Delhi Maal XXX Kahani
मेरा नाम चंद्रकांत शुक्ला है। मैं दिल्ली में रहता हूँ। मैं एक ज्योतिषी हूँ और लोगो की कुंडली बनाकर पैसा कमाता हूँ। आप मुझे एक ढोंगी आदमी भी कह सकते है। मैं पढ़ लिखकर कोई नौकरी नही पा सका। इसलिए अब ये वाला काम करके पैसा कमा रहा हूँ। दोस्तों मुझे खूबसूरत औरते बहुत अच्छी लगती है। कई बार मेरे पास ऐसी औरते आती है जो अपने भाग्य से बड़ी परेशान होती है। Delhi Maal XXX Kahani
उनके पास पैसे तो नही होते है पर जवानी और खूबसूरती भरपूर मात्रा में होती है। ऐसे में मैं उनकी कुंडली बनाकर अपना ज्योतिष परामर्श दे देता हूँ और बदले में उनकी मस्त मस्त चूत को चोद लेता हूँ। वो भी खुशी खुशी चुदवा लेती है। कुछ महीनो पहले ऐसा ही हुआ था। स्वस्ति नाम की एक बड़ी खूबसूरत औरत ने मुझे काल किया।
“हलो! क्या चंद्रकांत जी से बात हो रही है???” वो बोली.
“हाँ मैं चंद्रकांत शुक्ला बोल रहा हूँ”.
“सर! मैं आजकल बड़ी मुसीबत में पड़ी हूँ। मेरे गृह नक्षत्र बुरी अवस्था में चल रहे है। आपसे मिलना चाहती हूँ” स्वस्ति बोली.
“5100 रुपये मुझसे मिलने की फीस है। आप पैसा मेरे अकाउंट में जमा करवा दीजिये। अपोइन्टमेंट ले लीजिये फिर मुझसे मिल पाएगी” मैं बोला.
“अरे सर!! मैं तो बड़ी गरीब औरत हूँ। पैसा नही है मेरे पास। कहाँ से लाऊँगी इतना पैसा मैं” स्वस्ति बोली.
मैंने उसे ऑफिस आने का टाइम बता दिया। अगले दिन वो लेडीस स्वस्ति मेरे दफ्तर पर सुबह 10 बजे आ गयी। मैं अपने केबिन में बैठा हुआ था। स्वस्ति दरवाजे को धकेल पर अंदर आई। मैंने उसे बैठने को कहा। वो खूबसूरत औरत थी दोस्तों। वो काले रंग की साड़ी ब्लाउस में थी और उम्र कोई 30 साल होगी।
उसका सिर काफी बड़ा था और अच्छे घर की औरत दिख रही थी। उसका बदन काफी भरा हुआ था। मेरी नजर उसके ब्लाउस पर जाकर ठहर गयी। स्वस्ति की चूचियां का साइज 36 इंच से अधिक ही था। उसका फिगर 36 30 38 का था। उसके ब्लाउस पर उसकी साड़ी का पल्लू था जो काफी उभरा हुआ था।
“बताइए कैसी समस्या है आपको स्वस्ति जी???” मैंने पूछा.
वो मुझे अपना दुखड़ा रोने लगी। उसके पति की सरकारी नौकरी छूट गयी थी। उसके सास ससुर की तबियत बहुत खराब थी। ससुर को ब्लड कैंसर जैसी घातक बिमारी हो गयी थी और उसका परिवार बड़े मुश्किल दौर से गुजर रहा था।
“मैं आपको सभी तरह के समाधान बता दूंगा। आपके परिवार के सारे संकट टल जाएंगे पर आपको 5100 रुपये मेरी फीस देनी होगी” मैंने कहा.
“चंद्रकांत जी!! मेरे पास पैसा नही है। बोलिए तो कुछ और दे दूँ” स्वस्ति बोली और अपने ब्लाउज की तरफ आंखो से इशारा करने लगी.
मैं मुस्कुराने लगा।
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“आप इतनी खूबसूरत है की मैं इस चीज से काम चला लूँगा” मैं बोला.
उसके बाद उसे लेकर सोफे पर बैठ गया। स्वस्ति बहुत खुले मिजाज वाली औरत थी। उसका चेहरा गोल था और काफी बड़ा सर था। उसके गाल सफ़ेद चिकने थे और उसका चेहरा बहुत आकर्षक था। वो मुझसे चिपकने लगी। मैं भी उसके करीब आ गया। फिर हम दोनों किस चालू कर दिए। स्वस्ति शादी शुदा औरत थी। मुझे ऐसी औरतो को खाना बहुत पसंद था।
“मुझे किस करो!!” मैंने कहा.
स्वस्ति ने मेरे चेहरे को दोनों हाथो से पकड़ लिया और हम दोनों पास आकर किस करने लगे। मैं उसके होठो को देख रहा था। स्वस्ति के होठ अंगूर जैसे थे। उपर नीचे दोनों ओंठ काफी मोटे मोटे और सेक्सी थे। मैं उसे चूसने लगा। वो भी मस्ती से चुसाने लगी। फिर वो भी मेरी तरह अपना मुंह चला चलाकर मेरे होठ चूसने लगी।
इस तरह गरमा गर्म चुम्बन करने से हम दोनों ही काफी सेक्सी फील करने लगे। वो सोफे पर और आगे खिसक आई और फिर 10 मिनट तक मेरा गहरा चुम्बन करती रही। ऐसे में मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने उसे कमर से पकड़ लिया और खुद से चिपका लिया। वो मेरे गले लग गई।
“आई लव यू!! स्वस्ति जी!! आप तो मस्त औरत है” मैं उसकी तारीफ़ में बोला.
“आप भी कुछ कम नही है चंद्रकांत जी!!” स्वस्ति बोली.
उसके बाद खुद ही मेरी गोद में आकर बैठ गयी। मैं उसके गले पर किस करने लगा। स्वस्ति “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा सी सी सी” किये जा रही थी। उसका गला पतला और लम्बा था। काफी खूबसूरत था। मैं किस कर रहा था, स्वस्ति को मौज मिल रही थी। मैं अब उसके ब्लाउज के उभार की तरफ देखने लगा। उसने खुद ही अपनी काली साड़ी ब्लाउस के उपर से खींच दी और हटा दी।
“लो देख लो अच्छे से” स्वस्ति बोली.
काले ब्लाउस में उसका गोरा बदन कुछ जादा ही जालिम दिख रहा था। उसके हाथ और बाहे कितनी दूधियाँ दिख रही थी। स्वस्ति के ब्लाउस के गहरे गले से उसकी मस्त मस्त कत्ल कर देने वाली चूचियां मुझे दिख रही थी। मैं अपना मुंह उसके ब्लाउस के उपर ही रख दिया और किस करने लगा।
स्वस्ति ने मेरे सिर को पकड़कर अंदर की तरफ दबा दिया। अब मेरे ओंठ उसकी मस्त मस्त 34” की चूचियों तक पहुच गये। मैं किस करने लगा। स्वस्ति भी मस्त होने लगी। “……अई…अई….अई…..इसस्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” करने लगी। अब मुझे कैसे भी उसकी सफ़ेद संगमरमरी चूचियां देखनी थी।
“जानेबहार….ब्लाउस खोलो न” मैंने कहा.
स्वस्ति खोलने लगी। वो बटन को खोलने लगी और उतार दी। अब उसकी 36 इंच की विशाल पर्वत जैसी चूचियां मुझे मिल गयी थी। दोस्तों उसकी चूचियां काली ब्रा में कसी हुई थी और तिकोनी तरह की दिख रही थी। जैसे 70 के दशक में इंडियन फिल्मो में श्रीदेवी खुले वाले ब्लाउस पहनती थी जिसमे उसकी चूचियों का साइज और उभार साफ़ साफ दिख जाता था वैसा ही लग रहा था।
स्वस्ति की ब्रा मुझे उसकी ही याद दिला रही थी। मेरा लंड तो ये सब देखकर उफान मारने लगा। चंद्रकांत जल्दी से चोद डालो इस मस्त माल को। अब देर मत करो। मेरा दिल मुझसे कहने लगा। मैंने अपना मुंह स्वस्ति के चूचियों के बीच में ही रख दिया।
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उसके मस्ताने जिस्म की खुशबू लेने लगा। ओहह्ह्ह्ह….क्या खूब भीनी भीनी महक थी उसके सेक्सी बदन की दोस्तों। फिर मैं हाथ से दोनों दूध को ब्रा के उपर से हाथ लगाने लगा। मैं कामुक होकर सहलाने लगा। फिर दबाना शुरू कर दिया। स्वस्ति फिर से “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…”करने लगी।
उसकी सिसकियाँ मुझे जोश दिलाने लगी। मैं उसकी काली ब्रा पर चुम्मा लेने लगा। खेलने लगा। फिर जोर जोर से उसके रसभरे दूध को दबाने लगा। वो मेरी बाहों में मचलने लगी। उसकी उफनती जवानी देखकर मेरा दिमाग खराब हो रहा था।
उसकी काली नोकदार ब्रा को मैं हवस में आकार मुंह में पकड़ लिया और काटने लगा। स्वस्ति की बुरी हालत हो गयी। कुछ देर मैंने उसकी ब्रा नही खोली और दूध में ब्रा सहित ही मुंह में लेकर चूसता रहा। कुछ मिनट ऐसे ही आनन्द लेता रहा। फिर स्वस्ति ही अपनी ब्रा के हुक खोल दी।
अब उसकी 36 इंच की विशाल नदी जैसी उफनती नंगी चूचियां मेरे सामने थी। मन कर रहा था की दांत लगाकर काट खाऊँ। पर पहले मुंह में भरके चूसना था मुझे। सबसे पहले उसके दूध की खूबसूरती को कुछ देर ताड़ने का दिल था।
मैंने उसके कोमल मुलायम दूधो को हाथ में ले लिया और पास से देखने लगा। काफी कड़ी कड़ी चूचियां थी दोस्तों जो पूरे गर्व से टनटनाई हुई थी। मैं हाथ में लेकर उसकी जवानी देख रहा था। सफ़ेद दूध की निपल्स के चारो तरफ काफी बड़े बड़े चमकदार काले गोले बेहद कामुक दिख रहे थे।
मैं तो उस अद्भुत करिश्मे को कुछ देर तक देखता रहा। “कितना भाग्यशाली होगा स्वस्ति का मर्द जो रोज रात में इसके जैसी जवान औरत को चोदता होगा। इसके मस्त मस्त आम को मुंह में लेकर चूसता होगा” मैं सोचने लगा।
“कहाँ खो गये चंद्रकांत जी!! …..सी सी सी सी…. मुंह में लेकर चूसिये ना” स्वस्ति खुद ही कहने लगी.
फिर मैं हाथ से कस कसके दबाने लगा। मुंह में लेकर उसकी सफ़ेद चूची को मुंह में भरके चूसने लगा। स्वस्ति किसी चुदक्कड औरत की तरह “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..”करने लगी।
दोस्तों आप लोग तो जानते ही होंगे की 36 इंच के दूध कितने बड़े बड़े होते है। मैं तो मुंह में लेकर चूस रहा था। जल्दी जल्दी मुंह चलाकर किसी छोटे बालक की तरह रस पी रहा था। स्वस्ति मेरा पूरा साथ निभा रही थी।
वो भी अच्छे से मुझे पिला रही थी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मेरा लंड मेरी पेंट में कड़ा हो गया था। अब मैं अच्छे तरह से चोदू मर्द बन बैठा था। मैं कामुक होकर स्वस्ति की दोनों दूध को चूस रहा था। उसकी आहे और कराहे मुझे पागल बना रही थी।
“….उंह उंह उंह हूँ..पी लो.. चंद्रकांत जी!! समझ लो की मैं आपकी ही बीबी हूँ…चूसो और चूसो!!” स्वस्ति कहने लगी.
मैंने तबियत भरकर उसके दूध की चुसाई कर डाली। स्वस्ति भी तृप्त हो गयी। उसके दोनों दूध मैंने कसके चूस डाले। मुलायम स्तनों पर अनेक बार मेरे दांत चुभ गये थे।
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“साली रांड!! तेरे मस्त मस्त कबूतर को लंड से चोदने का दिल है” मैं बोला.
“तो चोद लीजिये चंद्रकांत जी” स्वस्ति किसी छिनाल की तरह बोली.
मैंने उसी वक्त अपने सारे कपड़े उतार दिए। अपने 11 इंची लंड को हाथ से पकड़कर जल्दी जल्दी मुठ देने लगा। मेरा लंड तो कबसे स्वस्ति की सेक्सी चूत को चोदने के लिए मरा जा रहा था। दोस्तों मेरे ऑफिस का सोफा बहुत ही गुलगुल, नर्म और बढ़िया था। बहुत महंगा सोफा था ये।
“लेट जाओ स्वस्ति” मैंने कहा.
वो सोफे के एक साइड लेट गयी। मैं अपने लंड को पकड़कर उसकी लपर लपर करती बड़ी बड़ी चूचियों पर पीटने लगा। स्वस्ति चुदासी होकर “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..”करने लगी। मैं उसकी दाई चूची को हाथ से पकड़ा और लंड उसकी काली निपल में रगड़ने लगा। स्वस्ति को बड़ा मजा आ रहा था।
फिर उसके दोनों मम्मे के बीच में मैंने लंड रख दिया और दोनों मम्मे को कसके पकड़ कर लंड से चोदने लगा। स्वस्ति की आँखे सेक्स के नशे से भारी हो गयी। मैं उसके उपर चढ़कर उसके दूध को चोद रहा था। उसे भी बड़ा मजा मिल रहा था। मैंने खूब कलाबाजी दिखाई और 15 मिनट तक स्वस्ति जैसी सेक्सी औरत के मम्मो को चोदता रहा। फिर उसके उपर बैठे ही लंड उसके मुंह में डाल दिया।
“चल साली चूस इसे!!” मैं बोला.
स्वस्ति तो पहले से ठरकी हो चुकी थी। वो मेरे 11 इंची मोटे औजार को मुंह में लेकर चूसने लगी। हाथ से पकड़कर तेज तेज मुठ भी दे रही थी। मैं “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ…ऊँ…ऊँ….”करने लगा। मुझे भी काफी अच्छा लग रहा था। वो कामुक होकर सिर हिला हिलाकर चूस रही थी। इस तरह मैं अपने ऑफिस में ही अय्यासी कर रहा था।
“साली कुतिया!! तेरे मुंह को चोदू क्या???” मैंने कहा.
वो सर हिला दी। अब मेरे अंदर का कामदेव जाग गया। मैंने स्वस्ति के सर को दोनों हाथ से कसके पकड़ा और उसके मुंह को अपने लंड से जल्दी जल्दी चोदने लगा। उसका तो दम ही निकला जा रहा था। दोस्तों मेरा लंड 2 इंच मोटा था इसलिए उसे भी काफी मजा आ रहा था।
मैं करता चला गया। स्वस्ति के मुंह की लार और थूक अच्छे से मेरे लंड पर चुपड़ गया था। फिर भी मैं जल्दी जल्दी चोद रहा था। वो किसी देसी रंडी की तरह मुंह चुदवा रही थी। मेरे मोटे लंड से सफ़ेद माल टपक रहा था। मैंने वहसी बनकर काफी देर उसका मुंहचोदन कर डाला।
“चल रंडी!! नंगी हो जा” मैंने कामुकता में कहा.
स्वस्ति सोफे से खड़ी हो गयी। उसके मुंह के चारो तरफ मेरे लंड का माल लगा हुआ था। वो एक एक करके अपनी काली रंग वाली साड़ी खोलने लगी। फिर पेटीकोट की डोरी खींच दी। उसे उतार दी। फिर अपनी काली रंग की चड्ढी उसने उतार दी और सोफे पर कुतिया बन गयी।
मैं उसके पीछे हो लिया और बदन ताड़ने लगा। स्वस्ति जैसी मस्त औरत की गांड क्या खूब थी। उसकी गांड और चूतड़ 38 इंच के बड़े बड़े थे। मैं हाथ लगाकर उसके पिछवाड़े को सहलाने लगा। उसके नितंभ (पुट्ठे) बड़े चिकने चिकने बेहद कामुक थे। मैं हाथ से छूकर सहलाकर मजा लेने लगा।
स्वस्ति कामवासना में डूबकर “हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी… हा हा.. ओ हो हो….”करने लगी। मैं मुंह लगाकर उसके पुट्ठे को चाटने लगा। फिर दांत गड़ाकर काटने लगा। स्वस्ति सुसुआने लगी। फिर मैं उसकी बुर को पीछे से किसी चोदू कुत्ते की तरह चाटने लगा।
स्वस्ति सिसकियाँ लेने लगी। उसकी बुर पीछे से कुछ जादा ही सेक्सी दिख रही थी। मैं जीभ लगा लगाकर चाटने लगा। अब मेरी क्लाइंट स्वस्ति और जादा गर्म होने लगी थी। मैं काफी देर तक चूत चुसाई करता रहा। फिर अपने 11 इंची लंड को मैंने उसके छेद में घुसा दिया। अब जल्दी जल्दी मैं स्वस्ति को चोदने लगा।
““……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी—चोदिये चंद्रकांत जी!! और जोर से पेलिए ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…” स्वस्ति देसी छिनाल की तरह चिल्ला रही थी.
ये सुनकर मैं और जोश में आ गया और तेज तेज उसकी चूत का चुकन्दर करने लगा। स्वस्ति सोफे पर झुककर कुतिया बनी हुई थी। उसकी कमर पकड़कर मैं उसका गेम बजा रहा था। उसकी भरी हुई चूत से चट चट की आवाज निकल रही थी जैसे किसी को चांटे पड़ रहे हो।
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मैं बड़ी रफ्तार में उसको पेल रहा था। मुझे लंड में बड़ा मीठा मीठा अहसास आ रहा था। स्वस्ति कुतिया बनकर अच्छे से चुदवा रही थी। असंख्य बार मेरा मोटा पट्ठा लंड उसकी चूत में घुसा और निकला। मैं नॉन स्टॉप धक्के दे रहा था। इसी बीच स्वस्ति झड़ गयी। उसका पूरा बदन लहराने और कांपने लगा। मुझे ये सब देखकर और मजा आया। फिर जोर जोर के धक्के मारते हुए मैं भी झड़ गया। स्वस्ति हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ—करने लगी
“चंद्रकांत जी!! आप मस्त ठुकाई करते है” वो कहने लगी.
उसने अपनी चड्डी उठाई और चूत को साफ़ करने लगी। मैंने उसकी चूत को उंगली से खोलकर देखा। उसकी बुर खूब चुदी हुई थी तबियत से। उसकी चुद्दी का छेद काफी बड़ा था और सुरंग अंदर तक दिख रही थी। साली रंडी लगता है बाहर के मर्दों से खूब चुद्वाती है और अपने सारे काम बिना पैसा दिए करवाती है। दोस्तों फिर मैंने उसकी गांड चोद डाली। मैंने स्वस्ति की जन्म कुण्डली अच्छे से बना दी और उसके घर में जो समस्याए चल रही थी उसको दूर करने का उपाय भी उसे बता दिया। अब अक्सर वो मुझसे मिलने आती है और ऑफिस में ही चुदवा लेती है।