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शादी व्याह का घर होने के कारण सभी लोग अपने आप में अस्त व्यस्त थे। जब शादी हो गई ओर घर लक्ष्मी यानी बेटी अपने सौहर के साथ बेचारी अपने बाबूल की घर छोड़ अपने पिया के घर चली गई तो घर एकाएक सन्नाटा सा हो गया। Ullu Hot Webseries
सभी लोग बेटी की बिदाई के बाद सभी के ऑख अपने आप नम सी गई थी। घर में आगे सभी मेहमान बेचारे लोग सब के सब चके चेहरो पे उदासी सी छा सी गई थी। मैं भी अपनी फफेरी बहन की बिदाई से रो सा पड़ा था। वैसे भी हम तीन चार दिनों से भाग दौड़ से काफी थक सा गया था।
पर जब तक शादी नहीं हुई थी तब तक मुझे एक नई उमंग था। हम तो सभी से ज्यादा घर का काम कर रहे थे। हमारी फुफा जी ने पहले ही कह चुकी थी कि जवाहर तुम्हें ही शादी में ज्यादा भाग दौड़ करना है। मैं भी फुआ से कही थी कि हां फुफा जी मेरी फुफेरी बहन की शादी है। ओर भाई काम न करे। वेसे भी हमारे फुआ का बेटा राहुल अभी बच्चा था।
शादी तो बड़ी धूम धाम से हुई थी। हम तो सारे बरातियों को अच्छी प्रकार से सेवा की थी। कही पर कोई शिकायत का मौका ही नहीं दिया। एकाएक घर आंगन सूना हो जाने से सभी लोग तो रो से पड़े थे। हमारे आँखों में आंसू छलक सा गया था।
हमारी फुआ का हाल तो अभी तब बेचारी अपनी फुल सी बेटी गुड़िया के लिए बेहाल थी। पर यह तो सभी के यहां एक न एक दिन तो होना ही था। कौन अपनी बेटी या बहन को जीवन भर बाप मां अपने घर में रखा है। मैंने फुआ को चुप कराकर सोने के लिये चला गया था।
कारण की रात बारह बजने जा रहा था। और धाार के सभी मेहमान जहां जिसको जगह मिली वही सो गये। गरमी का मौसम था लोग घर ओर खेत खलियान में सो गये। में भी काफी थका सा था। हमारी पलके अब जबाब देने लगा था। जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो हम एक लूंगी लपेट उघारे बदन होकर सोने के लिये जगह तलाश रहे थे।
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सभी जगह कोई न कोई मेहमान सोये हुये थे। जब मुझे कहीं जगह नहीं मिलस पाया तो हम छत के सबसे उपरी मंजिल पर चला गया सबसे उपरी मंजिल पर चला गया। । साथ में हम एक चादर ओर एक तकिया ले आया था। आँखों में नींद जोरो से सता रही थी।
रात भी काफी हो रहा था। हमने छत पर जाकर जल्दी से चादर बिछाया ओर तकिया पर सर रख मैं सो गया। मौसम इतना अच्छा था कि देखते ही देखते मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। मुझे कुछ डर सा भी लग रहा था। क्यों कि अनजान जगह और देहाती इलाका होने कारण मैं मन ही मन डर रहा था कि मुझे अब क्या हो रहा था…।
मैं डरते हुये पूरी आँखें नहीं खोल पाया था। मैं आँखों की थोड़ी सी पलके हटाकर देखा कोई साया सा हमारे नजदीक बैठा अब तो जो होना था सो होकर ही रहेगा। मैंने धयान लगाकर उसकसाया को देखा तो वह साया एक ओरत सा नजर आ रहा था।
जब मुझे महसूस हो रहा था कि मेरे लंड के ऊपर कुछ सिहरन सी हो रही थी तो मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था। और मैं सर से पांव तक कुछ अजीब सा होने के कारण मुझे गुदगुदी सी हो रही थी। तब मुझे भी डर सा लग रहा था।
मैं मन ही मन सोच रहा था कि आखिर ये औरत कौन है? और इस समय यह हमारे पास बैठकर मेरे लंड पर अपना हाथ रख क्यों सहला रही है। _मैं जवान होने के कारण उसके हाथ के द्वारा सहलाने से मेरे मन में एकगरमी सा होने लगा था। और देखा की हमारा लंड धीरे धीरे तनने सा लगा था। उस समय हमारी उम्र उन्नीस वर्ष का था।
और कुंवारा था। मुझे जल्दी ही खून का दौड़ान तेजी होने के कारण मेरा लंड तेजी के साथ टाईट होता चला जा रहा था। और मैं चुपचाप अपने बदन को टाईट करता चला जा रहा था। अब तो हम के मारे आँख मूंद उस ओरत को पहचानने की कोशिश कर रहा था कि आखिर ये ओरत है कौन? और यह हमारे सारी ऐसा क्यो कर रही है?
रात के करीब एक बज रहा था। चारों ओर सन्नाटा सा हो गया था। गरमी के मौसम होने के कारण पूर्वा हवा बसंती वह रही गी। आराम से हम सोये सब कुछ देख रहे थे। वैसे तो हम समझ ही चुके थे कि यह औरत हमारे साथ क्या कर रही है। और आगे का क्या इरादा है।
मुझे इतना हिम्मत नहीं हो रहा था। कि हम उस और त को कुछ कह सके, कि तुम्हे यह सब करते शर्प नहीं आती है। यह तो हमारे जिन्दगी में पहली बार घटना घट रहा था। आज तक में इस लाईन में नहीं रहा था। ना ही कुछ जानता था।
पर का सहला रही थी, तो मुझे बेहत अच्छा लग रहा था। इतना आनंद आ रहा था कि मुझे दुनिया में सबसे अच्छा चीज लग रहा था। गजब मालुम पड़ रहा था। चांदनी रात थी प्रकाश की तरह चारों ओर इंजोरा सा फैला था। वह औरत को ध्यान से देखा रहा था और पहचानने की कोशिश कर रहा था।
वह औरत हमारे पास बैठकर हमारे बदन पर झुकती चली जा रही थी। हमने उसे औरत को देखा कि वह अपने बदन पर एक चादर सी ओढ रखी है ताकि कोई पहचाने नहीं। वह औरत अभी तक हमारे लूंगी के उपर से ही हमारे लण्ड पर अपना हाथ रख बस धीरे धीरे सहला रही थी।
उसके सहलाने से ही हमारा लण्ड लोहे की तरह टाईट होकर धीरे धीरे लूंगी के भीतर खड़ा हो रहा था। मैं सर से पांव तक सिहर रहा था। मुझे बेहद अच्छा लगने के कारण हम उस देखना चाह रहे थे कि यह औरत हमारे साथ आगे क्या क्या करना चाह रही है।
जिसके कारण हम सोने का बहाना कर सब कुछ समझे कि मैं गहरी नींद में सोया हूँ। हमने चांदनी रात के उजाले में पहचानने की कोशिश किया तो यह और एकदम से बूढ़ी लग रही थी। उसकी उम्र कम से कम हमारी मम्मी से कम नहीं लग रही थी।
मुझे शर्म भी आ रहा था, कि बताओं इतनी उम्र की यह औरत अपने बेटे समान लड़के के साथ क्या कर रही है। पर उस समय वह जो भी हमारे साथ कर रही थी। मुझे बेहद अच्छा लग रहा था। मैं अपने बदन को ऐठने सा लगा था। औरत मै सब कुछ औरत को देख रहा था। देखा कि वह औरत हमारे बदन से एकदम सट गई। और वह हमारे बदन के उपर झुकती चली गई।
मेरा लण्ड अब एकदम लूंगी के भीतर ही लोहे सा कड़ा होकर खड़ा हो गया था। मै अपनी सास को रोककर चुपचाप नींद का बहाना कर उसे देख रहा था कि आगे क्या करना चाह रही है। _ अब तो हमारे खडे लण्ड कोज्यों ही अपने हाथ से पकड़ी तो मुझे इतना अच्छा लगा कि मन करता कि मैं जल्दी से उठकर उसे सुलाकर उसकी बुर में अपना लण्ड डाल चोद डालूँ।
पर मुझे हिम्मत ही नहीं हो रहा था और शर्म भी आ रही थी। तो हमारे मां की वह औरत थी। इतने में देखा कि वह मस्त हो गई। और वह मेरे लण्ड के अपने नर्म हाथ में पकड़ इस तरह से सहलाने लगी की मै चोदने के लिए छटपटा रहा था। और वह औरत भी काफी मस्त होगई थी।
कभी देखता की वह अपने चुचियों पर ही से पकड़ मसलने लगती तो मै और चोदास होकर मेरा लण्ड बांस की तरह मोटा और लम्बा होता चला गया। हम मन ही मन अनुमान लगा रहे थे, कि आज तक मेरा लण्ड में इतनी ताकत और जोश कभी नहीं आया आज इस औरत के हाथ में जाते ही मेरा लण्ड एकदम से लोहा बनेकर उसके कोमल हाथ में फनफना रहा है।
मैं अब भी उसी अवस्था में कनखियों से सब कुछ देख रहा धा। वह बार बार मेरी आंखो को गौर से देखती तो हम झट से आंखें इस तरह से मुंद लेता की वह और सोचे की हम गहरी नींद में है। अब तो मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था। पर किसकी पाकर अपने आप पर काबू रख उस औरत को पहचानने की कोशिश कर रहा था।
उस समय तक वह और तअपनी चेहरा चादर से ढ़की थी। वह हमारे लण्ड को इस प्रकार अपने हथेली में कैद कर वह मसल रही थी। पर हम किसी प्रकार अब भी मटीया कर सोये सब कुछ कनखियों से देख कर मन ही मन बहुत उतावला हो रहे है।
अचानक उस औरत का चेहरा झलक सा गया। और उसकी चादर मुह पर से गिर गद्न पर आ गई थी। मैने देखा तो उस औरत को पहचान नहीं सका। और सोचने लगा की यह औरत कौन है और इसे कभी देखा भी न था। यही सब सोच रहा था। वह और काफी चोदास होने लगी थी। हम समझ गये की वह हमारे लण्ड को पकड़ वह काफी मस्ती में आने लगी है।
कभी कभी तो बेतहासा अपनी चुची को मसलने और कभी तो अपनी बुर पर हाथ रख वह जोरो से सहलाती हुइ वह सिसयाने भी लगी थी आवाज साफ सुनाई दे रहा था। वह आह आह करती और अपने बदन को यह हमारे लूंगी के बंधन को धीरे से खोल दी।
जैसे ही लूंगी हमारे लण्ड से हटी तो मेरा लण्ड बाहर आते ही वह इतनी जोरा से फनफना की वह औरत देखकर कांप गयी। और मेरा लण्ड एकदम नंगा होकर सामने चांदनी रात के उजाले में आसमान को ओर देखने लगा। मैने जब अपने लण्ड को देखा तो हम अपने आप पर विश्वास नहीं कर सके की यह हमारा ही लण्ड होगा। काफी मोटा और लम्बा…?
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हम तो आज तक अपने लण्ड को इतना मोटा और लम्बा होते हुये नहीं देखा था। आज तो उस औरत के हाथ से लगते ही पता नहीं हमारा लण्ड कैसे इतना लम्बा और मोटा हो गया। लण्ड हमारा देखने लायक था। जिस प्रकार हम घोड़े और गदहे को रास्ते में देखा था। ठीक उसी प्रकार का हमारा लण्ड का आकार था।
वह औरत मेरे नंगे लण्ड को देखकर पागल की तरह करती वह झपाक सा पकड़ ली और वह अपनी नरम हाथ से सहलाते हुए वह उपर नीचे करने लगी तो मै सर से पांव तक गनगना उठा और हमारी सांसं तेज होने लगी। आठ दस बार मेरे लण्ड को इस प्रकार उपर नीचे की तो मेरा लण्ड केले के छिलके की तरह अलग होता चला गया।
वह औरत एकदम से मस्ती में आ चुकी थी। वह इतनी चोदास हो गई की देखी की वह एकदम अपने बदन से चादर को हटा एकदम से कमर से उपर नंगी हो गई। मैने जैसे ही नंगा बदन उस औरत का देखा तो हम पागल हो गये।
उसकी गोरी बदन और चौड़ी छाती को देख हम एकदम से चोदने के लिए पागल हाने लगा। उस समय छाती तो जवान छोकरी की तरह तो नही थी। पर उसकी चुची काफी बड़ी सी लग रही थी। औरी गडा नहीं होने के कारण लज तो थी। पर हमें उसे समय वह चची इतनी अच्छी लगने लगी की उसके सामने जवान छोकरी की चुची भी फीकी लगने लगी।
उस समय वह औरत हमारे लिये जवान लग रही थी और खूबसूरत भी। मै अब भी उस अवस्था में सोया था। मुझे ना तो हिम्मत हो रहा था ना ही उसे कुछ कहूं…. मै आगे देखना चाह रहा था कि उसके आगे वह औरत क्या, क्या करना चाह रही थी।
उस औरत को अपने फूफा के बेटी के शादी में आई हुई थी। उससे तो कई बार हम देख भी चूके थे। पर चादर के घर होने के कारण हम उस औरत से कभी बात नहीं की थी। क्योंकि उसका पति एकदम से बूढ़ा था। और वह पूरे परिवार के साथ फुफा के बेटी की शादी में आई हुई थी।
उसके साथ दो जवान बेटी भी थी। और एक जवान बेटा। जिसका शादी हो गया था। उस औरत का एक पोता 5वर्ष का था सभी परिवार शादी में आये हुए थे। इसी से हम अनुमान लगा चुके थे कि वह चालीस से कम नहीं होगी। पर इतना सोचना उस समय मुझे अच्छा नहीं लग रहा था।
उस समय तो वही औरत हमे जवान छोकरी लग रही थी। जो हमारे नंगे लण्ड के इस तरह उपर नीचे कर रही थी कि वह रंगीन राते नजर आ रहा था। देखा की वह औरत अब चोदास से पागल होकर वह तेजी के साथ मेरे लण्ड उपर नीचे करने लगी। और मेरा लण्ड लोहे से कड़ा होकर लाल लाल होने लगा।
मै अब भी वही अवस्था में लेटा था। वह अब यही समझ रही थी कि मैं सोया हूं। वह इतनी चोदास हो गई थी मेरे लण्ड को बच्चों की तरह अपने हाथ में लेकर चुचकारने लगी। और वह कुछ बुदबुदाने लगी। वह अपने आप से कहने लगी कि बाप रे बापन इस छोकरा का लण्ड है। एकदम लाखों मर्द में से एक मर्द है। इतना बड़ा लण्ड तो आज तक हमने कभी किसी मर्द का नहीं देख पाई थी। मेरे लण्ड तो डस लण्ड के सामने एकदम से बच्चा नजर आता.
मेरा लण्ड एकदम से सामने आकाश की ओर लपलपा रहा था और इतना कड़ा हो गया था कि मेरा लण्ड में दर्द होने लगा था। वह करने लगी कि इस लण्ड से तो मेरी बूर की प्यास बूझ ही जायेगी। मेरे नंगे लण्ड के उपर वाले भाग जो अण्डाकार की तरह था। उस पर अपना नाजूक होठ को ज्यों ही सटाया तो मुझे लगा कि कोई अंगारा हमारे बदन पर बरस रहा हो।
मै तेजी से जलने लगा। मन तो चाहा की मै झटपट बैठू और बिना कुछ कहे बिना पटककर उस औरत के बुर में अपना पूरा लण्उ घूसा डालूं। पर इतना होने के बावजूद भी मुझे शर्म आ रही थी। और ना ही हिम्मत ही हो रहा था।
वह अपने नाजूक नरम होठो से मेरे लण्ड को रगड़ने लगी तो पहने से और कड़ा होकर सर्प की भांति फनफनाने लगा। वह औरत पागल की तरह करने लगी। उसने इतनी मस्ती से आ गई वह मेरे लण्ड को धीरे धीरे होठो से सआ अपने जीभ को चलाने लगी। तो मै उपर से गनगना उठा।
अब तो मै बेहद मस्ती में आकर उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को देख चोदने को अमादा हो बैठा। वह मेरे लण्ड के उपर भाग को अपने जीभ से चाटने लगी। और सहलाने लगी। हम बेहद आनंद में सपना की तरह मजा ले रहा था। मै उस औरत को इस तरह का व्यवहार देख ताज्जुब होने लगा।
मै समझ गया कि जरूर यह औरत पढ़ी लिखी और शहर की रहने वाली है। अगर यह देहात गांव की होती तो इस तरह से कभी भी नहीं। करती इस तरह गांव की औरत नहीं कर सकती। गांव की औरत तो इतना मजा लेना जानती भी नहीं है।
वह धीरे धीरे मेरे लण्ड को अपने मुह में समाने लगी तो हमने मुंह से आह आह निकलने लगी। मै उस समय सांतवा आसमान पर घुम रहा था। आज अजूब मजा देख मै पागल हो गया। इस से पहले यह नहीं जानता था कि औरत का मजा इतना अच्छा होता है।
यहा घटना जो हमारे साथ घटी रही थी वह पहली पहली बार ही थी, अब तो वह हमारे लण्ड को आधा से ज्यादा अपने मुंह में घुसा जीभ से रगड़ने लगी एवं चूसने लगी तो मेरे बदन में आग लग गया। मै आह आह एवं जोरो से सांसें चलने लगा। पर वह औरत भी हमारे उपर यह ध्यान देना भूल गई कि हम अब जाग गये है।
वह तो खूद बेसुध हो गई थी। वह तो उस समय उसे कुछ सूझ नही रहा था। वह चोदास से पागल होकर मेरे लण्ड को चूसने लगी। उसकी बूर में लग रहा था कि जोरों से खूजली हो रही थी।वह किसी प्रकार मुंह में समाते वह आधा से ज्यादा भाग को अपने मुंह में घूसा डाली और मजे से चूसने लगी।
जिस प्रकार अपने हाथ से मेरे लण्ड को उपर नीचे कर रही थी ठीक उसी प्रकार मेरे लण्ड को अपने मुंह से कर रही थी। मेरा लण्ड काफी गरम हो चुका था। और उसके थूक से हमारा लण्ड इतना भींग गया था लण्ड साढ़ी तरह हो गया था।
वह मेरा पूरा लण्ड को अपने मुंह में घुसाने की कोशिश कर रही थी। पर इतना लम्बा और मोटा था कि वह अकबका सी जाती, तो झट से बाहर निकाल देती। । पर वह अपने जानते भर में अपने कंठ तक हमारे लण्ड को नीगल जाती। वह तेजी के साथ जब उपर नीचे की तरह चाटने लगी.
तो मेरे लण्ड से कुछ गरम चीज बाहर निकलने के लिये होने लगा तो हम बेकाबू होकर आह आह करने लगे। करी वह दस पन्द्रह मिनट तक हमारे लण्ड को चूसते चूसते हमें पागल बना डाला। जब हम बर्दाश्त नहीं हुआ तो सामने उसकी लटकी बड़ी बड़ी चुची को हम हवाक से हाथ से पकड़ और जोर जोर से मसलने लगा।
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और तेजी से कहने एवं हाफने लगा तो वह समझ गई कि अब खलास होने वाला हं तो वह और तेजी के साथ मेरे लण्ड को चूसने लगी। देखते देखते मेर लण्ड से तेजी के साथ गरम गरम कुछ निकलने लगा तो हम आह आह हो हो करते आसमान की सैर करने लगा शरीर कांप गया था।
और वह औरत तो मजे साथ लण्ड का तीन तिहाई भाग अपने लण्ड तक उतार मजे के साथ मेरे वीर्य को पी ली। वह जब तक हमारे लण्ड को पीती रही जब तक की मेरे लण्ड से एक एक बूंद न निकल जाये। जब पूरा खलास हो गया तो हम सुस्त होने लगे।
वह तब हमारे लण्ड को अपने मुंह से निकाल वह अपने साये से मेरे लण्ड को पाछने लगी और मेरे तरफ देख हंसती हुई बोली हाय जवाहर तुझे कैसा लगा। मै तो शर्म के उसके नजर नहीं मिला रहा था हम नजर नीचे की मै कुछ भी नहीं बोल सका था वह औरत बोली जवाहर देखा कितना मजा आता है। ऐसा मजा तो तुम कभी सोचा भी नहीं होगा। वह हंसती कहती जा रही थी।
वह तो हमसे कुछ भी लजा नहीं रही थी। पर मुझे शर्भ आ रही थी। उस समय उसे हम कुछ कह नहीं सके थे। कुछ मिनट बीता ही था कि वह हमारे लण्ड को अपने हाथ में लेकर सहलाई तो मेरा लण्ड मिनटों में फिर फनफना सा गया।
देखते देखते मेरा लण्ड इतना टाईट हो गया कि मै फिर से जोश में आ गया था। तब वह औरत बोली.. देखा जवाहर तुम्हारा लण्ड कैसे फनफनाया है। इस बार में पहले से ज्यादा जोश आ गया था। और अब हिम्मत भी हो गई थी।
इस बार हम उस ओरत से नजर में नजर मिलाते कहा हाँ आन्टी मुझे बेहद अच्छा लग रहा है। आज तक ऐसा मजा तो हम कभी नहीं पाया था। ना ही जानता था ना ही सोचा था। वह मेरे लण्ड को अपने नाजूक हाथ से सहलाते सहलाते इतना कठोर कर दिया कि हमने आन्टी से कहा।
हाय आन्टी आप कितनी अच्छी लग रही हो आप इतनी हसीन और जवान लग रही हो कि आपके सामने तो जवान सोलह साल की लड़की भी कुछ नहीं। वह औरत हंसते बोली तूझे अच्छा लगा ना.। इससे कही ज्यादा मजा आयेगा। जब तूम हमारी बूर में अपना लण्ड डाल कर चोदोगे तब जवाहर इस बात पर झटपटा सा गया।
हाय आन्टी तब मुझे चोदने दो ना… आन्टी बहुत समझदार थी। वह अच्छी तरह से जानती कि जवाहर एकदम से जवान छोकरा है। अगर पहले लण्ड बुर में डलवा लिया तो वह चार पांच धक्के में ही खलास हो जायेगा।
और मेरी प्यास भी नहीं बूझ पायेगी… इसी कारण से आटी पहले लण्ड की गरमी का निकाल चुकी थी। की दोबारा जब मेरी प्यासी बुर मे लण्ड डालेगा तो वह खूब देरी तक हमें चोदेगा। वह मुस्कुराते हुए बोली पुकेश क्या तुम हमारी बूर देखना चाहते हो।
हां हां…..आन्टी मुझे अपनी बूर दिखाओं ना…। वह आन्टी के सामने बच्चों की तरह करने लगा। आन्टी इस बार जवाहरको इतना जोश से भर देना चाहती थी कि जवाहर आधा एकाधा घण्टा मेरी बूर को चोदते रहे ताकी। हमारी प्यासी बुर को अच्छी तरह प्यास बुझ सके।
आन्टी हंसती हुई बोली मेरी बूर चोदना चाहते हो तो रूको वह उठकर इधर उधर देखी तो उस समय एकदम से आधी रात हो चुकी थी। सभी लोग नींद्रा देवी के गोद में सोये हुए थे। चांदनी रात नजर होने से जवाहर और आन्टी एक दूसरे को साफ साफ नजर आ रहे थे।
आन्टी अभी तक पेटीकोट पहने थी। वह जवाहर को अभी तक अपनी अनमोल बुर का दशन नहीं होने दी थी। इससे पहले जवाहर को इतना जोश भर देना चाहती कि जवाहर उसकी बुर को खूब अच्छी तरह से चोद सके.
जवाहर कहने लगा। हाय आन्टी अपनी बुर दिखाओं ना……..।
आन्टी लण्ड को मसल मसल कर इतना आग बना डाली कि जवाहर से अब रहा नहीं जा रहा था।
आन्टी बोली….। जवाहर तुम्हारा लण्ड तो काफी मोटा और लम्बा है। इतना बड़ा लण्ड तो आज तक किसी मर्द को नहीं देख पाई थी।
वह इस प्रकार बोली रही थी कि जवाहर को इतना जोश आ जाय की वह आज हमारी बूर को खूब दम लागर चोदे। और बूर को फार डाले। वह हंसती हुई जवाहर को पहले अपनी चुची को मसलने को बोली तो वह झट से वह दोनो चुची को पकड़ घुटी को कुदेरने लगा तो आन्टी पानी पानी होने लगी।
और वह चोदास पागल होकर बोली हाय जवाहर तुम कितने अच्छे हो। तुम्हारास लण्ड एकदम घोड़ा जैसा है। लण्ड के उपर जब आन्टी अपने हाथ पर ढेर सारा थूक निकाल कर के उपरी भाग पर लपेस उसे उपर नीचे की तो जवाहर झटपटा हुआ बोला। हाय आन्टी अब,अपनी बुर मुझे दिखाओं ना… अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है…।
आन्टी तो जान बूझ कर जवाहर को अपनी बुर दिखा नहीं रही थी कि जवाहर इतना जोशीला हो जाए कि वह आज हमारी बुर के एक एक नश ढीला कर सके. आन्टी बोली जवाहर आज तक किसी औरत की बुर देखे हो कि नहीं।
इस बात पर जवाहर अपने बदन को ऐठते कहने लगा। हाय आन्टी ….आज तक हम किसी औरत की बुर नहीं देख पाये है। कभी हमें मौका ही नहीं मिला। दिखाओं……न आन्टी…..दिखाओ……….
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आन्टी अब समझ गयी कि जवाहर अब रह नहीं सकता वह जवाहर को आदेश दिया कि अगर तुम हमारी बुर देखना चाहते हो…खुद ही पेटी कोअ के जबरन को खोल कर हमारी बुर को देख सकते हो। जवाहर इस पर इतना मचल गया की वह एकाएक आन्टी के बदन में सिमटते हुये उसकी पेटीकोट के जबरन को पकड़ एक ही बार में खींचा.
तो उसकी जबरन खूलते ही पेटीकोट कमर से एकदम ढीली हो गई। पर अभी तक आन्टी पूरी नंगी नहीं हो पाई थी। अभी भी मुश्किल आने थोड़ी दूरी थी। जवाहर ने अपने हाथों से आन्टी के पेटीकोट को कमर से ससारते उसे नंगा किया तो जवाहर को आंखों हवा में लहराता उसका लण्ड इतनी तेजी के साथ आन्टी के हाथ से फिसला की वह सर्प की भांति फनफनाने लगा…
जवाहर से रहा नहीं गया तो वह आन्टी को वहीं चादर पर सोला डाला। और उसके पैरों से पेटीकोट को ससारकर आन्टी को एकदम नंगी कमर के नीचे डाल दिया। अब आन्टी की बुर काफी उपर उठ चुकी थी। जब गौर से आन्टी की बुर को देखा तो हम इतना पागल हो गये की मै जल्द से जल्द लण्ड को घुसा देना चाहते थे। पर आन्टी ने कहा। मै अभी बताती हूं।
जवाहर अगर सही मजा लेना चाहते हो तो पहले हमारे बुर को अपने हाथों से सहलाओं तो तुम्हे खूब मजा मिलेगा। आन्टी तो जवाहर को मस्ती से इतना नशा आ गया कि चुरचुर कर देना चाहती थी आन्टी को भरपूर मस्ती में आकर अपनी प्यासी मुरझाई बुर को एकदम तरोताजा कर देना चाहता था।
वह पहले जवाहर को अपनी बुर को चुसवाना चाहती थी। जवाहर जैसे ही उसकी पुआ जैसी बुर पर हाथ रखा की आन्टी कसमसा गई। और बोली हाय जवाहर तुम कितने अच्छे हो। इधर आन्टी जवाहर के लण्ड को एकदम भाला की तरह कड़ाकर जवाहर को मस्ती में चुर चुर कर रही थी।
जवाहर आठ दस बार बुर को सहलाया ही था कि आन्टी बोली हाय जवाहर मजा आ ही रहा होगा… वह मस्ती मे बोला। हां आन्टी आप की बुर हमें बेहद खूबसूरत एवं हसीन नजर आ रही है। आन्टी ने कहा, जवाहर इससे भी मजा तब आयेगा जब रि चोदने से पहले तुम हमारी बुर के अन्दर अपनी जीभ घुसाकर चाटोगे तो देखना कितना मजा आयेगा।
तब तुम खूब मजे के साथ बुर को चोद सकते हो। उर कहा हां आन्टी खूब मजा आयेगा। ह ना कह वह उसकी बुर पर अपने मुह को लगा वह अपरभ को निकाल जैसे ही बुर के उपर सटाया तो आन्टी गनगर उछल पड़ी। और वह एकदम से चोदास होती हुई बोली हाय जवाहर तुम कितने अच्छे हो…….।
जवाहर जीभ को बुर पर रखते ही वह पहले से चौगुना जोश में भरता चला गया। वह चार पांच बार बुर के उपरी सतरह पर फिरंग की तरह नचाया ही होगा कि जवाहर एकाएक अपना जीभ बुर के अन्दर घूसा डाला तो आन्टी बेहद चोदास होकर वह लण्ड को इतनी जोर जोर से उपर नीचे करने लगी की जवाहर को चार बोतल शराब अन्दर जब फिरंगी की तरह घुमाने लगा.
तो उसकी बुर की मधुर सुगन्ध को सुघ कर जवाहर के बदन जोरो से अकड़ने लगा। “वह काफी जारो से हांफने लगा था। आन्टी तो मजे से अपनी बुर को चुसवा रही थी। करीब जवाहर नमकीन पानी को पिकर जवाहर को नशा और सवार होता चला गया। वह तेजी के साथ जीभ को अन्दर बाहर करने लंगा। इधर आन्टी सातवां आसमान पर परीयों की तरह घुमने लगी।
वह आंख मुद वह भर अकवार जवाहर की कमर पकड़ वह आह ……..आह………ओह…… ओह……..सी…….सी…….. करने लगी थी। जब जवाहर से रहा नहीं गया तो वह झटपट अपनी जीभ को बुर से निकाल वह आन्टी के कमर के नहीचे चौकोर बन कर उसकी दोनों टांगे अपने कंधे पर सवार कर वह आन्टी के बुर पर अपना तमतमाया हुआ गदहा जैसा लण्ड को रख.
वह आन्टी के बुर पर अपना हाथ घुसाकर दोनों कंधा पकड; वह अपने सीने से सटा इतनी जोर से धक्का मारा कि जवाहर का लण्ड एक ही बार में तेजी के साथ सरसराता हुआ गपाक से पुरा का पूरा लण्ड बुर के भीतर समा गया। पर आन्टी जोरों से जवाहर को अपने सीने में चिपक वह अपनी बदन को एंठते हुये बोली हाय जवाहर तुम तो मुझे जान ही निकाल डाला।
जवाहर का पुरा लंण्ड जाते ही वह कठोर होता चला गया। और वह इतनी जोर जोर ठाप मारने लगा कि आन्टी का बदन सिहर उठती थी। पर आन्टी तो जवाहर को इतनी जोर से पकड़ वह जोश में. आकर नीचे से इतनी जोर से उपर की ओर कमर को उछालने लगी कि जवाहर को और जोश एवं मस्ती होने लगा वह लगातार ठाप ठाप मारने लगा।
आन्टी बेहद चोदास होकर वाह वाह करने लगी और पागल की तरह जवाहर को अपने सीने से लगा कहने लगी वाह से मेरे शेर। और जोर जोर से मारो जवाहर… फार डालो हमारी बुर को……।
जवाहर इतना सुनते ही वह जब आसमानी ठाप मारने लगा तो लण्ड तेजी के साथ गपाक गपाक करता फचाफच कर अन्दर बाहर करने लगा। उस समय जवाहर को कुछ भी सूझ नहीं रहा था। वह तो आज पहली बार बुर का मजा को ले रहा था।
उसे तो इससे बढ़ीया मजा तो किसी चीज में नहीं था। वह इतना तेजी के साथ चोदने लगा कि आन्टी बाग बाग होने लगी वह सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि जवाहर हमारी बुर को इस तरह से चोद सकता था। चालीस वर्ष की मुड़झाई बुर आज सोलह साल की जवान बूर बन कर खिल गई थी। और वह नीचे से जवाहर को जी भर कर साथ दे रही थी।
एक घण्टा बीत जाने के बाद अभी तक जवाहर के लण्ड से गरमी बाहर नहीं हो पाया था। आन्टी तो इस बीच दो दो बार अपनी बर की गरमी निकाल भी चुकी थी। जवाहर तो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। आन्टी तो बस यही चाहती थी कि कोई हमें खूब चोदे।
आज जवाहर जिस तरह से चोद रहा था। वैसे तो घोड़ा या गदहा ही चोदता है। जवाहर चोदते समय पसीने पसीने हो गया था। पर अब लग रहा था कि उसके लण्ड से गरमी निकलने वाला है। वह पागल की तरह आन्टी को नोचने खसोटने लगा और दांतों से काटने लगा।
हाय जवाहर तुम्हारा लण्ड एकदम बांस है। तुम्हारे लण्ड ने हमारी बुर के नस नस को ढिला कर डाला है। इतना सुना था कि जवाहर इस बार इतनी जोर जोर से ठाप मारने लगा कि आठ दस ठाप मारा ही होगा कि उसके लण्ड से बलबला कर गरम गरम पदार्थ उसकी बुर में गिरने लगा।
जवाहर का चेहर उस समय लाल लाल हो गया था और वह उस समय पूरी ताकत से आन्टी को पकड़ अपने सीने से उसकी गाली पर नोच खसोट धक्का पर धक्का लगा रहा था। कहने लगा………हाय साली………मारो….. .फारो……. चोदो न….बुर को फार डालो। हरामजादी…..देखों अब हम खलास हो गये है।
आन्टी तो उस समय अपनी बुर में गरम गरम पदार्थ का आनन्द पाकर और सातवे आसमान पर नाचने लगी। और वह भी बकने लगी। हाय जवाहर फार डालो हमारी बुर को। जवाहर के लण्ड से जब तक पूरी गरमी निकल नहीं गया जवाहर ठाप पर ठाप मारता ही चला गया।
और आन्टी नीचे से तल ठाप देती रही। जब तक एक बुंद निचोर कर उसकी बुर के अन्दर गिर गया तो जवाहर पूरी तरह सुस्त हो गया था। और उसकी अवस्था में आन्टी के उपर सोया रहा। जब दस मिनट हो गया तो उसका लण्ड कुछ मुड़झाया तो वह बुर से लण्ड निकाल वह एक ओर लुढ़क गया।
आन्टी जल्दी से उठी। और वह हंसते हुए जवाहर के लण्ड को अपने पेटीकोट से अच्छी तरह पाछ कर वह मुस्कराती वहा से जल्द ही जाने लगी। क्यों कि अब भोर होने वाला था। अंधेरा इंजोरा में बदलने वाला था। और कौवा काव काव करने लगा था। आन्टी जल्द ही छत से उतर वह नीचे घर में चली गई और जवाहर जल्दी से लूंगी लपेट वह सो गया था।
उसकी आंख तब खुली जब उसे किसी ने उसके आंख पर पानी का छिटा दी। वह जैसे ही आंख खेला तो सामने वही औरत को हंसते हुये देखा तो वह शर्म से नजर गिरा लिया। इतने में वह आन्टी हंसती हुये बोली क्यों जवाहर कितना मजा आया वह पूछने लगी। और वह हमारे लिए एक लोटा पानी और एक कप गरम गरम चाय ले कर आई थी।
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वह मुस्कुराती हुई हमारे पास रखती बोली उठो जवाहर रात भर का जगी हो देह हाथ दर्द कर रहा होगा चाय पी लो। सब थकावट दूर हो जायेगी। और इतना कह वह वापस छत से चली गई। हमने उठ कर बैठा तो नींद तो अब भी आ रही थी। क्योंकि ठीक से सोया नहीं था। और रात भर उस आन्टी के साथ पहली बार चोदाई करने से शरीर भी काफी थक सा गया था। पर हमारे सामने जब तक खड़ी रहती तो मेरा लण्ड उसे देखते ही फिर से खड़ा हो गया था। मन तो कर हर था कि अभी भी आन्टी को पकड़ कर चोद डालू। अपनी मस्ती अभी तुरन्त झाड़ लूं।
पर करता क्या? सुबह के आठ बज चुके थे। हमने पानी से हाथ मुंह धोकर चाय पीने लगा और बुर की रंगीन चोदाई के बारे में सोचने लगा। धीरे-धीरे सभी मेहमान जाने लगे तो वह औरत भी सहेली के घर से विदा होने लगी। जवाहर का चेहरा उतरा सा था और फुलवा को जवाहर जब ट्रेन में चढ़ाया तो एक पत्र जवाहर को दिया। जवाहर वापस आया और जब पत्र को पढ़ा तो वह अपने गाँव बुलाई थी। लिखा था अपनी बेटी की बुर भी तुमसे चोदवाउंगी।