Desi Fresh Pussy
अगस्त में गुडगाँव से एक लड़की का फोन आया. उसने कहा – सर,मेरा नाम श्रावस्ती है. आपकी कहानी पढ़ी, अच्छी लगी. आपसे मिलना है. Desi Fresh Pussy
मैं – आप होटल में मिलेंगी या घर में?
वो – ओयो होटल. दिल्ली में कोई देख लेंगे.
मैं – होटल का खर्चा आपका रहेगा.
वो – इट्स ओके. आप होटल बुक करवा दें. मैं वहीँ पैमेंट कर दूंगी.
मैं उससे मिलने चला गया. लड़की को देखा तो लड़की थी मुश्किल से 28 साल की. उसकी थोड़े दिन पहले ही शादी हुई थी. श्रावस्ती बहुत सुंदर थी. उसके हिप्स 36-28-36 साइज के थे. कद 5′.5 फुट. मतलब लड़की काफी लंबी थी. और देखने में बेहद, बहुत सुंदर थी. लंबी होने से उसके बूब्स और उसके पीछे निकली हुई गांड बहुत उभर कर दिख रही थी. उसकी गांड बिल्कुल तराशी हुई थी. जिसको देखकर किसी भी मर्द की लार टपकनी शुरू हो जाए और दोस्तों मैं तो गांड का रसिया ठहरा.
श्रावस्ती – मेरे पति अक्सर बाहर रहते हैं. मेरी सैक्स लाइफ अच्छी है. मेरे पति से मैं खुश हूँ.
मैं – वैरी गुड.
वो – मेरे पास बहुत टाइम होता है. बेबी अभी है नहीं.मेरा टाइम नहीं कटता. तो सोचा क्यों ना एक बार बाहर का लुत्फ़ लिया जाए!
दोस्तों मैं तो ऐसे ही मौके की तलाश में रहता हूं. श्रावस्ती की बात सुनकर मैं बहुत खुश हुआ.
मैंने कहा – हां कोई बात नहीं. यह समस्या काफी लेडीज को है. काफी लेडीज हैं,जो मुझे ऐसे बुलाती रहती हैं.
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होटल के रूम में पहुंचते ही हमने दोनों नहाकर फ्रेश हो गए. हमारी हलकी फुलकी बाते चल ही रही थी. धीरे धीरे मैंने श्रावस्ती का हाथ पकड़ा और उसे किस करना शुरु कर दिया. वो भी किसिंग में मेरा साथ देने लगी. इस बीच मैंने उसे फटाफट नंगी कर दिया.
इतनी सुंदर श्रावस्ती थी कि मुझे कंट्रोल ही नहीं हो रहा था और वैसे भी मुझे चूत मारे 15 दिन से ऊपर हो गए थे. उसकी ब्रा और पैंटी कहीं दूर जाकर गिरी. अब श्रावस्ती आदमजात बिल्कुल नंगी थी. उसकी ऊपर बड़े बड़े बूब्स चमक रहे थे. पतली जानलेवा कमर.
बलखाती कमरिया के नीचे उसकी 38 साइज की गांड थी. उसकी जाँघे दूध से भी ज्यादा गोरी थी और गजब ढा रही थी. और गोरी केले के तने वाली जांघों के बीच में त्रिभुज थी. जिसमे स्वर्ग प्राप्ति का खजाना छिपा हुआ था,जिसको उसने लगता है एक-दो दिन पहले ही साफ किया था. खजाना और उसका द्वार बिल्कुल चिकना था.
खुद के नंगी होने पर उसने कहा – यह तो बड़ी गलत बात है.
मैं – अरे क्या?
वो – आपने मुझे तो नागा बाबा जी बना दिया और खुद आप बाबूजी बने खड़े हो.
यह बात सुनकर हम दोनों ज़ोर से हँसे. मतलब श्रावस्ती काफी मजाकिया नेचर की प्रतीत हो रही थी.
मैं – हाँ यह तो नाइंसाफी है. तुम मुझे नंगा करो. मैंने तुम्हें किया,तुम मुझे करो.
श्रावस्ती तो इसी फिराक में थी. उसने तुरंत मेरी शर्ट निकाल कर मेरा अंडरवियर निकाल दिया. मेरा अंडरवियर निकलते ही मेरा 8 इंच का लण्ड कोबरा की तरह फुफकारता हुआ बिल से बाहर आ गया. लगता थी श्रावस्ती की चूत को डसे बिना नहीं मानेगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
श्रावस्ती देखकर बोली – ग्रेट आज तो लगता है बहुत मजा आएगा.
मैं जानबूझकर बोला – वो कैसे?
वो – तुम अपनी स्टोरीज में बताते हो कि तुम कई जगह जाते हो और लेडीज की अच्छी तरह फाड़ कर आते हो.
मैंने कहा – हाँ, क्योंकि चूत को जितना पीटो वो उतना मज़ा देती है.
वो – बड़ी रिसर्च की हुई है तूने तो!
दोनों फिर हँस पड़े.
मैं – जब आज तेरी फटेगी तब बताना. वैसे मेरे पास चूत फाड़ने का एक किस्सा और तैयार होने वाला है.
वो – देखते हैँ तुम कितनी फाड़ पाते हो.
सेक्सी बाते कर करके हम दोनों में आग बुरी तरह लग चुकी थी. मैंने उसके होंठ अपने कब्जे में ले लिए और उनको बुरी तरह निचोड़ दिया. उसके बाद मैंने उसके बूब्स को पकड़ा और उनको अच्छी तरह कब्जे में किया और बुरी तरह चूस डाला.
बूब्स के बाद में उसके नीचे आया और उसकी जांघों को किस करने लगा. गोरी गोरी जांघों के साथ-साथ मैंने उसकी चूत पर भी हमला कर दिया. चूत पर किस करते ही वह कूद कर पड़ी. मैंने जीभ नुकीली करके उसकी छोटी सी चूत में घुसा दी. वो पागल होकर अपनी गांड को ऊपर नीचे पटकने लगी.
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वो बोली -हाय हाय हाय हाय क्या कर रहे हो!आज मेरी जान लेकर मानोगे क्या?
मैं – मैडम! इतिहास गवाह है की चूत चाटने से आज तक चूत की जान नहीं गई.
श्रावस्ती नशीले स्वर में – मेरी तो तू जान लेकर ही मानेगा! हाय हाय इतना मज़ा कभी नहीं आया, क्या चूत चूसी है तूने!
भाइयों और चूतो, मुझे चूत चाटने का बहुत शौक है. मैंने चूत चाट चाट कर उसका पानी निकाल दिया और उसकी मलाई उसकी छोटे से छेद के बाहर आकर चमकने लगी.
वो बोली – मेरा कई बार हो चुका है. इतनी तस्सली आज तक नहीं हुई.
मैं – जानेमन असली काम तो बाकी है.
वो थोड़ा शरमा गयी. मैंने एक कपड़ा लिया और उसकी मलाई को साफ कर दिया. चूत को भी अंदर से पोंछ दिया. बाथरूम गया और अपना मुंह धो कर आया जो उसके चूत के पानी से भरा हुआ था. अब असली चुदाई का दौर शुरू होने वाला था. मैंने श्रावस्ती को बेड पर पटका. उसके ऊपर खुद चढ़ गया.
इस बीच मैंने दानेदार कंडोम लण्ड को पहना दिया. ऊपर चढ़कर उसके होंठ अपने कब्ज़े में लिए. उसकी गोरी चिट्टी टाँगे पकड़कर ऊपर हवा में उठा दी. और अपने हाथों को उसकी गद्दे दार गांड के नीचे ले गया. अब उसकी चूत बिलकुल मेरे लण्ड के सामने थी. और अब वो एक इंच भी हिल दुल नहीं सकती थी.
मैंने उसकी चूत की म्यान पर अपने लण्ड को 4-5 बार स्वाइप किया. और अभी वह इस लण्ड को महसूस ही कर रही थी कि मैंने अचानक से बिना बताये अपना घोड़ा उसके छोटे से सूराख में घुसा दिया. वो लण्ड घिसाई के आनंद में डूब रही थी. अचानक हुए इस हमले से वो भोचक्की रहा गयी.
वह एकदम से कूद कर पड़ी क्योंकि लण्ड का हमला बिना किसी पूर्वसूचना के हुआ था. लण्ड आधा के करीब उसके छेद में था. मोटा लण्ड था और वह भी शायद बहुत दिन के बाद लण्ड ले रही थी क्योंकि बता रही थी कि उसके पति बाहर रहते हैं. मेरा लण्ड तो अच्छी चुदी औरतों का भी बैंड बज़ा देता है.
श्रावस्ती की चूत तो लगभग नयी नवेली थी. और ऊपर से कोई बच्चा भी नहीं निकला था. मैंने अपना बचा हुआ आधा लण्ड भी बड़ी मुश्किल से उसकी गरमगरम भट्टी के छेद में किसी तरह करके घुसा ही दिया. वो पड़ी पड़ी सिसकती रही और मैं उसकी चूत की गहराई नापता रहा.
इसी तरह हमारी चुदाई का स्वर्गीय दौरान 2 घंटे चलता रहा.लण्ड और चूत की लड़ाई कम से कम 2 घंटे चलती रही. इस बीच में कम से कम चार-पांच बार झड़ चुकी थी. बार-बार झड़ने ही वह अपनी उंगलियां मेरी पीठ पर गड़ा लेती थी जिससे मेरी पीठ पर बाद में मैंने देखा कि निशान भी पड़ गए थे.
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चूत को लण्ड बुरी तरह पीटे जा रहा था. पूरे रूम में चुदाई की आवाज ही गूंज रही थी. चूत की गहराई में ठोंकर मारते मारते अचानक मेरे शरीर में विस्फोट हुआ और मेरे लण्ड ने लावा उगलना शुरू कर दिया. सारा लावा कंडोम में ही चला गया. मैं श्रावस्ती के ऊपर कटी हुई टहनी की तरह पड़ गया.
हम दोनों की साँसे ऐसी हो गयी थी कि. जैसे हम कई मील दौड़ कर आए हो. मैं धीरे धीरे करके उसके सेक्सी बदन को दबाता रहा. सैक्स करने के बाद 10 मिनट औरत के साथ जरूर यह करना चाहिए. आप देखना औरत आपकी कितनी बड़ी फैन बन जाएगी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
श्रावस्ती – रितेश. मैं अपने पति से चुद कर बहुत खुश थी. लेकिन आज पता चला कि सैक्स में मज़े की कोई लिमिट नहीं है. बहुत मज़ा आया.
मैं – श्रावस्ती, मुझे भी बहुत मज़ा आया.
वो -तुम्हे सबसे अच्छा क्या लगा?
मैं – तुम्हारा खुशनुमा बिहेवियर. तुम्हारा मज़ाक़ करने का अंदाज़.
श्रावस्ती इठलाकर बोली – बस? और कुछ नहीं पसंद आया साहेब को?
हम फिर हँस पड़े.
मैं – बता दूँ?
वो – बता दो ना.
मैं – तो सुनो. मुझे तुम्हारी चूत बहुत अच्छी लगी!
श्रावस्ती एकदम से सकपका सी गयी. और मेरी नंगी छाती पर मुक्के बरसाने शुरू कर दिए.
मैं – अर्रे और तो सुनो.
वो – नहीं सुनना. तुम गन्दा बोलते हो.
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मैं – सुनो तो. तुम्हारा शरीर बहुत मस्त है. तुम्हारी नयी नयी शादी हुई है. बच्चा है नहीं. ज्यादा तुम चुदी नहीं हो. इसलिए मुझे सब बहुत अच्छा लगा.
मैं – एक बात पूछू?
वो – बोलो.
मैं – फिर कब मिलोगी?
वो – जल्दी ही.
हम दोनों बहुत खुश थे. दोनों ने एक दूसरे का थैंक्स कहा मैंने उसे कहा – दोबारा जरूर मिलना.
वह बोली – जरूर. व्हाई नोट?
फिर वह चली गई और मैं घर लौट आया.
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