर अपना एक हाथ डाला, चूँकि गाउन बहुत ढीला था तो कोई प्रोब्लम नहीं हुई थी। अब मेरा हाथ सीधा उनकी चूची तक पहुँच गया था।
अब मेरा मज़ा उस समय दुगुना हो गया था, जब मुझे पता चला कि भाभी ने ब्रा नहीं पहनी थी। अब में धीरे-धीरे उनकी चूचीयों पर अपना एक हाथ फैरने लगा था। अब मेरी हालत खराब होती जा रही थी। फिर जब भाभी ने कोई हरकत नहीं की तो तब मैंने हिम्मत करके उनके गाउन के बटन खोलने शुरू कर दिए.
और अब चार बटन खोलते ही उनका गाउन लगभग आधा खुल गया था और भाभी के पेट तक सब कुछ नंगा था। अब यह सब देखने के लिए नाईट बल्ब की रोशनी भी बहुत थी। अब मेरी हिम्मत इतनी बढ़ गयी थी कि मैंने सीधा उनकी एक चूची को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा था और अपने दूसरे हाथ से उनकी दूसरी चूची को दबाने लगा था।
तब अचानक से भाभी की सिसकारी निकल गयी। अब में बहुत डर गया था और पीछे हट गया, लेकिन अब भाभी पूरे मूड में आ चुकी थी। फिर वो खड़ी हुई और दरवाज़ा अच्छी तरह से बंद कर लिया और सारे पर्दे लगा दिए और फिर लाईट जला दी।
दोस्तों क्या बताऊं? रोशनी पड़ते ही जब मेरी नजर उनके जिस्म पर पड़ी तो में एकटक उनकी चूचीयों को देखता ही रह गया। फिर भाभी ने तुरंत अपना गाउन उतार दिया और फिर अपना पेटीकोट भी उतार दिया। अब भाभी सिर्फ़ पेंटी में रह गयी थी।
फिर वो मेरे नजदीक आई और बोली कि संजय में बिल्कुल पागल हो गयी हूँ, मुझे खूब चोद और आज मुझे पूरी औरत बना दे। मैंने इससे पहले कभी किसी को नहीं चोदा था, यह मेरा पहली बार था इसलिए में कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित हो रहा था। फिर भाभी ने तुरंत मेरी टी-शर्ट और शॉर्ट्स को उतार दिया।
फिर मैंने अपनी बनियान उतारी। अब में सिर्फ़ अंडरवेयर में रह गया था। फिर भाभी अपना एक हाथ मेरे अंडरवेयर में ले गयी और मेरे लंड को ऊपर से ही अपने हाथ में लेने लगी थी और बोली कि संजय तेरा लंड तो काफ़ी मोटा है, क्या तूने कभी किसी के साथ सेक्स किया है? तो तब मैंने कहा कि नहीं भाभी, यह मेरा पहला मौका है।
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फिर इतना सुनते ही उन्होंने मेरा अंडरवेयर नीचे खींच दिया और मेरे लंड को झट से बाहर निकालकर पकड़ लिया। तब मैंने भी तुरंत उनकी पेंटी को पकड़ा और नीचे खींच दिया। अब हम दोनों पूरे नंगे हो गये थे और पलंग पर लेट गये थे।
फिर मैंने भाभी की पहले चूचीयों को मसलना शुरू कर दिया और उन्हें अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। तब वो सिसकारी लेती हुई बोली कि और ज़ोर से संजय और ज़ोर से, आज मेरी इन चूचीयों का सारा रस निकाल दे और सब कुछ पी जा। अब मेरा जोश बढ़ता जा रहा था।
अब में इतने में उनकी चूचीयों दबाता हुआ नीचे आने लग गया था। अब मेरे होंठ उनके शरीर के हर हिस्से को चूमते जा रहे थे। फिर जब में उन्हें चूमते हुए उनकी चूत तक पहुँचा तो तब उन्होंने मुझे रोक लिया और कहा कि संजय में भी बहुत प्यासी हूँ।
अब में उनका मतलब नहीं समझ सका था। तब वो तुरंत अपनी साईड बदलकर मेरे पैरों की तरफ आ गयी। अब मेरा मुँह उनकी चूत की तरफ और मेरा लंड उनके मुँह की तरफ हो गया था। फिर मैंने अपने हाथ से उनकी चूत को मसला और अपनी एक उंगली उनकी चूत में घुसा दी।
उनकी चूत में बिल्कुल गर्म भट्टी की तरह आग लगी हुई थी और बहुत चिपचिपी भी थी। फिर मैंने अपने हाथ से उनकी चूत की दोनों फाखों को अलग किया तो सामने गुलाबी रंगत लिए उनकी चूत की गहराई दिख रही थी। अब मेरी जीभ में पानी आ गया था।
फिर मैंने अपनी पूरी जीभ उनकी चूत में डाल दी और अंदर गहराईयों तक चूसने लग गया था। अब भाभी भी पीछे नहीं थी। अब उन्होंने मेरा लंड कसकर पकड़ रखा था और अपने होंठ से मेरे लंड के सूपड़े को चूसे जा रही थी। फिर उन्होंने मेरा पूरा का पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और गप-गप चूसने लगी थी।
अब इधर में उनकी चूत चूस रहा था, तो उधर वो मेरा लंड चूस रही थी। अब हम दोनों के दोनों अपनी गांड उठा उठाकर पूरा चुसवाना चाह रहे थे। फिर थोड़ी देर में भाभी की चूत में से बहुत सारा रस निकल आया। अब मेरा मुँह तो था ही उनकी चूत में तो में उनका सारा का सारा रस पी गया, गजब का मीठापन था उस रस में।
अब मेरी उत्तेजना भी चरम पर पहुँच गयी थी, इसलिए मैंने भाभी से कहा कि आप अपना मुँह हटा लो, लेकिन वो नहीं मानी और बोली कि छोड़ दे अपना रस मेरे मुँह में। थोड़ी देर के बाद मेरा गाढ़ा रस निकलने लगा। तो उन्होंने उसे भी अपने मुँह में ले लिया और सारा चाट लिया।
फिर थोड़ी देर तक हम शांत पड़े रहे, लेकिन जब भाभी ने कहा कि अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है, संजय जल्दी से मुझे चोद दे और अपना रस इस बार मेरी चूत में छोड़ दे और फिर उन्होंने मेरे मुलायम पॉइंट को सहलाना शुरू किया और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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फिर थोड़ी देर में ही मेरा लंड फिर से फनफनाने लगा। तब भाभी ने कहा कि अब जल्दी से आ जा। तब मैंने सीधा होकर अपना लंड उनकी चूत से टीका दिया। अब उनकी चूत बहुत गीली हो रही थी, तो धीरे से थोड़ा दबाव देते ही मेरा लंड करीब 3 इंच अंदर चला गया था और फिर थोड़ा धक्का देने के बाद मेरा लंड करीब 2 इंच और घुस गया।
अब भाभी को दर्द हो रहा था। अब में समझ गया था कि शायद भैया का लंड 5 इंच के आस पास ही है, क्योंकि अब भाभी दर्द से भरी जा रही थी। अब मेरा लंड जो कि 8 इंच का था। अभी भी करीब 3 इंच बाहर था। फिर मैंने पूछा कि अगर दर्द हो रहा तो क्या रुक जाऊं?
तो तब भाभी बोली कि नहीं जल्दी से फाड़ दे मेरी चूत को। फिर मैंने जोश में एक और ज़ोर से धक्का मारा तो मेरा लंड 7 इंच तक घुस गया। अब भाभी की आँखों में आसूं आ गये थे, लेकिन उन्होंने अपनी चीख रोक ली थी। फिर मैंने अपना लंड बाहर निकालकर एक दो धक्के मारने शुरू किए।
फिर थोड़ी देर के बाद भाभी को भी मज़ा आने लगा। फिर मैंने अपनी पूरी स्पीड से धक्के लगाने शुरू किए तो अब मेरा पूरा लंड अंदर बाहर जा रहा था। फिर मैंने उनकी स्टाइल बदल दी और उनको कुत्तिया स्टाइल में बैठा दिया।
फिर मैंने उनके ऊपर चढ़कर उनके पीछे से उनकी चूत में अपना लंड डाल दिया और फिर उस स्टाइल में काफ़ी देर तक चोदताफिर थोड़ी देर के बाद फिर से स्टाइल चेंज करके वो मेरे ऊपर बैठ गयी और उछल उछलकर अपनी चूत में मेरा लंड लेने लगी थी।
फिर काफ़ी देर तक हम एक दूसरे को अलग-अलग स्टाइल में चोदते रहे। फिर आखरी में में फिर से उनके ऊपर आकर चोदने लगा। तब भाभी ने मुझे एकाएक कसकर भींचा और ढीली पढ़ गयी। अब वो झड़ गयी थी और अब में भी झड़ने वाला था, इसलिए मैंने भाभी की चूचीयों को मसलते हुए अपने धक्के तेज कर दिए।
फिर थोड़ी देर के बाद मैंने भी अपना सारा रस भाभी की चूत में उडेल दिया। अब हम दोनों बहुत बुरी तरह हांफ रहे थे, लेकिन अब हमें एक अजीब सी संतुष्टि महसूस हो रही थी कि मानो जैसे बहुत बड़ा युद्ध जीत लिया हो। फिर हम दोनों पूरी रात एक दूसरे को चूमते, चाटते रहे और फिर मैंने उस रात दो बार और भाभी की कसकर चुदाई की।
फिर सुबह होने से कुछ देर पहले भाभी और मैंने अपने कपड़े पहन लिए और थोड़ा दूर दूर होकर लेट गये। फिर सुबह मम्मी ने आकर जब मुझे जगाया तो पता चला कि 7 बज गये है और भाभी नहा भी ली थी। अब भाभी मुझे मुस्कुराती हुई देख रही थी।
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अब उनकी बरसों की मुराद मैंने पूरी जो कर दी थी। फिर पूरा दिन जब भी मुझे कोई मौका मिला तो में उन्हें पकड़ लेता और उनकी चूचीयों को मसलकर चूसता और अपनी उंगलियों को उनकी चूत में घुसा देता था। फिर शाम को जब भैया आ गये तो उन्होंने जाने का प्रोग्राम बना लिया और फिर थोड़ी देर के बाद वो निकल गये। फिर जाते-जाते भाभी ने मुझसे थैंक्स बोला कि मैंने उनका बहुत ध्यान रखा और मुझे अपने घर आने की भी ज़िद की।
तब मेरी मम्मी ने वादा किया की जल्द ही वो मुझे वहाँ भेज देंगी। फिर उनके जाने के बाद मेरी ज़िंदगी दुबारा पुरानी तरह से बिज़ी हो गयी कि अचानक 1 महीने के बाद मुझे मम्मी से पता चला कि भाभी प्रेग्नेंट है। तो तब मुझे कुछ हैरानी हुई, लेकिन अब मेरी आँखों के सामने उस रात का प्यार सामने आ गया था। अब में समझ गया कि यह होने वाला बच्चा उन्हें मेरी ही वजह से मिल रहा है। फिर कुछ समय के बाद जब एक प्रोग्राम में मेरा उनसे मिलना हुआ तब यह पता भी चल गया, लेकिन वो बहुत खुश थी कि अब उनके ऊपर से बांझ होने का कंलक मिट गया था।
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