Couple Swap Sex
चुदाई की कहानी, मेरा नाम साकेत शर्मा है, मेरा एक सबसे खास दोस्त है जिसका नाम आशीष है. कई दिनों से आशीष की बीबी ज्योति को चोदने का मन मेरा कर रहा था. कितने दिन हो गये उसकी चूत न ही मारी और ना ही देखी. ये हम दोस्तों के लिए नई बात नही थी. Couple Swap Sex
पिछली गर्मी की छुट्टियों में हम दार्जिलिंग गये थे. वहां हम दोनों दोस्तों ने एक दूसरे से बीबियों की अदला बदली कर ली थी. आशीष मेरी बीबी रौशनी को अपने कमरे में ले गया था और मैं उसकी औरत ज्योति को अपने कमरे में ले गया था.
वो सब बहुत ही दिलचस्प और रोमांटिक था और दार्जिलिंग में बिताई उन हसीन रातों को सोचकर आज भी मेरा लंड खड़ा हो जाता है. आशीष, ज्योति, रौशनी और मैंने बहुत शराब पी ली थी. मजाक मजाक में मैंने कह दिया की ‘यार !! काश हमारी बीबियाँ खुले दिमाग की आजाद खयाल वाली होती तो हम लोग अपनी बीबियाँ बदल लेते और एक एक नई चूत मारने को मिलती!’ मैंने कहा.
इस पर ज्योति और रौशनी मुस्कुराने लगी. फिर उन्होंने इसकी अनुमति दे दी. हम दोनों दोस्त बहुत खुश हो गये थे. हमेशा से ही ज्योति को लेकर मैं नई नई कल्पनाये करता था. जहाँ मेरी बीबी रौशनी लम्बी चौड़ी कद काठी की थी और खूबसूरत गांड और मम्मो की मालकिन थी.
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वही मेरे खास दोस्त आशीष की पत्नी छोटे कद की देसी घरेलू माल थी. बहुत ही विनर्म, शर्मीली और संकोची. जबकि मेरी औरत रौशनी खुलकर प्यार और सेक्स का इजहार करती थी. ज्योति को ले लेकर मैं तरह तरह की कल्पनाये करता था. अगर मिल जाए तो ऐसे ऐसे चुम्मा लू, ऐसे ऐसे इसके छोटे साइज़ के दूध पियूँ और ऐसे ऐसे उसकी चूत लूँ.
वो दार्जिलिंग के पुराने दिन मुझे याद आ गए और ज्योति की वही पुरानी, पुराने स्वाद वाली चूत का स्वाद मेरे दिमाग में फिरसे छा गया. मैंने फोन उठाया और आशीष को लगा दिया. बीबियों को बदल बदल के चोदने वाली इच्छा मैंने फिर से जाहिर कर दी.
आशीष भी कई दिनों से ज्योति की वही चूत मार मारके बोर हो चूका था. उसे मेरी चुदासी बीबी रौशनी की चूत की याद आ रही थी. इसबार हमदोनो ने जोधपुर का टिकट ले लिया. वहां ३ स्टार होटल में हमने २ सुइट बुक कर लिए. ट्रेन से हम दोनों दोस्त अपनी अपनी बीबियों को लेकर जोधपुर पहुच गए.
ट्रेन में भरपूर मजाक और मनोरंजन मैंने आशीष की बीबी ज्योति संग किया. मन तो कर रहा था की ट्रेन में ही उसे नंगा करके चोद लूँ. पर इंतजार का फल मीठा होता है ये सोचकर मैंने कोई जल्दबाजी करना सही नही समझा. होटल पहुचकर पहले तो हम अपनी अपनी बीबियों संग कमरे में गये.
फिर शाम को आराम करके और नहाकर हम चारो बार पर आ गए. मैंने सोडा के साथ व्हिस्की आर्डर की, विद आइस क्यूबस. हम चारो ने काफी शराब पी. फिर मेरी चुदासी और जवान बीबी रौशनी मेरे दोस्त आशीष के साथ डांस फ्लोर पर जाकर डांस करने लगी.
तो फिर मैंने भी छोटे कद लेकिन शानदार माल ज्योति को लेकर डांस फ्लोर पर जाकर डांस करने लगा. फिर हम लोग १० बजे तक डिनर करके अपने अपने कमरे में आ गए. अब हम दोनों दोस्तों ने एक दुसरे से बीबियाँ बदल ली. आशीष मेरी चुदासी औरत रौशनी को अपने सुइट में ले गया. और मैं ज्योति को अपने कमरे में ले आया.
अब असली खेल शुरू होना था. हालाकि मैंने काफी शराब पी ली थी, पर ज्योति जैसी हसीन माल के यौवन को देखकर मेरा सारा नशा उतर गया. मुझे ये बिलकुल नहीं नही मालूम की मेरा खास दोस्त आशीष कैसी मेरी काम की प्यासी औरत रौशनी के साथ प्यार कर रहा होगा.
पर मैं तो सिर्फ अपने बारे में ही सोच रहा था. ज्योति सहम कर बेड के दुसरे छोर पर बैठ गयी थी. उसने मेरी बीबी रौशनी की तरह हल्का टॉप और टाईट जींस पहने थी. मैंने अपनी शर्ट पेंट निकलने लगा. धीरे धीरे मैं सिर्फ बनियान और अंडरविअर में आ गया.
‘देखो ज्योति!!! शर्म संकोच ने कुछ नही होगा. आशीष और रौशनी आपस में मजे मार रहे होंगे, इलसिए अब तुम भी मेरे पास आ जाओ!’ मैंने कहा.
पर फिर भी वो शर्म करती रही. मैं तुरंत समझ गया की क्या करना है. मैंने पीछे से ज्योति को दबोच लिया और सुइट के बेहद नर्म और आलिशान बिस्तर पर खीच लिया. वो नही नही कहती रही बड़े धीमे धीमे स्वर में. मैं खूब समझता था की उसका भी अंदर से चुदवाने का मन है.
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मैंने उसको दोनों कंधे से पकड़ लिया और पुचकार पुचकार कर किसी छोटे बच्चे की तरह उसके गाल पर मैंने पप्पियों की बरसात कर दी. फिर उसे शक्ति से अपनी ओर उसका मुँह घुमा लिया और ज्योति के होठ पीने लगा. वो न न करती रही और उसके रसीले छोटे छोटे रसीले संतरे जैसे होठों को चूसने लगा.
बड़ी देर में जाकर ज्योति की संकोच शर्म खत्म हुई. वो वाशरूम गयी और रेड कलर की नाइटी पहनकर अवतरित हुई. चूत पर कोई ब्रा नही थी. मैंने अपना अंडरविअर निकाल दिया. जैसे ही ज्योति पास आई मैंने उसे पकड़ लिया और प्यार करने लगा.
बड़ी देर तक हम दोनों पति पत्नी की तरह प्यार करते रहे. फिर वो पल आ गया जब मैंने उसकी हल्की नाइटी भी निकाल दी. मैंने उसके मम्मे पीने लगा. हाथ से जोर जोर से मम्मो को हाथ में लेकर दबाता रहा. क्या मस्त मस्त दूध थे ज्योति के.
जब पिछली बार मैंने और आशीष ने बीबियों की अदला बदली की थी तब भी मैंने खूब मजे ले लेकर ज्योति को चोदा था. वो सब पुरानी यादें फिर से ताजा हो गयी थी. ज्योति के नाक के छेद जरा बड़े थे. जो मुझे अपनी बीबी रौशनी से जादा सेक्सी लग रहे थे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने बड़ी देर तक ज्योति के दूध और ओठ पिये फिर उसकी चूत पर आ गया. जहाँ मेरी औरत रौशनी के चूत बिलकुल सपाट थी और बुर के ओठ बड़े छोटे छोटे थे वही आशीष की औरत ज्योति के चूत के होठ बहुत बड़े बड़े थे और उपर की ओर उठे हुए थे.
जैसे ही मैं ज्योति की चूत के ओंठो को छूने लगा, उससे छेद छाड़ करने लगा, वो मचलने लगी और तड़पने लगी. दोस्तों, ये देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा. मैं अपनी ऊँगली से जोर जोर से ज्योति की लाल चूत के उपर उठे हुए ओंठो पर उसकी क्लिटोरिस को जोर जोर से घिसने लगा.
जिससे ज्योति की चूत में खलबली मच गयी और वो अपनी कमर उठाने लगी. मैं बड़ी देर तक ज्योति की चूत की क्लिटोरिस को ऊँगली से सहलाता और घिसता रहा और ज्योति को तडपते देखने का सुख लेता रहा. फिर मैंने अपना मुँह ज्योति की चूत पर लगा दिया और जीभ निकलकर जोर जोर से ज्योति की चूत के ओंठ पीने लगा.
वो बार बार अपनी गांड उठाने लगी. मैं बड़ी देर तक ज्योति की चूत पीता रहा जिससे उसकी बुर और भी जादा रसीली हो गयी. मैं जीभ से ज्योति का सारा रस पी गया और मजे से जीभ चूत के अन्दर डालने लगा. ज्योति बार बार अपने हाथों से मुझे रोकने लगी.
पर मैं सारी शरारत करता रहा. कुछ देर में ज्योति की चूत किसी रसगुल्ले की तरह चासनी से भीग चुकी थी. अब मुझे और जादा चुदास चढ़ गयी. मैंने अपना हाथ ज्योति के गुलाबी फटे हुए भोसड़े में पेल दिया और ३ ४ ऊँगली एक साथ उसकी रसीली चूत में डालने लगा.
इससे उसको आर्टिफीसियल चुदाई का मजा मिलने लगा. लौड़े से ना सही, हाथ की उँगलियों से वो वो चुदने लगी. ज्योति ने मेरा हाथ पकड़ लिया. वो आह हा हाहा आह अह करके सिसकारी भर रही थी. अपनी पीठ और कंधे भी उपर की ओर उठा रही थी जब मैं अपनी लम्बी लम्बी उँगलियों से उसकी बुर चोद रहा था.
‘साकेत जी !! रहने दीजिये प्लीस!! बड़ी जोर की सनसनी मेरे भोसड़े में हो रही है!! प्लीस ऐसा मत करिए!! आपके पास अच्छा खासा लौड़ा है आप उससे मुझे क्यूँ नही चोदते!!..प्लीस अपनी हथेली से मुझे मत चोदिये!!’ ज्योति ऐसा बार बार कहने लगी.
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ये देखकर मैं मचल गया और जोर जोर से अपनी हथेली से फच फच की पनीली आवाज करता हुआ ज्योति की चूत फेटने लगा. उसकी चूत में भूचाल आ चूका था, बिलकुल तुफान खड़ा हो गया था. मैं एक पल को भी नही रुका और अपनी ३ उँगलियों से ज्योति की चूत फेटता रहा.
उसके बाद मैंने ज्योति के भोसड़े पर लेट गया और जोर जोर से उसकी रसीली चासनी से भीगी चूत मजे लेकर पीने लगा. आशीष की मस्त चुदासी बीबी बार बार अपनी गांड, कमर, कंधे और सीना उठाती रही. उसके छोटे छोटे मम्मे अब पहले से बड़े रूप में आ गए थे.
ज्योति चुदासी हो चुकी थी. वो जल्द से जल्द चुदवाना चाहती थी. फिर मैंने उसकी बेचैनी और छटपटाहट दूर कर दी. आखिर मैंने ज्योति के भोसड़े में अपना बेशकीमती लौड़ा डाल दिया और उसको चोदने लगा. किसी असली घरेलू माल की तरह ज्योति तुरंत मजे से चुदवाने लगी और उसने अपनी आँखें बंद कर ली. अपने दोनों पैर हवा में उठा लिए.
मैं और जोर जोर से गहरे धक्के देने लगा जिससे बाद में ज्योति ये शिकायत ना करे की साकेत भाई साहब अच्छे से उसको चोद नही पाए. मैंने जोर जोर से कमर चला चला के नशीले धक्के ज्योति की चूत के छेद में देने लगा. किसी पतिव्रता पत्नी की तरह उसने मुझे दोनों भुजायों में कस लिया.
मैंने उसको मस्ती से खाने लगा. मैं जोर जोर से उसको घिसने लगा. चुदवाते चुदवाते उसका मुँह किसी प्यासी मछली की तरह खुल गया था. उसका मुँह बिलकुल मेरे कान के पास था. मेरे ताबडतोड़ धक्कों से मीठी मीठी जो सिककारियां ज्योति निकाल रही थी वो मुझे बिलकुल साफ साफ़ सुनाई पड़ रही थी.
मैंने दावे से कह सकता हूँ की उसको अद्बुत पौरुष प्राप्त हो रहा था. सायद उसका पति आशीष भी उसे इतनी बेहतरीन तरह से ना ठोक पाता हो जितना मस्त मैं उसकी पेलाई कर रहा था. ज्योति के मुँह से निकलती गर्म गर्म हवा ‘नही नही….. नही …आया ऊऊउ आँ आँ माँ माँ मर गई!!!! मर गई!!! की मीठी आवाजें मेरा मनोबल बढ़ा रही थी.
मैं अपनी सरी ताकत बटोर बटोर के गहरे और गहरे धक्के मार रहा था, जिससे उसकी योनी अच्छे से चुदे और उसे चरम सुख प्राप्त हो. बड़ी देर तक मैं उसे ठोकता रहा पर फिर भी मेरे लौड़े से माल नही छूटा. मुझे खुशी हुई की ज्योति के रूप और सौंदर्य पर मैं तुरंत आउट नही हो गया.
वरना लडकों के साथ तो ऐसा होता है की सुंदर लड़कियों को चोदने पर वो जल्दी झड जाते है. मैं बड़ी देर तक ज्योति को लेता रहा पर भी भी नही झडा. फिर मैंने अपना लौड़ा उसके भोसड़े से निकाल लिया और मोटे लौड़े से ज्योति के चूत के ओंठो को जोर जोर से घिसने लगा.
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इस तरह की कामक्रीडा में बहुत मजा आया. मैं लौड़े चूत में डालता और उपर घिसते हुए बाहर निकाल लेता. अंदर डालता और चूत की क्लिटोरिस को लौड़े से घिसने लग जाता. फिर मैंने ज्योति को पेट के बल लिटा दिया. उसकी दोनों पतली पतली गोरी गोरी नाजुक टाँगे मैंने उपर की तरह उसके नाजुक नर्म चूतड़ों पर मोड़ के रख दी.
ज्योति की चूत पाने के लिए मुझे जरा नीचे झुकना पड़ा. मैंने लौड़े से आशीष की औरत की रसीली चूत आखिर ढूँढ ली. मैं उसको लेने लगा. पीछे से भी काफी नशीली रगड़ चूत में लग रही थी. ज्योति के दोनों मस्त मस्त गोरे चूतड़ों पर बटुरे उसके दोनों पैर उसे बड़ा कमनीय लुक दे रहे थे.
एक शादी शुदा पतिव्रता औरत की चूत लेना बहुत ही सेक्सी बात थी. वरना शादी शुदा औरतों को चोदने खाने को जल्दी जहाँ मिलता है. मैं घप घप करके जरा झुककर ज्योति की चूत मार रहा था. अब भी वो मादक सिसकरियां ले रही थी. हालाकी अब ज्योति का मुँह मुझसे बहुत दूर जा चूका था.
मैं साफ साफ़ नजदीक से उसकी कामुक सिस्कारियां नही सुन पा रहा था. इस तरह पीछे से मैं आधे घंटे तक ज्योति की चूत और मारी, फिर गर्म मोम की तरह उसके गुलाबी भोसड़े में मैं झड गया. दिल में चाह उठी की जाऊ आशीष में कमरे में जाकर देखू की मेरी आवारा छिनाल बीबी रौशनी कैसे चुद रही है.
फिर सोचा की उनकी प्राईवेसी में दखल देना सही नही होगा. इसलिए गुनगुना को मेरे दोस्त आशीष से अपनी मर्जी के मुताबिक चुदवाने दो. यहाँ मेरे पास ज्योति जैसा मस्त घरेलू सामन है ही. ज्योति के लाल भोसड़े में झड़ने के बाद मैं बिस्तर पर सीधा लेता तो ज्योति को मेरे लौड़े की तलब लगी.
वो खुद बिना कहे की मेरे पास आ गयी और झुककर किसी असली रंडी की तरह मेरा लौड़ा मुँह में भरके पीने लगी. ज्योति के बाल बहुत ही खूबसूरत है. जिस्म भी किसी हसीना से कम नही था. बस थोडा नाजुक थी वो. वहीँ मेरी औरत रौशनी को चाहे जितने जोर जोर से धक्के चूत में दो, उसे कोई फर्क नही पड़ता था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पर ज्योति तो प्यार से खाने वाली माल थी. ज्योति अपने छोटे छोटे बच्चों जैसे हाथो से मेरा लौड़ा मलती रही और मुँह में लेकर चूसती रही. कुछ ही देर में मेरा लौड़ा फिर से सलामी देने लगा. ‘ज्योति जी !! क्या आशीष तुमको पोस बदल बदल के लेता है??…कौन कौन से पोज बनाता है??’ मैंने बड़े प्यार से पूछा
‘हाँ भाई साहब, ये तो बस एक ही मिशनरी स्टाइल में मुझे चोदते है. इनके ऑफिस में इतना काम रहता है की बस किसी तरह जल्दी जल्दी मुझे पेल लेते है और मुझसे अपना पीछा छुड़ा लेते है!!!…इनकी ठुकाई में तो बिलकुल मजा नही आता भाई साहब!!’ ज्योति बोली. मुझे ये सुनकर अफ़सोस हुआ.
‘कोई बात नही ज्योति जी!!..आज मैंने भिन्न भिन्न प्रकार से आपके साथ कामक्रीडा करूँगा और आपको हर तरह का यौन सुख आपको दूंगा!!’ मैंने कहा.
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फिर मैंने उसको कुतिया बना दिया. ज्योति तुरंत इसके लिए तैयार हो गयी. वो अपने नाजुक कन्धों, गले और सर को बेड पर रखकर झुक गयी और उसने अपना पिछवाड़ा उपर कर दिया. सायद वो डॉगी स्टायल वाली चुदाई के बारे में जानती थी. मैं कुछ देर तक उसके पुष्ट नितम्बो को चूमता चाटता , सहलाता और उनसे खेलता रहा. फिर मैं पीछे से ज्योति की चूत को पीने लगा. कुछ देर बाद मैंने फिर से अपना मोटा लौड़ा उसके भोसड़े में डाल दिया और उसको पेलने लगा.
ज्योति बहुत सही तरीके से सर के बल बिस्तर पर झुकी थी. क्यूंकि कुछ ही देर में मेरे धक्कों का वेग बढ़ गया था, पर ज्योति और उसकी चूत अपनी जगह कायम थी. मैं हचर हचर करके उसको खाने लगा. बड़ी देर तक चुदाई के बाद मैंने उसकी फुद्दी में ही आउट हो गया. फिर मैंने उसको गोद में बिठाकर चोदा, लौड़े पर बिठाकर चोदा. दोस्तों ७ दिनों तक हम चारों से जोधपुर में प्रवास किया और तरह तरह से एक दुसरे की बीबियों के साथ रतिक्रीडा की. भिन्न भिन्न प्रकार से चुदाई का आनंद उठाया. उसके बाद हम चारो अपने घर लौट आये.