Nude Sister Spying
मेरा नाम रणधीर है, मैं दिल्ली में रहता हूँ, मेरी आयु 35 वर्ष है, मैं सेहत में ठीक हूँ और स्मार्ट भी हूँ ! मैं आप सभी को अपने चाचा की लड़की की चुदाई और सील तोड़ने की एकदम सही अनुभव बता रहा हूँ। मेरे एक चाचा मेरे साथ ही रहते हैं, उनकी एक लड़की है, उसका नाम अंजू है, मेरी चाची की मृत्यु हो चुकी है। Nude Sister Spying
मेरी बहन 18 वर्ष की है परन्तु उसका बदन काफी भरा हुआ है और वह जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी है, हालांकि मेरी शादी हो गई है, पर उसको देख कर दिल में कुछ होने लगता था, जब मैं उसको खेलते हुए देखता, खेलने के दौरान उसके उभरते हुए दूध देखता तो मेरे दिल में सनसनी फ़ैल जाती थी.
दौड़ने के दौरान जब गोल गोल चुनमूनियाँड़ ऊपर-नीचे होते तो मेरा लण्ड पैंट के अन्दर मचल उठता था और उसके साथ खेलने (सेक्स का खेल) के लिए परेशान करने लगता था। क्या कमसिन खिलती हुई जवानी है इसकी ! मुझे अपनी पाँच वर्ष पुरानी बीवी तो बूढ़ी लगने लगती थी।
मैं तो जब भी अपनी बीवी को चोदता तो मुझे अपनी बहन का ही चेहरा नजर आने लगता था। हालांकि मेरी बहन मुझसे करीब सतरह वर्ष छोटी है, परन्तु मैं अपनी सेक्स भावनाओं पर काबू पाने में असमर्थ था। चूंकि हम लोगों का सम्मिलित परिवार है इसलिए सब एक दूसरे के यहाँ आते जाते थे और एक ही घर में रहने के कारण कभी कभार कुछ ऐसा दिख जाता था कि…
एक दिन मुझे अपनी बहन को नहाते हुए देखने का मौका मिल गया। हुआ यूँ कि मैं किसी काम से अपने चाचा के घर में गया, मैंने चाचा को आवाज़ दी पर कोई उत्तर न मिलने के कारण मैं अन्दर चलता चला गया, मुझे कोई दिखाई नहीं दिया। तभी मुझे स्नानघर से पानी गिरने की आवाज़ आई।
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मैंने फिर से चाचा को आवाज़ दी तो स्नानघर से अंजू की आवाज़ आई- भैया, पापा तो ऑफिस चले गए हैं।
मैंने कहा- अच्छा !
और वापस आने के लिए मुड़ गया किन्तु तभी मेरे मन में बसी वासना ने जोर मारा, मैंने सोचा कि अंजू कैसे नहा रही है, आज देख सकता हूँ क्योंकि चाचा के यहाँ कोई नहीं था और मौका भी अच्छा है। मैंने स्नानघर की तरफ रुख किया और कोई सुराख ढूढने की कोशिश करने लगा.
जल्दी ही मुझे सफलता मिल गई, मुझे दरवाजे में एक छेद नजर आ गया मैंने अपनी आँख वहाँ जमा दी। अन्दर का नजारा देख कर मेरा रोम रोम खड़ा हो गया, अन्दर अंजू पूरी नंगी होकर फव्वारे का आनंद ले रही थी।
हे भगवान ! क्या फिगर है इसका ! बिल्कुल मखमली बदन, काले तथा लम्बे बाल, उभरती हुई चूचियाँ, बड़ी बड़ी आँखें, बिल्कुल गुलाबी होंठ और उसकी चुनमूनियाँ तो उफ़…. उभरी हुए फांकें और उसके आसपास हल्के हलके रोयें ! उसकी गाण्ड एकदम गोल और सुडौल ! भरी हुई जांघें !
इतना दखने के बाद मेरा तो बुरा हाल हो गया था, जब फव्वारे से उसके शरीर पर पानी गिर रहा था तो मोतियों की बूंदें ऐसे लग रही थी, मेरा तो हाल बुरा हो गया, मैंने बहुत कुंवारी लड़कियों को चोदा था पर इतनी मस्त लौंडिया मैंने कभी नहीं देखी थी।
तभी मैंने देखा कि अंजू अपनी चुनमूनियाँ और चूचियों में साबुन लगा रही है, इस दौरान वो अपनी चुनमूनियाँ में अपनी ऊँगली डालने की कोशिश कर रही थी। मेरा लण्ड तो कठोर होकर पैंट के अन्दर छटपटा रहा था, मन में भी यही आ रहा था कि कैसे भी हो अंजू को अभी जाकर चोद दूँ। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
क्योंकि आज के पहले जब मैं उसको कपड़ो में देख कर चोदने के सपने देखता था और आज नंगी देखने के बाद तो काबू कर पाना बड़ा मुश्किल हो रहा था। तभी मेरा मोबाइल बज गया, यह तो अच्छा हुआ कि मोबाइल वाईब्रेशन मोड में था और घंटी नहीं बजी। खैर मोबाइल की वजह से मैं धरती पर वापस आ गया और चूंकि यह फ़ोन चाचा का ही था तो मुझे वहाँ से हटना पड़ा।
बाहर आकर मैंने फ़ोन उठाया, तो उधर से चाचा ने पूछा- तुम कहाँ हो?
मैंने कहा- अपने कमरे में हूँ।
तो बोले- रणधीर, एक काम है।
मैंने कहा- बताइये !
तो वे बोले- आज मुझे ऑफिस से आने में देर हो जायेगी और अंजू को आज मैंने वादा किया था कि कुछ कपड़े दिलाने बाज़ार ले जाऊँगा, क्या तुम मेरा यह काम कर सकते हो?
मुझे तो मुँह मांगी मुराद मिल गई थी, मैंने तुरंत कहा- चाचा जी आप परेशान न हों, मैं अंजू को कपड़े दिला दूँगा।
और उधर से उन्होंने थैंक्स कह कर फ़ोन काट दिया। इतने में मुझे बाथरूम का दरवाजा खुलने का अहसास हुआ, मैं तुरंत वहां से हट कर अपने कमरे में आ गया। मेरे दिमाग में योजना बननी शुरू हो गई कि कैसे मौके का फायदा उठाया जाए। फिर मैं थोड़ी देर बाद अंजू के कमरे में गया, वो अपने बाल सुखा रही थी पंखे के सामने बैठ कर। मुझे देखते ही तुरंत खड़ी हो गई।
मैंने कहा- अंजू कैसी हो?
वो बोली- ठीक हूँ भैया।
मैंने कहा- अभी चाचा जी का फ़ोन आया था, कर रहे थे कि आज तुमको शॉपिंग ले जाना था परन्तु आफिस में काम ज्यादा है, उन्हें देर हो जायेगी और तुमको शापिंग मैं करवा लाऊँ। उसने कहा- ठीक है भैया, कितने बजे चलेंगे?
मैंने कहा- तुम तैयार हो जाओ, हम लोग अभी निकलेंगे और दोपहर का खाना भी बाहर खायेंगे क्योंकि मेरी मम्मी बुआ के घर गई हैं और तुम्हारी भाभी (मेरी पत्नी चूंकि टीचर है) तो शाम तक आएँगी, आज मैं शॉपिंग के साथ तुमको पार्टी भी दूँगा। उसके चेहरे पर चमक आ गई। खैर मैंने 11 बजे के करीब उसको अपने स्कूटर पर बैठाया और निकल पड़ा बाजार जाने को !
मैंने स्कूटर एक बड़े मॉल में जाकर रोका, तो अंजू चौंक कर बोली- भैया, यहाँ तो बड़े महंगे कपडे मिलेंगे?
मैंने उससे कहा- तो क्या हुआ, महँगे कपड़े अच्छे भी तो होते हैं ! और फिर तुम इतनी सुन्दर हो, अच्छे कपड़ों में और ज्यादा सुन्दर लगोगी।
तो उसका चेहरा लाल हो गया। मॉल के अन्दर जाकर कपड़े पसन्द करते समय वो मुझसे बार-बार पूछती रही- भैया, यह कैसा लग रहा है? वो कैसा है?
खैर चार जोड़ी कपड़े चुन करके वो ट्राई रूम में गई। ट्राई रूम थोड़ा किनारे बना था और उस समय माल में ज्यादा लोग थे भी नहीं, मैं ट्राईरूम के बाहर ही खड़ा हो गया।
वो पहन कर आती और मुझसे पूछती- यह कैसा लग रहा है? ठीक है या नहीं?
उसने वो चारों जोड़ी कपड़े पसन्द कर लिए।
उसके बाद मैंने पूछा- अंजू, और कुछ लेना है?
तो वो बोली- हाँ, मगर वो मैं अकेले ही ले लूंगी।
मैंने सोचा ऐसा क्या है, खैर मैंने देखा कि वो महिला सेक्शन में जा रही थी। उसने कुछ अंडरगारमेंट लिए और जल्दी से पैक करा लिए जब वो लौट कर मेरे पास आई तो मैंने कहा- मैंने तो देख लिया है। तो वो शर्मा गई।
मैंने उसको छेड़ते हुए कहा- तुम इनका ट्रायल नहीं दिखाओगी क्या?
तो वो और शरमा गई।
मैंने माहौल को सामान्य करते हुए कहा- मैं तो इसलिए कहा रहा था कि तुम्हारी भाभी को तो यह सब मैं ही ला कर देता हूँ, अगर तुम इसके लिए भी मुझसे कहती तो मैं तुमको अच्छी चीज दिला देता।
बात उसकी समझ में आ गई, वो बोली- भैया गलती हो गई।
मैंने कहा- चलो अभी चलते हैं।
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मैं उसको महिला विभाग में ले गया और सेल्स गर्ल से विदेशी अंतर्वस्त्र दिखाने को कहा। चूंकि अंजू थोड़ी देर पहले ही उससे कुछ अंतर्वस्त्र लाई थी, अतः उसने उसी नाप के अंतर्वस्त्र दिखाने लगी। उन अंतर्वस्त्रों को देख कर अंजू के अन्दर की ख़ुशी मैंने उसके चेहरे से पढ़ ली, मैंने कहा- चलो जाओ और ट्राई करलो !
तो वो चेहरा घुमा कर हंसने लगी।
उसके बाद मैंने उसको मुख-शृंगार का सामान भी दिलवाया अपनी पसंद से !
हालांकि वो मना कर रही थी पर मैंने कहा- यह मेरी तरफ से है।
यह सब खरीदने के बाद हम लोग वहीं एक रेस्तरां में गए। मुझे पता था कि इस समय रेस्तरां में ज्यादातर प्रेमी प्रेमिका ही आकर बैठते थे। मैंने एक किनारे की सीट चुनी और हम दोनों उसी पर जाकर बैठ गए।
मैंने उससे पूछा- तुम क्या खाओगी?
तो वो बोली- जो आप मंगा लेंगें वही मैं भी खा लूंगी।
मैंने उसको छेड़ते हुए कहा- अंतर्वस्त्र लेते समय तो यह ख्याल नहीं किया? और फिर मेरे कहने पर ट्राई भी नहीं किया?
तो वो शरमा गई और बोली- क्या भाभी आपकी पसंद से लेती हैं? और वो यहाँ पर ट्राई करके दिखाती हैं?
तो मैंने कहा- हाँ ! पसंद तो मेरी ही होती है पर ट्राई करके वो घर पर दिखाती है। क्या तुम मुझे घर पर दिखाओगी?
उसको कोई जवाब नहीं सूझा तो वो मेरा चेहरा देखते हुए बोली- हाँ दिखा दूँगी।
मेरा दिल जोर से धड़कने लगा। तभी वेटर आ गया और खाने का आर्डर ले गया। खाना ख़त्म कर हम लोग करीब दो बजे घर आ गए, अंजू बहुत खुश लग रही थी क्योंकि उसको मेरे साथ शॉपिंग में कुछ ज्यादा ही अच्छा लगा। शाम को उसने अपनी शॉपिंग का सामान मेरी माँ और बीवी को भी दिखाया पर अंतर्वस्त्र और शृंगार का सामान नहीं दिखाया।
दूसरे दिन सुबह मेरी माता जी को कुछ काम से बाजार जाना था, मेरी बीवी स्कूल चली गई थी, मैं कल वाले समय पर ही चाचा जी के कमरे की तरफ चला गया और मैंने आज पहले ही निश्चय कर लिया था कि आज अपनी प्यारी सेक्सी बहना की कुँवारी चुनमूनियाँ की सील तोड़नी हैं। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
इसलिए मैं केवल एक तौलिया बांधे था, मेरा अनुमान सही था, चाचा जी ऑफिस जा चुके थे और अंजू बाथरूम में नहा रही थी। मैंने फिर से कल वाली पोजिशन ले ली, मैंने देखा कि आज अंजू की चुनमूनियाँ बिल्कुल चिकनी है, शायद उसने अपनी झांटें साफ़ की हैं नहाने से पहले।
आज वो अपनी चुनमूनियाँ पर हाथ ज्यादा चला रही थी, उसकी चूचियाँ कड़ी कड़ी लग रहीं थी और आँखें बंद थी। मेरा लण्ड अंजू की चुनमूनियाँ में घुसने के लिए मचला जा रहा था। कुछ सोच कर मैं वहाँ से हट कर अंजू के कमरे में चला गया और ऐसी जगह बैठ गया कि वो मुझे कमरे में घुसते ही न देख पाए।
अंजू थोड़ी देर बाद कमरे में आई, वो अपने बदन को केवल एक तौलिये से ढके थी, कमरे में आते ही वो अपने ड्रेसिंग टेबल की तरफ गई और तौलिया हटा दिया। उफ़ क्या मस्त लग रही थी मेरी बहना ! उसके शरीर पर यहाँ वहाँ पानी की बूंदें मोती की तरह लग रही थी, चुनमूनियाँ एकदम गुलाबी, चूचियाँ बिल्कुल कड़ी, उन्नत गाण्ड देख कर मेरी तो हालत ख़राब हो गई।
उसने कल वाले अंतर्वस्त्र उठा लिए, उनमे से एक को चुना और पैंटी को पहले पहनने लगी। किन्तु उसको शायद वो कुछ तंग लगी, फिर उसने दूसरी पैंटी ट्राई किया मगर वही रिजल्ट रहा, अब उसने पैंटी छोड़ कर ब्रा उठाई लेकिन ब्रा में भी वही हुआ, उसकी चूचियाँ कुछ बड़ी लग रही थी, ब्रा भी फिट नहीं थी।
अब मुझसे बर्दाश्त भी नहीं हो रहा था, मैंने अपनी जगह से खड़ा हो गया। मुझे देख कर उसकी आँखें फट गई, वो इतना घबरा गई कि अपनी चुनमूनियाँ या अपनी चूची छिपाने का भी ख्याल नहीं आ पाया उसको! बस फटी हुई आँखें और मुँह खुला रहा गया।
मैं धीरे से चल कर उसके पास गया और कहा- कल अगर मेरी बात मान लेती और ट्राई कर लेती तो तुमको आज यह परेशानी नहीं होती।
अब उसको कुछ समझ आया तो जल्दी से तौलिया उठाया और लपेटने के बाद मेरी तरफ पीठ करके पूछा- भैया, आप कब आये?
मैंने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा- मेरी सेक्सी बहना ! मैं तो तब से यहाँ हूँ जब तुम चाचा जी के रेजर से अपनी झांटें साफ़ कर रही थी।
मैंने ऐसे ही तुक्का मारा। अब तो तौलिया उसके हाथ से छूटते बचा। वो मेरी तरफ बड़े विस्मय से देखने लगी और मेरे चहरे पर मुस्कराहट थी क्योंकि मेरा तीर निशाने पर लग गया था। मैंने उसके कंधे को सहलाते हुए कहा- तुमने कुछ गलत थोड़े ही किया है जो डर रही हो? इतनी सुन्दर चीजों की साफ़ सफाई तो बहुत जरूरी होती है। अब तुम्हीं बताओ कि ताजमहल के आसपास अगर झाड़-झंखार होगा तो उसकी शान कम हो जायेगी न मेरी प्यारी बहना?
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अब पहली बार वो मुस्कुराई और अपनी चुनमूनियाँ की तारीफ सुन कर उसके गाल लाल हो गए।
अगले पल ही वो बोली- खैर अब आपने ट्रायल तो देख ही लिया, अब आप बाहर जाइए तो मैं कपड़े तो पहन लूँ !
मैंने कहा- प्यारी बहना, अब तो मैंने सब कुछ देख ही लिया है, अब मुझे बाहर क्यूँ भेज रही हो?
वो बोली- भैया, आप भी बहुत शैतान हैं, कृपया आप बाहर जाइए, मुझे बहुत शरम आ रही है।
अचानक मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर डाले और हल्का सा झटका दिया तो वो संभल नहीं पाई और उसकी चूचियाँ मेरे नंगे सीने से आकर टकराईं क्योंकि मैंने भी केवल तौलिया ही पहना हुआ था। मैंने अपने हाथों के घेरे को और कस दिया ताकि वो पीछे न हट सके और तुरंत ही अपने होंठों को उसके गुलाबी गुलाबी होंठों पर रख दिया।
मेरे इस अप्रत्याशित हमले से उसको सँभालने का मौका ही नहीं मिला और मैंने उसको गुलाबी होंठों का रस पीना शुरू कर दिया। वो मेरी पकड़ से छुटने के लिए छटपटाने लगी मगर मुँह बंद होने के कारण कुछ बोल नहीं पा रही थी।
थोड़ी देर उसके कुवांरे होंठों को चूसते हुए मेरे हाथ भी हरकत में आ गए, मैंने अपना एक हाथ तौलिये के नीचे से उसकी सुडौल गाण्ड पर फेरना शुरू किया और फेरते फेरते तौलिये को खीँच कर अलग कर दिया। अब एक 18 वर्ष की मस्त और बहुत ही खूबसूरत लौंडिया बिल्कुल नंगी मेरी दोनों बाँहों के घेरे में थी.
और मैं उसके कुँवारे होंठों को बुरी तरह से चूस रहा था, अब मेरा हाथ उसके गाण्ड के उभार से नीचे की तरफ खिसकने लगा, उसकी छटपटाहट और बढ़ रही थी, मेरा हाथ अब उसकी गाण्ड के छेद पर था, उंगली से मैंने उसकी मस्त गाण्ड के फूल को सहलाया, तो वो एकदम चिहुंक गई।
फिर मेरी उंगलियाँ गाण्ड के छेद से फिसलती हुई उसकी कुँवारी चुनमूनियाँ तक पहुँच गई। मैं उसकी कुँवारी चुनमूनियाँ के ऊपर अपनी पूरी हथेली से सहलाने लगा, मेरा तना हुआ सात इंच का लण्ड तौलिये के अन्दर से उसके नाभि में चुभ रहा था क्योंकि उसकी लम्बाई में मुझसे थोड़ी कम थी।
उसकी आँखों से गंगा-जमुना की धार निकल पड़ी क्योंकि उसको शायद मेरे इरादे समझ आ गए थे और वो यह भी समझ गई थी कि अब पकड़ से छूटना आसान नहीं, शोर भी नहीं मचा सकती थी क्योंकि उसके होंठ मेरे होंठो में अभी तक कैद थे।
इधर मेरी उंगलियाँ अब उसकी कुँवारी चुनमूनियाँ की फांकों को अलग अलग करने लगीं थी, मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चुनमूनियाँ के अंदर घुमा कर जायजा लेना चाहा पर उसकी चुनमूनियाँ इतनी कसी हुई थी कि मेरी उंगली उसके अन्दर जा ही नहीं सकी।
खैर मैंने उसको धीरे धीरे सहलाना चालू रखा, जल्दी ही मुझे लगा कि मेरी उंगली में कुछ गीला और चिपचिपा सा लगा और मेरी प्यारी बहना का शरीर कुछ अकड़ने लगा, मैं समझ गया कि इसकी चुनमूनियाँ को पहली बार किसी मर्द की उंगलियों ने छुआ है जिसे यह बर्दाश्त नहीं कर सकी और इसका योनि-रस निकल आया है.
मैं तुरंत अपनी उँगलियों को अपने मुँह के पास ले गया, क्या खुशबू थी उसकी कुँवारी चुनमूनियाँ की ! मेरा लण्ड अब बहुत जोर से उछल रहा था तौलिये के अन्दर से, मैंने अपने हाथ से अपने तौलिए को अपने शरीर से अलग कर दिया, जैसे ही तौलिया हटा, अंजू को मेरे लण्ड की गर्मी अपने पेट पर महसूस हुई।
शायद उसको कुछ समझ नहीं आया कि यह कौन सी चीज है जो बहुत गर्म है। खैर अब मेरे और मेरी प्यारी और सेक्सी बहना के बदन के बीच से पर्दा हट चुका था, अब हम दोनों के नंगे शरीर एक दूसरे का अहसास कर रहे थे। अंजू की साँसें बहुत तेज चल रही थी।
अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने अंजू के होंठों को आज़ाद कर दिया, किन्तु उसके कुछ बोलने के पहले ही अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख दिया और कहा- देखो अंजू, आज कुछ मत कहो, मैं बहुत दिन से तुम्हारी जवानी कर रस चूसने को बेताब हूँ। और आज मैं तुमको ऐसे नहीं छोडूंगा, शोर मचाने से कोई फायदा हैं नहीं, घर में हमारे सिवा कोई नहीं है, तो बेहतर होगा कि तुम भी सहयोग करो और मजा लूटो।
वो प्रश्नवाचक निगाहों से मुझे देखती रही, मुँह तो बंद हो था कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी। अब मैंने उसके मुँह से हाथ हटा दिया और तुरंत ही उसको गोद में उठा लिया और ले जाकर सीधे बिस्तर पर लिटा दिया।
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अगले ही पल फिर से उसके होंठ का रस पान शुरू कर दिया और हाथ उसकी चूचियों को धीरे धीरे मसलने लगे। हम दोनों की साँसें बहुत गर्म और तेज तेज चल रहीं थी, मेरा लण्ड उसकी कुँवारी चुनमूनियाँ की फांकों के ऊपर था।
पहली बार उसके हाथों ने हरकत की और मेरे लण्ड की अपने हाथ से महसूस करने की कोशिश की, शायद वो जानना चाह रही थी कि यह लोहे जैसा गर्म-गर्म क्या उसकी चुनमूनियाँ से रगड़ रहा था। उसने अपनी उंगलियों से पूरा जायजा लिए मेरे लण्ड का !
मैंने कहा- मेरी जान, मुझे बहुत अच्छा लगा जो तुमने मेरा लण्ड अपने हाथों से छुआ !
लण्ड का नाम सुनते ही उसने अपने हाथों को तुरंत वापस खींच लिया।
मैंने अब अपने होंठ उसकी चूची के ऊपर रख दिए, पहली बार उसके मुँह से सिसकारी निकली जो मुझे बहुत ही अच्छी लगी। खैर मैंने उसकी चूची को पीना शुरू कर दिया, चूसते चूसते दाँत भी लगा देता था। उसके बाद दूसरी चूची में होंठ लगा दिए, अब उसकी साँसें और तेज हो गईं थीं।
मैंने महसूस किया कि मेरा लण्ड जो उसकी चुनमूनियाँ की फांकों के ऊपर था, उसमें कुछ चिपचिपा सा गीलापन लग गया है। मैं समझ गया कि अब मेरी बहना की कुँवारी चुनमूनियाँ लण्ड लेने के लिए तैयार हो गई है। मैंने अपने एक हाथ से अपने लण्ड को अंजू की चुनमूनियाँ पर ठीक से टिकाया.
और उसको चुनमूनियाँ के अन्दर डालने की कोशिश की पर लण्ड उसकी चुनमूनियाँ से फिसल गया। मैंने फिर कोशिश की पर फिर मेरा लण्ड फिसल गया। अब मैंने इधर उधर देखा तो मुझे उसके कल ख़रीदे गई श्रृंगार का सामान दिख गया, उसमें एक वैसलीन की एक शीशी थी, मैं उसके ऊपर से हटा और वैसलीन की शीशी उठा कर तुरंत फ़िर से अपनी उसी अवस्था में आ गया।
मैंने लेटे लेटे ही वैसलीन की शीशी खोली और उसकी उसकी चुनमूनियाँ के उपर खूब सारी वैसलीन लगा दी, फिर मैंने अपने लण्ड के सुपारे को खोला और उसमें भी वैसलीन लगाई। इस सबको मेरी अंजू रानी बड़े गौर से देख रही थी.
शायद उसको कुछ समझ में आ रहा था या फिर उसको अन्दर से कुछ मजा तो जरूर मिल रहा होगा क्योंकि अब उसने किसी तरह का विरोध या भागने की कोशिश नहीं की थी। अब मैंने अपने लण्ड को फिर से उसकी चुनमूनियाँ के फांकों के बीच में रखा और अन्दर धकेलने की कोशिश की.
किन्तु इस बार शायद चिकनाई ज्यादा होने के कारण लण्ड उसकी चुनमूनियाँ से फिर फिसल गया। अंजू ने तो अपने होंठ कस कर भींच लिए थे क्योंकि उसको लगा कि अब तो भैया का मोटा और लम्बा लण्ड उसकी कुँवारी चुनमूनियाँ में घुस ही जाएगा। दोस्तो, तीन प्रयास हो चुके थे, मेरा लण्ड ऐंठन के मारे दर्द होने लगा था.
अबकी मैंने अपने लण्ड को फिर से रखा और अपने दोनों हाथों को अंजू की जांघों के नीचे से निकाल कर उसके कन्धों को पकड़ लिया, इस तरह पकड़ने के कारण अब वो बिल्कुल पैर भी नहीं बंद सकती थी और हिल भी नहीं सकती थी। अब मैंने एक जोर से धक्का मारा, अंजू के हलक से बड़ी तेज चीख निकल पड़ी, मेरे लण्ड का सुपारा उसकी चुनमूनियाँ की फांकों को अलग करता हुआ अन्दर घुस गया था।
वो चिल्लाने लगी- हाय, मैं मर गई ! और आँखों से गंगा-जमुना बहने लगी। वो बड़ी तेजी से अपना सर हिला रही थी, अब मैंने अपने होंठ फिर से उसके होंठों पर कस कर चिपका दिए और एक जोर का धक्का फिर मारा, अबकी मेरा लण्ड उसकी चुनमूनियाँ को और फाड़ता हुआ करीब दो इंच घुस गया.
उसकी चुनमूनियाँ एकदम गरम भट्टी बनी हुई थी, मैं अपने लण्ड के द्वारा उसकी कुँवारी चुनमूनियाँ की गर्मी महसूस कर रहा था। 2-3 सेकेण्ड के बाद फिर से एक धक्का मारा तो अबकी आधे से ज्यादा लण्ड उसकी चुनमूनियाँ में घुस गया।
अब मैं उसी अवस्था में रुक गया और उसके होंठों को कस कर चूसने लगा। उसकी चुनमूनियाँ इतनी कसी हुई थी कि मुझे लगा कि मैं आसानी से अपने लण्ड को उसकी चुनमूनियाँ में अन्दर-बाहर नहीं कर पाऊँगा और उत्तेजना के कारण जल्दी ही झड़ जाऊँगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
इसलिए मैंने जोर से एक धक्का और मारा, अबकी मेरा पूरा लण्ड उसकी चुनमूनियाँ में समां गया, मैंने अपनी जांघ पर कुछ गीला गीला महसूस किया, मुझे समझ आ गया कि इसकी चुनमूनियाँ की झिल्ली फट गई है और खून निकल रहा है। दोस्तों मेरा ख्वाब था कि मैं किसी की सील तोडूं !
पर मुझे अपनी बीवी के साथ भी यह मौका नहीं मिला था, हालांकि मेरी बीवी ने तब मुझे यही बताया था साईकिल चलाते वक्त उसकी चुनमूनियाँ की झिल्ली फट गई थी, तो आज जब मुझे अपनी बहन अंजू की सील टूटने का अनुभव मिला तो मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मैं अपने आप पर काबू नहीं कर पाया और इसी उत्तेजना में मेरा वीर्य निकलने लगा।
मेरा गर्म-गर्म वीर्य मेरी बहन अंजू की चुनमूनियाँ के अन्दर निकल रहा था, वो भी मेरे लण्ड से निकलने वाले गर्म वीर्य को महसूस कर रही थी अपनी दोनों आँखों को बंद करके ! अंजू की चुनमूनियाँ इतनी कसी हुई थी कि वीर्य निकलने के दौरान लण्ड अपने आप झटके मरने लगता है, पर मेरे लण्ड को उसकी चुनमूनियाँ के अन्दर झटके मारने की जगह भी नहीं मिल रही थी।
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खैर मेरा लण्ड वीर्य निकलने के बाद कुछ ढीला हुआ, मैं धीरे से उठा, देखा तो अंजू की चुनमूनियाँ से खून का ज्वालामुखी फट गया था, उसकी जांघ, मेरी जांघ और चादर खून से सनी हुई थी, उसकी चुनमूनियाँ से अब गाढ़ा खून (मेरे वीर्य की वजह से) निकल रहा था। मैंने देखा अंजू बेहोश सी लग रही थी, मैं जल्दी से रसोई में गया और पानी की बोतल लाकर उसके चेहरे पर पानी के छीटें मारे, उसने धीरे से आँखें खोली, मुझे उसकी करराहट साफ़ सुनाई दे रही थी, आँखों से आंसू बंद ही नहीं हो रहे थे।
मैं वहीं पास में ही बैठ गया और उसके बालों को सहलाने लगा। थोड़ी देर बाद वो कुछ सामान्य हुई, तो मैंने उसे कहा- जान, चलो मैं तुम्हारी चुनमूनियाँ को साफ़ कर दूँ, आज मैंने तुम्हारी चुनमूनियाँ का उद्घाटन कर दिया है। उसने थोड़ा उचक कर अपनी चुनमूनियाँ को देखा और बोली- भैया यह क्या कर दिया आपने? मैंने कहा- बेटा परेशान मत हो, पहली बार तो यह होता ही है और अच्छा हुआ कि मैंने कर दिया, अगर कहीं बाहर करवाती तो पता नहीं कितना दर्द होता ! चलो अब उठो भी !
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Wa.me/917707981551?text=Hiii Raman