Kamsin Bur Hot Kahani
मेरा दोस्त विशु अपने ससुराल गया हुआ था। उसकी दोनों सालियों ने उसे बड़े प्यार से बुलाया था। मुझे भी मन नहीं लग रहा था। सो में भी बाहर कहीं धूम आने को सोंच रहा था। सो मैनें आफिस से पंद्रह दिनों की छुट्टी ले ली और विशु की बड़ी बहन सुप्रिया दीदी के घर चला गया। Kamsin Bur Hot Kahani
आज बहुत दिनों बाद सुप्रिया दी के घर आया। सुप्रिया दी तीसरे नम्बर पर थी। उम्र भले ही 36 हो रही थी लेकिन 28-29 से ज्यादा की नहीं लगती थी। अपूर्व सुन्दरता की मालकिन, साईज 34-32-36, नितंब तक लहराते लम्बे बालों को जब लहराकर चलती थी तो ब्रह्मचारी का भी तप भंग हो जाता था।
सुप्रिया दी के दोनों बच्चे हॉस्टल में रहते थे। घर में सुप्रिया दी, जीजाजी और उनकी बहन ज्योति और रेनू रहती थी। ज्योति और रेनू में एक साल का अंतर था। रेनू 22 की थी और शोभा 21 की। ज्योति और रेनू भी दोनो कमसिन कली थी ज्योति गोल मटोल चेहरे और गुलाबी गालों वाली, बिल्कुल जापानी गुड़िया की तरह लगती थी, गोल चेहरा गोल गोल चुचियां, भरी हुई जांघें और बिल्कुल गोल नितंब।
पूरा शरीर लगता था कि रूई से भी ज्यादा सॉफ्ट था। वहीं रेनू छरहरे बदन और तीखे नयन नक्श वाली, पतले गुलाबी होठ और सेच जैसे गुलाबी गाल, सुन्दर चुचियां और नितंब उसकी सुन्दरता को और भी ज्यादा बढ़ा देते थे। वैसे जीजाजी भी कम स्मार्ट नहीं थे। मस्त कसरती इकहरा बदन, चौड़ी छाती और सुन्दर चेहरे वाले हैंडसम युवक थे।
मैं जब सुप्रिया दी के घर पहुँचा तो रात के सात बज गये थे। मैने बेल बजाया तो अंदर से सुप्रिया दी की ही आवाज आई, पूछी कौन? मैने आवाज दी सुप्रिया दी, मैं प्रिंस। वैसे सुप्रिया दी को मालूम था कि में आने वाला हूँ, वे मेरा ही इंतजार कर रही थी क्योंकि मेरी और सुप्रिया दी की आज सुबह ही डेढ़ घंटे बात हुई।
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सुप्रिया दी जानती थी कि जब मन नहीं लगता है तो में सुप्रिया दी या उसके किसी और बहन के घर चला जाता हूँ। लेकिन इस बार सुप्रिया दी के घर जाने की खास वजह थी और वह थी कि परसों सुप्रिया दी का जन्मदिन था। वैसे सुप्रिया दी और जीजाजी ने भी कहा था कि इस बार मेरे यहाँ भी तुम्हें खास सरप्राईज मिलेगा। सो में भी बहुत उत्सुक था।
दरवाजा सुप्रिया दी ने ही खोला। गुलाबी गाउन में बहुत सुन्दर लग रही थी। अधखुले गुलाबी गाउन से झाँकते उसके दोनों उरोज (चुचियां) बहुत ही सुन्दर लग रहे थे। वैसे सुप्रिया दी ही नहीं, जीजाजी, ज्योति और रेनू भी हमसे एकदम खुली हुई थी और हमारे बीच कोई परदा भी नहीं था।
सुप्रिया दी ने मुझे देखा तो पूरा खुश हो गयी। फिर हम सबके लिए कॉफी बनाई और हम बैठकर बातें करने लगे। जीजाजी बोले सफर कर आये हो, थक गये होगे। नहा धो लो तब तक खाना तैयार हो जाता है फिर खाना खाते हुए हम बाकि बातें करेंगे।
फिर में भी तौलिया लेकर बाथरूम में नहाने चला गया। सचमुच नहाने के बाद में अपने तुम को रिलैक्स और एकदम तरोताजा महसूस कर रहा था। फिर में तौलिया पहनकर ही बाथरूम से बाहर चला आया। फिर मैने सुप्रिया दी को आवाज दी।
जब सुप्रिया दी आयी तो मैने उसके जन्मदिन के लिए लाये कीमती ड्रेस उसे दिया तो उसने लपक कर मुझे अपने बाँहों में कस ली और मेरे होठो पर अपने दहकते होठो को रख दी और एक जोरदार Kiss दी और करीब दस मिनट तक सुप्रिया दी ने मेरे होठो को अपने होठों से Lip-Lock कर मुझे प्रेम से सारोबर कर दिया। घर में सभी लोग थे।
फिर मैने जीजाजी, ज्योति और रेनू के लिए लाये उपहार उन्हें दिये। जीजाजी ने भी मुझे लगे से लगा लिया और ज्योति और रेनू ने जोरदार Lip-Lock Kiss कर अपनी खुशी जताई। फिर हमलोगों ने रात का खाना खाया ढेर सारी बातें की फिर जीजाजी बोले प्रिंस आज तुम चक गये हो, आराम करो, सो जाओ, कल सुबह बातें करेगें।
मुझे भी नींद आ रही थी बिस्तर पर जाते ही मुझे भी गहरी नींद आ गयी। रात को मुझे भी कपड़े पहन कर सोने की आदत नहीं थी। सो में भी सारे कपड़े उतार कर एक छोटा सा सूती गमछा कमर में लपेट कर लेट गया। कमरे का दरवाजा खुला ही था। वैसे भी अब रात को कौन देखने वाला था।
वैसे भी सुप्रिया दी के यहाँ भी सभी रात को नाम मात्र के कपड़े में सोते हैं। सबका कहना था कि पूरे शरीर में हवा लगनी चाहिए। जल्दी ही मुझे गहरी नींद आ गयी। सुबह सुबह मीठा मीठा सपना आ रहा था कि में स्वर्ग में हूँ और मेरे चारो ओर तीन चार अप्सरायें लिपटी हुई है वो भी पूरे नग्न रूप में, कोई मेरे शिश्न को चूस रही है, तो कोई मेरे होठो को, तो कोई अपने चुचियों से मेरे शरीर की मालिश कर रही है, कोई मुझे जाम पिला रही है।
में स्वर्ग के आनंद में डूबा सपने देख रहा था कि तभी अधखुली नींद में मुझे महसूस हुआ कि कोई सचमुच मेरे शिश्न को चूस रहा है। मेरी आँख खुल गयी। में आश्चर्य चकित रह गया। मेरा गमछा कब का खुल चुका था और में बिल्कुल ही नग्न था और सुप्रिया दी सचमुच मेरा लंड बहुत प्यार से चूस रही थी।
सुप्रिया दी उपर से नीचे तक पूरी नंगी थी बदन पर एक कपड़ा भी नहीं। सुप्रिया दी के मुलायम मुलायम होठों का मेरे लंड पर स्पर्श से मुझे स्वर्गीय आनंद का अहसास हो रहा था लग रहा कि सपना सचमुच सकार हो गया है। मुझे जागा हुआ देख कर सुप्रिया दी ने मेरे लंड पर एक प्यारा सा चुम्बन लिया और कहा- प्रिंस। गुड मार्निंग। कैसा लगा मेरा सरप्राईज?
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मैंनें सुप्रिया ही को अपने उपर खिंच लिया और उसके ओठो को चुमते हुए कहा सुप्रिया दी, गुड मार्निंग, सचमुच बहुत सुन्दर सरप्राईज दिया तुमने ! कहते हुए सुप्रिया दी को बाहों में समेट लिया और उपर ने नीचे तक चुम्बन की झड़ी लगा दी। तभी जीजाजी, ज्योति और रेनू तीनों ने एक साथ कमरे में प्रवेश किया और तीनों एक साथ बोल उठे प्रिंस, गुड मार्निंग। कैसा लगा सुप्रिया दीदी का सरप्राईज? कह कर तीनों हँस पड़े।
मैं समझ गया कि यह इनकी ही शरारत है। लेकिन में यह देख कर भौच्चक और आश्चर्य चकित रह गया कि जीजाजी भी पूरा नंगे थे और साथ में ज्योति और रेनू दोनो ही पूरी नंगी थी l यह मेरे लिए और भी बड़ा सरप्राईज था। जीजाजी का उत्तेजित लंड सलामी दे रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वहीं ज्योति और रेनू को तो नग्न अवस्था में देखकर आँखें चौधिया गयी। उपर से निचे तक क्या वर्णन करूँ, वो वर्णन से परे लग रहीं थी दोनों के गोल गोल चुचियां और गुलाबी निप्पलों को देख कर तो मन को कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था और सबसे सुन्दर दोनों की गुलाबी और मखमली चुत। क्या कहने। एकदम मक्खन की तरह मुलायम और चिकनी और खास बात कि चुत (बुर) में एक भी बाल नहीं थे एकदम मुलायम और चिकनी, जी चाह रहा था कि अभी लपक कर चाट लूँ और जी भर चूसू।
तभी रेनू और ज्योति ने भी मेरे लंड को चूस कर एक एक प्यारा सा चुम्बन दिया और गुड मार्निंग कहा। में सचमुच बहुत आश्चर्यचकित था। तभी जीजाजी बोले घबराओ नहीं प्रिंस तमाशे और भी है बाकि। फिर सुप्रिया दी दी को बोले सुप्रिया, आज इसको स्पेशल कॉफी पिलाओ।
हाँ, पिलाती हूँ, कहकर सुप्रिया दी बड़ी अदा से उठी। जाते जाते उसके मटकते गोल गोल नितंबों के उपर लहराते बाल बहुत ही सुन्दर लग रहे थे। सुप्रिया दी एक जग में दूध, कॉफी बनाने की मशीन और बाकि समान यहीं ले आयी। तब तक में भी ब्रश कर फ्रेश हो गया था। में सुप्रिया दी के कॉफी बनाने के तरीके को देखने लगा।
सुप्रिया दी ने जग के दूध को ज्योति के गर्दन पर डालना शुरू किया। मैं चुपचाप देख रहा था कि यह कैसा काफी बनाने का तरीका है? लेकिन जो भी हो कुछ स्पेशल जरूर बनने बाला था। हाँ तो सुप्रिया दी ने जग का दूध ज्योति के गर्दन में धीरे धीरे डालना शुरू किया।
जग का दूध ज्योति के दोनो चुचियों को भिंगोते हुए बहते हुए ज्योति की चुत (बुर) में समाने लगा और नीचे बहने लगा। जिसे जीजाजी ने ज्योति के चुत (बुर) से बहता पूरा का पूरा दूध दूसरे खाली जग में छान लिया, और बचे हुए दूध को जीजाजी ने ज्योति के चुचियों और चुत से चाट लिया।
फिर इस दूध को सुप्रिया दी ने रेनू के गर्दन पर धीरे धीरे डालना शुरू किया। उसी तरह सारा का सारा दूध रेनू, के दोनों चुचियों को भिंगोंते हुए रेनू के चुत (बुर) में समाने लगा और नीचे गिरने लगा जिसे जीजाजी ने जग में रेनू के चुत से छान लिया और बच्चे दूध को रेनू के चुचियों और चुत से चाट लिया।
अब उसमें चीनी डालने की बारी थी। अब चीनी कैसे डाला जाय तो जीजाजी इसका हल निकाला। रेनू एक कटोरी में चीनी ले आई। जीजाजी ने अपना उत्तजित लंड पहले उस जग के दूध में डूबाया तो जीजाजी का लंड दूध से पूरा सारोबोर हो गया फिर उसी लंड को चीनी के कटोरी में डूबा दिया तो लंड के चारों ओर बहुत सारा चीनी चिपक गया और फिर इस चीनी वाले लंड को दूध वाले जग में डाल कर लंड को दूध वाले जग में हिलाकर चीनी को मिलाने लगे इस तरह उन्होने कई बार किया।
इस तरह उन्होनें अपने लंड से ही दूध में चीनी मिलाया। अब कॉफी पाउडर मिलाने की बात थी। तो सुप्रिया दी वहीं पलंग पर लेट गयी और अपने पैरो को फैला ली। सुप्रिया दी की सुन्दर गुलाबी योनी अंदर तक दिखने लगी तब रेनू ने घोड़ा सा कॉफी पाउडर सुप्रिया दी चुत (बुर) के अंदर डाला और ज्योति एक कप दूध लेकर सुप्रिया दी की योनि में डालने लगी.
दूध सुप्रिया दी की चुत (बुर) के अंदर से होते हुए उसमें कॉफी पाउडर मिक्स करते हुए नीचे गिरने लगा जिसे जीजाजी ने जमा कर लिया और जग वाले दूध में मिला दिया। इस प्रकार सबके यानी सुप्रिया दी और दोनों लड़कियों के चुत (बुर) और चुचियां से होते हुए और जीजाजी के लंड की मदद से कॉफी की सामग्री तैयार हुई।
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फिर उस स्पेशल सामग्री से सुप्रिया दी ने स्पेशल कॉफी तैयार की। सचमुच काफी स्वादिष्ट कॉफी बनी थी। हम सब नग्न ही बैठ कर कॉफी पीने लगे। इधर सुप्रिया दी मेरी गोद में बैठ गयी तो उधर ज्योति और रेनू जीजाजी की गोद में बैठ कर जीजाजी के उत्तेजित लंड से खेलने लगी और जीजाजी उन दोनों के चुचियों को दबाने सहलाने लगे और चुत (बुर) में अँगुली करने लगे।
इधर मैं भी एक हाथ से सुप्रिया के चुचियों को सहलाने और दबाने लगा तो दूसरे हाथ से कॉफी का रूप लेकर कॉफी पीने लगा। उधर ज्योति और रेनू भी जीजाजी के उत्तेजित लंड से खेल रही थी। जीजाजी बोले कॉफी के साथ कुछ नमकीन हो जाता तो अच्छा था।
रेनू और ज्योति चहक उठी हाँ, हाँ, क्यों नहीं? यहाँ छ: छः रसगुल्ला है और तीन तीन समोसा है। बोलो प्रिंस क्या खाओगे? रसगुल्ला या समोसा? में बोला कॉफी के साथ तो समोसा ही ठीक रहेगा? ज्योति हँसते हुए बोली- भाभी तुम्हारे भाई को समोसा पसंद है। अपने भाई को खिलाओ अपना समोसा। प्यार से खिलाना और पूरा का पूरा खिलाना। सभी हंस पड़े।
सुप्रिया दी बोली- तुम क्यों नहीं खिला देती। तुम्हारा तो अभी ताजा और गर्म है।
ज्योति बोली – बहन की चुत पर सबसे पहला और सबसे ज्यादा हक भाई का ही होता है और भाई के लंड पर पहला और सबसे ज्यादा हक बहन का ही होता है। कहते हुए उसने जीजाजी का लंड एक बार चूस लिया।
फिर बोली हरेक बहन को चाहिए कि किसी और को खिलाये या ना खिलाये अपने भाई को अपना चुत सबसे पहले और जी भर कर, जब तक भाई का मन ना भरे तब तक खिलाना चाहिए आखिर सबसे ज्यादा प्यारा तो वही होता है और हरेक भाई को बचपन से ही बहन की चुदाई करनी चाहिए। इससे भाई बहन का प्यार बढ़ता है अब मुझे ही देखो भैया मुझे तब से चोद रहे हैं जब में पंद्रह साल की थी और आज तक चोद रहे हैं। वह भाई ही क्या जो अपनी बहन को ना चोदे और वह बहन ही क्या जो अपने भाई से न चुदवाये।
कहते हुए उसने जीजाजी को चुम लिया। अब भाभी नखरे मत करी और भाई को खिलाओ अपना समोसा। सुप्रिया दी बोली ठीक है ननद रानी जैसी तुमकी आज्ञा। कहते हुए सुप्रिया दी उठी और मेरे मुँह में अपनी चिकनी और मखमली बुर घुसा दी।
मैने भी उसका सम्मान करते हुए कॉफी का कप वहीं बगल के टेबल पर रखा और दोनों हाथों से सुप्रिया दी के नितंबों को कसकर दबाते हुए सुप्रिया दी की चुत (बुर) में अपनी मुंह और जीभ डाल दिया। फिर मैने सुप्रिया दी को वहीं पलंग पर लिटा दिया.
और उसके दोनों पैरों को मोड़कर उसकी जाँघों को पूरी खोलते हुए उसकी सुप्रिया दी की चुत (बुर) के दोनो ओर की पंखुड़ियों को दोनों हाथों से फैलाकर को चुत (बुर) के अंदर पूरी गहराई तक अपना जीभ डाल दिया और अपनी जीभ को चुत (बुर) के अंदर चलाते हुए सुप्रिया दी की चुत (बुर) को चाटने चूसने लगा.
और दोनों हाथों से सुप्रिया दी सोने के कटोरे जैसे चुचियों सहलाने, दबाने और मसलने लगा। सुप्रिया दी आह उई उई मां करने लगी। जब में उसके विलोटिस यानी जी स्पॉट पर जीभ चलाने लगा तो उससे बर्दास्त नहीं हुआ उसने कस कर मेरा सिर अपनी चुत (बुर) में दबा लिया और दोनों जाँघों को सटाकर मेरे सिर को जकड़ लिया.
मेरा दम घुटने लगा तो मैने दोनों हाथों से सुप्रिया दी के जाँघो को फैलाकर चुत (बुर) के अंदर मुंह और जीभ घुसा दिया। सुप्रिया दी बार बार बिस्तर पर अपने नितंबों उछाल रही थी। फिर एक बार जोर से अपने नितों को उछाला और शांत हो गयी। वह झड़ गयी थी और मेने सुप्रिया दी का चुत (बुर) का अमृत रस पी गया था।
सुप्रिया दी बोली 69 करो ना मुझे भी तुम्हारा रस पीना है, मैं 69 के पोजिशन में आ गया। अब मेरे मुंह में सुप्रिया दी की चुत (बुर) थी और सुप्रिया दी की मुंह में मेरा लंड। सुप्रिया दी पूरी जोश में आ गयी थी। मैने सुप्रिया दी की चुत (बुर) में अपना मुंह डाल कर चूसने लगा.
तो सुप्रिया दी ने मेरा पूरा का पूरा लंड अपने मुंह में गड़प लिया और चूसने लगी मेरा पूरा लंड जड़ तक सुप्रिया दी के मुंह में चला गया था और वह अपने मुलायम होठों से पूरा मुंह में भरकर आईसक्रीम की तरह चूस रही थी।
इधर में सुप्रिया दी के दोनों पैरों को मोड़कर दोनों जाघों को फैलाकर अपनी पूरी जीभ सुप्रिया दी के गर्भाशय के मुंह तक घुमाकर चाट चूस रहा था और साथ ही अपना लंड को ज्यादा से ज्यादा अंदर तक सुप्रिया दी के मुंह में डाल रहा था। सुप्रिया दी पूरे जोश के साथ मेरा लंड जोर जोर से चूस रही थी.
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तो में भी तेजी से सुप्रिया दी की चिकनी और मक्खन जैसी चुत (बुर) पर अपना मुंह चला रहा था जब में सुप्रिया दी के चुत (बुर) के जी स्पॉट पर जीभ चलाता तो सुप्रिया दी उछल पड़ती और ऐसा लगता की मेरा पूरा का पूरा लंड आज खा ही जाएगी।
इस बीच में एक बार झाड़ भी चुका था और सुप्रिया दी ने मेरा पूरा का पूरा लंड रस पी लिया था और मैने सुप्रिया दी का चुत (बुर) रस पूरा पी लिया था। क्योंकि सुप्रिया दी दो तीन बार इझड़ चुकी थी और मैने सारा का सारा चुत (बुर) रस पी लिया था। लेकिन ना सुप्रिया दी छोड़ने का नाम ले रही थी ना मैं।
आखिर कार हम दोनों एक साथ झड़ गये और हमने एक दूसरे का चुत (बुर) रस और लंड मन भर कर चाट चूसकर पीया और हम अलग हो गये। उधर हमें देखकर जीजाजी और ज्योति से भी रहा नहीं गया और जीजाजी ज्योति को घोड़ी बनाकर उसपर सवार हो गये।
हमने देखा कि ज्योति घोड़ी बनी हुई है और जीजाजी पीछे से अपना लंड उसकी चुत (बुर) में घुसेड़ कर जोरदार चुदाई कर रहे हैं और ज्योति जोर जोर से आह उह उई मा आह आह चीख रही है। थोड़ी देर बाद वे दोनों भी झड़ गये। तब तक रेनू चुचियां, चुत (बुर) और लंड वाले दूध से हम सब के लिए एक एक कप कॉफी और बना चुकी थी।
उधर ज्योति की चुत (बुर) से जब जीजाजी ने अपना लंड निकाला तो ज्योति की चुत (बुर) से टप टप कर संभोग रस टपक रहा था। रेनू ने एक कप में उस रेनू के चुत (बुर) से टपकते चुत रस को जमा किया और चम्मच से हम सभी के कप में डाल दिया और हमें पीने को दिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
रेनू मेरे गोद में बैठ कर कॉफी पीने लगी। हम सब कॉफी पीने लगे तो सुप्रिया दी ने बताया कि आज Sunday है और Sunday का दिन हमारे लिए खास होता है। क्योकि इस दिन तुम्हारे जीजाजी और ज्योति रेनू की भी छुट्टी रहती है। इस दिन हमारे यहाँ कोई कपड़े नहीं पहनता है।
वैसे तो हम सब रोज ही रात को बिना कपड़ों के नंगे ही सोते है लेकिन रविवार को हम लोग सभी दिन रात पूरा एकदम नंगे ही रहते हैं जैसा तुम देख रहे हो और कोई कहीं नहीं जाता है हम लोग इन दिन पूरा खुलकर enjoy करते हैं। कोई भी किसी के साथ कुछ भी कर सकता है बस सबको मजा आना चाहिए और इस दिन हम सब साथ मिलकर एक साथ नहाते भी हैं।
फिर सुप्रिया दी ने बताया कि हमारे लिए चुत (बुर) पान और लिंगपान विशेष महत्व रखता है। हम सबका मानना है कि हमारे शरीर के लिए हमारे शरीर के तत्व ही सबसे सही और सबसे ज्यादा लाभदायक हैं। इसलिए ये भी हम तीनों का चुत (बुर) रस रोज पीते हैं और हम तीनों इनका लिंग रस।
असलदर स्पर्म में बहुत सारे पोषक तत्व रहते हैं जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। हम तीनों तो अपने चेहरे पर भी लिंग रस ही लगाती हैं, हम तीनों ने आज कभी भी कोई कॉस्मेटिक यूज नहीं किया है ना ही हम कभी आज तक ब्युटी पार्लर गयी हैं। हमारी शरीर और सुन्दरता का यही राज है।
सचमुच सुप्रिया दी, रेनू और ज्योति का जो नेचुरल ब्यूटी और चमकता दमकता चेहरा और चिकना और सॉफ्ट शरीर था इसका यही राज था। जिसको पाने के लिए लड़कियां और औरते ब्यूटी पार्लर में हजारो लाखो रूपये ब्यूटी पार्लर में उड़ा आती है लेकिन तब भी नहीं मिल पाता है।
में रेनू को गोद में बैठाये कॉफी पी रहा रहा था और रेनू के चुचियों को सहला और दबा रहा था और रेनू भी मेरे लंड से खेल रही थी फिर पता नहीं उसे क्या मन हुआ वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। इतनी कमसिन लड़की के चूसने ले मुझे फिर से जोश आने लगा और मेरा लंड जल्दी ही सलामी देने लगा।
रेनू मेरे गोद में बैठ गयी तो मैनें अपना लंड रेनू की चुत (बुर) में घुसेड़ दिया। रेनू ने भी बिना कुछ बोले अपनी चुत (बुर) में मेरा लंड से लिया और उछल उछल कर मेरे लंड की सवारी करने लगी। चूंकि रेनू की चुत (बुर) बहुत कमसिन थी इसलिए लगातार आह उह आह मर गयी, आह चीख रही थी।
मैने भी रेनू के दोनों चुचियों को पकड़कर भींच लिया और दबादबा कर और नीचे से धक्का मार मार कर उसकी चुत (बुर) में अपना लंड तेजी से अंदर बाहर करने लगा। फिर रेनू पलट कर अपना मुंह मेरी और कर लिया और मेरे होठो पर अपना ओठ रख दिया।
मैंने भी उसे बाँहों में कस लिया और उसके होठों को चूसते हुए नीचे से जोर जोर से लगातार धक्के लगाने लगा। इसी बीच रेनू झड़ गयी तो चूकि में नहीं झड़ा था सो रेनू को घोड़ी बनाकर उसकी सवारी करने लगा। रेनू की छोटी सी बुर बहुत टाईट थी लेकिन मजा खुब आ रहा था।
इस बार हम और रेनू एक साथ झड़े और रेनू भी निढाल ही गयी। रेनू के चेहरे पर संतुष्टी के भाव साफ दिख रहे थे। फिर सभी ने हमारे चुदाई रस को कॉफी में डाल कर पिया। हम सभी को खुब मजा आया। तब कॉफी पीते हुए सुप्रिया दी जीजाजी और दोनों बहनों की कहानी बताने लगी कि किस प्रकार कितनी मेहनत से सुप्रिया दी ने ज्योति और रेनू का अपने भैया के साथ चुदाई करवाया था और घर में एकदम की सैक्स का उन्मुक्त माहौल बनाया था।
बातें खत्म होने के बाद हम सभी ने एक साथ नहाया। नहाने के लिए हम लोग उपर छत पर खुले में गये क्योंकि छत चारों और से घिरा हुआ था और उपर छज्जा डाला हुआ था तो किसी बाहरी आादमी को दिखाई देने का सवाल ही नहीं पैदा होता था और छत के साथ लगे कमरे में पूजा पर भी था जहाँ हम लोग नहाने के बाद आकर पूजा कर सकते थे।
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उपर छत पर नहाने की बहुत अच्छी व्यवस्था थी। हम सभी तो नंगे थे ही सभी नंगे ही छत पर आ गये और साथ नहाने लगे। सभी ने एक दूसरे के उपर पानी डाला और एक दूसरे को साबुन लगाने लगे। सभी एक दूसरे को साबुन लगाकर नहला कम रहे थे चुची और लंड ज्यादा दबा, सहला और मसल रहे थे और चुत (बुर) में अंगुली कर रहे थे।
मैने सुप्रिया दी के शरीर पर साबुन लगाया और उसके नितंबों को अपने लंड पर दबाकर उसके चुचियों को मलने और मसलने लगा। जीजाजी रेनू और ज्योति को नहला दे रहे थे और उनकी चुचियां मसल रहे थे और चुत (बुर) में अंगुली कर रहे थे कुछ देर बाद रेनू मेरे पास आ गयी में साबुन लगाकर रेनू की चुचियों को मसलने लगा और उसकी चुत (बुर) में अंगुली करने लगा।
रेनू भी मुझे साबुन लगाकर मेरे लंड को सहलाने और मसलने लगी फिर ज्योति आयी मैने ज्योति के चुचियों को भी खुब दबाया और मसला, ज्योति ने भी मेरे लंड पर साबुन लगाकर लंड को खूब मसला। मुझे नहाते नहाते सेक्स करने का मन होने लगा था, लेकिन सुप्रिया दी ने मना कर दिया बोली पूजा के बाद करेगें।
फिर हमने एक दूसरे को पूरे शरीर पर साबुन लगा लगा कर नहलाया। उसके बाद हम नंगे ही पूजा घर में आ गये। वहाँ काली जी की एक बड़ी सी तस्वीर लगी थी। हम लोग वहीं बिछाये आसन पर बैठ गये और सबने विधि पूर्वक काली माँ की पूजा की।
उसके बाद सुप्रिया दी ने एक मुर्ति निकाली जो स्री पुरूष संभोग रत किसी देवी देवता की युगल थी। उसे यहाँ स्थापित की और एक मंत्रों की पुस्तक निकाली जिसमें बहुत सारे मंत्र थे और हरेक पृष्ठ पर विभिन्न आसनों में पूर्ण नग्न संभोगरत स्त्री पुरूष के रंगीन चित्र थे।
सुप्रिया दी ने मुझे और रेनू को खड़ा होने को कहा और सुप्रिया दी और ज्योति ने मंत्र के साथ मेरे लिंग की पूजा की जीजाजी ने रेनू की योनि (चुत) की। फिर सुप्रिया दी ने मुझे रेनू को गोद में लेकर बैठने को कहा में रेनू को गोद में लेकर बैठ गया तब सुप्रिया दी, जीजाजी और ज्योति ने हम दोनों की पूजा की।
उसके बाद सुप्रिया दी ने मुझे रेनू को लेकर उसी मुर्ति की तरह संभोग रत होने को कहा। में और रेनु उसी मुर्ति की तरह संभोगरत होकर संभोग करने लगे और सुप्रिया दी, ज्योति और जीजाजी मंत्रों के साथ हमारी पूजा करने लगे। मैं और रेनू संभोग करते रहे और बाकि लोग मंत्र पढ़ते रहे।
हम दोनों के संभोग पूरा होने तक सभी मंत्र पढ़ते रहे। हमारा संभोग पूरा होने के बाद सुप्रिया दी ने रेनू के योनि (चुत) के नीचे पात्र लगाकर हमारे संभोग रस को एकत्र किया और उसका एक भाग उस मुर्ति वाले देवता को अर्पित किया और बाकि हम लोगों को थोड़ा थोड़ा कर पीने के दिया।
उसके बाद सुप्रिया दी ने रेनू को लेट जाने को कहा और उसकी चुत (बुर) की पूजा की और उसमे बहुत सारा मद्य (मधु यानी शहद) डाल दिया और हम सभी ने रेनू की चुत (बुर) से चाट चाटकर प्रसाद ग्रहण किया उसके बाद सुप्रिया दी ने मेरे लंड में मद्य (शहद) डाला और रेनू, सुप्रिया दी और ज्योति ने मेरे लंड को चूसकर चाटकर प्रसाद ग्रहण किया।
अब ज्योति की चुत में मद्य डालकर हम सभी ने पहले ज्योति की चुत (बुर) में मद्य (शहद) डालकर ज्योति की चुत चाट चाट कर प्रसाद ग्रहण किया उसके बाद रेनू ने सुप्रिया दी की चुत (बुर) में बहुत सारा मद्य डाला मैने और जीजाजी ने सुप्रिया दी की चुत (बुर) को देर तक चाट चूसकर प्रसाद ग्रहण किया.
तब सुप्रिया दी ने मुझे जीजाजी के लंड पर मद्य डालने को कहा और जयोति, रेनू और सुप्रिया दी जीजाजी के लंड को चूस चूसकर प्रसाद ग्रहण की। उसके बाद मैने और जीजाजी ने ज्योति, रेनू और सुप्रिया दी से हर तरह से बहुत देर तक जमकर संभोग किया और संभोग रस को एक पात्र में इक्कट्ठा कर लिया और एक भाग संभोग रत मूर्ति वाले देवता को अर्पित किया।
उसके बाद हम सब नीचे आ गये और मांस, मछली और चावल का भोजन तैयार था सुप्रिया दी ने पात्र का सारा संभोग रस उसमें मिला दिया और हम लोगों ने उस भोजन को प्रसाद के रूप में खाया। भोजन करने के बाद हम सब बेड रूम में आ गये.
तब सुप्रिया दी ने बताया कि हमारे यहां कौल तंत्र को मानते हैं और कौल तंत्र में शरीर को ही सब कुछ शुद्ध माना जाता है विशेषकर योनि रस, लिंगरस (वीर्य) और संभोग रस (चुदाई के बाद चुत से निकलने वाला रस) यही सबसे बड़ा प्रसाद है और योनि और लिंग यानि चुत (बुर) और लंड सबसे पूजनीय है और उसी की पूजा की जाती है।
इसमें अगम्यागमन का विशेष महत्व है अगम्यागमन मतलब निषेध संभोग यानि रक्त संबंधों में संभोग। जैसे भाई बहन में संभोग का विशेष महत्व है। इसकी शुरुवात प्रियंका के घर से हुई जब प्रिया बीमार पड़ी थी यह तो तुम जानते ही हो।
हम सभी पांचों बहनों ने इस धर्म को अपना लिया है इसलिए हम सब बहनों के पति अपनी अपनी बहनों से नियमित रूप से संभोग करते हैं और उन्हें भी अपनी बहनों से संभोग करना बहुत पसंद है। वैसे बहन के साथ संभोग को सबसे अच्छा और पवित्र माना जाता है।
योनितंत्र में बताया गया है कि मातृ योनि (माँ की चुत) को छोड़कर बारह वर्ष से लेकर साठ वर्ष तक की सभी चुत (बुर) से संभोग या चुदाई करना चाहिए। जबकि हरिवंश पुराण में मातृयोनि (मां की चुत (बुर) से भी संभोग को लिखा हैl ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पहले हमलोग भाई – बहन संभोग तक ही कियें थे लेकिन अब हमलोगों ने परिवार मे हर किसी के साथ संभोग करना शुरू कर दिया है। हमारा मानना है कि परिवार में हर किसी को हर किसी के साथ संभोग (चुदाई) जरूर करना चाहिए इससे आपस में प्यार ही बढ़ता है।
अभी पिछले महिने ही तुम्हारे जीजाजी घर गये थे तो अपनी दोनों बुआ और तीनों मौसी को चोदकर आयें हैं l बोले इतना मजा कभी नहीं आया थाl इनकी दोनो बुआ और तीनों मौसी बहुत खुश है l ये बोले कि मौसी के बुर का रस पीने में सबसे ज्यादा मजा आयाl
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ये बताते हैं कि वे जब तक वहां रहे पानी की जगह अपनी दोनों बुआ और अपनी तीनों मौसी की चुत में मुँह लगाकर चुत चाट चाट कर चूस कर चुत का पानी या चुत रस ही पीते थेl इन्हें मुझसे ज्यादा अपनी दोनों बहनें ज्योति और रेनू से चुदाई करना ज्यादा पसंद है। ये नियमित रूप रोज कम से कम तीन टाईम से अपनी दोनों बहन ज्योति और रेनू की चुत का रस जरूर पीते हैं और इन्हें भी अपने भैया से अपनी चुत चटवाना बहुत पंसद हैl इनका कहना कि योनि रस पीने से इन्हें बहुत फायदा हुआ हैl
इसलिए ये ज्यादा से ज्यादा योनि रस पीते हैं l घर में घुसते ही ये ज्योति या रेनू की चुत में मुंह लगा देते हैं और देर तक चुट चाट चाट कर और चुस चुसकर चुत का रस पीते रहते हैंl उसके बाद में पंद्रह दिन सुप्रिया दी के घर रहा क्योंक्ति इधर ही ऑफिस का भी कुछ काम आ गया था तो एक तरह से मेरी ड्युटी भी हो जा रही थी और इन पंद्रह दिनों में मैंने सुप्रिया दी, ज्योति और रेनू के साथ हर तरह के संभोग का भरपूर आनंद लिया।
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