Chudai Ka Test
यह उस समय की बात है जब मैं 20 साल का था। मैं तब लॉ की पढ़ाई कर रहा था। मेरे माता-पिता बहुत ही धार्मिक विचारों के हैं और हमेशा धर्म-करम में लगे रहते हैं। हम दो भाई और एक बहन हैं, बहन की शादी पहले ही हो गई है। मेरे बड़े भाई का रेडीमेड कपड़ों का कारोबार है और अक्सर वो अपने काम के सिलसिले में दूसरे शहर में टूर पर जाते रहते हैं। Chudai Ka Test
बड़े भाई की शादी को सिर्फ़ एक साल ही हुआ था। मेरी भाभी मुझको बहुत चाहती थीं.. क्योंकि एक मैं ही तो था.. जिससे भाभी बातचीत कर सकती थीं। खास कर जब भैया.. बिजनेस के काम से टूर पर बाहर जाते थे। मेरी भाभी बहुत प्यार से हमारा ख्याल रखती थीं और कभी यह अहसास नहीं होने देतीं कि मैं घर पर अकेला हूँ।
वो मुझे प्यार से लल्ला या लाला कह कर पुकारती थीं और मैं हमेशा उनके पास ही रहना पसंद करता था। वो बहुत ही सुंदर हैं.. एकदम गोरी-चिट्टी लम्बे-लम्बे काले बाल.. करीब 5’5″ का कद और जिस्म का कटाव 38-24-38 के नाप का। मैं उनकी गर्व से उठी हुई चूचियों पर फिदा था और हमेशा उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब रहता था।
जब भी काम करते वक़्त उनका आँचल उनकी छाती पर से फिसल कर नीचे गिरता था या वो नीचे झुकती.. मैं उनकी चूची की एक झलक पाने की कोशिश करता था। भाभी को इस बात का पता था और वो जानबूझ कर मुझे अपनी चूचियों का जलवा दिखा देती थीं।
मेरी इस कहानी में घटित यह बात तब हुई जब मेरे भैया काम के सिलसिले में शादी के बाद पहली बार बाहर गए। माँ और बाबूजी पहले से ही तीर्थ यात्रा पर हरिद्वार गए हुए थे और करीब एक महीने बाद लौटने वाले थे। भाभी पर ही घर संभालने की ज़िम्मेदारी थी।
भैया ने मुझे घर पर रह कर पढ़ाई करने की सलाह दी.. क्योंकि मेरे इम्तिहान नज़दीक थे और साथ ही भाभी को भी अकेलापन महसूस ना हो। अगले दिन सुबह के 10 बजे की बस से भैया चले गए। हम दोनों भैया को बस-स्टैंड तक विदा करने गए हुए थे। भाभी उस दिन बहुत ही खुश थीं।
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जब हम लोग घर पहुँचे तो उन्होंने मुझे अपने कमरे में बुलाया और कहा- लाला.. मुझे अकेले सोने की आदत नहीं है और जब तक तुम्हारे भैया वापस नहीं आते.. तुम मेरे कमरे में ही सोया करो। उन्होंने मुझसे अपनी किताब वगैरह वहीं ला कर पढ़ने को कहा।
मैं तो ख़ुशी से झूम उठा और फटाफ़ट अपनी टेबल और कुछ किताबें उनके कमरे में पहुँचा दीं। भाभी ने खाना पकाया और हम दोनों ने साथ-साथ खाना खाया। आज वो मुझ पर कुछ ज़्यादा ही मेहरबान थीं और बार-बार किसी ना किसी बहाने से अपनी चूचियों का जलवा मुझे दिखा रही थीं।
खाने के बाद भाभी ने मुझे संतरा खाने को दिया.. संतरा देते वक़्त उन्होंने मेरा हाथ मसल दिया और बड़े ही मादक अदा से मुस्कुरा दिया। मैं शर्मा गया क्योंकि यह मुस्कान कुछ अलग किस्म की थी और उसमें शरारत झलक रही थी। खाने के बाद मैं तो पढ़ने बैठ गया और वो अपने कपड़े बदलने लगीं।
उन दिनों गर्मी के दिन थे और गर्मी कुछ ज्यादा ही थी। मैं अपनी शर्ट और बनियान उतार कर केवल पैन्ट पहन कर पढ़ने बैठ गया। मेरी टेबल के ऊपर दीवार पर एक शीशा टंगा था और भाभी को मैं उस शीशे में देख रहा था। वो मेरी तरफ देख रही थीं और अपने कपड़े उतार रही थीं।
वो सोच भी नहीं सकती थीं कि मैं उनको शीशे के माध्यम से देख रहा हूँ। उन्होंने अपना ब्लाउज खोल कर उतार दिया। हाय.. क्या मदमस्त चूचियां थीं.. मैं पहली बार लेस वाली ब्रा में बँधे उनके मम्मों को देख रहा था। उनकी चूचियाँ बहुत बड़ी-बड़ी थीं और वो ब्रा में समा नहीं रही थीं, आधी चूचियां तो ब्रा के ऊपर से झलक रही थीं।
कपड़े उतार कर वो बिस्तर पर चित्त लेट गईं और अपने सीने को एक झीनी सी चुन्नी से ढक लिया। एक पल के लिए तो मेरा मन किया कि मैं उनके पास जा कर उनकी चूचियों को देखूँ.. फिर सोचा यह ठीक नहीं होगा और मैं पढ़ने लग गया। बिस्तर पर लेटते ही वो सो गईं.
और कुछ ही देर में उनका दुपट्टा उनकी छाती से सरक गया और साँसों के साथ उठती-बैठती उनकी मस्त रसीली चूचियाँ साफ-साफ दिख रही थीं। रात के बारह बज चुके थे, मैंने पढ़ाई बंद की और बत्ती बुझाने ही वाला था कि भाभी की सुरीली आवाज़ मेरे कानों में पड़ी- लाला.. यहाँ आओ ना… मैं उनकी तरफ बढ़ा। अब उन्होंने अपनी चूचियों को फिर से दुपट्टे से ढक लिया था।
मैंने नजदीक जाकर पूछा- क्या है भाभी?
उन्होंने कहा- लाला ज़रा मेरे पास ही लेट जाओ ना.. थोड़ी देर बात करेंगे.. फिर तुम अपने बिस्तर पर जा कर सो जाना।
पहले तो मैं हिचकिचाया लेकिन फिर मान गया। मैं लुँगी पहन कर सोता था और अब मुझको पैन्ट पहन कर सोने में दिक्कत हो रही थी।
वो मेरी परेशानी ताड़ गईं और बोलीं- कोई बात नहीं.. तुम अपनी पैन्ट उतार दो और रोज जैसे सोते हो.. वैसे ही मेरे पास सो जाओ.. शरमाओ मत.. आओ ना..
मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था। लुँगी पहन कर मैंने लाइट बंद कर दी और नाइट लैंप जला कर मैं बिस्तर पर उनके पास लेट गया। जिस बदन को महीनों से निहारता था.. आज मैं उसी के पास लेटा हुआ था, भाभी का अधनंगा शरीर मेरे बिल्कुल पास था। मैं ऐसे लेटा था कि उनकी चूचियाँ बिल्कुल नंगी मालूम दे रही थीं.. क्योंकि थोड़ा सा हिस्सा ही ब्रा में छुपा था। क्या हसीन नज़ारा था…
तब भाभी बोलीं- इतने महीने से अकेले नहीं सोई हूँ और अब अकेले सोने की आदत नहीं है।
मैं बोला- मैं भी कभी किसी के साथ नहीं सोया..
वो ज़ोर से खिलखिलाईं और बोलीं- जब भी मौका मिले.. अनुभव ले लेना चाहिए.. बाद में काम आएगा..
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर धीरे से खींच कर अपने उभरी हुए चूचियों पर रख दिया और मैं कुछ नहीं बोल पाया.. लेकिन मैंने अपना हाथ उनके चूचियों पर रखा रहने दिया। ‘मुझे यहाँ कुछ खुजा रहा है.. लाला.. ज़रा सहलाओ ना…’
मैंने ब्रा के ऊपर से ही उनकी चूचियों को सहलाना शुरू किया। भाभी ने मुझसे हाथ ब्रा के कप में घुसा कर सहलाने को कहा और मेरा हाथ ब्रा के अन्दर कर दिया। मैंने अपना पूरा हाथ अन्दर घुसा कर ज़ोर-ज़ोर से उनकी चूचियों को रगड़ना शुरू कर दिया। मेरी हथेली की रगड़ पाकर भाभी के निप्पल कड़े हो गए।
उनके मम्मों के मुलायम माँस के स्पर्श से मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.. लेकिन ब्रा के अन्दर करके मसलने में मुझे दिक्कत हो रही थी। अचानक वो अपनी पीठ मेरी तरफ घुमा कर बोलीं- लाला यह ब्रा का हुक खोल दो और ठीक से सहलाओ न… मैंने काँपते हुए हाथों से भाभी की ब्रा का हुक खोल दिया और उन्होंने अपने बदन से उसे उतार कर नीचे डाल दिया।
मेरे दोनों हाथों को अपने नंगी छाती पर ले जाकर वो बोलीं- थोड़ा कस कर दबाओ ना…
मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गया और जोश में आकर उनकी रसीली चूचियों से जम कर खेलने लगा। क्या बड़ी बड़ी चूचियाँ थीं.. कसी हुई चूचियाँ और लम्बे-लम्बे कड़े निप्पल.. पहली बार मैं किसी औरत की चूचियों को छू रहा था। भाभी को भी मुझसे अपनी चूचियों की मालिश करवाने में मज़ा आ रहा था।
मेरा लंड अब खड़ा होने लगा था और अंडरवियर से बाहर निकलने के लिए ज़ोर लगा रहा था। मेरा 6.5″ का लंड पूरे जोश में आ गया था। भाभी की चूचियों को मसलते-मसलते मैं उनके बदन के बिल्कुल पास आ गया था और मेरा लंड उनकी जाँघों में रगड़ मारने लगा था।
अचानक वो बोलीं- लाला.. यह मेरी टाँगों में क्या चुभ रहा है?
मैंने हिम्मत करके जबाब दिया- यह मेरा हथियार है… तुमने भैया का हथियार तो देखा होगा ना?
‘हाथ लगा कर देखूं?’ उन्होंने पूछा!
और मेरे जबाब देने से पहले अपना हाथ मेरे लंड पर रख कर उसको टटोलने लगीं। अपने हाथ से लवड़े को पकड़ लिया और अपनी मुट्ठी में मेरे लंड को बंद कर लिया और बोलीं- बाप रे.. बहुत कड़क है.. वो मेरी तरफ घूमी और अपना हाथ मेरे अंडरवियर में घुसा कर मेरे फड़फड़ाते हुए लंड को इलास्टिक के ऊपर निकाल लिया।
लंड को कस कर पकड़े हुए वो अपना हाथ लंड की जड़ तक ले गईं जिससे सुपारा बाहर आ गया। सुपारे की साइज़ और आकर देख कर वो बहुत हैरान हो गईं। अपने हाथ से लवड़े को पकड़ लिया और अपनी मुट्ठी में मेरे लंड को बंद कर लिया और बोलीं- बाप रे.. बहुत कड़क है.. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वो मेरी तरफ घूमी और अपना हाथ मेरे अंडरवियर में घुसा कर मेरे फड़फड़ाते हुए लंड को इलास्टिक के ऊपर निकाल लिया। लंड को कस कर पकड़े हुए वो अपना हाथ लंड की जड़ तक ले गईं जिससे सुपारा बाहर आ गया। सुपारे की साइज़ और आकर देख कर वो बहुत हैरान हो गईं।
‘लाला कहाँ छुपा रखा था इतने दिन..?’ उन्होंने पूछा।
मैंने कहा- यहीं तो था तुम्हारे सामने लेकिन तुमने कभी ध्यान ही नहीं दिया।
भाभी बोलीं- मुझे क्या पता था कि तुम्हारा इतना बड़ा होगा.. छोटे भाई का लौड़ा बड़े भाई के लौड़े से बड़ा भी हो सकता है.. यह मैं सोच भी नहीं सकती थी।
मुझे उनकी बिंदास बोलने पर आश्चर्य हुआ.. जब उन्होंने ‘लौड़ा’ कहा और साथ ही मुझे बड़ा मज़ा आया। वो मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर खींच रही थीं और कस कर दबा रही थीं। फिर भाभी ने अपना पेटीकोट अपनी कमर के ऊपर उठा लिया और मेरे तने हुए लंड को अपनी जाँघों के बीच ले कर रगड़ने लगीं।
वो मेरी तरफ करवट ले कर लेट गईं ताकि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड़ सकें। उनकी चूचियाँ मेरे मुँह के बिल्कुल पास थीं और मैं उन्हें कस-कस कर दबा रहा था। अचानक उन्होंने अपनी एक चूची को मेरे मुँह में ठेलते हुए कहा- चूसो.. इनको मुँह में लेकर… मैंने उनकी बाईं चूची को अपने मुँह में भर लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।
थोड़ी देर के लिए मैंने उनकी चूची को मुँह से निकाला और बोला- मैं हमेशा तुम्हारे ब्लाउज में इन कसी हुई चूचियों को देखता था और हैरान होता था… मेरी इनको छूने की बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हें मुँह में लेकर चुसूँ और इनका रस पीऊँ… पर डरता था पता नहीं तुम क्या सोचो और कहीं मुझसे नाराज़ ना हो जाओ… तुम नहीं जानती भाभी कि तुमने मुझे और मेरे लंड को कितना परेशान किया है?
‘अच्छा.. तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो.. जी भर कर दबाओ.. चूसो और मज़े ले लो.. मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ.. जैसा चाहे वैसा ही करो..’ भाभी ने कहा।
फिर क्या था.. भाभी की हरी झंडी मिलते ही मैं उनकी मस्त और रसभरी चूचियों पर टूट पड़ा। मेरी जीभ उनके कड़े निप्पल को महसूस कर रही थी। मैंने अपनी जीभ भाभी के उठे हुए कड़े निप्पल पर घुमाई.. मैं दोनों अनारों को कस कर पकड़े हुए था और बारी-बारी से उन्हें चूस रहा था।
मैं ऐसे कस कर चूचियों को दबा रहा था.. जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूँगा। भाभी भी पूरा साथ दे रही थी.. उनके मुँह से “ओह.. ओह.. आह.. स.. स..’ की आवाज़ निकल रही थी। मुझसे पूरी तरफ से सटे हुए वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड़ रही थीं।
उन्होंने अपनी बाईं टांग को मेरी कमर के ऊपर चढ़ा दिया और मेरे लंड को को अपनी जाँघों के बीच रख लिया। मुझे उनकी जाँघों के बीच एक मुलायम रेशमी अहसास हुआ। यह उनकी चूत थी। भाभी ने पैन्टी नहीं पहन रखी थी और मेरा लंड का सुपारा उनकी झांटों में घूम रहा था। मेरा सब्र का बाँध टूट रहा था…
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मैं भाभी से बोला- भाभी मुझे कुछ हो रहा और मैं अपने आपे में नहीं हूँ.. प्लीज़ मुझे बताओ मैं क्या करूँ?
भाभी बोलीं- तुमने कभी किसी लड़की को चोदा है आज तक?
मैंने बोला- नहीं…
‘कितने दुख की बात है… कोई भी लड़की इसे देख कर कैसे मना कर सकती है… शादी तक ऐसे ही रहने का इरादा है क्या?’
मैं क्या बोलता… मेरे मुँह में कोई शब्द नहीं थे। मैं चुपचाप उनके चेहरे को देखते हुए चूचियों को मसलता रहा।
उन्होंने अपना मुँह मेरे मुँह से बिल्कुल सटा लिया और फुसफुसा कर बोलीं- अपनी भाभी को चोदोगे..?
‘क..क..क्यों नहीं..’ मैं बड़ी मुश्किल से कह पाया.. मेरा गला सूख रहा था।
वो बड़े मादक अंदाज़ में मुस्कुरा दीं और मेरे लंड को आज़ाद करते हुए बोलीं- ठीक है.. लगता है अपने अनाड़ी देवर राजा को मुझे ही सब कुछ सिखाना पड़ेगा… पर गुरु-दक्षिणा पूरे मन से देना… चलो अपनी चड्डी उतार कर पूरे नंगे हो जाओ..
मैं पलंग पर से उतर गया और अपना अंडरवियर उतार दिया। मैं अपने तने हुए हुए लंड को लेकर नंग-धड़ंग अपनी भाभी के सामने खड़ा था। भाभी अपने रसीले होंठों को अपने दांतों में दबा कर देखती रहीं और अपने पेटीकोट का नाड़ा खींच कर ढीला कर दिया।
‘तुम भी इससे उतार कर नंगी हो जाओ…’ कहते हुए मैंने उनके पेटीकोट को खींच दिया।
भाभी अपने चूतड़ों को ऊपर कर दिया जिससे कि पेटीकोट उनकी टाँगों से उतर कर अलग हो गया। भाभी अब पूरी तरह नंगी हो कर मेरे सामने चित्त पड़ी हुई थीं। भाभी ने अपनी टाँगों को फैला दिया और मुझे रेशमी झांटों के जंगल के बीच छुपी हुए उनकी रसीली गुलाबी चूत का नज़ारा देखने को मिला।
नाइट लैंप की हल्की रोशनी में चमकते हुए नंगे जिस्म को को देखकर मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लंड मारे खुशी के झूमने लगा। भाभी ने अब मुझसे अपने ऊपर चढ़ने को कहा। मैं तुरंत उनके ऊपर लेट गया और उनकी चूचियों को दबाते हुए उनके रसीले होंठों को चूसने लगा।
भाभी ने भी मुझे अपने आलिंगन में कस कर जकड़ लिया और चुम्मा का जवाब देते हुए मेरे मुँह में अपनी जीभ को ठेल दिया। हाय.. क्या स्वादिस्ट और रसीली जीभ थी… मैं भी उनकी जीभ को ज़ोर-शोर से चूसने लगा। हमारा चुम्मा पहले प्यार के साथ हल्के में था और फिर पूरे जोश के साथ।
कुछ देर तक तो हम ऐसे ही चिपके रहे.. फिर मैं अपने होंठों को भाभी के नरम और नाज़ुक गालों पर रगड़-रगड़ कर चूमने लगा। फिर भाभी ने मेरी पीठ पर से हाथ ऊपर ला कर मेरा सर पकड़ लिया और उसे नीचे की तरफ ठेला। मैं अपने होंठ उनके होंठों से उनकी ठोड़ी पर लाया और कन्धों को चूमता हुआ चूचियों पर पहुँचा।
मैं एक बार फिर उनकी चूचियों को मसलता हुआ और खेलता हुआ काटने और चूसने लगा। उन्होंने बदन के निचले हिस्से को मेरे बदन के नीचे से निकाल लिया और हमारी टाँगें एक-दूसरे से दूर हो गईं। अपने दाएँ हाथ से वो मेरा लंड पकड़ कर उसे मुट्ठी में बाँध कर सहलाने लगीं.
और अपने बाएँ हाथ से मेरा दाहिना हाथ पकड़ कर अपनी टांगों के बीच ले गईं। जैसे ही मेरा हाथ उनकी चूत पर पहुँचा उन्होंने मेरे हाथ से अपनी चूत के दाने को ऊपर से रगड़वा दिया.. समझदार को इशारा काफ़ी था। मैं उनके चूचियों को चूसता हुआ उनकी चूत को रगड़ने लगा।
‘लाला अपनी ऊँगली अन्दर डालो ना..!’ कहती हुए भाभी ने मेरी ऊँगली को अपनी चूत के मुँह पर दबा दिया।
मैंने अपनी ऊँगली उनकी चूत की दरार में घुसा दी और वो पूरी तरह अन्दर चली गई। जैसे-जैसे मैंने उनकी चूत के अन्दर मुआयना किया.. मेरा मज़ा बढ़ता गया। जैसे ही मेरी ऊँगली उनकी चूत के दाने से टकराई.. उन्होंने ज़ोर से सिसकारी ले कर अपनी जाँघों को कस कर बंद कर लिया और चूतड़ उठा-उठा कर मेरे हाथ को चोदने लगीं।
उनकी चूत से पानी बह रहा था। थोड़ी देर बाद तक ऐसे ही मज़ा लेने के बाद मैंने अपनी ऊँगली को उनकी चूत से बाहर निकाल लिया और सीधा हो कर उनके ऊपर लेट गया। भाभी ने अपनी टाँगें फैला दीं और मेरे फड़फड़ाते हुए लंड को पकड़ कर सुपारा चूत के मुहाने पर रख लिया। उनकी झांटों का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था..
फिर भाभी ने मुझसे बोला- अब अपना लौड़ा मेरी बुर में घुसाओ.. प्यार से घुसेड़ना.. नहीं तो मुझे दर्द होगा… अहह..!
मैं क्योंकि नौसिखिया था इसीलिए शुरू-शुरू में मुझे अपना लंड उनकी कसी हुई चूत में घुसाने में काफ़ी परेशानी हुई। मैंने जब ज़ोर लगा कर लंड अन्दर ठेलना चाहा.. तो उन्हें दर्द भी हुआ… लेकिन पहले से ऊँगली से चुदवा कर उनकी चूत काफ़ी गीली हो गई थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
भाभी भी हाथ से लंड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखा रही थीं और रास्ता मिलते ही एक ही धक्के में मेरा सुपारा अन्दर चला गया। इससे पहले कि भाभी संभलें या आसन बदलें.. मैंने दूसरा धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड मक्खन जैसी चूत की जन्नत में दाखिल हो गया।
भाभी चिल्लाईं- उईईइ ईईई… ईईई ईईईई… माआआ उहुहुहह ओह लाला.. ऐसे ही कुछ देर हिलना-डुलना नहीं.. हय.. बड़ा जालिम है तुम्हारा लंड… मार ही डाला मुझे.. तुमने देवर राजा…
भाभी को काफ़ी दर्द हो रहा था.. लगता है… पहली बार इतना मोटा और लम्बा लंड उनकी बुर में घुसा था। मैं अपना लंड उनकी चूत में घुसा कर चुपचाप पड़ा था। भाभी की चूत फड़क रही थी और अन्दर ही अन्दर मेरे लौड़े को चबा कर मसल रही थी। उनकी उठी-उठी चूचियाँ काफ़ी तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रही थीं। मैंने हाथ बढ़ा कर दोनों चूचियों को पकड़ लिया और मुँह में लेकर चूसने लगा। भाभी को कुछ राहत मिली और उन्होंने कमर हिलानी शुरू कर दी।
भाभी मुझसे बोलीं- लाला शुरू करो.. चोदो मुझे… ले लो मज़ा जवानी का.. मेरे राज्ज्ज्जा..
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वो मस्ती में अपनी गाण्ड हिलाने लगीं। मैं ठहरा अनाड़ी… समझ नहीं पाया कि कैसे शुरू करूँ.. पहले अपनी कमर को ऊपर किया तो लंड चूत से बाहर आ गया…. फिर जब नीचे किया तो ठीक निशाने पर नहीं बैठा और भाभी की चूत को रगड़ता हुआ नीचे फिसल कर गाण्ड में जाकर फँस गया।
मैंने दो-तीन धक्के लगाए.. पर लंड चूत में वापस जाने के बजाए फिसल कर गाण्ड में चला जाता। भाभी से रहा नहीं गया और तिलमिला कर कर ताना देती हुई बोलीं- अनाड़ी का चोदना और चूत का सत्यानाश… अरे मेरे भोले राजा.. ज़रा ठीक से निशाना लगा कर पेलो.. नहीं तो चूत के ऊपर लौड़ा रगड़-रगड़ कर झड़ जाओगे..
मैं बोला- भाभी अपने इस अनाड़ी देवर को कुछ सिख़ाओ… जिंदगी भर तुम्हें गुरू मानूँगा और लंड की सेवा दक्षिणा में दूँगा।
भाभी लम्बी सांस लेती हुए बोलीं- हाँ लाला.. मुझे ही कुछ करना होगा.. नहीं तो देवरानी आकर कहेगी कि तुम्हें कुछ नहीं सिखाया।
मेरा हाथ अपनी चूचियों पर से हटाया और मेरे लंड पर रखती हुई बोलीं- इसे पकड़ कर मेरी चूत के मुँह पर रखो और फिर ज़ोर से धक्का लगाओ। मैंने वैसे ही किया और मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ पूरा का पूरा अन्दर चला गया।
फिर भाभी चिल्ला कर बोलीं- उह्ह.. अब लंड को बाहर निकालो.. लेकिन पूरा नहीं… सुपारा अन्दर ही रहने देना और फिर दोबारा पूरा लंड अन्दर पेल देना.. बस इसी तरह से करते रहो।
मैंने वैसे ही करना शुरू किया और मेरा लंड धीरे-धीरे उनकी चूत में अन्दर-बाहर होने लगा। फिर भाभी ने रफ़्तार बढ़ा कर चुदाई करने को कहा। मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अन्दर-बाहर करने लगा। भाभी को पूरी मस्ती आ रही थीं और वो नीचे से कमर उठा-उठा कर हर शॉट का जवाब देने लगीं।
लेकिन ज्यादा रफ़्तार होने से बार-बार मेरा लंड बाहर निकाल जाता था.. इससे चुदाई का सिलसिला टूट जाता। आख़िर भाभी से रहा नहीं गया और करवट ले कर मुझे अपने ऊपर से उतार दिया और मुझको चित्त लेटा कर मेरे ऊपर चढ़ गईं.. अपनी जाँघों को फैला कर बगल में करके अपने गद्देदार चूतड़ों को मेरे लौड़े के ऊपर रख कर बैठ गईं। अब उनकी चूत मेरे लंड पर थी और हाथ मेरी कमर को पकड़े हुए थीं।
‘अब मैं दिखाती हूँ.. कि कैसे चोदते हैं..’
और उन्होंने मेरे ऊपर लेट कर धक्का लगाया… मेरा लंड घप से चूत के अन्दर दाखिल हो गया.. भाभी ने अपनी रसीली चूचियों को मेरी छाती पर रगड़ते हुए अपने गुलाबी होंठों मेरे होंठों पर रख दिया और मेरे मुँह में जीभ ठेल दिया। फिर भाभी ने मज़े से कमर हिला-हिला कर शॉट लगाना शुरू किया।
मेरी प्यारी भाभी अपनी चूत से बड़े ही कस-कस कर शॉट लगा रही थीं… चूत मेरे लंड को अपने में समाए हुए तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रही थी। मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत में पहुँच गया हूँ। अब अवस्था उल्टी हो गई थी… भाभी मानो मर्द थीं जो कि अपनी माशूका को कस-कस कर चोद रहा था।
जैसे-जैसे भाभी की मस्ती बढ़ रही थी.. उनके शॉट भी तेज़ होते जा रहे थे। अब भाभी मेरे ऊपर मेरे कन्धों को पकड़ कर घुटने के बल बैठ गईं और ज़ोर-ज़ोर से कमर हिला कर लंड को तेज़ी से अन्दर-बाहर लेने लगीं। उनका सारा बदन हिल रहा था और साँसें तेज़-तेज़ चल रही थीं।
भाभी की चूचियाँ तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रही थीं। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने हाथ बढ़ा कर दोनों चूचियों को पकड़ लिया और ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। भाभी एक सधे हुए खिलाड़ी की तरह कमान अपने हाथों में लिए हुए थीं और कस-कस कर शॉट लगा रही थीं।
जैसे-जैसे वो झड़ने के करीब आ रही थीं उनकी रफ़्तार बढ़ती जा रही थी। कमरे में ‘फ़च.. फ़च..’ की आवाज़ गूँज रही थी। जब उनकी सांस फूल गई तो खुद नीचे आकर मुझे अपने ऊपर खींच लिया और टाँगों को फैला कर ऊपर उठा लिया और बोलीं- में थक गई.. मेरे राज्ज्ज्जा.. अब तुम मोर्चा संभालो…
मैं झट से उनकी जाँघों के बीच बैठ गया और निशाना लगा कर झटके से लंड अन्दर डाल दिया और उनके ऊपर लेट कर दनादन शॉट लगाने लगा। भाभी ने अपनी टांग को मेरी कमर पर रख कर मुझे जकड़ लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूतड़ों को उठा-उठा कर चुदाई में साथ देने लगीं।
मैं भी अब उतना अनाड़ी नहीं रहा और उनकी चूचियों को मसलते हुए ठकाठक शॉट लगा रहा था। कमरा हमारी चुदाई की आवाज़ से भरा पड़ा था। भाभी अपनी कमर हिला कर चूतड़ों को उठा-उठा कर चुदवा रही थीं। ‘आह.. आअहह उह ऊओह ऊऊहह हाँ.. मेरे राजा..हाआआं हाआ मेरे राज्ज्जज्जा.. मर.गई..रे.. लाला..चोद..रे.. मेरी फट..गईई रे.. आज.. तो मेरी चूत…’
मैं भी मस्ती में बोल रहा था- ले.. मेरी.. रानी.. ले.. लीईए मेरा लौड़ा अपनी.. ओखलीईए में.. बड़ा तड़पाया है तुमने.. मुझे… ले.. मेरी.. भाभी.. यह लंड अब्ब्ब्बब तेरा ही है… अहह.. उहह क्या जन्नत का मज़ाआअ सिखाआ.. तुमने.. ईए. मैं तो तेरा गुलाम हो.. गया…’
भाभी गाण्ड उछाल-उछाल कर मेरा लंड अपने चूत में ले रही थीं और मैं भी पूरे जोश के साथ उनकी चूचियों को मसल-मसल कर अपनी मस्त भाभी को चोदे जा रहा था। भाभी मुझको ललकार कर कहतीं, ‘लगाओ शॉट मेरे राजा..’ और मैं जवाब देता- यह ले मेरी रानी.. ले ले पूरा अपनी चूत में..’
‘ज़रा और ज़ोर से सरकाओ.. अपना लंड मेरी चूत में मेरे राजा..’
‘यह ले मेरी रानी.. यह लंड तो तेरे लिए ही है…’
‘देखो राज्ज्ज्जा.. मेरी चूत तो तेरे लंड की दीवानी हो गई.. और ज़ोर से.. और ज़ोर से.. आआईईईई मेरे राज्ज्जज्ज्ज्जा… मैं गइईईई रीई..’
ये कहते हुए मेरी भाभी ने मुझको कस कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उनकी चूत ने ज्वालामुखी का लावा छोड़ दिया। अब तक मेरा भी लंड पानी छोड़ने वाला था और मैं बोला- मैं भी आया.. मेरी जान..’ और मैंने भी अपना लंड का पानी छोड़ दिया और मैं हाँफते हुए उनकी चूचियों पर सिर रख कर कस कर चिपक कर लेट गया।
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यह मेरी पहली चुदाई थी.. इसीलिए मुझे काफ़ी थकान महसूस हो रही थी। मैं भाभी के सीने पर सर रख कर सो गया। भाभी भी एक हाथ से मेरे सिर को धीरे-धीरे से सहलाते हुए दूसरे हाथ से मेरी पीठ सहला रही थीं। कुछ देर बाद मुझे होश आया तो मैंने भाभी के रसीले होंठों का चुंबन लेकर उन्हें जगाया।
भाभी ने करवट लेकर मुझे अपने ऊपर से हटाया और मुझे अपनी बाँहों में कस कर कान में फुसफुसा कर बोलीं- लाला तुमने तो कमाल कर दिया.. क्या गजब का ताक़त है तुम्हारे लंड में..”
मैंने उत्तर दिया, “कमाल तो आपने कर दिया है भाभी.. आज तक तो मुझे मालूम ही नहीं था कि अपने लंड को कैसे इस्तेमाल करना है… यह तो आपकी मेहरबानी है जो कि आज मेरे लंड को आपकी चूत की सेवा करने का मौका मिला।’
अब तक मेरा लंड उनकी चूत के बाहर झांटों के जंगल में रगड़ मार रहा था.. भाभी ने अपनी मुलायम हथेलियों में मेरे लंड को पकड़ कर सहलाना शुरू किया। उनकी ऊँगली मेरे अन्डकोषों से खेल रही थीं। उनकी नाज़ुक ऊँगलिओं का स्पर्श पाकर मेरा लंड भी फिर से जाग गया और एक अंगड़ाई लेकर भाभी की चूत पर ठोकर मारने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
भाभी ने कस कर मेरे लंड को क़ैद कर लिया और बोलीं- बहुत जान है तुम्हारे लंड में.. देखो फिर से फरफराने लगा.. अब मैं इसको चोदूंगी।
हम दोनों अगल-बगल लेटे हुए थे। भाभी ने मुझको चित्त लेटा दिया और मेरी टांग पर अपनी टांग चढ़ा कर लंड को हाथ से उमेठने लगीं.. साथ ही साथ भाभी अपनी कमर हिलाते हुए अपनी झांट और चूत मेरी जाँघ पर रगड़ने लगीं। उनकी चूत पिछली चुदाई से अभी तक गीली थी और उसका स्पर्श मुझे पागल बनाए हुए था।
अब मुझसे रहा नहीं गया और करवट लेकर भाभी की तरफ मुँह करके लेट गया। उनकी चूचियों को मुँह में दबा कर चूसते हुए अपनी ऊँगली चूत में घुसा कर सहलाने लगा। भाभी एक सिसकारी लेकर मुझसे कस कर चिपट गईं और ज़ोर-ज़ोर से कमर हिलाते हुए मेरी ऊँगली से चुदवाने लगीं।
अपने हाथ से मेरे लंड को कस कर ज़ोर-ज़ोर से मुठ मार रही थीं.. मेरा लंड पूरे जोश में आकर लोहे की तरह सख्त हो गया था। अब भाभी को बेताबी हद से ज़्यादा बढ़ गई थी और उन्होंने खुद चित्त हो कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया। मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखती हुई बोलीं- आओ मेरे राजा, सेकेंड राउंड हो जाए। मैंने झट कमर उठा कर धक्का दिया और मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धँस गया।
भाभी चिल्ला उठीं और बोलीं- आह्ह.. जीओ मेरे राजा.. क्या शॉट मारा… अब मेरे सिखाए हुए तरीके से शॉट पर शॉट मारो और फाड़ दो मेरी चूत को।
भाभी का आदेश पाकर मैं दूने जोश में आ गया और उनकी चूचियों को पकड़ कर ‘हुमच-हुमच’ कर भाभी की चूत में लंड पेलने लगा। ऊँगली की चुदाई से भाभी की चूत गीली हो गई थी और मेरा लंड सटासट अन्दर-बाहर हो रहा था। भाभी नीचे से कमर उठा-उठा कर हर शॉट का जवाब पूरे जोश के साथ दे रही थीं। भाभी ने दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ रखा था और ज़ोर-ज़ोर से अपनी चूत में लंड घुसवा रही थीं।
वो मुझे इतना उठाती थीं कि बस लंड का सुपारा अन्दर रहता और फिर ज़ोर नीचे खींचती हुई ‘घप’ से लंड चूत में घुसवा लेती थीं। पूरे कमरे मे हमारी सांस और ‘घपा-घप… फ़च-फ़च’ की आवाज़ गूँज रही थी। जब हम दोनों की ताल से ताल मिल गई तब भाभी ने अपने हाथ नीचे लाकर मेरे चूतड़ों को पकड़ लिया और कस-कस कर दबोचते हुए मज़ा लेने लगीं।
कुछ देर बाद भाभी ने कहा- आओ एक नया आसन सिखाती हूँ।
उन्होंने मुझे अपने ऊपर से हटा कर किनारे कर दिया… मेरा लंड ‘पक्क’ की आवाज़ साथ बाहर निकल आया। अब मैं चित्त लेता हुआ था और मेरा लंड पूरे जोश के साथ सीधा खड़ा था। भाभी उठ कर घुटनों और हथेलिओं पर मेरे बगल में बैठ गईं। मैं लंड को हाथ में पकड़ कर उनकी हरकत देखता रहा।
भाभी ने मेरा लंड पर से हाथ हटा कर मुझे खींच कर उठाते हुए कहा- ऐसे पड़े-पड़े क्या देख रहे हो.. लाला.. चलो अब उठ कर पीछे से मेरी चूत में अपना लवड़ा घुसाओ..
मैं भी उठ कर भाभी के पीछे आकर घुटने के बल बैठ गया और लंड को हाथ से पकड़ कर भाभी की चूत पर रगड़ने लगा। हय.. क्या मस्त गोल-गोल गद्देदार गाण्ड थी… भाभी ने जाँघों को फैला कर अपने चूतड़ों को ऊपर को उठा दिया.. जिससे कि उनकी रसीली चूत साफ नज़र आने लगी।
भाभी का इशारा समझ कर मैंने लंड का सुपारा उनकी चूत पर रख कर धक्का दिया और मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धँस गया। भाभी ने एक सिसकारी भर कर अपनी गाण्ड पीछे करके मेरी जाँघ से चिपका दी। मैं भी भाभी की पीठ से चिपक कर लेट गया.
और बगल से हाथ डाल कर उनकी दोनों चिकनी चूचियों को पकड़ कर मसलने लगा। वो भी मस्ती मे धीरे-धीरे चूतड़ों को आगे-पीछे करके मज़े लेने लगीं। उनके मुलायम चूतड़ों की थाप मेरी मस्ती को दोगुना कर रही थी। मेरा लंड उनकी रसीली चूत में बड़े आराम से आगे-पीछे हो रहा था।
कुछ देर तक चुदाई का मज़ा लेने के बाद भाभी बोलीं- चलो राज्ज्जा अब आगे उठा कर शॉट लगाओ.. अब रहा नहीं जाता.. मैं उठ कर सीधा हो गया और भाभी के चूतड़ों को दोनों हाथों से कस कर पकड़ कर चूत में लौड़े से हमला शुरू कर दिया। जैसा कि भाभी ने सिखाया था.. मैं पूरा लंड धीरे से बाहर निकाल कर ज़ोर से अन्दर ठोक देता।
शुरू में तो मैंने धीरे-धीरे किया… लेकिन जोश बढ़ता गया और धक्कों की रफ़्तार बढ़ती गई। धक्का लगाते समय मैं भाभी के चूतड़ों को कस के अपनी ओर खींच लेता.. ताकि शॉट तगड़ा पड़े। भाभी भी उसी रफ़्तार से अपने चूतड़ों को आगे-पीछे कर रही थीं। हम दोनों की साँसें तेज हो गई थीं। भाभी की मस्ती पूरे परवान पर थी।
नंगे जिस्म जब आपस में टकराते.. तो ‘घप-घप’ की आवाज़ आती। काफ़ी देर तक मैं उनकी कमर पकड़ कर धक्का लगाता रहा.. जब हालत बेकाबू होने लगी.. तब भाभी को फिर से चित्त लेटा कर उन पर सवार हो गया और चुदाई का दौर चालू रखा। हम दोनों ही पसीने से लथपथ हो गए थे.. पर कोई भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था।
तभी भाभी ने मुझे कस कर जकड़ लिया और अपनी टाँगें मेरे चूतड़ों पर रख दीं और कस कर ज़ोर-ज़ोर से कमर हिलाते हुए चिपक कर झड़ गईं। उनके झड़ने के बाद मैं भी भाभी की चूचियों को मसलते हुए झड़ गया और हाँफते हुए उनके ऊपर ढेर हो गया। हम दोनों की साँसें ज़ोर-ज़ोर से चल रही थीं और हम दोनों काफ़ी देर तक एक-दूसरे से चिपक कर पड़े रहे।
कुछ देर बाद भाभी बोलीं- क्यों लाला कैसी लगी हमारी चूत की चुदाई?
मैं बोला- हाय भाभी.. जी करता है कि जिंदगी भर इसी तरह से तुम्हारी चूत में लंड डाले पड़ा रहूँ।
“जब तक तुम्हारे भैया वापस नहीं आते.. यह चूत तुम्हारी है.. जैसे मर्ज़ी हो मज़े लो.. पर अब थोड़ी देर आराम करते हैं।’
“नहीं भाभी.. कम से कम एक बार और हो जाए.. देखो मेरा लंड अभी भी बेकरार है..”
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भाभी ने मेरे लंड को पकड़ कर कहा- यह तो ऐसे रहेगा ही.. चूत की खुश्बू जो मिल गई है.. पर देखो रात के तीन बज गए है.. अगर सुबह टाइम से नहीं उठे.. तो पड़ोसियों को शक हो जाएगा.. अभी तो सारा दिन सामने है और आगे के इतने दिन हमारे हैं जी भर कर मस्ती लेना। मेरा कहा मानोगे तो रोज नया स्वाद चखोगे..
भाभी का कहना मान कर मैंने भी जिद छोड़ दी और भाभी करवट लेकर लेट गईं और मुझे अपने से सटा लिया। मैंने भी उनकी गाण्ड की दरार में लंड फँसा कर चूचियों को दोनों हाथों में पकड़ लिया और भाभी के कंधे को चूमता हुआ लेट गया। नींद कब आई इसका पता ही नहीं चला।
सुबह जब अलार्म बजा तो मैंने समय देखा.. सुबह के सात बज रहे थे… भाभी ने मुस्कुरा कर देखा और एक गरमा-गरम चुंबन मेरे होंठों पर जड़ दिया। मैंने भी भाभी को जकड़ कर उनके चुंबन का जोरदार का जवाब दिया। फिर भाभी उठ कर अपने रोज के काम-काज में लग गईं। वो बहुत खुश थीं और उनके गुनगुनाने की आवाज़ मेरे कानों में शहद घोल रही थी। तभी घंटी बजी और हमारी नौकरानी पूनम आ गई।
उस दिन मैं कॉलेज नहीं गया। नाश्ता करने के बाद मैं पढ़ने बैठ गया। जब पूनम कमरे में झाड़ू लगाने आई.. तब भी मैं टेबल पर बैठ कर पढ़ाई करता रहा। अब पढ़ाई क्या खाक होती.. बस रात का ड्रामा ही आँखों के सामने चलता रहा। सामने खुली किताब में भी भाभी का संगमरमरी बदन और उनकी प्यारी सी रसीली चूत नज़र आ रही थी।
‘बाबू ज़रा पैर हटा लो.. झाड़ू लगानी है..’
मैं चौंक कर हकीकत की दुनिया में वापस आया.. देखा पूनम कमर पर हाथ रखे मेरे पास खड़ी है.. मैं खड़ा हो गया और वो झाड़ू लगाने लगी। मैं उसे देखने लगा.. गेंहुआ रंग.. भरा-भरा बदन… तीखे नाक-नक्शे.. बड़े ही साफ-सुथरे ढंग से सज-संवर कर आई थी।
आज से पहले मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया था। वो आती और अपना काम करके वापस चली जाती थी.. पर आज की बात ही कुछ और ही थी। भाभी से चुदाई की ट्रेनिंग लेकर एक ही रात में मेरा नज़रिया बदल गया था। अब मैं हर औरत को चुदाई के नज़रिए से देखना चाहता था।
पूनम लाल हरी रंग की साड़ी पहने हुए थी.. जिसका पल्लू छाती पर से लाकर कमर में दबा लिया था। छोटा सा पर गहरे रंग का चोलीनुमा ढीला ब्लाउज… जिसमें से उसकी चूचियों साफ दिखाई दे रही थीं। मेरा लंड फनफ़ना गया… रात वाली भाभी की चूचियों मेरे दिमाग में कौंध गईं। तभी पूनम की नज़र मुझ पर पड़ी… मुझे एकटक घूरता पकड़ उसने एक दबी से मुस्कान दी और अपना आँचल संभाल कर अपने पपीतों को छुपा लिया।
अब वो मेरी तरफ पीठ करके टेबल के नीचे झाड़ू लगा रही थी। उसके उठे हुए चूतड़ तो और भी मस्त थे, मस्त फैले-फैले और गद्देदार…अहह.. मैं मन ही मन सोचने लगा कि इसकी गाण्ड में लंड फंसा कर चूचियों को मसलते हुए चोदने में कितना मज़ा आएगा…
बस बेख्याली में मेरा हाथ मेरे तन्नाए हुए लंड पर पहुँच गया और मैं पायजामा के ऊपर से ही सुपारे को मसलने लगा। तभी पूनम अपना काम पूरा करके पलटी और मेरी हरकत देख कर मुँह पर हाथ रख कर हँसती हुई बाहर चली गई। मैं झेंप कर कुर्सी पर बैठ कर पढ़ाई करने की कोशिश करने लगा। जब पूनम काम कर के चली गई तब भाभी ने मुझे खाने के लिए आवाज़ दी।
मैं डाइनिंग टेबल पर आ गया.. भाभी ने खाना देते हुए पूछा- क्यों लाला.. पूनम के साथ कोई हरकत तो नहीं की?
मैंने अचकचा कर पूछा- नहीं तो.. कुछ कह रही थी क्या?
‘नहीं कुछ खास नहीं.. बस कह रही थी कि आपका देवर अब जवान हो गया है.. ज़रा ठीक से ख्याल रखना…’
मैं कुछ नहीं बोला और चुपचाप खाना खाकर अपनी स्टडी टेबल पर आकर पढ़ने बैठ गया। भाभी रसोई का काम निबटा कर कमरे में आईं और मेरे पास पलंग पर बैठ गईं।
उन्होंने मेरे हाथ से किताब ले ली और बोलीं- ज्यादा पढ़ाई मत किया करो.. सेहत पर असर पड़ेगा.. और आँख मार दी…
मैंने उन्हें अपनी गोद में खींच लिया और उनके होंठों को कस कर चूम लिया। भाभी ने भी अपना मुँह खोल कर मेरे ऊपरी होंठ को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। मैं भी भाभी के रसीले निचले होंठ को बड़ी देर तक चूसता रहा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं बोला- तुम कितनी अच्छी भाभी हो.. मुझे अपनी चूत दी.. मुझे चोदना सिखाया.. सच बताओ.. क्या भैया तुम्हें ऐसे ही चोदते हैं?
‘चोदते तो पूरे जोश से हैं पर वो तुम्हारे जितने ताक़तवर नहीं हैं, उनका लंड भी तुम्हारे लंड से छोटा है और तुम्हारे लौड़े जैसा मोटा नहीं है.. बहुत जल्दी पानी छोड़ देते हैं और तुरंत सो जाते हैं मगर मैं प्यासी रह जाती हूँ और रात भर जलती हुई बुर में ऊँगली डाले जागती रहती हूँ।’
भाभी ने मुझे कस कर जकड़ लिया और मेरा मुँह अपने सीने से चिपका लिया। मैंने भी अपने हाथ भाभी की पीठ पर कस कर उनकी चूचियों को चूम लिया। मैंने उनकी चोली ढीली कर दी और अपना एक हाथ सामने लाकर चोली के अन्दर करके चूचियों को कस कर पकड़ लिया और मसलने लगा।
मेरा दूसरा हाथ नीचे का सफ़र कर रहा था और उनके लहंगा के ऊपर से उनके चूतड़ों को पकड़ लिया। आज भाभी नीचे कुछ नहीं पहने हुई थीं और मेरा हाथ उनके मुलायम चिकने बदन को मसल रहा था। भाभी भी चुप नहीं बैठी थीं और मेरे नाड़े को ढीला करके ऊपर से ही हाथ घुसा कर मेरे लंड को मसलने लगीं।
‘लाला तुम्हारा लंड बहुत ही जोरदार है… कितना कड़क.. कितना मोटा और लम्बा है… रात को जब तुमने पहली बार मेरी चूत में घुसाया.. तो ऐसा लगा कि यह तो मेरी बुर को फाड़ ही डालेगा। सच कितना अच्छा होता.. अगर मेरी शादी तुम्हारे साथ होती.. फिर तो दुनिया की कोई परवाह ही नहीं होती और रात-दिन तुम्हारा लंड अपनी चूत में लिए हुए मज़े लेती।’
कुछ देर तक मेरे लंड और झाँटों से खेलने के बाद भाभी ने हाथ निकाल कर मेरे पायजामे का नाड़ा खोल दिया.. फिर खड़े होकर अपनी चोली और लहंगा भी उतार दिया और पूरी तरह से नंगी हो गईं। फिर मुझे कुर्सी से उठा कर पलंग पर बैठने को कहा… मैं खड़ा हुआ तो मेरा पायजामा अपने आप उतर गया।
जब मैं पलंग पर बैठ कर भाभी की मस्त उठी हुईं चूचियों को देख रहा था.. तो मारे मस्ती के.. मेरा कड़क लंड छत छूने की कोशिश कर रहा था। भाभी मेरी टांगों के बीच बैठ कर दोनों हाथों से मेरे लौड़े को सहलाने लगीं। कुछ देर लौड़ा सहलाने के बाद अचानक भाभी ने अपना सर नीचे झुकाया और अपने रसीले होंठों से मेरे सुपारे को चूम कर उसको मुँह में भर लिया। मैं एकदम चौंक गया… मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा…
‘भाभी यह क्या कर रही हो… मेरा लंड तुमने मुँह में क्यों ले लिया है?’
‘चूसने के लिए और किस लिए? तुम आराम से बैठे रहो और बस लंड चुसाई का मज़ा लो… एक बार चुसवा लोगे फिर बार-बार चूसने को कहोगे..’
भाभी मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह मुँह में लेकर चूसने लगीं। मैं बता नहीं सकता हूँ कि लंड चुसवाने में मुझे कितना मज़ा आ रहा था। भाभी के रसीले होंठ मेरे लंड को रगड़ रहे थे। फिर भाभी ने अपने होंठों को गोल करके मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और मेरे अन्डकोषों को हथेली से सहलाते हुए सिर ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया.. मानो वो मुँह से ही मेरा लंड को चोद रही हों।
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धीरे-धीरे मैंने भी अपनी कमर हिला कर भाभी के मुँह को चोदना शुरू कर दिया। मैं तो मानो सातवें आसमान पर था। बेताबी तो सुबह से ही हो रही थी। थोड़ी ही देर में लगा कि मेरा लंड अब पानी छोड़ देगा। मैं किसी तरह अपने ऊपर काबू करके बोला- भाभीईईईईईई.. मेरा पानी छूटने वाला है…
भाभी ने मेरी बातों का कुछ ध्यान नहीं दिया बल्कि अपने हाथों से मेरे चूतड़ों को जकड़ कर और तेज़ी से सिर ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया। मैं भी भाभी के सिर को कस कर पकड़ कर और तेज़ी से लंड भाभी के मुँह में पेलने लगा… कुछ ही देर बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और भाभी ने गटागट करके पूरे पानी पी गईं।
सुबह से काबू में रखा हुआ मेरा वीर्य इतना तेज़ी से निकला कि उनके मुँह से बाहर निकल कर उनकी ठोड़ी पर फैल गया.. कुछ बूँदें तो टपक कर उनकी चूचियों पर भी जा गिरीं। पूरा झड़ने के बाद मैंने अपना लंड निकाल कर भाभी के गालों पर रगड़ दिया।
हय…क्या खूबसूरत नज़ारा था.. मेरा वीर्य भाभी के मुँह.. गाल.. होंठों और रसीली चूचियों पर चमक रहा था… भाभी पूरी बिल्ली जैसी लग रही थीं जो मलाई चाटने के बाद अपनी जीभ से बची हुई मलाई को चाटती है। भाभी ने अपनी गुलाबी जीभ अपने होंठों पर फिरा कर वहाँ लगा वीर्य चाटा और फिर अपनी हथेली से अपनी चूचियों को मसलते हुए पूछा- क्यों देवर राजा.. मज़ा आया लंड चुसवाने में?
‘बहुत मज़ा आया भाभी.. तुमने तो एक दूसरी जन्नत की सैर करवा दी… मेरी जान… आज तो मैं तुम्हारा सात जन्मों के लिए गुलाम हो गया… कहो क्या हुक्म है…?’
‘हुक्म क्या.. बस अब तुम्हारी बारी है।’
‘क्या मतलब.. मैं कुछ समझा नहीं?’
‘मतलब यह मेरे भोले राजा.. कि अब तुम मेरी चूत चाटो…’
यह कह कर भाभी खड़ी हो गईं और अपनी चूत मेरे चेहरे के पास ले आईं। मेरे होंठ उनकी चूत के होंठों को छूने लगे। भाभी ने मेरे सिर को पकड़ कर अपनी कमर आगे की और अपनी चूत मेरे नाक पर रगड़ने लगीं। मैंने भी भाभी के चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उनकी गाण्ड सहलाते हुए उनकी रिस रही चूत को चूमने लगा।
भाभी की चूत की प्यारी-प्यारी खुश्बू मेरे दिमाग़ में छाने लगी.. मैं दीवानों की तरह भाभी की चूत और उसके चारों तरफ चूमने लगा… बीच-बीच में मैं अपनी जीभ निकाल कर भाभी की रानों को भी चाट लेता। भाभी मस्ती से भर कर सिसकारी लेते हुए बोलीं- हाय राजा आहह.. जीभ से चाटो ना… अब और मत तड़पाओ राजा… मेरी बुर को चाटो… डाल दो अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर… अन्दर डाल कर जीभ से चोदो..’
अब तक भाभी की नशीली चूत की खुशबू ने मुझे बुरी तरह से पागल बना दिया था। मैंने भाभी की चूत पर से मुँह उठाए बिना उन्हें खींच कर पलंग पर बैठा दिया और खुद ज़मीन पर बैठ गया। भाभी की जाँघों को फैला कर अपने दोनों कंधों पर रख लिया और फिर आगे बढ़ कर भाभी की चूत की होंठों को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया।
भाभी मस्ती से बड़बड़ाने लगीं और अपने चूतड़ों को और आगे खिसका कर अपनी चूत को मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया। अब भाभी के चूतड़ पलंग से बाहर हवा में झूल रहे थे और उनकी मखमली जांघों का पूरा दबाब मेरे कंधों पर था। मैंने अपनी पूरी की पूरी जीभ उनकी चूत में ठेल दी और चूत की अन्दरूनी दीवालों को सहलाने लगा। भाभी मस्ती से तिलमिला उठीं और अपने चूतड़ों को उठा-उठा कर अपनी चूत मेरी जीभ पर दबाने लगीं।
‘हाय राजा.. क्या मज़ा आ रहा है… अब अपनी जीभ को अन्दर-बाहर करो ना..आअ.. चोदो राजाआअ.. चोदोऊव.. अपनी जीभ से चोदो मुझे मेरे सैयाँ… हय राजा तुम ही तो मेरे असली सैयाँ हो… पहले क्यों नहीं मिले.. अब सारी कसर निकालूँगी… बड़ा तड़पी हूँ पिछले साल भर से… हय राजा.. चोदो मेरी चूत को अपनी जीभ से…’
मुझे भी पूरा जोश आ गया और भाभी की चूत में जल्दी-जल्दी जीभ अन्दर-बाहर करते हुए उसे चोदने लगा। भाभी अभी भी ज़ोर-ज़ोर से कमर उठा कर मेरे मुँह को चोद रही थीं। मुझे भी इस चुदाई से का मज़ा आने लगा। मैंने अपनी जीभ कड़ी करके सीधी कर ली और सिर आगे-पीछे कर के भाभी की चूत को चोदने लगा। भाभी का मज़ा दोगुना हो गया।
वे अपने चूतड़ों को ज़ोर-ज़ोर से उठाती हुए बोलीं-और ज़ोर से लाला.. और ज़ोर से.. हय मेरे प्यारे देवर.. आज मैं तेरी माशूका हो गई… जिंदगी भर के लिए चुदवाऊँगी तुझसे… आह.. उईईइ माँआ..!’
भाभी अब झड़ने वाली थीं.. वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाते हुए अपनी चूत मेरे पूरे चेहरे पर रगड़ रही थीं। मैं भी पूरी तेज़ी से जीभ लपलप करते हुए भाभी की चूत पूरी तरह से चाट रहा था। अपनी जीभ भाभी की चूत में पूरी तरह अन्दर डाल कर मैं हिलने लगा… जब मेरी जीभ भाभी की भगनासा से टकराई तो भाभी की सब्र का बाँध टूट गया और मेरे चेहरे को अपनी जांघों में जकड़ कर भाभी ने चूत मेरे मुँह से चिपका दी।
अब भाभी का पानी बहने लगा और मैं भाभी की चूत के दोनों होंठों को अपने मुँह में दबा कर जवानी का नमकीन अमृत पीने लगा। मेरा लंड फिर से लोहे की रॉड की तरह सख़्त हो गया था। मैं उठ कर खड़ा हो गया और अपने लंड को हाथ से सहलाते हुए भाभी को पलंग पर सीधा लिटा कर उनके ऊपर चढ़ने लगा।
भाभी ने मुझे रोकते हुए कहा- ऐसे नहीं मेरे सैयाँ.. चूत का मज़ा तुम कल ले चुके हो.. आज मैं तुम्हें दूसरे छेद का मज़ा दूँगी..
मेरी समझ में कुछ नहीं आया…
भाभी बोलीं- राजा आज तुम अपने शाही लौड़े को मेरी गाण्ड में डालो।
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वे उठ कर बैठ गईं और मेरे हाथ हटा कर दोनों हाथों से मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाते हुए अपनी दोनों चूचियों के बीच दबा-दबा कर लंड के सुपारे को चूमने लगीं। भाभी की चूचियों की गर्माहट पाकर मेरा लौड़ा और भी जोश में जकड़ गया। मैं हैरान था… इतनी छोटी सी गाण्ड के छेद में मेरा लंड कैसे जाएगा।
मैं बोला- भाभी गाण्ड में कैसे?
भाभी बोलीं- हाँ.. मेरे राजा.. गाण्ड में ही.. पर देवर राजा.. पीछे से चोदना इतना आसन नहीं है.. तुम्हें पूरा ज़ोर लगाना होगा।
इतना कह कर भाभी ने ढेर सारा थूक मेरे लंड पर लपेट दिया और पूरे लंड की मालिश करने लगीं।
‘पर भाभी गाण्ड में लंड घुसड़ने के लिए ज्यादा ज़ोर क्यों लगाना पड़ेगा?’
‘वो इसलिए राजा.. कि जब औरत गर्म होती है.. तो उसकी चूत पानी छोड़ती है.. जिससे लौड़ा आने-जाने में आसानी होती है… पर गाण्ड तो पानी नहीं छोड़ती.. इसीलिए घर्षण ज्यादा होता है और लंड को ज्यादा ताक़त लगानी पड़ती है.. गाण्ड मारने वाले को भी बहुत तकलीफ़ होती है… पर राजा इसमें मरवाने वाले को भी और मारने वाले को भी मज़ा बहुत आता है… इसीलिए गाण्ड मारने के पहले पूरी तैयारी करनी पड़ती है।’
‘क्या तैयारी करनी पड़ती है?’
भाभी मुस्कुरा कर पलंग से उतरीं और अपने चूतड़ों को लहराते हुए ड्रेसिंग टेबल से वैसलीन की शीशी उठा लाईं। ढक्कन खोल कर ढेर सारा वैसलीन अपने हाथों में ले ली और मेरे लौड़े की मालिश करने लगीं। अब मेरा लौड़ा रोशनी में चमकने लगा।
फिर मुझे डिब्बी दे दी और बोलीं- अब मैं झुकती हूँ और तुम मेरी गाण्ड में ठीक से वैसलीन लगा दो।
भाभी पलंग पर पेट के बल लेट गईं और अपने घुटनों के बल उठ कर अपने चूतड़ों को हवा में उठा दिया। देखने लायक नज़ारा था… भाभी के गोल-मटोल गोरे-गोरे चूतड़ मेरी आँखों के सामने लहरा रहे थे। मुझसे रहा नहीं गया और झुक कर चूतड़ों को मुँह में भर कर कस कर काट लिया। भाभी की चीख निकल गई… फिर मैंने ढेर सारी वैसलीन लेकर भाभी के चूतड़ों की दरार में लगा दी।
भाभी बोलीं- अरे मेरे भोले सैयाँ.. ऊपर से लगाने से कुछ नहीं होगा… ऊँगली से लेकर अन्दर भी लगाओ और अपनी ऊँगली पेल-पेल कर पहले छेद को ढीला करो।’
मैंने अपनी बीच वाली ऊँगली पर वैसलीन लगा कर भाभी की गाण्ड में घुसड़ने की कोशिश की… पहली बार में जब नहीं घुसी तो दूसरे हाथ से छेद फैला कर दोबारा कोशिश की.. तो मेरी ऊँगली थोड़ी सी ऊँगली घुस गई। मैंने थोड़ा बाहर निकाल कर फिर झटका दे कर डाली तो ‘घपाक’ से पूरे ऊँगली अन्दर धँस गई। भाभी ने एकदम से अपने चूतड़ों को सिकोड़ लिया जिससे कि ऊँगली फिर बाहर निकल आई।
भाभी बोलीं- शाबास.. अब इसी तरह कुछ देर तक ऊँगली अन्दर-बाहर करते रहो।
मैं भाभी के कहे मुताबिक ऊँगली जड़ तक अन्दर-बाहर करने लगा। मुझे इसमें बड़ा मज़ा आ रहा था। भाभी भी कमर हिला-हिला कर मज़ा ले रही थीं।
कुछ देर यूँ ही मज़ा लेने के बाद भाभी बोलीं- चलो राजा आ जाओ मोर्चे पर.. और मारो गाण्ड अपनी भाभी की…
मैं उठ कर घुटने का बल बैठ गया और लंड को पकड़ कर भाभी की गाण्ड के छेद पर रख दिया। भाभी ने थोड़ा पीछे होकर लंड को निशाने पर लिया.. फिर मैंने भाभी के चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ कर धक्का लगाया। भाभी की गाण्ड का छेद बहुत टाइट था।
मैं बोला- भाभी नहीं घुस रहा है।
भाभी ने तब अपने दोनों हाथों से अपने चूतड़ों को खींच कर गाण्ड की छेद को चौड़ा किया और दोबारा ज़ोर लगाने को कहा। इस बार मैंने थोड़ा और ज़ोर लगाया और मेरा सुपारा भाभी की गाण्ड के छेद में चला गया। भाभी की कसी गाण्ड ने मेरे सुपारे को जकड़ लिया.. मुझे बड़ा मज़ा आया। मैंने दोबारा धक्का दिया और भाभी की गाण्ड को चीरता हुआ मेरा आधा लंड भाभी की गाण्ड में दाखिल हो गया।
भाभी ज़ोर से चीख उठीं, ‘ऊ माँ.. दुख़ता है.. मेरे राजा…’
पर मैंने भाभी की चीख पर कोई ध्यान नहीं दिया और लंड थोड़ा पीछे खींच कर जोरदार शॉट लगाया। मेरा 9′ का लौड़ा भाभी की गाण्ड को चीरता हुआ पूरा का पूरा अन्दर दाखिल हो गया। भाभी फिर चीख उठीं। वो बार-बार अपनी कमर को हिला-हिला कर मेरे लंड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थीं।
मैंने आगे को झुक कर भाभी की लटकती चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें सहलाने लगा। मेरा लंड अभी भी पूरा का पूरा भाभी की गाण्ड के अन्दर था। कुछ देर बाद भाभी की गाण्ड में लंड डाले हुए उनकी चूचियों को सहलाता रहा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
जब भाभी कुछ सामान्य हुईं तो अपने चूतड़ों को हिला कर बोलीं- चलो राजा अब ठीक है…
भाभी का सिग्नल पाकर मैंने दोबारा सीधे होकर भाभी के चूतड़ों को पकड़ कर धीरे-धीरे कमर हिला कर लंड अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। भाभी की गाण्ड बहुत ही टाइट थी… इससे चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा था। अब भाभी भी अपना दर्द भूल कर सिसकारी भरते हुए मज़ा लेने लगीं।
उन्होंने अपनी एक ऊँगली अपनी चूत में डाल कर कमर हिलाना शुरू कर दिया। भाभी की मस्ती देख कर मैं भी जोश में आ गया और धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। मेरा लंड अब पूरे तेज़ी से भाभी की गाण्ड में अन्दर-बाहर हो रहा था। भाभी भी पूरी तेज़ी से कमर आगे-पीछे करके मेरे लंड का मज़ा ले रही थीं।
लंड ऐसे अन्दर-बाहर हो रहा था मानो इंजिन का पिस्टन… पूरे कमरे में चुदाई का ‘ठप-ठप’ की आवाज़ गूँज रही थी। जब भाभी के थिरकते हुए चूतड़ों से मेरी जांघें टकराती थीं तो लगता कोई तबलची तबले पर ठाप दे रहा हो। भाभी पूरे जोश में पूरी तेज़ी से चूत में ऊँगली अन्दर-बाहर करती हुई सिसकारी भर रही थीं। हम दोनों ही पसीने-पसीने हो गए थे.. पर कोई भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था।
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भाभी मुझे बार बार ललकार रही थीं, ‘चोद लो मेरे राजा चोद लो अपनी भाभी की गाण्ड… आज फाड़ डालो इसे… शाबाश मेरे शेर और ज़ोर से राज्ज्जा और ज़ोर से… फाड़ डाली तुमने मेरी तो…’
मैं भी ‘हुमच-हुमच’ कर शॉट लगा रहा था… पूरा का पूरा लंड बाहर खींच कर झटके से अन्दर डालता तो भाभी की चीख निकल जाती। मेरा लावा अब निकलने ही वाला था। उधर भाभी भी अपनी मंज़िल के पास थीं। तभी मैंने एक झटके से लंड निकाला और भाभी की चूत में जड़ तक ठूँस दिया। भाभी इसके लिए तैयार नहीं थीं.. इसलिए उनकी ऊँगली भी चूत में ही फंसी रह गई थी.. जिससे उनकी चूत बहुत ही टाइट लग रही थी।
मैं भाभी के बदन को पूरी तरह अपनी बाँहों में समेट कर दनादन शॉट लगाने लगा। भाभी भी अब सम्हल कर ज़ोर-ज़ोर से ‘आह उहह’ करती हुई चूतड़ों को आगे-पीछे करके अपनी चूत में मेरा लंड लेने लगीं। हम दोनों की सांस फूल रही थी… आखिर मेरा ज्वालामुखी फूट पड़ा और मैं भाभी की पीठ से चिपक कर भाभी की चूत में झड़ गया। भाभी की भी चूत झड़ने को थी और भाभी भी चीखती हुई झड़ गईं। हम दोनों उसी तरह से चिपके हुए पलंग पर लेट गए और थकान की वजह से पा ही चला कि कब सो गए।
Arhaan says
Koi bhabi ko cudai karvani ho my watsapp no 91493 75261 please coll me